हमारे देश में दीवाली के अवसर पर लक्ष्मी यानी धन पाने के लिए तरहतरह के ढकोसले किए जाते हैं. यज्ञहवन से ले कर तांत्रिक क्रिया भी करवाते हैं. दीवाली को ले कर लोगों के मन में कई तरह की मान्यताएं बनी हुई हैं जिस में से एक यह भी है कि दीवाली के दिन तांत्रिक क्रिया के जरिए अपनी बलाएं टाली जा सकती हैं. कुछ लोग दीवाली की रात लक्ष्मी की मूर्ति के आगे मूषक की बलि देते हैं, इस के पीछे यह अंधविश्वास है कि ऐसा करने से साल भर उन्हें भूतपिशाच से मुक्ति मिल जाएगी. सिर्फ यही नहीं, घर की गरीबी को दूर करने के लिए भी अलगअलग कर्मकांड देश के कई हिस्सों में किए जाते हैं. दीवाली के दिन लक्ष्मीगणेश पूजन का इतना महत्त्व दिया जाता है कि इस के लिए लोग पैसे को पानी की तरह बहाते हैं. व्यापारी वर्ग गद्दी पूजा के साथ अपने बहीखातों की भी पूजा करते हैं. लोगों में ऐसी मान्यता भी है कि जो लक्ष्मी पूजन पर जितना ज्यादा पैसा खर्च करता है. लक्ष्मी खुश हो कर उस पर उतने ही धन की वर्षा करती हैं. इस धारणा के चलते ही लाखों परिवार पंडितों का पेट भरते हैं. धर्मभीरु लोग लक्ष्मीगणेश की मूर्ति के सामने हाथ जोड़ कर गिड़गिड़ाते हुए धन, समृद्धि और कल्याण की कामना करते हैं. यही नहीं वे रात भर लक्ष्मी के स्वागत के लिए देशी घी का दीपक जलाते हैं ताकि लक्ष्मी रात में आ कर उन की दौलत को दोगुनाचौगुना कर दें.

कुछ लोग इसी कारण दीवाली के दिन अपने घर का दरवाजा खुला रखते हैं कि लक्ष्मी नाराज हो कर कहीं चली न जाएं. ये सारी कवायद तथाकथित धनदेवी लक्ष्मी को खुश करने के लिए की जाती है. शायद यही वजह है कि लोग लक्ष्मी के आगे शंख और घंटेघडि़याल बजाते हैं कि वह धन की देवी है, अगर खुश हो गई तो पौबारह, रात में आ कर सोना बरसा जाएगी तो आराम से उम्र भर खाएंगे और मौज करेंगे. एक और अंधविश्वास कि धनतेरस पर नया बरतन खरीदना चाहिए क्योंकि धन देवी लक्ष्मी धातु पर विराजमान हो कर घर को धनसंपत्ति से भर देती हैं. इस दिन सब से अधिक जुआ खेला जाता है. जो लोग कभी जुआ नहीं खेलते वे भी इस दिन रीति, परंपरा या लक्ष्मी की प्रसन्नता के नाम पर जुआ खेलते हैं.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 महीना)
USD2
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...