सौजन्य- सत्यकथा
दिनेश का आनाजाना जरूरत से ज्यादा बढ़ा तो सरोज की सास लक्ष्मी देवी को उन के रिश्तों पर कुछ शक हुआ. कारण यह था कि दिनेश जब भी आता बंद कमरे में ही बहू से बात करता. वह सोचती कि यह कैसा रिश्ता है, जो भाईबहन सामने बैठ कर बात करने के बजाय बंद कमरे में बात करते हैं. जरूर दाल में कुछ काला है.
शक गहराया तो वह दोनों पर नजर रखने लगीं. एक रोज दिनेश आया तो लक्ष्मी देवी जानबूझ कर घर के बाहर चली गईं. कुछ देर बाद लौटीं तो उन्होंने बहू सरोज को दिनेश के साथ बिस्तर पर देख लिया.
दिनेश तो शर्म से सिर झुका कर वहां से उसी समय चला गया किंतु लक्ष्मी देवी ने सरोज को खूब खरीखोटी सुनाई. शाम को अजय घर आया तो लक्ष्मी ने बेटे को सारी बात बताई और धैर्य से काम लेने की सलाह दी.
अजय कुमार जान गया कि दिनेश उस के मायके का यार है और शादी से पूर्व ही उस के संबंध हैं. इसलिए दिनेश रिश्ते की आड़ में सरोज से मौजमस्ती करने आता है.
पत्नी की यारी की जानकारी अजय को हुई तो उस ने सरोज से जवाबतलब किया. सरोज जान गई थी कि झूठ बोलने से लाभ नहीं है. अत: उस ने सच बोल दिया, ‘‘दिनेश से मेरी शादी से पहले की दोस्ती है. उस में पता नहीं ऐसा क्या है कि न चाहते हुए भी मैं बहक जाती हूं. अब मैं ने उस से रिश्ता तोड़ लिया है. वादा करती हूं कि आइंदा उस से संबंध नहीं रखूंगी.’’
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अजय ने सरोज को जमाने की ऊंचनीच तथा पत्नी धर्म का पाठ पढ़ाया. उस ने उसे इस शर्त पर माफ किया कि भविष्य में वह दिनेश से संबंध न रखेगी.
इस के बाद सरोज ने दिनेश से बात करनी बंद कर दी, तो दिनेश छटपटा उठा. सरोज उस से जितना दूर भागती, दिनेश उस के उतना ही नजदीक आने की कोशिश करता. इस के बावजूद सरोज ने दिनेश को भाव नहीं दिया तो वह उसे बदनाम करने की धमकी देने लगा.
सरोज ने ये बातें पति अजय को बताईं. अजय ने इस समस्या से निपटने के लिए अपने रिश्तेदार सूरज, नीरज व लवकुश से बात की. ये तीनों बंथरा थाने के खसरवारा गांव के रहने वाले थे. इज्जत बचाए रखने के लिए उन्हें एक ही उपाय सूझा कि दिनेश की हत्या कर दी जाए. इस के लिए उन पांचों ने मिल कर योजना भी बना ली.
योजना के तहत 23 सितंबर, 2020 की शाम 4 बजे सरोज ने दिनेश को फोन किया कि वह घर में अकेली है, अत: वह आ जाए. रात उन दोनों की है.
प्रेमिका की बात सुन कर दिनेश की खुशी का ठिकाना न रहा. उस ने ट्रैक्टर ठेकेदार के हवाले किया और सरोज की ससुराल संभरखेड़ा पहुंच गया. घर के अंदर दाखिल होते ही सरोज ने दरवाजा बंद कर लिया. नीरज, सूरज, लवकुश व अजय घर में पहले से छिपे हुए थे. उन्होंने एकदम से हमला कर दिनेश को दबोच लिया.
इस के बाद उन्होंने उसे जम कर पीटा. वह किसी तरह चंगुल से छूट कर दरवाजे की ओर भागा तो अजय ने पीछे से उस के सिर पर लोहे की रौड से प्रहार कर दिया, वह जमीन पर बिछ गया. फिर उन सब ने रस्सी से गला घोंट कर उस की हत्या कर दी.
हत्या करने के बाद उन लोगों ने दिनेश की जामातलाशी ली और जो भी सामान मिला वह अपने कब्जे में कर लिया. इस के बाद शव को रात के अंधेरे में बंथरा थाने के रायगढ़ी के पास सड़क पर फेंक दिया, ताकि लगे कि एक्सीडेंट हुआ है. इस के बाद वे सब फरार हो गए. दूसरे रोज थाना बंथरा पुलिस ने शव बरामद किया और शिनाख्त न होने पर पोस्टमार्टम के लिए उन्नाव के अस्पताल में भेज दिया.
इधर देर रात तक दिनेश घर वापस नहीं आया तो उस के पिता शिवबालक को चिंता हुई. जब 3 दिनों तक उस का कुछ भी पता नहीं चला तो वह उन्नाव कोतवाली पहुंचा और बेटे की गुमशुदगी दर्ज करा दी.
चौथे दिन उसे बंथरा थाने से अज्ञात लाश की सूचना मिली. तब वह पत्नी और बेटी के साथ बंथरा थाने पहुंचा और कपड़ों तथा फोटो से शव की शिनाख्त अपने बेटे दिनेश के रूप में की.
चूंकि उन्नाव कोतवाली में दिनेश की गुमशुदगी दर्ज थी, अत: कोतवाल दिनेशचंद्र मिश्र ने मामले को भादंवि की धारा 302/201 के तहत दर्ज कर लिया.
इधर जब कई दिनों तक हत्या का राज नहीं खुला, तो शिवबालक एसपी आनंद कुलकर्णी से मिला और हत्या का परदाफाश करने की गुहार लगाई. इस पर आनंद कुलकर्णी ने एएसपी विनोद कुमार पांडेय की अगुवाई में एक टीम गठित कर दी.
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इस टीम ने मृतक के पिता शिवबालक से पूछताछ की तो उस ने हत्या का संदेह पड़ोसी रामनाथ की बेटी सरोज और उस के पति अजय कुमार पर व्यक्त किया.
संदेह के आधार पर पुलिस टीम ने सरोज व अजय को उन के घर संभरखेड़ा से हिरासत में लिया और थाने ला कर उन से सख्ती पूछताछ की तो दोनों टूट गए और दिनेश की हत्या का जुर्म कबूल कर लिया.
अजय ने बताया कि दिनेश के नाजायज संबंध उस की पत्नी से थे. इज्जत के लिए उस ने अपने रिश्तेदार सूरज, नीरज, लवकुश की मदद से दिनेश की हत्या कर दी थी. 11 अक्तूबर, 2020 को पुलिस ने नाटकीय ढंग से उन्नाव बाईपास के एक ढाबे से नीरज, सूरज व लवकुश को भी गिरफ्तार कर लिया.
आरोपियों की निशानदेही पर पुलिस ने आलाकत्ल रौड और रस्सी बरामद कर ली. इस के अलावा मृतक का पर्स, आधार कार्ड, चप्पल तथा वोटर आईडी कार्ड भी बरामद कर लिया. 12 अक्तूबर, 2020 को उन्नाव कोतवाली पुलिस ने सभी आरोपियों को उन्नाव कोर्ट में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया.
—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित