मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल की वाटिका विहार कालोनी के रहने वाले राजेश और पुनीता की शादी के 2 दशक बीत चुके थे. वह इतना लंबा समय खट्टेमीठे अनुभवों के साथ गुजारते आए थे. राजेश की जब शादी हुई थी, तब उस की उम्र केवल 16 साल की थी. वह 16 साल की पुनीता को विदिशा से साल 2002 में ब्याह कर लाया था. दोनों ने कच्ची उम्र में दांपत्य जीवन की शुरुआत की.

राजेश आजीविका के लिए सूर्यवंशी गोविंदपुरा इंडस्ट्रियल एरिया स्थित एक फैक्ट्री में काम पर लग गया. जबकि पुनीता घरपरिवार को संभालने में लगी रही. किंतु हां, परिवार को कैसे खुश रखा जाए, घर की जरूरतें कैसे पूरी हों, परिवार के दूसरे सदस्यों के साथसाथ सामाजिक मानमर्यादा का किस तरह निर्वाह किया जाए? आदि बातों का वे काफी खयाल रखते थे.

एक तरह से उन्होंने अपना एक संतुलित परिवार बना लिया. वे 2 बच्चों के मातापिता बन गए. उन का बड़ा बेटा 14 साल का और छोटा 10 साल का हो चुका था. दोनों एक पब्लिक स्कूल में पढ़ते थे.

पुनीता एक कुशल गृहिणी की तरह घरपरिवार को संभाले हुए थी, लेकिन कुछ समय से घर के बढ़ते खर्च, बच्चों की अच्छी पढ़ाईलिखाई को ले कर परेशान रहने लगी थी. उसे मकान बनवाने की भी चिंता थी, लेकिन पति की आमदनी बहुत ही सीमित थी. इस के लिए उस ने अपने भाई मंगलेश से 2 लाख रुपए की मदद भी ली थी.

फिर भी सब कुछ ठीकठाक चल रहा था. कोरोना काल में उन की माली हालत बिगड़ गई थी और राजेश चाह कर भी अपने साले का कर्ज नहीं उतार पा रहा था. इसे ले कर आए दिन राजेश की पुनीता से तूतूमैंमैं होने लगी थी.

बात शुरू होती थी घर के खर्च से, जो मकान बनवाने और भाई से लिए कर्ज तक जा पहुंचती थी. जब भी पुनीता उसे भाई के कर्ज के पैसे देने की बात करती थी, तब राजेश गुस्सा हो जाता था. उलटे उस पर तरहतरह के आरोप लगाने लगता था.

एक दिन तो हद हो गई. राजेश ने अपने साले मंगलेश को फोन कर बताया कि उस की बहन के रंगढंग तब से ठीक नहीं हैं, जब से वह पास के अस्पताल में काम करने लगी है.

‘‘हैलो मंगलेश, सुन रहा है न तू?’’ राजेश तेज आवाज में मोबाइल को मुंह के पास ले जा कर बोल रहा था.

‘‘हांहां बोलो जीजा, तुम्हारी आवाज साफ आ रही है. बोलो न, क्या बता रहे थे… दीदी को क्या हो गया है?’’ मंगलेश बोला.

‘‘अरे मंगलेश, उसे कुछ हुआ नहीं है. उस के चालचलन बदल गए हैं. बेहया हो गई है. जब से वह अस्पताल में काम करने जाने लगी है, तब से उस के रंगढंग बहुत बदल गए हैं. जरा उसे समझा दियो, वरना बहुत बुरा हो जाएगा.’’ राजेश एक तरह से धमकी भरे अंदाज में बोला और फोन कट कर दिया.

मंगलेश अपने जीजा की बातों को आधाअधूरा ही समझ पाया था. फिर भी उस ने अपनी बहन पुनीता  से एक बार बात करना सही समझ कर उसे काल कर दी, ‘‘हैलो दीदी! कैसी है तू?’’

‘‘मैं ठीक हूं, तू कैसा है? घर में सब कुशल से है न?’’ पुनीता मायके का हालसमाचार लेने लगी.

‘‘अरे दीदी, जीजा का फोन आया था. बोल रहे थे तुम्हें क्या हो गया है? कोई परेशानी है क्या?’’ मंगलेश बोला.

‘‘अरे नहीं रे भाई! तू उन की बातों पर ध्यान मत दे. यह हमारे उन के बीच की बात है.’’ पुनीता ने भाई को समझाया.

‘‘बच्चे कैसे हैं? उन की पढ़ाई ठीक से चल रही है न! स्कूल तो खुल गए होंगे? उन से मिले बहुत दिन हो गए. राखी के दिन उन्हें भी ले कर आ जाना,’’ मंगलेश बोला.

उस रोज बात आईगई हो गई. न तो पुनीता ने अपने पति के साथ आए दिन होने वाली तकरार के बारे में कुछ बताया और न ही मंगलेश ने बहन की निजी जिंदगी में गहराई तक झांकने की कोशिश की.

लेकिन यह क्या? अगले दिन ही राजेश ने मंगलेश को फिर फोन कर वही बात दुहराई. कहने लगा अपनी बहन को संभाल ले वरना अनर्थ हो जाएगा. उस ने सीधेसीधे आरोप लगा दिया कि उस का अस्पताल के ही एक युवक के साथ टांका भिड़ गया है. उस के साथ घूमनेफिरने लगी है. जिस से पासपड़ोस में उस की बदनामी हो रही है. उसे बच्चों को ले कर चिंता हो रही है.

एक तरह से राजेश ने उस रोज अपनी पत्नी पुनीता पर बदचलन होने और एक युवक के साथ अवैध संबंध रखने का आरोप लगा दिया था.

बहन के बारे में यह सुन कर मंगलेश ने उस रोज फोन पर ही बहन को काफी डांट लगाई. उस ने यहां तक कह डाला कि वह अपने परिवार पर ध्यान दे, बच्चों का भविष्य बनाए. गलत रास्ता नहीं अपनाए. दोबारा जीजा की शिकायत आई, तब समझ लेना कि उस के मायके का दरवाजा हमेशा के लिए बंद हो गया है.

राजेश द्वारा पुनीता को ले कर शिकायतों का सिलसिला लगातार चलता रहा. जब भी मंगलेश के फोन आते तो वह बातचीत का सिलसिला ही पुनीता की शिकायतों से करता. उस पर बदचलनी का आरोप लगाता.

दूसरी तरफ साला मंगलेश हर बार उसे भरोसा देता कि एक दिन उस के पास आ कर वह उसे समझाएगा. लेकिन उस के लिए वह दिन नहीं आया. उसे अपनी बहन को उस बारे में आमनेसामने बैठ कर बातें करने का मौका ही नहीं मिला.

मंगलेश 14 सितंबर, 2022 की सुबह 7 बजे के करीब अपने काम पर जाने के लिए तैयार हो रहा था. तभी राजेश का फोन आया. मोबाइल चार्जिंग में लगा हुआ था. वह झुंझला गया. नहीं चाहते हुए भी मोबाइल हाथ में ले लिया.

काल देख कर चौंक गया. फोन राजेश का नहीं, बल्कि उस की बहन पुनीता का था. कुछ पल के लिए सोचने लगा कि सबेरेसबेरे पुनीता ने क्यों फोन किया होगा? इस से पहले तो उस ने कभी फोन नहीं किया. जब भी उस से बात की, तब उसी ने बहन को फोन किया था. जरूर कोई खास बात होगी. मंगलेश फोन रिसीव करते हुए बोला, ‘‘हैलो, हां पुनीता, बोलो क्या बात हो गई, इतनी सुबह फोन किया?’’

‘‘अ…अ अरे, मैं बोल रहा हूं, त…त…तेरा जीजा राजेश.’’ आवाज में थरथराहट थी.

मंगलेश किसी अनहोनी से आशंकित हो गया. घबरा कर पूछ बैठा, ‘‘क्या बात है जीजा, तुम परेशान लग रहे हो और मरी आवाज में क्यों बोल रहे हो? सब कुछ ठीक तो है न?’’

‘‘अरे नहीं रे मेरे भाई! कुछ भी ठीक नहीं है. तुम्हारी बहन की उस के प्रेमी ने घर आ कर हत्या कर दी है,’’ राजेश एक सांस में बोल गया.

‘‘हत्या कर दी है? पूनम की हत्या कर दी है? किस ने? कैसे?’’ मंगलेश चौंकते हुए कई सवाल कर बैठा.

‘‘अरे तू फोन पर ही सब कुछ पूछता रहेगा या फिर जल्दी से आएगा भी. हम ने पुलिस को भी फोन कर दिया है. पुलिस आती ही होगी…’’

‘‘चल, मैं भी आता हूं,’’ कहते हुए मंगलेश ने तुरंत फोन कट किया और राजेश के यहां जाने के लिए झटपट तैयार हो गया. जेब में कुछ पैसे भी रख लिए.

उस से कुछ समय पहले ही राजेश ने 100 नंबर पर पुलिस को हत्या की सूचना दे दी थी. कहा था कि उस की पत्नी के दोस्त आनंद ने बांके से हमला कर उस की पत्नी की हत्या कर दी है. यह सूचना पा कर कुछ समय में ही भोपाल के छोला मंदिर थाने की पुलिस मौके पर पहुंच गई थी.

पुलिस ने जांच शुरू की और राजेश के बयान लिए. राजेश ने पुलिस को बताया कि वह अपने बच्चों को स्कूल छोड़ने गया हुआ था. पत्नी घर में अकेली थी. जब वह वापस लौटा तो पत्नी के हाथपैर बंधे हुए थे और उस का गला कटा हुआ था.

मौके पर पहुंची पुलिस ने जांच शुरू की. राजेश पुलिस को गुमराह करता रहा. शक के आधार पर पुलिस ने उस से सख्ती से पूछताछ की तो उस ने जुर्म कुबूल कर लिया. आरोपी की पड़ोसन यासमीन ने पुलिस को बताया कि उसे सुबह करीब पौने 8 बजे राजेश के घर से झगड़े की आवाज आ रही थी. राजेश के घर पहुंची तो वह पुनीता को चारपाई पर पटक कर उस पर चाकू से वार कर रहा था.

पुलिस ने वारदात के बारे में पड़ोसियों के अलावा मृतका के भाई मंगलेश से भी पूछताछ की. साथ ही घटनास्थल पर बरामद हत्या के सामान में भी बड़ा फर्क नजर आया. भाई ने पुलिस को राजेश से कुछ दिनों से फोन पर हो रही बात के बारे में बताया, जबकि पड़ोसियों ने भी बताया कि राजेश का पत्नी से हमेशा झगड़ा होता रहता था.

मोहल्ले के लोग उन के झगड़े से परेशान रहते थे. कई बार उन्होंने झगड़े का कारण जानने की कोशिश की, लेकिन पतिपत्नी में से किसी ने कोई बड़ा कारण नहीं बताया. यहां तक कि उन के बच्चे भी पिता की मरजी के बगैर किसी से कुछ भी नहीं बोलते थे.

पति ने जिस आनंद नाम के व्यक्ति पर हत्या का आरोप लगाया, उसे पुनीता गुरुभाई मानती थी. उसे राखी बांधती थी. उस ने उस के भाग जाने का भी आरोप लगया. कई बातों से जब पुलिस को शक हुआ और उस के घर की तलाशी ली, तब उन्हें वाशरूम में उस के ही खून से सने कपड़े मिले. वह चाकू भी बरामद हो गया, जिस पर खून लगा था.

जबकि राजेश ने अपने बयान में कहा था कि हत्या बांके से की गई है. पुलिस को समझते देर नहीं लगी, क्योंकि शव के गले पर उस के रेतने के निशान साफ दिख रहे थे और वहीं से खून अधिक रिस रहा था. जिस चारपाई पर शव पड़ा था, उस के इधरउधर खिसकाने पर भी संदेह पैदा हो गया था.

पुलिस ने लाश को पोस्टमार्टम के लिए भेजने के बाद राजेश को थाने ला कर सख्ती से पूछताछ की. जल्द ही वह टूट गया और अपनी पत्नी के साथ प्रेम प्रसंग का आरोप लगाते हुए हत्या करने की बात कुबूल कर ली.

असल में पुनीता ने छोला के द्वारकाधाम निवासी आटोरिक्शा चालक आनंद को अपना गुरुभाई बना रखा था. वह अकसर उस के घर जाता था, जो राजेश को यह पसंद नहीं था. इस वजह से दोनों के बीच झगड़ा होता रहता था. इस झगड़े से पुनीता ऊब चुकी थी और उस ने इस की पुलिस में शिकायत भी दर्ज करने के लिए छोला पुलिस से संपर्क किया था.

चूंकि यह एक घरेलू मामला था, इसलिए पुलिस ने उन्हें महिला थाने रेफर कर दिया, जहां परिवार परामर्श केंद्र में उन की काउंसलिंग की जा रही थी. पुलिस ने इस मामले को ले कर राजेश और पुनीता के बीच समझौता करवा दिया था.

एसीपी ऋचा जैन ने दोनों को आपसी मतभेद से दूर रहने की हिदायत दी थी. पुलिस ने पुनीता का ही पक्ष लिया था और राजेश के खिलाफ काररवाई करने की भी चेतावनी दी थी.

राजेश गोविंदपुरा औद्योगिक क्षेत्र में एक फैक्ट्री में सिक्योरिटी गार्ड के रूप में काम करता है. पुलिस की चेतावनी के बावजूद राजेश पुनीता की शिकायतें अपने साले से करता रहता था. कोई भी दिन ऐसा नहीं बीतता था, जब उस की पुनीता से बकझक नहीं हो जाती थी.

मामले की जांच के दौरान एसीपी जैन ने पाया कि वारदात के एक दिन पहले 13 सितंबर को राजेश जब घर लौटा, तब पड़ोसियों से मालूम हुआ कि उस की पत्नी का भाई उस की गैरहाजिरी में घर पर आया था. वह करीब 4-5 घंटे रुका भी था.

यह सुनते ही राजेश का पारा सातवें आसमान पर चढ़ गया. उस रोज तो वह किसी तरह से अपने गुस्से को काबू में किए रहा, लेकिन अगले रोज सुबह उठते ही उस ने खतरनाक योजना बना डाली.

सुबह वह बेटों को स्कूल छोड़ कर घर लौट आया. इसी बात को ले कर उस की उस से तीखी नोकझोंक हो गई. आते ही राजेश बीते दिन की बात पूछ बैठा. उस ने नाराजगी दिखते हुए गुस्से में कहा, ‘‘हरामजादी! मेरे पीछे गुलछर्रे उड़ाती है और मेरे खिलाफ ही पुलिस में शिकायत भी करती है.’’

इतना कहना था कि पुनीता भी गुस्से में आ गई. उस ने भी गालियां देनी शुरू कर दीं. उस ने पति को भिखारी कहा. भाई का पैसा लौटाने की बात करने लगी.

पुनीता के तेवर देखते हुए वह आगबबूला हो गया और चिकन काटने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले भारी चाकू से उस पर हमला कर दिया. उस ने चाकू से उस के चेहरे और गरदन पर वार किया जिस से उस की मौके पर ही मौत हो गई.

उस के बाद वह नहाया और खून सने कपड़े बाथरूम में छोड़ कर पुलिस कंट्रोल रूम को सूचना दे दी. उस के बाद उस ने पुनीता के मातापिता को भी फोन कर घटना की जानकारी दी.

इस वारदात का अपराध कुबूल करने के बाद पुलिस ने उसे हत्या के आरोप में गिरफ्तार कर लिया.

मांबाप के झगड़े के बारे में बच्चें ने पुलिस को बताया कि पापा उन्हें नानामामा से बात नहीं करने देते थे. इस बार रक्षाबंधन पर नाना के घर गए थे तो रुकने भी नहीं दिया था. उसी दिन वापस आ गए थे.

घटना के दिन के बारे में उन्होंने बताया कि वे उस दौरान स्कूल गए थे. उस रोज पापा गार्ड की वरदी में नहीं थे. दोनों को सुबह स्कूल बस में बैठा कर चले गए थे. औफिस भी नहीं गए थे. जबकि पहले वह वहीं से ही औफिस चले जाते थे.

राजेश से पूछताछ करने के बाद पुलिस ने उसे कोर्ट में पेश किया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया.

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