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इस के बाद विश्वनाथ उसे भद्दीभद्दी गालियां देने लगे.
‘‘मुझे अपने बच्चों के भविष्य के बारे में सोचना है, दूसरों से क्या मतलब. तुम शराब पीना और मारपीट करना बंद नहीं करोगे, मैं अच्छी तरह जानती हूं. तुम कभी नहीं सुधर सकते.’’
यह सुन कर विश्वनाथ शर्मा ने बेल्ट से लता की और पिटाई की. वह चीखनेचिल्लाने लगी. लेकिन विश्वनाथ को उस पर जरा भी दया नहीं आई. उसी दिन वमसी लता के मन में पहली बार यह बात आई थी कि क्यों न वह अपने पति को जहर दे कर मार डाले. जब तक वह जिंदा रहेगा उसे सुखचैन की सांस नहीं लेने देगा.
रक्तरंजित विश्वनाथ
उस के पास पति से मुक्ति का इस के अलावा कोई रास्ता नहीं था. उस के पास पैसों की कमी नहीं थी, अच्छा बैंक बैलेंस, सोनाचांदी व जवाहरात सब कुछ था. साथ ही हर माह मकान का अच्छाखासा किराया भी मिलता था. अगर पति की आकस्मित मृत्यु हो जाती, तो उसे नेवी से अच्छीखासी रकम भी मिलने की उम्मीद थी.
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20 जुलाई, 2019 की सुबह सीमा बाथरूम जाने के लिए उठी तो पिता विश्वनाथ शर्मा के कमरे से कराहने की आवाज आई. आवाज में पीड़ा थी, फलस्वरूप सीमा के पांव खुदबखुद पिता के कमरे की ओर बढ़ गए. कमरे के अंदर जा कर उस ने जैसे ही लाइट औन की. उस की आंखें फटी रह गईं. मुंह से जोरों की चीख निकल गई.
विश्वनाथ शर्मा खून से लथपथ कराह रहे थे. उसे कुछ समझ नहीं आया तो वह उल्टे पांव मां के कमरे में पहुंची और चिल्ला कर मां को जगाया.
मां आंखें मलते हुए उठी तो सीमा घबराए स्वर में बोली, ‘‘मां…पापा…’’ सीमा के मुंह से आवाज नहीं निकल रही थी.
कुसुमलता ने घबराई हुई सीमा को देखा तो पूछा, ‘‘क्या हुआ बेटा?’’
‘‘मां…पापा… खून?’’ सीमा ने हकलाते हुए कहा तो वमसी लता झटके से उठ कर पति के कमरे की तरफ भागी. पीछेपीछे सीमा और राजेश भी थे. वहां का दृश्य देख कर लता दहाड़ मार कर रोने लगी. बच्चे भी रोने लगे. रोने की आवाज सुन कर आसपास के लोग आ गए.
के. विश्वनाथ का चेहरा बुरी तरह कुचला हुआ था. चादर कपड़े सब रक्तरंजित. पड़ोसियों की मदद से विश्वनाथ को अस्पताल पहुंचाया गया. विश्वनाथ शर्मा का चेहरा कुचल दिया गया था. मुंह से सिर्फ कराहने की आवाज आ रही थी. अस्पताल पहुंचने तक वह जीवित थे, वहां जा कर उन की मृत्यु हो गई. अस्पताल प्रबंधन ने वमसी कुसुमलता से के. विश्वनाथ के संदर्भ में आवश्यक जानकारी प्राप्त की. मामला प्रथमदृष्टया संदिग्ध नजर आ रहा था. इसलिए प्रबंधन ने घटना की जानकारी पुलिस अधिकारियों को दे दी. जब पुलिस अस्पताल पहुंची तो के. विश्वनाथ की पत्नी और बच्चे वहीं थे.
गुढि़यारी थाने के थानाप्रभारी सुशांतो बनर्जी ने अस्पताल पहुंच कर सबसे पहले मृतक के बारे में वमसी लता का बयान लिया. अपने बयान में उस ने बताया कि उस के पति विश्वनाथ मर्चेंट नेवी में इंजीनियर थे और छुट्टी पर घर आए हुए थे.
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उस ने सुबहसुबह उन्हें उन के कमरे में खून से लथपथ देखा तो उस के होश उड़ गए, पता नहीं कौन घर में घुस आया और उन्हें बुरी तरह घायल कर के चला गया. दोनों बच्चों राजेश व सीमा ने भी यही बात बताई.
सुशांतो बनर्जी ने वमसी लता के साथ आए अन्य लोगों का भी बयान लिया. इस के बाद उन्होंने एसएसपी आरिफ शेख, एडिशनल एसपी प्रफुल्ल ठाकुर, एसपी (सिटी) अभिषेक माहेश्वरी को इस वारदात के बारे में बता दिया.
अधिकारियों के आने के बाद जब मुआयना और लिखापढ़ी हो गई तो थाना गुढि़यारी पुलिस ने विश्वनाथ की लाश पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दी.
मामला मर्चेंट नेवी के इंजीनियर की हत्या का था. इसलिए अधिकारियों ने अतिरिक्त सतर्कता बरतते हुए केस की जांच के लिए क्राइम ब्रांच की एक टीम गठित कर के जांच शुरू करा दी. थानाप्रभारी सुशांतो बनर्जी और एडिशनल एसपी प्रफुल्ल ठाकुर ने एक बार फिर घटनास्थल का मुआयना किया.
आसपास के लोगों से बातचीत की गई तो इस घटना की सच्चाई प्याज के छिलके की तरह परतदर परत खुल कर सामने आने लगी. पता चला कि पतिपत्नी के बीच सब कुछ ठीकठाक नहीं था.
दोनों की अनबन पासपड़ोस के लोगों से छिपी नहीं थी. थोड़ी सी पड़ताल में यह जानकारी भी मिली कि वमसी लता ने पति के खिलाफ गुढि़यारी थाने में 4 बार मारपीट की रिपोर्ट लिखाई थी.
वमसी लता को थाने ले जा कर जब एडिशनल एसपी प्रफुल्ल ठाकुर और थानाप्रभारी सुशांत बनर्जी ने उस से सख्ती से पूछताछ की तो वह फूटफूट कर रोने लगी. लेकिन पति के. विश्वनाथ शर्मा की मौत के बारे में कुछ भी जानने से इनकार करती रही. बाद में जब पुलिस ने लता के मोबाइल नंबर की काल डिटेल्स निकलवाई तो एक चौंकाने वाली बात सामने आई.
घटना की रात 2 बजे उस के मोबाइल पर एक काल आई थी. पुलिस ने पता लगाया तो नंबर के. विश्वनाथ शर्मा और वमसी कुसुमलता के किराएदार लवकुश शुक्ला का निकला. पुलिस लवकुश को पकड़ कर थाने ले आई. थाने पहुंच कर वह सूखे पत्ते की तरह थरथर कांपने लगा. पुलिस की थोड़ी सी सख्ती पर उस ने के. विश्वनाथ शर्मा की हत्या का सारा राज खोल दिया.
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लवकुश के बताने पर अविनाश को भी पकड़ लिया गया. वह लवकुश के यहां नौकरी करता था. पूछताछ में उस ने स्वयं ही विश्वनाथ की हत्या करने की बात मान ली. इस के बाद पुलिस के सामने जो कहानी आई, उस का लब्बोलुवाब यह था.
लवकुश शुक्ला और अविनाश यादव मूलत: उत्तर प्रदेश के निवासी थे. लवकुश काफी समय से के. विश्वनाथ शर्मा और उन की पत्नी को जानता था. वह शर्मा दंपति के पंडरी स्थित दुबे नगर के मकान में बतौर किराएदार रहता था. शुक्ला जिंदगी में कुछ कर गुजरना चाहता था. उस की इच्छा थी कि वह फिल्मों में अभिनय करे.
शुक्ला पुणे स्थित फिल्म इंस्टीट्यूट भी गया था ताकि वहां एडमिशन ले कर अभिनय की बारीकियां सीख सके. लेकिन वहां एडमिशन के लिए उसे 5 लाख रुपयों की जरूरत थी. इसी दरम्यान एक दिन मकान मालिक वमसी लता को उस ने अपनी समस्या बताई और भाग्य का रोना भी रोया.
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कहानी सौजन्य-मनोहर कहानियां