“प्रेमिका” को प्रताड़ना, “प्रेमी” की क्रूरता!

छत्तीसगढ़ के जिला कोरिया की पुलिस ने को 8 वर्षीय बालक के अपहरण व हत्या की गुत्थी को सुलझाते हुए मासूम के शव को बरामद कर 23 वर्षीय आरोपी सहित उसके सहयोगी तीन नाबालिग साथियों को भी गिरफ्तार कर लिया है.

कोरिया पुलिस अधीक्षक चन्द्र मोहन सिंह ने हमारे संवाददाता को बताया कि प्रार्थी राकेश चौधरी ने रिपोर्ट दर्ज कराई कि उसका नाबालिक पुत्र ऋषि चौधरी उर्फ चरका उम्र 8 वर्ष 13 नवम्बर की शाम 6 बजे से लापता है और उसे शंका है कि उसके नाबालिक पुत्र को किसी व्यक्ति के द्वारा उसके घर से अपहृत कर ले जाया गया है.

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प्रार्थी की रिपोर्ट पर थाना झगराखाण्ड में अपराध पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया. पुलिस अधीक्षक कोरिया चंद्रमोहन सिंह के द्वारा मामले की गभीरता को देखते हुए एवं अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक कोरिया डॉ . पंकज शुक्ला के दिशा निर्देशन व पुलिस अनुविभागीय अधिकारी मनेन्द्रगढ़ कर्ण उईके के नेतृत्व में थाना प्रभारी विजय सिंह , थाना प्रभारी मनेन्द्रगढ़ सचिन सिंह , खोगापानी प्रभारी तथा चौकी प्रभारी कोड़ा का अलग – अलग टीम का गठन कर स्वयं पुलिस अधीक्षक चंद्रमोहन सिंह द्वारा घटना स्थल पहुंच घटना स्थल का निरीक्षण किया जाकर पता साजी हेतु निर्देशित किया. पुलिस ने जब विवेचना प्रारंभ की तो आगे चलकर जो चौंकाने वाले तथ्य सामने आए वह अपने आप में दर्दनाक कहानी को समेटे हुए है.
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लीलावती को पाने किया अपराध
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खोजबीन के पश्चात कोरिया पुलिस के हाथ लगे आरोपी बबलू यादव ने बताया कि मृतक बालक की मां लीलावती से उसका प्रेम संबंध था. लीलावती को अपने साथ भगाकर ले गया था , वह उसे बहुत प्यार करने लगा था लेकिन बाद में लीलावती उसके साथ रहने से मना करने लगी.वह उसे छोड़कर अपने पति एवं बच्चे के पास जाना चाहती थी. कुछ समय से उसे छोड़ कर वापस मायके में रह रही थी और पति से उसके समझौते के आसार थे ,जो आरोपी बबलू यादव को नागवार गुजर रहा था। परेशान प्रेमी बबलू ने ऐसे में यह योजना बनाई की क्यों ना उसके मासूम पुत्र को अपहरण करके उसे प्रताड़ित किया जाए. मासूम ऋषि का अपहरण करके प्रेमी बबलू यादव एक तीर से दो निशाने लगाने की कोशिश कर रहा था. वह यह मान रहा था कि अपहरण करके कुछ दिनों में ऋषि को लौटा देगा, जिससे प्रेमिका उस पर प्रसन्न हो कर उसकी हो जाएगी. मगर परिस्थितियां कुछ ऐसी बनी की अपहरण के बाद उसे लगने लगा कि ऋषि को मार देने से उसका काम और आसान बन सकता है.

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इस बीच लीलावती के पति तक वह चालाकी पूर्वक यह खबर भेजवा रहा था कि उसकी पत्नि बबलू से बात करती है मगर उसकी चालाकी नहीं चल रही थी. लीलावती का पति समझौता करके पत्नि को घर लाने के लिए तैयार हो गया था. परिणाम स्वरूप बबलू यादव ने प्रेमिका के परिवार से बदला लेने का मन बना लिया और मासूम बालक एवं उसके भाई को अपने पास मोबाईल दिखाने के लिए बुलाता रहा. मृतक के चाचा के लड़के नाबालिक बालक को पैसे का लालच देकर उसको अपने पास बुलाता रहा एवं अपचारी बालक को अपहृत बालक को लाने के प्रेरित किया. नाबालिक के द्वारा ऋषि को लाया गया तब आरोपी उसे अपनी मोटर साईकल से बैठाकर अपने ईटा भट्ठा ले गया और नाबालिक बालक के साथ मिल कर पानी में डाल कर उसकी डूबा कर हत्या कर दी. यही नहीं वहां बने नाली में लाश को डाल कर घास एवं मिट्टी से ढक दिया. परंतु बाद में आरोपी बबलू यादव को यह भय सताने लगा था कि नाबालिक बालक किसी को बता देगा. इस डर से दूसरे दिन 14 नवंबर को दो नाबालिग दोस्तों को बुलाया और मृत ऋषि की लाश को सीमेंट के बोरे में ले, सहवानी टोला मशकूर के तलाब के पास नीम पेड़ के नीचे, तीनों ने मिल कर गड्डा खोद, बोरा सहित शव को दफन कर दिया.

पुलिस ने आरोपी की निशानदेही पर कार्यपालिक दण्डाधिकारी की उपस्थिति में शव को बरामद कर पंचनामा कार्यवाही की. आरोपी बबलू यादव आ.अजय यादव उर्फ मुन्ना उम्र 23 एवं अन्य तीनो नाबालिको को भी गिरफ्तार किया गया है . आरोपी बबलू ने मासूम मृतक के शव को जहां पहले दफनाया था, किसी को शक न हो सोच कर वहां एक सुअर मार कर फेंक दिया था जिससे कि पुलिस को गुमराह किया जा सकें . मगर पुलिस की सतर्कता से अंततः आरोपी पकड़ा गया मगर एक बार फिर यह सच्चाई बता गया कि जर जोरू और जमीन का मामला कब कैसा विभत्स रूप लेगा, यह कोई नहीं जानता.

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किन्नर का आखिरी वार- भाग 2

कहानी सौजन्य- मनोहर कहानियां

राइटर- सुरेशचंद्र मिश्र

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आगे पढ़ें कैसे विमला को पाने के जतन करने लगा बंका….

किन्नर के 2 बेटे थे संदीप व कुलदीप. दोनों स्कूल जाते थे. बच्चों की परवरिश और पढ़ाईलिखाई से खर्चे बढ़ गए थे, जबकि आमदनी उतनी ही थी. जरूरत होती तो किन्नर बंका से ब्याज पर पैसे ले लेता था. इसी सिलसिले मे एक रोज बंका, किन्नर यादव के घर आया था. दोनों घर से निकलने लगे, तो विमला ने पति को टोका, ‘‘सुनिए, बच्चों की फीस देनी है, 500 रुपए दे जाओ.’’

‘‘अभी पैसे नहीं है. शाम को बात करते है.’’ किन्नर ने लापरवाही से कहा, तो बंका ने जेब से पर्स निकाला और पांचपांच सौ के 2 नोट निकाल कर विमला की हथेली पर रख दिए, ‘‘ये लो भाभी, बच्चों की फीस दे देना.’’ फिर वह किन्नर की ओर मुखातिब हुआ, ‘‘यार बच्चों की जरूरतों के मामले में भाभी को परेशान मत किया करो. तुम्हारा यह दोस्त है तो..’’ कहने के साथ ही उस ने मुसकरा कर विमला की ओर देखा, ‘‘भाभी, आप संकोच मत करना. जब भी जरूरत हो, कह देना.’’

बंका के पर्स में नोटों की झलक देख विमला हसरत से उस के पर्स को देखती रह गई. बंका समझ गया कि विमला की दुखती रग पैसे की जरूरत है. उस रोज के बाद वह गाहेबगाहे विमला की आर्थिक मदद करने लगा. अब दोनों एकदूसरे को देख मुसकराने लगे थे.

बंका की नजरें विमला के सीने पर पड़ती, तो वह जानबूझ कर आंचल गिरा देती, जिस से बंका अपनी आंखें सेंक सके. दरअसल बंका विमला को पाने के लिए लालायित था, तो विमला भी कुंवारे बंका को अपने रूप जाल में फंसाने को उतावली थी.

घर के बढ़ते खर्चों के कारण किन्नर यादव की व्यस्तता बढ़ गई थी. वह ज्यादा से ज्यादा समय आढ़त पर बिताता था ताकि पल्लेदारी कर ज्यादा पैसा कमा सके. वह सुबह घर से निकलता तो देर रात थकामांदा लौटता था. उस का पूरा दिन और आधी रात आढ़त पर ही बीत जाती थी. घर आता तो खाना खा कर सो जाता था. कभी मन हुआ तो बेमन से विमला को बांहों में लेता फिर अपनी थकान उतार कर एक ओर लुढ़क जाता. इस से विमला का मन भटकने लगा. वह रवि बंका के हसीन जाल में फंसने को उतावली हो उठी.

पहले तो बंका किन्नर यादव की उपस्थिति में ही आता था, बाद में वह उस की गैरमौजूदगी में भी आने लगा. विमला से उस का हंसीमजाक व नैनमटक्का पहले ही दिन से शुरू हो गया था. गुजरते दिनों के साथ दोनों नजदीक भी आते गए. उस के बाद एक दोपहर को वह सब हो गया, जिस की चाहत दोनों के मन में थी.

चाहत में पतिता बन गई विमला

विमला और बंका के सामने एक बार पतन का रास्ता खुला, तो वे उस पर लगातार फिसलते चले गए. दिन में विमला घर में अकेली रहती थी. किन्नर यादव आढ़त चला जाता था और दोनों बच्चे स्कूल. विमला फोन कर के बंका को बुला लेती. बच्चों के स्कूल लौटने से पहले ही बंका अपने अरमान पूरे कर चला जाता था.

दोनों के बीच प्रीत बढ़ी, तो विमला को दिन का उजाला उलझन देने लगा. हर समय किसी के आने का डर भी बना रहता था. इसलिए हसरतों का पूरा खेल उन्हें जल्दीजल्दी निपटाना पड़ता था. दोनों ही इस हड़बड़ी और जल्दबाजी से संतुष्ट नहीं थे.

वे दोनों देह का पूरा खेल सुकून व इत्मीनान से खेलना चाहते थे. जिस दिन किन्नर आढ़त से घर नहीं आ पाता, उस दिन बच्चों के सो जाने के बाद विमला चुपके से उसे घर में बुला लेती.

बंका का किन्नर यादव की गैरमौजूदगी में चुपके से आना और उस के आने से पहले ही चले जाना पड़ोसियों की नजरों से छुपा नहीं रह सका. लिहाजा उन दोनों को ले कर तरहतरह की बातें होने लगीं. फैलतेफैलते ये बातें किन्नर यादव के कानों तक पहुंची तो उस ने विमला से जवाब तलब किया.

रंगे हाथ पकड़े बगैर औरतें हो या पुरुष, अपनी बदचलनी स्वीकार नहीं करते. विमला ने भी मोहल्ले वालों को झूठा और जलने वाला कह कर पल्ला झाड़ लिया. लेकिन किन्नर को इस से संतुष्टि नहीं हुई. उस ने दोनों की निगरानी शुरू कर दी और एक दिन उन्हें आपत्तिजनक हालत में पकड़ लिया.

किन्नर ने विमला को पीटा और बंका को अपमानित कर के घर से निकाल दिया. इस के बावजूद भी दोनों नहीं सुधरे. विमला, बंका को बुलाती रही और वह उस की देह को सुख देने आता रहा.

कुछ समय बाद एक रोज किन्नर ने दोनों को फिर रंगे हाथ पकड़ लिया. उस दिन उस की बंका से मारपीट भी हुई. यह तमाशा पूरे मोहल्ले ने देखा. किन्नर यादव ने बंका को धमकी भी दी, ‘‘तुझ से तो मैं अपने तरीके से निपटूंगा. ऐसा सबक सिखाऊंगा कि पराई औरत के पास जाने से डरेगा.’’

इस घटना के बाद बंका और विमला का मिलन बंद हो गया. किन्नर ने विमला को समझाया, बच्चों की दुहाई दी, इज्जत की भीख मांगी. लेकिन बंका के इश्क में अंधी विमला नहीं मानी. पकड़े जाने के बाद वह कुछ समय तक बंका से दूर रही, उस के बाद फिर से उसे बुलाने लगी.

अक्तूबर के पहले हफ्ते में विमला के दोनों बच्चे संदीप व कुलदीप अपनी नानी के घर सिरिया ताला गांव चले गए. बच्चे नानी के घर गए तो विमला और भी निश्चिंत हो गई.

वह प्रेमी बंका को मिलन के लिए दिन में बुलाने लगी. 8 अक्तूबर, 2020 की सुबह 6 बजे किन्नर किसी काम से घर से निकल गया. उस के जाने के बाद बंका उस के घर आ गया. वह विमला को बाहों में भर कर प्रणय निवेदन करने लगा. विमला ने किसी तरह अपने को मुक्त किया और कहा कि किन्नर किसी भी समय घर आ सकता है. वह वापस चला जाए. खतरा भांप कर बंका ने बात मान ली.

बंका घर से बाहर निकल ही रहा था कि किन्नर यादव आ गया. उस ने बंका को घर से बाहर निकलते देख लिया था, उसे शक हुआ कि बंका विमला के शरीर से खेल कर निकला है. शक पैदा होते ही किन्नर को बहुत गुस्सा आया. उस ने घर में रखा फरसा उठाया और पड़ोसी बंका के घर पहुंच गया.

बंका कुछ समझ पाता उस के पहले ही उस ने उस पर फरसे से प्रहार कर दिया. बंका का कान कट गया और खून बहने लगा. वह बचाओ… बचाओ… की गुहार लगाने लगा, तभी उस ने उस पर दूसरा प्रहार कर दिया, जिस से उस की गर्दन कट गई और वह जमीन पर गिर गया.

इधर बंका की चीख सुन कर विमला उसे बचाने पहुंच गई. विमला को देख किन्नर का गुस्सा और भड़क गया. उस ने बंका को छोड़ विमला पर फरसे से हमला कर दिया. फरसा विमला के पैर में लगा और वह जान बचा कर भागी.

सामने ननकी का घर था, वह उसी घर में घुस गई. पीछा करता हुआ किन्नर भी आ गया. वह विमला के बाल पकड़ कर घर के बाहर लाया और सड़क पर फरसे से उस की गर्दन धड़ से अलग कर दी. ननकी तथा कई अन्य लोगों ने देखा, पर उसे बचाने कोई नहीं आया.

पत्नी की गर्दन काटने के बावजूद किन्नर का गुस्सा ठंडा नहीं हुआ. उस ने एक हाथ में विमला का कटा सिर पकड़ा और दूसरे हाथ में फरसा ले कर थाने की ओर चल दिया. लगभग डेढ़ किलोमीटर का सफर पैदल तय कर के किन्नर थाना बबेरू पहुंचा और पुलिस के सामने आत्म समर्पण कर दिया.

9 अक्तूबर, 2020 को पुलिस ने अभियुक्त किन्नर यादव को बांदा कोर्ट में पेश किया, जहां से उसे जिला जेल भेज दिया गया.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

किन्नर का आखिरी वार- भाग 1

कहानी सौजन्य- मनोहर कहानियां

राइटर- सुरेशचंद्र मिश्र

8 अक्तूबर 2020 की सुबह 8 बजे बबेरू कस्बे के कुछ लोगों ने एक ऐसा खौफनाक मंजर देखा, जिस से उन की रूह कांप उठी. एक आदमी सड़क पर बेखौफ पैदल आगे बढ़ता जा रहा था. उस के एक हाथ में फरसा तथा दूसरे हाथ में कटा हुआ सिर था. सिर किसी महिला का था, जिसे वह सिर के बालों से पकड़े था.

कटे सिर से खून भी टपक रहा था, जिस से आभास हो रहा था कि कुछ देर पहले ही उस ने सिर को धड़ से अलग किया होगा. देखने वाले अनुमान लगा रहे थे कि कटा सिर या तो उस आदमी की प्रेमिका का है, या फिर पत्नी का. क्योंकि ऐसा जघन्य काम आदमी तभी करता है, जब या तो प्रेमिका धोखा दे या फिर पत्नी बेवफाई करे.

दिल कंपा देने वाला मंजर बिखेरता हुआ, वह आदमी बाजार चौराहा पार कर के थाना बबेरू के गेट पर जा कर रुका. पहरे पर तैनात सिपाही की नजर जब उस पर पड़ी तो वह घबरा गया, फिर हिम्मत जुटा कर अपनी ड्यूटी निभाने के लिए पूछा, ‘‘कौन हो तुम. और तुम्हारे हाथ में ये कटा सिर किस का है?’’ ‘‘यह सब बातें हम बड़े दरोगा साहब को बताएंगे. उन्हें बुलाओ.’’ उस रौद्र रूपधारी आदमी ने जवाब दिया.‘‘ठीक है, तुम इस कुर्सी पर बैठो. मैं दरोगा साहब को बुला कर लाता हूं.’’उस आदमी ने कटा सिर जमीन पर रखा फिर कंधा से फरसा टिका कर इत्मीनान से कुर्सी पर बैठ गया. पहरे वाला सिपाही बदहवास हालत में थाना इंचार्ज जयश्याम शुक्ला के कक्ष में पहुंचा, ‘‘सर एक आदमी आया है. उस के हाथ में फरसा और महिला का कटा सिर है.’’‘‘क्या?’’ शुक्लाजी चौंके. फिर वह रामसिंह व कुछ अन्य सिपाहियों के साथ थाना परिसर आए, जहां वह आदमी कुरसी पर बैठा था. उसे देख वह भी कांप उठे. कहीं वह पागल तो नहीं, उस स्थिति में वह पुलिस पर भी हमला कर सकता था. उन्होंने उस आदमी से कहा, ‘‘देखो, पहले अपना फरसा और कटा सिर चंद कदम दूर रख दो. फिर मैं तुम्हारी बात सुनूंगा.’’

जय श्याम शुक्ला की बात मान कर उस आदमी ने फरसा और कटा सिर चंद कदम दूर रख दिया. जिसे एक सिपाही ने संभाल लिया. इस के बाद शुक्ला ने उस आदमी को हिरासत में ले कर पूछा, ‘‘अब बताओ, तुम कौन हो, कहां रहते हो और कटा सिर किस का है?’’

‘‘दरोगा बाबू, मेरा नाम किन्नर यादव है. मैं अतर्रा रोड, नेता नगर में रहता हूं. कटा सिर मेरी पत्नी विमला का है. मैं ने ही फरसे से उस का सिर काटा है. मैं हत्या का जुर्म कबूल करता हूं. आप मुझे गिरफ्तार कर लो.’’

‘‘तुम ने अपनी पत्नी विमला की हत्या क्यों की?’’ जय श्याम शुक्ला ने पूछा.

‘‘साहब, वह बदचलन औरत थी. पड़ोसी रवि उर्फ बंका के साथ रंगरेलियां मनाती थी. कई बार मना किया, बच्चों की कसम खिलाई, इज्जत की दुहाई दी, लेकिन वह नहीं मानी. आज मुझ से बर्दाश्त नहीं हुआ. मैं ने बंका पर फरसा से हमला किया तो वह उसे बचाने आ गई. इस पर मैं ने उस की गर्दन काट दी और ले कर थाने आ गया.’’

‘‘बंका कहां है?’’ शुक्लाजी ने पूछा.

‘‘बंका घर में तड़प रहा होगा. उस की किस्मत अच्छी थी, बच गया.’’

मंजर देख पुलिस भी हैरान थी

पूछताछ के बाद प्रभारी निरीक्षक जय श्याम शुक्ला ने कातिल किन्नर यादव को हवालात में बंद कराया, फिर इस दिल कंपा देने वाली घटना की सूचना पुलिस अधिकारियों को दी. इस के बाद कटा सिर साथ में ले कर पुलिस बल के साथ नेता नगर स्थिति किन्नर यादव के मकान पर पहुंच गए.

उस समय वहां भारी भीड़ जुटी थी. मृतका विमला की सिरविहीन लाश सड़क पर पड़ी थी. उस की गर्दन बड़ी बेरहमी से काटी गई थी. पैर पर भी वार किया गया था, जिस से पैर पर जख्म लगा था. मृतका की उम्र 35 वर्ष के आसपास थी. रंग साफ और शरीर स्वस्थ था. उस के शव के पास बच्चे तथा महिलाएं बिलख रही थी.

पड़ोस में सूरजभान सविता का मकान था. उस का बेटा रवि उर्फ बंका घायल पड़ा तड़प रहा था. किन्नर यादव ने उस पर भी फरसे से हमला किया था, जिस से उस का एक कान तथा गर्दन कट गई थी. जय श्याम शुक्ला ने उसे इलाज के लिए स्वास्थ केंद्र भिजवा दिया.

जय श्याम शुक्ला अभी घटनास्थल का निरीक्षण कर ही रहे थे कि सूचना पा कर पुलिस अधीक्षक सिद्धार्थ शंकर मीणा, अपर पुलिस अधीक्षक महेंद्र प्रताप सिंह चौहान तथा डीएसपी आनंद कुमार पांडेय भी वहां आ गए. उन्होंने घटनास्थल का निरीक्षण किया और पासपड़ोस के लोगों तथा मृतका के पिता रामशरण यादव से घटना के बारे में जानकारी हासिल की.

पड़ोस में रहने वाली ननकी ने बताया कि विमला जान बचाने के लिए उस के घर में घुस आई थी. लेकिन पीछा करते हुए उस का पति किन्नर यादव घर में आ गया था. वह विमला  के बाल पकड़ कर घसीटते हुए घर के बाहर सड़क पर ले गया. फिर उस ने फरसे से विमला की गर्दन धड़ से अलग कर दी. वह चाह कर भी उस की कोई मदद नहीं कर पाई थी.

रामदत्त की बेटी अंतिमा ने पुलिस अधिकारियों को बताया कि वह घर के बाहर साफसफाई कर रही थी तभी किन्नर चाचा फरसा ले कर आए और बंका पर हमला कर दिया. उस का कान तथा गर्दन कट गई. विमला चाची बंका को बचाने आई तो चाचा ने बंका को छोड़ कर विमला चाची पर हमला कर दिया. वह जान बचा कर ननकी काकी के घर घुस गई. लेकिन उन की जान नहीं बच सकी.

थाने लौट कर पुलिस अधिकारियों ने हवालात में बंद किन्नर यादव को बाहर निकलवा कर बंद कमरे में पूछताछ की. पूछताछ में उस ने सहजता से पत्नी की हत्या का जुर्म कबूल कर लिया. अपर पुलिस अधीक्षक महेंद्र सिंह चौहान ने स्वास्थ केंद्र पहुंच कर घायल रवि उर्फ बंका से जानकारी हासिल की. बंका ने विमला से अवैध रिश्तों की बात स्वीकार की.

इधर पुलिस अधिकारियों के आदेश पर प्रभारी निरीक्षक जयश्याम शुक्ला ने मृतका विमला के सिर और धड़ को एक साथ पोस्टमार्टम के लिए बांदा के जिला अस्पताल भेज दिया. पोस्टमार्टम करा कर पुलिस ने उसी दिन मुक्तिधाम में उस का दाह संस्कार करा दिया.

चूंकि कातिल किन्नर यादव ने स्वयं थाने जा कर आत्मसमर्पण किया था और आलाकत्ल फरसा भी पुलिस को सौंप दिया था. इसलिए प्रभारी निरीक्षक जय श्याम शुक्ला ने मृतका के पिता रामशरण यादव को वादी बना कर धारा 302/324 आईपीसी के तहत किन्नर यादव के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर ली और उसे विधिसम्मत गिरफ्तार कर लिया. पुलिस जांच में अवैध रिश्तों की सनसनीखेज घटना प्रकाश में आई.

किन्नर यादव बांदा जनपद के कस्बा बबेरू नेता नगर में रहता था. 12 साल पहले उस का विवाह मरका क्षेत्र के सिरिया ताला गांव निवासी रामशरण सिंह यादव की बेटी विमला के साथ हुआ था. विमला सरल स्वभाव की महिला थी. किन्नर यादव उसे बहुत प्यार करता था. कालांतर में विमला 2 बेटों संदीप व कुलदीप की मां बनी.

परिवार के लिए हाड़तोड़ मेहनत

किन्नर यादव पटाखा, आतिशबाजी बनाने का बेहतरीन कारीगर था. वह बबेरू के एक लाइसेंस होल्डर के यहां काम करता था. उसे पगार तो मिलती ही थी, साथ में वह अवैध रूप से भी पटाखे बना लेता था. इस से भी उसे ठीकठाक कमाई हो जाती थी. उस के परिवार के भरणपोषण के लिए इतना काफी था. यह काम करने वाले और भी थे.

लेकिन अवैध काम तो अवैध ही होता है. बबेरू पुलिस को भनक पड़ी तो उस ने धरपकड़ शुरू की, लेकिन किन्नर यादव किसी तरह बच गया. इस के बाद पत्नी विमला के समझाने पर उस ने अवैध काम को बंद कर दिया और कस्बे की एक आढ़त पर पल्लेदारी का काम करने लगा.

रवि उर्फ बंका किन्नर यादव के पड़ोस में रहता था. उस के पिता सूरजभान सविता गांव मरका में रहते थे. अविवाहित बंका अपनी मां गोमती के साथ रहता था. वह बिजली विभाग में संविदा कर्मचारी था. वेतन के अलावा उस की ऊपरी कमाई भी थी, सो वह ठाटबाट से रहता था.

बंका और किन्नर यादव हमउम्र थे. दोनो के बीच दोस्ती थी. लेकिन एकदूसरे के घर ज्यादा आना जाना नहीं था. एक बार बंका किसी काम से किन्नर यादव के घर आया. उस ने किन्नर की पत्नी विमला को देखा, तो उस की नियत खराब हो गई.

अगले भाग में पढ़िए विमला को पाने के लिए किस हद तक गया बंका…

ओयो होटल का रंगीन अखाड़ा : भाग 2

(कहानी सौजन्य-मनोहर कहानियां)

रात को करीब 10 बजे अजय का अपहरण करने वालों से सुषमा की ये आखिरी बात थी.

इसी के बाद से सुषमा की जान गले में अटकी थी और वह पूरी रात बेचैनी से घर के भीतर टहलती रही. उसे बारबार लग रहा था कि कहीं कोई वाकई उस की एकएक गतिविधि पर नजर तो नहीं रख रहा.

सोचते-सोचते रात आंखोंआंखों में बीत गई. आखिरकार सुषमा ने सुबह अपने पति के बौस को फोन कर के सारी बात बताई. उन्होंने कहा कि वह घर में रहें, कुछ ही देर में पुलिस पहुंच जाएगी.

ठीक वैसा ही हुआ, जैसा अजय के बौस ने कहा था. सुषमा का घर जिस इलाके में है, वह सैंट्रल नोएडा पुलिस के अंडर में आता है. कुछ ही देर में उस के घर की डोरबैल बजी, उस ने दरवाजा खोला तो सादे लिबास में नोएडा पुलिस के एडीशनल कमिश्नर लव कुमार, सैंट्रल नोएडा पुलिस डीसीपी राजेश कुमार सिंह, एडीशनल कमिश्नर रणविजय सिंह, एसीपी विमल कुमार सिंह और सेक्टर 49 थाने के एसओ सुधीर कुमार सिंह सामने खड़े थे.

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दरअसल, सुषमा ने जब अपने पति के बौस को अजय के किडनैप होने की जानकारी और इस की एवज में फिरौती मांगने की बात बताई तो डीआरडीओ की तरफ से नोएडा के कमिश्नर आलोक सिंह को फोन कर के इस मामले में गोपनीय ढंग से काम कर के जल्द से जल्द अजय प्रताप सिंह को अपहर्त्ताओं के कब्जे से मुक्त कराने को कहा गया.

डीआरडीओ का एक्शन

डीआरडीओ देश के सुरक्षा उपकरणों व प्रतिष्ठानों से जुड़ा ऐसा संगठन है जो रक्षा मंत्रालय के अधीन काम करता है. अजय प्रताप सिंह इसी संस्था से जुड़े वैज्ञानिक थे. उन के पास संस्था से जुड़ी संवेदनशील जानकारियां भी रहती थीं.

इसलिए जैसे ही पुलिस कमिश्नर को यह जानकारी मिली, उन्होंने एडिशनल कमिश्नर लव कुमार को सारी जानकारी दे कर बेहद गोपनीय ढंग से अजय प्रताप को अपहर्त्ताओं के कब्जे से मुक्त कराने का औपरेशन शुरू करने का आदेश दिया.

इस के बाद लव कुमार ने तड़के ही तमाम अधिकारियों की आपात बैठक बुलाई और सभी अफसरों को सादे कपड़ों में अजय प्रताप के घर पहुंचने को कहा.

अधिकारियों ने अपना परिचय देने के बाद जब सुषमा से अजय प्रताप सिंह के अपहरण से जुड़ी सारी जानकारियां मांगी तो उन्होंने वह पूरा घटनाक्रम बयान कर दिया, जो अब तक हुआ था.

पुलिस ने सुषमा से वे दोनों नंबर हासिल कर लिए, जिन पर पहले पति अजय प्रताप से बात हुई थी और दूसरी बार अपहर्त्ता ने फोन कर के रकम की मांग की थी. सुषमा वर्मा से पुलिस ने एक लिखित शिकायत भी ले ली. सादे लिबास में पुलिस के कुछ लोगों और महिला पुलिस की कुछ तेजतर्रार पुलिसकर्मियों को सुषमा के पास छोड़ कर पुलिस टीम वापस लौट गई.

सुषमा की शिकायत पर उसी दिन थाना 49 पर भादंसं की धारा 364ए के तहत फिरौती के लिए अपहरण का मामला दर्ज कर लिया गया.

डीसीपी राजेश कुमार सिंह ने एडिशनल डीसीपी रणविजय सिंह की निगरानी में एक विशेष टीम का गठन कर दिया. एसीपी विमल कुमार सिंह के नेतृत्व में गठित इस टीम में थाना सेक्टर 49 के थानाप्रभारी सुधीर कुमार सिंह के अलावा एसआई विकास कुमार, महिला एसआई प्रीति मलिक, हैड कांस्टेबल प्रभात कुमार, जय विजय, कांस्टेबल सुबोध कुमार, सुदीप कुमार,अंकित पंवार और महिला कांस्टेबल रेनू यादव को शामिल किया गया.

इस के अलावा दूसरी स्टार टू टीम के एसआई शावेज खान तथा जोन फर्स्ट की सर्विलांस टीम के एसआई नवशीष कुमार को शामिल किया गया.

सभी टीमों को बता दिया गया था कि मामला बेहद संवेदनशील है, इसलिए बिना विलंब किए और बिना किसी को भनक लगे सावधानी से औपरेशन को अंजाम देना है.

गठित की गई टीमों में काम का बंटवारा कर दिया गया कि किसे इस औपरेशन में क्या भूमिका निभानी है.

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एडिशनल डीसीपी रणविजय सिंह ने गठित की गई टीमों के साथ कोऔर्डिनेशन का जिम्मा खुद संभाला लिया. सर्विलांस टीम ने सुषमा वर्मा से मिले दोनों मोबाइल नंबरों के साथ अजय प्रताप सिंह के नंबर की काल डिटेल्स निकाली और तीनों नंबरों को सर्विलांस पर लगा कर निगरानी शुरू कर दी.

स्टार टू की टीम ने फिरौती के लिए अपहरण करने वाले बदमाशों की धरपकड़ और उन के ठिकानों पर छापेमारी का काम शुरू कर दिया. जबकि इस मामले के जांच अधिकारी थानाप्रभारी सुधीर कुमार सिंह ने अपने थाने की टीम के साथ सर्विलांस टीम से मिल रही जानकारी के आधार पर धरपकड़ शुरू कर दी.

सर्विलांस टीम को पता चला कि शाम को 5 बजे के बाद जब अजय प्रताप सिंह का फोन बंद हुआ था, तो उस से पहले उन्होंने आखिरी बार 3 नंबरों पर बात की थी. उन सभी नंबरों की लोकेशन सेक्टर 41 में आगाहपुर के पास बने ओयो होटल की पाई गई. इतना ही नहीं, फोन बंद होते समय अजय प्रताप के फोन की लोकेशन भी पुलिस को इसी होटल की मिली.

पुलिस को मिली राह

जानकारी बेहद महत्त्वपूर्ण थी, लेकिन इस पर ठोस काररवाई करने से पहले अधिकारी यह पुष्टि कर लेना चाहते थे कि उक्त होटल से अपहरण करने वालों का कोई वास्ता है या नहीं. क्योंकि अगर सर्विलांस के आधार पर वहां छापा मारा जाता और अजय प्रताप नहीं मिलते तो उन की जान को खतरा हो सकता था.

लिहाजा अधिकारियों ने एसओ सुधीर कुमार की टीम के एक तेजतर्रार हैड कांस्टेबल जय विजय सिंह को फरजी ग्राहक बना कर ओयो होटल भेजा. जय विजय सिंह ने सेक्टर 41 के ओयो होटल में पहुंच कर वहां एक कमरा बुक कराया और खुद को काम के सिलसिले में पूर्वी उत्तर प्रदेश से आया हुआ बताया.

कमरा बुक करने के बाद जब जय विजय ने होटल में चल रही गतिविधियों की निगरानी शुरू की तो दूसरी मंजिल पर बने 2 कमरों के आसपास कुछ संदिग्ध गतिविधियां दिखीं.

जय विजय ने होटल की पार्किंग की छानबीन की तो वहां अजय प्रताप सिंह की वह होंडा सिटी कार भी खड़ी दिखाई दी, जिस का नंबर सुषमा वर्मा से मिला था.

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जय विजय को जब यकीन हो गया कि हो न हो अजय प्रताप को ओयो होटल के अंदर ही छिपाकर रखा गया है तो उस ने अधिकारियों को सूचना दे दी.

जानें आगे की कहानी अगले भाग में…

ओयो होटल का रंगीन अखाड़ा : भाग 3

(कहानी सौजन्य-मनोहर कहानियां)

इस पर पुलिस की तीनों टीमों ने 27 सितंबर की रात को सेक्टर 41 के आई ब्लौक में प्लौट नंबर 64 पर बने ओयो होटल को चारों तरफ से घेर कर छापा मारा. एकएक कमरे की तलाशी ली गई तो पुलिस कमरा नंबर 203 में बंधक बना कर रखे गए अजय प्रताप तक पहुंच गई.

उन के कमरे में 3 लोग मिले, जिन में से एक राकेश कुमार उर्फ रिंकू फौजी निवासी गांव चेहडका, जिला भिवाड़ी, राजस्थान था. दूसरा युवक दीपक पुत्र राजेश कुमार भी इसी गांव का रहने वाला था, जबकि इसी कमरे में एक महिला सुनीता गुर्जर उर्फ बबली मिली जो आगाहपुर गांव में सेक्टर 41 की ही रहने वाली थी.

पुलिस ने अचानक उस कमरे में धड़ाधड़ प्रवेश किया और अजय प्रताप को अपने कब्जे में ले लिया. साथ ही कमरे में मौजूद तीनों लोगों को हिरासत में लिया तो सुनीता गुर्जर उर्फ बबली भड़क उठी. उस ने पुलिस को हड़काना शुरू कर दिया, ‘‘औफिसर, इस बदतमीजी की वजह जान सकती हूं?’’

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‘‘मैडम, बदतमीजी की वजह आप को पता होगी, फिर भी हम थाने चल कर इस की असली वजह बताएंगे.’’ रणविजय सिंह ने जवाब दिया.

जब पुलिस ने उन्हें बताया कि उन्हें अजय प्रताप का अपहरण कर फिरौती मांगने के आरोप में गिरफ्तार किया जा रहा है तो सुनीता गुर्जर फिर भड़क उठी. उस ने अधिकारियों को धमकाते हुए बताया कि वह बीजेपी की नेता और सोशल वर्कर है. उन की इस गलती की सजा अभी दिलवाएगी.

इस के बाद उस ने कुछ लोगों को फोन किया और फोन करने के बाद धमकी दी कि अभी देखो, थोड़ी देर में तुम को तुम्हारे बाप लोग फोन करेंगे तो देखना तुम कैसे छोड़ोगे.

एडिशनल डीसीपी रणविजय सिंह ने अपनी पुलिस की नौकरी में ऐसे बहुत से छुटभैए नेता देखे थे जो किसी अपराध में पकडे़ जाने पर पुलिस को ऐसी गीदड़भभकियां देते हैं. उन्हें इस बात का भी इल्म था कि कई बार पुलिस ऐसी धमकियों के प्रभाव में आ कर ऐसे लोगों को छोड़ देती है. लेकिन यह मामला जिस तरह का था, उसे देखने के बाद रणविजय सिंह किसी धमकी में नहीं आए और सभी को हिरासत में ले कर पुलिस थाना सेक्टर 49 लौट आए.

पुलिस टीम अपहृत अजय प्रताप सिंह की होंडा सिटी कार के साथ होटल के रजिस्टर तथा होटल के सीसीटीवी कैमरों की डीवीआर भी साथ ले आए.

कैसे फंसे अजय

जब पुलिस ने थाने आ कर थोड़ी सी सख्ती बरती और आरोपियों को सुषमा वर्मा से की गई बातचीत की काल रिकार्डिंग तथा उन के फोन की काल डिटेल्स दिखा कर पुख्ता सबूत सामने रखे तो आरोपियों ने अपना गुनाह कबूल कर लिया और खुलासा किया कि उन्होंने अपने 2 फरार साथियों के साथ मिल कर अजय प्रताप को हनीट्रैप में फंसाया था और उन से मोटी फिरौती वसूलने की योजना थी.

अजय प्रताप ने बताया कि उन्होंने गूगल पर मसाज कराने वाले किसी पार्लर का नंबर सर्च किया था, जिस के बाद उन्हें जस्ट डायल पर नोएडा में मसाज कराने वाला एक नंबर हासिल हुआ. उन्होंने उस नंबर पर फोन किया था.

26 सितंबर को शाम 4 बजे अजय ने जब मसाज सेवा देने वाले उस पार्लर के नंबर पर बात की तो दूसरी तरफ से बात करने वाले ने बताया कि उन के पास एक से एक खूबसूरत लड़कियां है जो सिर्फ मसाज ही नहीं करती बल्कि जिस्म की भूख भी मिटाती हैं.

फोन करने वाले ने इतना प्रलोभन दिया कि अजय प्रताप का मन मचलने लगा. उन्होंने उसी वक्त मसाज कराने का इरादा कर लिया, जब फोन करने वाले ने उन्हें वाट्सऐप पर उन लड़कियों की फोटो भेजीं, जिन में से किसी से भी वे मसाज करा सकते थे.

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बस उन्हीं लडकियों की खूबसूरत और मादक तसवीरें देख कर अजय प्रताप घर का सामान लाने के बहाने कार ले घर से निकल पडे़. लेकिन घर से निकल कर जब उन्होंने मसाज वाले नंबर पर फोन कर के पूछा कि कहां आना है तो उन्हें लौजिक्स सिटी सेंटर बुलाया गया. वहां उन्हें दीपक नाम का शख्स मिला जो उन्हें सेक्टर 41 के आई ब्लाक में ओयो होटल पर ले आया.

शाम को 6 बजे जब वे होटल पहुंचे तो वहां उन की गाड़ी पार्किंग में खड़ी करवा कर इसी होटल के रूम नंबर 203 में ले जाया गया, जहां पहले से ही राकेश फौजी उर्फ रिंकू और बरौला नोएडा के 48बी में रहने वाला अनिल शर्मा और सेक्टर 27 के मकान नंबर 618 में रहने वाला आदित्य मौजूद थे.

वहां पहुंचने के कुछ देर तक तो अजय प्रताप उन चारों से बात करते रहे. जब काफी वक्त गुजर गया और मसाज करने वाली लड़कियां नहीं आईं तो उन्होंने उन लड़कियों को बुलाने को कहा, जिन के फोटो उन्हें भेजे गए थे. उस के बाद अचानक उन चारों का गिरगिट की तरह रंग बदल गया.

उन लोगों ने अजय प्रताप को कुरसी से बांध दिया और धमकी देने लगे कि परिवार के होते हुए वह लड़कियों से मसाज के नाम पर अय्याशी करता है तो अजय प्रताप के होश उड़ गए. क्योंकि उन्हें सपने में गुमान नहीं था कि ऐसा भी हो सकता है.

होटल के कमरे में मौजूद चारों लोगों ने उन्हें धमकाना शुरू कर दिया कि वे थाने में फोन कर के पुलिस को बुलाएंगे और उसे पुलिस के हवाले कर देंगे.

उन्होंने अजय प्रताप की काल रिकौर्डिंग सुनवाई तो वे और ज्यादा डर गए. अपने ओहदे की संवेदनशीलता और पारिवारिक बदनामी के कारण वह उन के आगे हाथ जोड़ कर गिड़गिड़ाने लगे.

उसी वक्त उन में से किसी एक के फोन करने पर एक महिला ने आई, जिसे देख कर वे सभी मैम… मैम कह कर बात करने लगे. उस महिला के बारे में चारों ने बताया कि वह नोएडा क्राइम ब्रांच की इंसपेक्टर हैं और उसे पकड़ने के लिए आई हैं.

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सुनीता ने खुद को इंसपेक्टर बता कर अजय प्रताप को धमकाना शुरू कर दिया और उन्हें आतंकित करने लगी कि जब वह गिरफ्तार हो कर अय्याशी के जुर्म में जेल जाएगा तो उस की ऐसी बदनामी होगी कि न उस का परिवार रहेगा, न ही नौकरी.

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ओयो होटल का रंगीन अखाड़ा : भाग 1

(कहानी सौजन्य-मनोहर कहानियां)

सुषमा की पूरी रात आंखोंआंखों में कट गई, पलभर को भी नहीं सोई वह. कभी घर के भीतर चहलकदमी करने लगतीं तो कभी सोचने लगतीं कि मुश्किल की इस घड़ी में क्या करें, किस की मदद लें. उन की आंखों के सामने बारबार पति का चेहरा घूमने लगता. क्योंकि जो मुसीबत उन के सामने आ खड़ी हुई थी, उस में जरा सी लापरवाही उस की मांग का सिंदूर लील सकती थी, मन में यह खयाल आते ही डर के कारण सुषमा का पूरा शरीर सिहर उठता था.

आखिरकार बहुत सोचने के बाद सुषमा ने कठोर फैसला लिया और अपने पति के बौस को फोन कर के पूरी बात बताई.

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37 वर्षीय अजय प्रताप सिंह अपनी पत्नी सुषमा के साथ नोएडा के सेक्टर-77 की सुपरटेक केपटाउन सोसाइटी में रहते थे. वह डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट आर्गेनाइजेशन (डीआरडीओ) दिल्ली में बतौर रिसर्च साइंटिस्ट तैनात थे.

मूलत: उन्नाव के रहने वाले अजय प्रताप 26 सितंबर, 2020 की शाम करीब साढ़े 5 बजे अपनी पत्नी से यह कह कर घर से निकले थे कि घर की जरूरतों का कुछ सामान लेने के लिए मार्किट जा रहे हैं और कुछ देर में वापस लौट आऐंगे.

अजय घर से अपनी होंडा सिटी कार यूपी 14 बीएस 5232 ले कर निकले थे. डेढ़दो घंटे बीत जाने पर सुषमा को चिंता होने लगी कि आखिर अजय ऐसी कौन सी शौपिंग करने के लिए गए हैं कि 2 घंटे से ज्यादा का वक्त बीतने पर भी नहीं लौटे.

सुषमा ने अजय का फोन लगाया तो फोन स्विच्ड औफ मिला. इस के बाद उन की चिंता बढ़ गई. सुषमा बारबार पति का नंबर मिलाती रहीं, मगर फोन स्विच्ड औफ बताता रहा.

इसी तरह करीब ढाई घंटे बीत गए. सुषमा सोच ही रही थी कि ऐसे में क्या करें. अचानक सुषमा के फोन पर एक अंजान नंबर से काल आई तो उस ने यह सोच कर फोन उठा लिया कि हो सकता है अजय का फोन खराब हो गया हो या उस की बैटरी चली गई हो. संभव है वह किसी का फोन ले कर काल कर रहे हों.

फोन उठाते ही उम्मीद के मुताबिक दूसरी तरफ से अजय की आवाज सुनाई दी, जैसे ही अजय ने ‘हैलो मैं अजय बोल रहा हूं’ कहा तो उस के बाद पूरी बात बिना सुने ही सुषमा ने गुस्से में एक ही सांस में कई सवाल कर डाले, ‘‘अजय, तुम कहां हो… तुम्हारा फोन क्यों बंद है… ऐसी कौन सी शौपिंग करने चले गए कि ढाई घंटे होने को हैं और अब फोन कर रहे हो?’’

‘‘अरे मेरी बात तो सुनो, मैं बड़ी मुसीबत में फंस गया हूं.’’ दूसरी तरफ से अजय ने सुषमा के सवालों का जवाब देने के बजाए बीच में उस की बात काट कर कहा तो सुषमा के होश उड़ गए. उस ने अटकती सांसों से पूछा, ‘‘मुसीबत…कैसी मुसीबत?’’

‘‘सुषमा मुझे कुछ लोगों ने पकड़ लिया है और एक कमरे में बंद कर रखा है. वे मुझ से बहुत बड़ी रकम की मांग कर रहे हैं.’’

‘‘कौन लोग हैं वे और उन्होंने तुम्हें क्यों पकड़ा…किस बात के पैसे मांग रहे हैं?’’

घबराहट के कारण सुषमा ने पूरी बात सुने बिना ही सवालजवाब शुरू कर दिए तो अजय ने फिर उस की बात काटी, ‘‘मुझे नहीं पता ये लोग कौन हैं, किसलिए पैसे मांग रहे हैं लेकिन इतना जानता हूं कि ये लोग बहुत खतरनाक हैं और अगर हम ने इन की बात नहीं मानी तो ये लोग मुझे मार देंगे… हो सकता है ये तुम से बात करें. इन की बात सुन लेना बेबी और अगर हो सके तो पूरा कर देना वरना शायद हम दोबारा ना मिल सकें.’’

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दूसरी तरफ से फोन कट गया. इस फोन के बाद तो सुषमा को पूरा ब्रह्मांड घूमता नजर आने लगा. उसे सुझाई नहीं दे रहा था कि वह करे तो क्या करे. सुषमा ने उसी नंबर पर कई बार फोन किया, जिस से अजय ने फोन किया था, लेकिन फोन स्विच्ड औफ मिला.

सुषमा समझ गई कि किसी मुसीबत में फंसने की वजह से ही अजय घर नहीं पहुंचे. अजय की रूआंसी और परेशानी भरी आवाज सुन कर उसे समझ आ गया था कि वह जिन लोगों के चंगुल में हैं, वे सचमुच खतरनाक लोग रहे होंगे.

लेकिन मुश्किल यह थी कि अभी तक उसे पूरा मामला समझ नहीं आया था कि उन्होंने अजय को किसलिए बंधक बनाया हुआ है. पैसे क्यों मांग रहे हैं और उन्होंने कितनी रकम मांगी है.

पति के लिए परेशान पत्नी

सुषमा यह सब सोच ही रही थी कि कुछ देर बाद उस के फोन पर फिर से एक अंजान नंबर से काल आई. इस बार नंबर वह नहीं था, जिस से अजय ने बात की थी.

सुषमा ने यह सोच कर फोन उठा लिया कि हो सकता है अजय को बंधक बनाने वाले लोग ही दूसरे नंबर से बात कर रहे हों. सुषमा की शंका सच निकली. फोन पर एक पुरुष ने कड़कती हुई आवाज में कहा कि अजय उन के कब्जे में है और अपने पति से बात करने के बाद वह ये तो समझ ही गई होंगी कि वह जिंदा और सहीसलामत हैं.

दूसरी तरफ से फोन करने वाले ने धमकी दी कि अगर अगले 24 घंटे में उस ने 10 लाख रुपए का इंतजाम कर के रकम नहीं दी तो शायद उसे उस का पति जिंदा नहीं मिलेगा.

फोन करने वाले ने जल्द से जल्द 10 लाख रुपए का इंतजाम करने के लिए कहा, साथ ही धमकी भी दी कि अगर इस बारे में पुलिस को सूचना दी या कोई और चालाकी की तो उस तक अजय की लाश ही पहुंचेगी.

फोन करने वाले ने जब यह कहा कि उन के आदमी हर जगह नजर रख रहे हैं कोई भी चालाकी की तो तुरंत यह खबर उस तक पहुंच जाएगी. यह सुन कर सुषमा का कलेजा मुंह को आ गया. फोन सुनते ही उस ने सुनसान घर में इधरउधर देखा कि कोई आदमी उन के घर में तो नहीं छिपा है.

‘‘देखो भैया, मैं आप की सारी मांग पूरी कर दूंगी लेकिन यह तो बता दो, आप पैसे किस बात के मांग रहे हो… आखिर मेरे हसबैंड ने कौन सी गलती की है? क्या आप का उन से कोई उधार का लेनदेन है?’’

सुषमा ने फोन करने वाले की बात को बीच में काटते हुए हिम्मत जुटा कर सहमते हुए सवाल किया तो दूसरी तरफ से कहा गया, ‘‘मैडम ये नोएडा में रहने का टैक्स है और तुम्हारे पति की ठरक का जुरमाना भी…

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‘‘अब ज्यादा सवाल न कर के पैसे का इंतजाम करो… टाइम कम है हमारे पास… रकम कैसे और कहां लेनी है इस के लिए तुम्हें कल फोन करेंगे लेकिन याद रखना हमारे लोग तुम पर नजर रख रहे हैं.’’ कहते हुए दूसरी तरफ से फोन काट दिया गया.

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ओयो होटल का रंगीन अखाड़ा

ओयो होटल का रंगीन अखाड़ा : भाग 4

(कहानी सौजन्य-मनोहर कहानियां)

अजय प्रताप को तब तक पता नहीं था कि वह किस ट्रैप में फंस गए हैं, इसलिए उन्होंने किसी भी तरह इस मामले को निबटाने के लिए हाथपांव जोड़ने शुरू कर दिए. सुनीता ने कहा कि ठीक है वह इस मामले को अपने अधिकारियों के नोटिस में नहीं लाएगी, लेकिन उसे जल्द से जल्द 10 लाख रुपए का इंतजाम कर उन्हें देने होंगे.

सुनीता ने उन्हें बताया कि वह अपनी पत्नी को यह कह कर फोन करें कि उन्हें बदमाशों ने पकड़ लिया है और 10 लाख रुपए मांग रहे हैं क्योंकि उसे लड़की से मसाज की बात पता चल गई तो वह पैसा नहीं देगी, उलटे पत्नी की नजर में उन की इज्जत चली जाएगी.

सुनीता के दबाव में आ कर अजय ने उसी के नंबर से अपनी पत्नी सुषमा को फोन किया था. इस के बाद रात में कई बार अजय प्रताप की पिटाई की गई. इस के साथ ही वे लोग छोड़ने के लिए उन से मोलभाव करते रहे.

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आरोपियों ने अजय प्रताप की पिटाई कर के उन का ऐसा वीडियो भी बना लिया था जिस में वह मसाज कराने के लिए लड़की की मांग कर रहे थे. बंधक बनाने वालों ने अजय को धमकी दी कि अगर उन्हें पैसे नहीं मिले तो वे यह वीडियो उस के परिवार वालों को भेज कर, फिर सोशल मीडिया पर वायरल कर देंगे.

लेकिन इस से पहले सुनीता और उस के साथी अजय प्रताप की पत्नी को अपने नंबर से फोन कर के एक बड़ी चूक कर गए थे. उन्हें शायद अजय की हैसियत तो पता चल गई थी लेकिन उन की पहुंच के बारे में पूरी तरह अंजान थे.

आइडिया सुनीता का था

दरअसल, सेक्टर-41 के जिस ओयो होटल में अजय प्रताप सिंह को अगवा कर रखा गया था, उस में 16 कमरे बने हुए हैं. होटल का संचालन सन 2017 से किया जा रहा था. राकेश उर्फ रिंकू फौजी ने यह होटल 1.60 लाख रुपए प्रतिमाह के किराए पर ले रखा था.

रिंकू की सुनीता के साथ जानपहचान थी, इसलिए उस का होटल में आनाजाना था. रिंकू का होटल वैसे तो ज्यादा नहीं चलता था, लेकिन सुनीता ने ही रिंकू को आइडिया दिया कि नोएडा में अय्याशी करने वाले लोग सुरक्षित जगह की तलाश में होटलों और गेस्टहाउसों का आसरा लेते हैं. इसलिए उस ने कुछ लोगों को अय्याशी के लिए होटल में कमरे देने शुरू किए.

इसी दौरान उसे आइडिया आया कि क्यों न जिस्मफरोशी का धंधा करने वाली लड़कियों को होटल में रख कर उन से मसाज कराने का काम शुरू कराया जाए. इस काम के लिए रिंकू ने दीपक, आदित्य और अनिल को भी अपने साथ जोड़ लिया.

अगाहपुर की रहने वाली सुनीता उर्फ बबली को इलाके में लोग भाजपा नेत्री के रूप में जानते थे. वह अकसर रिंकू के होटल में आतीजाती थी. उस का बड़ेबड़े लोगों में बैठनाउठना था. उस ने आइडिया दिया कि अगर मोटा पैसा कमाना है तो लड़कियों से मसाज कराने आने वाले लोगों को समाज में बदनाम करने की धमकी दे कर ब्लैकमेल किया जा सकता है. फिर वे आसानी से मोटी रकम दे देंगे.

रिंकू ने मसाज करने के लिए जस्ट डायल पर अपने कुछ मोबाइल नंबर रजिस्टर करवा रखे थे. लोग गूगल पर सर्च कर के जब बात करते तो वे उसे अपने ओयो होटल में बुला लेते थे. उन्होंने मसाज और जिस्मफरोशी का धंधा करने वाली कुछ लड़कियों की फोटो अपने पास रखी हुई थीं, ग्राहक के मांगने पर वे मसाज बाला की फोटो वाट्सऐप पर सेंड कर देते थे.

खूबसूरत लड़कियों की फोटो देख कर ग्राहक उसी तरह उन के जाल में फंस जाते थे, जिस तरह अजय प्रताप सिंह उन के जाल में फंसे थे.

बिगबौस 10 कंटेस्टेंट मनवीर गुर्जर को बताया रिश्तेदार

सुनीता गुर्जर ने पुलिस की पकड़ में आने के बाद यह भी बताया कि वह बिग बौस के एक बहुचर्चित कंटेस्टेंट मनवीर गुर्जर की भाभी है. उस ने पुलिस को मनवीर गुर्जर के परिवार के साथ अपनी फोटो और बिग बौस के दसवें सीजन में सलमान खान के साथ ली गई फोटो दिखाई तो पुलिस भी चकरा गई.

लेकिन पुलिस की एक टीम ने जब अगाहपुर में मनवीर गुर्जर के घर जा कर इस बात की छानबीन की तो पता चला कि गांव और एक ही बिरादरी होने के कारण मनवीर गुर्जर सुनीता को भाभी कहता था. उस का मनवीर के परिवार में आनाजाना भी था लेकिन मनवीर गुर्जर के परिवार से उस की कोई रिश्तेदारी या दूर का नाता तक नहीं था.

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पुलिस पूछताछ में पता चला कि आरोपित दीपक और राकेश चचेरे भाई हैं. जबकि अनिल शर्मा उर्फ सौरभ तथा आदित्य उन के दोस्त हैं. उन्होंने सुनीता के बहकावे में आ कर शार्टकट से पैसा कमाने के चक्कर में मसाज की आड़ में लोगों को हनीट्रैप में फंसा कर उन्हें ब्लैकमेल कराने का काम शुरू किया था. लोग बदनामी के डर से 2-4 लाख दे कर अपनी जान छुड़ा लेते थे.

जब वे शिकार को फंसा कर लाते तो सुनीता क्राइम ब्रांच की इंसपेक्टर बन कर पहुंच जाती थी और जेल जाने तथा बदनामी का ऐसा भय दिखाती थी कि शिकार कुछ न कुछ दे कर अपनी जान छुड़ाता था.

पुलिस ने उन के होटल से जो रजिस्टर व दस्तावेज बरामद किए, उस में 800 से ज्यादा लोगों के नामपते दर्ज हैं. आंशका है कि उन में से कुछ ऐसे जरूर रहे होंगे, जिन्हें मसाज के नाम पर जाल में फंसा कर ब्लैकमेल किया गया होगा. पुलिस उन सभी लोगों की छानबीन कर रही है. पुलिस का दावा है कि यह गिरोह नोएडा व एनसीआर में हनीट्रैप की कई वारदात कर चुका है.

आरोपियों के पास से अजय प्रताप की कार, घटना में प्रयुक्त मोबाइल समेत अन्य दस्तावेज बरामद हुए हैं. एक आरोपी बरौला निवासी अनिल कुमार शर्मा को बाद में गिरफ्तार कर लिया गया, जबकि कथा लिखे जाने तक सेक्टर-27 निवासी आदित्य कुमार फरार था.

उत्तर प्रदेश के अपर मुख्य सचिव (गृह) अवनीश अवस्थी ने आरोपियों को पकड़ने वाली टीम को 5 लाख नकद पुरस्कार देने की घोषणा की है.

गोल्डन ईगल का जाल

गोल्डन ईगल का जाल : भाग 2

(कहानी सौजन्य-मनोहर कहानियां)

आसिफ ने पहले से शादीशुदा होते हुए हिंदू बन कर फरजी नाम राजकुमार रखा और नेहा को पे्रमजाल में फंसाया और उस से हिंदू रीतिरिवाज से विवाह कर लिया. शादी के बाद दिल्ली पहुंचने पर नेहा के सामने राजकुमार का असली नाम और रूप तब आया, जब आसिफ की पत्नी अर्शी उस के पास रहने के लिए आई.

नेहा अभी उस के विधर्मी होने के झटके को नहीं सह पाई थी कि उस के शादीशुदा और एक बच्चे का बाप होने की बात पता लगी तो उस पर जैसे वज्रपात हो गया. आसिफ के दिए धोखे से नेहा सन्न थी. इस के बाद नेहा और आसिफ में रोज विवाद होने लगा.

एक दिन नेहा ने अपने भाई आशीष को फोन कर के आसिफ की सच्चाई बताई और घर वापस आने की इच्छा जाहिर की. लेकिन आशीष ने उस से कोई संबंध न होने की बात कह कर फोन काट दिया. इस से नेहा आसिफ के साथ रहने को मजबूर हो गई.

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मजबूरी में नेहा आसिफ और उस की पहली पत्नी अर्शी के साथ रह रही थी. नेहा को उन के साथ रहना दुश्वार लग रहा था. इसलिए आए दिन किसी न किसी समय उस का मूड उखड़ जाता तो वह आसिफ से भिड़ जाती थी.

आसिफ उस की चिकचिक से तंग आने लगा था. वैसे भी नेहा के साथ वह भरपूर समय बिता चुका था. उसे नेहा गले में फंसी हड्डी की तरह लगने लगी थी.

इसी बीच लौकडाउन शुरू हो गया. सारा कामकाज बंद हो गया. कमाई न होने से खाने के लाले पड़ने लगे. आसिफ की पहली पत्नी अर्शी अपने मायके आगरा चली गई.

कोई सहारा न देख आसिफ नेहा के साथ घर वापस लौटने की सोचने लगा. लौकडाउन में वह नेहा को ले कर अपने गांव शेखूपुर पहुंच गया. वहां भी नेहा से उस का विवाद होता रहता था. ऐसे में आसिफ उस की पिटाई कर देता था.

कुछ समय पहले वह नेहा को ले कर नोएडा गया और एक फरनीचर की दुकान पर काम करने लगा. शातिरदिमाग आसिफ ने अपने मोबाइल में एक रिकौर्डिंग कर के नेहा को सुनाई कि उस के भाई उन दोनों को मारना चाहते हैं. इस के लिए इधरउधर से धमकियां दी जा रही हैं. नेहा ने उस की बात पर फिर से भरोसा कर लिया.

आसिफ ने नेहा से एक औडियो रिकौर्ड करवाई, जिस में वह अपने भाइयों का नाम ले कर कह रही है कि यहां से जल्दी चलो. उस के भाई के पास तमंचा है. उस ने इसी तरह की और भी कई औडियो नेहा की रिकौर्ड करवा कर अपने मोबाइल में रख लीं.

शातिरदिमाग आसिफ नेहा से हमेशा के लिए छुटकारा पाने और अपने आप को बचाने की तैयारी में लगा था. आसिफ ने उस से कहा कि बदायूं चलते हैं वहां कालेज से तुम अपनी मार्कशीट निकाल लेना, मेरा भी कुछ काम है, मैं उसे निपटा लूंगा. नेहा ने हामी भर दी.

25 सितंबर की दोपहर दोनों बदायूं पहुंचे. आसिफ ने उसे मार्कशीट निकलवाने के लिए कालेज में छोड़ दिया. वह खुद अपने गांव शेखूपुर गया. वहां से अपने चचेरे भाई सलमान की बाइक ले कर अपने दोस्त तौफीक उर्फ बबलू के घर जाने के लिए निकल गया.

तौफीक बदायूं के कस्बा उझानी के मोहल्ला अयोध्यागंज में रहता था और सब्जी का ठेला लगाता था. आसिफ ने उसे अपनी योजना के बारे में बता दिया था. आसिफ बबलू के घर पहुंचा और वहां से तमंचा ले कर गांव जाने के बजाए वह गांव से पहले ही एक जगह रुक गया.

नेहा के फोन करने पर आसिफ ने उसे आटो से गांव आने की बात कही. तब तक अंधेरा हो चुका था. नेहा आटो में बैठ कर गांव के लिए चल दी. रास्ते में आसिफ का फोन आने पर वह मीरासराय और शेखूपुर के बीच में उतर गई. वह सुनसान इलाका था.

नेहा आटो से उतरी तो आसिफ वहां पहले से मौजूद था. नेहा के पास आते ही उस ने तमंचा निकाल कर नेहा के सीने पर दिल की जगह पर गोली मार दी. गोली लगते ही नेहा जमीन पर गिर कर तड़पने लगी. आसिफ वहां से अपने गांव चला गया.

घर में तमंचा छिपाने के बाद उस ने सलमान की बाइक उसे लौटा दी. फिर अपने मोबाइल से नेहा के मोबाइल पर काल करने लगा.

उधर जहां नेहा को गोली मारी गई थी, वहां से गुजर रहे कुछ राहगीरों ने गोली लगी नेहा को बेहोशी की हालत में देखा तो वहां रुक गए. उस के मोबाइल की घंटी बजी तो एक राहगीर ने फोन उठा कर काल रिसीव कर ली. दूसरी ओर से आसिफ बोला तो राहगीर ने उस के घायल होने की बात बताई. इस पर योजना के तहत आसिफ आटो ले कर वहां पहुंच गया.

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नेहा को आटो में लिटा कर वह रात 8 बजे जिला अस्पताल पहुंचा. वहां डाक्टरों ने नेहा को देख कर मृत घोषित कर दिया. डाक्टरों ने पुलिस केस कह कर नेहा की लाश मोर्चरी में रखवा दी और आसिफ से पुलिस को सूचना देने को कहा.

आसिफ वहां से सीधा सिविल लाइंस थाने पहुंचा. उस समय इंसपेक्टर सुधाकर पांडेय अपने औफिस में मौजूद थे. आसिफ ने उन्हें बताया कि उस की पत्नी नेहा को उस के भाइयों ने गोली मार दी है. नेहा से उस ने प्रेम विवाह किया था, इसलिए वे नाराज थे. अपनी बात को साबित करने के लिए उस ने अपने मोबाइल में पड़ी औडियो रिकार्डिंग सुनाई, जिस में नेहा अपने भाइयों से जान का खतरा जता रही थी.

काम नहीं आया शातिराना अंदाज

उस की बातें सुनने के बाद इंसपेक्टर पांडेय पुलिस टीम के साथ आसिफ को ले कर जिला अस्पताल गए. वहां नेहा की लाश को देखा. नेहा के शरीर पर किसी प्रकार की चोट के निशान नहीं थे. दिल की जगह पर गोली लगने का गहरा घाव था.

डाक्टर से आवश्यक पूछताछ के बाद इंसपेक्टर पांडेय आसिफ को ले कर घटनास्थल पर गए. वहां लोगों से पूछताछ की तो कोई ऐसा व्यक्ति नहीं मिला, जिस ने हमला होते हुए देखा हो. सभी ने नेहा को सड़क पर घायल पडे़ हुए देखा था.

आसिफ को साथ ले कर इंसपेक्टर पांडेय नेहा के घर पहुंचे और आसिफ द्वारा बताए अनुसार नेहा के सगे भाई आशीष और तहेरे भाई राज को थाने ले आए.

रात में ही थाने में आसिफ, आशीष और राज से कई बार पूछताछ की गई. पूछताछ के दौरान इंसपेक्टर पांडेय ने तीनों के चेहरों पर विशेष नजर रखी, जिस से आसिफ शक के घेरे में आ गया. बाद में जब उस से कड़ाई से पूछताछ की गई तो उस ने अपना जुर्म कुबूल करते हुए पूरी कहानी बयां कर दी. पूछताछ के बाद नेहा के दोनों भाइयों को छोड़ दिया गया.

आशीष से लिखित तहरीर ले कर इंसपेक्टर पांडेय ने 26 सितंबर को आसिफ और तौफीक उर्फ बबलू के खिलाफ भादंवि की धारा 302/120बी के तहत मुकदमा दर्ज करा दिया. सुधाकर पांडेय ने आसिफ की निशानदेही पर आसिफ के घर से हत्या में प्रयुक्त तमंचा और सलमान के घर से हत्या में इस्तेमाल उस की बाइक बरामद कर ली.

कागजी खानापूर्ति करने के बाद 27 सितंबर को आसिफ को न्यायालय में पेश कर के जेल भेज दिया गया. 28 सितंबर को इंसपेक्टर पांडेय ने शहर के गांधी ग्राउंड से तौफीक उर्फ बबलू को भी गिरफ्तार कर जेल भेज दिया.

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यह लव जिहाद का मामला उन युवतियों के लिए सबक है जो बिना सोचेसमझे बिना जांचेपरखे बिना हकीकत जाने किसी भी युवक से दिल लगा बैठती हैं.

– कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

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