मामला खुल गया था. मैं ने सांवल तथा उस की मां को गिरफ्तार कर लिया और रोशन एवं उस के भाई जैन को छोड़ दिया. इस के बाद सांवल से पूछताछ करने पर जो कहानी सामने आई, वह इस प्रकार थी—
सादतपुर वाले और बहलोलपुर वाले बालिके कहलाते थे. ये एक ही बिरादरी से आते थे. बालिके एक कबीला था, जो आपस में शादीब्याह कर लेता था. सांवल की शादी बहलोलपुर के करमू जाट की बेटी गुलबहार उर्फ गुल्लो से हुई थी.
गुल्लो बहुत सुंदर थी, लेकिन शादी के बाद वह चुप और खोईखोई सी रहती थी. पहले तो किसी ने ध्यान नहीं दिया, लेकिन जब काफी समय हो गया तो गांव की औरतों ने तरहतरह की बातें करनी शुरू कर दीं, जिस से सांवल के दिल में शक के बिच्छू ने पंजे गाड़ दिए.
उसे शक हुआ कि उस की पत्नी उसे नहीं चाहती, बल्कि किसी और को चाहती है. गुल्लो कभीकभी शाम के समय बिना बताए घर से निकल जाती थी. सांवल की मां ने उस से कहा कि वह अपनी पत्नी को संभाले, उस के लच्छन ठीक नहीं लगते.
एक बार रात के समय सांवल अपने फार्म के पश्चिमी छोर पर पहुंचा तो उसे पेड़ों के झुंड में 2 साए दिखाई दिए. उन के आकार से लग रहा था कि उन में एक औरत और एक मर्द है. सांवल को शक हुआ तो दबे पांव पास जा कर उस ने ललकारा तो उस आदमी ने सांवल पर लाठी से वार कर दिया.
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सांवल ने वार बचा कर बरछी से उस पर वार कर दिया, जो उस के पैर में उचटती सी लगी. वह आदमी मुकाबला करने के बजाय खेतों में घुस कर गायब हो गया. सांवल ने पास जा कर उस औरत को देखा तो वह कोई और नहीं, उस की पत्नी गुल्लो थी. वह थरथर कांप रही थी. वहीं एक छोटा सा संदूक पड़ा था. उस में कीमती कपड़े और गहने थे.
गुल्लो उस आदमी के साथ भाग रही थी. सांवल उसे पकड़ कर घर ले आया और काठकबाड़ वाले कमरे में बंद कर दिया. उस ने यह बात अपनी मां को बताई तो दोनों ने आपस में तय किया कि उसे खत्म कर दिया जाए.
सांवल फरसा ले कर कबाड़ के कमरे में पहुंचा, जहां गुल्लो बैठी थी. पति के हाथ में फरसा देख कर वह डर गई. वह हाथ जोड़ कर गिड़गिड़ाने लगी. लेकिन सांवल पर तो खून सवार था, उस ने फरसा उठाया और उस की गरदन काट दी. वह छटपटाने लगी, इस के बाद बरछी उस के सीने में उतार दी, जिस से वह तड़प कर मर गई.
अब लाश को ठिकाने लगाने की बात आई. मांबेटे की समझ नहीं आ रहा कि लाश को कहां छिपाएं. अंत में सांवल ने लाश को एक संदूक में डाला और बैलगाड़ी में रख कर मां और भावज के साथ दतवाल पहुंचा.
सांवल ने सोचा था कि संदूक कहीं रख कर निकल आएंगे. एक घर के बाहर 2 औरतें बैठी हुई दिखाई दीं तो उस ने बैलगाड़ी वहीं रोक दी. वे रोशन की मां और पत्नी थीं. फिर बहाने से संदूक रख कर वह मां और भावज के साथ वापस आ गया.
सांवल से पूछताछ के बाद उस की निशादेही पर उस की हवेली से फरसा और बरछी बरामद कर ली गई. जहां गुल्लो की हत्या की गई थी, वहां की जमीन पर उस के खून के निशान थे, उस मिट्टी को खुरच कर सीलबंद कर दिया गया.
इस के बाद मैं ने सांवल की मां के बयान लिए तो उस ने सांवल के बयान की पुष्टि कर दी. मैं ने उस की बड़ी बहू को भी बुलवाया, जो उस के साथ संदूक छिपाने गई थी. उस ने बताया कि इस हत्या से उस का कोई लेनादेना नहीं है.
मैं ने उसे वादामाफ गवाह बनने को कहा तो वह खुशी से तैयार हो गई. इस के बाद एक रोचक बात यह हुई कि मुकदमा तैयार कर के जब मैं चार्जशीट अदालत में पेश करने की तैयारी कर रहा था, तभी एक दिन सवेरेसवेरे एक जवान आदमी मेरे पास आया. उस ने अपना नाम बताया तो मैं चौंका. वह गुल्लो का प्रेमी शम्स था. उस ने बताया कि वह और गुल्लो एकदूसरे से प्रेम करते थे, लेकिन बिरादरी अलग होने से उन की शादी नहीं हो सकी थी.
गुल्लो की शादी सांवल से हो गई थी. शादी के बाद हंसनेखेलने वाली गुल्लो को चुप्पी लग गई. शम्स उस से मिलने कभीकभी सादतपुर जाता था. गुल्लो उस से मिलती थी तो रोरो कर कहती थी कि वह उसे यहां से ले चले.
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गुल्लो की हालत शम्स से देखी नहीं जा सकी और दोनों ने भागने का फैसला कर लिया. लेकिन जब वे भाग रहे थे तो पकडे़ गए. उस ने बताया कि वह इसलिए गायब हो गया था कि उस की टांग में बरछी लगी थी. सांवल उसे पहचान लेता तो उस की हत्या कर देता.
अब उसे पता चला है कि गुल्लो की हत्या कर दी गई है तो वह सांवल के खिलाफ बयान देने आया है. मैं ने उस का बयान लिया. बयान देते समय उस की आंखों में आंसू थे, लेकिन मुझे उस से कोई हमदर्दी नहीं थी, क्योंकि वह बुजदिल प्रेमी था. वह अपनी प्रेमिका को छोड़ कर भाग गया था और अब घडि़याली आंसू बहा रहा था.
मैं ने केस बहुत मजबूत बनाया था. अदालत ने सांवल को आजीवन कारावास और उस की मां को 7 साल की सजा सुनाई थी.