एक औरत : भाग 2 – आतिश के परिवार का खात्मा

उस समय घर के सभी लोग ठीकठाक थे. जब वह पौने 4 बजे बैंक से घर लौटा तो उसे घर का दरवाजा भिड़ा हुआ मिला, घर में सभी लोगों की लहूलुहान लाशें पड़ी थीं. कहतेकहते आतिश रोने लगा.

मामला गंभीर जरूर था, लेकिन पुलिस अधिकारियों को इस बात की संभावना नजर आ रही थी कि इस केस में ऐसा कोई व्यक्ति शामिल था, जिस के इस परिवार से नजदीकी संबंध थे. प्रारंभिक पूछताछ के बाद पुलिस ने चारों शव पोस्टमार्टम के लिए भेज दिए.

हत्या के इस मामले को सुलझाने के लिए एसएसपी सत्यार्थ पंकज ने सीओ बृजनारायण सिंह की अगुवाई में कई पुलिस टीमों को लगा दिया. सभी पुलिस टीमें अलगअलग ऐंगल से केस की तह में पहुंचने की कोशिश में जुट गई.

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एक पुलिस टीम क्षेत्र में स्थित मोबाइल फोन टावर के संपर्क में आने वाले फोन नंबरों (डंप डाटा) को खंगालने में लगी थी तो दूसरी टीम तुलसीदास केसरवानी के घर के बाहर और रास्ते में लगे सीसीटीवी कैमरों के फुटेज देखने में लगी थी. मृतकों के घर के बाहर भी सीसीटीवी कैमरा लगा था, लेकिन जांच में पता चला कि वह कैमरा पहले से ही खराब था.

सीओ बृजनारायण सिंह अब यह पता लगाने में जुट गए कि केसरवानी परिवार के यहां किनकिन लोगों का आनाजाना था और उन के ऐसे कौनकौन नजदीकी रिश्तेदार या संबंधी हैं, जिन का उन के यहां आनाजाना था.

यह सब जानने के लिए उन्होंने आशीष उर्फ आतिश को कोतवाली बुलवाया. पुलिस की एक टीम को लोगों से बातचीत कर के जानकारी मिली थी कि शादीशुदा आतिश के एक महिला के साथ प्रेम संबंध हैं, जिस की वजह से उस के घर में अकसर झगड़ा होता था.

पुलिस के लिए यह जानकारी महत्त्वपूर्ण थी. पुलिस को इस बिंदु पर भी आतिश से बात करनी थी. सीओ बृजनारायण सिंह ने आतिश से सब से पहले पूछा कि उस की या उस के पिता की किसी से कोई दुश्मनी तो नहीं थी.

आतिश ने किसी से रंजिश होने की बात से इनकार कर दिया. इस के बाद उन्होंने आतिश से उन रिश्तेदारों, दोस्तों या संबंधियों के बारे में पूछा जो उस के घर आतेजाते थे. आतिश ने उन सभी के नाम लिखवा दिए.

यह जानकारी लेने के बाद सीओ साहब ने आतिश से उस महिला के बारे में पूछा, जिस के साथ उस के प्रेम संबंध थे. यह सुनते ही आतिश के चेहरे का रंग उड़ गया. वह संभलते हुए बोला, ‘‘सर, मेरी तो शादी हो चुकी थी, पत्नी प्रियंका के होते मैं यह सब कैसे कर सकता था?’’

‘‘क्या शादीशुदा पुरुषों के किसी दूसरी महिला के साथ संबंध नहीं होते?’’ सीओ साहब ने पूछा.

‘‘सर, होते होंगे, लेकिन मैं ऐसा नहीं हूं.’’ आतिश बोला.

‘‘जब ऐसी बात नहीं थी तो तुम्हारी पत्नी और मातापिता के साथ तुम्हारा किस बात को ले कर झगड़ा होता था?’’ सीओ बृजनारायण सिंह ने उस से पूछा.

‘‘सर, घरेलू बातों को ले कर कभीकभी कहासुनी हो जाती थी.’’ आतिश ने सफाई दी.

‘‘आतिश, तुम झूठ बोल रहे हो. बात घरेलू नहीं बल्कि उस औरत और तुम्हारे संबंधों की ही थी. जिस की वजह से तुम ने कई बार अपने मातापिता और पत्नी की पिटाई तक कर दी थी. तुम बात को छिपाने की कोशिश मत करो, हमें सच्चाई बता दोगे तो सही रहेगा वरना हमें दूसरा तरीका अपनाना पड़ेगा.’’ सीओ साहब ने तल्खी से कहा.

सख्ती की बात सुन कर आतिश को लगा कि अब उस का झूठ ज्यादा देर तक नहीं चलेगा. उस की आंखों में आंसू छलक आए. वह सीओ साहब के सामने हाथ जोड़ कर गिड़गिड़ाते हुए बोला, ‘‘सर, मुझे माफ कर दो. मुझ से बहुत बड़ी गलती हो गई. मेरी मति मारी गई थी, जो अपने ही घर वालों का दुश्मन बन बैठा.’’

सीओ बृजनारायण सिंह ने उसे तसल्ली देते हुए कहा, ‘‘कभीकभी इंसान अपने स्वार्थ में इतना अंधा हो जाता है कि अपनों का ही अहित कर बैठता है. तुम तो पढ़ेलिखे, अच्छे बिजनैसमैन हो तो फिर यह सब कैसे हो गया?’’

‘‘सर, मातापिता, बहन और पत्नी की हत्या का जिम्मेदार मैं खुद ही हूं. मैं ने 8 लाख रुपए की सुपारी दे कर उन की हत्या कराई थी.’’ आतिश ने बताया.

आतिश से पूछताछ के बाद रिश्तों का कत्ल करने की एक ऐसी कहानी सामने आई, जो दिल को झकझोर देने वाली थी—

तुलसीदास केसरवानी अपने परिवार के साथ प्रयागराज की पौश कालोनी प्रीतम नगर में रहते थे. तुलसीदास केसरवानी मूलरूप से कौशांबी जिले के मंझनपुर के रहने वाले थे. सालों पहले वह प्रयागराज आ कर बस गए थे.

उन के परिवार में पत्नी किरण के अलावा एक बेटा आशीष उर्फ आतिश और एक बेटी नीहारिका उर्फ गुडि़या थी. तुलसीदास केसरवानी ने अपने घर में ही अपनी बेटी के नाम पर गुडि़या इलैक्ट्रिकल्स की दुकान खोल ली थी. उन की बिजली के उपकरण बेचने की काफी बड़ी दुकान थी. उन की यह दुकान कालोनी में होने के बावजूद अच्छी चलती थी. दुकान की आमदनी से न केवल उन का घर ठीक से चल रहा था, बल्कि दोनों बच्चों को भी पढ़ायालिखाया.

बेटा आतिश ग्रैजुएशन करने के बाद पिता के साथ दुकान पर बैठने लगा था. तुलसीदास धीरेधीरे दुकान की जिम्मेदारी आतिश को ही सौंपने लगे थे. उन्होंने अपनी दुकान पर काम करने के लिए अनुज नाम के एक युवक को नौकरी पर रख लिया था.

करीब 4 साल पहले आतिश ने शहर की ही प्रियंका से लवमैरिज कर ली थी. पिता तुलसीदास केसरवानी पुराने विचारों के थे. वह मन में एकलौते बेटे की शादी के सपने संजोए थे, लेकिन जब बेटे ने प्रियंका को चुन लिया तो उन्होंने उसे ही बहू स्वीकार कर लिया.

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प्रियंका ने भी अपने व्यवहार से ससुराल के सभी लोगों के दिलों में जगह बना ली. नीहारिका वैसे तो प्रियंका की ननद थी लेकिन उन दोनों की आपस में फ्रैंड की तरह अच्छी पटती थी.

सब कुछ ठीकठाक चल रहा था, लेकिन करीब 6 महीने पहले मोनिका (परिवर्तित)  नाम की एक महिला आतिश के जीवन में ऐसी आई कि केसरवानी परिवार में हलचल मच गई.

दरअसल, धूमनगंज की रहने वाली मोनिका आतिश के घर में घरेलू काम करने आती थी. उस का विकलांग पति सरकारी नौकरी करता था लेकिन एक फरजीवाड़े के आरोप में वह बरखास्त हो गया था. इस के बाद उस के घर में आर्थिक समस्या खड़ी हो गई थी.

कुछ दिनों तक तो पतिपत्नी अपनी जमापूंजी से घर का खर्च चलाते रहे. इस के बाद उन्होंने लोगों से पैसे उधार ले कर काम चलाया. चूंकि मोनिका का पति विकलांग था, इसलिए वह कोई दूसरा मेहनत का काम नहीं कर सकता था. इसलिए जब भूखों मरने की नौबत आ गई तो मोनिका ने ही काम करने के लिए घर से बाहर कदम रखे.

वह घरों में काम करने लगी. इसी दौरान तुलसीदास केसरवानी की पत्नी किरण ने दया दिखाते हुए मोनिका को अपने यहां घर के काम करने के लिए रख लिया.

मोनिका खूबसूरत होने के साथसाथ घर के काम करने में होशियार थी. इसलिए केसरवानी परिवार में मोनिका को हमदर्दी भरा प्यार मिला, इस से वह केसरवानी परिवार के सभी सदस्यों से घुलमिल गई.

मोनिका जवान व हंसमुख थी. आतिश को उस का हंसमुख होना पसंद था. मोनिका की इसी आदत ने आतिश के दिल में जगह बना ली. यानी शादीशुदा होते हुए भी उस का झुकाव मोनिका की तरफ हो गया. वह समयसमय पर उसे आर्थिक सहयोग भी देने लगा. इस का नतीजा यह हुआ कि दोनों बहुत जल्दी ही एकदूसरे के करीब आ गए. फिर एक दिन ऐसा भी आया, जब दोनों ने अपनेअपने जीवनसाथियों को धोखा दे कर हसरतें पूरी कर लीं.

जानें आगे क्या हुआ अगले भाग में…

एक औरत : भाग 1 – आतिश के परिवार का खात्मा

कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया को नाच नचा दिया. इस वायरस से मरने वालों की संख्या लाखों तक पहुंच गई. कोई दवा न होने से इस का एक ही इलाज था लौकडाउन. जब पूरे देश में लौकडाउन का तीसरा चरण चल रहा था, तब प्रयागराज (इलाहाबाद) के लोग भी घरों में बंद रहने को मजबूर थे.

प्रयागराज की कोतवाली धूमनगंज के क्षेत्र में एक पौश कालोनी है प्रीतम नगर. आतिश का घर इसी कालोनी में था. शहर में भले ही लौकडाउन था, लेकिन लोगों की सुविधा के लिए बैंक खुल रही थीं.

14 मई को आतिश को मकान की किस्त जमा कराने कटरा स्थित अपने बैंक जाना था. किस्त जमा कराने के लिए वह डेढ़ बजे घर से निकल गया.

किस्त जमा कर के आतिश अपराह्न पौने 4 बजे घर लौटा तो घर का मुख्य दरवाजा बंद था. उस ने दरवाजे को हलके से धक्का दिया तो वह खुल गया. घर के अंदर से किसी के बोलनेबतियाने की आवाज नहीं आ रही थी. आतिश अपनी मां को आवाज लगाते हुए मकान में दाखिल हुआ तो उस की चीख निकल गई. अंदर उस के पिता तुलसीदास केसरवानी, मां किरण और बहन नीहारिका की रक्तरंजित लाशें पड़ी थीं.

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घर के 3 लोगों की लाशें देख कर वह चीखचीख कर रोने लगा. उस के रोने की आवाज सुन कर आसपड़ोस के लोग भी वहां आ गए. जब उन्हें पता चला कि किसी ने आतिश के मातापिता और बहन की गला काट कर हत्या कर दी है तो वे आश्चर्यचकित रह गए. लौकडाउन के चलते इतनी बड़ी वारदात हो जाना आश्चर्य की बात थी.

आतिश का रोरो कर बुरा हाल था. वह पड़ोसियों से लिपटलिपट कर रो रहा था. लोग उसे सांत्वना दे रहे थे. मरने वाले 3 जनों के अलावा घर में आतिश की पत्नी प्रियंका भी थी, जो कहीं दिखाई नहीं दे रही थी. पड़ोसियों ने आतिश से जब प्रियंका के बारे में पूछा तो उस ने बताया कि दोपहर डेढ़ बजे जब वह घर से निकला था तो प्रियंका घर में ही थी.

प्रियंका ऊपर की मंजिल पर रहती थी. पड़ोसियों ने सोचा कि प्रियंका अपने कमरे में सो तो नहीं रही, इसलिए पड़ोसी उसे देखने के लिए ऊपर की मंजिल पर गए तो बैडरूम में प्रियंका की भी लाश पड़ी थी. उसका गला रेता गया था. यह देख सभी हैरान रह गए. हत्यारे को घर में जो भी मिला, उस ने मौत के घाट उतार दिया.

इसी दौरान किसी ने फोन से इस घटना की सूचना पुलिस कंट्रोल रूम को दे दी. वह इलाका कोतवाली धूमनगंज के अंतर्गत आता है, इसलिए 4 लोगों की हत्या की सूचना पाते ही कोतवाल पुलिस टीम के साथ घटनास्थल पर पहुंच गए. उन्होंने इस की सूचना विभाग के उच्चाधिकारियों को भी दे दी.

प्रीतम नगर पौश कालोनी थी. लौकडाउन के चलते ऐसी जगह पर एक ही समय में एक ही परिवार के 4 लोगों की हत्या हो जाना पुलिस के लिए चिंता की बात थी. पुलिस जब घटनास्थल पर पहुंची तो कालोनी के तमाम लोग आतिश के घर के बाहर खड़े थे.

कुछ लोग अपने घरों की बालकनी से देख रहे थे. तरहतरह की बातें हो रही थीं. घर के मुखिया 63 वर्षीय तुलसीदास की अपने घर में ही बिजली के उपकरण बेचने की बड़ी दुकान थी. कोतवाल ने पुलिस टीम के साथ घटनास्थल का निरीक्षण किया.

मकान के एक हिस्से में दुकान थी और दूसरे हिस्से से घर के अंदर जाने का रास्ता था. इस का मतलब कातिल घर के रास्ते से ही अंदर घुसे थे. उन्होंने 63 वर्षीय केसरवानी को दुकान की तरफ ले जा कर उन की गला रेत कर हत्या की. वहीं काउंटर की तरफ उन की 60 वर्षीय पत्नी किरण की लाश पड़ी थी और बराबर में उन की 28 वर्षीय बेटी नीहारिका की लाश.

हत्यारों ने मांबेटी की हत्या गला रेत कर की थी. इस के बाद पुलिस ऊपर के कमरे में पहुंची तो वहां आतिश की 27 वर्षीय पत्नी प्रियंका की रक्तरंजित लाश पड़ी मिली. उस का भी गला रेता गया था.

घर की सारी अलमारियां और घर में रखा सारा सामान सुरक्षित था. हत्यारों ने घर के किसी भी सामान को हाथ तक नहीं लगाया था. इस का मतलब था कि हत्यारों का मकसद केवल घर वालों की हत्या करना था.

मामला गंभीर था, इसलिए सूचना पा कर एडीजी प्रेमप्रकाश, आईजी के.पी. सिंह, एसएसपी सत्यार्थ अनिरुद्ध पंकज, एसपी (सिटी) बृजेश श्रीवास्तव और सीओ  (सिविल लाइंस) बृजनारायण सिंह भी आतिश के घर पहुंच गए.

फोरैंसिक टीम और खोजी कुत्ते को भी बुला लिया गया था. घर में खून ही खून फैला हुआ था. अधिकारी भी नहीं समझ पा रहे थे कि जब हत्यारों ने घर में किसी भी सामान को छुआ तक नहीं तो 4-4 लोगों की हत्या का क्या मकसद हो सकता है. खोजी कुत्ता लाशों को सूंघ कर घर से करीब 200 मीटर दूर तक गया और वहां जा कर भटक गया.

फोरैंसिक टीम ने भी घटनास्थल का निरीक्षण करने के बाद सबूत जुटाए. घर में आने का केवल मुख्य दरवाजा ही था. फोरैंसिक टीम और पुलिस अधिकारियों ने दरवाजे का सूक्ष्मता से निरीक्षण किया तो वहां ऐसा कोई सबूत नहीं मिला, जिस से पता चलता कि हत्यारों ने घर में जबरदस्ती प्रवेश किया था. इस का मतलब हत्यारों की घर में फ्रैंडली एंट्री हुई थी.

घर में सीसीटीवी कैमरे लगे थे, लेकिन उन का डीवीआर गायब था. इस का मतलब हत्यारों ने योजनाबद्ध तरीके से वारदात को अंजाम दिया था. हत्यारे कौन थे, यह बात तो जांच के बाद ही पता चल सकती थी. लेकिन कालोनी में जिसे भी इस हत्याकांड का पता चला, वह केसरवानी के घर की ओर चल दिया. लौकडाउन के बावजूद उन के घर के बाहर लोगों का हुजूम जमा हो गया था.

भीड़ को देख कर पुलिस अधिकारियों की आशंका हुई कि भीड़ कोई बवाल खड़ा न कर दे. पुलिस अधिकारियों को आशंका यूं ही नहीं थी, इस का वाजिब कारण था.

दरअसल, करीब ढाई महीने पहले मार्च में शहर के ही सोरांव थाना क्षेत्र में एक ही परिवार में पिता, पुत्र, बहू व पोतेपोती सहित 5 लोगों की हत्या हुई थी. उन का भी गला रेता गया था. उस परिवार में केवल एक ही लड़का बचा था, जो घटना के समय सूरत (गुजरात) में था.

इस के अलावा मई के पहले सप्ताह में एक ही परिवार में पतिपत्नी व बेटी की सोते समय गला रेत कर हत्या कर दी गई थी. इन दोनों वारदातों में अभी तक किसी का भी खुलासा नहीं हुआ था. अब तीसरी वारदात केसरवानी के परिवार में हो गई थी. इसी वजह से लोगों में पुलिस के प्रति गुस्सा बढ़ रहा था.

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भीड़ के संभावित आक्रोश को भांपते हुए एसएसपी सत्यार्थ अनिरुद्ध पंकज ने जिले के अन्य थानों से भी पुलिस फोर्स मंगा ली.

जब कोतवाल शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेजने की तैयारी कर रहे थे, एसएसपी ने पड़ोसियों से पूछा कि उन्होंने किसी के चीखने की आवाज सुनी या नहीं? पड़ोसियों ने बताया कि उन्होंने कोई आवाज नहीं सुनी थी.  इस से उन्होंने अनुमान लगाया कि या तो घर के सभी लोगों को नींद की गोलियां दी गई होंगी या फिर हत्यारों की संख्या अधिक रही होगी, जिस से उन्होंने घर वालों को काबू कर के वारदात को अंजाम दिया होगा.

इस परिवार में अब केवल एक ही सदस्य यानी तुलसीदास केसरवानी का एकलौता बेटा आशीष उर्फ आतिश (32 साल) ही जीवित था. एसएसपी ने आतिश से पूछताछ की तो उस ने बताया कि वह करीब डेढ़ बजे किस्त जमाने करने के लिए कटरा स्थित बैंक गया था.

जानें आगे क्या हुआ अगले भाग में…

एक औरत : आतिश के परिवार का खात्मा

छुटभैये नेतागिरी का अंजाम

राजनीति का नशा आदमी को अर्श से फर्श  व कभी कभी फर्श से अर्श तक पहुंचा देता है. यह तो हमने अक्सर देखा है. मगर छूट भैयेपन की राजनीतिक हवस के कारण कभी-कभी इंसान की हत्या भी हो जाती है, यह भी कम ही देखा गया है.और हत्या भी ऐसी की एक नहीं 6 लोगों ने मिलकर उसे अपने रास्ते से सदा के लिए हटा दिया. क्योंकि वह एक राजनीतिक पार्टी का मोहल्ले का नेता था और अक्सर उन्हें  हलाकान परेशान किया करता था. छत्तीसगढ़ के जिला

बलौदाबाजार थाना अंतर्गत एक ऐसा ही घटनाक्रम घटित हुआ जिसमें एक युवक को मोहल्ले में आतंक और नेताजी वाला रोग भारी पड़ गया. आखिरकार 6 युवकों ने मिलकर उसे हमेशा के लिए अपने रास्ते से हटा दिया. पुलिस ने हत्याकांड का खुलासा करते हुए बताया कि  27 जून शनिवार की रात 8:30 बजे भगवती यादव अपने दोस्त के साथ अपने घर लोहिया नगर के पास मौजूद था. इसी दौरान इकबाल खान और शाहरुख खान अपने चार अन्य दोस्तों के साथ पुरानी रंजिश के चलते चाकू से वार कर भगवती यादव की हत्या कर फरार हो गया.

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देखते देखते घटित घटना के बाद से शहर में लोग आक्रोशित  हो उठे. क्योंकि मामला एक राजनीतिक पार्टी के कार्यकर्ता की नृशंस हत्या का था. शहर का माहौल सर गर्म होता  चला गया. क्योंकि लोगों को एहसास हो चला था कि कानून व्यवस्था की कमजोरी के कारण यह घटना घटी है.

अपमान का लिया-” बदला”

हमारे संवाददाता को बलौदा बाजार पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार भगवती यादव भाजपा का सक्रिय कार्यकर्ता था. और हर एक राजनीतिक गतिविधियों में शिरकत किया करता था. इसी दरमियान राजनीति का मद उस पर ऐसा चढ़ा कि वह लोगों को परेशान करने लगा. यही नहीं बीच चौराहे पर भी छोटी सी किसी बात पर बात का बतंगड़ बनाते हुए लोगों को जलील और अपमानित करता रहता. वह समझता कि वह भाजपा का नेता है उसका कोई क्या कर सकता है. यही कवच उसे और  भी बिगड़ैल बनाता चला गया. घटनाक्रम में नया मोड़ तब आया जब दो युवकों ने उसे मजा चखाने के लिए योजना बनाई और उसे अन्य चार लोगों के साथ मिलकर क्रियान्वित भी  कर दिया.

पुलिस के उच्च अधिकारियों के अनुसार जब मामला तुल पकड़ता चला गया. तब पुलिस  अलग-अलग टीम बनाकर आरोपियों की तलाश में जुट गई.पुलिस ने मामले की जांच करते हुए 7 घंटे के भीतर सभी 6 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया.

आरोपियों ने पुलिस को बताया कि उन्होंने भगवती यादव के ऊपर चाकू से हमला किया . आरोपियों ने बताया कि भगवती यादव द्वारा  हमेशा सार्वजनिक रूप से  आरोपियों के साथ मारपीट और लड़ाई झगड़ा किया  करता  था जिससे वे बेहद अपमानित होते जाते थे. और क्षुब्ध होकर इसी का बदला लेने के लिए भगवती की हत्या कर दी.गिरफ्तार आरोपियों में सभी बलौदाबाजार निवासी इकबाल खान, शाहरुख खान, जावेद रजा, राहुल देवार, रजा और सूरज वैष्णव शामिल है.

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धर दबोचे गए सभी अपराधी

मृतक विश्व हिंदू परिषद एवं बजरंग दल का सक्रिय सदस्य था. बताया जा रहा है कि के युवाओं के एक गुट के साथ उसकी आपसी रंजिश थी जिसकी वजह से  के युवाओं द्वारा बड़ी बेरहमी के साथ घेरकर हत्या कर दी गई. शनिवार देर रात घटित  इस घटना  ने नगर के माहौल को गर्म कर दिया था. और बड़ी तनाव की स्थिति उत्पन्न  कर दी गई थी जिसे स्थानीय प्रशासन ने बड़ी होशियारी से संभाला.

कार्यकर्ता की हत्या के आरोपित शाहरुख खान पिता शेरखान (22), दुर्गा चौक, बलौदाबाजार, इकबाल खान पिता रमजान खान (22) लोहिया नगर वार्ड 17 बलौदाबाजार, राहुल भारती पिता स्व. चंद्रशेखर भारती (22) देवारपारा, भैंसापसरा रोड, बलौदाबाजार, सूरज वैष्णव पिता ओमप्रकाश वैष्णव (20) लोहिया नगर वार्ड 17 बलौदाबाजार, जावेद खान पिता स्व. आबिद अली (22) नयापारा, लोहियानगर बलौदाबाजार, रजा खान पिता रज्जााक खान (23) रिसदा रोड लोहिया नगर, बलौदाबाजार शामिल हैं.

पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ अपराध क्रमांक 402/2020 धारा 302,147,148 149 भादवि के तहत मामला दर्ज  करके उन्हें जेल भेज दिया गया है.

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Best of Crime Stories: प्यार किसी का मौत किसी को

7 मई, 2017 को मध्य प्रदेश के जिला झाबुआ की कोतवाली के प्रभारी आर.सी. भास्करे को हाथीपावा पहाड़ी पर चल रहे श्रमदान में जाना था. वहां एसपी महेशचंद जैन तथा जिलाधिकारी भी आ रहे थे, इसलिए वह समय से वहां पहुंच गए थे.

लेकिन आर.सी. भास्करे जैसे ही वहां पहुंचे, उन्हें किसी ने बताया कि नयागांव और डगरा फलिया के बीच सड़क पर एक लाश पड़ी है, जो नयागांव के रहने वाले तूफान थामोर की है. उस की मोटरसाइकिल भी वहीं पड़ी है. शायद रात को शराब पी कर वह मोटरसाइकिल से घर जा रहा था, तभी उस का एक्सीडेंट हो गया है.

आर.सी. भास्करे ने यह बात एसपी महेशचंद जैन को बताई तो उन्होंने दिशानिर्देश दे कर तुरंत उन्हें घटनास्थल पर पहुंचने को कहा. जब वह घटनास्थल पर पहुंचे तो उन्होंने देखा कि मोटरसाइकिल गिरी पड़ी है. लाश उसी मोटरसाइकिल के नीचे पड़ी थी. उन्होंने गौर से मोटरसाइकिल और लाश का निरीक्षण किया तो उन्हें यह देख कर हैरानी हुई कि न तो मोटरसाइकिल में किसी तरह की टूटफूट हुई थी और न ही मृतक को कहीं चोट लगी थी.

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वहां मोटरसाइकिल के घिसटने का भी कोई निशान नहीं था. जबकि अगर एक्सीडेंट हुआ होता तो मृतक को तो गंभीर चोट आई ही होती, मोटरसाइकिल भी उस के ऊपर गिरने के बजाय कहीं दूर पड़ी होती, साथ ही उस के घिसटने या गिरने के निशान भी होते.

मृतक और मोटरसाइकिल की स्थिति देख कर आर.सी. भास्करे को समझते देर नहीं लगी कि यह हत्या का मामला है. तूफान की हत्या कर के उस के ऊपर मोटरसाइकिल रख कर उसे एक्सीडेंट का रूप देने की कोशिश की गई है. आर.सी. भास्करे ने मृतक के घर सूचना भिजवा दी थी. सूचना पा कर मृतक की पत्नी रेमुबाई रोती हुई आ पहुंची. वह लाश पर सिर पटकपटक कर रो रही थी. पुलिस ने सांत्वना दे कर उसे अलग किया.

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आर.सी. भास्करे लाश और मोटरसाइकिल का निरीक्षण कर रहे थे कि एसपी महेशचंद्र जैन भी आ गए. उन्होंने भी लाश एवं घटनास्थल का निरीक्षण किया. आर.सी. भास्करे ने उन्हें अपने मन की बात बताई तो उन्होंने भी उन की बात का समर्थन किया. एसपी साहब थानाप्रभारी को आवश्यक निर्देश दे कर चले गए.

इस के बाद आर.सी. भास्करे के साथ आए एसआई पी.एस. डामोर, एम.एल. भाटी, एएसआई अनीता तोमर, आरक्षक रामकुमार व गणेश की मदद से घटनास्थल की काररवाई निपटाने लगे. उन्होंने सारी औपचारिकताएं पूरी कर के लाश को पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दिया.

अब तक मृतक की पत्नी रेमुबाई काफी हद तक शांत हो गई थी. आर.सी. भास्करे ने उस से पूछताछ शुरू की तो उस ने बताया कि उस के पति की मौत एक्सीडेंट से हुई है. पुलिस ने जब उस से कहा कि तूफान की मौत एक्सीडेंट से नहीं हुई, किसी ने उस की हत्या की है तो उस ने हैरानी से कहा, ‘‘साहब, मेरे पति की कोई हत्या क्यों करेगा? उन की तो किसी से कोई दुश्मनी भी नहीं थी. आप को गलतफहमी हो रही है. रात में वह रोज शराब पी कर लौटते थे. कल भी शराब पी कर आ रहे होंगे, रास्ते में दुर्घटना हो गई होगी.’’

‘‘जब तुम्हारे पति रात में घर नहीं पहुंचे तो तुम ने उन की खोजखबर नहीं ली?’’ आर.सी. भास्करे ने पूछा.

‘‘साहब, खोजखबर क्या लेती, यह कोई एक दिन की बात थोड़े ही थी. अकसर शराब पी कर वह रात को घर से गायब रहते थे. कल वह घर नहीं पहुंचे तो मैं ने यही समझा कि हमेशा की तरह आज भी कहीं रुक गए होंगे.’’ रेमुबाई ने कहा.

रेमुबाई जिस तरह आत्मविश्वास के साथ पुलिस के सवालों का जवाब दे रही थी, वह भी हैरानी की बात थी. जिस औरत का पति मर गया हो, उस का इस तरह जवाब देना पुलिस को शक में डाल रहा था. क्योंकि इस स्थिति में तो औरत को कुछ कहनेसुनने का होश ही नहीं रहता.

बहरहाल, इस पूछताछ में पता चला था कि मृतक तूफान झाबुआ के बसस्टैंड के पास स्थित नीरज राठौर के टेंटहाउस में काम करता था. उस दिन शाम को घर आने के बाद साढ़े 10 बजे के करीब थोड़ी देर में लौट आने को कह कर वह मोटरसाइकिल ले कर घर से निकला तो लौट कर नहीं आया था.

आर.सी. भास्करे ने टेंटहाउस के मालिक नीरज राठौर और उस के यहां काम करने वाले कर्मचारियों से पूछताछ की तो उन सभी ने भी यही बताया कि तूफान बहुत ही मेहनती और सीधासादा आदमी था. ऐसे आदमी की भला किसी से क्या दुश्मनी होगी, जो उस की हत्या कर दी जाए.

पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार, तूफान की मौत मारपीट की वजह से हुई थी. अब पूरी तरह से साफ हो गया था कि यह एक्सीडेंट का मामला नहीं था. इस के बाद कोतवाली पुलिस ने अज्ञात के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी.

आर.सी. भास्करे जल्द से जल्द इस मामले का खुलासा करना चाहते थे, लेकिन 3 दिनों की जांच में उन के हाथ कोई सुराग नहीं लगा. अंत में उन्होंने मुखबिरों की मदद ली. किसी मुखबिर से उन्हें पता चला कि तूफान की हत्या के बाद से उस की पत्नी रेमुबाई ने अपना मोबाइल फोन बंद कर लिया है.

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यह सुन कर आर.सी. भास्करे सोच में पड़ गए कि रेमुबाई ने आखिर अपना मोबाइल फोन क्यों बंद कर लिया है? उन्हें कुछ गड़बड़ लगा तो उन्होंने तूफान के बेटे को कोतवाली बुला कर पूछताछ की. एक सवाल के जवाब में बच्चा गड़बड़ाया तो उस का जवाब उन्होंने अपनी मां से पूछ कर बताने को कहा.

इस पर बच्चे ने कहा कि उस की मां का मोबाइल फोन बंद है, इसलिए वह उन से सवाल का जवाब नहीं पूछ सकता. थानाप्रभारी की समझ में नहीं आ रहा था कि ऐसी कौन सी वजह है कि रेमुबाई ने अपना मोबाइल फोन बंद कर दिया है.

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अब उन्हें तूफान की हत्या में रेमुबाई का हाथ होने का शक हुआ. उन्होंने यह बात एसपी महेशचंद्र जैन को बताई तो उन्होंने तुरंत रेमुबाई को थाने बुला कर पूछताछ करने का आदेश दिया.

थाने बुला कर रेमुबाई से पूछताछ शुरू हुई तो वह एक ही जवाब दे रही थी कि उसे नहीं मालूम कि उस रात क्या हुआ था? उसे सिर्फ यही पता है कि वह रात को घर से निकले तो लौट कर नहीं आए. घर आते समय उन का एक्सीडेंट हो गया था.

जब आर.सी. भास्करे ने पूछा कि तूफान की मौत के बाद उस ने अपना मोबाइल फोन क्यों बंद कर लिया तो इस का जवाब देने में रेमुबाई बगलें झांकने लगी. घबराहट उस के चेहरे पर साफ नजर आने लगी.

फिर तो थानाप्रभारी को समझते देर नहीं लगी कि तूफान की हत्या में किसी न किसी रूप में इस का भी हाथ है.  उन्होंने रेमुबाई को एएसआई अनीता तोमर के हवाले कर दिया. उन्होंने सख्ती से उस से पूछताछ शुरू की तो रेमुबाई ने पति की हत्या का अपना अपराध स्वीकार करने में देर नहीं लगाई. इस के बाद उस ने पति की हत्या की जो कहानी सुनाई, वह कुछ इस तरह थी—

मध्य प्रदेश के जिला झाबुआ की कोतवाली के अंतर्गत रहने वाले तूफान की पत्नी रेमुबाई के पेट में ऐसा दर्द उठा कि कई डाक्टरों के इलाज के बाद भी ठीक नहीं हुआ. तभी उस के एक परिचित ने बताया कि झाबुआ से ही जुड़े गुजरात के जिला दाहोद के थाना कतवारा के गांव खगेला का रहने वाला तांत्रिक मंथूर उस का इलाज कर सकता है.

उसे पूरा विश्वास है कि उस की झाड़फूंक से वह निश्चित रूप से ठीक हो जाएगी. यह करीब 4 साल पहले की बात है. रेमुबाई पति तूफान को ले कर तांत्रिक मंथूर के पास पहुंची. रेमुबाई पर एक गहरी नजर डाल कर तांत्रिक मंथूर ने कहा कि उसे 16 शनिवार बिना नागा लगातार आना पड़ेगा. तूफान नौकरी करता था, इसलिए वह पत्नी को हर शनिवार ले कर तांत्रिक के यहां नहीं जा सकता था. इसलिए रेमुबाई अकेली ही तांत्रिक मंथूर के यहां हर शनिवार झाड़फूंक कराने जाने लगी.

तांत्रिक मंथूर ने 4 शनिवार तक नीम की पत्तियों से उस की झाड़फूंक की. 5वें शनिवार को उस ने रेमुबाई से अपने कपड़े ढीले कर के फर्श पर लेट जाने को कहा. रेमुबाई को किसी तरह का कोई शकशुबहा तो था नहीं, इसलिए वह कपड़े ढीले कर फर्श पर लेट गई. करीब 2 घंटे तक मंथूर मंत्र पढ़ते हुए उस के शरीर पर हाथ फेरते हुए उस की बीमारी भगाता रहा.

रेमुबाई के अनुसार, मंथूर भले ही अधेड़ था, लेकिन उस के हाथों में ऐसी तपिश थी कि जब वह उस के शरीर पर हाथ फेरता था तो उसे अजीब सा सुख मिलता था.

7वें शनिवार को मंथूर ने उस से सारे कपड़े उतार कर लेटने को कहा तो रेमुबाई मना नहीं कर सकी. वह कपड़े उतार कर लेटने लगी तो तांत्रिक मंथूर ने दवा के नाम पर उसे थोड़ी शराब पीने को दी.

इस के बाद तांत्रिक ने भी शराब पी. झाड़फूंक करतेकरते मंथूर रेमुबाई के ऊपर लेट गया तो तांत्रिक प्रक्रिया समझ कर रेमुबाई ने कोई विरोध नहीं किया. इस तरह तांत्रिक मंथूर ने उस के साथ शारीरिक संबंध बना लिए.

इस के बाद रेमुबाई जब भी उस के यहां इलाज कराने जाती, मंथूर उसे शराब पिला कर उस के साथ शारीरिक संबंध बनाता. मंथूर के प्यार में तूफान से ज्यादा जोश और गरमी थी, इसलिए उसे उस के साथ शारीरिक संबंध बनाने में आनंद आने लगा. दूसरी ओर मंथूर भी रेमुबाई का दीवाना हो चुका था. अब वह इलाज के बहाने उस के घर भी आने लगा था.

16 शनिवार पूरे हो गए तो तूफान ने पत्नी से कहा, ‘‘अब तो तुम्हारा इलाज पूरा हो चुका है, अब तुम तांत्रिक के यहां क्यों जाती हो?’’

तांत्रिक के प्यार में उलझी रेमुबाई ने कहा, ‘‘अभी मैं पूरी तरह स्वस्थ नहीं हुई हूं, इसलिए अभी मुझे इलाज की और जरूरत है.’’

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आखिर कब तक रेमुबाई बहाने बना कर तांत्रिक के पास जाती रहती. मंथूर भी उस के घर लगातार आता रहा. इन्हीं बातों से तूफान को पत्नी पर शक हुआ तो वह पत्नी को मंथूर के यहां जाने से रोकने लगा. अब इलाज तो सिर्फ बहाना था, रेमुबाई तो मंथूर से मिलने जाती थी, इसलिए पति के मना करने के बावजूद वह नहीं मानी.

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रेमुबाई की जिद से तूफान को चिंता हुई. फिर तो दोनों में झगड़ा होने लगा. रेमुबाई को लगा कि इलाज और बीमारी के नाम पर अब यह खेल ज्यादा दिनों तक नहीं चल सकता. जबकि वह मंथूर के प्यार में इस कदर कैद हो चुकी थी कि अब उस के बिना नहीं रह सकती थी, इसलिए वह उस के लिए कुछ भी कर सकती थी.

शायद यही वजह थी कि उस ने मंथूर से तूफान को रास्ते से हटाने के लिए कह दिया. मंथूर भी रेमुबाई के लिए कुछ भी करने को तैयार था. इसलिए उस के कहने पर वह भी तूफान की हत्या करने को तैयार हो गया.

योजना बना कर 6 मई, 2017 को मंथूर अपने दोस्त गोरचंद के साथ नयागांव डूंगरा के जंगल में पहुंचा और एक पेड़ की आड़ में छिप कर बैठ गया. रेमुबाई को उस ने यह बात बता दी, इसलिए जैसे ही तूफान घर आया, उस ने बहुत ज्यादा पेट में दर्द होने की बात कह कर कहा, ‘‘मंथूर किसी का इलाज करने झाबुआ आया है, मैं ने उसे फोन किया था, वह आने को तैयार है, इसलिए तुम डूंगरा जा कर उसे ले आओ.’’

तूफान बिना देर किए मोटरसाइकिल ले कर तांत्रिक मंथूर को लेने चला गया. नयागांव और डूंगरा के बीच मंथूर गोरचंद के साथ बैठा तूफान के आने का इंतजार कर रहा था.

जैसे ही तूफान उन के करीब पहुंचा, दोनों ने लाठियों से पीटपीट कर उस की हत्या कर दी. इस के बाद उस की लाश को मोटरसाइकिल के नीचे रख दिया, ताकि देखने से लगे कि इस का एक्सीडेंट हुआ है.

लेकिन उन की यह चाल कामयाब नहीं हुई और थानाप्रभारी आर.सी. भास्करे को सच्चाई का पता चल गया.

रेमुबाई की गिरफ्तारी के बाद आर.सी. भास्करे ने तांत्रिक मंथूर और उस के साथी गोरचंद को भी गिरफ्तार कर लिया था. इस के बाद तीनों को अदालत में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया. जेल जाने के बाद रेमुबाई के हाथ से वह सब भी निकल गया, जो था. आखिर पति के साथ उसे ऐसी क्या तकलीफ थी, जो अधेड़ तांत्रिक के प्यार में पड़ कर अपना सब लुटा बैठी.

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ठगी के नए-नए तरीकों से रहें सावधान

शारीरिक और मानसिक मेहनत किए बिना पैसा कमाना आसान नहीं होता. मगर लोगों को यह बात समझ नहीं आती. इसी वजह से वे ठगों और जालसाजों के चक्कर में पड़ जाते हैं. लोगों को लालच दे कर ठगी करने वाले अपना शिकार बना लेते हैं. जब तक असलियत पता चलती है, तब तक उन का सबकुछ लुट जाता है.

मध्य प्रदेश के गोटेगांव में कुछ लोगों की नासमझी की वजह से ठगी का दिलचस्प मामला सामने आया है. लौकडाउन में घरों के अंदर कैद रहे ठगों ने अनलौक 1.0 में नोटों को 10 गुना करने का लालच दे कर यहां के कुछ युवकों को रुपयों की चपत लगा दी.

गोटेगांव पुलिस के मुताबिक, जबलपुर शहर के 5 ठगों ने शिक्षक कालोनी में रहने वाले देवेश दुबे को 5,000 रुपयों को  50,000 रुपयों में बदलने का प्लान समझाया.

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ठगों ने देवेश को समझाते हुए कहा, “पहले हमारे द्वारा बनाए गए नोटों को बाजार में चला कर देख लेना. यदि नोट बाजार में चल जाएं, तो हम नोट बनाने वाले कागज और केमिकल देंगे, जिन से घर बैठे आप नोट बना सकेंगे.”

देवेश को ठगों ने पहले 200 रुपए का एक असली नोट दिया,जो बाजार में चल गया. इस के बाद देवेश उन जालसाजों के चंगुल में फंस गया. जालसाजों ने देवेश से 5,000 रुपए ले कर नोट बनाने के लिए काले कागज की एक गड्डी और केमिकल दे दिए.

उन पांचों युवकों के चले जाने के बाद देवेश ने उन के बताए अनुसार काले कागज से केमिकल के इस्तेमाल से नोट बनाने की खूब कोशिश की, लेकिन नोट नहीं बने. तब उसे ठगे जाने का अहसास हुआ और उस ने पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराई.

पुलिस ने जब इन ठगों को जबलपुर से गिरफ्तार कर पूछताछ की तो पता चला कि इन ठगों ने और भी कई लोगों को लालच दे कर अपने झांसे में ले कर इस तरह की ठगी की थी.

डिजिटल युग में ठगों द्वारा ठगी के नएनए तरीके ईजाद किए जा रहे हैं. कभी मोबाइल पर इनामी कूपन और सर्टिफिकेट भेज कर, कभी एटीएम बंद होने की सूचना दे कर एटीएम का नंबर और ओटीपी मांग कर, फेसबुक पर फर्जी मैसेज के माध्यम से रुपयों की मदद मांग कर, तो कभी औनलाइन शौपिंग का डेटा चुरा कर पढ़ेलिखे लोगों को अपना निशाना बनाया जा रहा है.

अगर आप के पास रुपयों की डिमांड को ले कर अचानक ही किसी परिचित का कोई फोन और मेल आईडी है, तो उसे पेमेंट करने से पहले उस से फोन के जरीए बातचीत कर लें.  जल्दबाजी में रिप्लाई करने और रुपए भेज कर आप ठगी का शिकार हो सकते हैं.

बेहतर होगा कि आप ऐसा करने से पहले मेल या फोन कर  अपने परिचित से दोबारा इस की पुष्टि कर लें, वरना आप भी स्पूफ यानी किसी धोखाधड़ी के शिकार हो सकते हैं.

स्पूफ मेल और काल से साइबर अपराधी कर रहे हैं ठगी

साइबर अपराधियों ने अब काल और अन्य तरीकों को छोड़ कर ठगी का नया तरीका खोज निकाला है, जिसे जानकारों ने स्पूफ का नाम दिया है.

दरअसल, कुछ पढ़ेलिखे ठग इंटरनेट पर सौफ्टवेयर की मदद से स्पूफ मेल तैयार करते हैं. इस मेल में वह डिस्प्ले पर मेल भेजने वाले जानकार की ईमेल आईडी का इस्तेमाल करते हैं. इसे आप मुखोटा भी कह सकते हैं. इस के पीछे ठग अपना काम करता है. ऐसे में ठग मेल कर बड़ीबड़ी कंपनियों को अपना टारगेट बनाता है. इस के बाद उन्हीं के किसी परिचित क्लाइंट के नाम से रुपयों की डिमांड को ले कर मेल भेजा जाता है.

दर‌असल, यह मेल संबंधित कंपनी या व्यक्ति के किसी भी क्लाइंट या परिचित के मेल की कापी ही होता है. ऐसे में कंपनी या कोई भी परिचित परिचय होने के चलते फट से डिमांड किया हुआ रुपया मेल पर दिए अकाउंट में डलवा देते हैं. इस के बाद यह रुपया सीधा ठग के पास पहुंचता है.

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पीड़ित को ठगी का पता अपने क्लाइंट या परिचित को काल करने या उस के पेमेंट की डिमांड करने पर लगता है, लेकिन जब तक इस का पता लगता है, तब तक ठग अपना काम कर चुका होता है.

पुलिस के साइबर सेल में पदस्थ राकेश दीक्षित बताते हैं कि स्पूफ मेल के कई मामले सामने आ चुके हैं. कुछ महीने पहले ही दिल्ली में अलगअलग जगह बैठे नाइजीरियन गिरोह ने ग्रेटर नोएडा स्थित होटल क्राउन प्लाजा के एमडी को स्पूफ मेल कर 42 लाख रुपए खाते में डलवा लिए थे. उन्हें इस का पता क्लाइंट के रुपया न मिलने की काल आने पर लगा.

पता लगते ही उन्होंने तुरंत इस की शिकायत नोएडा के अन्वेषण अपराध केंद्र को दी. इस पर साइबर टीम ने 10 नवंबर, 2019  को दिल्ली से 4 नाइजीरियन को पकड़ कर खुलासा किया.

पुलिस की गिरफ्त में आए सभी नाइजीरियन युवकों का वीजा निरस्त हो चुका था. वे दिल्ली के बुराड़ी, पुष्प विहार, महरौली और देवली एक्सटेंशन में चोरीछिपे रह कर स्पूफ मेल के जरीए ठगी की वारदात को अंजाम दे रहे थे. पुलिस ने इन के पास से 34 लाख रुपए रिकवर करने के साथ ही इन के पास से 65 चेकबुक, 70 एटीएम, 65 बैंक अकाउंट और फर्जी सि‍म बरामद किए थे.

पुलिस अधिकारी ने बताया कि आरोपी कुछ सौफ्टवेयर और एप का इस्तेमाल कर स्पूफ काल करने के बाद लोगों से ठगी करते थे. आरोपी काल करने वाले शख्स के परिचित बन कर उन को काल करते थे. मोबाइल पर काल करते समय शख्स के परिचित का नंबर और नाम शो होने पर वह भी बिना जांचे रुपया ट्रांसफर कर देते थे. इस के बाद शख्स को अपने साथ ठगी होने का पता लगता था.

औनलाइन शौपिंग में भी ठगे जाने का खतरा

ज्यादातर मामलों में मोबाइल पर काल कर इनाम खुलने या एटीएम, सिम बंद होने के नाम पर ओटीपी मांग कर ठगी करना शामिल होता है, लेकिन अब लोगों को और अधिक सावधान रहने की जरूरत है, क्योंकि अब ठगों ने लोगों को ठगने के तरीके बदल लिए हैं. ये ठग अब नए तरीके से लोगों के घरों पर इनामी कूपन और सर्टिफिकेट भेज कर अपने जाल में फंसा रहे हैं.

गंभीर बात यह है कि लोग डर के मारे या अपनी जगहंसाई होने के डर से पुलिस तक इस की सूचना नहीं देते, जिस से ऐसे ठगों के हौसले बुलंद हो रहे हैं.

औनलाइन ठगी करने वाले अपराधियों द्वारा औनलाइन सामग्री खरीदने वाले लोगों का डेटा लीक कर संबंधित कंपनी के नाम से घर पर डाक से कुछ दिनों बाद स्क्रैच कार्ड भेजा जा रहा है. कार्ड को स्क्रैच करने पर लाखों रुपए इनाम में जीतने की जानकारी दी जाती है. इतना ही नहीं, व्यक्ति को जाल में फंसाने के लिए उसे लालच भी दिया जाता है.

ग्राहक झांसे में फंस कर स्क्रैच कार्ड पर लिखे हैल्पलाइन नंबर पर काल कर के जीता हुआ पैसा मांगते हैं तो शातिर ठग मोटी रकम होने की वजह से 50,000 रुपए पहले खाते में टैक्स के रूप में जमा कराने की कह कर ठगी कर रहे हैं. टैक्स जमा न कराने पर इनामी योजना लैप्स होने की भी बात कही जाती है.

कुछ जागरूक लोग इस तरह की ठगी से बच रहे हैं, परंतु कई लोग इन का शिकार भी बन रहे हैं.

ठग इतने शातिर हैं कि औनलाइन खरीदारी करने वालों का डेटा चुरा लेते हैं. इस से उन्हें ग्राहक के नाम, पते, मोबाइल नंबर और औनलाइन और्डर किए हुए सामान तक की डिटेल्स उपलब्ध रहती है. इस के बाद वह उसी औनलाइन शौपिंग कंपनी के नाम से फर्जी लेटर, शानदार डिजाइन के फर्जी स्क्रेच कूपन, एक लाख रुपए का सर्टिफिकेट बना कर डाक से निर्धारित पते पर भेज देते हैं.

कूपन में ठग हैल्पलाइन के नाम पर 2 मोबाइल नंबर डाल देते हैं. औनलाइन सामग्री खरीदने के बाद उसी कंपनी के नाम से डाक द्वारा शानदार डिजाइन के स्क्रेच कूपन, लैटर और सर्टिफिकेट दिखाते हैं, जिस से ग्राहक को उस पर पूरा भरोसा हो जाता है कि यह उक्त औनलाइन कंपनी द्वारा ही भेजा गया है. इसे देख कर कोई भी इन ठगों के जाल में फंस सकता है.

फेसबुक के जरीए भी की जा रही ठगी

ठगों के द्वारा औनलाइन ठगी का एक नया तरीका फेसबुक एकाउंट द्वारा दोस्तों से मदद के नाम पर पैसा मांगने का भी इस्तेमाल किया जा रहा है. साइबर अपराधी फेसबुक एकाउंट हैक कर इस में जुड़े दोस्तों को मैसेज भेज कर इन से अपने खाते में रुपए मंगा रहे हैं.

मध्य प्रदेश के गुना शहर के एक व्यवसायी के फेसबुक एकाउंट को भी ठगों ने हैक कर लिया और उस में जुड़े दोस्तों को मैसेज कर लिखा कि मैं अस्पताल में हूं, मेरी मदद करो. मुझे कुछ रुपयों की जरूरत है. इस ने एकांउट नंबर दिया और इस पर लोगों से रुपए मांगे.

हालांकि जब लोगों ने यह मैसेज पढ़ कर व्यवसायी को फोन किया, तो हकीकत सामने आ गई. इस के बाद व्यवसायी ने अज्ञात आरोपितों के खिलाफ कोतवाली में एफआईआर दर्ज कराई.

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पंजाबी महल्ला में रहने वाले अरुण सूद पुत्र प्रेमकुमार सूद होटल व्यवसायी हैं. इन्होंने बताया कि मेरे मित्र शैलेंद्र जैन ने 7-8 साल पहले मेरी फेसबुक आईडी बनाई थी. मैं सोशल मीडिया का कम ही इस्तेमाल करता हूं, इसलिए कुछ दिन बाद ही इस आईडी का पासवर्ड भूल गया था और चलाना भी बंद कर दिया. इस के बाद 11 नवंबर, 2019 को कुछ दोस्तों के फोन मेरे पास आए. इन लोगों ने पूछा कि तुम्हारी फेसबुक आईडी से तो रुपए मांगे जा रहे हैं. लोगों के काल आना बढ़े, तो फिर मैं ने मामले की शिकायत एसपी से की.

साइबर अपराधियों के हौसले इतने बुलंद हैं कि वे बड़ेबड़े अधिकारियों के फर्जी फेसबुक एकाउंट से भी ठगी का अंजाम देने से नहीं चूकते.

लौकडाउन में नरसिंहपुर जिले के गाडरवारा के एसडीएम राजेश शाह के फेसबुक एकाउंट के जरीए रुपयों की मदद मांगने का मामला दर्ज हुआ था.

ठगी के और भी हैं क‌ई तरीके, पर बरतें सावधानियां

बदलते जमाने के साथ ठगी करने वाले बदल चुके हैं. ऐसे ठगों से बचने के लिए आप को भी कमर कसनी होगी.

कभीकभी जालसाजों द्वारा आरबीआई के नाम फेक ईमेल ठगी करने के लिए भेजा जाता है. इस ईमेल में यूके में लगी किसी लौटरी को पाने के लिए ईमेल के जरीए पैनकार्ड, मोबाइल नंबर, बैंक का नाम, ब्रांच और अकाउंट की जानकारी मांगी जाती है.

ठग बैंक अकाउंट की जानकारी हासिल कर आप के अकाउंट से पैसे ट्रांसफर कर लेते हैं. आरबीआई ने विज्ञापन जारी कर लोगों को चेताया है कि इस तरह के झांसे में कतई न फंसें. वहीं आरबीआई ने सलाह दी है कि किसी भी अनजान आदमी को अपने अकाउंट की जानकारी न दें. किसी के भी साथ किसी तरह की लौटरी या पैसा पाने के लिए किसी भी तरह का पत्राचार न करें.

आरबीआई के मुताबिक, अगर आप के साथ ऐसा धोखा होता है, तो साइबर सेल में इस की शिकायत जरूर करें.

ठगी का एक और तरीका है एलआईसी बोनस ट्रांसफर का औफर. एलआईसी की पौलिसी में बहुत से लोगों का निवेश है. इस का फायदा उठा कर कुछ लोग एलआईसी से बोनस के नाम पर लोगों से ठगी कर रहे हैं.

एलआईसी ने लोगों को विज्ञापन के जरीए चेताया है कि एलआईसी के नाम पर आए कालर की पहचान और उन को आईआरडीए से जारी लाइसेंस को वेरिफाई करें. साथ ही, कोई भी शिकायत होने पर co_crm_fb@licindia.com पर शिकायत करें.

इसी तरह इंश्योरेंस रेगुलेटर आईआरडीए के नाम पर काल कर लोगों को इंश्योरेंस पौलिसी खरीदने की बात कही जाती है. हम आ पको बता दें कि आईआरडीए कोई इंश्योरेंस पौलिसी नहीं बेचता, सिर्फ इंश्योरेंस कंपनियों को रेगुलेट करता है. अगर आप को ऐसी कोई शिकायत है, तो आईआरडीए के टोल फ्री नंबर 155255 पर शिकायत कर सकते हैं.

क‌ई बार ठगी करने वाले नामीगिरामी कंपनियों के नाम पर ईमेल के जरीए नौकरी के औफर देते हैं. ये लोग पहले नौकरी के ईमेल के नाम पर सारी जानकारी हासिल कर लेते हैं, फिर नौकरी लगवाने के लिए लोगों से पैसों की डिमांड करते हैं. ऐसे किसी भी प्रकार के जौब औफर मिलने पर  सीधे उस कंपनी के एचआर डिपार्टमेंट से संपर्क करना चाहिए.

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कलेक्टिव इन्वेस्टमेंट स्कीम के नाम पर भारी रिटर्न का वादा कर के भी जालसाजी की जाती है. अगर कोई कंपनी आप से ऐसी स्कीम में निवेश करने के लिए कहती है, तो पहले जांच करें कि वह सेबी में रजिस्टर है कि नहीं. अगर आप को कलेक्टिव इन्वेस्टमेंट स्कीम से कोई शिकायत है, तो सेबी के टोल फ्री नंबर 1800 266 757 पर काल करें.

ठगी के और भी कई तरीके हैं. इन से बचने का सब से कारगर उपाय है, अपने पर भरोसा करें और शार्टकट से पैसा कमाने का लालच कतई न करें.

वहशीपन: 6 साल की मासूम के साथ ज्यादती

दिमाग में चढ़ा वहशियानापन इस हद तक पहुंच जाएगा कि न आगे सोचा न पीछे. अब तो रेप शब्द का नाम सुन कर ही रोंगटे खड़े हो जाते हैं. चाहे किशोरी हो या मासूम, इससे फर्क नहीं पड़ता. बस, हवस पूरी करने का मौका चाहिए.

जी हां, ऐसा ही एक मामला 3 जुलाई, 2019 को सामने आया है. मासूम के साथ हुई घटना यह सोचने पर मजबूर कर देती है कि वहशी कितना शातिर है. बच्ची के मां-बाप काम के सिलसिले में मेहनत मजदूरी करते हैं. घर में बच्ची के अकेले रहने का फायदा उठाते हैं वहशी. ऐसे शख्स जगह-जगह अपने शिकार की तलाश में रहते हैं. मौका मिलते ही ये बच्चियों व किशोरियों को धर दबोचते हैं और अपने मकसद को अंजाम देते हैं.

6 साल की बच्ची के साथ रेप…

3 जुलाई, 2019 को दिल्ली के द्वारका सेक्टर 23 के पास के एक गांव में 6 साल की एक मासूम के साथ रेप की घटना घटी. भले ही सीसीटीवी फुटेज के आधार पर आरोपी 24 साला मोहम्मद नन्हे को गिरफ्तार कर लिया गया लेकिन बच्ची की हालत बेहद नाजुक है.

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सीसीटीवी फुटेज में घटना वाले दिन आरोपी लड़की के साथ दिखा है. उसे एक अलग जगह ले जाने के बाद आरोपी ने लड़की के साथ बलात्कार किया और भाग गया.

बच्ची की हालत नाजुक…

इलाके के एक बाशिंदे ने बच्ची को सड़क पर बेहोश और खून से लथपथ देखा. उस ने तुरंत ही पीसीआर को फोन किया. बच्ची को सफदरजंग अस्पताल ले जा कर भरती कराया गया. डाक्टरों ने कहा कि उस के प्राइवेट पार्ट की नसें फट गई हैं. अब तक वह कई सर्जरी से गुजर चुकी है.

पुलिस ने कहा कि आरोपी मोहम्मद नन्हे बेरोजगार था और उसी इलाके में रहता था. आरोपी भी लहूलुहान हालत में मिला था. उस ने अपना अपराध कबूल कर लिया है.

सामने आया पिता का दर्द…

आंखों में हताशा, निराशा लिए बच्ची के पिता ने कहा कि बिटिया आज ही बोली है, ”पापा, पापा.” वे कहते हैं, ”दिल्ली का बड़ा नाम सुना था. दो वक्त की रोटी के लिए कमाने आए थे यहां. क्या बताएं कि क्या हुआ.”

पीड़िता के पिता ने बताया, ”मेरे 4 बच्चे हैं. बिटिया दूसरे नंबर की है. इकलौती है. कमरे का किराया और बच्चों को पालने के लिए पैसों की जरूरत है, इसलिए दोनों काम करते हैं. 2 साल पहले काफी उम्मीदें लेकर दिल्ली आया था. लेकिन यहां गरीब के लिए ज्यादा कुछ नहीं है. थोड़े दिन ठीक से चलता रहा, मगर अब बिटिया के साथ गलत काम हो गया.”

वहीं, बच्ची की मां ने बताया कि वहशी बच्ची को बहला कर मंदिर से ले गया था. उस ने टौफी का लालच दिया. बच्ची के साथ खेल रहे बच्चों को आरोपी ने धमका कर वहां से भगा दिया था.

क्या इंसाफ के लिए करना होगा आंदोलन…

दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति जयहिंद का कहना है कि रेप करने वालों के खिलाफ, आंदोलन के बाद, दोषियों के लिए फांसी का कानून बना है, मगर यह कानून लागू नहीं हो पा रहा है. क्या दोबारा आंदोलन छेड़ना पड़ेगा ताकि दोषियों को फांसी की सजा मिल सके.

सफदरजंग अस्पताल में भरती पीड़ित बच्ची को देखने स्वाति जयहिंद पहुंचीं. उन्होंने कहा कि उस बच्ची के शरीर के हर हिस्से में खरोंच और चोट के निशान हैं. जगहजगह शरीर नोंचने के निशान रेप करने वाले के वहशीपन को उजागर करते हैं. बेशक, रेप का आरोपी गिरफ्तार हो गया हो, लेकिन क्या यह काफी है. उन्होंने सवाल उठाया कि कब ऐसा सिस्टम बनेगा जिस में बच्चों के रेपिस्ट को जल्द से जल्द फांसी हो?

उन्होंने मांग की कि मामले की सुनवाई फास्ट ट्रैक कोर्ट में हो और आरोपी को फांसी की सजा दी जाए.

केजरीवाल पहुंचे बच्ची को देखने…

वहीं दूसरी ओर, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी इस बच्ची को देखने सफदरगंज अस्पताल गए. उन्होंने कहा कि एक हैवान ने छोटी सी बच्ची के साथ गलत काम किया. डाक्टर ने बताया कि जब वे यहां आई थी तब उस की हालत बेहद खराब थी, पर अब ठीक है. मैं बच्ची के पिता से मिला. दिल्ली सरकार 10 लाख रुपए का मुआवजा देगी और अच्छा वकील खड़ा करेगी. जो दोषी है, सरकार उसे सजा दिलाएगी, ताकि यह दूसरों के लिए सबक बन सके.

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शासन-प्रशासन कानून अगर समय रहते सबक ले सके तो ठीक, वरना आने वाला समय रेपिस्टों का होगा. मासूमों को बचा सकते हो तो बचा लो. कोई कुछ न कर सकेगा.

अदालतें सुबूतों पर चलती हैं. अपराध को कोर्ट में साबित करना होगा. क्या पता, पुलिस की मार से बचने के लिए आरोपी ने हामी भरी हो.

यह तो समय ही बताएगा कि अदालत आरोपी की क्या सजा तय करती है, पर आप सावधान हो जाइए और ऐसे लोगों पर पैनी निगाह रखिए, चाहे पड़ोसी ही क्यों न हो.

यौन अपराध: लोमहर्षक कांड

जैसे-जैसे हम कथित रूप से सभ्य होते जा रहे हैं, देश में यौन अपराध बढ़ते चले जा रहे हैं. साथ साथ कानून भी सख्त होता जा रहा है. वस्तुतः यौन अपराध  जिस गति से बढ़ते चले जा रहे हैं वह एक सभ्य समाज के लिए चिंता का सबब है. दरअसल, पूर्व मे बलात्कार के बाद महिलाओं को अधमरा ही सही छोड़ दिया जाता था. क्योंकि कानून लाचर था. मगर अब जब कानून में तब्दीली करके उसे सरकार द्वारा सख्त बना दिया गया है,  यहां तक की फांसी प्रावधान किया गया है अपराधियों द्वारा अब कानून के भय के कारण बलात्कार के बाद  लड़कियों को मौत के घाट उतार दिया जाने लगा  है.

ऐसा ही एक लोमहर्षक कांड  छत्तीसगढ़ के बेमेतरा जिले के एक गांव में घटित हुआ है. जहां 14 वर्षीय एक  किशोरी को दो लोगों ने सिर्फ इसलिए जलाकर मार दिया कि उनके खिलाफ कानून  के पास कोई सबूत ना रह पाए और वे कानून के शिकंजे से बच जाएं.

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बेमेतरा जिले में एक  दिल दहला देने वाली शर्मनाक घटना हुई है. जिसकी गूंज आज संपूर्ण छत्तीसगढ़ में हो रही है.

जिले के दाढ़ी थाना क्षेत्र के मजगाँव में एक 14 वर्षीय किशोरी के साथ दो युवकों ने बलात्कार  की असफल  कोशिश की. बलात्कार की घटना को अंजाम देने विफल रहने वाले दोनों  युवकों ने  अपनी जान बचाने  किशोरी  पर मिट्टी तेल डालकर ज़िंदा जलाने का  असफल प्रयास किया.

80 पर्सेंट जल गई किशोरी

आरोपियों ने बलात्कार की असफल कोशिश के पश्चात किशोरी  पर ज्वलनशील पदार्थ डालकर उसे 80 पर्सेंट से अधिक जला दिया. आरोपियों की मंशा यह थी कि उनके कुकृत्य को ना पुलिस जान पाए और ना मामला लोगों तक पहुंच सके. इसीलिए बड़े ही शातिर  तरीके से उन्होंने  किशोरी  को जला डाला. यही कारण है कि  हॉस्पिटल में उसकी मृत्यु हो गई. घटना की जानकारी  प्राप्त होते ही  जहां पुलिस अलर्ट हो गई और आरोपियों को धर दबोचा वहीं यह गंभीर घटना जब बेमेतरा जिला से लेकर संपूर्ण छत्तीसगढ़ में प्रसारित होती चली गई तो लोगों में रोष पैदा हो गया. बेमेतरा जिला की पुलिस के मुताबिक इस घटना की जानकारी मिलते ही किशोरी को राजधानी रायपुर रिफर किया गया. मगर महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि किशोरी  ने मृत्यु  से पुलिसवालों को अपना अंतिम  बयान दर्ज करा दिया था.

बेमेतरा पुलिस अधीक्षक दिव्यांग पटेल ने हमारे संवाददाता को  बताया  घटना की जानकारी मिलते ही पुलिस ने तत्काल इस मामले में संज्ञान ले लिया था. यहां यह भी गौरतलब है कि घटना 22 जून सोमवार को  घटित हुई थी. बलात्कार की शिकार किशोरी का बयान लेने के बाद आरोपी दोनों युवकों को गिरफ्तार कर लिया गया . पकड़े गए आरोपियों में जहाँ  एक नाबालिग 13 वर्ष का है वहीं दूसरा 22 वर्ष का    है. दोनों ही युवा गाँव के ही रहने वाले हैं.

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उल्लेखनीय है कि कुछ दिनों पूर्व इसी तरह हुई एक घटना में बेमेतरा सिटी कोतवाली थाना क्षेत्र अंतर्गत  एक मासूम बच्ची को अगवा उसका रेप किया गया था. इस मामले को लेकर बेमेतरा शहर में जमकर हड़बोंग  हुआ था. पुलिस प्रशासन पर  लगातार सवाल उठाये जा  रहे थे. लगातार हो रहे प्रदर्शनों के बाद पुलिस आरोपी ट्रक ड्राईवर को गिरफ्तार करने सफल हो पाई थी. और अब यह मामला शांत ही हुआ है कि एक दूसरी लोमहर्षक घटना क्रम घटित हो गयी है.

8 वर्षीय बच्ची के साथ

छत्तीसगढ़ के बेमेतरा  जिले में ही,  इसी  जून  माह के प्रारंभ में, एक 8 साल की बच्ची के साथ दुष्कर्म  का मामला सामने आया था.  घर के आंगन में सो रही बालिका का  अपहरण किया गया. फिर  रेप की घटना को अंजाम दिया गया. आरोपी कथित रूप से बालिका  को घर से करीब 20 मीटर दूर छोड़कर भाग गये . ग्रामीणों ने बच्ची को सड़क किनारे देखा था. पूछताछ में  बालिका ने परिजनों को अपने साथ हुई पूरी घटना बताई. इसके बाद मामले की शिकायत पुलिस से की गई. शिकायत मिलते ही पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया.   पुलिस को सूचना देकर बच्ची को अस्पताल में भर्ती कराया गया .

बालिका ने अपने साथ हुए वारदात की जानकारी दी जिसके बाद जिले में हड़कंप मच गया. फौरन पुलिस अधीक्षक दिव्यांग पटेल  अस्पताल पहुंचे. एसपी दिव्यांग पटेल ने  बताया कि बालिका ने अपने बयान में  वारदात की जानकारी दी.  अपहरणकर्ता ट्रक में उसे लेकर गया था और ट्रक से ही उसे छोड़कर चला गया. इस आधार पर बेमेतरा पुलिस चौक-चौराहों में लगे सीसीटीवी को खंगाल रही  रही थी मगर घटनाक्रम के पश्चात लोगों में आक्रोश फूट पड़ा और शिकायत गृहमंत्री तक पहुंच गई. अभी यह बलात्कार की घटना लोगों के जेहन से उतरी ही नहीं है कि पुनः दूसरी लोमहर्षक घटना घट गई.

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9 लाशों ने खोला एक हत्या का राज

9 लाशों ने खोला एक हत्या का राज : भाग 3

घर से निकलने से पहले रफीका ने बच्चों से कह दिया था कि वह संजय के साथ मां से मिलने कोलकाता जा रही है. 4 दिनों बाद वह वापस लौट आएगी. तुम सब ठीक से रहना, अपना खयाल रखना. किसी चीज की जरूरत पड़े तो निशा फूफी से कह कर ले लेना.

खैर, उस रात रेलगाड़ी वारंगल से तडेपल्लगुडम पहुंची तो रफीका की पलकें झपकने लगीं. वह सो गई तो संजय ट्रेन से प्लेटफार्म पर उतरा. स्टाल से उस ने एक पैकेट छाछ का लिया और वापस ट्रेन में अपनी सीट पर बैठ गया.

एक डिब्बे में छाछ पलट कर उस ने बड़ी सफाई से उस ने उस में नींद की 10 गोलियों का चूण मिला दिया. जब दवा छाछ में घुल गई तो उस ने नींद में सोई रफीका को जगा कर छाछ पिला दी.

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छाछ पीने के बाद वह फिर सो गई. उसे क्या पता था कि जीवन का हमसफर बनने वाला संजय यमराज बन कर उस की जिंदगी छीनने वाला है और अब वह चंद पलों की मेहमान है.

थोड़ी देर बाद दवा ने अपना असर दिखाना शुरू किया. संजय ने रफीका को हिलाडुला कर देखा. वह बेसुध पड़ी थी. उसी दौरान बड़ी सफाई से उस ने उसी के दुपट्टे से उस का गला घोंट दिया.

फिर मौका देख कर रफीका को अंधेर में तडेपल्लीगुडम और राजमुंद्री रेलवे स्टेशन के बीच रेलगाड़ी से नीचे गिरा दिया. वह मन ही मन खुश हो रहा था. क्योंकि उस के और शाइस्ता के बीच का रोड़ा हमेशाहमेशा के लिए निकल गया था.

रफीका को ठिकाने लगाने के बाद सितमगर आशिक संजय अगले स्टेशन राजमुंद्री पर उतर गया. पूरी रात उस ने स्टेशन पर बिताई. फिर अगले 2 दिनों तक वह राजमुंद्री शहर में रहा और तीसरे दिन अकेले वारंगल वापस लौट आया.

संजय को अकेले आया देख कर मकसूद को अजीब लगा. उस ने उस से रफीका के बारे में पूछा तो उस ने झूठ बोल दिया कि रफीका अपने एक रिश्तेदार के यहां रुक गई है. 2-4 दिनों में वापस लौट आएगी.

पता नहीं क्यों संजय का यह जवाब मकसूद के गले नहीं उतर रहा था. फिर उस ने सोचा कि हो सकता है लंबे समय के बाद वह मायके गई है, किसी रिश्तेदार से मिलने का मन हुआ हो, तो रुक गई हो. 2-4 दिन में खुद ही लौट आएगी. आखिर बच्चों की भी तो चिंता होगी उसे.

रफीका को कोलकाता गए 10 दिन बीच चुके थे. न तो रफीका घर वापस लौटी थी और न ही उस ने फोन किया था. मां को ले कर बच्चे भी परेशान हो रहे थे. संजय से पूछने पर वह गोलमोल जवाब दे देता था. मकसूद भी उस से पूछपूछ कर परेशान हो चुका था.

फिर मकसूद ने रफीका की मां के पास फोन किया और उस के बारे में पूछा. उस की मां ने कहा कि रफीका तो यहां आई ही नहीं. यह सुन कर मकसूद का माथा ठनक गया. उसे यह समझते देर नहीं लगी कि दाल में कुछ काला है. संजय ने रफीका के साथ जरूर कुछ ऐसावैसा कर दिया है.

इसी बीच कोरोना संकट को ले कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लौकडाउन की घोषणा कर दी, जिस से लोगों के घरों से निकलने पर सख्त पाबंदी लग गई.

मकसूद जिस कारखाने में काम करता था, ऐहतियात के तौर पर उस के मालिक ने उसे परिवार सहित शहर से गांव गोर्रेकुंठा शिफ्ट कर दिया था. जबकि संजय रफीका के बच्चों को साथ ले कर रहता था.

झूठी बातें कह कर उस ने बच्चों को अपनी बातोें में उलझाए रखा. उधर मकसूद संजय से फोन कर के पूछता रहा कि बताओ रफीका का तुम ने क्या किया. वह कहां है?

रफीका जिंदा होती तो वह आती. वह मर चुकी थी, फिर संजय क्या जवाब देता. इसलिए वह मकसूद से बचने लगा था. संजय समझ गया था कि मकसूद को सच के बारे में पता चल चुका है. कहीं मकसूद ने पुलिस को बता दिया तो उसे जेल जाना पड़ सकता है.

जेल जाने की सोच कर संजय डर गया. वह जेल नहीं जाना चाहता था. उसी समय उस के दिमाग में एक खतरनाक योजना ने जन्म ले लिया. उस ने सोचा कि क्यों न वह मकसूद के पूरे परिवार को खत्म कर दे. जब परिवार में कोई जीवित नहीं रहेगा तो रफीका के बारे में पूछने वाला कोई नहीं होगा और यह राज सदा के लिए दफन हो जाएगा.

खतरनाक विचार मन में आते ही संजय आगे की योजना बनाने लगा. 20 मई, 2020 को मकसूद के बड़े बेटे शादाब का जन्मदिन था. संजय जानता था मकसूद बेटे का जन्मदिन धूमधाम से मनाता है. उस ने सोचा कि अगर खाने में जहर मिला दे तो खाना खाते ही पूरा परिवार यमलोक सिधार जाएगा और यह राज राज बन कर रह जाएगा.

मकसूद कई दिनों से संजय को बुला रहा था. लेकिन संजय उस से मिलने उस के घर नहीं जा रहा था. वह जान था कि मकसूद उसे क्यों बुला रहा है. 16 मई को फोन कर के मकसूद ने संजय को बेटे के जन्मदिन पर अपने यहां आमंत्रित किया. घर पर ही छोटी सी पार्टी का आयोजन है, तुम जरूर आना.

मकसूद जान रहा था कि वैसे तो संजय आ नहीं रहा है, लेकिन बर्थडे के नाम पर वह जरूर आएगा. उसी दौरान उस से रफीका के बारे में पूछूंगा. संजय ने पार्टी में सही समय पर आने के लिए हामी भर दी थी.

18 मई को संजय ने मैडिकल स्टोर से नींद की 60 गोलियां खरीदीं और घर में पीस कर रख दी. 20 मई की शाम मकसूद ने संजय को फोन कर के याद दिलाया कि उसे बेटे के जन्मदिन पर आना है. संजय ने हां में जवाब दिया और कहा कि वह पार्टी में जरूर आएगा.

20 मई, 2020 की रात 8 बजे संजय मकसूद के घर पहुंचा. घर में उस के परिवार के सभी लोग यानी पत्नी निशा, बेटी बुशरा खातून, बेटे शादाब आलम, सोहेल आलम, 3 वर्षीय नाती के साथ मकसूद का दोस्त शकील मौजूद थे. कारखाने के 2 और मजदूर श्रीराम और श्याम भी वहां आए थे. वे दोनों ऊपर के कमरे में ठहरे हुए थे.

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इसी बीच संजय मौका देख कर किचन में गया और नींद की 60 गोलियों का पाउडर दाल में मिला दिया और बाहर निकल आया. रात साढे़ 9 बजे खाना शुरू हुआ. संजय ने खाना खाने से साफ मना कर दिया. मकसूद और उस के परिवार वाले, शकील, श्रीराम और श्याम ने खाना खाया. खाना खाने के कुछ ही देर बाद नींद की गोलियों ने अपना असर दिखाना शुरू कर दिया. एकएक कर सभी नींद के आगोश में समाते चले गए. संजय भी वहीं सो गया था.

संजय रात साढ़े 12 बजे उठा. सभी को हिलाडुला कर देखा. किसी के शरीर में हरकत नहीं हो रही थी. इस के बाद संजय ने घर में रखे बोरे में एकएक कर के सभी को भरा और घर से बोरा घसीटते हुए गांव के बाहर गोदाम के पास स्थित कुएं में डालता गया. उस का यह काम सुबह 5 बजे तक चला. सभी 9 लोगों को जिंदा कुएं में डालने के बाद संजय इत्मीनान से घर लौट आया और सो गया. वहां पानी में डूबने के बाद उन की मौत होती गई.

21 मई को कुछ चरवाहे अपनी भैंसों को चराते हुए कुएं की ओर गए. उन्होंने भैंसों को चरने के लिए छोड़ दिया और खेलने लगे. खेलतेखेलते उन की प्लास्टिक की गेंद कुएं में चली गई. गेंद को देखने के लिए उन्होंने कुएं में झांका तो भीतर का नजारा देख कर उन के होश उड़ गए.

चरवाहे चीखते हुए उलटे पांव वहां से भागे. कुएं के भीतर पानी में लाशें तैर रही थीं. चरवाहों ने गांव पहुंच कर इस की सूचना ग्राम प्रधान को दी. ग्राम प्रधान ने इस घटना की खबर गिचिकोंडा थाने को दे दी.

घटना की सूचना मिलते ही एसओ शिवरामे पुलिस टीम ले कर गांव पहुंच गए. कुएं का निरीक्षण किया तो उस में 4 लाशें तैरती नजर आईं. जबकि 5 लाशें कुएं की तलहटी में बैठ गई थीं, जो अगले दिन पानी पर उतराती दिखाई दीं.

पूछताछ के बाद पुलिस कमिश्नर वी. रविंद्र ने प्रैस कौन्फ्रैंस कर के घटना की जानकारी पत्रकारों को दी. संजय ने एक हत्या छिपाने के लिए 9 और हत्याओं को अंजाम दिया था. सबूत मिटाने के लिए उस ने सभी के मोबाइल फोन छिपा दिए थे, जो बरामद कर लिए गए.

सीसीटीवी फुटेज में भी उसे देखा गया. संजय की घिनौनी करतूत से पूरी मानवता शर्मसार हुई. उसे उस के किए की सजा जरूर मिलेगी.

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– कथा में शाइस्ता परिवर्तित नाम है. कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

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