
सौजन्य- मनोहर कहानियां
रोनी लिशी ने तेची मीना से प्रेम विवाह किया था, दोनों की एक बेटी भी हुई. जब मीना दूसरी बार गर्भवती हुई तो रोनी की जिंदगी में चुमी ताया आ गई. बड़े बाप के बेटे और बिजनैसमेन ने चुमी से गुपचुप शादी कर ली और पत्नी मीना को रास्ते से हटाने के लिए ऐसी साजिश रची कि…
अरुणाचल प्रदेश की राजधानी ईटानगर 5 नवंबर के बाद से कई दिनों तक ‘हत्यारों को फांसी दो.. जस्टिस फौर
मीना…’ के नारों से गूंजती रही. जिस के लिए जस्टिस मांगा जा रहा था, उस का नाम था तेची मीना लिशी, उम्र 28 वर्ष. तेची की हत्या हुई थी पर खुलासा कई दिन बाद हुआ. उस की हत्या का खुलासा होने के बाद से सामाजिक संगठनों में आक्रोश की आग सुलगने लगी थी. सामाजिक संगठन तेची मीना लिशी को न्याय दिलाने के लिए कभी कैंडिल मार्च तो कभी शांतिपूर्ण जुलूस निकाल कर इस हत्याकांड के आरोपियों को कठोर दंड देने की मांग कर रहे थे.
कोई मामूली शख्सियत नहीं थी. वह मिस अरुणाचल नाम की एक बड़ी संस्था में लेखा और वित्त विभाग की सचिव थी. वह प्रदेश के एक बड़े बिजनैसमैन रोनी लिशी की पत्नी थी. उस के ससुर लेगी लिशी कांग्रेस और भाजपा जैसी बड़ी पार्टियों में रहे थे. वह ईटानगर से 3 बार विधायक व एक बार मंत्री रह चुके थे.
अरुणाचल प्रदेश पूर्वोत्तर के उन राज्यों में से है, जहां अपराध की वारदातें बहुत कम होती हैं और साजिश कर के हत्या की वारदात को अंजाम देने के मामले तो अपवाद ही होते हैं. लेकिन नौर्थ ईस्ट के इस छोटे से खूबसूरत राज्य की राजधानी ईटानगर में 5 नवंबर को एक ऐसी वारदात हुई, जिस के बाद पूरे ईटानगर के शांत माहौल को गर्म कर दिया. क्योंकि इस वारदात को इस तरह की साजिश के तहत अंजाम दिया गया था कि पिछले 2 दशकों में इस राज्य के लोगों ने इस तरह के अपराध की कोई वारदात न देखी थी न सुनी थी.
राजधानी ईटानगर के विधायक रहे लेगी लिशी के रसूख और शहर के सब से पौश इलाके नाहारलागुन के सेक्टर-1 में बने उन के आवास लेगी कौंप्लेक्स को शहर का हर बांशिदा जानता था.
5 नवंबर की दोपहर करीब साढ़े 12 बजे लेगी लिशी की बहू तेची मीना लिशी अपनी इनोवा एसयूवी कार में घर से निकली थी. मीना की गाड़ी को 2 दिन पहले ही नियुक्त हुआ ड्राइवर दाथांग सुयांग चला रहा था. गाड़ी ईटानगर से कारसिंगा की तरफ जा रही थी. दरअसल, मीना को उस के पति रोनी लिशी ने सड़क बनाने के लिए अधिग्रहीत अपनी जमीन के मुआवजे के लिए कानूनी औपचारिकताएं पूरी करने हेतु संबंधित सरकारी विभाग में जानकारी लेने भेजा था.
चूंकि मीना 7 महीने की गर्भवती थी, इसलिए रोनी ने 2 दिन पहले ही पत्नी की गाड़ी चलाने के लिए एक ड्राइवर रखा था. हालांकि मीना पहले अपनी सैंट्रो कार खुद चला कर अपने दफ्तर जाती थी. लेकिन 7 महीने की गर्भवती होने के कारण मीना के पति लिशी लेगी ने मीना के लिए अपनी बहन के घर पर खड़ी अपनी इनोवा कार मंगवा ली थी और उस के लिए 2 दिन पहले ही एक एक ड्राइवर दाथांग सुयांग को नियुक्त कर दिया था.
दोपहर करीब साढ़े 12 बजे ड्राइवर दाथांग सुयांग इनोवा कार से मीना को ले कर कारसिंगा रोड पर शहर से करीब 25 किलोमीटर दूर ही चला था कि उस की कार जब कूड़ा डंपिंग जोन के पास बने मंदिर के पास पहुंची तो दुर्घटनाग्रस्त हो कर खाईं में लुढ़क गई.
मीना की मौत
किसी तरह दाथांग सुयांग तो बाहर निकल आया, लेकिन उस ने देखा कि बीच की सीट पर पड़ी मीना मृतप्राय थी. हैरानी यह थी कि ड्राइवर दाथांग किसी तरह दरवाजा खोल कर गाड़ी से बाहर निकल आया था और पूरी तरह से कुछ लोगों ने देखा कि गाड़ी के भीतर एक महिला खून से लथपथ घायल अवस्था में पड़ी है तो उन्होंने पुलिस कंट्रोल रूम को दुर्घटना की सूचना दे दी. साथ ही मीना को पास के अस्पताल भिजवा दिया.
जिस स्थान पर ये दुर्घटना हुई थी, वह इलाका राजधानी ईटानगर के बांदरदेवा पुलिस स्टेशन के अंतर्गत आता था. जब पता चला कि एक्सीडेंट हुई कार में पूर्व विधायक लेगी लिशी की पुत्रवधू मीना सवार थी तो खुद थानाप्रभारी गोशम ताशा पुलिस टीम को ले कर घटनास्थल पर पहुंच गए.
इंसपेक्टर गोशम यह देख कर हैरान थे कि गाड़ी का ड्राइवर दाथांग सुयांग एकदम सहीसलामत था. उसे खरोंच तक नहीं आई थी. सड़क से 3 मीटर नीचे खाई में लुढ़की गाड़ी भी एकदम सहीसलामत थी. उस के न तो शीशे टूटे थे, न ही गाड़ी कहीं से डैमेज हुई थी. वहां मौजूद लोगों ने बताया कि गाड़ी की बीच वाली सीट पर बैठी मीना बुरी तरह खून से लथपथ थी और उस के सिर, कंधों व गरदन पर काफी चोटें आई थीं.
पुलिस के आने से पहले ही लोगों ने मीना को पास के एक अस्पताल भिजवा दिया था. इंसपेक्टर गोशाम ने दुघर्टना को पूर्व विधायक लेगी लिशी की पुत्रवधू से जुड़ा होने के कारण नाहारलागुन के सीओ रिक कामसी के अलावा ईटानगर कैपिटल रीजन के एसपी जिमी चिराम को भी दुर्घटना की जानकारी दे दी थी, जो सूचना मिलने के कुछ देर बाद घटनास्थल पर पहुंच गए.
पुलिस ने यह सूचना पूर्व विधायक लेगी लिशी और उन की पति रोनी लिशी को दे दी थी. उन्हीं की सूचना से यह जानकारी पा कर कारसिंगा में रहने वाले मीना के मातापिता, भाईबहन व अन्य रिश्तेदार भी घटनास्थल पर पहुंच गए.
एसपी जिमी चिराम ने जब घटनास्थल का निरीक्षण किया तो पहली ही नजर में उन्हें दुर्घटना संदिग्ध लगी. इसलिए फोरैंसिकटीम ने गाड़ी व घटनास्थल का निरीक्षण कर ऐसे साक्ष्य एकत्र करने शुरू कर दिए, जिस से पता चल सके कि दुर्घटना किन कारणों से हुई.
ड्राइवर दाथांग सुयांग घटनास्थल पर ही मौजूद था, इसीलिए पूछताछ की शुरुआत उसी से हुई. दाथांग ने बताया कि गाड़ी के ब्रेक फेल हो गए थे, जिस से गाड़ी संतुलन खो कर खाईं में लुढ़क गई और मालकिन मीना बुरी तरह जख्मी हो गईं. लेकिन पुलिस यह देख कर हैरान थी कि दाथांग एकदम सहीसलामत था, उसे खरोंच तक नहीं आई थी.
मीना का बयान लेने के लिए पुलिस की एक टीम अस्पताल भेजी गई थी, लेकिन वहां पता चला कि अस्पताल पहुंचने से पहले ही उस की मौत हो गई थी. अस्पताल में मीना के परिजन, जिन में मायके व ससुराल के लोग भी शामिल थे, भी अस्पताल पहुंच चुके थे जिस से वहां का माहौल परिजनों के मार्मिक विलाप के कारण बेहद गमगीन हो गया था.
पुलिस टीम ने दुर्घटना में घायल हुई मीना के शरीर पर आई चोटों की फोटोग्राफी कराई. एसपी जिमी चिराम ने ये फोटो देखे तो पूरी तरह साफ हो गया कि दुर्घटना का यह मामला सिर्फ दिखाने के लिए था.
मीना के मातापिता व रिश्तेदारों के साथ पूर्व विधायक लिशी लेगी भी अस्पताल से दुर्घटनास्थल पर पहुंच गए थे. गाड़ी और उस का ड्राइवर जिस तरह सहीसलामत थे और मीना की दुर्घटना में जो हालत हुई थी, उसे देख कर उन्होंने भी यहीं आशंका जताई कि ऐसा हो ही नहीं सकता कि मीना को दुर्घटना में इतनी गंभीर चोटें लगी हों.
मीना के पिता तेची काक ने एसपी जिमी चिराम को एकांत में ले जा कर जो कुछ बताया, उस ने अचानक दुर्घटना के इस मामले को नया रंग दे दिया. इस के बाद तो पुलिस की जांच करने का तरीका ही बदल गया. पुलिस ने उसी दिन मीना का शव पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दिया.
अगले भाग में पढ़ें- ड्राइवर ने बताया गाड़ी का ब्रेक फेल हो गया था
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ड्राइवर ने बताया ब्रेक फेल होना
ड्राइवर दाथांग ने चूंकि बताया था कि गाड़ी के ब्रेक फेल होने के कारण वह असंतुलित हो कर खाई में गिरी थी. इसीलिए पुलिस ने पुलिस लाइन से मोटर इंजीनियर एक्सपर्ट को मौके पर बुलवा लिया. उन्होंने जांचपड़ताल की तो यह देख कर दंग रह गए कि गाड़ी के ब्रेक एकदम सहीसलामत थे.
इस के बाद 2 दिन पहले ही मीना की गाड़ी पर ड्राइवर की नौकरी करने आए दाथांग की भूमिका संदेह के घेरे में आ गई. पुलिस ने उसे हिरासत में ले लिया. साथ ही उस के मोबाइल को भी अपने कब्जे में ले लिया गया.
नाहरलगुन पुलिस स्टेशन में उसी दिन इंसपेक्टर गोशाम ने भादंसं की धारा 279/304 (ए) आईपीसी के तहत लापरवाही से गाड़ी चला कर दुर्घटना करने का मामला दर्ज करवा दिया और जांच का काम स्वयं शुरू किया.
दाथांग सुयांग से कड़ी पूछताछ की जाने लगी. उस के मोबाइल की काल डिटेल्स निकाली गईं. पूछताछ में पता चला कि नया मोबाइल व नंबर उस के मालिक लिशी रोनी ने ही उसे खरीद कर दिया था.
3 दिन पहले एक्टिव हुए इस नंबर की काल डिटेल्स खंगालते हुए पुलिस ने उन लोगों को चैक करना शुरू कर दिया, जिन्होंने इस नंबर पर काल की थी या इस नंबर से उन के नंबर पर काल किए गए थे.
अगली सुबह मीना के शव को पोस्टमार्टम के बाद उन के घरवालों को सौंप दिया गया. पूरे ईटानगर में मीना की संदिग्ध मौत की खबर जंगल की आग की तरह फैल चुकी थी. मीना के ससुर लेगी लिशी एक बड़ी राजनीतिक हस्ती थे. खुद मीना भी सामाजिक संस्थाओं से जुड़ी थी. इसलिए शवयात्रा में मीना के घर वालों के अलावा बड़ी संख्या में राजनीतिक व सामाजिक संगठनों के लोग शामिल हुए.
इधर पुलिस को मिली पोस्टमार्टम रिपोर्ट से खुलासा हुआ कि मीना की जांघ, हथेली, सिर और गरदन पर किसी भारी चीज से प्रहार हुआ था और वहां गहरे कट के निशान थे, बायां हाथ सूजा हुआ था. मैडिकल जांच करने वाले विशेषज्ञों और गाड़ी का मुआयना करने वाले एक्सपर्ट ने साफ कर दिया था कि दुर्घटना में इस तरह की चोट नहीं आ सकती.
दुर्घटना के बाद मीना के ससुर पूर्व विधायक लेगी लिशी ने भी दुर्घटना के संदिग्ध हालात के मामले की गहनता से सही जांच के लिए कहा था. पुलिस को इस मामले में शुरुआती जांच से ही जिस तरह से गहरी साजिश और इस में कई लोगों के शामिल होने के सबूत मिले थे.
उसी के मद्देनजर आईजीपी (कानून एवं व्यवस्था) चुखू अपा ने ईटानगर कैपिटल रीजन के एसपी जिमी चिराम के नेतृत्व में इस मामले का खुलासा करने के लिए एक बड़ी टीम का गठन कर दिया.
इस टीम में नाहारलागुन सर्किल के सीओ रिक कामसी व जांच अधिकारी इंसपेक्टर गोशाम के अलावा इंसपेक्टर मिनली गेई, खिकसी यांगफो व तिराप जिले के एसपी कारदक रिबा तथा खोंसा पुलिस थाने के इंसपेक्टर वांगोई कामुहा को शामिल किया गया. इस टीम को बंट कर काम करना था.
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पुलिस की टीमों ने इस दौरान मीना के घर से ले कर घटनास्थल तक पहुंचने के तक जिन मार्गों से गाड़ी गुजरी थी, उन सभी रास्तों के सीसीटीवी फुटेज चैक करने शुरू कर दिए. इस के अलावा पुलिस ने घटनास्थल के एक किलोमीटर के दायरे में सड़क किनारे बनी दुकानों व रेहड़ी वालों से पूछताछ करनी शुरू कर दी.
पुलिस ने छानबीन शुरू की तो उसे जल्द ही चश्मदीद के रूप में कुछ राहगीर व रेहड़ी वाले मिल गए, जिन्होंने कार के ब्रेक फेल होने की ड्राइवर दाथांग सुयांग की कहानी को झूठा साबित कर दिया.
एक चश्मदीद ने कार नीचे गिरने के बाद 50 मीटर की दूरी से देखा था कि उस का ड्राइवर गाड़ी से बाहर निकला था और पिछली सीट पर पड़ी महिला को बाहर निकालने की कोशिश कर रहा था. जबकि कारसिंगा ब्लौक बिंदु पर सड़क किनारे सब्जी बेचने वाले एक रेहड़ी वाले ने बताया कि उस के सामने से कार सामान्य गति से गुजरी थी, इस से यह कहना गलत था कि उस के ब्रेक फेल हुए होंगे.
तब तक पुलिस को ड्राइवर दाथांग की संदिग्ध गतिविधियों के कुछ दूसरे साक्ष्य भी मिल गए थे. इसीलिए 6 नंवबर की सुबह उसे आधिकारिक रूप से गिरफ्तार कर के कड़ी पूछताछ शुरू कर दी गई.
मुंह खोलना पड़ा ड्राइवर दाथांग को ड्राइवर दाथांग ने शुरू में तो एक ही रट लगाए रखी कि गाड़ी के ब्रेक नहीं लगे थे. लेकिन जब पुलिस ने उस के खिलाफ एकत्र सारे सबूत एकएक कर के उस के सामने रखने शुरू किए तो वह जल्द ही टूट गया. उस ने अपना गुनाह कबूल कर लिया. दाथांग के मुंह खोलते ही साजिश के तहत मीना की हत्या की एक सनसनीखेज कहानी सामने आई.
पुलिस को एक बार अपराध का सिरा हाथ लग जाए तो उस के अंतिम छोर तक पहुंचने में ज्यादा देर नहीं लगती. पुलिस ने उसी दिन शाम तक ताबड़तोड़ छापेमारी करते हुए तिरप जिले से दाथांग सुयांग के साथ मीना की हत्या की साजिश में शामिल रहे 3 सहआरोपियों कपवांग लेटी लोवांग (40) के साथ ताने खोयांग (33) और दामित्र खोयांग (29) को गिरफ्तार कर लिया.
कपवांग पूर्वोत्तर भारत के एक विद्रोही गुट एनएससीएन (यू) का सक्रिय कार्यकर्ता रह चुका था. उसी ने मीना की हत्या की सुपारी ली थी. हैरानी की बात यह थी कि मीना की हत्या की सुपारी उस के पति रोनी लिशी ने ही दी थी.
कपवांग रोनी का पुराना जानकार था. उसी ने सुपारी लेने के बाद हत्यारों का इंतजाम किया था. बाद में पूरी योजना के तहत इस वारदात को इस तरह अंजाम दिया गया ताकि यह हत्या एक दुर्घटना लगे.
पुलिस ने पूछताछ के लिए आरोपियों को अदालत से रिमांड पर ले लिया. उस के बाद उन के बयानों की तस्दीक की जाने लगी. क्योंकि हत्या का आरोप मृतका के पति और एक प्रभावशाली पूर्व विधायक के बेटे पर था. इसलिए पुलिस आरोपों को प्रमाणित करने के लिए साक्ष्य एकत्र कर लेना चाहती थी.
इस दौरान जब यह बात सार्वजनिक हो गई कि मीना की हत्या उस के पति रोनी ने ही भाड़े के हत्यारों से करवाई है तो राजनीतिक व सामाजिक संगठनों ने धरने, प्रदर्शन व कैंडिल मार्च के जरिए पुलिस पर दबाव बनाना शुरू कर दिया.
परिवार के लोग भी अब पूरी तरह रोनी के खिलाफ बोलने लगे. तब तक पुलिस ने कई साक्ष्य एकत्र कर लिए थे. जिस के बाद 10 नवंबर को रोनी लेशी को भी गिरफ्तार कर लिया गया. लेकिन पुलिस को इस हत्याकांड की जो थ्योरी अब तक पता चली थी, उस के मुताबिक उसे मामले में 2 अन्य लोगों की तलाश थी. उस के लिए साक्ष्य एकत्र करने का काम शुरू कर दिया गया.
आखिरकार 18 नवंबर को पुलिस ने रोनी की प्रेमिका व दूसरी पत्नी चुमी ताया (26) व उस की कंपनी में काम करने वाले मैनेजर विजय बिस्वास (30) को भी हत्याकांड की साजिश में शामिल होने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया.
इन सभी की गिरफ्तारी के बाद जांच अधिकारी ने दुर्घटना के इस मामले को हत्या व साजिश की धाराएं लगा कर हत्या में परिवर्तित कर दिया. इस के बाद मीना हत्याकांड की जो कहानी सामने आई, उस ने पूर्वोत्तर के खूबसूरत राज्य अरुणाचल प्रदेश के ईटानगर शहर के लोगों को सोचने पर मजबूर कर दिया.
लोग सोच रहे थे कि एक इंसान केवल दूसरी लड़की से शादी करने के लिए अपनी पहली पत्नी की बेरहमी से हत्या करा सकता है, जिस से न सिर्फ उस ने प्रेम विवाह किया था बल्कि जिस के पेट में उस का बच्चा भी पल रहा था.
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रोनी लिशी एक संपन्न परिवार का युवक था. परिवार में 2 छोटे भाई व एक बहन थी. पिता लेगी लिशी प्रतिष्ठित राजनीतिक व्यक्ति होने के साथ अथाह संपत्ति के मालिक थे. उन्होंने सभी बच्चों के नाम पर संपत्तियां खरीदी हुई थीं. रोनी कोई अशिक्षित भी नहीं था. उस ने इंजीनियरिंग की थी.
कालेज में पढ़ते हुए हुआ प्यार
पिता लेगी लिशी ने रोनी को 2 कंपनियां खुलवा कर दी थीं. ईटानगर में उन की पहली कंपनी लिशी वन होम मार्केटिंग प्राइवेट लिमिटेड थी, जिस की स्थापना उन्होंने 2012 में की थी. जबकि 3 साल पहले रोनी ने अपनी बेटी के नाम पर यामिको ग्लोबल इंफ्राटेक प्राइवेट लिमिटेड के नाम से दूसरी कंपनी शुरू की थी. उस की प्रेमिका व दूसरी पत्नी चुमी ताया इसी कंपनी में काम करती थी.
रोनी व मीना की दोस्ती 2008 में कालेज में पढ़ाई के दौरान हुई थी, जो बाद में प्यार में बदल गई. मीना कारसिंगा में रहने वाले एक मध्यमवर्गीय परिवार की बेहद खूबसूरत व घरेलू लड़की थी. मीना की इसी खूबसूरती पर रोनी मर मिटा था और उस से प्यार करने लगा था.
बाद में दोनों ने शादी करने का फैसला कर लिया था. मीना चूंकि मध्यमवर्गीय परिवार की लड़की थी, इसलिए पहले उस के घर वाले संकोच करते रहे कि रोनी एक संपन्न व बड़े परिवार का लड़का है. कहीं ऐसा न हो कि उस के परिवार वाले शादी के लिए राजी न हों.
क्योंकि उन की हैसियत रोनी के परिवार के सामने कुछ भी नहीं थी. ऐसा न हो कि दोनों की शादी बेमेल संबंध बन जाए और मीना को बाद में परेशानी उठानी पड़े. लेकिन मीना व रोनी के कई बार समझाने के बाद परिवार की झिझक दूर हुई और दोनों के मिलन का रास्ता साफ हो गया.
लिहाजा सन 2012 में दोनों परिवारों की सहमति से रोनी और मीना ने शादी कर ली. शादी के 2 साल बाद 2014 में दोनों के प्यार की निशानी के रूप में एक बेटी हुई, जिस का नाम लेसी यामिको रखा गया.
साल 2017 में अचानक मीना के परिजनों को पता चला कि रोनी ने मीना को तलाक देने के लिए अदालत में अरजी दी है. यह पता चला तो परिवार के लोग बेचैन हो गए. क्योंकि जिस लड़की से विवाह करने के लिए रोनी उन के सामने मिन्नतें कर रहा था, वह उसी को तलाक क्यों देना चाह रहा था, यह उन की समझ से परे था. पूरा मामला जानने के लिए मीना के घर वाले रोनी के पास पहुंचे.
अगले भाग में पढ़ें- साजिश का पहला कदम क्या अपनाया
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मीना से पता चला कि रोनी कुछ दिनों से चुमी ताया नाम की एक लड़की के प्यार में पागल है. जब से वह रोनी की जिंदगी में आई है, तब से उन दोनों के प्यार में न सिर्फ दरार आ गई थी बल्कि रोनी अब छोटीछोटी बातों पर उस के साथ मारपीट भी करने लगा था और परेशान भी. परेशानी भी कोई बड़ी नहीं होती थी. कभी वह खाने में खराबी बता कर उस से मारपीट करता तो कभी घर में सफाई न होने को ले कर झगड़ा करता था.
मीना के घर वालों को जब यह बात पता चली तो उन्होंने रोनी के मातापिता व भाईबहनों के साथ मिलबैठ कर इस मसले को सुलझाना चाहा. रोनी के मातापिता को जब इस बात का पता चला कि उस की जिंदगी में किसी दूसरी महिला ने जगह बना ली है तो उन्होंने भी रोनी को बहुत समझाया.
उन्होंने उसी साल 2017 में रोनी की मांग पर उसे एक नया घर ले कर दे दिया और उस से वायदा लिया कि वह मीना के साथ उस घर में प्यार से रहेगा.
दोनों परिवारों को उम्मीद थी कि अलग रहने के बाद दोनों के बीच खोया हुआ प्यार शायद फिर से पनप जाए. लेकिन कुछ दिन सामान्य रहने के बाद रोनी फिर से अपनी नई गर्लफ्रैंड की बांहों में खो गया. वह कईकई दिनों तक घर से गायब रहता. मीना ऐतराज करती तो वह उस के साथ मारपीट करता और कहता कि अगर मेरे साथ नहीं रहना चाहती तो मुझे तलाक दे दो.
एक तरह से रोनी ने मन बना लिया था कि किसी भी तरह मीना उस की जिंदगी से चली जाए. सन 2018 में एक बार फिर बात मीना के घर वालों तक पहुंच गई.
मीना के घर वाले उस के नए घर पहुंचे, जहां एक बार फिर से दोनों परिवारों के सभी लोगों की पंचायत हुई. मीना ने परिवार वालों को रोनी की जिन हरकतों के बारे में बताया था, उस के बाद परिवार वालों को भी लगा कि अगर रोनी के दिल से मीना के लिए प्यार ही खत्म हो गया है तो ऐसे में यातना सहने के लिए बेटी को उस घर में छोड़ने से क्या फायदा.
इसीलिए उन्होंने मीना को अपने साथ ले जाने के लिए कहा. लेकिन रोनी के पिता ने मीना को भेजने से मना कर दिया और रोनी को पूरे परिवार के सामने बहुत डांटाफटकारा.
नतीजा यह निकला कि रोनी को अपनी हरकतों पर पछतावा हुआ और उस ने दोनों परिवारों के सामने अपने किए पर शर्मिंदगी जताते हुए स्वीकार किया कि मीना ही उस की असली और इकलौती मोहब्बत है तथा उस की बेटी की मां भी है. उस दिन रोनी ने दोनों परिवारों के बीच वादा किया कि भविष्य में मीना को उस की तरफ से किसी तरह की शिकायत करने का मौका नहीं मिलेगा.
अगर पतिपत्नी के बीच कोई छोटीमोटी प्रौब्लम होगी भी तो वे उसे खुद बैठ कर सुलझाएंगे, परिवार के दूसरे लोगों को शिकायतें सुनने का मौका नहीं मिलेगा.
दोनों के बदले हुए व्यवहार से दोनों परिवारों ने सोचा कि शायद सुबह का भूला शाम को घर आ गया है. बेटी का टूटता घर बचने की आस में मीना के घर वाले वापस लौट गए.
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लगा सब ठीक हो गया
इस के बाद वक्त तेजी से बीतने लगा. मीना के घर वाले उस की गृहस्थी के बारे में फोन कर के पूछते रहते थे. लेकिन मीना ने परिवार वालों से कभी भी ऐसी कोई जानकारी नहीं दी, जिस से उन्हें पता चलता कि रोनी उसे फिर से परेशान कर रहा है.
वक्त बीता और साल 2020 शुरू हो गया. इसी बीच फरवरी में मीना के घर वाले यह जान कर खुशी से फूले नहीं समाए कि मीना फिर से गर्भवती है और रोनी के दूसरे बच्चे की मां बनने वाली है.
इस के बाद उन्हें यकीन हो गया कि रोनी और मीना के बीच का प्यार मजबूत हो चुका है.
लेकिन 5 नंवबर को अचानक परिवार के लोगों को सूचना मिली कि मीना कारसिंगा में एक दुर्घटना में बुरी तरह घायल हुई है और उसे अस्पताल में भरती कराया गया है. जब तक परिवार वहां पहुंचा, तब तक उस की मौत हो चुकी थी.
इधर चुमी ताया (26) मूलरूप से कामले जिले की रहने वाली खूबसूरत और महत्त्वाकांक्षी युवती थी. वह पिछले 3 साल से रोनी की कंपनी में काम करती थी. यहीं पर रोनी उस की तरफ आकर्षित हुआ. दोनों के बीच प्यार हुआ और बाद में दोनों लिवइन में रहने लगे.
चुमी को पता था कि कि रोनी शादीशुदा है और एक बच्ची का पिता भी. इस के बावजूद कुछ समय पहले रोनी के साथ उस ने गुपचुप तरीके से शादी भी कर ली. चुमी ताया धीरेधीरे रोनी पर दबाव बनाने लगी कि वह मीना को तलाक दे कर उसे सामाजिक रूप से अपनी पत्नी घोषित करे. हालांकि रोनी जब से चुमी ताया के प्यार में डूबा था तभी से मीना के साथ उस के रिश्तों में कड़वाहट भर गई थी. लेकिन चुमी से शादी के बाद यह कड़वाहट एक जहरीले रिश्ते के रूप में बदल गई.
रोनी लगातार मीना पर दबाव बनाने लगा कि वह एक मकान और कुछ पैसा ले ले लेकिन उसे तलाक दे दे. लेकिन मीना इस के लिए तैयार नहीं थी. इसीलिए रोनी ने मीना को अपनी जिंदगी से हटाने के लिए भाड़े के हत्यारों का सहारा ले कर उस की हत्या कराने की साजिश तैयार की.
कारसिंगा में ही रोनी का एक फार्महाउस था, जहां वह अकसर अपनी दूसरी पत्नी चुमी ताया के साथ रहता था.
रोनी ने हत्याकांड को इस तरह से अंजाम दिलाने की साजिश रची थी कि लोग इसे दुर्घटना समझ लें. मीना की हत्या के लिए उस ने अपने एक पुराने दोस्त कपवांग लेटी से संपर्क किया. क्योंकि उसे पता था कि कपवांग विद्रोही संगठन एनएससीएन (यू) का पुराना कार्यकर्ता है और उस के पास पैसा ले कर किसी की हत्या करने वाले लोगों की कोई कमी नहीं होगी.
रोनी ने जब उस से कौन्ट्रैक्ट किलर की व्यवस्था करने के लिए कहा तो कापवांग ने कहा कि वह काम तो करा देगा, लेकिन इस के लिए 10 लाख रुपए लगेंगे. रोनी तैयार हो गया, लेकिन उस ने शर्त रख दी कि काम इस तरह होना चाहिए कि किसी को मीना की हत्या का पता न लगे बल्कि लोग इसे दुर्घटना समझें. कपवांग ने आश्वासन दिया कि ऐसा ही होगा. इस के बाद साजिश तैयार होने लगी.
27 अक्तूबर की शाम कपवांग लेटी लोवांग अपने साथ दाथांग सुयांग और ताने खोयांग को ले कर खोंसा जिले से राजधानी ईटागनर पहुंचा और वे तीनों होटल सू पिंसा में रुके.
28 अक्तूबर को रोनी उन से मिलने होटल पहुंचा और अपनी पत्नी को कपवांग के साथ मारने की योजना को अंतिम रूप दिया. बनाई गई योजना के अनुसार दाथांग सुयांग को इस हत्या को अंजाम दे कर दुर्घटना का रूप देना था. रोनी ने तय किया था कि इस काम के लिए वह 5 लाख रुपए एडवांस देगा. लिहाजा उसी दिन रोनी ने 5 लाख रुपए का नकद भुगतान कर दिया. बाकी की रकम काम होने पर 15 दिनों में 3 लाख और 2 लाख रुपए की 2 किस्तों में देना तय हुआ था.
कपवांग और ताने खोयांग 30 अक्तूबर को खोंसा वापस चला गए. जबकि दाथांग अगले ही दिन वापस आ गया. रोनी ने जो साजिश तैयार की थी, उस के मुताबिक दाथांग को वारदात को अंजाम देने के लिए रोनी की पत्नी मीना का ड्राइवर बन कर रहना था.
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साजिश का पहला कदम
एक दिन मीना के ड्राइवर के रूप में काम करने के बाद उसे लगा कि काम को वह जितना आसान समझ रहा था उतना आसान नहीं है. इसीलिए 2 नवंबर को दाथांग ने रोनी से एक साथी की व्यवस्था करने का अनुरोध किया. क्योंकि उसे लगा कि वह खुद मीना की हत्या करने में समर्थ नहीं होगा.
रोनी ने फिर से कापवांग से फोन पर संपर्क कर के दाथांग की तरफ से एक और साथी उपलब्ध कराने की बात बताई तो विचारविमर्श के बाद कपवांग ने अपने दूसरे सहयोगी दामित्र खोयांग को इस साजिश को अंजाम देने के लिए ईटानगर के लिए रवाना कर दिया.
अगले भाग में पढ़ें- पत्नी के चक्कर में बच्चा भी गया
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दामित्र खोयांग उस वक्त दोइमुख में किसी के यहां ड्राइवर के रूप में काम कर रहा था. आदेश मिलते ही वह राजधानी ईटानगर पहुंच गया और रोनी से मिला.
खोयांग के आ जाने पर 4 नवंबर की सुबह रोनी और दाथांग ने एक बार फिर उस रूट का जायजा लिया, जो कारसिंगा में ब्लौक पौइंट के पास था. यहीं पर उस ने मीना की हत्या कराने की योजना को अंजाम देने का प्लान तैयार किया था.
उसी दिन रोनी ने एक बार फिर से पूरी योजना को अंजाम देने वाली हर बात को अंतिम रूप दिया और तय हुआ कि अगले दिन यानी 5 नवंबर, 2020 को मीना को ठिकाने लगाने की योजना को अंजाम दिया जाएगा.
जैसी योजना बनी थी, उसी के मुताबिक काम शुरू कर दिया गया. 5 नवंबर की सुबह रोनी जब अपने फार्महाउस में था, उस ने वहीं से मीना को फोन कर के कहा कि कारसिंगा में जो भूमि सरकार ने अधिग्रहित की है, उस के मुआवजे के मामले पर सरकारी विभाग में मीटिंग है. इसलिए वह ड्राइवर को साथ ले कर उस के पास आ जाए, जिस के बाद दोनों साथ चलेंगे.
सुबह करीब 12 बजे बेटी को नौकरानी के पास छोड़ कर मीना इनोवा कार में ड्राइवर दाथांग के साथ कारसिंगा के लिए निकल पड़ी. जैसी कि योजना बनाई गई थी रास्ते में दाथांग ने बांगे तीनाली में पहले से इंतजार कर रहे अपने साथी दामित्र को साथ ले लिया. मीना के पूछने पर दाथांग ने बताया कि वह उस का दोस्त है और उसे भी कारसिंगा तहसील दफ्तर जाना है.
मीना दाथांग के साथ ड्राइवर के पीछे वाली सीट पर बैठी थी जबकि दामित्र सब से पीछे की सीट पर बैठ गया था. जैसे ही उन की गाड़ी ने मंदिर (कूड़ा डंपिंग जोन) पार किया, दामित्र ने अपने साथ छिपा कर लाए हथौड़े से मीना पर पीछे से पहले सिर पर वार किया, उस के बाद ताबड़तोड़ उस के कंधों, कनपटी और गरदन के पीछे वार किए.
इस काम में मुश्किल से 3 से 4 मिनट का समय लगा. लहूलुहान और अपने ही खून से कार की सीट पर सराबोर हुई मीना ने अगले चंद मिनटों में ही दम तोड़़ दिया.
दामित्र को जब यकीन हो गया कि मीना मर चुकी है तो उस ने दाथांग से कह कर ब्लौक पौइंट के पास गाड़ी रुकवाई और जैसे गाड़ी में सवार हुआ था, वैसे ही चुपचाप उतर गया.
दाथांग ने गाड़ी को थोड़ा आगे बढ़ाया और उसे मोड़ के पास सड़क के बाएं किनारे तिरछा खड़ा कर के चाभी लगी छोड़ नीचे उतर गया. इस के बाद उस ने न्यूट्रल में खड़ी गाड़ी को जोर लगा कर धक्का दे दिया.
गाड़ी खाई में लगभग 2 से 3 मीटर नीचे चली गई. लेकिन 3 मीटर नीचे जा कर टायर के नीचे एक बड़ा पत्थर आने से गाड़ी ज्यादा आगे नहीं जा सकी. इसलिए दुर्घटना साबित करने की थ्योरी कमजोर पड़ गई.
पुलिस ने जब जांच की तो पाया कि न तो कार के कहीं से शीशे टूटे थे और न ही कहीं से गाड़ी में टूटफूट हुई थी. फिर भी गाड़ी में बीच की सीट पर बैठी मीना की मौत हो गई थी. निरीक्षण के दौरान पता चला कि कार में कहीं भी कोई अंदरूनी क्षति नहीं पहुंची थी.
पुलिस ने ड्राइवर दाथांग से जब पूछताछ की तो उस ने बताया था कि ब्रेक फेल होने के कारण गाड़ी खाई में लुढ़की थी. लेकिन पुलिस ने अपने मोटर एक्सपर्ट को बुला कर गाड़ी की जांच करवाई तो गाडी के ब्रेक सही पाए गए.
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पत्नी के चक्कर में बच्चा भी गया
इसी के बाद पुलिस को दाथांग पर शक होने लगा और उसे हिरासत में ले लिया गया. बाद में दाथांग के मोबाइल की काल डिटेल्स निकाली गई तो उस में कपवांग से ले कर दामित्र तक से बातचीत के रिकौर्ड मिले.
हैरानी की बात यह थी कि दाथांग ने पुलिस पूछताछ में यह बात छिपा ली थी कि उन के साथ दामित्र भी था. पुलिस को दामित्र के मोबाइल फोन की जांच में मौके पर उस की मौजूदगी का सबूत मिल गया था. दोनों के फोन की काल डिटेल्स से पुलिस को कपवांग लेटी लोवांग और ताने खोयांग के इस साजिश से जुड़े होने के सबूत मिल गए.
मोबाइल फोन के जरिए इन सभी की कडि़यां जब रोनी लिशी से जुड़ी पाई गईं तो एकएक कर पुलिस उन्हें गिरफ्तार करती गई.
जांच आगे बढ़ी तो पाया गया कि विजय बिस्वास जो मूलरूप से असम के नागांव का रहने वाला था, रोनी की इंफ्रा कंपनी में काम करता था. उसे इस हत्याकांड की साजिश की पूरी जानकारी थी.
मीना की हत्या को जिस अनोखी साजिश से अंजाम दिया गया था, उस का खुलासा शायद ही होता, अगर मीना के परिजनों के खुल कर सामने आने और ईटानगर में लोगों ने ‘जस्टिस फौर मीना’ की मुहिम शुरू न की होती. इसीलिए पुलिस ने दबाव में आ कर गहन छानबीन करनी शुरू की. कडि़यों से कडि़यां जोड़ते हुए पुलिस इस साजिश के सूत्रधार और मीना के पति रोनी तक पहुंच गई और उसे गिरफ्तार कर लिया.
बाद में पुलिस ने चुमी ताया को भी गिरफ्तार कर लिया, क्योंकि जांच में पाया गया कि उसे पूरी वारदात की जानकारी थी, भले ही वह इस वारदात में सक्रिय रूप से शामिल नहीं थी. लेकिन उसी के उकसावे के कारण रोनी ने हत्या का कठोर फैसला लिया था. चुमी ताया के अलावा पुलिस ने इस हत्याकांड में विजय बिस्वास नाम के आरोपी को भी गिरफ्तार किया.
विजय रोनी की कंपनी में काम करते हुए रोनी का सब से वफादार और भरोसेमंद आदमी बन गया था. वह उस के निजी कामों को संभालता था. रोनी के कहने पर विजय ने ही 3 मोबाइल खरीद कर वारदात में शामिल दोनों हत्यारों दाथांग सुयांग, दामित्री खोयांग और हत्याकांड की सुपारी लेने वाले कपवांग लेटी लोवांग तक पहुंचाए थे.
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पुलिस ने इन तीनों मोबाइल फोनों के साथ एक नहर में फेंके गए उस हथौडे़ को भी बरामद कर लिया, जिस से मीना की हत्या की गई थी. रोनी ने साजिश तो रची थी दूसरी पत्नी के लिए पहली पत्नी को रास्ते से हटाने की, लेकिन एक कत्ल के चक्कर में वह दूसरी हत्या के रूप में अपने अजन्मे बच्चे की हत्या का पाप भी करा बैठा.
—कहानी पुलिस की जांच व परिजनों के कथन पर आधारित
सौजन्य- सत्यकथा
इन दिनों टैलीविजन से ले कर अखबार, सोशल मीडिया जैसे प्लेटफार्म पर गेम से पैसे जीतने वाले इश्तिहारों की भरमार सी आ गई है. गेम खेल कर करोड़पति बनने के सपने दिखाने वाले इन इश्तिहारों में फिल्म, टैलीविजन व खेल जगत के कई बड़े चेहरे प्रमोशन करते नजर आ जाते हैं. इस का नतीजा यह है कि बहुत से लोग अब शौर्टकट तरीके से गेम खेल कर करोड़पति बनने का सपना पाले औनलाइन गेम में उल झे हुए देखे जा सकते हैं. लौकडाउन के बाद भारत में इस तरह के गेम खेलने वालों की तादाद में काफी उछाल देखा गया है. इन में तमाम लोग ऐसे भी हैं, जिन्होंने जो पहले तो अपने फोन में गेम को सिर्फ मनोरंजन के लिए ही इंस्टौल किया था, लेकिन बाद में यही गेम गैंबलिंग यानी जुए में बदल गया और पैसे कमाने के लालच में आ कर कई लोगों ने अपने मेहनत की कमाई गंवा दी.
औनलाइन गेमिंग की यह लत सोशल मीडिया की लत से ज्यादा खतरनाक साबित हो रही है, क्योंकि सोशल मीडिया की लत के शिकार लोग अपना समय बरबाद करते हैं और तमाम तरह की दिमागी बीमारियों के शिकार होते हैं. औनलाइन गेमिंग न केवल जुआ खेलने की सोच को बढ़ावा दे रही है, बल्कि यह नएनए तरह के अपराध को भी बढ़ा रही है.
औनलाइन गेम के चक्कर में पैसे गंवाने और अपराध का रास्ता अपनाने का एक ताजा मामला उत्तर प्रदेश के संतकबीर नगर में सामने आया.
हुआ यह कि संतकबीर नगर जिले के खलीलाबाद कोतवाली इलाके में सरौली के रहने वाले अपर कृषि अधिकारी के पद पर काम कर रहे हरिश्चंद्र त्रिपाठी ने थाना कोतवाली खलीलाबाद में सूचना दी कि उन का बेटा आशुतोष त्रिपाठी उर्फ लकी, जो ग्वालियर में बीएससी नर्सिंग के तीसरे साल का छात्र है, का किसी ने अपहरण कर लिया है.
हरिश्चंद्र त्रिपाठी ने पुलिस को सूचना दी कि उन का बेटा लौकडाउन के चलते ग्वालियर से घर पर आया हुआ था और जरूरी सामान लेने के लिए जिला मुख्यालय के खलीलाबाद बाजार गया हुआ था कि तभी उन की पत्नी के मोबाइल फोन पर उन्हीं के लड़के के मोबाइल नंबर से मैसेज आया कि तुम्हारे लड़के का अपहरण कर लिया गया है. यह भी लिखा था कि तत्काल उस के खाते में 2 लाख रुपए ट्रांसफर कर दो, नहीं तो तुम्हारे बेटे की हत्या कर दी जाएगी.
हरिश्चंद्र त्रिपाठी की सूचना पर थाना कोतवाली खलीलाबाद की पुलिस हरकत में आ गई. तुरंत ही मुकदमा संख्या 430/2020 धारा 364 ए में मामला दर्ज कर लिया. जिले के पुलिस अधीक्षक ब्रजेश सिंह की अगुआई में अपर पुलिस अधीक्षक संजय कुमार की निगरानी में सर्विलांस सैल के प्रभारी निरीक्षक मनोज कुमार पंत व प्रभारी निरीक्षक कोतवाली खलीलाबाद की संयुक्त टीम का गठन कर दिया गया.
गठित पुलिस टीम ने आशुतोष त्रिपाठी उर्फ लकी के अपहरण करने वालों तक पहुंचने के लिए जाल बिछाया, तो उसे बस्ती जिले के हर्रैया कसबे से सहीसलामत बरामद कर लिया गया.
जब पुलिस ने खुलासा किया, तो पता चला कि आशुतोष का किसी ने अपहरण नहीं किया था, बल्कि उस ने खुद ही अपने अपहरण का जाल बुना था.
आशुतोष त्रिपाठी ने पूछताछ में बताया कि वह वर्तमान में मध्य प्रदेश में ग्वालियर के जय इस्टीट्यूट औफ नर्सिंग में बीएससी नर्सिंग का छात्र है.
3 जुलाई, 2020 को उस के मोबाइल नंबर के ह्वाट्सएप पर औनलाइन जून क्लब मनी मेकिंग गेम का एक लिंक आया था, जिस के जरीए पैसा कमाने की बात लिखी गई थी.
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आशुतोष त्रिपाठी ने पैसा कमाने की नीयत से गेम खेलना शुरू कर दिया, जिस से वह महज 2 दिनों में ही तकरीबन एक लाख, 60 हजार रुपए हार गया. उस ने इन पैसों को अपने कई दोस्तों से औनलाइन तरीकों से उधार लिया था, जिस के ट्रांजैक्शन का सुबूत भी उस के मोबाइल फोन से बरामद कर लिया गया.
आशुतोष त्रिपाठी ने पुलिस को बताया कि इतने सारे पैसे गेम में हार जाने के बाद उधारी चुकता करने के लिए उस ने 5 जुलाई को अपने अपहरण की योजना बना ली. इस के तहत फिरौती के तौर पर अपने ही मांबाप से 2 लाख रुपए मांगे जाने की योजना बनाई थी. उन में से उधारी के एक लाख, 60 हजार रुपए चुकता करने के बाद बाकी बचे 40,000 रुपए से फिर से औनलाइन गेम खेलने का प्लान बनाया था.
आशुतोष त्रिपाठी अपनी ही किडनैपिंग की योजना को अंजाम देने के लिए 6 जुलाई की शाम तकरीबन 4 बजे दवा व घर का सामान लेने के लिए निकला था. वहां से उस ने 1,500 रुपए एटीएम से निकाले और जनपद बस्ती के हर्रैया कसबे में पहुंच गया, जहां से साढ़े 7 बजे उस ने अपने घर पर परिजनों के मोबाइल नंबर पर मैसेज कर अपने अपहरण की सूचना दी और बताया कि अपहरण करने वाले इस के लिए 2 लाख रुपए की मांग कर रहे हैं.
लेकिन पुलिस की तत्परता से महज 24 घंटे के भीतर आशुतोष त्रिपाठी द्वारा किए गए खुद के अपरहण की साजिश को बेनकाब कर दिया गया.
आशुतोष त्रिपाठी औनलाइन गेम से पैसे तो नहीं कमा पाया, लेकिन सलाखों के पीछे जरूर पहुंच गया.
ऐसे दिया जाता है लालच
वैसे तो औनलाइन गेम में दांव लगाए जाने की शुरुआत वर्चुअल मनी यानी आभासी मुद्रा से की जाती है, लेकिन हार और जीत होने के बाद इसे रियल मनी में बदलना पड़ता है. जो लोग इस तरह का गेमिंग जुआ खेलना शुरू करते हैं, वे पहले ऐसे गेम के एप को डाउनलोड करते हैं, जिस के बाद एन गेमिंग एप द्वारा यूजर को कुछ पौइंट्स व 10 रुपए से ले कर 100 रुपए दिए जाते हैं, जो यूजर को अपने वालैट या पेटीएम अकाउंट में एड करने होते हैं.
इस के अलावा गेम के जरीए जुआ खेलने वाले को रुपए से पौइंट खरीदने होते हैं, जो उन के मोबाइल एप में रहते हैं. लत लगने के चलते पौइंट हारने पर खिलाड़ी फिर रुपए खर्च कर पौइंट खरीदने पर मजबूर हो जाता है.
यह भी हो सकता है, गेम की शुरुआत करते हैं तो जीत के साथ शुरुआत हो जाए. लेकिन बाद में जब यूजर अपने रुपए हारने लगता है, तो वह इस आस में अपने बैंक अकाउंट से अपने वालेट में रुपए ट्रांसफर करता जाता है कि हो सकता है, वह हारे हुए रुपए जीत जाए. इस चक्कर में पड़ कर जब यूजर भारीभरकम रकम गंवा बैठता है, तो उसे यह बात सम झ आती है कि वह औनलाइन गेमिंग के चक्कर में ठगी का शिकार हो चुका है.
पत्रकार भावना ने बताया कि ड्रीम 11 या फैब 11 सब एकजैसी ही होती हैं. इन सभी एप में पहले आप को पैसे लगाने होते हैं, जिस में हजारों रुपए तक आप लगा सकते है. इस में जीतने के चांस बिलकुल भी नहीं होते हैं, क्योंकि मान लीजिए, दिल्ली और बैंगलुरू का गेम होने वाला है, फिर इसे कंप्यूटराइज्ड सिस्टम से गेम खेलने वाले को हरा दिया जाता है.
गेम खेलने वाले एवी शुक्ल ने बताया कि ड्रीम 11 जैसे गेम में 10 से ले कर 2,000 के आसपास तक रुपए लगाए जाते हैं. इस में जीतने के चांस बहुत कम होते हैं. तकरीबन 95 फीसदी लोग इसे हार जाते हैं. गेम कंपनियां अपने करोड़ों यूजर के जरीए हर दिन अरबों रुपयों का कारोबार करती हैं.
कुछ इसी तरह का अनुभव सुलभ श्रीवास्तव और सौरभ शुक्ल का भी है, जिन्होंने गेम से सिर्फ पैसे गंवाए हैं.
ऐसे होता है जुए का कारोबार
औनलाइन गेम के जरीए जुए की लत लगाने वाले एप और वैबसाइट बड़ी ही चालाकी से लोगों को अपने जाल में फंसाती हैं. सब से पहले ऐसे गेम को औनलाइन अपने लैपटौप या स्मार्टफोन में डाउनलोड करना पड़ता है. ऐसे एप को पूरी तरह से डाउनलोड करने के लिए मोबाइल नंबर पर एक ओटीपी भेजा जाता है. इस के बाद जब मोबाइल नंबर वैरीफाई हो जाता है, तो खेलने वाले को खेलने से पहले पेटीएम अकाउंट बना कर कुछ रुपयों का भुगतान करना पड़ता है.
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यह भुगतान कभीकभी औनलाइन बैंकिंग या डैबिट कार्ड के जरीए लिया जाता है. ऐसे में गेम इंस्टौल करने वाले से जुड़ा बैंक और मोबाइल से सारा डाटा गेमिंग कंपनी के पास चला जाता है.
इसी तरह औनलाइन कैसीनो गेम भी खेला जाता है, जिस में एक से 36 तक अंक होते हैं. इस में दांव लगाने से गेंद अंक पर रुक जाए, तो एक रुपए के
36 रुपए मिलते हैं. इसी तरह हारजीत होती है. यह खेल टच स्क्रीन मोबाइल या कंप्यूटर से खेला जा सकता है.
इसी तरह के एक गेम का संचालन मुंबई से किया जाता था, जिस में खेलने के लिए आईडी दी जाती थी. उस का एक पासवर्ड होता है. वहां रतन नाम के एक आदमी ने गेम खेलने से पैसे जीतने के चक्कर 2 साल में डेढ़ लाख रुपए गंवा दिए. इस के बाद उन्होंने पुलिस को शिकायत की, तो पुलिस ने अचल चौरसिया नाम के आदमी को गिरफ्तार किया.
कभीकभी औनलाइन गेम खेलते समय वर्चुअल गेम पार्टनर द्वारा गेम के अगले पार्ट में जाने के लिए लिंक लौगइन कोड के साथ ओटीपी शेयर किया जाता है, जिस के जरीए पौइंट जीतने की बात की जाती है और इसी पौइंट को रुपयों में बदलने का लालच दिया जाता है.
जब खिलाड़ी दूसरी तरफ से भेजे गए ओटीपी को शेयर करता है या लिंक को खोलता है तो उस के पेटीएम या बैंक से रुपए कट जाते हैं और खेलने वाले को लगता है कि वह रुपए गेम में हार गया है.
इसी तरह का एक मामला उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले से सामने आया था, जिस में बिलरियागंज थाना क्षेत्र के हेगईपुर गांव के रहने वाले पेशे से शिक्षक हरिवंश के जमात 6 में पढ़ने वाले 12 साल के बेटे कपिल ने औनलाइन गेम में 8 लाख रुपए गंवा दिए.
इस मामले में हुआ यह कि कपिल ने एडवांस औनलाइन गेम खरीदने के चक्कर में पिता के डैबिड कार्ड की डिटेल्स हासिल कर ली और पहले पेटीएम के जरीए गेम संचालक को रुपए ट्रांसफर करना शुरू कर दिया, बाद में कपिल जब गेम से रुपए हारने लगा, तो उस ने बाद में यूपीआई आईडी बना कर धीरेधीरे कर अकाउंट से 8 लाख रुपए उड़ा दिए.
इस ठगी की जानकारी कपिल के पिता को तब हुई, जब वे बैंक पहुंचे और कुछ रुपए निकालने के लिए बैंक में अपना खाता चैक किया. उस के बाद उन्हें उन का बैंक अकाउंट खाली मिला.
इस बात की जानकारी उन्होंने पुलिस वालों को दी, तब जा कर पता चला कि पैसे तो उन के बेटे ने औनलाइन गेम गंवा दिए हैं.
देशीविदेशी कंपनियां शामिल
औनलाइन गेमिंग से जुए के कारोबार में देशी से ले कर विदेशी गेमिंग कंपनियां शामिल हैं, जो बड़े शातिराना अंदाज में लोगों की जेब में चूना लगाती हैं. इसी तरह भारतीय गेम ड्रीम 11 है, जिसे हर्ष जैन और भावित सेठ नाम के लोगों ने साल 2008 में शुरू किया था.
यह दुनियाभर की टौप इनोवेटिव कंपनी में गिनी जाती है, जिस के जरीए क्रिकेट, फुटबाल, कबड्डी जैसे गेम औनलाइन खेल सकते हैं. इस में ढेरों कैश प्राइज जीतने के लिए टीम बना कर खेलना पड़ता है. इस में पैसे जीतने के लिए क्रेडिट दिया जाता है, जिसे बाद में पैसे में कंवर्ट करना होता है.
ऐसी नामीगिरामी गेमिंग कंपनियों में भी लोग सेंध लगा कर लोगों को ठग लेते हैं. इसी तरह बिंगो कैसे खेलें, ब्रेनबाजी, पोलबाजी जैसे तमाम औनलाइन गेम लोगों में जुए की लत बढ़ा रहे हैं.
हर किसी के लिए हैं ऐसे गेम
औनलाइन गेमिंग के जरीए जुए का जाल फैलाने वाले एप और सौफ्टवेयर हर उम्र के लिहाज से चल रहे हैं, जिस से इन के चंगुल में बच्चों व किशोरों के साथसाथ नौजवानों और बड़ेबूढ़ों को भी फंसा देखा जा सकता है, लेकिन उन्हें यह नहीं पता होता कि आगे चल कर वे अपना वक्त व पैसा दोनों बरबाद करने वाले हैं.
इसी तरह का एक मामला सामने आया, जिस में लखनऊ की न्यू हैदराबाद कालोनी के एक बाशिंदे के 10 साला बेटे ने फ्री फायर गेम खेलने के चक्कर में पिता के अकाउंट को चपत लगा दी. यह बच्चा जमात 4 में पढ़ता था, जो अकसर औनलाइन गेम में उल झा रहता था. गेम खेलने के लिए पैसों का औनलाइन भुगतान करना पड़ता है.
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यह भुगतान करने के लिए बच्चे ने अपने पिता के मोबाइल से चुपचाप पेटीएम अकाउंट खोल लिया और 35,000 रुपए गेम कंपनी को ट्रांसफर कर दिए.
छात्र हो रहे ज्यादा शिकार
जमशेदपुर कोऔपरेटिव कालेज में पढ़ने वाले अंशुमन ने औनलाइन गेम के चक्कर में पड़ कर हजारों रुपए गंवा दिए.
सत्यनारायण भुइयां नाम के एक शख्स ने शौर्टकट तरीके से कमाई करने के चक्कर में आ कर औनलाइन तीन पत्ती गेम शुरू किया और जब तक उसे कुछ सम झ आया, तब तक वह 25,000 रुपए गंवा चुका था.
पुलिस भी लाचार
औनलाइन गेम के जरीए जुआ खेलने वालों पर पुलिस नकेल कसने में लाचार नजर आती है, क्योंकि ताश के पत्तों से खेले जाने वाले जुए में तो छापा मार कर जुआरियों को पकड़ा जा सकता है, लेकिन वर्चुअल जुआ इस से अलग होता है. इस में न तो पुलिस का छापा पड़ने का डर है, न ही जेल जाने का जोखिम.
औनलाइन गेम में अब ताश के पत्तों के बजाय मोबाइल फोन और लैपटौप पर दांव लगाया जाता है, जो पूरी तरह से उस औनलाइन गेम के प्लेटफार्म के संचालक के हाथ में होता है. इस में आप उस के इशारे पर ही गेम हारते और जीतते हैं, जबकि इस तरह के प्लेटफार्म द्वारा पहले खेलने की लत लगाने के लिए गेम में पैसे जिताए जाते हैं और बाद में जब आप को खेलने का चसका लग जाता है, तो आप भारीभरकम रकम गंवा देते हैं.
इस तरह के गेम को कहीं भी खेला जा सकता है, चाहे आप औफिस में बैठे हों, चाहे गाड़ी ड्राइव कर रहे हों या घर में हों. आजकल तीन पत्ती, रम्मी जैसे तमाम गेम हैं जो पैसे कमाने का लालच देते हैं. यह है तो पूरी तरह से जुआ ही, लेकिन इस गैरकानूनी काम को बड़ी ईमानदारी से संचालित किया जा रहा है.
बढ़ी है खेलने वालों की तादाद
जैसेजैसे देश में स्मार्टफोन यूजर्स की तादाद में इजाफा हो रहा है, वैसेवैसे औनलाइन गेम वाले एप की तादाद में भी इजाफा होता जा रहा है. भारत में पैसे जिताने का दावा करने वाले गेमिंग एप ड्रीम 11 या फैब 11, बिग टाइम, एमपीएल यानी मोबाइल प्रीमियर लीग, विंजो गोल्ड, हगो एप, गमेजोप, औन एप, कुएरका, लोको, अड्डा 52 डौट कौम, बिंगो रेसिंग वाले गेम्स, शूटिंग से ले कर निशानेबाजी और युद्ध वाले गेम्स हजारों गेम शामिल हैं, जिन के जरीए दांव लगाए जा रहे हैं. गूगल प्ले स्टोर पर कई ऐसे एप मुहैया हैं, जिन्हें जुआ खेलने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है.
साइबर ऐक्सपर्ट आनंद कुमार ने बताया कि एक रिपोर्ट के मुताबिक देश में लाखों मोबाइल नंबर और ईमेल आईडी इस तरह के औनलाइन गेम्स से लगातार घंटों कनैक्ट रहते हैं.
भारत में सब से ज्यादा खेले जाने लूडो किंग के 10 करोड़ से भी ज्यादा यूजर हैं, जिस के रोजाना 60 लाख ऐक्टिव यूजर होते हैं. वहीं तीन पत्ती गेमिंग एप के 5 करोड़ यूजर हैं.
लग सकता है चूना
साइबर ऐक्सपर्ट आनंद कुमार के मुताबिक, औनलाइन गेम खेलने वालों को अपनी प्रोफाइल बनानी होती है, जिस में यूजर का पूरा नाम, उम्र, ईमेल, पता, क्रेडिट व डैबिट कार्ड डिटेल्स वगैरह शामिल हो सकते हैं. यह कई बार आप के बैंक खातों से जुड़े डाटा की चोरी की वजह बन जाता है.
डाक्टर की भी सुनें
मनोचिकित्सक डाक्टर मलिक मोहम्मद अकमलुद्दीन के मुताबिक, औनलाइन गेमिंग में फंस कर पैसे खोने का ही डर नहीं होता है, बल्कि ज्यादा देर तक मोबाइल या कंप्यूटर की स्क्रीन पर देखने के चलते आंखों की रोशनी पर भी फर्क पड़ सकता है. इस के अलावा नींद न आने की समस्या हो सकती है.
औनलाइन गेम के चलते बच्चे मोटापे और डायबिटीज के शिकार हो सकते हैं और सोशल लाइफ से दूर हो जाते हैं. इस तरह की सोच के चलते कई बार लोग हिंसक बरताव भी करने लगते हैं.
प्रचार करते बड़े चेहरे
औनलाइन गेम के जरीए जुए की लत बढ़ाने वाले ऐसे गेम को प्रमोट करने के लिए फिल्म और ग्लैमर इंडस्ट्री के साथ ही खेल जगत के तमाम बड़े चेहरे जुड़े हुए हैं. उन के इश्तिहार को देख कर लोग पैसे कमाने वाले ऐसे गेमिंग एप को अपने मोबाइल फोन में डाउनलोड कर खेलना शुरू कर देते हैं.
ऐसे कुछ गेम को प्रमोट करते हुए फिल्म स्टार प्रकाश राज, सौरभ शुक्ला, राजपाल यादव दिख जाएंगे. इस के अलावा महेंद्र सिंह धोनी भी ऐसे गेम्स को टीवी इश्तिहार में खूब प्रमोट करते रहे हैं.
बीते दिनों ऐसे गेम्स को बढ़ावा देने के आरोप में भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान विराट कोहली और फिल्म हीरोइन तमन्ना भाटिया के खिलाफ मद्रास हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई. केस दायर करने वाले वकील ने कहा कि नौजवानों को इस की आदत हो रही है और औनलाइन जुआ कंपनियां विराट और तमन्ना जैसे सितारों का इस्तेमाल नौजवानों का ब्रेनवाश करने के लिए कर रही हैं.
उस याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट से औनलाइन जुआ को बैन करने के लिए निर्देश देने की मांग की है. उन्होंने एक लड़के के मामले का भी जिक्र किया, जिस ने हाल में खुदकुशी कर ली थी, क्योंकि वह औनलाइन जुए के लिए उधार लिए पैसे वापस नहीं कर पाया था.
ऐसे बनाएं दूरी
अगर आप या आप के परिवार का कोई सदस्य ऐसे वर्चुअल गेम के चंगुल से बाहर नहीं निकल पा रहा है, तो सब से पहले कोशिश करें कि अपने फोन से ऐसे एप को तत्काल ही रिमूव कर दें और खुद को बिजी रखने के लिए पत्रपत्रिकाओं का सहारा लें. साथ ही, परिवार के साथ बैठ कर खेले जाने वाले गेम खेलें. इन में कैरम, सांपसीढ़ी, लूडो जैसे गेम भी शामिल किए जा सकते हैं.
जिन परिवारों में पढ़ने वाले बच्चे हैं, उन परिवारों को चाहिए कि वे अपने बच्चों पर निगरानी रखें कि कहीं उन का बच्चा जरूरत से ज्यादा मोबाइल और कंप्यूटर तो नहीं चला रहा है, क्योंकि ऐसे गेम के एप्लीकेशन से जुड़ाव मानसिक तौर पर जुए की लत डाल देता है, इसलिए बच्चों में आउटडोर और इनडोर गेम्स को बढ़ावा दें.
फिलहाल तो अगर कोरोना के चलते आउटडोर गेम्स के लिए नहीं भेज सकते, तो घर में ही फिजिकल गेम्स में हिस्सा लेने के लिए बढ़ावा दें.
अब यह कहा जा सकता है कि केवल मनोरंजन के लिए खेला जाने वाला एप आधारित औनलाइन गेम अब खेल नहीं रह गया है, बल्कि यह पूरी तरह जुआ और सट्टा कारोबार के रूप में अपने पैर पसार चुका है.
लोग शौर्टकट तरीके से पैसे कमाने के चक्कर में अपनी गाढ़ी कमाई से पलक झपकते ही हाथ धो बैठते हैं, इसलिए अगर आप भी औनलाइन गेम खेलने का मन बना रहे हैं, तो आज ही तोबा कर लीजिए. कहीं ऐसा न हो कि आप इस तरह के गेम में अपनी व अपने मांबाप की कमाई से हाथ धो बैठें और साथ ही, जुर्म का रास्ता अख्तियार कर जेल की सलाखों के पीछे पहुंच जाएं.
सोशल मीडिया के आगमन के साथ ही जहां इसका सदुपयोग किया जा रहा है, वहीं अश्लीलता के संदर्भ में दुरूप्रयोग भी जारी हो चुका है. परिणाम स्वरूप आज महिला और पुरुष दोनों को ही सतर्क और सचेत रहने की आवश्यकता है.
आए दिन देश परदेश में ऐसी घटनाएं सामने आ रही हैं जिम में लोग नाबालिग लड़कियों, महिलाओं के अश्लील वीडियो बना रहे हैं और भय दोहन में सफल हो जाते हैं. अंततः जेल की हवा खा रहे हैं. ऐसे ही एक घटना क्रम में छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले में सोशल मीडिया में अश्लील वीडियो शेयर करने के आरोप में पुलिस ने स्थानीय कांग्रेस नेता को गिरफ्तार किया है. बिलासपुर जिले के पेंड्रा गौरेला क्षेत्र की अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक प्रतिभा तिवारी ने बताया कि जिले के पेन्ड्रा-गौरेला में कांग्रेस के जिला संयुक्त सचिव कुमार विजय ने सोशल मीडिया वाट्सएप के एक समूह में आपत्तिजनक और अश्लील वीडियो शेयर किया था. कांग्रेस की महिला नेताओं की शिकायत पर आरोपी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है. एक उदाहरण हमें बताता है कि किस तरह राजनीतिक पार्टियों में भी अश्लील वीडियो वायरल करने और ब्लैकमेलिंग की बीमारी पहुंच चुकी है.
और अश्लील वीडियो जारी कर दिया
छत्तीसगढ़ के बस्तर के गीदम के एक बैंक में खाता होने की वजह से लेनदेन के लिए महिला का अक्सर आना जाना होता है. बैंक के एक कर्मचारी लालूराम पोयाम से जान पहचान हुई. आरोपी द्वारा महिला को गीदम बुलाकर अपने अपने घर ले जाकर महिला के साथ छेड़छाड़ कर अश्लील फोटो खींचकर व्हाट्सएप के माध्यम से वायरल कर दिया. वायरल फोटो परिजनों तक पहुंचने पर महिला ने परिजनों को आपबीती बताई एवं परिजनों के साथ थाना गीदम में उपस्थित होकर रिपोर्ट दर्ज कराई.
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महिला की रिपोर्ट पर तत्काल अपराध दर्ज कर आरोपी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया. ऐसी घटनाएं बताती है कि सौजन्य संस्थाओं में भी कभी भी कुछ भी हो सकता है ऐसे में महिलाओं की समझदारी और जागरूकता ही उन्हें इस आज की गंभीर संक्रमण कारी घटनाओं से बचा सकती है.
गृहमंत्री भी चिंतित दिए हैं निर्देश
छत्तीसगढ़ में अश्लीलता वीडियो वायरल के बढ़ते अपराध को देखते हुए गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू ने राजधानी में एक बैठक ले गृहमंत्री ने प्रदेश में बढ़ रहे अपराध को लेकर चिंता जताई है. इसी दरमियान जिला गरियाबंद के फिंगेश्वर में पुलिस ने नाबालिग लड़की से रेप के आरोपी को गिरफ्तार किया है. पुलिस गिरफ्त में आए आरोपी पर पीड़िता का अश्लील वीडियो वायरल करने का भी आरोप है.पुलिस अधिकारी बताते हैं आरोपी ने व्हाट्सएप वीडियो काल के जरिए युवती का अश्लील वीडियो बनाया था. लालपुर निवासी सोमनाथ साहू ने नाबालिग लड़की को पहले तो अपने प्रेम जाल में फंसाया. जब लड़की ने उससे ब्रेकअप करने की कोशिश की, तो आरोपी उसे बहला फुसलाकर बातें करने लगा. इसी बीच व्हाट्सएप वीडियो काल के जरिये उसकी अश्लील वीडियो क्लिप तैयार कर लिया. इतना ही नहीं आरोपी युवक नाबालिग लड़की को अश्लील वीडियो वायरल करने की धमकी देकर ब्लैकमेल करता रहा. और अंततः
नाबालिग लड़की का अश्लील वीडियो वायरल कर दिया.
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इस दौरान आरोपी ने नाबालिग से कई दफा दुष्कर्म की वारदात को अंजाम दिया. पीड़िता के बार-बार मना करने के बावजूद आरोपी सोमनाथ साहू ने उसके अश्लील वीडियो को दो नाबालिग लड़कों को भेज दिया, जिन्होंने इस वीडियो को सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया. परिणाम स्वरूप जहां युवती की बदनामी हुई वहीं युवक आज जेल की हवा खा रहा है. ऐसे में इस आलेख के माध्यम से हम यही सतर्कता बरतने की हिदायत देते हुए कहेंगे बचाओ सुरक्षा आज महिलाओं के अपने हाथ में है माता पिता परिजनों का भी दायित्व है कि बालिकाओं को समझा भेज दें और हकीकत से रूबरू कराते रहें.
सौजन्य- सत्यकथा
उत्तर प्रदेश के मैनपुरी जिले का एक गांव है बरुआ नद्दी. शाम के समय कुछ लोग खेतों से गांव की ओर आ रहे थे. तभी उन की नजर एक खेत के किनारे कुत्तों के झुंड पर पड़ी. कुत्ते एक नरमुंड को ले कर खींचतान कर रहे थे. लोगों ने कुत्तों को भगा दिया और नजदीक आए. वहां एक नरमुंड पड़ा था. कुछ ही देर में वहां भीड़ जुट गई. गांव भर में सनसनी फैल गई.
इसी बीच किसी ने थाना किशनी में सूचना दे दी. थानाप्रभारी अजीत सिंह पुलिस टीम के साथ घटनास्थल पर पहुंच गए और उच्च अधिकारियों को घटना से अवगत कराया. सूचना पर कुछ ही देर में एसपी अजय कुमार पांडेय, एएसपी मधुबन कुमार भी मौके पर पहुंच गए. उन्होंने घटनास्थल का निरीक्षण किया, इस के साथ ही आसपास के लोगों से बातचीत कर जानकारी ली.
एसपी ने पूरा कंकाल होने की आशंका के चलते आसपास के खेतों में तलाशी अभियान चलाया. काफी देर तलाश के बाद भी पुलिस के हाथ कुछ नहीं लगा. नरमुंड पुरुष का है या महिला का, इस के लिए एसपी ने अधीनस्थों को डीएनए जांच कराने के निर्देश दिए. थानाप्रभारी ने मौके की काररवाई निपटाने के बाद नरमुंड को पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दिया. यह घटना 10 अक्तूबर,2020 की है.
पुलिस ने दूसरे दिन घटनास्थल के आसपास के गांव वालों से फिर से पूछताछ की. लेकिन कोई सुराग नहीं मिला.
नरमुंड मिलने की जानकारी मिलने के 2 दिन बाद जनपद इटावा के थाना चौबिया के गांव टोरपुर का निवासी मिथिलेश कुमार थाना किशनी पहुंचा. उस ने बताया कि उस की 35 वर्षीय भाभी पूती देवी 20 सितंबर, 2020 से लापता हैं. इस संबंध में उस ने थाना भरथना में गुमशुदगी भी दर्ज कराई थी. लेकिन अभी तक उन का कोई पता नहीं चला. गांव बरुआ नद्दी के खेत में मिला नरमुंड उस की भाभी पूती देवी का हो सकता था.
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वह नरमुंड पूती देवी का है या नहीं, इस बात की पुष्टि डीएनए जांच के बाद ही हो सकती थी. लिहाजा पुलिस ने मिथिलेश कुमार से विस्तार से पूछताछ करने के बाद उस की भाभी पूती देवी के बारे में जांच शुरू कर दी.
पुलिस को जांच के दौरान पता चला कि 35 वर्षीय पूती देवी की ससुराल इटावा जिले के थाना चौबिया में है. उस के पति दिलासा राम की कई साल पहले मौत हो चुकी थी. बच्चों को पढ़ाने के लिए पूती देवी अपने दोनों बच्चों सहित भरथना के मोहल्ला कृष्णानगर में रहने लगी थी.
गांव बरुआ नद्दी निवासी सर्वेश कुमार यादव और उस के मामा संतोष कुमार, जो औरेया जिले के नगला परशादी का रहने वाला है, ने पूती देवी को आवास व अन्य सरकारी सहायता दिलाने का लालच दे कर अपने जाल में फंसा लिया था. वे लोग उसे 20 सितंबर, 2020 को अपने साथ ले गए थे. इस के बाद से उस का कोई पता नहीं चला.
मिथिलेश का आरोप था कि उन लोगों ने भाभी का अपहरण करने के बाद उन की हत्या कर दी है. मिथलेश के इस दावे के बाद सर्वेश और उस के मामा संतोष के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया.
पुलिस को जांच में पता चला कि देवर मिथिलेश ने इस मामले में भरथना पुलिस से जो शिकायत की थी, उस पर कोई जांच व काररवाई नहीं की गई थी.
अब सवाल यह था कि यदि नरमुंड पूती देवी का नहीं था तो पूती इस समय कहां थी? आरोपी भी लापता थे. इस से पुलिस ने अनुमान लगाया कि आरोपी व उस का मामा महिला को आशनाई के लिए ले कर फरार हो गए होंगे.
मुकदमा दर्ज होने के बाद एसपी अजय कुमार पांडेय ने इस घटना के राजफाश के लिए स्वाट टीम, सर्विलांस टीम सहित 5 पुलिस टीमें गठित कीं.
गहराई से पड़ताल में जुटी पुलिस ने मुखबिर की सूचना पर 26 अक्तूबर, 2020 को रात के समय आरोपी सर्वेश यादव और उस के मामा संतोष को गांव में सर्वेश के खेत में बने मकान से गिरफ्तार कर लिया. पुलिस को देखते ही आरोपियों ने पुलिस पर फायरिंग शुरू कर दी थी. लेकिन पुलिस ने घेराबंदी कर दोनों को दबोच लिया. आरोपियों के कब्जे से तंमचा व कारतूस बरामद किए गए.
थाने ला कर दोनों से पूती देवी हत्याकांड के बारे में कड़ाई से पूछताछ की गई तो दोनों आरोपियों ने पूती देवी की हत्या करने का जुर्म कबूल करते हुए सनसनीखेज हत्याकांड का रहस्योद्घाटन किया. उन्होंने बताया कि हत्या के बाद उन्होंने पूती देवी के शव के गड़ासे से 14 टुकड़े कर उन्हें अलगअलग स्थानों पर जमीन में दबा दिया था.
पुलिस लाइन सभागार में 27 अक्तूबर को आयोजित प्रैस कौन्फ्रैंस में एसपी अजय कुमार पांडेय ने हत्यारोपियों की गिरफ्तारी की जानकारी दी.
सौजन्य- सत्यकथा
हत्याकांड के पीछे महिला का धन लूटना था. सर्वेश भोलीभाली, गरीब, बेसहारा, विधवा महिलाओं को सरकारी आवास और रुपए दिलाने का झांसा दे कर अपने जाल में फंसाता था. वह न सिर्फ महिलाओं से पैसे ऐंठता था बल्कि घर से दूर सुनसान इलाके में ले जा कर हत्या कर उन के आभूषण ले लेता था. शव के टुकड़े कर के जमीन में जगहजगह गड्ढा खोद कर गाड़ देता था.
इस दिल दहला देने वाले हत्याकांड के पीछे हत्यारोपी सर्वेश की पूती देवी की शादी अपने मामा संतोष से कराने की योजना थी. लेकिन जब पूती देवी ने शादी करने से मना कर दिया तो उस ने उस की हत्या कर दी.
इस षडयंत्र में सर्वेश का मामा संतोष भी शामिल था. दोनों ही आरोपी आपराधिक प्रवृत्ति के थे. उन के विरुद्ध कन्नौज के थाना सौरिख में हत्या, हत्या के प्रयास सहित कई संगीन धाराओं में मुकदमे दर्ज थे.
सर्वेश मामा के साथ मिल कर अब तक कई आपराधिक घटनाओं को अंजाम दे चुका था. इस हत्याकांड की जो कहानी सामने आई, वह इस प्रकार निकली—
पूती देवी का मायका गांव बरुआ नद्दी का था. वह सर्वेश की दूर के रिश्ते की चाची लगती थी, जिस की वजह से वह सर्वेश को जानती थी. पूती देवी के पति दिलासा राम की 6 साल पहले मौत हो गई थी.
वह पिछले 3 साल से भरथना में अपने बच्चों को पढ़ानेलिखाने के मकसद से किराए का मकान ले कर रह रही थी. यह बात सर्वेश को पता थी कि वह गरीब है, उसे रुपयों और मकान की जरूरत है.
सर्वेश के 45 वर्षीय मामा संतोष की पत्नी की 3 साल पहले मौत हो चुकी थी. सर्वेश अपने मामा संतोष की शादी पूती देवी के साथ कराना चाहता था. इसी योजना के तहत 20 सितंबर, 2020 को सर्वेश पूती देवी के पास पहुंचा और उसे सरकारी आवास दिलाने के बहाने से 4 हजार रुपए, आधार कार्ड, व फोटो ले कर विकास भवन चलने को कहा.
सर्वेश पूती देवी को झांसा दे कर अपनी बाइक पर बिठा कर अपने गांव ले आया. मामा भी उस के साथ था. सर्वेश और संतोष पूती देवी को ले कर गांव बरुआ नद्दी आ गए. जब पूती देवी ने यह देखा तो वह भड़क गई. उस ने विरोध करते हुए कहा कि तुम लोग तो विकास भवन चलने की बात कह रहे थे. मुझे यहां कहां ले कर आए हो?
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तब सर्वेश ने कहा, ‘‘चाची तुम बच्चों के साथ अकेली रहती हो. घर में कोई आदमी भी बच्चों की देखभाल के लिए नहीं है. यह मेरे मामा संतोष हैं. 3 साल पहले इन की पत्नी की मौत हो चुकी है. तुम इन के साथ शादी कर लो, जिस से दोनों का घर बस जाएगा.’’
पूती देवी ने सर्वेश की बात का न सिर्फ विरोध किया, बल्कि पुलिस में उस की शिकायत करने की धमकी भी दी.
काफी समझाने पर भी जब पूती देवी उस की बात मानने को तैयार नहीं हुई, तो सर्वेश को गुस्सा आ गया. अपना राज खुलने के डर से उस ने मामा के साथ मिल कर पूती देवी की गला दबा कर उसी दिन हत्या कर दी. वहां सुनसान इलाके में पूती देवी की चीख भी कोई नहीं सुन सका.
हत्या करने के बाद उस की लाश ठिकाने लगाने के लिए उन्होंने उस के 14 टुकड़े किए और अलगअलग जगह गाड़ दिए.
10 अक्तूबर को आवारा कुत्तों द्वारा नरमुंड को खोद कर निकालने के बाद किशनी पुलिस हरकत में आई और 26 अक्तूबर की रात आरोपितों को मुठभेड़ में गिरफ्तार कर लिया. पूती देवी के मर्डर की परतें खुलने के साथ ही पता चला कि सर्वेश साइकोकिलर है. वह इस से पहले 4 अन्य महिलाओं का भी मर्डर कर चुका था.
सर्वेश भोलीभाली, गरीब, बेसहारा, विधवा महिलाओं को सरकारी आवास, पेंशन और रुपए दिलाने का झांसा दे कर अपने जाल में फंसाता था. वह न सिर्फ महिलाओं से पैसे ऐंठता था, बल्कि उन्हें सुनसान जगह पर ले जा कर उन की हत्या कर देता था. उन के आभूषण लेने के बाद शव के टुकड़े कर जमीन में जगहजगह गड्ढा खोद कर गाड़ देता था.
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26 महीने बाद मार्च, 2020 में सर्वेश जेल से जमानत पर छूट कर घर आया था. वह कोर्ट में तारीख पर भी नहीं जाता था. इसलिए उस के खिलाफ गैरजमानती वारंट जारी हो गए थे. सर्वेश ने बीती 3 मई, 2020 को अपनी वृद्ध मां को भी जला कर मार डाला था. इस हत्याकांड पर सौरिख पुलिस ने उस पर 25 हजार रुपए का ईनाम घोषित किया था. इस के चलते सर्वेश फरार हो गया था. इस दौरान वह चोरीछिपे गांव में आता था. फरारी के दौरान भी उसने अपराध करना जारी रखा था.
सर्वेश की हरकतों और सनकीपन से परिवार के लोग बहुत परेशान थे. उस पर अनेक आपराधिक मामले दर्ज थे. वहीं वह आए दिन कुछ न कुछ उत्पात करता था.