यूं तो खजानों का मतलब ही होता है ऐसा अकूत धन जो कल्पना से भी बहुत ज्यादा हो. लेकिन इतिहास में जितने खजाने अब तक खजाना खोजने वालों को मिले हैं,उनकी बड़ी से बड़ी सम्पदा भी अकूत नहीं रही यानी इतनी नहीं रही कि उसे आंका न जा सके. मगर दो साल पहले अमरीका की अंतरिक्ष अनुसंधान एजेंसी नासा ने एक ऐसे खजाने को खोजा है कि अगर उसके धन को हासिल कर लिया जाए तो वह इतना होगा कि जिसे बताने में सचमुच अंकगणित लड़खड़ा जायेगी. अगर इस खजाने की सम्पदा को एक अंक में उचारित करना हो तो 8,000 के पीछे 000000000000000 और लगाने पड़ेंगे. यह संपत्ति दरअसल 8,000 क्वाड्रिलियन पाउंड है.

लेकिन यह खजाना धरती में नहीं है. इस खजाने को दो साल पहले अमेरिका की अंतरिक्ष अनुसंधान एजेंसी नासा ने मंगल और बृहस्पति ग्रह के बीच मौजूद एक एस्टेरायड में खोजा है. यह एस्टेरायड या छोटा तारा है, पूरी तरह से लोहे का है और इसके अंदर सोना और हीरे की परतें होने का भी अनुमान है. नासा के वैज्ञानिकों के मुताबिक यह छुद्र तारा यानी एस्टेरायड पूरी तरह से लोहे से भरा हुआ है. अगर इस लोहे का कोई खरीदार मिल जाए और वह इसकी आज की तारीख के हिसाब से भी कुछ कम कीमत दे दे, तो भी इस लोहे और उसके अंदर मौजूद सोने और हीरे की इतनी कीमत है कि दुनिया के हर इंसान के खाते में 90 अरब से ज्यादा रुपये आ जाएंगे. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि यह खजाना कितना बड़ा होगा?

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