सीकर के रामगढ़ शेखावाटी के ढांढण गांव की रहने वाली कमला देवी एक सरकारी टीचर हैं. उन्होंने 25 मई, 2016 को अपने छोटे बेटे शुभम की शादी सुनीता नाम की एक लड़की से कराई थी. चूंकि सुनीता एक गरीब परिवार से संबंध रखती थी, इसीलिए कमला देवी ने बिना दहेज लिए ही उसे अपने घर की बहू बनाया था.

शुभम को अपनी डाक्टरी की पढ़ाई पूरी करनी थी. लिहाजा, वह शादी के बाद अपनी पढ़ाई पूरी करने के लिए विदेश में किर्गीस्तान चला गया था, लेकिन शादी के 6 महीने बाद ही नवंबर, 2016 में वह इस दुनिया को अलविदा कह गया. ब्रेन स्ट्रोक ने शुभम की जान ले ली थी. कमला देवी पर तो मानो वज्रपात हो गया था.

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राजस्थान जैसे वैचारिक तौर पर पिछड़े प्रदेश में उन्हें अपने दुख को किसी तरह कम करने के साथसाथ अपनी विधवा बहू सुनीता को भी समाज के तानों से बचाना था. लिहाजा, अब कमला देवी को सुनीता की मां का रोल निभाना था और उन्होंने वही किया भी.

कमला देवी ने अपने जवान बेटे की मौत का सदमा भुला कर सुनीता को एमए, बीएड की पढ़ाई कराई और फिर उसे प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए तैयार किया. साल 2021 में कमला देवी की मेहनत और सुनीता की लगन ने रंग दिखाया और वह इतिहास सब्जैक्ट के लैक्चरर पद के लिए चुन ली गई. पर कमला देवी का यही लक्ष्य नहीं था, बल्कि उन के मन में कुछ और ही चल रहा था. शुभम की मौत के 5 साल बाद जब सुनीता की अच्छी सरकारी नौकरी भी लग चुकी थी, तब कमला देवी ने अपनी इस होनहार बेटी की धूमधाम से दूसरी शादी कराई.

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