कहते हैं न हर सिक्के के दो पहलू होते हैं,जब सिनेमा आया तो सुसंस्कृत संभ्रांत जन सिनेमा मे काम करने वालों को ओछी निगाह से देखा करते थे. यही नहीं सिनेमा में काम करने वाले के अलावा देखने वालों को भी हेय की दृष्टि से देखा जाता था. धीरे-धीरे स्थिति बदली वैसे ही आज सोशल मीडिया है जिसके दो पक्ष हैं एक पक्ष उजला, दूसरा स्याय.उजले पक्ष के समर्थक सोशल मीडिया की अच्छाई बताते नहीं थकते वहीं दूसरी तरफ जो लोग सोशल मीडिया को अच्छा नहीं मानते वे इसकी बुराई करते नहीं अघाते.
मगर सत्य यह है, की किसी भी चीज के दो पहलू होते हैं- अच्छा और बुरा. यही स्थिति सोशल मीडिया के साथ भी है. दरकार होती है सिर्फ नीर क्षीर विवेक की, समझदारी की. सोशल मीडिया पर जो खबरें चलती है वह पूरी तरह सौ फीसदी सच नहीं होती बहुतेरे वीडियो, खबरें, भ्रामक होती है. अब सारा दारोमदार हमारे ऊपर है की हम सोच समझकर उसे ग्रहण करें समझे की क्या गलत है क्या सही है. इस लेख में हम सोशल मीडिया के द्वारा प्रसारित "अंधविश्वास" को बेनकाब करने की कोशिश कर रहे है-
डूबने पर "नमक" का उपचार !
पिछले दिनों व्हाट्सएप पर एक वीडियो चल रहा था, जिसमें डंके की चोट पर बताया जा रहा था की अगर कोई आपका परिजन डूब जाता है और डॉक्टर उसे मृत भी घोषित कर देते हैं तो आप निश्चित रहिए!! क्योंकि आपका परिजन नमक के उपचार से उठ खड़ा होगा उसे जीवन पुन: प्राप्त हो जाएगा.
एकबारगी, पढ़ा लिखा विवेकशील कहलाने वाला व्यक्ति भी यह वीडियो देखता तो यही मानता कि यह सही है. क्योंकि इस वीडियो को प्रसारित करने वाले ने बड़ी चतुराई से दो और दो को पांच किया है. जिसे समझने के लिए चिकित्सीय, वैज्ञानिक बौद्धिकता की दरकार होती है.
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