पीरागढ़ी कांड: मासूम किशोरी के साथ वहशीपन का नंगा नाच

Crime News in Hindi: घरों में अकेले रहना अब मासूमों के लिए ज्यादा मुफीद नहीं रहा है. चोरी के मकसद से आए चोरों ने मासूम किशोरी के साथ दर्दनाक और दिल दहला देने वाली घटना को अंजाम दिया और फरार हो गए.यह घटना दिल्ली के पीरागढ़ी( Peeragarhi Crime) इलाके में 4 अगस्त, 2020 को घटी. मांबाप तो हर रोज की तरह सुबह ही काम पर चले गए थे, वहीं बड़ी बहन भी दोपहर में काम पर चली गई थी. अनुमान है कि शाम के तकरीबन 4 बजे 12-13 साल की किशोरी कमरे में अकेली थी, तभी चोर चोरी के मकसद से घर में घुसे. अजनबी शख्स को कमरे में देख किशोरी ने शोर मचाया, पर उस की चीख कमरे में ही दब गई. चुप कराने की कोशिश में चोरों ने उस के साथ दरिंदगी की. विरोध करने पर कैंची से उस के सिर और शरीर को बुरी तरह गोद डाला.

घायल होने के बाद भी किशोरी बड़ी बहादुरी से इन चोरों से काफी देर तक जूझती रही. खून से नहाई मासूम को आखिर मरा समझ कर आरोपी फरार हो गए.

काफी देर तक वह बच्ची कमरे में बेसुध रही, उस के बाद जैसेतैसे कमरे से घिसटते हुए वह बाहर आई और पड़ोसी के दरवाजे को खटखटा कर इशारे से खुद की हालत बयां करते हुए फिर बेहोश हो गई. उस के निजी अंगों से लगातार खून बह रहा था.

किशोरी की ऐसी बुरी हालत देख पड़ोसी भी सहम गए. तुरंत ही इस की सूचना पुलिस को दी गई. साथ ही, उस के मातापिता को भी इस हादसे के बारे में बताया गया.

सूचना मिलने पर पश्चिम विहार वेस्ट थाने की पुलिस आई और बच्ची को संजय गांधी अस्पताल में भरती कराया. उस के सिर और हिप्स में किसी धारदार हथियार से कई वार किए गए थे. डाक्टरों ने फौरन ही बच्ची के सिर व कटे हुए हिस्सों में टांके लगाए और हाथोंहाथ एम्स रेफर कर दिया.

किशोरी ने जो बयान दिया, उस के आधार पर इस वारदात में 2 लड़के शामिल हैं. पुलिस के मुताबिक, 13 साल की किशोरी अपने परिवार के साथ पीरागढ़ी में किराए के मकान में रहती है. परिवार मूल रूप से बिहार का रहने वाला है. जिस कमरे में परिवार रहता है, वह बिल्डिंग तीनमंजिला है. इस बिल्डिंग में छोटेछोटे तकरीबन 2 दर्जन कमरे बने हुए हैं. ज्यादातर आसपास की फैक्टरियों में लेबर का काम करते हैं. बच्ची के परिवार में मातापिता और एक बड़ी बहन है. वे सभी एक फैक्टरी में लेबर का काम करते हैं.

तकरीबन साढ़े 5 बजे फोन के जरीए पुलिस को सूचना मिली थी. आशंका है कि बच्ची के साथ 4 बजे के आसपास वारदात हुई. शुरुआती जांच में उस मासूम किशोरी के साथ सैक्सुअल एसौल्ट की पुष्टि हुई.

पुलिस ने हत्या की कोशिश और पोक्सो एक्ट समेत कई धाराओं में केस दर्ज कर आरोपियों की तलाश में संभावित ठिकानों पर छापेमारी की. तकरीबन 36 घंटे बाद यानी 3 दिन बाद एक आरोपी को पकड़ने का पुलिस ने दावा किया.

पुलिस के मुताबिक, आरोपी ड्रग एडिक्ट है. उस पर पहले से ही चोरी के अलावा दूसरे आपराधिक मामले दर्ज हैं. इस के कारण वह जेल भी जा चुका है.

हाल ही में आरोपी जेल से बाहर आया था. जेल से छूटने के बाद पास के पार्क में ही आरोपी ठहरता था. पुलिस को आरोपी के बारे में सीसीटीवी कैमरे से सुराग हाथ लगा.

घटना को अंजाम दे कर आरोपी फरार होने के बाद आसपास की जगहों पर छिप रहा था. केस की पड़ताल में पुलिस ने क्रिमिनल अपराधियों की हिस्ट्रीशीट खंगाली. इस के अलावा जमानत पर छूट कर आए चोरउचक्कों की लोकेशन का पता किया. सीसीटीवी, पड़ोसियों और 100 से अधिक संदिग्धों से पूछताछ के बाद जांच की सूई इस आरोपी पर आ कर टिकी.

पुलिस के मुताबिक, वारदात के समय आरोपी नशे में था और चोरी के इरादे से कमरे में घुसा था. कमरे में अकेली बच्ची ने जब उसे टोका और शोर मचाने की कोशिश की तो  उस ने दबोच लिया.

आरोपी ने नशे में बेरहमी से लड़की पर कैंची से ताबड़तोड़ वार किए और उसे मरा हुआ समझ कर फरार हो गया.

पुलिस ने जब आरोपी को पकड़ा, तब उस के शरीर पर खरोंच के निशान पाए गए थे. इस से खुलासा यह हुआ कि बहादुर किशोरी ने जम कर मुकाबला किया.

वहीं दूसरी ओर जांच में जुटी टीम का मानना है कि मासूम बेसुध होने तक आरोपियों से मुकाबला करती रही. कमरे में बिखरा खून और पास ही पड़ी कैंची इस ओर इशारा कर रहे थे.

कैंची खून से सनी फर्श पर पड़ी थी. पास ही में सिलाई की मशीन रखी हुई थी. उसी सिलाई मशीन पर कैंची रखी थी. माता, पिता और बड़ी बहन हर रोज की तरह काम पर चले जाते थे. घर में किशोरी के पास मोबाइल फोन रहता था, पर वह बंद था.

मासूम किशोरी का एम्स में इलाज चल रहा है और वह जिंदगी और मौत से जूझ रही है. पर, उस ने अपने ऊपर हो रहे जुल्म का डट कर विरोध किया और उन से जम कर जूझी भी. वहीं जेल से छूट कर आए अपराधियों पर पुलिस का नकेल न कस पाना ऐसे अपराधों को बढ़ाने में मददगार साबित हो रहा है.

लगता है, समाज में ओछी यानी गिरती हुई सोच और बदली मानसिकता पर लगाम लगा पाना बेहद मुश्किल साबित हो रहा है, तभी तो इनसानियत यों शर्मसार हो रही है. यही वजह है कि आएदिन मासूम बच्चियों व किशोरियों पर हमले की घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रही हैं.

 

कैंची खून से सनी फर्श पर पड़ी थी. पास ही में सिलाई की मशीन रखी हुई थी. उसी सिलाई मशीन पर कैंची रखी थी. घर में किशोरी के पास मोबाइल फोन रहता था, पर वह बंद था.

हत्यारा हमसफर

उस दिन जनवरी 2020 की 7 तारीख थी. शाम के 7 बज रहे थे. हर रोज की तरह घरेलू नौकरानी पूजा, जयपुर की यूनिक टावर सोसायटी के आई ब्लौक स्थित रोहित तिवारी के फ्लैट नंबर 103 पर काम करने के लिए पहुंची. उस ने डोरबैल बजाई तो मालकिन श्वेता तिवारी ने दरवाजा नहीं खोला और न ही अंदर कोई हलचल सुनाई दी.

पूजा ने दरवाजे को अंदर की ओर धकेला तो वह खुल गया. नौकरानी कमरे के अंदर पहुंची तो उस के मुंह से चीख निकल गई. कमरे के अंदर पलंग पर मालकिन श्वेता तिवारी मृत पड़ी थीं. उन का मुंह खून से लाल था.पूजा चीखतेचिल्लाते बाहर निकली और पासपड़ोस के फ्लैट्स में रहने वाले लोगों को जानकारी दी. मर्डर की खबर से सोसायटी में हडकंप मच गया, लोगों की भीड़ जुटने लगी. इसी बीच किसी ने थाना प्रताप नगर पुलिस को सूचना दे दी.

पौश सोसायटी के फ्लैट में हत्या की सूचना पा कर प्रताप नगर थानाप्रभारी पुलिस टीम के साथ मौके पर आ गए. उन्होंने यह खबर वरिष्ठ अधिकारियों को दी और पूछताछ में जुट गए. पूछताछ से पता चला कि जिस फ्लैट में मर्डर हुआ है उस में रोहित तिवारी किराए पर रहते हैं. रोहित इंडियन औयल कारपोरेशन में सीनियर मैनेजर हैं और जयपुर एयर पोर्ट पर बतौर फ्यूल इंचार्ज तैनात हैं. मर्डर उन की पत्नी श्वेता तिवारी का हुआ है.

हत्या का मामला हाई प्रोफाइल था. सूचना पा कर पुलिस कमिश्नर आनंद श्रीवास्तव, डीआईजी सुभाष बघेल, एएसपी डा. अवधेश सिंह, एसपी डा. सतीश कुमार, डीएसपी (पूर्वी) राहुल जैन तथा सीओ संजय शर्मा घटना स्थल पर आ गए. पुलिस अधिकारियों ने मौके पर फोरैंसिक टीम तथा डौग स्क्वायड टीम को भी बुलवा लिया. पुलिस अधिकारियों ने जयपुर एयरपोर्ट पर तैनात रोहित तिवारी को उन की पत्नी श्वेता की हत्या की सूचना दी तो कुछ देर में वह भी फ्लैट पर आ गए.

रोहित ने फ्लैट के अंदर देख कर पुलिस अधिकारियों को बताया कि बेड पर पड़ी लाश उस की पत्नी श्वेता की है, लेकिन उस के 21 माह के मासूम बेटे श्रीयम का पता नहीं है. लगता है, हत्यारों ने श्वेता की हत्या के बाद श्रीयम का अपहरण कर लिया है. रोहित की बात सुन कर पुलिस अधिकारी सन्न रह गए. क्योंकि अभी तक जानकारी हत्या की थी लेकिन अब श्रीयम के अपहरण की बात सामने आई थी.

पुलिस अधिकारियों ने हत्या और अपहरण के इस मामले को गंभीरता से लेते हुए घटना स्थल का बारीकी से निरीक्षण शुरू किया. कमरे के अंदर पड़े बेड पर 30-32 वर्षीय श्वेता तिवारी की लाश पड़ी थी. उस के सिर से खून रिस रहा था, जिस से उस का चेहरा खून से लाल था. उस का गला भी रेता गया था. सिर पर भी जख्म था.

बेड पर खून से सना चाकू पड़ा था, बेड के नीचे अदरक कूटने वाली लोहे की मूसली पड़ी थी. बिस्तर भी खून से तरबतर था. खून की बूंदे दीवार पर भी दिखाई दे रही थीं. कमरे में रखी प्लास्टिक टेबल पर चाय के 2 कप रखे थे. जिस में कुछ चाय बची हुई थी. श्वेता का मोबाइल फोन भी गायब था.

घटना स्थल का निरीक्षण करने के बाद पुलिस अधिकारियों ने अनुमान लगाया कि श्वेता का हत्यारा कोई करीबी ही रहा होगा, जिस के आने पर श्वेता ने दरवाजा खोला और उसे कमरे में बिठा कर चाय पिलाई. इसी बीच हत्यारे ने अदरक कूटने वाली मूसली से उस के सिर पर प्रहार कर उसे पलंग पर गिरा दिया होगा, फिर चाकू से उस का गला रेता होगा. इस के बाद वह श्रीयम का अपहरण कर ले गया होगा. पुलिस ने हत्या में प्रयुक्त चाकू व मूसली को सुरक्षित कर लिया.

फोरैंसिक टीम ने भी घटना स्थल का निरीक्षण किया और दीवार, प्याले, फर्श व बेड से फिंगरप्रिंट उठाए. डौग स्क्वायड टीम ने सुराग के लिए खोजी कुत्ते को छोड़ा. खोजी कुत्ता घटना स्थल को सूंघ कर भौंकते हुए बाहर निकला और रोहित की कार के 2 चक्कर काटे. कुछ देर वह रोहित के आसपास भी मंडराता रहा. इस से टीम को रोहित पर शक हुआ. किंतु उस के खिलाफ कोई पक्का सुबूत न मिलने से उस से ज्यादा कुछ पूछताछ नहीं की गई.

निरीक्षण के बाद पुलिस अधिकारियों ने मृतका श्वेता का शव पोस्टमार्टम के लिए जयपुर के महात्मा गांधी अस्पताल भिजवा दिया.

श्वेता तिवारी का मायका उत्तर प्रदेश के कानपुर शहर स्थित सर्वोदय नगर में था और ससुराल गांधी नगर, दिल्ली में थी. रोहित ने फोन कर के श्वेता की हत्या और मासूम श्रीयम के अपहरण की जानकारी अपने माता पिता तथा ससुराल वालों को दे दी. बेटी की हत्या की खबर पा कर श्वेता के पिता सुरेश कुमार मिश्रा तथा उन की पत्नी माधुरी मिश्रा घबरा गईं.

परिवार में कोहराम मच गया. वह पत्नी, बेटे शुभम व परिवार के अन्य सदस्यों के साथ निजी वाहन से जयपुर के लिए रवाना हो लिए. अब तक श्वेता की हत्या की खबर टीवी चैनलों पर भी प्रसारित होने लगी थी. वह मोबाइल फोन पर रास्ते भर हत्या की जानकारी लेते रहे.

पुलिस कमिश्नर आनंद श्रीवास्तव ने इस हत्या और अपहरण के मामले को बेहद गंभीरता से लिया. उन्होंने 22 महीने के श्रीयम का पता लगाने के लिए 6 थाना प्रभारियों, 3 सीओ तथा पुलिस के 100 जवानों को लगा दिया. भारीभरकम पुलिस फोर्स ने डीएसपी (पूर्वी) राहुल जैन तथा एसपी डा. सतीश कुमार के निर्देशन में श्रीयम की खोज आरंभ की.

इस बारे में पुलिस ने तकरीबन डेढ़ सौ लोगों से पूछताछ की. दरजनों संदिग्ध लोगों को हिरासत में ले कर उन से कड़ाई से पूछताछ की. सैकड़ों संदिग्ध नंबरों की काल डिटेल्स निकलवाई, तकनीक का सहारा लिया. लेकिन श्रीयम का कोई सुराग नहीं मिला और न ही श्वेता के हत्यारों का.

पुलिस अधिकारी रात भर रोहित तिवारी के फ्लैट पर जुटे रहे. एसपी डा. सतीश कुमार एएसपी डा. अवधेश सिंह तथा सीओ संजय शर्मा  अन्य पुलिस कर्मियों के साथ जांच में जुटे थे.

वह सीसीटीवी फुटेज खंगाल चुके थे और कमरे की हर चीज का निरीक्षण कर रहे थे. तभी रोहित तिवारी के मोबाइल फोन पर एक मैसेज आया. मैसेज देख कर वह चीख पड़ा, ‘‘सर, यह देखो श्रीयम के अपहर्त्ता का मैसेज आया है. उस ने 30 लाख रुपए फिरौती की मांग की है.’’

फिरौती का मैसेज मृतका श्वेता के मोबाइल नंबर से भेजा गया था. रोहित ने उसी नंबर पर काल बैक कर अपहर्त्ता से कहा कि वह फिरौती की रकम देने को तैयार है लेकिन पहले श्रीयम का चेहरा दिखाए. लेकिन फोन करने वाले ने चेहरा नहीं दिखाया और फोन डिसकनेक्ट कर दिया.

पुलिस अधिकारियों की समझ में यह नहीं आ रहा था कि अपहर्त्ता को रोहित का मोबाइल नंबर कैसे मिला. क्या अपहर्त्ता रोहित की जान पहचान का है?

पुलिस अधिकारी अभी जांच कर ही रहे थे कि सुबह मृतका श्वेता के मांबाप व अन्य परिजन रोहित के फ्लैट पर आ गए. श्वेता के पिता सुरेश कुमार मिश्रा तथा मां माधुरी मिश्रा ने आते ही एसपी डा. सतीश कुमार को बताया कि उन की बेटी की हत्या उन के दामाद रोहित ने ही की है.

5 जनवरी को मोबाइल रिचार्ज न करवाने की बात को ले कर रोहित और श्वेता के बीच झगड़ा हुआ था. मारपीट करने के बाद रोहित ने उन के मोबाइल पर फोन किया था. उस ने गुस्से में कहा था, ‘‘पापा जी, हम बहुत परेशान हैं. आप को जितना रुपया चाहिए, ले लो लेकिन श्वेता को अपने साथ ले जाओ. नहीं तो मैं इस की हत्या कर दूंगा.’’

इस पर उन्होंने रोहित को समझाने का प्रयास किया तो उस ने फोन काट दिया. इस के बाद उन्होंने श्वेता को काल कर के समझाया था. लेकिन यह नहीं सोचा था कि रोहित हत्या कर ही देगा.

रोहित जिस तरह से बारबार अपनी बेगुनाही का सबूत दे रहा था और हत्या के समय अपनी मौजूदगी औफिस में बता रहा था, उस से पुलिस अधिकारियों को उस पर शक बढ़ता जा रहा था. लेकिन जब मृतका के मांबाप ने भी उस पर सीधे तौर पर हत्या का आरोप लगाया तो पुलिस का भी शक उस पर गहराने लगा.

8 जनवरी, 2020 की दोपहर 3 बजे हल्ला मचा कि एक बच्चे का शव रोहित के फ्लैट की बाउंड्रीवाल के पीछे झाडि़यों में पड़ा है. पुलिस ने झाडि़यों से शव को बाहर निकाला, शव तौलिया में लिपटा था. तौलिया हटाया गया तो सभी अवाक रह गए, शव श्रीयम का ही था. उस की हत्या गला दबा कर की गई थी. श्रीयम का सिर भी कुचला गया था. जिस श्रीयम को खोजने के लिए पुलिस के 100 जवान पसीना बहा रहे थे, उस का शव उसी के घर के पीछे झाडि़यों में पड़ा था. नाती की लाश देख कर सुरेश कुमार मिश्रा व उन की पत्नी माधुरी मिश्रा फफक पड़ी. बेटे शुभम ने मांबाप को धैर्य बंधाया.मासूम श्रीयम की हत्या की जानकारी पाते ही पुलिस कमिश्नर आनंद श्रीवास्तव तथा डीएसपी (पूर्वी) राहुल जैन वहां आ गए. उन्होंने मौके पर मौजूद पुलिस अधिकारियों से कहा कि मां के बाद बेटे की हत्या दिल को झकझोर देने वाली है. ऐसे क्रूर हत्यारों को वह जल्द से जल्द सलाखों के पीछे देखना चाहते हैं. इस के बाद उन्होंने श्रीयम का शव भी पोस्टमार्टम के लिए महात्मा गांधी अस्पताल भेज दिया.

भारी पुलिस सुरक्षा के बीच 3 डाक्टरों के एक पैनल ने श्वेता और उस के मासूम बेटे श्रीयम के शव का पोस्टमार्टम किया. पोस्टमार्टम के बाद दोनों शव मृतका के पति रोहित के बजाय मृतका के मातापिता को सौंप दिए गए.

सुरेश कुमार मिश्रा बेटी श्वेता व नाती श्रीयम के शव सर्वोदय नगर (कानपुर) स्थित अपने घर ले आए. वहां भैरवघाट पर उन का अंतिम संस्कार कर दिया गया.

अंतिम संस्कार का दृश्य बड़ा ही हृदय विदारक था. शव यात्रा के समय 22 महीने के श्रीयम का शव श्वेता की गोद में था. ठीक इसी तरह उन्हें चिता पर लिटाया गया. श्वेता का एक हाथ बेटे के ऊपर था. ठीक वैसे ही जैसे कोई सो रही मां अपने बेटे को अपनी बांहों की सुरक्षा देती है. श्मशान घाट पर जिस ने भी यह दृश्य देखा उस का कलेजा फट गया. लोग तो अपनी आंखों से आंसू नहीं रोक सके.

उधर डबल मर्डर की गुत्थी सुलझाने के लिए जयपुर पुलिस अधिकारियों ने मृतका के पति रोहित तिवारी पर शिकंजा कसा और उस से सख्ती से पूछताछ की. पुलिस अधिकारी उसे एयर पोर्ट ले गए और घटना वाले दिन यानी 7 जनवरी की सीसीटीवी फुटेज खंगाली.

पता चला कि उस रोज रोहित तिवारी सुबह 9 बजे एयरपोर्ट पहुंचा था और पत्नी की हत्या की सूचना मिलने के बाद एयरपोर्ट से घर को निकला था. फुटेज से यह भी पता चला कि रोहित घटना के समय वहां एक बैठक में मौजूद था.

उस के मोबाइल की लोकेशन भी दिन भर एयरपोर्ट की ही मिल रही थी. सारे सबूत रोहित के पक्ष में जा रहे थे जिस से पुलिस उसे गिरफ्तार नहीं कर पा रही थी. यद्यपि पुलिस अधिकारियों को पक्का यकीन था कि दोहरी हत्या में रोहित का प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष हाथ हो सकता है.

पुलिस ने रोहित पर कड़ा रुख अपनाया तो पुलिस पर दबाव बनाने के लिए उस ने कोर्ट का रुख किया. 9 जनवरी को रोहित ने जयपुर की निचली अदालत में अपने वकील दीपक चौहान के मार्फत प्रार्थना पत्र दे कर पुलिस पर प्रताडि़त करने का अरोप लगाया.

कोर्ट ने इस मामले में प्रताप नगर थानाप्रभारी को 10 जनवरी को प्रकरण से जुड़े तथ्यों के साथ उपस्थित होने का आदेश दिया.

रोहित की इस काररवाई से पुलिस बौखला गई. जिस मोबाइल फोन से रोहित के मोबाइल पर मैसेज किया गया था, पुलिस ने उस मोबाइल फोन की जांच में जुट गई. जांच से पता चला कि श्वेता अपने मोबाइल फोन में पैटर्न लाक लगाती थी, जिसे कोई दूसरा नहीं खोल सकता था.

इस का मतलब मैसेजकर्ता ने श्वेता का सिम निकाल कर किसी दूसरे मोबाइल में डाला था. मैसेज करते समय इस मोबाइल फोन की लोकेशन जयपुर के सांगानेर की मिली. पुलिस फोन के आईएमईआई नंबर के सहारे उस दुकानदार तक पहुंची, जहां से वह हैंडसेट खरीदा गया था.

वहां से मोबाइल खरीदार के बारे में जानकारी नहीं मिली तो उस फोन के आईएमईआई (इंटरनैशनल मोबाइल इक्विपमेंट आइडेंटिटी) नंबर को ट्रेस कर पुलिस मैसेजकर्ता तक पहुंच गई.

पुलिस मैसेजकर्ता को उस के घर से पकड़ कर थाने ले आई. उस ने अपना नाम सौरभ चौधरी निवासी भरतपुर (राजस्थान) तथा हाल पता सांगानेर बताया. उस से जब श्वेता व उस के मासूम बेटे श्रीयम की हत्या के संबंध में पूछा गया तो उस ने ऐसा कुछ करने से इनकार किया.

लेकिन जब उस के साथ सख्ती की गई तो वह टूट गया और दोहरी हत्या करने का जुर्म कबूल कर लिया. सौरभ चौधरी ने बताया कि रोहित तिवारी ने ही उसे 20 हजार रुपए दे कर पत्नी व बेटे की हत्या की सुपरी दी थी. मतलब दोहरी हत्या की साजिश रोहित ने ही रची थी.

सौरभ से पूछताछ के बाद पुलिस अधिकारियों ने 10 जनवरी, 2020 को रोहित तिवारी को भी बंदी बना लिया. थाने में जब उस का सामना सौरभ चौधरी से हुआ तो उस का चेहरा लटक गया और उस ने सहज ही पत्नी श्वेता की हत्या का जुर्म कबूल कर लिया.

डबल मर्डर के हत्यारों के पकड़े जाने की जानकारी पुलिस कमिश्नर आनंद श्रीवास्तव और डीसीपी (पूर्वी) डा. राहुल जैन को हुई तो वह थाना प्रताप नगर आ गए. उन्होंने आरोपियों से पूछताछ की, फिर प्रैसवार्ता कर घटना का खुलासा कर दिया.

चूंकि हत्यारोपियों ने अपना जुर्म कबूल कर लिया था, इसलिए थानाप्रभारी ने भादंवि की धारा 302/201 तथा 120बी के तहत सौरभ चौधरी तथा रोहित तिवारी के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर ली. पुलिस द्वारा पूछताछ करने पर एक ऐसे पति की कहानी सामने आई जिस ने दूसरी शादी रचाने के लिए अपनी पत्नी व बच्चे के कत्ल की साजिश रच डाली.उत्तर प्रदेश के कानुपर महानगर के काकादेव थाना अंतर्गत एक मोहल्ला है सर्वोदय नगर. सुरेश कुमार मिश्रा अपने परिवार के साथ इसी सर्वोदय नगर में रहते थे. उन के परिवार में पत्नी माधुरी मिश्रा के अलावा एक बेटा और 3 बेटियां थीं. सुरेश कुमार मिश्रा भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) में अधिकारी थे, जो अब रिटायर हो चुके हैं. उन का आलीशान मकान है, मिश्राजी अपनी 2 बेटियों की शादी कर चुके थे.

श्वेता सुरेश कुमार मिश्रा की सब से छोटी बेटी थी. वह अपनी दोनों बहनों से ज्यादा खूबसूरत थी. जब वह आंखों पर काला चश्मा लगा कर घर से बाहर निकलती थी तो लोग उसे मुड़मुड़ कर देखते थे, लेकिन वह किसी को भाव नहीं देती थी. श्वेता ने कानपुर छत्रपति साहू जी महाराज विश्वविद्यालय से बीए किया था.

वह आगे की पढ़ाई जारी रखना चाहती थी ताकि अपने पैरों पर खड़ी हो सके, लेकिन पिता सुरेश कुमार मिश्रा कोई अच्छा घरवर ढूंढ कर उस के हाथ पीले करना चाहते थे. उन्होंने उस के लिए वर की खोज भी शुरू कर दी. उसी खोज में उन्हें रोहित तिवारी पसंद आ गया.

रोहित के पिता उमाशंकर तिवारी मूल रूप से औरैया जनपद के गांव कंठीपुर के रहने वाले थे, लेकिन वह दिल्ली के गांधी नगर के रघुवरपुरा स्थित माता मंदिर वाली गली में रहते थे. उमाशंकर तिवारी के परिवार में पत्नी कृष्णादेवी के अलावा बेटा रोहित तथा 2 बेटियां थीं. बेटियों की शादी वह कर चुके थे.

रोहित अभी कुंवारा था. रोहित पढ़ालिखा हैंडसम युवक था. वह इंडियन आयल कारपोरशन में मैनेजर था. उस की पोस्टिंग दिल्ली में ही थी. सुरेश कुमार मिश्रा ने रोहित को देखा तो उसे अपनी बेटी श्वेता के लिए पसंद कर लिया.

फिर 24 जनवरी, 2011 को रीतिरिवाज से रोहित के साथ श्वेता का विवाह धूमधाम से कर दिया. उस की शादी में उन्होंने लगभग 30 लाख रुपए खर्च किए थे.

शादी के बाद श्वेता और रोहित ने बड़े प्रेम से जिंदगी का सफर शुरू किया. हंसतेखेलते 2 साल कब बीत गए दोनों में किसी को पता ही न चला. लेकिन इन 2 सालों में श्वेता मां नहीं बन सकी. सूनी गोद का दर्द जहां श्वेता और रोहित को था, वहीं श्वेता के सासससुर को भी टीस थी. सास कृष्णादेवी तो श्वेता को ताने भी देने लगी थी.

इतना ही नहीं, श्वेता को कम दहेज लाने की भी बात कही जाने लगी. उस के हर काम में कमी निकाली जाने लगी. यहां तक कि उस के खानपान और पहनावे पर भी सवाल उठाए जाने लगे. उसे तब और गहरी चोट लगी जब उसे पता चला कि उस के पति रोहित के किसी अन्य लड़की से नाजायज संबंध हैं, जो उस के साथ कालेज में पढ़ती थी.

वर्ष 2013 में जब श्वेता की प्रताड़ना ज्यादा बढ़ गई तो वह ससुराल छोड़ कर मायके में आ कर रहने लगी. यहां वह 7 महीने तक रही. उस के बाद एक प्रतिष्ठित कांग्रेसी नेता ने बीच में पड़ कर समझौता करा दिया. उस के बाद सुरेश कुमार मिश्रा ने श्वेता को ससुराल भेज दिया.

ससुराल में कुछ समय तक तो उसे ठीक से रखा गया. लेकिन उसे फिर से प्रताडि़त किया जाने लगा. मांबाप की नुकताचीनी पर रोहित उसे पीट भी देता था. कृष्णा देवी तो सीधेसीधे उसे बांझ होने का ताना देने लगी थी. ननद नूतन और मीनाक्षी भी अपने मांबाप व भाई का ही पक्ष ले कर प्रताडि़त करती थीं.

ससुराली बातों की प्रताड़ना से दुखी हो कर श्वेता ने एक रोज अपनी बड़ी बहन सपना को एक खत भेजा, जिस में उस ने अपना दर्द बयां करते हुए लिखा, ‘सपना दीदी, रोहित तथा उस के मांबाप मुझे बहुत परेशान करते हैं. चैन से जीने नहीं देते. सब पीटते हैं, मुझे नीचा दिखाते हैं. खाने को भी नहीं देते. यहां तक कि मेरे पहनावे पर सवाल उठाते हैं.

‘‘मुझे यह भी पता चला है कि रोहित के एक युवती से संबंध हैं. वह उस के कालेज समय की दोस्त है. वह उसी से प्यार करता है. यही वजह है कि वह मुझे प्रताडि़त करता है. उसे मेरी हर बात बुरी लगती है. मामूली बातों पर मारपीट कर घर से जाने को कहता है. सासससुर भी उसी का साथ देते हैं. नौकरानी की तरह दिन भर घर का काम करवाते हैं. यदि मेरे साथ कोई अप्रिय वारदात हो जाए तो ये सभी जिम्मेदार होंगे.’’

छोटी बहन का दर्द सुन कर सपना बहुत दुखी हुई. उस ने सारी बात मांबाप को बताई. तब सुरेश कुमार मिश्रा ने दामाद रोहित तथा उस के मांबाप से बात की और अनुरोध किया कि वे लोग श्वेता को प्रताड़ित न करें.

इतना ही नहीं उन्होंने श्वेता को भी समझाया कि वह परिवार में सामंजस्य बनाए रहे. लेकिन सुरेश कुमार के अनुरोध का रोहित और उस के परिजनों पर कोई असर न पड़ा, उन की प्रताड़ना बदस्तूर जारी रही.

इसी तनाव भरी जिंदगी के बीच रोहित का तबादला उदयपुर के महाराणा प्रताप एयरपोर्ट पर हो गया. श्वेता दिल्ली छोड़ कर पति के साथ उदयपुर चली गई. उदयपुर में ही श्वेता ने अप्रैल 2018 में बेटे को जन्म दिया, जिस का नाम श्रीयम रखा गया. बेटे के जन्म के बाद श्वेता को लगा कि अब उस की खुशियां वापस आ जाएंगी और पति के स्वभाव में भी परिवर्तन आएगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ.श्रीयम के जन्म से न तो रोहित को खुशी हुई और न ही उस के स्वभाव में परिवर्तन आया. उस की प्रताड़ना बदस्तूर जारी रही. रोहित के मातापिता भी श्रीयम के जन्म से खुश नजर नहीं आए.

उदयपुर एयरपोर्ट पर तैनाती के दौरान रोहित तिवारी की मुलाकात सह कर्मी हरीसिंह से हुई. धीरेधीरे दोनों में गहरी दोस्ती हो गई. हरी सिंह अपनी पत्नी सुधा सिंह को साथ ले कर रोहित के घर आने लगा. सुधा सिंह मिलनसार थी. इसलिए श्वेता और सुधा अपना सुखदुख एकदूसरे से शेयर कर लेती थीं. श्वेता ने प्रताडि़त किए जाने की बात भी सुधा से शेयर की थी.

सौरभ चौधरी हरीसिंह का साला था. वह भरतपुर में रहता था, और हैंडीक्राफ्ट का काम करता था. हरीसिंह के मार्फत सौरभ की जानपहचान रोहित से हुई. वह रोहित के घर आने लगा. उस ने श्वेता से भी पहचान बना ली, और उस से खूब बतियाने लगा. सौरभ जब भी रोहित से मिलने आता था, वह उसे शराब पिलाता था.

इधर श्रीयम के जन्म के बाद रोहित तिवारी का ट्रांसफर उदयपुर से जयपुर हो गया. जयपुर में रोहित ने प्रताप नगर थाना क्षेत्र के जगतपुरा में स्थित यूनिक टावर सेक्टर 26, आई ब्लौक में फ्लैट संख्या 103 किराए पर ले लिया और पत्नी श्वेता तथा बेटे श्रीयम के साथ रहने लगा.

जयपुर आ कर भी श्वेता और रोहित के बीच तनाव बरकरार रहा. दोनों का छोटीछोटी बातों में झगड़ा और मारपीट होती रहती थी. हरीसिंह का साला सौरभ चौधरी यहां भी रोहित से मिलने आता था. उसे दोनों की तनाव भरी जिंदगी के बारे में जानकारी थी. रोहित कभीकभी शराब के नशे में कह भी देता था कि वह झगड़ालू श्वेता से छुटकारा पाना चाहता है.

दिसंबर 2019 की बात है. रोहित को कंपनी के काम से 8 से 21 दिसंबर के बीच शहर से बाहर जाना था. इसलिए वह श्वेता को अपने मांबाप के पास दिल्ली छोड़ गया. पहले वह कोलकाता गया फिर मुंबई. 21 दिसंबर को वह मुंबई से दिल्ली आया. घर वालों ने हमेशा की तरह उसे श्वेता के खिलाफ भड़काया. तब दोनों के बीच झगड़ा भी हुआ.

इस के बाद वह श्वेता को ले कर जयपुर आ गया. दोनों कार से आए थे. घर आ कर श्वेता ने अपनी मां माधुरी को फोन पर बताया कि रोहित ने 272 किलोमीटर के सफर में उसे पानी तक नहीं पीने दिया और वह झगड़ता रहा.

अब तक रोहित अपनी शादीशुदा जिंदगी से ऊब चुका था. वह दूसरी शादी रचा कर अपनी नई जिंदगी की शुरूआत करने के सपने देखने लगा, लेकिन एक पत्नी के रहते वह दूसरी शादी नहीं कर सकता था. उस ने श्वेता की हत्या के साथ मासूम श्रीयम की भी हत्या कराने का फैसला किया, ताकि शादीशुदा जिंदगी का नामोनिशान मिट जाए. वह जिंदगी की बैक हिस्ट्री को ही डिलीट करना चाहता था.

3 जनवरी, 2020 को रोहित ने सौरभ चौधरी को फोन कर जयपुर एयरपोर्ट के पास स्थित होटल फ्लाइट व्यू में बुलाया. वहां रोहित ने सौरभ के साथ बैठ कर पत्नी व बेटे की हत्या की साजिश रची. साजिश इस तरह रची गई कि रोहित का नाम सामने नहीं आए. रोहित ने हत्या के लिए सौरभ को 20 हजार रुपए भी दे दिए.

दरअसल सौरभ चौधरी शादीशुदा था. रोहित की तरह सौरभ भी पत्नी से परेशान रहता था और पत्नी से छुटकारा पाना चाहता था. इसलिए दोनों में तय हुआ कि पहले वह रोहित का साथ देगा. फिर रोहित उस की पत्नी की हत्या में उस का साथ देगा. यही कारण था कि मात्र 20 हजार में सौरभ डबल मर्डर को राजी हो गया था.

5 जनवरी, 2020 को मोबाइल रिचार्ज न कराने को ले कर रोहित और श्वेता के बीच झगड़ा और मारपीट हुई. इस के बाद उस ने श्वेता के पिता सुरेश कुमार मिश्रा को फोन कर के झगड़े की जानकारी दी और गुस्से में कहा, ‘‘पापा जी, आप श्वेता को ले जाइए. मैं उस का मुंह नहीं देखना चाहता. आप को जितना पैसा चाहिए ले लीजिए. अन्यथा मैं इस की हत्या कर दूंगा.’’

दामाद की धमकी से सुरेश कुमार मिश्रा घबरा उठे. उन्होंने दामाद को भी समझाया और बेटी को भी. लेकिन समझाने के बावजूद रोहित का गुस्सा ठंडा नहीं हुआ. उस ने फोन कर सौरभ चौधरी को जयपुर बुला लिया और श्वेता तथा उस के मासूम बेटे श्रीयम की हत्या की पूरी योजना तैयार कर के हत्या का दिन तारीख और समय तय कर दिया.

योजना के मुताबिक 7 जनवरी, 2020 की सुबह 9 बजे रोहित जयपुर एयरपोर्ट पहुंच गया और अपने काम पर लग गया. वह वहां एक मीटिंग में भी शामिल हुआ. वहां लगे सीसीटीवी कैमरों के सामने भी वह आताजाता रहा, ताकि उस का फोटो कैमरों में कैद हो जाए.

इधर योजना के मुताबिक सौरभ चौधरी भी 7 जनवरी को दोपहर बाद लगभग 2 बजे रोहित के यूनिक टावर अपार्टमेंट स्थित फ्लैट पर पहुंचा और डोरवेल बजाई. श्वेता ने दरवाजा खोला तो सामने सौरभ खड़ा था.

चूंकि सौरभ को श्वेता जानतीपहचानती थी, इसलिए उसे घर के अंदर ले गई और कमरे में बिठाया. फिर उस ने 2 कप चाय बनाई और दोनों ने बैठ कर चाय पी. चाय पी कर दोनों ने कप प्लास्टिक की टेबल पर रख दिए.

इसी बीच श्वेता दूसरे कमरे में चली गई, जहां उस का बेटा श्रीयम सो रहा था. तभी मौका पा कर सौरभ रसोई में गया और अदरक कूटने वाली लोहे की मूसली उठा लाया. चंद मिनट बाद श्वेता वापस आई तो सौरभ ने अकस्मात श्वेता के सिर पर मूसली से वार कर दिया. श्वेता सिर पकड़ कर पलंग पर गिर पड़ी.

इस के बाद सौरभ ने श्वेता को दबोच लिया, और मूसली से उस का सिर व चेहरा कूट डाला. इस के बाद वह पुन: रसोई में गया और चाकू ले आया और चाकू से श्वेता का गला रेत दिया. उस ने चाकू पलंग पर तथा मूसली पलंग के नीचे फेंक दी.

श्वेता की हत्या करने के बाद सौरभ चौधरी दूसरे कमरे में पहुंचा, जहां मासूम श्रीयम पलंग पर सो रहा था. सौरभ को उस मासूम पर जरा भी दया नहीं आई और न ही उस का कलेजा कांपा. उस ने श्रीयम को गला दबा कर मार डाला तथा उस का सिर भी कूट डाला. इस के बाद सौरभ ने उस का शव तौलिए में लपेटा और बाउंड्री वाल के पीछे झाडि़यों में फेंक दिया.

श्रीयम का शव ठिकाने लगाने के बाद उस ने फिर से कमरे में आ कर श्वेता का मोबाइल फोन अपनी जेब में डाला और मुंह पर कपड़ा ढक कर फ्लैट से निकल गया. बाद में उस ने श्वेता का मोबाइल फोन तोड़ कर सांगानेर से शिकारपुरा की ओर बहने वाले नाले में फेंक दिया और दूसरा फोन खरीद कर फिरौती के लिए रोहित को मैसेज भेजा.

इधर शाम 4 बजे नौकरानी काम करने फ्लैट पर आई तब घटना की जानकारी हुई. इस के बाद तो कोहराम मच गया. थाना प्रताप नगर पुलिस को सूचना मिली तो पुलिस मौके पर पहुंची.

11 जनवरी, 2019 को पुलिस ने अभियुक्त रोहित तिवारी तथा सौरभ चौधरी को जयपुर कोर्ट में पेश किया. पुलिस ने मृतका का मोबाइल फोन व सिम कार्ड बरामद करने के लिए अदालत में अभियुक्तों की 3 दिन के रिमांड की अरजी लगाई. अदालत ने 2 दिन की रिमांड अरजी मंजूर कर ली.

रिमांड मिलने पर जब पुलिस ने सौरभ से श्वेता के मोबाइल फोन व सिम के बारे में पूछा तो उस ने सिम तो बरामद करा दिया, लेकिन मोबाइल फोन के बारे में बताया कि उस ने मोबाइल तोड़ कर सांगानेर के नाले में फेंक दिया था. रिमांड के दौरान पुलिस मोबाइल बरामद नहीं कर सकी. जिस से उन दोनों को 13 जनवरी को अदालत में पेश करना पड़ा.पुलिस की अरजी पर अदालत ने 15 जनवरी, 2020 तक फिर से रिमांड अवधि बढ़ाई लेकिन पुलिस मोबाइल फोन फिर भी बरामद नहीं कर सकी. इसलिए उन्हें अदालत में पेश कर जयपुर की जिला जेल भेज दिया गया. हरीसिंह को पुलिस ने उदयपुर से हिरासत में जरूर ले लिया था, परंतु बाद में उसे इस मामले में क्लीन चिट दे दी.

 

शक की सुई और हत्या

जिस तरह अपराध की जड़ -“जर जोरू और जमीन” को माना गया है उसी तरह पति पत्नी के बीच हत्या का एक महत्वपूर्ण कारक शक भी है जिसके कारण जाने कितने लोगों की जान चली जाती है.

आमतौर पर महिलाएं ही पति के शक्की स्वभाव के कारण मार डाली जाती है, और शायद इसीलिए कहा भी गया है कि शक का इलाज हकीम लुकमान के पास भी नहीं है. मगर यह भी सच है कि सत्य कारण अपने खून रंगे हाथों के साथ पति जेल की चक्की पिसता है और जिंदगी भर पछताना पड़ता  है.

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ऐसा ही एक घटनाक्रम छत्तीसगढ़ के जांजगीर चांपा जिले में घटित हुआ जहां एक पति ने पत्नी को से इसलिए मौत के घाट उतरवा दिया क्योंकि उसे शक था कि पत्नी के किसी से अवैध संबंध है.  बलौदा थाना क्षेत्र के छाता जंगल में विगत 15 जून की रात नाटकीय घटनाक्रम घटित हुआ था, कथित रूप से लुटेरों ने कार में सवार एक जोड़े को लूट कर महिला की हत्या कर दी. जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ी तो सच्चाई सामने आती चली गई अब‌ पुलिस का खुलासा है कि इस मामले में मृतका का पति मुख्य आरोपी है. मृतक दीप्ति सोनी के पति देवेंद्र सोनी ने दो अन्य साथियों के साथ मिलकर  अपनी पत्नी को लूटकर मारने की घटना को अंजाम दिया था.

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चरित्र संशय से जिंदगी तबाह

पति देवेंद्र को जब पत्नी  दीप्ति यह  शक हुआ कि उसके किसी गैर मर्द से संबंध है तो नित्य प्रतिदिन घर में वाद विवाद होने लगा परिस्थिति इस मोड़ पर आ पहुंची की एक दिन दीप्ति की हत्या अपने घरेलू नौकर के साथ मिलकर करवा दी.

घटना कारित करने के पश्चात पति ने थाने में रिपोर्ट दर्ज करायी थी कि उसकी पत्नी को लुटेरों ने लूट कर मार डाला है.

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दरअसल, बिलासपुर की रहने वाली दीप्ति सोनी का विवाह  बिलासपुर के देवेंद्र सोनी से हुआ था. जिले  की महिला पुलिस अधीक्षक पारुल माथुर ने हमारे संवाददाता को बताया कि विवाह के कुछ साल बाद चरित्र संशय को लेकर दोनों के बीच पारिवारिक झगड़ा शुरू हो गया था. इसके बाद दीप्ति सोनी के पति देवेंद्र सोनी ने  दीप्ति की मां को आने-जाने से रोक दिया था और पत्नी पर शक के चलते देवेंद्र सोनी ने उनकी पत्नी की हत्या की साजिश रचकर उनकी हत्या करा दी. उसने दो लोगों को पैसा का लालच देकर  सहयोगी  बनाया.

कुल जमा आरोपी पति ने अपनी पत्नी के चरित्र पर शक की आग में जलकर अपनी पत्नी की हत्या कर खुद को और अपने दो साथियों को हत्यारा बना लिया . बलौदा पुलिस टीम ने इस पूर्व नियोजित लूट व हत्या के मास्टरमाइंड आरोपी पति देवेंद्र सोनी, उसके साथी प्रदीप सोनी व उसकी पत्नी शालू सोनी को गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में भेज दिया है.

मर्यादाओं का खून : भाग 1

सुबह के करीब 10 बज रहे थे. फतेहपुर जिले के बिंदकी थानाप्रभारी नंदलाल सिंह थाने में मौजूद थे. वह एक शातिर बदमाश को गिरफ्तार कर के लाए थे और उस से उस के अन्य साथियों के बारे में जानकारी हासिल कर रहे थे. तभी एक युवक ने उन के कक्ष में प्रवेश किया. वह बेहद घबराया हुआ था. थानाप्रभारी ने उस पर एक नजर डाली फिर पूछा, ‘‘क्या बात है तुम कुछ परेशान लग रहे हो?’’

‘‘सर, मेरा नाम अनिल कुमार है. मैं कमरापुर गांव में रहता हूं और आप के थाने में तैनात होमगार्ड वंशलाल का बेटा हूं. बीती रात किसी ने मेरे पिता की हत्या कर दी. उन की लाश घर में ही पड़ी है.’’

अनिल की बात सुन कर थानाप्रभारी चौंकते हुए बोले, ‘‘क्या कहा, वंशलाल की हत्या हो गई. कल शाम को ड्यूटी पूरी कर घर गया था. फिर किस ने उस की हत्या कर दी. खैर, मैं देखता हूं.’’

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चूंकि थाने में तैनात होमगार्ड की हत्या का मामला था, अत: थानाप्रभारी ने होमगार्ड इस की सूचना वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को दी. फिर एसआई शहंशाह हुसैन, कांस्टेबल शैलेंद्र कुमार, अखिलेश मौर्या तथा महिला सिपाही अंजना वर्मा को साथ लिया और जीप से घटनास्थल की ओर रवाना हो गए. यह 17 मार्च, 2020 की बात है.

कमरापुर गांव थाने से 8 किलोमीटर दूर बिंदकी अमौली रोड पर था. पुलिस को वहां पहुंचने में ज्यादा समय नहीं लगा. घटनास्थल पर पहुंच कर थानाप्रभारी निरीक्षण में जुट गए. वंशलाल की लाश घर के बाहर बरामदे में तख्त पर पड़ी थी. वह कच्छा बनियान पहने था. उस की होमगार्ड की वर्दी खूंटी पर टंगी थी. उस की हत्या शायद गला दबा कर की गई थी. उस की उम्र 55 साल के आसपास थी.

निरीक्षण के दौरान थानाप्रभारी नंदलाल सिंह की नजर मृतक के कच्छे पर पड़ी जो खून से तरबतर था. लग रहा था जैसे गुप्तांग से खून निकला था. शरीर पर अन्य किसी चोट का निशान नहीं था. पुलिस ने जांच की तो उस का गुप्तांग कुचला हुआ मिला.

थानाप्रभारी को शक हुआ कि कही वंशलाल की हत्या नाजायज संबंधों के चलते तो नहीं हुई, किंतु उन्होंने अपना शक जाहिर नहीं किया.

थानाप्रभारी नंदलाल सिंह अभी निरीक्षण कर ही रहे थे कि एसपी प्रशांत कुमार वर्मा, एएसपी चक्रेश मिश्रा तथा सीओ अभिषेक तिवारी भी वहां आ गए. पुलिस अधिकारियों ने मौके पर फोरैंसिक टीम तथा डौग स्क्वायड टीम को भी बुलवा लिया. फोरैंसिक टीम ने जांच कर सबूत जुटाए.

डौग स्क्वायड टीम ने मौके पर डौग को छोड़ा. उस ने शव को सूंघ तख्त के 2 चक्कर लगाए, फिर भौंकते हुए गली की ओर बढ़ गया. 2 मकान छोड़ कर वह तीसरे मकान पर जा कर रुक गया और जोरजोर से भौंकने लगा. पर उस मकान में ताला लटक रहा था. पुलिस अधिकारियों ने उस मकान के बारे में पूछा तो मृतक के बड़े बेटे अनिल कुमार ने बताया कि इस मकान में उस का छोटा भाई मनीष कुमार अपनी पत्नी विनीता के साथ रहता है. बीती शाम मनीष घर पर ही था, पर रात में कहां चला गया, उसे पता नहीं है.

अनिल की बात सुन कर पुलिस अधिकारियों को शक हुआ कि कहीं मनीष और विनीता ने मिल कर तो वंशलाल की हत्या नहीं कर दी. उन का फरार होना भी इसी ओर इशारा कर रहा था. पुलिस ने मनीष व विनीता की तलाश शुरू कर दी.

निरीक्षण के बाद घटनास्थल की काररवाई के बाद वंशलाल का शव पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल भिजवा दिया गया. इस के बाद पुलिस ने बरामदे में खूंटी पर टंगी मृतक की वर्दी की जामातलाशी कराई तो पैंट की जेब से एक छोटी डायरी तथा पर्स बरामद मिला. कमीज की जेब से एक मोबाइल फोन भी मिला.

मोबाइल फोन खंगाला गया तो पता चला कि रात 9:24 बजे वंशलाल की एक नंबर पर आखिरी बार बात हुई थी. जांच में वह नंबर मनीष की पत्नी विनीता का निकला.

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जांच के हर बिंदु पर जब मनीष और विनीता शक के दायरे में आए तो एसपी प्रशांत कुमार वर्मा ने उन्हें पकड़ने के लिए सीओ अभिषेक तिवारी के निर्देशन में एक पुलिस टीम का गठन किया. इस टीम में थानाप्रभारी नंदलाल सिंह, एसआई शहंशाह हुसैन, कांस्टेबल अखिलेश मौर्या, शैलेंद्र कुमार तथा महिला सिपाही अंजना वर्मा को शामिल किया गया.

तलाश बहू और बेटे की

टीम ने सब से पहले मृतक वंशलाल के बड़े बेटे अनिल कुमार, तथा उस की पत्नी रमा देवी के बयान दर्ज किए. अनिल कुमार ने अपने बयान में बताया कि पिताजी रंगीनमिजाज और शराब के आदी थे. मनीष की पत्नी विनीता ने अम्मा से उन की रंगीनमिजाजी की शिकायत भी की थी.

इसी आदत की वजह से मनीष और विनीता अलग रहने लगे थे. संभव है कि उन की हत्या में उन दोनों का हाथ हो. पुलिस टीम ने मृतक वंशलाल के पड़ोस में रहने वाले कुछ खास लोगों से बात की तो पता चला कि वंशलाल दबंग किस्म का व्यक्ति था.

वह होमगार्ड जरूर था, पर गांव के लोग उसे छोटा दरोगा कहते थे. गांव का कोई भी मामला थाने पहुंचता तो उस का निपटारा वंशलाल द्वारा ही होता था. मनीष जब घर से अलग हुआ था, तब ऐसी चर्चा फैली थी कि वंशलाल अपनी बहू पर गलत नजर रखता था, जिस से वह अलग रहने लगी थी.

पुलिस टीम ने मनीष और विनीता की तलाश तेज कर दी और विनीता के मोबाइल नंबर को सर्विलांस पर भी लगा दिया गया. इस के अलावा पुलिस ने अपने खास मुखबिरों को भी उन की टोह में लगा दिया. विनीता का मायका नगरा गांव में था. उस की लोकेशन भी वहीं की मिल रही थी. अत: पुलिस टीम ने आधी रात को विनीता के पिता विजय पाल के घर छापा मारा, लेकिन मनीष और विनीता पुलिस के हाथ नहीं लगे.

20 मार्च, 2020 को पुलिस टीम ने मुखबिर की सूचना पर फरीदपुर मोड़ से मनीष और उस की पत्नी विनीता को हिरासत में ले लिया. थाने ला कर जब उन दोनों से वंशलाल पाल की हत्या के संबंध में सख्ती से पूछताछ की गई तो वे दोनों टूट गए और वंशलाल की हत्या का जुर्म कबूल कर लिया.

पुलिस टीम ने वंशलाल पाल उर्फ बैजनाथ पाल की हत्या का परदाफाश करने तथा कातिलों को पकड़ने की जानकारी पुलिस अधिकारियों को दी तो सीओ अभिषेक तिवारी कोतवाली बिंदकी आ गए.

उन्होंने कातिल मनीष कुमार तथा उस की पत्नी विनीता से विस्तृत पूछताछ की. अभियुक्तों के गिरफ्तार होने की जानकारी मिली तो सीओ अभिषेक तिवारी भी कोतवाली बिंदकी पहुंच गए और अभियुक्तों से विस्तृत पूछताछ की. फिर आननफानन प्रैसवार्ता की. उन्होंने आरोपियों को मीडिया के सामने पेश कर घटना का खुलासा किया.

चूंकि हत्यारोपी मनीष कुमार तथा विनीता ने हत्या का जुर्म स्वीकार कर लिया था, इसलिए थानाप्रभारी नंदलाल सिंह ने मृतक के बड़े बेटे को वादी बना कर धारा 302 आईपीसी के तहत मनीष और विनीता के विरूद्ध रिपोर्ट दर्ज कर ली और उन्हेें विधिसम्मत गिरफ्तार कर लिया. पुलिस जांच में एक ऐसी बहू की कहानी सामने आई, जिस ने पति के साथ मिल कर कामी ससुर को ठिकाने लगाने की गहरी साजिश रची.

उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले के बिंदकी थाना क्षेत्र में एक गांव है नगरा. इसी गांव में विजय पाल अपने परिवार के साथ रहता था. उस के परिवार में पत्नी पूनम के अलावा 2 बेटे राजन, अजय तथा 2 बेटियां अनीता व विनीता थीं. विजय पाल के पास मात्र 2 बीघा उपजाऊ भूमि थी.

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इस की उपज से उस के परिवार का भरणपोषण मुश्किल था. अत: वह दूध का व्यवसाय भी करने लगा. इस काम में उस के दोनों बेटे भी सहयोग करते थे.

छोटी बेटी विनीता 4 भाईबहनों में तीसरे नंबर की थी. हाईस्कूल पास करने के बाद वह अपनी आगे की पढ़ाई जारी रखना चाहती थी, लेकिन मातापिता दूरदराज कस्बे में पढ़ाने को राजी न थे, इसलिए उसे पढ़ाई छोड़नी पड़ी.

जब विनीता सयानी हो गई तो उस की शादी कमरापुर गांव के मनीष से कर दी गई. मनीष का पिता वंशलाल उर्फ बैजनाथ पाल बिंदकी थाने में होमगार्ड था. उस के परिवार में पत्नी माया देवी के अलावा 2 बेटे अनिल कुमार, मनीष कुमार तथा एक बेटी रूपाली थी. वंशलाल पाल की आर्थिक स्थिति अच्छी थी. गांव में उस के 2 मकान तथा 2 एकड़ खेती की जमीन थी. 2015 में वंशलाल ने छोटे बेटे मनीष की शादी नगरा गांव की विनीता से कर दी.

जानें आगे क्या हुआ अगले भाग में…

मर्यादाओं का खून

मनोहर कहानियां: चांदनी को लगा शक का तीर

शाहनवाज

26दिसंबर, 2021 की सुबह के करीब 6 बज रहे थे, जब कानपुर के नौबस्ता थाना क्षेत्र में राजीव नगर की एक कालोनी के एक घर में दूसरी मंजिल पर रहने वाले हैदर के घर से बच्चों के रोने की आवाजें तेज हो गईं. हालांकि हैदर के घर से बच्चों की रोने की आवाजें बहुत पहले से ही आ रही थीं, लेकिन ठंड के दिनों में इतनी सुबहसुबह वह बिस्तर से उठना नहीं चाहता था. वैसे भी हैदर के घर के झगड़ेझमेलों में मकान का कोई भी दूसरा पड़ोसी पड़ने को तैयार नहीं था.

उन के घर पर लगभग रोजाना झगड़ा होना, मारपीट और बच्चों के चीखनेचिल्लाने व रोनेपीटने की आवाजें आम बात सी हो गई थी. कुछ ही देर में बच्चों के रोने की आवाजें इतनी तेज हो गईं कि अब लोगों की आंखों की नींद टूटने लगी थी. मकान की पहली मंजिल पर रहने वाला मकान मालिक तो उन के आपसी झगड़ों से इतना परेशान हो गया था कि उस ने तय कर लिया कि वो हैदर को घर खाली करने को कह देगा.

मकान मालिक गुस्से और तैश में अपने बिस्तर से निकला, अपने कमरे से निकलते हुए उस ने अपने पैरों में चप्पल डाली और तेजी से भागता हुआ सीढि़यां चढ़ कर दूसरी मंजिल पर हैदर के कमरे का दरवाजा खटखटाते हुए बोला, ‘‘हैदर जल्दी बाहर निकल. तुम लोगों का हर दिन का ये ड्रामा अब मैं नहीं सह सकता. जल्दी निकल. तेरा इलाज तो मैं आज करता हूं.’’

कुछ ही देर में दरवाजा खुला. दरवाजा हैदर ने नहीं बल्कि रोते हुए हैदर की 5 साल की बेटी सायमा ने खोला था. उसे रोता देख मकान मालिक ने उसे अपनी गोद में उठा लिया और बोला, ‘‘अरे रो क्यों रही है? पापा कहां हैं तेरे? सुबह से तुम ने रोरो कर सब की नींद हराम कर डाली है.’’

सायमा को गोद में उठाते हुए मकान मालिक ने कमरे के दरवाजे का दूसरा पल्ला खोला और अंदर का नजारा देख उस की आंखें खुली की खुली रह गईं.

उस ने देखा कि कमरे में बिखरे सामान के बीचोबीच जमीन पर हैदर की बीवी चांदनी पड़ी है. चांदनी के ठीक बगल में उन का 2 साल का बेटा हसन अपनी मां के गालों पर हाथ लगा कर उसे उठाने की लगातार कोशिश कर रहा है. लेकिन चांदनी कोई जवाब ही नहीं दे रही है.

यह देख कर मकान मालिक के ठंडे पड़े कान एकदम से गरम हो गए. उस के हाथपांव सुन्न पड़ गए. उस के गले से आवाज नहीं निकल रही थी और उस के शरीर की मानों सारी ऊर्जा खत्म सी हो गई.

बड़ी हिम्मत जुटा कर मकान मालिक अपनी गोद में सायमा को उठा कर कमरे में दाखिल हुआ और बिखरे सामान को अपने पैरों से हटा कर कदमों को आगे बढ़ाया. जैसेजैसे वह चांदनी की ओर आगे बढ़ता जा रहा था, वैसेवैसे उस के पैरों की हड्डियां मानों लचीली होती जा रही थीं.

उस ने चांदनी को देखने के बाद मन ही मन यह अंदाजा लगा लिया था कि उसे क्या हुआ होगा, लेकिन वह इस बात को मानने के लिए तैयार नहीं था.

दम तोड़ चुकी थी चांदनी

जब वह जमीन पर पड़ी चांदनी के एकदम नजदीक पहुंचा तो वह झुका और सायमा को अपनी गोद से उतारा. बिना कुछ कहे दोनों हाथों का इस्तेमाल कर उस ने चांदनी की कलाई उठाई और अपने दूसरे हाथ से उस की नब्ज टटोलने लगा. नब्ज मिलने पर उस ने उसे दबाया और उस की धड़कन महसूस करने की कोशिश की.

इस बीच कमरे में दोनों बच्चों की सुगबुगाहट और रोने का शोर पूरा था, लेकिन उसे मानो कुछ भी सुनाई नहीं दे रहा था. करीब 2 मिनट तक चांदनी के हाथों की नब्ज टटोलने के बाद उसे महसूस हुआ कि चांदनी की धड़कने थम चुकी हैं. लेकिन उस ने हार नहीं मानी. उस ने अपने कानों को चांदनी की नाक के पास ले जार कर चैक किया. चांदनी की सांस चल रही है या नहीं.

मकान मालिक यह मंजर देख कर इतना डर गया कि उस ने फिर से एक बार चांदनी की नब्ज दबाई. लेकिन उसे असफलता ही हाथ लगी. जब उस के मन ने यह मान लिया कि चांदनी मर चुकी है तो डरेसहमे मकान मालिक ने कमरे में मौजूद 2 साल के हसन को अपनी गोद में उठाया और सायमा का हाथ पकड़ कर उन्हें कमरे से बाहर ले कर निकला और मकान में जोर से शोर मचाया. देखते ही देखते हैदर के कमरे के सामने मकान में रहने वाले सभी किराएदारों का झुंड लग गया. मकान में खड़े रहने की इतनी जगह नहीं थी तो लोगों की मकान के बाहर गली में भीड़ जुटने लगे.

इस बीच मकान मालिक ने फोन कर स्थानीय पुलिस को इस घटना की सूचना दे दी और सभी पुलिस के आने का इंतजार करने लगे. हर कोई जिस को यह बात पता लगती जाती कि फलां घर में फलां महिला की मौत हो गई है. वह मकान के आगे खड़ा हो जाता और मामले में होने वाली हलचल को देखने में व्यस्त हो जाता.

हैदर के मकान के आगे जुटी भीड़ की खुसफुसाहट से इलाके में धीमा शोर सा फैल गया. थाना वहां से बहुत दूर नहीं था. कुछ देर के बाद ही स्थानीय पुलिस सूचना मिलते ही वहां पहुंच गई तो मकान के आगे जुटी भीड़ ने पुलिसवालों के लिए रास्ता बनाया.

नौबस्ता थानाप्रभारी अमित कुमार भड़ाना के नेतृत्व में पुलिसकर्मी मकान में उस कमरे में गए, जहां पर हत्या को अंजाम दिया गया था. कमरे में चांदनी की लाश जमीन पर पड़ी थी और घर का हर सामान अपनी जगह पर नहीं था. कमरे का माहौल इतना अस्तव्यस्त था कि घटनास्थल को सही से समझने में पुलिसकर्मियों को काफी समय लग गया.

घटनास्थल से जुटाए सबूत

पुलिस की टीम ने देखा कि कमरे में ऊपर टंगे हुए पंखे की पंखुडियां नीचे की ओर मुड़ी हुई थीं. लाश के पास ही चांदनी का दुपट्टा भी मौजूद था. यह देख कोई भी यह अंदाजा लगा सकता था कि हत्या को अंजाम पीडि़ता को फांसी पर लटका कर दिया गया था. देरी न करते हुए मौके पर पहुंची पुलिस टीम ने चांदनी की लाश को पास के सरकारी अस्पताल में पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया. इस के साथ ही घटनास्थल से पुलिस टीम ने फोरैंसिक टीम की मदद ले कर सभी जरूरी सबूतों को इकट्ठा कर लिया.

यह सब करने के बाद अब बारी थी पूछताछ की. थानाप्रभारी ने अपनी टीम की सहायता ले कर मामले को समझने के लिए मकान मालिक समेत सभी किराएदारों से हैदर और चांदनी के बारे में पूछताछ की. इस के साथ ही पुलिस ने चांदनी के रिश्तेदार, जिस में उस का भाई अब्दुल माजिद जो कानपुर के बाबुपुरवा में रहता था, को इस घटना की सूचना दी और जल्द से जल्द राजीव नगर अपनी बहन के घर पर आने को कहा.

पूछताछ के दौरान मकान मालिक और मकान में रहने वाले सभी किराएदारों ने पुलिस को बताया कि हैदर और चांदनी के बीच लगभग हर दिन झगड़े होते रहते थे. हैदर पेशे से पेंटर था और कोविड की वजह से उस के काम पर काफी असर पड़ा था.

इन दिनों उस का काम थोड़ाबहुत बढ़ा था, जिस के बाद ही वह मकान मालिक को किराए के पैसे दे पाया था. जब पुलिस ने उन के बीच झगड़ों की वजह पूछी तो पता चला कि हैदर हर रात को दारू पी कर घर आता था और वह घर के खर्चों के लिए चांदनी को पैसे भी नहीं देता था. इसलिए चांदनी घर के खर्चों के लिए घर पर ही पतंग बनाने का काम किया करती थी और उसी से ही बच्चों की जरूरतें पूरा किया करती थी.

हर किसी से पूछताछ करने के बाद पुलिस ने चांदनी और हैदर के बच्चों का रुख किया. हालांकि बच्चे उस समय भी लगातार रो ही रहे थे. पुलिस की टीम ने उन्हें खिलौने और खाने के लिए चौकलेट खरीद कर दिए तो बच्चे कुछ पल के लिए शांत हुए.

सायमा ने पुलिस को बताई कहानी

इसी दौरान थानाप्रभारी ने चांदनी की बेटी सायमा से इस घटना के बारे में पूछा. सायमा फफकते हुए धीमी आवाज में बोली, ‘‘पापा ने मम्मी के गले में दुपट्टा डाला और खींच कर पकड़ा. मम्मी जवाब नहीं दे रही थीं.’’

यह सुन कर थानाप्रभारी चौकन्ने हो गए और सायमा से इस बारे में थोड़ा और खुल कर बताने के लिए कहा. सायमा थानाप्रभारी को कुछ भी बताने से काफी डर रही थी. थानाप्रभारी उस छोटी बच्ची के डर को साफ महसूस कर रहे थे. इसलिए उन्होंने सायमा के डर को दूर करने के लिए उसे अपने विश्वास में ले कर थोड़ी दूर आए.

वह सायमा से बोले, ‘‘बेटा डरने की जरूरत नहीं है. हम हैं न यहां पर. जो कुछ हुआ उसे बिना डरे बताओ. तुम्हें कोई कुछ नहीं कहेगा.’’

रोती हुई सायमा को थानाप्रभारी की बात सुन कर थोड़ा अच्छा महसूस हुआ तो उस ने जवाब दिया, ‘‘पापा ने बोला कि अगर किसी को इस बारे में बताया तो वे हमें भी मम्मी की तरह मार डालेंगे.’’

यह सुन कर थानाप्रभारी के कान खड़े हो गए. उन्होंने सायमा को फिर से भरोसा दिलाया कि उसे कुछ नहीं होगा, अगर वो सब कुछ सचसच बता देगी तो वह उस की अम्मी के कातिल को सजा दिला पाएंगे.

सायमा को थानाप्रभारी की बातों पर भरोसा हो गया तो उस ने कहा, ‘‘पापा की मम्मी से कल रात को भी लड़ाई हुई थी. पापा दारू पी कर आए थे और मम्मी को पैसे देने के लिए बोल रहे थे. कल रात को भी पापा ने मम्मी को मारा था. उस के हाथ पर चोट आई थी कल रात को. आज सुबह भी उन के बीच झगड़ा हुआ था. पापा काम के लिए सुबह निकलने वाले थे और मम्मी से पैसे मांग रहे थे. मम्मी ने पैसे नहीं दिए तो पापा ने गुस्से में मम्मी के गले में उन का दुपट्टा डाला और कस दिया. उस के बाद मम्मी कुछ नहीं बोलीं.

‘‘जब पापा ने मम्मी के गले में उन का दुपट्टा डाला था तो मैं और मेरा छोटा भाई पापा के सामने हाथ जोड़ कर रो रहे थे कि मम्मी को छोड़ दीजिए पापा. लेकिन पापा ने तब तक मम्मी को नहीं छोड़ा, जब तक मम्मी ने बोलना बंद नहीं किया था.

ऐसा करने के बाद पापा ने मेरा गला पकड़ लिया और जोर से दबा दिया था और मुझ से बोले कि अगर मैं ने किसी को भी इस के बारे में बताया तो वह मुझे भी मम्मी की तरह चुप करा देंगे. अंकल मुझे डर लग रहा है अब. क्या पापा सही में मुझे मम्मी की तरह चुप करवा देंगे?’’

यह सब सुन कर थानाप्रभारी की आंखें खुली रह गईं. 5 साल की बच्ची ने पूरा किस्सा पुलिस को बता दिया था. लेकिन थानाप्रभारी के मन में अभी भी एक अहम सवाल बना हुआ था कि हैदर ने चांदनी की हत्या क्या सिर्फ पैसों की वजह से की होगी?

हैदर को चांदनी पर हो गया था शक

इस सवाल का जवाब उन्हें चांदनी के भाई अब्दुल माजिद से मिला जो सायमा से पूछताछ के दौरान ही अपने कुछ और करीबी रिश्तेदारों के साथ राजीव नगर पहुंचा था. अब्दुल माजिद ने थानाप्रभारी को बताया कि हैदर और चांदनी की शादी 8 साल पहले कानपुर में ही हुई थी. उस समय हैदर पेंटिंग का काम किया करता था और ठीकठाक कमाता था.

लेकिन जब से कोविड की शुरुआत हुई और सब के कामधंधे ठप पड़ गए तो वह भी घर पर बैठ गया. लेकिन लौकडाउन के उन दिनों में भी वह घर से निकलता था और अड़ोसपड़ोस के लफाडि़यों के संग दो पैसे कमाने के मकसद से जुआ खेलने लगा था. लेकिन जुए में वह पैसे कमाने की जगह पैसे गंवाने लगा और धीरेधीरे उस ने अपनी पूरी जमापूंजी जुए में गंवा दी. इन सब के लिए चांदनी उसे बहुत टोका करती थी और जुआ खेलने को ले कर उस से झगड़े करती थी. लेकिन वह नहीं माना.

हार मान कर चांदनी ने घर खर्च चलाने के लिए पतंग बनानी शुरू कर दीं. चांदनी दिन भर घर के काम, बच्चों की देखरेख और पतंग बनाने में व्यस्त रहने लगी और उन के आपस के झगड़े भी कम होने लगे. झगड़े कम होने की वजह से हैदर को सुकून तो मिला, लेकिन उस के मन में चांदनी को ले कर शक पैदा होने लगा कि कहीं उस की बीवी गलत काम कर के पैसे तो नहीं जोड़ रही है.

जैसेजैसे दिन बीतते जाते, हैदर के मन का शक भी बढ़ता ही जाता. कुछ समय बाद जब देश में कोविड से हालात सामान्य हुए और हैदर का पेंटिंग का काम फिर से चालू हुआ तो हैदर भी पूरा दिन घर से बाहर काम में लगाने लगा. हैदर ने शराब पीने की लत भी तभी से ही लगाई थी.

धीरेधीरे उन के बीच फिर से पहले की तरह ही झगड़े होने शुरू हो चुके थे, लेकिन अब झगड़ा पैसों को ले कर नहीं बल्कि चांदनी के चरित्र को ले कर हुआ करता था.

दरअसल, हैदर को चांदनी पर इस बात का शक था कि चांदनी जिस दुकानदार के लिए पतंग बनाने का काम करती है, शायद उसी के साथ ही उस के अवैध संबंध हैं. इस बात पर उन के बीच आए दिन झगड़ा होने लगा. इसी दौरान हैदर ने अपने शक्की दिमाग में चांदनी के लिए न जाने क्याक्या खयाल पैदा कर लिए और झगड़े मारपीट में बदल गए. चांदनी बच्चों की चिंता कर हैदर की मारपीट को सहन कर लिया करती और अपना काम जारी रखती.

लेकिन 25 दिसंबर, 2021 की रात को उन के बीच फिर से झगड़ा हुआ और अगली सुबह हैदर ने चांदनी को जान से मार दिया.

इस पूरी घटना के बाद पुलिस ने फरार आरोपी हैदर के खिलाफ हत्या की धाराओं में मामला दर्ज कर लिया है और उस की तलाश जारी है. कथा लिखने तक पुलिस आरोपी हैदर को गिरफ्तार नहीं कर सकी थी.

Crime: भाई पर भारी पड़ी बहन की हवस

गांवों में वैसे भी रात जल्दी हो जाती है और जब दिसंबर की सर्द रात हो तो गांव की गलियों में सन्नाटा पसरना आम बात है. उत्तर प्रदेश के प्रयागराज के कौंधियारा ब्लौक के बड़गोहना गांव में भी ऐसा ही कुछ माहौल था. ज्यादातर घरों की बत्तियां बंद थीं और लोग बिस्तरों में दुबक कर ठंड से मुकाबला कर रहे थे.

लेकिन सर्द हवा से सांयसांय करती गांव की एक गली में 16 साल की नाबालिग लड़की मोबाइल फोन से किसी से हंसहंस कर बातें कर रही थी. वह इस बात से बेखबर थी कि उस को किसी ने देख लिया है. उस लड़की की बातचीत का अंदाज बता रहा था कि दूसरी तरफ वाला शख्स उस का प्रेमी ही हो सकता है.

मांबाप की गैरमौजूदगी में उस लड़की के सिर पर इश्क का भूत सवार था. उस की उम्र 16 साल जरूर थी, लेकिन मोबाइल फोन पर मुहैया इंटरनैट से उस ने सैक्स की काफी जानकारी हासिल कर ली थी, इसीलिए उस ने सर्द रात में अपने सूने घर में प्रेमी को आने का न्योता दे दिया.

19 साल का प्रेमी शिवशंकर उर्फ छोटू तो ऐसे मौके की तलाश में था. उस लड़की मीना का फोन आते ही वह झटपट मोटरसाइकिल से उस के घर पहुंच गया. कई किलोमीटर की दूरी उस ने इतने कम समय में पूरी कर ली कि अपने सामने खड़े प्रेमी को देख कर भी मीना को आसानी से यकीन नहीं हुआ.

मीना ने अपने छोटे भाई अमन को पहले ही किसी तरह गहरी नींद में सुला दिया था. जवानी की दहलीज पर खड़े दोनों बहुत देर तक अपने को रोक नहीं पाए. इश्क की पेंगें बढ़ाते हुए वे उस में इतना खो गए कि उन को होश ही नहीं रहा कि घर में कोई और भी है. शिवशंकर भी अपनी माशूका को सामने पा कर अपनी सुधबुध खो बैठा था.

इधर बातचीत और हंसीमजाक की आवाज सुन कर 14 साल के अमन की आंख खुल गई. वह अपने घर में बहन के साथ किसी अनजान को देख कर सबकुछ जल्दी ही समझ गया. उम्र में छोटा होने के बाद भी भाई को बहन की यह हरकत नागवार लगी और वह बहन का विरोध करने लगा. डांटफटकार के बाद भी वह चुप नहीं हुआ और आंखों देखी सारी बात पिता को बताने के लिए कहने लगा.

छोटे भाई की इस घमकी के बाद उस की बड़ी बहन डर गई, लेकिन उसे अपने प्यार में बाधा बन रहे भाई की ये बातें अच्छी नहीं लगीं. इस के बाद उस ने जो किया वह जान कर लोगों के रोंगटे खड़े हो जाएंगे.

मीना ने अपने प्रेमी के साथ मिल कर पहले अपने छोटे भाई पर लोहे की एक छड़ से हमला किया और बाद में पीटपीट कर उस का कत्ल कर दिया.

मीना के घर वालों को समझ नहीं आ रहा था कि आखिरकार ऐसा क्यों हो गया और किस ने मासूम लड़के को जान से मार दिया. इस वारदात की खबर मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची और लाश को पोस्टमौर्टम के लिए भेज दिया. इस के बाद पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर की.

पुलिस जांचपड़ताल में जो मामला सामने आया उस से सब की आंखें खुली की खुली रह गईं. अमन के पिता गुलाब खेती करते हैं. वे अपनी पत्नी को ले कर अपनी ससुराल गए थे और रात में वहीं पर रुक गए थे. घर पर उन का 14 साल बेटा अमन और 16 साल की बेटी मीना थी.

कौंधियारा पुलिस को जब एक 14 साल के लड़के की घर के भीतर हत्या की खबर मिली तो वह भी चकरा गई. पुलिस जब गुलाब के घर पहुंची तो 14 साल के मासूम अमन की खून से लथपथ लाश बिस्तर पर पड़ी थी. पुलिस को भी पहले समझ नही आ रहा था कि एक मासूम का कत्ल क्यों और कौन करेगा, वह भी घर के भीतर, जब घर में केवल भाईबहन ही हों?

पुलिस ने लाश को कब्जे में ले कर पोस्टमौर्टम के लिए भेज दिया और इस के बाद मामले की जांच शुरू कर की. घर और गांव वालों को समझ नहीं आ रहा था कि आखिरकार ऐसा क्या हो गया कि किसी ने नाबालिग लड़के को मार दिया. एक 14 साल के मासूम से किस की दुश्मनी हो सकती है?

इस से पहले सुबह आरोपी लड़की ने सब को चीखते हुए बताया था कि अमन को किसी ने मार दिया है. वैसे, पुलिस को शुरुआती जांच में ही बहन पर शक हो गया था. इस के बाद क्राइम ब्रांच ने जब लड़की का मोबाइल फोन सर्विलांस पर ले कर काल डिटेल निकाली तो सारा भेद खुल गया.

पुलिस की पूछताछ में लड़की घबरा गई, लेकिन उस ने अपने बयान बारबार बदल कर पुलिस को गुमराह करने की कोशिश भी की. बाद में घर की तलाशी पर पुलिस को एक मोबाइल फोन मिला जिस से वह लड़की केवल अपने प्रेमी शिवशंकर उर्फ छोटू निवासी बस्तर करछना से बात करती थी.

गांव के एक बुजुर्ग ने भी पुलिस को बताया कि रात को 12 बजे के आसपास वह लड़की किसी से फोन पर बात कर रही थी. बातचीत में मशगूल मीना उन बुजुर्ग को नहीं देख सकी थी.

पुलिस को रात में शिवशंकर के मोबाइल फोन की लोकेशन बड़गोहना गांव में ही मिली. वह मौके से फरार हो चुका था, लेकिन क्राइम ब्रांच ने तेजी दिखाते हुए आरोपी को गिरफ्तार कर लिया. पुलिस ने हत्या में इस्तेमाल की गई लोहे की छड़ भी हत्यारोपियों की निशानदेही पर बरामद कर ली.

जिस प्यार को पाने के लिए एक बहन ने अपने छोटे भाई की बलि दे दी उसी प्रेमी के साथ अब वह जेल में अपने गुनाहों की सजा पाने के लिए भेज दी गई है.

चूड़ियों ने खोला हत्या का राज

सौजन्य-मनोहर कहानियां

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के थाना निगोहां के गांव भगवानगंज के रहने वाले सरकारी नौकरी से रिटायर सत्यनारायण ने अपनी बहू रागिनी के रंगढंग से क्षुब्ध हो कर कहा, ‘‘बहू, जब तुम्हारा पति बाहर रहता है तो मायके के ऐसे लोगों को घर में न रोका करो, जो तुम्हारे करीबी न हों. देखने वालों को यह अच्छा नहीं लगता. लोग तरहतरह की बातें करते हैं.’’

सत्यनारायण की बहू रागिनी जिला रायबरेली के थाना बछरावां के गांव भक्तिनखेड़ा की रहने वाली थी. 14 जून, 2012 को सत्यनारायण के बेटे दिलीप के साथ उस की शादी हुई थी. तब से वह ससुराल में ही रहती थी. उस का मायका ससुराल के नजदीक ही था, इसलिए अकसर उस से मिलने के लिए घर के ही नहीं, गांव के लोग भी आते रहते थे. उन में से कुछ लोगों की रिश्तेदारी उस के ससुराल के गांव में थी, इसलिए जब भी उस के मायके का कोई आता, वह रागिनी से भी मिलने चला आता.

इसीलिए ससुर की बात का जवाब देते हुए रागिनी ने कहा, ‘‘पिताजी, मायके के लोग हम से मिलने पहले भी आते थे. जब पहले नहीं रोका तो अब उन्हें कैसे रोक सकते हैं. अगर किसी को आने से मना करेंगे तो लोग क्या कहेंगे. और रही बात गांव वालों की तो उन का क्या, वे तो कुछ न कुछ कहते ही रहते हैं.’’

दरअसल, पहले सत्यनारायण को बहू के मायके से कोई आता था तो उन्हें कोई दिक्कत नहीं होती थी, लेकिन जब 10 महीने पहले उन की पत्नी कलावती की मौत हो गई तो घर में रागिनी अकेली ही रह गई. 61 साल के सत्यनारायण एक साल पहले ही नौकरी से रिटायर हुए थे. रागिनी के डेढ़ साल का बेटा भी था.

रागिनी का पति दिलीप उन्नाव जिले के जुनाबगंज के एक प्राइवेट अस्पताल में नौकरी करता था. बहू के अकेली होने की वजह से सत्यनारायण को किसी से उस का मिलना अच्छा नहीं लगता था. इसीलिए वह बहू को बारबार मना करते थे कि वह अपने मायके वालों को अपने घर में न रोके.

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उन्होंने कहा, ‘‘बहू, गांव वालों का सब से अधिक ऐतराज मोनू के आने पर है. उसी को ले कर लोग तरहतरह की बातें करते हैं. वह गांव के दूसरे लोगों के पास बैठ कर उलटीसीधी बातें करता है.’’

‘‘पिताजी, गांव वालों के पास कोई कामधाम तो होता नहीं, इसलिए वे दूसरों के घरों में झांकते रहते हैं और तरहतरह की बातें करते रहते हैं. दूसरों के बारे में बातें बनाने में उन्हें मजा आता है.’’ गुस्से से रागिनी बोली.

उस के बात करने के तरीके से सत्यनारायण समझ गए कि रागिनी उन की बात मानने वाली नहीं है. इन्हीं बातों को ले कर ससुरबहू के बीच मतभेद बढ़ने लगे. फिर दोनों में झगड़ा होने लगा. बात बढ़ी तो गांव वालों को भी पता चल गया.

सत्यनारायण ने ही नहीं, रागिनी ने भी यह बात अपने दोस्त मोनू को बताई. मोनू जिला रायबरेली की तहसील महराजगंज के गांव पारा का रहने वाला था. एक दिन फिर वह रागिनी से मिलने आया तो उस ने कहा, ‘‘मोनू, तुम्हारे आने से मेरे ससुर को परेशानी होती है. उन्हें गांव वालों से पता चला है कि मेरे और तुम्हारे बीच गलत संबंध हैं.’’

‘‘यह तो चिंता वाली बात है. अब हम कैसे मिल पाएंगे. लगता है, हमें कोई और रास्ता निकालना होगा.’’

‘‘रास्ता क्या निकालना है. हम ने उन से साफसाफ कह दिया है कि हम गलत नहीं हैं, इसलिए मैं किसी को घर आने से रोक नहीं सकती. तुम्हें चिंता करने की जरूरत नहीं है.’’ रागिनी ने कहा.

25 साल की रागिनी देखने में बहुत सुंदर तो नहीं थी, पर वह मोनू के साथ लंबे समय से रह रही थी, इसलिए दोनों के बीच नाजायज रिश्ते बन गए थे. रागिनी की शादी के बाद वह उस की ससुराल भी उस से मिलने आने लगा था. रागिनी की सास की मौत हो गई तो उस का आनाजाना बढ़ गया. उस का पति दिलीप नौकरी की वजह से अधिकतर बाहर ही रहता था. वह घर में अकेली होती थी, जिस से उसे मोनू से मिलने में कोई दिक्कत नहीं होती थी. जब इस खेल के बारे में सत्यनारायण को पता चला तो उन्होंने ऐतराज किया. उन्हें लगा कि बहू को समझाने से बात बन जाएगी, इसीलिए उन्होंने यह बात अपने बेटे दिलीप को भी नहीं बताई.

रागिनी ने ससुर की बात अनसुनी कर दी

ससुर के कहने पर भी रागिनी ने मोनू को घर आने से मना नहीं किया. इस बात से नाराज हो कर सत्यनारायण ने कहा, ‘‘बहू, मैं सोच रहा था कि मेरे समझाने से तुम मान जाओगी और उसे घर आने से मना कर दोगी. लेकिन मेरी बात तुम्हारी समझ में नहीं आ रही है. लगता है, मुझे सख्ती करनी पड़ेगी. मैं चाहता हूं कि तुम मान जाओ और उसे आने से मना कर दो. यह मैं तुम से आखिरी बार कह रहा हूं.’’

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‘‘पिताजी, लगता है आप के कान किसी ने भर दिए हैं. मोनू से मेरा कोई गलत संबंध नहीं है. आप को गलतफहमी हुई है.’’ रागिनी ने ससुर को उन्हीं की भाषा में जवाब दिया.

बहू के तेवर देख कर सत्यनारायण सकते में आ गए. अब उन्हें अपनी ही नहीं, बेटे की भी चिंता होने लगी. दरअसल सत्यनारायण के कोई औलाद नहीं थी. वह लखनऊ के कमिश्नर औफिस में नौकरी करते थे. नातेरिश्तेदार चाहते थे कि वह किसी बच्चे को गोद ले लें क्योंकि उन्हें पता था कि सत्यनारायण सरकारी नौकरी करते हैं. उन के पास खूब पैसा है, जिसे वह गोद लेंगे, वह मौज करेगा.

सत्यनारायण को लगता था कि लोग उन की संपत्ति के लालच में अपना बच्चा उन्हें गोद देना चाहते हैं, जबकि उन की पत्नी कलावती चाहती थी कि वह किसी रिश्तेदार का ही बच्चा गोद लें. लेकिन वह इस के लिए राजी नहीं थे. उन्होंने पत्नी को समझाया. इस के बाद दोनों ने मिलजुल कर फैसला लिया कि वे अनाथालय से बच्चा गोद लेंगे.

सत्यनारायण ने दिलीप को अनाथालय से गोद लिया था. उसे खूब पढ़ायालिखाया. दिलीप को काफी दिनों तक इस बात का पता नहीं था कि वह गोद लिया बच्चा है. वह अपने मांबाप को बहुत प्यार करता था. कलावती बीमार रहने लगीं तो उन्होंने दिलीप की शादी रागिनी से कर दी थी.

शादी के 3 सालों बाद रागिनी को बेटा हुआ, सब बहुत खुश हुए. लेकिन यह खुशी ज्यादा दिनों तक कायम नहीं रह सकी, क्योंकि कलावती की मौत हो गई थी. बेटेबहू के लिए उन्होंने बढि़या मकान पहले ही बनवा दिया था. पत्नी की मौत के बाद वह अकेले पड़ गए थे. बुढ़ापे में अब उन्हें बेटे और बहू का ही सहारा था.

रागिनी के व्यवहार से घर में कलह शुरू हो गई थी. वह ससुर से खुल कर लड़ने लगी थी. इस बात को ले कर सत्यनारायण को बहुत तकलीफ थी. अपनी यह तकलीफ वह गांव वालों से व्यक्त भी करने लगे थे. गांव वालों ने उन्हें समझाया तो उन्होंने कहा, ‘‘बहू मेरी हत्या भी करा सकती है.’’

गांव वालों को लगा कि बुढ़ापे की वजह से वह ऐसा सोच रहे हैं, इसलिए किसी ने उन की बात को गंभीरता से नहीं लिया.

25 सितंबर की सुबह गांव के बाहर खेत में सत्यनारायण की लाश पड़ी मिली. इस बात की सूचना उन के बेटे दिलीप और पुलिस को दी गई. घटनास्थल पर पहुंच कर दिलीप पिता की लाश से लिपट कर रोने लगा. वह बारबार यही कह रहा था कि रागिनी ने इन्हें मरवा दिया.

आखिरी रागिनी आ गई शक के घेरे में

घटना की सूचना पा कर थाना निगोहां के थानाप्रभारी चैंपियनलाल पुलिस टीम के साथ घटनास्थल पर आ पहुंचे. सभी का कहना था कि बहू ने ही सत्यनारायण की हत्या कराई है. चैंपियनलाल नहीं चाहते थे कि कोई निर्दोष जेल जाए, इसलिए बिना सबूतों के वह रागिनी को जेल भेजने के पक्ष में नहीं थे. क्योंकि रागिनी खुद को निर्दोष कह रही थी.

चैंपियनलाल ने घटनास्थल का निरीक्षण किया तो उन्हें लाश के पास से लाल रंग की चूडि़यों के टुकड़े मिले. चूडि़यों के उन टुकड़ों को देख कर उन्हें लगा कि इस हत्या में रागिनी का हाथ हो सकता है, इसलिए उन्होंने उन टुकड़ों का रागिनी के हाथ में पहनी चूडि़यों का मिलान कराया तो वे रागिनी की चूडि़यों से मिल गए.

यही नहीं, चूड़ी टूटने से रागिनी के हाथ में खरोंच के निशान भी पाए गए. इस के बाद उन्होंने रागिनी से पूछताछ शुरू की तो रागिनी ने ससुर की हत्या का अपना अपराध स्वीकार कर हत्या की पूरी कहानी सुना दी.

24 सितंबर को मोनू रागिनी से मिलने आया तो इस की जानकारी सत्यनारायण को हो गई. उन्होंने गुस्से में कहा, ‘‘अब तक मैं चुप था, लेकिन अब मुझे यह सब दिलीप से बताना ही पड़ेगा.’’

इस से रागिनी डर गई, क्योंकि अब उस का भेद पति को पता चल जाता. डर की वजह से उस ने ससुर से किसी भी तरह की बहस नहीं की. चुपचाप उन की बात सुन ली. लेकिन उस ने मन ही मन तय कर लिया कि अब यह शिकायत का सिलसिला बंद होना चाहिए. उस ने फोन कर के यह बात मोनू को बता दी.

उसी समय दोनों ने तय कर लिया कि आज रात वे शिकायतों का कांटा हमेशाहमेशा के लिए निकाल फेंकेंगे. उस रात गांव में आर्केस्ट्रा हो रहा था. सत्यनारायण उसे देखने के लिए निकले, तभी रागिनी ने दिलीप से कहा कि वह शौच के लिए बाहर जा रही है.

घर से बाहर आ कर रागिनी ने दरवाजे को बाहर से बंद कर दिया इस के बाद मोनू को फोन कर के कहा कि बुड्ढा घर से निकल गया है. मोनू अपने साथी के साथ आ गया. मोनू और उस के साथी ने सत्यनारायण को पकड़ लिया. सत्यनारायण मजबूत कदकाठी के थे, इसलिए वे दोनों उन्हें काबू नहीं कर पा रहे थे. उन्होंने मोनू के गले में अंगौछा डाल कर उसे गिरा दिया.

जब रागिनी को लगा कि ये दोनों बुड्ढे को काबू नहीं कर पाएंगे, तो वह भी उन के साथ लग गई. तीनों ने मिल कर सत्यनारायण को गिरा दिया और उन्हें मार डाला. लाश को वहीं छोड़ कर तीनों अपनेअपने घर चले गए. रागिनी घर आई तो दिलीप ने पिता के बारे में पूछा. रागिनी ने कहा कि वह आर्केस्ट्रा देखने गए हैं.

काफी रात बीतने पर भी सत्यनारायण घर नहीं आए तो दिलीप वहां गया, जहां आर्केस्ट्रा हो रहा था. पिता वहां नहीं मिले तो देर रात तक वह उन्हें खोजता रहा. परेशान हो कर वह घर आ गया. सुबह गांव वालों से पता चला कि पिता की हत्या हो गई है तो उस की समझ में आ गया कि रागिनी ने ही पिता को मरवाया है.

5 घंटे के अंदर ही थाना निगोहां पुलिस ने जिस तरह से सबूतों के साथ हत्या का खुलासा किया, उस से लोगों में एक भरोसा जाग गया. रागिनी और मोनू को गिरफ्तार कर के पुलिस ने जेल भेज दिया. रागिनी के जेल जाने के बाद दिलीप के सामने सब से बड़ी समस्या यह थी कि वह छोटे से बच्चे का पालनपोषण कैसे करे. क्योंकि बिना मां के बच्चे का पालनपोषण करना ही परेशानी की बात है.

– कथा पुलिस सूत्रों और जनचर्चाओं पर आधारित

Crime: दोस्ती, अश्लील फोटो वाला ब्लैक मेलिंग!

आज समय है सावधान रहने का! सावधानी चाहे वह युवती हों, पुरुष हों या उम्रदराज महिलाएं अगर आपकी मित्रता… फ्रेंडशिप जिसका आज कल बड़ा चलन में है, थोड़ी भी चुक नहीं हुई कि सामने वाला भयादोहन या फिर ब्लेक मेलिंग पर उतर आता है.

इसलिए आपको सावधान करते हुए एक ऐसी रिपोर्ट हम यहां प्रकाशित कर रहे हैं जो आपको सचेत करती है और बताती है कि कैसे आजकल समाज में ब्लैक मेलिंग का खेल धड़ल्ले से चल रहा है. अक्सर लोग इतने सफल हो जाते हैं. कुछ ही मामले ऐसे होते हैं जिनमें ब्लैकमेल करने वाले पुलिस गिरफ्त में आ पाते हैं.

पहला घटनाक्रम-

एक ब्लैकमेलर ने पहले महिला पर चिकनी चुपड़ी बातों से प्रेम जाल फेंका. जब महिला प्रेम जाल में फंसी गई, तो दोनों अक्सर बातचीत करने लगे. आरोपी ने मौका देखकर महिला को ब्लैकमेल किया. महिला से तकरीबन साढ़े 5 लाख रुपये ठग लिया. महिला ने तंग आकर राजहरा थाने में शिकायत दर्ज कराई.

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दूसरा घटनाक्रम-

छत्तीसगढ़ के न्यायधानी कहे जाने वाले बिलासपुर में एक महिला ने पुरुष से संबंध बनाएं और वीडियो बनाकर अपने साथियों के साथ भयादोहन पर उतर आई.शिकायत के पश्चात पुलिस ने जांच की और दोषी पाया.

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तीसरा घटनाक्रम-

छत्तीसगढ़ के जिला अंबिकापुर में एक युवक ने कई लड़कियों से दोस्ती गांठी और लड़कियों के अश्लील वीडियो, फोटो बनाएं लाखों रुपए की ब्लेक मेलिंग की अंततः जेल की सलाखों में पहुंच गया.
इस तरह अनेक घटनाएं हमारे आसपास घटित हो रही हैं. दरकार है समझदारी और विवेक की . अगर हम और हमारे आस-पास कोई मित्र, संबंधी जरा भी भटका नहीं की, ब्लैक मेलिंग का शिकार हुआ समझिए.

वीडियो कॉल बना, ब्लैक मेलिंग का जरिया…

छत्तीसगढ़ के राजहरा में घटित एक सनसनीखेज घटना इन दिनों चर्चा में है. यहां एक युवक ने एक युवती से मित्रता की फिर उसका एक वीडियो कॉल के दरमियान अश्लील फोटो बना लिया और शुरू हो गया ब्लैकमेल करने.

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आरोपी आकाश जायसवाल उर्फ गोल्डी ने पहले बीमार होने का बहाना किया. फिर महिला से 3 लाख 60 हजार रुपये ले लिया. कुछ दिनों के बाद महिला ने रकम वापस मांगी. तो आरोपी ने महिला की अश्लील तस्वीर उसके सामने रखकर “सोशल मीडिया” पर वायरल करने की धमकी देने लगा. यही नहीं कथित आरोपी ने फिर 1 लाख 90 हजार रुपये महिला से वसूल लिया. कुल मिलाकर आरोपी ने साढ़े 5 लाख रुपये और जेवरात ठग लिया.

आरोपी ने महिला से लिए सोने के जेवरात को 50 हजार रुपये में एक बैंक में गिरवी रख दिया था, जिसे पुलिस ने बैंक के लॉकर से बरामद किया है. वही आरोपी ने महिला से मिली रकम से एक अदद कार भी खरीदी थी, जिसकी कीमत 4 लाख 50 हजार रुपये बताई जा रही है.

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यहां सबसे सनसनीखेज तथ्य यह सामने आया है

महिला की आरोपी ने वीडियो कॉल के दौरान अश्लील फोटो ले ली थी. यानी महिला को पता ही नहीं चला और वह शिकार बन गई.आगे आरोपी फोटो वायरल करने की बार-बार धमकी दे कर जान से मारने की धमकी भी देता था.

Crime: करोड़ों की है यह ‘गंदी बात’

टिन की छत के बने तंबूनुमा बदबूदार देशी थिएटर के बाहर कुछ लोगों की भीड़ जमा थी. उन में अधेड़ उम्र के ऐसे लोगों की तादाद ज्यादा थी, जो बस्ती के पास के बड़े शहर में मजदूर थे या फिर रिकशा वगैरह चला कर अपना पेट पालते थे. कुछ ने तो दिन में ही शराब पी रखी थी.

उस वीडियो थिएटर में सीडी से बड़े टैलीविजन पर फिल्म दिखाई जाती थी. बाहर एक हिंदी फिल्म ‘बदले की आग’ का पोस्टर लगा था. बस्ती के बाहर की तरफ बने इस थिएटर में स्कूल से गुठली मार कर कुछ बच्चे भी फिल्म देखने चले आए थे.

जब थोड़ी भीड़ बढ़ी तो सब से पैसे ले कर उन्हें भीतर तंबू में बिठा दिया गया. फिल्म के शुरू होते ही वहां थोड़ी रोशनी हुई. पर यह क्या, फिल्म ‘बदले की आग’ न जाने कैसे ‘जिस्म की आग’ में बदल गई. हिंदी के बदले कोई इंगलिश फिल्म चालू हो गई और देखने वालों की बांछें खिल गईं.

चंद मिनट बाद ही फिल्म में एक गोरी विलायती औरत किसी अफ्रीकन मर्द के साथ बिस्तर पर थी. इस के बाद उन के बीच सैक्स का ऐसा खुला खेल चला कि देखने वालों का जिस्म भी  खुल गया.

सवा घंटे की उस फिल्म में मर्दऔरत के जिस्मानी रिश्तों का पलंगतोड़ मजा था कि वह थिएटर ही गरमा गया. मतलब, लोगों ने ब्लू फिल्म यानी पोर्न फिल्म का मजा लिया था और अपने पूरे पैसे वसूल किए थे.

दुनियाभर में इन पोर्न फिल्मों का बहुत बड़ा बाजार है. इन के कलाकार भी बहुत मशहूर हैं. हालिया चर्चा में रही मिया खलीफा और हिंदी फिल्मों में ऐंट्री कर चुकी सनी लियोनी ऐसी ही पोर्न स्टार रह चुकी हैं.

सवाल उठता है कि ये फिल्में बनती कैसे हैं? इस का जवाब है कि विदेश में इन्हें बनाने के लिए तगड़ा पैसा खर्च होता है. पोर्न कलाकारों के जिस्म और उन की अदाओं के मुताबिक पैसा मिलता है. इन की सेहत और शरीर की साफसफाई पर बड़ा ध्यान दिया जाता है.

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एक पोर्न फिल्म बनाने पर कई दिन भी लग जाते हैं. इन में भी आम फिल्मों की तरह पैसा लगाने वाले, डायरैक्टर, कैमरामैन, स्क्रिप्ट लिखने वाले के साथसाथ कलाकारों की टीम होती है. सीन को एकदम रीयल दिखाने के लिए कलाकारों को सीन सम?ाए जाते हैं. ऐसे में कुछ मुश्किलें भी सामने आती हैं, जैसे पूरी शूटिंग के दौरान कई घंटों तक पोर्न फिल्म के मर्द कलाकार का जोश में रहना जरूरी होता है.

लड़कियां भी काफी मेहनत करती हैं. शूटिंग के पहले उन्हें खाना खाने की मनाही होती है, ताकि शूटिंग के समय उन का पेट सपाट और सुडौल दिखे. पर चूंकि उन्हें पैसा अच्छा मिलता है, तो यह सब उन्हें करना पड़ता है.

आज जबकि ऐसी पोर्न फिल्मों का भारत भी एक बड़ा बाजार है और जब से वैब सीरीज के नाम पर यहां भी सैक्स सीन और गालियां दिखानेसुनाने की छूट मिली है, तब से इन की आड़ में देशी पोर्न फिल्में भी बनने लगी हैं, जो चोरीछिपे बनाई जाती हैं. जो काम चोरीछिपे होता है, वहां अपराध होने में कितनी देर लगती है.

इसी अपराध की दुनिया बड़ी भयावह है और जल्दी से जल्दी पैसा कमाने के चक्कर में लोग ऐसे काले काम कर देते हैं, जिन के बारे में सोच कर भी रोंगटे खड़े हो जाएं.

ऐसा ही एक मामला तब दुनिया के सामने आया, जब मुंबई पुलिस क्राइम ब्रांच की प्रौपर्टी सैल ने 5 फरवरी, 2021 को पोर्न फिल्म बनाने वाली एक प्रोडक्शन कंपनी का परदाफाश किया. यह कंपनी फिल्मों में काम करने की चाहत रखने वाले लोगों से शौर्ट फिल्म में काम करने का एग्रीमैंट कराती थी, फिर शूटिंग के दौरान अगर कोई न्यूड शूट के लिए मना करता था तो करार तोड़ने पर जुर्माने की धमकी दे कर उसे ऐसे सीन करने के लिए मजबूर किया जाता था.

पुलिस ने इस सिलसिले में मालाड (पश्चिम) में मढ़ के ग्रीन पार्क बंगले  पर छापा मार कर 5 लोगों को गिरफ्तार किया था. गिरफ्तार आरोपियों में 40  साल की फोटोग्राफर यासमीन खान और ग्राफिक डिजाइनर प्रतिभा नलावडे भी शामिल थीं. प्रतिभा नलावडे पोर्न फिल्म की प्रोडक्शन इंचार्ज भी थीं.

पकड़े गए बाकी 3 लोगों में से मोनू जोशी कैमरामैन और लाइटमैन का काम करता था, जबकि भानु ठाकुर और मोहम्मद नासिर ऐक्टर थे.

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मुबंई पुलिस क्राइम ब्रांच की प्रौपर्टी सैल के मुताबिक, इस गिरोह की फिल्म प्रोडक्शन कंपनी ने ‘हौटहिट मूवीज’ नाम का एक एप भी बना रखा है, जिस में वे लोग अपनी पोर्न फिल्मों को अपलोड करते थे. इस एप के लिए वे देखने वाले से सबस्क्रिप्शन फीस लेते थे.

पुलिस ने इस गिरोह के पास से स्क्रिप्ट के साथ 6 मोबाइल फोन, एक लैपटौप, लाइट स्टैंड, नामी कंपनी के कैमरे समेत तकरीबन 5,68,000 रुपए का सामान जब्त किया. इस के अलावा पोर्न फिल्म के धंधे से कमाए गए 36,60,000 रुपए भी बरामद किए.

मुंबई पुलिस की क्राइम ब्रांच की प्रौपर्टी सैल ने एक मिडिलमैन उमेश कामत को भी गिरफ्तार किया, जिस का काम मुंबई में शूट की गई पोर्न फिल्मों को विदेशों से कब और कैसे अपलोड कराना है, यह सब देखना था.

मोटा है मुनाफा

प्रौपर्टी सैल के एक बड़े अफसर केदारी पवार ने बताया कि उन्हें ऐसी जानकारी मिली थी कि एक गिरोह मुंबई में इस धंधे से करोड़ों रुपए का मुनाफा कमा रहा है. जानकारी मिलने के बाद क्राइम ब्रांच ने एक टीम बना कर मालवणी मढ़ इलाके में बने ग्रीन विला नाम के बंगले पर दबिश दी और पोर्न मूवी की शूटिंग के दौरान 5 लोगों को गिरफ्तार किया और एक 23 साल की लड़की को उन के चंगुल से छुड़ाया.

केदारी पवार ने आगे बताया कि ये लोग ऐसे नौजवानों को टारगेट करते थे जो काफी स्ट्रगल कर रहे हैं. ये आरोपी उन लोगों को बौलीवुड, टैलीविजन सीरियल या फिर किसी बड़ी वैब सीरीज में अच्छा रोल दिलाने का सपना दिखाते थे और फिर उन्हें अपने साथ काम करने के लिए मना लेते थे.

आधी फिल्म तक ये लोग अच्छी कहानी बता कर शूट करते थे और उस के बाद सैकंड हाफ में बोल्ड सीन शूट के नाम पर पोर्न सीन शूट करने लगते थे.

पुलिस की मानें, तो पकड़ी गई  40 साल की फोटोग्राफर यासमीन खान खुद पहले फिल्मों और टैलीविजन सीरियल में छोटेमोटे रोल कर चुकी है. यही वजह है कि उस के पास ऐसी लड़कियों की लिस्ट है, जो लोग बौलीवुड या फिर टैलीविजन सीरियल में एक चांस मिलने को ले कर सालों से जद्दोजेहद कर रही हैं.

यासमीन खान इन लड़कियों को शौर्ट फिल्म के नाम पर औफर देती थी. इस के बाद वह इन स्ट्रगलर को  20 मिनट की फिल्म बनाने के हिसाब से एक स्क्रिप्ट सुनाती थी, लेकिन किसी भी न्यूड सीन की जानकारी नहीं देती थी. इस के बाद वह इस छोटी फिल्म की शूटिंग के लिए कलाकारों को 25,000 से 30,000 रुपए देने का वादा करती थी.

इस के बाद यासमीन खान इन कलाकारों से एक एग्रीमैंट पर दस्तखत कराती थी, जिसे उन्हें पूरा पढ़ने भी नहीं दिया जाता था. इस एग्रीमैंट पर दस्तखत मिलने के बाद उन कलाकारों को शूटिंग के लिए मालवणी मढ़ इलाके में बने किसी बंगले पर बुलाया जाता था, फिर जैसेजैसे शूटिंग आगे बढ़ती थी, वैसेवैसे उन कलाकारों को कपड़े निकालने को कहा जाता था.

अगर कोई कलाकार ऐसा करने से मना करता, तो उसे एग्रीमैंट दिखा कर और बात न मानने पर उस पर कानूनी कार्यवाही करने की धमकी दी जाती थी.

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एक और खुलासा

इस सनसनीखेज मामले में ?ारखंड की एक लड़की ने मुंबई पुलिस को बताया कि जब उस ने पोर्न फिल्म की शूटिंग करने से इनकार कर दिया, तो आरोपियों ने उसे धमकाया कि उस ने जो एग्रीमैंट किया है, उस में साफ लिखा हुआ है कि अगर वह ऐसा नहीं करेगी, तो उसे बतौर जुर्माना 10 लाख रुपए देने पड़ेंगे और साथ ही उस के खिलाफ पुलिस में शिकायत भी दर्ज की जाएगी.

वह लड़की झारखंड और कुछ दूसरे शहरों में मौडलिंग के कई कंपीटिशन में हिस्सा ले चुकी थी. 29 दिसंबर, 2020 को उस के पास संतोष नाम के एक आदमी का फोन आया था और उसे बताया गया कि उन लोगों ने उसे एक वैब सीरीज के लिए चुन लिया है, जिस की शूटिंग लोनावाला में है. एक दिन की शूटिंग के लिए उस लड़की को बतौर मेहनताना 25,000 से 30,000 रुपए  दिए जाएंगे.

संतोष से हुई बातचीत के बाद उस लड़की के पास अलीशा का फोन आया. उस ने बताया कि इस वैब सीरीज का प्रसारण ‘हौटहिट मूवीज’ पर होगा, जो एक पेड ओटीटी एप है.

झारखंड की उस मौडल लड़की ने बताया कि अगले दिन उस के पास फोन आया कि किसी वजह से लोनावाला की शूटिंग कैंसिल हो गई है, जो अब मालाड के मड आईलैंड में होगी. उसे वहां बुलाया गया और इंगलिश भाषा में लिखे हुए एक एग्रीमैंट पर उस से दस्तखत करवाए गए और हिंदी भाषा में मतलब भी सम?ाया गया.

लड़की ने बताया कि वैब सीरीज की शूटिंग शुरू होने के कुछ मिनट बाद उस पर गलत सीन करने का दबाव डाला गया. उस ने मना किया, तो उसे धमकाया गया. लड़की ने फिर वैसे ही सीन किए, जैसे उसे बताए गए थे.

उस लड़की ने बताया कि  31 दिसंबर, 2021 को अलीशा का फोन आया कि तुम्हारे अकाउंट में रकम ट्रांसफर नहीं हो रही है. लड़की ने फिर किसी परिचित का बैंक औफ बड़ौदा, लखनऊ ब्रांच का अकाउंट नंबर दिया. उस अकाउंट में रकम भेजी गई.

कहां है चूक

वैब सीरीज में जिस तरह एडल्ट सीन करने की छूट मिली हुई है, उसी के चलते पोर्न फिल्म या वीडियो बनाने वालों को हिम्मत मिलती है. नए कलाकार भी जब तक पकड़े नहीं जाते हैं, तब तक ऐसी फिल्मों में काम करते रहते हैं, क्योंकि उन्हें एकमुश्त अच्छा पैसा जो मिलता रहता है, जो उन्हें मुंबई में टिके रहने के लिए बहुत जरूरी है.

बहुत से नए कलाकार तो अपने खर्चे निकालने के लिए देह धंधे के बाजार में उतर जाते हैं. पोर्न फिल्मों में चूंकि लोग उन्हें स्क्रीन पर ऐसे सीन करते देखते हैं, तो बनाने वालों को भी मोटा मुनाफा मिल जाता है. इस लालच में वे ऐसे गंदे काम करते हैं. पुलिस की एक दबिश से या कुछ लोगों के पकड़े जाने से यह गोलमाल खत्म हो जाएगा, ऐसा दावा करना जल्दबाजी होगी.

गहना वशिष्ठ भी धरी गई. इस कांड में तब और ज्यादा दिलचस्प मोड़ आया, जब टैलीविजन हीरोइन और मौडल गहना वशिष्ठ को मुंबई क्राइम ब्रांच की प्रौपर्टी सैल ने 6 जनवरी, 2021 की शाम को गिरफ्तार किया. आरोप था कि वैब सीरीज ‘गंदी बात’ में भी काम कर चुकी गहना वशिष्ठ नए कलाकारों को अच्छा रोल दिलाने का ?ांसा दे कर उन्हें पोर्न वीडियो में काम करने को कहती थी और फिर उस वीडियो को 2 अलगअलग वैबसाइटों पर अपलोड कर लाखों रुपए कमाती थी.

पुलिस के एक बड़े अफसर ने बताया कि गहना वशिष्ठ का ‘जीवी स्टूडियो’ नाम का एक प्रोडक्शन हाउस है, जिस के तहत वह ऐसे गंदे वीडियो शूट करती थी. पुलिस की मानें, तो साल 2019 से गहना वशिष्ठ इस तरह के वीडियो बनवा रही है. पुलिस को अब तक ऐसे तकरीबन 90 पोर्न वीडियो मिले हैं, जिसे गहना ने शूट कराया है.

क्राइम ब्रांच के एक अफसर ने बताया कि 3 फरवरी, 2021 को गहना वशिष्ठ के घर पर दबिश दी गई थी, जिस के बाद उस के घर से 3 मोबाइल फोन, एक लैपटौप और बैंक से संबंधित कुछ दस्तावेजों को जब्त किया गया.

पुलिस ने गहना वशिष्ठ से की गई जांच के दौरान पाया कि उस के पास 2 वैबसाइट हैं, जिन पर वह इस तरह के वीडियो अपलोड करती थी. उस के बनाए गए पोर्न वीडियो को देखने के लिए चैनल को सब्सक्राइब करना पड़ता है, जिस के लिए 2,000 रुपए लगते हैं.

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