रोहित

दरअसल, 24 जनवरी, 2022 को बूंदी जिले में केशवरायपाटन उपखंड के गांव चड़ी में श्रीराम मेघवाल की शादी थी. श्रीराम के परिवार वालों ने कलक्टर से शिकायत कर के कहा था कि लोकल दबंगों ने घोड़ी न चढ़ने की धमकी दी है, जिस के बाद इस शादी के लिए 3 अलगअलग पुलिस थानों के तकरीबन 60 पुलिस वालों को वहां तैनात किया गया और गांव को छावनी में तबदील कर दिया गया.

ठीक इसी तरह मध्य प्रदेश के सागर जिले में एक दलित दूल्हे के घोड़ी चढ़ने के लिए भी पुलिस की तैनाती करनी पड़ गई. जिले के बंडा थाना क्षेत्र के गांव गनियारी में अहिरवार जाति का कोई दूल्हा कभी घोड़ी पर नहीं चढ़ा था.

23 जनवरी, 2022 को दिलीप अहिरवार की शादी थी. दूल्हे और परिवार की इच्छा थी कि वे लोग बरात की निकासी घोड़ी पर ही करेंगे. पुलिस की निगरानी में शादी तो घुड़चढ़ी के साथ हो गई, लेकिन बरात निकलने के बाद ही दबंगों ने दूल्हे के घर पर पथराव कर दिया.

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ऐसे ही मध्य प्रदेश के रतलाम में भी कुछ साल पहले एक दलित दूल्हे को घोड़ी पर चढ़ने से पहले हैलमैट पहनना पड़ा. दरअसल, दूल्हे के घोड़ी चढ़ने के चलते ऊंची जाति के दबंगों द्वारा दूल्हे की गाड़ी छीनी गई और पथराव किया गया, जिस के बाद पुलिस ने दूल्हे को हैलमैट पहना दिया, ताकि सिर पर चोट न लगे.

ऐसी कई घटनाएं हरियाणा, उत्तर प्रदेश, बिहार के अलावा देश के दूसरे राज्यों से हर साल सामने आती रहती हैं, जहां दलित दूल्हे को शादी में घोड़ी चढ़ने के अलावा तलवार रखने से रोका जाता रहा है.

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