Valentine’s Day 2024: ये 9 टिप्स अपनाएं, अपने खास पल यादगार बनाएं

सुखद दांपत्य जीवन का आधार सफल सैक्स ही है और सैक्स यानी सहवास की सफलता पतिपत्नी दोनों पर निर्भर करती है. विकासपुरी, दिल्ली की नेहा का मानना है कि सफल सहवास तभी मुमकिन है जब आप के पति या पार्टनर आप को और्गेज्म तक पहुंचाएं. सैक्सोलौजिस्ट डा. अशोक कहते हैं कि पतिपत्नी दोनों ही चरम सुख प्राप्त कर सकें, इस के लिए एकदूसरे के प्रति आकर्षण, प्राइवेसी और मानसिक तौर पर तैयार होना जरूरी है.

आइए, जानते हैं प्यार के मीठे पलों के लिए जरूरी कुछ टिप्स:

  1. एकदूसरे के प्रति आकर्षण

पतिपत्नी का एकदूसरे के प्रति आकर्षण ही कामोत्तेजना पैदा करता है, क्योंकि आकर्षण ही सहवास के लिए दोनों में उत्तेजना पैदा कर शरीर में स्थित सैक्स ग्रंथियों में हारमोंस के स्राव का कारण बनता है.

डा. अशोक के मुताबिक किसी महिला के शरीर से अंडाणु निकाल दिए जाएं तो उस का आकर्षण पुरुष के प्रति लगभग समाप्त हो जाता है. इसी तरह अगर पुरुष के ब्रेन के नीचे की रस प्रवाहिका ग्रंथि निकाल दी जाए तो उस के अंडकोश सूख जाते हैं. सहवास करने की इच्छा के लिए सभी यौन ग्रंथियों की सक्रियता के साथसाथ आकर्षण बेहद जरूरी है.

डा. अशोक के मुताबिक, कई स्त्रीपुरुषों में एकदूसरे के प्रति आकर्षण का अभाव होता है, तो कोईकोई पुरुष हर बार नई स्त्री के साथ सहवास करना चाहता है. उस के लिए उम्र, रंगरूप कोई माने नहीं रखता. वह बस सहवास को प्राथमिकता देता है. पतिपत्नी के बीच सैक्स सफलता की कमी ही उन की सैक्स लाइफ को कष्टमय बना देती है.

  1. बैडरूम को सैक्सी लुक दें

सैक्सी मूड बनाने के लिए बैडरूम का सैक्सी लुक होना जरूरी है. बैडरूम में फूलों वाली बैडशीट बिछाएं, साटन के परदे लगाएं और उसे रंगीन गुलाबों से सजाएं और उस में कैंडल्स जलाएं. ऐसा माहौल आप को केवल रोमांटिक ही नहीं बनाएगा, बल्कि सैक्सुअल ऐनर्जी को बढ़ाने में मददगार होगा.

  1. खुशबू से महकाएं तन

परफ्यूम की खुशबू सहवास क्रिया में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है. खुशबू से महकता हुआ स्त्रीपुरुष का शरीर सैक्स इच्छा को तीव्र ही नहीं करता, बल्कि कामोत्तेजना को भी बढ़ाता है. भावनात्मक रूप से भी पतिपत्नी एकदूसरे के नजदीक आते हैं. इस से सैक्स लाइफ आनंदमयी बन जाती है.

  1. पहनें सैक्सी वस्त्र

सहवास को खास बनाने में सैक्सी वस्त्र अहम भूमिका निभाते हैं. पति को सरप्राइज देने के लिए सैक्सी इनरवियर पहनें. नाइटी भी रैड, गुलाबी, नीले रंग की चुनें. कामोत्तेजना बढ़ाने में सैक्सी वस्त्रों की अपनी अलग ही भूमिका होती है. ऐसा होने से पतिपत्नी दोनों ही चरम सुख को प्राप्त कर सकते हैं.

  1. आलिंगन भी अहम

विवाह के बाद तनमन दोनों ही मिलते हैं. यही शारीरिक स्पर्श रिश्तों को मजबूती प्रदान करता है. कभीकभी काम की अधिकता की वजह से पतिपत्नी आलिंगन, चुंबन और सहवास करने का समय ही नहीं निकाल पाते हैं. सहवास के समय आलिंगन, स्पर्श, चुंबन को महसूस कर सफल सैक्स को अंजाम दिया जा सकता है.

  1. भावनात्मक भी रहें

अकसर सैक्स क्रिया से पूर्व सुखद वातावरण बिना बनाए ही पति पत्नी से संबंध बनाने की चेष्टा करते हैं. जबकि भावनात्मक पहलू को सैक्स के दौरान और बाद में भी समझना चाहिए. पति पत्नी की आंखों में शर्म, प्यार और शब्दों में भावनात्मक प्यार ही चाहता है, तो पत्नी भी चाहती है कि पति उस के काम की प्रशंसा और सौंदर्य की सराहना करे. इस के साथसाथ दोनों एकदूसरे के यौन संबंधी स्वभाव की भिन्नता को जानते हुए भी एकदूसरे को कौपरेट करें.

  1. जल्दबाजी ठीक नहीं

डा. अशोक के मुताबिक महिलाओं में सहवास संतुष्टि को ले कर 3 प्रकार की विभिन्नताएं पाई जाती हैं:

जल्दी संतुष्ट होने वाली.

थोड़ी देर में संतुष्ट होने वाली.

देर से संतुष्ट होने वाली.

कई पति पत्नी को पूर्णरूप से सैक्स के लिए तैयार न कर के जल्दबाजी में सहवास करते हैं. जबकि उन्हें अपनी पत्नी को उस की मनोवृत्ति के अनुसार सैक्स में संतुष्ट करना चाहिए. पत्नी यदि विभिन्न रतिक्रियाओं से संतुष्ट होने वाली हो तो पति को उस पर भी ध्यान देना चाहिए.

  1. सहवास से पहले

इस के अलावा सहवास से पहले स्पर्श, आलिंगन, चुंबन, मर्दन आदि कामक्रीडाओं से उत्तेजना को चरम सीमा पर पहुंचा कर ही सहवास करना चाहिए. पूर्ण संतुष्टि के लिए पतिपत्नी को लज्जा, भय, संकोच, अशांति को त्याग कर कामक्रीडा को अंजाम देना चाहिए.

  1. तनाव न करें

सैक्स का मनमस्तिष्क से संबंध होता है. यदि मन में भय, चिंता, लोकलाज का भय हो तो कई बार प्रथम सहवास में पुरुष शीघ्रपतन का शिकार बन जाता है और थकान व तनाव की स्थिति में पतिपत्नी दोनों ही सफल सहवास करने और सैक्स का आनंद उठाने से वंचित रह जाते हैं. दांपत्य जीवन में सैक्स सुख सही तालमेल और प्रसन्न रहने से ही प्राप्त होता है.

Valentine’s Special: प्यार और रोमांस एक ही सिक्के के दो पहलू

रोमांस का मतलब केवल प्यारमुहब्बत और दैहिक सुख ही प्राप्त करना नहीं है, बल्कि रोमांस का अर्थ है दो युवा दिलों का एकसाथ धड़कना, एकदूसरे की भावनाओं को समझना. जिस प्रेम में निष्ठा हो उस में ही रोमांस प्राप्त होता है. अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिए निष्ठा व प्रेम जरूरी हैं. कोई व्यक्ति अपने लक्ष्य में तभी कामयाबी पाता है जब उस के मन में कुछ कर पाने की इच्छा और लगन होती है.

रोमांस यानी अपने प्यार को दिलोजान से पाने का एहसास. कोई ऐसा साथी मिले, जो प्यारी सी मीठी बातें या फिर छेड़छाड़ करे जो तनमन में स्पंदन जगा कर रोमरोम को पुलकित कर दे यानी रोमांस एक खूबसूरत एहसास भर देता है.

एक मल्टीनैशनल कंपनी में कार्यरत सुजाता का मानना है कि रोमांस के बिना जिंदगी अधूरी होती है. मैं नहीं जानती कि रोमांस की उत्पत्ति कब और कहां से हुई, पर मैं इतना जरूर कहूंगी कि रोमांस अपने प्यार के प्रति दीवानगी को बढ़ाता है.

आकर्षण है रोमांस

एक महिला सामाजिक संगठन से जुड़ी जया की मानें तो रोमांस ऐसा आकर्षण है जो अपने प्रिय को अपनी ओर आकर्षित करता है, जो कम समय में ही अपने प्यार को सम्मोहन में जकड़ लेता है.

अकेलेपन की स्थिति में रोमांस जीवन में रंग भरने का काम करता है. एकदूसरे का सामीप्य रोमांस की संभावनाओं को और बढ़ा देता है. रोमांस के बिना लाइफ में सबकुछ अधूराअधूरा सा लगता है.

सिक्के के दो पहलू

प्रेम और रोमांस एक ही सिक्के के दो पहलू हैं. एक निजी स्कूल संचालिका गीता का कहना है, ‘‘रोमांस के बिना प्यार संभव ही नहीं है, क्योंकि ये दोनों ही व्यक्ति को प्यार की राह पर आगे बढ़ने को मजबूर करते हैं.

‘‘प्यार अगर मंजिल है तो रोमांस उस तक पहुंचने का रास्ता है. बिना रामांस के प्यार को परवान तक पहुंचा पाना मुश्किल होता है. रोमांस प्रेम में तभी बदलता है जब एकदूसरे के प्रति रोमांस के भाव उत्पन्न हों. हम यह कह सकते हैं कि रोमांस दो प्रेम पथिकों को एकदूसरे से जोड़ने का सरल व सुंदर माध्यम है.’’

उत्साह है जरूरी

रोमांस में उत्साह का होना बहुत जरूरी है. बिना उत्साह के इस का रसपान करना संभव नहीं है. उत्साह ही रोमांस को जोशीला बनाता है, तनमन की गहराइयों का एहसास कराता है. सुरेश और संगीता अपने रोमांस को ले कर काफी उत्साहित थे. इसीलिए आज वे दोनों रोमांस करने के बाद, अच्छे साथी बन कर एक सफल गृहस्थ बन जीवनयापन कर रहे हैं.

वास्तविक प्रेम

प्रेम और रोमांस में वास्तविकता होनी बहुत जरूरी है. प्रेम में खुशबू है और खुशबू की तरह प्रेम को भी छिपाया नहीं जा सकता. दो युवा दिल अपने बदन की खुशबू को बखूबी पहचानते हैं, महसूस करते हैं. खुशबूरूपी वास्तविकता प्यार में ताजगी बनाए रखती है. इसलिए प्रेम में वास्तविकता संजीवनी का काम करती है. फिर कहा भी जाता है कि प्रेम में अमीरीगरीबी नहीं देखी जाती.

स्पंदन का एहसास

डा. सुरेंद्र सरदाना का कहना है, ‘‘रोमांस एक एहसास है, जिस की गहराई महसूस की जा सकती है. अपने चाहने वाले के लिए जिस प्रकार दिल की धड़कनें रुकने का नाम नहीं लेतीं, ठीक उसी प्रकार प्यार में रोमांस के बिना मजा किरकिरा हो जाता है. किसी अपने चहेते, जो दिल ही दिल आप को चाहता है, उस से मिलने की इच्छा तीव्र हो जाती है. प्रिय से निगाहें मिलने पर तनमन में स्पंदन सा महसूस होता है और तब प्यार के सागर में डुबकी लगाने को मन करता है. यही तो है रोमांस आप का. रोमांस तभी आनंदित करता है, जब उस में एकदूसरे का एहसास हो.’’

कुल मिला कर यही कहा जा सकता है कि प्रेम और रोमांस एक सिक्के के दो पहलू हैं. प्रेम के बिना रोमांस अधूरा है. रोमांस दो शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता. रोमांस का भाव स्थायी नहीं, संचारी होता है, क्योंकि यह प्रेमियों के तनमन में संचारित होता रहता है.

प्यार न हो कम

– लड़कियां जब प्यार करती हैं तो अपने प्रेमी के सिवा कुछ सोचना नहीं चाहतीं, जबकि लड़के कुछ पर्सनल स्पेस चाहते हैं. सो, उन्हें स्पेस देती रहें. इस से आप में उन की दिलचस्पी बनी रहेगी और वे ज्यादा खुश रहेंगे.

– हर लड़का चाहता है कि उसे वह इज्जत मिले जिस के लिए वह डिजर्व करता है. यह इज्जत तब और भी खास हो जाती है जब अपने चाहने वाले से मिले. अगर आप उसे इज्जत नहीं देंगी तो वह रिश्ते को कहीं न कहीं बोझ समझने लगेगा.

– प्यार में उत्साह बनाए रखना जरूरी है. इस के लिए रोमांस के नएनए तरीके, शरारत, अदाओं को करने में कोई कसर न छोड़ें.

– अपने वर्तमान की तुलना कभी भी अतीत से न करें.

– पार्टनर से कुछ पाने की चाहत रखने के बजाय उसे कुछ देने पर ध्यान दें, चाहे वह छोटा सा गुलाब हो.

– कोई भी व्यक्ति परफैक्ट नहीं होता पर अपने पार्टनर को अपने लिए हमेशा परफैक्ट मानें.

– पार्टनर को रोमांस के मामले में सौफ्टली हैंडल करें. रोमांस करने में उसे कुछ भय है तो प्यार, मनुहार और फोरप्ले द्वारा उसे तैयार करें. तभी आप दोनों रोमांस के पलों का आनंद उठा पाएंगे.

Valentine’s Day 2024: क्यों कम हाइट की लड़कियों को पसंद करते हैं लड़के, जानें 7 कारण

शादी के लिये रिश्ते करते समय लड़के-लड़की के रंग-रूप और कद-काठी पर भी ध्यान दिया जाता है. कोशिश होती है कि लड़के-लड़की के कद में अधिक अंतर न हो. लेकिन दक्षिण कोरिया में हुई एक रिसर्च के मुताबिक कद का अंतर प्यार बढ़ाता है.

7850 महिलाओं पर किए गए सर्वे में यह सामने आया कि जिन पतियों की लंबाई पत्नी की तुलना में बहुत ज्यादा होती है, वह पुरुष अच्छे पति साबित होते हैं और ऐसी बीवियां भविष्य में बहुत ही खुशहाल जीवन बिताती हैं.

हम यहां बता रहे हैं 7 कारण जिसकी वजह से पुरुष छोटे कद की महिला को पसंद करते हैं.

1-पुरुष खुद को ताकतवर महसूस करते हैं

किसी रिश्ते का सही तरह से आगे बढ़ना या न बढ़ना काफी हद तक एक-दूसरे की सोच पर निर्भर करता है. अपने से कम हाइट की महिलाओं पार्टनर को पाकर पुरुष ताकतवर मेहसूस करने लगता है. उन्हें लगता है कि वो अपने कद की वजह महिलाओं से अपनी बात आसानी से मनवा सकते हैं. ऐसे मामलों में पुरुष न चाहते हुए भी धीरे-धीरे डोमिनेटिंग नेचर के बन जाते हैं.

2-खुद को सुरक्षित महसूस करते हैं

लंबे पुरुषों को लगता है कि उनकी कम कद की पार्टनर को हर वक्त उनके प्रोटेक्शन की जरूरत है जिससे वो उन्हें एक्स्ट्रा केयर और प्रोटेक्शन देते हैं. ऐसी महिला  के साथ वो किसी भी तरह से असुरक्षित महसूस नहीं करते. कई मामलों में देखा गया है कि कम हाइट की महिलाएं भले ही दिखने में ज्यादा सुंदर हों लेकिन पुरुष अपने लंबे कद की वजह से इसे बैलेंस कर देते हैं.

3-झप्पी देना लगता है अच्छा

ज्यादातर पुरुषों को कम हाइट की महिलाओं को गले लगाना अच्छा लगता है. ऐसी महिलाओं को गले लगाने से उन्हें अपनेपन का अहसास होता है जिसका मौका वो कभी नहीं चूकते.

4- महिलाओं के लंबे कद से लगता है डर

लंबी महिलाएं अपनी हर बात को लेकर बहुत ही कॉन्फिडेंट होती हैं लेकिन उनका कॉन्फिडेंस इगो और घमंड का भरा होता है. पुरुषों में भी इगो वाला नेचर देखा जा सकता है लेकिन वो इसे शो नहीं करते. इसीलिये लंबे कद वाली महिलाओं को पुरुष पसंद नहीं करते.

5-खास होती हैं छोटे कद की महिलाएं

अपने कद को अपने व्यक्तित्व की कमी मानने वाली महिलाएं कई बार इस बात से अंजान होती हैं कि उनके बाकी फीचर्स कितने अलग हैं जो दूसरों को अट्रैक्ट करने के लिए काफी हैं. सरल, मासूम और काइन्ड नेचर होने के साथ कम हाइट की महिलाएं अक्सर रोमांटिक नेचर की होती हैं.

6-करती हैं सेक्स लाइफ को एन्जॉय

पुरुषों को कम हाइट की महिलाएं इसलिए भी ज्यादा पसंद आती हैं क्योंकि वो सेक्स को अच्छे से एन्जॉय करती हैं. कम हाइट की वजह से उनका वजन भी उतना ज्यादा नहीं होता जो पुरुषों के लिए अच्छा होता है. अपनी सेक्सुअल लाइफ को एन्जॉय करने में लिए खासतौर से पुरुष ऐसी महिलाओं को पसंद करते हैं.

7-साथ घूमना-फिरना है आसान

पुरुषों के रोमांटिक नेचर को असल में कम हाइट की महिलाओं के साथ देखा जा सकता है. उन्हें बहुत ही अच्छा लगता है ऐसी महिलाओं को उठाकर घूमना. हनीमून ट्रिप हो या डेट वो ऐसे किसी मौके को हाथ से जाने नहीं देते.

Valentine’s Day 2024 : 1 नहीं 5 तरह का होता है एकतरफा प्यार

अमूमन जब हम किसी से प्यार करते हैं तो बदले में उस व्यक्ति से भी प्यार पाना चाहते हैं, तब भी जब उसे हममे कोई भी रूचि नहीं होती. वैज्ञानिकों ने हाल में किये कुछ शोधों के आधार पर पांच तरह के एकतरफा प्यार का खुलासा किया है और बताया है कि यह सच्चे प्यार से किस तरह अलग होता है.

आप और आपकी दोस्त एक दूसरे को तीन सालों से जानते हैं. आप अपनी दोस्त के प्रति इतने ज्यादा आकर्षित हैं कि आपके दोस्त उसे आपकी गर्लफ्रेंड ही मानने लगे हैं. काश यह सच होता. आप पूरी तरह उसके प्यार में हैं और आप हर वक्त उसी के बारे में सोचते रहते हैं. लेकिन आपको यह अच्छे से पता है कि वो आपसे प्यार नहीं करती है क्योंकि जब भी कोई उससे आपके बारे में पूछता है तो वह बताती है कि आप दोनों महज दोस्त हैं. इसका मतलब यह है कि आप एकतरफा प्यार में हैं.

मीठा दर्द

जब आपको मालूम है कि उसको आपमें कोई दिलचस्पी नहीं है, तो आपको क्यों लगता है कि एक दिन उसका दिल पसीज जाएगा. आप उस व्यक्ति के साथ एक ऐसे एकतरफा प्यार में हैं जिसके लिए सिर्फ आपके दिल में रोमांटिक ख्याल आ रहे हैं लेकिन वह आपकी तरह कुछ भी महसूस नहीं कर रही है. दुःख की बात यह है कि एकतरफा प्यार के किस्से काफी आम हैं.

ऐसी स्थिति में क्या एकतरफा प्यार में भी वैसा महसूस करने की संभावना है जैसा कि लोग दोतरफा प्यार में महसूस करते हैं.

इसका जवाब ढूंढने के लिए अमेरिकी शोधकर्ताओं ने पांच तरह के एकतरफा प्यार पर अध्ययन किया. उन्होंने पता लगाया कि जिस व्यक्ति को आप प्यार करते हैं और उसे हासिल करना चाहते हैं, वह आपको किस तरह प्रभावित करता है और आप एक दूसरे के जीवन में क्या महत्व रखते हैं. अपने शोध के आधार पर उन्होंने पांच तरह के एकतरफा प्यार का जिक्र किया है. आइये उनके बारे में जानते हैं:

एकतरफा प्यार के पांच प्रकार 

सेलेब्रिटी या हीरो से प्यार

आपको किसी ऐसे व्यक्ति से प्यार है जिसे आप व्यक्तिगत रूप से नहीं जानते हैं ना ही कभी जानने की संभावना है, जैसे फिल्म स्टार, रौकस्टार या एथलीट. किशोरावस्था में कई लड़के फिल्म अभिनेत्रियों के प्रति ऐसा प्यार महसूस करते हैं उन्हें लगता है कि उनसे ज्यादा इस हीरोइन को प्यार करने वाला दूसरा कोई नहीं.

बहुत करीब फिर भी बहुत दूर

किसी ऐसे व्यक्ति के प्रति प्यार जिसे आप अच्छी तरह जानते हैं लेकिन किसी वजह से आप उससे अपने मन की बात नहीं कह पाते हैं. ऐसा कई लड़के लड़कियों के साथ होता है कि उन्हें अपने क्लासरूम या औफिस में कोई पसंद होता है, लेकिन वे किसी डर या किसी अन्य वजह से उससे कुछ कह नहीं पाते. यह भी एकतरफा प्यार का एक टाइप है.

प्यार पाने की पूरी कोशिश करना

एक ऐसा रिश्ता जिसमें आप किसी व्यक्ति को बहुत प्यार करते हैं, लेकिन बदले में आपको उस व्यक्ति का प्यार हासिल नहीं हो पाता है.

पुराना प्रेम संबंध

कोई ऐसा प्रेम संबंध जो किसी कारणवश खत्म हो चुका हो, लेकिन आपके दिल में अभी भी उसके प्रति प्यार बना हो लेकिन अब उसके पास लौटने की कोई गुंजाइश न हो.

बेदर्द प्यार

आप अपने की तुलना में उससे ज़्यादा प्यार करते हैं और उसके प्रति ज़्यादा वफ़ादार हैं. ऐसे रिश्तों में ताजगी बनाए रखने के लिए आप अपने पार्टनर से ज्यादा प्रयत्न करते हैं.

सबके साथ होता है

शोधकर्ताओं ने तीन सौ हाईस्कूल और विश्वविद्यालय के छात्रों पर अध्ययन किया और पिछले दो वर्षों में उनके एकतरफा प्यार के अनुभवों के बारे में पूछा. शोधकर्ताओं ने यह भी जानने का प्रयत्न किया कि भावनात्मक रूप से एक से सात तक के पैमाने उनकी भावनाएं कितनी चरम पर थीं.

शोधकर्ताओं ने 450 छात्रों पर दूसरा अध्ययन किया और उनसे पूछा कि एकतरफा प्यार में जूनून और वफादारी के अलावा अन्य सकारात्मक पहलू क्या होते हैं.

शोधकर्ताओं ने पाया कि छात्रों को दोतरफा प्यार की तुलना में एकतरफ़ा प्यार चार गुना अधिक होता है. करीब नब्बे प्रतिशत लोग उनके लिए रोए थे जो पिछले दो सालों में अपने प्यार को किसी मुकाम पर नहीं पहुंचा पाए.

शोध में पाया गया कि किसी ऐसे व्यक्ति के प्रति गहरा आकर्षण जिसे आप जानते हैं लेकिन उससे अपने दिल की बात कह नहीं सकते, एकतरफा प्यार में होने वाली सबसे आम घटना है. दो प्यार करने वालों के बीच एक दूसरे के प्रति बराबर प्यार ना होना भी आम पाया गया.

दुःख तो होता ही है

स्टडी में पाया गया कि हर तरह के एकतरफा प्यार में दोतरफा प्यार की अपेक्षा कम गहराई होती है. दो लोगों के बीच प्रेम संबंध जूनून, अंतरंगता और एक दूसरे का ख्याल रखने से ही प्रगाढ़ होता है.

लेकिन जिस व्यक्ति को आप प्यार करते हैं उसके प्रति आपकी भावनाएं कितनी गहरी हैं यह इस पर निर्भर करता है कि आप किस तरह के एकतरफा प्यार में हैं. किसी फिल्म स्टार के प्रति गहरे आकर्षण की तुलना आपकी पुराने गर्लफ्रेंड से नहीं की जा सकती है जिसके साथ आप फिर से जुड़ना चाहते हैं.

रिसर्च ने इस सिद्धांत को खारिज कर दिया है कि एकतरफा प्यार किसी भी तरह दोतरफा प्यार के कुछ सकारात्मक पहलुओं को प्रदान करता है, जैसे उस व्यक्ति के लिए पागलपन, उससे अंतरंगता और शारीरिक संबंध बनाने की इच्छा और रिश्ते में बिना किसी उतार चढ़ाव के उसके साथ रहने की इच्छा. एकतरफा प्यार असुविधाजनक और निश्चित रूप से असंतुष्ट स्थिति है.

एकतरफा प्यार क्यों होता है?

एक समय ऐसा आता है जब हम किसी व्यक्ति के साथ रोमांस करने को तरसते हैं लेकिन हम जिससे प्यार करते हैं उसे हममें कोई दिलचस्पी ही नहीं होती है. यह जानते हुए भी हम उसकी सभी बातें आसानी से बर्दाश्त कर लेते हैं.

शोधकर्ताओं ने तीन सिद्धांत दिए हैं:

प्यार का एहसास होना अच्छा है

आप किसी ऐसे व्यक्ति से प्यार करते हैं जिसे आपमें रूचि नहीं है लेकिन आप उससे वह प्यार हासिल करना चाहते हैं जो दोस्ती के रिश्ते में आप कभी नहीं पा सकते हैं. उदाहरण के लिए एकतरफा प्यार और वास्तविक प्यार दोनों में किसी के लिए पागल होना आम बात है. किसी के साथ रिश्ता जुड़ने का ख्याल और उसका होने का सपना देखना भावनात्मक रूप से अच्छा है बजाय इसके कि कोई ख्याल ही ना आए.

खुद को जानने का मौका

एकतरफा प्यार आपके जीवन का एक ऐसा अनुभव है जो एक समय में गलत साबित जरूर हो सकता है लेकिन इससे आपको यह जानने में सहायता मिलती है कि आप कैसे हैं और आपको किस तरह के पार्टनर की जरूरत है.

जीत इसी में है

अंत में, शोधकर्ताओं का कहना है कि एकतरफ़ा प्यार देरी से मिलने वाले किसी मुनाफ़े जैसा है. हालांकि यह थोड़ी देर के लिए बेचैन कर देता है लेकिन भविष्य में रिश्ते जुड़ने की संभावना भी इसी से बनती है.

Valentine’s Special: अपने पार्टनर को ऐसे करें प्रपोज

अरेंज मैरिज हो या लव मैरिज. आप पहलें अपने पार्टनर को पूरा तरह जानने की कोशिश करते हैं जिससे कि शादी के बाद उसे समझनें में ही आधा वक्त न निकल जाए. अरेंज मैरिज की बात करे तो आप और आपकी पार्टनर दोनों ही अनजानें सफर में चल पडते है. पहलें जमाने की बात करें तो शादी से पहले मिलना भी बड़ी मुश्किल का काम था लेकिन इस जमानें में इस सफर को आसान बनानें के लिए सगाई का दौर शुरू हो गया जिससे की आप एक-दूसरें के ठीक ढंग से पहचान सकें, एक-दूसरें की आदतो, पसंद-नापसंद के बारें में जान सके. माना जाता है कि अरेंज शादी में प्यार शादी के बाद और लव मैरिज में शादी से पहले प्यार होता है.

अगर आप चाहें तो अरेंज मैरिज के शादी सें पहलें ही दोनों के बीच प्यार ला सकते है लेकिन आपकी हिचकिचाहट और ठीक ढंग आइडिया न हो पाने के कारण ज्यादा समय लग जाता है. लेकिन हम अपनी खबर में ऐसी आइडिया के बारें में बताएगें जिन्हें अपनाकर अरेंज मैरिज को भी लव में बदला जा सकता है.

1. फैमली और दोस्तों की सहायता लें

अपनें पार्टनर की पसंद-नापसंद को जानने के लिए आपकी सहायता फैमली और दोस्त ही सबसे ज्यादा कर सकते हैं. अपनें दोस्तों की मदद से अपने पार्टनर को बाहर घूमने के लिए भेजिए और आप घर के एक अच्छें से कमरें को चुन कर अपने पार्टनर की पसंद की चीजों जैसे की उसकी पसंद के फूल, कैंडल आजि से सजाए और उसके वापस आने पर उसे  डेकोरेटेड रूम में वेडिंग रिंग के साथ प्रपोज करें. जो जरुर आपसे इंप्रेस हो जाएगी.

2. पिक्चर हॅाल में

प्रपोज करने का यह तरीका अच्छा साबित हो सकता है. यह तरीका थोड़ा फिल्मी है लेकिन इससे आपकी लाइफ पार्टनर इंप्रेस हो सकती है इसके लिए आपको सही समय को चुनें और इसके लिए सही समय है कि हॅाल खाली है या फिर इंटरवल का वक्त हो या फिर आप चाहें तो थियेटर बुक करा लें. इसके बाद सबसे सामने अपनी पार्टनर से पूछें “विल यू मैरी मी”.

3. सगाई होने से पहलें करें प्रपोज

सगाई वालें दिन आपनी पार्टनर के पास जाकर उसके सामनें घुटनें के बल बैठ कर उसे प्रपोज करें यद बहुत ही रोमांटिक होगा.

4. पार्टनर के जन्मदिन पर

अगर आप लकी हुए औऱ शादी और सगाई से पहलें उसका बर्थडे पड़ रहा हा तो यह आपके लिए प्रपोज करने का अच्छा मौका है. इसके लिए उसे डेट में ले जाए या फिर उनके रूम  में बड़ा से गिफ्ट रखें और साथ में अपने हाथ से लिखा हुआ कार्ड भी रखें. जिसमें अपने हाथों से ‘हैप्पी बर्थडे माय लव, विल यू मैरी मी’ लिखकर उन्हें प्रपोज करें.

5. फैमिली डिनर पर करें प्रपोज

शादी से पहले दोनों परिवार मिलकर किसी डिनर या लंच का प्लान कर सकते हैं. खाने की टेबल पर सबको अटेंशन करते हुए पेरेंट्स को थैंक्यू कहें कि उन्होंने आपके लिए खूबसूरत और अंडरस्टैडिंग पार्टनर चुना और फिर पार्टनर के सामने शादी का प्रपोजल रखें. ये इमोशनल आइडिया केवल पार्टनर का ही नहीं, बल्कि पेरेंट्स के दिल को भी छू जाएगा.

6. वीडियो बनाकर अपनी पार्टनर को करें इंप्रेस

आजकल समय कम होने के कारण सगाई और शादी के बीच के बहुत कम समय मिलता है एक-दूसरें को जाननें का लेकिन आप इस  थोड़े से समय का सही इस्तेमाल कर सकते है. इसके लइए आप अपने पार्टनर की आदतों, नेचर, स्टाइल, जिस भी चीज के आफ दीवाने हैं इऩ बातों को लेकर उसकी तारीफ करते हुए एक वीडियों बना कर उसे एक्सप्रेस करें और साथ ही उन्हें इस वीडियो के जरिए प्रपोज करें. इस वीडियो को उनके साथ अपने फ्रेंड्स को भी शेयर करें. पार्टनर को इम्प्रेस और प्रपोज करने का ये बेहतरीन आइडिया उन्हें जरूर पसंद आएगा.

Crime: अठारह साल बाद शातिर अपराधी की स्वीकारोक्ति

कहते हैं- हत्या का अपराध छुपता नहीं है, यह बात एक बार पुनः सत्य हो गई हत्या करने के बाद सालों साल आत्मग्लानि से पीड़ित शख्स ने अाखिर कानून के सामने यह स्वीकार कर लिया कि उसने अपने दोस्त की हत्या 18 साल पहले की थी.

यह आत्म स्वीकारोक्ति बताती है कि हत्या जैसे संगीन अपराध इंसान की जिंदगी को किस तरह तबाह और बर्बाद कर देता है.

अपने दोस्त को मौत के घाट उतार कर उसे जंगल में दफनाने की घटना का खुलासा 18 साल बाद स्वयं आरोपी ने किया है. यह घटना छत्तीसगढ़ के जिला बालोद की है आरोपी के पुलिस के समक्ष स्वीकारोक्ति के बाद  प्रशासन और नगर में में हड़कंप मच गया है.

यह घटना हम आपको तपसील से बताते हैं – बालोद के करकभाट गांव के आरोपी की निशानदेही पर दो दिन तक स्थानीय प्रशासन और पुलिस प्रशासन ने जंगल में खुदाई करवाई लेकिन मृतक का शव या कोई भी अवशेष नहीं मिल पाया है.

आरोपी हत्या के बाद  परिवार के साथ रोजी-रोटी की तलाश में कहीं चला गया था जब वापस आया तो गुमसुम रहने लगा था धीरे धीरे उसकी मानसिक हालत खराब होने  लगी रातों को नींद नहीं आती थी वह बैचेन रहने लगा था.

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दरअसल, यह सनसनीखेज मामला छत्तीसगढ़ के बालोद थाना क्षेत्र अंतर्गत ग्राम करकभाट में रहने वाले टीकम कोलियार का है. उसने अचानक अपने परिवार और गांववालों को बताया कि 2003 में उसने अपने दोस्त छवेश्वर गोयल की हत्या कर दी थी. हत्या करने के बाद में उसे गांव के पास की जंगल में दफना दिया था. इस मामले की सूचना ग्रामीणों ने अंततः पुलिस को दी.और पुलिस ने आरोपी की निशानदेही पर दो दिन तक खुदाई जरूर की लेकिन हाथ कुछ नहीं लगा. पुलिस का मानना है कि घटना घटित हो सकती है क्योंकि मृतक युवक 2003 से लापता है उस दरमियान लापता युवक की रिपोर्ट पुलिस में दर्ज कराई गई थी. यह भी तथ्य सामने आए हैं दोनों ही अच्छे मित्र थे साथ साथ रहते थे पता पुलिसि यह मान के चल रही है घटना में सत्यता हो सकती है.मगर जब तक मृतक का कोई अवशेष बरामद नहीं होता फॉरेंसिक जांच नहीं हो जाती पुलिस मामला दर्ज करने में अपने आप को असमर्थ पा रही है.जो कानूनी रूप से सही भी है.

पुलिस के मुताबिक आरोपी का बयान है कि मृतक दोस्त अब उसे सपने में आकर सताने लगा है, इस वजह से उसने इस पूरे मामले को लोगों को बताया. वहीं इस घटना का कारण उसने बताया कि उसकी जो प्रेमिका थी और जो वर्तमान में उसकी धर्म पत्नी है उसे देखकर उसका दोस्त उससे लगातार जबरदस्ती संबंध बनाने की कोशिश करता था उसकी हरकतों से नाराज़ हो कर उसने गुस्से में आकर दोस्त छवेश्वर गोयल की हत्या कर दी थी.

शातिर अपराधी है हत्यारा

हत्या की घटना स्वीकार करने के‌ पश्चात रोते हुए उसने पुलिस को बताया कि 2003 फरवरी में छबेश्वर ने उसकी होने वाली पत्नी के साथ छेड़छाड़ की थी.  इसकी जानकारी उसे मिली उसकी छबेश्वर से अच्छी दोस्ती थी उसे समझाया मगर वह नहीं माना जिसके बाद वह गांव के खेत तरफ छबेश्वर के साथ  गया, शाम 7 बजे अचानक लोहे की रॉड से उसके सिर पर हमला कर हत्या कर दी.

गांव में किसी को इसकी जानकारी न हो, इसलिए घटना स्थल से 300 मीटर दूर देर रात गड्ढा खोदकर शव को बोरे में भरकर दफना दिया. घटना के दो साल बाद छेड़छाड़ की शिकार लड़की से टीकम ने विवाह कर लिया.

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इस घटना में सबसे महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि मृतक के पिता जगदीश व मां सरस्वती के मुताबिक  जब उनका बेटा घर नहीं आया तो इसकी सूचना थाने में भी दी.  उम्मीद थी कि उनका बेटा एक दिन वापस  आएगा. अब टीकम के द्वारा हत्या की बात बताई जाने पर उन्होंने  आरोपी को कड़ी सजा देने की मांग की है.

हमारे संवाददाता को पुलिस ने बताया  छबेश्वर के घर वाले लगातार खोजबीन कर रहे थे तो  इसलिए वह गांव के एक लैंडलाइन फोन से मित्र के पिता और मां को फोन लगाकर बात करता था . वह छबेश्वर बनकर उसके माता-पिता से बात करता था. कहता था – वह जहां भी है, खुश है,अच्छा सा काम कर रहा है. मेरी फिक्र मत करना. यह इसलिए कहता था ताकि अहसास न हो कि उनका बेटा मर गया है. यह सच  टीकम ने छबेश्वर के पिता जगदीश को भी बताई सुन कर आवाक रह गए.

Valentine’s Special- मूंछ की दीवार: इश्क में मूंछ बन गई दीवार

जब नेहा अपने मायके से ब्याह कर ससुराल आई, तो मनोहर का बरताव उसे बेहद पसंद आया. क्यों न हो, घर में किसी चीज की कमी जो नहीं थी.

मनोहर के पिता कारोबारी थे. ससुर प्रताप राणा व सास देवयानी का स्वभाव इतना सरल था कि नेहा को वह अपना ही घर लगा.

नेहा की ननद सुधा अपनी भाभी को खुश रखने के लिए चुटकुले सुनाते हुए हंसीठिठोली भी कर लेती. ऐसा लगता, जैसे वे दोनों सहेलियां हों.

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मनोहर काम नहीं करता था. पिता की अच्छीखासी आमदनी थी. फिलहाल तो वह कारोबार में भी हाथ नहीं बंटाता था. उस के ऊपर राजनीति का नशा चढ़ गया था.

पंचायत का चुनाव नजदीक आ रहा था. मनोहर को मुखिया का चुनाव लड़ने का नशा छा गया.

एक दिन एक ज्योतिषी ने उसे सलाह दे दी, ‘‘आप चुनाव से पहले अपनी मूंछों को बढ़ाइए. बड़ीबड़ी मूंछें राजनीति में आप को कामयाबी दिला सकती हैं.’’

फिर क्या था, मनोहर ने ज्योतिषी के बताए नियम से खुद को वैसा ही बना लिया, पर चुनाव के बाद वह मामूली वोटों से हार गया, फिर भी वह अपनी मूंछों को कामयाबी की वजह मानता रहा, क्योंकि वह बहुत ही कम वोटों से हारा था.

एक दिन बातों ही बातों में नेहा बोली, ‘‘आप तब कितने हैंडसम लगते थे, जब आप के चेहरे पर दाढ़ीमूंछें नहीं थीं. पर जब से आप ने अपना यह रूप बदला है, तब से आप का चेहरा डरावना सा लगता है. आप इसे हटवा लीजिए. अब तो कोई भी चुनाव नहीं है. जब चुनाव आएगा, तब फिर बढ़ा लीजिएगा.’’

मनोहर ने पत्नी की बातों को सुना और कहा, ‘‘देखो, भले ही ज्योतिषी की भविष्यवाणी थोड़ी गलत हो गई, पर तुम ने देखा, मैं जीततेजीतते हारा, इसलिए अब मुझे मूंछें ही पहचान दिलाएंगी.’’

नेहा थोड़ा झुंझला कर बोली, ‘‘तो इस के लिए ये 2-3 इंच की मूंछें रखने की क्या जरूरत है? जब आप चायदूध पीते हैं, तब आप की ये मूंछें कप व गिलास में घुस जाती हैं. चाय पीने के बाद कई बूंदें चाय आप की मूंछों से टपक पड़ती हैं.’’

‘‘देखो नेहा, मैं तुम्हारा पति हूं. मुझ से ऐसी बातें मत किया करो. ये मूंछें मेरे लिए भाग्यशाली साबित हो रही हैं,’’ मनोहर ने थोड़ा गुस्से से कहा.

‘‘मैं आप को कैसे समझाऊं. मूंछों से कोई भाग्यशाली नहीं होता. आप नहीं जानते, जब आप मुझे बांहों में ले कर होंठों को चूमते हैं, तो आप की ये मूंछें दीवार बन कर खड़ी हो जाती हैं. चूमते वक्त कई बार आप की मूंछें मेरे मुंह और नाक में घुस जाती हैं. उस समय मुझे कितना दर्द होता है, आप ने कभी सोचा है?’’ नेहा थोड़ा गुस्से में आ कर बोली.

‘‘मैं अपनी मूंछों से छेड़छाड़ करने की सोच भी नहीं सकता, पर तुम पत्नी हो, तुम्हारी सलाह पर नीचे की तरफ बढ़ रही मूंछों को मैं रोजाना सुबह ऊपर की तरफ मोड़ूंगा. कुछ दिनों बाद मूंछें खुदबखुद नीचे से ऊपर की तरफ मुड़ जाएंगी, फिर चूमते वक्त शायद तुम्हें उतना दर्द नहीं होगा, जितना अभी हो रहा है,’’ मनोहर ने पत्नी से समझौता किया. थकहार कर नेहा ने चुप्पी साध ली.

एक शाम मनोहर घर से बाहर अपने एक रिश्तेदार के घर जा रहा था. उस समय रात के 9 बजने वाले थे. रास्ता कीचड़ से भरा था, क्योंकि गांवदेहात की सड़कें वैसे भी बारिश के महीनों में खराब रहती हैं. वजह, लोग मवेशियों को भी सड़क के किनारे बांध देते हैं. सड़क के अगलबगल गोबर का ढेर लगा देते हैं. सड़क के ऊबड़खाबड़ होने के चलते कई महीनों तक परेशानी रहती है.

मनोहर की मोटरसाइकिल भी खराब हो गई. लाइट ठीक से नहीं जल रही थी. उस गांव में घुसने से पहले एक आदमी के दरवाजे पर मोटरसाइकिल खड़ी कर दी थी. अंधेरा घिर गया था. मनोहर पैदल ही गांव में आगे बढ़ रहा था. अचानक गांव में ही 2 गाएं चोरी हो गईं. चारों तरफ शोर मच गया… चोर…चोर…चारों तरफ से लोग हाथों में लाठी, टौर्च ले कर दौड़े. जब तक मनोहर कुछ समझता, तब तक लोगों की भीड़ उस के करीब आ गई. टौर्च की रोशनी में मनोहर का चेहरा देखा.

अनजान चोर समझ कर किसी ने उसे दबोच लिया. जब तक वह कुछ समझता, तब तक लोगों की भीड़ उस के और करीब आ गई.

गुस्साए लोगों में से एक ने कहा, ‘‘यही है चोर और इस के साथी मवेशी ले कर निकल गए हैं. इस की मूंछें उखाड़ लो.’’

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यह कहने भर की देर थी कि लोगों में जैसे होड़ सी मच गई मूंछें उखाड़ने की. मूंछों की लंबाई भी इतनी ज्यादा थी कि लोगों की मुट्ठी में आसानी से आ गईं. मनोहर जब तक कुछ बोलता, तब तक लोगों ने उस की सभी मूंछें उखाड़ दीं. उसी समय उस के रिश्तेदार भी वहां आ गए. उस ने मनोहर को पहचान लिया, फिर लोगों को शांत करते हुए उस की सचाई बताई.

सच जान कर लोग पछतावा करने लगे, पर तब तक मनोहर की मूंछें बुरी तरह उखड़ गई थीं. मनोहर का रिश्तेदार उसे घर लाया. गांव के डाक्टर को बुला कर दवा दिला दी.

मनोहर ने पूरी रात बेचैनी की हालत में गुजारी. सुबह वह मुंह पर गमछा बांधे घर पहुंचा. उस ने धीरे से पत्नी से कहा, ‘‘थोड़ा गरम पानी व सूती कपड़ा ले आओ.’’

नेहा गरम पानी व सूती कपड़ा ले कर उस के पास पहुंची. मनोहर ने गमछा हटाया. नेहा ने देखा कि मनोहर के चेहरे से मूंछें नदारद हैं. वह दौड़ कर उस से लिपट गई और उस के होंठों को चूमते हुए बोली, ‘‘यह चमत्कार कैसे हुआ?’’

‘‘अरे, पहले गरम पानी व सूती कपड़े से सेंक लगाओ, फिर तुम्हें सारी कहानी बताऊंगा.’’

नेहा ने उस की भरपूर सेवा की. जब उस की पीड़ा कुछ कम हुई, तो उस ने रात की सारी बात बता दी.

‘‘धन्य हैं उस गांव के लोग, जो आज उन्होंने मुझे मेरा असली मनोहर लौटा दिया,’’ नेहा खुश होते हुए बोली.

‘‘नेहा, उस ढोंगी ज्योतिषी की बातों में पड़ कर मैं राह से भटक गया था. अब मेरी आंखें खुल गई हैं. मैं राजनीति से भी हमेशा के लिए तोबा करता हूं. अब मैं पिताजी के साथ उन के कारोबार में हाथ बंटाऊंगा. अब कभी तुम्हारे और मेरे बीच मूंछों की दीवार नहीं आएगी,’’ मनोहर ने विश्वास के साथ कहा. नेहा खुश थी, क्योंकि उसे अपना असली मनोहर जो मिल चुका था.

Valentine’s Special- प्रेमिका की तलाश: क्या पूरी हुई प्रेम की तलाश

प्रेम का कालेज में आखिरी साल था और वह बिलकुल सहीसलामत था. मतलब, वह किसी लड़की के चक्कर में नहीं पड़ा था, इसीलिए उस के मातापिता को उस पर नाज था. लेकिन सच कहें तो प्रेम को यह मंजूर न था. बात यह थी कि उस के दोस्त अकसर किसी न किसी लड़की के साथ कभी पार्क में, कभी बाजार में तो कभी चर्च के पीछे दिख जाते थे. उन्हें मटरगश्ती करते देख प्रेम को बहुत बुरा लगता था. मन में हीनभावना भर जाती थी, क्योंकि उस की कोई प्रेमिका जो नहीं थी, इसीलिए उसे अपने लिए एक अदद प्रेमिका की शिद्दत से तलाश थी.

एक दिन प्रेम कालेज जा रहा था. अचानक रास्ते में कुछ लड़कियों को उस ने कहीं जाते देखा. उन सब के बीच एक लड़की को देख कर वह अपनी सुधबुध खो बैठा. तभी वह लड़की तिरछी नजर से प्रेम को देख कर मुसकराई, फिर अपनी सहेलियों के साथ आगे बढ़ गई. उस की इस अदा पर वह निहाल हो गया. उसे लगा, इसी लड़की का उसे इंतजार था.

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प्रेम कालेज जा रहा था, लेकिन अब उस का इरादा बदल गया. उस ने उस हसीना का पताठिकाना जानने का निश्चय कर लिया और उस के पीछे चल पड़ा. उस का पीछा करतेकरते तकरीबन आधा घंटे के बाद प्रेम एक अनजान महल्ले में पहुंचा. एकएक कर उस की सारी सहेलियां उस से अलग होती गईं. आखिर में वह लड़की सड़क से लगे एक खूबसूरत घर में दाखिल हो गई. प्रेम समझ गया कि यही उस का घर है.

उस लड़की के घर का पता जान कर प्रेम बहुत खुश हुआ. उस ने तय किया कि अब धीरेधीरे वह उस हसीना से मेलजोल बढ़ाएगा. अगले दिन प्रेम कालेज जाने के बजाय उस हसीना के घर के सामने जा पहुंचा. उस का दिल जोरजोर से धड़क रहा था. क्या पता उस का दीदार होगा भी या नहीं? लेकिन वह गूलर के फूल की तरह कहीं दिखी ही नहीं.

प्रेम कभी उस लड़की के घर के सामने किराना की दुकान के पास खड़ा हो जाता तो कभी इधरउधर आनेजाने का नाटक करता ताकि लोग समझें कि वह किसी काम से कहीं आजा रहा है. वह 2 घंटे वहीं मंडराता रहा. लेकिन वह हसीना कहीं नजर नहीं आई. वह निराश हो कर वहां से लौटने लगा.

लेकिन प्रेम कुछ दूर ही चला था कि देखा वह हसीना एक औरत के साथ रिकशे में बैठी कहीं से आ रही थी. हाथ में बड़ेबड़े थैले थे. शायद वे बाजार से लौट रही थीं. वह औरत शायद उस की मां थी. उसे देख कर प्रेम बहुत खुश हो गया. काली घटा सी जुल्फों के बीच झांकता उस का चांद सा मुखड़ा प्रेम को अजीब सी खुशी दे गया.

‘काश, यह मुझे मिल जाए तो मेरी जिंदगी में बहार आ जाए,’ यह सोच कर प्रेम मुसकराया. अपने घर के सामने गेट पर वह लड़की उस औरत के साथ रिकशे से उतर गई और अपने घर के अंदर चली गई.

प्रेम ने सोचा, ‘अब कालेज चलता हूं…’ लेकिन यह सोच कर कि क्लास अब खत्म हो गई होगी, कालेज जाने के बजाय वह वापस घर लौट आया. प्रेम अब उस हसीना को पटाने की जुगत भिड़ाने लगा. अगले दिन उस ने काले रंग की शर्ट और जींस पहन ली. भैया का काला चश्मा चुपके से उठा लिया और पापा की मोटरसाइकिल ले कर निकल लिया और सीधे उस हसीना के घर के सामने पहुंच गया.

मोटरसाइकिल किराना की दुकान के पास खड़ी कर प्रेम ने चश्मा आंखों पर लगाया और रितिक रोशन के स्टाइल में खड़ा हो कर इधरउधर देखते हुए मोबाइल फोन पर बिना काल किए किसी से बात करने का नाटक करने लगा ताकि कोई यह न कहे कि वह बिना काम के वहां खड़ा है. लेकिन एक घंटे से ज्यादा समय बीत गया, लेकिन वह लड़की नजर नहीं आई. तभी पता नहीं कहां से एक कुत्ता आ गया और प्रेम पर भूंकने लगा. उस की आवाज सुन कर कहीं से 2 कुत्ते और दौड़े आए उस पर गुर्राने और भूंकने लगे. प्रेम की सिट्टीपिट्टी गुम हो गई. शायद उन्हें उस का काला लिबास और काला चश्मा पसंद नहीं आया था.

प्रेम डर कर एक तरफ भागा. भागतेभागते वह एक पत्थर से टकरा कर गिर गया और नाक से खून निकलने लगा. उस की पैंट और शर्ट पर धूल लग गई. बाल बिखर गए. प्रेम की यह हालत देख कर बगल से गुजरने वाले एक राहगीर ने उन कुत्तों को डरा कर भगा दिया, तब जा कर उस की जान में जान आई. लेकिन इस हालत में उस हसीना का दीदार करने की उस की इच्छा नहीं रही. वह घर लौट गया.

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अगले दिन जब प्रेम उस हसीना के घर के सामने पहुंचा तो उस की खुशी का ठिकाना न रहा. वह अपने घर के बाहर ही किसी सहेली से बात कर रही थी. प्रेम का मन किया कि अभी जा कर उसे अपना हालेदिल कह सुनाए और अपने प्यार का इजहार कर दे. पर सोचा, ‘जल्दबाजी ठीक नहीं होगी. क्या पता कहीं उस की सैंडिल मेरी मुहब्बत के जोश को ठंडा न कर दे.’

थोड़ी देर बाद वह लड़की सहेली से बात खत्म कर घर के अंदर चली गई. उस के बाद कई दिनों तक प्रेम उस हसीना के घर का चक्कर लगाता रहा. कभी छत पर, कभी गेट पर, कभी कहीं आतेजाते वह दिख जाती.

एक दिन प्रेम ने हिम्मत कर एक चुंबन उस की तरफ उछाल दिया. जवाब में वह मुसकरा दी और तुरंत घर के अंदर चली गई. प्रेम खुशी से पागल हो गया. लगा, अब वह उस से पट जाएगी, इसीलिए कालेज जाना तकरीबन छोड़ दिया और उस हसीना के घर के सामने 2-3 घंटे मंडराता रहता. जब भी वह लड़की प्रेम को दिखती, वह उस की तरफ चुंबन उछाल देता. वह हर बार मुसकरा देती.

एक दिन प्रेम बहुत देर तक उस के घर के सामने मंडराता रहा लेकिन वह नजर ही नहीं आई और न बाहर निकली. बहुत इंतजार के बाद वह निराश हो कर लौटने लगा. प्रेम कुछ ही कदम आगे बढ़ा था कि अचानक पीछे से 2-3 लड़कों ने उस पर लातघूंसों की बौछार कर दी. उन में से एक चिल्ला कर कह रहा था, ‘‘लड़की पर लाइन मारता है, आज तेरी इश्कबाजी का नशा उतार दूंगा.’’

प्रेम घबरा गया, ‘‘मैं ने यहां कोई लड़की नहीं देखी है. किस लड़की पर लाइन मारने की बात कह रहे हो तुम?’’ एक मुस्टंडे लड़के ने दुकान के पीछे की तरफ इशारा करते हुए कहा, ‘‘उधर देखो, वहां मेरी बहन खड़ी रहती है और तुम यहां से लाइन मारते हो. 20-25 दिन से तुम्हारी हरकतें बरदाश्त कर रहा हूं. आज के बाद से कभी यहां नजर आए तो तुम्हारी हड्डीपसली एक कर दूंगा.’’

उन लोगों की पिटाई से प्रेम की आंखों के आगे अंधेरा घिर रहा था, फिर भी उस ने कोशिश कर दुकान के पीछे की तरफ देखा. सचमुच वहां एक लड़की नजर आई. वह पहली बार उसे देख रहा था. दुकान के पीछे की तरफ कोई लड़की रहती है, यह इतने दिनों तक उसे पता ही नहीं था. वह तो दुकान के सामने वाले मकान में रहने वाली लड़की के चक्कर में यहां भटक रहा था. ‘‘मुझे छोड़ दो. मैं ने वहां किसी लड़की को पहले नहीं देखा है. लाइन मारने की बात तो दूर है,’’ प्रेम ने गिड़गिड़ाते हुए उन से कहा.

‘‘झूठ मत बोलो…’’ एक लड़के ने प्रेम के सूजे हुए गाल पर जोरदार तमाचा मारते हुए कहा, ‘‘अगर लाइन नहीं मारते हो तो तुम यहां क्या करने आते हो?’’ प्रेम के पास इस सवाल का कोई जवाब नहीं था. पिटाई से बचने के लिए उस ने कहा, ‘‘मुझे माफ कर दो. अब से मैं कभी इधर नहीं आऊंगा.’’

इतना कह कर प्रेम ने मोटरसाइकिल स्टार्ट की और भाग लिया. ‘‘बेटे, तेरा यह हाल किस ने किया?’’ प्रेम घर पहुंचा तो मां उस की हालत देख कर रोने लगीं.

प्रेम ने मां को समझाया, ‘‘तुम्हें अपने शेर जैसे बेटे पर भरोसा नहीं है क्या? तुम्हारे बेटे पर हाथ उठाने की किसी में हिम्मत नहीं है. मोटरसाइकिल सड़क के एक गड्ढे में फंस कर गिर गई, इसीलिए मुझे चोट लग गई.’’ शरीर में दर्द और सूजन के चलते प्रेम कई दिनों तक कहीं नहीं जा सका. उन लोगों ने झूठे आरोप में उसे बहुत मारा था. उस हसीना की भी उसे बहुत याद आती थी. प्रेम ने कान पकड़ लिए कि अब दोबारा उस के महल्ले में कदम नहीं रखेगा. लेकिन ज्योंज्यों वह ठीक हो रहा था उसे देखने और प्यार का इजहार करने की इच्छा फिर जोर मारने लगी.

कुछ दिनों के बाद प्रेम हिम्मत कर के फिर उस हसीना के घर के सामने पहुंच गया. पर यह क्या? उस हसीना के घर के आगे कारों का काफिला लगा था. बहुत सारे लोग इधरउधर मंडरा रहे थे. पास ही एक शामियाना लगा था जिसे अब खोला जा रहा था. शायद यहां कोई शादी थी. तभी कई औरतें उस हसीना के घर से एक दुलहन को घेरे हुए गाना गाती हुई बाहर निकलीं और एक कार की तरफ बढ़ गईं. सब रो रही थीं. दुलहन भी रो रही थी.

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दुलहन को गौर से देखा तो प्रेम के होश उड़ गए. वह तो उस की हसीना थी. वह सपनों के महल सजाता रहा और उस की शादी भी हो गई. यह देख कर वह बहुत निराश हुआ. तभी प्रेम को खयाल आया कि वह बहुत दिनों से कालेज नहीं गया है, इसीलिए बुझे मन से कालेज के लिए चल पड़ा.

रास्ते में प्रेम ने सोचा, ‘मुझे अपने जीवन को संवारने पर ध्यान देना चाहिए, वरना मैं सपनों के महल सजाता रह जाऊंगा और सब की शादी होती जाएगी. और क्या पता, लड़कियों के चक्कर में मैं कहीं निकम्मा और बेरोजगार रह गया तो शायद सारी जिंदगी कुंआरा भी रहना पड़ सकता है. नहीं, मैं यह नहीं होने दूंगा. कैरियर पर पहले ध्यान दूंगा.’ प्रेम तेज रफ्तार से कालेज चल पड़ा. क्लास शुरू होने में थोड़ी ही देर थी.

Valentine’s Special: क्या यही प्यार है- जेबा और राहिल की कहानी

जेबा की बरात आने वाली थी. सभी पूरी तैयारी के साथ बरात के आने का इंतजार कर रहे थे कि तभी जेबा का आशिक राहिल कहीं से अचानक आंगन में आ गया.

‘‘आप डरें नहीं. मैं कुछ गड़बड़ करने नहीं आया हूं. मैं तो सिर्फ जेबा से मिलने आया हूं. आज से वह किसी दूसरे की हो जाएगी. प्लीज, मुझे उस से आखिरी बार मिल लेने दें,’’ आंगन में खड़ी औरतों से इतना कहने के बाद राहिल सीधा जेबा के कमरे में घुस गया, जिस में वह दुलहन बनी बैठी थी.

‘‘जेबा, यह तो मेरी शराफत है, जो तुम्हें किसी और की होते देख रहा हूं, वरना किस में इतनी हिम्मत थी कि जो तुम को मुझ से जुदा कर देता.

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‘‘खैर, मैं तुम से यह कहने आया हूं कि हम दो जिस्म जरूर हैं, लेकिन जान एक है. कोई दूसरा तुम्हारे सिर्फ तन पर हक जमा सकता है, लेकिन मन पर नहीं. मुझे पूरा यकीन है कि तुम मुझे कभी नहीं भूलोगी…’’

इतना कहने के बाद राहिल अपना मुंह जेबा के कान के पास ले जा कर धीरे से बोला, ‘‘तुम अपनी मांग में कभी सिंदूर मत भरना. मैं भी तुम से वादा करता हूं कि जिंदगीभर किसी दूसरी लड़की की तरफ नजर नहीं उठाऊंगा.

‘‘अच्छा जेबा, अब मैं चलता हूं. तुम हमेशा खुश रहो,’’ इतना कह कर राहिल उस कमरे से चला गया.

राहिल के जाने के बाद सब ने राहत की सांस ली, मगर दिलों में यह खटका बना रहा कि वह कमबख्त कहीं निकाह के वक्त आ कर किसी तरह की हंगामेबाजी न शुरू कर दे.

इन हालात से निबटने के लिए जेबा के घर वालों ने पूरी तैयारी कर रखी थी. पर सबकुछ शांति से पूरा हो गया और जेबा अपने हमसफर शबाब के साथ एक नई जिंदगी शुरू करने के लिए रवाना हो गई.

वैसे तो सबकुछ ठीक हो गया था, लेकिन जेबा और उस के घर वाले अंदर ही अंदर काफी परेशान थे कि राहिल न जाने कब क्या कर बैठे.

जेबा और राहिल एकदूसरे को चुपकेचुपके चाहते आ रहे थे. इस सचाई से परदा तब उठा, जब जेबा की शादी शबाब के साथ तय कर दी गई.

राहिल को जब इस बात का पता चला, तो उस के दिल की धड़कन जैसे थम सी गई.

कभी जी चाहता कि जेबा को ले कर कहीं भाग जाए, तो कभी उस के बाप का खून कर देने का मन करता. कभी यह विचार आता कि वह अपना और जेबा का खात्मा कर डाले. वह तो जेबा की सूझबूझ थी, जो पागल हाथी जैसे राहिल को किसी तरह काबू में किए थी.

‘‘आखिर मुझ में क्या कमी है, जो जेबा को मुझ से दूर किया जा रहा है?’’ एक दिन राहिल जेबा के अब्बा हशमत अली से उलझ पड़ा.

‘‘कमी यह है कि तुम दिमाग से ज्यादा दिल की सुनते हो और जज्बाती हो. सब से बड़ी कमी तो तुम में यह है कि तुम दूसरों पर मुहताज हो. जो खुद मुहताज हो, वह भला दूसरों को क्या दे सकता है,’’ हशमत अली की साफगोई राहिल को बेहद कड़वी लगी, फिर भी जवाब में वह खामोश रहा.

राहिल एक बेरोजगार और भावुक किस्म का नौजवान था. बाप के पास जो दौलत थी, बस उसी पर उस की जिंदगी का दारोमदार था. वह अपनी जिंदगी के प्रति कभी संजीदा नजर नहीं आया.

शौहर के रूप में शबाब को पा कर जेबा बहुत खुश थी. एक भले व संजीदा शौहर की सारी खूबियां उस में कूटकूट कर भरी थीं.

शबाब जेबा का पूरा खयाल रखता कि उसे किसी तरह की तकलीफ न पहुंचने पाए. मगर जेबा ही इस मामले में नाकाम थी, क्योंकि वह पूरे तनमन से चाह कर भी अपने शौहर के आगे खुद को पेश नहीं कर पाती थी.

जेबा इस बात को ले कर डरीसहमी रहती कि अपने शौहर से पहले वह किसी और की थी. कभीकभी उसे राहिल के दीवानेपन से भी डर लगता. वह जानती थी कि राहिल जुनून में आ कर किसी भी हद को पार कर सकता है, इसीलिए वह चाह कर भी शबाब को अपने प्यार से दूर रखती थी.

सब से बड़ी बात तो यह थी कि जेबा ने आज तक शबाब के नाम का सिंदूर अपनी मांग में नहीं लगाया, जो शबाब को अच्छा नहीं लग रहा था.

राहिल ने जेबा को इस बात के लिए मना कर के उस की शादीशुदा जिंदगी पर कितना बड़ा जुल्म ढाया था. जेबा राहिल के गुस्से से शबाब को बचाने के लिए ही अपनी मांग को सिंदूर से नहीं सजाती थी.

शादी के 2 दिन बाद ही जेबा की सूनी मांग को देख कर शबाब पूछ बैठा, ‘‘अरे, यह क्या जेबा, तुम्हारी मांग में सिंदूर क्यों नहीं है?’’

जेबा ने बड़े प्यार से शबाब को समझाया, ‘‘असल में सिंदूर से मुझे एलर्जी है. बचपन में गुड्डेगुडि़यों का ब्याह रचाने के दौरान गुड्डे की अम्मां बनी लड़की ने खेलखेल में मेरी मांग में सिंदूर डाल दिया था. इस के कुछ समय बाद ही मेरे सिर में खुजली होने लगी थी और मैं चकरा कर गिर पड़ी थी. तब से मैं सिंदूर से काफी दूर रहने लगी हूं.’’

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जेबा की दलील सुन लेने के बाद शबाब चुप तो हो गया था, लेकिन उसे कुछ अटपटा सा जरूर लगा था.

सास व ननदें जेबा को मांग में सिंदूर डालने की कहतेकहते थक चुकी थीं, लेकिन उस के कान पर जूं तक नहीं रेंगी. इस बात को ले कर परिवार में मनमुटाव सा रहने लगा था.

इस से पहले कि जेबा की जिद और ससुराल वालों की नाराजगी कोई गंभीर रूप लेती, एक दिन अचानक घटी एक घटना ने जेबा की सारी उलझनों को पलभर में ही सुलझा दिया.

राहिल ने जेबा के किसी करीबी रिश्तेदार के हाथों उस के पास एक खत भेजा, जिस में लिखा था:

‘जेबा, मैं तुम्हारे दिलोदिमाग पर हुकूमत तो नहीं कर सका, लेकिन उस पर नाजायज ढंग से कब्जा कर के तुम्हें ब्लैकमेल जरूर करता रहा. अब इस बात का एहसास मुझे पूरी तरह से होने लगा है.

‘मुझे दुख है कि मेरी घटिया सोच का शिकार हो कर तुम घुटनभरी जिंदगी जी रही हो और धीरेधीरे अपने ससुराल वालों की नजरों में गिरती जा रही हो. मुझे माफ कर दो. तुम ने सही कहा था कि मेरा यह गैरसंजीदापन कभी मुझे महंगा पड़ सकता है.

‘एक खुशखबरी सुनो. मैं शादी करने जा रहा हूं. वह भी एक ऐसी लड़की के साथ, जो मुझ जैसे किसी सड़कछाप आशिक के जुल्म का शिकार हो चुकी है. जानती हो, इस तरह की लड़की को अपना हमसफर बना कर मैं क्या करना चाहता हूं? मैं अपने गुनाह की सजा कम करना चाहता हूं.

‘शादी के बाद भी तुम पर अपना नाजायज हक जमा कर मैं ने गुनाह नहीं तो और क्या किया है. तुम मेरी दीवानगी का खौफ अपने जेहन से बिलकुल निकाल दो और पूरे तनमन से शबाब की बीवी बन कर जिंदगी गुजारो. आज से अपनी मांग सूनी मत रखना.

‘तुम्हारा नाचीज, राहिल.’

खत पढ़ लेने के बाद जेबा खुद को इतना हलका महसूस कर रही थी, मानो उस की छाती पर से कोई बहुत बड़ा बोझ हट गया हो.

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Valentine’s Special: उसके लिए- क्या प्रणव की हो पाई अपूर्वा

वह मुंह फेर कर अपूर्वा के सामने खड़ा था. अपूर्वा लाइब्रेरी में सैल्फ से अपनी पसंद की किताबें छांट रही थी. पैरों की आवाज से वह जान गई थी कि प्रणव है. तिरछी नजर से देख कर भी अपूर्वा ने अनदेखा किया. सपने में यह न सोचा था कि दिलफेंक आशिक किसी दिन इस तरह से आ सकता है. दोनों का यह प्यार परवान तो नहीं चढ़ा, पर दिलफेंकों के लिए जलन का सबब रहा. प्रणव तो अपूर्वा की सीरत और अदाओं पर ही क्या काबिलीयत पर भी फिदा था. रिसर्च पूरी होने तक पहुंचतेपहुंचते एक अपूर्वा ही उस के मन चढ़ी. मन चढ़ने के प्रस्ताव को उस के साथ 2 साल गुजारते भी उगल न सका.

अपूर्वा प्रणव की अच्छी सोच की अपनी सहेलियों के सामने कई बार तारीफ कर चुकी थी. मनचले और मसखरे भी प्रणव को छेड़ते, ‘अपूर्वा तो बनी ही आप के लिए है.’

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कुछ मनचले ऐसा कहते, ‘यह किसी और की हो भी कैसे सकती है? यह ‘बुक’ है, तो सिर्फ आप के वास्ते.’

कुछ कहते, ‘इसे तो कोई दिल वाला ही प्यार कर सकता है.’

अपूर्वा के सामने आने का फैसला भी प्रणव का एकदम निजी फैसला था. यह सब उस ने अपूर्वा के दिल की टोह लेने के लिए किया था कि वह उसे इस रूप में भी पसंद कर सकती है या नहीं. प्रणव ने बदन पर सफेद कपड़ा पहन रखा था और टांगों पर धोतीनुमा पटका बांधा था. पैरों में एक जोड़ी कपड़े के बूट थे. माथे पर टीका नहीं था. अपूर्वा रोज की तरह लाइब्रेरी में किताबें तलाशने में मगन थी.

प्रणव दबे पैर उस के बहुत करीब पहुंचा और धीमे से बोला, ‘‘मिस अपूर्वा, मुझे पहचाना क्या?’’ अपूर्वा थोड़ा तुनकते हुए बोली, ‘‘पहचाना क्यों नहीं…’’ फिर वह मन ही मन बुदबुदाई, ‘इस रूप में जो हो.’

प्रणव ने कनैक्शन की गांठ चढ़ाने के मकसद से फिर पूछा, ‘‘मिस अपूर्वा, मैं ने आप के पिताजी को अपनी कुछ कहानियों की किताबें आप के हाथ भिजवाई थीं. क्या आप ने उन्हें दे दी थीं?’’

‘‘जी हां, दे दी थीं,’’ वह बोली.

‘‘आप के पिताजी ने क्या उन्हें पढ़ा भी था?’’

‘‘जी हां, उन्होंने पढ़ी थीं,’’ अपूर्वा ने छोटा सा जवाब दिया.

‘‘तो क्या आप ने भी उन्हें पढ़ा था?’’

‘‘हां, मैं ने भी वे पढ़ी हैं,’’ किताबें पलटते व छांटते हुए अपूर्वा ने जवाब दिया और एक नजर अपने साथ खड़ी सहेली पर दौड़ाई.

सहेली टीना ने बड़ी मुश्किल से अपनेआप को यह कहते हुए रोका, ‘‘रसिक राज, उन्हें तो मैं ने भी चटकारे लेते गटक लिया था. लिखते तो आप अच्छा हो, यह मानना पड़ेगा. किसी लड़की को सस्ते में पटाने में तो आप माहिर हो. चौतरफा जकड़ रखी है मेरी सहेली अपूर्वा को आप ने अपने प्रेमपाश में.’’ प्रणव ने फिर हिम्मत जुटा कर पूछा, ‘‘मिस अपूर्वा, क्या मैं उन किताबों की कहानियों में औरत पात्रों के मनोविज्ञान पर आप की राय ले सकता हूं? क्या मुझे आज थोड़ा वक्त दे सकती हैं?’’

अपूर्वा इस बार जलेकटे अंदाज में बोली, ‘‘आज तो मेरे पास बिलकुल भी समय नहीं है. हां, कल आप से इस मुद्दे पर बात कर सकती हूं.’’

प्रणव टका सा जवाब पा कर उन्हीं पैरों लाइब्रेरी से बाहर आ गया. अगले कल का बिना इंतजार किए लंबा समय गुजर गया, साल गुजर गए. इस बीच बहुतकुछ बदला. अपूर्वा ने शादी रचा ली. सुनने में आया कि कोई एमबीबीएस डाक्टर था. खुद प्रोफैसर हो गई थी. बस…

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प्रणव ने सिर्फ शादी न की, बाकी बहुतकुछ किया. नौकरीचाकरी 3-4 साल. संतों का समागम बेहिसाब, महंताई पौने 4 साल. 65 साल का होने पर लकवे ने दायां हिस्सा मार दिया. लिखना भी छूट गया. नहीं छूटा तो अपूर्वा का खयाल.

लंगड़ातेलंगड़ाते भाई से टेर छेड़ता है अनेक बार. कहता है, ‘‘भाई साहब, वह थी ही अपूर्वा. जैसा काम, वैसा गुण. पढ़नेलिखने में अव्वल. गायन में निपुण, खेलकूद में अव्वल, एनसीसी की बैस्ट कैडेट, खूबसूरत. सब उस के दीवाने थे.

‘‘वह सच में प्रेम करने के काबिल थी. वह मुझ से 9 साल छोटी थी. मैं तो था अनाड़ी, फिर भी उस ने मुझे पसंद किया.’’

प्रणव का मन आज बदली हुई पोशाक में भी अपूर्वा के लिए तड़प रहा है. भटक रहा है. उसे लगता है कि अपूर्वा आज भी लाइब्रेरी की सैल्फ से किताबें तलाश रही है, छांट रही है. एनसीसी की परेड से लौट रही है. वह उसे चाय पिलाने के लिए कैंटीन में ले आया है. पहली बार पीले फूलदार सूट में देखी थी अपने छोटे भाई के साथ. रिसैप्शन पार्टी में उस ने सुरीला गीत गया था. श्रोता भौंचक्क थे. प्रणव ने कविता का पाठ किया था. इस के बाद पहली नजर में जो होता है, वह हुआ. कविताकहानियों की पोथियां तो आईं, पर रिसर्च पूरी नहीं हुई. वह अभी भी जारी है.

40-45 सालों के बाद भी ये सारे सीन कल की बात लगते हैं. बारबार दिलोदिमाग पर घूमते हैं. वह कल आज में नहीं बदल सकता, प्रणव यह बात अच्छी तरह जानता है. वह आज सिर्फ अपूर्वा की खैर मांगता है. उस की याद में किस्सेकहानियां गढ़ता है. उस की खुशहाली के गीत रचता है.

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