सौजन्य- मनोहर कहानियां
दूसरी पारी में वाझे ने जब खाकी वर्दी पहनी, तभी सोच लिया था कि इस बार बड़े काम करेगा. उस ने दिलीप छाबडि़या और रिपब्लिक भारत टीवी चैनल के प्रधान संपादक अर्नब गोस्वामी जैसे बड़े लोगों पर हाथ डाले, तो मुंबई में फिर से उस के चर्चे होने लगे.
वाझे इस बार ‘बड़े खेल’ करना चाहता था. इसीलिए उस ने अंबानी परिवार को धमकाने के मकसद से उन के आवास के सामने जिलेटिन की छड़ों से भरी गाड़ी रखने की साजिश रची. इस साजिश में उस ने हिरेन के अलावा अपने महकमे के कुछ नएपुराने लोगों को भी शामिल किया. वाझे ने हिरेन को मोटी रकम देने का वादा किया था.
इसी साजिश के तहत 17 फरवरी को हिरेन की स्कौर्पियो चोरी होने का नाटक रचा गया. जिलेटिन की छड़ें रखने के बाद इस स्कौर्पियो को 24-25 फरवरी की दरम्यानी रात अंबानी के आवास एंटीलिया के बाहर लावारिस हालत में छोड़ दिया गया.
अपने उच्चाधिकारियों से कह कर वाझे ने एंटीलिया केस की जांच खुद अपने हाथ में ले ली. उस ने हिरेन और साजिश में शामिल दूसरे लोगों को यह भरोसा दिलाया कि जांच में वह किसी पर भी आंच नहीं आने देगा. लेकिन बाद में यह मामला विपक्ष ने गरमा दिया, जिस से हालात विपरीत होते चले गए.
वाझे ने अपने हाथ से बाजी निकलते देखी, तो उसे डर हुआ कि हिरेन उस का भांडा फोड़ सकता है. एंटीलिया मामले की साजिश की सब से कमजोर कड़ी हिरेन ही था. इसलिए वाझे ने एक अपराध पर परदा डालने के लिए दूसरा अपराध करने की साजिश रची. उस ने हिरेन को ही ठिकाने लगाने का फैसला किया ताकि न रहे बांस और न बजे बांसुरी.
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करा दी हिरेन की हत्या
सचिन वाझे ने पूर्व कांस्टेबल विनायक शिंदे और क्रिकेट सटोरिए नरेश गोरे सहित कुछ दूसरे लोगों के सहयोग से 4 मार्च की रात हिरेन की हत्या करवा दी. वाझे के कहने पर शिंदे ने पुलिस अधिकारी तावड़े के नाम से हिरेन को फोन कर के पूछताछ के लिए बुलाया. उसी रात हिरेन को मार कर मुंब्रा खाड़ी में फेंक दिया गया. हिरेन को ठिकाने लगवाने के बाद वाझे जानबूझ कर एक डांस बार की जांच करने गया था.
एंटीलिया केस और हिरेन की हत्या के मामले में बाद में एनआईए ने 10 अप्रैल को वाझे के सब से करीबी सहायक पुलिस निरीक्षक रियाजुद्दीन काजी को गिरफ्तार कर लिया. काजी से एनआईए ने मार्च के महीने में दसियों बार पूछताछ की थी. उस के खिलाफ कई अहम सबूत मिले. उस ने वाझे के आपराधिक सबूतों को नष्ट किया था. उस की सोसायटी में कई बार खड़ी रही वाझे की स्कौर्पियो के फुटेज निकाल कर उसी ने नष्ट किए थे.
एनआईए ने वाझे की महिला मित्र मीना जार्ज को भी जांच के दायरे में रख कर कई बार पूछताछ की. कहा जाता है कि वह वाझे की काली कमाई का हिसाबकिताब रखती थी. वाझे एक होटल में बैठ कर अपने काले कारनामों की योजना बनाता था. इसी होटल में वह अपने विश्वस्त लोगों से मिलता भी था.
पता चला कि वाझे 16 से 20 फरवरी के बीच नरीमन पौइंट के सब से आलीशान होटल ट्राइडेंट में रुका था. वाझे ने इस होटल में फरजी आधार कार्ड से बुकिंग कराई थी.
महाराष्ट्र एटीएस और एनआईए ने वाझे की 8 लग्जरी कारों के अलावा बैंकों में लाखों रुपए के लेनदेन के सबूत हासिल किए हैं. एक बैंक खाते में डेढ़ करोड़ रुपए जमा होने का पता चला है. उसे सर्विस रिवौल्वर के लिए दी गई 25 गोलियां कम मिलीं, जबकि 62 बेनामी कारतूस मिले. एक डायरी भी बरामद की गई है, जिस में अवैध वसूली और बड़े लोगों को ‘नजराना’ देने का हिसाबकिताब था.
अब इस मामले की जांच में सीबीआई भी जुड़ गई है. बौंबे हाईकोर्ट ने पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह की याचिका पर महाराष्ट्र के पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख के खिलाफ सीबीआई को जांच करने के आदेश दिए हैं. हाईकोर्ट का आदेश होने पर देशमुख ने 5 अप्रैल को गृहमंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया था.
एंटीलिया केस से शुरू हुए मामलों की जांच सीबीआई और एनआईए कर रही है. जबकि महाराष्ट्र एटीएस ने भी अपनी जांच बंद नहीं की है. हिरेन की स्कौर्पियो चोरी के मामले की जांच मुंबई पुलिस अलग से कर रही है.
एनआईए की पूछताछ में यह बात भी सामने आई है कि अंबानी के आवास के सामने विस्फोटकों से भरी स्कौर्पियो खड़ी करने के बाद वाझे ने एक बड़े एनकाउंटर की योजना बनाई थी. इस में वाझे कुछ लोगों का एनकाउंटर कर पूरे मामले को उन के सिर मढ़ने वाला था.
इस के लिए औरंगाबाद से चोरी एक मारुति ईको कार का उपयोग किया जाना था. आतंकी संगठन जैश उल हिंद के जिम्मेदारी लेने का मामला भी वाझे की ही चाल थी. वाझे को यह उम्मीद नहीं थी कि एनआईए की एंट्री इतनी जल्दी हो जाएगी. एनआईए की एंट्री के साथ ही वाझे का खेल बिगड़ने लग गया था.
इस कहानी में 3 मुख्य किरदार हैं— अनिल देशमुख, परमबीर सिंह और सचिन वाझे. इन में सब से अहम सचिन वाझे और उस की मित्र मंडली है. अब तीनों ही संकट में फंसे हुए हैं और तीनों की ही अलगअलग स्तरों पर जांच चल रही है. वाझे को नौकरी से बर्खास्त करने की प्रक्रिया चल रही है.
सचिन वाझे: मोहरा या बड़ा खिलाड़ी बनने की तमन्ना
करीब 2 महीने की जांचपड़ताल के बाद भी इस सवाल का जवाब सामने नहीं आया कि वाझे का अंबानी परिवार को धमकाने का मकसद अवैध रूप से धन वसूली था या कुछ और?
माना यही जा रहा है कि वाझे ने यह खेल अवैध वसूली के लिए खेला था. इस खेल के पीछे किसी पुलिस अधिकारी या नेता का हाथ था या फिर वाझे खुद अपने लिए वसूली करना चाहता था, यह पहेली भी नहीं सुलझी है.
अगले भाग में पढ़ें- वाझे का शिवसेना से क्या नाता था