क्रिकेट: ट्वैंटी 20 वर्ल्ड कप- मरती खेल भावना, ट्रोल होते खिलाड़ी

रविवार, 13 नवंबर, 2022 को आस्ट्रेलिया के मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड में आईसीसी ट्वैंटी20 वर्ल्ड कप का फाइनल मुकाबला था. सामने थे पाकिस्तान और इंगलैंड. स्टेडियम में तकरीबन 80,000 दर्शक थे और ज्यादातर पाकिस्तान के पक्ष में दिखाई दे रहे थे.

पर इस मैच में इंगलैंड के खिलाडि़यों ने उम्दा खेल दिखाते हुए खिताब अपने नाम किया. पाकिस्तान ने कुल बनाए 137 रनों को बचाने की पूरी कोशिश की, पर सब बेकार गया.

इस तरह 16 अक्तूबर, 2022 को शुरू हुआ यह खेल तमाशा खत्म हो गया, लेकिन अगर ध्यान से देखें तो सोशल मीडिया पर एक अलग ही खेल चल रहा था, जो क्रिकेट की भलाई के लिए तो बिलकुल भी नहीं था.

इस खेल में खिलाडि़यों के लिए नफरत भरी ट्रोलिंग के साथसाथ ऐसे बचकाने संयोगों की बात की गई थी, जो क्रिकेट के माहिरों को भी अपनी चपेट में ले चुकी थी.

सब से बड़ा और अजबगजब संयोग तो पाकिस्तान के साथ जुड़ा था. दरअसल, साल 1992 के वनडे वर्ल्ड कप में पाकिस्तान की टीम जैसे हालात में फाइनल मुकाबले में पहुंची और उसे जीती थी, तकरीबन वैसा ही कुछ इस बार भी दिखा था.

जैसे, इस बार की तरह साल 1992 में भी वर्ल्ड कप आस्ट्रेलिया में हुआ था. तब भी आस्ट्रेलियाई टीम लीग मुकाबलों से आगे नहीं पहुंच पाई थी. उस समय भी पाकिस्तान अपने लीग मुकाबले में भारत से हार गया था. फिर सैमीफाइनल मुकाबले में पाकिस्तान ने न्यूजीलैंड को मात दी थी और फाइनल में इंगलैंड से भिड़ कर उस ने ट्रौफी जीती थी.

इतना ही नहीं, इस बार के फाइनल मुकाबले में जब इंगलैंड के तेज गेंदबाज बेन स्टोक्स ने मैच की पहली ही गेंद ‘नो बाल’ फेंकी, तो पाकिस्तानी फैन खुशी से उछल पड़े, क्योंकि साल 1992 के फाइनल मुकाबले में भी इंगलैंड ने पहले गेंदबाजी की थी और मैच का पहला ओवर फेंकने वाले डेरेक प्रिंगल ने भी ‘नो बाल’ फेंकी थी. इस से पाकिस्तानियों को यकीन हो गया कि 30 साल पहले जो कारनामा हुआ था, वह दोहराया जाएगा.

पर अफसोस, ऐसा हो न सका और इंगलैंड ने आसानी से यह मैच जीत कर साबित कर दिया कि संयोग नाम की कोई चीज नहीं होती और खेल में जो खिलाड़ी आखिर तक दिमागी तौर पर मजबूत रह कर खेलता है, वह मुकाबला अपने हक में कर सकता है.

अगर इस संयोग को सिर्फ आम लोग ही तरजीह देते, तो यह बात मान ली जा सकती थी कि वे भावनाओं में बह कर ऐसी बचकानी बातों पर यकीन कर लेते हैं, पर जब क्रिकेट के माहिर और खुद खिलाड़ी ही ‘सबकुछ ऊपर वाले की बदौलत होता है’ का प्रचार करते हैं, तो वे अपनी मेहनत पर ही सवालिया निशान लगा देते हैं.

अगर संयोग ही इतने ज्यादा मजबूत थे, तो फिर पाकिस्तान के गेंदबाज क्यों मैदान पर अपनी जान झोंक रहे थे? सब संयोग और ऊपर वाले पर ही छोड़ देते. लेकिन वे भी मन से तो यही जानते हैं कि संयोग जैसी चीज कुछ नहीं होती है. खिलाड़ी की खेल भावना और कोशिश ही नतीजे पर असर डालती है.

वैसे, यह अच्छा हुआ कि पाकिस्तान फाइनल मुकाबला हार गया, क्योंकि अगर वह जीत जाता तो खबरों में इसी संयोग का ऐसा प्रचारप्रसार किया जाता कि लोगों के मन में एक नए तरीके का अंधविश्वास घर कर जाता.

इस संयोग के अलावा खेल भावना का जिस ने कत्ल किया, वह थी ट्रोलर समाज की वाहियात सोच. इस टूर्नामैंट में 12 देशों ने हिस्सा लिया था, पर लग ऐसा रहा था कि भारत और पाकिस्तान ही खेलने आए हैं, बाकी देश तो बस तफरीह कर के वापस चले जाएंगे.

भारत का पहला मुकाबला ही पाकिस्तान के साथ था और इस मैच का इतना ज्यादा प्रचार किया गया था मानो यही फाइनल मुकाबला है.

यह सच है कि भारत और पाकिस्तान के बीच किसी भी खेल में आपसी मुकाबला हो तो एक अलग तरह का तनाव रहता है और इस में कोई बुराई भी नहीं है, पर इस तनाव से खेल कहीं मर जाता है. खेल का मैदान लड़ाई का मैदान बन जाता है और सब के दिमाग में यही बात चल रही होती है कि चाहे किसी से भी हार जाना, पर पाकिस्तानी से मत हारना. ऐसा ही कुछ दबाव सरहद पार वालों पर भी रहता है.

भारत ने पाकिस्तान के साथ हुआ वह रोमांचक मुकाबला आखिरी गेंद पर जीता था. जीत भी ऐसी कि जो पाकिस्तान

से मुंह के निवाले की तरह छीनी गई थी. जब पाकिस्तान को लग रहा था कि

यह मुकाबला उस के हक में जा रहा है, तब विराट कोहली ने अपनी शानदार बल्लेबाजी से मैच का रुख ही नहीं पलटा, बल्कि उस पर कब्जा भी जमा लिया था.

पाकिस्तान उस हार को किसी तरह जज्ब कर गया और जब फाइनल में पहुंचा तो उसे लगा कि चूंकि सामने इंगलैंड की टीम है तो वह ट्रौफी पर कब्जा जमा सकता है. उसे इस बात की भी खुशी थी कि इंगलैंड ने सैमीफाइनल मुकाबले में भारत को 10 विकेट से धो डाला था.

इस के बाद शुरू हुआ ट्रोल करने

का गंदा खेल, जिस में शामिल हुए पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ, जिन्होंने  ट्वीट कर भारत पर तंज कसा था कि रविवार को 152/0 बनाम 170/0 का फाइनल मुकाबला होगा.

बता दें कि ट्वैंटी20 वर्ल्ड कप, 2022 के सैमीफाइनल मुकाबले में भारत के खिलाफ इंगलैंड का स्कोर 170/0 रहा था, जबकि पिछले ट्वैंटी20 वर्ल्ड कप

में पाकिस्तान ने भारत को 10 विकेट से हराया था. उस वक्त पाकिस्तान का स्कोर 152/0 था.

पर प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ का यह तंज उन पर ही भारी पड़ गया. भारतीय यूजर्स ने उन्हें करारा जवाब दिया. किसी ने ट्वीट कर लिखा कि आप किस को सपोर्ट करोगे, क्योंकि आप का पैसा तो इंगलैंड में ही इंवैस्ट हुआ है.

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के ट्वीट का जवाब देते हुए भारत के तेज गेंदबाज रह चुके इरफान पठान ने लिखा, ‘आप में और हम में यही फर्क है. हम अपनी खुशी से खुश और आप दूसरे की तकलीफ से, इसलिए खुद के मुल्क को बेहतर करने पर ध्यान नहीं है.’

ट्रोलिंग के इस खेल से खिलाड़ी भी अछूते नहीं रहे. जब पाकिस्तान अपना फाइनल मुकाबला इंगलैंड से हारा तो वहां के तेज गेंदबाज रह चुके ‘रावलपिंडी ऐक्स्प्रैस’ शोएब अख्तर ने सोशल मीडिया पर टूटे दिल के इमोजी से हार का दुख मनाया. शोएब अख्तर के उस ट्वीट पर भारतीय तेज गेंदबाज मोहम्मद शमी ने लिखा, ‘सौरी भाई, इसे ही कर्म कहते हैं.’

मोहम्मद शमी के इस ट्वीट पर पाकिस्तान के आलराउंडर रह चुके शाहिद अफरीदी ने टैलीविजन पर कहा, ‘हम लोग जो क्रिकेटर हैं, हम एंबेसडर हैं, रोल मौडल हैं. हमारी कोशिश होनी चाहिए कि यह सब खत्म होना चाहिए. हम एकदूसरे के पड़ोसी हैं. ऐसी चीज नहीं होनी चाहिए, जिस से लोगों के बीच में नफरत फैले.’

मोहम्मद शमी की इस ट्वीट पर पाकिस्तान के तेज गेंदबाज रहे वसीम अकरम ने पाकिस्तान के एक चैनल ‘ए स्पोर्ट्स’ पर ‘द पवेलियन शो’ के दौरान कहा, ‘हमें इन मामलों में न्यूट्रल रहना चाहिए. भारतीय अपने देश के लिए देशभक्त हैं, मुझे इस में कोई परेशानी नहीं और हम अपने देश को ले कर देशभक्त हैं. लेकिन जलती पर तेल डालना, ट्वीट पर ट्वीट करना… ऐसा मत करो यार…’

शाहिद अफरीदी और वसीम अकरम की चिंता जायज है, पर आने वाले समय में ऐसा होगा, यह लग तो नहीं रहा है, क्योंकि अब क्रिकेट खेल से ज्यादा ट्रोलिंग करने का बहाना हो गया है. पाकिस्तान और भारत के मैच में लोग उस का लुत्फ लेने से ज्यादा अपनी जान जलाते हैं. उन्हें हर हाल में अपनी जीत चाहिए होती है, ताकि हारने वाले को ट्रोल किया जा सके.

बहुत बार यह ट्रोलिंग उस लैवल तक चली जाती है, जहां हिंदूमुसलिम मुद्दे को भड़काया जा सके. फिर चाहे पाकिस्तान कितना ही अच्छा खेल दिखा दे या कोई भारतीय मैच पलटने वाली पारी खेल दे, पर चूंकि हिंदूमुसलिम या भारतपाकिस्तान दिमाग में घुसा होता है, तो ऐसे में खेल और उस का मजा मर जाता है. अच्छी बल्लेबाजी, गेंदबाजी या फील्डिंग पर ताली बजाने के बजाय लोग इस बात की दुआ करते हैं कि चाहे विरोधी टीम वालों के हाथपैर टूट जाएं, पर जीत हमें ही मिले.

लोगों की यह सोच बड़ी खतरनाक है और सोशल मीडिया इस आग में घी डालने का काम करता है. सच तो यह है कि सोशल मीडिया अब टैंशन बढ़ाने की मशीन बन चुका है और इस की चपेट में खेल और खिलाड़ी दोनों आ रहे हैं.

आईपीएल नीलामी: खेलखेल में बने करोड़पति

यह बात इंडियन प्रीमियर लीग के खिलाड़ियों की नीलामी पर कतई लागू नहीं होती है. 18 फरवरी, 2021 की नीलामी में तो कम से कम यही पता चला. यकीन न हो तो कृष्णप्पा गौतम की मिसाल ले लीजिए. अब आप पूछेंगे कि ये महाशय कौन हैं? तो जनाब, ये हैं उभरते हुए भारतीय क्रिकेटर, उम्र 32 साल (अभी भी उभर ही रहे हैं) और फिलहाल इंगलैंड के खिलाफ चल रही टैस्ट सीरीज में बतौर नैट गेंदबाज भारतीय टीम के साथ हैं.

कर्नाटक के कृष्णप्पा गौतम वैसे तो स्पिन गेंदबाज हैं, पर वे आलराउंडर बताए जाते हैं. हालांकि उन्होंने अभी तक इंटरनैशनल लैवल का एक भी मैच नहीं खेला है, मतलब वे ‘अनकैप्ड’ खिलाड़ी हैं, पर उन की बोली की रकम आप के होश उड़ा देगी. उन का बेस प्राइज 20 लाख रुपए था, लेकिन बोली ऐसी बढ़ी कि उन्हें चेन्नई वालों ने सवा 9 करोड़ रुपए में खरीदा यानी उन के बेस प्राइज से 46 गुना से भी ज्यादा पैसा मिला.

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अब कृष्णप्पा गौतम कितने अच्छे खिलाड़ी हैं, यह तो आने वाला आईपीएल टूर्नामैंट ही बताएगा, पर जितने में वे बिके हैं, उन का मकसद तो पहले ही पूरा हो गया है, क्योंकि अगर दार्शनिक हेनरी डेविड थोरो के कथन को ही सही माना जाता तो आईपीएल वाले आस्ट्रेलियाई खिलाड़ी स्टीव स्मिथ को बहुत ज्यादा महंगा खरीदते, पर ऐसा नहीं हुआ. ट्वैंटी20 में 209 मैच खेलने वाले और 4,500 से ज्यादा रन बनाने वाले स्टीव स्मिथ का बेस प्राइज 2 करोड़ रुपए था, पर वे बिके महज 2 करोड़, 20 लाख रुपए में.

हैरत की बात तो यह थी कि एक और नएनवेले खिलाड़ी शाहरुख खान को भी स्टीव स्मिथ से दोगुनी रकम यानी 5 करोड़, 25 लाख रुपए में खरीदा गया था. तमिलनाडु के शाहरुख खान को उन के बेस प्राइज से 26 गुना ज्यादा कीमत मिली थी.

खिलाड़ियों की यह मंडी इस बार चेन्नई में सजी थी. लोगों में यह जानने की उत्सुकता थी कि क्या कोई खिलाड़ी सब से ज्यादा पैसों में बिक कर नया इतिहास बनाएगा? इस के अलावा सब की नजरें सचिन तेंदुलकर के बेटे अर्जुन तेंदुलकर पर भी टिकी थीं कि कौन सी टीम उन्हें खरीदेगी?

बाएं हाथ के तेज गेंदबाज अर्जुन तेंदुलकर का बेस प्राइज 20 लाख रुपए था और उन्हें मुंबई ने ही 20 लाख रुपए में खरीद लिया. पर वे 5 बार की आईपीएल चैंपियन मुंबई इंडियंस की तरफ से खेल भी पाएंगे, यह देखने वाली बात होगी. वैसे, लोग चाहेंगे कि वे मैदान पर अपना खेल दिखाएं और अपने पिता से भी ज्यादा नाम कमाएं.

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अब उस खिलाड़ी की बात करते हैं, जिस ने अपनी बोली से बड़ेबड़ों की बोलती बंद कर दी. दक्षिण अफ्रीका के 33 साल के क्रिस मौरिस ने यह कारनामा किया. वे आईपीएल के इतिहास की सब से महंगी बोली पर राजस्थान रौयल्स की टीम में गए. उन का बेस प्राइज 75 लाख रुपए था, पर जब उन पर बोली लगनी शुरू हुई, तो बहुतों की सांसें रुक गईं. उन की 16 करोड़, 25 लाख रुपए में फाइनल बोली लगी.

आलराउंडर क्रिस मौरिस ने 70 आईपीएल मैचों में 23.95 की औसत से 551 रन बनाए हैं और 80 विकेट अपने नाम किए हैं.

इसी तरह न्यूजीलैंड के 26 साल के आलराउंडर काइल जेमिसन ने भी सभी को चौंकाया. उन का बेस प्राइज 75 लाख रुपए था और उन्हें बैंगलोर वालों ने 15 करोड़ रुपए में अपना बनाया.

6 फुट, 8 इंच के काइल जेमिसन बल्ले और गेंद दोनों से ही धमाकेदार प्रदर्शन कर सकते हैं और हाल में ही उन का प्रदर्शन न्यूजीलैंड की टीम की तरफ से शानदार रहा था. यही वजह रही कि कई फ्रैंचाइजी उन को टीम में शामिल करने के लिए भिड़ती दिखाई दीं. वैसे, उन्होंने अभी तक एक भी आईपीएल मैच नहीं खेला है.

इस के अलावा आस्ट्रेलिया के ग्लैन मैक्सवैल सवा 14 करोड़ और जाई रिचर्डसन 14 करोड़ में बिके, जबकि इसी देश के राइली मेरेडिथ की बोली 8 करोड़ में लगी. यहीं के डेनियल क्रिस्टियन के खाते में 4 करोड़, 80 लाख रुपए गए.

अगर भारत के शाहरुख खान (बल्लेबाज) और जाई रिचर्डसन व राइली मेरेडिथ (दोनों गेंदबाज) को छोड़ दें, तो बाकी सभी खिलाड़ी आलराउंडर हैं यानी अपनी बल्लेबाजी और गेंदबाजी से मैदान पर बराबर कमाल दिखा सकते हैं.

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देखा जाए तो इस बार की नीलामी में बहुतों को उम्मीद से ज्यादा मिला है और एक खिलाड़ी के नजरिए से सोचेंगे तो अच्छी बात है कि क्रिकेट में ही सही भारत में अब खिलाड़ी खूब पैसा कमा रहे हैं. पर इस से खिलाड़ियों पर खेल के मैदान पर अच्छा प्रदर्शन करने का दबाव बढ़ जाता है. कृष्णप्पा गौतम को आज कोई नहीं जानता है, पर आने वाले आईपीएल में सब की निगाहें उन्हें ही ढूंढ़ेंगी कि ऐसा क्या है इस खिलाड़ी में जो इस पर 9 करोड़ रुपए का दांव लगाया गया. अगर चल गया तो बल्लेबल्ले, नहीं तो गुमनामी के अंधेरों में जाने में देर नहीं लगेगी.

याद रखिए कि कृष्णप्पा गौतम इस से पहले मुंबई इंडियंस का हिस्सा थे, लेकिन 2 करोड़ में खरीदे जाने के बावजूद उन्हें मैदान पर उतरने का मौका नहीं मिला था.

टैस्ट क्रिकेट का हो या जिंदगी का कम न आंकें 36 के स्कोर को

पिछले तकरीबन एक साल से कोरोना के चलते पूरी दुनिया में ‘पौजिटिव’ शब्द इतना खौफनाक बना हुआ है कि अब दिल को खुश करने वाली खबरें न के बराबर ही सुनाई देती हैं. हां, ‘नैगेटिव’ शब्द सुन कर जरूर उम्मीद के कान खड़े हो जाते हैं. पर नया साल बदला तो कुछ ऐसा नया हुआ जिस ने कम से कम भारत को तो गजब का जोश दिला दिया. यह ‘पौजिटिव’ खबर खेल जगत से आई थी और यह खेल था क्रिकेट.

19 जनवरी, 2021 को जैसे ही भारत ने मेजबान आस्ट्रेलिया को गाबा के मैदान पर 3 विकेट से हरा कर 4 टैस्ट मैच की सीरीज 2-1 से अपने नाम की, वैसे ही क्रिकेट प्रेमियों में खुशी की लहर दौड़ गई. पर क्यों? ऐसा नहीं है कि भारत ने पहले किसी दूसरी टीम को उसी के देश में नहीं हराया है, पर अब जो गजब तमाशा हुआ है, उसे काफी समय तक याद रखा जाएगा.

याद कीजिए इस सीरीज का पहला एडिलेड टैस्ट मैच. भारतीय टीम अपनी दूसरी पारी में टैस्ट इतिहास में अपने सब से कम स्कोर 36 पर आउट हो गई थी और भारत के पक्ष में जा सकने वाला यह मैच हार गई थी. कप्तान विराट कोहली बहुत ज्यादा निराश थे और इस बात से चिंतित थे कि उन के ‘पैटरनिटी लीव’ पर जाने के बाद टीम का क्या हश्र होगा.

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कोढ़ पर खाज यह थी कि भारतीय टीम में खिलाड़ियों की चोट एक बड़ी समस्या बन रही थी. घायल मोहम्मद शमी पूरी सीरीज से बाहर हो गए थे. साथ ही यह सवाल भी मुंह बाए खड़ा था कि टीम की कमान कौन संभालेगा? पहले मैच में जीत का स्वाद चखने के बाद तो वैसे भी मेजबान आस्ट्रेलियाई टीम के खून मुंह लग चुका था.

इधर जब अजिंक्य रहाणे कप्तान बने और अगले 3 मैच में भारतीय टीम की क्या गत हो सकती है, इस बात का अंदेशा होते ही लगा कि अब तो किसी तरह इज्जत बचा कर घर वापसी की जाए. पर समस्या इस से भी बड़ी थी और वह यह कि टीम के 5 खिलाड़ियों शुभमन गिल, मोहम्मद सिराज, नवदीप सैनी, वाशिंगटन सुंदर और टी. नटराजन ने इस से पहले टैस्ट मैच नहीं खेला था. शार्दुल ठाकुर के पास भी नाम का ही अनुभव था.

ऊपर से आस्ट्रेलिया में मैच हो और नस्लीय टिप्पणी न की जाए… ऐसा भला कभी हुआ है. मतलब सीन पूरा फिल्मी था, एकदम ‘लगान’ टाइप कि बेटा, ओखली में सिर दे चुके हो, अब तो बेहिसाब मूसल पड़ेंगे.

बहरहाल, छेद हुए जहाज के कप्तान बने अजिंक्य रहाणे ने मेलबर्न के दूसरे टैस्ट मैच में सब्र से काम लिया और एक शानदार सैंचुरी लगा कर भारतीय टीम को पहली पारी में बढ़त दिलाई. उन्होंने 112 रन बनाए थे.

बाकी का काम गेंदबाजों ने किया. जसप्रीत बुमराह, आर. अश्विन और मोहम्मद सिराज की सधी गेंदबाजी से भारतीय टीम ने न केवल उस मैच पर कब्जा जमाया, बल्कि सीरीज को 1-1 की बराबरी पर ला दिया. इस मैच में जसप्रीत बुमराह ने 6 विकेट, आर. अश्विन और मोहम्मद सिराज ने 5-5 विकेट लिए थे. भारत ने यह मैच 8 विकेट से अपने नाम किया था.

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इस जीत से भारतीय टीम को नया जोश मिला, पर पहले मोहम्मद शमी और फिर उमेश यादव के चोट के चलते टीम से बाहर होने के बाद सिडनी में खेले जा रहे तीसरे मैच में भारतीय टीम को अनुभवी तेज गेंदबाज की कमी खलती नजर आई. अब जसप्रीत बुमराह के साथ 2 नए गेंदबाज मैदान पर थे. अपना दूसरा मैच खेल रहे मोहम्मद सिराज और डैब्यू कर रहे नवदीप सैनी.

7 जनवरी से शुरू हुए इस मैच में मोहम्मद सिराज और नवदीप सैनी ने नपीतुली गेंदबाजी की. इस मैच में मोहम्मद सिराज ने 2 और नवदीप सैनी ने 4 विकेट लीं. इस के अलावा बल्लेबाज शुभमन गिल ने टैस्ट कैरियर की पहली फिफ्टी जड़ी.

लेकिन आस्ट्रेलिया ने जब अपनी दूसरी पारी में 6 विकेट पर 312 रन बना कर भारत को जीतने के लिए 407 रन का टारगेट दिया तो लगा कि अब यह मैच भारत के हाथ से फिसल गया है. मैच के आखिरी दिन भारतीय टीम को 300 से ज्यादा रन बनाने थे और उस् के 2 विकेट गिर चुके थे. अब तो मैच ड्रा हो जाए, यही गनीमत थी, पर ऋषभ पंत ने ताबड़तोड़ बल्लेबाजी करते हुए 97 रन बनाए, पर अफसोस अपनी सैंचुरी से महज 3 रन पहले ही वे आउट हो गए.

अब आस्ट्रेलिया को भारत के 5 विकेट लेने थे और कई ओवरों का मैच अभी बाकी था. भारत के लिए नैगेटिव खबर यह थी कि बल्लेबाज हनुमा विहारी रन लेते समय मांसपेशी खिंचने से पूरी तरह फिट नहीं थे, पर उन्होंने हार नहीं मानी और आर. अश्विन के साथ अपनी जिंदगी की एक यादगार साझेदारी निभाई, जिस में रन बनाने से ज्यादा अहम था विकेट पर खड़े रहना.

हनुमा विहारी ने तकरीबन 4 घंटे तक बल्लेबाजी की. उन्होंने 161 गेंद खेलीं और नाबाद 23 रन बनाए. इसी तरह आर. अश्विन ने 128 गेंद खेल कर नाबाद 39 बनाए और यह मैच ड्रा करा दिया.

अब इस सीरीज का आखिरी मैच ब्रिस्बेन के उस गाबा मैदान पर खेला जाना था, जहां पर आस्ट्रेलियाई टीम पिछले 32 साल से कोई टैस्ट मैच नहीं हारी थी. इतना ही नहीं, कोई भी एशियाई टीम यहां कभी टैस्ट मैच नहीं जीती थी.

हालांकि भारतीय टीम का जोश बढ़ चुका था, पर खुद पर हुई नस्लीय टिप्पणियों से जूझते हुए टीम के खिलाड़ियों पर एक गाज और गिरनी बाकी थी, जब गेंदबाज जसप्रीत बुमराह और आर. अश्विन भी चोट की वजह से मैच से बाहर हो गए. मतलब इस ऐतिहासिक मैच में टीम की गेंदबाजी का सारा बोझ शार्दुल ठाकुर, नवदीप सैनी, वाशिंगटन सुंदर, टी. नटराजन और मोहम्मद सिराज के नएनवेले कंधों पर था.

शार्दुल ठाकुर और मोहम्मद सिराज ने निराश नहीं किया. शार्दुल ठाकुर ने इस मैच में 7 विकेट लिए, वहीं मोहम्मद सिराज ने दूसरी अहम पारी में 5 आस्ट्रेलियाई बल्लेबाजों को आउट कर मैदान से बाहर का रास्ता दिखाया.

आस्ट्रेलिया ने पहली पारी में 369 और दूसरी पारी में 294 रन बनाए. भारत ने पहली पारी में 336 रन बनाए थे, लिहाजा दूसरी पारी में यह मैच जीतने के लिए उसे 328 बनाने थे. वैसे, पहली पारी में भारत की ओर से शार्दुल ठाकुर ने 67 और वाशिंगटन सुंदर ने 62 अहम रन बटोरे थे.

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भारतीय टीम की दूसरी पारी में शुभमन गिल ने 91 और ऋषभ पंत ने नाबाद 89 रन बनाए और इस शानदार जीत को आसान बनाया. इस के अलावा चोटिल पर निडर चेतेश्वर पुजारा ने 211 गेंद पर 56 रन बनाए, जो अस्ट्रेलियाई टीम का मनोबल तोड़ने में बहुत काम आए. वे आस्ट्रेलिया के सामने उस ‘दीवार’ की तरह अड़े रहे, जैसे कभी राहुल द्रविड़ डटा करते थे.

यह जीत सिर्फ खेल में मिली कोई आम जीत नहीं है, बल्कि लोगों को सीख भी देती है. महान क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर के शब्दों में समझें तो, “हम सभी भारतीयों और दुनिया के लोगों को याद रखना होगा कि जिंदगी में आप जब कभी भी 36 या इस से कम स्कोर करते हैं, तो इस से दुनिया खत्म नहीं हो जाती है.”

सचिन तेंदुलकर की इस बात में बहुत दम है. जिस तरह से भारतीय युवा टैस्ट टीम ने कद्दावर आस्ट्रेलिया को उसी के घर में हार का स्वाद चखाया है, उस से यह बात सच साबित होती है कि सामने वाले को कभी कमतर नहीं आंकना चाहिए, भले ही मैदान खेल का हो या फिर दुनिया का.

वेलडन भारतीय क्रिकेट टीम!

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