Celebrity Interview: मैं सरस सलिल का फैन हूं – केके गोस्वामी

Celebrity Interview: केके गोस्वामी मूल रूप से बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के रहने वाले हैं. इन्होंने भारतीय टैलीविजन सीरियलों, हिंदी, गुजराती, मराठी, बंगाली, भोजपुरी फिल्मों के जरीए अपनी अदाकारी से सभी को मुरीद बना लिया है.

हाल ही में लखनऊ में हुए ‘छठे सरस सलिल भोजपुरी सिने अवार्ड्स’ शो में बैस्ट कैरेक्टर ऐक्टर का अवार्ड लेने आए केके गोस्वामी से उन के फिल्म करियर पर बातचीत हुई. पेश हैं, उसी के खास अंश :

कई इंटरव्यू में आप ने अपने शुरुआती संघर्ष पर खुल कर बातें की हैं. क्या आप एक बार उन यादों को हम से साझा करेंगे?

मैं बिहार से ऐक्टर बनने की ख्वाहिश लिए मुंबई आया था. लेकिन मुझे स्क्रीन तक पहुंचने में काफी मशक्कत करनी पड़ी. एक बार मुझे मेरी ही कदकाठी के एक शख्स ने बीयर बार में नौकरी करने की सलाह दी. जब मैं बीयर बार में गया तो वाचमैन ने मुझे डंडा मार कर भगा दिया. यही वह पल था जब मैं ने ठान लिया था कि अब हर हाल में मुझे ऐक्टर बन कर दिखाना है. स्ट्रगल के दौरान ऐसा भी समय आया जब मै हफ्ते में एक दिन खाना खाता था. पैसों की तंगी के बावजूद मैं ने हार नहीं मानी और आखिरकार मुझे कामयाबी मिली.

आप की लवस्टोरी में भी ट्विस्ट रहा है. ऐसा क्या हुआ है?

मेरी हाइट 3 फुट ही है, वहीं मेरी बीवी पीकू मुझ से दोगुनी लंबी हैं. पीकू की हाइट तकरीबन 5 फुट है. मेरी हाइट कम होने के चलते पीकू के घर वालों के मना करने के बावजूद पीकू मुझ से ही शादी करना चाहती थी. आखिरकार पीकू की जिद के आगे घर वालों को मानना पड़ा.

आप के टीवी शो भी पौपुलर रहे हैं. छोटे परदे पर किया गया कौन सा रोल आप के लिए यादगार रहा है?

टीवी सीरियल में जो भूमिकाएं मेरे दिल के बेहद करीब हैं उन में ‘शक्तिमान’ में खली और बली का दोहरा रोल, ‘जूनियर जी’ में बोनापार्ट, ‘शाका लाका बूमबूम’ में क्रिस्टल खास हैं. ‘गुटूरगुं’ में मेरे किरदार पप्पू महाराज को भी लोगों ने खूब पसंद किया है.

हिंदी सिनेमा में किया गया कौन सा रोल आप के दिल के करीब है?

मैं ने जितनी भी हिंदी फिल्मों में काम किया उन में से फिल्म ‘भूत अंकल’ में निभाए गए टिंगु के रोल को काफी सराहना मिली थी. यह रोल देश के मनमस्तिष्क में रचबस गया था.

आप टीवी और हिंदी सिनेमा में काफी हिट रहे हैं, फिर अचानक आप का झुकाव भोजपुरी फिल्मों की तरफ कैसे हो गया?

मैं बिहार की माटी में पलाबढ़ा हूं. भोजपुरी तो मेरे रगरग में बसी हुई है. मेरा शुरुआत से ही भोजपुरी फिल्मों में काम करने की तरफ झुकाव रहा है. मुझे खुशी है कि मुझे जितना प्यार टीवी और हिंदी सिनेमा से मिला, उस से कहीं ज्यादा प्यार भोजपुरी सिनेमा से मिल रहा है.

आप को सरस सलिल पत्रिका की कौन सी बात अच्छी लगती है?

सच कहूं तो एक अभिनेता के रूप में अगर देखें तो दर्शक मेरे फैन हैं और मैं एक पाठक के रूप में ‘सरस सलिल’ पत्रिका का फैन हूं. मुझे ‘सरस सलिल’ के सभी स्तंभ काफी मजेदार, ज्ञानवर्धक, जागरूकता बढ़ाने वाले और रोचक लगते हैं.

Bhojpuri Cine Awards 2025: मनोज भावुक को मिला बैस्ट राइटर अवार्ड

Bhojpuri Cine Awards 2025: इस साल ‘छठे सरस सलिल भोजपुरी सिने अवार्ड्स’ शो में एक ऐसी नई कैटेगरी शामिल की गई थी, जो अपनेआप में खास थी. यह कैटेगरी थी साल 2024 में प्रकाशित भोजपुरी सिनेमा के अब तक के इतिहास पर आधारित बुक के लिए बैस्ट राइटर का अवार्ड.

अभी तक भोजपुरी सिनेमा को ले कर जितने भी अवार्ड शो होते रहे हैं, वे इस कैटेगरी से अछूते रहे हैं. पहली बार भोजपुरी सिनेमा के इतिहासकार को सम्मानित किया गया.

क्यों खास है यह पुस्तक अवार्ड ग्रहण करने के बाद मनोज भावुक ने कहा कि यह किताब उन के 30 वर्षों की मेहनत का फल है. उन्होंने आडियंस को पुस्तक दिखाते हुए बताया कि वे साल 1995 से ही भोजपुरी सिनेमा पर लगातार लिख रहे हैं. यह भोजपुरी सिनेमा के इतिहास पर भोजपुरी भाषा में पहली किताब है. इस किताब में वर्ष 1931 से ले कर अब तक के भोजपुरी सिनेमा के सफर का बहुत ही बारीकी से वर्णन किया गया है.

वर्ष 1962 में भोजपुरी की पहली फिल्म ‘गंगा मईया तोहे पियरी चढ़इबो’ आई थी. उस के पहले 1931 से 1962 तक हिंदी सिनेमा में संवाद और गीतों के जरीए भोजपुरी भाषा कैसे अपना परचम लहराती रही, इस के रोचक किस्से भी इस पुस्तक में हैं.

अमिताभ बच्चन, सुजीत कुमार, राकेश पांडेय, कुणाल सिंह, रवि किशन और मनोज तिवारी जैसी सिनेमा हस्तियों के साक्षात्कार शामिल हैं, भोजपुरी सिनेमा की चुनौतियों, संभावनाओं, बिजनैस और भविष्य पर खुल कर लिखा गया है. साथ ही ओटीटी, भोजपुरी वैब सीरीज, टैलीफिल्म, सीरियल पर भी प्रकाश डाला गया है.

मैथिलीभोजपुरी अकादमी, नई दिल्ली से प्रकाशित 405 पन्नों की इस पुस्तक में अलगअलग फिल्मों की शूटिंग के अनेक रोचक प्रसंग भी शामिल हैं. इस पुस्तक में भोजपुरी सिनेमा के सफर को 3 खंडों में बांटा गया है.

पहले खंड में वर्ष 1931 से वर्ष 2000 के कालखंड में फिल्मी दुनिया में भोजपुरी के प्रवेश की कहानी, पहली फिल्म के निर्माण की कहानी, भोजपुरी सिनेमा के भीष्म पितामह नाजिर हुसैन का दुर्लभ लेख, उस दौर के प्रतिमान, गीत व कथापटकथा के साथ कुछ खास साक्षात्कार भी शामिल हैं.

दूसरे खंड में वर्ष 2001 से वर्ष 2019 तक के सफर का बारीकी से वर्णन है. इस दौर के नायकनायिका, गीतकारसंगीतकार, निर्मातानिर्देशक व क्रिएटिव टीम के परिचय व योगदान के साथ बदलते सिनेमा, भूतल से रसातल तक जाते सिनेमा, चेतावनी और चुनौती पर खुल कर विमर्श है.

तीसरा खंड विविधा का है जिस में सिनेमा के विभिन्न आयामों पर चर्चा है. लता मंगेशकर, किशोर कुमार, मोहम्मद रफी के भोजपुरी गीतों पर रोचक आलेख हैं. भोजपुरी सिनेमा, राजनीति और चुनाव का भी जिक्र है.

गौरतलब है कि मनोज भावुक को फिल्मफेयर व फेमिना द्वारा भी सम्मानित किया जा चुका है, लेकिन जिस पुस्तक के लिए उन्होंने 30 साल गहन शोध किया, जिस पुस्तक को भोजपुरी सिनेमा के महानायक कुणाल सिंह ‘भोजपुरी सिनेमा की रामायण’ कहते हैं, उस के लिए वे पहली बार सम्मानित हुए हैं.

कौन हैं मनोज भावुक

मनोज भावुक भोजपुरी के प्रख्यात साहित्यकार, संपादक, सुप्रसिद्ध कविगीतकार, टीवी पत्रकार और भोजपुरी सिनेमा के इतिहासकार हैं. लगभग एक दशक तक अफ्रीका और यूनाइटेड किंगडम में बतौर इंजीनियर सेवा देने के बाद मनोज पूरी तरह मीडिया से जुड़ गए और अनेक चैनलों में वरिष्ठ पदों पर काम किया. वे सारेगामापा (रीजनल) के प्रोजैक्ट हैड रहे हैं साथ ही कई पुस्तकों के प्रणेता हैं. वे एक सफल टीवी एंकर और अंतर्राष्ट्रीय मंच संचालक भी हैं. उन्होंने कई फिल्मों और धारावाहिकों में अभिनय किया है. कई फिल्मों में गीत भी लिखे हैं.

Celebrity Interview: पंकज त्रिपाठी के साथ फिल्म बनाने का मन – प्रमोद शास्त्री

भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री में कई ऐसे फिल्म डायरैक्टर हैं, जिन के साथ फिल्में करना हर भोजपुरी सुपरस्टार का सपना होता है. ऐसे ही कुछ चुनिंदा डायरैक्टरों में से एक नाम है प्रमोद शास्त्री का. मूल रूप से उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ के रहने वाले है, प्रमोद शास्त्री भोजपुरी सिनेमा के ऐसे डायरैक्टर हैं, जो मुश्किल से मुश्किल कहानियों को भी बेहद आसानी से परदे पर उतार देते हैं. उन्होंने बतौर डायरैक्टर ‘रब्बा इश्क न होवे’, ‘छलिया’, ‘प्यार तो होना ही था’, ‘आन बान शान’, ‘दत्तक पुत्र’, ‘भैया मेरे राखी के बंधन को निभाना’, ‘भैया हमारे राम होवे भौजी हमरी सीता’, ‘विधवा बनी सुहागन’ जैसी कई ब्लौकबस्टर फिल्में भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री को दी हैं.

लखनऊ में हुए ‘छठे सरस सलिल भोजपुरी सिने अवार्ड्स 2025’ शो में शरीक हुए प्रमोद शास्त्री से भोजपुरी सिनेमा को ले कर लंबी बातचीत हुई. पेश हैं, उसी के खास अंश :

दूसरी फिल्म इंडस्ट्री में इन दिनों थ्रिलर और आपराधिक कहानियों का परदे पर बोलबाला है, जबकि भोजपुरी सिनेमा ‘सासबहू’ में अटका हुआ है. ऐसा क्यों?

थ्रिलर और आपराधिक कहानियों में दर्शकों को रोमांच आता है, लेकिन ऐसी फिल्मों को परदे पर उतारने के लिए भारीभरकम बजट की जरूरत होती है, अच्छे सिनेमाघरों की जरूरत होती है. अभी भोजपुरी सिनेमा के पास ये दोनों चीजें नहीं रह गई हैं.

एक डायरैक्टर के तौर पर मेरे ऊपर जितनी जिम्मेदारी फिल्म की कहानी को परदे पर जीवंत करने की होती है, उस से कहीं ज्यादा इस बात की चिंता रहती है कि किसी तरह से प्रोड्यूसर घाटे में न जाने पाए.

जिस दिन भोजपुरी में अच्छे बजट और सिनेमाघरों की उपलब्धता होगी, तो यकीनन भोजपुरी फिल्में भी फैमिली ड्रामा और सासबहू वाली कहानियों से आगे बढ़ कर 30 करोड़ भोजपुरिया दर्शकों का मनोरंजन करने को तैयार मिलेंगी.

दूसरी फिल्म इंडस्ट्री में मोटी कमाई और पौपुलैरिटी की खातिर विवादों से भरे सब्जैक्ट पर फिल्में बनाने का चलन भी बढ़ा है. आप की नजर में यह चलन कितना सही है?

मोटी कमाई और पौपुलैरिटी की खातिर देश में जिस तरीके से विवादित सब्जैक्ट पर फिल्में बनाने का चलन बढ़ रहा है, वह देश की अखंडता और संप्रभुता के लिए घातक है. मैं ऐसी कोई फिल्म नहीं बनाना चाहूंगा, जो देशहित में न हो.

भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री में जिस तरह से नई कहानियों का टोटा पड़ा है, आप को क्या लगता है कि भोजपुरी फिल्में ऐसी कहानियों के बलबूते फिर से सिनेमाघरों में कामयाब हो पाएंगी?

पिछले डेढ़ दशक से सिनेमाघरों में फिल्में चल रही थीं और करोड़ों की कमाई भी हो रही थी, लेकिन कोरोना महामारी के बाद भोजपुरी सिनेमा सिमट सा गया है. दर्शकों का सिनेमाघरों में जाना भी कम हो गया है. लिहाजा, फिल्में सीधे टैलीविजन पर रिलीज हो रही हैं. लेकिन दौर कभी एकजैसा नहीं रहता. समय बदलेगा, फिर से बड़े बजट की फिल्में बनेंगी और सिनेमाघरों में रिलीज होंगी.

क्या आप की कोई ऐसी तमन्ना है, जिसे आप बतौर डायरैक्टर परदे पर फिल्माना चाहते हैं?

मेरी तमन्ना है कि मैं भोजपुरी भाषा में एक ऐसी फिल्म बनाऊं, जिस की कहानी में खुफियागीरी हो, सस्पैंस हो, रिसर्च और एनालिसिस के साथ जासूसी का तड़का भी हो.

बौलीवुड के किसी कलाकार को अगर अपने डायरैक्शन में बतौर हीरो लेना हो, तो आप की पहली पसंद क्या होगी?

मुझे पंकज त्रिपाठी की ऐक्टिंग स्किल सब से अच्छी लगती है. अगर बौलीवुड की किसी फिल्म में खुद ऐक्टर का चुनाव करने के लिए बोला जाएगा, तो मेरी पहली पसंद पंकज त्रिपाठी होंगे.

आप हिंदी फिल्मों के डायरैक्शन में भी हाथ आजमा रहे हैं. क्या भविष्य में कोई हिंदी फिल्म करने वाले हैं?

मैं ने हाल ही में हिंदी की एक बड़ी फिल्म डायरैक्ट की है, जो साल 2025 में रिलीज होने को तैयार है. इस फिल्म का नाम ‘मुंतजिर’ है. इस में हर्ष बाबू, राजेश शर्मा, जाकिर हुसैन, हेमंत पांडे, राजा गुरु जैसे बौलीवुड के तमाम कलाकार नजर आएंगे.

आप ने टैलीविजन सीरियल के डायरैक्शन में भी हाथ आजमाया है. यह सफर कैसा रहा?

जी, मैं ने ‘डीडी किसान’ चैनल के लिए एक टैलीविजन सीरियल बनाया था, निर्देशन और लेखन भी किया था, जो बेहद कामयाब रहा. इस की टीआरपी भी बहुत अच्छी रही. ‘किस के रोके रुका है सवेरा’ नाम से बना यह सीरियल 130 ऐपिसोड तक चला था.

Saras Salil Bhojpuri Cine Awards: अरविंद अकेला और अंजना सिंह बने बेस्ट एक्टर-एक्ट्रेस

Saras Salil Bhojpuri Cine Awards 2025, लखनऊ, 10 अप्रैल 2025 : भोजपुरी सिनेमा की जगमगाती दुनिया के सितारों और परदे के पीछे के कलाकारों को सम्मानित करने के लिए सरस सलिल के छठे भोजपुरी सिने अवार्ड्स 2025 का भव्य आयोजन उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में किया गया. सभी लोगों के लिए यह एक यादगार शाम रही, जहां भोजपुरी फिल्म स्टार्स, मेकर्स और क्रू सभी ने इंडस्ट्री में अपने अद्भुत योगदान का जश्न मनाया.

अरविंद अकेला ‘कल्लू’ को उनकी फिल्म कसमे वादे के लिए बेस्ट एक्टर का अवार्ड मिला और फिल्म बड़की दीदी के लिए अंजना सिंह को बेस्ट एक्ट्रेस का खिताब मिला. वहीं फिल्म हिंदुस्तानी के लिए विजय कुमार यादव और फिल्म सूर्यवंशम के लिए निशांत उज्ज्वल को बेस्ट फिल्म का अवार्ड को दिया गया. रजनीश मिश्र को फिल्म सूर्यवंशम के लिए बेस्ट डायरेक्टर का पुरस्कार मिला. इन पुरस्कारों का स्वागत जोरदार तालियों की गड़गड़ाहट के साथ इस साल की फिल्मों के पीछे की कहानियों और प्रतिभा की सच्ची सराहना के साथ किया गया.

इस अवार्ड नाइट के दौरान केवल विजेताओं ने ही ध्यान आकर्षित नहीं किया, बल्कि बृजेश पाठक, उपमुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश; संदीप बंसल, अखिल भारतीय उद्योग व्यापार मंडल के सदस्य; प्रभुनाथ राय, सदस्य, अखिल भारतीय भोजपुरी समाज; मुकेश बहादुर सिंह, अध्यक्ष, इंडो अमेरिकन चैंबर ऑफ कॉमर्स, लखनऊ; पवन सिंह चौहान, अध्यक्ष, एसआर ग्रुप ऑफ एजुकेशन और सदस्य, विधानसभा परिषद; राजेश राय, सदस्य सूचना विभाग; सुरेंद्र सिंह राजपूत, राष्ट्रीय प्रवक्ता, कांग्रेस; और अनीता सहगल, एंकर और अभिनेत्री ने भी अपनी उपस्थिति से कार्यक्रम स्थल की शोभा बढ़ाई.

भोजपुरी सिने अवार्ड की बात जो सबसे अलग थी, वह थी काम पर ध्यान केंद्रित करना, खासकर बैकस्टेज का काम जिस पर अक्सर किसी का ध्यान नहीं जाता। एडिटर्स, सेट डिजाइनर्स, लाइटिंग क्रू, लेखकों और बैकग्राउंड स्कोर कलाकारों को भी मंच पर वास्तविक सराहना मिली.

इस साल के पुरस्कारों में 50 से ज़्यादा श्रेणियां शामिल थीं, जिनमें एक्टिंग, डायरेक्टिंग, राइटिंग, म्यूजिक, प्रोडक्शन डिजाइन, एडिटिंग और कई अन्य क्षेत्रों में काम करने वाले लोगों को सम्मानित किया गया. मुख्य पुरस्कारों के अलावा, विशेष सम्मान भी प्रदान किए गए, जिसमें लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड विजय खरे को दिया गया, जिनका भोजपुरी सिनेमा पर दशकों तक प्रभाव रहा है.

इस अवसर पर बोलते हुए दिल्ली प्रेस के एडिटर इन चीफ और पब्लिशर परेश नाथ ने कहा, “हमें भोजपुरी सिनेमा को इतना बेहतरीन बनाने वाले लोगों को सम्मानित करने पर गर्व है. ये पुरस्कार उनकी कड़ी मेहनत और प्रतिभा का प्रतिबिंब हैं. अपने पसंदीदा कलाकारों और फिल्मों का जश्न मनाने के लिए पूरे समुदाय को एक साथ आते देखना बहुत खुशी की बात होती है.”

सरस सलिल के बारे में

सरस सलिल भारत की अग्रणी हिंदी पत्रिकाओं में से एक है, जिसे दिल्ली प्रेस द्वारा प्रकाशित किया जाता है. यह अपने बेहतर लेखों के लिए जानी जाती है, जिनमें सिनेमा, लाइफस्टाइल, संस्कृति और सामाजिक मुद्दों सहित कई विषयों को शामिल किया जाता है. भारत और उसके बाहर के पाठकों के साथ सरस सलिल भोजपुरी सिनेमा पर विशेष ध्यान देने के साथ अलग-अलग रीजनल फिल्म इंडस्ट्री को बढ़ावा देने और उनका जश्न मनाने में सबसे आगे रही है. अपने पुरस्कारों के माध्यम से, सरस सलिल प्रतिभा, कड़ी मेहनत और रचनात्मकता के लिए मान्यता का प्रतीक बनी हुई है, जो दर्शकों का मनोरंजन करने और उन्हें प्रेरित करने वाली फिल्में बनाने में जाता है.

विजेताओं की पूरी सूची और कार्यक्रम से जुड़ी सभी जानकारी लिए सरस सलिल भोजुपुरी सिने अवार्ड्स की आधिकारिक वेबसाइट पर जाएं.

Saras Salil Bhojpuri Cine Awards 2025: यूपी के डिप्टी सीएम बृजेश पाठक ने भोजपुरी सितारों की जमकर की तारीफ़

Saras Salil Bhojpuri Cine Awards 2025

लखनऊ : 10 अप्रैल, 2025 की शाम को लखनऊ के इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में दिल्ली प्रेस की पत्रिका सरस सलिल द्वारा छठे सरस सलिल भोजपुरी सिने अवार्ड शो का आयोजन कराया गया, जिसमें भोजपुरी फिल्मों के कलाकारों, फिल्मकारों, निर्देशकों और टेक्नीशियनों को वर्ष 2024 में प्रदर्शित फिल्मों के आधार पर विभिन्न श्रेणियों में अवार्ड दिए गए.

दर्शकों से भरे इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में भोजपुरी कलाकारों के अलावा उत्तर प्रदेश की कई बड़ी हस्तियों ने कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई, जिनमें ब्रजेश पाठक, उपमुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री, उत्तर प्रदेश, दिनेश प्रताप सिह, कृषि राज्यमंत्री, उत्तर प्रदेश, संदीप बंसल, अध्यक्ष, अखिल भारतीय उद्योग व्यापार मंडल, प्रभुनाथ राय, अध्यक्ष, अखिल भारतीय भोजपुरी समाज, मुकेश बहादुर सिंह, चेयरमैन, इंडो-अमेरिकन चैंबर ऑफ कॉमर्स, लखनऊ, पवन सिंह चौहान, चेयरमैन, एसआर ग्रुप ऑफ एजुकेशन और सदस्य, विधानसभा परिषद, राजेश राय, सूचना विभाग, श्वेता सिंह, क्षेत्रीय उपाध्यक्ष, भाजपा, अवध प्रांत, डाक्टर नीरज बोरा, सदस्य, विधानसभा, उत्तर प्रदेश, आनंद शेखर सिंह, चेयरमैन, बाबू सुंदर सिंह ग्रुप ऑफ एजुकेशन, लखनऊ, सुरेंद्र सिंह राजपूत, राष्ट्रीय प्रवक्ता, कांग्रेस, अनीता सहगल, एंकर एवं फिल्म अभिनेत्री, श्री पंकज त्रिपाठी, ग्रिप म्यूजिक आदि शामिल थे.

उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक ने सभी विजेता कलाकारों को अवार्ड जीतने की बधाई दी. उन्होंने दिल्ली प्रेस की पत्रिकाओं खासकर सरस सलिल की समाज के प्रति उस की जिम्मेदारी को सराहा.

दिल्ली प्रेस के संपादक और प्रकाशक परेश नाथ ने दिल्ली प्रेस के इतिहास पर प्रकाश डाला कि किस तरह यहां से प्रकाशित होने वाली पत्रिकाएं हर वर्ग का प्रतिनिधित्व करती हैं और सफलतापूर्वक अपनी बात सब के सामने रखती हैं.

इस अवार्ड नाइट में भोजपुरी के नामचीन कलाकार रहे विजय खरे को (मरणोपरांत) लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड दिया गया. अंजना सिंह को फिल्म बड़की दीदी के लिए बेस्ट एक्ट्रेस का अवार्ड मिला. अरविंद अकेला कल्लू को फिल्म कसमे वादे के लिए बेस्ट पॉपुलर एक्टर का अवार्ड मिला.

अनूप अरोड़ा को फिल्म सूर्यवंशम के लिए बेस्ट कैरेक्टर एक्टर क्रिटिक, आर्यन बाबू को फिल्म बड़ी मां छोटी मां के लिए बेस्ट चाइल्ड एक्टर, स्वास्तिक राय को फिल्म जया के लिए बेस्ट चाइल्ड एक्ट्रेस, विमल पांडेय को फिल्म हमार बड़की माई के लिए बेस्ट एक्टर जूरी, पल्लवी गिरि को फिल्म छठ मईया गोदिया भर दी हमार के लिए बेस्ट एक्ट्रेस जूरी, देव सिंह को फिल्म भैया मेरे राखी के बंधन को निभाना के लिए बेस्ट एक्टर फैमिली वेलयूज, संजय पांडेय को फिल्म भैया मेरे राखी के बंधन को निभाना के लिए बेस्ट एक्टर नेगेटिव रोल, के. के. गोस्वामी को फिल्म राजाराम के लिए बेस्ट कैरेक्टर एक्टर जूरी दिया गया.

सरस सलिल ने Bhojpuri Cine Awards के छठे संस्करण की घोषणा की

Bhojpuri Cine Awards: लखनऊ, 28 मार्च 2025: भारत की सबसे अधिक पढ़ी जाने वाली हिंदी पत्रिकाओं में से एक सरस सलिल, 10 अप्रैल 2025 को इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में सरस सलिल भोजपुरी सिने अवार्ड्स 2025 के छठे संस्करण का आयोजन लखनऊ में करेगी. भोजपुरी सिनेमा की सर्वश्रेष्ठ प्रतिभाओं को सम्मानित करने के लिए इस भव्य समारोह का आयोजन होने जा रहा है.

सरस सलिल भोजपुरी सिने अवॉर्ड्स एक ऐसा खास कार्यक्रम बन गया है, जहां फिल्म निर्माताओं, अभिनेताओं, टेक्निशियन और भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री के अन्य सदस्यों के बेहतरीन काम को सराहा और सम्मानित किया जाता है. इस साल के पुरस्कार समारोह में 50 से ज़्यादा कैटेगरी में भोजपुरी सिनेमा में अवार्ड दिए जाएंगें, जिसमें एक्टिंग, डायरेक्टिंग, संगीत, सिनेमा और अन्य क्षेत्रों में उपलब्धियों को पुरूस्कृत किया जाएगा. इसके अंतर्गत सर्वश्रेष्ठ फ़िल्म, सर्वश्रेष्ठ निर्देशक और सर्वश्रेष्ठ अभिनेता (पुरुष और महिला) शामिल हैं.

इस अवसर पर भोजपुरी सिनेमा के कुछ सबसे बड़े नाम शामिल होंगे, जिनमें दिनेश यादव निरहुआ, अरविंद अकेला कल्लू, आम्रपाली दुबे, अंजना सिंह, संजय पांडे, केके गोस्वामी, समर सिंह, रक्षा गुप्ता, यामिनी सिंह, देव सिंह, विमल पांडे, सीपी भट्ट, विनोद मिश्रा, शुभम तिवारी, पल्लवी गिरी, राधा सिंह, माही खान, ऋचा दीक्षित और विद्या सिंह शामिल हैं. उनकी मौजूदगी भोजपुरी सिनेमा के इस भव्य उत्सव की शोभा को बढ़ाएगी.

ये पुरस्कार न केवल भोजपुरी सिनेमा के सितारों को बल्कि पर्दे के पीछे के उन नायकों को भी पहचान दिलाने का मंच प्रदान करते हैं जो फिल्मों को सफल बनाते हैं. निर्माता और निर्देशक से लेकर टेक्निशियन, कोरियोग्राफर और साउंड इंजीनियर तक, फिल्म की सफलता में योगदान देने वाले हर व्यक्ति को पहचाना और सम्मानित किया जाता है.

परेश नाथ, दिल्ली प्रेस के एडिटर-इन-चीफ और पब्लिशर ने कहा, “सरस सलिल भोजपुरी सिने अवार्ड सिर्फ एक कार्यक्रम नहीं है; यह भोजपुरी सिनेमा को आकार देने वाले जुनून और रचनात्मकता को पुरूस्कृत करता है. हमें इंडस्ट्री के विकास और सफलता में योगदान देने वाली अविश्वसनीय प्रतिभा को पहचानने और सम्मानित करने पर गर्व है. इस साल का आयोजन और भी शानदार होगा, जिसमें उन सितारों और गुमनाम नायकों को सराहा जाएगा जो सिनेमा को एक बेहतरीन कला के रूप में लोगों के सामने लेकर आते हैं.”

पुरस्कारों के लिए नामांकन प्रक्रिया बहुत ही सावधानीपूर्वक होती है. इस साल के पुरस्कारों के लिए 1 जनवरी, 2024 से 31 दिसंबर, 2024 के बीच रिलीज़ होने वाली सभी फ़िल्में शामिल हैं. इंडस्ट्री के विशेषज्ञों, आलोचकों और सिनेमा जगत की प्रमुख हस्तियों का एक पैनल नामांकितों का मूल्यांकन करेगा और प्रत्येक श्रेणी से विजेताओं का चयन करेगा.

पुरस्कार समारोह में बेहतरीन प्रदर्शन के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता और अभिनेत्री, साथ ही सहायक कलाकारों के लिए पुरस्कार दिए जाएंगे. इसके अलावा, सर्वश्रेष्ठ सिनेमेटोग्राफी और एडिटिंग जैसे तकनीकी पुरस्कार और सर्वश्रेष्ठ स्क्रीनप्ले और संगीत जैसे रचनात्मक पुरस्कार भी शामिल होंगे. इनके अलावा, लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड, उभरती प्रतिभा और साल की सर्वश्रेष्ठ भोजपुरी फिल्म जैसी खास श्रेणियां भी होंगी, जिसमें इंडस्ट्री के दिग्गजों और नए कलाकारों की उपलब्धियों को सम्मानित किया जाएगा.

सरस सलिल अवार्ड्स के बारे में अधिक जानने और नए समाचारों से अपडेट रहने के लिए, उनकी आधिकारिक वेबसाइट सरस सलिल पुरस्कार पर जाएं.

सरस सलिल के बारे में

सरस सलिल भारत की अग्रणी हिंदी पत्रिकाओं में से एक है, जिसे दिल्ली प्रेस द्वारा प्रकाशित किया जाता है. यह अपनी बेहतर लेख के लिए जानी जाती है, जिसमें सिनेमा, लाइफस्टाइल, संस्कृति और सामाजिक मुद्दों सहित कई विषयों को शामिल किया जाता है. भारत और उसके बाहर के पाठकों के साथ, सरस सलिल भोजपुरी सिनेमा पर विशेष ध्यान देने के साथ अलग-अलग रीजनल फिल्म इंडस्ट्री को बढ़ावा देने और उनका जश्न मनाने में सबसे आगे रहा है. अपने पुरस्कारों के माध्यम से, सरस सलिल प्रतिभा, कड़ी मेहनत और रचनात्मकता के लिए मान्यता का प्रतीक बना हुआ है, जो दर्शकों का मनोरंजन करने और उन्हें प्रेरित करने वाली फिल्में बनाने में जाता है.

मीडिया जानकारी के लिए

Nishant Bansal / Madhuri Singh
995325301/ 8510915561
Teammate PR

Bhojpuri Interview: भोजपुरी में छोटी और कुंठित फिल्में बन रही हैं – अवधेश मिश्रा

Bhojpuri Interview: भोजपुरी सिनेमा इंडस्ट्री में खलनायक का किरदार निभाने वाले कई ऐसे चेहरे हैं, जिन को परदे पर देख कर डर लगने लगता है. उन्हीं एक्टरों में से एक हैं अवधेश मिश्र, जो रविकिशन के बाद भोजपुरी के ऐसे ऐक्टर है, जिन्होंने भोजपुरी के साथसाथ तमिल सिनेमा और बौलीवुड में भी अपने दमदार रोल से दर्शकों के ऊपर अमिट छाप छोड़ी है.

अवधेश मिश्रा खलनायक के रूप में जितनी बार भी परदे पर नजर आते हैं, दर्शकों का रोमांच उतना ज्यादा बढ़ता जाता है. भोजपुरी सिनेमा इंडस्ट्री में खलनायक का किरदार निभाने में उन का कोई सानी नहीं है. उन की खलनायकी से दर्शक स्क्रीन के सामने जोश में भर उठते हैं. भोजपुरिया बैल्ट में विलेन के रूप में अवधेश मिश्र की तुलना बौलीवुड के अमरीश पुरी और आशुतोष राणा जैसे ऐक्टरों से की जाती है. उन्होंने साल 2014 में तमिल फिल्म ‘पूजाई’ और साल 2015 में बौलीवुड फिल्म ‘डर्टी पौलिटिक्स’ में लीड विलेन के रूप में दर्शकों का मन मोह लिया था. उन के फिल्मी सफर को ले कर लंबी बातचीत हुई. पेश हैं, उसी के खास अंश :

भोजपुरी फिल्मों में आप का शुरुआती सफर कैसा रहा?

जब मैं ने सिनेमा इंडस्ट्री में कदम रखा, तो शुरुआती दिनों में काफी संघर्ष का सामना करना पड़ा. लेकिन उस बुरे वक्त में मेरी पत्नी ने हाथ थाम कर मेरा मनोबल बढ़ाया. फिर समय ने पलटी ली और मुझे भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री सहित तमिल और हिंदी फिल्मों में लीड विलेन के तौर पर काम मिलना शुरू हुआ.

आज भोजपुरी सिनेमा केवल टैलीविजन और यूट्यूब तक ही सिमट कर रह गया है. इस की क्या वजह है?

भोजपुरी में पहले जब फिल्में बनती थीं, तो सिनेमाहाल में रिलीज होती थीं. आजकल भोजपुरी में फिल्में ही नहीं, बल्कि टैली फिल्में बन रही हैं, जो टैलीविजन पर प्रसारित और रिलीज होती हैं. इस की 80 फीसदी औडियंस औरतें हैं. जब किसी खास औडियंस को ध्यान में रख कर एक ही ढर्रे पर फिल्में बनेंगी, तो ये फिल्में सिनेमाहाल तक नहीं जा पाती हैं. यही वजह है कि भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री दूसरी फिल्म इंडस्ट्री से काफी पीछे छूट गई है.

आप ने दूसरी फिल्म इंडस्ट्री से भोजपुरी के पिछड़ने की बात कही है. भोजपुरी फिल्में कहां पीछे छूट रही है?

भोजपुरी फिल्में साउथ और बौलीवुड की फिल्मों से बहुत पीछे छूट चुकी हैं. दूसरी फिल्म इंडस्ट्री में माहिर डायरैक्टर और कलाकार होते हैं, वहां सिनेमा को बहुत ऊंचा दर्जा दिया जाता है, जबकि भोजपुरी सिनेमा को नाम और पैसा कमाने का जरीया मान लिया गया है. दूसरी फिल्म इंडस्ट्री के लोग सिनेमा के लिए कुछ भी कर सकते हैं, जबकि भोजपुरी वाले खुद के लिए कुछ भी कर सकते हैं.

आप भोजपुरी सिनेमा इंडस्ट्री को किस मुकाम पर देख पा रहे हैं?

पहली बात तो यह कि भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री नाम की कोई चीज बची ही नहीं है, क्योंकि कुछ लोगों ने इसे फिल्म इंडस्ट्री से अलबम इंडस्ट्री बना दिया है.

क्या वजह है कि भोजपुरी फिल्मों के मूल दर्शक भोजपुरी सिनेमा से कटते जा रहे हैं?

यहां के सिंगर्स ने भोजपुरी सिनेमा को दर्शक की जगह श्रोता बना दिया है. इसलिए भोजपुरी के लिए अच्छा सोचने और करने वालों को फिर से भोजपुरी सिनेमा के लिए लंबी लड़ाई लड़नी पड़ेगी. मैं ने भोजपुरी सिनेमा के जीवनकाल में एक भोजपुरी कलाकार, निर्माता और निर्देशक के तौर पर बहुत अच्छा काम किया है, लेकिन अब लड़ाई और भी गंभीर है.

पिछले कुछ सालों से सासबहू वाले एकजैसे टाइटिल की बाढ़ सी आ गई है. इस की क्या वजह है?

भोजपुरी फिल्मों का टाइटिल जो है, भोजपुरिया बैल्ट की औरतों को देख कर तय किया जा रहा है. भोजपुरिया बैल्ट में सास, बहू, ननद, भौजाई वगैरह के रिश्ते में खटास और कुंठा बढ़ती जा रही है. समाज जिस कुंठा से घिरा हुआ है, भोजपुरी में उसी कुंठा को टारगेट कर के फिल्में बन रही हैं.

महिला दर्शक फिल्मों के कैरेक्टर की जगह खुद को रख कर देखती हैं, इसलिए सासबहू वाली फिल्में ज्यादा पसंद की जा रही हैं. मेरा मानना है कि भोजपुरी में छोटी और कुंठित फिल्में बन रही हैं.

जब फिल्में सिनेमाहाल में रिलीज नहीं हो रही हैं, तो इन की कामयाबी का पैमाना कैसे मापा जाता है?

भोजपुरी फिल्मों की कामयाबी का पैमाना आजकल टैलीविजन के पैमाने पर निर्भर है, जिसे हम टीआरपी और जीआरपी के नाम से जानते हैं. लेकिन फिल्में कामयाबी मापने का यह पैमाना मु?ो मजाक जैसा लगता है.

आप की तुलना अमरीश पुरी और आशुतोष राणा जैसे दिग्गज विलेन से की जाती है. यह सुन कर आप को कैसा लगता है?

मेरी तुलना जब भी अमरीश पुरी और आशुतोष राणा जैसे कलाकारों से होती है, तो दुख होता है. क्योंकि यहां एक घटिया से घटिया अलबम भी मिलियन में देखा जाता है और अच्छे विषय, अच्छे कलाकारों व तकनीकी के साथ बनी फिल्म को दर्शक ही नहीं मिलते हैं. टीआरपी, जीआरपी और मिलियन के जमाने में सब मजाक लगने लगा है. इसलिए मेरा मानना है कि मैं अवधेश मिश्र ही रहूं और उसी रूप में मेरी पहचान हो.

उत्तर प्रदेश की तुलना में बिहार में भोजपुरी फिल्मों की शूटिंग न होने की कोई खास वजह?

पिछले कई सालों से बिहार में भोजपुरी फिल्मों की शूटिंग थम सी गई गई है. फिल्मकार बिहार सरकार के असहयोगी रवैए के चलते बिहार का रुख नहीं करते हैं, जबकि बिहार में सब से ज्यादा भोजपुरी फिल्में देखी जाती हैं.

हाल ही में भोजपुरी जगत के कुछ लोगों ने बिहार सरकार से मुलाकात की थी. आशा है, जल्दी ही बिहार में फिर से भोजपुरी शूटिंग की शुरुआत होगी. फिल्म प्रोत्साहन के मामले में उत्तर प्रदेश सरकार बहुत अच्छी है.

भोजपुरी सिनेमा को पीछे धकेलने में आप किस को दोषी मानते हैं?

भोजपुरी सिनेमा को पीछे धकेलने में केवल दोषी आजकल के सिंगर्स हैं, जिन्होंने भोजपुरी को बहुत पीछे धकेल दिया है.

भोजपुरी सिनेमा के बढ़ते कलाकारों में पौपुलर हैं फिल्मों की ये जोड़ियां

भोजपुरी सिनेमा में एक से बढ़ कर एक फिल्में, गाने, ऐक्टरऐक्ट्रैस देखने को मिलते हैं. जितनी इन की फिल्में पौपुलर हैं, उस से कहीं ज्यादा हिट जोड़ियां भी हैं. ये जोड़ियां रियल लाइफ में एकदूसरे को पसंद करती हों या न करती हों, लेकिन रील लाइफ में इन की जोड़ियों को काफी पसंद किया जाता है. दर्शक इन्हें फिल्मी परदे पर देखने के लिए हमेशा बेताब रहते हैं. इन के बीच की कैमिस्ट्री लोगों को खूब पसंद आती है.

 

View this post on Instagram

 

A post shared by Sarassalil (@sarassalil_magazine)


भोजपुरी सिनेमा के ऐसे कई कलाकार हैं, जो अपनी जोड़ियों के बलबूते अपनी फिल्म हिट करा देते हैं या गाना सुपरहिट हो जाता है.

दिनेशलाल यादव और आम्रपाली दुबे की जोड़ी

दिनेशलाल यादव ‘निरहुआ’ और आम्रपाली दुबे भोजपुरी फिल्मों की सब से हिट जोड़ी मानी जाती है. दर्शक इन दोनों को एकसाथ देखना पसंद करते हैं. यही वजह है कि इन दोनों ने एकसाथ 20 से अधिक फिल्में की हैं.

आम्रपाली ने पहली फिल्म ‘राजा हिंदुस्तानी’ दिनेशलाल यादव ‘निरहुआ’ के साथ ही की थी. इस के बाद यह जोड़ी काफी हिट हुई.

विक्रांत और मोनालिसा की जोड़ी

विक्रांत और मोनालिसा की जोड़ी सब से हौट जोड़ी मानी जाती है. रील लाइफ और रियल लाइफ में इन दोनों की कैमिस्ट्री अच्छी दिखती है. दोनों ‘बिग बौस’ में हुई अपनी शादी को ले कर भी काफी चर्चा में थे. दोनों ने एकदूसरे के साथ कई फिल्में भी की हैं. शादी के बाद दोनों अपनी आने वाली फिल्म की शूटिंग में बिजी हो गए. दोनों को पहले रील लाइफ से पसंद किया गया, फिर दोनों एकदूसरे के करीब आए और एकदूसरे को अपना जीवनसाथी चुन लिया. दोनों में जम कर प्यार हुआ और जोड़ी सुपरहिट हो गई.

इन दोनों को एकसाथ फिल्म परदे पर देखने के लिए फैंस काफी ऐक्साइटेड रहते हैं. दोनों की ऐक्टिंग भी जबरदस्त है, जो फैंस को काफी पसंद आती है.

यश और पूनम की जोड़ी

ऐसी ही एक हिट जोड़ी है यश और पूनम की जोड़ी, दोनों ने एकदूसरे के साथ कई हिट फिल्में की हैं. फिल्मों में दोनों की अच्छी कैमिस्ट्री देखने को मिलती है. शूटिंग से ले कर फिल्म प्रमोशन तक दोनों काफी वक्त एकदूसरे के साथ देखे जाते रहे हैं. दोनों को भोजपुरी की बैस्ट जोड़ी माना गया है. ऐक्टर यश के साथ पूनम को बड़े परदे पर काफी पसंद किया जाता है. दोनों ही पौपुलर स्टार हैं.

विनय और गुंजन पंत की जोड़ी

विनय और गुंजन पंत की जोड़ी भी भोजपुरी फिल्मों की हिट जोड़ी है. विनय और गुंजन को फैंस एकसाथ देखना पसंद करते हैं. दोनों ने एकदूसरे के साथ कई फिल्में भी की हैं. इन दोनों की हौट जोड़ी जब भी सिनेमा के परदे पर उतरती है, दर्शकों को खूब पसंद आती है. यह जोड़ी भोजपुरी की जान है.

खेसारीलाल और काजल राघवानी की जोड़ी

ऐसी ही एक और हिट जोड़ी है जिस की चर्चा जोरों पर होती है. वह है खेसारीलाल यादव और काजल राघवानी की जोड़ी. दोनों की फिल्म ‘मेहंदी लगा के रखना’ ने सिनेमाघरों में धूम मचाई थी. इन्हें फैंस आने वाले समय की शाहरुखकाजोल की जोड़ी बताया करते हैं. भोजपुरी फिल्मों में इन दोनों को एकसाथ देखना इतना पसंद किया जाता है कि डायरैक्टर दोनों की साथ ही फिल्में बनाते हैं.

अनारा गुप्ता और करण की जोड़ी

भोजपुरी मूवीज की हौट ऐक्ट्रैस अनारा गुप्ता और करण की जोड़ी को खूब पसंद किया जाता है. वहीं वे दोनों रील के साथसाथ रियल लाइफ में भी एकदूसरे को बेहद प्यार करते हैं. इन की शुरुआत रील लाइफ से हुई और रियल लाइफ में प्यार में बदल गई. फैंस इन्हें एकसाथ एक फिल्म परदे पर देखने के लिए बेताब रहते हैं. दोनों की कैमिस्ट्री को सिल्वर स्क्रीन पर खूब प्यार मिलता है.

भोजपुरी एक्ट्रेस अक्षरा सिंह ने इवेंट में किया कमाल, लोगों ने जमकर मचाया हुड़दंग

भोजपुरी एक्ट्रेस अक्षरा सिंह आए दिन किसी न किसी वजह से चर्चा में बनी रहती हैं. सोशल मीडिया पर अक्षरा सिंह छाई हुई हैं. उनकी तस्वीरें और वीडियोज इंटरनेट पर बवाल मचा देती है. यही वजह है कि अक्षरा सिंह को लोग सोशल मीडिया क्वीन कहते हैं. बता दें कि अक्षरा सिंह की फैन फॉलोइंग काफी तगड़ी है. अक्षरा सिंह की एक झलक पाने के लिए फैंस बेताब रहते हैं. हाल ही में भोजपुरी क्वीन अक्षरा सिंह बिहार के औरंगाबाद में एक इवेंट में गई थीं. इस दौरान वहां ऐसा कुछ हुआ कि सभी लोग दंग रह गए.

 

View this post on Instagram

 

A post shared by Akshara Singh (@singhakshara)


भोजपुरी एक्ट्रेस अक्षरा सिंह के इवेंट में कई बार बवाल हो चुका है. लेकिन अब एक बार फिर से अक्षरा सिंह के कार्यक्रम में विवाद हुआ है. दरअसल अक्षरा सिंह को औरंगाबाद के दाउद नगर में एक एक शोरुम के उद्घाटन में जाना था. हालांकि फ्लाइट लेट होने की वजह से अक्षरा इस इवेंट में देरी से पहुंची. काफी समय से अक्षरा सिंह का इंतजार कर रहे फैंस को उनका अंदाज पसंद नहीं आया. शुरुआत में तो अक्षरा सिंह ने लोगों को एंटरटेन किया. हालांकि बाद में माहौल बिगड़ गया. अक्षरा सिंह के साथ सेल्फी लेने के चक्कर में लोग धक्का-मुक्की करने लगे. इसके बाद पत्थरबाजी शुरू हो गई. हालांकि पुलिस ने एक्शन लिया और लाठीचार्ज भी किया.

 

View this post on Instagram

 

A post shared by Akshara Singh (@singhakshara)


बताते चलें कि अक्षरा सिंह सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव रहती हैं और अक्सर अपने फैंस के साथ तस्वीरें और वीडियोज शेयर करती रहती हैं. अक्षरा सिंह के हर पोस्ट पर लोग जमकर प्यार बरसाते हैं. मालूम हो कि अक्षरा सिंह ने भोजपुरी के साथ-साथ टीवी इंडस्ट्री में भी अपना जलवा बिखेरा हैं.अक्षरा सिंह रियलिटी शो बिग बॉस ओटीटी 2 में नजर आई थीं. इस शो के बाद उन्हे टीवी की दुनिया में भी पहचान मिल गई थी.

भोजपुरी का यह ‘चौकलेटी बौय’ 9 महीने फिल्म की शूटिंग, 3 महीने खेती करता है

भोजपुरी सिनेमा कुछ चुनिंदा कलाकारों की बदौलत जाना जाता है. भोजपुरी के जो कलाकार आज बुलंदियों पर हैं, उस में उन की गायकी का बहुत बड़ा योगदान रहा है. भोजपुरी सिनेमा में गायक से नायक बने ऐक्टरों को छोड़ दिया जाए, तो जितने भी लोग भोजपुरी सिनेमा में अपनी किस्मत अजमाने आए, उन्हें दर्शकों ने एक सिरे से नकार दिया. लेकिन भोजपुरी सिनेमा में ऐक्टर विमल पांडेय एक ऐसा नाम हैं, जिन का गायन से दूरदूर तक कोई नाता नहीं रहा है. इस के बाद भी वे भोजपुरी सिनेमा के सब से कामयाब और बिजी ऐक्टरों में गिने जाते हैं.

विमल पांडेय भोजपुरी में लगातार सुपरहिट फिल्में देने की वजह से आजकल काफी सुर्खियों में हैं. भोजपुरिया बैल्ट में ‘चौकलेटी बौय’ और ‘लवर बौय’ के नाम से चर्चित विमल पांडेय ने इस भरम को तोड़ने में भी कामयाबी पाई है कि भोजपुरी सिनेमा में वही हीरो के तौर पर कामयाब हो सकता है, जिस ने गायकी के जरीए ऐक्टिंग जगत में कदम रखा है.

भोजपुरी में दर्जनों रोमांटिक फिल्में देने वाले विमल पांडेय की फिल्म ‘हीरा बाबू एमबीबीएस’ ने लंबे समय बाद सिनेमाघरों के सूखे को खत्म करते हुए लगातार 3 हफ्ते तक हाउसफुल रहने का रिकौर्ड बनाया.

विमल पांडेय ने ‘मातृभूमि’, ‘मेरे हमसफर’, ‘आईपीएस देवी’, ‘गंगा तेरी मैली हो गई’, ‘हीरा बाबू एमबीबीएस’, ‘दीवाना मैं या तू’, ‘बलम मोरा रंगरसिया’, ‘दिल धड़के तोहरे नाम’, ‘मैं हूं मजनू तेरा’, ‘हमरे मरद के मेहरारू’, ‘अकेले हम अकेले तुम’ जैसी दर्जनों फिल्में की हैं, जिन में से कुछ जल्द ही रिलीज होने वाली हैं.

उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में अपनी फिल्म के प्रमोशन के सिलसिले में आए विमल पांडेय से हुई मुलाकात में लंबी बातचीत हुई. पेश हैं, उसी के खास अंश :

भोजपुरी सिनेमा में बिना गायक बने आप को बतौर हीरो इतनी बड़ी कामयाबी कैसे मिली?

भोजपुरी में मेरी कामयाबी का राज केवल नैचुरल ऐक्टिंग और मेरा हीरो वाला लुक रहा है. मैं ने शुरुआती दौर में छोटेछोटे रोल के जरीए फिल्मों में पहचान बनाने की कोशिश की थी, लेकिन मेरी अदाकारी और लुक को देखते हुए मेरे ऊपर फिल्मकारों ने दांव लगाया, जिस का नतीजा यह रहा कि दर्शकों ने मुझे खूब प्यार दिया और फिल्मों में मुझे लगातार कामयाबी मिलती गई. मैं आज गर्व से कहता हूं कि मेरी कामयाबी में दर्शकों के साथसाथ फिल्म प्रोड्यूसरों के भरोसे का बड़ा योगदान रहा है.

आप की फिल्म ‘हीरा बाबू एमबीबीएस’ सिनेमाघरों में लगातार 3 हफ्ते तक हाउसफुल रही है. इस बारे में आप कैसा महसूस कर रहे हैं?

मुझे खुशी है कि मेरी इस फिल्म ने लंबे समय के बाद टिकट खिड़की के दबाव को कम किया है. मुझे यकीन है कि इस से भोजपुरी सिनेमा में निराशा का दौर छंटेगा.

फिल्म ‘हीरा बाबू एमबीबीएस’ में ऐसा क्या था, जो यह फिल्म इतनी बड़ी हिट रही?

यह एक फुल कौमेडी और पारिवारिक फिल्म है, जिस में सभी कलाकारों ने अपना बैस्ट देने की कोशिश की है. भोजपुरी सिनेमा में ‘हीरा बाबू एमबीबीएस’ के रूप में दर्शकों को लंबे समय बाद ऐसी फुल मस्ती वाली फिल्म देखने को मिली थी और यही वजह है कि यह फिल्म हिट साबित हुई है.

आप ने अचानक फिल्म डिस्ट्रीब्यूशन में भी कदम रख कर सब को चौंका दिया है. इस की क्या वजह है?

भोजपुरी सिनेमा में फिल्में तो बहुत बन रही हैं, लेकिन फिल्मों को मनचाही कामयाबी न मिलने से डिस्ट्रीब्यूटर पैसा लगाने से डरते हैं, इसीलिए मैं ने यह फैसला लिया कि भोजपुरी सिनेमा से जुड़े इस मिथक को मैं तोडूंगा. लिहाजा, मैं ने अपनी फिल्म डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी ‘विमल कुमार पांडेय ऐंटरटेनमैंट’ बना कर उत्तर प्रदेश सिनेमाघरों में अपनी ही फिल्म ‘हीरा बाबू एमबीबीएस’ को रिलीज किया.

भोजपुरी के आप पहले ऐक्टर हैं, जो अपनी ऐक्टिंग के साथसाथ खेतीबारी को भरपूर समय देते हैं. लगातार फिल्मों की शूटिंग और इस के साथसाथ खेतीबारी का काम एकसाथ कैसे हो पाता है?

आप का प्रोफेशन आप की बुनियादी जरूरतें पूरी कर सकता है. आप की ख्वाहिशें पूरी कर सकता है, लेकिन पेट की आग केवल अनाज के निवाले से बुझ सकती है. मैं क्या दुनिया का कोई भी इनसान बिना खाए नहीं रह सकता है, इसलिए मैं जितना जरूरी अपने ऐक्टिंग प्रोफैशन को मानता हूं, उस से ज्यादा अपने बापदादा की विरासत और खेतीबारी को मानता हूं, इसलिए मैं खेतीबारी के सीजन में बोआई, कटाई और मंड़ाई के समय में फिल्मों के शूटिंग की तारीख नहीं देता हूं, बल्कि इन दिनों मै अपना पूरा समय खेतीबारी को देता हूं.

मेरा मानना है कि हर इनसान अगर साल के 3 महीने खेतीबारी को दे और 9 महीने अपने प्रोफैशन को दे, तो देश में कोई भी आदमी भूखा नहीं रहेगा.

भोजपुरी फिल्मकारों का का कहना है कि आप हमेशा खुद को चुनौती देना पसंद करते हैं. इस बारे में आप का क्या कहना है?

जिस क्षेत्र में चुनौतियां होती हैं, उस के जब नतीजे आते हैं, तो वे लीक से हट कर होते हैं. मेरा भी यही मानना है कि जब तक मेरे अभिनय में चुनौती नहीं होगी, तब तक मैं अपने असली हुनर को दर्शकों के सामने नहीं ला पाऊंगा, इसीलिए मैं हमेशा चुनौतियों वाले रोल ही पसंद करता हूं.

आप का खुद कहते हैं कि आप को चुनौतियां पसंद हैं, तो फिर भोजपुरी में सुपरहीरो पर फिल्में कब बनेंगी?

भोजपुरी में भी सुपरहीरो पर फिल्में बनेंगी और कामयाब भी होंगी. अभी भोजपुरी में सुपरहीरो पर फिल्में बनने का समय नहीं है, क्योंकि भोजपुरी फिल्मों का बजट उतना नहीं है, जितने में सुपरहीरो वाली फिल्में बनाई जा सकें. लेकिन आप ने बात छेड़ ही दी है, तो आप को भरोसा दिलाता हूं कि भोजपुरी में सुपरहीरो वाली पहली फिल्म की घोषणा मैं जल्द ही करूंगा.

ऐक्टिंग लाइफ से जुड़ा कोई ऐसा किस्सा जो आप को अच्छा न लगा हो?

हाल ही में मैं ने भोजपुरी की ‘बबली गर्ल’ रितु सिंह के साथ एक फिल्म ‘अकेले हम अकेले तुम’ की थी, जिस में एक सीन में रितु सिंह मेरे साथ ब्राइडल लुक में नजर आई थीं. पता नहीं यह फोटो कैसे वायरल हो गया, जिसे लोगों ने रियल शादी का नाम दे कर खूब वायरल किया, जबकि यह रील का हिस्सा था.

इसी तरह मेरी फिल्म ‘हीरा बाबू एमबीबीएस’ से जुड़े एक शादी के फोटो को वायरल कर एक हीरोइन से मेरे शादी के चर्चे उड़ा दिए गए थे. मुझे लगता है कि सोशल मीडिया पर कुछ लाइक्स और कमैंट्स के लिए इस तरह की चीजें नहीं होनी चाहिए.

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें