हत्यारा हमसफर : भाग 2

भारी पुलिस सुरक्षा के बीच 3 डाक्टरों के एक पैनल ने श्वेता और उस के मासूम बेटे श्रीयम के शव का पोस्टमार्टम किया. पोस्टमार्टम के बाद दोनों शव मृतका के पति रोहित के बजाय मृतका के मातापिता को सौंप दिए गए.

सुरेश कुमार मिश्रा बेटी श्वेता व नाती श्रीयम के शव सर्वोदय नगर (कानपुर) स्थित अपने घर ले आए. वहां भैरवघाट पर उन का अंतिम संस्कार कर दिया गया.

अंतिम संस्कार का दृश्य बड़ा ही हृदय विदारक था. शव यात्रा के समय 22 महीने के श्रीयम का शव श्वेता की गोद में था. ठीक इसी तरह उन्हें चिता पर लिटाया गया. श्वेता का एक हाथ बेटे के ऊपर था. ठीक वैसे ही जैसे कोई सो रही मां अपने बेटे को अपनी बांहों की सुरक्षा देती है. श्मशान घाट पर जिस ने भी यह दृश्य देखा उस का कलेजा फट गया. लोग तो अपनी आंखों से आंसू नहीं रोक सके.

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उधर डबल मर्डर की गुत्थी सुलझाने के लिए जयपुर पुलिस अधिकारियों ने मृतका के पति रोहित तिवारी पर शिकंजा कसा और उस से सख्ती से पूछताछ की. पुलिस अधिकारी उसे एयर पोर्ट ले गए और घटना वाले दिन यानी 7 जनवरी की सीसीटीवी फुटेज खंगाली.

पता चला कि उस रोज रोहित तिवारी सुबह 9 बजे एयरपोर्ट पहुंचा था और पत्नी की हत्या की सूचना मिलने के बाद एयरपोर्ट से घर को निकला था. फुटेज से यह भी पता चला कि रोहित घटना के समय वहां एक बैठक में मौजूद था.

उस के मोबाइल की लोकेशन भी दिन भर एयरपोर्ट की ही मिल रही थी. सारे सबूत रोहित के पक्ष में जा रहे थे जिस से पुलिस उसे गिरफ्तार नहीं कर पा रही थी. यद्यपि पुलिस अधिकारियों को पक्का यकीन था कि दोहरी हत्या में रोहित का प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष हाथ हो सकता है.

पुलिस ने रोहित पर कड़ा रुख अपनाया तो पुलिस पर दबाव बनाने के लिए उस ने कोर्ट का रुख किया. 9 जनवरी को रोहित ने जयपुर की निचली अदालत में अपने वकील दीपक चौहान के मार्फत प्रार्थना पत्र दे कर पुलिस पर प्रताडि़त करने का अरोप लगाया.

कोर्ट ने इस मामले में प्रताप नगर थानाप्रभारी को 10 जनवरी को प्रकरण से जुड़े तथ्यों के साथ उपस्थित होने का आदेश दिया.

रोहित की इस काररवाई से पुलिस बौखला गई. जिस मोबाइल फोन से रोहित के मोबाइल पर मैसेज किया गया था, पुलिस ने उस मोबाइल फोन की जांच में जुट गई. जांच से पता चला कि श्वेता अपने मोबाइल फोन में पैटर्न लाक लगाती थी, जिसे कोई दूसरा नहीं खोल सकता था.

इस का मतलब मैसेजकर्ता ने श्वेता का सिम निकाल कर किसी दूसरे मोबाइल में डाला था. मैसेज करते समय इस मोबाइल फोन की लोकेशन जयपुर के सांगानेर की मिली. पुलिस फोन के आईएमईआई नंबर के सहारे उस दुकानदार तक पहुंची, जहां से वह हैंडसेट खरीदा गया था.

वहां से मोबाइल खरीदार के बारे में जानकारी नहीं मिली तो उस फोन के आईएमईआई (इंटरनैशनल मोबाइल इक्विपमेंट आइडेंटिटी) नंबर को ट्रेस कर पुलिस मैसेजकर्ता तक पहुंच गई.

पुलिस मैसेजकर्ता को उस के घर से पकड़ कर थाने ले आई. उस ने अपना नाम सौरभ चौधरी निवासी भरतपुर (राजस्थान) तथा हाल पता सांगानेर बताया. उस से जब श्वेता व उस के मासूम बेटे श्रीयम की हत्या के संबंध में पूछा गया तो उस ने ऐसा कुछ करने से इनकार किया.

लेकिन जब उस के साथ सख्ती की गई तो वह टूट गया और दोहरी हत्या करने का जुर्म कबूल कर लिया. सौरभ चौधरी ने बताया कि रोहित तिवारी ने ही उसे 20 हजार रुपए दे कर पत्नी व बेटे की हत्या की सुपरी दी थी. मतलब दोहरी हत्या की साजिश रोहित ने ही रची थी.

सौरभ से पूछताछ के बाद पुलिस अधिकारियों ने 10 जनवरी, 2020 को रोहित तिवारी को भी बंदी बना लिया. थाने में जब उस का सामना सौरभ चौधरी से हुआ तो उस का चेहरा लटक गया और उस ने सहज ही पत्नी श्वेता की हत्या का जुर्म कबूल कर लिया.

डबल मर्डर के हत्यारों के पकड़े जाने की जानकारी पुलिस कमिश्नर आनंद श्रीवास्तव और डीसीपी (पूर्वी) डा. राहुल जैन को हुई तो वह थाना प्रताप नगर आ गए. उन्होंने आरोपियों से पूछताछ की, फिर प्रैसवार्ता कर घटना का खुलासा कर दिया.

चूंकि हत्यारोपियों ने अपना जुर्म कबूल कर लिया था, इसलिए थानाप्रभारी ने भादंवि की धारा 302/201 तथा 120बी के तहत सौरभ चौधरी तथा रोहित तिवारी के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर ली. पुलिस द्वारा पूछताछ करने पर एक ऐसे पति की कहानी सामने आई जिस ने दूसरी शादी रचाने के लिए अपनी पत्नी व बच्चे के कत्ल की साजिश रच डाली.

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उत्तर प्रदेश के कानुपर महानगर के काकादेव थाना अंतर्गत एक मोहल्ला है सर्वोदय नगर. सुरेश कुमार मिश्रा अपने परिवार के साथ इसी सर्वोदय नगर में रहते थे. उन के परिवार में पत्नी माधुरी मिश्रा के अलावा एक बेटा और 3 बेटियां थीं. सुरेश कुमार मिश्रा भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) में अधिकारी थे, जो अब रिटायर हो चुके हैं. उन का आलीशान मकान है, मिश्राजी अपनी 2 बेटियों की शादी कर चुके थे.

श्वेता सुरेश कुमार मिश्रा की सब से छोटी बेटी थी. वह अपनी दोनों बहनों से ज्यादा खूबसूरत थी. जब वह आंखों पर काला चश्मा लगा कर घर से बाहर निकलती थी तो लोग उसे मुड़मुड़ कर देखते थे, लेकिन वह किसी को भाव नहीं देती थी. श्वेता ने कानपुर छत्रपति साहू जी महाराज विश्वविद्यालय से बीए किया था.

वह आगे की पढ़ाई जारी रखना चाहती थी ताकि अपने पैरों पर खड़ी हो सके, लेकिन पिता सुरेश कुमार मिश्रा कोई अच्छा घरवर ढूंढ कर उस के हाथ पीले करना चाहते थे. उन्होंने उस के लिए वर की खोज भी शुरू कर दी. उसी खोज में उन्हें रोहित तिवारी पसंद आ गया.

रोहित के पिता उमाशंकर तिवारी मूल रूप से औरैया जनपद के गांव कंठीपुर के रहने वाले थे, लेकिन वह दिल्ली के गांधी नगर के रघुवरपुरा स्थित माता मंदिर वाली गली में रहते थे. उमाशंकर तिवारी के परिवार में पत्नी कृष्णादेवी के अलावा बेटा रोहित तथा 2 बेटियां थीं. बेटियों की शादी वह कर चुके थे.

रोहित अभी कुंवारा था. रोहित पढ़ालिखा हैंडसम युवक था. वह इंडियन आयल कारपोरशन में मैनेजर था. उस की पोस्टिंग दिल्ली में ही थी. सुरेश कुमार मिश्रा ने रोहित को देखा तो उसे अपनी बेटी श्वेता के लिए पसंद कर लिया.

फिर 24 जनवरी, 2011 को रीतिरिवाज से रोहित के साथ श्वेता का विवाह धूमधाम से कर दिया. उस की शादी में उन्होंने लगभग 30 लाख रुपए खर्च किए थे.

शादी के बाद श्वेता और रोहित ने बड़े प्रेम से जिंदगी का सफर शुरू किया. हंसतेखेलते 2 साल कब बीत गए दोनों में किसी को पता ही न चला. लेकिन इन 2 सालों में श्वेता मां नहीं बन सकी. सूनी गोद का दर्द जहां श्वेता और रोहित को था, वहीं श्वेता के सासससुर को भी टीस थी. सास कृष्णादेवी तो श्वेता को ताने भी देने लगी थी.

इतना ही नहीं, श्वेता को कम दहेज लाने की भी बात कही जाने लगी. उस के हर काम में कमी निकाली जाने लगी. यहां तक कि उस के खानपान और पहनावे पर भी सवाल उठाए जाने लगे. उसे तब और गहरी चोट लगी जब उसे पता चला कि उस के पति रोहित के किसी अन्य लड़की से नाजायज संबंध हैं, जो उस के साथ कालेज में पढ़ती थी.

वर्ष 2013 में जब श्वेता की प्रताड़ना ज्यादा बढ़ गई तो वह ससुराल छोड़ कर मायके में आ कर रहने लगी. यहां वह 7 महीने तक रही. उस के बाद एक प्रतिष्ठित कांग्रेसी नेता ने बीच में पड़ कर समझौता करा दिया. उस के बाद सुरेश कुमार मिश्रा ने श्वेता को ससुराल भेज दिया.

ससुराल में कुछ समय तक तो उसे ठीक से रखा गया. लेकिन उसे फिर से प्रताडि़त किया जाने लगा. मांबाप की नुकताचीनी पर रोहित उसे पीट भी देता था. कृष्णा देवी तो सीधेसीधे उसे बांझ होने का ताना देने लगी थी. ननद नूतन और मीनाक्षी भी अपने मांबाप व भाई का ही पक्ष ले कर प्रताडि़त करती थीं.

ससुराली बातों की प्रताड़ना से दुखी हो कर श्वेता ने एक रोज अपनी बड़ी बहन सपना को एक खत भेजा, जिस में उस ने अपना दर्द बयां करते हुए लिखा, ‘सपना दीदी, रोहित तथा उस के मांबाप मुझे बहुत परेशान करते हैं. चैन से जीने नहीं देते. सब पीटते हैं, मुझे नीचा दिखाते हैं. खाने को भी नहीं देते. यहां तक कि मेरे पहनावे पर सवाल उठाते हैं.

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‘‘मुझे यह भी पता चला है कि रोहित के एक युवती से संबंध हैं. वह उस के कालेज समय की दोस्त है. वह उसी से प्यार करता है. यही वजह है कि वह मुझे प्रताडि़त करता है. उसे मेरी हर बात बुरी लगती है. मामूली बातों पर मारपीट कर घर से जाने को कहता है. सासससुर भी उसी का साथ देते हैं. नौकरानी की तरह दिन भर घर का काम करवाते हैं. यदि मेरे साथ कोई अप्रिय वारदात हो जाए तो ये सभी जिम्मेदार होंगे.’’

जानें आगे क्या हुआ अगले भाग में…

एक पति ऐसा भी : भाग 3

इस बार विनीता ससुराल आई तो उस के तेवर उग्र थे. बात व्यवहार करने का तरीका भी बदल गया था. शायद पति द्वारा किया गया अपमान उसे सता रहा था. जब वह बीते पलों के बारे में सोचती तो उस की आंखें में गुस्सा उतर आता. सास उस के काम में रोकाटोकी करती तो वह उस से झगड़ा कर बैठती. पति को भी वह करारा जवाब दे देती थी.

बहू के इस व्यवहार से दुखी हो कर खेमराज अहिरवार ने उसे संयुक्त परिवार में रखने के बजाय अलग कर दिया. उन्होंने उसे अजनारी रोड वाला मकान रहने को दे दिया. इस टिन शेड वाले मकान के पीछे वाले भाग में प्रमोद विनीता व बच्चों के साथ रहने लगा. मकान के अगले हिस्से में बने 3 कमरे किराए पर उठे थे.

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इस मकान में लगभग 6 माह तक विनीता और प्रमोद ठीक से रहे, उस के बाद दोनों में पुन: झगड़ा होने लगा. झगड़ा बेरोजगारी को ले कर होता था. मकान में आने वाले किराए से विनीता परिवार का खर्चा नहीं चला पा रही थी. उसे सदैव आर्थिक परेशानी से जूझना पड़ता था.

वह प्रमोद से खर्चा मांगती तो वह कहता कि मायके से ले कर आओ. विनीता 2-4 बार तो मायके से खर्च के पैसे ले आई. लेकिन हर बार जाने से उस ने मना कर दिया. तब प्रमोद उस से झगड़े पर उतारू हो जाता. इस तरह उन में तकरार होने लगी.

साल 2018 की फरवरी माह की बात है. एक रोज खाना न बनाने को ले कर विनीता को प्रमोद ने पीट दिया तो विनीता महिला थाने पहुंच गई. वहां उस ने पति की शिकायत की तो प्रमोद को थाने बुलाया गया. वहां पुलिस ने प्रमोद को डरायाधमकाया और झगड़ा या मारपीट न करने की नसीहत दी. बाद में पुलिस ने इस मामले को जिला परिवार परामर्श केंद्र भेज दिया. परामर्श केंद्र से दोनों का समझौता हो गया.

विनीता और प्रमोद के बीच समझौता हो जरूर गया था, लेकिन उन के बीच तनाव कम नहीं हुआ था. किसी न किसी बात को ले कर उन में झगड़ा हो ही जाता था. प्रमोद के मन में अब विनीता के प्रति नफरत की आग सुलगने लगी थी. यह आग जब शोला बन गई तो प्रमोद ने विनीता की हत्या करने की ठान ली और हत्या की गहरी साजिश रच डाली.

योजना के अनुसार 18 मई, 2018 की सुबह करीब 10 बजे प्रमोद अपने पिता खेमराज के घर पहुंचा. उस के साथ उस की तीनों बेटियां भी थीं. उस ने पिता से कहा कि वह काम करने के लिए दिल्ली जा रहा है, विनीता को भी साथ ले जाएगा. इसलिए इन्हें यहां छोड़ने आया है.

न जाने क्यों पिता खेमराज व मां रामवती ने आवारा बेटे की बातों पर विश्वास कर लिया और वह उन मासूम बच्चियों को अपने पास रखने के लिए तैयार हो गए.

बेटियों को मातापिता के घर छोड़ कर प्रमोद वापस घर आ गया. चूंकि विनीता की बेटियां एकदो दिन के लिए दादादादी के घर चली जाती थीं, इसलिए विनीता ने इस तरह ज्यादा ध्यान नहीं दिया और न ही पति से तर्कवितर्क किया.

प्रमोद भी दिनभर सामान्य बना रहा. पति की साजिश की विनीता को जरा भी भनक नहीं लगी. शाम को विनीता ने खाना बनाया. उस ने पहले प्रमोद को खाना खिलाया फिर स्वयं भी खाना खाया. चौकाबरतन साफ कर वह चारपाई पर लेट गई. कुछ देर बाद वह गहरी नींद में सो गई.

लेकिन प्रमोद की आंखों में नींद नहीं थी. उसे तो इसी वक्त का इंतजार था. वह आहिस्ताआहिस्ता विनीता की चारपाई के पास पहुंचा और उसी की साड़ी से उस का गला कसने लगा. विनीता की आंखें खुलीं तो पति को गला घोंटते पाया.

उस ने बचाव का भरपूर प्रयास किया, लेकिन सफल नहीं हो सकी. कुछ देर घटपटाने के बाद उस की मौत हो गई.

पत्नी की हत्या करने के बाद प्रमोद ने रात के सन्नाटे में कमरे के अंदर फावड़े से करीब 4 फीट गहरा गड्ढा खोदा और उस में विनीता की लाश दफन कर दी. दूसरे रोज वह ईंट की गिट्टी लाया और कमरे में बिछा कर दुरमुट से खूब कुटाई की. फिर राजमिस्त्री से कमरे का फर्श बनवा दिया.

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किसी को कानोंकान खबर नहीं लगी. इस के बाद वह कमरा बंद कर दिल्ली चला गया. दिल्ली में वह क्या करता है, कहां रहता है इस की जानकारी उस ने न तो अपने मांबाप को दी और न ही किसी और को.

इधर जब 3 महीने बीत गए और उर्मिला की बेटी से फोन पर भी बात नहीं हो सकी तो उर्मिला अपनी बड़ी बेटी वंदना के साथ उस के घर आई. लेकिन कमरे में ताला लटक रहा था. वह रामनगर स्थित विनीता के ससुर खेमराज के पास गई. खेमराज ने बताया कि विनीता और प्रमोद दिल्ली में हैं. बच्चे उस के साथ हैं. प्रमोद दिल्ली में नौकरी करने लगा है.

उर्मिला ने खेमराज से प्रमोद का मोबाइल नंबर लिया और फिर प्रमोद से फोन पर बात की. प्रमोद ने बताया कि वह दिल्ली में है. विनीता भी उस के साथ है. उर्मिला ने जब उस से विनीता से बात कराने को कहा तो उस ने कह दिया कि वह इस समय ड्यूटी पर है, विनीता से बात नहीं हो पाएगी.

इस के बाद तो यह सिलसिला बन गया. जब भी उर्मिला या कालीचरण प्रमोद से फोन पर बात करते और विनीता से बात कराने को कहते तो वह कोई न कोई बहाना बना देता था. न ही वह दिल्ली में अपने रहने का ठिकाना बताता था.

धीरेधीरे एक साल बीत गया. लेकिन वह बेटी की आवाज नहीं सुन सकी. विनीता के संबंध में जानकारी करने उर्मिला कभीकभी उस के अजनारी रोड स्थित घर भी आती थी और किराएदारों से पूछताछ करती थी. लेकिन उसे क्या पता था कि जिस बेटी की तलाश में वह भटक रही है, उस का शव कमरे में दफन है.

उर्मिला जब परेशान हो गई तो उस ने प्रमोद की टोह में उसी के मकान में रहने वाले एक किराएदार की मदद ली. उर्मिला ने उस से कहा कि जब भी प्रमोद अपने कमरे में आए उसे तत्काल मोबाइल पर फोन कर दे. उस ने किराएदार को अपना फोन नंबर दिया, साथ ही सटीक सूचना पर पैसों का लालच भी दिया.

3 जनवरी, 2020 की सुबह उर्मिला को किराएदार ने सूचना दी कि प्रमोद दिल्ली से अपने घर आया है और कमरे में मौजूद है. लेकिन उस के साथ विनीता नहीं है. यह सूचना पाते ही उर्मिला और कालीचरण उरई कोतवाली पहुंच गए और पुलिस को सूचना दी.

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5 जनवरी, 2020 को पुलिस ने अभियुक्त प्रमोद कुमार अहिरवार से पूछताछ कर उसे उरई की कोर्ट में रिमांड मजिस्ट्रैट डी. एन. राय की अदालत में पेश किया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया.

मां की हत्या और पिता के जेल जाने के बाद मासूम बच्चियों को संभालने की जिम्मेदारी मृतका की बहनों ने ली है. मृतका की बड़ी बहन वंदना 4 वर्षीय कनिष्का का पालनपोषण करेगी जबकि लाली 3 वर्षीय गुंजन का. नौभी 2 वर्षीय परी का पालनपोषण करेगी. तीनों के पति भी इस के लिए तैयार हो गए.

– कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

एक पति ऐसा भी : भाग 2

पुलिस अधिकारियों के समक्ष जब प्रमोद से पूछताछ की गई तो पत्नी की हत्या कर शव ठिकाने लगाने की जो कहानी बताई, वह चौंकाने वाली थी –

जालौन उत्तर प्रदेश राज्य का एक पिछड़ा जिला है. जहां आवागमन के साधन भी कम हैं और रेल सुविधा भी नहीं है. इस पिछड़ेपन के कारण जालौन जिले के सभी प्रशासनिक कार्य उरई कस्बे में होते हैं. उरई, जालौन जिले का उपजिला कहलाता है, यहां दवा बनाने वाली मशहूर कंपनी सन इंडिया फार्मेसी है, जहां सैकड़ों कर्मचारी काम करते हैं, जिस से वहां दिनभर चहलपहल बनी रहती है.

उरई कस्बे से 3 किलोमीटर दूर एक गांव है सरसौखी, जो थाना कोतवाली उरई के अंतर्गत आता है. इसी सरसौखी गांव में कालीचरण अहिरवार अपने परिवार के साथ रहता था. उस के परिवार में पत्नी उर्मिला के अलावा 4 बेटियां वंदना, लाली, नौभी तथा विनीता थीं.

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मध्यमवर्गीय कालीचरण के घर का खानापीना व अन्य खर्च खेत में पैदा होने वाली फसलों से चलता था. इसी से बच्चों की परवरिश होती गई. जैसेजैसे बेटियां जवान होती गईं, कालीचरण ने उन की शादी कर दी. वह 3 बेटियों के हाथ पीले कर चुके थे. अब सब से छोटी बेटी विनीता ही शादी के लिए बची थी.

विनीता अपनी अन्य बहनों से कुछ ज्यादा ही खूबसूरत थी. उस की इस खूबसूरती में चारचांद लगाता था उस का स्वभाव. हाईस्कूल पास करने के बाद वह आगे की पढ़ाई जारी रखना चाहती थी, लेकिन मांबाप ने यह कह कर उस की पढ़ाई पर विराम लगा दिया कि ज्यादा पढ़ीलिखी लड़की के लिए वर खोजने में दिक्कत होती है और दहेज भी ज्यादा देना पड़ता है.

कालीचरण अपनी अन्य बेटियों की तरह विनीता को भी इज्जत के साथ उस के हाथ पीले कर देना चाहता था, किंतु इन्हीं दिनों विनीता के कदम बहक गए. जिस की वजह से गांव बिरादरी में उन की बदनामी होने लगी.

गरीबों की जमापूंजी उन की मानमर्यादा और इज्जत होती है. जब कालीचरण को इस बात का पता चला तो अपनी इज्जत बचाए रखने के लिए वह विनीता के लिए वर की खोज में जुट गए. काफी प्रयास के बाद एक रिश्तेदार के माध्यम से वर के रूप में उन्हें प्रमोद कुमार मिल गए.

प्रमोद कुमार के पिता खेमराज अहिरवार उरई कस्बे के रामनगर मोहल्ले में रहते थे. खेमराज के परिवार में पत्नी रामवती के अलावा 2 बेटियां और एक बेटा प्रमोद कुमार था. बेटियों की वह शादी कर चुके थे. प्रमोद कुमार ज्यादा पढ़ालिखा नहीं था और रोजगार की तलाश में जुटा था. खेमराज, दिल्ली स्थित राष्ट्रीय भवन निर्माण विभाग में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी था.

सरकारी कर्मचारी होने के साथसाथ उस की खेती की भी जमीन थी. उस की आर्थिक स्थिति मजबूत थी.

रामनगर मोहल्ले में उस के 2 मकान थे. एक मकान में वह स्वयं परिवार साहित रहता था, जबकि दूसरा मकान अजनारी रोड पर रेलवे क्रासिंग के पास था, टिन शेड वाले इस मकान में किराएदार रहते थे.

हालांकि प्रमोद कुमार बेरोजगार था और उस का रंगरूप भी सामान्य था. लेकिन उस के पिता खेमराज की आर्थिक स्थिति को देखते हुए कालीचरण ने उसे अपनी बेटी विनीता के लिए पसंद कर लिया. फिर सामाजिक रीतिरिवाज से 25 अप्रैल, 2011 को विनीता का प्रमोद कुमार के साथ विवाह कर दिया.

शादी के बाद विनीता जब अपनी ससुराल पहुंची तो ससुराल में सब खुश थे, लेकिन विनीता खुश नहीं थी. दरअसल शादी के पहले विनीता ने पति के रूप में जिस सजीले युवक के सपने संजोये थे, प्रमोद वैसा नहीं था.

एक तो वह सांवले रंग का था, दूसरे वह अक्खड़ स्वभाव का था. इस के अलावा वह बेरोजगार भी था. शुरू में तो विनीता ने पति के साथसाथ सासससुर की भी सेवा की लेकिन आगे चल कर धीरेधीरे उस के स्वभाव में बदलाव आने लगा.

अब विनीता का मन ससुराल में कम मायके में ज्यादा लगने लगा. इस से प्रमोद को शक होने लगा कि कहीं शादी से पहले विनीता के गांव के किसी युवक से अवैध संबंध तो नहीं थे. उस ने इस बाबत गुप्तरूप में पता किया तो जानकारी मिली कि शादी से पहले विनीता के कदम डगमगा गए थे.

विनीता के अपने ही अतीत ने उस के जीवन में कैक्टस उगा दिए थे, जिस में खुशियां कम कांटे ज्यादा थे. उन कांटों की चुभन से पतिपत्नी के बीच दूरियां बढ़ने लगी थीं. दोनों के बीच लड़ाईझगड़ा व मारपीट होने लगी थी. तब तक दोनों की शादी को 5 साल बीत गए थे. इन 5 सालों में विनीता 3 बेटियों कनिका, गुंजन और परी की मां बन चुकी थी.

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एक के बाद एक 3 बेटियों के जन्म को ले कर भी घर में कलह होती थी. सास रामवती वंश बढ़ाने के लिए बेटा चाहती थी. इसलिए वह विनीता को ताने मारती रहती थी. हालांकि विनीता का ससुर खेमराज उस की बेटियों से प्यार करता था और हर तरह से खयाल रखता था. वह जब भी बाजार हाट से घर आता, बच्चियों के लिए खानेपीने की चीजें लाता था.

विनीता का पति प्रमोद बेरोजगार था. पति की बेरोजगारी से भी वह परेशान रहती थी. उसे अपने व बच्चों के पालनपोषण के लिए सासससुर का ही मुंह ताकना पड़ता था. जरूरत का सामान खरीदने को विनीता सास से पैसे मांगती तो कभी वह दे देती, कभी बुरी तरह झिड़क देती थी. तब विनीता मन मसोस कर रह जाती.

विनीता ने पति को कुछ कामधाम करने को कई बार कहा, परंतु प्रमोद ने एक नहीं सुनी. उल्टे वह विनीता से कहता कि घर में किस चीज की कमी है. सारा खर्च मांबाप कर तो रहे हैं.

एक रोज प्रमोद शराब पी कर घर आया तो विनीता ने उसे जलील करते हुए कहा, ‘‘एक तो करेला, दूसरे नीम चढ़ा. कुछ काम करतेधरते नहीं और शराब भी पीते हो. कम से कम अपना नहीं तो अपने बाप की इज्जत का तो खयाल रखो.

विनीता की सच्चाई भरी कड़वी बात सुनकर प्रमोद कुमार के तनबदन में आग सुलग उठी. वह विनीता पर टूट पड़ा और लातघूंसों से उस की पिटाई करने लगा. उस के हाथ तभी थमे जब वह हांफने लगा. पति की पिटाई से विनीता इतनी आहत हुई कि वह तीनों बच्चों को ससुराल में छोड़ कर मायके चली गई. उस ने अपने ऊपर हुए जुल्म की दास्तां अपनी मां उर्मिला को बताई. तब उर्मिला ने बेटी को ससुराल न भेजने का फैसला किया.

विनीता को मायके आए हुए अभी 2 महीने भी नहीं बीते थे कि प्रमोद उसे लेने आ गया. लेकिन उर्मिला ने बेटी को भेजने से साफ मना कर दिया. उस ने कहा कि वह ऐसे निठल्ले के साथ बेटी को नहीं भेजेगी जो उसे प्रताडि़त करे. सास ने जलील किया तो प्रमोद मुंह लटका कर वापस लौट आया.

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बहू के चले जाने से खेमराज की भी मोहल्ले में बदनामी होने लगी थी. उस की पत्नी रामवती का भी गली से गुजरना दूभर हो गया था. पासपड़ोस की महिलाएं विनीता को ले कर तरहतरह की अफवाहें फैलाने लगी थीं. इन अफवाहों पर विराम लगाने के लिए खेमराज विनीता को लाने उस के मायके पहुंचा और कालीचरण से बच्चों की परवरिश की खातिर विनीता को भेजने का अनुरोध किया. काफी सोचविचार के बाद कालीचरण ने बेटी को समझाबुझा कर ससुराल भेज दिया.

जानें आगे क्या हुआ अगले भाग में…

एक पति ऐसा भी : भाग 1

उस दिन 3 जनवरी 2020 तारीख थी. सुबह के यही कोई 10 बज रहे थे. जालौन जिले की कोतवाली उरई के प्रभारी निरीक्षक शिवगोपाल वर्मा अपने कार्यालय में बैठे थे और बीती रात पकड़े गए मादक पदार्थ तस्करों से पूछताछ कर रहे थे, तभी एक बुजुर्ग दंपति उन के कार्यालय में आया.

दोनों आगंतुक घबराए हुए थे. उन के माथे पर चिंता की लकीरें थीं. वर्मा ने तस्करों से पूछताछ बंद कर उन्हें सामने पड़ी कुरसी पर बैठने का इशारा किया फिर पूछा, ‘‘बताइए, आप लोग कहां से आए हैं और क्या परेशानी है?’’

कुरसी पर बैठने के बाद उस शख्स ने कहा, ‘‘साहब, हम सरसौखी गांव से आए हैं, मेरा नाम कालीचरण है और साथ में आई मेरी पत्नी उर्मिला है. हम ने अपनी बेटी विनीता की शादी उरई कस्बे के रामनगर मोहल्ला निवासी खेमराज अहिरवार के बेटे प्रमोद कुमार के साथ की थी.

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‘‘प्रमोद कुमार ने हमारी बेटी विनीता को गायब कर दिया है, डेढ़ साल से बेटी से हमारा संपर्क नहीं हुआ. प्रमोद के पिता खेमराज से पूछा तो उस ने बताया कि विनीता प्रमोद के साथ दिल्ली में है. हम ने जब भी फोन कर प्रमोद से विनीता से बात कराने का आग्रह किया तो वह टालमटोल कर देता था.

वह दिल्ली में कहां रहता है. उस ने हमें कभी नहीं बताया. आज मुझे पता चला कि प्रमोद दिल्ली से गांव आया है और अपने घर में मौजूद है. साहब आप से मेरा अनुरोध है कि उस से पूछताछ कर हमारी बेटी विनीता का पता लगाएं.’’

कोतवाल शिवगोपाल वर्मा ने कालीचरण की बात गौर से सुनी और उन की परेशानी को समझा. उन्होंने उन्हें आश्वासन दिया कि वह थाने में बैठ कर इंतजार करें. वह प्रमोद को थाने बुला कर उस से पूछताछ कर विनीता का पता लगवाते हैं. आश्वासन पा कर कालीचरण पत्नी उर्मिला के साथ थाने में इंतजार करने लगे.

कोतवाल शिवगोपाल वर्मा ने एसआई विश्वनाथ सिंह तथा कांस्टेबल मानवेंद्र सिंह को सारी बात बता कर प्रमोद को थाने लाने का आदेश दिया. कुछ ही देर में दरोगा विश्ववनाथ सिंह, कांस्टेबल मानवेंद्र सिंह के साथ मोटरसाइकिल से प्रमोद के अजनारी रोड स्थित मकान पर जा पहुंचे. प्रमोद उस समय घर पर नहीं था.

उस के घर में किराए पर रहने वाले किराएदारों ने बताया कि प्रमोद रेलवे क्रासिंग की ओर गया है. पहचान के लिए पुलिस ने एक किराएदार को साथ लिया और रेलवे क्रासिंग पहुंच गई. प्रमोद रेलवे फाटक के पास मिल गया.

किराएदार के इशारे पर पुलिस ने उसे पकड़ लिया और कोतवाली ले आई. बेटे की गिरफ्तारी की जानकारी खेमराज को हुई तो वह भी कोतवाली आ गया.

कोतवाल शिवगोपाल वर्मा ने प्रमोद कुमार के चेहरे पर तिरछी नजर डालते हुए पूछा, ‘‘प्रमोद, सचसच बताओ, तुम्हारी पत्नी विनीता कहां है? क्या तुम ने उसे गायब कर दिया है या…’’

‘‘साहब, यह सब अटपटी बातें आप मुझ से क्यों पूछ रहे हैं?’’ प्रमोद जवाब देने के बजाय उलटे वर्मा से ही प्रश्न कर बैठा.

‘‘इसलिए कि विनीता के मातापिता ने शिकायत दर्ज कराई है कि तुम ने उन की बेटी को गायब कर दिया है. पिछले डेढ़ साल से तुम ने न तो उन की विनीता से बात कराई और न ही मिलवाया. न ही तुम ने उन्हें दिल्ली में रहने का अपना ठिकाना बताया.’’ कोतवाल ने कहा.

‘‘साहब, ससुराल वालों से हमारी पटती नहीं है, जिस से मैं ने उन्हें कोई जानकारी नहीं दी.’’ प्रमोद बोला.

‘‘तो अब बताओ कि विनीता कहां है?’’ वर्मा ने पूछा.

‘‘वह दिल्ली में है.’’ प्रमोद ने बताया.

‘‘उस से मोबाइल फोन पर बात कराओ.’’ उन्होंने कहा.

‘‘साहब, विनीता के पास मोबाइल फोन नहीं है, इसलिए उस से बात नहीं हो सकती.’’ प्रमोद बोला.

‘‘देखो, प्रमोद तुम पुलिस को गुमराह करने की कोशिश कर रहे हो. मैं तुम से आखिरी बार पूछता हूं कि विनीता कहां है?’’ वर्मा तमतमा गए.

लेकिन प्रमोद ने जुबान नहीं खोली. तब वर्मा का गुस्सा सातवें आसमान पर जा पहुंचा. उन्होंने दरोगा विश्वनाथ सिंह तथा सुशील कुमार पाराशर को प्रमोद से सच उगलवाने की जिम्मेदारी सौंपी.

वह दोनों प्रमोद कुमार को अलग कमरे में ले गए और उस से जब सख्ती से पूछताछ की तो वह टूट गया. इस के बाद उस ने विनीता का जो राज खोला उसे सुन कर पुलिस भी दंग रह गई.

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प्रमोद ने बताया कि उस ने अपनी पत्नी विनीता की हत्या 18 मई, 2018 को कर दी थी और शव को अपने कमरे में दफन कर उस के ऊपर पक्का फर्श बनवा दिया था. इस के बाद वह दिल्ली चला गया था. विनीता की हत्या की जानकारी न तो उस के मातापिता को थी और न ही उस के मकान में रहने वाले किराएदारों को. विनीता का शव अब भी कमरे में ही दफन है.

कोतवाल शिवगोपाल वर्मा ने इस सनसनीखेज घटना की जानकारी वरिष्ठ अधिकारियों को दी और एसआई साबिर अली, विश्वनाथ सिंह, सुशील कुमार पारासर, हैड कांस्टेबल संत किशोर तथा जगदीश हत्यारोपी प्रमोद कुमार को साथ ले कर प्रमोद के अजनारी रोड, रामनगर स्थित मकान पर पहुंच गए. वह टिन शेड वाला मकान था. जिस के आगे के भाग में किराएदार रहते थे. प्रमोद मकान के पिछले भाग में रहता था.

प्रमोद कुमार पुलिस को अपने टिन शेड वाले कमरे में ले गया और बताया कि विनीता का शव इसी कमरे में फर्श के नीचे दफन है. पुलिस अभी कमरे का निरीक्षण कर ही रही थी कि सूचना पा कर एसपी डा. सतीश कुमार तथा सीओ (सिटी) संतोष कुमार भी आ गए.

पुलिस अधिकारियों ने मौके पर फोरैंसिक टीम को भी बुलवा लिया था. चूंकि मामला महिला की हत्या कर शव जमीन में दफन होने का था. अत: घटनास्थल पर उरई सिटी मजिस्ट्रैट हरिशंकर शुक्ला को भी सूचना दे कर बुला लिया गया.

सिटी मजिस्ट्रैट हरिशंकर शुक्ला की मौजूदगी में पुलिस अधिकारियों ने हत्यारोपी प्रमोद कुमार की निशानदेही पर कमरे के अंदर खुदाई शुरू कराई. पुलिस के जवानों ने पहले कमरे की पक्की फर्श तोड़ी फिर कच्ची जमीन को फावड़े से खोदना शुरू किया. 4 फीट खुदाई करने के बाद महिला का कंकाल बरामद हो गया. सिटी मजिस्ट्रैट हरिशंकर शुक्ला ने कंकाल को गड्ढे से बाहर निकलवाया.

अब तक मौके पर विनीता के मातापिता तथा ससुर भी आ गए थे. कालीचरण तथा उन की पत्नी उर्मिला ने जब महिला के कंकाल को देखा तो वह फफक पड़े और उन्होंने कपड़ों से उस की पहचान अपनी बेटी विनीता के रूप में कर दी. प्रमोद के पिता खेमराज ने भी कंकाल की पहचान बहू विनीता के रूप में की.

विनीता की हत्या और कंकाल बरामद होने की खबर रामनगर मोहल्ले में फैली तो लोग अवाक रह गए. सैकड़ों की भीड़ घटनास्थल पर आ पहुंची. कालीचरण के परिवार में भी कोहराम मच गया. उस की अन्य बेटियां वंदना, लाली व नौथी भी सूचना  पा कर मौके पर आ गईं. विनीता का कंकाल देख कर सभी विलखविलख कर रो रही थीं. पुलिस अधिकारियों ने उन्हें सांत्वना दी और समझाया.

पुलिस अधिकारियों ने घटनास्थल का बारीकी से निरीक्षण किया, फिर फोरैंसिक टीम ने भी जांच कर साक्ष्य जुटाए. इस के बाद मजिस्ट्रैट हरीशंकर शुक्ला की निगरानी में कोतवाल शिवगोपाल वर्मा ने कंकाल का पंचनामा भर कर उसे पोस्टमार्टम के लिए उरई के सरकारी अस्पताल भेज दिया. डीएनए की जांच हेतु मृतका के बाल सुरक्षित रख लिए गए.

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चूंकि प्रमोद कुमार ने पत्नी विनीता की हत्या करने का जुर्म कबूल कर लिया था और जमीन में दफन शव को भी बरामद करा दिया था, इसलिए कोतवाल शिवगोपाल वर्मा ने मृतका के पिता को वादी बना कर भादंवि की धारा 302, 201 के तहत प्रमोद कुमार के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर ली.

जानें आगे क्या हुआ अगले भाग में…

एक पति ऐसा भी

‘वासना’ : परमो धर्म?

प्रथम घटना- जिला दुर्ग के थाना अंडा अंतर्गत दो लोगों ने अपने रिश्तेदार की इसलिए हत्या कर दी क्योंकि वह उन दोनों पर चारित्रिक संदेह करता था. और मजाक उड़ाता रहता था.

दूसरी घटना- छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में वीआईपी कॉलोनी के पास एक शख्स की  हत्या हो गई क्योंकि वह अपने  छोटे भाई की पत्नी से संबंध बनाते पकड़ा गया था.

तीसरी घटना- जिला कोरबा के कटघोरा थाना अंतर्गत घटित हुई है जिसमें एक युवती ने अपनी 12 साल की सगी  बहन की हत्या कर दी. क्योंकि वह उसके प्रेम संबंधों को देख चुकी थी और  कारगुज़ारी माता-पिता से बताने को कह रही थी.

वासना, काम, सेक्स, प्रेम प्यार यह ऐसे शब्द हैं जो हमें संवेदनशील  बनाते हैं और भटकने को मजबूर भी करते हैं. यह जीवन का आधार है तो यह अति हो जाने के बाद जीवन को समाप्त कर देने का भी बयास बन जाते हैं.

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यही समाज, देश का सत्य है. ऐसी घटनाएं हमारे आसपास अक्सर घटती होती हैं जो संदेश देती हैं कि मानवीय मर्यादा और हमारी  परंपराओं के अनुरूप अगर व्यवहार नहीं होगा तो उसका दुष्परिणाम विपरीत भी आ सकता है.

आज इस रिपोर्ट में हम ऐसे तथ्य का खुलासा करने का प्रयास कर रहे हैं. ताकि बहुतेरे लोग जो जीवन में भूल कर रहे हैं, गलत राह पर चल जाते हैं, सबक लें, और मर्यादा का रास्ता कभी भी न छोड़ें.

वासना में अंधी हो गई

छत्तीसगढ़ के औद्योगिक नगर कोरबा में 22 अगस्त को घटित एक लोमहर्षक घटना ने संपूर्ण प्रदेश को कंपायमान  कर दिया .

25 साल के युवक  से 16 साल की नाबालिक लड़की ने प्रेम प्रसंग में इस कदर दीवानी हो गयी  की अपनी छोटी 12 साल की मासूम बहन को मौत की नींद सुलाने में उस वासना की  दीवानी के हाँथ नहीं कांपे. मासूम का दोष सिर्फ इतना था की  बहन ने बड़ी बहन को एक लड़के के  साथ रंगरेलियां मनाते आपत्तिजनक स्थित में देख लिया था. बस क्या था बड़ी बहन ने छोटी बहन को मौत की नींद सुला दिया.

मामला  कटघोरा थाना अंतर्गत ग्राम मालदा जिला कोरबा में घटित हुआ है जहां 22 अगस्त को कटघोरा पुलिस को सुचना मिली की ग्राम मालदा के एक नाबालिक बच्ची का शव खाट में पड़ा है पुलिस मौके पर पहुंच कर देखती है की मृतिका के सर से खून बहा हुआ है गंभीर चोट के निशान दिख रहे है. पुलिस को समझने में देर नहीं लगा की हत्या हुई है. बड़ी बहन से पूछताछ पुलिस ने शुरू की तो में उसने अंततः रोते हुए अपना अपराध कबूल कर लिया और बताया की जब वापस आयी तब मैंने अपनी छोटी बहन से अपना मोबाईल वापस माँगा उसने देने से इंकार कर दिया. तब मैंने ही उसकी हत्या कर दी.

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लेकिन पुलिस को उस लड़की के बयान में बनावटीपन दिखाई दिया तब जिस मोबाईल को वह हत्या का कारण बता रही थी उसका सिम निकाल कर सायबर सेल को दिया गया. आगे जांच में खुलासा हुआ कि  एक विशेष नंबर से 8-10 बार बात हुई है. पुलिस ने उस नंबर को इस्तेमाल करने वाले को हिरासत में लेकर पूछताछ की तब पता चला की विनय कुमार जगत नामक व्यक्ति जो की बंधन बैंक कटघोरा में  पदस्थ था  की लोन के सिलसिले में उक्त लड़की से जान पहचान हुई थी. आगे चलकर दोनों का प्रेम संबंध हो गया. और घटना के दिन मृतिका ने दोनों को आपत्तिजनक स्थिति में देख लिया था घर में किसी को न बता दे इस आशंका के चलते दोनों ने मिलकर छोटी बहन की हत्या कर दी.

चूंकि परिवार के सभी सदस्य तीजा मनाने गांव गए हुए थे इसलिए घर में बच्चों के अलावा कोई नहीं था. पुलिस ने दोनों वासना के अंधे आरोपियों को गिरफ्तार कर धारा 302,34 के तहत मामला दर्ज कर जेल भेज दिया है.

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सनसनीखेज खुलासा

पुलिस को पूछताछ में बड़ी बहन ने बताया कि प्रेमी विनय ने मृतिका छोटी बहन के चेहरे को तकिए से जोरदार दबाए रखा. जब उसकी मौत हो गई तब बड़ी बहन ने टंगिये के पाशा से उसके सिर पर संघातिक वार कर दिया. प्रेमी ने खुद को बचाने के लिए प्रेमिका को पुलिस के सामने कहानी गढ़ने को कहा और खुद वहां से फरार हो गया.सुबह जब लोगो का हुजूम उमड़ा और तफ्तीश के लिए पुलिस  घटनास्थल पहुंची तो उसने यह कहानी उनके सामने सुनाई.

हालांकि लोगों को भी  इस बात के सन्देह था कि महज मोबाइल के लिए इतनी बड़ी वारदात को वह अंजाम नही दे सकती . पुलिस जांच में यह भी उजागर हुआ कि माँ-बाप के घर पर नही होने पर प्रेमिका बड़ी बहन की अपने प्रेमी विनय से मिलने की योजना थी. इसी योजना  के तहत देर रात विनय उससे मिलने पहुंचा था.दोनो उसी कमरे में मौजूद थे जहाँ बगल के बिस्तर पर नाबालिक छोटी बहन भी सोई हुई थी. वे जब आपत्तिजनक हालत में मिल रहे थे  तभी उसकी नींद उचट  गई. अपनी बहन और प्रेमी को रंगे हाथों देखना  उसे भारी पड़ा और फिर दोनों ने मिलकर उसकी हत्या कर दी. ऐसे ही सच्चे अपराधी घटनाक्रम को देखकर यह कहा जा सकता है कि जब कामवासना के फेर में पैर बहक  जाते हैं तो इंसान अंधा हो जाता है और रिश्ते भी तार-तार हो जाते हैं.

औरत सिर्फ एक देह नहीं : भाग 2

एक रोज सचिन ने अपनी चाहतों से ममता के जिस्म को पिघलाना चाहा, लेकिन ममता ने काबू बनाए रखा और सचिन को समझाते हुए बोली, ‘‘सचिन, यह सब अभी नहीं, यह सब शादी के बाद ही हो तभी अच्छा लगता है. अगर तुम चाहते हो कि हम जल्दी से एक हो जाएं तो अपने घरवालों से कह कर मेरे घरवालों से शादी की बात कर लो.’’

‘‘ममता, मैं शादी से कहां मना कर रहा हूं. जब हम प्यार करते हैं और हमारे दिल एक हो चुके हैं तो हमारे शरीर भी एक हो जाने चाहिए. जिस से हमारे बीच किसी प्रकार की दूरी न रहे.’’ सचिन ने समझाया.

‘‘लेकिन शादी से पहले यह पाप है, जोकि मेरे लिए कलंक का टीका बन सकता है. इसलिए मैं ऐसा कोई कदम नहीं उठाऊंगी जिस से मेरे व मेरे घर वालों की इज्जत पर आंच आए.’’ ममता ने साफ कह दिया.

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‘‘इस का मतलब यह हुआ कि तुम्हें मेरे ऊपर बिलकुल भी विश्वास नहीं है.’’

‘‘अगर विश्वास न होता तो तुम्हारे प्यार में इतना आगे तक नहीं बढ़ती. लेकिन तुम जिस चाहत को पूरा करने की बात कह रहे हो, वह शादी से पहले मुमकिन नहीं है.’’

सचिन को क्रोध तो बहुत आया लेकिन उस ने ममता पर जाहिर नहीं होने दिया. फिर दोनों के बीच इधरउधर की बातें होती रहीं. उस के बाद दोनों विदा हो कर अपने घर चले गए.

असल में सचिन ममता से प्यार नहीं करता था, बल्कि वह उस की देह का पुजारी था और ममता की देह को अपनी बांहों में भर कर मसोसना चाहता था. जबकि ममता उस से सच्चा प्यार करती थी.

सचिन ने बारबार कोई न कोई बहाने से ममता को फुसलाना चाहा लेकिन वह सफल नहीं हो पाया. लेकिन सचिन भी जिद्दी था. उस ने ममता को एक दिन अपनी बातों के जाल में फांस ही लिया और वह सब कर गुजरा जो वह करना चाहता था.

उसे ममता के जिस्म का चस्का लगा तो वह बारबार उसे पाने के लिए बेचैन रहने लगा. ममता एक बार उस के लिए अपने जिस्म के द्वार खोल चुकी थी, इसलिए उस ने बारबार खोलने से इनकार नहीं किया. उसे भी इस में आनंद आने लगा था.

9 जनवरी, 2020 की शाम को सचिन अपने घर पर था. लगभग सवा 7 बजे किसी का फोन आया तो वह बाइक उठा कर जाने लगा. पिता रजनीकांत ने पूछा तो सचिन ने कहा कि वह काम से सुरसा जा रहा है. इतना कह कर सचिन अपनी बाइक स्टार्ट कर के चला गया. जब वह देर रात तक नहीं लौटा तो रजनीकांत को चिंता हुई. उन्होंने सचिन का मोबाइल नंबर मिलाया तो वह बंद था.

10 जनवरी की सुबह 6 बजे इच्छनापुर गांव की सीमा से सटे गांव ओदरा के बाहर सड़क किनारे खाई में एक युवक का शव औंधे मुंह पड़ा मिला. किसी ने 112 नंबर पर काल कर के लाश पड़ी होने की सूचना दे दी.

घटनास्थल सुरसा थाना क्षेत्र में आता था, इसलिए कंट्रोल रूम से इस की सूचना सुरसा थाने को दे दी गई. सूचना पा कर सुरसा थाने के इंसपेक्टर राजकरन शर्मा पुलिस टीम के साथ घटनास्थल पर पहुंच गए. मृत युवक की उम्र 21 से 25 साल के बीच रही होगी. युवक के गले व शरीर पर अनगिनत घाव के निशान थे, जो कि किसी तेज धारदार हथियार से किए गए थे.

कुछ ही दूरी पर एक टीवीएस स्पोर्ट्स बाइक नंबर यूपी30ए पी5804 भी लावारिस हालत में खड़ी मिली. संभवत: वह मृतक की ही होगी. बाइक से बैटरी, बाइक के कागज आरसी और अन्य पेपर गायब थे.

इसी बीच सूचना पा कर एसपी अमित कुमार गुप्ता और सीओ (सिटी) विजय राणा भी आ गए. दोनों अधिकारियों ने लाश व घटनास्थल का मुआयना किया, फिर आवश्यक दिशानिर्देश दे कर वहां से चले गए. मृतक की शिनाख्त न होने पर इंसपेक्टर राजकरन शर्मा ने फोटो खिंचवा कर लाश पोस्टमार्टम के लिए मोर्चरी भेज दी.

बाइक के नंबर के जरिए मृतक की शिनाख्त की कोशिश की गई तो सफलता मिल गई. लाश सचिन पांडेय की थी. उस की लाश मिलने की सूचना सचिन के घर भेज दी गई. सचिन के घर आने की बाट जोह रहे पिता रजनीकांत को उस की लाश मिलने की सूचना मिली तो उन्हें गहरा धक्का लगा. किसी तरह उन्होंने अपने आप को संभाला और फिर थाने पहुंच गए.

इंसपेक्टर राजकरन शर्मा ने उन को लाश का फोटो दिखाया तो उन्होंने उस की शिनाख्त सचिन के रूप में कर दी. शिनाख्त के बाद इंसपेक्टर शर्मा ने उन से पूछताछ की तो उन्होंने बताया कि सचिन का किसी युवती से प्रेम प्रसंग था. वह मोबाइल पर उसी युवती से बात करता रहता था. 9 जनवरी की शाम को सवा 7 बजे किसी के फोन करने के बाद ही वह घर से निकल गया था.

इस के बाद रजनीकांत की लिखित तहरीर के आधार पर इंसपेक्टर राजकरन शर्मा ने अज्ञात के विरुद्ध भादंवि की धारा 302 के तहत मुकदमा दर्ज करा दिया.

सर्वप्रथम इंसपेक्टर शर्मा ने सचिन के मोबाइल नंबर की काल डिटेल्स निकलवाई तो जिस नंबर से आखिरी काल की गई थी, उस के बारे में पता किया गया. वह नंबर सुरसा कस्बे में शराब ठेके के पीछे रहने वाले हीरालाल का निकला. लेकिन उस नंबर की लोकेशन जो हमेशा रहती थी, वह सथरी गांव की थी.

इंसपेक्टर शर्मा ने 13 जनवरी को हीरालाल को सथरी गांव के पास से हिरासत में ले कर कड़ाई से पूछताछ की तो उस ने अपनी प्रेमिका सोनिका और दोस्त पंकज निवासी गांव चमरौधा थाना सुरसा के साथ मिल कर सचिन की हत्या करने का जुर्म स्वीकार कर लिया. उस ने सचिन की हत्या के पीछे की पूरी कहानी सुना दी.

सचिन ममता के घर आताजाता था. इसी आनेजाने के दौरान देह के लोभी सचिन की नजरें ममता की छोटी बहन सोनिका की देह पर भी टिकने लगीं. सोनिका का कच्ची उम्र का यौवन सचिन को अपनी ओर खींचने लगा था.

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अब सचिन की आंखों में ममता के बजाए सोनिका की देह रचीबसी रहती थी, इसलिए ममता को वह कन्नौज उस की मां के पास छोड़ आया. ममता के न होने से घर पर सोनिका ही अकेली रह जाती थी. उस घर में अकेला पा कर एक दिन सचिन ने उसे दबोच लिया.

सचिन की इस हरकत से सोनिका भौचक्की रह गई. वह जानती थी कि सचिन उस की बड़ी बहन का प्रेमी है, इसलिए ऐसी हरकत के बारे में वह सपने में भी नहीं सोच सकती थी, जैसी सचिन ने की थी.

उस ने सचिन को धमकाया कि वह वहां से चला जाए नहीं तो वह शोर मचा देगी. सोनिका के चिल्लाने की आवाज से आसपास के लोग आ सकते थे, इसलिए सचिन ने उस समय वहां से जाने में ही भलाई समझी. लेकिन वह उस दिन के बाद से सोनिका पर बारबार नाजायज संबंध बनाने के लिए दबाव बनाने लगा.

जुलाई, 2019 में सचिन लखनऊ गया तो वाहन चैकिंग के दौरान उस ने अपने 2 साथियों के साथ भागते समय पुलिस पर गोली चला दी, जिस पर इंटौजा थाने में मुकदमा दर्ज हुआ और इंटौजा पुलिस ने सचिन को उस के एक साथी के साथ गिरफ्तार कर के जेल भेज दिया. दिसंबर में वह जेल से छूटा और हरदोई में अपने गांव आ गया.

जेल से छूट कर आने के बाद वह फिर से सोनिका पर दबाव बनाने लगा. जब सोनिका ने देखा कि सचिन उस का पीछा नहीं छोड़ रहा है तो उस ने यह बात अपने प्रेमी हीरालाल को बताई. 20 वर्षीय हीरालाल सुरसा कस्बे में शराब के ठेके के पीछे रहता था. वह 3 भाइयों में सब से छोटा था और अविवाहित था. उस के दोनों बड़े भाइयों अनिल और छोटू का विवाह हो चुका था.

हीरालाल ने सोनिका को एक मोबाइल और अपनी आईडी पर एक सिमकार्ड खरीद कर दिया था. सोनिका उसी फोन से हीरालाल से बातें करती थी.

उस ने जब बताया कि सचिन उस पर नाजायज संबंध बनाने का दबाव बना रहा है और समझाने से भी नहीं मान रहा तो हीरालाल ने उस को सबक सिखाने के लिए उस की हत्या करने का निर्णय कर लिया.

सोनिका से उस ने बताया तो वह उस का साथ देने को तैयार हो गई. सचिन की हत्या में साथ देने के लिए हीरालाल ने अपने हमउम्र दोस्त पंकज से बात की तो दोस्ती की खातिर वह हीरालाल का साथ देने के लिए तैयार हो गया. तीनों ने मिल कर सचिन की हत्या की योजना बनाई.

योजनानुसार, 9 जनवरी को शाम सवा 7 बजे सोनिका ने अपने मोबाइल से सचिन को फोन कर के मिलने के लिए बुलाया. उस के बुलावे पर सचिन तुरंत बाइक उठा कर घर से चल दिया. गांव के बाहर निकलते ही उसे हीरालाल और पंकज मिल गए. हीरालाल ने सचिन से उन दोनों को सुरसा छोड़ देने को कहा तो सचिन तैयार हो गया. सचिन बाइक पर दोनों को बैठा कर चल दिया.

सुनसान जगह पा कर हीरालाल ने ओदरा गांव के पास बाइक रुकवा ली. हीरालाल ने उतरते ही साथ लाए चाकू से सचिन पर ताबड़तोड़ कई वार कर दिए. सचिन ने हाथपैर चलाने की कोशिश की तो पंकज ने उसे दबोच लिया. हीरालाल ने सचिन का गला चाकू से रेत दिया, जिस से सचिन की मौत हो गई.

दोनों ने उस की लाश सड़क किनारे खाई में डाल दी और उस की बाइक को एक पेड़ के पीछे खड़ा कर दिया. बाइक की बैटरी, हेलमेट, बाइक की आरसी और सचिन का पर्स पैंट से निकाल कर अपने साथ ले गए. एक जगह उन्होंने आरसी टुकड़ेटुकड़े कर के फेंक दी.

इंसपेक्टर राजकरन शर्मा ने अभियुक्तों से पूछताछ के बाद उन की निशानदेही पर हत्या में प्रयुक्त चाकू, बाइक की बैटरी, हेलमेट, आरसी के टुकडे़ व सचिन का पर्स बरामद कर लिया. इस के साथ ही मुकदमे में धारा 120बी और बढ़ा दी गई.

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आवश्यक कानूनी लिखापढ़ी कर के पुलिस ने सोनिका, हीरालाल और पंकज को सीजेएम की अदालत में पेश करने के बाद न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेज दिया.

– कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित. कथा में ममता और सोनिका नाम परिवर्तित हैं.

औरत सिर्फ एक देह नहीं : भाग 1

बहादुर सीधे सरल स्वभाव का था. वह सिर्फ अपने काम से काम रखता था. ऐसे व्यक्ति का सीधापन कभीकभी उस के लिए ही घातक साबित हो जाता है. बहादुर जैसा था, उस की पत्नी शीला ठीक उस के विपरीत थी. वह काफी तेज और महत्त्वाकांक्षी थी. लेकिन उस की शादी चूंकि बहादुर के साथ हुई थी, इसलिए वह मजबूरी में उस का साथ निभा रही थी.

लेकिन एक दिन शीला को मनमाफिक साथी मिला तो वह दोनों बेटियों को पति बहादुर के पास छोड़ कर उस के साथ चली गई और उस के साथ विवाह कर के कन्नौज में रहने लगी. यह करीब 10 साल पहले की बात है.

बहादुर शीला के जाने से काफी दुखी हुआ, लेकिन वह कुछ नहीं कर पाया. शीला अपनी दोनों बेटियों से भी बेहद प्यार करती थी, इसलिए दूसरा विवाह करने के बाद भी वह फोन पर दोनों बेटियों के संपर्क में रहती थी.

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बहादुर की दोनों बेटियों ममता और सोनिका ने गांव के ही स्कूल से प्रारंभिक शिक्षा ग्रहण की थी. इस के बाद गांव के पास ही एक कालेज में ममता इंटरमीडिएट में तो सोनिका हाईस्कूल में पढ़ रही थी. बिन मां के सीधे पिता के संरक्षण में पल रही दोनों बहनें अपनी मरजी से जिंदगी जी रही थीं. उन पर पिता का कोई अंकुश नहीं था. दोनों बहनें जवानी की दहलीज पर कदम रख चुकी थीं.

सुरसा थाना क्षेत्र के ही इच्छनापुर गांव में रजनीकांत पांडेय रहते थे. उन के परिवार में भी उन की पत्नी विभा के अलावा 2 बेटियां और एकलौता बेटा सचिन था.

करीब 10 साल पहले विभा भी अपनी दोनों बेटियों के साथ पति का घर छोड़ कर लखनऊ रहने चली गई थी. बाद में रजनीकांत और विभा के बीच का विवाद कोर्ट तक पहुंच गया, जोकि अभी तक कोर्ट में लंबित है. सचिन जो अपने पिता के साथ ही रहता था, अपनी मां से मिलने लखनऊ जाता रहता था.

सचिन पांडेय ने हाईस्कूल पास करने के बाद पढ़ाई छोड़ दी थी. वह अपनी बाइक पर घूमते हुए आवारागर्दी करता था. एक दिन वह पड़ोस के गांव सथरी गया, जहां उस का दोस्त रहता था. उस समय हलकीहलकी बरसात हो रही थी, सड़क सुनसान पड़ी थी. तभी सचिन की नजर एक युवती पर पड़ी, जो पिट्ठू बैग लटकाए बारिश में भीगती हुई जा रही थी. उस ने कालेज की ड्रैस पहन रखी थी. सचिन समझ गया कि वह कालेज से छुट्टी के बाद घर लौट रही है.

सचिन ने उस लड़की को देख कर पलभर के लिए कुछ सोचा, फिर लंबेलंबे कदमों से उसी ओर बढ़ने लगा. वह उस लड़की के एकदम करीब पहुंच कर बोला, ‘‘तुम भीगते हुए क्यों जा रही हो? अगर चाहो तो छतरी के अंदर आ जाओ. मैं तुम्हें घर तक छोड़ देता हूं.’’

लड़की ने पलभर के लिए उस की ओर देखा. फिर मुसकराते हुए बोली, ‘‘मैं तो पूरी तरह भीग चुकी हूं, देखो. अब छतरी में घुसने का क्या फायदा?’’

वास्तव में लड़की पूरी तरह भीग चुकी थी. कपड़े भीग कर उस के बदन से चिपक गए थे. सचिन ने जब उस का भीगा शारीरिक सौंदर्य देखा तो उसे पाने के लिए मचल उठा. वह उसे समझाते हुए बोला, ‘‘यह बरसात का पानी है, ज्यादा भीगोगी तो बीमार पड़ सकती हो.’’

युवती ने एक पल उसे देख कर सोचा, फिर झट से छतरी के नीचे आ गई.

वह युवती कोई और नहीं ममता थी. सचिन उसे जानता तो था लेकिन उसे उस का नाम नहीं पता था. कुछ दूरी तय करने के बाद ममता का घर आ गया. वह बोली, ‘‘धन्यवाद, मुझे यहीं छोड़ दीजिए.’’

सचिन उसे घर के चबूतरे पर छोड़ आया. वह चबूतरे पर खड़ी हो कर अपने बालों को झाड़ने लगी.

उस रात खाना खाने के बाद सचिन जब बिस्तर पर लेटा तो हजार कोशिशों के बाद भी उसे नींद नहीं आई. उस की आंखों के सामने ममता का भीगा हुआ शरीर घूमता रहा.

2-3 दिनों तक वह ममता की यादों में खोया रहा. ममता की एक झलक पाने का निश्चय कर के वह शाम को बाइक ले कर घर से निकल गया.

ममता उस की हालत से अनजान अपनी सहेली से हंसीमजाक करते हुए कालेज से घर की तरफ आ रही थी. सचिन की नजर उस पर पड़ी तो वह उन दोनों से थोड़ा आगे हो कर बाइक चलाते हुए बारबार पलट कर ममता की ओर देखने लगा.

ममता इस से अनजान अपनी बातों में मशगूल हो कर आगे बढ़ती रही थी. लेकिन उस की सहेली को उस की इस हरकत का अंदाजा हो चुका था. वह ममता से बोली, ‘‘ममता देखो, वह लड़का बारबार पलट कर हमारी ओर देख रहा है. क्या तुम उसे जानती हो?’’

सचिन बाइक पर बैठे पलटा तो ममता ने उसे पहचान लिया. ममता उसे देख कर मुसकराई तो वह हड़बड़ा गया. उस की बाइक का संतुलन बिगड़ गया और वह बाइक समेत नीचे गिर गया.

यह देख कर ममता की सहेली ठहाका मार कर हंसने लगी तो ममता ने उसे डांटा दिया.

‘‘तू बड़ी तरफदारी कर रही है उस की. उसे जानती है क्या?’’ सहेली ने कहा.

‘‘हां, उस का नाम सचिन है और पड़ोस के गांव इच्छनापुर में रहता है. 2 दिन पहले ही उस ने मुझे अपनी छतरी में ढक कर घर तक छोड़ा था.’’

‘‘फिर तो वह पक्का तुझे ही देख रहा था और इसी वजह से बेचारा चारों खाने चित गिर गया.’’ सहेली बोली.

‘‘तुम इतने विश्वास के साथ कैसे कह रही हो कि वह मुझे ही देख रहा था?’’

‘‘सीधी सी बात है, मैं तो उसे जानती तक नहीं.’’

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अपनी सहेली के इस तर्क से ममता पलभर के लिए कुछ सोचे बिना न रह सकी. तब तक उस की सहेली का घर आ चुका था. वह अपने घर चली गई. ममता अकेली घर पहुंचने तक यही सोचती रही कि सचिन उसे क्यों देख रहा था.

इसी तरह कुछ दिन बीत गए. दोनों के मन में खलबली मची हुई थी. एक प्रेमरोगी बन चुका था तो दूसरा मनोरोगी. एक अपने प्यार का इजहार करना चाह रहा था तो दूसरा अपने मन की उलझन को सुलझाना चाहता था. दोनों के मन में एकदूसरे से मिलने की चाह बढ़ती जा रही थी.

उस दिन शाम का वक्त था. ममता घर का कुछ सामान खरीद कर थैला हाथ में लिए घर की तरफ जा रही थी, तभी उस की नजर सामने से आ रहे सचिन पर पड़ गई. उसे देख कर ममता के शरीर में अजब सी हलचल होने लगी.

वह सचिन के एकदम करीब आ कर बोली, ‘‘मेरी सहेली बोल रही थी कि तुम उस दिन बारबार पलट कर मुझे देख रहे थे?’’

उस का यह अप्रत्याशित प्रश्न सुन कर सचिन एक पल के लिए हड़बड़ा गया. फिर हिम्मत जुटा कर उस ने कहा, ‘‘तुम्हारी सहेली ठीक कह रही थी. मैं बारबार तुम्हें ही देख रहा था.’’

‘‘तुम ऐसा क्यों कर रहे थे?’’

‘‘अगर मैं कहूं कि मैं तुम से प्यार करता हूं तो..?’’ ममता को सचिन से ऐसी उम्मीद कतई नहीं थी. किंतु इन शब्दों ने उसे विस्मय में जरूर डाल दिया. वह एकाएक कुछ बोल नहीं पाई, बल्कि पलभर के लिए अपलक उस की तरफ देखती रही.

‘‘इस तरह की फालतू बातों के लिए मेरे पास वक्त नहीं है.’’ वह बोली.

‘‘अगर मेरा प्यार सच्चा होगा तो तुम्हारे दिल में प्यार का फूल जरूर खिलेगा. मैं मेले में तुम्हारा इंतजार करूंगा. अगर तुम मुझ से मिलने आओगी तो मैं समझ जाऊंगा कि मुझे मेरे सवालों का जवाब मिल गया है.’’ कह कर सचिन तेज कदमों से वहां से चल पड़ा.

ममता अपनी छोटी बहन सोनिका के साथ सोती थी. उस रात ममता को नींद नहीं आ रही थी. सचिन की मुसकान और बातें उस के सामने घूम रही थीं. सच्चाई यह थी कि ममता भी उसे चाहने लगी थी. उसे बेचैन देख कर सोनिका ने उस से पूछा भी था, ‘‘क्या बात है दीदी, नींद नहीं आ रही है?’’

‘‘मेरा मन नहीं लग रहा है.’’ कह कर उस ने करवट बदल ली. कुछ पल के लिए आंखें मूंदी तो सचिन के शब्द उस के कानों में गूंजने लगे. उस का मासूम चेहरा आंखों के सामने घूमने के अलावा जेहन में कई तरह के सवाल पनपने लगे. उसी समय उस ने फैसला कर लिया कि वह सचिन से मिलने जरूर जाएगी.

अगले दिन सजधज कर ममता मेले में गई तो उस ने सचिन को नदी के किनारे इंतजार करते पाया. उसे देखते ही सचिन का चेहरा खिल उठा.

वह तुरंत उस के नजदीक आ कर बोला, ‘‘मुझे मालूम था कि तुम जरूर आओगी.’’

‘‘तुम पर तरस खा कर आ गई. नहीं आती तो कहीं नदी में कूद कर जान दे देते तो बेकार में मेरे सिर पर पाप चढ़ जाता.’’ मंदमंद मुसकराते हुए ममता ने कहा तो सचिन ने उस का हाथ पकड़ कर चूम लिया.

‘‘क्या कर रहे हो, मेरी छोटी बहन भी साथ आई है. उस से बहाना कर के आई हूं. मुझे जल्दी जाना होगा.’’

‘‘थोड़ी देर तो बैठो.’’ सचिन ने उसे बिठाया.

कुछ पल की खामोशी के बाद ममता बोली, ‘‘हम दोनों का प्यार हमारे घर वाले कबूल नहीं करेंगे.’’

‘‘जब हम दोनों को कबूल है तो दुनिया की क्या परवाह करना.’’ सचिन बोला.

‘‘दुनिया की नहीं पर घर वालों की परवाह तो करनी ही पड़ेगी. अच्छा, अब मैं चलती हूं.’’ कह कर वह चली गई.

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इस के बाद अकसर दोनों का मिलनाजुलना शुरू हो गया.

जानें आगे की कहानी अगले भाग में…

औरत सिर्फ एक देह नहीं

प्यार की परिभाषा : भाग 3

अगले दिन 14 फरवरी यानी वैलेंटाइंस डे था. उसे वह दिन याद आ गया, जिस वैलेंटाइन डे को हर्ष ने उसे गुलाब का फूल दे कर अपने दिल की बात कही थी. अपनी कही बात को याद कर के उस का दिल दुखी हो गया.

एकदम से अनुशा के हृदय में हर्ष के लिए प्रेम उमड़ आया. वह रितु की जगह खुद को हर्ष के साथ रख कर सोचने लगी और एकदम से व्यग्र हो उठी. कार्ड देख कर उस की आंखों में आंसू भर आए थे, जिन्हें उस ने रितु से बड़ी होशियारी से छिपा लिया था. उस की समझ में नहीं आ रहा था कि वह अगले दिन का सामना कैसे करेगी.

उस पूरी रात अनुशा हर्ष के बारे में सोचती रही. आंखों में बस हर्ष की यादें तैर रही थीं. वह पूरी रात उस ने नम आंखों में गुजारी. उस का मन हो रहा कि वह हर्ष से माफी मांग कर उसे ‘आई लव यू टू हर्ष’ कह कर उस के सीने पर सिर रख कर खूब रोए. पर अब यह संभव नहीं था. हर्ष तो अब किसी और की अमानत था.

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अनुशा ने रात में ही तय कर लिया कि शादी की तो छोड़ो, वह कल वैलेंटाइंस डे को भी यहां नहीं रहेगी. क्योंकि वह हर्ष को रितु को गुलाब का फूल देते नहीं देख पाएगी. इसलिए उस ने तय कर लिया कि सवेरा होते ही वह मामा के यहां वापस चली जाएगी. अगर वह मम्मीपापा के यहां रही तो उसे शादी में आना पड़ेगा. अब वह हर्ष को किसी और का होता नहीं देख सकती. उठते ही उस ने अपना बैग पैक करना शुरू कर दिया.

अनुशा को बैग पैक करते देख रितु ने आश्चर्य से पूछा, ‘‘अनुशा इस तरह अचानक, क्या हुआ? तुम बैग क्यों पैक कर रही हो? कहीं जा रही हो क्या?’’

‘‘मैं मामा के यहां वापस जा रही हूं. कारण मैं तुम्हें बाद में बताऊंगी.’’ अनुशा ने नम आंखों को पोंछते हुए कहा.

‘‘पर कारण तो मैं अभी जानना चाहूंगी. जब तक कारण नहीं बताओगी, मैं तुम्हें जाने नहीं दूंगी. अब 4-5 दिनों की ही तो बात है.’’ रितु की बातों में अनुशा को रोकने की जिद थी.

‘‘रितु, मुझे माफ करना. मैं अब यहां बिलकुल नहीं रुक सकती.’’ अनुशा भी अपने निर्णय पर अडिग लग रही थी.

‘‘जब तक तुम सहीसही कारण नहीं बता देती, मैं तुम्हें यहां से जाने नहीं दे सकती. मैं कारण जानना चाहती हूं.’’ रितु भी इस तरह अचानक अनुशा द्वारा लिए गए निर्णय के बारे में जानना चाहती थी.

रितु को जिद पर अड़ी देख कर अनुशा ने कहा, ‘‘तो सुनो, मैं भी हर्ष को उतना ही प्रेम करती हूं, जितना तुम. इसलिए मैं हर्ष की शादी तुम्हारे साथ होते देख नहीं सकती. आज वैलेंटाइंस डे है. वह तुम्हें गुलाब दे कर वैलेंटाइन डे मनाएगा, यह भी मुझ से देखा नहीं जाएगा. इसीलिए मैं जा रही हूं.’’

अनुशा की बातें सुन कर रितु जोर से हंसी. उस के बाद अपनी हंसी को रोकते हुए बोली, ‘‘अरे पगली, यही तो मैं तुम्हारे मुंह से सुनना चाहती थी.’’

‘‘मतलब?’’ अनुशा की भौंहें तन गईं.

‘‘अनुशा, मानव की सहज प्रवृत्ति ऐसी है कि जब अपना प्रेमी या प्रेमिका किसी अन्य से प्रेम न करने लगे, तब तक हम उस के प्रेम की कद्र नहीं करते.’’

रितु के होंठों पर अब खुशी उतर आई थी. उस ने अपनी बात को सरल बनाते हुए आगे कहा, ‘‘जैसे मंदगति से चल रहे हृदय को गति देने के लिए शौक देने की जरूरत पड़ती है, उसी तरह सुषुप्तावस्था में रहे तुम्हारे हर्ष के प्रति प्रेम को चेतना में लाने के लिए हमें यह हाई वोल्टेज ड्रामा करना पड़ा.’’

‘‘तो यह सब ड्रामा था?’’ अनुशा हैरानी से रितु को देखती रह गई.

रितु ने अनुशा को हकीकत बताते हुए कहा, ‘‘जब हर्ष ने तुम्हारे सामने प्यार का प्रस्ताव रखा तब शायद वह इस समय की तरह आकर्षक नहीं था. तुम ने उस के बाह्यरूप को देख कर उस के प्रेम को स्वीकार नहीं किया. तब तुम ने उस के सौम्य रूप और हृदय में अनहद प्रेम को नहीं देखा था.

क्या प्रणय की परिभाषा समझाने के लिए किसी का आकर्षक होना जरूरी है. इस पूरी घटना की मैं साक्षी हूं. तुम ने उस के प्रेम को अस्वीकार तो कर दिया, पर हर्ष ने तुम्हारे हृदय में प्रणय का बीज तो रोप ही दिया था, जो तुम्हारे बातव्यवहार से पता चल रहा था. अब मुझे उस बीज को बड़ा वृक्ष बनाना था और मैं उस में कामयाब भी रही.

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‘‘अरे वह पागल तो तुम्हारे मामा के यहां जाने के बाद जीवन से ही हार मान बैठा था. उस के लिए जिंदगी सिर्फ तुम थीं. मुझ से उस की दशा देखी नहीं गई इसलिए मेरे दिमाग में इस योजना ने आकार लिया. सब से पहले हर्ष को मनाया. अरे वह बेवकूफ तो इस नाटक में मेरा हाथ तक पकड़ने को तैयार नहीं था. किसी तरह उसे मनाया.

‘‘इस के बाद हम तुम्हारे मम्मीपापा से मिले. हर्ष उन्हें बहुत पसंद आया. उन्होंने इस संबंध के लिए हामी भर दी. उस के बाद हम ने उन्हें अपनी योजना बताई तो उन्होंने पूरा सहयोग करने का वचन दिया. अब तुम पूरा घटनाक्रम याद करो. तुम एयरपोर्ट पर उतरीं तो मैं ने तुम्हें तुम्हारे घर नहीं जाने दिया, क्योंकि तुम्हारे घर भी शादी की तैयारी चल रही है.

‘‘अगर तुम अपने घर जाती तो मेरी योजना पर पानी फिर जाता. शादी का जोड़ा भी तुम्हारी पसंद का खरीदा, क्योंकि उसे तुम्हें ही पहनना था. रही बात निमंत्रण कार्ड की तो मात्र एक कार्ड में मेरा और हर्ष का नाम लिखा है. बाकी के कार्ड तुम्हारे और हर्ष के नाम छपे हैं.’’

इतना कह कर रितु ने निमंत्रण कार्ड का बंडल ला कर अनुशा के सामने रख दिया.

अनुशा ने जल्दी से बंडल खोल कर निमंत्रण कार्ड देखे, उन में लिखा था, ‘डा. अनुशा वेड्स डा. हर्ष’.

अनुशा की आंखें मारे खुशी के छलक उठीं.

‘‘और सुनो, तुम्हें बैग पैक करते देख मैं ने हर्ष को मैसेज कर दिया था. तुम्हारा वह फिल्मी हीरो तुम्हारे लिए गुलाब का बुके ले कर आ गया है. उसे हीरो बनाने में मेरा दिमाग है समझी.’’

अनुशा ने नम आंखों से रितु को बांहों में भर लिया. थैंक्स या इस तरह का कोई शब्द कहने की जरूरत नहीं थी. क्योंकि अनुशा की आंखों से ही सब व्यक्त हो रहा था.

अनुशा दौड़ती हुई हर्ष के पास पहुंची. वह गुलाब का बुके लिए कार से टेक लगाए खड़ा उसी की राह देख रहा था.

अनुशा ने उस के हाथ से बुके छीन कर उस के सीने से लगते हुए कहा, ‘‘हैप्पी वैलेंटाइंस डे हर्ष. हर्ष मैं ने एक सपना देखा है. शहर के पौश इलाके में नदी के किनारे एक फ्लैट है. उस फ्लैट की गैलरी में शाम को तुम खड़े हो और मैं तुम्हारे लिए कौफी बना रही हूं. क्या तुम रोज उस तरह अपने लिए कौफी बनाने का मौका दोगे? आई लव यू हर्ष.’’

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हर्ष के दोनों हाथों ने अनुशा को जकड़ लिया था. अब मुंह से कुछ भी कहने की जरूरत नहीं रह गई थी.

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