शादी के बाद प्रेमी पत्नी को किया पहले फरार, फिर की हत्या

सैफई थानाप्रभारी चंद्रदेव यादव अपने कक्ष में बैठे थे, तभी 30-32 साल का एक युवक उन के पास आया. वह घबराया हुआ था. उस के माथे पर भय और चिंता की लकीरें थीं. थानाप्रभारी के पूछने पर उस ने बताया, ‘‘सर, मेरा नाम अनुपम है. मैं मूलरूप से मैनपुरी जिले के किशनी थानांतर्गत गांव खड़ेपुर का रहने वाला हूं. मेरी पत्नी कंचन सैफई के चिकित्सा विश्वविद्यालय के पैरा मैडिकल कालेज में हौस्टल में रह कर नर्सिंग की पढ़ाई कर रही थी. 2 दिनों से वह लापता है. उस का कहीं भी पता नहीं चल रहा है.’’

‘‘तुम ने पता करने की कोशिश की कि वह अचानक कहां लापता हो गई?’’ थानाप्रभारी ने पूछा.

‘‘सर, मैं गुरुग्राम (हरियाणा) में प्राइवेट नौकरी करता हूं. कंचन से मेरी हर रोज बात होती थी. 24 सितंबर, 2019 को भी दोपहर करीब पौने 2 बजे मेरी उस से बात हुई थी. लेकिन उस के बाद बात नहीं हुई. मैं शाम से ले कर देर रात तक उस से बात करने की कोशिश करता रहा, पर उस का फोन बंद था.

‘‘आशंका हुई तो मैं सैफई आ कर हौस्टल गया तो पता चला कि कंचन 24 सितंबर को 2 बजे हौस्टल से यह कह कर निकली थी कि वह अस्पताल जा रही है. उस के बाद वह हौस्टल नहीं लौटी. इस के बाद मैं ने कंचन की हर संभावित जगह पर खोज की लेकिन उस का कहीं पता नहीं चला. सर, आप मेरी रिपोर्ट दर्ज कर मेरी पत्नी को खोजने में मदद करें.’’ अनुपम ने कहा.

सैफई मैडिकल कालेज के हौस्टल से नर्सिंग छात्रा का अचानक गायब हो जाना वास्तव में एक गंभीर मामला था. थानाप्रभारी चंद्रदेव ने आननफानन में कंचन की गुमशुदगी दर्ज कर सूचना वरिष्ठ अधिकारियों को भी दे दी. यह 26 सितंबर, 2019 की बात है.

इस के बाद थानाप्रभारी ने अनुपम से पूछा, ‘‘अनुपम, तुम्हारी पत्नी का चरित्र कैसा था? कहीं उस का किसी से कोई चक्कर तो नहीं चल रहा था?’’

‘‘नहीं सर, उस का चरित्र ठीकठाक था. वैसे भी वह अपना कैरियर दांव पर लगा कर किसी के साथ नहीं जा सकती.’’ अनुपम बोला, ‘‘सर, मुझे लगता है कि गलत इरादे से किसी ने उस का अपरहण कर लिया है.’’

‘‘तुम्हें किसी पर शक है?’’ यादव ने अनुपम से पूछा. ‘‘नहीं सर, मेरा किसी से झगड़ा नहीं है. इसलिए किसी पर शक भी नहीं है.’’ अनुपम ने बताया.

अनुपम से पूछताछ के बाद चंद्रदेव यादव सैफई मैडिकल कालेज पहुंचे. वहां जा कर उन्होंने हौस्टल की वार्डन भारती से पूछताछ की. भारती ने बताया कि कंचन का व्यवहार बहुत अच्छा था. वह अपनी साथी छात्राओं के साथ मिलजुल कर रहती थी.

24 सितंबर को दोपहर 2 बजे वह हौस्टल से अस्पताल गई थी, लेकिन अस्पताल नहीं पहुंची. हौस्टल और अस्पताल के बीच उस के साथ कुछ हुआ है. उस का मोबाइल फोन भी बंद है. अस्पताल प्रशासन भी अपने स्तर से कंचन की खोज में जुटा है. पर उस का पता नहीं चल पा रहा है.

थानाप्रभारी चंद्रदेव यादव ने मैडिकल कालेज में जांच पड़ताल की तो पता चला कालेज में कंचन ने वर्ष 2017-18 सत्र में एएनएम प्रशिक्षण हेतु नर्सिंग छात्रा के रूप में प्रवेश लिया था. वह इस साल अंतिम वर्ष की छात्रा थी. वह व्यवहारकुशल थी.

यादव ने कंचन के साथ प्रशिक्षण प्राप्त कर रही कई छात्राओं से पूछताछ की तो उन्होंने उसे बेहद शालीन और मृदुभाषी बताया. साथी छात्राओं ने इस बात को भी नकारा कि उस का किसी से विशेष मेलजोल था.

थानाप्रभारी ने हौस्टल वार्डन भारती के सहयोग से कंचन के हौस्टल रूम की तलाशी ली, लेकिन रूम में कोई संदिग्ध चीज नहीं मिली. न ही कोई ऐसा प्रेमपत्र मिला, जिस से पता चलता कि उस का किसी से प्रेम संबंध था.

हौस्टल व कालेज के बाहर कई दुकानदारों से भी यादव ने पूछताछ की लेकिन उन्हें कंचन के संबंध में कोई जानकारी नहीं मिली. उन की समझ में नहीं आ रहा था कि आखिर कंचन कहां चली गई.

थानाप्रभारी चंद्रदेव यादव ने कंचन की ससुराल खड़ेपुर जा कर उस के ससुराल वालों से पूछताछ की, लेकिन उन्होंने पुलिस का सहयोग नहीं किया. उन्होंने यह कह कर पल्ला झाड़ लिया कि कंचन ससुराल में बहुत कम रही है. वह या तो मायके में रही या फिर हौस्टल में. इसलिए उस के बारे में कुछ भी नहीं बता सकते.

कंचन का मायका इटावा जिले के थाना जसवंत नगर के गांव जगसौरा में था. यादव जगसौरा पहुंचे और कंचन के पिता शिवपूजन तथा मां उमादेवी से पूछताछ की.

कंचन के मातापिता के लापता होने से दुखी तो थे, लेकिन उस के संबंध में जानकारी देने में संकोच कर रहे थे. जब वहां से भी कंचन के बारे में कोई काम की बात पता नहीं चली तो वह थाने लौट आए.

अनुपम, पत्नी के लापता होने से बेहद परेशान था. जसवंत नगर, सैफई, इटावा जहां से भी अखबार के माध्यम से उसे अज्ञात महिला की लाश मिलने की खबर मिलती, वह वहां पहुंच जाता.

धीरेधीरे 10 दिन बीत गए. लेकिन पुलिस कंचन का पता लगाने में नाकाम रही. अनुपम हर दूसरेतीसरे दिन थाना सैफई पहुंच जाता और पत्नी के संबंध में थानाप्रभारी से सवालजवाब करता. चंद्रदेव उसे सांत्वना दे कर भेज देते थे.

जब अनुपम के सब्र का बांध टूट गया तो वह एसपी (ग्रामीण) ओमवीर सिंह के औफिस पहुंचा. उस ने उन्हें अपनी पत्नी के गायब होने की बात बता दी.

नर्सिंग छात्रा कंचन के लापता होने की जानकारी ओमवीर सिंह को पहले से ही थी. वह इस मामले की मौनिटरिंग भी कर रहे थे, ओमवीर सिंह ने अनुपम को आश्वासन दिया कि पुलिस जल्द ही उस की लापता पत्नी की खोज करेगी. आश्वासन पा कर अनुपम वापस लौट आया.

एसपी (ग्रामीण) ओमवीर सिंह ने लापता कंचन को खोजने के लिए एक विशेष टीम का गठन किया. इस टीम में उन्होंने सैफई थानाप्रभारी चंद्रदेव यादव, एसआई राजवीर सिंह, वासुदेव सिंह, विपिन कुमार, महिला एसआई अंजलि तिवारी, सर्विलांस प्रभारी सत्येंद्र सिंह, कांस्टेबल अभिनव यादव तथा सर्वेश कुमार को शामिल किया. टीम की कमान खुद एसपी (ग्रामीण) ओमवीर सिंह ने संभाली.

विशेष टीम ने सब से पहले कंचन के पति अनुपम तथा उस के मातापिता से पूछताछ की. इस के बाद टीम ने कंचन के मातापिता तथा पड़ोस के लोगों से जानकारी हासिल की. टीम को आशंका थी कि कंचन का अपहरण दुष्कर्म करने के लिए किया जा सकता है. अत: टीम ने क्षेत्र के इस प्रवृत्ति के कुछ अपराधियों को पकड़ कर उन से पूछताछ की, लेकिन कंचन के संबंध में कोई जानकारी नहीं मिल सकी.

सर्विलांस प्रभारी सत्येंद्र सिंह ने कंचन का मोबाइल फोन नंबर सर्विलांस पर लगा दिया, ताकि कोई जानकारी मिल सके पर मोबाइल फोन बंद होने से कोई जानकारी नहीं मिल सकी. इधर थानाप्रभारी, एसआई अंजलि तिवारी व टीम के अन्य सदस्यों के साथ मैडिकल कालेज पहुंचे और कंचन के हौस्टल रूम की एक बार फिर छानबीन की. गहन छानबीन के दौरान उन्हें वहां मोबाइल फोन के 2 खाली डिब्बे मिले. दोनों डिब्बे उन्होंने सुरक्षित रख लिए.

टीम ने सैफई मैडिकल यूनिवर्सिटी के कुलसचिव सुरेशचंद्र शर्मा से भी बात की. साथ ही अन्य कई लोगों से भी कंचन के संबंध में जानकारी जुटाई. कुलसचिव कहा कि वह स्वयं भी कंचन के लापता होने से चिंतित हैं, क्योंकि यह उन की प्रतिष्ठा का सवाल है.

महिला एसआई अंजलि तिवारी ने कंचन के हौस्टल रूम से बरामद दोनों डिब्बों पर अंकित आईएमईआई नंबरों की जांच की तो पता चला कि इन आईएमईआई नंबरों के दोनों फोनों में 2 सिम नंबर काम कर रहे थे. एक फोन का सिम कंचन के नाम से खरीदा गया था, जबकि दूसरा आनंद किशोर पुत्र हाकिम सिंह, निवासी नगला महाजीत सिविल लाइंस इटावा के नाम से खरीदा गया था.

पुलिस टीम 12 अक्तूबर, 2019 की रात को आनंद किशोर के घर पहुंच गई. वह घर पर ही मिल गया तो पुलिस ने उसे हिरासत में ले लिया. थाना सैफई ला कर आनंद किशोर से पूछताछ शुरू की गई. तब आनंद किशोर ने बताया, ‘‘सर, मैं किसी कंचन नाम की लड़की को नहीं जानता.’’

‘‘तुम सरासर झूठ बोल रहे हो. तुम कंचन को अच्छी तरह जानते हो. तुम्हारे द्वारा दिया गया मोबाइल फोन का डिब्बा उस के हौस्टल रूम से बरामद हुआ है. अब तुम्हारी भलाई इसी में है कि सारी सच्चाई बता दो वरना…’’

थानाप्रभारी चंद्रदेव का कड़ा रुख देख कर आनंद किशोर डर गया. वह बोला, ‘‘सर, यह सच है कि मैं ने ही बात करने के लिए उसे मोबाइल फोन खरीद कर दिया था.’’

‘‘तो बताओ कंचन कहां है? उसे तुम ने कहां छिपा कर रखा है?’’ यादव ने पूछा.

‘‘सर, कंचन अब इस दुनिया में नहीं है. मैं ने उस की हत्या कर दी है.’’ आनंद ने बताया.

‘‘क्याऽऽ कंचन को मार डाला?’’ वह चौंके.

‘‘हां सर, मैं ने कचंन की हत्या कर दी है. मैं जुर्म कबूल करता हूं.’’

‘‘उस की लाश कहां है?’’ थानाप्रभारी ने पूछा.

‘‘सर, लाश मैं ने भितौरा नहर में फेंक दी थी. फिर उस के दोनों मोबाइल तोड़ कर जगसौरा बंबा के पास फेंक दिए थे. खून से सने अपने कपड़े, शर्ट, पैंट तथा तौलिया भी वहीं जला दिए थे, चाकू भी वहीं फेंक दिया था.’’

इस के बाद पुलिस टीम ने आनंद किशोर की निशानदेही पर जगसौरा बंबा के पास से 2 टूटे मोबाइल तथा आलाकत्ल चाकू बरामद कर लिया. इस के बाद पुलिस टीम आनंद किशोर को साथ ले कर जसवंत नगर क्षेत्र की भितौरा नहर पहुंची. वहां आनंद किशोर ने नहर किनारे जलाए गए अधजले कपड़े बरामद करा दिए. हत्या में इस्तेमाल आनंद किशोर की ओमनी कार भी पुलिस ने उस के घर से बरामद कर ली.

आनंद किशोर की निशानदेही पर पुलिस ने अब तक मोबाइल फोन, चाकू, अधजले कपडे़ तथा हत्या में प्रयुक्त कार तो बरामद कर ली थी, लेकिन कंचन की लाश बरामद नहीं हो पाई थी.

अत: लाश बरामद करने के लिए पुलिस आनंद को एक बार फिर भितौरा नहर ले गई, जहां उस ने लाश फेंकने की बात कही थी, वहां तलाश कराई. लेकिन तमाम प्रयासों के बाद भी कंचन की लाश बरामद नहीं हो सकी.

चूंकि आनंद किशोर ने कंचन की हत्या का जुर्म स्वीकार कर लिया था और हत्या में इस्तेमाल कार तथा चाकू भी बरामद करा दिया था, इसलिए थानाप्रभारी चंद्रदेव यादव ने गुमशुदगी के इस मामले को हत्या में तरमीम कर दिया और भादंवि की धारा 302, 201 के तहत आनंद किशोर के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर उसे विधिसम्मत गिरफ्तार कर लिया.

थानाप्रभारी ने कंचन की हत्या का परदाफाश करने तथा उस के कातिल को पकड़ने की जानकारी एसपी (ग्रामीण) ओमवीर सिंह को दे दी. उन्होंने पुलिस लाइंस सभागार में प्रैसवार्ता की और हत्यारोपी को मीडिया के सामने पेश कर नर्सिंग छात्रा कंचन की हत्या का खुलासा कर दिया.

उत्तर प्रदेश के इटावा जिले के थाना जसवंतनगर क्षेत्र में एक गांव है जगसौरा. इसी गांव में शिवपूजन अपने परिवार के साथ रहते थे. उन के परिवार में पत्नी उमा देवी के अलावा 2 बेटियां कंचन, सुमन तथा एक बेटा राहुल था. शिवपूजन खेतीकिसानी करते थे. उन की आर्थिक स्थिति सामान्य थी.

शिवपूजन के तीनों बच्चों में कंचन सब से बड़ी थी. वह खूबसूरत तो थी ही, पढ़नेलिखने में भी तेज थी. उस ने गवर्नमेंट गर्ल्स इंटर कालेज जसवंतनगर से इंटरमीडिएट साइंस विषय से प्रथम श्रेणी में पास किया था. कंचन पढ़लिख कर अपने पैरों पर खड़ी होना चाहती थी, जबकि उस की मां उमा देवी उस की पढ़ाई बंद कर के कामकाज में लगाना चाहती थी.

उमा देवी का मानना था कि ज्यादा पढ़ीलिखी लड़की के लिए घरवर तलाशने में परेशानी होती है. लेकिन बेटी की जिद के आगे उसे झुकना पड़ा. कंचन ने इटावा के महिला महाविद्यालय में बीएससी में दाखिला ले लिया.

बीएससी की पढ़ाई के दौरान ही एक रोज कंचन की निगाह अखबार में छपे विज्ञापन पर पड़ी. विज्ञापन द्रोपदी देवी इंटर कालेज नगला महाजीत सिविल लाइंस, इटावा से संबंधित था. कालेज को जूनियर सेक्शन में विज्ञान शिक्षिका की आवश्यकता थी.

विज्ञापन पढ़ने के बाद कंचन ने शिक्षिका पद के लिए आवेदन करने का निश्चय किया. उस ने सोचा कि पढ़ाने से एक तो उस का ज्ञानवर्द्धन होगा, दूसरे उस के खर्चे लायक पैसे भी मिल जाएंगे. कंचन ने अपने मातापिता से इस नौकरी के लिए अनुमति मांगी तो उन्होंने उसे अनुमति दे दी.

कंचन ने द्रोपदी देवी इंटर कालेज में शिक्षिका पद हेतु आवेदन किया तो प्रबंधक हाकिम सिंह ने उस का चयन कर लिया. हाकिम सिंह इटावा शहर के सिविल लाइंस थानांतर्गत नगला महाजीत में रहते थे. यह उन का ही कालेज था. कंचन इस कालेज में कक्षा 6 से 8 तक के बच्चों को विज्ञान पढ़ाने लगी. कंचन पढ़नेपढ़ाने में लगनशील थी, इसलिए कुछ महीने बाद वह बच्चों की प्रिय टीचर बन गई.

इसी स्कूल में एक रोज आनंद किशोर की निगाह खूबसूरत कंचन पर पड़ी. आनंद किशोर कालेज प्रबंधक हाकिम सिंह का बेटा था. हाकिम सिंह कालेज के प्रबंधक जरूर थे, लेकिन कालेज की देखरेख आनंद किशोर ही करता था. कंचन हुस्न और शबाब की बेमिसाल मूरत थी. उसे देख कर आनंद किशोर उस पर मोहित हो गया. वह उसे दिलोजान से चाहने लगा.

कंचन यह जानती थी कि आनंद किशोर कालेज मालिक का बेटा है, इसलिए उस ने भी उस की तरफ कदम बढ़ाने में अपनी भलाई समझी. उसे लगा कि आनंद ही उस के सपनों का राजकुमार है. जब चाहतें दोनों की पैदा हुईं तो प्यार का बीज अंकुरित हो गया.

कंचन आनंद के साथ घूमनेफिरने लगी. इस दौरान उन के बीच अवैध संबंध भी बन गए. आनंद के प्यार में कंचन ऐसी दीवानी हुई कि घर भी देरसवेर पहुंचने लगी. मां उसे टोकती तो कोई न कोई बहाना बना देती. उमा देवी उस की बात पर सहज ही विश्वास कर लेती थी.

लेकिन विश्वास की भी कोई सीमा होती है. कंचन जब आए दिन देरी से घर पहुंचने लगी तो उमा देवी का माथा ठनका. उस ने पति शिवपूजन को कंचन पर नजर रखने को कहा. शिवपूजन ने कंचन की निगरानी की तो जल्द ही सच्चाई सामने आ गई. उन्हें पता चला कि कंचन कालेज प्रबंधक के बेटे आनंद किशोर के प्रेम जाल में फंस गई है और उसी के साथ गुलछर्रे उड़ाती है.

शिवपूजन ने इस सच्चाई से पत्नी को अवगत कराया तो उमा देवी ने माथा पीट लिया. पतिपत्नी ने इस मुद्दे पर विचारविमर्श किया और बदनामी से बचने के लिए कंचन का विवाह जल्दी करने का निश्चय किया. तब तक कंचन बीएससी पास कर चुकी थी, इसलिए मां ने एक दिन उस से कहा, ‘‘कंचन, अब तेरा बीएससी पूरा हो चुका है. अब स्कूल में पढ़ाना छोड़ दे. प्राइवेट नौकरी से तेरा भला होने वाला नहीं है.’’

कंचन ने कुछ कहना चाहा तो मां ने बात साफ कर दी, ‘‘क्या यह सच नहीं है कि तेरे और आनंद के बीच गलत रिश्ता है. तुम दोनों के प्यार के चर्चे पूरे स्कूल में हो रहे हैं, इसलिए अब तू उस स्कूल में पढ़ाने नहीं जाएगी.’’

उमा देवी ने जो कहा था, वह सच था. स्कूल प्रबंधक हाकिम सिंह भी उसे सावधान कर चुके थे. पर अपने बेटे आनंद के कारण वह उसे स्कूल से निकाल नहीं पा रहे थे. चूंकि सच्चाई सामने आ गई थी. इसलिए कंचन ने भी स्कूल छोड़ने का मन बना लिया. उस ने इस बात से आनंद किशोर को भी अवगत करा दिया.

चूंकि बेटी के बहकते कदमों से शिवपूजन परेशान थे, इसलिए उन्होंने कंचन के लिए घरवर की तलाश शुरू कर दी. कुछ महीने की भागदौड़ के बाद उन्हें एक लड़का पसंद आ गया. लड़के का नाम था अनुपम कुमार.

अनुपम कुमार के पिता रामशरण मैनपुरी जिले के किशनी थानांतर्गत गांव खड़ेपुर के रहने वाले थे. 3 भाईबहनों में अनुपम कुमार सब से बड़ा था.

रामशरण के पास 5 बीघा जमीन थी. उसी की उपज से परिवार का भरणपोषण होता था. अनुपम गुरुग्राम (हरियाणा) में प्राइवेट नौकरी करता था. दोनों तरफ से बातचीत हो जाने के बाद 7 फरवरी, 2014 को धूमधाम से कंचन का विवाह अनुपम के साथ हो गया.

शादी के एक महीने बाद जब अनुपम नौकरी पर चला गया तो कंचन मायके आ गई. कंचन कुछ दिन बाद आनंद से मिली तो उस ने शादी करने को ले कर शिकवाशिकायत की. कंचन ने उसे धीरज बंधाया कि जिस तरह वह उसे शादी के पहले प्यार करती थी, वैसा ही करती रहेगी.

कंचन जब भी मायके आती, आनंद के साथ खूब मौजमस्ती करती. आनंद किशोर के माध्यम से कंचन अपना भविष्य भी बनाना चाहती थी, वह मैडिकल लाइन में जाने के लिए प्रयासरत थी. दरअसल, वह एएनएम बनना चाहती थी.

इधर पिता के दबाव में आनंद किशोर ने भी ऊषा नाम की खूबसूरत युवती से शादी कर ली. लेकिन खूबसूरत पत्नी पा कर भी आनंद किशोर कंचन को नहीं भुला पाया. वह उस से संपर्क बनाए रहा. आनंद किशोर के पास ओमनी कार थी. इसी कार से वह कंचन को कभी आगरा तो कभी बटेश्वर घुमाने ले जाता था. आनंद की पत्नी ऊषा को उस के और कंचन के नाजायज रिश्तों की जानकारी नहीं थी. वह तो पति को दूध का धुला समझती थी.

सन 2017-18 में कंचन का चयन बीएससी नर्सिंग के 2 वर्षीय एएनएम प्रशिक्षण के लिए हो गया. सैफई मैडिकल कालेज में कंचन एएनएम की ट्रैनिंग करने लगी. वह वहीं के हौस्टल में रहने भी लगी. कंचन का जब कहीं बाहर घूमने का मन करता तो वह प्रेमी आनंद को फोन कर बुला लेती थी.

आनंद अपनी कार ले कर कंचन के मैडिकल कालेज पहुंच जाता, फिर दोनों दिन भर मस्ती करते. आनंद कंचन की भरपूर आर्थिक भी मदद करता था और उस की सभी डिमांड भी पूरी करता था. आनंद ने कंचन को एक महंगा मोबाइल भी खरीद कर दिया था. इसी मोबाइल से वह आनंद से बात करती थी.

कंचन आनंद किशोर से प्यार जरूर करती थी, लेकिन उस का अपने पति अनुपम कुमार से भी खूब लगाव था. वह हर रोज पति से बतियाती थी. अनुपम भी उस से मिलने उस के कालेज आताजाता रहता था. इस तरह कंचन ने एएनएम प्रथम वर्ष का प्रशिक्षण प्राप्त कर द्वितीय वर्ष में प्रवेश ले लिया.

कंचन और उस के प्रेमी आनंद किशोर के रिश्तों में दरार तब पड़ी, जब आनंद ने शहरी क्षेत्र में 5-6 लाख की जमीन अपनी पत्नी ऊषा के नाम खरीदी. यह जमीन खरीदने की जानकारी जब कंचन को हुई तो उस ने विरोध जताया, ‘‘आनंद, ऊषा तुम्हारी घरवाली है तो मैं भी तो बाहरवाली हूं. मुझे भी 3 लाख रुपए चाहिए.’’

धीरेधीरे कंचन आनंद को ब्लैकमेल करने पर उतर आई. अब जब भी दोनों मिलते, कंचन रुपयों की डिमांड करती. असमर्थता जताने पर कंचन दोनों के रिश्तों को सार्वजनिक करने तथा ऊषा को सब कुछ बताने की धमकी देती. कंचन की ब्लैकमेलिंग और धमकी से आनंद घबरा गया. आखिर उस ने इस समस्या से निजात पाने के लिए कंचन की हत्या करने की योजना बना ली.

24 सितंबर, 2019 की दोपहर आनंद किशोर ने कंचन को घूमने के लिए राजी किया. फिर पौने 2 बजे वह अपनी कार ले कर सैफई मैडिकल कालेज पहुंच गया.

कंचन हौस्टल से यह कह कर निकली कि वह हौस्पिटल जा रही है. लेकिन वह आनंद किशोर की कार में बैठ कर घूमने निकल गई. आनंद उसे बटेश्वर ले कर गया और कई घंटे सैरसपाटा कराता रहा.

वापस लौटते समय कंचन ने उस से पैसों की डिमांड की. इस बात को ले कर दोनों में कहासुनी भी हुई. तब तक शाम के 7 बज चुके थे और अंधेरा छाने लगा था.

आनंद किशोर ने अपनी कार जसवंतनगर क्षेत्र के भितौरा नहर पर रोकी और फिर सीट पर बैठी कंचन को दबोच कर उसे चाकू से गोद डाला.

हत्या करने के बाद उस ने कंचन के शव को नहर में फेंक दिया. फिर वहीं नहर की पटरी किनारे खून से सने कपडे़ जला दिए. वहां से चल कर आनंद ने जगसौरा बंबा पर कार रोकी.

वहां उस ने कंचन के दोनों मोबाइल फोन तोड़ कर झाड़ी में फेंक दिए. साथ ही खून सना चाकू भी झाड़ी में फेंक दिया. इस के बाद वह वापस घर आ गया. किसी को कानोंकान खबर नहीं लगी कि उस ने हत्या जैसी वारदात को अंजाम दिया है.

24 सितंबर को करीब पौने 2 बजे अनुपम कुमार की कंचन से बात हुई थी. उस के बाद जब बात नहीं हुई तो वह सैफई आ गया और कंचन की गुमशुदगी दर्ज कराई. सैफई पुलिस 18 दिनों तक लापता कंचन का पता लगाने में जुटी रही. उस के बाद हत्या का खुलासा हुआ. लेकिन कंचन की लाश फिर भी बरामद नहीं हुई.

14 अक्तूबर, 2019 को थाना सैफई पुलिस ने हत्यारोपी आनंद किशोर को इटावा कोर्ट में रिमांड मजिस्ट्रैट ए.के. सिंह की अदालत में पेश किया, जहां से उसे जिला कारागार भेज दिया गया. सैफई पुलिस कंचन की लाश बरामद करने के प्रयास में जुटी थी.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

जब आपका प्रेमी सहेली के साथ पकड़ा जाए

आशा और सुरेश का एक साल पहले अफेयर शुरू हुआ था. आशा ने सुरेश के साथ जीनेमरने की जाने कितनी कसमें खाईं, साथ रहने के सपने देखे लेकिन उस के ये सपने तब धराशायी हो गए जब एक दिन वह अपने रूम में कालेज से जल्दी आ गई और दरवाजा खोलते ही अपनी रूममेट और सब से अच्छी सहेली रोमा को अपने ही बौयफ्रैंड सुरेश के साथ हमबिस्तर पाया. यह उस की वही सहेली थी जो इन दोनों के प्यार की गवाह थी और उन के बीच होने वाली हर छोटीबड़ी बात जानती थी. यह सिर्फ आशा की ही कहानी नहीं है बल्कि यह अकसर सुनने में आता है कि एक सहेली ने दूसरी सहेली के बौयफ्रैंड को छीन लिया या अपना बना लिया.

वैसे तो ऐसा करना गलत है, लेकिन अगर ऐसा हो भी गया है तो रोनेधोने से काम नहीं चलेगा, बल्कि समझदारी से काम लेते हुए इस सिचुएशन को हैंडल करने की जरूरत है. आइए, जानें इस सिचुएशन से कैसे निकलें बाहर :

प्रेमी की असलियत सामने आई

 यह तो अच्छी बात है कि प्रेमी की पोल आप के सामने जल्दी ही खुल गई वरना ये सब आप के घर में पता चल जाता तब आप उन की नजरों में भी गिर जातीं. अभी तो बात सहेली के सामने ही है और वह भी कोई आप की सगी नहीं है बल्कि उस ने तो आप की पीठ पीछे वार किया है, आप के प्रेमी को अपना बना कर. अच्छा हुआ, उस के करैक्टर के बारे में पहले ही पता चल गया. जो लड़का आप की सहेली पर बुरी नजर रख सकता है कल वह आप की बहन के साथ क्या करता, आप सोच भी नहीं सकतीं.

सहेली भी धोखेबाज निकली

 वह सहेली चाहे बरसों से आप की कितनी भी अच्छी दोस्त क्यों न रही हो, लेकिन अब आप के साथ उस ने जो किया उस के बाद आप की जिंदगी में उस की कोई जगह नहीं होनी चाहिए. ऐसी दोस्त बनाने से अच्छा है आप अकेली ही रह लें.

जिंदगी का बड़ा सबक सीख लिया

 इस रिलेशनशिप से आप जिंदगी का गहरा सबक लें. अब आप आगे जो भी कदम उठाएंगी सोचसमझ कर ही उठाएंगी. यह गम लंबे समय तक तंग करेगा लेकिन आप को इस से लड़ कर बाहर आने की हिम्मत लानी होगी, इस से आप को जीवन में आए दुखों से लड़ने की ताकत मिलेगी.

पढ़ाई पर ध्यान लगाएं

 इस हादसे से आप अपना एक नुकसान कर चुकी हैं, अब पढ़ाई में पिछड़ कर दूसरा नुकसान न करें. अपने जीवन में सब से ज्यादा अहमियत पढ़ाई को ही दें, इस से अपनी स्टै्रंथ बना लें और ध्यान से पढ़ाई करने में जुट जाएं.

आप बदनाम होने से बच गईं

 प्रेमी की फितरत ही धोखा देने की थी, तभी तो उस ने आप को चीट किया. एक तरह से देखा जाए तो अच्छा ही हुआ. ऐसे दोगले इंसान से आप को जल्दी छुटकारा मिल गया, वह भी अपना कोई नुकसान किए बिना. वह लड़का सही नहीं था. हो सकता है कि वह आगे चल कर आप को ब्लैकमेलिंग आदि के जाल में फंसाने की कोशिश करता. ऐसे लोगों से दूर होना ही बेहतर है.

परदे में रहने दो

जी हां, हर बात सहेली को बताई जाए यह जरूरी तो नहीं. अपने और प्रेमी के बीच की बातों को सहेली के साथ डिसकस करना ठीक नहीं. फिर चाहे वह कितनी भी अच्छी क्यों न हो या कितनी ही गहरी मित्र क्यों न हो. आप की बातों और प्रेमी की इतनी तारीफ से हो सकता है कि सहेली का मन पलट जाए और वह प्रेमी की तरफ आकर्षित हो कर उसे फंसाने में लग जाए. ऐसे में प्रेमी के साथसाथ सहेली से भी आप को हाथ धोना पड़ सकता है.

ब्रेकअप का रोना न रोती रहें

 जिन लोगों को इस रिलेशनशिप के बारे में पता था उन्हें हर बार यही बात कह कर न पकाएं. आप दुनिया में पहली नहीं हैं जिस का ब्रेकअप हुआ है, ऐसा कर के आप खुद को हंसी और बेचारगी का पात्र बना लेंगी. यह आप का गम है और इसे अकेले ही भूलना होगा.

विश्वास करना न छोड़ें

माना यह थोड़ा मुश्किल है, लेकिन अगर एक सहेली ने पीठ पीछे धोखा दिया है तो इस का मतलब यह कतई नहीं है कि आप अपनी सारी सहेलियों से मुंह मोड़ कर अकेली हो जाएंगी. अपनी बाकी सहेलियों के टच में रहें.

बच के रहना रे बाबा

आप ने किसी एक से नहीं बल्कि अपने दो अजीजों से धोखा खाया है. इस का मतलब चूक कहीं न कहीं आप से भी हुई है, जो आप ने अपनी जिंदगी में ऐेसे प्रेमी और सहेली को जगह दी इसलिए इस से सीख लें व जांचपरख कर ही किसी से रिलेशन बनाएं.

किसी भी युवक को बौयफ्रैंड बनाने से पहले उस के बारे में अच्छी तरह से तहकीकात कर लें. अगर थोड़ा भी शक हो तो उस के साथ रिलेशनशिप बनाने की जरूरत नहीं है.

“हम साथ साथ हैं” पर कुदृष्टि!

प्रथम घटना – राजधानी रायपुर के विधान सभा मार्ग में एक प्रेमी जोड़े को कुछ लोगों ने देखा और उन्हें प्रताड़ित किया. यहां तक कि युवक की हत्या हो गई.

दूसरी घटना – न्यायधानी कहे जाने वाले छत्तीसगढ़ के बिलासपुर शहर में एक युगल जोड़ी जब एकांत में बैठी हुई थी कुछ अपराधिक किस्म के लोगों ने उन पर हमला किया और युवती के साथ बलात्कार किया.

तीसरी घटना – औद्योगिक नगरी कोरबा के रविशंकर शुक्ला नगर के एकांत में एक युगल जोड़े को युवकों ने पकड़ा और युवती के साथ 8 लोगों ने अनाचार किया. मामला संभ्रांत परिवार का था अतः हड़कंप मच गई पुलिस ने गुप्त रूप से जांच की.

क्या प्यार, प्रेम कोई अपराध है. शायद किसी भी जागरूक और संवेदनशील समाज में इसे अपराध की कोटि में शामिल नहीं किया जा सकता. मगर जब दो प्रेमी कहीं एकांत में मिले और कुछ लोग उस पर हमला कर देंगे तो आप क्या कहेंगे.

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छत्तीसगढ़ के आदिवासी जिला जसपुर में ऐसे ही एक लोमहर्षक घटना घटित हुई है. जहां एक युगल प्रेमी जोड़े को एकांत में पाकर कुछ लोगों ने अपने गिरफ्त में ले लिया और कानून को अपने हाथों में लेते हुए पहले युवक को अपमानित किया गया पीटा गया. और फिर कुदृष्टि डालने वालों ने युवती  के साथ भी वही सब किया गया जो किसी भी दृष्टि से कानून सम्मत नहीं कहा जा सकता.

ऐसी अनेक घटनाएं हमारे आसपास घटित होती रहती हैं और समाज और कानून के भय से कथित रूप से पीड़ित पक्ष  मौन हो जाता है. यह एक ऐसा गंभीर मसला है जिस पर प्रत्येक दृष्टि से समाज के हर एक वर्ग को चिंतन करना चाहिए. इस आलेख में हमने इस गंभीर सामयिक विषय को विभिन्न दृष्टिकोण से आपके समक्ष प्रस्तुत करने का प्रयास किया है. ताकि हर एक पक्ष जागरूक हो सके और इसका लाभ उठा सकें और ऐसी घटनाएं कम से कम घटित हो और खत्म हो जाए.

जशपुर का वीडियो वायरल!

छत्तीसगढ़ के आदिवासी जशपुर जिले से शर्मसार करने वाली घटना  घटित हुई है. यहां के कुनकुरी थाने के फरसापानी के एक गोदाम में प्रेमी जोड़े और एक युवक मौजूद थे. इसी दौरान  कुछ लोग पहुंच जाते हैं. युवक-युवती को इस तरह देखकर  युवक की जमकर पिटाई कर देते है.दूसरा युवक घटना स्थल से फरार हो जाता है. इतना ही नहीं  लोगों ने युवती को भी नहीं बख्शा. युवती के साथ बदसलूकी करते हुए गाली-गलौच की. इस पूरे घटना क्रम का बकायदा वीडियो भी बना लिया, जिसे बाद में सोशल मीडिया में वायरल कर दिया है.

वायरल वीडियो में भी पूरी तस्वीर साफ नजर आ रही है, कि किस तरह से ग्रामीणों ने युवती के साथ दुर्व्यवहार किया है. जबरन चेहरे से नाकाब हटाकर चेहरा देखा गया और कैमरे में भी कैद किया गया. इसके साथ ही युवक के साथ भी की गई मारपीट की वाक्या कैमरे में कैद है. लेकिन अब इस मामले में पूरी कहानी ही बदल गई है.

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दरअसल, अब युवती ने  दोनों  युवकों के खिलाफ दुष्कर्म का आरोप लगाया है. पुलिस के मुताबिक युवती ने दोनों के खिलाफ कुनकुरी थाने में धारा 376 का मामला दर्ज कराया है.  पुलिस अधीक्षक बालाजी राव ने मामले में संज्ञान लेते हुए युवती के साथ बदसलूकी करने वाले ग्रामीणों की भी पहचान कर कार्रवाई करने की बात कही है. कुल जमा सच्चाई यह है कि ऐसे मामलों में प्रेमी युगल के साथ लोगों की  क्रूरता  बारंबार जग जाहिर हुई है. ऐसे में समझदारी की बात तो यह है की युगल जोड़े समझदारी का परिचय देते हुए एकांत में मिलने का प्रयास न करें. अपने जीवन को संकट में ना डालें.

समझदारी और हर पक्ष के लिए कुछ कायदे

प्रेमी युगल जोड़े अक्सर हमले के शिकार होते रहे हैं. इस संदर्भ में हमने वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ उत्पल अग्रवाल से बात की. उन्होंने कहा कि कानूनी दृष्टिकोण से किसी भी प्रेमी जोड़े पर हमला करना गंभीर अपराध की श्रेणी में आता है. ऐसे लोगों पर शिकायत मिलने पर पुलिस गंभीर कार्रवाई करती है. उन्होंने कहा – मेरा सुझाव तो यही है कि कभी भी किसी को कानून अपने हाथ में नहीं लेना चाहिए. हां अगर आपको आपत्ति है जो आपका अधिकार है… आप पुलिस में सूचना देकर प्रेमी जोड़े को हिरासत में लेने का आग्रह कर सकते हैं. ऐसी स्थिति में पुलिस कार्रवाई करेगी.

लायनेस समाजसेवी अंजना सिंह ठाकुर के अनुसार ऐसी घटनाएं सुनने में आती है प्रेमी जोड़ों को चाहिए कि स्वयं को सुरक्षित रखते हुए कोई ऐसा कदम ना उठाएं की उनका जीवन खतरे में पड़ जाए.

पुलिस अधिकारी विवेक शर्मा इस संदर्भ में बताते हैं कि उनके कार्यकाल में ऐसी कुछ घटनाएं घटित हुई है युवा जोड़े के उम्र का तकाजा ऐसा  होता है कि वह लोग यह भूल कर बैठते हैं मगर वे  लोग भी अपराधी हैं जो इन पर हमला करते हैं और ऐसे लोगों पर शिकायत मिलने पर कठोर कार्रवाई की जाती है.

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सार पूर्ण  तथ्य है कि प्रेमी जोड़ों को चाहिए कि कभी भी अपना जीवन संकट में ना डालें. जहां ऐसे घटनाक्रम में युवक की अपेक्षा युवतियां अधिक बर्बरता का शिकार होती है, अनाचार का शिकार भी हो जाती है. वहीं युवक को अपमान झेलना पड़ता है.इसलिए समझदारी का तकाजा यह है कि ऐसी परिस्थितियों से बचें.

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