Diwali 2023- 10 टिप्स : त्यौहारों के मौसम में ऐसे रखें खुद को फिट

त्यौहार ढेर सारी खुशियां और आनंद लाते हैं लेकिन कई स्वास्थ्य समस्याओं की आशंका को भी बढ़ा देते हैं. ऐसे में जरूरी है कि ‘एक दिन की लापरवाही से क्या फर्क पड़ता है’ वाला रवैया न अपनाएं और पहले से ही प्लानिंग कर लें ताकि आनंद और उल्लास का यह मौसम आप के लिए स्वास्थ्य समस्याओं का निमंत्रण न बने.

1. मीठा थोड़ा ही अच्छा

मीठा भोजन ठंडा और भारी होता है और यह कफ बढ़ाता है. ज्यादा मीठा खाने से थकान, भारीपन, भूख कम लगना, अपच जैसी समस्याएं होती हैं. शूगर हाइपरटैंशन बढ़ाती है, मस्तिष्क के संकेतों को दबाती है. मीठे भोजन से कोलैस्ट्रौल बढ़ता है. मिठाइयों को एकसाथ खाने से पेटदर्द, डायरिया, लूज मोशन जैसी समस्याएं शुरू होने की आशंका बढ़ जाती है. इसलिए, मिठाई थोड़ी मात्रा में ही खाएं. हमेशा स्वस्थ्य और पोषक खाद्य पदार्थों का विकल्प चुनें. मिठाइयों के बजाय सूखे मेवे, फल, फ्लेवर्ड दही को प्राथमिकता दें

2. तैलीय, मसालेदार भोजन से बचें

हमारे देश में मसालेदार भोजन खाने की परंपरा है और त्योहारों के समय तो यह और बढ़ जाती है. मसाले गरम होते हैं. ये शरीर का ताप बढ़ा देते हैं जिस से अनिद्रा की समस्या हो जाती है. अधिक मसालेदार और तीखा खाने से पेट की कई समस्याएं उत्पन्न हो जाती हैं. पेट की अंदरूनी सतह पर सूजन आ जाती है, एसिडिटी की समस्या हो जाती है. अधिक तैलीय व वसायुक्त भोजन करने से रक्तचाप और शूगर का स्तर बढ़ता है.

3. ऐक्सरसाइज न करें तो डांस करें

अगर आप के लिए ऐक्सरसाइज करना कठिन हो तो आप दिल खोल कर नाचें. इस से काफी मात्रा में कैलोरी जल जाएंगी. कई प्रकार की मिठाइयां और घी का सेवन करने के बावजूद स्वस्थ रहने के लिए यह सब से अच्छा वर्कआउट हो सकता है.

4. ओवरईटिंग न करें

इन दिनों कई लोगों का वजन 3-5 किलो तक बढ़ जाता है, इसलिए अपनी प्लेट पर नजर रखनी जरूरी है. लोग  बगैर सोचेसमझे सबकुछ खाते चले जाते हैं. हाई कैलोरी फूड अधिक मात्रा में खाने से हमारी पाचनक्रिया धीमी पड़ने लगती है और हम अधिक थकान महसूस करते हैं. त्योहारों के माहौल में ऐसे भोजन से दूर रहना तो संभव नहीं है, लेकिन इन का सेवन कम मात्रा में करें ताकि कैलोरी इनटैक को कंट्रोल में रखा जा सके.

5. मिलावटी चीजों से रहें सावधान

कई मिठाइयों में कृत्रिम रंगों का उपयोग  किया जाता है. इन से किडनी स्टोन और कैंसर हो सकता है. ऐसी मिठाई को खाने से उलटी, डायरिया की समस्या हो जाती है. कई दुकानदार लड्डू, पनीर, बर्फी और गुलाबजामुन बनाने में मेटानिल यलो, लेड नाइट्रेट और म्युरिएटिक एसिड का इस्तेमाल करते हैं. इन के सेवन से शारीरिक ही नहीं, मानसिक स्वास्थ्य भी प्रभावित होता है. मिलावट से बचने के लिए मिठाइयों को घर पर ही बनाएं या किसी अच्छी दुकान से खरीदें.

6. डाइट प्लान का पालन करें

हैवी ब्रेकफास्ट करें, इस से आप का पेट अधिक समय तक भरा हुआ रहेगा. जो भी खाएं, फाइबर और पोषक तत्त्वों से भरपूर हो. दोपहर के खाने में प्रोटीन की मात्रा अधिक रखें. यह पेट को लंबे समय तक भरा हुआ रखेगा और आप भोजन कम मात्रा में खाएंगे. अपने फ्रिज और किचन में हैल्दी स्नैक्स, हरी पत्तेदार सब्जियां और फलों के विकल्प अधिक मात्रा में रखें. सफेद चीनी या कृत्रिम स्वीटनर के बजाय प्राकृतिक स्वीटनर जैसे खजूर, शहद या अंजीर का उपयोग  करें. आप गुड़ का इस्तेमाल भी कर सकती हैं.

7. भरपूर मात्रा में पानी पिएं

हर रोज भरपूर मात्रा में पानी पिएं. अपने दिन की शुरुआत पानी से करें. सुबह खाली पेट 1 लिटर पानी पिएं, इस से आप का पाचनतंत्र साफ रहेगा और आप के शरीर में जल का स्तर भी बना रहेगा. यह रक्त से विषैले पदार्थों को भी साफ कर देगा. एक दिन में कम से कम 3 लिटर पानी पिएं. जो लोग पार्टियों में जम कर ड्रिंक करते हैं, ध्यान रखें कि अल्कोहल के कारण डिहाइड्रैशन होता है. नियमित रूप से अधिक मात्रा में पानी का सेवन कर के शरीर से टौक्सिन को निकालने में सहायता करें. पानी शरीर में अल्कोहल के प्रभाव को भी कम करता है.

8. खरीदारी के लिए जाएं

खरीदारी करना आप के लिए उपयोगी हो सकता है. अपनी शौपिंग की योजना ऐसे बनाएं कि आप को अधिक से अधिक पैदल चलना पड़े. कोशिश करें कि अपनी कार का इस्तेमाल न करें. औनलाइन शौपिंग  करने के बजाय अगर आप मौल या लोकल मार्केट में घूमघूम कर शौपिंग  करेंगे तो आप अधिक मात्रा में कैलोरी खर्च करेंगे. यह आप के लिए फायदेमंद होगा.

9. डिटौक्सिफिकेशन तकनीक

मानव शरीर की रचना ऐसी होती है कि वह अपनेआप ही शरीर से हानिकारक रसायनों को निकाल देता है. लेकिन त्योहारों के मौसम में शरीर में टौक्सिंस की मात्रा ज्यादा बढ़ जाती है. अपने शरीर से टौक्सिंस को निकालने का प्रयास करें. चाय और कौफी के बजाय ग्रीन टी का सेवन करें. अपने दिन की शुरुआत एक गिलास गुनगुने पानी से करें जिस में नीबू का रस भी हो, ताकि शरीर से टौक्सिंस निकल जाएं.

10. हाइपरटैंशन

त्योहारों के मौसम आते ही अधिक कैलोरीयुक्त भोजन का सेवन बढ़ जाता है, जिस से पूरा डाइट प्लान गड़बड़ा जाता है. मिठाइयां घी और चीनी से भरपूर होती हैं जिस से उन में कैलोरी की मात्रा काफी अधिक बढ़ जाती है. त्योहार के दिनों  में खानपान में कंट्रोल नहीं होता और यह पाचनतंत्र पर भारी पड़ता है. इसलिए इन दिनों आप को ज्यादा एहतियात रखने की जरूरत है.

Diwali 2023: ऐसे करें गिफ्ट की आकर्षक पैकिंग

Diwali Special for Lifestyle: साल का सब से बड़ा त्योहार दीवाली (Diwali) है, जिस का वर्षभर सब को इंतजार रहता है. दीवाली की तैयारियां कई दिन पहले से ही शुरू हो जाती हैं जिस में घर की साजसज्जा (Decoration) , घर में नई चीजों का आगमन, नए कपड़ों की शौपिंग(Shopping) के अलावा एक अन्य अहम चीज होती है उपहारों (Gifts) का लेनदेन. सब की चाहत होती है कुछ ऐसा उपहार देने की जो निराला हो. क्योंकि ये उपहार ही हैं जो त्योहार की खुशियों को दोगुना करते हैं व रिश्तों (Relation) में अपनेपन की मिठास लाते हैं.

आप भी इस दीवाली पर अपनों को कुछ उपहार देने की तैयारी कर रहे होंगे. इस दीवाली पर आप अपनी इस तैयारी को दीजिए कुछ खास ट्विस्ट. हर बार की तरह साधारण तरीके से गिफ्ट पैकिंग करने के बजाय अपने उपहारों की पैकिंग कुछ हट कर खास अंदाज में कीजिए जिस से आप न केवल अपनों के बीच हिट हो जाएंगे बल्कि आप को एक अद्भुत खुशी का एहसास भी होगा.

उपहारों को सजाइए हट कर

दीवाली में उपहारों के तौर पर ट्रैडिशनल दीयों से ले कर, कैंडल्स, डिजाइनर दीये, कैंडल्स स्टैंड, क्रौकरी, होम फर्निशिंग, बच्चों के लिए चौकलेट्स, जूस, बड़ों के लिए ज्वैलरी, ड्राईफू्रट, पेंटिंग, आर्टिफैक्ट्स आदि वस्तुएं दी जाती हैं. जब उपहारों के चुनाव में इतनी मेहनत की जाती है तो फिर इन्हें प्रैजेंट आकर्षक तरीके से क्यों न किया जाए ताकि इन की खूबसूरती और महत्ता दोगुनी हो जाए. आइए जानें गिफ्ट पैकिंग एक्सपर्ट संगीता गोयल से उपहारों को खास अंदाज में पैक करने के कुछ तरीके :

चौकलेट पैकिंग

दीवाली पर चौकलेट बच्चों के साथसाथ बड़ों को भी बेहद पसंद आती हैं. आप हर बार बाजार से चौकलेट की पैकिंग खरीद कर गिफ्ट करते होंगे. लेकिन इस बार उन्हें गिफ्ट कीजिए खास आकर्षक अंदाज में.

चौकलेट को पैक करने के लिए केन या मैटल की टोकरी लें. उसे कलर्ड टिश्यू मैट या आजकल बाजार में उपलब्ध आई वुडन मल्टीकलर ग्रास को टोकरी पर बिछा दें व उस में आकर्षक पैकिंग वाली लूज चौकलेट रखें. ऊपर से आप टोकरी को कलर्ड सैलोफिन पेपर से ढक दें व बीच में रंगीन आर्टिफिशियल फ्लावर लगा दें. चौकलेट की यह आकर्षक पैकिंग सब को बहुत भाएगी.

दीये व कैंडल्स पैकिंग

बाजार से आकर्षक केन या ब्रास की ट्रे खरीदें. उस में कलर्ड कड़क नेट बिछाएं व मल्टीकलर्ड दीयों व डिजाइनर कैंडल्स को रखें व ऊपर से ट्रांसपैरेंट सैलोफीन शीट से टेप द्वारा सील कर दें. आप चाहें तो कार्डबोर्ड को दीये की शेप में भी काट कर उस में दीये सैट कर सकते हैं.

ईकोफ्रैंडली गिफ्ट

आजकल लोगों में ईकोफ्रैंडली गिफ्ट देने का भी प्रचलन है. वे अपने दोस्तों, रिश्तेदारों व जानकारों को बोनसाई प्लांट्स व फू्रट बुके भी गिफ्ट के तौर पर दे रहे हैं. इस के तहत आप बोनसाई प्लांट के पौट को आकर्षक ट्रे में रख कर दे सकते हैं. इसी तरह बाजार से फल खरीद कर उन का आकर्षक फू्रट बुके बना सकते हैं.

उपहारों में अनोखेपन व अपनेपन का एहसास लाने के लिए आप पैकिंग को दीजिए ये आकर्षक लुक.

फोटो का जादू

गिफ्ट पैकिंग में नजदीकी व अपनेपन का टच देने के लिए आप गिफ्ट पैक के ऊपर, जिसे गिफ्ट दे रहे हैं उस की आकर्षक फोटो लगा सकते हैं. गिफ्ट पैकिंग का यह अनोखा अंदाज उन्हें पुरानी यादों में ले जाएगा.

एथनिक लुक

अगर आप अपने उपहार की पैकिंग को एथनिक लुक देना चाहते हैं तो मीनाकारी व स्टोन वर्क वाला वुडन बौक्स लें. उस में अपने गिफ्ट को रख कर ऊपर से पतली मैटल शीट से कवर कर दें और बैल्स (घंटियों) से सजा कर उसे म्यूजिकल पैकिंग बनाएं. आप चाहें तो इस में फेब्रिक फ्लावर भी लगा सकते हैं.

पोटली पैकिंग

बाजार में अनेक रंग, डिजाइन व आकार की पोटलियां मौजूद हैं जिन में आप दीवाली के उपहार पैक कर सकते हैं. पोटलियों में आप ड्राई फू्रट्स, चांदी के सिक्के पैक कर सकते हैं. इन पोटलियों पर साटन के रिबन वाले फूल भी बांध सकते हैं.

क्रोशिया बैग

अगर आप अपने दोस्तोंरिश्तेदारों को अपनी हस्तकला से परिचित करवाना चाहती हैं तो अपने उपहार को अपने हाथ से बने क्रोशिए के बैग में भी पैक कर सकती हैं. बैग पर मोरपंख या सूखे फूलों व आकर्षक पत्तियों को लगा कर और स्टाइलिश लुक दे सकती हैं.

ऐलिगैंट व स्टाइलिश पैकिंग

आप इस दीवाली गिफ्ट पैकिंग को ऐलिगैंट लुक देने के लिए उपहार को अपनी पुरानी बनारसी या ब्रोकेड की सिल्क साड़ी या दुपट्टे के बौर्डर से बांध कर बो या फूल का आकार दे सकती हैं. सैंटर में लगा मैटल का ब्रोच आप के गिफ्ट पैक को और खूबसूरत बना देगा.

Diwali 2023: त्योहारों की उमंग जीवन में भरे रंग

Diwali Festival 2023 : भारतीय जनजीवन में त्योहारों (Festivals) और उत्सवों का आदिकाल से ही काफी महत्त्व रहा है. यहां मनाए जाने वाले सभी त्योहार मानवीय गुणों को स्थापित कर लोगों में प्रेम, एकता व सद्भावना को बढ़ाने का संदेश देते हैं. दरअसल, ये त्योहार ही हैं जो परिवारों (Family) और समाज (Society) को जोड़ते हैं. त्योहार हमारी संवेदनाओं और परंपराओं (Rituals) के ऐसे जीवंत रूप हैं जिन्हें मनाना या यों कहे कि बारबार मनाना हमें अच्छा लगता है क्योंकि अनोखे रंग समेटे त्योहार हमारे जीवन में उमंग और उत्साह की नई लहरों को जन्म देते हैं.

क्यों जरूरी हैं त्योहार

  1. त्योहार जीवन को खुशहाल व रिश्तों को मजबूत बनाने में एक अटूट कड़ी की भूमिका निभाते हैं.
  2. होली का त्योहार जहां मस्ती और मौज का संदेश देता है वहीं दीवाली अंधकार को दूर कर के जीवन में रोशनी भरने का.
  3. त्योहार अच्छा खाना, अच्छा पहनना, खुश रहने और जीवन को खुशनुमा बढ़ाने का श्रेष्ठ माध्यम होते हैं.
  4. ऐतिहासिक विरासत और जीवंत संस्कृति के सूचक ये त्योहार विदेशियों के समक्ष भी हमारे सरस और सजीले सांस्कृतिक वैभव का प्रदर्शन करते हैं और हमें गौरवान्वित होने का अवसर देते हैं.
  5. जीवन को नई ताजगी देते त्योहार जीवन में जीने का उत्साह और उल्लास का रंग भरते हैं जिस से जीने का हौसला दोगुना हो जाता है. रोजमर्रा की परेशानियों को भुला कर हमें सजनेसंवरने और नए स्वाद चखने का भी अवसर देते हैं ये त्योहार.

रोशनी का त्योहार

अमावस्या के अंधकार में ‘तमसो मा ज्योतिर्गमय’ यानी अंधेरे से रोशनी की तरफ जाने का संदेश देता दीवाली का त्योहार आकाश में पटाखों की रोशनी  और समृद्धि की अभिव्यक्ति है. आशाओं के उत्सव के रूप में मनाए जाने वाले इस त्योहार का महत्त्व जीवन के अनमोल पहलुओं से जुड़ा हुआ है. इस का उद्देश्य भाईचारे को बढ़ाते हुए एकदूसरे के दुखसुख का हमसफर बनना है.

नएपन का एहसास

बदलते समय के साथ बदल रहा है समाज और बदल रहा है त्योहारों को मनाने का अंदाज भी. ‘मैं तो लूंगा खीलखिलौने तुम भी लेना भाई’ की जगह अब औनलाइन गिफ्टिंग, हाईटैक डिजिटल दीवाली और मौल संस्कृति का नया रूप देखने को मिल रहा है. आइए, नजदीक से देखें दीवाली के बदले रूप को.

औनलाइन गिफ्टिंग

उद्योग जगत के एक अनुमान के अनुसार, औनलाइन गिफ्टिंग का बाजार 1,000 करोड़ रुपए से अधिक का है. औनलाइन गिफ्टिंग के जरिए दूर बैठे अपनों को उपहारों के जरिए दीवाली की खुशियां बांटने का यह माध्यम दिनोंदिन जोर पकड़ रहा है. गिफ्टिंग का यह बदला अंदाज दूरियों को नजदीकियों में बदलने का बेहतर माध्यम सिद्ध हो रहा है.

मिठाइयों, चौकलेट्स, कार्ड्स, फ्लावर बुके, ज्वैलरी, कौर्पोरेट गिफ्ट्स सभीकुछ औनलाइन शौपिंग साइट्स पर मौजूद हैं. इन साइट्स पर पीवीआर मूवी गिफ्ट कार्ड्स, कैफेकौफी डे गिफ्ट वाउचर्स, स्पा सैलून की अनेक स्कीम्स भी मौजूद हैं जिन्हें आप बस एक क्लिक पर अपनों को, वे चाहे कहीं भी हों उपहारस्वरूप दे कर उन की खुशियों में अपनी खुशियां ढूंढ़ सकते हैं.

बढ़ते उपयोगी उपहार

चौकलेट के विज्ञापनों ने भारतीय रिश्तों व परिवार के आपसी प्रेम को त्योहारों से जोड़ दिया है, फिर चाहे वह रोशनी का त्योहार दीवाली हो या भाईबहन के अटूट बंधन का रक्षाबंधन. विदेशी कंपनियां भारतीय त्योहारों को ध्यान में रख कर अपने प्रौडक्ट लौंच कर रही हैं. हाटबाजारों, मेलों की जगह मौल संस्कृति जन्म ले रही है. बाजारों में सस्ते और विभिन्न वैरायटी के इतने उपहार मौजूद हैं कि आप के लिए चुनना मुश्किल हो जाएगा. यह बदलाव व नयापन अच्छा तभी होगा जब वह समाज के हर वर्ग के हित में हो, विदेशी कंपनियों के कुचक्र में छोटे व्यापारियों के हितों की बलि न चढ़े और बाजारीकरण हावी न हो.

दीयों की रात वादों की सौगात

दीवाली की खुशियां आप की जिंदगी में ताउम्र बनी रहें, इस के लिए आप भी पूरे करें वे वादे जो आप को और आप के अपनों को सही माने में दीवाली की खुशियां दें.

बड़ों को खुशियां देने का वादा : रोहित के बुजुर्ग पिता घुटनों में दर्द की शिकायत से परेशान रहते थे. प्राइवेट नौकरी की भागदौड़ में रोहित समझ नहीं पा रहा था कि कैसे वह अपने पिता की तकलीफ दूर करे. ऐसे में रोहित के एक दोस्त ने उसे सलाह दी कि वह अपने पिता को एक मसाजर गिफ्ट करे. रोहित ने दोस्त की सलाह मान कर अपने पिता को मसाजर गिफ्ट किया. मसाजर से रोहित के पिता की तकलीफ दूर हो गई और रोहित को यह खुशी हुई कि उस ने अपने पिता के लिए कुछ किया.

दरअसल, कई बार नौकरी व व्यवसाय की भागदौड़ में हम उन की परेशानियों और जरूरतों को समझ नहीं पाते. ऐसे में छोटीछोटी बातों से कुछ ऐसा करें जिन से वे खुश रहें, वे खुश रहेंगे तो आप भी खुश रहेंगे.

बच्चों को समय देने का वादा : बच्चे हमारे जीवन की सब से बड़ी पूंजी होते हैं. उन के विकास के लिए हम उन्हें अच्छी शिक्षा, सुखसुविधाओं के साथसाथ समयसमय पर उपहार दे कर उन्हें खुशियां देने का प्रयास करते हैं. लेकिन कई बार हम उन की सब से जरूरी जरूरत यानी उन्हें समय देना भूल जाते हैं, उन के साथ हंसीखुशी के पल बांटना भूल जाते हैं. पेरैंटिंग का सब से जरूरी नियम है बच्चों की भावनात्मक जरूरतों को समझना, उन के विचारों, मनोभावों को जानना.

स्वस्थ रहने का वादा : इस दीवाली आप खुद से एक वादा कीजिए कि आप अपने साथसाथ पूरे परिवार को फिट व हैल्दी रखने की जिम्मेदारी उठाएंगे यानी हैल्थ पर विशेष ध्यान देंगे.

देर से सोने व जागने की आदत को करेंगे अलविदा.

घर से बिना ब्रैकफास्ट किए नहीं निकलेंगे.

अतिरिक्त वजन घटाएंगे.

जंकफूड की जगह हैल्दी फूड को खानपान का हिस्सा बनाएंगे.

साल में 1 बार स्वास्थ्य जांच अवश्य कराएंगे.

मौर्निंग वाक और ऐक्सरसाइज को दिनचर्या का हिस्सा बनाएंगे.

ईकोफ्रैंडली दीवाली : जीवन से अंधेरे को दूर कर के रोशनी फैलाने वाले इस त्योहार पर आप खुद से वादा करें कि आप ‘सेव नेचर सेव लाइफ’ पर आधारित ईकोफ्रैंडली दीवाली मनाएंगे और पर्यावरण को प्रदूषणमुक्त रखने में अपना योगदान देंगे.

  1. दीवाली सैलिब्रेशन का समय निर्धारित कर के मात्र 3-4 घंटे ही दीवाली मनाएंगे.
  2. ईकोफ्रैंडली पटाखों का इस्तेमाल करेंगे, कैमिकल बेस्ड पटाखों का इस्तेमाल नहीं करेेंगे. बिजली की झालरों की जगह परंपरागत मिट्टी के दीयों का इस्तेमाल करेंगे. इस से बिजली की बचत होगी.
  3. रंगोली में प्राकृतिक रंगों का प्रयोग करेंगे, जैसे सफेद रंग के लिए चावल पाउडर, लाल रंग के लिए कुमकुम, पीले के लिए हल्दी वगैरह.
  4. घर की सजावट ताजे गेंदे व रजनीगंधा के फूलों से करेंगे. आम के पत्तों व गेंदे के ताजे फूलों की बंदनवार से घर सजाएंगे.
  5. पटाखे अकेले अपने परिवार के साथ छोड़ने के बजाय दोस्तों, रिश्तेदारों के साथ मिल कर छोड़ेंगे.

बचत का वादा : दीवाली के नजदीक आते ही जहां एक ओर बाजार व शौपिंग मौल रंगबिरंगे उपहारों व सजावटी सामानों से भर जाते हैं वहीं कंपनियां इस समय विभिन्न औफर्स ला कर ग्राहकों को लुभाने का प्रयास करती हैं. नतीजतन, लोगों में ‘मौका भी है और दस्तूर भी’ की राह पर शौपिंग का क्रेज उमड़ने लगता है, जो बाद में जेब व बजट दोनों पर भारी पड़ता है. इसलिए इस दीवाली में खुद से वादा कीजिए कि व्यर्थ की फुजूलखर्ची करने के बजाय किफायत से काम लेंगे.

वैसे, ध्यान रखिए कि स्मार्ट होममेकर स्मार्ट चीजें ही खरीदते हैं. इस दीवाली फुजूलखर्ची न कर के आप ने जो बचत की है उसे विभिन्न निवेश प्लान में लगा कर घर और परिवार के भविष्य को सुरक्षित करेंगे और बचत में समझदारी के वादे को पूरा करेंगे.

दोस्तों से वादा : आज की व्यस्त जिंदगी में रिश्तों के साथ दोस्त भी कहीं पीछे छूट जाते हैं. तो इस दीवाली अपनेआप से वादा कीजिए कि दोस्तों के हमेशा टच में रहेंगे. अपने हर सुखदुख उन के साथ बांटेंगे. टच में रहने के लिए आप मैसेजेस, सोशल नैटवर्किंग साइट्स के साथसाथ महीने में 1 बार वीकेंड पर और त्योहारों पर गेटटुगेदर पार्टी का सहारा ले सकते हैं. पार्टी का आयोजन आप घर पर कर सकते हैं, इस से बचत तो होगी ही साथ ही, दोस्तों का एकदूसरे के परिवार से मेलजोल बढ़ेगा. ऐसी पार्टियों से पुरानी यादें ताजा हो जाती हैं और माहौल खुशनुमा हो जाता है.

आडंबरों को न ढोने का वादा : दीवाली के दिन हर घर में जलने वाले दीये की रोशनी का उद्देश्य मन में छिपे व्यर्थ के अंधविश्वासों व आडंबरों को दूर करना है लेकिन व्यर्थ की पूजापाठ व पंडेपुजारियों के चक्कर में पड़ कर लोग मेहनत व ईमानदारी के बजाय ऐसे काम करते हैं जिन से वे अकर्मण्यता की ओर अग्रसर होते हैं. इस दीवाली आप वादा कीजिए कि आप अंधविश्वासों व आडंबरों के बजाय समाज की प्रगति में निवेश करेंगे. उदास चेहरों पर खुशियां ला कर दीवाली की जगमगाहट को और फैलाएंगे न कि व्यर्थ की परंपराओं को ढो कर खुशियों के त्योहार को बोझ बनाएंगे.

ये सारे वादे आप को न सिर्फ करने हैं बल्कि निभाने भी हैं. इन्हीं वादों के बीच एक वादा यह भी कि आप न सिर्फ दीवाली के दिन बल्कि हर दिन अपनेआप को प्रैजैंटेबल बनाए रखेंगे. खुद को खूबसूरत दिखने का कोई मौका न छोड़ेंगे. तो, इस तरह खुद से किए गए आप के ये वादे आप को सब की नजरों में प्रशंसा का पात्र बना देंगे और फिर आप को हर दिन हर पल खास नजर आएगा.

हर साल नई आशा नई चुनौती : हर बार की तरह दीवाली एक बार फिर आ गई है. घर सज गए हैं, बाजारों में रौनक हैं, सभी जम कर खरीदारी कर रहे हैं, नए कपड़े, घर की साजसजावट, उपहारों का आदानप्रदान हो रहा है लेकिन इन सभी के बीच हर साल कुछ चुनौतियां और कुछ नई आशाएं होती हैं कि यह दीवाली पिछली दीवाली से और अच्छी हो, सब के चेहरों पर खुशियों की रोशनी जगमगाए लेकिन यह तभी होगा जब हम कुछ खास बातों का ध्यान रखें :

सेहत का न निकालें दिवाला : हर साल दीवाली पर मिठाइयों में मिलावट के अनेक मामले सामने आते हैं. खोये में मैदा, सिंथेटिक दूध, डिटर्जेंट पाउडर, यूरिया, चांदी के वर्क की जगह एल्यूमिनियम फौयल, नकली रंग का कैमिकल, सस्ती सैक्रीन जो एक प्रकार का कैमिकल होती है, का प्रयोग किया जाता है. जिस में लोगों की सेहत के साथ खिलवाड़ होता है और खुशियों का त्योहार दुख के मातम में बदल जाता है. त्योहारों के अवसर पर ऐसे अपराध समाज के लिए चुनौती हैं और उम्मीद करते हैं कि ऐसे अपराध करने वाले लोग दूसरों की जिंदगियों से नहीं खेलेंगे.

पर्यावरण के लिए चुनौती : दीवाली के अवसर पर पटाखों का शोर और उन से निकलने वाले हानिकारक धुएं से न सिर्फ पर्यावरण संबंधी समस्याएं जन्म लेती हैं स्वास्थ्य समस्याएं भी बढ़ती हैं. डाक्टरों के अनुसार, 90 डैसीबल से अधिक तेज आवाज वाले पटाखे सुनने की शक्ति के लिए हानिकारक होते हैं जबकि दीवाली पर बिकने वाले अधिकांश पटाखे 120 डैसीबल से अधिक आवाज वाले होते हैं.

त्योहारों का रिश्ता सारे समाज से है उन्हें केवल निजी खुशियों तक सीमित न रख कर पूरे समाज के सुखदुख की दृष्टि से देखना ही लोगों के जीवन से अंधकार को दूर करेगा और जीवन में रंगों की रंगोली व खुशियों का प्रकाश फैलाएगा.

पटाखे जलाते समय इन 9 बातों का रखें ध्यान

दीवाली के त्योहार पर पटाखे जलाते समय सावधानी बरतनी बेहद जरूरी है, खासकर तब जब घर में बच्चे पटाखे फोड़ रहे हों. ऐसे में मातापिता यदि बच्चों के साथ न हों तो दुर्घटना कभी भी हो सकती है. लेकिन, अगर किसी तरह पटाखे फोड़ते वक्त शरीर का कोई हिस्सा जल जाए तो क्या करना चाहिए और क्या नहीं, बता रहे हैं दिल्ली स्थित विनायक स्किन ऐंड कौस्मेटोलौजी क्लिनिक के त्वचा विशेषज्ञ डा. विजय कुमार गर्ग.

  1. पटाखे जलाते समय शरीर का कोई हिस्सा जल जाए तो जल्द से जल्द क्या करना चाहिए, इस के लिए पहले यह जान लेना जरूरी है कि जलने का प्रकार क्या है. एक होता है माइनर बर्न जो छोटे साइज का बर्न है जिस से स्किन लाल पड़ जाती है या एकआधा छाला हो जाता है. इस तरह के माइनर बर्न्स में जल्द से जल्द ठंडे पानी में हाथ डाल देना चाहिए. इस से राहत मिलेगी.

2.  दूसरा, कोई भी एंटीसैप्टिक क्रीम लगा लेनी चाहिए. सिल्वर सल्फाडाइजीन एंटीसैप्टिक क्रीम है जो  साधारणतया इस्तेमाल किया जाने वाला ड्रग है. इसे जल्द ही लगाने से फायदा पहुंचता है.

4. कुछ लोग जले पर बरनौल, मेहंदी, टूथपेस्ट आदि लगा लेते हैं जोकि नहीं लगाना चाहिए. लोग बर्फ भी लगाते हैं जिसे लगाने में कोई बुराई तो नहीं है लेकिन पानी से जितना फायदा पहुंचता है उतना बर्फ से नहीं पहुंचता. बर्फ से रक्त का थक्का बन सकता है. हां, यदि उस बर्फ को किसी पौलिथीन में डाल कर सिंकाई की जाए तो फायदा है.

5. पानी और बर्फ से होता यह है कि जलने वाले स्थान पर जो रैडनेस है उस की इन्फ्लेमैंशन को ये दोनों कम करते हैं.

6. बच्चों में अकसर पटाखों से या तो हाथ जलता है या चेहरा. यदि ज्यादा जला है तो प्लास्टिक रैप से जले स्थान को कवर कर अस्पताल पहुंचा जाए और किसी क्वालिफाइड डाक्टर से ट्रीटमैंट कराया जाए. प्लास्टिक रैप से सैकंडरी इन्फैक्शन होने की संभावना कम हो जाती है.

7. प्लास्टिक रैप जोकि आसानी से मैडिकल की दुकान पर मिल जाता है, घाव पर ढीला रैप करने से चिपकता नहीं है और इस से घाव के इन्फैक्टेड होने का खतरा भी कम हो जाता है.

8. यदि जलने का अनुपात बहुत ज्यादा है, बहुत सारे छाले हो गए हैं या स्किन काफी ज्यादा जल गई है तो जल्द से जल्द अस्पताल में  भरती कराने की सलाह है. क्योंकि एंटीबायोटिक तो चाहिए ही, पेनकिलर भी चाहिए, ये सब रोगी की मेजर जरूरत हैं.

9. एक और महत्त्वपूर्ण बात यह है कि जब पटाखों का धुआं आंखों में जाए और इरिटेशन होने लगे तो उसे भी ठंडे पानी से साफ कर लेना चाहिए. इस से फायदा मिलता है. चेहरे पर पटाखों के धुएं और धूल से होने वाली किसी भी तरह की एलर्जी को एवौएड करने के लिए साबुन और पानी से मुंह को अच्छी तरह धोएं. इस के अलावा कुछ न करें.

10. स्किन जलने पर यदि छाला हो तो उसे फोड़ने की कोशिश न करें, वह एक से दो दिन में खुद ही बैठ जाएगा. छाले फोड़ने से स्किन ओपन हो जाती है और उस में इन्फैक्शन हो जाता है. कभीकभार जब छाला काफी बड़ा हो और उस में पानी भर जाए तो उसे फोड़ देने से पानी निकल जाता है और स्किन उस के ऊपर बैठ जाती है जिस से इन्फैक्शन के चांसेस कम होते हैं.

Diwali 2022: वातावरण को शुद्ध बनाएं व जीवन मे खुशियां लाएं  

त्योहारों का सीजन शुरू हो गया है. सभी के घरों मे त्योहारों की तैयारी जोरों पर है. लोग घरों की साफ सफाई में जुट गए हैं या शौपिंग करने मे बिजी है. त्यौहारों के सीजन में  हर कोई अपने दोस्तों, रिश्तेदारों से भी मिलने जाते हैं. ऐसे में लोगों के रिश्तों मे मिठास बढ़ती है. लेकिन इस त्यहारों के सीजन में एक और चीज बढ़ रही है जिसकी कोई परवहा नहीं कर रहा है और वो है हमारे आस पास बढ़ता हुआ प्रदूषण का स्तर. चाहे वो धुआं हो, प्लास्टिक कचरा या पटाखों से बढ़ता प्रदूषण. दिवाली से पहले ही आकाश में प्रदूषण के धुंध की चादर फैली हुई है. दिवाली के त्योहार पर बढ़ते प्रदूषण का स्तर आपकी सेहत के लिए खतरा ना बन जाए इस बात को ध्यान में रखते हुए हम कुछ जरूरी टिप्स बता रहे है जिससे आप अपने आस पास प्रदूषण को बढ़ने से बचा सकते हैं.

करो कुछ ऐसा जो प्रकृति को भाए

  • दिवाली पर सब साफ सफाई में जुट जाते हैं. सफाई करते समय ध्यान रखें की अगर आपके पास कोई प्लास्टिक का ऐसा कचरा है जिस को हम किसी न किसी तरह  दोबारा इस्तेमाल कर सकते है तो उसे फेकें नहीं. उससे आप अपने घर की सजावट का सामान बना सकते हैं या उसमे पौधे लगा सकते हैं. जिससे आप वातावरण को भी शुद्ध बना सकते हैं और प्लास्टिक का दोबारा अच्छे तरीके से इस्तेमाल भी कर सकते हैं. क्योंकि प्लास्टिक मिट्टी के उपजाऊपन को नुकसान पहुंचाता है और ये आसानी से नष्ट नहीं होता है.
  • दुकानदार और खरीदार अभी भी प्लास्टिक के बैग का इस्तेमाल कर रहे हैं. पर्यावरण संरक्षण में छोटा सा योगदान देते हुए खरीदार कपड़े के या जूट के बने बैग का इस्तेमाल कर सकते हैं. गिफ्ट रैप करने के लिए भी बड़े पैमाने पर प्लास्टिक रैपर का इस्तेमाल होता है. पेपर से बने या ग्रीन फैब्रिक से बने रैपर का इस्तेमाल करें या ब्राउन बैग का भी इस्तेमाल कर सकते हैं.
  • दिवाली पर हर कोई पटाखे जलता है. पटाखों का जहरीला धुंआ स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है और आसमान में भी धुंध सा छा जाता है, और यह वायु प्रदूषण को इतना ज्यादा बढ़ा देता है कि लोगों को मास्क के बिना घर से निकल पाना मुश्किल होता है. इसलिए पटाखों से दूरी बनाये और आप दूसरों को भी पटाखें ना खरीदने को लेकर जागरूक करें.
  • दीवाली को रोशनी का त्योहार कहा जाता है. लोग इस दिन घरों, औफिस और धार्मिक जगहों पर लड़ियां व मोमबत्ती जलाते हैं. इस बार मोमबत्ती की जगह दीए जलाएं. दरअसल, मिट्टी के बने दिए बायोडिग्रेडेबल होते हैं, जिससे पर्यावरण को भी कोई नुकसान नहीं होता. और हो सके तो दिए रोड पर बैठे गरीब लोगों से खरीदें  न की दुकानदारों से आपकी खरीदारी उनके घर को रोशन कर सकती हैं.
  • दीवाली के दिन लोग अपने घर को  प्लास्टिक के फूलों से सजाते हैं. आप  प्लास्टिक की जगह फूलों की माला से डेकोरेशन कर सकते हैं. जो कि बहुत खूबसूरत दिखती है और साथ ही प्लास्टिक के इस्तेमाल से भी दूर रखती है.
  • यदि आपके घर मे मिठाई ज्यादा हैं तो किसी गरीब को दें. और हो सके तो कपड़े व खाना गरीबों में भेट करें जिससे वो भी अपना त्यौहार खुशी से मना सकें. ऐसा करने से आपको भी बेहद खुशी व सुकून मिलेगा.

Diwali 2022: दीवाली का पाखंड- पढ़िए दीवाली के पाखंडों का पूरा बहीखाता

हमारे देश में दीवाली के अवसर पर लक्ष्मी यानी धन पाने के लिए तरहतरह के ढकोसले किए जाते हैं. यज्ञहवन से ले कर तांत्रिक क्रिया भी करवाते हैं. दीवाली को ले कर लोगों के मन में कई तरह की मान्यताएं बनी हुई हैं जिस में से एक यह भी है कि दीवाली के दिन तांत्रिक क्रिया के जरिए अपनी बलाएं टाली जा सकती हैं. कुछ लोग दीवाली की रात लक्ष्मी की मूर्ति के आगे मूषक की बलि देते हैं, इस के पीछे यह अंधविश्वास है कि ऐसा करने से साल भर उन्हें भूतपिशाच से मुक्ति मिल जाएगी. सिर्फ यही नहीं, घर की गरीबी को दूर करने के लिए भी अलगअलग कर्मकांड देश के कई हिस्सों में किए जाते हैं. दीवाली के दिन लक्ष्मीगणेश पूजन का इतना महत्त्व दिया जाता है कि इस के लिए लोग पैसे को पानी की तरह बहाते हैं. व्यापारी वर्ग गद्दी पूजा के साथ अपने बहीखातों की भी पूजा करते हैं. लोगों में ऐसी मान्यता भी है कि जो लक्ष्मी पूजन पर जितना ज्यादा पैसा खर्च करता है. लक्ष्मी खुश हो कर उस पर उतने ही धन की वर्षा करती हैं. इस धारणा के चलते ही लाखों परिवार पंडितों का पेट भरते हैं. धर्मभीरु लोग लक्ष्मीगणेश की मूर्ति के सामने हाथ जोड़ कर गिड़गिड़ाते हुए धन, समृद्धि और कल्याण की कामना करते हैं. यही नहीं वे रात भर लक्ष्मी के स्वागत के लिए देशी घी का दीपक जलाते हैं ताकि लक्ष्मी रात में आ कर उन की दौलत को दोगुनाचौगुना कर दें.

कुछ लोग इसी कारण दीवाली के दिन अपने घर का दरवाजा खुला रखते हैं कि लक्ष्मी नाराज हो कर कहीं चली न जाएं. ये सारी कवायद तथाकथित धनदेवी लक्ष्मी को खुश करने के लिए की जाती है. शायद यही वजह है कि लोग लक्ष्मी के आगे शंख और घंटेघडि़याल बजाते हैं कि वह धन की देवी है, अगर खुश हो गई तो पौबारह, रात में आ कर सोना बरसा जाएगी तो आराम से उम्र भर खाएंगे और मौज करेंगे. एक और अंधविश्वास कि धनतेरस पर नया बरतन खरीदना चाहिए क्योंकि धन देवी लक्ष्मी धातु पर विराजमान हो कर घर को धनसंपत्ति से भर देती हैं. इस दिन सब से अधिक जुआ खेला जाता है. जो लोग कभी जुआ नहीं खेलते वे भी इस दिन रीति, परंपरा या लक्ष्मी की प्रसन्नता के नाम पर जुआ खेलते हैं.

अब सवाल यह उठता है कि दीवाली को ही ये सारे कर्मकांड क्यों किए जाते हैं? इस के पीछे यह धारणा है कि इस दिन विष्णु के साथ लक्ष्मी धरती पर विचरण करती हैं और जो पूजापाठ के जरिए उन्हें खुश कर देता है वह उन की सारी मनोकामनाएं पूरी कर देती हैं. शायद यही वजह है कि लोग इस दिन लक्ष्मीपूजन, हवन और दानदक्षिणा देते हैं. यदि हम लक्ष्मी पूजा के मंत्रों की बात करें, तो पंडितों के कहे अनुसार ऐसी मान्यता है कि लक्ष्मी के मंत्रों का जाप करने से हमें लक्ष्मी की कभी कमी नहीं होगी. दूसरे, अगर लक्ष्मी पूजन से हमारे सारे दुख दूर हो जाते और हम सुखी हो जाते, तो लक्ष्मी की पूजा एक दिन ही क्यों फिर तो पूरे साल की जानी चाहिए.

यह सब अंधविश्वास और ढकोसले भी पंडितों के द्वारा फैलाए गए हैं. पंडितों ने पूजा के लिए एक विशेष दिन बना रखा है. मायावी मंत्रों के जरिए लोगों को इस कदर जकड़ रखा है कि वे इस मकड़जाल में फंसते जाते हैं. उन्हें लगता है पंडित जो कह रहा है वह सच कह रहा है. सवाल उठता है कि अगर ऐसा होता, तो पंडित घरघर जा कर क्यों भटकता है, क्योंकि सब से ज्यादा लक्ष्मी का नाम तो वही लेता है. जब लक्ष्मी उस का ही भला नहीं कर सकती, तो आम जनता का भला क्या वह खाक करेगी. मजेदार बात तो यह है कि दूसरों को भूखे रहने की सलाह दे कर वह खुद उन के यहां भरपेट भोजन कर के आता है.

अब आप इस मंत्र को ही देखिए : अहं श्रुतिस्मृतिपुराणोक्तफलावाप्ति- कामनया ज्ञाता……….

इस संकल्प वाक्य को पढ़ कर जल को गणेशजी के पास छोड़ दें. इस के अलावा एक बानगी और देखिए कि गणेशजी की पूजा करने से पहले बाएं हाथ में अक्षत ले कर आप को एक मंत्र पढ़ना है और वह यह है : ॐ मनो जूतिर्जुषतामाज्यस्य बृहस्पति- र्यज्ञमिमं तनोत्वरिष्टं यज्ञ……….

इस मंत्र को पढ़ते हुए जल गणेश पर छिड़कना होता है और उस के बाद इस मंत्र को पढ़ते हुए फिर दाहिने हाथ से उस अक्षत को गणेश के पास छोड़ना है, लेकिन यह बात समझ से बाहर है कि चार बूंद जल गणेश को छिड़कने से क्या हो जाएगा? एक तो इस का शुद्ध उच्चारण करना कठिन है इसलिए यह सिर्फ एक औपचारिकता है. गौर करने वाली बात यह है कि एक पत्थर की मूर्ति को शुद्ध करने के लिए इतना सब ढोंग किया जाता है और आप जिसे अक्षत कहते हैं वह चावल होता है जिसे यों ही बरबाद कर दिया जाता है. पत्थर की मूर्ति पर अक्षत के नाम पर जो चावल फेंका जाता है, जरा सोचिए कि इस तरह कितना चावल बरबाद किया जाता होगा. अगर एक परिवार 50 ग्राम भी चावल लक्ष्मी पूजा के नाम पर बरबाद करता है, तो देश में कितना अधिक चावल इस नाम पर बरबाद हो रहा है.

आज बिहार में आई कोसी में बाढ़ के कहर के चलते लाखों लोगों को ऐसे चावलों की दरकार है जो अक्षत के नाम पर बरबाद होते हैं. एक और मंत्र देखिए :

महालक्ष्म्यै नम:. पय:स्नानं समर्पयामि. पय:स्नानान्ते शुद्धोदकस्नानं समर्पयामि. अर्थात गो के कच्चे दूध से स्नान कराएं, पुन: शुद्ध जल से स्नान कराएं.

सवाल यह उठता है कि अपने देश में करोड़ों बच्चे भूख से बिलख रहे हैं, उन्हें पीने के लिए दूध तक नसीब नहीं होता. वहीं अंधविश्वास में डूबे ये पाखंडी हजारों लिटर दूध भगवान पर चढ़ाने के नाम पर नालियों में बहा देते हैं. क्या आप को नहीं लगता कि अगर इस दूध को यों बरबाद करने के बजाय किसी भूखे को पिला दिया जाए, तो आप का भगवान ज्यादा खुश होगा क्योंकि भगवान ही तो कहता है कि गरीब की मदद करो और भूखे को रोटी दो, फिर अगर आप ने वह दूध भगवान पर चढ़ाने के बजाय किसी भूख से बिलखते बच्चे को दे दिया तो क्या वह नाराज हो जाएगा? अगर नहीं तो फिर पंडितों की बातों में आ कर यह ढकोसला क्यों? यह मंत्र देखिए :

मन्दाकिन्यास्तु यद्वारि सर्वपापहरं शुभम्. तदिदं कल्पितं तुभ्यं स्नानार्थ प्रतिगृह्यताम्.

जहां तक बात शुद्ध पेय जल की है, तो यह तो सभी जानते हैं कि शुद्ध जल लोगों को पीने को नहीं है. अशुद्ध जल पीने के कारण लोग हैजे जैसी कितनी ही बीमारियों से घिरे रहते हैं. जब शुद्ध जल पीने को नहीं है तो फिर भगवान की मूर्ति पर चढ़ाने के लिए कहां से आएगा? जरा इस मंत्र को पढि़ए :

रत्नकङ्णवैदूर्यमुक्ताहारादिकानि च. सुप्रसन्नेन मनसा दत्तानि स्वीकुरूष्व भो:.

इस के बाद भी मंत्र चलता रहता है और आखिर में : ॐ महालक्ष्म्यै नम:. नानाविधानि कुण्डलकटकादीनि…

इस मंत्र का जाप कर आभूषण दान करने की बात कही जाती है. इन आभूषणों में सोना, चांदी आदि कुछ भी हो सकता है और जो भी चीज पूजा में चढ़ गई वह पंडित की हो जाती है. इसलिए वे जानबूझ कर और औकात देख कर वस्तु की मांग करते हैं. यह भी सच है कि अमीर जजमान के यहां जाना ये खासतौर से पसंद करते हैं क्योंकि वहां से चढ़ावा भी अच्छा मिलता है. वैसे इन पंडितों से पूछा जाए कि जिस के पास दान देने को कुछ नहीं वह क्या करे? तो इस पर इन का जवाब होता है कि हर व्यक्ति को अपने सामर्थ्य के अनुसार दान देना चाहिए. मतलब यह कि अगर गरीब हो तो भी दान करो, चाहे उस के लिए कर्ज ही क्यों न लेना पड़े. अब इस मंत्र को पढि़ए :

हिरण्यगर्भगर्भस्थं हेमबीजं विभावसो:. अनंतपुण्यफलदमत: शान्ति प्रयच्छ मे.

इस मंत्र का जाप करने के बाद यह मंत्र पढ़ें : ॐ महालक्ष्म्यै नम:, दक्षिणां समर्पयामि.

लगता है कि इस श्लोक को पढ़े बिना पंडितों का लक्ष्मी पूजन अधूरा है. ये लोग इस मंत्र को पूजा के बीचबीच में पढ़ते रहते हैं ताकि दक्षिणा मिलती रहे क्योंकि अगर सब से आखिर में पढ़ा तो हो सकता है कि दक्षिणा न मिले. इन की बुद्धिमत्ता देखिए कि ये मंत्रोच्चारण के बीच में कभी कलश पर कुछ दक्षिणा डालने की बात करते हैं, तोे कभी थाली में कुछ डालने की मांग करते हैं ताकि इन की झोली हरेक मंत्र के बाद भरती रहे. वैसे कार्य समापन पर दक्षिणा ये अलग से लेते हैं जो इन की पूजा कराने से पहले तय हुई है. यह सारा खेल है ही पंडितों का अपनी कमाई करने का. वैसे तो पूरे साल ये ढकोसले चलते रहते हैं लेकिन त्योहारों के अवसर पर खासतौर से इस का लाभ पंडितों को मिलता है.

एक अन्य मंत्र देखिए : ॐ सर्वा बाधा बिनर्मुक्तो धन धान्य सुतान्नित:

मनुष्यों मत: प्रसादेन भविष्यतिन शंसय:. लक्ष्मी माता सभी बाधाओं को दूर करने वाली होती है. धन, धान्य, पुत्र, परिवार सबकुछ सुलभ ही प्राप्त हो जाता है. मनुष्य को इस बारे में कोई शंका नहीं करनी चाहिए. इस संसार में जो लक्ष्मी को मानता है उसे धन की प्राप्ति होती है.

सिर्फ यही नहीं बल्कि कई मंत्रों मेंलोगों को यह बताया जाता है कि जो दिनरात पूजापाठ करता है उस का धन और वैभव बढ़ता ही जाता है लेकिन अगर धन आ जाने के बाद लक्ष्मी की पूजा नहीं करोगे, तो वह धन वापस ले लेगी. कई जगह यह भी कहा गया है कि जो जितना पूजापाठ करेगा उसे उतने ही अधिक धन की प्राप्ति होगी. यानी कि ज्यादा पूजा करने से लक्ष्मी की असीम कृपा होगी. अगर इस बात पर विश्वास किया जाए, तो सब से ज्यादा अमीर तो इन पंडितों को होना चाहिए लेकिन इन का ही कोई ठौरठिकाना नहीं होता तो आम जनता के लिए क्या कहा जा सकता है.

ऐसे एक नहीं कई मंत्र हैं जिन्हें पढ़ कर कुछ भी हासिल नहीं किया जा सकता. त्योहारों पर धार्मिक कर्मकांड दकियानूसी और पिछड़ेपन की इन्हीं मान्यताओं और ढकोसलों की वजह से बढ़ रहे हैं, दीवाली को महिमामंडित करने के लिए ही लक्ष्मी पूजन जैसी किताबों को लिखा गया है ताकि पंडेपुजारी इन कर्मकांडों के जरिए जनता के सामने नमकमिर्च लगा कर पेश कर सके और जनता त्योहार के नाम पर बेवकूफ बन कर इन पंडों की झोली भरती रहे.

Diwali 2022: दीवाली कभी पति के घर कभी पत्नी के मायके

मधु की शादी के बाद की पहली दीवाली थी. ससुराल में सब खुश थे. पूरे घर में चहलपहल थी. घर में नई बहू आई थी, सो ननद परिवार समेत दीवाली सैलिब्रेट करने आई थी. मधु ससुराल वालों की खुशी में खुश थी मगर उस के मन के एक कोने में मायके के सूने आंगन का एहसास कसक पैदा कर रहा था. वह एकलौती बेटी थी. शादी के बाद उस के मांबाप अकेले रह गए थे. मां की तबीयत ठीक नहीं रहती थी. वैसे भी, पहले पूरे घर में उस की वजह से ही तो रौनक रहती थी. अब उस आंगन में कौन दौड़दौड़ कर दीये जलाएगा, यह एहसास उस के दिल के अंदर एक खालीपन पैदा कर रहा था.

मधु ने पति से कुछ कहा तो नहीं, मगर उस के मन की उदासी पति से छिपी भी न रह सकी. पति ने मधु से रात 9 बजे के करीब कार में बैठने को कहा. मधु हैरान थी कि वे कहां जा रहे हैं. गाड़ी जब उस के मायके के घर के आगे रुकी तो मधु की खुशी का ठिकाना न रहा. घर में सजावट थी पर थोड़ीबहुत ही. वह दौड़ती हुई अंदर पहुंची. मां बिस्तर पर बैठी थीं और पापा किचन में कुछ बना रहे थे. अपनी लाड़ली को देखते ही दोनों ने उसे गले लगा लिया. बीमार मां का चेहरा खुशी से दमकने लगा. दोनों करीब 1 घंटे वहां रहे. घर को रोशन कर जब वापस लौटे तो मधु का दिल पति के प्रेम में आकंठ डूबा हुआ था.

खुशियों के त्योहार दीवाली का आनंद पूरे परिवार के साथ मनाने में आता है.  एक लड़की के लिए उस का मायका और ससुराल दोनों ही महत्त्वपूर्ण होते हैं.  शादी के बाद उसे अपनी ससुराल में ही दीवाली मनानी होती है और तब वह अपनी मां के हाथों की मिठाई व भाईबहनों की चुहलबाजियां बहुत मिस करती है.  आज जबकि परिवार वैसे ही काफी छोटे होते हैं, दीवाली में सब के साथ मिल कर ही खुशियां बांटी जा सकती हैं.

शरीर से स्त्री भले ही ससुराल में हो  पर उस के मन का कोना मायके की याद में गुम रहता है. क्यों न इस दीवाली की रोशनी हर आंगन में बिखेरें. कभी पति की ससुराल तो कभी पत्नी की ससुराल खुशियों से आबाद करें.

कहां मनाएं दीवाली

आमतौर पर शादी के बाद की पहली दीवाली रिश्तों को बनाने और उन्हें रंगों से सजाने में खास महत्त्वपूर्ण होती है. यह दिन ससुराल में ही बीतना चाहिए ताकि नई बहू के आने की खुशी दोगुनी हो जाए. पर ध्यान रहे आप की बहू किसी घर की बेटी भी है. वह आप के घर में रौनक ले कर आई है पर उस का मायका सूना हो चला है. तो क्यों न पत्नी के मायके को भी नए दामाद के आने की खुशी से रोशन किया जाए.

यदि पत्नी का मायका और ससुराल एक ही शहर में हैं तो दोनों परिवार मिल कर भी दीवाली मना सकते हैं. इस से दोनों परिवारों को आपस में घुलनेमिलने का मौका मिलेगा और बच्चे भी दोनों परिवारों से जुड़ सकेंगे. दोनों घरों की खुशियों के लिए यह भी किया जा सकता है कि पतिपत्नी दोचार घंटे के लिए बच्चों को नानानानी के पास छोड़ आएं.

यदि दोनों घर अलगअलग शहरों में हैं तो पतिपत्नी बच्चों को ले कर एक दीवाली ससुराल में तो दूसरी मायके में मना सकते हैं.

आजकल कई घरों में एकलौती  बेटियां होती हैं. ऐसे में लड़की के मायके वाले यानी उस के मांबाप को भी हक  है कि वे अपनी बेटी और उस के बच्चों के साथ अपने जीवन की खुशियां बांटें.

जब पति दीवाली में अपनी ससुराल जाए तो दामाद के बजाय बेटे की तरह जाए.  अपनी आवभगत  कराने के बजाय इस बात का खयाल ज्यादा रखे कि सासससुर के लिए तोहफा क्या ले जाना है या मिठाइयों, कपड़ों, पटाखों और सजावटी सामानों का बढि़या इंतजाम कैसे किया जाए या घर को इस दिन कैसे अधिक खूबसूरत बनाया जाए या फिर सासससुर के स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं कैसे दूर की जाएं.

पति की ससुराल का अर्थ है पत्नी के मांबाप का घर. जब पत्नी पति के मांबाप को अपने मांबाप और उस के घर को अपना घर मान सकती है तो पति क्यों नहीं? आखिर मांबाप तो लड़के के हों या लड़की के, उतने ही प्यारदुलार और केयर के साथ अपने बच्चों का पालनपोषण करते हैं. तो क्या लड़की के मांबाप को  बुढ़ापे में अपने बच्चों का प्यार और साथ पाने का हक नहीं है?

झगड़े दूर करें

यदि किसी बात को ले कर दोनों घरों में किसी भी तरह का मनमुटाव है तो दीवाली के मौके पर उसे जरूर दूर कर दें. परस्पर आगे बढ़ने और खुशियों को बांटने से ही जीवन सुखद बनता है.

Diwali 2022: जीवनसाथी के साथ स्वस्थ और मस्त दीवाली

रोशनी का त्योहार दीवाली यानी चारों ओर जगमगाहट, घर की खास साजसजावट की तैयारियां, दोस्तों, रिश्तेदारों के लिए उपहारों की खरीदारी, खानपान में सबकुछ खास. आप कहेंगे ये सब तो हम हर साल ही करते हैं, इस में नया क्या है. आप ने सही कहा, ये सब तो आप हर साल ही करते हैं. इसीलिए इस दीवाली इस सब के अलावा आप की दीवाली को स्वस्थ और मस्त बनाने के लिए हम आप को कुछ ऐसा करने को कह रहे हैं कि जिस से आप की दीवाली रोशन होने के साथसाथ यादगार भी बन जाएगी. आइए आप को बताते हैं कि आप को क्या करना और कैसे करना है.

दिन को करें रोशन

दीवाली की सारी तैयारियों, मेहमानों की आवभगत और अन्य कामों के बीच आप को निकालने हैं अपने लिए दिन के 2 घंटे और इस 2 घंटे में आप के साथ सिर्फ और सिर्फ होंगे आप के पति. उस दौरान आप दोनों के बीच और कोई नहीं होगा. यकीन मानिए इन 2 घंटों में बिताए गए एकदूसरे के साथ के अंतरंग पल हमेशा के लिए यादगार पल बन जाएंगे. दूसरे लोगों के लिए तो दीवाली रात को रोशन होती है लेकिन आप दोनों के लिए आप का दिन भी एकदूसरे के साथ बिताए खुशनुमा लमहों से रोशन हो जाएगा.

आइए, जानते हैं अंतरंग पलों के इस खास साथ के लिए आप को क्या खास तैयारी करनी है :

डैकोरेशन :  वह जगह जहां आप को एकदूसरे के साथ 2 घंटे बिताने हैं, दिन को रोशन करना है, खास होना चाहिए, इसलिए उसे डैकोरेट करें.

रोशनी से जगमगाए कमरा : पूरे कमरे को सैंटेड ऐरोमैटिक कैंडल्स की रोशनी से सराबोर कर दें. कमरे के हर कोने को जगमगाती कैंडल्स से सजाएं. आप चाहें तो कमरे में हार्टशेप्ड पेपर लैंटर्न भी लगा सकते हैं. जिस से छन कर आती रोशनी आप के प्यार भरे पलों को और रोमांच से भर देगी.

महके कमरे का हर कोना : कमरे को रोमानी बनाने के लिए कमरे को ताजे लाल गुलाब, कारनेशन व रजनीगंधा के फूलों से सजाएं. इस महकते कमरे को देख कर आप को यकीनन अपनी सुहागरात यानी फर्स्ट नाइट याद आ जाएगी और साथ ही याद आ जाएंगे पहले के एकदूसरे के साथ बिताए अंतरंग पल.

फर्निशिंग : कमरे के बैडकवर, परदे, कुशंस सभी हों सिंबल औफ लव वाले यानी जिन्हें देखते ही आप एकदूसरे में खो जाएं. रैड हार्टशेप्ड वाले कुशंस, रैड इरोटिक इमेजवाला बैडकवर आप का मूड बनाने करने में मदद करेगा.

खुद भी चकमें दमकें : घर की साजसजावट तो आप ने अच्छे से कर ली, अब बारी है आप दोनों के सजनेसंवरने की. इन खास पलों के लिए खुद का सौंदर्यीकरण करवाएं. चाहें तो पार्लर या स्पा जा कर खुद को रिफ्रैश करें. इस से आप नई ताजगी से भरपूर होंगे. इन सब तैयारियों से आप दोनों का प्यार एकदूसरे के लिए दोगुना हो जाएगा और आप दोनों एकदूसरे की खूबसूरती में खो जाएंगे. साथ ही, उन खास पलों के लिए हौट सैक्सी लिंगरी की शौपिंग करना न भूलें.

फूड से बनाएं मूड :  उन 2 घंटों के साथ के लिए कुछ स्पैशल फूड, जैसे चौकलेट, चौकलेट केक, आइसक्रीम, रंगबिरंगे मौकटेल तैयार रखें. ध्यान रहे, खाने की सभी चीजें ऐसी हों कि आप दोनों के दिल की बात फूड के जरिए एकदूसरे तक पहुंच जाए और आप उन पलों का भरपूर मजा ले सकें.

रोमांटिक नोट्स :  एकदूसरे के साथ इन पलों को रोमांटिक बनाने के लिए कमरे में जगहजगह रंगबिरंगे पेपर्स पर एकदूसरे के लिए रोमांटिक मैसेजेस वाले लवनोट्स लिख कर रख दें. इन्हें पढ़ कर प्यार के ये पल और मस्तीभरे हो जाएंगे. ऐसा कर के एकदूसरे को सरप्राइज करें. ये लवनोट्स आप दोनों को सैक्सुअल प्लेजर देने का काम करेंगे.

एकदूसरे में खो जाएं : सामान्य दिनों से अलग आप ने अपने मिलन की खास तैयारी तो कर ली जहां कोई आप को डिस्टर्ब नहीं करेगा. आप दोनों पूरे 2 घंटे तक एकदूसरे के साथ रहेंगे. अब इन लमहों को खास बनाने के लिए अपनाएं ये टिप्स-

शुरुआत करें छेड़छाड़ से :  सैक्सोलौजिस्ट मानते हैं कि जहां प्यार में छेड़छाड़ होती है वहां प्यार अधिक गहरा होता है. इसलिए सैक्स की शुरुआत छेड़छाड़ और फ्लर्टिंग से करें ताकि सैक्स का पूरा फायदा उठाया जा सके. पतिपत्नी के बीच सैक्स से पहले फ्लर्टिंग उन के उत्साह को बढ़ाती है जिस से सैक्स करते समय बोरियत नहीं होती और नयापन बना रहता है. छेड़छाड़ के दौरान पत्नी को चाहिए कि वह पति को अपनी अदाओं से रिझाए ताकि पति खुल कर इस मौके का लुत्फ ले सके. आप चाहें तो इस दौरान अपने खुशनुमा सैक्स पलों को याद कर सकते हैं या फिर कोई शौर्ट रोमांटिक मूवी साथ में देख सकते हैं ताकि सैक्स के लिए मूड बन सके. ध्यान रहे, इस दौरान आप दोनों का ध्यान पूरी तरह एकदूसरे पर ही रहे व आप इधरउधर की बातों के बजाय सिर्फ और सिर्फ सैक्स व रोमांस की बातें करें. सैक्स गेम खेलें और खुल कर मजा लें. आंखों ही आंखों में बातें करें ताकि साथ में बिताए ये पल हमेशा के लिए आप दोनों की यादों में बस जाएं.

हर पल को रोमानी बनाएं : चूंकि आप दोनों एकदूसरे से अनजान नहीं हैं, इसलिए बिना समय गंवाए एकदूसरे के जिस्म के हौट पार्ट्स के साथ खेलें और प्यार के उन पलों को यादगार बनाएं. प्यार के उन पलों में जब आप एकदूसरे के साथ हों तो ध्यान रखें आप किसी और चीज के बारे में न सोचें और जीभर एकदूसरे को सैक्सुअल प्लेजर दें.

दीवाली के दिन 2 घंटों का प्यारभरा यह साथ न केवल आप के आपसी रिश्तों को खुशनुमा बनाएगा बल्कि आप की दीवाली को यादगार भी बना देगा. दीवाली को नए तरह से मनाने का यह तरीका आप दोनों की बोरियतभरी जिंदगी में प्यार की फुलझडि़यां जलाएगा और आप के सैक्सुअल रिश्तों को नएपन की मिठास से भरेगा.

तो फिर, तैयार हैं न आप, दीवाली की रात में, नहींनहीं दिन में, हमतुम एक कमरे में बंद हों… गुनगुनाते हुए स्पैशल तरीके से एकदूसरे के साथ दीवाली मनाने के

लिए. हमें पूरा विश्वास है कि इस अनोखे तरीके से दीवाली मनाने के बाद आप हमें मन ही मन थैंक्स जरूर कहेंगे.

Diwali 2022: अबकी दीवाली मनाएं कुछ हट के

संध्या हर साल दीवाली का त्योहार अपने परिवार के साथ ही मनाती थी. वही शाम को पूजा-अर्चना, फिर घर-बाहर की दीया-बत्ती, पटाखे, खाना-पीना, पड़ोसियों-दोस्तों में मिठाईयों का आदान-प्रदान और बस लो मन गयी दीवाली. एक बारं संध्या कम्पनी के काम से लालपुर गयी थी. जिस औफिस में उसको काम था, उसके बगल वाली बिल्डिंग के लौन में उसने बहुत सारे नन्हें-नन्हें बच्चों को खेलते देखा था. पहले तो उसको लगा कि कोई छोटा-मोटा स्कूल है, मगर वहां लगे एक धुंधले से बोर्ड पर जब उसकी नजर पड़ी तो पता चला कि वह एक अनाथाश्रम है. लंच टाइम में फ्री होने पर संध्या उस अनाथाश्रम को देखने की इच्छा से भीतर चली गयी. दरअसल बच्चों के प्रति उसका खिचांव ही उसे वहां ले गया. बरसों से उसकी कोख सूनी थी. शादी के दस साल तक एक बच्चे की चाह में उसने शहर के हर डौक्टर, हर क्लीनिक के चक्कर लगा डाले थे, हर तरह की पूजा-पाठ कर ली थी, मगर उसकी मुराद पूरी नहीं हुई. धीरे-धीरे उसने अपना मन काम में लगा दिया और उसकी मां बनने की इच्छा कहीं भीतर दफन हो गयी. मगर उस दिन उन छोटे-छोटे बच्चों को लॉन में खेलता देख उसकी कामना फिर जाग उठी.

अनाथाश्रम में जीरो से सात सात तक के कोई पच्चीस बच्चे थे. बिन मां-बाप के बच्चे. जिन्हें पता ही नहीं कि परिवार क्या होता है. मां-बाप का प्यार क्या होता है. वे तो यहां बस आयाओं के रहमो-करम पर पल रहे थे. उनके इशारे पर उठते-बैठते, सोते-जागते और खेलते-खाते थे. संध्या ने देखा कि कुछ बच्चे यहां-वहां पड़े रो रहे थे, मगर उनको उठा कर छाती से चिपकाने वाला कोई नहीं था. आयाएं अपनी बातों में मशगूल थीं. संध्या ने अनाथाश्रम चलाने वाले के बारे में पूछा तो पता चला कि वह शनिवार को आते हैं और दोपहर तक रहते हैं. बाकी दिनों में अनाथाश्रम का सारा जिम्मा वहां काम करने वाली चार आयाएं ही उठाती थीं.

उस दिन के बाद से संध्या अक्सर ही उस अनाथाश्रम में जाने लगी थी. वह जगह उसके घर से ज्यादा दूर नहीं थी. एक शनिवार जाकर वह अनाथाश्रम के मालिक से भी मिल आयी थी और उन्होंने संध्या के वहां आने और बच्चों के साथ वक्त गुजारने पर कोई आपत्ति भी नहीं जाहिर की थी. दरअसल संध्या एक बड़ी कम्पनी में अच्छी पोस्ट पर काम कर रही थी. जिसका हवाला देने पर अनाथाश्रम के मालिक पर काफी प्रभाव पड़ा था. जब संध्या ने उनसे कहा कि वह बच्चों की जरूरत की चीजें डोनेट करना चाहती है, तो यह सुनकर वह खुश हो गये थे. संध्या जल्दी ही उन नन्हें-नन्हें बच्चों के साथ घुलमिल गयी थी. संडे की शाम तो वह उन बच्चों के लिए ही खाली रखने लगी थी और बच्चे भी उसके आने का इंतजार करते थे क्योंकि वह जब भी आती थी उनके लिए चॉकलेट्स, बिस्कुट, फल और चिप्स आदि के ढेर सारे पैकेट्स लेकर आती थी.

दीवाली आने वाली थी. संध्या ने अबकी दीवाली अलग तरह से मनाने का फैसला किया था. अपनी योजना से उसने जब अपने पति और परिवार के दूसरे सदस्यों को अवगत कराया तो वह भी खुशी-खुशी उसके फैसले में शामिल हो गये. योजना था कि इस बार की दीवाली सपरिवार अनाथाश्रम के बच्चों के साथ मनाएंगे. संध्या की ननद तो उनकी योजना के बारे में सुनकर खुशी से नाच उठी. हर साल एक जैसी दीवाली मनाने से यह योजना बहुत हट कर थी. दीवाली के दो दिन पहले ही संध्या और उसकी ननद बाजार से ढेर सारे पटाखे, दीये, मिठाइयां, चौकलेट्स, फल आदि खरीद लाये थे. दीवाली के साथ-साथ जाड़ा भी दस्तक दे देता है, इसको देखते हुए संध्या ने छोटी-छोटी पच्चीस दुलाइयां भी खरीद ली थीं. वहां की आयाओं के लिए साड़ियां और मिठाइयां अलग से पैक करवा ली थीं. घर के दूसरे सदस्यों ने भी संध्या की योजना में खूब हाथ बंटाया. दीवाली वाले दिन जब संध्या की सास ने उसके सामने एक बड़ा सा बैग खोला तो उसमें चार-पांच कम्बल, नन्हें-नन्हें मोजे, टोपे, स्वेटर्स, तौलिये, पाउडर के डिब्बे, सोप वगैरह देखकर तो संध्या खुशी के मारे अपनी सास के गले लग गयी. इन सब चीजों की तो उन बच्चों को बहुत जरूरत थी. पता नहीं मां और बाबू जी कब चुपके-चुपके जाकर इतनी सारी खरीदारी कर आये थे. संध्या के पति ने भी कमाल कर दिया. शौपिंग से हमेशा दूर रहने वाले पतिदेव टोकरी भर के खिलौने खरीद लाए थे.

दीवाली वाले दिन शाम को तीन बजे संध्या का पूरा परिवार सारे सामान के साथ अनाथाश्रम की ओर रवाना हो गया. अनाथाश्रम के गेट पर जैसे ही संध्या की गाड़ी रुकी, अन्दर शोर सा मच गया – संध्या दीदी आ गयीं, संध्या दीदी आ गयीं चिल्लाते एक आया भागती हुई गेट पर पहुंच गयी. उसके पीछे कई बच्चे भी भागते आये. सारे आकर संध्या से लिपट गये. संध्या के सास-ससुर, पति और ननद यह नजारा देखकर भावुक हो उठे. संध्या ने सबका परिचय वहां के लोगों से करवाया. उस दिन अनाथाश्रम के मालिक भी अपने परिवार के साथ वहां उपस्थित थे. सबने मिलकर पूरे अनाथाश्रम में दीये और मोमबत्तियां लगायीं. बच्चे तो इतने सारे लोगों को अपने बीच देख कर बेहद उत्साहित थे. संध्या ने सारे बच्चों को इकट्ठा करके एक मजेदार कहानी भी सुनायी. फिर कई तरह के खेल खेले गये. बच्चों को जब उनके मनपसंद तोहफे मिले तो वह खुशी से झूम उठे. किसी को गुड़िया, किसी को बत्तख, किसी को बंदर तो किसी को हाथी. बच्चे एक दूसरे को अपने खिलौने दिखाते घूम रहे थे. आज पूरा अनाथाश्रम खुशी के अलग ही रंग में रंगा हुआ था. बच्चे संध्या को छोड़ते ही न थे. कोई उसकी गोद में बैठा चौकलेट खा रहा था तो कोई उसकी पीठ पर झूल रहा था. संध्या की ननद भी जब से आयी थी उनके साथ खेलने में मशगूल थी. शाम को सबने एक साथ मिलकर दीवाली की पूजा की. फिर पटाखों का डिब्बा निकाला गया और बाहर के लौन में खूब जम कर पटाखे छुड़ाए गये. खूब रोशनी की गयी. बड़े बच्चों के हाथों में फुलझड़ियां भी दी गयीं. बच्चों को मिठाइयां, फल और चौकलेट्स बांटे गये. सच पूछो तो अबकी दीवाली संध्या के परिवार के लिए ही नहीं, बल्कि अनाथाश्रम के बच्चों, आयाओं और उसके मालिक के लिए भी बिल्कुल नयी और अनोखी थी.

रात को सबने इकट्ठा होकर खाना बनवाने में मदद की और खाने के बाद जब संध्या ने बच्चों के लिए लाए जरूरी सामान का बैग खोला तो अनाथाश्रम के मालिक भावुक होकर बोल पड़े – बहनजी, अगर शहर के कुछ अन्य लोग भी आपकी तरह का दिल रखते तो यह बच्चे अनाथ न कहलाते. हम अपनी हैसियत भर जो हो सकता है, इन बच्चों के लिए करते हैं मगर वह कम ही पड़ता है. जिस तरह आप इन बच्चों से जुड़ी हैं, इनको अपनापन दिया है, इनकी जरूरतों को समझा है, ऐसा कोई कोई ही समझता है. अपना त्योहार हमारे इन बच्चों के साथ मनाना बहुत बड़ी बात है और आप इनके लिए जो तोहफे और जरूरत का सामान लायी हैं वह हमारे लिए बहुत बड़ी मदद है.

तब से संध्या हर साल दीवाली और होली इन्हीं नन्हें-मुन्नों के साथ मनाती है और इसमें हर साल उसके परिवार वाले भी शामिल होते हैं. क्या आपका दिल नहीं चाहता रुटीन से हट कर कुछ करने का? किसी के चेहरे पर मुस्कान बिखेरने का? सच्ची और असली खुशी पाने का? अगर करता है तो अपने खींचे हुए दायरों से बाहर निकलें. घर से बाहर निकलें. अपने आसपास नजर डालें. कितने वृद्धाश्रम हैं जहां मौत की कगार पर बैठे बूढ़ों की बुझती आंखों में आप अबकी त्यौहार में खुशियों की चमक पैदा कर सकते हैं. कितने अनाथाश्रम हैं जहां बच्चों को एक पैकेट फुलझड़ी की देकर आप उनकी खुशियों को आसमान पर पहुंचा सकते हैं. अगर यह न कर सकें तो देखें अपनी कॉलोनी के गार्ड को, अपनी मेड को, अपने रिक्शेवाले को, अपने ड्राइवर को… क्या इस दीवाली उनके बच्चों के लिए छोटा सा उपहार देकर आप उनके परिवार में थोड़ी सी खुशी भेज सकते हैं… अगर हां, तो इतना ही कर दीजिए… मगर इस दीवाली कुछ हट कर जरूर करिये…

Diwali 2021: चांद सा रोशन चेहरा

दीवाली पर सजनेसंवरने की उमंग आप में भी जगने लगती होगी. तो फिर देर किस बात की. दीवाली की जगमगाहट में आप के चेहरे का नूर कर देगा सब को हैरान. कैसे, बता रही हैं आभा यादव.

महिलाएं हमेशा से ही सजधज कर खूबसूरत दिखना चाहती हैं पर त्योहारों का मौसम आते ही उन में सजनेसंवरने की उमंगें ज्यादा ही उठने लगती हैं और जब दीवाली का त्योहार हो तो बात ही क्या, प्रकाशोत्सव उन्हें कुछ नया करने को प्रेरित करता है ताकि वे उस दिन लगें निखरीनिखरी और बहुत खूबसूरत.

ब्यूटी ट्रीटमैंट : रोशनी के त्योहार का रोशन चेहरे के साथ स्वागत करें. मेकअप ऐक्सपर्ट रेनू महेश्वरी का कहना है कि दीवाली पर खूबसूरत दिखने के लिए त्योहार से 1 महीना पहले ब्यूटी ट्रीटमैंट लेना चाहिए. फिर 15 दिन के बाद दोबारा ट्रीटमैंट लें. सब से पहले चेहरे की क्लीनिंग के लिए औक्सी फेसवाश का प्रयोग करें. यह फेसवाश चेहरे की सफाई के साथसाथ चेहरे पर नमी भी प्रदान करता है. इस मौसम में स्किन शुष्क होने लगती है. इसलिए मौश्चराइजिंग वाले प्रोडक्ट प्रयोग करने चाहिए. इस के अलावा अपनी त्वचा के स्वभाव को जानें कि वह किस प्रकार की है, उसी के अनुसार प्रोडक्ट का इस्तेमाल करें. त्वचा को पोषण देने के लिए फेशियल करवाएं.

ये भी पढ़ें- दोस्त कौन अच्छे कौन सच्चे

फेशियल : कुछ फेशियल त्वचा की गहराई से सफाई करते हैं, चेहरे की धूलमिट्टी को आसानी से बाहर निकाल कर नए कोशों को विकसित करने में मदद करते हैं तो कुछ त्वचा पर उम्र के बढ़ते प्रभाव को कम करने में मदद करते हैं. पर किसी भी फेशियल में स्ट्रोक्स बहुत महत्त्वपूर्ण है. अगर उचित तरीके से स्ट्रौक्स करना न आता हो तो ऐंटीक्लाकवाइज स्ट्रौक्स खुद कर सकते हैं. वैसे इसे एक ऐक्सपर्ट ही कर सकता है कि किस चेहरे की किनकिन जगहों पर प्रैशर पौइंट देने हैं. सही स्ट्रोक्स व प्रैशर पौइंट से रक्त संचार बढ़ने के साथसाथ थकान भी उतर जाती है, जिस से आप और भी ताजा महसूस करेंगी. फेशियल मसाज क्रीम बादाम व शहद वाली ही इस्तेमाल करें. ये त्वचा को अच्छा पोषण देती हैं.

डेविस ग्लो किट (इंस्टाग्लो) : मार्केट में फेशियल की तरहतरह की किट हैं पर डेविस ग्लो किट में चिनार की जड़ को डालते हैं जिस से त्वचा गोरी होती है. इस में नीबू, संतरे और गन्ने के रस का मिश्रण होता है. गन्ने का रस त्वचा को मौश्चराइज करता है. नतीजतन, त्वचा को अतिरिक्त विटामिन मिलता है और त्वचा शुष्क नहीं होती है. दीवाली के मौसम में एलोवीरा का प्रयोग भी करें. इस में रौयल जैली व शहद दोनों चीजें मिला कर त्वचा पर लगाएं. यह त्वचा में मिनरल की कमी को पूरा करता है, जींस और हार्मोंस को पुन: उत्पन्न करता है और वसा के स्तर को कम करता है.

घरेलू टिप्स : केला, पपीता, संतरा, खीरा व टमाटर में से किसी को भी कद्दूकस कर के उस में नीम व तुलसी के पत्तों को पीस कर साथ में शहद मिला लें. फिर अपने हाथपैर पर 10 मिनट लगा कर रखें. फिर गुलाबजल या सादे पानी से हलके हाथों से साफ कर लें. यह त्वचा के लिए ऐंटीसैप्टिक का काम करता है.

बौडी पौलिश्ंिग : जब त्वचा शुष्क होने लगे तो मसाज करें. त्वचा में नमी बनी रहेगी. कौन सी त्वचा पर कैसी मसाज करनी है, यह जानना जरूरी है. जिन की त्वचा औयली हो या दाने निकले हों उन्हें ‘जैल मसाज’ करनी चाहिए. त्वचा के सूखेपन से छुटकारा पाने के लिए क्रीम में हलदी मिला लें. ऐसा करने से त्वचा जल्दी ठीक होगी. हलदी का रस निकाल कर क्रीम में मिलाएं, फिर इस्तेमाल करें.

ये भी पढ़ें- हेल्थ: 21वीं सदी का बड़ा मुद्दा है बढ़ता बांझपन

गोल्ड पौलिश्ंिग : आजकल केसर और गोल्ड डस्क मिली हुई पौलिश्ंिग किट बाजार में उपलब्ध है. इस में आयुर्वेदिक प्रोडक्ट होते हैं. इस की मसाज से बौडी में चमक आती है, साथ ही इस में विटामिन ‘ई’ और बादाम का तेल मिला हुआ होता है. इस की मसाज से मृत त्वचा बाहर निकल जाती है और बौडी में लंबे समय तक चमक बनी रहती है. यह मसाज 10 मिनट तक करें. तैलीय त्वचा के लिए चौकलेट जैल मसाज करें. जिन को बौडी में चमक नहीं चाहिए वे चौकलेट मसाज करवाएं.

यदि केले और क्रीम को लगा रही हैं तो लगाने के बाद बालों को कपड़े या फौइल पेपर में लपेट कर रखें. इस से परिणाम अच्छा आता है और बालों को अच्छी तरह से पोषण मिलता है. आप चाहें तो मेथीदाने को पीस कर दही में मिला कर बालों में लगा सकती हैं. इस से बाल काले व चमकदार दिखेंगे. बालों में विटामिन ‘ई’ की मालिश करें. तेल गुनगुना कर के हर 15 दिन में लगाएं. इस से बालों में नई जान आ जाएगी.

इस तरह इस बार दीवाली के अवसर पर दीए ही नहीं आप का चेहरा भी रोशन होगा. ऐसे में आप को दीवाली का भरपूर मजा उठाने में कुछ ज्यादा ही खुशी का एहसास होगा और दूसरे लोग आप से प्रभावित हुए बिना नहीं रह सकेंगे.

ये भी पढ़ें- पीरियड के 2 दिन पहले क्यों होता है दर्द

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें