सोशल मीडिया की बात हो और फेसबुक का नाम न आए, ऐसा हो ही नहीं सकता. वैसे तो मार्क जुकरबर्ग ने इसे अपनों से जुड़े रहने के लिए, उन का हालचाल लेने के लिए बनाया था, पर जैसे ही यह दुनियाभर में मशहूर हुआ और लोग खासकर भारत के लोग थोक के भाव में इस से जुड़ने लगे तो यह चंदू चाय वाले का वह अड्डा बन गया जहां नकारा, निकम्मे और कुंठित लोगों ने जम कर अपनी भड़ास निकालनी शुरू कर दी. अब तो उन की भाषा भी इतनी फूहड़ हो गई है कि वे किसी की भी मांबहन एक करने में पीछे नहीं रहते हैं.
बानगी देखिए : नैशनल लैवल के एक कांग्रेसी नेता ने कहा, ‘भाजपा गाय के लिए पूरे देश को बरबाद कर रही है.’
किसी ने चुटकी ली, ‘भाई, तुम भी तो गधे के लिए पूरे देश को बरबाद करने पर तुले हो.’
इसी तरह किसी नेता ने हालिया सर्जिकल स्ट्राइक पर सवाल पूछा कि वायु सेना ने पेड़ पर बम गिराए या आतंकियों पर? तो किसी ने अपनी भड़ास निकालते हुए कहा कि बम चाहे जहां भी गिरा हो, पर धुआं तुम्हारे पिछवाड़े से काहे निकल रहा है?
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पाकिस्तान के साथ हुई तनातनी और उस के बाद पाकिस्तान के साथ कारोबार में कटौती करने के गंभीर नतीजों को नजरअंदाज करते हुए किसी मसखरे ने फेसबुक पर पोस्ट डाली, ‘भारत के लड़के फेसबुक पर टमाटर की डीपी लगा कर पाकिस्तानी लड़कियों से सैटिंग कर रहे हैं... सुधर जाओ कमीनो.’
फेसबुक से जुड़ा एक कड़वा सच और भी है कि पूरी दुनिया में इस के सब से ज्यादा ऐक्टिव यूजर्स यानी इस्तेमाल करने वाले लोग भारत में हैं. उन में से बहुत से तो इस में सिर्फ अपने दिमाग में भरा कचरा परोस रहे हैं. उन्हीं कुंठित लोगों से परेशान मार्क जुकरबर्ग के माथे पर अब चिंता की लकीरें साफ दिखाई देती हैं. इस से उन को मिलने वाले इश्तिहारों में भी भारी कमी आई है.