फेसबुक से निकली मौत: भाग 1

22 जून, 2019 की सुबह पुणे शहर के पौश इलाके में स्थित मुढ़वा की रहने वाली 40 वर्षीय राधा अग्रवाल घर से अपनी स्कूटी ले कर निकली थी. उस ने घर पर बताया था कि वह अपनी सहेलियों के साथ साईंबाबा के दर्शन करने शिरडी जा रही है. 2 दिन में घर लौट आएगी. घर से निकलते समय वह अपने सारे गहने पहने हुई थी. जब वह 25 जून तक नहीं लौटी तो पति किशोरचंद्र अग्रवाल ने उस का फोन मिलाया. लेकिन राधा का फोन स्विच्ड औफ मिला.

राधा के 16 वर्षीय बेटे मानव अग्रवाल ने इस बारे में अपनी मां की सहेलियों से बात की तो उन्होंने बताया कि वह तो शिरडी गई ही नहीं थी, न ही उन्हें राधा के शिरडी जाने की कोई जानकारी है.

राधा की सहेलियों से यह जानकारी मिलने पर परिवार के लोग परेशान हो गए. चूंकि उस दिन राधा अग्रवाल गहने पहन कर गई थी, इसलिए उन की चिंता और भी बढ़ गई. 25 जून की शाम को ही मानव अग्रवाल अपने 3-4 सगेसंबंधियों के साथ थाना मुढ़वा पहुंच गया. उस ने वहां मौजूद थानाप्रभारी संपतराव भोसले को अपनी मां के लापता होने की विस्तार से जानकारी दे दी.

राधा अग्रवाल शहर के करोड़पति रियल एस्टेट कारोबारी किशोरचंद्र अग्रवाल की पत्नी थी. मानव अग्रवाल की बात सुन कर थानाप्रभारी भी आश्चर्य में पड़ गए कि आशा अग्रवाल आखिर अपनी मरजी से कहां चली गई.

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बहरहाल, उन्होंने राधा अग्रवाल की डिटेल्स लेने के बाद मानव को भरोसा दिया कि पुलिस उन्हें अपने स्तर से ढूंढने की कोशिश करेगी.

चूंकि मामला एक प्रतिष्ठित परिवार की महिला से जुड़ा था, इसलिए थानाप्रभारी ने इस की सूचना अपने वरिष्ठ अधिकारियों को दे दी. इस के बाद उन्होंने राधा अग्रवाल की गुमशुदगी की काररवाई शुरू कर दी. उन्होंने फोटो सहित उस का हुलिया पुणे शहर के सभी पुलिस थानों को भिजवा दिया. इस के अलावा उन्होंने मुखबिरों को भी लगा दिया.

थानाप्रभारी ने मामले की जांच के लिए एसआई अमोल गवली, स्वप्निल पाटील, हैडकांस्टेबल कैलाश चह्वाण, निलेश जगताप, श्रीनाथ जाधव, अमोल चह्वाण और एस.ए. काकड़े को शामिल कर एक टीम बनाई. पुलिस टीम अपने स्तर से राधा अग्रवाल को तलाशने लगी.

जांच में पता चला कि राधा अग्रवाल शादी के पहले से ही खुले विचारों वाली थी. वह किसी प्रकार के बंधनों को नहीं मानती थी. शादी के बाद उसे परिवार भी वैसा ही मिला था. घर में उसे किसी प्रकार की कोई कमी नहीं थी. अभाव केवल एक यह था कि पति का ज्यादा संग नहीं मिल पाता था, क्योंकि पति किशोरचंद्र अग्रवाल अपने रियल एस्टेट कारोबार में ज्यादा व्यस्त रहते थे. एक बेटा था जो पढ़ाई कर रहा था.

सोशल मीडिया पर रहने का शौक

राधा के पास भले ही रुपएपैसों की कमी नहीं थी, लेकिन वह पति का साथ चाहती थी जो उसे नहीं मिल पाता था. वह कसे हुए बदन की सुंदर महिला थी. एक युवक की मां होने के बाद भी उस का शारीरिक आकर्षण बरकरार था. यही वजह थी कि राधा ने अपना मन बहलाने के लिए जब सोशल मीडिया का सहारा लिया तो कुछ ही दिनों में उस के हजारों फालोअर्स और सैकड़ों दोस्त बन गए थे.

राधा ने घूमने के लिए एक स्कूटी ले रखी थी, जिस से वह अपने दोस्तों और सहेलियों से मिलने जाया करती थी. वह तरहतरह के पोज में खींचे गए अपने फोटो फेसबुक पर डाल दिया करती थी, जिस से उसे काफी प्रशंसा मिलती थी. सोशल मीडिया से जुड़ने के बाद राधा अग्रवाल के चेहरे पर अकसर चमक दिखाई देती थी. वह अपनी इस जिंदगी से काफी खुश रहने लगी थी.

यह जानकारी मिलने के बाद जांच अधिकारी को इस बात का पूरा भरोसा हो गया कि राधा अग्रवाल की गुमशुदगी के पीछे कोई गहरा रहस्य है, जिस का परदा उठाना जरूरी है. पुलिस ने राधा अग्रवाल का मोबाइल नंबर ले कर उस की काल डिटेल्स निकलवाई तो अंतिम लोकेशन पुणे के ही भोसले नगर, रेंज हिल इलाके की मिली.

पुलिस वहां पहुंच गई और इधरउधर खोजबीन करने लगी. वहां पर एक स्कूटी मिली, जो राधा अग्रवाल की ही थी. पुलिस ने स्कूटी की डिक्की खोल कर देखी तो उस में राधा का मोबाइल फोन मिला. फोन डिस्चार्ज हो चुका था.

जब मोबाइल को चार्ज कर औन किया किया तो वाट्सऐप और फेसबुक पर महिला और युवक दोस्तों की लंबी फेहरिस्त देख पुलिस टीम हैरान रह गई. राधा अग्रवाल के फोन पर जिस नंबर से आखिरी बार बातचीत हुई थी, पुलिस ने उस नंबर की जांच की तो वह नंबर आनंद निगम का निकला, जो कर्नाटक का रहने वाला था.

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पुलिस टीम उस के घर पहुंच गई लेकिन वह घर से फरार मिला. परिवार वालों से पूछताछ कर के आखिरकार पुलिस उस के पास पहुंच ही गई. आनंद निगम को हिरासत में ले कर पुलिस पुणे लौट आई.

आनंद निगम से थाने में पूछताछ की जानी थी, इसलिए सूचना पा कर डीसीपी सुहास बाबचे और एसीपी सुनील देशमुख भी थाना मुढ़वा पहुंच गए. पुलिस अधिकारियों के सामने थानाप्रभारी संपतराव भोसले ने आनंद निगम से राधा अग्रवाल के बारे में पूछताछ की तो पहले तो वह यही कहता रहा कि राधा अग्रवाल नाम की किसी महिला को नहीं जानता.

लेकिन पुलिस ने जब वाट्सऐप और फेसबुक पर उस की और राधा की चैटिंग दिखाई तो वह सहम गया. वह चाह कर भी अपना झूठ नहीं छिपा सका. सख्ती से की गई पूछताछ में उस ने स्वीकार कर लिया कि वह राधा अग्रवाल की हत्या कर चुका है.

हत्या की बात सुनते ही पुलिस चौंक गई. आनंद से उस की लाश के बारे में पूछा गया तो उस ने बता दिया कि लाश ताम्हिणी के वर्षाघाट के जंगलों में है. हत्या करने के बाद वह उस के सभी गहने और नकदी ले भागा था.

पुलिस को किसी भी तरह राधा अग्रवाल की बौडी बरामद करनी थी. उसे संशय था कि कहीं जंगली जानवरों ने शव को नष्ट न कर दिया हो. इसलिए पुलिस आनंद निगम को ले कर 12 जुलाई, 2019 को ताम्हिणी वर्षा घाट के जंगल में जा पहुंची.

लेकिन जंगल में राधा अग्रवाल के केवल अस्थिपंजर और कपड़े मिले. उस का मांस जंगली जानवर नोंचनोंच कर खा चुके थे. पुणे पुलिस ने स्थानीय पुलिस के सहयोग से कंकाल बरामद कर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया. इस के बाद पुलिस आनंद निगम को ले कर पुणे लौट आई.

पूछताछ करने पर आनंद निगम ने राधा अग्रवाल की हत्या की जो कहानी बताई, वह इस तरह थी.

आनंद की अपनी कहानी

31 वर्षीय आनंद निगम मूलरूप से कर्नाटक का रहने वाला था. उस के पिता का नाम शिवाजी निगम था. परिवार में उस के मातापिता के अलावा एक छोटी बहन थी. परिवार की माली स्थिति साधारण थी.

जब उस के पिता का निधन हो गया तो घर की जिम्मेदारी आनंद पर आ गई. वह रोजीरोटी की तलाश में परिवार के साथ पुणे आ गया और वहां की वृंदावन कालोनी के तापकीर नगर में रहने लगा.

पुणे में रहते हुए उस की मां ने एक दूसरे आदमी का हाथ पकड़ लिया था. बहन जवान हुई तो उस ने भी लवमैरिज कर ली. इस के बाद आनंद ने भी अंतरजातीय विवाह कर अपना घर बसा लिया. समय गुजरता गया और वह 2 बच्चों का बाप बन गया.

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फेसबुक से निकली मौत: भाग 2

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अपनी रोजीरोटी के लिए उस ने एक पुरानी कार ले ली और लोगों को कार चलाना सिखाने लगा. उस के पास ड्राइविंग सीखने के लिए ज्यादातर महिलाएं आती थीं. व्यवहारकुशल होने के नाते अधिकतर महिलाएं उस के प्रभाव में आ जाती थीं, जो उस की दोस्त बन जाती थीं. वह उन से फेसबुक, वाट्सऐप के माध्यम से चैटिंग किया करता था, जिस का असर उस के व्यवसाय पर पड़ने लगा था.

यह बात जब उस की पत्नी को मालूम हुई तो उस ने उसे आड़ेहाथों लिया. विवाद इतना बढ़ा कि उसे अपना कार ड्राइविंग का धंधा बंद करना पड़ा. इस के बाद उसे परिवार चलाने के लिए कोई काम तो करना ही था. उस ने अपने जानपहचान वालों और दोस्तों से ब्याज पर पैसे ले कर भोसले नगर के रेंज हिल इलाके में एक टी-स्टाल शुरू कर दिया. स्टाल पर वह बीड़ीसिगरेट भी बेचता था.

इस काम में उस की मां भी मदद किया करती थी. पूरा दिन खपाने के बाद भी इस काम में कोई खास आमदनी नहीं हो पाती थी. घर का खर्च भी बमुश्किल चलता था. ऐसे में उसे कर्ज उतारना भी मुश्किल हो गया था. नतीजा यह हुआ कि उस का कर्ज बढ़तेबढ़ते 2 लाख के करीब पहुंच गया. वह इसी चिंता में रहता कि कर्ज कैसे उतारे.

आनंद सोशल साइट्स पर एक्टिव रहता था. एक दिन उस ने फेसबुक पर राधा अग्रवाल का प्रोफाइल देखा तो उस पर मोहित हो गया. उस ने बिना देर किए फ्रैंड रिक्वेस्ट भेज दी. राधा अग्रवाल ने भी आनंद निगम का फोटो देखते ही उस की फ्रैंड रिक्वेस्ट स्वीकार कर ली.

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हालांकि राधा अग्रवाल और आनंद निगम की उम्र में काफी अंतर था. राधा अग्रवाल आनंद निगम से करीब 10 साल बड़ी थी. लेकिन दोनों को इस से कोई फर्क नहीं पड़ा. कुछ दिनों की चैटिंग के दौरान दोनों में गहरी दोस्ती हो गई और धीरेधीरे वे एकदूसरे के करीब आने लगे.

राधा अग्रवाल के पास पैसों की कमी नहीं थी. खर्च करने के लिए उस के पास पैसा ही पैसा था. जबकि कहीं आनेजाने के लिए स्कूटी थी. वह आनंद निगम के संपर्क में आ कर कुछ इस प्रकार फिसली कि अपनी मर्यादा की लक्ष्मण रेखाओं को भी लांघ गई. जब भी मौका मिलता, दोनों पुणे शहर के किसी भी होटल में जा कर मौजमजे कर लेते थे.

समय अपनी गति से चल रहा था. राधा अग्रवाल अब पूरी तरह से आनंद निगम पर आंख मूंद कर भरोसा करने लगी थी. आनंद निगम उस से जो भी कहता, उसे वह तहेदिल से स्वीकार करती थी. आनंद निगम को जब इस बात का पूरा यकीन हो गया कि राधा पूरी तरह उस की दीवानी है, तो उस ने अपने ऊपर चढ़े कर्जे को उतारने की एक खतरनाक योजना तैयार कर ली.

वैसे तो राधा अग्रवाल लाख दो लाख रुपए उसे ऐसे ही दे सकती थी. लेकिन आनंद अपने ऊपर किसी प्रकार का बोझ नहीं रखना चाहता था. इस से रिश्ता खराब होने पर राधा अग्रवाल भी उस से अपना पैसा मांग सकती थी. यही सब सोच कर वह सिर्फ अपनी योजना पर ध्यान देने लगा.

योजना को अंजाम देने के लिए एक दिन उस ने राधा से कहा, ‘‘राधा, तुम इतनी खूबसूरत हो कि अगर किसी मैगजीन में तुम्हारे फोटो भेजे जाएं तो वे कवर पेज पर छप सकते हैं.’’

यह सुन कर खुश होते हुए राधा बोली, ‘‘सच!’’

‘‘हां, क्या तुम ने अपने फोटोजेनिक चेहरे को कभी गौर से नहीं देखा?’’ आनंद बोला,  ‘‘देखो, मैं चाहता हूं कि किसी नैचुरल जगह पर तुम्हारा फोटोशूट कर के फोटो मैगजीन वगैरह में भेजे जाएं.’’

‘‘ठीक है, मैं इस के लिए तैयार हूं.’’ राधा बोली.

‘‘तो ठीक है, तुम कल अपने सारे गहने पहन कर आ जाओ. हम पुणे से कहीं दूर चलेंगे.’’

राधा उस पर आंखें मूंद कर भरोसा करती ही थी. इसलिए 22 जून की सुबह अपने सारे गहने पहन कर घर से निकली. घर वालों से उस ने कह दिया कि वह अपनी सहेलियों के साथ स्कूटी से साईंबाबा के दर्शन करने शिरडी जा रही है. 2 दिन में लौट आएगी.

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इस के बाद वह स्कूटी ले कर आनंद द्वारा बताई गई जगह पर पहुंच गई. आनंद वहां पहले ही खड़ा था. वहां से आनंद ने राधा की स्कूटी संभाली और राधा उस के पीछे चिपक कर बैठ गई.

राधा छली गई ग्लैमर के चक्कर में

दोनों आपस में हंसीमजाक करते हुए कब पुणे से 80 किलोमीटर दूर निकल गए, पता ही नहीं चला. और जब पता चला तो वह ताम्हिणी के वर्षाघाट के जंगलों में पहुंच गए थे. आनंद निगम को अपनी योजना के अनुसार वह जगह उपयुक्त लगी. उस ने स्कूटी एक तरफ खड़ी कर दी. इस के बाद उस ने राधा से फोटो सेशन के लिए तैयार होने को कहा.

राधा अग्रवाल खुशीखुशी अपना फोटो सेशन कराने के लिए तैयार हो गई. सड़क से कुछ दूर जंगल में जा कर आनंद अलगअलग ऐंगल से उस के फोटो खींचने लगा. फिर आनंद ने राधा से एकदो हौरर फोटो खींचने के लिए अनुरोध किया. हौरर फोटो सेशन करने के लिए आनंद ने राधा की सहमति से पहले उस की आंखों पर पट्टी बांधी. फिर उस के हाथपैर बांध कर फोटो खिंचवाने को कहा.

राधा उस के कहने के अनुसार करती रही. हाथपैर बांधने के बाद आनंद ने उस के सारे गहने उतार कर अपने पास रख लिए. इस के बाद उस ने साथ छिपा कर लाए गए तेज धारदार चाकू से राधा अग्रवाल का गला रेत दिया. राधा अग्रवाल की एक मार्मिक चीख निकल कर निर्जन जंगल में खो गई.

राधा अग्रवाल की हत्या करने के बाद आनंद निगम ने उस का मोबाइल फोन स्कूटी की डिक्की में रख दिया. उस के हैंडबैग से नोटों से भरा पर्स निकाल लिया और स्कूटी ले कर पुणे की तरफ लौट पड़ा था. ताम्हिणी वर्षा घाट से कुछ दूर आनंद ने पर्स से सारे पैसे निकालने के बाद उसे भी फेंक दिया.

इस के बाद वह घोरपेड़ फाटक पर आ कर एक पान की दुकान पर रुका. वहां पर उस ने एक सिगरेट पी.

वहां से आनंद निगम अपने घर न जा कर सीधे अपने टी-स्टाल पर पहुंचा. उस समय रात का एक बजा था. चारों तरफ सन्नाटा था. उस ने राधा की स्कूटी अपने टी-स्टाल के पीछे खड़ी कर चाकू टी-स्टाल के अंदर छिपा दिया. फिर वह निश्चिंत हो कर अपने घर चला गया.

2 दिन निकल जाने के बाद राधा अग्रवाल के लूटे गए गहनों में से 7 तोले सोने के गहनों को वह अपने एक रिश्तेदार के यहां छिपा कर रख आया. बाकी बचे गहनों को ज्वैलर्स के यहां बेच कर अपना कर्ज उतार दिया. इतना करने के बाद वह पुणे शहर को छोड़ कर कर्नाटक में अपने गांव निकल गया.

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आनंद निगम से विस्तार से पूछताछ करने के बाद पुलिस ने उस की निशानदेही पर हत्या में इस्तेमाल चाकू और राधा अग्रवाल के गहने बरामद कर लिए. उसे भादंवि की धारा 302, 201, 363, 364(ए) के तहत गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया, जहां से उसे पुणे की यरवडा जेल भेज दिया गया.

-कथा में किशोरचंद्र और मानक नाम परिवर्तित हैं.

कहानी सौजन्य-मनोहर कहानियां

इश्क की फरियाद: भाग 1

लेखक- अलंकृत कश्यप

25 अप्रैल, 2019 को कोराना गांव के लोगों ने बाकनाला पुल के नीचे एक युवक का शव पड़ा देखा.

कोराना गांव लखनऊ के थाना मोहनलालगंज के अंतर्गत आता है, जो  लखनऊ मुख्यालय से करीब 20 किलोमीटर दूर है. ग्रामीणों ने जब नजदीक जा कर देखा तो उन्होंने मृतक को पहचान लिया.

वह 45 वर्षीय आशाराम रावत का शव था, जो डलोना गांव का रहने वाला था. वह मोहनलालगंज में राजकुमार का टैंपो किराए पर चलाता था. उसी समय किसी ने इस की सूचना थाना मोनहलालगंज पुलिस को दे दी तो कुछ ही देर में थानाप्रभारी गऊदीन शुक्ल एसआई अनिल कुमार और हैडकांस्टेबल राजकुमार व लाखन सिंह को साथ ले कर घटनास्थल की तरफ रवाना हो गए.

पुलिस दल जब घटनास्थल पर पहुंचा तो उन्होंने शव देखते ही पहचान लिया क्योंकि वह टैंपो चालक आशाराम रावत का था. उस के हाथपैर लाल रंग के अंगौछे से बंधे थे और गला कटा हुआ था. उस के रोजाना मोहनलालगंज क्षेत्र में सवारी टैंपो चलाने के कारण पुलिस वाले भी उस से परिचित थे.

वहां से एक किलोमीटर दूरी पर स्थित अवस्थी फार्महाउस के पास एक टैंपो लावारिस हालत में मिला. टैंपो की तलाशी लेने पर जो कागज बरामद हुए, उस से पता चला कि वह टैंपो इंद्रजीत खेड़ा के रहने वाले राजकुमार का है. लोगों ने बताया कि यह वही टैंपो है, जिसे आशाराम चलाता था.

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यह हत्या का मामला था. यह भी लग रहा था कि आशाराम की हत्या किसी अन्य स्थान पर कर के उस का शव यहां फेंका गया था. क्योंकि वहां पर खून भी नहीं था.

पुलिस ने मृतक के घर सूचना भिजवाई तो उस की पत्नी रामदुलारी उर्फ निरूपमा रोतीबिलखती मौके पर आ गई. उस ने उस की पहचान अपने पति आशाराम रावत के रूप में की. वह रोजाना की तरह कल सुबह करीब 8 बजे टैंपो ले कर घर से निकले थे.

देर रात तक जब वह घर न लौटे तो बड़े बेटे 16 वर्षीय सौरभ ने उन्हें फोन लगाया तो आशाराम ने कुछ देर बाद लौटने को कहा था. काफी देर बाद भी जब वह घर नहीं आया तो निरूपमा ने भी पति को फोन कर के जानना चाहा कि वह कहां हैं. किंतु फोन बंद होने के कारण बात नहीं हो सकी. तब रात में ही मोहनलालगंज और निकटतम पीजीआई थाने जा कर निरूपमा ने पति के बारे में मालूमात की लेकिन कुछ पता न चलने पर वह निराश हो कर घर लौट आई थी.

लाश की शिनाख्त हो जाने के बाद पुलिस ने लाश पोस्टमार्टम के लिए भेज दी. निरूपमा की तरफ से पुलिस ने गांव के दबंग मोहित साहू, उस के भाई अंजनी साहू, दोस्त अतुल रैदास निवासी जिला कटनी, मध्य प्रदेश और अब्दुल हसन निवासी सीतापुर के खिलाफ भादंवि की धारा 302, 201, 506 और 3(2)(5) एससी/एसटी एक्ट के तहत रिपोर्ट दर्ज कर ली.

मामला एससी/एसटी उत्पीड़न का था, इसलिए इस की जांच एसपी द्वारा सीओ राजकुमार शुक्ला को सौंपी गई. रिपोर्ट नामजद थी इसलिए पुलिस ने आरोपियों के ठिकानों पर दबिश डाली. लेकिन वे पुलिस के हत्थे नहीं चढ़े. तब पुलिस ने मुखबिरों को सतर्क कर दिया.

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आरोपी लिए हिरासत में

पुलिस ने आरोपियों के फोन नंबरों की काल डिटेल्स निकलवा कर उस का अध्ययन किया तो उस से उन सब के 24 अप्रैल की रात के एक साथ होने की पुष्टि मिली. इसी बीच 26 अप्रैल को पुलिस ने मुखबिर की सूचना पर मोहित साहू और उस के भाई अंजनी साहू को गिरफ्तार कर लिया.

दोनों भाइयों से आशाराम रावत की हत्या के बारे में पूछताछ की गई तो उन्होंने उस की हत्या का अपराध स्वीकार कर लिया. पूछताछ के बाद हत्या की जो कहानी सामने आई, वह इस प्रकार निकली—

लखनऊ-रायबरेली राजमार्ग पर शहर की व्यस्ततम कालोनी के बाहर लखनऊ एवं उन्नाव की सीमा पर थाना पीजीआई है. इसी थाने के अंतर्गत गांव डलोना है. इसी गांव में आशाराम रावत का परिवार रहता है. आशाराम का विवाह करीब 9 साल पहले डलोना गांव के ही प्रीतमलाल की सब से बड़ी बेटी रामदुलारी उर्फ निरूपमा के साथ सामाजिक रीतिरिवाज के साथ हुआ था.

रामदुलारी का जीवन ससुराल में हंसीखुशी के साथ अपने पति के साथ बीत रहा था. धीरेधीरे वह 2 बेटों और एक बेटी की मां बन गई. इस समय बड़े बेटे सौरभ की उम्र लगभग 16 साल है. हालांकि आशाराम मूलरूप से लखनऊ के थाना गोसाईगंज के गांव कमालपुर का रहने वाला था, किंतु कामधंधे की तलाश में वह डलोना आ कर रहने लगा. यहां वह टैंपो चलाने लगा.

निरूपमा गोरे रंग की स्लिम शरीर वाली युवती थी. उस के चेहरे पर आकर्षण था. आशाराम टैंपो चालक होने के कारण व्यस्त रहता था. इसलिए घर के सारे काम वह ही करती थी, जिस की वजह से उसे घर से बाहर आनाजाना पड़ता था. तब गांव के कुछ लड़कों की नजरें निरूपमा को चुभती हुई महसूस होती थीं. लेकिन वह उन की तरफ ज्यादा ध्यान नहीं देती थी.

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निरूपमा के पीछे पड़ गया था मोहित

उन्हीं लड़कों में से एक मोहित साहू तो जैसे उस के पीछे पड़ गया था. मोहित की दूध डेयरी थी. दूध देने के बहाने वह निरूपमा के पास जाया करता था. इस से पहले निरूपमा ने उस की डेयरी पर करीब डेढ़ साल तक काम भी किया था. उसी दौरान वह निरूपमा के प्रति आकर्षित हो गया था. वह उसे मन ही मन प्यार करने लगा था. फिर एक दिन उस ने अपने मन की बात निरूपमा से कह भी दी.

निरूपमा ने उसे झिड़कते हुए कहा कि तुम ने मुझे समझ क्या रखा है. आइंदा मेरे रास्ते में आने की कोशिश मत करना वरना अंजाम बुरा होगा. निरूपमा की इस बेरुखी पर वह काफी आहत हुआ. लेकिन इस के बावजूद मोहित ने उस का पीछा करना नहीं छोड़ा. उसे देख कर निरूपमा आगबबूला हो उठती थी.

अकसर मोहित के द्वारा फब्तियां कसने पर निरूपमा ने कई बार उस की पिटाई कर दी थी किंतु इश्क में अंधे मोहित पर इस का कोई असर नहीं हुआ.

निरूपमा उस से तंग आ चुकी थी. एक दिन उस ने अपने पति आशाराम को मोहित की हरकतों से अवगत कराया तो आशाराम ने निरूपमा को ही चुप रहने की सलाह दी. उस ने कहा कि वह आतेजाते मोहित को समझा देगा कि गांवघर की बहूबेटियों की इज्जत पर इस तरह कीचड़ उछालना अच्छा नहीं है.

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एक दिन आशाराम ने मोहित से बात की और अपनी इज्जत की दुहाई देते हुए कहा कि आइंदा वह ऐसा न करे.

कुछ दिन तक तो मोहित शांत रहा किंतु वह अपनी आदतों से मजबूर था. उस का बस एक ही मकसद था कि किसी भी तरह निरूपमा को पाना. कामधंधा छोड़ कर वह दीवानगी में इधरउधर निरूपमा की तलाश में लगा रहता. अंतत: उस ने एक भयानक निर्णय ले लिया.

कहानी सौजन्य – मनोहर कहानियां

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इश्क की फरियाद: भाग 2

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लेखक- अलंकृत कश्यप

मोहित ने फांदी दीवार

गरमी की वजह से उस की आंखों से नींद कोसों दूर थी और बेचैनी से वह इधरउधर करवटें बदल रही थी. तभी अचानक घर में किसी के कूदने की आहट सुनाई दी. धीरेधीरे वह काला साया उस की ओर बढ़ने लगा तो निरूपमा ने पहचानने की कोशिश करते हुए पूछा, ‘‘कौन?’’

निरूपमा की आवाज सुन कर काला साया कुछ क्षणों के लिए ठिठक गया. उस की खामोशी देख कर निरूपमा का माथा ठनका. उस ने सोचा कि यह मोहित ही होगा. उस ने पास आ कर देखा तो वह मोहित ही निकला.

उस रात मोहित काफी देर तक निरूपमा से मिन्नतें करता रहा कि वह एक बार उस की बात मान ले. किंतु निरूपमा ने उसे बुरी तरह डपट दिया. शोरशराबे से उस का पति आशाराम भी जाग गया. आशाराम ने भी मोहित को डांट दिया. उस दिन मोहित को अत्यधिक विरोध सहना पड़ा, जिस से वह अपमानित हो कर तिलमिला कर रह गया.

मोहित अपनी बेइज्जती पर भलाबुरा कहता हुआ उलटे पैरों वापस लौट गया. लेकिन मोहित ने तय कर लिया था कि वह इस अपमान का बदला जरूर लेगा.

अगले दिन शाम के समय उस ने अपने भाई अंजनी, दोस्त अतुल रैदास और अब्दुल हसन को सारी बात बताई और कहा कि वह आशाराम को रास्ते से हटाना चाहता है. भाई और दोनों दोस्तों ने घटना को अंजाम देने के लिए उस का साथ देने की हामी भर दी.

इश्क के जुनून में अंधे मोहित ने निरूपमा का प्यार पाने के लिए अब कुचक्र रचना शुरू कर दिया. 24 अप्रैल, 2019 को शाम के वक्त आशाराम घर डलोना जाने वाली सवारियों का इंतजार कर रहा था. उसी समय मोहित अपने भाई अंजनी के साथ उस के टैंपो में आ कर बैठ गया. तभी मोहित ने ड्राइविंग सीट पर बैठे आशाराम से पीछे वाली सीट पर आ कर बैठने को कहा.

आशाराम मोहित साहू के पास बैठ कर बोला, ‘‘जरा सवारी ढूंढ लूं. तब तक तुम लोग बैठो, मैं अभी आता हूं.’’

‘‘नहीं यार, आज गाड़ी में कोई और नहीं चलेगा, हम तीनों ही चलेंगे. लो, पहले यह जाम पियो.’’ मोहित ने उस की तरफ शराब से भरा डिस्पोजेबल ग्लास बढ़ाते हुए कहा.

‘‘नहीं, मैं दिन में शराब नहीं पीता हूं, सवारियों को ऐतराज होता है.’’ आशाराम टैंपो की पिछली सीट से उतरते हुए बोला.

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‘‘नहीं, तुम्हें आज मेरे साथ बैठ कर तो पीनी ही पड़ेगी.’’ मोहित ने जोर देते हुए कहा.

साजिशन पिलाई शराब

कोई बखेड़ा खड़ा न हो जाए, यही सोच कर वह फिर से पिछली सीट पर आ कर बैठ गया. पिछले दिनों हुई कहासुनी को नजरअंदाज करते हुए मोहित के हाथ से गिलास ले कर एक ही सांस में वह शराब पी गया.

इस के बाद मोहित ने उसे 2 पेग और पिलाए. मोहित आशाराम को देख कर भौचक्का रह गया. फिर उस ने अंजनी को पैसे देते हुए कहा, ‘‘ले भाई, अंगरेजी की एक बोतल और ले आओ. अब हम लोग अतुल रैदास के कमरे पर चलेंगे, फिर वहीं बैठ कर पीएंगे.’’

अंजनी थोड़ी देर में दारू की बोतल ले आया. तब मोहित ने आशाराम से कहा, ‘‘अब तुम हम लोगों को अतुल रैदास के यहां छोड़ आओ, फिर अपने घर को चले जाना.’’

आशाराम उन से विवाद मोल नहीं लेना चाहता था. यही सोच कर वह उन दोनों के साथ गांव की ओर रवाना हो गया.

उस समय शाम के लगभग 7 बज चुके थे. जब वह घर नहीं पहुंचा तो उस के बडे़ बेटे सौरभ ने काल की. उस समय आशाराम ने उस से कहा था कि वह थोड़ी देर में घर आ जाएगा.

मोहित और उस के भाई अंजनी को अतुल रैदास के कमरे पर पहुंचाने के बाद जब आशाराम घर लौटने लगा तो मोहित ने आशाराम को रोक लिया और कहा कि अब यहां हम लोग जम कर पिएंगे. आशाराम मना नहीं कर सका. उन्होंने आशाराम को जम कर शराब पिलाई. जब वह नशे में धुत हो गया तब मोहित, अंजनी और अतुल ने आशाराम के गमछे से हाथपैर बांधने के बाद उस का गला घोंट कर हत्या कर दी. इस के बाद उन्होंने चाकू से उस का गला रेत दिया. अब्दुल हसन भी वहां आ चुका था. अब्दुल हसन उत्तर प्रदेश के जिला सीतापुर का रहने वाला था. वहां रह कर मजदूरी करता था.

इन लोगों ने मिल कर आशाराम के शव को उसी के टैंपो में लाद कर कोराना गांव के पास बाकनाला पुल के नीचे जा कर फेंक दिया. तब तक काफी रात हो चुकी थी, जिस से लाश ठिकाने लगाते समय उन्हें किसी ने नहीं देखा. उस का टैंपो उन्होंने अवस्थी फार्महाउस के पास खड़ा कर दिया था, जो बाद में पुलिस ने बरामद कर लिया था.

सुबह होने पर लोगों ने आशाराम की लाश देखी तो सूचना पुलिस को दी गई.

उन की निशानदेही पर पुलिस ने अतुल रैदास के कमरे से वह चाकू भी बरामद कर लिया, जिस से आशाराम का गला काटा गया था. मोहित साहू और अंजनी साहू से विस्तार से पूछताछ करने के बाद पुलिस ने उन्हें न्यायालय में पेश कर जेल भेज दिया.

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इस के बाद पुलिस अन्य आरोपियों की तलाश में जुट गई. इस के 3 दिन बाद ही अब्दुल हसन व अतुल रैदास को 30 अप्रैल, 2019 को गिरफ्तार कर लिया गया. इन्होंने भी अपना अपराध स्वीकार कर लिया. इन दोनों से पूछताछ करने के बाद पुलिस ने इन्हें भी जेल भेज दिया. कथा लिखने तक सभी हत्यारोपी जेल में बंद थे.

कहानी सौजन्य – मनोहर कहानियां

कातिल हसीना : भाग 3

राजेश साधारण पढ़ालिखा युवक था. वह दिल्ली में किसी कंपनी में काम करता था. बात तय होने के बाद 8 जून, 2015 को मुनकी का ब्याह राजेश के साथ हो गया.

शादी के बाद मुनकी अपनी ससुराल में रहने लगी. मुनकी ने जैसे पति का सपना संजोया था, राजेश वैसा ही था. वह उसे खूब प्यार करता था और उस की हर ख्वाहिश पूरी करता था.

मुनकी को ससुराल में वैसे तो हर तरह का सुख था, लेकिन पति की कमी उसे खलती थी. क्योंकि राजेश दिल्ली में प्राइवेट कंपनी में काम करता था. उसे महीने 2 महीने  बाद ही छुट्टी मिल पाती थी. फिर कुछ दिन पत्नी के संग रह कर वह वापस चला जाता था. मुनकी ने पति के साथ रहने की इच्छा जताई तो राजेश ने यह कह उसे कर अपने साथ ले जाने से मना कर दिया कि मांबाप की सेवा कौन करेगा.

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मुनकी की ससुराल और मायके में चंद खेतों की दूरी थी. अत: मुनकी का मायके आनाजाना लगा रहता था. वह सुबह मायके जाती तो शाम को ससुराल आ जाती थी. मुनकी की शादी हो जरूर गई थी, लेकिन कंधई सिंह उसे भूला नहीं था. वह अब भी एक तरफा प्यार में उस का दीवाना था. जब भी वह मायके आती थी तो कंधई उसे ललचाई नजरों से देखा करता था. कभीकभी वह उस से हंसीमजाक भी कर लेता था.

कंधई सिंह ने जब देखा कि मुनकी उस की किसी बात का बुरा नहीं मानती तो वह उस की ससुराल भी जाने लगा. उस ने मुनकी के सासाससुर से भी मेलजोल बढ़ा लिया था. वह कंधई को इसलिए घर आने से मना नहीं करते थे, क्योंकि वह उन की बहू का मौसेरा भाई था.

हर तरह का मुनकी को ससुराल में आना पसंद नहीं था लेकिन वह इस वजह से उसे मना नहीं कर पाती थी, क्योंकि उसे डर सता रहा था कि कहीं कंधई पुरानी बातों का जिक्र उस के पति और ससुराल वालों से न कर दे.

कंधई सिंह ने मुनकी देवी की ससुराल आना शुरू किया तो उस ने पुरानी हरकत फिर शुरू कर दी. कभी वह उस से प्यार का इजहार करता तो कभी शारीरिक छेड़छाड़. मुनकी उस से पीछा छुड़ाने की कोशिश करती थी. उस ने कई बार सोचा कि वह सासससुर से कहे कि वह कंधई को घर न आने दें, पर वह हिम्मत नहीं जुटा सकी. इस तरह समय बीतता रहा.

4 फरवरी, 2020 की शाम मुनकी घर में अकेली थी. उस की सास पड़ोस में हो रहे कीर्तन में गई थी और ससुर खेत पर सिंचाई करा रहे थे. तभी कंधई सिंह आ गया. उस ने सूना घर देखा तो उसे मुनकी की देह जीतने का यह सुनहरा मौका लगा. उस ने भीतर से दरवाजे की कुंडी बंद कर ली और अंदर के कमरे में जा कर मुनकी को दबोच लिया.

मुनकी भी अस्मत बचाने के लिए कंधई से भिड़ गई. स्वयं को मुक्त कराने के लिए वह कंधई को गालियां भी बक रही थी. और उस पर थप्पड़ भी बरसा रही थी. लेकिन कंधई उसे बेतहाशा चूमचाट रहा था. किसी तरह मुनकी उस के शैतानी चंगुल से छूट गई और कुंडी खोल कर बाहर आ गई.

इस के बाद कंधई भी नहीं रुका और वहां से चला गया. कुछ देर बाद उस की सास भी आ गई. लेकिन उस ने कंधई की हरकतों की जानकारी अपनी सास को नहीं दी.

देर रात मुनकी के सासससुर गहरी नींद में सो गए तब मुनकी ने अपने पति राजेश को फोन मिलाया और कहा, ‘‘आप तुरंत घर आ जाइए. मैं मुसीबत में हूं. न आए तो मैं अपनी जान दे दूंगी.’’

‘‘पर ऐसी क्या बात हो गई, जो तुम जान देने की बात कर रही हो.’’ राजेश ने पत्नी से पूछा.

‘‘हर बात का जवाब फोन पर नहीं दिया जा सकता. कुछ गंभीर बातें होती हैं, जो आमनेसामने बैठ कर ही की जा सकती हैं. इसलिए तुम फौरन घर आ जाओ.’’ मुनकी ने पति को जवाब दिया.

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राजेश, अपनी पत्नी को बेहद प्यार करता था. वह जान गया कि मुनकी किसी बात को ले कर बेहद परेशान है. अत: उस ने घर जाने का निश्चय किया और उसी दिन वह दिल्ली से ट्रेन में बैठ कर घर के लिए चल दिया.

पति को बताई व्यथा

18 घंटे के सफर के बाद राजेश घर पहुंचा तो मुनकी उसे देखते ही फूटफूट कर रोने लगी. कुछ देर बाद जब आंसुओं का सैलाब थमा तो उस ने अपनी व्यथा पति को बताई और बदतमीज मौसेरे भाई कंधई सिंह को सबक सिखाने को उकसाया.

पत्नी की आपबीती सुन कर राजेश का खून खौल उठा. उस ने कंधई को सबक सिखाने की ठान ली. राजेश ने अपने ससुर भीखू को घर बुलाया और सारी बात बता कर सहयोग मांगा. भीखू पहले से ही कंधई पर जलाभुना बैठा था. वह राजेश का साथ देने को राजी हो गया. इस के बाद राजेश, भीखू और मुनकी देवी ने सिर से सिर जोड़ कर कंधई सिंह की हत्या की योजना बताई.

इधर 2-3 दिन बीत गए और मुनकी ने कोई शिकवा शिकायत नहीं की तो कंधई सिंह को लगा कि मुनकी दिखावे का विरोध करती है. दिल से वह भी उस से मिलना चाहती है. अत: अब जब भी मौका मिलेगा वह अपनी इच्छा पूरी कर लेगा. भले ही मुनकी विरोध जताती रहे.

7 फरवरी, 2020 की रात 8 बजे एक बार फिर राजेश भीखू और मुनकी ने आपस में मंत्रणा की. फिर तीनों तेंदुआ बरांव गांव स्थित प्राथमिक विद्यालय के पास पहुंच गए. राजेश अपने साथ लोहे की रौड ले आया था. राजेश और भीखू स्कूल के पूर्वी छोर पर खेत किनारे घात लगा कर बैठ गए.

योजना के अनुसार मुनकी ने रात लगभग 8 बजे कंधई सिंह से मोबाइल फोन पर बात की और देह मिलन के बहाने उसे प्राथमिक विद्यालय के पूर्वी छोर पर बुला लिया.

कंधई सिंह इस के लिए न जाने कब से तड़प रहा था. सो वह मुनकी के झांसे में आ गया. उस ने पत्नी राधा से कहा कि वह जरूरी काम से जा रहा है. कुछ देर में वापस आ जाएगा. फिर वह घर से निकला और प्राथमिक विद्यालय के पूर्वी छोर पर पहुंच गया. मुनकी उस का ही इंतजार कर रही थी. वह मुनकी से बात करने लगा. तभी घात लगाए बैठे राजेश और भीखू ने उस पर हमला कर दिया.

रौड के प्रहार से कंधई सिंह का सिर फट गया और वह रास्ते में ही गिर पड़ा. इस के बाद भीखू और मुनकी ने कई प्रहार कंधई सिंह के सिर व चेहरे पर किए जिस से उस की मौत हो गई. नफरत और घृणा से भरी मुनकी ने कंधई के गुप्तांग पर भी प्रहार कर उसे कुचल दिया. हत्या करने के बाद राजेश ने कंधई का मोबाइल फोन तोड़ कर वहीं फेंक दिया. फिर वह्य तीनों फरार हो गए.

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12 फरवरी, 2020 को थानाप्रभारी देवेंद्र पांडेय ने अभियुक्त राजेश, भीखू तथा मुनकी से पूछताछ करने के बाद उन्हें श्रावस्ती की जिला अदालत में पेश किया, जहां से उन्हें जिला जेल भेज दिया गया.

-कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित  

कातिल हसीना : भाग 2

जानकी से छोटी मुनकी थी. छरहरी काया की मुनकी दिखने में सहज थी. उस का पढ़ाई में मन नहीं लगता था इसलिए उस ने प्राइमरी से आगे नहीं पढ़ी. फिर वह घर के कामों में हाथ बंटाने लगी. भीखू के घर से कुछ दूरी पर मुन्नू सिंह रहते थे. वह खेतीकिसानी करते थे. उन के परिवार में पत्नी कमला देवी के अलावा कंधई सिंह और वकील सिंह नाम के 2 बेटे थे.

भीखू और मुन्नू के परिवारों में काफी प्रेम था. दोनों ही परिवारों के सदस्य एकदूसरे के घर आतेजाते थे. कंधई सिंह जवान हुआ तो मुन्नू सिंह ने उस का विवाह राधा नाम की युवती के साथ कर दिया. राधा ने ससुराल आते ही सभी का मन मोह लिया. वह पति के साथसाथ सासससुर की भी खूब सेवा करती थी.

कंधई सिंह रंगीनमिजाज था. घर में सुंदर पत्नी होने के बावजूद वह पराई औरतों को ललचाई नजरों से देखता था, जिस से उस की शिकायतें घर आती रहती थीं. पत्नी राधा उसे समझाती थी लेकिन वह उस की बात हंस कर टाल देता था.

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मौसेरी बहन पर बुरी नजर

कंधई सिंह का भीखू के घर आनाजाना था. मुनकी रिश्ते में उस की मौसेरी बहन थी. दरअसल कंधई और मुनकी की मां एक ही गांव की थीं. इस तरह कंधई सिंह मुनकी की मां को मौसी कहता था और मुनकी देवी कंधई की मां को मौसी कहती थी. दोनों में खूब बातें होती रहती थीं.

एक शाम कंधई सिंह मुनकी के घर पहुंचा तो वह सजधज कर कहीं जा रही थी. उस के इस रूप को देख कर कंधई सिंह ठगा सा रह गया. उस का सुहाना रूप पलक झपकते ही कंधई की आंखों के रास्ते से दिल में उतर गया. वह सोचने लगा कि चिराग तले अंधेरा. मुनकी इतनी लाजवाब यौवन की मल्लिका है, इस ओर तो मैं ने ध्यान नहीं दिया.

रंगीनमिजाज कंधई सिंह के मन में कामना की ऐसी आंधी चली कि उस की धूल ने सारे रिश्तेनातों को ढक लिया. वह भूल गया कि मुनकी उस की मौसेरी बहन है. वह चाहता था कि मुनकी उस के सामने रहे और वह उसे अपलक निहारता रहे.

लेकिन ऐसा संभव नहीं था. उसे मां के साथ किसी कार्यक्रम में जाना था. मुनकी चली गई तो वह भी वापस घर आ गया. लेकिन उस रात नींद उस की आंखों तक नहीं पहुंच पाई. आती भी कैसे उस की आंखों में तो मुनकी का अक्स बसा था और जेहन में उस के ही खयाल धमाचौकड़ी मचा रहे थे.

किया प्यार का इजहार

दूसरे रोज कंधई सिंह मुनकी के घर पहुंचा तो वह घर में अकेली थी. भीखू खेत पर था और मां उसे नाश्तापानी देने खेत पर गई थी. उचित मौका देख कर कंधई ने मुनकी की कलाई थाम ली और बोला, ‘‘मुनकी, तुम बहुत सुंदर हो. तुम्हारा यह रूप मेरी आंखों में रचबस गया है. मैं तुम्हें चाहने लगा हूं.’’

मुनकी अपना हाथ छुड़ाते हुए बोली, ‘‘भैया, आज आप को क्या हो गया है, जो इस तरह की बेहूदा बातें कर रहे हो. मैं रिश्ते में आप की बहन लगती हूं. भला कोई भाई अपनी बहन की कलाई इस तरह पकड़ता है. चले जाओ घर से, वरना मैं शोर मचा दूंगी.’’

मुनकी के तेवर देख कर कंधई सिंह चला गया तो मुनकी सोचने लगी कि कंधई अब पहले जैसा नहीं रहा. उस की सोच बदल गई है, मन में पाप भी है. इसलिए उस ने निश्चय किया कि अब वह उस से सतर्क रहेगी. रिश्तेदारी में कलह न हो इसलिए मुनकी ने कंधई की इस हरकत को शरारत मानकर यह बात अपने मातापिता को नहीं बताई.

इधर जब 2-3 दिन बीत गए और कोई शोरशराबा नहीं हुआ तो कंधई समझ गया कि मुनकी ने किसी से शिकायत नहीं की है, अत: उस की हिम्मत बढ़ गई. वह मन ही मन सोचने लगा कि मुनकी दिखावे के तौर पर विरोध करती है. वह भी उस से प्यार करती है. इसलिए कंधई अब मुनकी का प्यार पाने को उतावला रहने लगा.

एक रोज मुनकी के मातापिता जब खेतों के लिए निकल गए तभी कंधई सिंह आ धमका. उस ने मुख्य दरवाजा बंद किया और मुनकी को बांहों में भर लिया, फिर गालों को चूमने लगा. मुनकी कसमसाई और खुद को छुड़ाते हुए बोली, ‘‘भैया यह पाप है.’’

‘‘प्यार में पाप और पुण्य नहीं देखा जाता. प्यार की शुरुआत तो करो. मोहब्बत तुम्हें भी मजा देने लगेगी.’’ कंधई ने समझाया.

मुनकी के तेवर तीखे हो गए, ‘‘बहुत हो गया भैया, तुम घर से चले जाओ. वरना बहुत बुरा हो जाएगा.’’ कंधई सिंह का इरादा और आगे बढ़ने का था, लेकिन तभी पड़ोसन ने कुंडी खटखटाई जिस से वह डर गया. फिर मौके की नजाकत भांप कर कंधई वहां से चला गया.

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पत्नी ने कंधई को दी चेतावनी

शाम को जब मुनकी के मातापिता खेत से घर लौटे तो मुनकी ने उन से कंधई की शिकायत कर दी. बेटी की बात सुन कर भीखू का गुस्सा सातवें आसमान पर जा पहुंचा. वह उस के घर पहुंचा और कंधई को खूब खरीखोटी सुनाई. उस ने कंधई की शिकायत उस की मां कमला से भी की. कमला ने कंधई को समझाने का भरोसा दे कर भीखू का गुस्सा शांत किया.

दूसरे रोज जब कंधई अपने खेतों पर गया तो मुनकी मन में क्रोध व नफरत का गुबार ले कर उस के घर पहुंची. उस समय घर में कंधई की पत्नी राधा थी. राधा ने मुनकी का तमतमाया चेहरा देखा तो पूछ बैठी, ‘‘क्या बात है मुनकी, तुम गुस्से में लग रही हो?’’

‘‘भाभी, भैया को समझा देना. वरना ठीक नहीं होगा.’’ मुनकी गुस्से से बोली.’’

‘‘ऐसा क्या किया, तुम्हारे भैया ने?’’ राधा ने पूछा.

‘‘भाभी, भैया रिश्ते की सीमा और मर्यादा भूल गए हैं. पिछले कुछ समय से वह मुझे परेशान कर रहे हैं. एक तरफा प्यार में दीवाने बन गए हैं.’’

पति की करतूत सुन कर राधा सन्न रह गई. फिर किसी तरह स्वयं के मनोभावों पर नियंत्रण कर के बोली, ‘‘मुनकी यह तुम ने अच्छा किया कि मुझे बताने चली आई. तुम यह बात किसी और को मत बताना, मैं सब संभाल लूंगी. अब तुम निश्चिंत हो कर घर जाओ.’’

मुनकी को विश्वास था कि राधा ही उसे इस मुसीबत से मुक्ति दिला सकती है. इसीलिए वह उस के पास शिकायत करने आई थी. राधा को सारी बात बताने के बाद मुनकी का दुख हलका हो गया और वह अपने घर लौट आई.

पत्नी ने कंधई को दी चेतावनी

शाम को कंधई घर लौटा, तो राधा ने उसे आड़े हाथों लिया, ‘‘बहन पर ही नीयत खराब करते हुए तुम्हें शर्म नहीं आई, चुल्लू भर पानी में डूब कर मर क्यों नहीं गए?’’ राधा ने उंगली उठाते हुए पति को चेतावनी दी, ‘‘आइंदा तुम ने मुनकी के साथ ऐसीवैसी हरकत की तो मुझ से बुरा कोई नहीं होगा.’’

कंधई पहले तो चौंका, फिर संभल कर बोला, ‘‘राधा मुझे माफ कर दो. आइंदा ऐसी गलती नहीं होगी.’’ उस समय उस ने चुप रहने में ही भलाई समझी.

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इधर भीखू को इस बात का डर था कि कहीं कंधई उस की बेटी के साथ कोई ऐसीवैसी हरकत न कर दे जिस से परिवार की बदनामी हो. इसलिए वह मुनकी की शादी के लिए लड़का ढूंढ़ने लगा. काफी दौड़धूप के बाद उसे पड़ोसी गांव बालकराम पुरवा, मजरा रामपुर का एक लड़का राजेश पसंद आ गया.

जानें आगे क्या हुआ अगले भाग में… 

कातिल हसीना : भाग 1

उस दिन फरवरी 2020 की 7 तारीख थी. सुबह के 8 बजे थे. घना कोहरा छाया हुआ था, जिस से सूरज अपनी चमक नहीं बिखेर पा रहा था. उत्तर प्रदेश के श्रावस्ती जिले के तेंदुआ बरांव गांव का रहने वाला सुंदर सिंह अपने खेतों की ओर जा रहा था.

जब वह प्राथमिक विद्यालय के पूर्वी छोर पर अपने खेतों के पास पहुंचा तो वहां एक युवक की लाश देख कर वह ठिठक गया. फिर वह उल्टे पैर गांव की ओर दौड़ पड़ा. गांव पहुंच कर उस ने लाश पड़ी होने की जानकारी गांव वालों को दी. उस के बाद तो गांव में कोहराम मच गया. कुछ ही देर में लाश के पास ग्रामीणों की भीड़ जुट गई.

लाश पड़ी होने की खबर जब इसी गांव के रहने वाले वकील सिंह को लगी तो उस का माथा ठनका. क्योंकि उस का भाई कंधई सिंह बीती रात से घर से गायब था. पूरा परिवार रात भर उस की तलाश में जुटा रहा, परंतु उस का कुछ पता नहीं चल पाया था. अत: वह बदहवास हालत में घटना स्थल पर पहुंचा.

शव औंधे मुंह पड़ा था. उस ने जैसे ही शव को पलटा वैसे ही उस की चीख निकल पड़ी. क्योंकि वह शव उस के भाई कंधई सिंह का ही था. किसी ने बड़ी बेहरमी से की थी. इस के बाद बड़ी उस के परिवार में कोहराम मच गया. मृतक की मां कमला देवी और पत्नी राधा भी मौके पर आ गईं और शव से लिपट कर दोनों रोने लगीं.

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इसी दौरान किसी ने फोन कर के शव मिलने की सूचना थाना मल्हीपुर में दे दी. हत्या की खबर पाते ही थानाप्रभारी देवेंद्र पांडेय पुलिस टीम के साथ ले तेंदुआ बरांव गांव की तरफ चल दिए. इस बीच उन्होंने यह सूचना अपने वरिष्ठ अधिकारियों को भी दे दी थी.

जब पुलिस घटनास्थल पर पहुंची तब तक वहां ग्रामीणों की भीड़ जुट गई थी. थानाप्रभारी देवेंद्र पांडेय घटनास्थल का बारीकी से निरीक्षण करने में जुट गए. कंधई सिंह के सिर पर किसी भारी चीज से प्रहार कर के उसे मौत के घाट उतारा था. चेहरे पर भी प्रहार कर उस की पहचान मिलाने की कोशिश की गई थी.

सिर व चेहरे पर गहरी चोट के निशान थे. कपड़े, खून से तरबतर थे. जमीन पर भी खून फैला था, जिसे मिट्टी ने सोख लिया था. हत्यारे ने मृतक के गुप्तांग को भी कुचला था. उसे देख कर ऐसा लग रहा था कि हत्या अवैध रिश्तों के चलते की गई है. मृतक की उम्र यही कोई 30 वर्ष के आसपास थी और वह शरीर से हृष्टपुष्ट था.

थानाप्रभारी देवेंद्र पांडेय अभी घटनास्थल का निरीक्षण कर ही रहे थे कि सूचना पा कर एसपी अनूप कुमार सिंह, एएसपी वी.सी. दूबे तथा सीओ हौसला प्रसाद घटनास्थल पर पहुंच गए. पुलिस अधिकारियों ने मौके पर फोरैंसिक टीम को भी बुलवा लिया. पुलिस अधिकारियों ने जहां घटनास्थल का बारीकी से निरीक्षण किया, वहीं फोरैंसिक टीम ने भी वहां से साक्ष्य जुटाए. घटनास्थल पर एक टूटा हुआ मोबाइल भी पड़ा मिला था जिसे थानाप्रभारी ने जाब्ते की काररवाई में शामिल कर लिया.

पुलिस अधिकारियों ने मृतक की पत्नी राधा को सांत्वना देने के बाद उस से पूछताछ की. राधा ने बताया कि बीती रात 8 बजे उस ने पति के साथ खाना खाया. उस के बाद वह बरतन साफ करने लगी, तभी पति के मोबाइल फोन पर किसी का फोन आया. नंबर देख कर वह घर के बाहर निकले और बात करने के बाद वापस आए. फिर बोले कि जरूरी काम से जा रहे हैं, कुछ देर में आ जाएंगे, पर वह वापस नहीं आए.

खोजने पर नहीं मिला

तब रात 11 बजे राधा ने अपनी सास कमला को जगा कर यह जानकारी दी. कमला ने भी कंधई का फोन मिलाया, लेकिन उस का मोबाइल बंद था. उस के बाद घर वाले उसे रात भर खोजते रहे, पर उस का पता नहीं चला. सुबह मालूम हुआ कि किसी ने उसे मार डाला है.

‘‘तुम्हें किसी पर शक है?’’ एएसपी वी.सी. दूबे ने मृतक की मां कमला देवी से पूछा.

‘‘नहीं, साहब, हमें किसी पर शक नहीं है. हमारा न किसी से लेनदेन का झगड़ा है और न ही जमीन जायदाद का. मैं तो खुद हैरान हूं कि मेरे बेटे को किस ने और क्यों मार डाला?’’ कमला ने बताया.

परिवारजनों से पूछताछ के बाद एसपी अनूप कुमार सिंह ने हत्या का परदाफाश करने तथा कातिलों को पकड़ने के लिए एक पुलिस टीम का गठन किया. इस टीम में मल्हीपुर थानाप्रभारी देवेंद्र पांडेय, सीओ (जमुनिहा) हौसला प्रसाद, सीओ (भिनगा), जंग बहादुर सिंह, एसआई किसलय मिश्र, ए.के. सिंह (क्राइम ब्रांच) आदि को शामिल किया गया. टीम की कमान एएसपी वी.सी. दूबे को सौंपी गई.

पुलिस टीम ने सब से पहले घटनास्थल का निरीक्षण किया, फिर तेंदुआ बरांव गांव के विभिन्न वर्गों के लोगों से घटना के संबंध में पूछताछ की. इस पूछताछ से पता चला कि मृतक कंधई सिंह रंगीनमिजाज था. घर में खूबसूरत पत्नी होने के बावजूद वह बाहर ताकझांक करता था. इसी बात को ले कर कई साल पहले उस की कहासुनी गांव के ही भीखू से हुई थी. कंधई सिंह भीखू की बेटी मुनकी से छेड़छाड़ करता था. भीखू ने बेटी की शादी कर दी, इस के बाद भी कंधई सिंह ने उस का पीछा नहीं छोड़ा और उस की ससुराल आनेजाने लगा था.

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पुलिस टीम को लाश के पास से जो टूटा हुआ मोबाइल मिला था, उस का सिम सहीसलामत था, पुलिस ने उस फोन नंबर की काल डिटेल्स निकलवाई. उस से पता चला कि वह फोन मृतक का ही था. काल डिटेल्स से जानकारी मिली कि 7 फरवरी की रात 8.58 बजे कंधई सिंह के मोबाइल पर आखिरी काल जिस मोबाइल नंबर से आई थी वह नंबर राजेश पुत्र धनीराम निवासी बालकरामपुरवा, मजरा रामपुर, थाना मल्हीपुर जिला श्रावस्ती का था. राजेश भीखू का दामाद था, उस समय उस की कंधई से एक मिनट बात हुई थी.

अब पुलिस को राजेश से बात करना जरूरी हो गया. लिहाजा पुलिस टीम राजेश के घर पहुंची, लेकिन उस के घर पर ताला लगा था. राजेश और उस के घर वालों के फरार होने से पुलिस का शक और पुख्ता हो गया. इस के बाद पुलिस ने राजेश के ससुर भीखू सिंह के घर पर छापा मारा. भीखू भी परिवार सहित फरार था.

उन दोनों की तलाश में पुलिस टीम ने कई संभावित ठिकानों पर छापे मारे लेकिन उन का पता नहीं चला. आखिर में पुलिस टीम ने राजेश व अन्य की टोह में अपने खास मुखबिर लगा दिए.

तीनों हुए गिरफ्तार

पुलिस ने मुखबिर की सूचना पर नासिर गंज चौराहे से भीखू, राजेश और उस की पत्नी मुनका देवी को हिरासत में ले लिया. थाने में पुलिस जब राजेश, भीखू तथा मुनकी देवी से कंधई सिंह की हत्या के संबंध में पूछताछ की तो वे तीनों एक सुर हो कर मुकर गए, लेकिन जब उन पर सख्ती बरती गई तो वह तीनों टूट गए और कंधई सिंह की हत्या का जुर्म कबूल कर लिया. पुलिस ने उन की निशानदेही पर हत्या में प्रयुक्त लोहे की रौड भी बरामद कर ली, जो राजेश ने अपने घर में छिपा दी थी.

पुलिस टीम ने कंधई सिंह की हत्या का खुलासा करने तथा कातिलों को पकड़ने की जानकारी एसपी अनूप कुमार सिंह को दी. जानकारी पाते ही वह थाना मल्हीपुर आ गए. उन्होंने अभियुक्तों से विस्तृत पूछताछ की. फिर खुलासा करने वाली पुलिस टीम की पीठ थपथपाई और 15 हजार रुपए ईनाम देने की घोषणा की.

इस के बाद उन्होंने पुलिस सभागार में प्रैस वार्ता की और हत्यारोपियों को मीडिया के समक्ष पेश कर घटना का खुलासा किया.

चूंकि उन तीनों ने हत्या का जुर्म कबूल कर लिया था और हत्या में प्रयुक्त आलाकत्ल भी बरामद करा दिया था, इसलिए थानाप्रभारी देवेंद्र पांडेय ने मृतक के भाई वकील सिंह को वादी बना कर भादंवि की धारा 302 के तहत भीखू, राजेश तथा मुनकी के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर ली. इस के बाद उन लोगों से विस्तार से पूछताछ की गई तो एक हसीना की कातिल चाल का सनसनीखेज खुलासा हुआ.

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उत्तर प्रदेश में श्रावस्ती जिले के मल्हीपुर थाने के अंतर्गत एक गांव है तेंदुआ बरांव. भीखू अपने परिवार के साथ इसी गांव में रहता था. उस के परिवार में पत्नी सोमवती के अलावा 2 बेटियां थीं, जानकी और मुनकी. भीखू मेहनतमजदूरी कर अपने परिवार का पालनपोषण करता था. बड़ी बेटी जानकी जवान हुई तो उस ने उस का विवाह कर दिया. वह अपनी ससुराल में खुशहाल थी.

जानें आगे क्या हुआ अगले भाग में…

ऐसा भी होता है प्यार : भाग 2

पहला भाग पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें- ऐसा भी होता है प्यार : भाग 1

कमला गुस्से से बोली, ‘‘कुलच्छिनी, मुंहजली, तू इतनी बड़ी रासलीला रचाती रही और मुझे खबर तक नहीं लगी. मांबाप की नाक कटाते हुए तुझे शर्म नहीं आई. अगर हमें पता होता कि तू बड़ी हो कर हमारी छाती पर मूंग दलेगी तो जन्मते ही तेरा गला दबा देती. आज के बाद अगर तू राजेश से मिली या बात की तो मुझ से बुरा कोई नहीं होगा.’’

‘‘लेकिन मां, तुम मेरी बात तो सुन लो.’’

‘‘चुपऽऽ अब क्या रह गया है सुननेसुनाने को. हमारी इज्जत तो तूने मिट्टी में मिला दी.’’

कमला गुस्से में पैर पटकती हुई दूसरे कमरे में चली गई. पूनम कमरे में खड़ी आंसू बहाती रही. उस की समझ में नहीं आ रहा था कि अब क्या करे? एक तरफ मांबाप की इज्जत थी तो दूसरी ओर उस का प्यार.

कमला ने पूनम की हरकतों की जानकारी पति को दी तो गिरजाशंकर को बहुत दुख हुआ. उसी पूनम ने पिता के विश्वास को तोड़ दिया था. गिरजाशंकर ने पूनम को प्यार से समझाया और अपने कदम वापस खींचने को कहा. पूनम ने भी पिता से वादा कर लिया कि अब वह राजेश से कभी नहीं मिलेगी. इस के बाद पूनम को कालेज जाना बंद करा दिया गया. कमला उस पर कड़ी नजर रखने लगी.

लेकिन पूनम अपने वादे पर कायम नहीं रह सकी. पूनम और राजेश एकदो माह तक एकदूसरे के लिए तड़पते रहे, फिर जब उन से नहीं रहा गया तो दोनों चोरीछिपे मिलने लगे. उन का मिलन महीने में बमुश्किल एक या 2 बार हो पाता था. बाकी दिनों में दोनों मोबाइल पर बात कर के दिल की लगी बुझाते थे.

ऐसे ही एक रात पूनम राजेश से मोबाइल पर बतिया रही थी कि तभी कमला की आंख खुल गई. वह समझ गई कि पूनम राजेश से ही बात कर रही है. वह आहिस्ता से उठी और पूनम के हाथ से मोबाइल छीन कर दूर फेंक दिया, फिर उसे थप्पड़ घूंसों से पीटने लगी. पिटाई के दौरान कमला ने उसे खूब खरीखोटी सुनाई.

मां की पिटाई से पूनम तिलमिला उठी और बोली, ‘‘मां, तुम मुझे मारपीट कर जख्मी तो कर सकती हो, लेकिन मेरे प्यार को कम नहीं कर सकतीं. मैं राजेश से प्यार करती हूं और करती रहूंगी. शादी भी उसी से करूंगी.’’

बेटी की ढिठाई पर कमला को गुस्सा तो बहुत आया लेकिन किसी तरह गुस्से को काबू में कर के वह दूसरे कमरे में चली गई. अगले कई दिनों तक मांबेटी के बीच बात नहीं हुई. पूनम को अब सारा जहां वीराना लगने लगा.

वह कोई काम करने बैठती तो राजेश का चेहरा सामने आ जाता. फिर वह उसी के बारे में सोचने लगती. मां ने उस का मोबाइल फोन भी छीन लिया था, जिस की वजह से अब वह राजेश से भी बात नहीं कर पाती थी.

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दूसरी ओर पूनम से संपर्क न हो पाने के कारण राजेश की स्थिति भी पागलों जैसी हो गई थी. वह रातदिन पूनम से मिलने के उपाय सोचता रहता था, लेकिन मिल नहीं पाता था. फोन पर भी पूनम से संपर्क नहीं हो पा रहा था, जिस से उस की बेचैनी बढ़ती जा रही थी.

कहते हैं, जहां चाह होती है वहां राह मिल ही जाती है. एक दिन राजेश मोटरसाइकिल से पूनम के गांव आया. उस ने पूनम के घर के चक्कर लगाए तो पूनम उसे दरवाजे पर दिख गई. उस ने इशारा कर पूनम को गांव के बाहर आने को कहा. पूनम ने हिम्मत जुटाई और बहाना कर के घर से निकल आई.

गांव के बाहर सड़क पर राजेश उस के इंतजार में खड़ा था. पूनम के आते ही उस ने उसे मोटरसाइकिल पर बिठाया और सड़क किनारे बगीचे में पहुंच गया. वहां दोनों एक पेड़ की ओट में बैठ कर बतियाने लगे. राजेश बोला, ‘‘पूनम, अब मुझ से तुम्हारी जुदाई बरदाश्त नहीं होती. तुम नहीं मिली तो मैं जीवित नहीं रह पाऊंगा.’’

राजेश की बात सुन कर पूनम उस के सीने से लिपट गई. उस की आंखों से आंसू बहने लगे. कुछ देर में जब आंसुओं का सैलाब थमा तो पूनम बोली, ‘‘राजेश, तुम्हारी जुदाई मुझ से भी बरदाश्त नहीं होती, मैं भी तुम्हारे बिना नहीं जी पाऊंगी. तुम कुछ करो.’’

‘‘मेरा भी यही हाल है पूनम. घरसमाज के लोग हमें जीने नहीं देंगे. अब तो एक ही रास्ता बचा है.’’

‘‘वह क्या?’’ पूनम ने पूछा.

‘‘यही कि हम आत्महत्या कर लें और दुनिया को दिखा दें कि हम सच्चे प्रेमी थे. क्योंकि सच्चा प्यार करने वाले जान तो दे सकते हैं किंतु जुदाई बरदाश्त नहीं कर सकते.’’

‘‘क्या इस के अलावा और कोई रास्ता नहीं है?’’ पूनम ने पूछा.

‘‘एक रास्ता और भी है.’’ राजेश बोला.

‘‘क्या?’’

‘‘यही कि तुम मेरे साथ नोएडा भाग चलो. वहां हम दोनों मंदिर में शादी कर लेंगे. दोनों पतिपत्नी बन जाएंगे तो फिर हमारा कोई कुछ नहीं बिगाड़ पाएगा.’’

‘‘तुम ठीक कहते हो, मैं तुम्हारा साथ देने को तैयार हूं.’’ इस के बाद पूनम और राजेश ने साथ भागने की योजना बनाई. दोनों ने दिन व तारीख भी तय कर ली. इस के बाद पूनम तैयारी में जुट गई. उस ने अपने मातापिता को आभास तक नहीं होने दिया कि वह उन की इज्जत को छुरा घोंपने जा रही है.

उन्हीं दिनों एक रात जब कमला गहरी नींद में सो गई तो पूनम उठी, उस ने अपना जरूरी सामान बैग में रखा और दबेपांव घर के बाहर आ गई. गांव के बाहर सड़क किनारे राजेश मोटरसाइकिल लिए खड़ा था. पूनम के आते ही उस ने उसे मोटरसाइकिल पर बिठाया और वहां से निकल गया.

नोएडा में राजेश 12-22 चौड़ा मोड़ पर वेद मंदिर के पास किराए के मकान में रहता था. पूनम को वह अपने इसी मकान में ले गया. उस ने अपनी प्रेमकहानी अपनी भाभी सरिता को बताई और भैया के साथ शीघ्र आने का अनुरोध किया.

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लेकिन उस का भाई श्याम सिंह यादव इतना नाराज हुआ कि उस ने आने से साफ इनकार कर दिया. इस के बाद राजेश ने मंदिर में पूनम की मांग में सिंदूर भर कर उस के साथ प्रेम विवाह कर लिया और दोनों पतिपत्नी की तरह रहने लगे.

उधर सुबह को कमला सो कर उठी तो बगल की चारपाई पर पूनम को न देख उस का माथा ठनका. उस ने घर के अंदर पूनम को ढूंढा, लेकिन जब वह कहीं नहीं दिखी तो वह दरवाजे पर पहुंची. दरवाजे की कुंडी खुली हुई थी.

कमला ने झकझोर कर पति को जगाया और पूनम के लापता होने की बात बताई. सुन कर गिरजाशंकर घबरा गया. उस ने घरबाहर सब जगह पूनम की खोज की. पर जब वह नहीं मिली तो दोनों ने माथा पीट लिया. दोनों जान गए कि पूनम उन की इज्जत पर दाग लगा कर अपने प्रेमी राजेश के साथ भाग गई है.

कमला और गिरजाशंकर कई दिनों तक पूनम के भागने वाली बात छिपाए रहे. लेकिन ऐसी बातें छिपती कहां हैं. इस बीच पूरा गांव जान गया कि पूनम किसी लड़के साथ भाग गई है.

पूनम को ले कर गांव में तरहतरह की बातें होने लगी थीं. खासकर औरतें ज्यादा चटखारे ले कर बातें कर रही थीं. पूनम के इस कदम से गिरजाशंकर की इज्जत मिट्टी में मिल गई थी.

पूनम अपने साथ मोबाइल ले गई थी. उस का मोबाइल नंबर गिरजाशंकर के पास था. उस ने पूनम से बात करने की कोशिश की, लेकिन फोन बंद होने की वजह से बात नहीं हो पाई. इसी बीच कमला को पूनम की एक कौपी पर दर्ज राजेश के घर व नोएडा का पता मिल गया.

कमला ने पति पर दबाव बनाया कि वह थाने जा कर रिपोर्ट दर्ज कराए. पत्नी की बात मान कर गिरजाशंकर थाना गुरसहायगंज जा पहुंचा. थाने पर उस समय थानाप्रभारी राजबहादुर सिंह मौजूद थे. गिरजाशंकर ने उन्हें सारी बात बताई और रिपोर्ट दर्ज करने की गुहार लगाई.

थानाप्रभारी राजबहादुर सिंह ने गिरजाशंकर को विश्वास दिलाया कि वह उस की बेटी पूनम को बरामद करने का पूरा प्रयास करेंगे. इस के साथ ही उन्होंने गिरजाशंकर की तहरीर पर भादंवि की धारा 363, 366 के तहत राजेश कुमार यादव के विरुद्ध रिपोर्ट दर्ज कर ली. इस मामले की विवेचना चौकी इंचार्ज देवेंद्र कुमार को सौंपी गई.

एसपी के आदेश पर गिरफ्तारी

चौकी इंचार्ज देवेंद्र कुमार ने जांच शुरू की तो पता चला पूनम बालिग है और अपनी मरजी से अपने प्रेमी राजेश के साथ भागी है. उसे बलपूर्वक भगा कर नहीं ले जाया गया. यह पता चलने के बाद राजबहादुर सिंह ने जांच में कोई रुचि नहीं दिखाई.

हालांकि वह दबिश का परचा काटते रहे. गिरजाशंकर जब भी बेटी के बारे में पूछने थानाचौकी जाता तो उसे आश्वासन मिलता कि उस की बेटी जल्द बरामदगी हो जाएगी.

धीरेधीरे 3 महीने बीत गए. लेकिन पूनम की बरामदगी नहीं हो सकी. तब गिरजाशंकर अपनी फरियाद ले कर एसपी अमरेंद्र प्रसाद सिंह के औफिस पहुंचा. गिरजाशंकर ने उन्हें पूनम के बरामद न होने की बात बताई, साथ ही पुलिस की भी शिकायत की. एसपी अमरेंद्र प्रसाद सिंह ने गिरजाशंकर की व्यथा को समझ कर आश्वासन दिया कि उस की बेटी जल्द ही मिल जाएगी.

अमरेंद्र प्रसाद सिंह ने पूनम के मामले को गंभीरता से लिया और थानाप्रभारी राजबहादुर सिंह को आदेश दिया कि वह पूनम को शीघ्र बरामद कर नामजद आरोपी को बंदी बना कर जेल भेजें.

आदेश पाते ही थानाप्रभारी राजबहादुर सिंह ने राजेश के घर हरदासपुर जमाली गांव में छापा मारा, लेकिन राजेश व पूनम वहां नहीं मिले. इस पर पुलिस ने उस के भाई श्याम सिंह और बद्रीप्रसाद को हिरासत में ले लिया और उन से राजेश व पूनम के बारे में जानकारी जुटाई.

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श्याम सिंह यादव ने थानाप्रभारी राजबहादुर सिंह को बताया कि राजेश पूनम को ले कर नोएडा के सेक्टर 12-22 मोड़ के पास रह रहा है. पता चला है कि उन दोनों ने शादी कर ली है. यह पता लगते ही पुलिस नोएडा पहुंची और पूनम को राजेश के कमरे से बरामद कर लिया. राजेश को हिरासत में ले लिया गया. पुलिस दोनों को थाना गुरसहायगंज ले आई.

बेटी की बरामदगी की जानकारी कमला और गिरजाशंकर को मिली तो दोनों थाने पहुंच गए. वहां दोनों पूनम को मनाने में जुट गए. लेकिन पूनम ने मांबाप के साथ जाने से साफ मना कर दिया.

इस के बाद थानाप्रभारी राजबहादुर सिंह ने पूनम को महिला पुलिस संरक्षण में डाक्टरी परीक्षण हेतु जिला अस्पताल कन्नौज भेजा. डाक्टरी परीक्षण के बाद पुलिस ने सीआरपीसी की धारा 164 के तहत पूनम का बयान मजिस्ट्रैट के सामने दर्ज कराया.

जीत गया प्यार

अपने बयान में पूनम ने कहा कि वह राजेश से प्रेम करती है. उस के साथ उस ने मंदिर में विवाह भी कर लिया है. अब वह उस की पत्नी है. राजेश उसे भगा कर नहीं ले गया था. उस के मांबाप ने राजेश के विरुद्ध गलत रिपोर्ट दर्ज कराई है. वह मांबाप के घर नहीं जाना चाहती, बल्कि अपने पति राजेश के साथ रहना चाहती है.

चूंकि पूनम ने राजेश के साथ जाने की इच्छा जाहिर की थी, इसलिए मजिस्ट्रैट ने पूनम को राजेश के साथ रहने की इजाजत दे दी. लेकिन राजेश पुलिस हिरासत में था.

पुलिस ने पूनम के बयान के दूसरे दिन राजेश को कन्नौज कोर्ट में पेश किया. राजेश के भाई श्याम सिंह ने वकील के जरिए पहले ही कोर्ट में जमानती प्रार्थना पत्र दाखिल कर दिया था. चूंकि पूनम ने अपने बयान में राजेश को निर्दोष बताया था, इसी आधार पर उसे जमानत मिल गई.

राजेश की जमानत के बाद थाना गुरसहायगंज में पंचायत हुई. पंचायत की अगुवाई थानाप्रभारी राजबहादुर सिंह ने की. इस पंचायत में पूनम के मातापिता को बुलवाया गया और खुशीखुशी बेटी की शादी कर उसे विदा करने का अनुरोध किया गया.

थोड़ी नानुकुर के बाद पूनम के मातापिता राजी हो गए. इस के बाद थाने में धूमधाम से पूनम और राजेश की शादी हो गई. वरवधू को थानाप्रभारी राजबहादुर सिंह के अलावा राजेश के भाई श्याम सिंह, उन की पत्नी सरिता तथा अन्य लोगों ने आशीर्वाद दिया. देर से ही सही, पूनम और राजेश के प्यार की अच्छी परिणति हुई. पूनम अब राजेश के साथ सुखमय जीवन बिता रही है.

-कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

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