चेन्नई के वेल्लाचीरी के बहुचर्चित प्रिंस शांता कुमार हत्याकांड की गवाही पूरी हो चुकी थी. 29 मार्च, 2019 को सुप्रीम कोर्ट का फैसला भी आ गया. सुप्रीम कोर्ट ने चेन्नई हाईकोर्ट का फैसला बरकरार रखा. साथ ही आदेश दिया कि प्रिंस शांताकुमार के हत्यारे पी. राजगोपाल, डेनियल, कार्मेगन, हुसैन, काशी विश्वनाथन और पट्टू रंगन को 7 जुलाई, 2019 तक कोर्ट में सरेंडर करना होगा.

दरअसल, 19 मार्च, 2009 को चेन्नई हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति बानुमति और जस्टिस पी.के. मिश्रा की बेंच ने प्रिंस शांताकुमार की हत्या और हत्या की साजिश करार देते हुए इस केस के सभी दोषियों को उम्रकैद में तब्दील कर दिया था. साथ ही हत्याकांड के मुख्य आरोपी और डोसा किंग के नाम से मशहूर पी. राजगोपाल पर 55 लाख रुपए का जुरमाना भी लगाया था, जिस में से 50 लाख रुपए मृतक की पत्नी जीवज्योति को दिए जाने थे. शेष रकम कोर्ट में जमा करानी थी.

हाईकोर्ट ने जब पी. राजगोपाल और उस के साथियों को उम्रकैद की सजा सुनाई तो पी. राजगोपाल ने इस के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उस की याचिका सिरे से खारिज कर दी और हाईकोर्ट की सजा को बरकरार रखते हुए 7 जुलाई, 2019 तक हाईकोर्ट, चेन्नई में सरेंडर करने का आदेश दिया था.

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पी. राजगोपाल ने घाटघाट का पानी पी रखा था. उस ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश को ठेंगा दिखाते हुए एक चाल चली. सरेंडर करने की आखिरी तारीख से 3 दिन पहले यानी 4 जुलाई, 2019 को पी. राजगोपाल नाटकीय ढंग से तमिलनाडु के वाडापलानी स्थित विजया अस्पताल में जा कर भरती हो गया.

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