प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के राष्ट्रीय राजनीति में आने के बाद भी गुजरात प्रदेश भाजपा में कुछ नहीं बदला है. इस बार भी विधानसभा चुनाव के लिए उम्मीदवारों का फैसला अहमदाबाद में ही होगा. केंद्रीय चुनाव समिति के सामने हर सीट के लिए सिर्फ एक उम्मीदवार का नाम ही आएगा. संकेत हैं कि इस बार चुनाव में लगभग एक चौथाई विधायकों के टिकट काटे जा सकते हैं.

गुजरात के चुनाव प्रबंधन से जुड़े एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि राज्य में लंबे समय तक सत्ता में रहने के बावजूद भाजपा लोगों की पसंद बनी हुई है. कुछ विधायकों को लेकर लोगों में नाराजगी हो सकती है, लेकिन पार्टी के प्रति लोगों का समर्थन बढ़ा है. ऐसे में पूरी तरह से पड़ताल करने के बाद ही विधायकों के टिकट काटे जाएंगे. यह सामान्य प्रक्रिया है और हर चुनाव में होती है.

पाटीदार खिलाफ नहीं हैं

पाटीदार आंदोलन को लेकर उठ रहे सवालों पर भाजपा नेता ने साफ किया कि उसके 22 विधायक व सात सांसद इसी समुदाय से हैं. ऐसे में यह कहना सही नहीं है कि पाटीदार पार्टी के खिलाफ हैं. पहले भी पटेल समुदाय के कद्दावर नेता अलग चुनाव लड़ चुके हैं. गुजरात जाति पर नहीं बंटा है. अगर कांग्रेस ऐसा करेगी तो उसका फायदा भी भाजपा को ही होगा.

समीकरणों का ध्यान रखा जाएगा

गुजरात में नरेंद्र मोदी ने उम्मीदवार चयन की एक प्रणाली अपनाई थी, पार्टी उसी पर काम कर रही है. तीन स्तरीय चयन प्रणाली में स्थानीय नेता को भी पता रहता है कि उसकी सीट से कौन उम्मीदवार होगा, क्योंकि वह खुद उस पूरी प्रक्रिया में शामिल होता है. प्रदेश नेतृत्व हर जिले के नेताओं के साथ सारे समीकरणों को सामने रखकर सभी उम्मीदवारों के नामों पर चर्चा करता है. उम्मीदवारों के चयन प्रक्रिया का पहला दौर पूरा हो गया है. खास बात यह है कि इन बैठकों में केंद्रीय प्रभारी महासचिव भूपेंद्र यादव व क्षेत्रीय संगठन प्रभारी वी सतीश भी मौजूद रहते हैं. जल्द ही दो दौर और होंगे और उसके बाद हर सीट पर केवल एक नाम रह जाएगा.

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