लेखक- गरिमा पंकज

बंगलुरु के जेपी नगर में रहने वाले 14 साल के रौनक बनर्जी को ऊंचाई से बहुत डर लगता था. वह बाल्डविन्स ( Baldwins ) बॉयज हाई स्कूल में कक्षा 9 का छात्र था. 29  जून 2016 को इसी रौनक ने अपने अपार्टमेंट के दसवें फ्लोर से कूद कर जान दे दी. मरने से पहले लिखे गए उस के सुसाइड नोट में इस बात का जिक्र था  कि वह अपने क्लासमेट्स द्वारा किए जा रहे बुलिंग से परेशान था. रौनक ने  पत्र में एक जगह लिखा था, “मेरे एक क्लासमेट ने मेरी बुलिंग की. यह मेरे  लिए बहुत ही ज्यादा शर्मनाक और असहनीय था. जिन्हें अपना दोस्त समझा  उन्होंने ही मुझे धोखा दिया. ”

पुलिस तहकीकात के मुताबिक रौनक की  क्लास का एक लड़का उस के फिजिकल अपीयरेंस को ले कर मजाक बनाता था और उस का अपमान करता था. जिस वक्त वह लड़का बुलिंग कर रहा होता बाकी सारे दोस्त रौनक  पर हंसते रहते. रौनक ने कई दफा उन्हें ऐसा करने से रोका. ड्राइवर से भी  शिकायत की मगर कोई परिणाम नहीं निकला. रौनक इस बुलिंग और अपमान से इतना आहत हो चुका था कि उस ने खुद को ही खत्म कर डाला. बाद में बुलिंग करने वाले उस लड़के को जुवेनाइल जस्टिस एक्ट के तहत रिमांड पर स्टेट होम फॉर बॉयज भेज  दिया गया.

इस तरह की बुलिंग अक्सर स्कूली बच्चों को सहनी पड़ती  है. बच्चे अपना ज्यादातर समय स्कूल में बिताते हैं. यहाँ वे न सिर्फ अपने टीचर या किताबों से सीखते हैं बल्कि क्लास के दोस्तों से भी बहुत कुछ सीखते हैं. ऐसे में किसी बच्चे के साथ बुलिंग की घटना हो तो यह बहुत चिंताजनक बात है. बुलिंग अकेलापन ,डिप्रेशन और लो सेल्फ एस्टीम की वजह बनते हैं. जिस से व्यक्ति सुसाइड तक करने को मजबूर हो जाता है.

नॉन प्रॉफिट  टीचर फाउंडेशन द्वारा पूरे देश में कराए गए एक सर्वे के मुताबिक बहुत से  विद्यार्थी अपमानित होने, बुली किये जाने या उपेक्षित महसूस करने को ले कर  तनावग्रस्त रहते हैं. कक्षा 4 से 8 तक के करीब 23% छात्रों और कक्षा 9 से 12 तक के करीब 14 % छात्रों ने स्वीकार किया कि लंच ब्रेक या प्ले टाइम के  समय वे उपेक्षित या छोड़ा हुआ महसूस करते हैं. कक्षा 4 से 8 तक के करीब 42 % छात्रों और कक्षा 9 से 12तक के करीब 36 % छात्रों ने स्वीकार किया कि  दूसरे बच्चे उन का मजाक बनाते हैं.

अच्छे पड़ोसी हैं जरूरी

यह सर्वे करीब 90  स्कूलों में किया गया. 850 शिक्षकों और 3,300 छात्रों से बात की गई. लड़के जहां फिजिकली   हैरेसमेंट के शिकार पाए गए तो वही लड़कियों को वर्बल आरगूमैंटस की परिस्थितियों को ज्यादा सहनी पड़ीं . वे इस बात से अधिक परेशान थी कि उन के पीठ पीछे बात की जाती है. अब्यूसिव वर्ड्स का इस्तेमाल किया जाता है.

यूके बेस्ड फर्म कौमपेरीटेक द्वारा 28 देशों में किए गए एक सर्वे के मुताबिक 2018 में साइबर बुलिंग के विक्टिम छात्रों की संख्या भारत में सब से अधिक है.

37% अभिभावकों ने यह स्वीकार किया कि उन के बच्चे कम से कम एक बार साइबर बुलिंग के शिकार जरूर बने हैं जब कि 2016  में 15%अभिभावकों ने ही ऐसा स्वीकारा था.

नेशनल सेंटर फॉर एजुकेशनल स्टैटिस्टिक्स की एक  रिपोर्ट के मुताबिक 5 छात्रों में 1 छात्र से ज्यादा यानी करीब 20.8  छात्रों ने बुली का शिकार बनने की रिपोर्ट दर्ज कराई. ज्यादातर बुलिंग की  घटनाए मिडल स्कूल में होती हैं. वर्बल और सोशल बुलिंग ज्यादा किए जाते हैं.

सोशल मीडिया कुंठित लोगों का खतरनाक नशा

किंग्स  कॉलेज ऑफ़ लंदन में किये गए एक अध्ययन के मुताबिक जो बच्चे बारबार बुलिंग का शिकार होते हैं वे जीवन भर तनाव और घुटन में जीते हैं. वे कभी भी खुशहाल और संतुष्ट जीवन नहीं जी सकते.

बुलिंग करने वाले बच्चे को मारपीट करने के आरोप में सुधार गृह या फोस्टर होम्स भेजा जा सकता है. पर माइनर होने की वजह से उन पर आईपीसी की धाराएं नहीं लगाईं जा सकतीं.

क्या है बुलिंग

किसी ऐसे व्यक्ति को अपनी बातों,  गतिविधियों या  हरकतों से चोट पहुंचाना,  परेशान करना, धमकाना या नीचा दिखाना बुलिंग है जो कमजोर है और अपनी रक्षा  करने में सक्षम नहीं है. बुलिंग वर्बल ,फिजिकल,  साइकोलॉजिकल ,साइबर या सोशल  किसी भी तरह का हो सकता है. बच्चों के मामले में इसे चाइल्ड बुलिंग कहते हैं.

कोई भी अभिभावक नहीं चाहता कि उसे यह सुनने को मिले कि उस का  बच्चा दूसरे बच्चे को परेशान कर रहा है. पर अक्सर ऐसा हो जाता है. यह बात  हमेशा ध्यान में रखें कि यदि बच्चा बुलिंग कर रहा है तो जरूरी नहीं कि वह  बुरा ही है. कई बार दिमागी तौर पर तेज और घरवालों की केयर करने वाले बच्चे  भी ऐसी हरकतें करने लग जाते हैं.

बुजुर्गों की सेवा फायदे का सौदा

फैक्टर्स जो बच्चे को बुलिंग करने को प्रेरित करते हैं…

  1. हो सकता है बच्चे को अपने दोस्तों के ग्रुप में बने रहने के लिए यह कदम उठाना पड़ा हो. उस के दोस्त किसी की बुलिंग कर रहे हों तो आप के बच्चे कोभी उन का साथ देना होगा.
  2. संभव है कि आप का बच्चा खुद किसी के द्वारा  बुलिंग का शिकार हो रहा हो. बुली विक्टिम्स अक्सर अपना रोष व्यक्त करने और  ताकत दिखाने के लिए कमजोर बच्चों के साथ बुलिंग करने लगते हैं. .
  3. संभव है कि बच्चा इस तरह अपने शिक्षक,अभिभावक या क्लासमैट्स  का ध्यान अपनी ओर खींचना चाहता हो क्यों कि वह अकेला महसूस कर रहा हो.
  4. क्रिमिनल बैकग्राउंड भी एक वजह हो सकती है. यदि बच्चे के अभिभावक या रिश्तेदार आपराधिक प्रवृत्ति के हैं तो बच्चे के जीन पर इस का असर पड़ता है . वह बचपन से ही ऐसे कार्यों को अंजाम देने लगेगा .स्वभाव से ही वह  डोमिनेटिंग और अग्रेसिव होगा .
  5. बायोलॉजिकल फैक्टर भी बच्चे के स्वभाव को प्रभावित करते हैं. कई दफा बच्चे का ब्रेन ओवर या अंडर डेवलप्डरहता है. दोनों ही स्थिति में बच्चा दूसरे बच्चों को डराने धमकाने या मारपीट करने की गतिविधियों में शामिल होने लगता है. ऐसी हालत में डॉक्टर से कंसल्ट करना जरुरी हो जाता है.
  6. वह समझ ही नहीं पा रहा हो कि उस के  व्यवहार से दूसरे बच्चों को चोट पहुंच रही है. खासकर छोटी उम्र के बच्चों  में प्रायः ऐसा देखा जाता है.
  7. कई बार बच्चे अपने अंदर की समस्याओं औरउलझनों को दबाने/छुपाने के लिए ऊपर से कठोर बन जाते हैं. बात फिजिकल  अपीयरेंस की हो, घरेलू परेशानियों की हो या पढ़ाई में कमजोर होना हो.  किसी  भी तरह से असुरक्षित और कमजोर महसूस कर रहे बच्चे अकसर सोशल स्ट्रक्चर में  अपनी जगह बनाए रखने और स्टेटस ऊंचा दिखाने की जद्दोजहद में बुलिंग का  सहारा लेने लगते हैं.

दिल्ली की मिसेज शोभा कहती हैं ,”मेरी दोस्त की बेटी अनुभा एक सकुचाई ,डरीसहमी सी रहने वाली लड़की थी. उस का आत्मविश्वास  काफी कमजोर था. पर जब उसे किसी और की बुलिंग करने का मौका मिला तो उस ने  ऐसा किया और अपने अंदर दूसरों को नियंत्रित करने,डरानेधमकाने की ताकत  महसूस की. उसे लगने लगा कि क्लास में किसी के द्वारा भी नोटिस न किए जाने  से अच्छा है एक गंदे बच्चे के तौर पर चर्चा का विषय बनना. ”

क्या मनुष्य पापात्मा है?

खासकर उन बच्चों के साथ अक्सर ऐसा होता है जो स्कूल /घर में तनाव, ट्रौमा या लो सेल्फ एस्टीम की समस्या से जूझ रहे होते हैं.

ध्यान  दें  कि क्या आप के बच्चे भी घर या स्कूल में किसी  तरह की परेशानी या दिक्कत महसूस कर रहे हैं. क्या उन्हें किसी तरह की एडजस्टमेंट प्रॉब्लम है , क्या वे अकेला महसूस करते हैं या हीन भावना का  शिकार है. यदि ऐसा है तो उस के साथ वक्त बिताएं और उस के मन से सारी  हीनभावनायें निकालने और परेशानियां दूर करने का प्रयास करें. ताकि उन के अंदर की तकलीफ बाहर किसी और रूप में निकल कर न आये.

यदि आप का बच्चा  भी किसी की बुलिंग कर रहा है तो आश्चर्य करने और उसे डांटनेफटकारने के बजाय बच्चे को समझने और इस समस्या से उबरने का प्रयास करें. बच्चे से बात  कर के उस के नजरिए को समझें. उसे सही दिशा देने का प्रयास करें.

रस्मों की मौजमस्ती धर्म में फंसाने का धंधा

  1. बात करें

जैसे ही आप को टीचर, दोस्त या किसी और अभिभावक द्वारा अपने बच्चे की इस हरकत का  खबर मिले तो सब से पहले बच्चे से बात करें. सीधे तौर पर उसे उस के विरुद्ध  आई शिकायत के बारे में सब कुछ बताएं और फिर शांति से बच्चे को अपना पक्ष  रखने दे. बच्चे से पूछे कि उस ने ऐसा क्यों किया. उसे डांटें नहीं बल्कि उस  के बंद एहसासों को खोलने का प्रयास करें.

  1. बंगलुरु के जेपी नगर में रहने वाले 14 साल के रौनक बनर्जी को ऊंचाई से बहुत डर लगता था. वह बाल्डविन्स ( Baldwins ) बॉयज हाई स्कूल में कक्षा 9 का छात्र था. 29  जून 2016 को इसी रौनक ने अपने अपार्टमेंट के दसवें फ्लोर से कूद कर जान दे दी. मरने से पहले लिखे गए उस के सुसाइड नोट में इस बात का जिक्र था  कि वह अपने क्लासमेट्स द्वारा किए जा रहे बुलिंग से परेशान था. रौनक ने  पत्र में एक जगह लिखा था, “मेरे एक क्लासमेट ने मेरी बुलिंग की. यह मेरे  लिए बहुत ही ज्यादा शर्मनाक और असहनीय था. जिन्हें अपना दोस्त समझा  उन्होंने ही मुझे धोखा दिया. “पुलिस तहकीकात के मुताबिक रौनक की  क्लास का एक लड़का उस के फिजिकल अपीयरेंस को ले कर मजाक बनाता था और उस का अपमान करता था. जिस वक्त वह लड़का बुलिंग कर रहा होता बाकी सारे दोस्त रौनक  पर हंसते रहते. रौनक ने कई दफा उन्हें ऐसा करने से रोका. ड्राइवर से भी  शिकायत की मगर कोई परिणाम नहीं निकला. रौनक इस बुलिंग और अपमान से इतना आहत हो चुका था कि उस ने खुद को ही खत्म कर डाला. बाद में बुलिंग करने वाले उस लड़के को जुवेनाइल जस्टिस एक्ट के तहत रिमांड पर स्टेट होम फॉर बॉयज भेज  दिया गया.इस तरह की बुलिंग अक्सर स्कूली बच्चों को सहनी पड़ती  है. बच्चे अपना ज्यादातर समय स्कूल में बिताते हैं. यहाँ वे न सिर्फ अपने टीचर या किताबों से सीखते हैं बल्कि क्लास के दोस्तों से भी बहुत कुछ सीखते हैं. ऐसे में किसी बच्चे के साथ बुलिंग की घटना हो तो यह बहुत चिंताजनक बात है. बुलिंग अकेलापन ,डिप्रेशन और लो सेल्फ एस्टीम की वजह बनते हैं. जिस से व्यक्ति सुसाइड तक करने को मजबूर हो जाता है.धर्म के साए में पलते अधर्म

    नॉन प्रॉफिट टीचर फाउंडेशन द्वारा पूरे देश में कराए गए एक सर्वे के मुताबिक बहुत से  विद्यार्थी अपमानित होने, बुली किये जाने या उपेक्षित महसूस करने को ले कर  तनावग्रस्त रहते हैं. कक्षा 4 से 8 तक के करीब 23% छात्रों और कक्षा 9 से 12 तक के करीब 14 % छात्रों ने स्वीकार किया कि लंच ब्रेक या प्ले टाइम के  समय वे उपेक्षित या छोड़ा हुआ महसूस करते हैं. कक्षा 4 से 8 तक के करीब 42 % छात्रों और कक्षा 9 से 12तक के करीब 36 % छात्रों ने स्वीकार किया कि  दूसरे बच्चे उन का मजाक बनाते हैं.

    यह सर्वे करीब 90  स्कूलों में किया गया. 850 शिक्षकों और 3,300 छात्रों से बात की गई. लड़के जहां फिजिकली   हैरेसमेंट के शिकार पाए गए तो वही लड़कियों को वर्बल आरगूमैंटस की परिस्थितियों को ज्यादा सहनी पड़ीं . वे इस बात से अधिक परेशान थी कि उन के पीठ पीछे बात की जाती है. अब्यूसिव वर्ड्स का इस्तेमाल किया जाता है.

     

    यूके बेस्ड फर्म कौमपेरीटेक द्वारा 28 देशों में किए गए एक सर्वे के मुताबिक 2018 में साइबर बुलिंग के विक्टिम छात्रों की संख्या भारत में सब से अधिक है.

    37% अभिभावकों ने यह स्वीकार किया कि उन के बच्चे कम से कम एक बार साइबर बुलिंग के शिकार जरूर बने हैं जब कि 2016  में 15%अभिभावकों ने ही ऐसा स्वीकारा था.

     

    नेशनल सेंटर फॉर एजुकेशनल स्टैटिस्टिक्स की एक  रिपोर्ट के मुताबिक 5 छात्रों में 1 छात्र से ज्यादा यानी करीब 20.8  छात्रों ने बुली का शिकार बनने की रिपोर्ट दर्ज कराई. ज्यादातर बुलिंग की  घटनाए मिडल स्कूल में होती हैं. वर्बल और सोशल बुलिंग ज्यादा किए जाते हैं.

     

    किंग्स  कॉलेज ऑफ़ लंदन में किये गए एक अध्ययन के मुताबिक जो बच्चे बारबार बुलिंग का शिकार होते हैं वे जीवन भर तनाव और घुटन में जीते हैं. वे कभी भी खुशहाल और संतुष्ट जीवन नहीं जी सकते.

     

    बुलिंग करने वाले बच्चे को मारपीट करने के आरोप में सुधार गृह या फोस्टर होम्स भेजा जा सकता है. पर माइनर होने की वजह से उन पर आईपीसी की धाराएं नहीं लगाईं जा सकतीं.

     

    क्या है बुलिंग

    किसी ऐसे व्यक्ति को अपनी बातों,  गतिविधियों या  हरकतों से चोट पहुंचाना,  परेशान करना, धमकाना या नीचा दिखाना बुलिंग है जो कमजोर है और अपनी रक्षा  करने में सक्षम नहीं है. बुलिंग वर्बल ,फिजिकल,  साइकोलॉजिकल ,साइबर या सोशल  किसी भी तरह का हो सकता है. बच्चों के मामले में इसे चाइल्ड बुलिंग कहते हैं.

    कोई भी अभिभावक नहीं चाहता कि उसे यह सुनने को मिले कि उस का  बच्चा दूसरे बच्चे को परेशान कर रहा है. पर अक्सर ऐसा हो जाता है. यह बात  हमेशा ध्यान में रखें कि यदि बच्चा बुलिंग कर रहा है तो जरूरी नहीं कि वह  बुरा ही है. कई बार दिमागी तौर पर तेज और घरवालों की केयर करने वाले बच्चे  भी ऐसी हरकतें करने लग जाते हैं.

     

    जानें अपने प्यार का सच

    फैक्टर्स जो बच्चे को बुलिंग करने को प्रेरित करते हैं;

     

    1. हो सकता है बच्चे को अपने दोस्तों के ग्रुप में बने रहने के लिए यह कदम उठाना पड़ा हो. उस के दोस्त किसी की बुलिंग कर रहे हों तो आप के बच्चे कोभी उन का साथ देना होगा.
    2. संभव है कि आप का बच्चा खुद किसी के द्वारा  बुलिंग का शिकार हो रहा हो. बुली विक्टिम्स अक्सर अपना रोष व्यक्त करने और  ताकत दिखाने के लिए कमजोर बच्चों के साथ बुलिंग करने लगते हैं. .
    3. संभव है कि बच्चा इस तरह अपने शिक्षक,अभिभावक या क्लासमैट्स  का ध्यान अपनी ओर खींचना चाहता हो क्यों कि वह अकेला महसूस कर रहा हो.
    4. क्रिमिनल बैकग्राउंड भी एक वजह हो सकती है. यदि बच्चे के अभिभावक या रिश्तेदार आपराधिक प्रवृत्ति के हैं तो बच्चे के जीन पर इस का असर पड़ता है . वह बचपन से ही ऐसे कार्यों को अंजाम देने लगेगा .स्वभाव से ही वह  डोमिनेटिंग और अग्रेसिव होगा .
    5. बायोलॉजिकल फैक्टर भी बच्चे के स्वभाव को प्रभावित करते हैं. कई दफा बच्चे का ब्रेन ओवर या अंडर डेवलप्डरहता है. दोनों ही स्थिति में बच्चा दूसरे बच्चों को डराने धमकाने या मारपीट करने की गतिविधियों में शामिल होने लगता है. ऐसी हालत में डॉक्टर से कंसल्ट करना जरुरी हो जाता है.
    6. वह समझ ही नहीं पा रहा हो कि उस के  व्यवहार से दूसरे बच्चों को चोट पहुंच रही है. खासकर छोटी उम्र के बच्चों  में प्रायः ऐसा देखा जाता है.
    7. कई बार बच्चे अपने अंदर की समस्याओं औरउलझनों को दबाने/छुपाने के लिए ऊपर से कठोर बन जाते हैं. बात फिजिकल  अपीयरेंस की हो, घरेलू परेशानियों की हो या पढ़ाई में कमजोर होना हो.  किसी  भी तरह से असुरक्षित और कमजोर महसूस कर रहे बच्चे अकसर सोशल स्ट्रक्चर में  अपनी जगह बनाए रखने और स्टेटस ऊंचा दिखाने की जद्दोजहद में बुलिंग का  सहारा लेने लगते हैं.

    दिल्ली की मिसेज शोभा कहती हैं ,”मेरी दोस्त की बेटी अनुभा एक सकुचाई ,डरीसहमी सी रहने वाली लड़की थी. उस का आत्मविश्वास  काफी कमजोर था. पर जब उसे किसी और की बुलिंग करने का मौका मिला तो उस ने  ऐसा किया और अपने अंदर दूसरों को नियंत्रित करने,डरानेधमकाने की ताकत  महसूस की. उसे लगने लगा कि क्लास में किसी के द्वारा भी नोटिस न किए जाने  से अच्छा है एक गंदे बच्चे के तौर पर चर्चा का विषय बनना. ”

     

    खासकर उन बच्चों के साथ अक्सर ऐसा होता है जो स्कूल /घर में तनाव, ट्रौमा या लो सेल्फ एस्टीम की समस्या से जूझ रहे होते हैं.

     

    ध्यान  दें  कि क्या आप के बच्चे भी घर या स्कूल में किसी  तरह की परेशानी या दिक्कत महसूस कर रहे हैं. क्या उन्हें किसी तरह की एडजस्टमेंट प्रॉब्लम है , क्या वे अकेला महसूस करते हैं या हीन भावना का  शिकार है. यदि ऐसा है तो उस के साथ वक्त बिताएं और उस के मन से सारी  हीनभावनायें निकालने और परेशानियां दूर करने का प्रयास करें. ताकि उन के अंदर की तकलीफ बाहर किसी और रूप में निकल कर न आये.

     

    यदि आप का बच्चा  भी किसी की बुलिंग कर रहा है तो आश्चर्य करने और उसे डांटनेफटकारने के बजाय बच्चे को समझने और इस समस्या से उबरने का प्रयास करें. बच्चे से बात  कर के उस के नजरिए को समझें. उसे सही दिशा देने का प्रयास करें.

     

    1. बात करें

    जैसे ही आप को टीचर, दोस्त या किसी और अभिभावक द्वारा अपने बच्चे की इस हरकत का  खबर मिले तो सब से पहले बच्चे से बात करें. सीधे तौर पर उसे उस के विरुद्ध  आई शिकायत के बारे में सब कुछ बताएं और फिर शांति से बच्चे को अपना पक्ष  रखने दे. बच्चे से पूछे कि उस ने ऐसा क्यों किया. उसे डांटें नहीं बल्कि उस  के बंद एहसासों को खोलने का प्रयास करें.

     

    1. वजह पता लगाएं और लॉजिकल दंड दें

    पता  लगाइये कि आप का बच्चा ऐसा क्यों कर रहा है. बच्चे के टीचर या दोस्तों से बात कीजिये और इस व्यवहार के पीछे मौजूद सही वजह जानने का प्रयास करें. यदि बच्चा खुद बुली विक्टिम है तो उसे इस स्थिति से निकालने में मदद  करें. यदि वह स्कूल में लोकप्रियता हासिल करने के लिए ऐसा कर रहा है तो आप  उस को स्वस्थ दोस्ती और सब को साथ ले कर चलने की अहमियत बताएं.

     

    यदि  आप का बच्चा कंप्यूटर और सेलफोन के सहारे साइबर बुलिंग में इंवॉल्व है तो  तुरंत उस से फ़ोन और कंप्यूटर छीन लें. वह किसी दोस्त के साथ मिल कर ऐसा  करता है तो उस दोस्त से उस का मिलनाजुलना बंद करा दें. इसी तरह यदि वह रिश्तेदारों और पड़ोसियों के बच्चों को खेलते समय तंग करता है तो आप उस का सोशल बायकोट करा दें. उस को फैमिली कार में घुमाना ,पार्टीज और सोशल  इवेंट्स में ले जाना ,सोशल मीडिया का प्रयोग करना वगैरह बंद करा दे. घर में  कभी भी उसे अकेला न छोड़ें.

     

    1. नजरिया बदलने का प्रयास करें

     

    एक  बार बच्चे की समस्या समझ लेने के बाद आप को उसे इन समस्याओं से निकालने का प्रयास करना पड़ेगा. उन परिस्थितियों को समझें जिन की वजह से वह दूसरे  बच्चों को परेशान करने का प्रयास कर रहा है. उस की सोच बदलने की कोशिश करें. यदि आप का बच्चा जानबूझ कर किसी को तकलीफ दे रहा है, अपने किसी  क्लासमेट को खेलकूद या सोशल एक्टिविटीज में हिस्सा लेने से रोक रहा है तो  उसे समझाएं कि यदि कोई उसे अपने साथ न खिलाए या अकेला छोड़ दे तो उसे कितना  बुरा लगेगा. इसलिए हमेशा दूसरों को साथ ले कर चलना चाहिए और अच्छा व्यवहार करना चाहिए. जब भी कोई बच्चा साथ खेलने के लिए पूछे तो तुरंत ग्रुप में शामिल कर लेना चाहिए.

     

    बहुत से बच्चों के लिए बुलिंग शक्ति और ताकत  दिखाने का जरिया होता है. वे अपना डोमिनेंस महसूस करते हैं. मगर याद रखें  कहीं न कहीं यह एक  गलत ,ओछा , क्रूर और दर्द से भरा हुआ जरिया है. यह बात  आप को ही अपने बच्चे को समझानी होगी कि ताकत सही रास्ते से दिखाई जाती है. आप उस की एनर्जी को सही रास्ता दिखाएं. उसे लीडर बनने को प्रेरित करें ताकि   वह दूसरों को अपने अधीन रखने की भूख मिटा सके और उस की जिंदगी में उस की  महत्वाकांक्षाओं को सही आधार भी मिल जाए.

     

    अक्षय तृतीया से जुड़े भ्रामक तथ्य

    1. खुद को भी देखें

    जब   बच्चे घर में मांबाप या दूसरे घरवालों को एकदूसरे के साथ लड़तेझगड़ते या बुरा व्यवहार करते देखते हैं तो वे वही बात स्कूल में दोहराने लगते हैं. अभिभावकों को इस बात का एहसास जरूर होना चाहिए कि उन का व्यवहार कैसे उन के  बच्चों को प्रभावित कर सकता है. वे अपने बच्चों और जीवनसाथी से कैसे बात करते हैं, अपने गुस्से को कैसे हैंडल करते हैं  इन सब का असर बच्चे के कोमल  मन और व्यवहार पर पड़ता है.

    अक्सर ऐसा होता है कि बुलिंग आप के घर में  आप के ही द्वारा होता है पर उस पर आप का ध्यान नहीं जाता. इस लिए सब से  पहले घर से शुरुआत करें. घर के प्रत्येक सदस्य को आगाह करें. एकदूसरे के साथ प्रेमपूर्ण व्यवहार करें. घर में सकारात्मक वातावरण का निर्माण करें.

     

    1. बच्चे को शर्मिंदा न करें

    कुछ अभिभावक बुली चाइल्ड को सजा के तौर पर शर्मिंदा करने लगते हैं जैसे दूसरों   के आगे डांटना फटकारना ,कान पकड़ कर दरवाजे के बाहर खड़ा रखना वगैरह. इस  तरह उन के व्यवहार पर काबू नहीं पाया जा सकता. उलटा ऐसा करने पर वह  प्रतिशोध के साथ इस तरह की हरकतें ज्यादा करने लगते हैं.

    इसी तरह बच्चा  जब किसी का बुलिंग कर रहा होता है तो उस वक्त से बहुत अच्छा लगता है. मगर  यदि उसे विक्टिम से माफी मांगने को कहा जाए तो यह बात उसे बहुत ही अपमानजनक लगती है. शर्मिंदगी और गिल्ट की भावना उस के व्यक्तित्व पर बुरा असर डाल  सकती है. इसलिए यदि आप के बच्चे ने किसी की बुलिंग की यह जानने के बाद उसे डांटे फटकारें नहीं और माफी मांगने को भी विवश न करें. इस से बच्चा बहुत शर्मिंदगी महसूस करेगा. इस के विपरीत खूबसूरत तरीकों से भी रिश्ते में  सुधार लाया जा सकता है.

    अपने बच्चे से कहें कि जिसे उस ने परेशान किया है उसे लेटर लिख कर ,मैसेज कर या सामने जा कर माफी मांग लें ताकि  दोनों के बीच रिश्ते सुधर जाए.

    आप अपने बच्चे से पूरे क्लास के लिए कुकीज बनवा के ले जाने या क्लासमेट्स को सरप्राइज पार्टी देने जैसे काम  करवा सकते हैं. इस से बच्चे के मन में गिल्ट भी पैदा नहीं होगा और दूसरों  के साथ उस का रिश्ता भी सुधर जाएगा.

    पता  लगाइये कि आप का बच्चा ऐसा क्यों कर रहा है. बच्चे के टीचर या दोस्तों से बात कीजिये और इस व्यवहार के पीछे मौजूद सही वजह जानने का प्रयास करें. यदि बच्चा खुद बुली विक्टिम है तो उसे इस स्थिति से निकालने में मदद  करें. यदि वह स्कूल में लोकप्रियता हासिल करने के लिए ऐसा कर रहा है तो आप  उस को स्वस्थ दोस्ती और सब को साथ ले कर चलने की अहमियत बताएं.

    समाधि की दुकानदारी कितना कमजोर धर्म

यदि  आप का बच्चा कंप्यूटर और सेलफोन के सहारे साइबर बुलिंग में इंवॉल्व है तो  तुरंत उस से फ़ोन और कंप्यूटर छीन लें. वह किसी दोस्त के साथ मिल कर ऐसा  करता है तो उस दोस्त से उस का मिलनाजुलना बंद करा दें. इसी तरह यदि वह रिश्तेदारों और पड़ोसियों के बच्चों को खेलते समय तंग करता है तो आप उस का सोशल बायकोट करा दें. उस को फैमिली कार में घुमाना ,पार्टीज और सोशल  इवेंट्स में ले जाना ,सोशल मीडिया का प्रयोग करना वगैरह बंद करा दे. घर में  कभी भी उसे अकेला न छोड़ें.

  1. नजरिया बदलने का प्रयास करें

एक  बार बच्चे की समस्या समझ लेने के बाद आप को उसे इन समस्याओं से निकालने का प्रयास करना पड़ेगा. उन परिस्थितियों को समझें जिन की वजह से वह दूसरे  बच्चों को परेशान करने का प्रयास कर रहा है. उस की सोच बदलने की कोशिश करें. यदि आप का बच्चा जानबूझ कर किसी को तकलीफ दे रहा है, अपने किसी  क्लासमेट को खेलकूद या सोशल एक्टिविटीज में हिस्सा लेने से रोक रहा है तो  उसे समझाएं कि यदि कोई उसे अपने साथ न खिलाए या अकेला छोड़ दे तो उसे कितना  बुरा लगेगा. इसलिए हमेशा दूसरों को साथ ले कर चलना चाहिए और अच्छा व्यवहार करना चाहिए. जब भी कोई बच्चा साथ खेलने के लिए पूछे तो तुरंत ग्रुप में शामिल कर लेना चाहिए.

बहुत से बच्चों के लिए बुलिंग शक्ति और ताकत  दिखाने का जरिया होता है. वे अपना डोमिनेंस महसूस करते हैं. मगर याद रखें  कहीं न कहीं यह एक  गलत ,ओछा , क्रूर और दर्द से भरा हुआ जरिया है. यह बात  आप को ही अपने बच्चे को समझानी होगी कि ताकत सही रास्ते से दिखाई जाती है. आप उस की एनर्जी को सही रास्ता दिखाएं. उसे लीडर बनने को प्रेरित करें ताकि   वह दूसरों को अपने अधीन रखने की भूख मिटा सके और उस की जिंदगी में उस की  महत्वाकांक्षाओं को सही आधार भी मिल जाए.

  1. खुद को भी देखें

जब बच्चे घर में मांबाप या दूसरे घरवालों को एकदूसरे के साथ लड़तेझगड़ते या बुरा व्यवहार करते देखते हैं तो वे वही बात स्कूल में दोहराने लगते हैं. अभिभावकों को इस बात का एहसास जरूर होना चाहिए कि उन का व्यवहार कैसे उन के  बच्चों को प्रभावित कर सकता है. वे अपने बच्चों और जीवनसाथी से कैसे बात करते हैं, अपने गुस्से को कैसे हैंडल करते हैं  इन सब का असर बच्चे के कोमल  मन और व्यवहार पर पड़ता है.

अक्सर ऐसा होता है कि बुलिंग आप के घर में  आप के ही द्वारा होता है पर उस पर आप का ध्यान नहीं जाता. इस लिए सब से  पहले घर से शुरुआत करें. घर के प्रत्येक सदस्य को आगाह करें. एकदूसरे के साथ प्रेमपूर्ण व्यवहार करें. घर में सकारात्मक वातावरण का निर्माण करें.

  1. बच्चे को शर्मिंदा न करें

कुछ अभिभावक बुली चाइल्ड को सजा के तौर पर शर्मिंदा करने लगते हैं जैसे दूसरों   के आगे डांटना फटकारना ,कान पकड़ कर दरवाजे के बाहर खड़ा रखना वगैरह. इस  तरह उन के व्यवहार पर काबू नहीं पाया जा सकता. उलटा ऐसा करने पर वह  प्रतिशोध के साथ इस तरह की हरकतें ज्यादा करने लगते हैं.

इसी तरह बच्चा  जब किसी का बुलिंग कर रहा होता है तो उस वक्त से बहुत अच्छा लगता है. मगर  यदि उसे विक्टिम से माफी मांगने को कहा जाए तो यह बात उसे बहुत ही अपमानजनक लगती है. शर्मिंदगी और गिल्ट की भावना उस के व्यक्तित्व पर बुरा असर डाल  सकती है. इसलिए यदि आप के बच्चे ने किसी की बुलिंग की यह जानने के बाद उसे डांटे फटकारें नहीं और माफी मांगने को भी विवश न करें. इस से बच्चा बहुत शर्मिंदगी महसूस करेगा. इस के विपरीत खूबसूरत तरीकों से भी रिश्ते में  सुधार लाया जा सकता है.

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अपने बच्चे से कहें कि जिसे उस ने परेशान किया है उसे लेटर लिख कर ,मैसेज कर या सामने जा कर माफी मांग लें ताकि  दोनों के बीच रिश्ते सुधर जाए.

आप अपने बच्चे से पूरे क्लास के लिए कुकीज बनवा के ले जाने या क्लासमेट्स को सरप्राइज पार्टी देने जैसे काम  करवा सकते हैं. इस से बच्चे के मन में गिल्ट भी पैदा नहीं होगा और दूसरों  के साथ उस का रिश्ता भी सुधर जाएगा.

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