Manohar Kahaniya: डिंपल का मायावी प्रेमजाल- भाग 1

सौजन्य- मनोहर कहानियां

इस गलती का अहसास उन्हें तब हुआ, जब डिंपल और उस के गैंग के सदस्यों ने उन से करीब 60 लाख रुपए ऐंठ लिए. यह शातिर गैंग डिंपल के सहारे मोटी आसामी को इस तरह फांसता था कि…

गुजरात के जिला ऊंझा की गंजबाजार की एक कंपनी में मेहता (मुनीम) की नौकरी करने वाले मेहताजी आ कर अभी गद्दी पर बैठे ही थे कि उन के

फोन की घंटी बजी. उन्होंने फोन उठा कर स्क्रीन देखी तो पता चला फोन किसी अंजान का है, क्योंकि स्क्रीन पर नाम के बजाए नंबर आ रहा था.

किसी व्यापारी का नया नंबर होगा, यह सोच कर मेहताजी ने फोन उठा लिया. उन्होंने फोन उठा कर जैसे ही ‘हैलो’ कहा, दूसरी ओर से शहद में घुली आवाज आई, ‘‘हैलो मेहताजी, मैं डिंपल बोल रही हूं.’’

हैरान हो कर मेहताजी ने पूछा, ‘‘कौन डिंपल, मैं तो किसी डिंपल को नहीं जानता?’’

‘‘नहीं जानते तो अब जान जाएंगे. मैं तो आप को खूब अच्छी तरह जानती हूं मेहताजी.’’ दूसरी ओर से फिर उसी खनकती आवाज में कहा गया.

‘‘आप भले मुझे जानती हैं, पर मैं तो आप को बिलकुल नहीं जानता. खैर, छोड़ो यह सब. यह बताइए कि आप ने फोन क्यों किया है?’’ मेहताजी ने पूछा.

‘‘दोस्ती करने के लिए,’’ डिंपल ने कहा.

‘‘दोस्तीऽऽ आप मुझ से क्यों दोस्ती करना चाहती हैं?’’ मेहताजी ने हैरानी से पूछा जरूर, पर एक लड़की द्वारा दोस्ती करने की बात सुन कर उन के मन में लड्डू फूटने लगे थे. एक लड़की ने खुद ही दोस्ती का औफर जो किया था. लेकिन उसी समय औफिस में कस्टम आ गए तो उन्होंने कहा, ‘‘ऐसा है डिंपलजी, अब औफिस में लोग आ गए हैं, इसलिए इस तरह की बातें नहीं हो सकतीं. दोपहर को लंचटाइम में मैं आप को फोन करता हूं.’’

‘‘कितने बजे होता है आप का लंच?’’ डिंपल ने पूछा.

‘‘एक बजे.’’

‘‘तब तक मुझे इंतजार करना होगा? इतनी देर तक कैसे इंतजार करूंगी मैं?’’ वह बोली.

ये भी पढ़ें- Crime: नशे पत्ते की दुनिया में महिलाएं 

‘‘जैसे अब तक किया है. आज से पहले जिस तरह आप का काम चल रहा था, उसी तरह चलाइए,’’ मेहता ने कहा.

‘‘मेहताजी, तब की बात और थी. तब आप से दोस्ती कहां हुई थी. अब दोस्ती हो गई है तो इंतजार करना बहुत मुश्किल लग रहा है.’’

‘‘ऐसा है, अब काम करने दो. दोपहर को एक बजे मैं फोन करता हूं. बाय…’’

‘‘बाय करने का मन तो नहीं कर रहा है, पर आप को काम करना है न, इसलिए बेमन से बाय कह रही हूं.’’ डिंपल बोली.

डिंपल ने जैसे ही बाय कहा, मेहताजी ने काल डिसकनेक्ट कर दी और डिंपल का नंबर अपने फोन में सेव कर लिया.

मेहताजी की भी मजबूरी थी, इसलिए न चाहते हुए उन्होंने फोन तो काट दिया था, पर उन का मन यही कर रहा था कि वह काम छोड़ कर बाहर निकल जाएं और डिंपल को फोन लगा कर आराम से बैठ जाएं और खूब बातें करें.

दूसरी ओर वह यह भी सोच रहे थे कि यह डिंपल कौन है, उन्हें कैसे जानती है, उन से क्यों दोस्ती करना चाहती है. यह सब उन की समझ में नहीं आ रहा था. इसी सोच में डूबे होने की वजह से उस दिन काम में उन का मन नहीं लग रहा था. उन का पैसों के हिसाबकिताब का काम था, अगर कुछ गड़बड़ होती तो उन की साख खराब हो सकती थी.

बहरहाल, किसी तरह उन्होंने दोपहर तक का समय बिताया. लंच होते ही लंच बौक्स खोलने के साथ ही उन्होंने डिंपल को फोन लगा दिया.

दूसरी ओर डिंपल जैसे उन्हीं के फोन का इंतजार ही कर रही थी. क्योंकि मेहताजी का फोन लगते ही दूसरी ओर से फोन रिसीव कर लिया गया था.

मायावी प्यार में फंस गए मेहताजी

फोन रसीव होते ही मेहताजी के कानों में घुंघरू जैसी खनकती आवाज आई, ‘‘हैलो मेहताजी, कैसे हैं आप? लगता है, आप भी मेरी तरह मुझ से बात करने के लिए बेचैन थे. इसीलिए लंच होते ही, लगता है टिफिन भी नहीं खोला और फोन लगा दिया.’’

‘‘सही कह रही हो डिंपलजी, अभी लंच बौक्स नहीं खोला है. सोचा कि फोन लगा लूं, आप से बात भी होती रहेगी और लंच भी होता रहेगा. आप से बात करते हुए लंच करने में आज कुछ ही ज्यादा मजा आएगा. शायद खाने का स्वाद भी बढ़ जाएगा.’’ मेहताजी ने मक्खन लगाते हुए कहा.

मेहताजी कुछ और कहते, डिंपल बीच में ही बोल पड़ी, ‘‘अब बस कीजिए मेहताजी, इतना ज्यादा भी मत चढ़ा दीजिए कि नीचे न आ पाऊं. एक बात और, आप यह जो बारबार आप और डिंपलजी कह रहे हैं, दोस्ती में यह अच्छा नहीं लगता. जो प्यार और अपनापन तुम कहने और नाम लेने में झलकता है, वह आप और डिंपलजी में बिलकुल नहीं. इसलिए अब मैं भी तुम्हें आप नहीं तुम कहूंगी. ठीक कहा न?’’ डिंपल बोली.

‘‘ठीक है, मैं वही कहूंगा, जो तुम्हें अच्छा लगेगा.’’

‘‘मैं तुम से बात कर के ही खुश थी. लेकिन अब लगा कि तुम प्यार भी करने लगे हो. अब तो मेरी खुशी की कोई सीमा ही नहीं है. इसलिए अब तो तुम से मिलने का मन हो रहा है.’’ डिंपल ने हंसते हुए कहा, ‘‘मिलोगे मुझ से?’’

‘‘क्यों नहीं. तुम मिलना चाहोगी तो मैं जरूर मिलूंगा. अरे हां, तुम ने अभी तक अपनी कोई फोटो तो भेजी नहीं. जरा देखूं तो मेरी दोस्त कितनी खूबसूरत है.’’

ये भी पढ़ें- Manohar Kahaniya: बच्चा चोर गैंग

‘‘मेहताजी, मैं अब केवल तुम्हारी दोस्त ही नहीं रही. बात आगे बढ़ गई है. तुम्हारे दिल का तो पता नहीं, पर मेरे दिल में तो अब कुछकुछ होने लगा है.’’ डिंपल ने कहा, ‘‘मैं अपना फोटो भेज रही हूं. और हां, मेरा फोटो देखते हुए अपना दिल थामे रखना, क्योंकि धड़कन तो बढ़ेगी ही, पर कहीं इतनी न बढ़ जाए कि…’’

मेहताजी को लगा कि डिंपल यह बात कहते हुए मुसकरा रही थी. फोटो भेजने की बात सुन कर ही मेहताजी की धड़कनें बढ़ गई थीं. बात करते हुए ही उन्होंने वाट्सऐप खोल कर देखा तो डिंपल का फोटो आया हुआ था.

मेहताजी ने झट से फोटो डाउनलोड किया. फोटो देख कर वह उसे देखते ही रह गए. डिंपल की खूबसूरती में वह इस तरह खो गए कि उन्हें खयाल ही नहीं रहा कि वह इतनी खूबसूरत लड़की से बात कर रहे हैं.

दूसरी ओर से डिंपल चिल्लाई, ‘अरे, कहां चले गए तुम,’ तब मेहताजी को खयाल आया.

उन्होंने कहा, ‘‘अरे भाई, मैं तुम्हारा फोटो देख रहा था. सचमुच तुम बहुत खूबसूरत हो. मैं तुम्हें देख कर भूल ही गया कि तुम से बात भी कर रहा हूं.’’

‘‘तुम मजाक बहुत अच्छा कर लेते हो. मैं इतनी खूबसूरत तो नहीं हूं कि तुम बात करना ही भूल गए.’’ डिंपल ने कहा.

‘‘कोेई खुद को सुंदर थोड़े ही कहता है. सुंदर तो वही कहेगा, जिसे लगेगा. तुम सुंदर लग रही हो, इसलिए मैं कह रहा हूं. मन करता है कि बस, तुम्हें ही देखता रहूं.’’

‘‘फोटो देखने से क्या होगा?’’

‘‘अब तो तुम से मिलने का मन हो रहा है.’’ मेहताजी ने कहा, ‘‘मैं ने भी अपनी फोटो भेज दी है.’’

‘‘तो आ जाओ. मैं ने कहां मना किया है. रही बात आप के फोटो की तो मैं ने आप से पहले ही कहा था कि मैं आप को जानती हूं.’’

‘‘खैर, उसे छोड़ो, तुम यह बताओ कि तुम से मिलने के लिए कहां आना होगा?’’ मेहताजी ने पूछा.

‘‘ऐसा करो, तुम ऐठोर चौराहे पर आ कर फोन करो. मैं तुम्हें वहीं मिल जाऊंगी.’’ डिंपल ने कहा.

‘‘अभी तो मैं औफिस में हूं. शाम 6 बजे के बाद ही आ सकता हूं.’’ मेहताजी ने कहा.

‘‘कोई बात नहीं, शाम 6 बजे के बाद ही आना. मैं कहीं जा थोड़े ही रही हूं. पर अब मैं भी आप से मिलने के लिए बेकरार हूं. आप की बातों ने मुझे बेचैन कर दिया है.’’ डिंपल ने थोड़ा नशीले अंदाज में कहा. अब तक लंचटाइम खत्म हो चुका था, इसलिए मेहताजी को न चाहते हुए भी फोन काटना पड़ा.

मेहताजी का वह पूरा दिन डिंपल के खयालों में ही बीता. वह बस यही सोचते रहे कि डिंपल से मिल कर क्या बातें करेंगे? क्या कहेंगे? संयोग देखो, उन्होंने शाम को डिंपल से मिलने का वादा कर लिया था, पर वह उस शाम डिंपल से मिलने जा नहीं पाए.

हुआ यह कि उन की कंपनी के डायरेक्टर ने उन्हें किसी व्यापारी को पैसे देने के लिए भेज दिया था. बड़े दुखी मन से उन्होंने डिंपल से माफी मांग ली थी.

उस रात उन्हें नींद नहीं आई. वह डिंपल को ले कर तरहतरह की बातें सोचते रहे कि मिलेंगे तो क्या बातें करेंगे? वह उन से क्या कहेगी? देर रात नींद आई तो उस ने सपने में भी उसे ही देखा. सपने में वह उन से कह रही थी, ‘‘अब मैं तुम्हारे बिना जी नहीं सकती.’’

मेहताजी अभी कुंवारे ही थे. डिंपल पहली लड़की थी, जो उन के जीवन में आई थी. इस के पहले किसी लड़की से इस तरह की बातें करने की कौन कहे, उन की दोस्ती तक नहीं हुई थी. इसीलिए तो उस की रसीली बातों ने उन्हें पागल कर दिया था. जब भी उन्हें मौका मिलता, वह फोन में आई डिंपल की फोटो देख लेते थे. वह उस से मिलने के लिए बेचैन थे. सुबह वह उस से मिल नहीं सकते थे. क्योंकि सुबह मिलने से डिंपल ने मना कर दिया था. उस ने कहा था कि 11 बजे से पहले वह घर से नहीं निकल पाएगी.

जबकि साढ़े 9 बजे मेहताजी को औफिस पहुंचना होता था. वह छुट्टी भी नहीं ले सकते थे. उस दिन औफिस में डायरेक्टर से उन की जरूरी मीटिंग थी. आखिर मन मार कर वह औफिस पहुंच गए.

उस दिन जरूरी काम की बात कह कर वह घर से आधा घंटा पहले निकल गए थे. औफिस पहुंचते ही उन्होंने डिंपल को फोन मिला दिया. बातचीत शुरू हुई तो मेहताजी ने कहा, ‘‘आज लंचटाइम से मैं छुट्टी ले लूंगा. तुम 2 बजे मिलने के लिए तैयार रहना. औफिस से निकलते ही मैं तुम्हें फोन करूंगा.’’

डिंपल तो उन से मिलने के लिए तैयार ही थी. उस ने हामी भर दी. औफिस से निकल कर मेहताजी ने फोन किया तो डिंपल ऐठोर चौराहे पर आ कर खड़ी हो गई.

दोनों ने एकदूसरे के फोटो देखे ही थे, इसलिए एकदूसरे को पहचानने में जरा भी दिक्कत नहीं हुई. मेहताजी ने डिंपल को देखा तो देखते ही रह गए. इस समय वह फोटो से भी ज्यादा खूबसूरत लग रही थी. जवानी में तो वैसे भी हर लड़की खूबसूरत लगती है. जबकि डिंपल तो वैसे भी खूबसूरत थी.

मेहताजी खूबसूरत डिंपल को पा कर निहाल हो गए थे. कुछ पल तक वह उसे निहारते रहे. चौराहे पर खड़े हो कर किसी लड़की से बात करना ठीक नहीं था, इसलिए मेहताजी ने डिंपल से कहीं एकांत में चलने को कहा तो डिंपल बोली, ‘‘कहीं ऐसी जगह ले चलो, जहां तुम्हारे और मेरे अलावा और कोई न हो.’’

मेहताजी ने सोचा था कि डिंपल किसी रेस्टोरेंट में चल कर फैमिली बौक्स में बैठने की बात कहेगी. पर जब उस ने कहीं ऐसी जगह चलने की बात कही कि जहां उन दोनों के अलावा कोई और न हो तो वह असमंजस में पड़ गए. वह इस तरह की जगह के बारे में सोचने लगे. काफी सोचनेविचारने के बावजूद कोई ऐसी एकांत जगह उन की नजर में नहीं आई, जहां उसे ले कर जाते. क्योंकि वह समझ गए थे कि डिंपल इस तरह की जगह पर चलने के लिए क्यों कह रही है.

पहली मुलाकात में ही हो गईं हसरतें पूरी

आखिर वह उसे ले कर अपने एक दोस्त के औफिस पहुंच गए. तब डिंपल खीझ कर बोली, ‘‘तुम्हें यही एकांत जगह मिली थी? औफिस में क्या होगा?’’

मेहताजी सोच में पड़ गए. जब कुछ देर तक वह कुछ नहीं बोले तो डिंपल ने कहा, ‘‘क्या सोच रहे हो? तुम्हारे पास कोई ऐसी जगह नहीं है क्या, जहां मेरे और तुम्हारे अलावा और कोई न हो?’’

थोड़ा सकुचाते हुए मेहताजी ने कहा, ‘‘हां, मेरे पास ऐसी कोई जगह नहीं है. कहो तो किसी होटल में कमरा ले लेते हैं. पर इस तरह किसी होटल में जाएंगे तो होटल वाला भी हमारे बारे में अच्छा नहीं सोचेगा.’’

‘‘मैं होटल में वैसे भी नहीं जाऊंगी. आप के पास ऐसी कोई जगह नहीं है तो मेरे साथ चलो. मेरे पास है ऐसी जगह. मेरी सहेली का घर है. इस समय वह मायके गई हुई है. देखभाल के लिए घर की चाबी मुझे दे गई है. वहां किसी तरह का कोई डर नहीं है. आराम से बैठ कर जब तक मन होगा, तब तक बातें करेंगे. और हां, खानेपीने के लिए कुछ साथ लेते चलेंगे, जिस से अंदर जाने के बाद फिर किसी चीज के लिए बाहर निकलना न पड़े.’’

मेहताजी भी तो इसी तरह की जगह चाहते थे. डिंपल की सुंदरता और उस की बातों में वह कुछ इस तरह खो चुके थे कि यह भी नहीं सोच पा रहे थे कि डिंपल आखिर उस पर इतना क्यों मेहरबान है कि पहली ही मुलाकात में वह उसे ऐसी जगह ले जा रही है, जहां उन दोनों के अलावा और कोई न हो.

डिंपल के साथ ऐसी जगह जा कर क्या होगा, वह इस से भी अंजान नहीं थे. लेकिन जब आदमी की मति मारी जाती है तो वह अपना भलाबुरा नहीं सोच पाता.

ये भी पढ़ें- Crime: दोस्ती, अश्लील फोटो वाला ब्लैक मेलिंग!

यही हुआ मेहताजी के साथ. वह भी अपना भलाबुरा नहीं सोच पाए. रास्ते में एक रेस्टोरेंट से खानेपीने का अच्छाखासा सामान बंधवा कर वह डिंपल के साथ उस की सहेली के घर पहुंचे तो घर पर ताला लगा था.

ताला खोल कर दोनों अंदर पहुंचे तो घर एकदम साफसुथरा था. कहीं से ऐसा नहीं लग रहा था कि यह घर कई दिनों से बंद था. पर मेहताजी ने इस बात पर भी ध्यान ही नहीं दिया.

मेहताजी सोफे पर बैठे तो डिंपल भी उन से सट कर बैठी ही नहीं, बल्कि उन की गोद में लेट सी गई. मेहताजी भी डिंपल का इरादा भांप कर अपने काम में लग गए. उन्होंने उस के शरीर पर अपने हाथों से हरकत करनी शुरू कर दी. थोड़ी ही देर में वह सब हो गया,

जो एक मर्द और औरत के बीच में एकांत में होता है.

इस के बाद तो डिंपल और मेहताजी के बीच फोन पर खूब बातें तो होती ही थीं, जब देखो, तब मेहताजी डिंपल से मिलने भी लगे थे. मेहताजी को डिंपल से मिलने में मजा भी खूब आ रहा था.

पर एक दिन जब मेहताजी अपनी कार से डिंपल के कहने पर उसे विसपुर छोड़ने जा रहे थे तो रास्ते में एक युवक मिला जो उन से लड़नेझगड़ने लगा.

वह डिंपल को अपनी पत्नी बता कर मेहताजी पर आरोप लगाने लगा कि इस आदमी ने उस की पत्नी को बहलाफुसला कर अवैध संबंध बना लिए हैं. अब वह ऐसी औरत को कतई नहीं रखेगा, जिस के किसी अन्य पुरुष से संबंध हैं.

डिंपल भी रोने लगी कि अब वह कहां जाएगी. वह मेहताजी से कहने लगी कि अगर उस का पति उसे नहीं रख रहा है तो वह उसे अपने साथ रखें.

मेहताजी तो डिंपल के साथ सिर्फ मौजमजा करना चाहते थे. उन्होंने इस बारे में कभी सोचा ही नहीं था कि मौजमजा के चक्कर में बात यहां तक पहुंच जाएगी. डिंपल अब उन के गले की हड्डी बन गई थी. वह डिंपल के चक्कर में बुरी तरह फंस चुके थे.

अगले भाग में पढ़ें- 35 लाख में हुआ समझौता

Manohar Kahaniya: सुपरस्टार के बेटे आर्यन खान पर ड्रग्स का डंक- भाग 2

सौजन्य- मनोहर कहानियां 

जब अभिनेता सुशांत सिंह की रहस्यमय मौत 14 जून, 2020 को हुई थी तभी से उन के निशाने पर फिल्म इंडस्ट्री के वे स्टार्स हैं, जो ड्रग्स का सेवन करते हैं.

सुशांत सिंह की मौत के बाद भी ड्रग माफिया की चर्चा हुई थी और हल्ला भी ज्यादा मचा था, क्योंकि सुशांत और उस के कुछ साथी भी ड्रग्स लेते थे. तब इस की जांच वानखेड़े ने ही की थी.

इस के बाद तो वह बौलीवुड के ड्रग कनेक्शन के पीछे पड़ गए. आर्यन का मामला उसी पीछे पड़ने की एक कड़ी है.

मुंबई हवाई अड्डे पर तैनाती के दौरान उन की कहासुनी आए दिन फिल्म स्टार्स से हुई. 2008 बैच के आईआरएस अधिकारी समीर वानखेड़े एनसीबी से पहले एनआईए यानी राष्ट्रीय जांच एजेंसी में रहते भी सुर्खियों में रहते थे.

हालिया मामले में भी उन्होंने कोई नरमी नहीं बरती और एक दूसरी सनसनी 11 अक्तूबर को यह कहते हुए मचाई कि इस मामले की जासूसी हो रही थी.

इस के पहले सुनवाई कर रही मुंबई की अदालत ने उन की इस मंशा पर पानी फेर दिया था कि आर्यन और दूसरे आरोपियों को एनसीबी की कस्टडी दी जाए, जिस से उन से ढंग से पूछताछ हो सके.

अदालत ने इस दलील से इत्तफाक नहीं रखा और आरोपियों को आर्थर रोड जेल भेज दिया. यहां भी मीडिया बदस्तूर अपना काम करता रहा, मसलन आर्यन फलां बैरक में रहेगा, उसे घर का खाना नहीं मिलेगा और जेल की दिनचर्या और सख्त नियमों का उसे पालन करना पड़ेगा. कपड़े जरूर उसे पसंद के मिल सकते हैं. नाश्ते और लंच डिनर का मेन्यू भी प्रसारित किया गया.

समीर वानखेड़े के साथसाथ चर्चे सतीश मानशिंदे के भी खूब हुए कि वह इस से पहले भी इस तरह के कई मुकदमों में पैरवी कर चुके हैं. सुनील दत्त के अभिनेता बेटे संजय दत्त को जमानत उन्होंने ही दिलवाई थी.

संजय दत्त कभी अव्वल दरजे के ड्रग एडिक्ट थे और मुंबई बम धमाकों में भी उन का नाम आया था. उन की जिंदगी पर फिल्म भी बनी और किताबें भी लिखी गईं.

सलमान खान को ड्रिंक एंड ड्राइव मामले के साथ काले हिरण के शिकार के चर्चित मामले में भी मानशिंदे ने जोरदार तरीके से पैरवी करते हुए उन्हें जमानत दिलवाई थी और फिर बाइज्जत बरी भी करवाने में कामयाबी हासिल की थी.

ये भी पढ़ें- Satyakatha: फौजी की सनक का कहर

अपने दौर के दिग्गज और नामी वकील राम जेठमलानी के 10 साल जूनियर रहे इस धुरंधर वकील की एक पेशी की फीस ही 10 लाख रुपए हुआ करती है.

सुशांत सिंह की गर्लफ्रैंड रिया चक्रवर्ती को जमानत दिलवाने का श्रेय भी मानशिंदे के खाते में दर्ज है और अभिनेत्री राखी सावंत का एक मुकदमा भी वह लड़ चुके हैं. आर्यन के मामले में भी उन्होंने जमानत याचिकाएं दमदार दलीलों के जरिए दायर कीं लेकिन शुरुआती दौर में उन्हें कामयाबी नहीं मिली.

जब आर्यन की चर्चा जरूरत से ज्यादा हो चुकी तो लोगों की दिलचस्पी सतीश मानशिंदे और समीर वानखेड़े में बढ़ी कि देखें कौन किस पर भारी पड़ता है क्योंकि ये दोनों ही अपनेअपने फील्ड के महारथी हैं.

फिल्मों में नशा

फिल्म इंडस्ट्री का नशे से काफी गहरा नाता हमेशा से ही रहा है. शराब तो बेहद आम है जिसे लगभग सभी कलाकार पीते हैं. देखा जाए तो नशा इस इंडस्ट्री का पर्याय और पहचान शुरू से ही है. लेकिन ड्रग्स की विधिवत शुरुआत हुई 70 के दशक से. तब ड्रग्स को आज जितनी मान्यता नहीं मिली थी और यह नशा भी सिर्फ अपराधियों और अभिजात्य वर्ग का नशा माना जाता था.

इसी दौर में देवानंद की फिल्म हरे राम हरे कृष्ण आई. हिप्पी कल्चर वाली इस फिल्म में जीनत अमान ने पेरेंट्स से उपेक्षित एक मध्यमवर्गीय नशेड़ी युवती का रोल इतनी शिद्दत से निभाया था कि दर्शक रातोंरात उन के मुरीद हो गए थे.

लेकिन दिक्कत तब खड़ी होने लगी, जब युवा जीनत के साथसाथ नशे के भी दीवाने होने लगे. तब नशे के लिए गांजा, चिलम, अफीम, चरस सहित एलएसडी जैसी घातक गोलियां इस्तेमाल की जाती थीं.

जीनत अमान पर फिल्माए गाने ‘दम मारो दम मिट जाए गम…’ का असर उलटा हुआ. युवाओं ने नशे के नुकसानों से कोई सबक नहीं सीखा.

नशे से आगाह करती एक और फिल्म एलएसडी पर आधारित भी इसी दौर में रिलीज हुई थी, पर वह ज्यादा चली नहीं थी.

आज के आर्यन नुमा युवाओं का इस गुजरे कल से गहरा ताल्लुक है. फिल्म इंडस्ट्री में बेशुमार पैसा है, जिस पर अंडरवर्ल्ड की नजर पड़ी तो देखते ही देखते उस का हुलिया बदल गया. अंडरवर्ल्ड के सरगना फिल्मकारों को फाइनेंस करने लगे और जुर्म की दुनिया इस सुनहरे परदे की जरूरत बन गई.

हर तीसरी फिल्म में दिखाया जाने लगा कि ड्रग्स के कारोबार में मुनाफा ही मुनाफा है. लेकिन इस से भी ज्यादा प्रचार इस बात का हुआ कि ड्रग्स के सेवन से आप एक ऐसी दुनिया में पहुंच जाते हैं, जहां कोई गम या दुख नहीं होता. आप ध्यान और समाधि की सी अवस्था में होते हैं.

देखते ही देखते हर कोई इस ध्यान में डूबने लगा. ड्रग्स का नशा स्टेटस सिंबल बन गया और यह कारोबार इतनी तेजी से फैला कि आज झुग्गीझोपड़ी वाले युवा भी इस की गिरफ्त में हैं.

ये भी पढ़ें- Satyakatha: मियां-बीवी और वो

एनसीबी की समस्या यही है कि वह इस कारोबार की जड़ तक नहीं पहुंच पाती. कुछ नशेडि़यों को यहांवहां से गिरफ्तार कर मान लिया जाता है कि अब समस्या हल हो गई.

तालिबानी सत्ता के बाद भारत में बढ़ गई ड्रग तस्करी

हाल ही में अफगानिस्तान पर तालिबानों के कब्जे से नशे के कारोबार पर पड़े फर्क का ही नतीजा है कि ड्रग्स सप्लाई एकाएक ही तेजी से बढ़ी. तय है इसलिए कि तालिबानी सरकार का मूड और नीतियां ड्रग्स के कारोबारी समझ नहीं पा रहे लिहाजा क्लीयरेंस सेल की तरह उन्होंने अपना स्टौक खाली करना और औनेपौने में यहांवहां माल खपाना शुरू कर दिया.

आर्यन खान कांड के चंद दिनों पहले ही गुजरात के कच्छ जिले के मुंद्रा बंदरगाह से 21 हजार करोड़ रुपए की हेरोइन जब्त हुई थी. इस जब्ती के कारोबारी और सियासी मायने और अटकलें अलग हैं, लेकिन यह तय है कि अगर यह खेप न पकड़ी जाती तो अब तक देश के कोनेकोने में फैल चुकी होती.

हल्ला इस बात पर ज्यादा मचा कि यह खेप अडानी समूह द्वारा संचालित बंदरगाह पर उतरी. आर्यन की गिरफ्तारी के बाद यह सवाल भी उठा कि कहीं यह नया ड्रामा मुंद्रा बंदरगाह पर से ध्यान हटाने के लिए तो नहीं रचा गया, क्योंकि अडानी समूह के मौजूदा हुक्मरानों से अंतरंग संबंध हैं और आम लोग भी इस बाबत सवाल पूछने लगे थे.

ये भी पढ़ें- Satyakatha: बेवफाई का बदनाम वीडियो

इस और ऐसे कई अनसुलझे सवालों का जबाब आधाअधूरा ही सही, हिंदी फिल्मों से मिलता रहा है. 70-80 के दशक की हर तीसरी फिल्म में पुलिस कमिश्नर बने चरित्र अभिनेता इफ्तिखार नए भरती हुए इंसपेक्टर रवि या विजय को एक महत्त्वपूर्ण फाइल सौंपते गंभीरता से यह कहते नजर आते थे कि यह रही ड्रग्स के उन तस्करों और कारोबारियों की जन्मकुंडली, जो हमारे देश की युवा पीढ़ी को खोखला करते, उन्हें नशे के नर्क में धकेलने का संगीन गुनाह कर रहे हैं.

इंसपेक्टर बने अमिताभ बच्चन या शशि कपूर अपनी एडि़यों को घुमा कर एक जोरदार सैल्यूट ठोकते थे और उन की जीप सीधे विलेन के अड्डे पर जा पहुंचती थी.

अगले भाग में पढ़ें- आर्यन कोई नादान बच्चा नहीं

Crime: नशे पत्ते की दुनिया में महिलाएं 

एक समय था जब लड़कियां या महिलाएं नशे से दूर रहती थी. अब हालात इतने बदल चुके हैं कि महिलाएं नशे की व्यापार में खुलकर सामने आ रही हैं और पुलिस की दबिश में पकड़ी जा कर जेल  जा रही हैं.

महिलाओं को इस नशे के व्यापार में आखिर कौन और कैसे घसीट लाता है और महिलाओं के नशे की व्यापार में आने से जहां समाज को विकृति पैदा हो रही है वहीं यह चिंता का सबब बनता जा रहा है कि आखिर महिलाओं को इस कृत्य से कैसे रोका जा सकता है.

हाल ही में कुछ ऐसी घटनाएं घटित हुई है जिनके परिपेक्ष्य में कहा जा सकता है कि युवतियां और महिलाएं नशे के व्यापार में बहुत आगे निकल चुकी हैं. जिसका खामियाजा उनके परिवार को भी भुगतना रहा है. जहां एक तरफ परिवार इससे टूट रहे हैं, वही देश के जागरूक नागरिकों के लिए भी एक सोचनीय विषय है कि समाज में ऐसा क्या परिवर्तन आया हुआ है कि महिलाएं जिन्हें यह माना जाता था कि किसी भी नशे और अन्य अपराधिक भूमिकाओं से दूर रहती हैं आज वे उसके आसपास पहुंच चुकी हैं. हम  इस रिपोर्ट में इस सच्चाई को सामने लाते हुए आपको कुछ महत्वपूर्ण चौंकाने वाली जानकारियां दे रहे हैं.

ये भी पढ़ें- Crime- रोहतक चौहरा हत्याकांड: बदनामी, भय और भड़ास का नतीजा

प्रथम घटना- महाराष्ट्र के नागपुर में एक महिला को नशीली इंजेक्शन के साथ पुलिस ने धर दबोचा महिला ने स्वीकार किया कि वह लंबे समय से नशे के व्यापार में है.

दूसरी घटना- दक्षिण  हैदराबाद में लड़कियां और महिलाओं का एक रैकेट नशीली ड्रग्स के व्यवसाय के केंद्र में था जिसका पुलिस ने खुलासा किया है.
तीसरी घटना – नोएडा के एक संभ्रांत परिवार की महिला को प्रतिबंधित नशीली सामाग्री के साथ पुलिस ने पकड़ा महिला ने बताया रूपए के लिए वह ऐसा कर रही है.

यह कुछ चुनिंदा घटनाएं हैं जो यह इंगित करती है कि महिलाएं अब खुलकर के नशे के व्यापार में अपनी भूमिका निभा रही है जो समाज के लिए एक चिंता का सबब है.

बड़े शहरों से छोटे शहर

यह भी  तथ्य सामने आ रहा है मुंबई, दिल्ली, कोलकाता जैसे महानगरों के बाद अब छोटे शहर कस्बों में भी महिलाएं नशे के व्यापार में केंद्र में आ चुकी है और अपने पति अथवा भाइयों के संरक्षण में निर्भीक होकर के नशे का धंधा कर रही हैं.

छत्तीसगढ़ के जिला कोरिया के पटना थाना अंतर्गत नशीली दवाओं का व्यापार करने वाली महिला को जो लंबे समय से इस व्यवसाय में संलग्न थी आखिरकार पुलिस ने काफी मात्रा में नशीली इंजेक्शन के साथ रंगे हाथ पकड़ा और गिरफ्तार कर लिया है. छत्तीसगढ़ के इस जिले में पुलिस द्वारा महिलाओं को नशे के चंगुल से बाहर निकालने के लिए लगातार अभिनव प्रयास किया जा रहा है.

यहां ऑपरेशन निजात के तहत पुलिस अधीक्षक कोरिया संतोष कुमार सिंह के आदेशानुसार पुलिस सक्रिय हुई तो 9 अक्टूबर 2021 को मुखबिर से सूचना मिली की ग्राम चिरगूड़ा दरीदाड में नशीली दवा इंजेक्शन का अवैध कारोबार चल रहा है. सूचना के आधार पर मीना सोनवानी नामक महिला को पकड़ा गया  उससे नशे के संबंध में पूछताछ की गई और उसके पास से अवैध रूप से बिक्री करने के लिये रखा हुआ नशीला दवा इंजेक्शन जप्त किया गया.

ये भी पढ़ें- Manohar Kahaniya: बच्चा चोर गैंग- भाग 1

आरोपी का कृत्य गंभीर अपराध घटित करना सबूत पाये जाने  आरोपी महिला को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है. हमारे संवाददाता ने जब इस  मसले पर खोजबीन की तो यह तथ्य सामने आया कि आरोपी का पति ओम प्रकाश पूर्व में नशीली दवाओं का व्यापार करते हुए पकड़े जाने पर जेल में है फिर भी महिला द्वारा अवैध नशीली दवाओं का व्यापार किया जा रहा था.

सामाजिक कार्यकर्ता एवं लेखक डॉक्टर टी महादेव राव के मुताबिक  समाज में आज जिस तरीके से पैसों की होड़ मची हुई है किसी भी स्थिति में लोग रूपया अजित करने के लिए अपराधिक गतिविधियों में संलग्न हो जाते हैं. उसी का परिणाम है कि महिलाएं भी नसे पत्ते जैसे व्यवसाय को अपना रही हैं जो चिंता का कारण है.

Satyakatha: पुलिसवाली ने लिया जिस्म से इंतकाम- भाग 4

सौजन्य- सत्यकथा

इन दोनों ही शिकायतों पर शिवाजी सानप के खिलाफ विभागीय जांच शुरू कर दी गई. शीतल के साथ संबंधों की जानकारी शिवाजी के परिवार तक पहुंच गई थी.

चूंकि शिवाजी सानप तेजतर्रार हैड कांस्टेबल था. मुंबई पुलिस में कई सीनियर अफसरों के साथ रहते हुए उस ने कई गुडवर्क किए थे, इसलिए वे तमाम अधिकारी उसे पसंद करते थे. सभी को ये भी पता था कि शिवाजी के शीतल के साथ संबंध थे, लेकिन उस ने कभी शीतल से जबरदस्ती नहीं की थी.

यही कारण रहा कि ऐसे तमाम अधिकारियों के दबाव में शिवाजी के खिलाफ की गई शीतल की शिकायत ठंडे बस्ते में डाल दी गई.

जब काफी वक्त गुजर गया और शीतल को लगने लगा कि शिवाजी के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ कर वह उसे सजा नहीं दिलवा पाएगी तो उस ने खुद ही उसे सजा देने का निर्णय कर लिया.

शीतल पहले ही नेहरू नगर थाने से आर्म्स यूनिट में अपना तबादला करा चुकी थी. मन ही मन वह किसी ऐसी तरकीब पर विचार करने लगी, जिस से वह शिवाजी से अपने अपमान का इंतकाम भी ले सके और उस पर आंच भी ना आए.

इसी सोचविचार में काफी वक्त गुजर गया. अचानक उसे खयाल आया कि क्यों न शिवाजी को सड़क हादसे में मरवा दिया जाए. एक बार इस खयाल ने मन में जगह बनाई तो रातदिन वह इसी रास्ते से शिवाजी से बदला लेने की साजिश रचने लगी.

इसी साजिश के तहत उस ने ट्रक ड्राइवर का पेशा करने वाले धनराज यादव की इंस्टाग्राम पर प्रोफाइल देखी तो साजिश का खाका उस के दिमाग में फिट बैठ गया.

शीतल ने शिवाजी को रास्ते से हटाने के लिए हथियार के रूप में धनराज को मोहरा बनाने के लिए पहले इंस्टाग्राम पर रिक्वेस्ट भेज कर धनराज से दोस्ती की और 5 दिन बाद ही उस ने धनराज को शादी के लिए प्रपोज भी कर दिया. चंद रोज के भीतर दोनों ने शादी कर ली.

एक हफ्ते बाद ही शीतल ने धनराज को शिवाजी की कहानी सुनाई और कहा कि वह उस से बदला लेना चाहती है. तुम ड्राइवर हो, तुम से सड़क हादसा हो जाए तो तुम पर कोई शक भी नहीं करेगा. लेकिन धनराज तैयार नहीं हुआ और डर कर अपने गांव भाग गया.

शीतल का पहला दांव ही खाली चला गया. जिस मकसद से उस ने धनराज से शादी की थी, वह अधूरा रह गया. पर वह किसी भी कीमत पर शिवाजी से बदला लेना चाहती थी. इसी उधेड़बुन में काफी वक्त गुजर गया. इसी बीच मुंबई में 2020 की शुरुआत से कोविड महामारी का प्रकोप फैलने लगा.

कोविड का पहला दौर ठीक से खत्म भी नहीं हुआ था कि महामारी की दूसरी लहर भी शुरू हो गई. जून महीने के बाद जब हालत कुछ सुधरने लगे तो शीतल के दिमाग में फिर से शिवाजी से बदला लेने की धुन सवार हो गई.

शीतल खुद इस काम को अंजाम नहीं देना चाहती थी, इसलिए अबकी बार उस ने दूसरा मोहरा चुना अपनी सोसाइटी के सिक्योरिटी गार्ड बबनराव के बेटे विशाल जाधव को.

दरअसल, सोसाइटी में आतेजाते शीतल ने एक बात नोटिस की थी कि गार्ड बबनराव का 18 साल का बेटा विशाल जाधव उसे चोरीछिपी नजरों से देखता है.

शीतल एक खूबसूरत और जवान युवती थी. किसी मर्द की नजर को वह भलीभांति जानती थी कि उन नजरों में उस के लिए कौन सा भाव छिपा है.

अचानक विशाल के रूप में शीतल को शिवाजी से बदला लेने का दूसरा हथियार नजर आने लगा. उस ने मन ही मन प्लान कर लिया कि अब विशाल को कैसे अपने काबू में करना है. एक जवान और जिस पर कोई लड़का पहले से ही निगाह लगाए हो, उसे काबू में करना तो बेहद आसान होता है.

ये भी पढ़ें- Satyakatha: पैसे का गुमान- भाग 2

कुछ रोज में ही विशाल पूरी तरह शीतल के काबू में आ कर उस के आगेपीछे मंडराने लगा. शीतल ने विशाल की आंखों में अपने लिए छिपी जिस्मानी भूख को पढ़ लिया था. थोड़ा तड़पाने के बाद उस ने जब विशाल की इस जिस्मानी भूख की ख्वाहिश पूरी कर दी तो इस के बाद विशाल पूरी तरह उस के इशारे पर नाचने लगा.

विशाल के पूरी तरह मोहपाश में फंसते ही एक दिन शीतल ने उसे भी भावुक कर के हैडकांस्टेबल शिवाजी द्वारा अपनी इज्जत लूटने की एक झूठी कहानी सुना कर अपना बदला लेने के लिए उकसाना शुरू कर दिया.

शीतल के प्यार में विशाल पागल था, लिहाजा लोहा गर्म देख कर जब कई बार विशाल से प्यार की खातिर शिवाजी से बदला लेने के लिए कहा तो एक दिन विशाल ने उस का काम करने के लिए हामी भर दी, लेकिन साथ ही कहा कि इस काम के लिए उसे एक और साथी की जरूरत पड़ेगी और इस में कुछ पैसा भी खर्च होगा.

शीतल ने तुरंत हां कर दी. बस इस के बाद शीतल ने शिवाजी को खत्म करने की साजिश को अमली जामा पहनाने का काम शुरू कर दिया.

विशाल ने इस काम के लिए अपने एक दोस्त गणेश चौहान से बात की. गणेश तेलंगाना से रोजीरोटी की तलाश में मुंबई आया था. संयोग से कोरोना महामारी के कारण उन दिनों उस के पास कोई कामकाज नहीं था और पैसों की बड़ी तंगी थी.

जब विशाल ने उसे बताया कि उन्हें किसी का ऐक्सीडेंट करना है इस के बदले अच्छीखासी रकम मिलेगी तो मजबूरी में दबा गणेश भी तैयार हो गया.

ये भी पढ़ें- Manohar Kahaniya- राम रहीम: डेरा सच्चा सौदा के पाखंडी को फिर मिली सजा

दोनों से शीतल ने मुलाकात की. शिवाजी को ठिकाने लगाने के लिए शीतल ने विशाल को 50 हजार और गणेश को 70 हजार रुपए एडवांस दे दिए. जिस के बाद विशाल और गणेश ने सब से पहले शिवाजी का पीछा करना शुरू किया. उस के आनेजाने के समय को नोट किया.

इस के बाद उन्होंने तय किया कि वो कुर्ला से पनवेल के बीच ही शिवाजी को मार डालेंगे. इस काम के लिए शीतल ने उन्हें एक सेकेंडहैंड नैनो कार खरीदवा दी. और 15 अगस्त की रात को इस खौफनाक वारदात को अंजाम दे दिया गया.

प्लान के मुताबिक 15 अगस्त, 2021 की रात साढ़े 10 बजे पनवेल रेलवे स्टेशन से मालधक्का जाने वाली सड़क पर शिवाजी को उन की नैनो कार से जोरदार टक्कर मार दी.

संयोग से राष्ट्रीय अवकाश के कारण व कम रोशनी के कारण कोई न तो यह देख सका कि टक्कर किस नंबर की कार से लगी है.

शिवाजी को टक्कर मारने के वक्त शीतल एक दूसरी कार से पीछा करते हुए पूरा नजारा देख रही थी. उस ने सड़क पर घायल शिवाजी को देख कर ही समझ लिया था कि वह जिंदा नहीं बचेगा.

योजना के मुताबिक ऐक्सीडेंट करने के बाद करीब 2 किलोमीटर आगे जा कर विशाल व गणेश ने नैनो कार पर पैट्रोल डाल कर पूरी तरह जला दी ताकि कोई सबूत पीछे न छूटे.

वारदात के बाद दोनों का पीछा कर रही शीतल उन्हें कार जलाने के बाद अपनी कार में बैठा कर साथ ले गई और उन्हें उन के घर छोड़ दिया.

बाद में पुलिस ने जब शीतल, विशाल व गणेश के मोबाइल की काल डिटेल्स निकलवा कर उन के मोबाइल की लोकेशन देखी तो उन की मौजूदगी उसी जगह के आसपास दिखी, जहां शिवाजी सानप का ऐक्सीडेंट हुआ था.

पुलिस ने रिमांड अवधि में पूछताछ के बाद तीनों आरोपियों को न्यायालय में पेश कर जेल भेज दिया गया.

—कथा पुलिस की जांच व आरोपियों से पूछताछ पर आधारित

Satyakatha- इश्क का जुनून: प्यार को खत्म कर गई नफरत की आग- भाग 3

सौजन्य- सत्यकथा

लेखक-  दिनेश बैजल ‘राज’/संजीव दुबे

वहां पहुंच कर फ्लाईओवर से नीचे उतर कर लिंक रोड पर आ गए. यहीं पर उन लोगों ने बोलेरो में ही उत्तम के गले में रस्सी का फंदा कस कर उस की हत्या कर शव फेंक दिया. इस के साथ ही उस का प्राइवेट पार्ट काट दिया. इस के बाद नेहा को ले कर मुरैना रोड होते हुए राजस्थान के धौलपुर आ गए.

अलगअलग राज्यों में मिले शव

राजा खेड़ा रोड पर थाना दिहौली से करीब एक किलोमीटर दूर सुनसान जगह पर गाड़ी रोक ली. यहां नेहा की भी गले में रस्सी का फंदा लगा हत्या कर दी. उस की लाश भी वहीं फेंक दी.

हत्यारों ने लाश के चेहरे को मिट्टी से ढंक दिया. दोनों की हत्या कर शव ठिकाने लगा कर सभी हत्यारे पिनाहट वापस आ गए. फिर सभी अपनेअपने घर चले गए. देवीराम भी गांव अपने घर आ गया.

4 अगस्त, 2021 को राजस्थान के जिला धौलपुर जिले के थाना दिहौली क्षेत्र में कस्बा मरैना-दिहौली के बीच सड़क के किनारे खेत से सुबह 10 बजे नेहा का शव पुलिस ने बरामद किया था.

उस के गले में नाइलोन की पीले रंग की रस्सी से फंदा लगा था, जिस में 8-10 गांठे लगी थीं तथा चेहरा मिट्टी में दबा हुआ था.

इस पर एसपी धौलपुर केसर सिंह शेखावत ने शव की शिनाख्त नहीं होने पर 7 अगस्त को मैडिकल बोर्ड से उस का पोस्टमार्टम कराया. इस के बाद अंतिम संस्कार करा दिया गया. थाना दिहौली में हत्या का मुकदमा अज्ञात के नाम दर्ज कर लिया गया.

यहां से करीब 100 किलोमीटर दूर मध्य प्रदेश के जिला ग्वालियर के थाना आंतरी क्षेत्र में ग्वालियर झांसी हाईवे के पास भरतरी रोड पर सड़क के किनारे एक युवक की लाश उसी तरह की रस्सी से गला घोंट कर फेंकी हुई पुलिस को मिली.

पीले रंग की रस्सी में 8-10 गांठें लगी थीं. युवक का प्राइवेट पार्ट कटा हुआ था. यह शव उत्तम का था. लेकिन यह बात पुलिस को पता नहीं थी कि मृतक उत्तम है.

शिनाख्त न होने पर पोस्टमार्टम कराने के बाद धर्म का पता न चलने पर उसे दफना दिया गया. इस संबंध में थाना आंतरी पर हत्या का मुकदमा अज्ञात के खिलाफ दर्ज कर लिया गया.

एसपी (ग्वालियर) अमित सांगी के अनुसार, जांच के दौरान पुलिस के सामने एक महत्त्वपूर्ण तथ्य सामने आया कि राजस्थान के धौलपुर में एक युवती की इसी तरह लाश मिली थी. इस पर धौलपुर पुलिस से जानकारी साझा की गई.

ये भी पढ़ें- बलिदान: खिलजी और रावल रत्न सिंह के बीच क्यों लड़ाई हुई?

दोनों हत्याओं में समानता मिली. क्योंकि दोनों हत्याओं में जिस रस्सी का प्रयोग किया गया था, वह एक ही रस्सी के 2 टुकड़े थे. इस बात की पुष्टि उन के फोरैंसिक एक्सपर्ट ने भी की. दोनों लोग कपड़े भी पर्टिक्युलर कीमोफ्लाई के पहने हुए थे.

इस से अंदाजा लगाया गया कि हत्या के इन दोनों मामलों में कुछ न कुछ संबंध जरूर है. प्रथमदृष्टया ही लग रहा था कि प्रेमप्रसंग का या परिजनों द्वारा की गई हत्या है. इस के बाद  पुलिस ने किशोरी व युवक के शवों की शिनाख्त के लिए उन के फोटो समाचारपत्रों में भी प्रकाशित कराए.

ऐसे हुआ खुलासा

उधर जब फिरोजाबाद पुलिस को यमुना में प्रेमी युगल की लाशें नहीं मिलीं, तब पुलिस ने आरोपियों के मोबाइल फोन की लोकेशन को खंगाला. इस से पुलिस को यह जानकारी मिल गई कि घटना के समय कहांकहां ये लोग गए थे.

पुलिस ने उस रूट पर पड़ने वाले सभी थानों से अज्ञात लाशों की जानकारी जुटाई. फोटो, कपड़ों व मृतकों के हुलिए के आधार पर नेहा और उत्तम की शिनाख्त हुई. फिर पुलिस आरोपियों को ले कर ग्वालियर पुलिस से मिली.

पुलिस आरोपी शिवराज व सुनील के साथ ही उत्तम के पिता सुघर सिंह व अन्य परिजनों को साथ ले गई थी. आरोपियों से शवों के फेंके गए स्थानों की तसदीक कराई. संबंधित दोनों थानों पर संपर्क किया. नेहा व उत्तम के फोटो व कपड़ों को देख कर पहचान लिया गया.

सक्षम अधिकारी के आदेश पर उत्तम के दफनाए गए शव को जमीन से निकलवा कर परिजनों के सुपुर्द किया गया. थानाप्रभारी प्रवेंद्र कुमार सिंह व इस मामले के आईओ मोहम्मद खालिद दोनों थानों से सारे सबूत एकत्र कर फिरोजाबाद लौट आए.

उत्तम का शव जैसे ही गांव जहांगीरपुर पहुंचा, परिवार में कोहराम मच गया. बड़ी संख्या में भीड़ जुट गई. दोनों के भागने के बाद घरवाले समझ रहे थे कि वे लोग दोनों की तलाश कर रहे हैं. लेकिन नेहा के पिता व चाचा द्वारा हत्या करने की बात कुबूलने के बाद दोनों परिवारों में चीखपुकार मच गई.

जांच में पुलिस को पता चला कि प्रेमी युगल की हत्या में प्रयुक्त नाइलोन की लगभग 15 मीटर रस्सी पिनाहट से खरीदी गई थी. इसी रस्सी के 2 टुकड़े कर दोनों का गला घोंट कर हत्या की गई थी.

थाना सिरसागंज पुलिस ने पिनाहट से इस रस्सी विक्रेता की दुकान से वह बंडल भी बरामद कर लिया है, जिस से आरोपियों ने रस्सी खरीदी थी. इस के साथ ही बोलेरो भी बरामद कर ली. इसी गाड़ी में प्रेमी युगल की हत्या की गई थी.

हत्यारे इतने शातिर थे कि उन्होंने प्रेमी युगल की अलगअलग स्थानों पर हत्या कर शव अलगअलग राज्यों के दूरदराज इलाकों में इसलिए फेंके, ताकि सुनियोजित ढंग से की गई इन हत्याओं का कभी खुलासा न हो सके.

साथ ही देवीराम सिरसागंज पुलिस को गुमराह करता रहा कि हत्या कर दोनों के शव यमुना नदी में फेंक दिए थे, ताकि शव न मिलने पर वे लोग हत्या जैसे अपराध से बच जाएं.

ये भी पढ़ें- सुहागन की साजिश: सिंदूर की आड़ में इश्क की उड़ान

लेकिन तीनों राज्यों की पुलिस की सूझबूझ से औनर किलिंग का परदाफाश हो गया. आंतरी और दिहौली थाना पुलिस ने दोनों मृतकों के डीएनए सैंपल सुरक्षित रख लिए थे, जो फिरोजाबाद पुलिस को सौंप दिए.

इस के बाद दोनों थानों में दर्ज मुकदमे थाना सिरसागंज में दर्ज मुकदमे में समाहित हो गए.

पुलिस इस अपहरण और हत्याकांड में शामिल 12 आरोपियों में से देवीराम व सुनील को गिरफ्तार कर चुकी है, जबकि शिवराज ने कोर्ट में सरेंडर कर दिया था.

अन्य फरार चल रहे आरोपियों बालकराम, जैकी, जितेंद्र, श्याम बिहारी, रोहित, राहुल, अमन उर्फ मोनू, गुंजन व दगाबाज दोस्त वीनेश की तलाश की जा रही थी.

नेहा और उत्तम एकदूसरे से बेइंतहा प्यार करते थे. दोनों शादी करना चाहते थे. लेकिन नेहा के घर वालों को यह रिश्ता मंजूर नहीं था. इस के बाद नेहा के घर वालों की झूठी शान की नफरत का शोला प्रेमी युगल के प्यार पर ऐसा गिरा कि प्रेमी युगल की जान ले ली.

Manohar Kahaniya- गोरखपुर: मोहब्बत के दुश्मन- भाग 3

सौजन्य- मनोहर कहानियां

Writer- शाहनवाज

काल रिसीव करते हुए अनीश चाचा को इशारे से हिसाब देखने को कहते हुए दुकान से बाहर निकल गया और सड़क के एक किनारे बात करने में मशगूल हो गया. तभी साए की तरह उस के पीछे पीछे चाचा देवी दयाल भी बाहर निकल आए और कुछ दूरी पर खड़े भतीजे की निगरानी करने लगे.

उसी समय दूसरी तरफ से तेजी से 2 बाइक आ कर अनीश के पीछे रुकीं. दोनों बाइक पर 2-2 नकाबपोश युवक सवार थे. एक बाइक पर पीछे बैठे नकाबपोश ने अपने कमर में पीछे खोंस रखा धारदार दतिया निकाला और फिल्मी स्टाइल में अचानक अनीश के सिर, गले और सीने पर ताबड़तोड़ कई वार कर दिए.

भतीजे अनीश पर हमला होते देख चाचा देवी दयाल हमलावरों से भिड़ गए. अपनी जान की परवाह किए बिना उन्होंने भतीजे पर हमला करने वाले एक नकाबपोश को धर दबोचा.

यह देख कर नकाबपोश हड़बड़ा गया और उन से छूटने के लिए देवी दयाल के सीने पर प्रहार कर दिया. अचानक हुए हमले से देवी दयाल पल भर के लिए गश खा कर जमीन पर गिर गए. कुछ पलों बाद जब उठे तो नकाबपोश ने उन पर फिर से पलटवार किया. तब तक चीखपुकार तेज हो गई थी.

देवी दयाल की चीख सुन कर पासपड़ोस के दुकानदार शोर मचाते हुए बाहर निकले. पब्लिक को बदमाशों ने अपनी ओर आते हुए देखा तो चौंकन्ने हो गए और जिधर से आए थे, मौके पर हथियार फेंक कर उसी दिशा में फरार हो गए.

ये भी पढ़ें- Satyakatha: खूंखार प्यार

दीप्ति ने अपने ही घर वालों के खिलाफ लिखाई रिपोर्ट

इधर अचानक हुए हमले से अनीश डर गया था. गंभीर रूप से घायल वह हवा में लहराते हुए किसी कटे पेड़ की तरह जमीन पर धड़ाम से गिरा.

आननफानन में लोगों ने अनीश और देवी दयाल को टैंपो में लाद कर गोला स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचाया, जहां डाक्टरों ने अनीश को देखते ही मृत घोषित कर दिया.

भतीजे की मौत की खबर सुनते ही देवी दयाल की हालत और बिगड़ गई. घबराहट के मारे उन की सांसों की रफ्तार और तेज हो गई. यह देख डाक्टर भी घबरा गए और उन्हें बाबा राघवदास (बीआरडी) मैडिकल कालेज, गुलरिहा रेफर कर दिया.

अनीश की हत्या की खबर मिलते ही इलाके में सनसनी फैल गई थी. जैसेजैसे उस के शुभचिंतकों को जानकारी हुई, वैसेवैसे कुछ घटनास्थल तो कुछ अस्पताल पर जुटते गए. उधर दिल दहला देने वाली घटना की सूचना गोला थाने के थानेदार सुबोध कुमार को मिल चुकी थी. घटना की सूचना मिलते ही वह फोर्स सहित अस्पताल पहुंच गए और अस्पताल को पुलिस छावनी में बदल दिया ताकि कोई अप्रिय घटना न घट सके.

सूचना पा कर थोड़ी ही देर में वहां तत्कालीन एसएसपी दिनेश कुमार प्रभु, एसपी (दक्षिणी) अरुण कुमार सिंह और सीओ गोला अंजनि कुमार पांडेय भी पहुंच गए थे. पुलिस अधिकारियों ने शव का निरीक्षण किया. सिर, गले और सीने पर किसी धारदार हथियार से ताबड़तोड़ हमला किया गया था. ज्यादा खून बहने से अनीश की मौत हुई थी.

पुलिस ने शव को अपने कब्जे में ले लिया और उसे पोस्टमार्टम के लिए बीआरडी मैडिकल कालेज, गुलरिहा भिजवा दिया. उस के बाद इंसपेक्टर सुबोध कुमार को कागजी काररवाई पूरी करतेकरते दोपहर के 2 बज गए थे.

अस्पताल से फारिग होते ही पुलिस गोपलापुर चौराहा पर उस जगह पहुंची, जहां घटना घटी थी. पुलिस अधिकारियों ने घटनास्थल का निरीक्षण किया. मौके पर फैला खून जम चुका था, जिस पर ढेर सारी मक्खियां भिनभिना रही थीं.

मौके से कुछ दूरी पर खून से सना एक धारदार हथियार गिरा पड़ा था, पुलिस ने उसे बतौर सबूत अपने कब्जे में लिया. मौके पर पहुंची फोरैंसिक टीम अपनी जांच में जुट गई.

ये भी पढ़ें- Satyakatha: फौजी की सनक का कहर

पुलिस ने अनीश की पत्नी दीप्ति चौधरी की तहरीर पर आईपीसी की धारा 302, 307, 506, 120बी एवं एससी/एसटी की धारा 3(2)(वी) के तहत मायके के 17 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करा दिया.

जिन में नलिन मिश्र (पिता), मणिकांत मिश्र (बड़े पापा यानी ताऊ), अभिनव मिश्र (भाई), अनुपम मिश्र (भाई), विनय, उपेंद्र, अजय, प्रियंकर, अतुल्य, प्रियांशु, राजेश, राकेश, त्रियोगी, नारायण, संजीव, विवेक तिवारी और सन्नी सिंह सहित 4 अज्ञात शामिल थे. घटना की जांच की जिम्मेदारी गोला के सीओ अंजनि कुमार पांडेय को सौंपी गई थी.

इस मामले में पुलिस ने 4 आरोपियों मणिकांत मिश्र, विवेक तिवारी, अभिषेक तिवारी और सन्नी सिंह को गिरफ्तार कर लिया. उन्हें गोला के दीडीहा क्षेत्र से गिरफ्तार किया था. इन चारों से पूछताछ की गई तो उन्होंने अपराध स्वीकार करते हुए अन्य आरोपियों के नाम भी बता दिए. पुलिस ने इन्हें अदालत में पेश कर जिला जेल भेज दिया.

28 जुलाई, 2021 को एएसपी (साउथ) अरुण कुमार सिंह ने एक प्रैसवार्ता आयोजित कर 4 आरोपियों को गिरफ्तार करने की जानकारी दी और कहा कि जल्द ही बाकी के आरोपियों को भी गिरफ्तार कर लिया जाएगा. कथा लिखने तक अन्य आरोपी गिरफ्तार नहीं हो सके थे. पुलिस उन्हें तलाश रही थी.

Crime- रोहतक चौहरा हत्याकांड: बदनामी, भय और भड़ास का नतीजा

फरवरी, 2021 को रोहतक के जाट कालेज अखाड़े में रात के तकरीबन सवा 8 बजे कुश्ती के कोच सुखविंदर ने अंधाधुंध फायरिंग कर 5 लोगों की हत्या कर दी थी. मरने वालों में जाट कालेज के कोच मनोज, रेलवे में काम कर रही उन की पत्नी साक्षी, उत्तर प्रदेश की पहलवान पूजा समेत 2 और कोच शामिल थे.

इस वारदात से 5 दिन पहले ही पूजा ने कोच मनोज को बताया था कि सुखविंदर उसे परेशान कर रहा है और शादी के लिए दबाव बना रहा है.

यह सुन कर कोच मनोज ने सुखविंदर की अखाड़े में आने से रोक लगा दी थी. इसी बात की रंजिश के चलते सुखविंदर ने यह घिनौना कदम उठाया था. हालांकि वह बाद में पकड़ा गया था.

इस बात को 7 महीने भी नहीं हुए थे कि विजय नगर कालोनी, रोहतक में ही एक चौहरे हत्याकांड ने नई सुर्खियां बना दीं. 27 अगस्त, 2021 को दिनदहाड़े घर में घुस कर 3 लोगों की हत्या कर दी गई, वहीं एक 17 साल की लड़की इस फायरिंग में घायल हुई, जिस ने वारदात के 40 घंटे बाद अस्पताल में दम तोड़ दिया.

पुलिस को मिली पहली जानकारी के मुताबिक, अज्ञात हथियारबंद बदमाशों ने घर में घुस कर परिवार के 4 सदस्यों पर ताबड़तोड़ गोलियां बरसाईं, जिस के चलते 45 साल के प्रदीप उर्फ बबलू पहलवान, उन की 40 साल की पत्नी बबली और 60 साल की सास रोशनी की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि प्रदीप की 17 साल की बेटी तमन्ना ने बाद में अस्पताल में दम तोड़ा.

प्रदीप उर्फ बबलू पहलवान और उस की सास रोशनी से हत्यारा सब से ज्यादा गहरी रंजिश रखता था, क्योंकि उस ने बबलू पहलवान को 3 और सास रोशनी को 2 गोलियां मारी थीं.

Crime: अठारह साल बाद शातिर अपराधी की स्वीकारोक्ति

पुलिस के पास जो पोस्टमार्टम रिपोर्ट पहुंची, उस में सामने आया कि बबलू पहलवान को माथे में पहली गोली मारने के बाद हत्यारे ने सटा कर उसी जगह

2 गोलियां और मारीं, वहीं सास रोशनी को भी पौइंट ब्लैंक रेंज से पहली गोली मारने के बाद दूसरी गोली भी सिर में पिस्टल सटा कर मारी गई.

इस हंसतेखेलते परिवार में 20 साल का एकलौता अभिषेक उर्फ मोनू ही बचा, जो बबलू पहलवान का बेटा था और वारदात के समय घर पर नहीं था. बाद में उसी ने घर आ कर यह खूनखराबा देखा था और पड़ोसियों को जमा किया था.

हुआ सनसनीखेज खुलासा

पुलिस इस हत्याकांड की पेचीदगी में उलझ गई थी. कभी इस बात का शक होता कि क्योंकि बबलू पहलवान दबंग था और प्रोपर्टी डीलर था, लिहाजा किसी ने उस से दुश्मनी निकाली होगी. पर हर एंगल से जांच करने के बाद पुलिस ने हैरतअंगेज तरीके से अभिषेक उर्फ मोनू को गिरफ्तार कर लिया.

पुलिस के मुताबिक, अभिषेक उर्फ मोनू अपनी बहन तमन्ना के नाम प्रोपर्टी करवाने से नाराज था. ऐसा नहीं था कि प्रदीप उर्फ बबलू पहलवान अभिषेक से प्यार नहीं करता था.

लोगों की मानें, तो उस ने अपने बेटे अभिषेक को होंडा सिटी कार व सवा लाख रुपए का एप्पल का फोन तक दे रखा था. उसे दिल्ली में एयरलाइंस में क्रू मैंबर का कोर्स करवाया था. साथ ही, शहर के एक कालेज में दाखिला दिलवाया था. यहां तक कि एक निजी एयरलाइंस में नौकरी के लिए भी बातचीत की थी और उसे विदेश भेजने के लिए तैयार हो गया था.

बाद में पुलिस को पता चला कि अभिषेक कई दिन से अपने पिता से  5 लाख रुपए मांग रहा था, पर जब पिता ने वजह पूछी तो उस ने संतोषजनक जवाब नहीं दिया और जब परिवार को उस वजह की भनक लगी, तो अभिषेक की तुड़ाई कर दी गई.

दरअसल, पुलिस पूछताछ में अभिषेक उर्फ मोनू ने खुलासा किया कि वह सैक्स सर्जरी के जरीए अपना जैंडर बदलवाना चाहता था यानी लड़के से लड़की बनना चाहता था. वह पिछले एक साल से सर्जरी के लिए इंटरनैट पर इस तरह के क्लिनिक की जानकारी जुटा  रहा था.

यही नहीं, वह ऐसा कर के उत्तराखंड के एक दोस्त के साथ विदेश भागना चाहता था. इस दोस्त से अभिषेक की मुलाकात क्रू मैंबर का कोर्स करने के दौरान हुई थी.

पुलिस के मुताबिक, अभिषेक उर्फ मोनू अपने इस काम को अंजाम दे पाता, उस से पहले परिवार को इस बात का पता चला तो उसे जम कर पीटा गया. इस से गुस्सा हो कर उस ने यह वारदात कर डाली.

पुलिस के मुताबिक, अभिषेक उर्फ मोनू ने बड़े ही शातिर तरीके से इस वारदात को अंजाम दिया. अपना परिवार खत्म करने के बाद वह छत के रास्ते से फरार हुआ और एक होटल में जा छिपा, जहां उस का वही उत्तराखंड का तथाकथित दोस्त था, जिस के लिए वह अपना सैक्स बदलवा कर लड़की बनना चाहता था.

ये भी पढ़ें- Manohar Kahaniya: बच्चा चोर गैंग

वहां उन दोनों ने जिस्मानी रिश्ता बनाया और फिर एक घंटे के बाद अभिषेक दोबारा घर गया और इस हत्याकांड का पहला चश्मदीद गवाह बनते हुए पड़ोसियों को जमा कर लिया.

पुलिस रिमांड में जब कुछ मनोवैज्ञानिक अभिषेक उर्फ मोनू से मिले, तो वह सामान्य बना रहा और एक तरह से उन्हें भी उलझा दिया. बाद में वकील मोहित वर्मा ने शनिवार, 11 सितंबर, 2021 को सुनारिया जेल में जा कर उस से तकरीबन 12 मिनट तक बातचीत की तो अभिषेक ने खुद को बेकुसूर बताया.

अभिषेक उर्फ मोनू ने यह भी बताया कि पुलिस ने उसे बिना वजह फंसाया है. उस से काफी दस्तावेजों पर दस्तखत भी कराए गए हैं. उस का इस हत्याकांड से कोई मतलब नहीं है. उस ने सीबीआई जांच की भी मांग की.

अभिषेक उर्फ मोनू अपने बचाव में दलील रखने का हकदार है, पर खुद को बेकुसूर कहने भर से वह इस हत्याकांड से पीछा नहीं छुड़ा सकता. वैसे, वह ऐसे परिवार और समाज से आता है, जहां किसी लड़के का लड़की बन कर जीने की सोच रखना ही सब से बड़ी सजा है.

जिस हरियाणा में दूसरी जाति में शादी करने से ओनर किलिंग हो जाती है, वहां प्रदीप उर्फ बबलू पहलवान कैसे सहन कर सकता था कि उस का लाड़ला बेटा ऐसी शर्मनाक डिमांड उस के सामने रख दे.

अभिषेक उर्फ मोनू को पता था कि आज यह बात बताने पर उस की पिटाई हुई है, तो कल को समाज में अपनी इज्जत की खातिर बाप ही उस की बलि चढ़ा सकता है.

ये भी पढ़ें- Crime: दोस्ती, अश्लील फोटो वाला ब्लैक मेलिंग!

हो सकता है कि उस के उत्तराखंड वाले दोस्त ने उसे यह राह दिखाई हो, पर उम्र के जिस पड़ाव पर अभिषेक था, उसे खुद का वजूद बचाने के लिए यही एक रास्ता समझ आया हो.

जिस तरह से अभिषेक उर्फ मोनू ने क्राइम सीन पर पुलिस के सामने सबकुछ उगल कर यह हत्याकांड कबूल किया है, उस से शक की कोई गुंजाइश नहीं बचती है, बशर्ते इस वारदात में जमीनजायदाद से जुड़े पारिवारिक झगड़े का कोई दूसरा पेंच न फंसता हो.

Satyakatha: ऑपरेशन करोड़पति- भाग 2

सौजन्य- सत्यकथा

उसी कार से उन्होंने औपरेशन करोड़पति की शुरुआत की. उस दिन अगस्त की 4 तारीख थी. पांचों साथी कार में सवार नवीन पटेल के शोरूम पहुंचे. समय दोपहर साढ़े 12 बजे का था.

वीरेंद्र अपने 4 साथियों को ले कर शोरूम में घुसा, जबकि एक साथी कार में ही बैठा रहा. वह निशांत था. वह कार में लगे काले शीशे के कारण बाहर से नहीं दिख रहा था. वीरेंद्र ने नवीन पटेल को अपना परिचय एक प्लाईवुड व्यापारी के रूप में दिया.

नवीन पटेल से परिचय करने के बाद उस ने अपने 3 सहयागियों के तौर पर बाकी का परिचय करवाया. थोड़ी देर तक इधरउधर की बातें करने के बाद वीरेंद्र ने बताया कि कुछ समय में ही उन का कारपेंटर आने वाला है. वही प्लाईवुड के बारे में बाकी जानकारी देगा.

नवीन पटेल ने उन्हें सामने के सोफे पर बैठने को कहा और अपने एक कर्मचारी को पानी और चाय लाने के लिए बोल कर अपना काम निपटाने लगे. कर्मचारी के वहां से हटते ही वीरेंद्र के एक साथी ने अचानक ही शोरूम का शटर बंद कर दिया.

नवीन पटेल चौंक गए. उन्होंने समझा कि शटर अपने आप गिर गया है. क्योंकि ऐसा पहले भी 2-3 बार हो चुका था. उन्होंने तुरंत अपने कर्मचारी को आवाज लगाई, ‘‘कितनी बार कहा है कि शटर ठीक करवा लो, लेकिन नहीं.’’

नवीन बात पूरी करने वाले ही थे कि वीरेंद्र बिहारी ने फुरती से नवीन  के गले पर चाकू रख दिया. नवीन बौखलाते हुए बोले, ‘‘अरे, यह क्या बदतमीजी है? कौन…कौन हो तुम लोग? यह क्या कर रहे हो?’’

‘‘अगर अपनी जान की सलामती चाहते हो, तो एक करोड़ रुपया निकालो. अभी के अभी.’’ वीरेंद्र कड़कती आवाज में बोला.

‘‘छोड़ो मुझे, मुझे छोड़ दो.’’ नवीन अपना हाथ पीछे ले जा कर दूसरे बदमाश का हाथ पकड़ने की कोशिश करने लगे, जो पीछे से उन के दोनों कंधे पकड़े था.

‘‘नहीं छोड़ेंगे तुम्हें, जब तक कि तुम पैसे नहीं दे देते हो. वरना जिंदा भी नहीं बचोगे.’’ वीरेंद्र बोला.

नवीन अचानक आई इस मुसीबत से बुरी तरह घबरा गए. अपने पुराने कर्मचारी निशांत को आवाज दी. चाय लाने के लिए गया कर्मचारी शोरगुल सुन कर वहां आ चुका था. उसे तीसरे बदमाश ने धर दबोचा.

नवीन समझ चुके थे कि वे अपहर्त्ताओं के चंगुल में फंस चुके हैं. वह उन से विनती करने लगे, ‘‘मेरे पास पैसा नहीं है. लौकडाउन में इतना बिजनैस भी नहीं हो रहा है.’’

ये भी पढ़ें- Satyakatha: बेवफाई का बदनाम वीडियो

‘‘कहीं से भी लाओ हम नहीं जानते. घरवाली को फोन कर अभी पैसे मंगवाओ. वरना…’’ कहते हुए वीरेंद्र चाकू उन की गरदन पर रेतने की स्थिति में ले आया.

काफी कोशिश और मारपीट करने के बाद भी बात नहीं बनी. बारबार नवीन एक ही रट लगाए रहे कि उन के पास पैसे नहीं है. वीरेंद्र ने अपने एक साथी को उन की आंखों और मुंह पर पट्टी बांधने को कहा.

फटाफट बदमाशों ने नवीन की आंखों और मुंह पर पट्टी बांधी, फिर चाकू की नोक पर ढकेलते हुए कार के पास ले गए. कार में पहले से बैठे निशांत ने उसे तुरंत अंदर खींच लिया. कार की ड्राइविंग सीट पर वीरेंद्र जा बैठा. कुछ समय में ही कार सड़क पर दौड़ने लगी.

यहां तक तो पांचों बदमाशों को सफलता मिल गई थी, लेकिन उन्हें इस बात की चिंता हुई कि वे फिरौती की काल कैसे करें? किस से पैसे मंगवाएं? कहां पर मंगवाएं?

अचानक प्रोग्राम में बदलाव होने से सभी दुविधा में आ गए थे. भीतर से उन्हें पकड़े जाने का डर भी लग रहा था.

अपहरण जैसे अपराध का यह उन का पहला अनुभव था. वह अभी तक छोटीमोटी चोरियां और लूटपाट ही किया करते थे.

उन्हें यह भी डर था कि अपना फोन इस्तेमाल करने पर तुरंत पुलिस की नजर में आ जाएंगे. ऐसे में हो सकता है कि वह फिरौती मिलने से पहले ही पकड़े जाएं.

वीरेंद्र को सामने मोबाइल पर बात करते हुए मजदूरों को देख कर एक आइडिया आया. उस ने तुरंत गाड़ी रोकी और 2 मजदूरों के मोबाइल छीन लिए. फिर गाड़ी तेजी से आगे बढ़ा दी.

फोन निशांत को देते हुए नवीन की पत्नी को काल लगाने के लिए कहा. नवीन पटेल की पत्नी मीनाक्षी का नंबर निशांत को मालूम था. उस ने तुरंत से फोन लगा दिया. मीनाक्षी द्वारा फोन रिसीव करते ही निशांत ने स्पीकर   औन कर दिया.

‘‘हैलो, कौन बोल रहा है?’’ मीनाक्षी ने पूछा.

‘‘मैडम, अगर तुम अपने पति की खैरियत चाहती हो तो एक करोड़ रुपए का बंदोबस्त जल्द कर लो. वरना उन्हें भूल जाओ.’’ वीरेंद्र  कर्कश आवाज में बोला.

‘‘हैलो…हैलो, आप कौन बोल रहे हैं?’’ मीनाक्षी कांपती आवाज में बोली.

ये भी पढ़ें- Crime: एक सायको पीड़ित की अजब दास्तां

‘‘मैं कौन बोल रहा हूं, इस से तुम्हें कोई मतलब नहीं है. तुम सिर्फ उतना ही करो जितना हम कह रहे हैं. पैसा कहां लाना है, यह हम तुम्हें जल्द बातएंगे.’’ वीरेंद्र बोला.

‘‘लेकिन…. लेकिन तुम हो कौन? मेरे पति कहां हैं?’’

‘‘लेकिनवेकिन कुछ नहीं. बस, तुम इतना याद रखना कि पुलिस के पास भूल कर भी मत जाना. नहीं तो नतीजा बुरा होगा, समझी. और हां, तुम्हारा पति हमारे कब्जे में अभी तक सुरक्षित है.’’ कहते हुए वीरेंद्र ने फोन डिसकनेक्ट कर दिया.

दूसरी तरफ नवीन पटेल की पत्नी मीनाक्षी यह समझ गई थीं कि उस के पति का का अपहरण हो चुका है. वह बेहद घबरा गईं. यह बात किसे बताएं, किसे नहीं समझ नहीं पा रही थीं.

कुछ पल रुक कर उन्होंने निशांत को फोन लगाया. निशांत ने काल रिसीव की, लेकिन आवाज उस की नहीं थी. कोई और भद्दी गाली देते हुए बोला, ‘‘…आखिर तूने होशियारी दिखा दी न?’’ निशांत का फोन वीरेंद्र ने रिसीव किया था, ‘‘अब किसी को काल मत करना और रुपए के साथ हमारे फोन का इंतजार करना.’’

मीनाक्षी ने झट से फोन कट कर दिया. उन्होंने समझा कि शायद निशांत भी उस के पति के साथ है या फिर उस का फोन अपहर्त्ताओं के पास है.

उन के सामने बड़ी समस्या यह भी थी कि एक करोड़ रुपए कहां से लाएगी? अपहर्त्ताओं की इस शर्त से परिवार में कोहराम मच गया. इस समस्या का समाधान कैसे करें, यह उन की समझ में नहीं आ रहा था.

मीनाक्षी की मानसिक स्थिति बिगड़ गई. वह डिप्रेशन में चली गईं. परिवार वालों ने बड़ी मुश्किल से उन्हें संभाला. समझाबुझा कर पुलिस की मदद लेने को कहा. तब तक रात के 9 बज चुके थे.

मीनाक्षी हिम्मत कर 4 अगस्त, 2021 को रात साढ़े 9 बजे अपने रिश्तेदारों के साथ पणजी पुलिस स्टेशन पहुंचीं. 3 रिश्तेदारों के साथ होने के बावजूद वह काफी घबराई हुई थीं. उन की हालत देख थानाप्रभारी विजय चौडणखर ने हैरानी से पूछा, ‘‘क्या बात है? आप इतना घबराई हुई क्यों हैं?’’

नवीन पटेल गोवा के एक जानेमाने कारोबारी थे, इस कारण थानाप्रभारी मीनाक्षी को पहले से पहचानते थे. हाल में ही वह नवीन की मैरिज एनिवर्सरी में शामिल भी हुए थे. तब मीनाक्षी ने उन की अच्छी आवभगत की थी.

उत्तरी गोवा में थिविन गांव के रहने वाले 30 वर्षीय नवीन पटेल एक प्रतिष्ठित व्यक्ति थे. उन का गोवा के मौडल टाउन में आशीर्वाद नाम का एक शोरूम और एक प्लाईवुड का गोदाम था.

नवीन की पत्नी को अपने पास आया देख कर थानाप्रभारी चौंक गए. उन की घबराई हुई हालत देख कर उन्होंने पूछा, ‘‘क्या हुआ भाभीजी? आप इतनी घबराई हुई क्यों हैं?’’ इसी के साथ उन्होंने मीनाक्षी को बैठने को कहा.

सामने की कुरसी पर बैठते ही मीनाक्षी फूटफूट कर रोने लगीं. थानाप्रभारी ने उन्हें शांत करवाया. एक गिलास पानी पिलाया और पूरी बात बताने को कहा. जब मीनाक्षी ने नवीन पटेल के अपहरण की बात बताई तो थानाप्रभारी चिंता में पड़ गए. उन्होंने पूरी बात विस्तार से बताने को कहा.

मीनाक्षी ने अपहर्त्ताओं से हुई सभी बातें उन्हें बताईं. साथ ही अपने मोबाइल पर आए अपहर्त्ताओं के काल के समय को बताया.

थानाप्रभारी विजय चोडणखर मीनाक्षी का स्मार्टफोन ले कर जांचपरख करने लगे. संयोग से फोन में आटो रिकौर्डिंग का ऐप था. विजय ने काल की रिकौर्डिंग औन कर मीनाक्षी के सामने ही कई बार सुना.

फोन में शोरूम के कर्मचारी निशांत का भी नाम था. उसे काल करने पर मिले जवाब के बारे में पूछने पर मीनाक्षी ने सिर्फ इतना बताया कि वह उन का बहुत ही भरोसेमंद कर्मचारी है और उस का हमारे घर भी आनाजाना होता था. इस वक्त वह कहां है, पूछने पर मीनाक्षी ने बताया कि अब उस का फोन बंद आ रहा है.

ये भी पढ़ें- Manohar Kahaniya: पत्नी की मौत की सुपारी

थानाप्रभारी इतना तो जानते ही थे कि अधिकतर अपहरण के मामले में किसी न किसी नजदीकी का ही हाथ होता है. इसी अंदेशे के साथ उन्होंने निशांत के जरिए अपहर्त्ताओं तक पहुंचने की योजना बनाई.

इस के बाद थानाप्रभारी ने मीनाक्षी और उन के साथ आए लोगों के बयानों के आधार पर नवीन पटेल के अपहरण की रिपोर्ट दर्ज कर ली गई. थानाप्रभारी ने उन्हें इस आश्वासन के साथ घर भेज दिया कि पुलिस उन के पति को अवश्य छुड़ा लेगी.

अगले भाग में पढ़ें- पुलिस को अपहर्त्ताओं तक पहुंचने के लिए क्या जानकारी मिली

Satyakatha- दिल्ली: शूटआउट इन रोहिणी कोर्ट- भाग 3

सौजन्य- सत्यकथा

लेखक- शाहनवाज

3 मार्च, 2020 को दिल्ली पुलिस की स्पैशल सेल ने गुरुग्राम से उसे गिरफ्तार किया था. इस से पहले साल 2015 में जब जितेंद्र गोगी को गिरफ्तार किया गया था तो 30 जुलाई, 2016 को गोगी पुलिस को चकमा दे कर फरार हो गया था.

उस वक्त उसे हरियाणा रोडवेज की बस से नरवाना कोर्ट में पेशी पर ले जाया जा रहा था. तब 10 हथियारबंद बदमाश बस को रुकवा कर जितेंद्र गोगी को अपने साथ ले कर भाग गए थे.

इस के बाद से लगातार बड़ी वारदात में जितेंद्र गोगी का नाम सामने आता रहा. 17 अक्तूबर, 2017 को हरियाणा के पानीपत में चर्चित सिंगर हर्षिता दहिया की गोली मार कर हत्या कर दी गई थी. हर्षिता को 4 गोलियां मारी गई थीं. इस केस में जितेंद्र गोगी का नाम सामने आया था और कहा गया था कि हर्षिता के जीजा ने जितेंद्र गोगी को सुपारी दे कर हत्या करवाई थी.

इस के अगले ही महीने स्वरूप नगर में एक टीचर दीपक बालियान की हत्या कर दी गई, जिस में जितेंद्र गोगी का ही नाम सामने आया. जनवरी, 2018 में अलीपुर के रवि भारद्वाज की 25 गोलियां मार कर हत्या की गई थी. इस में भी जितेंद्र गोगी ही शामिल था.

अभी इसी साल 19 फरवरी को रोहिणी के कंझावला में आंचल उर्फ पवन की भी हत्या जितेंद्र गोगी गैंग ने की थी, जिस में कम से कम 50 राउंड फायरिंग हुई थी.

8 सितंबर, 2019 को दिल्ली के नरेला इलाके में विधानसभा का चुनाव लड़ चुके वीरेंद्र मान की 26 गोलियां मार कर हत्या कर दी गई थी. इस केस का भी मुख्य आरोपी जितेंद्र गोगी ही था. तब पुलिस ने जितेंद्र गोगी के शार्पशूटर कपिल को गिरफ्तार किया था.

इस दुश्मनी में अब तक ये दोनों गैंग 8 बार सड़क पर टकरा चुके हैं. कम से कम 30 लोगों की जान गई है और जितेंद्र गोगी की मौत के बाद एक बार फिर से इस गैंगवार के बढ़ने का अंदेशा जताया जा रहा है.

राजधानी दिल्ली की रोहिणी कोर्ट में जज के सामने ही टौप मोस्ट गैंगस्टर जितेंद्र मान उर्फ गोगी हत्याकांड की पटकथा 10 दिन पहले ही मंडोली जेल में लिख ली गई थी.

ये भी पढ़ें- Crime: भाई पर भारी पड़ी बहन की हवस

15 सितंबर को टिल्लू ताजपुरिया से मिलने उस के गैंग के लोग मंडोली जेल में पहुंचे थे. वहां टिल्लू ने अपने साथियों को गोगी की हत्या का प्लान बताया था. टिल्लू के कहने पर ही प्लान को अंजाम तक पहुंचाने के लिए लगातार 4 दिन कोर्ट की रैकी कर पांचवें दिन वारदात को अंजाम दे दिया गया.

अदालत के सभी गेट पर सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लिया गया. इस के बाद फैसला हुआ कि गेट नंबर 4 से अंदर दाखिल हो कर वकील के कपड़ों में कोर्टरूम में पहुंचा जाएगा. बदमाशों ने ऐसा ही किया. वे अपने मकसद में कामयाब हुए और इन्होंने योजना के तहत गोगी की हत्या कर दी.

पुलिस सूत्रों का कहना है कि गोगी की हत्या के बाद विरोधी टिल्लू खेमे में खुशी का माहौल है. पिछले कई सालों से टिल्लू लगातार गोगी की हत्या की योजना बना रहा था.

पुलिस सूत्रों का कहना है कि 15 सितंबर को मंडोली जेल में टिल्लू से मिलने के लिए उमंग और विनय के अलावा कुछ और भी लोग थे. वहां मुलाकात के दौरान टिल्लू ने इन को अपना प्लान समझाया था.

योजना के तहत शूटरों के रुकने की व्यवस्था उमंग ने हैदरपुर में स्थित अपने घर में की. यहां से रोहिणी कोर्ट ढाई से तीन किलोमीटर के बीच है. ऐसे में यहां से आनाजाना आसान था.॒

पुलिस के अनुसार, 20 सितंबर के बाद उमंग, विनय, राहुल और जगदीप लगातार 3 से 4 घंटे कोर्ट की रैकी कर रहे थे. इन सभी को इस बात का पहले से ही अंदाजा था कि गोगी की सुनवाई कोर्टरूम नंबर 207 में ही होगी.

गोगी किसी भी सूरत में जिंदा न रहे, इसलिए शूटरों को आदेश था कि वे दोनों ओर से गोगी पर फायर करें.

सब कुछ साजिश के तहत हुआ. घटना वाले दिन उमंग शूटर राहुल व जगदीप को ले कर कोर्ट के गेट नंबर 4 से ही दाखिल हुआ. काफी देर वह पार्किंग में ही मौजूद रहा. जब कोर्ट रूम में गोलियां चलने की आवाज आई तो उमंग वहां से भाग निकला और सीधा अपने घर पहुंचा.

पुलिस सूत्रों का दावा है कि तिहाड़ और मंडोली जेल से इस साजिश को अंजाम दिया गया है. इस साजिश में टिल्लू ताजपुरिया, पश्चिमी यूपी का गैंगस्टर सुनील राठी, नीरज बवानिया गैंग का नवीन बाली और उस का भाई राहुल काला, टिल्लू का गुर्गा सुनील मान के शामिल होने की आशंका है.

इन में अधिकतर गैंगस्टर तिहाड़ की जेल नंबर 15 में हैं. आशंका है कि गैंगस्टरों ने इस हत्याकांड को अंजाम देने से पहले फोन के जरिए आपस में संपर्क किया होगा.

ये भी पढ़ें- Manohar Kahaniya: जुर्म की दुनिया की लेडी डॉन

वहीं दिल्ली पुलिस की स्पैशल सेल ने मामले में काररवाई करते हुए 2 लोगों को गिरफ्तार कर लिया. स्पैशल सेल की गिरफ्त में आए दोनों लोगों की पहचान उमंग और विनय के रूप में हुई. स्पैशल सेल ने दोनों को कोर्ट के गेट नंबर 4 के सीसीटीवी फुटेज के आधार पर गिरफ्तार किया था. ये दोनों आरोपी उत्तर पश्चिमी दिल्ली के हैदरपुर के रहने वाले हैं.

गैंगस्टर सुनील उर्फ टिल्लू ताजपुरिया एक पुराने मामले में रोहिणी कोर्ट में पेश हुआ. दिल्ली पुलिस स्पैशल सेल और थर्ड बटालियन के हथियारों से लैस जवान उसे सुबह ही कोर्ट में लाए थे.

रोहिणी जिला पुलिस ने भी भारी बंदोबस्त कर रखा था. रोहिणी कोर्ट पूरी तरह से छावनी में तब्दील दिखी. पुलिस को आशंका थी कि गोगी गैंग पलटवार करते हुए टिल्लू पर हमला कर सकता है, इसलिए एजेंसियां कोई जोखिम नहीं लेना चाहती थीं.

पुलिस सूत्रों ने बताया कि टिल्लू ताजपुरिया को शनिवार सुबह मंडोली जेल से लेने के लिए स्पैशल सेल की टीम को भेजा गया.

थर्ड बटालियन के जवान और स्पैशल सेल की टीम उसे अपनी सुरक्षा के घेरे में सुबह करीब सवा 10 बजे ले कर रोहिणी कोर्ट परिसर में पहुंच गई. एक पुराने मामले में उस की पेशी कोर्ट नंबर 202 में अडिशनल सेशन जज राकेश कुमार की कोर्ट में थी.

इस से पहले ही पुलिस ने पूरी तरह से रोहिणी कोर्ट परिसर को अपने घेरे में ले लिया था. पुलिस सूत्रों ने बताया कि जज के सामने टिल्लू को पेश किया गया तो उन्होंने अगली तारीख लगा दी.

सुरक्षा टीम करीब 12 बजे टिल्लू को कड़े सुरक्षा घेरे के बीच मंडोली जेल के लिए ले कर रवाना हो गई. करीब एक घंटे बाद जब पुलिस अफसरों को टिल्लू के सुरक्षित मंडोली जेल पहुंचने का मैसेज किया गया तो सब ने राहत की सांस ली.

क्राइम ब्रांच की टीम शूटआउट के अगले दिन 25 सितंबर को दोपहर बाद रोहिणी कोर्ट में पहुंची और 2 घंटे से भी ज्यादा समय तक पड़ताल की.

ये भी पढ़ें- Manohar Kahaniya: जब उतरा प्यार का नशा

इस दौरान कोर्ट रूम में क्राइम सीन रीक्रिएट किया गया. लोकल पुलिस से जल्द ही सभी सीसीटीवी कैमरों की फुटेज हासिल की, जिन का एनलिसिस कर पता लगाया जाएगा कि वकील की ड्रेस में कोर्ट के भीतर आए बदमाश किसकिस रूट से आए थे और दोनों हमलावरों के साथ क्या कुछ और बदमाश भी अदालत में आए थे?

Satyakatha- केरला: अजब प्रेम की गजब कहानी- भाग 2

सौजन्य: सत्यकथा

Writer- शाहनवाज

उन दिनों भारी बारिश की वजह से कच्चे घरों में अकसर बिजली से जुड़ी समस्या पैदा हो ही जाया करती थी. साजिता के साथसाथ रहमान का भी उन दिनों कच्चा ही घर था.

दरअसल, रहमान और साजिता एक लंबे समय से एकदूसरे से नजर से नजर मिलाया करते थे, लेकिन दोनों की एकदूसरे के साथ बातचीत करने की हिम्मत पैदा नहीं हो रही थी.

बिजली ठीक करने के बाद जब रहमान, साजिता के घर से वापस जाने लगा तो उस ने अपना फोन नंबर साजिता के पिता को यह कहते हुए दे दिया कि अगर कुछ दिक्कत महसूस हो तो फोन कर के उसे बुला लें. उस समय तो नहीं, लेकिन कुछ दिनों बाद साजिता ने हिम्मत कर के रहमान को फोन कर ही लिया.

पहली बार की बातचीत तो सिर्फ हायहैलो में ही निकल गई, लेकिन उस के बाद जब कभी साजिता को मौका मिलता तो वह रहमान के साथ फोन पर बातें किया करती.

धीरेधीरे समय के साथसाथ दोनों के बीच दोस्ती हुई. साजिता काम का बहाना कर के घर से निकलती और वे दोनों अकसर अपने गांव से दूर कहीं और मिलने जाया करते थे. कभी साथ में शहर घूमने निकलते तो कभी दूर के खेतों में वक्त गुजारा करते.

उन की ये दोस्ती समय के साथ गहराती चली गई और वे दोनों एकदूसरे को प्यार करने लगे. रहमान और साजिता दोनों के जीवन का वह पहला प्यार था, इसलिए उन के बीच एकदूसरे से लगाव कुछ ज्यादा ही हो गया था.

ये भी पढ़ें- Crime Story: अय्याशी में गई जान

इस के साथसाथ रहमान और साजिता ने एक बात का खासा ध्यान रखा था, वह यह कि वे दोनों अपना रिश्ता लोगों के सामने जाहिर नहीं करना चाहते थे. अपने गांव वालों के सामने तो बिलकुल भी नहीं.

ऐसा इसलिए कि रहमान और साजिता दोनों बखूबी जानते थे कि वे दोनों अलगअलग धर्म से ताल्लुक रखते थे. रहमान मुसलमान था तो साजिता हिंदू.

वे जानते थे कि उन के इस प्यार को, इस रिश्ते को उन के घर वाले और समाज मंजूरी नहीं देगा. इसलिए अपने प्यार को जगजाहिर होने से बचाने के लिए वे हरसंभव तरीके अपनाते थे. यहां तक कि जब दोनों फोन पर बातें करते तो बात करने के बाद काल डिटेल्स डिलीट कर देते थे.

उन के बीच यह पहले से ही तय हुआ था कि उन्हें अपने रिश्ते को दुनिया की नजरों से बचा कर रखना है, नहीं तो किसी की भी बुरी नजर लग सकती है.

समय बीता तो उन के बीच नजदीकियां और बढ़ती चली गईं. दोनों एकदूसरे से बेइंतहा प्यार करने लगे थे. एकदूसरे के साथ पूरी जिंदगी गुजारना चाहते थे. ऐसे में साजिता ने एक शाम को प्लान बनाया और उस ने रहमान को इस के लिए तैयार भी कर लिया.

सजिता ने रहमान से कहा, ‘‘रहमान, मैं तुम्हारे साथ अपनी बाकी की जिंदगी गुजारना चाहती हूं. हम दोनों को अगर साथ में रहना है तो हमें इस गांव से, अपने परिवार से दूर जाना पड़ेगा. उन्हें छोड़ना पड़ेगा. नहीं तो ये लोग हमें जुदा कर देंगे. मैं जानती हूं कि तुम्हारे लिए यह मुश्किल फैसला होगा. मैं ने बहुत सोचसमझ कर ही तुम से यह बात कही है.’’

रहमान ने भी पहले से ही इस विषय में सोचविचार कर रखा था. उस ने साजिता की बातों का जवाब देते हुए कहा, ‘‘तुम्हारी इस बात से मैं भी बिलकुल सहमत हूं. अगर हम ने अपने घर वालों को अपने इस रिश्ते के बारे में बताया तो वे इस रिश्ते को मंजूरी कभी नहीं देंगे. बेहतर यही है कि हमें इस गांव से, अपने परिवार से दूर चले जाना चाहिए.’’

दोनों के बीच इस बातचीत के बाद दोनों ने दिन तय कर लिया कि उन्हें किस दिन अपने घर छोड़ देना है. ठीक 11 साल पहले, 2 फरवरी 2010 की रात के करीब साढ़े 9 बज रहे थे. ठंड के दिन थे तो उस समय तक गांव वाले सब सो चुके थे. साजिता और रहमान के घर वाले भी गहरी नींद में थे सिवाय उन दोनों के.

ये भी पढ़ें- सुहागन की साजिश: सिंदूर की आड़ में इश्क की उड़ान

साजिता ने पहले से ही अपने कपड़ेलत्ते और जरूरी सामान एक छोटे से बैग में भर लिया था. बिना आवाज किए साजिता ने घर से निकल कर पहले इधरउधर नजरें घुमाईं और यह सुनिश्चित किया कि बाहर कोई है तो नहीं. जब उसे सभी रास्ते साफ और सुनसान दिखाई दिए तो वह घर से निकल गई और पगडंडियों के सहारे रहमान से मिलने तय जगह पर चली गई.

वहां रहमान पहले से ही मौजूद था. वह वहां पहुंच तो गया था लेकिन उस के चेहरे पर काफी उदासी छाई हुई थी. साजिता ने उस से उस की उदासी की वजह पूछी तो उस ने बताया कि उस के पास इतने पैसे नहीं थे, जिस से वह उस के साथ कहीं शहर में जा कर किराए के कमरे पर गुजरबसर कर सके.

अगले भाग में पढ़ें- रहमान ने जानबूझ कर अपने मिजाज में बदलाव कर लिया था

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें