रिश्वतखोरी की दुकान में जान की कीमत – भाग 2

सौजन्य : सत्यकथा

सोशल मीडिया पर इंद्रकांत का वीडियो वायरल हुआ तो एसपी मणिलाल पाटीदार का पारा चढ़ गया, उन्होंने आननफानन में प्रैसवार्ता की और बताया कि इंद्रकांत त्रिपाठी जुआ व सट्टे का बड़ा व्यापारी है.

उस का नाम ग्राम रिवई में पकड़े गए जुए में आया था. काररवाई से बचने के लिए वीडियो वायरल कर अनर्गल आरोप लगा रहा है. इसी के साथ उन्होंने जिले के थानेदारों को इंद्रकांत की खोज में लगा दिया.

इंद्रकांत त्रिपाठी को भय था कि पुलिस कप्तान कुछ भी करा सकते हैं. अत: वह बांदा की ओर निकल गए. दूसरे दिन सुबह उन्होंने एक फेसबुक पोस्ट लिखी, जिस में उन्होंने लिखा, ‘प्रिय पत्रकार बंधुओं, मैं कल यानी 9 सितंबर को एक प्रैसवार्ता करने जा रहा हूं, जिस का स्थान मेरा क्रशर यानी आरजेएस ग्रेनाइट होगा.

समय सुबह 11 बजे. कप्तान मणिलाल पाटीदार, कबरई थाना इंचार्ज देवेंद्र शुक्ला, खन्ना थाना इंचार्ज राकेश कुमार सरोज, खरेला इंसपेक्टर राजू सिंह तथा सिपाही अरुण कुमार के भ्रष्टाचार के एकएक सबूत दिए जाएंगे.’

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दोपहर बाद इंद्रकांत त्रिपाठी अपनी औडी कार से बांदा से कबरई के लिए रवाना हुए. जब वह बधवाखेड़ा गांव के पास पहुंचे, तभी उन्हें गोली मार दी गई. गोली उन के गले में लगी, जिस से उन की गाड़ी एक पत्थर से टकरा कर झाडि़यों में पलट गई. घायल अवस्था में ही उन्होंने मोबाइल फोन पर यह सूचना अपने मित्र सत्यम को दी.

सूचना पाते ही सत्यम अपने पिता अर्जुन के साथ अपनी कार से बंधवाखेड़ा गांव पहुंचा और खून से लथपथ इंद्रकांत को महोबा के जिला अस्पताल पहुंचाया. इस के बाद सत्यम ने यहसूचना इंद्रकांत के घर वालों को दी.

इंद्रकांत को गोली लगने की खबर घर वालों को मिली तो सब घबरा गए. इंद्रकांत की पत्नी रंजना, भाई रविकांत, विजयकांत तथा दर्जनों मित्र अस्पताल पहुंच गए. पति की नाजुक हालत देख कर रंजना फफक पड़ी. चूंकि इंद्रकांत की हालत गंभीर थी. अत: घर वाले उन्हें कानपुर ले आए और सर्वोदय नगर स्थित रीजेंसी अस्पताल में भरती करा दिया.

इधर गोलीकांड की सूचना पुलिस प्रशासन को लगी तो सनसनी फैल गई. थानाप्रभारी (कबरई) देवेंद्र शुक्ला, एएसपी विनोद कुमार तथा डीएसपी राजकुमार पांडेय घटनास्थल पर पहुंचे और बारीकी से निरीक्षण किया.

कुछ देर बाद आईजीपी (चित्रकूटधाम मंडल) के. सत्यनारायण तथा एडीजी (प्रयागराज) प्रेमप्रकाश ने भी घटनास्थल का निरीक्षण किया तथा घरवालों से जानकारी हासिल की.

इंद्रकांत के भाई रविकांत ने पुलिस अधिकारियों के समक्ष कहा कि उन के भाई पर जानलेवा हमला पुलिस कप्तान मणिलाल पाटीदार तथा कबरई के थानाप्रभारी देवेंद्र शुक्ला ने कराया है.

इस षडयंत्र में विस्फोटक सप्लायर सुरेश सोनी तथा बृहम दत्त भी शामिल हैं. रविकांत ने कई अन्य पुलिसकर्मियों पर भी भ्रष्टाचार के आरोप लगाए तथा रिपोर्ट दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार करने की गुहार लगाई.

क्रशर व्यापारी गोलीकांड की गूंज लखनऊ तक पहुंची तो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने तुरंत काररवाई करते हुए एसपी मणिलाल पाटीदार को निलंबित कर दिया तथा उन के स्थान पर नए एसपी अरुण कुमार श्रीवास्तव को नियुक्त कर दिया. अरुण कुमार ने पद संभालते ही भ्रष्टाचार में लिप्त कबरई थानाप्रभारी देवेंद्र शुक्ला, थाना खन्ना के इंसपेक्टर राकेश कुमार सरोज, खरेला के थानाप्रभारी राजू सिंह तथा सिपाही अरुण यादव व राजकुमार को निलंबित कर दिया.

दोनों सिपाही पुलिस अधिकारियों के खासमखास थे. क्रशर व्यापारियों से डीलिंग और पैसा वसूलने में इन की अहम भूमिका थी.

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11 सितंबर, 2020 को रविकांत त्रिपाठी की तहरीर पर थाना कबरई पुलिस ने भादंवि की धारा 307/120बी/387 के तहत निलंबित एसपी मणिलाल पाटीदार, निलंबित थानाप्रभारी देवेंद्र शुक्ला तथा विस्फोटक सप्लायर बृहम दत्त व सुरेश सोनी के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कर लिया. जांच डीएसपी राजकुमार पांडेय को सौंपी गई.

रिश्वतखोरी की दुकान में जान की कीमत

रिश्वतखोरी की दुकान में जान की कीमत – भाग 3

सौजन्य : सत्यकथा

इसी कबरई थाने में एक अन्य मुकदमा भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम एक्ट की धारा 7,13 के तहत दर्ज किया गया. इस में आरोपी मणिलाल पाटीदार, इंसपेक्टर देवेंद्र शुक्ला, राकेश कुमार सरोज, राजू सिंह, सिपाही अरुण यादव व राजकुमार (सभी निलंबित) को आरोपी बनाया गया. भ्रष्टाचार की जांच एसपी (विजिलेंस) हरदयाल सिंह को सौंपी गई.

मुकदमा दर्ज होते ही सभी आरोपी फरार हो गए. पुलिस दबिश देने गई तो उन के घरों पर ताले लटके मिले. उधर मणिलाल पाटीदार कोरोना पौजिटिव होने का बहाना कर कहीं जा कर छिप गए थे. कोरोना पौजिटिव की जानकारी उन के वकील मुकुल ने जांच अधिकारी को दी थी. लेकिन वे कहां क्वारंटीन थे, इस की जानकारी वे भी नहीं दे सके.

क्रशर व्यापारी इंद्रकांत 4 दिन तक कानपुर के रीजेंसी अस्पताल में जिंदगी और मौत से जूझते रहे. आखिर 13 सितंबर को उन की मौत हो गई. उन की मौत की खबर कबरई कस्बा पहुंची तो सनसनी फैल गई. व्यापारी सड़क पर उतर आए और प्रदर्शन करने लगे. सुरक्षा की दृष्टि से कबरई में पुलिस व पीएसी लगा दी गई.

मृतक इंद्रकांत के पार्टनर पुरुषोत्तम तथा बालकिशन को एएसपी विनोद कुमार ने हिरासत में ले लिया. कानपुर में पोस्टमार्टम के बाद इंद्रकांत के शव को कड़ी पुलिस सुरक्षा में कबरई लाया गया और अंतिम संस्कार कराया गया.

क्रशर व्यापारी इंद्रकांत की मौत के बाद राजनीतिक भूचाल आ गया. सपा, कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश सरकार को कानून व्यवस्था पर घेरा तो सरकार तिलमिला उठी.

विपक्षी नेता सहानुभूति जताने मृतक के घर को रवाना हुए तो उन्हें सुरक्षा का हवाला दे कर रास्ते में ही रोक दिया गया और मृतक के घर तक नहीं पहुंचने दिया गया. इसे ले कर पुलिस से उन की झड़प भी हुई.

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विपक्षी तेवरों को ढीला करने के लिए पीडब्लूडी राज्यमंत्री चंद्रिका प्रसाद उपाध्याय मृतक क्रशर व्यापारी इंद्रकांत त्रिपाठी के घर पहुंचे और घर वालों को धैर्य बंधाया. साथ ही उन्होंने हरसंभव मदद का भी आश्वासन दिया.

कारोबारी के भाई रविकांत त्रिपाठी ने मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन राज्यमंत्री को सौंपा, जिस में आर्थिक सहायता दिलाने और सरकारी नौकरी की मांग की गई थी. साथ ही मामले की जांच विशेष पुलिस टीम से कराने तथा परिवार की सुरक्षा की मांग भी की गई. राज्यमंत्री ने मांग पूरी करने कर भरोसा दिया.

जिलाधिकारी अवधेश कुमार तिवारी भी मृतक क्रशर व्यापारी के घर पहुंचे और उन की पत्नी रंजना, बेटे कृष्णा तथा बेटी गुनगुन से मुलाकात की. डीएम ने पत्नी व बच्चों को किसी भी समस्या पर सीधे बात करने को कहा.

एडीजी (प्रयागराज) प्रेमप्रकाश ने व्यापारी के घर वालों से मुलाकात की और उन की सुरक्षा के लिए घर पर फोर्स लगा दी गई.

क्रशर व्यापारी इंद्रकांत त्रिपाठी की मौत के बाद दर्ज मामले में हत्या की धारा 302 और जोड़ दी गई तथा मृतक के घर वालों की मांग पर शासन ने जांच एसआईटी को सौंप दी और एक सप्ताह में जांच पूरी करने का आदेश दिया.

इस के लिए शासन ने वाराणसी जोन के आईजी विजय कुमार सिंह मीणा की अध्यक्षता में 3 सदस्यीय टीम गठित की. इस टीम में डीआईजी (विशेष जांच) शलभ माथुर तथा मानवाधिकार एसपी अशोक तिवारी को शामिल किया गया.

एसआईटी ने बड़ी सावधानीपूर्वक जांच प्रारंभ की. टीम मृतक इंद्रकांत त्रिपाठी के घर पहुंची और उन के बड़े भाई रविकांत त्रिपाठी, पार्टनर पुरुषोत्तम, बालकिशन, कारोबारी के साले बृजेश शुक्ला, ड्राइवर रामहेतु तथा पूर्व विधायक अरिमर्दन सिंह आदि से पूछताछ कर बयान दर्ज किए.

वायरल वीडियो की जानकारी ली तथा जांच के लिए घर के सदस्यों के मोबाइल फोन हासिल किए. टीम के सदस्य घटनास्थल वधवाखेड़ा गए और वहां कई युवकों से पूछताछ की. फिर टीम कबरई थाने आई और वहां खड़ी व्यापारी की औडी कार की जांच की. टीम ने यहां कुछ पुलिसकर्मियों से भी जानकारी हासिल की.

टीम ने सत्यम और उस के पिता अर्जुन से भी पूछताछ की, जिन्होंने गोली लगने के बाद व्यापारी इंद्रकांत को अस्पताल पहुंचाया था. सत्यम से पूछताछ के बाद टीम ने मृतक के घर से वह पिस्टल बरामद कर ली, जिस से गोली मारी गई थी. यह पिस्टल मृतक इंद्रकांत की थी, जो लाइसैंसी थी.

इस बीच टीम के समक्ष 2 आरोपियों सुरेश सोनी व बृहम दत्त ने आत्मसमर्पण कर दिया. पूछताछ कर उन दोनों को महोबा की जिला जेल भेज दिया गया.

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एसआईटी टीम जांच करने बांदा व छतरपुर तक गई और हर सूत्र को खंगाला. टीम के सदस्यों ने आरोपी एसपी मणिलाल पाटीदार, इंसपेक्टर देवेंद्र शुक्ला आदि से भी पूछताछ की कोशिश की किंतु वह सब फरार थे.

25 सितंबर, 2020 को एसआईटी के अध्यक्ष विजय कुमार सिंह मीणा ने व्यापारी इंद्रकांत मामले की जांच पूरी कर प्रैसवार्ता की और घटना का चौंकाने वाला खुलासा किया. उन्होंने बताया कि वीडियो वायरल करने के बाद एसपी मणिलाल पाटीदार, इंद्रकांत के पीछे पड़ गया था, जिस से इंद्रकांत खौफ में थे.

उन को बचने का कोई रास्ता नहीं सूझा तो खुद की पिस्तौल से खुद को गोली मार ली. उन की हत्या नहीं की गई बल्कि उन्होंने आत्महत्या की है. इंद्रकांत मामले की जांच पूरी कर एसआईटी ने अपनी विस्तृत रिपोर्ट शासन को भेज दी.

इस रिपोर्ट के बाद थाने में दर्ज रिपोर्ट में एक बार फिर बदलाव किया गया. अब हत्या की रिपोर्ट को आत्महत्या (धारा 306) में तब्दील कर दिया गया. इन सभी आरोपियों पर आत्महत्या के लिए मजबूर करने का ही मामला बनता था.

इधर जब एक महीना बीत जाने के बाद भी आरोपी एसपी मणिलाल पाटीदार व अन्य आरोपी पुलिसकर्मी पकड़ में नहीं आए तो महोबा के नए एसपी अरुण कुमार श्रीवास्तव ने शिकंजा कसा.

इस के लिए उन्होंने स्वाट टीम, क्राइम ब्रांच तथा सर्विलांस टीम की मदद ली. उन्होंने गिरफ्तारी के लिए 8 टीमें बनाई और आरोपियों की तलाश शुरू की. इस बीच उन्होंने कोर्ट से आरोपियों के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट भी प्राप्त कर लिया था.

25 नवंबर, 2020 को एसपी अरुण कुमार श्रीवास्तव को सूचना मिली कि आरोपी इंसपेक्टर देवेंद्र शुक्ला महोबा-झांसी बौर्डर पर मौजूद है. इस सूचना पर उन्होंने जाल फैलाया और स्वाट तथा सर्विलांस टीम की मदद से उसे गिरफ्तार कर लिया. गिरफ्तारी के बाद देवेंद्र से अन्य आरोपियों के विषय में पूछताछ की गई.

भ्रष्टाचार की जांच कर रहे एसपी हरदयाल सिंह ने भी उस से पूछताछ की. लेकिन उन्होंने अन्य आरोपियों के संबंध में कोई जानकारी नहीं दी. 26 नवंबर, 2020 को पुलिस ने आरोपी निलंबित थानाप्रभारी देवेंद्र शुक्ला को महोबा कोर्ट में पेश किया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया.

कथा संकलन तक उन की जमानत स्वीकृत नहीं हुई थी. निलंबित एसपी मणिलाल पाटीदार, दरोगा राकेश कुमार सरोज, राजू सिंह, सिपाही अरुण यादव व राजकुमार फरार थे.

पुलिस उन की तलाश में जुटी थी. उन की गिरफ्तारी के लिए 25-25 हजार रुपए का इनाम घोषित किया गया है. यह पहला मामला है जब किसी आईपीएस अधिकारी की गिरफ्तारी पर 25 हजार रुपए का इनाम घोषित हुआ है.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

प्यार की चाहत में

प्यार की चाहत में – भाग 1

सौजन्य- सत्यकथा

11सितंबर, 2020 की सुबह उत्तरी दिल्ली के वजीराबाद थाने में एक राहगीर से सूचना मिली कि अमीना मसजिद के पास एक लाश पड़ी है. इस सूचना पर थाने से एसआई अशोक कुमार मसजिद के पास पहुंचे तो वास्तव में सड़क के किनारे एक युवक की लाश पड़ी थी. उस युवक की उम्र 25 साल के करीब लग रही थी. उस के गले पर हलके खरोंच के निशान थे.

उस समय सुबह का वक्त था. कुछ लोग सड़क पर आजा रहे थे. उन्होंने कुछ लोगों को बुला कर लाश की शिनाख्त कराने की कोशिश की. चूंकि यह मामला हत्या का प्रतीत हो रहा था, इसलिए एसआई अशोक कुमार ने थानाप्रभारी पी.सी. यादव को घटना के बारे में सूचना दे दी.

थानाप्रभारी पी.सी. यादव थाने में मौजूद एएसआई प्रदीप, हैड कांस्टेबल कैलाश और कांस्टेबल अजय को साथ ले कर थोड़ी ही देर में घटनास्थल पर पहुंच गए.

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उन्होंने लाश का बारीकी से मुआयना किया. मृतक ने नारंगी रंग की टीशर्ट और स्लेटी रंग की पैंट पहन रखी थी. थानाप्रभारी ने क्राइम इनवैस्टीगेशन टीम को भी घटनास्थल पर बुला लिया, जिस ने लाश की कई कोण से फोटो खींचीं. मृतक के गले पर खरोंच के निशान के अलावा शरीर पर जख्म के निशान दिखाई नहीं दे रहे थे.

2 घंटे तक वहां के लोगों से लाश की शिनाख्त कराने के प्रयास किए. इस के बावजूद भी जब मृतक की पहचान नहीं हो सकी तो उसे पोस्टमार्टम के लिए सब्जीमंडी मोर्चरी भेज दिया गया. मोर्चरी में लाश पर चोटों के निशान देखने के लिए उस के कपड़े उतारे गए तो पता चला कि मृतक युवक मुसलिम है. उसी दिन थानाप्रभारी पी.सी. यादव के निर्देश पर मृतक की फोटो वजीराबाद के कई वाट्सऐप ग्रुप में भेज कर उन से लाश की शिनाख्त करने की अपील की गई.

दोपहर में फोटो की पहचान वजीराबाद की गली नंबर 9 में रहने वाले साहिल उर्फ राजा के रूप में हो गई. उस के घर पहुंचने पर मृतक की मां मिली. उस ने मोबाइल पर लाश की फोटो देख कर उस की पुष्टि अपने बेटे साहिल के रूप के कर ली.

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पूछताछ के दौरान उन्होंने थानाप्रभारी पी.सी. यादव को बताया कि कल रात साहिल ने उसे फोन कर बताया था कि वह अभी वर्षा के घर जा रहा है, इसलिए उस का इंतजार न करें. मां ने साहिल की हत्या का शक वर्षा पर जताया.

13 सितंबर को पुलिस ने साहिल की मां की शिकायत पर वर्षा के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज कर लिया और इस केस की जांच अतिरिक्त थानाप्रभारी गुलशन गुप्ता को सौंप दी गई. अतिरिक्त थानाप्रभारी गुलशन गुप्ता ने साहिल की मां से वर्षा के बारे में पूछताछ की तो पता चला कि वर्षा अपने भाई आकाश के साथ दिल्ली के ही शास्त्रीनगर में रहती है.

वर्षा के ठिकाने का पता लगते ही वह पुलिस टीम के साथ शास्त्रीनगर स्थित वर्षा के मकान पर पहुंचे. लेकिन उस के मकान पर ताला लटका हुआ था. उस के मकान मालिक का पता लगा कर उस से वर्षा के बारे में पूछताछ की, लेकिन मकान मालिक को भी वर्षा के मूल निवास स्थान की जानकारी मालूम नहीं थी.

लेकिन उस ने पुलिस टीम को वर्षा के छोटे भाई आकाश का मोबाइल नंबर बता दिया, जिसे अतिरिक्त थानाप्रभारी गुलशन गुप्ता ने अपनी डायरी में नोट कर लिया. वर्षा के घर से गायब रहने के कारण जांच अधिकारी के मन में साहिल की हत्या में उस का हाथ होने का शक और पुख्ता हो गया.

इस के बाद उन्होंने साहिल के दोस्त साजिद से पूछताछ की तो साजिद ने बताया कि कल रात वह और साहिल औफिस से साथ निकले थे. बातचीत के दौरान साहिल ने उस से कहा भी था कि वह वर्षा के घर जा रहा है. उस ने भी वर्षा पर ही साहिल की हत्या का शक जाहिर किया.

वहां से लौट कर गुलशन गुप्ता घटनास्थल पर पहुंचे तो वहां से 50 मीटर की दूरी पर एक सीसीटीवी कैमरा लगा देखा, जिस का फोकस उसी तरफ था, जहां पर साहिल का शव मिला था. उन्होंने फौरन उस सीसीटीवी कैमरे की फुटेज निकलवा कर बीरीकी से इस की जांचपड़ताल करनी शुरू की तो देखा सुबह सवा 6 बजे के समय वहां पर एक आटो आ कर रुका, जिस से 3 औरतें बाहर निकलीं. उन्होंने एक बेहोश से आदमी को आटो से बाहर निकाला और इस के बाद आटो वहां से चला गया.

प्यार की चाहत में – भाग 2

सौजन्य- सत्यकथा

आटो के जाने के बाद तीनों उस आदमी को वहां से थोड़ी दूर घसीट कर ले गईं. फिर एक सुनसान सी जगह पर उसे लिटा कर फरार हो गईं. सीसीटीवी फुटेज को कई वार रिवर्स कर के देखने से आटो के पीछे लिखा ‘अंशुल दी गड्डी’ और आटो की नंबर प्लेट पढ़ कर उसे अपनी डायरी पर नोट कर लिया. करीब 200 आटो की खोजबीन करने के बाद वह आटो मिल गया, जिस के पीछे कवर पर अंशुल दी गड्डी लिखा था. आटो की नंबर प्लेट से उस के मालिक रविंद्र तथा ड्राइवर मुकेश का पता लगा लिया.

मुकेश से पूछताछ करने पर पता चला कि घटना वाली रात को तड़के 4 बजे वह अपने आटो के साथ कश्मीरी गेट बसअड्डे पर किसी सवारी का इंतजार कर रहा था. एक युवती उस के पास आई थी और अपने दोस्त के गहरे नशे में होने की बात कह कर उसे शास्त्री पार्क स्थित अपने कमरे पर ले गई. वहां से अपने बेहोश साथी को ले कर जगप्रवेश अस्पताल गई. उस के साथ 2 युवतियां और थीं. वहां किसी कारण इलाज नहीं होने पर उसे वजीराबाद ला कर वहां छोड़ दिया, जहां पर पुलिस ने सुबह लाश बरामद की थी.

मुकेश का बयान दर्ज करने के बाद पुलिस टीम जगप्रवेश अस्पताल पहुंची और वहां के सीसीटीवी फुटेज की जांचपड़ताल की. उस में आटो और तीनों औरतें साफ दिख गईं.

अब तक की जांचपड़ताल से इतना पता चल गया था साहिल की हत्या में उन्हीं 3 औरतों का हाथ है. आकाश के मोबाइल नंबर की लोकेशन से पता चला कि वह इस समय उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर में है.

13 सितंबर, 2020 को दिल्ली से एक पुलिस टीम वर्षा और उस के साथियों की तलाश में शाहजहांपुर पहुंची और वहां पर अपने एक रिश्तेदार के यहां छिपे वर्षा और उस के भाई आकाश को गिरफ्तार कर लिया.

उन से पूछताछ करने पर तीसरे साथी अलका उर्फ अली हसन को भी उस के रिश्तेदार के यहां से गिरफ्तार कर लिया. तीनोें को गिरफ्तार करने के बाद पुलिस टीम वजीराबाद थाने लौट आई.

वर्षा से पूछताछ की. पहले तो उस ने साहिल की हत्या करने से इनकार किया, लेकिन जब उसे सीसीटीवी फुटेज दिखाया गया तो वर्षा का चेहरा सफेद पड़ गया. उस ने साहिल की हत्या की बात स्वीकार करते हुए अपने इकबालिया बयान में जो बात बताई, वह हैरतअंगेज कर देने वाली थी. वर्षा से पूछताछ के बाद साहिल की हत्या की जो कहानी उभर कर सामने आई, वह कुछ इस प्रकार थी.

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23 वर्षीय साहिल उर्फ राजा अपनी अम्मी के साथ उत्तरी दिल्ली के वजीराबाद में रहता था. कई साल पहले उस के अब्बा का इंतकाल एक लंबी बीमारी के दौरान हो गया था.

कोई 4 साल पहले की बात है. तब साहिल ग्रैजुएशन की पढ़ाई कर चुका था. अब्बा की मौत के बाद से ही घर में मुश्किलों का दौर शुरू हो गया था, जो अब तक कम होने का नाम ही नहीं ले रहा था. अम्मी जैसेतैसे घर का गुजारा चला रही थी.

उस ने अपने लिए नौकरी की तलाश शुरू की. काफी भागदौड़ करने के बाद किसी तरह उसे शास्त्री पार्क स्थित एक स्थानीय अखबार के औफिस में नौकरी मिल गई. जहां वह रिपोर्टिंग के साथ अखबार के लिए विज्ञापन लाने का काम करता था. इस काम में उसे तनख्वाह और कमीशन मिलता था. उस से घर का गुजारा चलने लगा.

साहिल को अभी यह काम करते हुए कुछ महीने गुजरे थे कि एक दिन उस की मुलाकात वर्षा से हुई. 19 वर्षीय वर्षा देखने में काफी सुंदर होने के अलावा हंसमुख स्वभाव की थी. साहिल को वर्षा की बातें अच्छी लगीं.

वर्षा ने साहिल को बताया कि वह मूलरूप से उत्तर प्रदेश के गांव हसनपुर, हरदोई की रहने वाली है. गांव में उसे बहुत सी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा था, इसलिए वह नौकरी की तलाश में अपने भाई के साथ दिल्ली आ गई. इस समय वह अपने छोटे भाई आकाश के साथ शास्त्री पार्क में रहती है.

साहिल ने वर्षा से उस का मोबाइल नंबर ले लिया. वर्षा ने भी साहिल का मोबाइल नंबर सेव कर लिया. इस घटना के बाद साहिल और वर्षा हमेशा एकदूसरे के संपर्क में रहने लगे. जब भी साहिल को काम से फुरसत मिलती वह वर्षा को बुला क र उस के साथ कहीं घूमने निकल जाता था. वर्षा भी साहिल को प्यार करती थी, इसलिए वह हमेशा उसे खुश रखने की कोशिश करती थी.

चूंकि इश्क की आग दोनों तरफ बराबर लगी थी, सो जल्द ही उन के बीच शारीरिक संबंध भी बन गए. काफी दिनों तक ऐसा ही चलता रहा. बाद में वर्षा साहिल से शादी करने की जिद करने लगी तो पहले साहिल ने उस से शादी करने में कुछ आनाकानी की, लेकिन जब वर्षा ने साहिल से कहा कि बिना शादी के वह इस रिलेशन को नहीं रखना चाहती है तो साहिल ने वर्षा की जिद देखते हुए उस के साथ कोर्टमैरिज तो कर लिया, मगर उसे अपने घर नहीं ले गया.

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उस ने वर्षा को समझाते हुए कहा कि उस की अम्मी अभी इस कोर्टमैरिज को स्वीकार नहीं करेंगी. जब उस की अम्मी उसे अपनी बहू बनाने के लिए तैयार हो जाएंगी तो वह उसे अपनी बेगम बना कर घर ले जाएगा.

वर्षा ने साहिल की बात पर यकीन कर लिया. इस के बाद साहिल ने वर्षा के रहने के लिए शास्त्री पार्क में एक मकान किराए पर ले लिया, जिस में एक कमरा ग्राउंड फ्लोर पर और दूसरा कमरा ऊपरी मंजिल पर बना था.

प्यार की चाहत में – भाग 3

सौजन्य- सत्यकथा

साहिल दिन में औफिस में काम करता था और रात में वर्षा के पास रुक जाता था. रात के समय में दोनों ऊपरी कमरे में सोते थे, जबकि वर्षा का भाई आकाश नीचे ग्राउंड फ्लोर पर सोता था.

आकाश को वर्षा और साहिल के रिश्ते की शुरू से जानकारी थी. उसे इस पर कोई ऐतराज नहीं था. वर्षा और आकाश के साथ उस के ही गांव हसनपुर का एक लड़का अली हसन उर्फ अलका भी रहता था.

आकाश और अली हसन दिन के समय लड़कियों के कपड़े पहन कर हिजड़ों का रूप धारण कर लेते थे और शादीब्याह वाले घरों या जिस किसी के घर में बच्चे का जन्म होता, उस के घर जा कर बधाइयां गाने का काम करते थे. इस काम में उसे थोड़ी देर नाचनेगाने में ही अच्छीखासी रकम हाथ लग जाती थी. उन्हें मजदूरी करना काफी मेहनत का काम लगता था, इसलिए दोनों इसे नहीं करना चाहते थे. जबकि नकली हिजड़ा बन कर नाचगा कर मांगने का काम आकाश और अली हसन को आसान लगता था.

कुछ दिनों के बाद साहिल और वर्षा के रिश्ते की जानकारी साहिल की अम्मी को हो गई. दरअसल, साहिल अब रात में घर न पहुंच कर वर्षा के घर शास्त्री पार्क में अपनी रातें गुजारने लगा था. जब उस की अम्मी ने साहिल से इस का कारण पूछा तो उस ने अम्मी को वर्षा और अपने रिलेशनशिप के बारे में सब कुछ बता दिया.

इस के बाद अम्मी ने साहिल का विरोध नहीं किया. सालों पहले शौहर की मौत हो जाने के बाद से वह एक बेवा की जिंदगी गुजार रही थी. अब बेटे को नाराज कर वह उसे खोना नहीं चाहती थी.

इसी प्रकार साहिल और वर्षा के रिश्ते को 4 साल हो गए. वर्षा के रहनेखाने का सारा खर्च साहिल ही उठाता था, लेकिन वह उसे अपने घर ले जाने के लिए तैयार नहीं था. वर्षा जब भी साहिल को अपने घर ले चलने की बात कहती, साहिल कोई न कोई बहाना बना कर उस की बात को टाल जाता था.

पिछले 2 सालों से साहिल द्वारा लगातार टाले जाने से परेशान वर्षा के सब्र का बांध अब टूटने के कगार पर था. उस ने गंभीर हो कर यह बात अपने छोटे भाई आकाश को बताई तो वह भी बहन की परेशानी को समझ कर सोच में डूब गया.

काफी सोचविचार के बाद यह तय हुआ कि आज वह साहिल से दोटूक बात करेगी. साहिल को हर हाल में उसे अपनाना ही पड़ेगा. आकाश और अली हसन दोनों ने वर्षा की बात का समर्थन करते हुए कहा, ‘‘ठीक है, आज इस बात का फैसला हो कर ही रहेगा.’’

10 सितंबर, 2020 की रात लगभग 10 बजे साहिल जब वर्षा के घर पहुंचा तो वहां सब उस के आने का इंतजार कर रहे थे. किसी ने खाना नहीं खाया था. साहिल मार्केट जा कर सब के लिए खाना और शराब की बोतल ले आया.

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सब ने एक साथ मिल कर शराब पी और खाना भी खाया. इस के बाद साहिल रोमांटिक मूड में वर्षा को अपनी तरफ खींचते हुए ऊपर वाले कमरे में चलने के लिए कहने लगा तो वह उस की बांहों से छिटक कर अलग हो गई और बोली, ‘‘तुम रोज मेरे जिस्म से खेलते हो और जब मैं तुम्हारे साथ तुम्हारे घर जा कर बीवी बन कर रहने की बात करती हूं तो बहाना बना कर टाल जाते हो. आज तुम साफसाफ बताओ कि तुम्हारे मन में क्या है?’’

वर्षा के इस बदले हुए तेवर को देख कर भी साहिल पर इस का जरा भी असर नहीं हुआ. उस ने समझा कि वर्षा थोड़ी नानुकुर करने के बाद उस की बात मान कर ऊपर के कमरे में चली जाएगी. लेकिन वह नहीं गई. वर्षा साहिल के बारबार टालने से काफी तंग आ चुकी थी, इसलिए वह साहिल के साथ शारीरिक संबंध बनाने के लिए तैयार नहीं हुई.

वर्षा ने साहिल की इच्छा का विरोध करना शुरू कर दिया. इसी बात पर उन के बीच हाथापाई शुरू हो गई, जिस पर साहिल ने गुस्से में वर्षा के ऊपर हाथ उठा दिया. इस पर वर्षा ने अपने भाई आकाश और अली हसन के साथ मिल कर साहिल को फर्श पर पटक कर उस का गला घोंट दिया.

जब साहिल का बेजान जिस्म एक ओर लुढ़क गया तो उस की लाश देख कर उन तीनों के हाथपांव फूल गए. काफी देर तक आपस में विचार करने के बाद उन्हें लगा कि अगर साहिल को अस्पताल ले जाया जाए तो शायद उस की जान बच सकती है.

ऐसा सोच कर उन्होंने कश्मीरी गेट बसअड्डे से आटो बुलाया और उसे आटो में ले कर जगप्रवेश अस्पताल पहुंचे, जहां डाक्टरों ने उसे देखते ही मृत घोषित कर दिया. डाक्टर की बात सुन कर तीनों एकदम बदहवास हो गए. साहिल के बेजान जिस्म को उसी आटो में लाद कर वे वजीराबाद पहुंचे और उस की लाश वहां उतार कर आटो वाले को वापस भेज दिया. आटो के नजर से ओझल होते ही उन तीनों ने लाश थोड़ी दूर खींच कर एक साइड में डाल दी और वहां से फरार हो गए. सुबह पुलिस द्वारा पकड़े जाने से बचने के लिए तीनों शास्त्री पार्क स्थित मकान पर ताला लगा कर वहां से फरार हो गए.

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इसी दौरान उन्होंने यमुना नदी में साहिल का पर्स और मोबाइल फोन फेंक दिया. इस के बाद वे आनंद विहार पहुंचे और वहां से बस पकड़ कर हरदोई पहुंच गए. वहां भी जब उन्हें लगा कि पुलिस उन की तलाश में यहां भी पहुंच सकती है तो वे शाहजहांपुर स्थित अपने रिश्तेदार के यहां जा कर छिप गए.

लेकिन उन की चालाकी काम नहीं आई और दिल्ली पुलिस ने 13 सितंबर, 2020 को उन्हें दबोच लिया. 14 सितंबर को साहिल उर्फ राजा की हत्या के आरोप में उस की प्रेमिका वर्षा उस के भाई आकाश और अली हसन को तीसहजारी कोर्ट में पेश किया गया, जहां से तीनों को जेल भेज दिया गया.

मायके की यारी, ससुराल पर भारी

मायके की यारी, ससुराल पर भारी- भाग 1

सौजन्य- सत्यकथा

20वर्षीया सरोज दिखने में जितनी खूबसूरत थी, उतनी ही चंचल व महत्त्वाकांक्षी भी थी. जो उसे देखता था, अपने आप उस की तरफ खिंचा चला जाता था. गांव के कई युवक उस का सामीप्य पाने को लालायित रहते थे. लेकिन सरोज किसी को भाव नहीं देती थी. वह जिस युवक की ओर आकर्षित थी, वह उस के बचपन का दोस्त दिनेश था.

सरोज के पिता रामनाथ उत्तर प्रदेश के जिला उन्नाव के गांव संभरखेड़ा के रहने वाले थे. उन की गिनती गांव के संपन्न किसानों में होती थी. उन का गांव उन्नाव शहर की सीमा पर स्थित था, सो वह अपने खेतों में सब्जियां उगा कर शहर में बेचते थे. इस काम में उन्हें अच्छी कमाई होती थी.

रामनाथ के घर के पास शिवबालक रहता था. वह दूध का धंधा करता था. दोनों एक ही जाति के थे. दोनों के बीच गहरी दोस्ती थी. दोनों के परिवार के हर सदस्य का एकदूसरे के घर आनाजाना बना रहता था.

शिवबालक की माली हालत रामनाथ की अपेक्षा कमजोर थी. उसे जब कभी रुपयों की जरूरत होती, वह रामनाथ से मांग लेता था. शिवबालक का बेटा दिनेश था. वह ज्यादा पढ़ालिखा नहीं था. पर उस ने ड्राइविंग सीख ली थी और ट्रैक्टर चलाता था.

शिवबालक का बेटा दिनेश और रामनाथ की बेटी सरोज हमउम्र थे. दोनों का एकदूसरे के घर आनाजाना बेरोकटोक था. दोनों बचपन के दोस्त थे, सो उन की खूब पटती थी. दोनों घंटों बतियाते थे और खूब हंसीठिठोली करते थे. उन की बातचीत और हंसीठिठोली पर घर वालों को भी ऐतराज नहीं था, क्योंकि पड़ोसी होने के नाते उन दोनों का रिश्ता भाईबहन का था. लेकिन उन दोनों की बचपन की दोस्ती कब प्यार में बदल गई, उन्हें पता ही नहीं चला.

जैसेजैसे समय बीत रहा था, वैसेवैसे उन के प्यार का रंग भी गहराता जा रहा था. सरोज स्कूल जाने के बहाने घर से निकलती और तय स्थान पर पहुंच जाती दिनेश के पास. फिर दिनेश उसे ले कर घुमाने के लिए निकल जाता था. दोनों के बीच चाहत बढ़ी तो उन के मन में शारीरिक मिलन की इच्छा भी होने लगी.

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आखिर एक दिन ऐसा भी आया जब दोनों मर्यादा भुला बैठे और उन्होंने अपनी हसरतें पूरी कर लीं. इस के बाद उन्हें घरबाहर जहां भी मौका मिलता, मिलन कर लेते.

इश्क में दोनों इतने अंधे हो गए थे कि उन्हें घरपरिवार की इज्जत का खयाल ही नहीं रहा. लेकिन एक दिन उन के इश्क का भांडा उस समय फूट गया, जब सरोज की मां पुष्पा ने उन्हें रंगेहाथों पकड़ लिया.

पुष्पा ने सरोज और दिनेश के नाजायज रिश्तों की जानकारी पति को दी, तो रामनाथ का खून खौल उठा. गुस्से में उस ने सरोज को पीटा तथा दिनेश को भी फटकार लगाई.

चूंकि मामला काफी नाजुक था, अत: पतिपत्नी ने सरोज को काफी समझाया. उन्होंने उसे अपनी मानमर्यादा के बारे में सचेत किया. लेकिन दिनेश के प्यार में आकंठ डूबी सरोज पर उन की किसी बात का असर नहीं हुआ.

बेटी पर समझाने का असर न होता देख रामनाथ और पुष्पा परेशान हो गए. तब उन्होंने अपने घर दिनेश के आने की पाबंदी लगा दी. सरोज का भी घर से बाहर जाना बंद करा दिया.

अब रामनाथ और पड़ोसी शिवबालक की दोस्ती में भी दरार आ गई थी. रामनाथ ने शिवबालक को धमकी दी कि वह अपने बेटे दिनेश को समझा दे कि वह उस की बेटी सरोज से दूर रहे. अगर उस ने उस की इज्जत से खेलने की कोेशिश की तो अच्छा नहीं होगा. अपनी इज्जत की खातिर वह किसी भी हद तक जा सकता है.

कहते हैं, इश्क अंधा होता है. दिनेश और सरोज भी इश्क में अंधे थे. यही कारण था कि परिवार की सख्तियों के बावजूद उन के प्यार में कोई कमी नहीं आई थी. हालांकि उन की मुश्किलें अब पहले से ज्यादा बढ़ गई थीं और उन के मिलने में बाधा भी पड़ने लगी थी. लेकिन वे सावधानीपूर्वक किसी न किसी बहाने मिल ही लेते थे.

इधर बेटी के कदम बहके तो रामनाथ को उस के ब्याह की चिंता सताने लगी. उस ने सोचा, सरोज अगर उस की पीठ में इज्जत का छुरा घोंप कर दिनेश के साथ भाग गई तो बड़ी बदनामी होगी. वह कहीं मुंह दिखाने लायक नहीं बचेगा. इसलिए बेहतर होगा कि वह सरोज के हाथ जल्द से जल्द पीले कर दे.

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रामनाथ ने बेटी के लिए रिश्ता खोजना शुरू किया तो उसे अजय कुमार पसंद आ गया. अजय कुमार के पिता रामऔतार उन्नाव जिले के महनोरा गांव में रहते थे. अजय कुमार उन का एकलौता बेटा था. वह सोहरामऊ में एक कपड़े की दुकान पर काम करता था, इसलिए रामनाथ ने अपनी बेटी सरोज के लिए उसे पसंद कर लिया था.

सारी औपचारिकताएं पूरी कर सरोज और अजय कुमार के विवाह की तारीख तय कर दी थी.

दिनेश को जब सरोज का विवाह तय होने की बात का पता चली तो वह बेचैन हो उठा. सरोज ने प्यार उस से किया था और अब विवाह किसी और से करने जा रही थी. एक दिन सरोज उसे एकांत में मिली तो वह बोला, ‘‘सरोज, जब तुम्हें किसी और से विवाह रचाना था, तो तुम ने मुझ से प्यार का नाटक क्यों किया?’’

मायके की यारी, ससुराल पर भारी- भाग 2

सौजन्य- सत्यकथा

इस के बाद तो यह सिलसिला ही शुरू हो गया. सरोज मायके में होती तो उस का मिलन दिनेश से होता रहता, ससुराल चली जाती तो मिलन बंद हो जाता. ससुराल में रहते वह मोबाइल फोन पर दिनेश से चोरीछिपे बात करती थी.

यह मोबाइल फोन दिनेश ने ही उस के जन्मदिन पर उपहार में दिया था. उस ने पति से झूठ बोला था कि फोन मायके वालों ने दिया है. जब मोबाइल फोन का बैलेंस खत्म हो जाता तो दिनेश ही उसे रिचार्ज कराता था.

एक दिन मोबाइल फोन पर बतियाते दिनेश ने कहा, ‘‘सरोज, जब तुम ससुराल चली जाती हो तो यहां मेरा मन नहीं लगता. रात में नींद भी नहीं आती और तुम्हारे बारे में ही सोचता रहता हूं. मिलन का कोई ऐसा रास्ता निकालो कि तुम्हारी ससुराल आ सकूं.’’

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‘‘तुम किसी रोज मेरी ससुराल आओ. मैं कोई रास्ता निकालती हूं.’’ सरोज ने उसे भरोसा दिया.

सरोज से बात किए दिनेश को अभी हफ्ता भी नहीं बीता था कि एक रोज वह उस की ससुराल संभरखेड़ा जा पहुंचा. सरोज ने सब से पहले दिनेश का परिचय अपनी सास लक्ष्मी देवी से कराया, ‘‘मम्मी, यह दिनेश है. मेरा पड़ोसी है. रिश्ते में मेरा भाई लगता है. किसी काम से सोहरामऊ आया था, सो हालचाल लेने घर आ गया.’’

‘‘अच्छा किया बेटा, जो तुम हालचाल लेने आ गए.’’ फिर वह सरोज की तरफ मुखातिब हुई, ‘‘बहू, भाई आया है तो उस की खातिरदारी करो. मेरी बदनामी न होने पाए.’’

‘‘ठीक है, मम्मी.’’ कह कर सरोज दिनेश को कमरे में ले गई. इस के बाद दोनों कमरे में कैद हो गए. कुछ देर बाद वे कमरे से बाहर आए तो दोनों खुश थे. शाम को सरोज का पति अजय कुमार घर आया तो सरोज ने पति से भी उस का परिचय करा दिया. अजय ने भी उस की खूब खातिरदारी की.

सरोज की ससुराल जाने का रास्ता खुला, तो दिनेश अकसर उस की ससुराल जाने लगा. लक्ष्मी देवी टोकाटाकी न करें, इस के लिए वह उन की मनपसंद चीजें ले आता. घर वापसी के समय वह उन के पैर छू कर 100-50 रुपए भी हाथ पर रख देता. जिसे वह नानुकुर के बाद रख लेती.

शाम को वह सरोज के पति अजय के साथ भी पार्टी करता और खर्च स्वयं उठाता. इस तरह उस के आने से मांबेटे दोनों खुश होते. लेकिन दिनेश घर क्यों आता है, वह घर में क्या गुल खिला रहा है, इस ओर उन का ध्यान नहीं गया.

‘‘दिनेश, यह शादी मैं अपनी मरजी से नहीं कर रही हूं. घर वालों ने शादी तय कर दी है, तो करनी ही पड़ेगी. उन का विरोध तो मैं कर नहीं सकती. लेकिन मैं आज भी तुम्हारी हूं और कल भी रहूंगी. तुम से अब मुझे कोई भी अलग नहीं कर सकता, यह विवाह भी नहीं.’’ सरोज ने उदास हो कर कहा.

3 फरवरी, 2017 को अजय कुमार के साथ सरोज का विवाह धूमधाम से हो गया. सरोज विदा हो कर ससुराल आ गई. सरोज जैसी खूबसूरत पत्नी पा कर अजय खुद को खुशनसीब समझ रहा था.

उस के लिए सरोज वह सब कुछ थी, जिस की कामना हर युवा करता है. लेकिन सरोज के दिल में उस के लिए कोई जगह नहीं थी. उस के दिल में तो कोई और ही बसा था. सरोज का तन भले ही अजय कुमार को मिल गया था, पर मन तो दिनेश का ही था.

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अजय कुमार कैसा भी था, इस से सरोज को कोई मतलब नहीं था. शादी के बाद लड़कियां ससुराल आ क र एकदो दिन भले ही उदास रहें, लेकिन यदि उन्हें ससुराल वालों और पति का प्यार मिले तो वे खुश रहने लगती हैं. लेकिन सरोज के चेहरे पर मुसकराहट 2 सप्ताह बीत जाने के बाद भी नहीं आई थी. इस का कारण यह था कि वह पल भर के लिए भी दिनेश को नहीं भुला सकी थी.

सरोज ससुराल में महीने भर रही. लेकिन उस के चेहरे पर कभी मुसकराहट नहीं आई. ससुराल वालों ने तो सोचा कि पहली बार मांबाप को छोड़ कर आई है, इसलिए उदास रहती होगी. पर अजय कुमार पत्नी की उदासी से बेचैन और परेशान था. वह उसे खुश रखने, उस के चेहरे पर मुसकान लाने की हरसंभव कोशिश करता रहा, लेकिन सरोज के चेहरे पर मुसकान नहीं आई.

होली के 8 दिन पहले सरोज ससुराल से मायके आ गई. जिस दिन वह मायके आई, उसी शाम वह दिनेश से मिली. सरोज के मांबाप बेटी का विवाह कर के निश्चिंत हो चुके थे, इसलिए उन्होंने सरोज पर रोकटोक नहीं लगाई थी. लिहाजा सरोज का मिलन दिनेश से पुन: शुरू हो गया.

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