दुनिया में कोरोना वायरस संक्रमण फैलने के बाद लोगों में अवसाद की स्थिति अपनी चरम पर देखी जा रही है. दुनिया भर में त्रस्त, भयभीत होकर आत्महत्या का दौर जारी है. हमारे देश में भी और छत्तीसगढ़ में भी. हाल ही में छत्तीसगढ़ के एम्स हॉस्पिटल में जहां कोरोना से ग्रस्त एक शख्स का इलाज जारी था. उसने उपरी मंजिल से कूदकर अपनी जान दे दी. यह एक वाकया बताता है कि कोरोना पेशेंट किस तरह का व्यवहार कर रहे हैं. उन्हें कैसा सहानुभूति पूर्ण व्यवहार मिलना चाहिए.

आज हम इस आलेख में यही बता रहे हैं कि किस तरह  लोग आत्महत्या कर रहे हैं. और बचाव के क्या उपाय हो सकते हैं-

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पहला मामला- कोरोना के मरीज ने एक दिन अचानक घर में पंखे से लटक कर आत्महत्या कर ली. घटना छत्तीसगढ़ के मुंगेली शहर में घटित हुई.

दूसरा मामला- छत्तीसगढ़ के रायगढ़ में एक महिला ने विष खाकर आत्महत्या कर ली. वह चिट्ठी लिख गई की इसका कोई दोषी नहीं है. बताया गया कि वह कोरोना संक्रमण से भयभीत  थी और उसे जिंदगी निसार लग रही थी.

तीसरा मामला- दुनिया में फैलते कोरोना संक्रमण से भयभीत होकर एक डॉक्टर ने अंबिकापुर में आत्महत्या कर ली. तथ्य सामने आए की वह कोरोना संक्रमण से अवसाद ग्रस्त हो गई थी और जिंदगी का उसे अब कोई मायने नहीं लग रहा था.

फिल्म अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत के बाद देश में आए दिन यह सुनने में आ रहा है कि फलां ने आत्महत्या कर ली. आखिर इस आत्महत्या करने का मनोविज्ञान आदमी की मानसिक बुनावट क्या है? इस पर गौर करना अति आवश्यक है.हालांकि आत्महत्या एक अवसाद का क्षण होता है जिससे अगर आप ऊबर गए तो सब कुछ ठीक हो गया अन्यथा इहलीला समाप्त.मगर इन दिनों कोरोना वायरस के संक्रमण काल के पश्चात आत्महत्याओं के दौर में एक बड़ी वृद्धि देखी जा रही है आए दिन यह समाचार आ रहे हैं कि कोरोना के कारण अवसाद में आकर अथवा भयभीत होकर फलां ने आत्महत्या कर ली. हाल ही में छत्तीसगढ़ के एम्स में कोरोना संक्रमित व्यक्ति ने उपरी मंजिल से नीचे कूदकर आत्महत्या कर ली. ऐसे ही घटनाओं के संदर्भ में कहा जा सकता है कि दरअसल यह जल्दी में उठाए कदम होते हैं.अगर ऐसी सोच के लोगों को सही समय पर किसी का साथ और संबल मिल जाए तो वह अवसाद की परिस्थितियों से निकल सकता है. आज इस आलेख में हम इन्हीं विसंगतियों पर चर्चा कर रहे हैं.

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