लेखक- शंकर जालान
देश के सर्वोच्च पद राष्ट्रपति के अलावा प्रधानमंत्री, लोकसभा अध्यक्ष, राज्यपाल, मुख्यमंत्री, केंद्रीय मंत्री व राज्यमंत्रियों के अलावा औरतें जज की, पायलट की, डाक्टर की, बस चालक की सीट पर तो पहले से ही बैठ चुकी हैं, अब देश की सांस्कृतिक राजधानी कहे जाने वाले शहर कोलकाता में औरतें आटोरिकशा व टैक्सी की चालक सीट पर बैठी नजर आ रही हैं.
हालांकि फिलहाल महानगर के एक ही रूट पर ऐसे आटोरिकशा को शुरू किया गया है, लेकिन टैक्सियां कई जगहों पर चल रही हैं. इन की चालक सीट पर औरतें रहेंगी और उन में सफर करने वाली सवारियां भी औरतें ही रहेंगी.
पिंक यानी गुलाबी आटोरिकशा चलाने वाली औरतों को ट्रेनिंग देने वाले और आटोरिकशा यूनियन के नेता गोपाल सूतर ने बताया कि उन्हें इस बात की खुशी है कि उन की इस पहल पर अब राज्य सरकार का ध्यान गया है.
वे कहते हैं कि आज की औरतें किसी भी रूप में मर्दों से कम नहीं हैं. इस बात को इन औरतों ने अपनी मेहनत और लगन से साबित किया है.
ट्रेनिंग पूरी होने के बाद ये औरतें अलगअलग रूटों पर आटोरिकशा चलाती नजर आएंगी, जिन में सिर्फ औरतें ही सफर करेंगी. इस सेवा को ‘पिंक सेवा’ नाम दिया गया है.
मौसमी कोलकाता की ऐसी पहली आटोरिकशा चालक बन गई हैं. भले ही उन्हें इस के लिए कई सालों तक कड़ी मेहनत करनी पड़ी हो, पर उन की मेहनत रंग लाई और आखिरकार बीते दिनों मौसमी का सपना पूरा हुआ.
मौसमी ने बताया कि उन्हें खुद पर इतना भरोसा था कि भले ही किसी काम को पूरा करने में देरी होगी, लेकिन वे लक्ष्य तक जरूर पहुंचेंगी.
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