लेखक- गरिमा पंकज
बंगलुरु के जेपी नगर में रहने वाले 14 साल के रौनक बनर्जी को ऊंचाई से बहुत डर लगता था. वह बाल्डविन्स ( Baldwins ) बॉयज हाई स्कूल में कक्षा 9 का छात्र था. 29 जून 2016 को इसी रौनक ने अपने अपार्टमेंट के दसवें फ्लोर से कूद कर जान दे दी. मरने से पहले लिखे गए उस के सुसाइड नोट में इस बात का जिक्र था कि वह अपने क्लासमेट्स द्वारा किए जा रहे बुलिंग से परेशान था. रौनक ने पत्र में एक जगह लिखा था, "मेरे एक क्लासमेट ने मेरी बुलिंग की. यह मेरे लिए बहुत ही ज्यादा शर्मनाक और असहनीय था. जिन्हें अपना दोस्त समझा उन्होंने ही मुझे धोखा दिया. "
पुलिस तहकीकात के मुताबिक रौनक की क्लास का एक लड़का उस के फिजिकल अपीयरेंस को ले कर मजाक बनाता था और उस का अपमान करता था. जिस वक्त वह लड़का बुलिंग कर रहा होता बाकी सारे दोस्त रौनक पर हंसते रहते. रौनक ने कई दफा उन्हें ऐसा करने से रोका. ड्राइवर से भी शिकायत की मगर कोई परिणाम नहीं निकला. रौनक इस बुलिंग और अपमान से इतना आहत हो चुका था कि उस ने खुद को ही खत्म कर डाला. बाद में बुलिंग करने वाले उस लड़के को जुवेनाइल जस्टिस एक्ट के तहत रिमांड पर स्टेट होम फॉर बॉयज भेज दिया गया.
इस तरह की बुलिंग अक्सर स्कूली बच्चों को सहनी पड़ती है. बच्चे अपना ज्यादातर समय स्कूल में बिताते हैं. यहाँ वे न सिर्फ अपने टीचर या किताबों से सीखते हैं बल्कि क्लास के दोस्तों से भी बहुत कुछ सीखते हैं. ऐसे में किसी बच्चे के साथ बुलिंग की घटना हो तो यह बहुत चिंताजनक बात है. बुलिंग अकेलापन ,डिप्रेशन और लो सेल्फ एस्टीम की वजह बनते हैं. जिस से व्यक्ति सुसाइड तक करने को मजबूर हो जाता है.
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