सौजन्य- मनोहर कहानियां
एनआईए और महाराष्ट्र एटीएस की जांच में रोजाना नई बातें सामने आने लगीं. एटीएस ने हिरेन की मौत के मामले में 2 दिन तक वाझे से लगातार पूछताछ की. वहीं, एनआईए की जांच शुरू होते ही 11 मार्च को गृहमंत्री अनिल देशमुख ने वाझे के मुंबई से बाहर तबादले का ऐलान कर दिया.
स्कौर्पियो वाझे ने खड़ी की थी
एनआईए को शुरुआती जांच में कई महत्त्वपूर्ण तथ्य और सबूत मिले. एनआईए ने अंबानी के आवास को जानेवाले रास्तों पर लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज देखी, तो पता चला कि 24-25 फरवरी की दरम्यानी रात वाझे वह स्कौर्पियो ले कर अंबानी के आवास के बाहर पहुंचा था.
स्कौर्पियो के पीछे मुंबई पुलिस की एक इनोवा चल रही थी. स्कौर्पियो गाड़ी वहां लावारिस छोड़ने के बाद वाझे उस इनोवा कार में बैठ कर चला गया.
वाझे को शायद एनआईए और एटीएस की जांच अपने खिलाफ जाने का अहसास हो गया था. ठाणे की सत्र अदालत से अग्रिम जमानत की अरजी खारिज होने के दूसरे दिन उस ने 13 मार्च को अपना वाट्सऐप स्टेटस अपडेट करते हुए लिखा, ‘दुनिया को अलविदा कहने का समय नजदीक आ रहा है.’
उसी दिन एनआईए ने वाझे को हिरासत में ले कर कई घंटे तक पूछताछ की. फिर 13 मार्च की रात उसे गिरफ्तार कर लिया. एनआईए ने वाझे के मोबाइल और आईपैड अपने कब्जे में ले लिए. उस के औफिस पर भी छापेमारी की गई.
सीसीटीवी फुटेज की जांच में सामने आया कि अंबानी के आवास एंटीलिया के सामने मिली मनसुख हिरेन की स्कौर्पियो चोरी नहीं हुई थी, बल्कि यह गाड़ी 18 से 24 फरवरी के बीच कई बार वाझे के आवास की सोसायटी में दिखाई दी थी.
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एनआईए की जांच में यह बात भी सामने आई कि वाझे और हिरेन एकदूसरे से अच्छी तरह परिचित थे. हिरेन ने अपनी हलके हरे रंग की महिंद्रा स्कौर्पियो गाड़ी नवंबर 2020 में वाझे को किसी काम के लिए दी थी. वाझे ने स्कौर्पियो में कोई खराबी आने पर 5 फरवरी, 2021 को यह गाड़ी हिरेन को वापस लौटा दी थी.
हिरेन ने रिश्तेदार के पास जाते समय 17 फरवरी को स्टीयरिंग जाम हो जाने पर अपनी स्कौर्पियो विक्रोली में ईस्टर्न एक्सप्रेस हाइवे पर छोड़ दी थी. अगले दिन वह विक्रोली पहुंचा, तो वहां गाड़ी नहीं मिली.
तब उस ने विक्रोली थाने में शिकायत दी. पुलिस ने शिकायत दर्ज नहीं की, तो वाझे ने विक्रोली थाने फोन कर शिकायत दर्ज करने को कहा था.
जांच के दौरान एनआईए ने मुंबई पुलिस कमिश्नरेट के पास क्राफोर्ड मार्केट की एक पार्किंग से वाझे की काली मर्सिडीज बरामद की, जिस में 5 लाख रुपए नकद और नोट गिनने की मशीन के अलावा मनसुख हिरेन की उस स्कौर्पियो की असली नंबर प्लेट भी रखी मिली, जिस में अंबानी के आवास के सामने से जिलेटिन की छड़ें बरामद हुई थीं. इस के बाद वाझे के साकेत स्थित मकान से एक और लग्जरी कार लैंड क्रूजर बरामद की गई.
इस बीच, महाराष्ट्र सरकार ने 17 मार्च को मुंबई के पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह का तबादला होमगार्ड्स में कर दिया. सिंह के तबादले पर गृहमंत्री अनिल देशमुख ने कहा कि परमबीर सिंह को इसलिए हटाया गया, क्योंकि अंबानी मामले की जांच में गंभीर लापरवाहियां पाई गई थीं.
परमबीर सिंह को हटाने पर मुंबई पुलिस कमिश्नरेट के 146 साल के इतिहास में सब से गंभीर संकट पैदा हो गया.
तबादले से तिलमिलाए परमबीर सिंह ने महाराष्ट्र सरकार के खिलाफ जहर उगलना शुरू कर दिया. उन्होंने 20 मार्च को मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को लिखे पत्र में यह सनसनीखेज आरोप लगाया कि गृहमंत्री अनिल देशमुख ने वाझे जैसे पुलिस अधिकारियों को मुंबई के 1750 बार, रेस्तरां और दूसरे स्रोतों से हर महीने सौ करोड़ रुपए की उगाही करने के लिए कहा था.
इस सनसनीखेज धमाके से महाराष्ट्र सरकार हिल जरूर गई, लेकिन राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के कोटे वाले गृहमंत्री अनिल देशमुख को अपनी पार्टी के मुखिया शरद पवार से राजनीतिक अभयदान मिल गया.
मुख्यमंत्री की ओर से कोई काररवाई नहीं किए जाने पर परमबीर सिंह ने 22 मार्च को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर अनिल देशमुख के खिलाफ सीबीआई जांच की मांग की.
भारत के लोकतांत्रिक इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ कि एक पूर्व पुलिस कमिश्नर अपने राज्य के गृहमंत्री के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों की सीबीआई से जांच के लिए सब से बड़ी अदालत पहुंचा था.
हिरेन की हत्या में गिरफ्तारी
इस से एक दिन पहले 21 मार्च को एटीएस ने हिरेन की मौत की गुत्थी सुलझाने का दावा करते हुए एक पूर्व पुलिस कांस्टेबल विनायक शिंदे और एक क्रिकेट सटोरिए नरेश गोरे को गिरफ्तार कर लिया. एटीएस ने इस मामले में वाझे को मुख्य संदिग्ध बताया. बाद में एनआईए ने अदालत के जरिए हिरेन हत्या मामले की जांच भी अपने हाथ में ले ली.
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एनआईए की जांच जैसेजैसे आगे बढ़ती गई, वैसेवैसे नएनए राज सामने आते गए. इन में एंटीलिया के सामने विस्फोटकों से भरी स्कौर्पियो खड़ी करने और मनसुख हिरेन की हत्या की परतें खुलती गईं.
सचिन वाझे 13 मार्च से 27 दिन तक एनआईए की हिरासत में रहा. एनआईए अदालत ने 9 अप्रैल को उसे न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया. इस के बाद वाझे का नया ठिकाना मुंबई की तालोजा जेल की बैरक बन गई.
एनआईए की जांच में खुली परतों और सामने आए सबूतों के आधार पर जो कहानी उभर कर सामने आई, वह सचिन वाझे की ओर से शतरंज की बिसात पर सब से बड़ा खिलाड़ी बनने के लिए पासा फेंकने की थी, जिस में दांव उलटा पड़ने से वह मात खा गया था.
अपराधियों में खौफ का पर्याय माने जाने वाले मुंबई क्राइम ब्रांच के सब से तेजतर्रार अफसर सचिन वाझे की दोस्ती सभी तरह के लोगों से थी. इन में शरीफ भी थे और बदमाश भी. ठाणे इलाके में कार डेकोरेशन का काम करने वाला मनसुख हिरेन भी वाझे के दोस्तों में था.
हिरेन कोई गुंडाबदमाश नहीं था. न ही वह कोई गैरकानूनी काम करता था. वह तो वाझे की दिलेरी का प्रशंसक था. इसीलिए वाझे से उस की दोस्ती थी. वाझे कभीकभार कुछ दिनों के लिए उस की गाड़ी ले लेता था. हिरेन को इस से कोई फर्क नहीं पड़ता था.
वाझे ने 16 साल तक निलंबित रहने के बाद 6 जून, 2020 को ही मुंबई पुलिस में अपनी दूसरी पारी शुरू की थी. वह अपनी पहली पारी में एनकाउंटर स्पैशलिस्ट के रूप में 63 बदमाशों को मौत की नींद सुला चुका था.
दोबारा खाकी वर्दी और सरकारी पिस्तौल मिलने पर वाझे ने मुंबई क्राइम ब्रांच की सीआईयू का मुखिया बन कर जल्दी ही अपना खौफ कायम कर लिया. वाझे की एक खासियत यह थी कि वह छोटेमोटे केस में हाथ नहीं डालता था. उसे बड़े अपराधियों, फिल्म वालों और दौलत वालों के केसों की जांच करने में ज्यादा आनंद आता था.
अगले भाग में पढ़ें- सचिन वाझे: मोहरा या बड़ा खिलाड़ी बनने की तमन्ना