
सौजन्य- मनोहर कहानियां
ममता बन गई पुलिस इंसपेक्टर
अब तक ममता इंसपेक्टर के पद पर प्रोन्नत हो चुकी थी. किसी ने कपिल से ईर्ष्या कर पुलिस विभाग के अधिकारियों से शिकायत कर दी कि कपिल की पत्नी ममता आगरा में इंसपेक्टर है. पत्नी के पुलिस इंसपेक्टर होने के बलबूते पर कपिल ने कई विवादित जमीन की खरीदफरोख्त की है. इस पर पुलिस अधिकारियों ने ममता पवार का स्थानांतरण आगरा से प्रयागराज कर दिया.
ममता को अपने विभागीय अधिकारियों का आदेश तो मानना ही था, लिहाजा उसे मजबूरन प्रयागराज जाना पड़ा. प्रयागराज में तैनाती के दौरान 24 सितंबर, 2019 को ममता की तबियत खराब हुई. उस की गंभीर हालत को देखते हुए उसे पीजीआई लखनऊ में भरती कराया गया. लेकिन 27 सितंबर, 2019 को ब्रेन हैमरेज के कारण उस की मृत्यु हो गई.
ममता की मौत के बाद उस की मां शिमला कपिल से और बैर रखने लगी. अभी तक ममता के कारण वह कुछ नहीं कहती थी. लेकिन ममता की मौत के बाद शिमला का कपिल से विवाद रहने लगा. विवाद का कारण था ममता के नाम कई प्रौपर्टीज का होना
ममता के नाम मेरठ के अंसल टाउन में एक प्लौट, आगरा के जाटनी के बाग में एक फ्लैट जिस में शिमला खुद रह रही थी, आस्था सिटी सेंटर के सामने एक प्लौट और एक बेकरी की दुकान थी. बेकरी की दुकान के किराएनामे में शिमला का नाम था. कपिल ने उस का बैनामा अपने नाम करा लिया था. प्लौट भी कपिल अपने नाम कराने की कोशिश कर रहा था.
शिमला ने ममता को यह संपत्ति खरीदने के लिए अपनी जमापूंजी दी थी. अब उसे डर था कि उस का दामाद कपिल सारी संपत्ति पर कब्जा कर के उसे घर से बेदखल न कर दे. इसे ले कर उन के बीच बहुत गहरा विवाद था.
ममता की मौत के बाद कपिल के सामने उस की रखी शर्त की कोई बंदिश नहीं थी. वैसे भी कपिल अकेलापन महसूस करता था. इसलिए कपिल ने अपने परिवार से संपर्क रखना शुरू कर दिया.
हालांकि फोन पर कपिल पहले भी जबतब बात कर लेता था, लेकिन ममता की वजह से न घर वालों को घर बुला पाता था और न ही उन से मिलने घर जाता था. बंदिश हटी तो कपिल के घर वाले उस के पास आनेजाने लगे.
26 अक्तूबर, 2020 की शाम कपिल अपने फ्लैट में था. 10 दिन पहले उस ने अपनी 90 वर्षीया मां निर्मला को अपने पास रहने के लिए बुला लिया था. वह शाम को अपनी मां से प्लौट पर जाने की बात कह कर घर से निकल गया. अपनी मारुति वैगनआर कार से वह आस्था सिटी सेंटर के पास वाले प्लौट पर गया था. लेकिन पूरी रात बीत गई, वह वापस नहीं लौटा.
सुबह निर्मला ने पड़ोसियों से कहा तो उन्होंने फोन मिलाने को कहा. निर्मला फोन मिलाना नहीं जानती थी, न ही उन के पास बेटे का नंबर था. पड़ोसियों ने नीचे की मंजिल पर रह रही कपिल की सास शिमला से कहा कि वह कपिल के बारे में पता करे. इस पर शिमला कपिल के फ्लैट में आई और निर्मला पर बरस पड़ी, ‘‘ड्रामा मत करो. यहां मजाक बनेगा. वह आ जाएगा, उसे कौन ले जाएगा. तुम चुप रहो बस.’’ कह कर शिमला चली गई.
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बाद में पड़ोसियों के दबाव में 27 अक्तूबर की शाम को ही शिमला ने स्थानीय छत्ता थाना पुलिस को कपिल के लापता होने की सूचना दी. जिस के बाद छत्ता थाने के इंसपेक्टर सुनील दत्त मय टीम के कपिल के फ्लैट पर पहुंचे. वहां उन्होंने निर्मला से कपिल के संबंध में पूछताछ की. इस के बाद इंसपेक्टर दत्त ने कपिल पवार उर्फ यश की थाने में गुमशुदगी दर्ज करा दी.
कपिल की मिली लाश
बाद में कपिल का कोई सुराग न लगने पर गुमशुदगी को भादंवि की धारा 364 में तरमीम कर दिया गया. इसी बीच इंसपेक्टर सुनील दत्त को 27 अक्तूबर की शाम को इटावा जिले के भरथना थाना क्षेत्र के मल्हौली नहर में एक लाश मिलने की सूचना मिली. उन्होंने इटावा पुलिस से संपर्क कर के लाश की फोटो मंगवाई.
वह फोटो कपिल की मां और उस के दोनों भाइयों को दिखाई गई तो उन्होंने लाश की पहचान कपिल के रूप में कर दी. इस के बाद इंसपेक्टर दत्त ने दोनों भाइयों को एसआई योगेश कुमार के साथ इटावा भेज दिया. दोनों भाइयों ने लाश की शिनाख्त अपने भाई यश उर्फ कपिल के रूप में की. इटावा पुलिस ने पोस्टमार्टम के बाद लाश दोनों भाइयों के सुपुर्द कर दी.
इंसपेक्टर दत्त ने कपिल के फोन नंबर की काल डिटेल्स की जांच की तो उस में एक नंबर पर उन की नजर टिक गई. उस नंबर की जानकारी की गई तो वह नंबर कपिल के दोस्त जीतू उर्फ हर्ष यादव का निकला. जीतू के नंबर की लोकेशन ट्रेस की गई तो 26 अक्तूबर की शाम को कपिल के प्लौट, फिर उस के घर से होती हुई इटावा तक मिली.
इस के बाद उन्होंने अपार्टमेंट में लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज की जांच की तो उस में घटना की रात जीतू कपिल की कार के साथ आया दिखा. साथ में एक जाइलो कार भी थी, जिस में 2 व्यक्ति सवार थे. जीतू ने वहां कुछ देर रुक कर कपिल की सास शिमला से बात की. उस के बाद चला गया.
इस के बाद 30 अक्तूबर, 2020 को इंसपेक्टर दत्त ने कपिल की सास शिमला को हिरासत में ले कर पूछताछ की. पूछताछ में शिमला ने कपिल की हत्या जीतू और उस के 2 साथियों राहुल और अनवर से करवाने की बात स्वीकार कर ली. जिस के बाद इंसपेक्टर दत्त ने अपने मुखबिरों को राहुल और अनवर की तलाश के लिए लगा दिया.
जल्द ही एक मुखबिर ने सूचना दी कि राहुल और अनवर एत्मादपुर से मथुरा की ओर जाइलो कार नंबर यूपी75एन 0021 से जा रहे हैं. जिस के बाद इंसपेक्टर दत्त ने अपनी टीम के साथ जा कर वाटर वर्क्स पुल के ऊपर से दोनों को गिरफ्तार कर लिया. थाने ला कर जब उन से कड़ाई से पूछताछ की गई तो सारी कहानी सामने आ गई.
प्रौपर्टी के धंधे में काम करते हुए कपिल की जानपहचान जीतू उर्फ हर्ष यादव से हो गई थी, जोकि आगरा के एत्माद्दौला थाना क्षेत्र में टेढ़ी बगिया में रहता था. दोनों में दोस्ती भी हो गई.
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जीतू का कपिल के घर आनाजाना हुआ. धीरेधीरे दोस्ती इतनी गहरी हो गई कि कपिल ने उसे अपनी पत्नी ममता की सारी संपत्तियों की जानकारी उसे दे दी. उस ने यह भी बता दिया कि कई संपत्ति पत्नी ममता और सास शिमला के संयुक्त नाम से भी हैं.
जीतू कहने को कपिल का दोस्त था, लेकिन वह मन ही मन उस से जलता था. कई जमीन के सौदे करवाने में दोनों लगे होते थे लेकिन हर बार कपिल बाजी मार ले जाता था. इस से जीतू को नुकसान उठाना पड़ता था.
कपिल से जीतू मानने लगा रंजिश
करीब डेढ़ साल पहले जोंस मिल कंपाउंड में यमुना किनारे जीतू का डेढ़ हजार वर्ग मीटर से ज्यादा जमीन का इकरारनामा कपिल के माध्यम से हुआ था. मगर बाद में मौरिस जौन ने जमीन का बैनामा उस के नाम न कर के दूसरे किसी कारोबारी को कर दिया.
मौरिस ने यह कदम जीतू के खिलाफ छत्ता थाने में रंगदारी का मुकदमा दर्ज होने के बाद उठाया था. इस मामले में जीतू ने कपिल से जमीन उस के नाम कराने को कहा लेकिन कपिल ने उस का इस मामले में कोई साथ नहीं दिया. लिहाजा दर्ज मुकदमे में जीतू को जेल जाना पड़ा.
इस से वह कपिल से रंजिश मानने लगा. जीतू वैसे भी आपराधिक प्रवृत्ति का था. उस पर विभिन्न धाराओं में 5 मुकदमे दर्ज हैं.
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उत्तर प्रदेश के जनपद हापुड़ के असोड़ा गांव में बालकिशन सैनी रहते थे. वह खेतीकिसानी करते थे. परिवार में पत्नी निर्मला और 3 बेटे बिरजू, सुखबीर और यशवीर के अलावा 3 बेटियां थीं. सब से छोटा यशवीर था. यश पड़ने में काफी तेज था. उस का पढ़ाई में मन देख कर पिता बालकिशन और मां निर्मला काफी खुश होते थे कि कम से कम एक बेटा तो पढ़ कर अपनी जिंदगी संवार लेगा.
आर्थिक स्थिति अच्छी न होने के बावजूद बालकिशन ने बेटे की पढ़ाई में कोई रुकावट नहीं आने दी.
यश ग्रैजुएशन की पढ़ाई पूरी करने के बाद दिल्ली में रह कर सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी करने लगा. बाद में उस ने वहां प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कराने के लिए कोचिंग देनी शुरू कर दी. दिल्ली में रहते यशवीर ने एलएलबी की और वकील बन गया.
कुछ ही दिनों में उस के कोचिंग सेंटर में काफी छात्रछात्राएं प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए आने लगे. यश का पढ़ाने का तरीका काफी अच्छा था, जिस से छात्रछात्राएं उस से पढ़ने में रुचि लेते थे.
उस के कोचिंग सेंटर में पढ़ने आने वाली छात्राओं में ममता पवार नाम की भी एक छात्रा भी थी. वह भी सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी में लगी थी. ममता का परिवार बागपत जिले में रहता था. उस के पिता का नाम लक्ष्मीचंद्र पवार और मां का नाम शिमला पवार था.
ममता 3 भाईबहनों में सब से बड़ी थी. पिता बड़े बिजनेसमैन थे. आगरा में उन की काफी संपत्ति थी, जिस वजह से ममता की मां शिमला आगरा में ही रहती थीं. उन का घर आगरा के थाना छत्ता अंतर्गत जाटनी के बाग के एक अपार्टमेंट में था. यह फ्लैट ममता और शिमला के संयुक्त नाम पर था.
ममता पढ़ने में काफी तेज थी. किसी भी प्रश्न के जवाब से जब तक वह संतुष्ट नहीं हो जाती, तब तक उस का पीछा नहीं छोड़ती थी. इस में यश उस की मदद करता था.
यश भी उस की उत्सुकता और पढ़ाई के प्रति अच्छा रुख देख कर खुश होता था. इसलिए वह उसे किसी भी प्रश्न का जवाब समझाने के लिए अतिरिक्त समय दे देता था. इस अतिरिक्त समय में वे दोनों ही होते थे. पढ़नेपढ़ाने के दौरान दोनों काफी खुल गए थे, इसलिए बेझिझक एकदूसरे से बातें करते थे. पढ़ाई के अलावा भी उन के बीच इधरउधर की बातें होने लगीं.
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दोनों को एक साथ रहना और बातें करना अच्छा लगने लगा. दोनों की उम्र में कोई खास अंतर नहीं था. इसलिए दोनों एकदूसरे से दोस्तों की तरह व्यवहार करने लगे. साथ समय बिताते, घूमने जाते और साथ खातेपीते.
दिल की बात की जाहिर
इस सब के चलते दोनों के दिल काफी करीब आ गए. दोस्ती से वे कब प्यार में पड़ गए, उन्हें पता ही न चला. जब दिल की धड़कनें और निगाहें उन के प्यार को जताने लगीं तब उन्हें एहसास हुआ कि वे प्यार में आकंठ डूब गए हैं. दिल की बात जुबां पर लाने के लिए दोनों की जुबान कुछ कहने से पहले ही लड़खड़ा जाती थी.
एक दिन एकांत के क्षणों में ममता मेज पर कोहनियों के बल दोनों हाथ टिकाए यश के सामने बैठी थी तो कपिल ने उस की मेज पर रखे दोनों हाथों के पंजे अपने हाथों में लिए और अपने होंठों से उन्हें चूमते हुए बोला, ‘‘ममता, मैं तुम से बेहद प्यार करता हूं. यह प्यार काफी दिनों से अपने दिल में छिपाए बैठा था, लेकिन तुम से इजहार करने की हिम्मत नहीं कर पा रहा था. तुम भी मुझ से प्यार करती हो कि नहीं, बस इसी ऊहापोह में हर पल गुजारता था. अब रहा नहीं गया तो तुम से अपने दिल की बात कह दी. अब तुम मेरे प्यार को ठुकराओ या स्वीकार करो, यह फैसला तुम्हारा होगा. तुम जो भी फैसला करोगी, मुझे मंजूर होगा.’’
ममता तो जैसे इसी पल के इंतजार में थी. यश ने जब उस का हाथ चूमा था, तभी समझ गई थी कि आज यश उस से अपने दिल की बात कहने वाला है. वह जान गई थी कि यश भी उस से प्यार करता है.
इसलिए मुसकराते हुए बोली, ‘‘सच कहूं, मैं तो कब से इसी इंतजार में थी कि कब तुम मुझ से अपने प्यार का इजहार करोगे. आज आखिर वह शुभ घड़ी आ गई. मैं भी तुम से बहुत प्यार करती हूं.’’ कहते हुए ममता ने यश की आंखों में झांका तो यश ने उसे झट अपने सीने से लगा लिया. यश ने उसे सीने से लगा कर सुकून की सांस ली तो ममता भी अपनी आंखें बंद कर यश के सीने में कैद दिल की धड़कनें सुनने लगी. यश की हर धड़कन में उसे अपने लिए प्यार महसूस हुआ, जिस की वजह से उस के होंठों पर प्यारी सी मुसकराहट तैरने लगी.
उन का प्यार समय के साथ और प्रगाढ़ होता गया. इस दौरान यश की नौकरी लग गई. वह मेरठ की कोर्ट में पेशकार हो गया. उधर ममता भी उत्तर प्रदेश पुलिस में सबइंस्पेक्टर के पद पर भरती हो गई.
नौकरी करते हुए भी उन की बातचीत होती रहती थी. दोनों शादी करने का फैसला कर चुके थे. लेकिन इस में जाति आड़े आ रही थी. क्योंकि यश सैनी समाज से था और ममता जाट समाज की. ममता ने अपने घर वालों से बात की तो वे यश से अंतरजातीय विवाह करने की बात पर विरोध में आ गए.
ममता ने घर वालों के विरोध के बावजूद यश से विवाह करने की ठान ली. लेकिन उसे और उस के परिवार को इस विवाह से परेशानी न उठानी पड़े, इस के लिए ममता ने यश के सामने शर्त रख दी कि उसे अपना सरनेम बदल कर पवार करना पड़ेगा और विवाह के बाद यश अपने परिवार से कोई संबंध नहीं रखेगा.
यश ने उस की शर्त मान ली और उस ने अपना नाम बदल कर कपिल पवार रख लिया. उस ने सरनेम के साथ नाम भी बदल लिया. 15 साल पहले दोनों ने विवाह कर लिया. ममता की पोस्टिंग आगरा में हो गई. दोनों के अलगअलग शहर में रहने पर परेशानी होने लगी तो कपिल अपनी नौकरी छोड़ कर आगरा आ गया.
आगरा के जाटनी के बाग के जिस अपार्टमेंट में ममता की मां शिमला रहती थी, ममता कपिल उर्फ यश के साथ अपनी मां के फ्लैट से ऊपर वाली मंजिल पर स्थित फ्लैट में रहने लगी. यह फ्लैट ममता के नाम पर था.
आगरा आ कर कपिल वकालत करने लगा. इस के अलावा वह प्रौपर्टी डीलिंग का काम भी करता था. समय के साथ 8 साल पहले ममता ने एक बेटी को जन्म दिया, जिस का नाम उन्होंने कन्नू रखा. इस समय कन्नू सेंट पैट्रिक्स स्कूल में पहली कक्षा की छात्रा थी.
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कपिल कुछ ही समय में वकालत के क्षेत्र में आगरा में छा गया. कई बड़े केस उस के हाथ में आ गए. उन में आगरा का बहुचर्चित जोंस मिल कंपाउंड भूमि घोटाले का मुकदमा भी था. जोंस मिल कंपाउंड की आखिरी महिला वारिस मौरिस जोन ने उसे अपना वकील बनाया था. वह कपिल को बेटे की तरह मानती थीं.
दूसरी ओर कपिल का प्रौपर्टी डीलिंग का धंधा भी खूब फलफूल रहा था. जमीन का सौदा करवाने में कपिल को जबरदस्त महारत हासिल थी. उस ने कई ऐसे सौदे करवाए थे जो विवादित थे.
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जेल से छूटने के बाद वह कपिल को ठिकाने लगाने की सोचने लगा. लेकिन उस ने कपिल के साथ मिलनाजुलना, बातें करना पहले की तरह ही चालू रखा. जिस से कपिल को उस पर शक न हो.
लौकडाउन के दौरान उस ने कपिल की हत्या करने की सोची लेकिन फिर यह सोच कर रह गया कि इस लौकडाउन में वह शहर से बाहर भाग कर कहीं नहीं जा सकेगा.
लेकिन उस ने लौकडाउन खुलने के बाद किसी भी तरीके से कपिल की हत्या करने की ठान ली. इस के लिए उस ने हत्या के बाद अपने बचाव की भी तैयारी करनी शुरू कर दी.
फिरोजाबाद के एक लूट के मामले में वह कई तारीखों पर कोर्ट नहीं गया तो उस के खिलाफ वारंट जारी हो गया. कपिल और शिमला के बीच विवाद किस हद तक पहुंच गया है, यह भी जीतू बखूबी जानता था.
घटना से 10 दिन पहले संपत्ति विवाद के चलते दोनों की पंचायत हुई. इस में कपिल की तरफ से जीतू और उस के दोस्त थे. शिमला ने अपने घर के लोगों को बुला लिया जोकि बागपत जिले में रहते थे.
पंचायत में कोई नतीजा नहीं निकला. लेकिन जीतू ने भांप लिया कि कपिल की सास शिमला संपत्ति के लिए किसी भी हद तक जा सकती है. इस के लिए उस ने शिमला से बात करने की सोच ली. जीतू ने शिमला से पहले से ही काफी मेलजोल बढ़ा रखा था. जीतू कपिल के उठाए गए कदमों की जानकारी शिमला को देता रहता था. इसलिए शिमला उस पर विश्वास करने लगी थी.
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सास ने दी 10 लाख की सुपारी
दुश्मन का दुश्मन दोस्त होता है, इसी तर्ज पर जीतू ने अकेले में शिमला से बात की और कहा, ‘‘आंटीजी जिस संपत्ति के लिए आप परेशान हो रही हैं, वह तभी आप के हाथ आएगी, जब कपिल दुनिया में नहीं रहेगा.’’
इस पर शिमला ने बिना देर किए बोल दिया, ‘‘जो भी खर्चा आएगा, वह दे देगी लेकिन कपिल को रास्ते से हटा दो.’’
‘‘खर्चा 10 लाख रुपए आएगा. 2 सुपारी किलर हायर करने पड़ेंगे.’’ जीतू ने बताया.
‘‘ठीक है, शाम को आ कर मुझ से एक लाख रुपए ले जाना. बाकी 9 लाख रुपए मैं काम होने के बाद दूंगी.’’ शिमला ने कहा.
शिमला की बात सुन कर जीतू ने सहमति दे दी, फिर वहां से चला आया. जीतू तो वैसे भी कपिल को मारना चाहता था. ऐसे में शिमला के कहने पर हत्या करने पर सुपारी की रकम मिल रही थी. शाम को फिर वापस आ कर उस ने शिमला से एक लाख रुपए ले लिए.
रकम मिलने के बाद उस ने टेढ़ी बगिया में ही रहने वाले अपने दोस्त अनवर और कालिंद्री विहार के राहुल को कपिल की हत्या करने के लिए तैयार कर लिया. उस ने उन दोनों को शिमला से मिलवा भी दिया.
26 अक्तूबर, 2020 की शाम को जीतू अपनी जाइलो कार में राहुल और अनवर को बैठा कर कपिल के प्लौट पर पहुंचा. वह जानता था कि इस समय कपिल अपने प्लौट पर बैठा शराब पी रहा होगा.
उस का सोचना सही था. कपिल प्लौट पर बैठा शराब पी रहा था. जीतू भी अपने साथियों के साथ उस के पास बैठ गया. जीतू ने कपिल के खाने के लिए अनवर से अंडे की भुजिया मंगवाई, जिस में अनवर ने योजनानुसार नशीला पदार्थ मिला दिया.
कपिल ने वह भुजिया खाई तो कुछ ही देर में वह नशे से बेसुध हो गया. जीतू ने राहुल और अनवर की मदद से उसे कार में पिछली सीट पर डाला. इस के बाद राहुल और अनवर जीतू की कार और जीतू कपिल की वैगनआर कार से शिमला से मिलने अपार्टमेंट पहुंचे. वहां शिमला को पूरी बात बताई और बाकी पैसे मांगे. शिमला ने बाकी पैसे पूरा काम होने के बाद ही देने की बात कही.
इस के बाद जीतू अपने साथियों के साथ वहां से निकल आया. फिर तीनों ने कार की सीट बेल्ट से गला घोंट कर कपिल की हत्या कर दी और उस की लाश जाइलो कार से निकाल कर वैगनआर में रख ली. लाश को ले कर तीनों चल दिए. जीतू ने अनवर को रामबाग में छोड़ दिया.
जीतू राहुल के साथ कपिल की लाश को इटावा के भरथना थाना क्षेत्र में मल्हौली नहर के पास ले कर गया. वहां नहर में कपिल की लाश डालने के बाद जीतू राहुल के साथ वापस लौट आया. फिरोजाबाद के पास उस ने राहुल को उतार दिया और घर चला गया.
राहुल, अनवर और शिमला के गिरफ्तार होने का पता लगते ही जीतू ने फिरोजाबाद की कोर्ट में लूट के उसी मामले में आत्मसमर्पण कर दिया, जिन की तारीखों की पेशी में वह पहले से नहीं जा रहा था. उस के खिलाफ वारंट तक निकल गया था.
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वह जानता था कि बडे़ मामलों में पुलिस गिरफ्तारी ऐसे ही नहीं दिखाती, पैर में गोली मार कर मुठभेड़ की बात कह कर दिखाती है. वह गोली नहीं खाना चाहता था, इसलिए उस ने अपने बचाव में यह रास्ता अपनाया था.
राहुल और अनवर के पास से 2 तमंचे और 4 जिंदा कारतूस बरामद हुए. इंसपेक्टर सुनील दत्त ने मुकदमे में भादंवि धारा 302/201/120बी और बढ़ा दी. फिर आवश्यक कागजी खानापूर्ति करने के बाद तीनों अभियुक्तों को न्यायालय में पेश करने के बाद जेल भेज दिया.
कथा लिखे जाने तक पुलिस जीतू को रिमांड पर लेने की बात कह रही थी. पुलिस कपिल की वैगनआर कार बरामद करने का भी प्रयास कर रही थी.
—कथा पुलिस सूत्रों पर आधार
आमतौर पर हमने स्वयं को एक ऐसा लालची, लोभी और आलसी बना लिया है कि जरा भी लाभ हमें कहीं दिखाई देता है तो हम फिसल जाते हैं. हम यह भूल जाते हैं कि बिना श्रम और अथक परिश्रम के कुछ भी नहीं मिलता. और अगर मिलता है तो वह ठगी के मायाजाल के अलावा कुछ नहीं.
शायद यही कारण है कि आए दिन लोगों को लोग लालच देकर कुछ चतुर सुजान लोग सामने वाले की जमा पूंजी और तिजोरी खाली कर देते हैं. ऐसा ही एक बड़ा अपराध छत्तीसगढ़ के आदिवासी बाहुल्य जिला रायगढ़ में घटित हुआ जहां बड़े ही शातिर तरीके से छह वर्ष में तीन गुना राशि मिलने के लालच में किसान 12 लाख रुपए के ठगी का शिकार बनाया गया. यही नहीं जाने कितने ग्रामीण और किसान लालच और फंदे बाजी के शिकार हो गए.
एडीवी के्रेडिट को ऑपरेटिव सोसायटी लिमिटेड में जमा राशि की जानकारी लेने के लिए किसान जब तीन साल बाद पहुंचा तो पता चला कि कंपनी में ताला लगा हुआ है. जिसकी शिकायत कलेक्टर व एसपी से करते हुए इस मामले में जांच कर जमा राशि वापस दिलाने की मांग की गई .
सहदेवपाली रायगढ़ निवासी भोकलो निषाद ने जिलाधीश तक अपनी फरियाद पहुंचाई बताया कि स्वयं की करीब 3 एकड़ जमीन को करीब 4 साल पहले विक्रय किया था जिसके एवज में उसको १२ लाख रुपए मिला था जिसे वह आंध्रा बैंक में जमा कर रखा था लेकिन इसी बीच डभरा के ससुराल के कुंजबिहारी पटेल डोमनपुर वाले आए और 6 साल में तीन गुना राशि दिलाने का प्रलोभन दे मुझे आंध्रा बैंक ले जाकर जमा राशि का आहरण करा लिए.
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और कुछ इस तरह ‘”शिकार” बनाया!
आहरण राशि 12 लाख रुपए को एडीवी क्रेडिट को आपरेटिव सोसायटी लिमिटेड कंपनी में जमा कराने कहा गया. और मुझे बड़ी-बड़ी बातें ख्वाब दिखा कर लालच देकर राशि ले ली गई. लेकिन अब जब पैसे की जरूरत पड़ी तो मैं एजेंट कुंजबिहारी पटेल के पास गया और राशि निकलवाने की बात कही जिस पर कुंजबिहारी ने कह दिया कि कंपनी बंद हो गई है राशि कहां से दिलाऊं. पीड़ित शख्स ने
जब कृष्णा कॉम्प्लेक्स स्थित कंपनी के कार्यालय में पता साजी किया गया तो पता चला कि पिछले लंबे समय से वह बंद है. किसान ने उक्त बातों से जिला प्रशासन को अवगत कराते हुए एजेंट व कंपनी के डायरेक्टर के खिलाफ जांच कराते हुए एफआईआर दर्ज करने व राशि वापस दिलाने की मांग की. हमारे संवाददाता ने जब इस संदर्भ में खोजबीन की और पुलिस अधिकारियों से चर्चा की तो यह तथ्य सामने आया कि रायगढ़ जिला में अनेक किसानों को इस तरह अलग-अलग दलालों द्वारा ठगा गया है.
पुलिस अधिकारी बताते हैं कि लगभग 15 करोड़ के ठगी की आशंका जिले में है. उक्त किसान ने बताया कि जिले में उक्त कंपनी करीब चार-पांच साल से लगातार काम करती रही . इस बीच सैकड़ों लोगों से करीब 10 से 15 करोड़ रुपए ठगी होने की संभावना है. कंपनी के खिलाफ सख्ती से जांच होने पर इसका खुलासा होने की बात कही जा रही है. वही यह सच भी सामने आ गया है कि पहले भी इस कथित कंपनी के खिलाफ ग्रामीणों ने शिकायत की थी मगर प्रशासन ने कोई कार्रवाई नहीं की. तथ्य बताते हैं कि कंपनी जब शुरू में रायगढ़ शहर के ईतवारी बाजार में चालू हुई तो कुछ लोगों ने कंपनी के खिलाफ शिकायत की थी, जिस पर पुलिस व अल्प बचत अधिकारी ने कंपनी के दस्तावेजों की जांच की थी. इसके बाद भी इतने लंबे समय तक कंपनी चलती रही और अब ऐसी शिकायत सामन आ रही है. कुल मिलाकर संभावना यह है कि कंपनी के दलालों ने शासन प्रशासन को भी अपनी गिरफ्त में ले लिया था और इस तरह जिला में दोनों हाथों से किसानों ग्रामीणों को भ्रमित करके करोड़ों रुपए लूट लिए गए.
अपना बनकर अपनों को बनाते हैं उल्लू!
दरअसल, इस तरह की कंपनियां लोगों को बहुत अधिक बोनस कमीशन आदि का लालच देकर अपना एजेंट बना लेते हैं और एजेंट अपने आसपास के लोगों को अपने पहचान के रिश्तेदारों को भी उल्लू बनाने लगते हैं. क्योंकि उनकी नजर मोटे कमीशन और बोनस पर रहती है वह यह नहीं समझ पाते हैं कि जब 25 प्रतिशत का कमीशन उन्हें मिल रहा है, अच्छा खासा बोनस मिल रहा है तो कंपनी आखिर किस तरह लंबे समय तक चल सकती है.
ऐसी ही एक घटना जिला रायगढ़ में घटित हुई जिसमें रायगढ़ स्टेशन चौक स्थित हाेटल संचालक ने अपने दाे खास परिचितों के खिलाफ फायनेंस कंपनी से दाे गुना लाभ कमाने के नाम पर लाखाें रुपए की धाेखाधड़ी करने का मामला दर्ज कराया . पुलिस ने ठगी करने वाले लाेगाें के खिलाफ जांच शुरू की है.काेतवाली पुलिस थाने में दराेगापारा निवासी विधानचंद्र गांधी ने बताया कि उसका स्टेशन चौक पर हाेटल स्थित है. 2018 में पड़ाेस में रहने वाले राजेश मिश्रा अपने साथ लक्ष्मेशवर ठाकुर काे उसके हाेटल पर ठहराने के लिए लाए थे. पड़ोसी राजेश ने लक्ष्मेश्वर से उसकी जान पहचान कराई.कुछ दिन रुकने के बाद वह वापस दिल्ली चला गया. राजेश ने बताया कि वह किसी बड़ी फायनेंस कंपनी काे संभाल रहा है.इसमें पैसा लगाने पर दाे गुना लाभ मिलने का भरोसा दिलाया. विधानचंद्र पड़ाेसी की बात में आ गया और उसने कई किस्तों में 12 लाख 50 हजार रुपए फाइनेंस कंपनी में लगाने के नाम पर लक्ष्मेश्वर काे दिए। आराेप है कि दिसंबर दाे 2019 तक दाेनाें अच्छे से बात कर लाभ पहुंचाने के बात कहते रहे, पर जनवरी 2020 में जब फाइनेंस कंपनी में लगाई गई रकम मांगने तथा दाे गुना लाभ दिलाने की बात कही जाने लगी ताे लक्ष्मेशवर ठाकुर टाल मटाेल करने लगा.
अच्छा हो हमें यह समझ ले कि कभी भी अनजानी कंपनियों में अपना बेशकीमती मेहनत का पैसा जमा ना करें दुगना पैसे का लालच हमें बर्बाद कर देता है. अंचल के प्रसिद्ध समाजसेवी इंजीनियर रमाकांत के मुताबिक लोग लोभ लालच में ना आएं, और अपनी जमा पूंजी को राष्ट्रीय कृत बैंकों में ही अथवा पोस्ट औफिस में ही जमा करें.
डिजिटल तकनीक के इस दौर में हर काम औनलाइन करने का चलन बढ़ रहा है. शादीब्याह जैसे कामों के लिए बाकायदा कई मैरिज ब्यूरो और इंटरनैट पर मैट्रिमोनियल वैबसाइट हैं, जिन पर वरवधू के प्रोफाइल आसानी से मिल जाते हैं. इन वैबसाइटों पर दी गई जानकारी को सच मान कर बिना जांचपड़ताल किए रिश्ते तय करने का खमियाजा भी लोगों को उठाना पड़ रहा है.
मैट्रिमोनियल वैबसाइट पर ठगी का शिकार अकेली लड़कियां ही नहीं होतीं, बल्कि लड़के भी होते हैं. अगस्त, 2020 में मध्य प्रदेश के जबलपुर शहर में एक जवान लड़की से जीवनसाथी डौटकौम पर फर्जी प्रोफाइल बना कर एक लाख, 92 हजार रुपए ऐंठने का एक ऐसा ही मामला सामने आया.
फर्राटेदार इंगलिश बोलने वाले और खुद को एनआरआई डाक्टर बता कर जवान लड़कियों को शादी के झांसे में फंसा कर पैसे ऐंठने वाले एक 46 साल के शातिर ठग को स्टेट साइबर सैल ने गिरफ्तार किया.
स्टेट साइबर सैल के एसपी अंकित शुक्ला ने बताया कि पुणे की एक नामचीन कंपनी में काम कर रही जबलपुर की रहने वाली एक लड़की ने मामले की शिकायत कर बताया था कि जीवनसाथी डौटकौम पर डाक्टर ब्रुशाल कर्वे नाम से एक जालसाज ने खुद का प्रोफाइल बना रखा है. इस्तांबुल, तुर्की में डाक्टर होने का हवाला दे कर उस ने पीडि़त लड़की को भारत में मिलने की इच्छा जताई और फिर कस्टम में फंसने का झांसा दिया और अपने अकाउंट में औनलाइन एक लाख, 92 हजार रुपए ट्रांसफर करवा लिए.
पीडि़त लड़की की शिकायत पर जिस आरोपी को जबलपुर स्टेशन के पास से गिरफ्तार किया गया, वह मुंबई का रहने वाला वैभव सतीश कपले है.
वैभव मूल रूप से नागपुर का रहने वाला है. उस के मांबाप की बचपन में ही मौत हो चुकी है. मुंबई में होस्टल में रह कर पढ़ाई कर के वह लंदन में डैंटिस्ट असिस्टैंट का डिप्लोमा कर चुका है. इस के पहले वह मुंबई में डाटा एंट्री औपरेटर का काम करता था. इस वजह से वह फर्राटेदार इंगलिश, मराठी और हिंदी बोलता है.
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खुद की शादी के लिए उस ने मैरिज ब्यूरो साइट पर अपना फर्जी प्रोफाइल बनाया. एक लड़की ने उसे 5,000 रुपए की मदद कर दी, तभी से उसे ठगी का आइडिया आया और उस ने अलगअलग मैरिज ब्यूरो पर अलगअलग नाम, फोटो और देश से प्रोफाइल बना कर जवान लड़कियों को शादी के झांसे फंसाने का काम शुरू कर दिया.
जबलपुर की लड़की को ठगने के लिए ने वैभव ने खुद को महाराष्ट्र यूनिवर्सिटी औफ हैल्थ साइंस, नासिक का ग्रेजुएट बताया. लंदन में सर्जन के काम का अनुभव होने के साथ ही उस ने बताया कि उस की सालाना आमदनी डेढ़ लाख डौलर है. इस से पहले वह मुंबई, पुणे, जलगांव, खंडवा, इंदौर व देवास में रह कर ठगी की वारदातों को अंजाम दे चुका है. पुलिस को इन जगहों पर उस के बैंक खाते भी मिले हैं.
मैट्रिमोनियल साइट्स के जरीए ठगी का यह अकेला मामला नहीं है. इसी तरह के एक और मामले में पंजाब की मोगाअकालसर रोड की रहने वाली केवल कौर ने 13 अक्तूबर, 2017 को पुलिस को शिकायत में बताया कि उस की शादी 12 मार्च, 2015 को चूड़चक्क के मूल बाशिंदे और वर्तमान में कनाडा में रह रहे कमलदीप सिंह के साथ हुई थी.
शादी से पहले दोनों परिवारों के बीच 33 लाख रुपए में शादी की डील हुई थी, जिस के मुताबिक शादी के समय 29 लाख रुपए नकद दिए गए थे और 4 लाख रुपए शादी में खर्च किए गए थे.
केवल कौर ट्रिपल एमए थी और उस की 5 बहनें थीं. वह शादी कर विदेश जाने के चक्कर में ठगी की शिकार हुई थी. शादी के 2 महीनों के बाद पति कमलदीप अपने परिवार के साथ विदेश लौट गए. उस के बाद न तो वे वापस लौटे और न ही उसे विदेश बुलाया.
पहले तो कुछ दिन तक पति व उस के घर वालों के फोन आते रहे, फिर धीरेधीरे फोन आने बंद हो गए.
केवल कौर ने बताया कि उसे उम्मीद थी कि शायद विदेश से वीजा व दूसरे दस्तावेज पूरे करने में समय लग रहा होगा, मगर समय बीतने के बाद उसे अहसास हो गया कि वह शादी के नाम पर ठगी की शिकार हुई है.
एक तीसरे मामले की बात करें, तो छत्तीसगढ़ के रायपुर में रहने वाले शख्स मुकेश ने मैट्रिमोनियल साइट्स पर शादी के लिए अपना अकाउंट बनाया और एक लड़की अस्मिता से मेलजोल किया. अस्मिता ने खुद को विदेश में रहना बताया. इस दौरान दोनों के बीच शादी की बातें भी होने लगीं.
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बातचीत के दौरान मुकेश ने अस्मिता को विदेश से कुछ उपहार भेजने की बात कही, इस के बाद मुकेश अस्मिता द्वारा तैयार किए जा रहे चक्रव्यूह में फंस गया.
मुकेश के पास कई बार विदेश से खुद को सरकारी अफसर बता कर और फिर कभी खुद को पार्सल औफिस से बता कर कई लोगों ने फोन कर के कहा कि आप का उपहार काफी महंगा है, इसे भेजने के लिए आप को पैसे देने होंगे. ऐसा करते हुए मुकेश से साढ़े 9 लाख रुपए जमा करवा लिए.
जब अस्मिता की मुकेश से लगातार पैसों की मांग जारी रही, तो मुकेश और उस के परिवार वालों को सम झ आया कि वे ठगी के शिकार हो गए हैं और उन्होंने क्राइम ब्रांच में शिकायत दर्ज कराई.
ये तीनों ही मामले बताते हैं कि किस तरह शादी के नाम पर ठगी के नएनए तरीके ईजाद किए जा रहे हैं. ऐसे में जरूरी है कि केवल वैबसाइट पर प्रोफाइल में दर्ज जानकारी को सच मान कर शादी के फेर में न पड़ कर सामने वाले के बारे में सही जानकारी हासिल कर ली जाए.
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सावधानी है जरूरी
* आंख बंद कर किसी भी वैबसाइट पर रजिस्ट्रेशन न करें. पहले तो वैबसाइट के बारे में पूरी जानकारी ले कर उस के जरीए तय हुए रिश्तों के रिव्यू देखें. रजिस्ट्रेशन करते समय नई ईमेल आईडी का इस्तेमाल कर डाटा की सेंधमारी से बच सकते हैं.
* मैट्रिमोनियल साइट के जरीए रिश्ते तय करते समय संबंधित लड़केलड़की के प्रोफाइल में बताई गई जानकारी के अलावा सभी सोशल मीडिया अकाउंट्स की जानकारी जरूर हासिल कर लें. इस के साथ ही पारिवारिक बैकग्राउंड, पढ़ाईलिखाई और नौकरी की जांच के लिए उन के रिश्तेदारों या उन के पड़ोसियों से संपर्क कर हकीकत जानना बेहद जरूरी है. दोस्तों से भी जानकारी निकाली जा सकती है.
* शादी तय करते समय अगर पैसों की मांग की जा रही है, तो सावधान हो जाएं. मैट्रिमोनियल साइट्स के जरीए पैसों की मांग होने पर तुरंत साइबर पुलिस को इस की सूचना दे कर ठगी से बच सकते हैं.
* शादी से पहले अपने बैंक खाते की जानकारी सा झा न करें.
* शादी से पहले किसी भी तरह के पारिवारिक या खुद के फोटो व वीडियो सा झा न करें.
* मैट्रिमोनियल साइट्स पर संपर्क में आए शख्स से किसी भी तरह का उपहार व पैसे स्वीकार न करें, क्योंकि पहले ये आप को उपहार या तोहफा दे कर विश्वास हासिल करते हैं, बाद में परेशानियों का जिक्र कर पैसों की मांग कर के ठगी करते हैं.
* विदेशों में रह रहे लोगों से वैवाहिक रिश्ते बनाने से पहले सावधानी बरतना जरूरी है. केवल वैबसाइट की जानकारी पर भरोसा न करें. उस देश में रह रहे किसी दूसरे शख्स से संबंधित के बारे में जानकारी जुटा लें और वीजा, पासपोर्ट की प्रक्रिया शादी के पहले ही निबटा लें.
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नाईजीरियन ने मैट्रिमोनियल साइट बनाई
शादी के न्योते की फर्जी साइट बना कर सोशल मीडिया के जरीए देशभर की लड़कियों और उन के परिवार वालों के लाखों रुपए ठगने का काम बड़े ही शातिराना अंदाज में जारी था. छत्तीसगढ़ के बिलासपुर, जांजगीर, सरगुजा जैसे अनेक शहरों में तमाम लड़कियां इस जाल में फंस कर ठगी की शिकार हो गईं.
ऐसे ही एक नाईजीरियन नौजवान ने बड़ी ही चालाकी और शातिराना अंदाज का परिचय देते हुए एक मैट्रिमोनियल साइट बनाई और लड़कियों को विदेशों में बसे अमीर लड़कों के फोटो और सपने दिखा कर ब्याह कराने का झूठ फैला कर उन्हें ठगना और भारी रकम लेना शुरू कर दिया.
पुलिस ने बताया कि फर्जी नाम से प्रोफाइल बना कर देश के कई हिस्सों में लड़कियों को शादी का झांसा दे कर लाखों रुपए की ठगी करने वाले एक विदेशी नौजवान को छत्तीसगढ़ की कोरिया पुलिस ने गिरफ्तार करने में कामयाबी हासिल कर ली.
ठगी के इस मामले का खुलासा करते हुए कोरिया पुलिस अधीक्षक चंद्र मोहन सिंह ने बताया कि तलवापारा बैकुंठपुर के सुदामा प्रसाद साहू के बेटे उपेंद्र साहू की लिखित शिकायत पर थाना बैकुंठपुर में मुकदमा कायम किया गया.
उपेंद्र साहू ने अपनी शिकायत में बताया कि जनवरी, 2020 को उस की छोटी बहन के साथ उक्त आरोपी ने रोहन मिश्रा के नाम से फर्जी वैबसाइट बनाई और शादी करने का झांसा दे कर व भारत में सैटल होने के नाम पर पीडि़ता से 24,07,500 रुपए की ठगी की है.
मामला दर्ज कर अज्ञात आरोपी को पकड़ने के लिए पुलिस महानिरीक्षक रतन लाल डांगी, सरगुजा रेंज के मार्गदर्शन में पुलिस अधीक्षक कोरिया चंद्र मोहन सिंह की अगुआई में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक डाक्टर पंकज शुक्ला व उपपुलिस अधीक्षक धीरेंद्र पटेल के साथ साइबर टीम कोरिया द्वारा मामले की जांचपड़ताल की जाने लगी.
नाईजीरियन आरोपी गिरफ्तार
पुलिस ने जब जांच शुरू की, तो पता चला कि तथाकथित आरोपी द्वारा ह्वाट्सएप का इस्तेमाल किया गया. साइबर टीम द्वारा मामले के सभी पहलुओं की जांच की, तो आरोपी की पहचान करने में कामयाबी मिल गई.
30 साल के आरोपी का नाम एजिडे पीटर चिनाका है. उस के पिता का नाम एजिडे ओबिना है. वैसे तो एजिडे पीटर चिनाका नाईजीरिया का है, पर फिलहाल वह उत्तर प्रदेश के नोएडा में रहता था. वह रोहन मिश्रा, अरुण राय जैसे कई नाम से धोखाधड़ी किया करता था.
इस अपराध की विवेचना के दौरान विशेष टीम को दिल्ली और नोएडा रवाना किया गया था. टीम द्वारा आरोपी के ठिकाने पर दबिश दे कर उसे गिरफ्तार कर पूछताछ की गई. आरोपी द्वारा तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, झारखंड, ओडिशा, हिमाचल प्रदेश जैसे राज्यों में भी खुद को डाक्टर, इंजीनियर, कारोबारी बताते हुए लाखों रुपए की ठगी की गई.
उस के पास से 2 पासपोर्ट, 2 नाईजीरियन डैबिट कार्ड, एक एसबीआई डैबिट कार्ड, 4 मोबाइल फोन, 14 सिमकार्ड, एक वाईफाई डिवाइस, एक लैपटौप जब्त किया गया. आरोपी के पासपोर्ट और वीजा की मीआद खत्म हो चुकी है.
यहां यह भी अहम बात है कि सोशल मीडिया द्वारा ठगी किए जाने के चलते ज्यादातर मामलों में आरोपी पुलिस के शिकंजे से बच जाते हैं. ऐसे में यह पहली जरूरत होनी चाहिए कि हम ठगों के फरेब में न फंसें.
सौजन्य- सत्यकथा
राजस्थान में बलात्कार के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं. मासूम बच्चियों से ले कर विवाहित महिलाएं तक शिकार बन रही हैं.
बढ़ती वारदातों से ऐसा लगता है जैसे अपराधियों को न तो खाकी वर्दी का डर है और न ही सरकार का. घटना के बाद विपक्षी पार्टियों के लोग हायतौबा मचाते हैं और फिर थोड़े दिन बाद मामला शांत हो जाता है.
पिछले दिनों राजस्थान के सवाई माधोपुर शहर में एक ऐसा मामला सामने आया जो राजस्थान में ही नहीं, बल्कि पूरे देश में चर्चित हो गया. ताज्जुब की बात यह कि इस सनसनीखेज अपराध में सत्तापक्ष और विपक्ष की जिलास्तर की महिला नेता शामिल थीं.
जिन महिलाओं की हम बात कर रहे हैं, वे दोनों सवाई माधोपुर में रहती थीं. उन में सुनीता वर्मा भारतीय जनता पार्टी (महिला मोर्चा) की जिलाध्यक्ष थी तो दूसरी पूजा उर्फ पूनम चौधरी कांग्रेस सेवा दल (महिला प्रकोष्ठ) की पूर्व जिलाध्यक्ष थी. चूंकि दोनों ही जिला स्तर की नेता थीं, इसलिए उन की क्षेत्र में अच्छी साख थी.
पूजा और सुनीता वर्मा लोगों के सरकारी काम कराने में मदद करती थीं. लोग उन पर भरोसा करते थे और दोनों को गरीबों की मसीहा मानते थे.
अलगअलग राष्ट्रीय पार्टियों की जिलाध्यक्ष थीं, इसलिए जिले के सरकारी महकमों में उन की अच्छी जानपहचान थी. एक दिन कांग्रेस सेवादल (महिला प्रकोष्ठ) की पूर्व जिलाध्यक्ष पूनम चौधरी नेम सिंह के घर पहुंची.
दरअसल, नेम सिंह पूनम से कई बार कह चुका था कि उसे किसी बैंक से लोन दिला देंगी तो वह कोई व्यवसाय शुरू कर देगा. पूनम ने नेम सिंह को भरोसा दिया था कि वह उस का लोन करा देगी.
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नेम सिंह की एक 16 वर्षीय बेटी थी उर्मिला. वह गरीब परिवार में जन्मी जरूर थी, लेकिन थी गोरीचिट्टी और खूबसूरत.
पूनम ने नेम सिंह से कहा, ‘‘तुम्हारी बेटी उर्मिला दिन भर घर में पड़ी क्या करती है. इसे हमारे साथ भेज दो. साथ रहने पर दुनियादारी सीख जाएगी. देखना, इस की जिंदगी ही बदल जाएगी.’’
नेम सिंह पूनम को बड़ी नेता समझता था. उस ने सोचा कि संभव है अपनी ऊंची पहुंच के चलते पूनम उर्मिला की कहीं नौकरी लगवा दें. इसलिए उस ने बिना किसी झिझक के उर्मिला को पूनम के साथ भेज दिया.
पूनम उर्मिला को भाजपा की नेता सुनीता वर्मा के पास ले कर पहुंची और कहा कि इस लड़की का नाम उर्मिला है. यह बहुत अच्छी लड़की है. आप इसे अपने पास रखो और इस की जिंदगी बना दो.
उर्मिला को देख कर सुनीता की आंखों में चमक आ गई क्योंकि वह खूबसूरत थी. सुनीता वर्मा ने मन ही मन सोचा कि लड़की काम की है. सुनीता उसे प्यार से रखने लगी. शहर में वह जहां भी जाती, उर्मिला साथ होती थी. जिला उद्योग केंद्र, कलेक्ट्रेट और बैंक वगैरह भी सुनीता उर्मिला को साथ ले जाती थी.
सुनीता वर्मा के घर पर एफसीआई का कर्मचारी हीरालाल मीणा आता रहता था. वह उस का जानकार था. साल 2013 में सुनीता वर्मा ने बतौर निर्दलीय विधानसभा का चुनाव लड़ा था. हीरालाल ने उस वक्त उस का तनमनधन से साथ दिया था.
सुनीता वर्मा वह चुनाव तो नहीं जीत पाई, मगर उस की जानपहचान का दायरा बढ़ गया था. चुनाव हारने के बाद भी हीरालाल का सुनीता के घर बदस्तूर आनाजाना जारी रहा.
हीरालाल ने जब सुनीता के साथ एक किशोर युवती को देखा तो उस के बारे में पूछा. तब सुनीता ने बताया कि इस का नाम उर्मिला है और अब यह उस के साथ ही रहेगी. हीरालाल का अधेड़ मन उर्मिला का सामीप्य पाने को लालायित हो उठा. अपने मन की बात उस ने सुनीता को बता दी. साथ ही यह भी कहा कि वह इस के लिए कुछ भी करने को तैयार है.
लालची सुनीता तैयार हो गई और उस ने एक दिन उर्मिला को हीरालाल मीणा के साथ एक कमरे में बंद कर दिया. हीरालाल ने उस मासूम से बलात्कार किया. सुनीता ने उस का वीडियो बना लिया और फोटो भी खींच लिए.
इज्जत लुटने के बाद उर्मिला रोने लगी. तब सुनीता ने उसे वीडियो एवं अश्लील फोटो दिखा कर कहा, ‘‘अगर किसी से इस घटना की चर्चा की तो यह वीडियो और फोटो सोशल मीडिया पर वायरल कर दूंगी. तब तुम किसी को मुंह दिखाने लायक नहीं रहोगी. रोनाधोना बंद कर और भूल जा इस घटना को. यही तेरे लिए बेहतर होगा.’’
उर्मिला अपनी ब्लू फिल्म व अश्लील फोटो देख कर अंदर तक कांप गई. वह इतनी नादान नहीं थी कि कुछ समझती न हो. वह समझ गई कि अगर उस ने घर पर किसी को बताया तो यह अश्लील वीडियो और फोटो वायरल कर देगी. तब वह और उस का परिवार किसी को मुंह दिखाने लायक नहीं रहेंगे.
सुनीता वर्मा अब उर्मिला का भरपूर लाभ उठाना चाहती थी. लिहाजा उस ने डराधमका कर उसे और भी कई सरकारी मुलाजिमों के सामने पेश कर उन से अपने काम निकलवाए. उर्मिला उस के हाथ की ऐसी कठपुतली बन गई थी, जो चाह कर भी कुछ नहीं कर सकती थी.
एक दिन सुनीता ने डराधमका कर उर्मिला को घर भेज दिया. वह डरीसहमी घर चली गई. उस का मन तो कर रहा था कि अपनी मम्मी को सब कुछ बता दे. मगर वीडियो और फोटो वायरल होने की बात ध्यान में आते ही उस ने चुप रहने में ही भलाई समझी.
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उर्मिला चुप रहने लगी. एक दिन उस की मम्मी ने वजह पूछा तो कह दिया, ‘‘दिन भर इधरउधर घूमने से थक गई हूं. थोड़ी कमजोरी है, ठीक हो जाएगी.’’
‘‘ठीक है बेटी, अगर लोन मिल जाएगा तो हमारे दिन फिर जाएंगे. तुम सुनीता दीदी के साथ रहो. वह काम करवा देंगी, अच्छी इंसान हैं?’’ मम्मी ने कहा तो उर्मिला मन ही मन सोचने लगी कि सुनीता औरत के नाम पर वह कलंक है जो अपनी बेटी की उम्र की लड़की को लोगों के साथ सोने को मजबूर करती है, अश्लील वीडियो, फोटो बनवा कर ब्लैकमेल करती है. धमकाती है.
सुनीता वर्मा ने अगले रोज उर्मिला को अपने घर बुला कर एकांत में कहा, ‘‘तूने अपने साथ घटी घटना के बारे में घर पर किसी को बताया तो नहीं है?’’
सौजन्य- सत्यकथा
‘‘नहीं, मैं ने किसी को नहीं बताया.’’ उर्मिला ने कांपते स्वर में कहा.
‘‘वेरी गुड. मुझे तुम से यही उम्मीद थी. कभी भूल कर भी किसी को नहीं बताना. वरना यह वीडियो और फोटो…’’ सुनीता ने धमकाया.
‘‘मैं किसी से नहीं कहूंगी.’’ उर्मिला बोली.
‘‘जब तक तुम मेरा कहना मानोगी तब तक इन्हें वायरल नहीं करूंगी. ठीक है. तुम चिंता न करो?’’ सुनीता ने कहा तो उर्मिला की जान में जान आई.
सुनीता वर्मा के पास कई लड़कियां आती थीं. वे सब भी उर्मिला की तरह सुनीता के इशारों पर नाचती थीं. हीरालाल ने उर्मिला को कई लोगों के साथ भेजा. जिन्होंने उस के साथ बलात्कार किया.
सुनीता वर्मा के घर पर राजूराम रेगर नाम का इलैक्ट्रिशियन आता था. उस ने सुनीता के घर बिजली का काम किया था, जिस का सुनीता को 5 हजार का भुगतान करना था. मगर सुनीता ने उसे रुपए नहीं दिए. कह दिया कि दोचार दिन में दे दूंगी.
राजू अपने पैसे मांगने सुनीता के घर आने लगा. तब सुनीता ने राजू रेगर से कहा कि मेरे साथ जो लड़की रहती है उस के तन का स्वाद चखा देती हूं 5 हजार रुपए वसूल हो जाएंगे.
राजू रेगर ने उर्मिला को देखा था. वह सुंदर, खिलती कली थी. सुनीता ने उर्मिला को धमका कर राजू के साथ भेज दिया. राजू उर्मिला को होटल स्वागत में ले गया और उस के साथ मौजमस्ती की. सुनीता वर्मा की तरह पूनम उर्फ पूजा चौधरी भी नाबालिग उर्मिला को डराधमका कर अपने साथ ले गई और एक व्यक्ति के आगे परोस दिया. उस व्यक्ति ने पीडि़ता से रेप किया.
कई ऐसे सरकारी कर्मचारी थे, जो सुनीता और पूनम का काम करते थे. कुछ ऐसे लोग भी थे, जिन से पैसा ले कर सुनीता व पूनम पीडि़ता को उन के हवाले कर देती थीं. वे लोग उर्मिला को किसी होटल या कमरे पर ले जा कर उस के साथ यौन संबंध बनाते और फिर उसे सुनीता या पूनम चौधरी के पास छोड़ देते थे. उर्मिला करीब 8-10 लोगों के साथ भेजी गई थी.
उर्मिला पिछले काफी महीनों से यह सब सह रही थी. मगर हर चीज की एक हद होती है. जब वह नाबालिग लड़की थक गई तो घर पर मां के पास रोने लगी. मां ने पूछा तो उस ने सुनीता व पूनम की काली करतूत के बारे में सारी बातें बता दीं. मां ने बेटी की पीड़ा सुनी तो उस का दिल दहल गया.
बेटी के साथ इतना कुछ घटित हो गया और उसे पता तक नहीं चला. इस के बाद मां ने तय कर लिया कि उस की नाबालिग बेटी की जिंदगी को नरक बनाने वालों को सजा दिला कर रहेगी.
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उर्मिला की मां ने अपने पति को सारी बात बताई. इस के बाद घर वाले 22 सितंबर, 2020 को नाबालिग उर्मिला को ले कर महिला थाना सवाई माधोपुर गए और सुनीता वर्मा उर्फ संपति बाई, हीरालाल मीणा, पूनम उर्फ पूजा चौधरी और अन्य लोगों के खिलाफ यौनशोषण की रिपोर्ट दर्ज करा दी.
मुकदमा दर्ज होने के बाद पुलिस ने जांच शुरू की. सवाई माधोपुर के एसपी ओम प्रकाश सोलंकी ने महिला थाने में दर्ज रिपोर्ट का अध्ययन किया और अपने नेतृत्व में एक टीम गठित कर जांच शुरू की. पुलिस ने साक्ष्य एकत्रित किए, पीडि़ता द्वारा बताए गए होटल में जा कर रिकौर्ड चैक किया.
इस के बाद भाजपा महिला मोर्चा अध्यक्ष सुनीता वर्मा उर्फ संपति बाई, सहयोगी हीरालाल मीणा को गिरफ्तार कर लिया. इन दोनों को कोर्ट में पेश कर रिमांड पर ले कर पूछताछ की गई.
पूछताछ में सामने आया कि राजू रेगर निवासी खड्डा कालोनी, सवाई माधोपुर ने सुनीता से बिजली फिटिंग के रुपए मांगने पर नाबालिग लड़की को साथ भेज दिया था,जिसे होटल में ले जा कर उस ने रेप किया था.
पुलिस ने राजू रेगर को भी गिरफ्तार कर लिया. सुनीता और हीरालाल ने 2 सरकारी कर्मचारियों के नाम भी बताए. उन में से एक जिला उद्योग केंद्र का क्लर्क संदीप शर्मा और दूसरा कलेक्टर कार्यालय का चपरासी श्योराज मीणा था. पुलिस ने इन दोनों को भी गिरफ्तार कर लिया.
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पूनम उर्फ पूजा चौधरी को अपने खिलाफ मुकदमा दर्ज होने की जानकारी मिली तो वह घर से फरार हो गई. पुलिस को पता चला कि पूनम चौधरी बिहार की रहने वाली है. इसलिए अनुमान लगाया गया कि शायद वह बिहार भाग गई है.
लोगों ने 30 सितंबर, 2020 तक पूनम चौधरी को सवाई माधोपुर में देखा था. तब पुलिस ने उसे क्यों नहीं गिरफ्तार किया? लोगों में इस बात की चर्चा होने लगी कि कहीं पुलिस के ऊपर सत्तासीन लोगों का दबाब तो नहीं था?
सौजन्य- सत्यकथा
इस के बाद भाजपा महिला मोर्चा अध्यक्ष सुनीता वर्मा उर्फ संपति बाई, सहयोगी हीरालाल मीणा को गिरफ्तार कर लिया. इन दोनों को कोर्ट में पेश कर रिमांड पर ले कर पूछताछ की गई.
पूछताछ में सामने आया कि राजू रेगर निवासी खड्डा कालोनी, सवाई माधोपुर ने सुनीता से बिजली फिटिंग के रुपए मांगने पर नाबालिग लड़की को साथ भेज दिया था,जिसे होटल में ले जा कर उस ने रेप किया था.
पुलिस ने राजू रेगर को भी गिरफ्तार कर लिया. सुनीता और हीरालाल ने 2 सरकारी कर्मचारियों के नाम भी बताए. उन में से एक जिला उद्योग केंद्र का क्लर्क संदीप शर्मा और दूसरा कलेक्टर कार्यालय का चपरासी श्योराज मीणा था. पुलिस ने इन दोनों को भी गिरफ्तार कर लिया.
पूनम उर्फ पूजा चौधरी को अपने खिलाफ मुकदमा दर्ज होने की जानकारी मिली तो वह घर से फरार हो गई. पुलिस को पता चला कि पूनम चौधरी बिहार की रहने वाली है. इसलिए अनुमान लगाया गया कि शायद वह बिहार भाग गई है.
लोगों ने 30 सितंबर, 2020 तक पूनम चौधरी को सवाई माधोपुर में देखा था. तब पुलिस ने उसे क्यों नहीं गिरफ्तार किया? लोगों में इस बात की चर्चा होने लगी कि कहीं पुलिस के ऊपर सत्तासीन लोगों का दबाब तो नहीं था?
जांच में पुलिस को यह भी पता चला कि पूनम चौधरी को अप्रैल, 2020 में उस की निष्क्रियता को देख कर पार्टी हाईकमान ने जिलाध्यक्ष के पद से हटा दिया था. पूनम की सवाई माधोपुर में सीमेंट की फैक्ट्री भी है. पूनम ने उर्मिला को उस फैक्ट्री के पास ले जा कर अपनी पहचान के आदमी के साथ भेज कर दुष्कर्म कराया था.
सरकारी कर्मचारियों संदीप शर्मा और श्योराज मीणा ने पुलिस को बताया कि सुनीता वर्मा उन के पास कामकाज के लिए आती रहती थी. इसी से उन की जानपहचान थी. वह जिला उद्योग केंद्र व श्रम विभाग में लोन, सब्सिडी, श्रम डायरी सहित विभिन्न योजनाओं का लाभ दिलाने का काम करती थी. आरोपी संदीप शर्मा ने इसी का फायदा उठा कर राज नगर स्थित नर्सिंग होम के पास अपने मकान में उर्मिला के साथ दुष्कर्म की घटना को अंजाम दिया था.
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सुनीता वर्मा कलेक्टर कार्यालय में ज्ञापन वगैरह देने जाती रहती थी. चपरासी श्योराज मीणा सुनीता वर्मा को कलेक्टर से मुलाकात के लिए भेजता था. इसी दौरान दोनों की जानपहचान हो गई थी. श्योराज मीणा लौकडाउन के दौरान सुनीता वर्मा के साथ लोगों को मास्क व सेनेटाइजर भी वितरित करता था. श्योराज मीणा ने लौकडाउन के समय सुनीता वर्मा के औफिस में ही नाबालिग के साथ दुष्कर्म किया था.
पीडि़त उर्मिला ने दूसरे कई लोगों द्वारा भी देह शोषण के आरोप लगाए. लेकिन मुकदमा दर्ज होने के बाद जब यह खबर मीडिया की हाईलाइट बनी तो वे लोग फरार हो गए.
अगर पीडि़त के घर से रुपए गायब नहीं हुए होते तो शायद यह मामला अभी प्रकाश में नहीं आता. दरअसल, हुआ यह कि नेमसिंह के घर से कुछ रुपए गायब हो गए थे. इस बारे में उन्होंने बेटी उर्मिला से पूछताछ की तो उस ने बताया कि रुपए उस ने चोरी किए थे.
उर्मिला ने पिता से कहा कि ये रुपए सुनीता वर्मा ने मंगाए थे. रुपए क्यों मंगाए थे, यह पूछने पर बालिका ने सारा राज फाश कर दिया कि किस तरह उसे जिंदगी बनाने और अच्छे घर में शादी का प्रलोभन दे कर कई लोगों के साथ सोने पर मजबूर किया गया.
ब्लैकमेलिंग के लिए उन्होंने उस की अश्लील वीडियो बना ली थी और उसे आधार बना कर उसे ब्लैकमेल कर रही थीं. सुनीता ने ही उसे घर से पैसे लाने के लिए मजबूर किया था.
पीडि़त बालिका और उस की मां ने बताया कि सुनीता और पूनम के पास करीब 30-35 लड़कियां हैं, जो उन के इशारों पर शहर से बाहर भी जाती हैं. इन लड़कियों को सरकारी कर्मचारी, अधिकारी और सफेदपोश लोगों के पास भेजा जाता है, जहां उन का देह शोषण किया जाता है.
पीडि़ता ने दावा किया कि कई बड़े सफेदपोश राजनेता और अधिकारी भी इस सैक्स रैकेट में शामिल हैं. सूत्रों के मुताबिक यह धंधा सुनीता वर्मा और पूनम चौधरी मिल कर करती थीं. चर्चा तो यह भी रही कि लड़कियों के साथ गलत काम करने वाले पुरुषों को भी ये दोनों महिला नेता अश्लील वीडियो व फोटो के माध्यम से ब्लैकमेल करती थीं.
बदनामी के डर से वे लोग रुपए दे कर पीछा छुड़ाते थे, क्योंकि पुलिस के पास जा कर बेइज्जती के अलावा कुछ नहीं मिलना था.
दोनों ब्लैकमेलर नेत्रियां मौज की जिंदगी जीती थीं. उन्होंने अच्छीखासी प्रौपर्टी बना ली थी. जब इस घटना की खबरें अखबारों में प्रकाशित हुई तो लोग हैरान रह गए. 2 राजनैतिक पार्टियों की जिलाध्यक्ष वह भी महिलाएं ऐसा काम कर रही थीं, जिस के बारे में किसी ने कभी सोचा तक नहीं था.
पूछताछ पूरी होने के बाद पुलिस ने सुनीता वर्मा, हीरालाल मीणा, संदीप शर्मा, श्योराज मीणा और राजूलाल रेगर को कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया. पूजा उर्फ पूनम चौधरी और अन्य आरोपी भी पकड़े जाएंगे.
पीडि़ता के परिवार का कहना है कि उन्होंने सभी दुष्कर्मियों के बारे में पुलिस को बता दिया था, इस के बावजूद पुलिस ने सिर्फ 5 लोगों को गिरफ्तार किया. इस घटना के प्रकाश में आने के बाद कयास लगाया जा रहा है कि अन्य पीडि़त युवतियां रिपोर्ट दर्ज करा कर अपने परिवार की रहीबची इज्जत दांव पर नहीं लगाना चाहतीं, इसलिए चुप हैं.
सैक्स रैकेट की पड़ताल में जुटी पुलिस को पता चला कि अब तक वह जिस पूजा को खोज रही थी, हकीकत में वह कांगे्रस सेवादल महिला प्रकोष्ठ की पूर्व जिलाध्यक्ष पूनम चौधरी है. पूनम ने इस खेल को पूजा के रूप में अपनी छद्म पहचान बना कर अंजाम दिया था.
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पुलिस को यह जानकारी भी मिली कि इस सैक्स रैकेट गिरोह ने नाबालिग उर्मिला को जयपुर में बेचने का सौदा कर लिया था. इस के लिए उसे जयपुर भेजने की तैयारी थी.
हीरालाल उसे सवाई माधोपुर बस स्टैंड तक छोड़ने गया, लेकिन पीडि़ता जैसेतैसे उस से बच निकली. पुलिस अब यह पता लगाने में जुटी है कि बालिका का सौदा जयपुर में किन लोगों से किया गया था.
पीडि़त उर्मिला कक्षा 9 में पढ़ती थी. कोराना काल में स्कूल बंद थे. ऐसे में वह अपनी जिंदगी बनाने इन के लिए महिला नेत्रियों की शरण में गई थी. लेकिन उन्होंने उस की जिंदगी तबाह कर डाली.