सौजन्य- सत्यकथा
इन दिनों टैलीविजन से ले कर अखबार, सोशल मीडिया जैसे प्लेटफार्म पर गेम से पैसे जीतने वाले इश्तिहारों की भरमार सी आ गई है. गेम खेल कर करोड़पति बनने के सपने दिखाने वाले इन इश्तिहारों में फिल्म, टैलीविजन व खेल जगत के कई बड़े चेहरे प्रमोशन करते नजर आ जाते हैं. इस का नतीजा यह है कि बहुत से लोग अब शौर्टकट तरीके से गेम खेल कर करोड़पति बनने का सपना पाले औनलाइन गेम में उल झे हुए देखे जा सकते हैं. लौकडाउन के बाद भारत में इस तरह के गेम खेलने वालों की तादाद में काफी उछाल देखा गया है. इन में तमाम लोग ऐसे भी हैं, जिन्होंने जो पहले तो अपने फोन में गेम को सिर्फ मनोरंजन के लिए ही इंस्टौल किया था, लेकिन बाद में यही गेम गैंबलिंग यानी जुए में बदल गया और पैसे कमाने के लालच में आ कर कई लोगों ने अपने मेहनत की कमाई गंवा दी.
औनलाइन गेमिंग की यह लत सोशल मीडिया की लत से ज्यादा खतरनाक साबित हो रही है, क्योंकि सोशल मीडिया की लत के शिकार लोग अपना समय बरबाद करते हैं और तमाम तरह की दिमागी बीमारियों के शिकार होते हैं. औनलाइन गेमिंग न केवल जुआ खेलने की सोच को बढ़ावा दे रही है, बल्कि यह नएनए तरह के अपराध को भी बढ़ा रही है.
औनलाइन गेम के चक्कर में पैसे गंवाने और अपराध का रास्ता अपनाने का एक ताजा मामला उत्तर प्रदेश के संतकबीर नगर में सामने आया.
हुआ यह कि संतकबीर नगर जिले के खलीलाबाद कोतवाली इलाके में सरौली के रहने वाले अपर कृषि अधिकारी के पद पर काम कर रहे हरिश्चंद्र त्रिपाठी ने थाना कोतवाली खलीलाबाद में सूचना दी कि उन का बेटा आशुतोष त्रिपाठी उर्फ लकी, जो ग्वालियर में बीएससी नर्सिंग के तीसरे साल का छात्र है, का किसी ने अपहरण कर लिया है.
हरिश्चंद्र त्रिपाठी ने पुलिस को सूचना दी कि उन का बेटा लौकडाउन के चलते ग्वालियर से घर पर आया हुआ था और जरूरी सामान लेने के लिए जिला मुख्यालय के खलीलाबाद बाजार गया हुआ था कि तभी उन की पत्नी के मोबाइल फोन पर उन्हीं के लड़के के मोबाइल नंबर से मैसेज आया कि तुम्हारे लड़के का अपहरण कर लिया गया है. यह भी लिखा था कि तत्काल उस के खाते में 2 लाख रुपए ट्रांसफर कर दो, नहीं तो तुम्हारे बेटे की हत्या कर दी जाएगी.
हरिश्चंद्र त्रिपाठी की सूचना पर थाना कोतवाली खलीलाबाद की पुलिस हरकत में आ गई. तुरंत ही मुकदमा संख्या 430/2020 धारा 364 ए में मामला दर्ज कर लिया. जिले के पुलिस अधीक्षक ब्रजेश सिंह की अगुआई में अपर पुलिस अधीक्षक संजय कुमार की निगरानी में सर्विलांस सैल के प्रभारी निरीक्षक मनोज कुमार पंत व प्रभारी निरीक्षक कोतवाली खलीलाबाद की संयुक्त टीम का गठन कर दिया गया.
गठित पुलिस टीम ने आशुतोष त्रिपाठी उर्फ लकी के अपहरण करने वालों तक पहुंचने के लिए जाल बिछाया, तो उसे बस्ती जिले के हर्रैया कसबे से सहीसलामत बरामद कर लिया गया.
जब पुलिस ने खुलासा किया, तो पता चला कि आशुतोष का किसी ने अपहरण नहीं किया था, बल्कि उस ने खुद ही अपने अपहरण का जाल बुना था.
आशुतोष त्रिपाठी ने पूछताछ में बताया कि वह वर्तमान में मध्य प्रदेश में ग्वालियर के जय इस्टीट्यूट औफ नर्सिंग में बीएससी नर्सिंग का छात्र है.
3 जुलाई, 2020 को उस के मोबाइल नंबर के ह्वाट्सएप पर औनलाइन जून क्लब मनी मेकिंग गेम का एक लिंक आया था, जिस के जरीए पैसा कमाने की बात लिखी गई थी.
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आशुतोष त्रिपाठी ने पैसा कमाने की नीयत से गेम खेलना शुरू कर दिया, जिस से वह महज 2 दिनों में ही तकरीबन एक लाख, 60 हजार रुपए हार गया. उस ने इन पैसों को अपने कई दोस्तों से औनलाइन तरीकों से उधार लिया था, जिस के ट्रांजैक्शन का सुबूत भी उस के मोबाइल फोन से बरामद कर लिया गया.
आशुतोष त्रिपाठी ने पुलिस को बताया कि इतने सारे पैसे गेम में हार जाने के बाद उधारी चुकता करने के लिए उस ने 5 जुलाई को अपने अपहरण की योजना बना ली. इस के तहत फिरौती के तौर पर अपने ही मांबाप से 2 लाख रुपए मांगे जाने की योजना बनाई थी. उन में से उधारी के एक लाख, 60 हजार रुपए चुकता करने के बाद बाकी बचे 40,000 रुपए से फिर से औनलाइन गेम खेलने का प्लान बनाया था.
आशुतोष त्रिपाठी अपनी ही किडनैपिंग की योजना को अंजाम देने के लिए 6 जुलाई की शाम तकरीबन 4 बजे दवा व घर का सामान लेने के लिए निकला था. वहां से उस ने 1,500 रुपए एटीएम से निकाले और जनपद बस्ती के हर्रैया कसबे में पहुंच गया, जहां से साढ़े 7 बजे उस ने अपने घर पर परिजनों के मोबाइल नंबर पर मैसेज कर अपने अपहरण की सूचना दी और बताया कि अपहरण करने वाले इस के लिए 2 लाख रुपए की मांग कर रहे हैं.
लेकिन पुलिस की तत्परता से महज 24 घंटे के भीतर आशुतोष त्रिपाठी द्वारा किए गए खुद के अपरहण की साजिश को बेनकाब कर दिया गया.
आशुतोष त्रिपाठी औनलाइन गेम से पैसे तो नहीं कमा पाया, लेकिन सलाखों के पीछे जरूर पहुंच गया.
ऐसे दिया जाता है लालच
वैसे तो औनलाइन गेम में दांव लगाए जाने की शुरुआत वर्चुअल मनी यानी आभासी मुद्रा से की जाती है, लेकिन हार और जीत होने के बाद इसे रियल मनी में बदलना पड़ता है. जो लोग इस तरह का गेमिंग जुआ खेलना शुरू करते हैं, वे पहले ऐसे गेम के एप को डाउनलोड करते हैं, जिस के बाद एन गेमिंग एप द्वारा यूजर को कुछ पौइंट्स व 10 रुपए से ले कर 100 रुपए दिए जाते हैं, जो यूजर को अपने वालैट या पेटीएम अकाउंट में एड करने होते हैं.
इस के अलावा गेम के जरीए जुआ खेलने वाले को रुपए से पौइंट खरीदने होते हैं, जो उन के मोबाइल एप में रहते हैं. लत लगने के चलते पौइंट हारने पर खिलाड़ी फिर रुपए खर्च कर पौइंट खरीदने पर मजबूर हो जाता है.
यह भी हो सकता है, गेम की शुरुआत करते हैं तो जीत के साथ शुरुआत हो जाए. लेकिन बाद में जब यूजर अपने रुपए हारने लगता है, तो वह इस आस में अपने बैंक अकाउंट से अपने वालेट में रुपए ट्रांसफर करता जाता है कि हो सकता है, वह हारे हुए रुपए जीत जाए. इस चक्कर में पड़ कर जब यूजर भारीभरकम रकम गंवा बैठता है, तो उसे यह बात सम झ आती है कि वह औनलाइन गेमिंग के चक्कर में ठगी का शिकार हो चुका है.
पत्रकार भावना ने बताया कि ड्रीम 11 या फैब 11 सब एकजैसी ही होती हैं. इन सभी एप में पहले आप को पैसे लगाने होते हैं, जिस में हजारों रुपए तक आप लगा सकते है. इस में जीतने के चांस बिलकुल भी नहीं होते हैं, क्योंकि मान लीजिए, दिल्ली और बैंगलुरू का गेम होने वाला है, फिर इसे कंप्यूटराइज्ड सिस्टम से गेम खेलने वाले को हरा दिया जाता है.
गेम खेलने वाले एवी शुक्ल ने बताया कि ड्रीम 11 जैसे गेम में 10 से ले कर 2,000 के आसपास तक रुपए लगाए जाते हैं. इस में जीतने के चांस बहुत कम होते हैं. तकरीबन 95 फीसदी लोग इसे हार जाते हैं. गेम कंपनियां अपने करोड़ों यूजर के जरीए हर दिन अरबों रुपयों का कारोबार करती हैं.
कुछ इसी तरह का अनुभव सुलभ श्रीवास्तव और सौरभ शुक्ल का भी है, जिन्होंने गेम से सिर्फ पैसे गंवाए हैं.
ऐसे होता है जुए का कारोबार
औनलाइन गेम के जरीए जुए की लत लगाने वाले एप और वैबसाइट बड़ी ही चालाकी से लोगों को अपने जाल में फंसाती हैं. सब से पहले ऐसे गेम को औनलाइन अपने लैपटौप या स्मार्टफोन में डाउनलोड करना पड़ता है. ऐसे एप को पूरी तरह से डाउनलोड करने के लिए मोबाइल नंबर पर एक ओटीपी भेजा जाता है. इस के बाद जब मोबाइल नंबर वैरीफाई हो जाता है, तो खेलने वाले को खेलने से पहले पेटीएम अकाउंट बना कर कुछ रुपयों का भुगतान करना पड़ता है.
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यह भुगतान कभीकभी औनलाइन बैंकिंग या डैबिट कार्ड के जरीए लिया जाता है. ऐसे में गेम इंस्टौल करने वाले से जुड़ा बैंक और मोबाइल से सारा डाटा गेमिंग कंपनी के पास चला जाता है.
इसी तरह औनलाइन कैसीनो गेम भी खेला जाता है, जिस में एक से 36 तक अंक होते हैं. इस में दांव लगाने से गेंद अंक पर रुक जाए, तो एक रुपए के
36 रुपए मिलते हैं. इसी तरह हारजीत होती है. यह खेल टच स्क्रीन मोबाइल या कंप्यूटर से खेला जा सकता है.
इसी तरह के एक गेम का संचालन मुंबई से किया जाता था, जिस में खेलने के लिए आईडी दी जाती थी. उस का एक पासवर्ड होता है. वहां रतन नाम के एक आदमी ने गेम खेलने से पैसे जीतने के चक्कर 2 साल में डेढ़ लाख रुपए गंवा दिए. इस के बाद उन्होंने पुलिस को शिकायत की, तो पुलिस ने अचल चौरसिया नाम के आदमी को गिरफ्तार किया.
कभीकभी औनलाइन गेम खेलते समय वर्चुअल गेम पार्टनर द्वारा गेम के अगले पार्ट में जाने के लिए लिंक लौगइन कोड के साथ ओटीपी शेयर किया जाता है, जिस के जरीए पौइंट जीतने की बात की जाती है और इसी पौइंट को रुपयों में बदलने का लालच दिया जाता है.
जब खिलाड़ी दूसरी तरफ से भेजे गए ओटीपी को शेयर करता है या लिंक को खोलता है तो उस के पेटीएम या बैंक से रुपए कट जाते हैं और खेलने वाले को लगता है कि वह रुपए गेम में हार गया है.
इसी तरह का एक मामला उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले से सामने आया था, जिस में बिलरियागंज थाना क्षेत्र के हेगईपुर गांव के रहने वाले पेशे से शिक्षक हरिवंश के जमात 6 में पढ़ने वाले 12 साल के बेटे कपिल ने औनलाइन गेम में 8 लाख रुपए गंवा दिए.
इस मामले में हुआ यह कि कपिल ने एडवांस औनलाइन गेम खरीदने के चक्कर में पिता के डैबिड कार्ड की डिटेल्स हासिल कर ली और पहले पेटीएम के जरीए गेम संचालक को रुपए ट्रांसफर करना शुरू कर दिया, बाद में कपिल जब गेम से रुपए हारने लगा, तो उस ने बाद में यूपीआई आईडी बना कर धीरेधीरे कर अकाउंट से 8 लाख रुपए उड़ा दिए.
इस ठगी की जानकारी कपिल के पिता को तब हुई, जब वे बैंक पहुंचे और कुछ रुपए निकालने के लिए बैंक में अपना खाता चैक किया. उस के बाद उन्हें उन का बैंक अकाउंट खाली मिला.
इस बात की जानकारी उन्होंने पुलिस वालों को दी, तब जा कर पता चला कि पैसे तो उन के बेटे ने औनलाइन गेम गंवा दिए हैं.
देशीविदेशी कंपनियां शामिल
औनलाइन गेमिंग से जुए के कारोबार में देशी से ले कर विदेशी गेमिंग कंपनियां शामिल हैं, जो बड़े शातिराना अंदाज में लोगों की जेब में चूना लगाती हैं. इसी तरह भारतीय गेम ड्रीम 11 है, जिसे हर्ष जैन और भावित सेठ नाम के लोगों ने साल 2008 में शुरू किया था.
यह दुनियाभर की टौप इनोवेटिव कंपनी में गिनी जाती है, जिस के जरीए क्रिकेट, फुटबाल, कबड्डी जैसे गेम औनलाइन खेल सकते हैं. इस में ढेरों कैश प्राइज जीतने के लिए टीम बना कर खेलना पड़ता है. इस में पैसे जीतने के लिए क्रेडिट दिया जाता है, जिसे बाद में पैसे में कंवर्ट करना होता है.
ऐसी नामीगिरामी गेमिंग कंपनियों में भी लोग सेंध लगा कर लोगों को ठग लेते हैं. इसी तरह बिंगो कैसे खेलें, ब्रेनबाजी, पोलबाजी जैसे तमाम औनलाइन गेम लोगों में जुए की लत बढ़ा रहे हैं.
हर किसी के लिए हैं ऐसे गेम
औनलाइन गेमिंग के जरीए जुए का जाल फैलाने वाले एप और सौफ्टवेयर हर उम्र के लिहाज से चल रहे हैं, जिस से इन के चंगुल में बच्चों व किशोरों के साथसाथ नौजवानों और बड़ेबूढ़ों को भी फंसा देखा जा सकता है, लेकिन उन्हें यह नहीं पता होता कि आगे चल कर वे अपना वक्त व पैसा दोनों बरबाद करने वाले हैं.
इसी तरह का एक मामला सामने आया, जिस में लखनऊ की न्यू हैदराबाद कालोनी के एक बाशिंदे के 10 साला बेटे ने फ्री फायर गेम खेलने के चक्कर में पिता के अकाउंट को चपत लगा दी. यह बच्चा जमात 4 में पढ़ता था, जो अकसर औनलाइन गेम में उल झा रहता था. गेम खेलने के लिए पैसों का औनलाइन भुगतान करना पड़ता है.
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यह भुगतान करने के लिए बच्चे ने अपने पिता के मोबाइल से चुपचाप पेटीएम अकाउंट खोल लिया और 35,000 रुपए गेम कंपनी को ट्रांसफर कर दिए.
छात्र हो रहे ज्यादा शिकार
जमशेदपुर कोऔपरेटिव कालेज में पढ़ने वाले अंशुमन ने औनलाइन गेम के चक्कर में पड़ कर हजारों रुपए गंवा दिए.
सत्यनारायण भुइयां नाम के एक शख्स ने शौर्टकट तरीके से कमाई करने के चक्कर में आ कर औनलाइन तीन पत्ती गेम शुरू किया और जब तक उसे कुछ सम झ आया, तब तक वह 25,000 रुपए गंवा चुका था.
पुलिस भी लाचार
औनलाइन गेम के जरीए जुआ खेलने वालों पर पुलिस नकेल कसने में लाचार नजर आती है, क्योंकि ताश के पत्तों से खेले जाने वाले जुए में तो छापा मार कर जुआरियों को पकड़ा जा सकता है, लेकिन वर्चुअल जुआ इस से अलग होता है. इस में न तो पुलिस का छापा पड़ने का डर है, न ही जेल जाने का जोखिम.
औनलाइन गेम में अब ताश के पत्तों के बजाय मोबाइल फोन और लैपटौप पर दांव लगाया जाता है, जो पूरी तरह से उस औनलाइन गेम के प्लेटफार्म के संचालक के हाथ में होता है. इस में आप उस के इशारे पर ही गेम हारते और जीतते हैं, जबकि इस तरह के प्लेटफार्म द्वारा पहले खेलने की लत लगाने के लिए गेम में पैसे जिताए जाते हैं और बाद में जब आप को खेलने का चसका लग जाता है, तो आप भारीभरकम रकम गंवा देते हैं.
इस तरह के गेम को कहीं भी खेला जा सकता है, चाहे आप औफिस में बैठे हों, चाहे गाड़ी ड्राइव कर रहे हों या घर में हों. आजकल तीन पत्ती, रम्मी जैसे तमाम गेम हैं जो पैसे कमाने का लालच देते हैं. यह है तो पूरी तरह से जुआ ही, लेकिन इस गैरकानूनी काम को बड़ी ईमानदारी से संचालित किया जा रहा है.
बढ़ी है खेलने वालों की तादाद
जैसेजैसे देश में स्मार्टफोन यूजर्स की तादाद में इजाफा हो रहा है, वैसेवैसे औनलाइन गेम वाले एप की तादाद में भी इजाफा होता जा रहा है. भारत में पैसे जिताने का दावा करने वाले गेमिंग एप ड्रीम 11 या फैब 11, बिग टाइम, एमपीएल यानी मोबाइल प्रीमियर लीग, विंजो गोल्ड, हगो एप, गमेजोप, औन एप, कुएरका, लोको, अड्डा 52 डौट कौम, बिंगो रेसिंग वाले गेम्स, शूटिंग से ले कर निशानेबाजी और युद्ध वाले गेम्स हजारों गेम शामिल हैं, जिन के जरीए दांव लगाए जा रहे हैं. गूगल प्ले स्टोर पर कई ऐसे एप मुहैया हैं, जिन्हें जुआ खेलने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है.
साइबर ऐक्सपर्ट आनंद कुमार ने बताया कि एक रिपोर्ट के मुताबिक देश में लाखों मोबाइल नंबर और ईमेल आईडी इस तरह के औनलाइन गेम्स से लगातार घंटों कनैक्ट रहते हैं.
भारत में सब से ज्यादा खेले जाने लूडो किंग के 10 करोड़ से भी ज्यादा यूजर हैं, जिस के रोजाना 60 लाख ऐक्टिव यूजर होते हैं. वहीं तीन पत्ती गेमिंग एप के 5 करोड़ यूजर हैं.
लग सकता है चूना
साइबर ऐक्सपर्ट आनंद कुमार के मुताबिक, औनलाइन गेम खेलने वालों को अपनी प्रोफाइल बनानी होती है, जिस में यूजर का पूरा नाम, उम्र, ईमेल, पता, क्रेडिट व डैबिट कार्ड डिटेल्स वगैरह शामिल हो सकते हैं. यह कई बार आप के बैंक खातों से जुड़े डाटा की चोरी की वजह बन जाता है.
डाक्टर की भी सुनें
मनोचिकित्सक डाक्टर मलिक मोहम्मद अकमलुद्दीन के मुताबिक, औनलाइन गेमिंग में फंस कर पैसे खोने का ही डर नहीं होता है, बल्कि ज्यादा देर तक मोबाइल या कंप्यूटर की स्क्रीन पर देखने के चलते आंखों की रोशनी पर भी फर्क पड़ सकता है. इस के अलावा नींद न आने की समस्या हो सकती है.
औनलाइन गेम के चलते बच्चे मोटापे और डायबिटीज के शिकार हो सकते हैं और सोशल लाइफ से दूर हो जाते हैं. इस तरह की सोच के चलते कई बार लोग हिंसक बरताव भी करने लगते हैं.
प्रचार करते बड़े चेहरे
औनलाइन गेम के जरीए जुए की लत बढ़ाने वाले ऐसे गेम को प्रमोट करने के लिए फिल्म और ग्लैमर इंडस्ट्री के साथ ही खेल जगत के तमाम बड़े चेहरे जुड़े हुए हैं. उन के इश्तिहार को देख कर लोग पैसे कमाने वाले ऐसे गेमिंग एप को अपने मोबाइल फोन में डाउनलोड कर खेलना शुरू कर देते हैं.
ऐसे कुछ गेम को प्रमोट करते हुए फिल्म स्टार प्रकाश राज, सौरभ शुक्ला, राजपाल यादव दिख जाएंगे. इस के अलावा महेंद्र सिंह धोनी भी ऐसे गेम्स को टीवी इश्तिहार में खूब प्रमोट करते रहे हैं.
बीते दिनों ऐसे गेम्स को बढ़ावा देने के आरोप में भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान विराट कोहली और फिल्म हीरोइन तमन्ना भाटिया के खिलाफ मद्रास हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई. केस दायर करने वाले वकील ने कहा कि नौजवानों को इस की आदत हो रही है और औनलाइन जुआ कंपनियां विराट और तमन्ना जैसे सितारों का इस्तेमाल नौजवानों का ब्रेनवाश करने के लिए कर रही हैं.
उस याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट से औनलाइन जुआ को बैन करने के लिए निर्देश देने की मांग की है. उन्होंने एक लड़के के मामले का भी जिक्र किया, जिस ने हाल में खुदकुशी कर ली थी, क्योंकि वह औनलाइन जुए के लिए उधार लिए पैसे वापस नहीं कर पाया था.
ऐसे बनाएं दूरी
अगर आप या आप के परिवार का कोई सदस्य ऐसे वर्चुअल गेम के चंगुल से बाहर नहीं निकल पा रहा है, तो सब से पहले कोशिश करें कि अपने फोन से ऐसे एप को तत्काल ही रिमूव कर दें और खुद को बिजी रखने के लिए पत्रपत्रिकाओं का सहारा लें. साथ ही, परिवार के साथ बैठ कर खेले जाने वाले गेम खेलें. इन में कैरम, सांपसीढ़ी, लूडो जैसे गेम भी शामिल किए जा सकते हैं.
जिन परिवारों में पढ़ने वाले बच्चे हैं, उन परिवारों को चाहिए कि वे अपने बच्चों पर निगरानी रखें कि कहीं उन का बच्चा जरूरत से ज्यादा मोबाइल और कंप्यूटर तो नहीं चला रहा है, क्योंकि ऐसे गेम के एप्लीकेशन से जुड़ाव मानसिक तौर पर जुए की लत डाल देता है, इसलिए बच्चों में आउटडोर और इनडोर गेम्स को बढ़ावा दें.
फिलहाल तो अगर कोरोना के चलते आउटडोर गेम्स के लिए नहीं भेज सकते, तो घर में ही फिजिकल गेम्स में हिस्सा लेने के लिए बढ़ावा दें.
अब यह कहा जा सकता है कि केवल मनोरंजन के लिए खेला जाने वाला एप आधारित औनलाइन गेम अब खेल नहीं रह गया है, बल्कि यह पूरी तरह जुआ और सट्टा कारोबार के रूप में अपने पैर पसार चुका है.
लोग शौर्टकट तरीके से पैसे कमाने के चक्कर में अपनी गाढ़ी कमाई से पलक झपकते ही हाथ धो बैठते हैं, इसलिए अगर आप भी औनलाइन गेम खेलने का मन बना रहे हैं, तो आज ही तोबा कर लीजिए. कहीं ऐसा न हो कि आप इस तरह के गेम में अपनी व अपने मांबाप की कमाई से हाथ धो बैठें और साथ ही, जुर्म का रास्ता अख्तियार कर जेल की सलाखों के पीछे पहुंच जाएं.