भूपेश सरकार के हाव-भाव कुछ ऐसे हैं जैसे नए-नए बंदर के हाथ में उस्तरा आ गया हो...। अब यह किस किस पर चलेगा, यह समय बताएगा.

इस तल्ख टिप्पणी के साथ भाजपा ने छत्तीसगढ़ में एक कमजोर विपक्ष की भूमिका मे है ने कांग्रेस की भूपेश सरकार के छ: माह की बघिया उघेडनी शुरू की है.वहीं भूपेश बघेल ने यह छ: माह स्वर्णिम काल माना है. जिसमें शपथ लेते ही 24 घंटे के भीतर छत्तीसगढ़ के लाखों किसानों का कर्जा तत्काल प्रभाव से माफ कर दिया गया.
धान की कीमत बोनस सहित जो 1800 रूपयै थी को सीधे 2500 रूपयै क्विंटल कर दिया और यह संदेश छत्तीसगढ़ ही नहीं भारत सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दिया गया कि छोटा सा प्रदेश जब किसानों के हित में एक बड़ा फैसला ले सकता है तो केंद्र सरकार क्यों नहीं.

भूपेश या कहें, कांग्रेस के इस मास्टर स्ट्रोक का उपयोग कांग्रेस के हाईकमान राहुल गांधी ने भी लोकसभा समर में देशभर में खूब किया.

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राहुल गांधी जहां भी जाते, उस प्रदेश की जनता जनार्दन के समक्ष छत्तीसगढ़ का उदाहरण रखते. भाइयों! देखो छत्तीसगढ़ में हमारी कांग्रेस सरकार ने 24 घंटे में कर्जा माफ कर दिया.
नि:संदेह कांग्रेस की भूपेश सरकार का यह एक बड़ा जनोनमुखी और कृषि के क्षेत्र में क्रांतिकारी कदम था.किसान को 2500 रूपयै का समर्थन मूल्य दिया जाना अर्थात किसान के चेहरे पर मुस्कान लाने का एक छोटा सा काम कांग्रेस ने किया.
भूपेश बघेल के छ: माह के कार्यकाल का विश्लेषण जनता नहीं कर रही.इधर भाजपा सन्निपात में है. विधानसभा चुनाव में मात्र 15 विधायकों से असंतुष्ट हो कर भाजपा को मानो पाला मार गया है. जैसे हाल केंद्र में है,वहां कांग्रेस को मात्र 54 सांसदों से संतोष करना पड़ा और कमर कस कर विपक्ष की भूमिका का निर्वाहन नहीं कर पा रही वही हालत छत्तीसगढ़ में भाजपा की है.

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