Manohar Kahaniya: जॉइनिंग से पहले DSP को जेल- भाग 1

बिहार में शराबबंदी थी, इसलिए टे्रनी डीएसपी आशुतोष कुमार अपने 3 दोस्तों को पार्टी देने के लिए सीमावर्ती झारखंड के जिला कोडरमा ले गया, तिलैया बांध के पास मैदान में पार्टी के दौरान ऐसा क्या हुआ कि डीएसपी और उस के 2 दोस्तों को जेल जाना पड़ा?

बिहार में रोहतास जिले के छिनारी गांव का रहने वाला आशुतोष, हाल ही में ट्रेनिंग पूरी करने के बाद डीएसपी बना था और ट्रेनिंग पर था, उस की ट्रेनिंग के 3 महीने बाद दूसरी जगह पर ट्रेनिंग के लिए उसे शिफ्ट किया गया था.

डीएसपी बन जाने के बाद उस की सब से पहली तैनाती 3 महीनों के लिए बिहार के बक्सर जिला के सिमरी पुलिस थाने में एसएचओ के रूप में हुई थी. जिसे पूरा कर लेने के बाद 4 जुलाई, 2021 को उसे ब्रह्मपुर थाने में इंसपेक्टर के रूप में आगे की ट्रेनिंग को पूरा करने के लिए तैनात किया गया था.

आशुतोष की नियुक्ति बिहार लोक सेवा आयोग 56-59वीं बैच में पुलिस सेवा के लिए हुई थी.

ब्रह्मपुर की इस तैनाती से आशुतोष कुमार मन ही मन बहुत खुश था. क्योंकि सिमरी में एक ही पुलिस थाने में एसएचओ के तौर पर काम कर के वह काफी ऊब चुका था. हालांकि ब्रह्मपुर थाना सिमरी थाने से बहुत ज्यादा दूर नहीं था. 26 किलोमीटर सिर्फ एक घंटे का रस्ता ही था.

लेकिन उस के बावजूद आशुतोष को मिली इस नई जगह से काफी खुशी थी. नए लोगों से मिलना, नए केस सुलझाने का मौका मिलना इत्यादि से वह जोश से भर गया था.

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यह बात जब उस ने अपने दोस्तों, निखिल रंजन और सौरभ कुमार को फोन पर बताई तो उन्होंने आशुतोष से इस खुशी में हार्ड पार्टी (शराब) मांगी. निखिल और सौरभ जो कि आशुतोष के करीबी दोस्तों में से एक थे, उन्हें इस बात की खुशी थी कि अब वे जब चाहे तब आशुतोष से मिल लिया करेंगे.

क्योंकि अब उन के घर से आशुतोष की नई पोस्टिंग ब्रह्मपुर की दूरी पहले से कम हो गई थी. निखिल और सौरभ को पार्टी के लिए आशुतोष पर ज्यादा दबाव नहीं डालना पड़ा. आशुतोष तैयार हो गया.

आशुतोष ने उन से यह भी कहा कि वह ऐसी पार्टी देगा, जिसे जिंदगी भर भुला नहीं पाओगे.

‘‘ठीक है यार तू बस बता देना, हम तैयार हैं.’’ निखिल ने कहा.

‘‘ओके,’’ आशुतोष बोला.

इस के बाद आशुतोष पार्टी के बारे सोचने लगा कि कहां और कैसे करनी है. उस ने यह बात तो पहले ही तय कर ली थी कि वह पार्टी का इंतजाम अच्छे से करेगा. आशुतोष पार्टी में ड्रिंक्स (शराब) की भी व्यवस्था करना चाहता था, लेकिन बिहार में शराबबंदी को देखते हुए उस ने इस की दूसरी जगह ही व्यवस्था कर ली. उसे वही अपना पुराना अड्डा याद आया.

पार्टी का फुल एंजौय करने के लिए उस ने 2 दिन की छुट्टी ले ली. 8 जुलाई की सुबह वह तैयार हो कर, अपने साथ थोड़ाबहुत सामान ले कर वह कार से पटना के महावीर नगर की तरफ निकल गया, क्योंकि उधर उस के दोस्त निखिल और सौरभ रहते थे. वहां से वह उन्हें पिकअप करना चाहता था.

कार ड्राइव करते हुए ही उस ने और सब से पहले दोस्त सौरभ को फोन किया. सौरभ और निखिल का घर एकदूसरे से ज्यादा दूर नहीं था. दोनों का घर पटना के बेउर थाना क्षेत्र में पड़ता था.

गाड़ी चलाते हुए आशुतोष ने सौरभ के फोन उठाते ही बोला, ‘‘अरे सुन यार, मैं तेरे पास आ रहा हूं वहां 2 घंटे में. तुझे जो काम निपटाने हैं, निपटा ले जल्दी से. और तैयार हो जा. 2 दिनों का ट्रिप बनाया है मैं ने.’’

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डीएसपी की 2 दिन की ट्रिप

2 दिनों के ट्रिप का नाम सुनते ही सौरभ आशुतोष से हकपकाते हुए बोला, ‘‘क्या..? 2 दिन का ट्रिप? यार, पहले बताना चाहिए था न तुझे. और एकदम से ऐसे आईडिया कहां से आते हैं तुझे.’’

उस की बात का जवाब देते हुए आशुतोष बोला, ‘‘अरे यार, बना लिया प्लान. अब ज्यादा चिंता करने की जरुरत नहीं है. अपने पुराने अड्डे पर जाएंगे हम. वहीं पर होटल किराए पर ले कर ठहर जाएंगे. अगर मन करेगा तो कार तो है ही, कहीं और कुछ अच्छा एक्सप्लोर करेंगे. तुम लोगों को हार्ड पार्टी चाहिए थी न, चलो करवाता हूं मैं तुम्हें हार्ड पार्टी.’’

आशुतोष की बात सुन कर सौरभ के भी मन में भी खुशी के लडडू फूटने लगे. वह आशुतोष के साथ ट्रिप पर चलने के लिए बहुत एक्साइटेड हो गया और बोला, ‘‘भाई, अगर ऐसा ही है तो ठीक है. लेकिन एक दिक्कत है, घर पर क्या बताऊं कि 2 दिनों के लिए कहां जा रहा हूं? और अगर घर वाले नहीं माने और पापा ने इनकार कर दिया तो फिर क्या करूंगा?’’

आशुतोष ने बड़ी बेफिक्री से सौरभ के सवाल का जवाब देते हुए कहा, ‘‘बोल दे कि आशुतोष के साथ 2 दिनों के लिए जा रहा हूं. अगर कोई कुछ पूछे कि कहां तो कहना कि बिहारशरीफ जा रहे हैं, दोस्त की शादी है. 2 दिन रुकना पड़ेगा और अगर फिर भी न मानें तो उन से मेरी बात करवा देना.’’

सौरभ ने आशुतोष की बात ध्यान से सुनी और बोला, ‘‘चल ठीक है. मैं बोलता हूं पापा को. और जब तू घर के नजदीक पहुंच जाए तो फोन कर के बता दियो एक बार, मैं बाहर निकल आऊंगा घर से.’

यहां सौरभ ने अपने घर वालों को 2 दिनों के लिए घर से बाहर जाने के लिए कहा तो उस के घर वाले आशुतोष के साथ जाने का नाम सुन कर ही बेफिक्र हो गए और उन्होंने सौरभ को जाने की अनुमति दे दी.

सौरभ से बात करने के बाद आशुतोष ने निखिल को फोन लगाया. निखिल के फोन उठाते ही उस ने उसी अंदाज में उस से भी साथ चलने को कहा जिस अंदाज में उस ने सौरभ से कहा था. सौरभ की तरह निखिल भी पहले सकपका गया और बोला, ‘‘यार, तुझे पता ही है कि मेरे पापा कितने शख्त हैं, उन्हें मनाना बहुत मुश्किल है. तू उन से बात कर ले तो कोई बात बनेगी.’’

दरअसल, निखिल के पिता, ऋषिदेव प्रसाद सिंह भी बिहार के गया जिले के चरेखी थाने में सब इंस्पेक्टर के पद पर कार्यरत थे. और वह आशुतोष को भी जानते थे. निखिल के कहने पर आशुतोष तुरंत उस के पिता से बात करने की बात को मान गया और उस ने उस के पिता को फोन देने के लिए कहा.

निखिल ने हिचकिचाहट और डरते हुए फोन ले जा कर अपने पापा के हाथों में सौंपते हुए कहा, ‘‘पापा आशुतोष बात करना चाहता है आप से.’’

ऋषिदेव प्रसाद अपनी भौहें चढ़ाते हुए निखिल के हाथों से फोन लेते हुए बोले, ‘‘हां जी साहब, बताएं क्या बात है?’’

आशुतोष उन के सवाल का जवाब देते हुए बोला, ‘‘नमस्ते अंकल. दरअसल निखिल को साथ में ले जाने की सोच रहा था. बिहारशरीफ में एक दोस्त की शादी है तो 2 दिन रुकना पड़ सकता है उस के घर. अगर निखिल को भेज देंगे तो उसे भी अच्छा लगेगा.’’

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पार्टी के लिए पहुंचे कोडरमा

यह सुन कर निखिल के पिता ऋषिदेव प्रसाद ने आशुतोष को उसे साथ में ले जाने की अनुमति दे दी और कहा, ‘‘बस 2 दिन में वापस आ जाना. इन की मां इन के बगैर बड़ी परेशान रहती हैं. ध्यान रखिएगा.’’

अगले भाग में पढ़ें- कोडरमा बन गया शराबियों का अड्डा

Manohar Kahaniya: जिद की भेंट चढ़ी डॉक्टर मंजू वर्मा- भाग 1

सौजन्य- मनोहर कहानियां

15मई, 2021 की सुबह 4 बजे बिठूर थानाप्रभारी अमित मिश्रा को सूचना मिली कि सिंहपुर स्थित रुद्रा ग्रींस अपार्टमेंट की 8वीं मंजिल से कूद कर किसी महिला ने जान दे दी है. सूचना अपार्टमेंट के सिक्योरिटी गार्ड जगदीश ने दी थी.

रुद्रा ग्रींस अपार्टमेंट में ज्यादातर धनवान लोग ही रहते थे. अत: उन्होंने मामले को गंभीरता से लिया और पुलिस टीम के साथ तत्काल घटनास्थल की ओर रवाना हो लिए.

रुद्रा ग्रींस अपार्टमेंट बिठूर थाने से करीब 4 किलोमीटर दूर कल्याणपुर-बिठूर मार्ग पर स्थित है. वहां पहुंचने में थानाप्रभारी को ज्यादा समय नहीं लगा. उस समय वहां भीड़ जुटी थी. शव के पास एक युवक सुबक रहा था. अमित मिश्रा ने उस से पूछताछ की तो उस ने बताया कि उस का नाम डा. सुशील वर्मा है और मृतका उस की पत्नी डा. मंजू वर्मा है.

वह अपार्टमेंट की 8वीं मंजिल के फ्लैट नंबर 8-ए में रहते हैं. वहीं बालकनी से कूद कर इन्होंने खुदकशी की है. हम ने इन की मौत की सूचना इन के मायके वालों तथा अपने परिजनों को दे दी है.

चूंकि मौत का मामला हाईप्रोफाइल था और जरा सी चूक भारी पड़ सकती थी. अत: प्रभारी निरीक्षक अमित मिश्रा ने इस मामले की सूचना वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को दी. थोड़ी देर बाद ही एसएसपी प्रीतिंदर सिंह, एसपी (वेस्ट) संजीव त्यागी तथा डीएसपी (कल्याणपुर) दिनेश कुमार शुक्ला घटनास्थल पर आ गए. पुलिस अधिकारियों ने मौके पर फोरैंसिक टीम को भी बुला लिया.

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पुलिस अधिकारियों ने घटनास्थल का बारीकी से निरीक्षण किया. मृतका डा. मंजू वर्मा की लाश अपार्टमेंट के नीचे फर्श पर पड़ी थी. उन की उम्र 30 वर्ष के आसपास थी.

ऊंचाई से गिरने के कारण उन के शरीर की हड्डियां चकनाचूर हो गई थीं. पुलिस अधिकारी 8वीं मंजिल के फ्लैट नंबर 8-ए पर पहुंचे जहां की बालकनी से डा. मंजू वर्मा ने छलांग लगाई थी. उन्होंने उस कुरसी का भी निरीक्षण किया, जिस पर चढ़ कर वह कूदी थीं.

पुलिस अधिकारियों ने फ्लैट की सघन तलाशी कराई. लेकिन उन्हें फ्लैट से सुसाइड नोट बरामद नहीं हुआ. अधिकारियों को मामला संदिग्ध लगा.

फोरैंसिक टीम ने की जांच

घटनास्थल पर फोरैंसिक टीम मौजूद थी. टीम प्रभारी प्रवीण कुमार श्रीवास्तव ने बड़ी बारीकी से जांच शुरू की. उन्होंने ग्राउंड फ्लोर से ले कर 8वीं मंजिल पर स्थित फ्लैट की जांच की.

जांच में उन्होंने पाया कि जहां से डा. मंजू वर्मा कूदी, वहां की बालकनी की बाउंड्री 3 फीट ऊंची है. बाउंड्री के पास कुरसी मिली, जोकि 40 सेंटीमीटर ऊंची थी. कुरसी पर चढ़ कर ही डा. मंजू वर्मा ने छलांग लगाई. टीम ने कई जगह से फिंगरप्रिंट भी लिए. फोरैंसिक टीम की रिपोर्ट के अनुसार डा. मंजू वर्मा ने खुदकुशी की थी.

पुलिस अधिकारी अभी छानबीन कर ही रहे थे कि मृतका के पिता अर्जुन प्रसाद आ गए. उन के साथ पत्नी मीरा, बेटा विष्णुकांत, बेटी गरिमा व सरिता भी थी. बेटी का शव देख कर अर्जुन प्रसाद व मीरा फफक पड़ी. गरिमा, सरिता व विष्णुकांत भी बहन का शव देख कर रो पड़े. एसपी संजीव त्यागी ने उन्हें धैर्य बंधाया.

घटनास्थल का निरीक्षण व मृतका के परिजनों के आ जाने के बाद पुलिस अधिकारियों ने शव को पोस्टमार्टम हेतु लाला लाजपतराय अस्पताल भिजवा दिया. आक्रोश को देखते हुए पोस्टमार्टम हाउस पर सुरक्षा भी बढ़ा दी.

एसपी (वेस्ट) संजीव त्यागी ने मृतका डा. मंजू वर्मा के पिता अर्जुन प्रसाद से घटना के संबंध में पूछताछ की तो वह रो पड़े. कुछ देर बाद आंसुओं का सैलाब थमा तो उन्होंने बताया कि दामाद सुशील वर्मा व उस का परिवार उन की बेटी को दहेज के लिए प्रताडि़त करता था.

डा. सुशील वर्मा रुद्रा ग्रींस अपार्टमेंट के जिस फ्लैट में रह रहा था. उसे उस ने 80 लाख रुपए में खरीदा था. इस पर 40 लाख रुपए का लोन था, जो उस ने उन की बेटी मंजू वर्मा के नाम पर लिया था.

इस लोन की अदायगी हेतु डा. सुशील वर्मा, डा. मंजू वर्मा पर दबाव डाल रहा था. लेकिन बेटी कहती थी कि वह अभी प्रैक्टिस भी नहीं कर रही है. इतना बड़ा लोन वह कहां से चुकाए.

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तब वह बेटी पर मायके से रकम लाने को कहता था. मना करने पर उस के साथ मारपीट करता था.

अर्जुन प्रसाद ने आगे बताया, ‘‘13 मई को मोबाइल फोन पर मेरी बात मंजू से हुई थी. तब उस ने बताया था कि डा. सुशील से लोन को ले कर उस की बहस हुई थी. बहस के दौरान उन्होंने उस से मारपीट की थी. तब से वह परेशान है. बेटी की व्यथा सुन कर मैं ने उसे समझाया था और दामादजी से बात कर कोई हल निकालने का आश्वासन दिया था.

‘‘इस के बाद 14 मई की शाम मैं ने बेटी से बात करने का प्रयास किया, लेकिन उस का फोन बंद था. रात 2 बजे उन के फोन पर काल आई. काल दामाद के छोटे भाई सुधीर की थी. उस ने बताया कि मंजू भाभी ने बालकनी से छलांग लगा कर जान दे दी है.

‘‘यह बात सुनते ही हमारे तो जैसे होश ही उड़ गए थे. फिर हम सभी प्रयागराज से अपने निजी वाहन से रुद्रा ग्रींस अपार्टमेंट पहुंचे. सर, मेरी बेटी मंजू ने आत्महत्या नहीं की है बल्कि दामाद सुशील वर्मा ने उसे बालकनी से धक्का दे कर मार डाला. दामाद को उकसाने में उन के बड़े भाई सुनील वर्मा का भी हाथ है, जो कानपुर (देहात) जिले में बेसिक शिक्षा अधिकारी है. आप मेरी रिपोर्ट दर्ज कर दहेज लोभियों को जल्द से जल्द गिरफ्तार करें.’’

एसपी(वेस्ट) संजीव त्यागी ने अर्जुन प्रसाद की बात गौर से सुनी और थानाप्रभारी को रिपोर्ट लिखने का आदेश दिया. थानाप्रभारी अमित मिश्रा ने एसपी साहब के आदेश पर अर्जुन प्रसाद की तहरीर पर दहेज हत्या की धारा 304बी के तहत डा. सुशील कुमार वर्मा तथा उन के बड़े भाई सुनील वर्मा के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर ली.

अगले भाग में पढ़ें- डाक्टर से ही की बेटी की शादी

Crime- डर्टी फिल्मों का ‘राज’: राज कुंद्रा पोनोग्राफी केस- भाग 4

मूलरूप से कर्नाटक की रहने वाली शिल्पा शेट्टी के पिता सुरेंद्र शेट्टी मुंबई में दवा निर्माण का कारोबार करते थे इसलिए शिल्पा बचपन से ही मुंबई मे पलीबढ़ी और बाद में मौडलिंग करतेकरते फिल्मों का सफर शुरू हो गया. पहली फिल्म बाजीगार ने ही उन्हें शोहरत की बुलदियों पर पहुंचा दिया. इस के बाद उन्होंने कई चर्चित और सफल फिल्मों में काम किया.

शिल्पा से शादी के बाद राज कुंदा ने शिल्पा के लिए जुहू सी बीच पर एक आलीशान बंगला खरीदा और उस का नाम ‘किनारा’ रखा. करीब 70 करोड़ की कीमत का ये बंगला भव्यता और लोकेशन के लिहाज से बौलीवुड के सुपर स्टार अमिताभ बच्चन और शाहरुख खान के बंगले के बाद तीसरे नंबर पर गिना जाता है.

शिल्पा की मां सुनंदा शेट्टी 2016 में अपने पति सुरेंद्र शेट्टी की मौत के बाद अब शिल्पा के पास ही रहती हैं. शिल्पा की एक छोटी बहन शमिता शेट्टी भी हिन्दी फिल्मों की जानीमानी अभिनेत्री हैं.

शिल्पा से शादी के बाद राज कुंद्रा की किस्मत का सितारा कुछ ऐसे चमका कि उस के बाद उस ने कई बडे़ बिजनैस शुरू किए. उस के ऊपर दौलत तो बरसने ही लगी, साथ ही एक जानीमानी अभिनेत्री का पति होने के कारण शोहरत भी उस के कदम चूमने लगी.

कभी 2 हजार यूरो से पश्मीना शाल का बिजनैस शुरू करने वाला राज कुंद्रा अब करीब 2700 करोड़ की संपत्तियों का मालिक और दरजन भर कंपनियों का स्वामी था.

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दिल्ली, लंदन और दुबई में उस के आलीशान घर हैं. राज कुंद्रा इन दिनों एक ऐसा बिजनेसमैन था, जिस की खबरें फाइनेंस सेक्शन से ज्यादा अखबार के एंटरटेनमेंट और पेज थ्री सेक्शन में छपती थीं. लेकिन अब कुंद्रा की डर्टी पिक्चर सामने आने के बाद अचानक वह नायक से खलनायक बन गया है.

मुंबई पुलिस में अलगअलग जगह अब तक राज कुंद्रा के खिलाफ अश्लील फिल्म बनाने के आरोप में करीब 5 मामले दर्ज हो चुके हैं.

मौडल पूनम पांडे ने भी 2020 में राज और उस के सहयोगी सौरभ कुशवाह के खिलाफ बौंबे हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर आरोप लगाया था कि राज कुंद्रा की कंपनी गैरकानूनी रूप से उन के वीडियो और तसवीरों का इस्तेमाल कर रही है.

पूनम का कहना था कि उन्होंने राज की कंपनी के साथ कौंट्रैक्ट किया था. राज की कंपनी उन के ऐप को मैनेज करती थी. लेकिन पेमेंट इश्यू के कारण कौंट्रैक्ट कैंसिल कर दिया गया था. हालांकि इन आरोपों को राज और उन के सहयोगी सौरभ ने सिरे से फरजी बताया था.

इसी साल अप्रैल 2021 में कुंद्रा के खिलाफ मौडल व एक्ट्रेस शर्लिन चोपड़ा ने भी एफआईआर करवाई थी. शर्लिन राज कुंद्रा के प्रोजेक्ट्स के लिए काम करती थी. उन्हें हर प्रोजेक्ट के लिए 30 लाख रुपयों का पेमेंट दिया जाता था. उन्होंने राज के साथ ऐसे 15-20 प्रोजेक्ट्स में काम भी किया था.

शर्लिन की शिकायत के मुताबिक साल 2019 की शुरुआत में राज कुंद्रा ने उन के बिजनैस मैनेजर को काल किया और किसी प्रपोजल को डिस्कस करने की बात कही थी.

बिजनैस मीटिंग के बाद 27 मार्च, 2019 को शर्लिन की राज से किसी बात को ले कर बहस हुई और वह बिन बुलाए उस के घर आ गया. और शिल्पा से अपने संबंध ठीक नहीं होने की बात कह कर उस से जबरन संबध बनाने की कोशिश करने लगा. उस ने किसी तरह खुद को राज के चंगुल से छुड़ाया.

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फरवरी 21 में सागरिका शोना सुमन नाम की एक एक्ट्रेस ने मीडिया में आ कर यह क्लेम किया था कि राज कुंद्रा ने उन से नग्न हो कर औडिशन देने के लिए कहा था.

राज कुंद्रा की गिरफ्तारी के बाद अब हर रोज उस के खिलाफ नए तरह के आरोप सामने आ रहे हैं. साथ ही सवाल यह भी उठ रहे हैं कि क्या उस की पत्नी शिल्पा भी इस गंदे धंधे में उस की भागीदार थी?

बौलीवुड की लड़कियां ऐसे फंसती हैं पोर्न फिल्मों के जाल में हमारे देशभर में ऐसे लाखों नौजवान युवक और युवतियां हैं, जो फिल्म इंडस्ट्री में आ कर काम करना चाहते हैं. ऐसे युवकयुवतियां पूरे भारत से फिल्म इंडस्ट्री में काम करने की चाह ले कर रोज मायानगरी मुंबई आते हैं. लेकिन सभी को यहां काम नहीं मिलता और न ही फिल्मों में ब्रेक.

ऐसे में इन लोगों का इस्तेमाल मुंबई के ऐसे गिरोह करते हैं, जो फिल्मों और टीवी पर ब्रेक दिलाने के नाम पर लड़कियों को पोर्नोग्राफी की तरफ धकेल देते हैं. उन के अश्लील वीडियो बनाते हैं.

मुंबई के उपनगरों और कई इलाकों में शूटिंग के लिए बंगले किराए पर लिए जाते हैं, जहां अश्लील वीडियो फिल्में शूट की जाती हैं. बाद में उन पोर्न फिल्मों को मोबाइल ऐप और कई पोर्न साइटों पर अपलोड किया जाता है. इस काम से ये गिरोह लाखों रुपए कमाते हैं.

इस धंधे में शामिल पोर्न प्रोडक्शन हाउस और कंपनियां भी लाखों की कमाई करती हैं. उन्हें पोर्न वेबसाइट और मोबाइल ऐप के जरिए अच्छाखासा पैसा मिलता है.

पोर्न रैकेट से जुड़े दलाल पहले किसी प्रोडक्शन हाउस के तहत शौर्ट फिल्म, वेब सीरीज या टीवी सीरियल में काम दिलाने के नाम पर जरूरतमंद लड़कियों को जाल में फंसाते हैं. फिर उन से वादा करते हैं कि अगर वह कामयाब हुए तो उन्हें सीधे बड़े बजट की फिल्मों में ब्रेक मिलेगा. लेकिन उन के साथ होता कुछ और ही है.

राज कुंद्रा का विवादों से नाता

कहते हैं मुसीबत आती है तो बहुत सी परेशानियां अपने साथ लाती है. राज

कुंद्रा के साथ भी ऐसा ही हो रहा है. पोर्नोग्राफी केस में फंसे बिजनेसमैन राज कुंद्रा की मुसीबतें भी दिनबदिन बढ़ती जा रही हैं.

उस की पत्नी और बौलीवुड एक्ट्रेस शिल्पा शेट्टी पर भी इस की आंच आ रही है. अब शेयर मार्केट रेग्युलेटर सेबी यानि भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड ने शिल्पा शेट्टी और राज कुंद्रा पर जुरमाना लगाया है.

मामला है सेबी के इनसाइडर ट्रेडिंग नियमों के उल्लंघन का. बता दें कि जब किसी कंपनी के मैनेजमेंट से जुड़ा कोई आदमी उस की अंदरूनी जानकारी होने के आधार पर उस के शेयर खरीद कर या बेच कर गलत ढंग से मुनाफा कमाता है, तो उसे इनसाइडर ट्रेडिंग कहा जाता है.

निवेशकों के हितों की रक्षा के लिए सेबी ने इनसाइडर ट्रेडिंग पर रोक लगाई हुई है. सेबी ने 28 जुलाई, 2021 को शिल्पा शेट्टी और उन के पति के स्वामित्व वाली कंपनी वियान इंडस्ट्रीज लिमिटेड के खिलाफ इनसाइडर ट्रेडिंग के नियमों का उल्लंघन करने के लिए 3 लाख रुपए का जुरमाना लगाया है.

शिल्पा और राज कुंद्रा वियान इंडस्ट्रीज के प्रमोटर हैं. यह आदेश सितंबर 2013 से दिसंबर 2015 के बीच इनसाइडर ट्रेडिंग निषेध (पीआईटी) नियमों के उल्लंघन की जानकारी मिलने के बाद जारी किया गया है.

अक्तूबर 2015 में वियान इंडस्ट्रीज ने 4 व्यक्तियों को 5 लाख इक्विटी शेयर दिए थे. इस में राज कुंद्रा और शिल्पा को 2.57 करोड़ रुपए की राशि के 1,28,800 लाख शेयर अलगअलग मिले.

नियमों के अनुसार 10 लाख रुपए से अधिक का लेनदेन होने पर दोनों को इस बात का खुलासा उस समय करना था, जो उन्होंने नहीं किया.

वैसे राज कुंद्रा हो या शिल्पा शेट्टी पोर्नोग्राफी रैकेट के अलावा पहले भी दोनों सुखिर्यो में रह चुके हैं.

अक्तूबर 2019 में वे उस समय भी सुर्खियों में आए थे, जब ईडी ने राज कुंद्रा से रंजीत बिंद्रा नाम के व्यक्ति से व्यापारिक संबंधों के चलते पूछताछ की थी. जिसे मुंबई पुलिस ने डौन दाउद इब्राहिम के गुर्गे इकबाल मिर्ची के लिए काम करने के आरोप में गिरफ्तार किया था.

राज कुंद्रा और शिल्पा शेट्टी की आईपीएल क्रिकेट की एक टीम है, जिस का नाम है राजस्थान रौयल्स. इस टीम के खिलाड़ी एस. श्रीसंत, अजीत चंडीला और अंकित चव्हाण को मैच फिक्स करने के आरोप में दिल्ली पुलिस ने 2013 में गिरफ्तार किया था.

इस मामले में राज कुंद्रा और आईसीसी चीफ श्रीनिवासन के दामाद गुरुनाथ मयप्पन पर भी स्पौट फिक्सिंग और सट्टा लगाने के आरोप लगे थे.

पुलिस पूछताछ में कुंद्रा ने बुकी के द्वारा सट्टा लगाने की बात कुबूली भी थी, जिस के बाद कुंद्रा और मयप्पन को सस्पेंड कर उन की टीम पर बैन लगा दिया गया था. साथ ही उन्हें क्रिकेट से जुडे़ किसी भी इवेंट में शिरकत करने की भी मनाही कर दी गई थी. हालांकि बाद में सबूतों के अभाव में कुंद्रा को क्लीन चिट मिल गई थी.

2018 में हौट मौडल पूनम पांडे ने भी राज पर धोखाधड़ी का आरोप लगाते हुए बताया था कि उस ने 200 करोड़ का बिटकौइन घोटाला किया है. इस मामले में पुणे पुलिस ने उसे कस्टडी में ले लिया था. मल्टी लेवल मार्केटिंग स्कीम के प्रमोशन के दौरान भी इन पर घोटाले का आरोप लगा था, जिस की वजह से कुंद्रा के कारण कई लोगों को काफी नुकसान पहुंचा था.

राज कुंद्रा की इतने बड़े मामले में गिरफ्तारी के बाद अब उस के काले अतीत के यह पन्ने खुल कर सामने आ रहे हैं.

Satyakatha: लॉकडाउन में इश्क का उफान- भाग 2

सौजन्य- सत्यकथा

लेखक- शाहनवाज

7 जुलाई, 2021 की रात को दीपक ने पूजा को फोन कर के मिलने की जिद कर डाली. उस का मन प्रेमिका से मिलने के लिए बेचैन हो रहा था.

‘‘पूजा मेरी जान, नींद नहीं आ रही है. बताओ मैं क्या करूं?’’ दीपक ने अपनी बेचैनी का इजहार किया.

‘‘क्या करूं, मैं भी मिलना चाहती हूं, लेकिन ये मोहल्ले वाले हमारी मोहब्बत के दुश्मन बने बैठे हैं.’’ पूजा मायूसी से बोली.

‘‘क्या आज रात को मुलाकात हो सकती है? अभी तो मोहल्ले वाले सो रहे होंगे.’’ दीपक ने कहा.

‘‘कोशिश करती हूं, अभी रात के 10 बजे हैं. ’’ पूजा बोली.

‘‘अभी आ जाऊं?’’ दीपक ने कहा.

‘‘अभी नहीं, डेढ़ बजे आना. तब तक गली में सन्नाटा हो जाता है. पापा भी सोए होंगे.’’ इतना कह कर पूजा ने काल डिस्कनेक्ट कर दी.

यह सुन दीपक खुश हो गया. पूजा द्वारा डेढ़ बजे बुलाने से उस के मन में खुशियों की लहर दौड़ पड़ी. वह तुरंत कमरे से बाहर निकला. सीधा मैडिकल स्टोर गया. कंडोम का पैकेट खरीदा. किराने की दुकान से गली के कुत्तों को चुप कराने के लिए बिसकुट का एक पैकेट भी खरीद लिया.

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फिर कमरे पर वापस आ कर रात के डेढ़ बजने का इंतजार करने लगा. क्योंकि यह रात उस के जीवन की सब से अनोखी रातों में से एक होने वाली थी. जिसे बारबार सोच कर ही वह पागल हुए जा रहा था.

दीपक और पूजा के घर में करीब 5 मिनट के पैदल की दूरी थी. दीपक के मन में वासना की इतनी बेताबी थी कि उसे डेढ़ बजे तक का इंतजार बड़ा लंबा लग रहा था. इसलिए वह रात को एक बजे ही अपने घर से पूजा से मिलने निकल पड़ा.

गली में सन्नाटा था, फिर भी इक्कादुक्का आतेजाते लोगों से नजरें बचाता हुआ पूजा के घर के बाहर जा पहुंचा. आसपास टहलते कुत्तों के सामने साथ लाए बिसकुट फेंक दिए. उस के घर के नीचे बैठ कर डेढ़ बजने का इंतजार करने लगा.

रात के डेढ़ बजते ही पूजा हल्के कदमों से दरवाजे की कुंडी खोल नीचे उतरी. दरवाजा आधा खोल दीपक का कालर पकड़ा और अपने मुंह पर उंगली रख कर उसे शांत रहने का इशारा किया. पूजा के इशारे पर दीपक आहिस्ता से उस के पीछेपीछे हो लिया.

दोनों सीढि़यों से ऊपर चढ गए. सीढि़यां खत्म होते ही सामने बाथरूम था. पूजा ने बिना किसी आवाज के दीपक को अंधेरे में ही बाथरूम में जाने का इशारा किया और वह खुद अपने कमरे के दरवाजे पर लगा परदा हटा कर देखने लगी. जब वह आश्वस्त हो गई कि घर में कोई जागा तो नहीं है, तब वह भी उसी बाथरूम में घुस गई, जहां दीपक पहले से था. दोनों ने बंद दरवाजे के पीछे बिना किसी शोर के अपनी सारी दबी इच्छाएं शांत कीं. इतने महीनों से दोनों के मन में जो हसरतें दबी हुई थीं, चुपचाप वह पूरी कर लीं. पूजा को इस बात का अंदेशा नहीं था कि उस के पिता की नींद टूट चुकी है.

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पिता सत्यवीर ने आधी नींद में ही उठ बाथरूम जाने के लिए कदम बढ़ाए. इस की पूजा को भनक तक नहीं लगी और न ही दीपक को एहसास हुआ.

सत्यवीर ने बाथरूम का दरवाजा बाहर की ओर खोलने की कोशिश की. बंद पा कर कुछ समय रुक कर सोचने लगा कि शायद बाथरूम में पूजा हो. उस ने दरवाजे पर 2 थपकी देते हुए धीमी आवाज में कहा, ‘‘पूजा, जल्दी निकल.’’

यह सुनते ही अर्धनग्नावस्था में पूजा और दीपक सिहर उठे. पूजा डर गई. वह कांपने लगी. हड़बड़ाहट में जैसेतैसे कुछ अपने कपड़े पहने और कुछ हाथों में उठा लिए. उस में कुछ कपड़े दीपक के भी आ गए थे.

उसे कुछ नहीं सूझा और बाथरूम का दरवाजा खोल कर बाहर निकल दौड़ती हुई अपने कमरे की ओर भाग चली. इसी बीच दीपक का बनियान और अंडरवीयर दरवाजे पर गिर गया.

बाथरूम में अब केवल दीपक अकेला रह गया था. सत्यवीर अपनी बेटी को इस तरह से भाग कर कमरे की ओर जाते देख चौंक गया. उस के पैर पर कपड़ा गिरने का एहसास हुआ. उस ने बाथरूम की लाइट जलाई. लाइट जलते ही नीचे गिरा जेंटस का कपड़ा देख कर वह भुनभुनाने लगा.

तभी बाथरूम में दीपक नजर आया. वह नीचे झुक कर कुछ ढूंढ रहा था. केवल शर्ट पहने था. पैंट हाथ में पकड़े हुए था. यह देख सत्यवीर सन्न रह गया. उस की आंखों में बचीकुची नींद पूरी तरह उड़न छू हो गई.

सत्यवीर ने देरी किए बगैर दीपक का हाथ पकड़ कर बाथरूम से बाहर खींचा. उस के कपड़े को दिखाते हुए बोला, ‘‘ यही ढूंढ रहा है, बदतमीज!’’

दीपक को बाहर निकालते ही उस के गालों पर जोरदार 2 थप्पड़ जड़ दिए. थप्पड़ खा कर दीपक तिलमिला गया. स्तब्ध हो जड़वत दीपक पर सत्यवीर ने दनादन 2-4 थप्पड़ और जड़ दिए. दीपक को जरा भी आभास नहीं था कि वह इस बार पकड़ा जाएगा.

दरअसल वह पूजा के इश्क में इस कदर डूबा हुआ था और वासना की आग में जल रहा था कि इस बारे में कोई विचार ही नहीं आया था. जिस का उसे गहरा सदमा लगा था. दीपक की आंखों से आंसू निकल आए.

वह सत्यवीर के पैरों पर गिर कर माफी मांगने लगा, लेकिन तब तक सत्यवीर का गुस्सा सातवें आसमान पर जा पहुंचा था.

उस ने दीपक को बगल के खाली कमरे में ले जाकर बंद कर दिया. पूजा का कमरा बाहर से बंद किया और अपने कमरे से बेल्ट ले कर आया. कमरे का दरवाजा बंद कर बेल्ट से दीपक की जम कर पिटाई करनी शुरू कर दी. उसी दौरान उस ने उस के ऊपर कैंची से भी वार किए.

दीपक छोड़ देने की भीख मांगता रहा, लेकिन सत्यवीर रुकने का नाम ही नहीं ले रहा था. बेल्ट से हमला करने की वजह से दीपक के कई नाजुक हिस्सों पर चोट लगी जिस से वह अधमरा हो गया. सत्यवीर गुस्से में अपना आपा पूरी तरह से खो चुका था. उस ने पहले से जख्मी दीपक के हाथ पैर रस्सी से कस कर बांध दिए.

8 जुलाई, 2021 की सुबह करीब साढ़े 6 बजे उत्तरपूर्वी दिल्ली के करावल नगर क्षेत्र में लोग अधखुली आंखों से बिस्तर छोड़ अपनेअपने काम की तैयारी में जुट गए थे. कई लोग अपनी दुकानें खोलने में लग गए थे, तो कुछ लोग अपने कामधंधे के लिए निकल पड़े थे.

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इसी बीच करावल नगर के भगत विहार में स्थित वर्ल्ड जिम के पास एक लाश पड़ी होने की खबर फैल गई. अधनंगी औंधे मुंह लाश जिम के बाहर पड़ी थी. शरीर पर काफी निशान थे.

पास खड़े लोग निशानों को देख हैरान थे. उन से खून भी रिस रहा था. कहीं खून सूख भी चुका था, लेकिन उस के पहने कपड़े खून से सने हुए और गीले थे.

उस के शरीर को देख कर कोई भी यह अंदाजा लगा सकता था की उस की मौत ज्यादा खून बह जाने की वजह से हुई होगी. निश्चित तौर पर किसी ने पीटपीट कर उस की हत्या की. जरूर वह किसी बदले का शिकार हुआ.

देखते ही देखते जिम के बाहर लाश देखने वालों की भीड़ बढ़ने लगी. लोग आपस में खुसरफुसर करने लगे. इसी बीच किसी ने दिल्ली पुलिस के 100 नंबर पर फोन कर इस की सूचना दे दी.

सूचना पा कर पुलिस कंट्रौल रूम की टीम वहां पहुंच गई. कुछ देर बाद स्थानीय करावल नगर थाने से थानाप्रभारी रामअवतार अपने साथ इंसपेक्टर राजेंद्र कुमार और एसआई मनदीप पुखाना को साथ ले कर मौके पर पहुंच गए. दोनों अधिकारियों ने सब से पहले लाश की शिनाख्त करने के लिए वहां मौजूद लोगों से उस के बारे में पूछताछ की. कुछ ही देर में डीसीपी भी घटनास्थल पर पहुंच गए.

लाश 19-20 साल के युवक की लग रही थी. घटनास्थल पर मौजूद भीड़ में से एक व्यक्ति ने बताया कि लाश करावल नगर के दयालपुर स्थित रामा गार्डन में रहने वाले दीपक की है. वह अपने चाचा रमेश के साथ रहता था.

मृतक की जेब से कंडोम का पैकेट भी मिला, उस के चेहरे पर भी काफी जख्म के निशान थे. कंडोम का पैकेट बरामद होने से पुलिस उस की मौत का कारण समझ गई. पुलिस ने घटनास्थल की काररवाई पूरी करने के बाद लाश पोस्टमार्टम के लिए पास के शाहदरा में स्थित जगप्रवेश चंद्र अस्पताल भेज दी.

शुरुआती जांच से पुलिस को मृत व्यक्ति की पहचान की तो जानकारी मिल गई कि मृतक का नाम दीपक है. इस हत्या की वजह तलाशनी बाकी थी.

इंसपेक्टर राजेंद्र कुमार ने मौके पर मौजूद कुछ और लोगों से बात कर मृतक दीपक के बारे में शुरुआती जानकारी जुटा ली थी. डीसीपी संजय सैन के निर्देश पर राजेंद्र कुमार रमेश के घर पहुंचे तब मालूम हुआ कि रमेश पहले से ही दीपक की तलाश कर रहा है. वह काफी परेशान दिखा. इंसपेक्टर राजेंद्र कुमार को रमेश ने बताया कि दीपक बीती रात से ही घर से गायब था. पुलिस ने रमेश से उस की किसी के साथ दुश्मनी की बात, किसी से पैसे के लेनदेन या किसी झगड़े में शामिल होने के बारे में पूछा.

इस पर रमेश ने साफ तौर पर मना कर दिया. हालांकि पुलिस ने महसूस किया कि रमेश कुछ बातें छिपा रहा है. जब उस से सख्ती से पूछा, तब रमेश ने कुछ और जानकारी दी.

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Best of Satyakatha: डोली के बजाय उठी अर्थी

शिवानी वर्मा आगरा के सब से पुराने और मशहूर आगरा कालेज से बीएससी कर रही थी. पिता रविंद्र वर्मा फार्मासिस्ट थे और मां ऊषा घर संभालती थीं. उस के 2 भाई थे सचिन और शिवम. रविंद्र वर्मा का थाना सदर की ओम एन्क्लेव कालोनी में काफी अच्छा मकान था.

कुल मिला कर उन का छोटा और खुशहाल परिवार था. रविंद्र वर्मा शिवानी को उच्च शिक्षा दिलाना चाहते थे, ताकि उसे अच्छी नौकरी मिल सके. शिवानी भी मन लगा कर पढ़ रही थी. अचानक उस के साथ कुछ ऐसा घटा कि रविंद्र के सारे सपने धरे के धरे रह गए.

आगरा कालेज से ही शाहगंज के शंकरगढ़ का रहने वाला गौरव बीए कर रहा था. कालेज में कभी मुलाकात होने से शिवानी की गौरव से दोस्ती हो गई. कालेज में दोनों की अकसर मुलाकात हो जाती थीं.

गौरव गरीब घर का जरूर था, लेकिन पढ़ने में ठीकठाक था. उस के पिता रामस्नेही घर के बाहर फल का ठेला लगाते थे. उस के घर एक भैंस भी थी, जिस की देखभाल उस की मां करती थीं. भैंस के दूध से भी कुछ कमाई हो जाती थी. गौरव का एक भाई और 2 बहनें थीं.

शिवानी और गौरव जब भी मिलते, देर तक बातचीत करते थे. गौरव अपना कैरियर बनाने के लिए संघर्ष कर रहा था. लेकिन लगातार मिलने से उन के बीच प्यार की कोपलें फूटने लगीं. उन्हें महसूस होने लगा कि वे एकदूसरे को चाहने लगे हैं, वे एकदूसरे के लिए ही बने हैं.

लेकिन गौरव के दिल में एक बात खटकती थी कि वह दूसरी जाति का है. जब शिवानी को उस की हकीकत पता चलेगी तो कहीं वह मुंह न मोड़ ले. इस की एक वजह यह थी कि उस की जाति शिवानी की जाति से निम्न थी.

आगे कुछ गड़बड़ न हो, यह जानने के लिए एक दिन गौरव ने शिवानी से कहा, ‘‘शिवानी, हम दोनों एकदूसरे को कितना प्यार करते हैं, यह सिर्फ हम ही जानते हैं. पर आज मैं तुम्हें अपनी हकीकत बताना चाहता हूं. शिवानी मेरी जाति तुम से अलग है. कहीं तुम मुझे छोड़ तो नहीं दोगी?’’

गौरव की बात सुन कर शिवानी ने हंसते हुए कहा, ‘‘गौरव, तुम्हें पता होना चाहिए कि मैं ने तुम से प्यार किया है न कि तुम्हारी जाति से. तुम किस जाति के हो, किस धर्म के हो, मुझे कोई मतलब नहीं है. मैं सिर्फ तुम से प्यार करती हूं.’’

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शिवानी की बात सुन कर गौरव ने उसे सीने से लगा कर कहा, ‘‘शिवानी अब हमारे प्यार में कितनी भी बाधाएं आएं, मैं तुम्हारा साथ कभी नहीं छोड़ूंगा. मैं मरते दम तक तुम्हारा साथ दूंगा.’’

जवाब में शिवानी ने भी कहा, ‘‘हमारे प्यार की राह में समाज, परिवार या कोई भी आए, मैं इस प्यार की खातिर सब को छोड़ दूंगी, पर तुम्हें नहीं छोड़ूंगी.’’

शिवानी के इरादे भले ही मजबूत थे, पर गौरव निश्चिंत नहीं था. कालेज के साथियों को गौरव के प्यार की खबर लगी तो किसी ने यह खबर शिवानी के पिता को दे दी. रविंद्र वर्मा को बेटी के प्यार का पता चला तो वह परेशान हो उठे. उस दिन शिवानी कालेज से लौटी तो उन्होंने पूछा, ‘‘शिवानी, आजकल तुम्हारा मन पढ़ाई में नहीं, कहीं और ही भटक रहा है?’’

‘‘क्या मतलब पापा?’’ शिवानी ने बेचैनी से पूछा.

‘‘मतलब कि तुम्हारा मन पढ़ाई में नहीं लग रहा है. बेटा, मैं ने तो सोचा था कि तुम मन लगा कर पढ़ाई करोगी, जिस से कोई ढंग की नौकरी मिल जाएगी, उस के बाद हम तुम्हारी शादी कर देंगे.’’

‘‘पापा, पहले पढ़ाई तो पूरी हो जाए, शादी की बात बाद में सोचेंगे.’’ शिवानी ने कहा.

अचानक रविंद्र ने गुस्से में पत्नी से कहा, ‘‘ऊषा, इस लड़की को संभालो. आजकल इस की दोस्ती कालेज के लड़कों से कुछ ज्यादा ही हो गई है. कहीं ऐसा न हो हम धोखा खा जाएं.’’

शिवानी समझ गई कि पापा को गौरव के बारे में पता चल गया है, इसलिए बिना कुछ कहे वह अपने कमरे में चली गई. इस के बाद ऊषा और रविंद्र काफी देर तक बातें करते रहे. ऊषा ने पति को आश्वासन दिया कि वह शिवानी को समझाएंगी कि फालतू के चक्करों में न पड़ कर वह अपनी पढ़ाई पर ध्यान दे.

शिवानी कमरे से ही मम्मीपापा की बातें सुन रही थी. उन की बातों से वह समझ गई कि अब मम्मीपापा उस पर बंदिशें लगाएंगे. उस ने गौरव को फोन कर के कह दिया कि अब वह थोड़ा सतर्क रहे, क्योंकि घर वालों को उन के संबंधों की जानकारी हो गई है.

अगले दिन शिवानी कालेज जाने के लिए तैयार हो रही थी तो ऊषा ने कहा, ‘‘अब तुम्हें कालेज जाने की क्या जरूरत है, जब तुम्हारा पढ़ाई में मन ही नहीं लग रहा तो घर बैठो.’’

‘‘मम्मी, आप लोग गलत सोच रहे हैं. ऐसा कुछ भी नहीं है. मैं अपनी पढ़ाई को ले कर पूरी तरह गंभीर हूं.’’ शिवानी ने कहा.

‘‘बेटा, मैं जो कह रही हूं, तुम्हारे भले के लिए कह रही हूं. समझो या न समझो, तुम्हारी मरजी.’’ ऊषा ने कहा.

‘‘ठीक है मम्मी, अब मैं कालेज जाऊं?’’ कह कर शिवानी कालेज चली गई.

कालेज पहुंच कर शिवानी ने गौरव को सारी बात बता कर कहा, ‘‘गौरव, मम्मीपापा के तेवरों से लगता है कि वे बहुत जल्दी मेरी शादी कहीं कर देंगे. मेरी शादी कहीं और हो, उस के पहले ही हमें कुछ करना होगा.’’

‘‘लेकिन शिवानी अभी तो हमारी पढ़ाई भी पूरी नहीं हुई है.’’ गौरव ने चिंता जताई तो शिवानी ने कहा, ‘‘इतना भी परेशान होने की जरूरत नहीं है. दुनिया की कोई भी ताकत हमें एकदूसरे से अलग नहीं कर सकती.’’

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इस के बाद रविंद्र को लगातार लोग बताने लगे कि उन्होंने उन की बेटी को एक लड़के के साथ घूमतेफिरते और हंसहंस कर बातें करते देखा है. लगातार शिकायतें मिलने की वजह से एक दिन रविंद्र ने शिवानी से साफ कह दिया कि अगर वह नहीं मानी तो उस की पढ़ाई बंद करा दी जाएगी. शिवानी को लगा कि घर वाले उस के प्यार में रोड़ा डाल रहे हैं तो उस ने गौरव से बात कर के भाग जाने का फैसला कर लिया.

इस के बाद योजना बना कर एक दिन शिवानी गौरव के साथ भाग गई. आगरा के कैंट स्टेशन के पास दोनों को किसी ने देख लिया तो उस ने यह बात रविंद्र को बता दी. खबर मिलते ही रविंद्र कैंट स्टेशन पहुंचे और वहां दोनों को पकड़ लिया. गौरव को उन्होंने डांटफटकार कर भगा दिया और शिवानी को घर ले आए. इस के बाद उन्होंने शिवानी को घर में ही कैद कर दिया.

रविंद्र ने उस व्यक्ति का आभार व्यक्त किया, जिस की सूचना पर उन की इज्जत बच गई थी, वरना अच्छीखासी बदनामी हो जाती. इस के बाद रविंद्र ने शिवानी के लिए लड़का ढूंढना शुरू कर दिया.

जबकि शिवानी पिंजरे में कैद चिडि़या की तरह उड़ने के लिए व्याकुल थी. वह चोरीछिपे गौरव से फोन पर बातें कर लेती थी. शिवानी उस कैद से मुक्त होना चाहती थी. वह घर से भाग निकलने का मौका तलाश रही थी.

रविंद्र वर्मा बेटी के लिए बेहद चिंतित थे, क्योंकि एक दिन शिवानी ने मां से साफ कह दिया था कि वह बालिग है और अपना अच्छाबुरा सोच सकती है. इसलिए वह अपनी पसंद के लड़के से ही शादी करेगी.

बेटी का यह कदम उन की समाज में बनी इज्जत को धूल में मिला सकता था, इसलिए उन्होंने तय कर लिया कि कुछ भी हो, वह जल्दी ही कहीं शिवानी की शादी कर देंगे. लेकिन वह शादी कर पाते, उस के पहले ही 18 फरवरी, 2016 को शिवानी गौरव के साथ भाग कर दिल्ली चली गई, जहां उत्तमनगर में किराए का कमरा ले कर रहने लगी. उन्होंने कोर्ट में शादी भी कर ली.

बेटी के इस तरह घर से गायब होने से रविंद्र समझ गए कि उसे गौरव ही बहलाफुसला कर भगा ले गया है, उन्होंने गौरव के खिलाफ भादंवि की धारा 366 के तहत मुकदमा दर्ज करा दिया. मुकदमा दर्ज होने के बाद गौरव के परिवार वालों पर पुलिस ने लड़की को बरामद कराने का दबाव डाला.

गौरव के पिता रामस्नेही सीधेसादे आदमी थे. वह अपनी रिश्तेदारियों में उसे तलाश करने लगे. गौरव कहीं नहीं मिला. काफी भागदौड़ के बाद उन्हें गौरव और शिवानी के दिल्ली में होने की जानकारी मिली. इस के बाद उत्तर प्रदेश पुलिस दिल्ली पहुंच गई और दिल्ली पुलिस की मदद से गौरव और शिवानी को उत्तमनगर से बरामद कर लिया. इस तरह 45 दिनों बाद वे पुलिस की पकड़ में आ गए.

पुलिस ने दोनों को अदालत में पेश किया, जहां शिवानी ने अपने बयान में कहा कि वह बालिग है और अपनी मरजी से गौरव के साथ गई थी. वह गौरव से प्यार करती है और उस ने उस से कोर्ट में शादी भी कर ली है. शिवानी के इसी बयान के आधार पर अदालत से गौरव को जमानत मिल गई.

रविंद्र ने बेटी को अपने संरक्षण में लेने के लिए अदालत में अरजी लगाई तो शिवानी ने विरोध किया कि मांबाप उसे घर ले जा कर मार डालेंगे. लेकिन रविंद्र ने अदालत से कहा कि वह बेटी को घर ले जा कर सामाजिक रीतिरिवाज से उस की शादी कर देंगे. लड़की को पढ़ने के लिए भी भेजेंगे. रविंद्र के इस बयान पर मजिस्ट्रैट ने शिवानी को उस के पिता को सौंप दिया.

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रविंद्र ने अदालत में जो कुछ कहा था, घर आने पर पलट गए. उन्होंने शिवानी पर बंदिशें लगा दीं. इस के अलावा वह उस के लिए लड़का भी ढूंढने लगे. आखिर मुरैना में उन्हें एक लड़का पसंद आ गया. शिवानी को जब पता चला तो उस ने विरोध किया. उस के विरोध के बावजूद उन्होंने उस का रिश्ता पक्का कर दिया.

6 फरवरी, 2018 को शिवानी की शादी का दिन भी तय कर दिया गया. दिन तय होने के बाद शिवानी परेशान रहने लगी. वह किसी भी तरह घर से निकलना चाहती थी, लेकिन बाहर जाने का उसे कोई रास्ता नजर नहीं आ रहा था. उधर गौरव भी काफी परेशान था. उन्हें 6 फरवरी से पहले ही घर से भाग जाने का कोई रास्ता निकालना था.

रविंद्र ने कई बार गौरव को अपने घर के आसपास घूमते देखा था. आखिर एक दिन उस ने गौरव को धमकाया कि अब वह इधर कतई दिखाई न दे. फिर एक दिन हिम्मत कर के शिवानी ने पिता से कह दिया, ‘‘पापा, जब मेरी शादी गौरव से हो चुकी है तो आप मेरी शादी दूसरी जगह क्यों कर रहे हैं?’’

बेटी की बात को अनसुना कर रविंद्र बाहर चले गए. अब शिवानी ऐसा कुछ करना चाहती थी, जिस से उस का रिश्ता टूट जाए. इस बारे में उस ने गौरव से बात की तो उस ने कहा कि वह उस की हर तरह से मदद करेगा. एक दिन शिवानी का ममेरा भाई मनीष पत्नी के साथ उन के घर आया और रविंद्र से गोवर्धन परिक्रमा के लिए चलने को कहा.

रविंद्र पत्नी के साथ गोवर्धन परिक्रमा के लिए जाना तो चाहते थे, लेकिन वह शिवानी को घर में अकेली नहीं छोड़ना चाहते थे. इसलिए उन्होंने शिवानी को भी चलने को कहा. उस ने कपड़े वगैरह बैग में रख कर तैयारी तो कर ली, लेकिन मौका मिलते ही गौरव को फोन कर के कह दिया कि शाम 6 बजे घर के सभी लोग गोवर्धन परिक्रमा के लिए जा रहे हैं. उन्हें लौटने में 4 घंटे तो लग ही जाएंगे.

रविंद्र वर्मा के घर के निचले हिस्से में पंकज सिंह भदौरिया पत्नी और 2बच्चों के साथ किराए पर रहते थे. वह अध्यापक थे. उन की पत्नी भी अध्यापक थीं. शाम को जब सभी गोवर्धन परिक्रमा के लिए घर से निकलने लगे तो योजना के अनुसार शिवानी ने तबीयत ठीक न होने का बहाना कर के कहा कि अब वह नहीं जा सकती. घर वालों ने भी उस से ज्यादा जिद नहीं की.

घर से निकलते समय रविंद्र ने किराएदार पंकज सिंह और उन की पत्नी से शिवानी का ध्यान रखने के लिए कह दिया. घर वालों के जाने के बाद शिवानी गौरव का इंतजार करने लगी. उस ने दरवाजा खुला ही छोड़ दिया था. जैसे ही गौरव आया, उस ने उस से छत पर बैठ कर इंतजार करने को कहा.

रात 10-11 बजे सभी लोग लौटे तो घर के मेनगेट में ताला लगा कर रविंद्र वर्मा निश्चिंत हो गए. थके होने की वजह से सभी को जल्दी ही नींद आ गई. लेकिन शिवम मोबाइल पर गेम खेल रहा था.

शिवानी उस के सोने के इंतजार में करवटें बदलती रही. ऊपर पड़ोसी की छत पर बैठा गौरव शिवानी का इंतजार कर रहा था. काफी देर बाद शिवम सो गया तो शिवानी उठी और छत पर पहुंच गई. दोनों एकदूसरे की बांहों में समा गए. उस समय दोनों दुनियाजहान से बेखबर थे.

रविंद्र सुबह सैर के लिए जाते थे, इसलिए उन्होंने मोबाइल फोन में अलार्म लगा रखा था. जैसे ही अलार्म बजा, शिवानी गौरव से यह कह कर नीचे आ गई कि पापा घूमने चले जाएंगे तो वह उसे यहां से निकाल देगी.

नीचे आ कर शिवानी अपने बैड पर लेट गई. तभी गौरव का शिवानी के फोन पर मैसेज आया कि उसे प्यास लगी है. शिवानी ने पिता के कमरे में नजर डाली तो वहां कोई दिखाई नहीं दिया. वह पानी की बोतल ले कर छत पर चली गई. रविंद्र उस समय घर में ही थे. उन्होंने शिवानी को छत पर जाते देख लिया था. वह भी उस के पीछेपीछे छत पर पहुंच गए.

रविंद्र ने शिवानी और गौरव को एक साथ देखा तो उन का खून खौल उठा. पिता को देख कर शिवानी डर से कांपने लगी. गौरव भी घबरा गया. बेटी की इस करतूत से उन के सिर पर खून सवार हो गया, फिर उन्होंने कुछ ऐसा किया कि वहां मौत का तांडव मच गया. शिवानी अचानक सीढि़यों पर गिरी और वहां खून ही खून फैल गया.

सुबह कोई सवा 5 बजे पुलिस कंट्रोलरूम को सूचना मिली कि ओम एन्क्लेव कालोनी में एक लड़की ने आत्महत्या कर ली है. यह इलाका थाना सदर के अंतर्गत आता था. पुलिस कंट्रोलरूम ने यह सूचना थाना सदर पुलिस को दे दी. थानाप्रभारी नौरत्न गौतम उस दिन छुट्टी पर थे. थाने का चार्ज एसएसआई अखिलेश सिंह के पास था. वह किसी मामले की तफ्तीश में कहीं गए हुए थे.

एसएसपी की सूचना पर चौकीप्रभारी अरुण कुमार पुलिस बल के साथ ओम एन्क्लेव कालोनी स्थित घटनास्थल पर पहुंच गए. डौग स्क्वायड, फोरैंसिक टीम को भी सूचित कर दिया गया.

सूचना पा कर एसएसआई अखिलेश सिंह भी रविंद्र वर्मा के घर पहुंच गए. पुलिस ने निरीक्षण किया तो सीढि़यों पर रविंद्र की 20 साल की बेटी शिवानी की गरदन कटी लाश मिली.

लाश के आसपास काफी खून फैला था. वहीं पर एक पेपर कटर पड़ा था. वहां संघर्ष के निशान भी दिखाई दिए. पूछताछ में रविंद्र ने बताया कि उन की बेटी शिवानी ने आत्महत्या कर ली है.

अखिलेश सिंह ने पेपर कटर को कब्जे में ले लिया. फोरैंसिक टीम आई तो पेपर कटर उस के हवाले कर दिया गया. कुछ ही देर में एसपी (सिटी) कुमारी अनुपमा सिंह और महिला थाने का स्टाफ भी आ गया. पुलिस ने ध्यान से देखा तो शिवानी की लाश के पास खून से गौरव लिखा था.

पुलिस ने रविंद्र वर्मा से गौरव के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा कि वह किसी गौरव को नहीं जानते. सूचना पा कर इंसपेक्टर रकाबगंज संजीव भी वहां आ गए. फोरैंसिक टीम ने बताया कि खून सने पैरों के जो निशान हैं, ये अलगअलग आदमी के हैं. लेकिन छत तक पैरों के जो निशान गए हैं, वे एक ही आदमी के हैं.

पेपर कटर की मूठ पर एक हाथ का निशान था, लेकिन लोहे वाले हिस्से पर 2 हाथों के निशान थे. इस से साफ हो गया कि वहां शिवानी के अलावा 2 लोग थे. घर के सिंक की जांच की गई तो वहां खून के निशान पाए गए. इस का मतलब कत्ल कर के कातिल ने वहां हाथ धोए थे. किराएदार पंकज भदौरिया ने बताया कि उन्हें तो रविंद्र वर्मा ने जगा कर बताया था कि उन की बेटी ने आत्महत्या कर ली है. इस के अलावा उन्हें घटना के बारे में कोई जानकारी नहीं है.

रविंद्र वर्मा ने बताया कि गैस की दुर्गंध आने पर वह रसोई में गए और लाइट जलाने के बजाय पंखा औन कर दिया. इस के बाद ऊपर जाने लगे तो देखा कि बेटी की लाश पड़ी है. वह घबरा कर नीचे आ गए और किराएदार को जगा कर सारी बात बताई. इस के बाद पुलिस कंट्रोलरूम को सूचना दे दी.

रविंद्र की इस कहानी पर पुलिस को विश्वास नहीं हो रहा था. उन के कपड़े उतरवा कर देखा गया तो बनियान पर खून के निशान नजर आए. उन के पैरों पर भी खून लगा था. वह शक के दायरे में आ गए. घटनास्थल की काररवाई निपटा कर पुलिस ने लाश को पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दिया.

पुलिस रविंद्र को पूछताछ के लिए थाने ले आई. अज्ञात के खिलाफ हत्या की रिपोर्ट दर्ज करने के बाद पुलिस ने रविंद्र से पूछताछ शुरू की तो वह यही कहते रहे कि बेटी ने आत्महत्या की है. जबकि पुलिस की नजरों में यह सीधे हत्या का मामला था, क्योंकि कोई भी व्यक्ति खुद अपना गला नहीं रेत सकता.

बारबार पूछने के बाद भी रविंद्र ने गौरव के बारे में कुछ नहीं बताया, जबकि पुलिस के लिए फर्श पर लिखा गौरव एक महत्त्वपूर्ण सुराग था. पुलिस को इसी से आगे बढ़ने का रास्ता मिल सकता था.

पोस्टमार्टम के बाद शिवानी का शव रविंद्र वर्मा को सौंप दिया गया था. उन्होंने उस का दाहसंस्कार भी कर दिया. इस बीच पुलिस के सामने काफी कुछ साफ हो गया था. पुलिस को गौरव के बारे में पता चल गया था कि वह शिवानी का दोस्त था और उस के साथ पढ़ता था. वह आगरा के शाहगंज में रहता है.

अगले दिन इंसपेक्टर संजीव सिंह और चौकीप्रभारी अरुण कुमार को एसपी सिटी ने गौरव से पूछताछ करने के निर्देश दिए. पुलिस गौरव के घर पहुंची तो उस के पिता रामस्नेही ने बताया कि कुछ देर पहले ही वह घर से निकला है. पिता ने फोन कर के उसे घर बुला लिया. पुलिस पूछताछ के लिए उसे थाने ले आई.

गौरव ने अपना सिर मुंडवा रखा था. वह काफी डरा हुआ था. थाने आते ही उस ने कहा, ‘‘साहब, आप मुझे मारिएगा मत, मैं आप को सब कुछ सचसच बता दूंगा. मैं ने शिवानी को नहीं मारा है. मैं तो उस से प्यार करता था. हम ने कोर्टमैरिज भी कर ली थी. उसी के बुलाने पर 28 अक्तूबर, 2017 को मैं उस के घर गया था. दुर्भाग्य से उस के पिता ने दोनों को एक साथ देख लिया.’’

गौरव ने आगे जो बताया, उस के अनुसार, रविंद्र उसे मारना चाहते थे, लेकिन शिवानी उसे बचाने के लिए बीच में आ गई. रविंद्र वर्मा के हाथ से उस ने पेपर कटर छीनने की कोशिश की, जिस से उस की 2 अंगुलियां कट गईं. इस के बाद गुस्से में रविंद्र ने पेपर कटर चलाया तो शिवानी फिर सामने आ गई, जिस से पेपर कटर उस के गले में लगा और उस का गला कट गया.

रविंद्र वर्मा पर खून सवार था. शिवानी घायल हो कर सीढि़यों पर गिर गई, इस के बावजूद वह उस की ओर झपटा. तब शिवानी ने अपना गला पकड़े हुए कहा, ‘‘गौरव, भाग जाओ, वरना यह तुम्हें भी मार देंगे.’’

उस हालत में गौरव को कुछ नहीं सूझा. वह भाग कर छत पर गया और किसी तरह वहां से कूद कर भाग खड़ा हुआ. लेकिन शिवानी के बारे में सोचसोच कर वह परेशान होता रहा. अगले दिन गौरव ने पुलिस के डर से अपना सिर मुंडवा लिया. गौरव ने जो बताया था, वह पुलिस को सही लगा. गौरव से पूछताछ के बाद पुलिस ने रविंद्र वर्मा को थाने बुला लिया. थाने में गौरव को देख कर रविंद्र के पसीने छूट गए.

अब कहनेसुनने को कुछ नहीं था. पूछताछ में रविंद्र ने कहा कि शिवानी की हत्या करने का उस का इरादा नहीं था, पर गुस्से में पेपर कटर चल गया. उस ने यह भी स्वीकार किया कि बेटी के दूसरी जाति के लड़के के साथ संबंध उसे स्वीकार नहीं थे. वह अपनी बेटी की शादी अपनी ही जाति के लड़के के साथ करना चाहता था. लेकिन शिवानी बहुत जिद्दी थी, जिस का अंजाम अच्छा नहीं हुआ और डोली उठने से पहले उस की अर्थी उठ गई.

रविंद्र ने अपना अपराध स्वीकार कर लिया तो पुलिस ने उसे जेल भेजने की तैयारी कर ली. पुलिस उसे ले जा रही थी, तभी उस के घर की महिलाओं ने थाने के बाहर हंगामा शुरू कर दिया. पुलिस के उच्चाधिकारियों ने उन्हें समझाबुझा कर शांत किया और रविंद्र वर्मा को 30 अक्तूबर को न्यायालय में पेश किया, जहां से जेल भेज दिया गया.

-कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

Crime Story in Hindi: वह नीला परदा- भाग 1: आखिर ऐसा क्या देख लिया था जौन ने?

Writer- Kadambari Mehra

जौन एक सफल बैंक अधिकारी रहा था. संस्कारी परिवार के सद्गुणों ने उसे धर्मभीरु व कर्तव्यनिष्ठ बना रखा था. उस के पिता पादरी थे व माता अध्यापिका. शुरू से अंत तक उस का जीवन एक सुरक्षित वातावरण में कटा. नैतिक मूल्यों की शिक्षा, पिता के संग चर्च की तमाम गतिविधियों व बैंक की नौकरी के दौरान जौन ने कोई बड़ा हादसा नहीं देखा. जब तक नौकरी की, वह लंदन में रहा अपने छोटे से परिवार के साथ. फिर इकलौती बेटी का विवाह किया फिर समयानुसार उस ने रिटायरमैंट ले लिया. पत्नी को भी समय से पूर्व रिटायरमैंट दिला दिया था. फिर वह लंदन से 30 मील दूर रौक्सवुड में जा कर बस गया.

रौक्सवुड एक छोटा सा गांव था. हर तरह की चहलपहल से दूर, सुंदरसुंदर मकानों वाला. ज्यादा नहीं, बस, 100 से 150 मकान, दूरदूर छितरे हुए, बड़ेबड़े बगीचों वाले. वातावरण एकदम शांत. घर से आधा मील पर अगर कोई गाड़ी रुकती, तो यों लगता कि अपने ही दरवाजे पर कोई आया है. छोटा सा एक बाजार था,

2-3 छोटेबड़े स्कूल थे और एक चर्च था. हर कोई एकदूसरे को जानता था.

10 वर्षों से जौन यहां रह रहा था. चर्च की सामाजिक गतिविधियों में हिस्सा लेने की उस की पुरानी हौबी थी. दोनों पतिपत्नी सब के चहेते थे. शादी हो या बच्चे की क्रिसनिंग सब में वे आगे बढ़ कर मदद देते थे.

जौन सुबह अंधेरे ही उठ जाता. डोरा यानी उस की पत्नी सो ही रही होती. वह कुत्ते को ले कर टहलने चला जाता. अकसर टहलतेटहलते उसे अपने जानने वाले मिल जाते. अखबार की सुर्खियों पर चर्चा कर के वह 1-2 घंटों में वापस आ जाता.

ऐसी ही अक्तूबर की एक सुबह थी. दिन छोटे हो चले थे. 7 बजे से पहले सूरज नहीं उगता था. 4 दिन की लगातार झड़ी के बाद पहली बार आसमान नीला नजर आया. पेड़ों के पत्ते झड़ चुके थे. जहांतहां गीले पत्तों के ढेर जमा थे. घरों के मालिक जबतब उन्हें बुहार कर जला देते थे.

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जौन की आंख सुबह 5 बजे ही खुल गई. उस का छोटा सा कुत्ता रोवर उस का कंबल खींचते हुए लगातार कूंकूं  किए जा रहा था.

‘‘चलता हूं भई, जरा तैयार तो हो लेने दे,’’ जौन ने उसे पुचकारा.

उस की पत्नी दूसरे कमरे में सोती थी. जौन को उस का देर रात तक टीवी पर डरावनी फिल्में देखना खलता था.

जौन ने जूते पहने, कोट और गुलूबंद पहना, हैट पहन कर कुत्ते को जंजीरपट्टा पहना कर वह चुपचाप निकल गया.

घर से करीब 1 मील पर जंगल था. करीब 3 वर्गमील के क्षेत्र में फैला यह जंगल इस कसबे की खूबसूरती का कारण था. इसी से गांव का नाम रौक्सवुड पड़ा था. जंगल में चीड़ और बल्ली के पेड़ों के अलावा करीने से उगे रोडोडेंड्रन के पेड़ भी थे, जो वसंत ऋतु में खिलते थे. इन के बीच अनेक ऊंचीनीची ढलानों वाली पगडंडियां थीं, जिन पर लोग साइकिल चलाने का अभ्यास करते थे. कभीकभी कोई छोटी गाड़ी भी दिख जाती थी. चूंकि लोग खाद के लिए सड़ी पत्तियां खोद कर ले जाते थे, इसलिए ढलानों पर बड़ेबड़े गड्ढे भी थे.

जंगल की पगडंडियों पर दूरदूर तक चलना जौन का खास शौक था. 2-4 मिलने वालों को दुआसलाम कर वह अपने रास्ते चलता गया.

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सूरज अभी उगा नहीं था, मगर दिन का उजाला फैलने लगा था. जौन जंगल में काफी दूर तक आ गया था. इस हिस्से में कई गड्ढे थे. पत्तियों ने उन गड्ढों को भर दिया था. घने पेड़ों की जड़ों के पास छाया होने के कारण वहां सड़न और काई जमा थी, जिस में कुकुरमुत्तों के छत्ते उगे हुए थे. एक अजीब दुर्गंध हवा में थी, जो सुबह की ताजगी से मेल नहीं खा रही थी.

रोवर दूर निकल गया था. जौन ने सीटी बजाई, मगर उस ने अनसुना कर दिया. जौन उसे पुकारता वहां तक पहुंच गया. सामने कीचड़ व सड़े पत्तों से भरे एक गड्ढे में रोवर अपने अगले पंजे मारमार कर कूंकूं कर रहा था. जौन कहता रहा, ‘‘छोड़ यार, घर चल, वापस जाने में भी घंटा लगेगा अब तो.’’

मगर रोवर वहीं अड़ा रहा. जौन पास चला गया, ‘‘अच्छा बोल, क्या मिल गया तुझे?’’

तभी जौन ने देखा गड्ढे में कीचड़ से सना एक कपड़ा था, जिसे रोवर दांतों से खींचे जा रहा था. कपड़ा मोटे परदे का था, जिस का रंग नीला था. तभी जौन पूरी ताकत से वापस भागा. रोवर को भी वापस आना पड़ा. जौन तब तक भागता रहा, जब तक उसे दूसरा व्यक्ति नजर नहीं आ गया. जौन रुक गया, मगर उस के बोल नहीं फूटे.

Crime Story: कुटीर उद्दोग जैसा बन गया सेक्सटॉर्शन- भाग 2

जितेंद्र सिंह रसूख वाले इंसान थे. उन्होंने खुद पर काबू पाया और समझदारी के साथ सिर पर आ पड़ी इस मुसीबत से निकलने का फैसला किया.

अगली सुबह वह दिल्ली पुलिस में तैनात एक अधिकारी दोस्त के पास जा पहुंचे और उन्हें अपने साथ हुई घटना अक्षरश: बयान कर दी. ऐसे मामलों में जैसा होता है वैसा ही जितेंद्र सिंह के साथ भी हुआ.

पुलिस अफसर दोस्त ने उन्हें उम्र का हवाला देते हुए उन की ठरकबाजी के लिए पहले तो खूब खरीखोटी सुनाई. जितेंद्र सिंह जानते थे कि ऐसा ही होगा. लेकिन बाद में पुलिस अफसर दोस्त ने क्राइम ब्रांच में अपने एक मातहत अधिकारी को फोन किया और जितेंद्र  सिंह को उन के पास भेज दिया. साथ ही यह भी ताकीद कर दी कि जितेंद्र का नाम उन की पहचान सामने लाए बिना उन की मदद करें.

क्राइम ब्रांच इंसपेक्टर बन कर हड़काया

जितेंद्र उसी दिन जब क्राइम ब्रांच के अधिकारी से मिल कर वापस लौटे तो उन के फोन पर एक अंजान नंबर से काल आई. ट्रूकालर में विक्रम सिंह राठौर साइबर सेल लिख कर आ रहा था. जितेंद्र सिंह ने सोचा कि शायद क्राइम ब्रांच में वह जिस बडे़ अधिकारी से मिल कर आ रहे हैं, उन के मातहत किसी अधिकारी ने कोई जानकारी लेने के लिए उन्हें  फोन किया होगा.

जितेंद्र सिंह ने फोन रिसीव कर लिया.

सामने वाले ने अपना परिचय इंसपेक्टर विक्रम सिंह राठौर के रूप में दिया. जितेंद्र सिंह समझ गए कि उन की शिकायत पर क्राइम ब्राच वाले अधिकारी ने काफी तेजी से जांच का काम शुरू करा दिया है.

‘‘मिस्टर जितेंद्र सिंह, आप को शर्म आनी चाहिए एक लड़की से फोन पर इस तरह की अश्लील बातें करते हुए और उस के सामने अपने कपड़े उतारते हुए. जानते हैं इस मामले में आप को कितनी सजा हो सकती है. और जब आप के परिवार को यह बात पता चलेगी तो उन पर क्या गुजरेगी… समाज में आप की कितनी बदनामी होगी. जब आप इस मामले में अरेस्ट किए जाएंगे.’’

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खुद को साइबर क्राइम का इंसपेक्टर राठौर बताने वाले ने जब यह बात कहीं तो अचानक जितेंद्र सिंह का माथा ठनका. क्योंकि उन के अधिकारी दोस्त व क्राइम ब्रांच के अधिकारी ने तो वायदा किया था कि उन की पहचान उजागर किए बिना उन की मदद की जाएगी और ब्लैकमेल करने वाली महिला को पकड़ा जाएगा. लेकिन यहां तो सब उलटा ही हो रहा था.

लिहाजा उन्होंने खुद को राठौर बताने वाले इंसपेक्टर से कहा, ‘‘मिस्टर राठौर, आप के बौस ने भी मुझ से ऐसी बात नहीं की थी, जिस तरह आप बात कर रहे हैं. उन्होंने मेरे बारे में आप से ठीक से नहीं बताया क्या?’’

‘‘कौन से बौस की बात कर रहे हो मिस्टर और तुम्हारे जैसे ठरकी लोगों से कैसे बात की जाती है, मैं खूब अच्छी तरह से जानता हूं. देखो, तुम्हारे खिलाफ शिकायत मिली है… अभी मैं ने मामला दर्ज नहीं किया है… ये मामले बड़े नाजुक होते हैं… उस लड़की से जैसे भी हो, आपस में बातचीत कर के सैटल कर लो, नहीं तो मुझे केस रजिस्टर कर के तुम्हें अरेस्ट करना होगा… इस में तुम्हारी इज्जत भी जाएगी और कोर्टकचहरी में पैसा खर्च होगा सो अलग.’’ उस ने हड़काया.

कथित राठौर की ये धमकी सुन कर जितेंद्र सिंह समझ गए कि उन्हें फोन करने वाला कम से कम क्राइम ब्रांच के उस अधिकारी का तो मातहत नहीं हो सकता, जिसे वह अपनी पीड़ा सुना कर आए थे.

जितेंद्र सिंह ने भी बदले तेवर

लिहाजा उन्होंने पलट कर फिर से क्राइम ब्रांच के अधिकारी को फोन कर के पूछा कि क्या उन्होंने किसी अधिकारी को उन के मामले की जांच के काम पर लगाया है तो उन्होंने कहा, ‘‘अभी मीटिंग की व्यस्तता के कारण वह ऐसा नहीं कर सके थे, लेकिन कल तक मामले की जांच शुरू करा देंगे.’’

तब जितेंद्र सिंह समझ गए कि उन्हें ब्लैकमेल करने वाली लड़की के किसी साथी ने ही खुद को साइबर क्राइम का इंसपेक्टर बता कर फोन किया था.

तब जितेंद्र सिंह ने उस फोन काल के बारे में क्राइम ब्रांच के अपने परिचित अफसर को बताया तो उन्होेंने पहले जितेंद्र से वह नंबर लिया, जिस नंबर से उन्हें फोन आया था.

उस के बाद उन्होंने जितेंद्र को सलाह दी कि अब की बार फोन आने पर वह पैसे मांगने वाले लोगों से साफ कह दें कि वह एक पाई भी नहीं देंगे, जो करना है कर लो…चाहे तो यह भी कह दें कि उलटा उन्होंने ही उस की शिकायत क्राइम ब्रांच में कर दी है.

ऐसा ही हुआ… अगली सुबह पहले रुचिका का वाट्सऐप काल उन के फोन पर आया और उस ने पूछा कि पैसे का इंतजाम हुआ या नहीं?

जितेंद्र सिंह ने उसे डांट दिया और बोले, ‘‘मैं जानता हूं तुम जैसे लोग लोगों को कैसे ठगते हो…’’

जितेंद्र सिंह ने उसे धमकी दी, ‘‘मैं ने पहले ही तुम लोगों की शिकायत पुलिस में कर दी है.’’

उसी दोपहर को जितेंद्र के पास इंसपेक्टर राठौर बताने वाले शख्स का भी फोन आया. उस ने जब पूछा, ‘‘लड़की से आप का कोई सैटलमैंट हुआ या नहीं?’’

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जितेंद्र सिंह ने उसे डांटते हुए कहा, ‘‘तुम लोगों से हम पुलिस की हवालात में बात करेंगे, क्योेंकि मैं ने पहले ही तुम लोगों की शिकायत पुलिस में कर दी है. साथ ही तुम्हारे फोन काल्स को पुलिस रिकौर्ड कर रही है.’’

इतना सुनते ही खुद को इंसपेक्टर विक्रम सिंह राठौर बताने वाले शख्स ने फोन डिस्कनेक्ट कर दिया.

जनवरी 2021 में दिल्ली पुलिस ने पहली बार यह खुलासा किया था कि भरतपुर के मेवाती इलाके खोह के कुछ गांवों से सैक्सटौर्शन का रैकेट एक सिंडीकेट के रूप में चलाया जा रहा है.

साइबर क्राइम की टीम ने 6 लोगों को पकड़ा था. जिन्होंने दरजनों लोगों से करीब 25 लाख रुपए ऐंठ लिए थे. उन के पास से 17 मोबाइल फोन बरामद हुए थे, जिन में 40 लोगों की अश्लील वीडियो पुलिस टीम को मिली थी.

पुलिस को यह भी पता चला था कि इस गैंग में कोई युवती नहीं थी, वह केवल किसी शख्स को फंसाने के लिए पहले से बने महिलाओं के वीडियो चलाते थे.

दिल्ली पुलिस की काररवाई के बाद ही जून 2021 में अलवर की गोविंदगढ़ पुलिस ने ब्लैकमेलिंग का कालसैंटर पकड़ कर उस से जुड़े 11 लोगों को गिरफ्तार किया था. ये सभी लोग भरतपुर के मेवाती इलाकों के रहने वाले थे. ये गिरोह कई राज्यों के लोगों से 80 लाख रुपए ठग चुका था.

गिरफ्तार हुए लोग काल सैंटर की तरह अलगअलग शिफ्ट में काम करते थे. सैक्सटौर्शन के काल सैंटर में काम करने वाले ये लोग लड़कियों के नाम से फरजी फेसबुक आईडी बनाते थे.

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उस के बाद अश्लील वीडियो के जरिए न्यूड चैट कर के लोगों को फंसाते थे. फिर इस अश्लील वीडियो कालिंग की रिकौर्डिंग को भेज कर ब्लैकमेल करते थे.

अगले भाग में पढ़ें- राजस्थान से जुड़े गिरोह के तार

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सौजन्य- मनोहर कहानियां

18 नवंबर, 2016 की रात के यही कोई डेढ़ बजे मुंबई से सटे जनपद थाणे के उल्लासनगर के थाना विट्ठलवाड़ी के एआई वाई.आर. खैरनार को सूचना मिली कि आशेले पाड़ा परिसर स्थित राजाराम कौंपलेक्स की तीसरी मंजिल स्थित एक फ्लैट में काले रंग के बैग में लाश रखी है. सूचना देने वाले ने बताया था कि उस का नाम शफीउल्ला खान है और उस फ्लैट की चाबी उस के पास है. 35 साल का शफीउल्ला पश्चिम बंगाल के जिला मुर्शिदाबाद की तहसील नगीनबाग के गांव रोशनबाग का रहने वाला था. रोजीरोटी की तलाश में वह करीब 8 साल पहले थाणे आया था, जहां वह उल्लासनगर के आशेले पाड़ा परिसर स्थित राजाराम कौंपलेकस के तीसरी मंजिल स्थित फ्लैट नंबर 308 में अपने परिवार के साथ रहता था. वह राजमिस्त्री का काम कर के गुजरबसर कर रहा था.

उस के फ्लैट से 2 फ्लैट छोड़ कर उस का मामा राजेश खान अपनी प्रेमिकापत्नी खुशबू उर्फ जमीला शेख के साथ रहता था. 10-11 महीने पहले ही खुशबू राजेश खान के साथ इस फ्लैट में रहने आई थी. वह अपना कमातीखाती थी, इसलिए वह राजेश खान पर निर्भर नहीं थी. राजेश खान कभीकभार ही उस के यहां आता था. ज्यादातर वह पश्चिम बंगाल स्थित गांव में ही रहता था.

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18 नवंबर की दोपहर शफीउल्ला अपने फ्लैट पर जा रहा था, तभी इमारत की सीढि़यों पर उस की मुलाकात राजेश खान से हो गई. उस समय काफी घबराया होने के साथसाथ वह जल्दबाजी में भी था. लेकिन शफीउल्ला सामने पड़ गया तो उस ने रुक कर कहा, ‘‘शफी, अगर तुम मेरे साथ नीचे चलते तो मैं तुम्हें एक जरूरी बात बताता.’’

‘‘इस समय तो मैं कहीं नहीं जा सकता, क्योंकि मुझे बहुत तेज भूख लगी है. जो भी बात है, बाद में कर लेंगे.’’ कह कर शफीउल्ला जैसे ही आगे बढ़ा, राजेश खान ने पीछे से कहा, ‘‘यह रही मेरे फ्लैट की चाबी, रख लो. तुम्हारी मामी मुझ से लड़झगड़ कर कहीं चली गई है. मैं उसे खोजने जा रहा हूं. मेरी अनुपस्थिति में अगर वह आ जाए तो यह चाबी उसे दे देना. बाकी बातें मैं फोन से कर लूंगा.’’

राजेश खान से फ्लैट की चाबी ले कर शफीउल्ला अपने फ्लैट पर चला गया तो राजेश खान नीचे उतर गया.  करीब 12 घंटे बीत गए. इस बीच न राजेश खान आया और न ही उस की पत्नी खुशबू आई. शफीउल्ला को चिंता हुई तो उस ने दोनों को फोन कर के संपर्क करना चाहा. लेकिन दोनों के ही नंबर बंद मिले.

शफीउल्ला सोचने लगा कि अब उसे क्या करना चाहिए. वह कुछ करता, उस के पहले ही रात के करीब एक बजे उस के फोन पर राजेश खान का फोन आया. उस के फोन रिसीव करते ही उस ने पूछा, ‘‘तेरी मामी आई या नहीं?’’

‘‘नहीं मामी तो अभी तक नहीं आई. यह बताओ कि इस समय तुम कहां हो?’’ शफीउल्ला ने पूछा.

‘‘तुम्हें राज की एक बात बताता हूं. अब तुम्हारी मामी कभी नहीं आएगी, क्योंकि मैं ने उसे मार दिया है. इस में मुझे तुम्हारी मदद चाहिए. मेरे फ्लैट के बैडरूम में बैड के नीचे काले रंग का एक बैग पड़ा है, उसी में तुम्हारी मामी की लाश रखी है. तुम उसे ले जा कर कहीं फेंक दो. जल्दबाजी में मैं उसे फेंक नहीं पाया. इस समय मैं ट्रेन में हूं और गांव जा रहा हूं.’’

खुशबू की हत्या की बात सुन कर शफीउल्ला के होश उड़ गए. उस ने उस बैग के बारे में आसपड़ोस वालों को बताया तो सभी इकट्ठा हो गए. उन्हीं के सुझाव पर इस बात की सूचना शफीउल्ला ने थाना विट्ठलवाड़ी पुलिस को दे दी थी.

एआई वाई.आर. खैरनार ने तुरंत इस सूचना की डायरी बनवाई और थानाप्रभारी सुरेंद्र शिरसाट तथा पुलिस कंट्रोल रूम एवं पुलिस अधिकारियों को सूचना दे कर वह कुछ सिपाहियों के साथ राजाराम कौंपलेक्स पहुंच गए. रात का समय था, फिर भी उस फ्लैट के बाहर इमारत के काफी लोग जमा थे. उन के पहुंचते ही शफीउल्ला ने आगे बढ़ कर उन्हें फ्लैट की चाबी थमा दी.

फ्लैट का ताला खोल कर वाई.आर. खैरनार सहायकों के साथ अंदर दाखिल हुए तो बैडरूम में रखा वह काले रंग का बैग मिल गया. उन्होंने उसे हौल में मंगा कर खुलवाया तो उस में उन्हें एक महिला की लाश मिली.

बैग से बरामद लाश की शिनाख्त की कोई परेशानी नहीं हुई. शफीउल्ला ने उस के बारे में सब कुछ बता दिया. लाश बैग से निकाल कर वाई.आर. खैरनार जांच में जुट गए. वह घटनास्थल और लाश का निरीक्षण कर रहे थे कि थानाप्रभारी सुरेंद्र शिरसाट, एसीपी अतितोष डुंबरे, एडिशनल सीपी शरद शेलार, डीसीपी सुनील भारद्वाज, अंबरनाथ घोरपड़े के साथ आ पहुंचे.

फोरैंसिक टीम के साथ पुलिस अधिकारियों ने भी घटनास्थल और लाशों का निरीक्षण किया. अपना काम निपटा कर थोड़ी ही देर में सारे अधिकारी चले गए.

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लाश के निरीक्षण में स्पष्ट नजर आ रहा था कि मृतका की बेल्ट से जम कर पिटाई की गई थी. उस के शरीर पर तमाम लालकाले निशान उभरे हुए थे. कुछ घावों से अभी भी खून रिस रहा था. उस के गले पर दबाने का निशान था. लाश और घटनास्थल का निरीक्षण कर के सुरेंद्र शिरसाट ने लाश को पोस्टमार्टम के लिए उल्लासनगर के मध्यवर्ती अस्पताल भिजवा दिया.

घटनास्थल की पूरी काररवाई निपटा कर सुरेंद्र शिरसाट थाने लौट आए और सहयोगियों से सलाहमशविरा कर के इस हत्याकांड की जांच एआई वाई.आर. खैरनार को सौंप दी.

वाई.आर. खैरनार ने मामले की जांच के लिए अपनी एक टीम बनाई, जिस में उन्होंने एआई प्रमोद चौधरी, ए. शेख के अलावा हैडकांस्टेबल दादाभाऊ पाटिल, दिनेश चित्ते, अजित सांलुके तथा महिला सिपाही ज्योति शिंदे को शामिल किया.

पुलिस को शफीउल्ला से पूछताछ में पता चल गया था कि राजेश खान ने कत्ल कर के गांव जाने के लिए कल्याण रेलवे स्टेशन से ज्ञानेश्वरी एक्सप्रैस पकड़ ली है. अब पुलिस के लिए यह चुनौती थी कि वह गांव पहुंचे, उस के पहले ही उसे पकड़ ले. अगर वह गांव पहुंच गया और उसे पुलिस के बारे में पता चल गया तो वह भाग सकता था.

इस बात का अंदाजा लगते ही पुलिस टीम ने जांच में तेजी लाते हुए राजेश खान के मोबाइल की लोकेशन पता की तो वह जिस ट्रेन से गांव जा रहा था, वहां से उसे गांव पहुंचने में करीब 10 घंटे का समय लगता.

पुलिस टीम किसी भी तरह उसे हाथ से जाने देना नहीं चाहती थी, इसलिए वाई.आर. खैरनार ने सीनियर अधिकारियों से बात कर के राजेश खान की गिरफ्तारी के लिए एआई ए. शेख और हैडकांस्टेबल माने को हवाई जहाज से कोलकाता भेज दिया. दोनों राजेश के पहुंचने से पहले ही हावड़ा रेलवे स्टेशन पर पहुंच गए और उसे गिरफ्तार कर लिया.

26 साल के राजेश खान को मुंबई ला कर पूछताछ की गई तो उस ने खुशबू से प्रेम होने से ले कर उस की हत्या तक की जो कहानी सुनाई, वह इस प्रकार थी—

राजेश खान पश्चिम बंगाल के जनपद मुर्शिदाबाद की तहसील नगीनबाग के गांव रोशनबाग का रहने वाला था. गांव में वह मातापिता एवं भाईबहनों के साथ रहता था. गांव में उस के पास खेती की जमीन तो थी ही, बाजार में कपड़ों की दुकान भी थी, जो ठीकठाक चलती थी. उसी दुकान के लिए वह कपड़ा लेने थाणे के उल्लासनगर आता था. वह जब भी कपड़े लेने उल्लासनगर आता था, अपने भांजे शफीउल्ला से मिलने जरूर आता था.

24 साल की खुशबू उर्फ जमीला से राजेश खान की मुलाकात उस की कपड़ों की दुकान पर हुई थी. वह उसी के गांव के पास की ही रहने वाली थी. उस की शादी ऐसे परिवार में हुई थी, जिस की आर्थिक स्थिति काफी खराब थी. वह जिन सपनों और उम्मीदों के साथ ससुराल आई थी, वे उसे पूरे होते नजर नहीं आ रहे थे. खुली हवा में सांस लेना घूमनाफिरना, मनमाफिक पहननाओढ़ना उस परिवार में कभी संभव नहीं था.

इसलिए जल्दी ही वहां खुशबू का दम घुटने लगा. खुली हवा में सांस लेने के लिए उस का मन मचल उठा. दुकान पर आनेजाने में जब उस ने राजेश खान की आंखों में अपने लिए चाहत देखी तो वह भी उस की ओर आकर्षित हो उठी.

चाहत दोनों ओर थी, इसलिए कुछ ही दिनों में दोनों एकदूसरे के करीब आ गए. जल्दी ही उन की हालत यह हो गई कि दिन में जब तक दोनों एक बार एकदूसरे को देख नहीं लेते, उन्हें चैन नहीं मिलता. उन के प्यार की जानकारी गांव वालों को हुई तो उन के प्यार को ले कर हंगामा होता, उस के पहले ही वह खुशबू को ले कर मुंबई आ गया और किराए का फ्लैट ले कर उसी में उस के साथ रहने लगा. मुंबई में उस ने उस से निकाह भी कर लिया.

मुंबई पहुंच कर खुशबू ने आत्मनिर्भर होने के लिए एक ब्यूटीपार्लर में नौकरी कर ली. इस से राजेश खान चिंता मुक्त हो गया. वह महीने में 10-15 दिन मुंबई में खुशबू के साथ रहता था तो बाकी दिन गांव में रहता था.

मुंबई आ कर खुशबू में काफी बदलाव आ गया था. ब्यूटीपार्लर में काम करने के बाद उस के पास जो समय बचता था, उस समय का सदुपयोग करते हुए अधिक कमाई के लिए वह बीयर बार में काम करने चली जाती थी. पैसा आया तो उस ने रहने का ठिकाना बदल दिया. अब वह उसी इमारत में आ कर रहने लगी, जहां शफीउल्ला अपने परिवार के साथ रहता था. वहां उस ने सुखसुविधा के सारे साधन भी जुटा लिए थे.

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खुशबू के रहनसहन को देख कर राजेश खान के मन संदेह हुआ. उस ने उस के बारे में पता किया. जब उसे पता चला कि खुशबू ब्यूटीपार्लर में काम करने के अलावा बीयर बार में भी काम करती है तो उस ने उसे बीयर बार में काम करने से मना किया. लेकिन उस के मना करने के बावजूद खुशबू बीयर बार में काम करती रही. इस से राजेश खान का संदेह बढ़ता गया.

18 नवंबर की सुबह खुशबू बीयर बार की ड्यूटी खत्म कर के फ्लैट पर आई तो राजेश खान को अपना इंतजार करते पाया. उस समय वह काफी गुस्से में था. उस के पूछने पर खुशबू ने जब सीधा उत्तर नहीं दिया तो वह उस पर भड़क उठा. वह उस के साथ मारपीट करने लगा तो खुशबू ने साफसाफ कह दिया, ‘‘मैं तुम्हारी पत्नी हूं, गुलाम नहीं कि जो तुम कहोगे, मैं वहीं करूंगी.’’

‘‘खुशबू, तुम मेरी पत्नी ही नहीं, प्रेमिका भी हो. मैं तुम्हें बहुत प्यार करता हूं. तुम अपनी ब्यूटीपार्लर वाली नौकरी करो, मैं उस के लिए मना नहीं करता. लेकिन बीयर बार में काम करना मुझे पसंद नहीं है. मैं नहीं चाहता कि लोग तुम्हें गंदी नजरों से ताकें.’’

‘‘मैं जो कर रही हूं, सोचसमझ कर कर रही हूं. अभी मेरी कमानेखाने की उम्र है, इसलिए मैं जो करना चाहती हूं, वह मुझे करने दो.’’ कह कर खुशबू बैडरूम में जा कर कपड़े बदलने लगी.

राजेश खान को खुशबू से ऐसी बातों की जरा भी उम्मीद नहीं थी. वह भी खुशबू के पीछेपीछे बैडरूम में चला गया और उसे समझाने की गरज से बोला, ‘‘इस का मतलब तुम मुझे प्यार नहीं करती. लगता है, तुम्हारी जिंदगी में कोई और आ गया है?’’

‘‘तुम्हें जो समझना है, समझो. लेकिन इस समय मैं थकी हुई हूं और मुझे नींद आ रही है. अब मैं सोने जा रही हूं. अच्छा होगा कि तुम अभी मुझे परेशान मत करो.’’

खुशबू की इन बातों से राजेश खान का गुस्सा बढ़ गया. उस की आंखों में नफरत उतर आई. उस ने चीखते हुए कहा, ‘‘मेरी नींद को हराम कर के तुम सोने जा रही हो. लेकिन अब मैं तुम्हें सोने नहीं दूंगा.’’

यह कह कर राजेश खान खुशबू की बुरी तरह से पिटाई करने लगा. हाथपैर से ही नहीं, उस ने उसे बेल्ट से भी मारा. इस पर भी उस का गुस्सा शांत नहीं हुआ तो फर्श पर पड़ी दर्द से कराह रही खुशबू के सीने पर सवार हो गया और दोनों हाथों से उस का गला दबा कर उसे मौत के घाट उतार दिया.

खुशबू के मर जाने के बाद जब उस का गुस्सा शांत हुआ तो उस के पैरों तले से जमीन खिसक गई. उसे जेल जाने का डर सताने लगा. वह लाश को ठिकाने लगाने के बारे में सोचने लगा. काफी सोचविचार कर उस ने लाश को फ्लैट में ही छिपा कर गांव भाग जाने में अपनी भलाई समझी. उस का सोचना था कि अगर वह गांव पहुंच गया तो पुलिस उसे कभी पकड़ नहीं पाएगी.

उस ने बैडरूम मे रखे खुशबू के बैग को खाली किया और उस में उस की लाश को मोड़ कर रख कर उसे बैड के नीचे खिसका दिया. वह दरवाजे पर ताला लगा कर बाहर निकल रहा था, तभी उस का भांजा शफीउल्ला उसे सीढि़यों पर मिल गया, जिस की वजह से खुशबू की हत्या का रहस्य उजागर हो गया.

घर की चाबी शफीउल्ला को दे कर वह सीधे कल्याण रेलवे स्टेशन पहुंचा और वहां से कोलकाता जाने वाली ज्ञानेश्वरी एक्सप्रैस पकड़ कर गांव के लिए चल पड़ा.

राजेश खान से पूछताछ के बाद पुलिस ने उस के खिलाफ अपराध संख्या 324/2016 पर खुशबू की हत्या का मुकदमा दर्ज कर उसे मैट्रोपौलिटन मजिस्ट्रैट के सामने पेश किया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया. मामले की जांच एआई वाई.आर. खैरनार कर रहे थे.

– कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

Crime Story: पीपीई किट में दफन हुई दोस्ती- भाग 3

इस दौरान कर्मचारी ने मोबाइल नंबर पूछा. तब एक हत्यारोपी ने हड़बड़ी में अपने जीजा का मोबाइल नंबर बता दिया. तभी उसे लगा कि यह गलती हो गई. फिर उस ने वह नंबर कटवा दिया, बाद में परची पर फरजी मोबाइल नंबर लिखवा दिया.

हर्ष ने बताया कि मृतक कोरोना पौजिटिव था, इस के चलते उस की मौत हो गई. शव को जलाने के बाद रात साढ़े 10 बजे सभी अपनेअपने घर चले गए.

लाश ठिकाने लगाने के बाद हर्ष ने मनोज बंसल को सचिन का मोबाइल दे कर उसी शाम साढ़े 7 बजे ही खंदारी से इटावा की बस में बैठा दिया. उस से कहा गया कि इटावा पहुंच कर वह मोबाइल औन कर ले, जिस से लोकेशन इटावा की मिले. फिर इटावा से वह सचिन के घर वालों को फोन कर 2 करोड़ की फिरौती मांगे. फिरौती की काल करने के बाद वह मोबाइल औफ कर ले.

इस के बाद वह वहां से कानपुर चला जाए. वहां मोबाइल चालू करे. ताकि पुलिस भ्रमित रहे और हम लोग पकड़ में न आएं.

रात 12 बजे इटावा पहुंच कर मनोज ने जैसे ही मोबाइल औन किया तो देखा मोबाइल पर सचिन की मां अनीता के लगातार फोन आ रहे थे. मनोज ने डर से फोन नहीं उठाया और न फिरौती मांगी. उस ने उसी समय फोन स्विच्ड औफ कर दिया.

सुबह 4 बजे मनोज दूसरी बस पकड़ कर कानपुर पहुंचा. वहां पहुंच कर फिर से मोबाइल औन किया और बाद में उसे कानपुर के झकरकटी स्टैंड पर फेंक दिया. ऐसा इसलिए किया ताकि पुलिस सचिन की तलाश करे तो उस के मोबाइल की लोकेशन इटावा व कानपुर की मिले.

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पुलिस समझे कि अपहर्त्ता उसे कानपुर की तरफ से ले गए हैं. वह पुलिस को भ्रमित करना चाहते थे. पूरे घटनाक्रम के दौरान किसी ने एकदूसरे से फोन पर बात तक नहीं की, ताकि पुलिस उन्हें पकड़ न सके.

दूसरे दिन 22 जून की सुबह 8 बजे जा कर हैप्पी और रिंकू ने सचिन की अस्थियां यमुना में विसर्जित कर दीं. वे लोग दोपहर 12 बजे पानी के प्लांट से सचिन की चप्पलें उठा कर जंगल में फेंक आए. बताते चलें आरोपी मनोज एक पैर से विकलांग है. उस के 2 बच्चे हैं. पिता की दुकान थी, लेकिन बंद हो गई. लौकडाउन में उस पर ढाई लाख का कर्ज हो गया था.

हैप्पी सुमित का ममेरा भाई था. उस की शादी नहीं हुई है. वह सुमित के साथ ही काम करता है. पिता की मौत हो चुकी है. उसे रुपयों की जरूरत थी. रिंकू एक स्कूल की वैन चलाता था. लौकडाउन के कारण स्कूल बंद होने से वह भी बेरोजगार था. इसलिए वे सभी पैसों के लालच में आ गए थे.

सचिन ने बीबीए की पढ़ाई की थी.  वह पिता के साथ उन के कारोबार में हाथ बंटाता था. जबकि उन के पार्टनर लेखराज चौहान का बेटा हर्ष सचिन से 2 साल छोटा था और बीबीए की पढ़ाई कर रहा था. वह भी पिता के साथ कारोबार में हाथ बंटाता था.

2 करोड़ की फिरौती के लालच में दोस्तों ने भरोसे को तारतार कर दिया. शातिरों ने अपहरण और हत्या की पूरी साजिश इस तरह रची कि पुलिस उलझ कर रह जाए.

सामान्य काल की जगह वाट्सऐप काल की. फोन भी दूसरे शहर में ले जा कर फेंक दिया. सबूत मिटाने के लिए अंतिम संस्कार भी पीपीई किट में कर दिया ताकि किसी को शक न हो. यहां तक कि अस्थियां यमुना में विसर्जित कर दीं, जिस से डीएनए टेस्ट भी न कराया जा सके.

यह सब करने के बाद भी आरोपी पुलिस की गिरफ्त से बच न सके. अपहरण व हत्या के बाद फिरौती वसूलने का सारा तानाबाना सुमित व हर्ष ने ही बुना था.

पुलिस ने गिरफ्तार किए गए हत्यारोपियों से 7 मोबाइल, 1200 रुपए नकदी के साथ 2 कारें भी बरामद कीं. इस के चलते पुलिस को न तो लाश मिली न ही अस्थियां मिलीं.

ऐसे में केस में मजबूत साक्ष्य ही आरोपियों को सजा दिला पाएंगे. इस के लिए पुलिस ने फोरैंसिक एक्सपर्ट की टीम की मदद से 28 जून के बाद 29 जून को भी अन्य साक्ष्य जुटाए.

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जिस पानी के प्लांट में हत्याकांड को अंजाम दिया गया, वहां से फोरैंसिक एक्सपर्ट की टीम को सचिन का एटीएम कार्ड मिला. यह सचिन की हत्या के दौरान संघर्ष में गिर गया होगा.

इस के अलावा टीम को वहां फिंगर और फुटप्रिंट भी मिले हैं, ये आरोपियों के अलावा सचिन के हो सकते हैं. वहीं कुछ बाल भी मिले. यह आरोपियों के हो सकते हैं. इन्हें फोरैंसिक साइंस लैब भेजा गया.

यहां से पुलिस ने जली हुई सिगरेट, खाली गिलास और पानी की बोतल बरामद की थी.  इन पर फिंगरप्रिंट थे. वहीं पुलिस ने श्मशान घाट पर रवि वर्मा के नाम से जो रसीद कटवाई गई थी, उस की कौपी भी बरामद कर ली.

पुलिस ने घाट के कर्मचारी के बयान दर्ज किए. कमला नगर में जिस मैडिकल स्टोर से पीपीई किट खरीदी थी, उस के मालिक के बयान के साथ ही दुकान में लगे कैमरों के फुटेज भी पुलिस ने ले लिए.

इस के साथ ही पुलिस को कमला नगर व बल्केश्वर क्षेत्र के सीसीटीवी कैमरों की फुटेज भी मिल गई, जिस में आरोपी साफ नजर आ रहे थे. ये सारे सबूत केस में आरोपियों को सजा दिलाने के लिए साक्ष्य बनेंगे.

आरोपियों की कार और वैन पुलिस ने बरामद कर ली. कार में वे सचिन को ले गए थे, जबकि वैन में शव को ले कर गए थे.

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इस साल सचिन की शादी की तैयारी थी. उस के लिए कई रिश्ते आए थे. बात भी चल रही थी. सोचा था कि नवंबर में उस की शादी कर देंगे. बेटे की शादी कर बहू घर लाने की ख्वाहिश अब चौहान दंपति का सपना ही बन कर रह गई.

29 जून, 2021 को पुलिस ने गिरफ्तार किए गए पांचों हत्यारोपियों को न्यायालय में पेश किया, जहां से सभी को जेल भेज दिया गया.

Crime Story in Hindi- अधूरी मौत: भाग 2- क्यों शीतल ने अनल के साथ खतरनाक खेल खेला?

‘‘वहां पर आप टेंट लगा कर कैंपिंग भी कर सकते है. यहां टेंट में रात को रुकने का अपना ही रोमांच है. वहां आप को डिस्टर्ब करने के लिए कोई नहीं होगा.’’ ड्राइवर ने उस जगह के बारे में बताया.

‘‘और लोग भी तो होते होंगे वहां पर?’’ अनल ने पूछा.

‘‘सामान्यत: भीड़ वाले समय में 2 टेंटों के बीच लगभग 100 मीटर की दूरी रखी जाती है. आप की इच्छानुसार आप का टेंट नो डिस्टर्ब वाले जोन में लगा देंगे.’’ ड्राइवर ने बताया.

‘‘चलो ना अनल. ऐसी जगह पर तुम्हारी इच्छा भी पूरी हो जाएगी.’’ शीतल जोर देते हुए बोली.

‘‘चलो भैया आज उसी टेंट में रुकते हैं.’’ अनल खुश होते हुए बोला.

लगभग एक घंटे के बाद वह लोग उस जगह पर पहुंच गए.

‘‘साहब, यहां से लगभग एक किलोमीटर आप को संकरे रास्ते से चढ़ाई करनी है.’’ ड्राइवर गाड़ी पार्किंग में लगाते हुए बोला.

‘‘अच्छा होता तुम भी हमारे साथ ऊपर चलते. एक टेंट तुम्हारे लिए भी लगवा देते.’’ अनल गाड़ी से उतरते हुए बोला.

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‘‘नहीं साहब, मैं नहीं चल सकता. मैं आज अपने परिवार के साथ रहूंगा. यहां आप को टेंट 24 घंटे के लिए दिया जाएगा. उस में सभी सुविधाएं होती हैं. आप खाना बनाना चाहें तो सामान की पूरी व्यवस्था कर दी जाती है और मंगवाना चाहें तो ये लोग बताए समय पर खाना डिलीवर भी कर देते हैं. यहां कैंप फायर का अपना ही  मजा है. इस से जंगली जानवरों का खतरा भी कम रहता है.’’ ड्राइवर ने बताया.

लगभग एक घंटे की चढ़ाई के बाद दोनों पहाड़ी की सब से ऊंची चोटी पर थे.

‘‘हाय कितना सुंदर लग रहा है. यहां से घर, पेड़, लोग कितने छोटेछोटे दिखाई पड़ रहे हैं. ऐसा लगता है जैसे नीचे बौनों की बस्ती हो. मन नाचने को कर रहा है,’’ शीतल खुश हो कर बोली, ‘‘दूर तक कोई नहीं है यहां पर.’’

‘‘अरे शीतू, संभालो अपने आप को ज्यादा आगे मत बढ़ो. टेंट वाले ने बताया है ना नीचे बहुत गहरी खाई है.’’ अनल ने चेतावनी दी.

‘‘यहां आओ अनल, एक सेल्फी इस पौइंट पर हो जाए.’’ शीतल बोली.

‘‘लो आ गया, ले लो सेल्फी.’’ अनल शीतल के नजदीक आता हुआ बोला.

‘‘वाह क्या शानदार फोटो आए हैं.’’ शीतल मोबाइल में फोटो देखते हुए बोली.

‘‘चलो तुम्हारी कुछ स्टाइलिश फोटो लेते हैं. फिर तुम मेरी लेना.’’

‘‘अरे कुछ देर टेंट में आराम कर लो. चढ़ कर आई हो, थक गई होगी.’’ अनल बोला.

‘‘नहीं, पहले फोटो.’’ शीतल ने जिद की, ‘‘तुम यह गौगल लगाओ. दोनों हथेलियों को सिर के पीछे रखो. हां और एक कोहनी को आसमान और दूसरी कोहनी को जमीन की तरफ रखो. वाह क्या शानदार पोज बनाया है.’’ शीतल ने अनल के कई कई एंगल्स से फोटो लिए.

‘‘अब उसी चट्टान पर जूते के तस्मे बांधते हुए एक फोटो लेते हैं. अरे ऐसे नहीं. मुंह थोड़ा नीचे रखो. फोटो में फीचर्स अच्छे आने चाहिए. ओफ्फो…ऐसे नहीं बाबा. मैं आ कर बताती हूं. थोड़ा झुको और नीचे देखो.’’ शीतल ने निर्देश दिए.

तस्मे बांधने के चक्कर में अनल कब अनबैलेंस हो गया पता ही नहीं चला. अनल का पैर चट्टान से फिसला और वह पलक झपकते ही नीचे गहरी खाई में गिर गया. एक अनहोनी जो नहीं होनी थी हो गई.

‘‘अनल…अनल…अनल…’’ शीतल जोरजोर से चीखने लगी. उस ने ड्राइवर को फोन लगाया.

‘‘भैया, अनल पैर फिसलने के कारण खाई में गिर गए हैं. कुछ मदद करो.’’ शीतल जोर से रोते हुए बोली.

‘‘क्या..?’’ ड्राइवर आश्चर्य से बोला, ‘‘यह तो पुलिस केस है. मैं पुलिस को ले कर आता हूं.’’

लगभग 2 घंटे बाद ड्राइवर पुलिस को ले कर वहां पहुंच गया.

‘‘ओह तो यहां से पैर फिसला है उन का.’’ इंसपेक्टर ने जगह देखते हुए शीतल से पूछा.

‘‘जी.’’ शीतल ने जवाब दिया.

‘‘आप दोनों ही आए थे, इस टूर पर या साथ में और भी कोई है?’’ इंसपेक्टर ने प्रश्न किया.

‘‘जी, हम दोनों ही थे. वास्तव में यह हमारा डिलेड हनीमून शेड्यूल था.’’ शीतल ने बताया.

‘‘देखिए मैडम, यह खाई बहुत गहरी है. इस में गिरने के बाद आज तक किसी के भी जिंदा रहने की सूचना नहीं मिली है. सुना है.

‘‘आप के घर में और कौनकौन हैं?’’ इंसपेक्टर ने पूछा.

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‘‘अनल के पिताजी हैं सिर्फ. जोकि पैरालिसिस से पीडि़त हैं और बोलने में असमर्थ.’’ शीतल ने बताया, ‘‘इन का कोई भी भाई या बहन नहीं हैं. 5 साल पहले माताजी का स्वर्गवास हो गया था.’’

‘‘तब आप के पिताजी या भाई को यहां आना पड़ेगा.’’ इंसपेक्टर बोला

‘‘मेरे परिवार से कोई भी इस स्थिति में नहीं है कि इतनी दूर आ सके.’’ शीतल ने कहा.

‘‘आप के हसबैंड का कोई दोस्त भी है या नहीं.’’ इंसपेक्टर ने झुंझला कर पूछा.

‘‘हां, अनल का एक खास दोस्त है वीर है. उन्हीं ने हमारी शादी करवाई थी.’’ शीतल ने जवाब दे कर इंसपेक्टरको वीर का नंबर दे दिया.

इंसपेक्टर ने वीर को फोन कर थाने आने को कहा.

‘‘सर, लगभग 60 मीटर तक सर्च कर लिया मगर कोई दिखाई नहीं पड़ा. अब अंधेरा हो चला है, सर्चिंग बंद करनी पड़ेगी.’’ सर्च टीम के सदस्यों ने ऊपर आ कर बताया.

‘‘ठीक है मैडम, आप थाने चलिए और रिपोर्ट लिखवाइए. कल सुबह सर्च टीम एक बार फिर भेजेंगे.’’ इंसपेक्टर ने कहा, ‘‘वैसे कल शाम तक मिस्टर वीर भी आ जाएंगे.’’

दूसरे दिन शाम के लगभग 4 बजे वीर थाने पहुंच गया. इंसपेक्टर ने पूरी जानकारी उसे देते हुए पूछा, ‘‘वैसे आप के दोस्त के और उन की पत्नी के आपसी संबंध कैसे हैं?’’

‘‘अनल और शीतल की शादी को 9 महीने हो चुके हैं और अनल ने मुझ से आज तक ऐसी कोई बात नहीं कही, जिस से लगे कि दोनों के बीच कुछ एब्नार्मल है.’’ वीर ने इंसपेक्टर को बताया.

‘‘और आप की भाभीजी मतलब शीतलजी के बारे में क्या खयाल है आपका?’’ इंसपेक्टर ने अगला प्रश्न किया.

‘‘जी, वो एक गरीब घर से जरूर हैं मगर उन की बुद्धि काफी तीक्ष्ण है. उन्होंने बिजनैस की बारीकियों पर अच्छी पकड़ बना ली है. अनल भी अपने आप को चिंतामुक्त एवं हलका महसूस करता था.’’ वीर ने बताया.

‘‘देखिए, आप के बयानों के आधार पर हम इस केस को दुर्घटना मान कर समाप्त कर रहे हैं. यदि भविष्य में कभी लाश से संबंधित कोई सामान मिलता है तो शिनाख्त के लिए आप को बुलाया जा सकता है.’’ इंसपेक्टर ने कहा.

‘‘जी बिलकुल.’’

‘‘वीर भैया, अनल की आत्मा की शांति के लिए सभी पूजापाठ पूरे विधिविधान से करवाइए. मैं नहीं चाहती अनल की आत्मा को किसी तरह का कष्ट पहुंचे.’’ शहर पहुंचने पर भीगी आंखों के साथ शीतल ने हाथ जोड़ कर कहा.

‘‘जी भाभीजी आप निश्चिंत रहिए,’’ वीर बोला.

एक दिन वीर ने शीतल से कहा, ‘‘करीब 6 महीने पहले अनल ने एक बीमा पौलिसी ली थी, जिस में अनल की प्राकृतिक मौत होने पर 5 करोड़ और दुर्घटना में मृत्यु होने पर 10 करोड़ रुपए मिलने वाले हैं. यदि आप कहें तो इस संदर्भ में काररवाई करें.’’

‘‘वीर भाई साहब, आप जिस बीमे के बारे में बात कर रहे हैं, उस के विषय में मैं पहले से जानती हूं और अपने वकीलों से इस बारे में बातें भी कर रही हूं.’’ शीतल ने रहस्योद्घाटन किया.

अनल का स्वर्गवास हुए 45 दिन बीत चुके थे. अब तक शीतल की जिंदगी सामान्य हो गई थी. धीरेधीरे उस ने घर के सभी पुराने नौकरों को निकाल कर नए नौकर रख लिए थे. हटाने के पीछे तर्क यह था कि वे लोग उस से अनल की तरह नरम व पारिवारिक व्यवहार की अपेक्षा करते थे. जबकि शीतल का व्यवहार सभी के प्रति नौकरों जैसा व कड़ा था. नए सभी नौकर शीतल के पूर्व परिचित थे.

इस बीच शीतल लगातार वीर के संपर्क में थी तथा बीमे की पौलिसी को जल्द से जल्द इनकैश करवाने के लिए जोर दे रही थी.

शीतल की जिंदगी में बदलाव अब स्पष्ट दिखाई देने लगा था. एक दिन शीतल क्लब से रात 12 बजे लौटी. कार से उतरते हुए उसे घर की दूसरी मंजिल पर किसी के खड़े होने का अहसास हुआ.

उस ने ध्यान से देखने की कोशिश की मगर धुंधले चेहरे के कारण कुछ समझ में नहीं आ रहा था. आश्चर्य की बात यह थी कि जिस गैलरी में वह शख्स खड़ा था, वह उस के ही बैडरूम की गैलरी थी. और वह ऊपर खड़ा हो कर बाहें फैलाए शीतल को अपनी तरफ आने का इशारा कर रहा था.

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