मां-बेटी का खूनी रोमांस : भाग 2

(कहानी सौजन्य-मनोहर कहानियां)

घटना के कई दिनों बाद हेमंत ने खुशबू को फोन कर के कहा, ‘‘अब तो हमारे रास्ते का कांटा हमेशाहमेशा के लिए निकल चुका है. अब हमें एक होने से कोई नहीं रोक सकता.’’

इस पर खुशबू ने जवाब दिया, ‘‘ज्यादा इतराओ मत. पुलिस को हमारे राज के बारे में पता चल गया तो जिंदगी भर जेल में बैठे चक्की पीसेंगे. फिर सलाखों के पीछे बैठे इश्क की माला जपते रहना. थोड़ा सब्र रखो, ऐसा कोई काम मत करना जिस से हम पकड़े जाएं.’’

पुलिस को सुराग तो मिल गया था लेकिन उसे अभी भी यकीन नहीं हो रहा था कि बलवीर की हत्या मांबेटी ने मिल कर अपने आशिकों से कराई थी. मृतक की पत्नी रानी की अपने आशिक से बातचीत का रिकौर्ड पुलिस के पास मौजूद था.

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इन्हीं पुख्ता सबूतों के आधार पर पुलिस 22 जुलाई, 2020 को रानी और उस की बेटी खुशबू को गिरफ्तार कर पहासू थाने ले आई. दोनों से कड़ाई से पूछताछ की गई तो दोनों ने अपना जुर्म कबूल कर लिया. पता चला कि बलवीर की हत्या प्रेम संबंधों में बाधक बनने की वजह से हुई थी.

माशूकाओं ने पकड़वाया आशिकों को

रानी और खुशबू से पूछताछ करने के बाद पुलिस ने उसी दिन शाम को उन के आशिकों हेमंत, गोली और उस के दोस्त आकाश को बसअड्डा, पहासू से गिरफ्तार कर लिया.

पुलिस तीनों आरोपितों को गिरफ्तार कर के पहासू थाने ले आई. उन तीनों ने खुशबू और उस की मां रानी को पुलिस हिरासत में देखा तो उन के होश उड़ गए. उन्होंने भी बड़ी आसानी से अपना जुर्म कबूल कर लिया. 14 दिनों से राज बने बलवीर सिंह हत्याकांड से आखिर परदा उठ ही गया.

पुलिस ने अज्ञात की जगह मृतक पत्नी रानी, बेटी खुशबू, उन के आशिकों हेमंत और गोली व उस के दोस्त आकाश को नामजद कर दिया. एसपी गोपालकृष्ण चौधरी ने उसी दिन पुलिस लाइंस में प्रैस कौन्फ्रैंस कर के बलवीर हत्याकांड के पांचों आरोपियों को पत्रकारों के सामने पेश कर घटना का खुलासा कर दिया.

पुलिसिया पूछताछ में बलवीर सिंह हत्याकांड की कहानी ऐसे सामने आई—

45 वर्षीय बलवीर सिंह उत्तर प्रदेश के जिला बुलंदशहर के थाना पहासू के गांव जाटोला में रहता था. उस का छोटा सा परिवार था, जिस में पत्नी रानी और बेटी खुशबू तथा एक बेटा था. बलवीर का एक छोटा भाई था राकेश सिंह. बलवीर और राकेश दोनों भाइयों के बीच अटूट प्रेम था. दोनों भाई एकदूसरे के दुखसुख में हमेशा खड़े रहते थे.

बलवीर सिंह को इलाके का सब से बड़ा किसान कहा जाता था. उस के पास खेती की कई एकड़ जमीन थी, जिस पर वह वैज्ञानिक विधि से खेती करवाता था. इस से उसे अच्छा मुनाफा होता था. इसी आमदनी से वह दोनों बच्चों को अच्छे स्कूलों में पढ़ा रहा था.

बच्चों की पढ़ाई के साथ वह कोई समझौता नहीं करता था. धीरेधीरे बलवीर के दोनों बच्चे बड़े हो रहे थे. बेटी खुशबू बड़ी थी और बेटा छोटा.

कब बचपन को पीछे छोड़ कर खुशबू ने जवानी की दहलीज पर कदम रख दिया था. वह 17 साल की हो चुकी थी. खुशबू कब तक कोरे दिल को आशिकों की नजरों से बचाती फिरती, आखिरकार वह हेमंत को अपना दिल दे बैठी.

हेमंत उसी गांव का रहने वाला था. आतेजाते हेमंत की नजर खुशबू पर पड़ी तो वह उस के दिल में समा गई. खुशबू को भी हेमंत पसंद था. 22 साल का हेमंत गबरू जवान था. वह अभी पढ़ाई कर रहा था. पढ़ाई के दौरान नौकरी की तैयारी में भी जुटा था. जल्दी ही दोनों ने एकदूसरे से प्रेम का इजहार कर दिया.

हेमंत से मोहब्बत की लगन लगने के बाद खुशबू के चेहरे पर कुछ अलग ही तरह का निखार आ गया था. उस के चेहरे पर हर घड़ी मुसकान थिरकने लगी. यह देख कर उस की मां रानी को शक हुआ कि खुशबू के चेहरे पर बिन बरसात हरियाली क्यों छाई रहती है. कहीं कोई इश्कविश्क का चक्कर तो नहीं है.

खुशबू की मां रानी औरत थी. एक औरत दूसरी औरत के मन की बात को जल्दी भांप लेती है. यहां तो खुशबू उस की बेटी थी, वह बेटी के दिल की बात जान सकती थी. वैसे भी मांबेटी के बीच सहेलियों जैसा रिश्ता था.

मां ने पूछी दिल की बात

एक दिन दोपहर का समय था. घर में मां और बेटी के अलावा कोई नहीं था. बेटा और पिता बलवीर सिंह के साथ खेती के काम से बाहर गया हुआ था. मांबेटी दोनों एक साथ पलंग पर लेटी हुई थीं. उन के बीच में घर की बातों को ले कर बातचीत हो रही थी.

इसी दरमियान रानी ने बेटी के मन की बात जानने के लिए पूछा,‘‘क्या बात है खुशबू, आजकल तुम्हारे चेहरे पर कुछ ज्यादा ही चमक रहती है. कहीं प्यारव्यार का चक्कर तो नहीं है?’’

‘‘मम्मी, कैसी बातें कर रही हो?’’ खुशबू एकदम से हड़बड़ा गई, जैसे उस की चोरी पकड़ी गई हो. वह बोली, ‘‘कोई अपनी बेटी से ऐसे बात करता है क्या?’’

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‘‘देखो बेटी, मैं मां हूं तुम्हारी. तुम मेरे सामने मत उड़ो.’’ कह कर रानी ने जता दिया कि वह अनुभवी है. उस से कोई बात छिपी नहीं रह सकती.

‘‘कहां मां, मैं कहां उड़ रही हूं. जैसा तुम सोच रही हो, ऐसी कोई बात नहीं है.’’ खुशबू ने मां से झूठ बोलने की कोशिश की, लेकिन रानी ने उस का झूठ पकड़ लिया.

‘‘मुझे सब पता है. तुम मुझ से झूठ बोल कर बच नहीं सकती.’’

‘‘क….क्या पता है?’’ खुशबू हड़बड़ा गई.

‘‘यही कि तुम जिस से प्यार करती हो वो कौन है?’’

‘‘क…कौन है? बताओ..बताओ कौन है?’’

‘‘उस का नाम हेमंत है न.’’ मां की जुबान से प्रेमी का नाम सुनते ही खुशबू के चेहरे पर हवाइयां उड़ने लगीं. बेटी के चेहरे का रंग बदलते देख रानी खिलखिला कर हंस पड़ी. मां की रहस्यमई हंसी देख कर खुशबू और भी परेशान हो गई.

‘‘देखा, उड़ा दिए न तुम्हारे होश.’’ रानी बेटी के चेहरे को ध्यान से देखती हुई बोली, ‘‘वैसे हेमंत के साथ घूमने वाला दूसरा गबरू जवान कौन है, जो अकसर उस के साथ घूमताफिरता है?’’

‘‘वो…वो तो उस का दोस्त गोली है. पर बात क्या है मां? तुम क्यों पूछ रही हो?’’

‘‘बड़ा बांका छोरा है. जब तेरे पापा घर पर न रहें तो उसे हेमंत के साथ घर बुलवाना.’’

‘‘क्यों?’’

‘‘उसे बुलवाओ तो सही, पता चल जाएगा. लेकिन याद रहे कि ये बात हम दोनों के बीच ही रहनी चाहिए. किसी तीसरे तक बात पहुंची तो तुम्हारी खैर नहीं.’’ कहती हुई रानी बिस्तर से नीचे उतरी और सीधे किचन में चली गई.

खुशबू मां की बातों से अवाक थी क्योंकि वह उस की प्रेम कहानी जान गई थी. मां की बात नहीं मानी तो पापा से कह सकती है. इसलिए उस ने मां की बात मानने में ही भलाई समझी.

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रानी को बेटी के बहकते कदमों को रोकना चाहिए था. लेकिन ऐसा न कर के वह पति के होते हुए पराए पुरुष के आगोश में समाने को बेकरार होने लगी.

बेटी के जरिए मिला मां को यार

खुशबू ने हेमंत से कह कर उस के दोस्त गोली को अपने घर बुलाया. उस गबरू जवान को देख कर रानी खुश हो गई. बेशरमी की सारी हदें पार कर के रानी बेटी के सामने ही गोली से हंसहंस कर बातें करने लगी.

जानें आगे की कहानी अगले भाग में…

मां-बेटी का खूनी रोमांस : भाग 1

(कहानी सौजन्य-मनोहर कहानियां)

‘‘भाभी, भैया कहां हैं? दिन ढल गया, दिखाई नहीं दे रहे. किसी काम से गए हैं क्या?’’ राकेश सिंह ने अपनी भाभी रानी से पूछा.

‘‘दोपहर में किसी का फोन आया था, फोन पर बात करते हुए थोड़ी देर में आने को कह कर घर से निकले. लेकिन सांझ हो गई है, अभी तक नहीं लौटे. मुझे चिंता हो रही है.’’ परेशान रानी ने देवर राकेश से कहा.

‘‘मैं भैया को ढूंढने जा रहा हूं. अगर कुछ पता नहीं चला तो मैं पहासू थाने चला जाऊंगा और गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करा दूंगा.’’

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‘‘आप के जो समझ में आए, करो. किसी भी तरह उन का का पता लगाओ.’’ रानी बोली.

‘‘जी छोटा मत करो भाभी.’’ राकेश ने भाभी को समझाया.

राकेश भाई को ढूंढने निकल गया. उस समय शाम के करीब साढ़े 6 बज रहे थे. तारीख थी 9 जुलाई 2020.

जितना संभव था, राकेश ने बड़े भाई बलवीर सिंह को ढूंढा लेकिन उस का कहीं पता नहीं चला. बलवीर सिंह न तो किसी दोस्त के यहां गया था और न ही किसी परिचित के यहां. राकेश भी परेशान था कि बाइक ले कर वह कहां गया होगा. बलवीर का फोन स्विच्ड औफ आ रहा था. फोन बंद होने से राकेश के माथे पर चिंता की लकीरें उभर आईं. जब बलवीर का कहीं पता नहीं चला तो राकेश पहासू थाने पहुंच गया.

थाने के दीवान अशोक कुमार को अपनी परेशानी बता कर उस ने भाई की गुमशुदगी की तहरीर उन्हें दे दी. अशोक कुमार ने राकेश को विश्वास दिलाया कि बड़े साहब के आते ही आवश्यक काररवाई हो जाएगी. रात काफी हो गई है, अभी अपने घर जाओ.

दीवान के आश्वासन पर राकेश घर लौट आया. उस समय रात के करीब 10 बज रहे थे.

घर वालों की बढ़ी चिंता

रानी और राकेश ने किसी तरह रात काटी. बलवीर की पत्नी रानी दरवाजे पर इस आस से टकटकी लगाए रही कि वह अब घर लौटेंगे तो दरवाजा कौन खोलेगा.

बलवीर सिंह को घर से गए 24 घंटे हो गए. लेकिन उस का कहीं पता नहीं चला. समझ नहीं आ रहा था कि वह गया तो कहां गया? इस बात को ले कर घर वालों को चिंता सताने लगी. डर था कि उस के साथ कहीं कोई अप्रिय घटना तो नहीं घट गई, क्योंकि उस का फोन अब भी बंद आ रहा था. उस के फोन का बंद आना, घर वालों की चिंता बढ़ा रहा था. पहासू थाने के थानाप्रभारी आर.के. यादव ने राकेश की तहरीर पर बलवीर की गुमशुदगी की सूचना दर्ज कर आवश्यक काररवाई शुरू कर दी थी.

गुमशुदगी के तीसरे दिन यानी 11 जुलाई को पुलिस को दिन के करीब 11 बजे सूचना मिली कि थाने से करीब 6 किलोमीटर दूर गंगावली नहर के किनारे झाड़ी में एक अधेड़ उम्र के आदमी की लाश पड़ी है. लाश बुरी तरह झुलसी हुई है और उस के पास एक लावारिस बाइक खड़ी है.

सूचना मिलते ही थानाप्रभारी अपनी टीम के साथ घटनास्थल पर पहुंच गए. उन्होंने इस की जानकारी राकेश को भी दे दी थी और उसे लाश की शिनाख्त के लिए मौके पर पहुंचने को कह दिया.

जानकारी मिलते ही राकेश घटनास्थल पहुंच गया. लाश की कदकाठी और कपड़ों से उस ने लाश की पहचान अपने भाई बलवीर सिंह के रूप में कर ली.

पुलिस ने लाश झाड़ी के अंदर से बाहर निकलवाई. उस का चेहरा बुरी तरह झुलसा हुआ था. हत्यारों ने बलवीर की हत्या करने के बाद पहचान छिपाने के लिए उस के चेहरे पर कोई ज्वलनशील पदार्थ उड़ेल कर आग लगा दी थी. शव के पास जो मोटरसाइकिल बरामद हुई, वह भी बलवीर की ही थी.

पुलिस ने लाश और बाइक दोनों को अपने कब्जे में ले लिया. घटनास्थल का निरीक्षण करने पर मौके से कोई अन्य चीज बरामद नहीं हुई थी.

घटनास्थल की काररवाई कर पुलिस ने लाश पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल भिजवा दी. थाने लौट कर पुलिस ने राकेश सिंह की तहरीर पर धारा 302 भादंसं के तहत अज्ञात हत्यारों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया और आगे की काररवाई शुरू कर दी.

बलवीर सिंह की हत्या की सूचना मिलते ही उस के घर में कोहराम मच गया. मृतक की पत्नी रानी, बेटी खुशबू और राकेश का रोरो कर बुरा हाल था. किसी की समझ में नहीं आ रहा था कि बलवीर की हत्या किस ने और क्यों की? जबकि उस की किसी से दुश्मनी नहीं थी. वह सीधासादा किसान था, अपने काम से काम रखने वाला.

बलवीर सिंह की हत्या ब्लांइड मर्डर थी. पुलिस के लिए चुनौती. पुलिस को बलवीर का मोबाइल नंबर मिल गया था. नंबर ही एक ऐसा आधार था जिस से पुलिस कातिलों तक पहुंच सकती थी. यह भी पता चल सकता था कि उस के फोन पर आखिरी बार किस ने काल की थी.

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2 दिनों बाद पुलिस को बलवीर के मोबाइल की कालडिटेल्स मिल गई. काल डिटेल्स का अध्ययन करने पर पता चला कि उस के नंबर पर आखिरी काल दोपहर एक बजे के करीब आई थी. फिर एक घंटे बाद उस का फोन स्विच्ड औफ हो गया था.

इस से एक बात साफ हो गई कि बलवीर के साथ जो कुछ हुआ, वह इसी एक घंटे के बीच में हुआ था. हत्यारों ने इसी एक घंटे के भीतर अपना काम कर के लाश ठिकाने लगा दी होगी.

पुलिस को मिली अहम जानकारी

पुलिस को जांचपड़ताल से पता चला कि बलवीर के फोन पर आखिरी बार जिस नंबर से काल आई थी, वह नंबर हेमंत का था. हेमंत पहासू थाने के जाटोला का रहने वाला था. मृतक भी पहासू का रहने वाला था और फोन करने वाला भी. इस का मतलब बलवीर और हेमंत के बीच जरूर कोई संबंध था.

बलवीर और हेमंत के बीच की बिखरी कडि़यों को जोड़ते हुए पुलिस को मुखबिर के जरिए ऐसी चौंकाने वाली जानकारी मिली कि पुलिस भौचक रह गई. मृतक की बेटी खुशबू और गांव के हेमंत के बीच कई सालों से अफेयर था. इतना ही नहीं, बलवीर की पत्नी रानी के भी गांव के ही एक युवक से मधुर संबंध थे.

मां-बेटी का अफेयर गांव के 2 अलगअलग युवकों से चल रहा था. बलवीर सिंह को मांबेटी के अनैतिक संबंधों की जानकारी हो गई थी. वह दोनों के संबंधों का विरोध करता था. इसे ले कर पतिपत्नी के बीच काफी समय से विवाद चल रहा था.

पुलिस के लिए यह जानकारी काफी थी. उस की हत्या प्रेम में बाधा बनने के कारण हुई थी. लेकिन पुलिस के पास इस बात का कोई ठोस सबूत नहीं था, जिस से वह मांबेटी को गिरफ्तार कर सके. मांबेटी तक पहुंचने के लिए पुलिस को दोनों के मोबाइल नंबरों की जरूरत थी.

पुलिस चाहती थी कि मांबेटी को इस की भनक तक न लगे. बहरहाल, किसी तरह पुलिस ने मांबेटी के फोन नंबर हासिल कर लिए. नंबर मिल जाने के बाद दोनों नंबर सर्विलांस पर लगा दिए गए. साथ ही दोनों नंबरों की काल डिटेल्स भी निकलवा ली गई. इस से पता चला कि खुशबू की काल डिटेल्स में हेमंत का वही नंबर था जो नंबर मृतक बलवीर सिंह की काल डिटेल्स में मिला था.

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हेमंत और खुशबू के बीच घटना वाले दिन और उस से पहले कई बार बातचीत हुई थी. घटना के बाद भी खुशबू और हेमंत फोन पर बातचीत कर रहे थे. दोनों को इस बात की जानकारी नहीं थी कि पुलिस उन के नंबरों को सर्विलांस पर लगा कर उन की बातचीत सुन रही है.

जानें आगे की कहानी अगले भाग में…

लुटेरी दुल्हनों से सावधान

लुटेरी दुल्हनों से सावधान : भाग 2

सब से बड़ी चूक शिवनारायण शर्मा जैसे पकी उम्र के सयाने लोग यह करते हैं कि कौशल प्रसाद शर्मा जैसे बिचौलियों पर आंख बंद कर भरोसा कर लेते हैं, क्योंकि वह हर इलाके के 1-2 नामी लोगों को जानता-पहचानता है और ऐसे बात करता है मानो हजारों शादियां करा चुका हो.

दूसरी गलती लड़की वालों के बारे में पूरी और पुख्ता जानकारियां हासिल न करने की मानी जाएगी. चूंकि मकान है,

इसलिए वे लोग भी हमारे जैसे होंगे जैसी सोच की कीमत उस वक्त चुकानी पड़ती है, जब लड़की वाले अच्छाखासा मालमत्ता समेट कर रफूचक्कर हो चुके होते हैं.

यह बात सच है कि लड़की वालों से बतौर सुबूत उन के मकान की रजिस्ट्री तो नहीं मांगी जा सकती, लेकिन कभी चुपचाप आ कर पड़ोस में पूछताछ की होती तो यह तो पता चल ही जाता कि ये लोग नएनए आए हैं और जिस मकान को अपना बता रहे हैं, वह किराए का है तो शक बढ़ता है.

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एक और गलती लाखों रुपए के लेनदेन की ऐसे मामलों में अकसर होती है. लड़की वालों की लच्छेदार बातों में फंस कर लड़के वाले गहने और पैसे लड़की वालों को दे देते हैं, जो उन का असल मकसद भी होता है. इस के पूरे होने के बाद वे मिलेेंगे तो यह सोचना ही बेमानी है.

ये भी कम नहीं

हर समाज और जाति की एक बड़ी परेशानी इन दिनों मनपसंद लड़की का न मिल पाना है, क्योंकि रिश्तेदारियों में अब दूरियां बढ़ रही हैं और बिचौलियों ने शादीब्याह तय कराने को एक बड़ा धंधा बना लिया है, जो हर्ज की एकलौती बात इस लिहाज से है कि धंधे में कोई किसी की गारंटी नहीं लेता. हर किसी को अपने हिस्से की रकम और कमीशन से मतलब रहता है.

कौशल प्रसाद शर्मा जैसे लोग तो अकेले ही इस धंधे को करते हैं, इसलिए 2-4 को ठग पाते हैं, लेकिन इन दिनों शादी कराने वालों की बाढ़ सी आई हुई है. जब से मोबाइल फोन लोगों के हाथ में आया है, तब से ठगी का यह धंधा औनलाइन भी फलनेफूलने लगा है. शादी कराने वाली कई एजेंसियां, मैरिज ब्यूरो और मैट्रीमोनियल साइटें अरबों रुपए का कारोबार कर रही हैं, जबकि खुद इन के भरोसेमंद होने की कोई गारंटी नहीं होती.

13 नवंबर, 2019 को ही मध्य प्रदेश के जबलपुर शहर में साइबर पुलिस ने एक ऐसे गिरोह का परदाफाश किया था, जो कई राज्यों में कुंआरे नौजवानों को मनपसंद शादी का लालच दे कर उन्हें चूना लगा रहा था.

जबलपुर के ही संजय सिंह नाम के नौजवान की रिपोर्ट पर जब पुलिस ने इस गिरोह के सरगना बिहार के मनोहरलाल यादव को गिरफ्तार किया तो कई चाैंका देने वाली बातें सामने आईं.

मनोहरलाल यादव ने अपनी एक चेली के साथ मिल कर कई मैट्रीमोनियल वैबसाइट बना रखी थीं, जिन के नाम बड़े ही लुभावने होते थे. मसलन, जीवन जोड़ी, मैट्रीमोनी आल, बैस्ट मैट्रीमोनियल वगैरह. ये दोनों पहले कुंआरे लड़कों से बातचीत करते थे, फिर अच्छी लड़की दिलाने के नाम पर 5,000 रुपए रजिस्ट्रेशन फीस जमा कराते थे.

असली खेल इस के बाद शुरू होता था, जब कुंआरों को कई खूबसूरत लड़कियों की तसवीरें और बायोडाटा दिखा कर उन्हें फांसा जाता था. इस गिरोह में कुछ लड़कियां भी शामिल थीं. फोटो पसंद आ जाने के बाद लड़कियों के फोन नंबर लड़कों को दे दिए जाते थे और वे इन लड़कियों से सीधे बात करने लगते थे.

बातचीत में ये लड़कियां अपने घरपरिवार की माली हालत और गरीबी का रोना रोती थीं. कई लड़के  झांसे में आ कर उन के बताए गए बैंक खाते में पैसा जमा करा देते थे, जिस से लड़की शादी करने के लिए तैयार हो जाए.

ऐसा ही संजय के साथ हुआ था. गिरोह की एक लड़की ने कोई 7 लाख रुपए उस से ऐंठ लिए और फिर जब उस का फोन बंद आने लगा तो संजय का माथा ठनका और उस ने पुलिस में रिपोर्ट लिखा दी.

चूंकि ऐसी कई शिकायतें लगातार मिल रही थीं, इसलिए पुलिस ने फुरती से कार्यवाही की और मनोहरलाल यादव को धर दबोचा, तो उस ने जुर्म कबूल कर लिया. कई नौजवान तो ऐसे भी थे, जिन्होंने ठगे जाने के बाद भी मारे शर्म और जगहंसाई के डर से रिपोर्ट ही दर्ज नहीं कराई थी.

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इन से ऐसे बचें

क्या लुटेरी दुलहनों से बचा जा सकता है? इस सवाल का जवाब ढूंढ़ना जरूरी है कि पहले ऐसी कुछ वारदात पर एक नजर डाली जाए, जिस से सम झ आए कि कैसेकैसे लोग इन के चंगुल में फंस कर पैसा और इज्जत गंवा बैठते हैं.

केस नंबर 1 : 18 दिसंबर, 2019 को हरिद्वार के रुड़की में हरियाणा के पानीपत के एक विधुर ने अपनी मौसी की बताई जरूरतमंद लड़की से शादी की थी. मंदिर में शादी के बाद पतिपत्नी हरिद्वार के एक होटल में ठहरे.

रात के तकरीबन 2 बजे पति के सो जाने के बाद दुलहन 5 लाख रुपए के गहने और 50 हजार रुपए नकद ले कर फरार हो गई.

सुबह उठने के बाद दूल्हे को इस बात का पता चला तो उस ने पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराई.

केस नंबर 2 : एक लुटेरी दुलहन 23 दिसंबर, 2019 को उत्तर प्रदेश के बरेली से गिरफ्तार की गई. इस मामले में 30 साला दुलहन ममता उर्फ अंजलि उर्फ सीमा की शादी त्रिलोक सिंह यादव से हरियाणा के फरीदाबाद के गांव हथेली में 13 नवंबर, 2019 को हुई थी.

शादी के कुछ दिन बाद ही यह ठगिनी ससुराल वालों को नशीली चीज खिला कर लाखों के जेवरात और नकदी ले कर फरार हो गई थी.

पकड़े जाने के बाद सीमा ने बताया कि वह बिहार के खगडि़या की रहने वाली है और इसी तरह पहले भी शादियां कर लोगों को लूट चुकी है.

इस काम को एक पूरा गिरोह अंजाम देता था. सीमा के बयान की बिना पर उस औरत को भी गिरफ्तार कर लिया गया, जो हर शादी में उस की भाभी का रोल अदा करती थी.

केस नंबर 3 : एक और मामला उत्तर प्रदेश के बदायूं का है. प्रवीण नाम के नौजवान की शादी आजमगढ़ की रहने वाली एक लड़की से हुई थी. दुलहन ससुराल आई और पहली ही रात सब को खाना खिलाया.

इस खाने में उस ने नशीली चीज मिला दी थी, जिस से घर के सारे लोग बेहोश हो गए और रात को वह नकदी और जेवर ले कर चंपत हो गई.

केस नंबर 4 : 10 अक्तूबर, 2019 को इंदौर पुलिस ने एक ऐसे गिरोह का परदाफाश किया था, जिस के निशाने पर जैन समाज के नौजवान रहते थे.

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इस गिरोह में 4 मर्द और 2 लड़कियां थीं. इन्होंने तकरीबन 2 दर्जन शादियां की थीं और हर बार ससुराल से नकदी व जेवरात ले कर फरार हो गए थे. बाद में यह पैसा गिरोह के सदस्य बांट लेते थे.

गिरोह का मुखिया अनिल वाटकीय नाम का शख्स था, जो जैन लड़कों को फंसाता था.

गौरतलब है कि जैन समाज में शादी लायक लड़कों को लड़कियां नहीं मिल रही हैं, इसलिए इस गिरोह ने 2 लड़कियों रितु राठौर और सपना को ट्रेनिंग दी थी. शादी के बाद तयशुदा प्लान के मुताबिक ये दोनों मौका मिलते ही ससुराल से माल ले कर फरार हो जाती थीं.

लुटेरी दुल्हनों से सावधान : भाग 1

5 दिसंबर, 2019 को मध्य प्रदेश के महाकौशल इलाके के गाडरवारा में गांव सिरसीरी से एक बरात गाजेबाजे के साथ भोपाल आई थी, जिस का दूल्हा रूपेश था और दुलहन का नाम था रागिनी.

रूपेश और रागिनी की शादी ब्राह्मण समाज के एक बिचौलिए कौशल प्रसाद शर्मा ने तय कराई थी, जो भोपाल के नजदीक रायसेन जिले के उदयपुरा के रहने वाले थे.

शादी की बातचीत तकरीबन 3 महीने पहले शुरू हुई थी और रूपेश रागिनी को भोपाल में उस के घर आ कर पसंद भी कर गया था. तब रागिनी के पिता नंदकिशोर शर्मा ने अपने होने वाले दामाद की खूब खातिरदारी की थी.

धीरेधीरे बात आगे बढ़ी तो शादी की तारीख भी 5 दिसंबर, 2019 तय हो गई.

नंदकिशोर शर्मा भोपाल के महामाई का बाग इलाके में रहते थे. रूपेश महामाई का बाग इलाके में 1-2 बार आया भी और जब शादी तय हो गई तो उस के पिता शिवनारायण शर्मा भी घर वालों समेत रीतिरिवाज पूरे करने आए.

इन मुलाकातों के दौरान बिचौलिया कौशल प्रसाद शर्मा मौजूद रहे और बातचीत आगे बढ़ाने में दोनों पक्षों की मदद करते रहे. नंदकिशोर शर्मा शादी पक्की करने सिरसीरी गए थे, तब उन्होंने रूपेश को सोने की एक अंगूठी और कपड़े दिए थे. बाकी रस्में भोपाल में पूरी होना तय हुआ था.

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सगाई की रस्म में शिवनारायण शर्मा ने अपनी होने वाली बहू को तोहफे की शक्ल में 5 तोले सोने की चूडि़यां, आधा तोले सोने की अंगूठी, साड़ी और चांदी की पायलें दी थीं.

शादी नंदकिशोर शर्मा के घर के पास अवधपुरी सी सैक्टर से होना तय हुई थी. दोनों पक्षों ने जब खानेपीने का हिसाब लगाया, तो वह तकरीबन 4 लाख रुपए निकल रहा था.

11 नवंबर, 2019 को जब नंदकिशोर शर्मा शादी का कार्ड देने सिरसीरी गांव पहुंचे, तब यह तय हुआ कि इस प्रीतिभोज का खर्च दोनों पक्ष मिल कर उठाएंगे, इसलिए शिवनारायण शर्मा ने अपने हिस्से के 2 लाख रुपए नकद नंदकिशोर शर्मा को दे दिए. फिर यह सोचते हुए वे बेफिक्र हो गए कि अब बरात के आनेजाने के सिवा कोई खास खर्च नहीं करना है. लिहाजा, वे बेटे की शादी की तैयारियों में जुट गए.

शादी के कार्ड सभी जानपहचान वालों और नातेरिश्तेदारों में बांट दिए गए थे और जिन लोगों को भोपाल बरात में ले जाना था, उन्हें फोन पर निजी तौर पर तैयार रहने को कह दिया गया था.

8 लाख रुपए का चूना

रूपेश की तो खुशी का ठिकाना नहीं था. उस के दिलोदिमाग में रागिनी रचबस गई थी. 5 दिसंबर, 2019 को वह तरहतरह के सपने देखता हुआ बरातियों समेत भोपाल आया था. रास्तेभर बराती खूब मौजमस्ती करते रहे थे.

भोपाल आ कर रूपेश के पिता ने रास्ता पूछने के लिए रागिनी के घर फोन किया तो नंदकिशोर शर्मा का फोन स्विच औफ आ रहा था. उन्होंने लड़की वालों के और भी कुछ नंबर लगाए, तो वे सभी बंद मिले. और तो और कौशल प्रसाद शर्मा का भी फोन नंबर बंद मिला तो वे किसी अनहोनी से घबरा उठे.

बरातियों से भरी बस जैसेतैसे पता पूछतेपूछते शादी वाले घर 284, सैक्टर सी, अवधपुरी पहुंची तो वहां कौए उड़ रहे थे यानी सन्नाटा पसरा था. मंडप, शहनाई, बैंडबाजे का कहीं दूरदूर तक नामोनिशान नहीं था. खैर, घर पर बस रुकी तो बराती एकएक कर उतरने लगे, लेकिन सभी चौंके हुए थे कि आखिर माजरा क्या है. कहां तो रास्तेभर यह सोचते हुए आए थे कि भोपाल में जनवासे में पहुंच कर पहले नहाएंगेधोएंगे और फिर गरमागरम नाश्ता करेंगे, पर यहां तो दरवाजे पर ताला  झूल रहा था.

बरातियों को बातों में मशगूल छोड़ कर शिवनारायण शर्मा मकान के पास पहुंचे. पूछने पर मकान मालिक तारांचद जैन ने जो जवाब दिया, उसे सुन कर उन के पैरों तले जमीन खिसक गई.

ताराचंद जैन ने उन्हें बताया कि नंदकिशोर शर्मा तो तकरीबन एक महीना पहले ही मकान खाली कर गए हैं. कहां गए हैं, यह पूछने पर उन्होंने कहा कि पता नहीं.

इतना सुनना था कि शिवनारायण शर्मा को गश सा आ गया. वे सम झ गए कि उन के साथ जिंदगी का सब से बड़ा धोखा हुआ है. जैसेतैसे उन्होंने खुद को संभाला और बरात वाली बस की तरफ नजर डाली तो उन्हें अपनी इज्जत के चिथड़े उड़ते नजर आए. उन्हें लगा कि सब जानपहचान वाले और नातेरिश्तेदार उन की हालत और बेवकूफी पर हंस रहे हैं और जो हमदर्दी दिखा रहे हैं, वह भी किसी मजाक से कम नहीं है.

बात को संभालने हुए उन्होंने बरातियों से यह बहाना बना दिया कि लड़की वालों के यहां गमी हो गई है, इसलिए शादी अभी नहीं, बल्कि बाद में कभी होगी. हालफिलहाल तो वे नईनई रिश्तेदारी निभाने गमी में शामिल होने जा रहे हैं, इसलिए बाकी लोग इसी बस से वापस चले जाएं.

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बात थी ही ऐसी, इसलिए रंग में भंग पड़ता देख थकेहारे और गमजदा बराती वापस लौट गए. रह गया था वह हिसाबकिताब, जो बापबेटे मिल कर लगा रहे थे कि 2 लाख नकद और 2 लाख रुपए के ही जेवर तो लड़की वाले ले उड़े और 4-5 लाख रुपए अलग से खर्च हो गए.

शिवनारायण शर्मा ने  झूठी उम्मीद के साथ नंदकिशोर शर्मा और कौशल प्रसाद शर्मा को कई बार मोबाइल फोन लगाया, लेकिन वह नहीं उठा तो नहीं उठा.

कुछ और संभलने के बाद उन्होंने तय किया कि इस धोखाधड़ी की रिपोर्ट लिखाना जरूरी है, सो वे सीधे अवधपुरी थाने जा पहुंचे और मौजूदा थाना इंचार्ज अजय नागर को अपने साथ हुए धोखे की रिपोर्ट लिखाई.

अब पछताए होत का

जो होना था वह हो चुका था, लेकिन ऐसे मामले धड़ल्ले से उजागर होने लगे हैं तो सोचा जाना लाजिम है कि गड़बड़ कहां होती है. लड़के और लड़की वालों ने एकदूसरे के घर देख लिए थे और बिचौलिए पर भरोसा करते हुए नेगदस्तूर वगैरह भी कर दिए थे. कहीं किसी शक की गुंजाइश थी ही नहीं, लेकिन लड़के वालों के नजरिए से देखें तो चूक तो उन से भी हुई थी.

जानें आगे क्या हुआ अगले भाग में…

खिलाड़ी बहन का दांव : भाग 3

बंटी नादान बच्चा नहीं था. दोनों हाथों में लड्डू देख वह खुद पर काबू नहीं रख सका. उस ने सुनयना के साथ शादी करने की हामी भर ली. बबीता भी यही चाह रही थी कि उस के गले में फंसी हड्डी किसी तरह से निकल जाए. बंटी उस के कब्जे में आ गया तो फिर उस के लिए एक रास्ता बन जाएगा.

बंटी जानता था कि घर के हालात के मद्देनजर उस की शादी होना इतना आसान नहीं है. सुनयना के साथ शादी की बात सुन कर बंटी फूला नहीं समा रहा था. उसी शाम उस ने यह शादी वाली बात अपने पिता को बताई, तो अजय यादव को कुछ अजीब सा लगा.

अजय यादव यह तो पहले ही जानता था कि बबीता ने उस के लड़के पर अपना कब्जा जमा रखा है. अब वह अपनी बहन से बंटी की शादी करा कर कौन सा नाटक करने जा रही है. उसे मालूम था कि बबीता तेजतर्रार औरत है जरूर उस के मन में कोई षडयंत्र चल रहा होगा. यही सोच कर अजय यादव ने बंटी को समझाते हुए उन लोगों से दूरी बनाए रखने की सलाह दी. लेकिन बंटी तो जैसे बबीता के प्यार में पागल हो चुका था.

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वह  बबीता के साथ संबंध बनाए रखने के लिए सुनयना के साथ शादी करने पर अड़ गया. बंटी ने यह बात बबीता को बताई कि उस के घर वाले सुनयना के साथ शादी करने के लिए राजी नहीं हैं. सुन कर बबीता को गुस्सा आ गया. वह तुरंत अजय यादव से मिली.

बबीता ने अजय यादव को धमकाया कि शायद तुम्हें बलात्कार की सजा मालूम नहीं है. तुम्हारे बेटे ने मेरी बहन के साथ बलात्कार किया है. इस बात को मैं और तुम्हारा बेटा ही जानता है.

बलात्कार वाली बात सुनते ही अजय यादव का गला सूख गया. वह समझ नहीं पा रहा था कि बबीता जो कह रही है वह कहां तक सच है. उस ने उसी समय बंटी से पूछा तो उस ने चुप्पी साध ली. वह जानता था कि  बबीता जो भी कर रही है उसी के हित में है. उस दिन के बाद अजय यादव ने बंटी और बबीता के बीच दखलअंदाजी करना बंद कर दिया.

घटना से लगभग 7 महीने पहले अजय यादव ने अपनी बेटी लक्ष्मी का बर्थ डे मनाने का मन बनाया. उसी दिन बबीता अपनी बहन सुनयना को साथ ले कर अजय यादव के घर पहुंच गई. उस दिन सुनयना दुलहन के कपड़ों में थी. इस से पहले अजय यादव कुछ समझ पाता बबीता ने उस से शादी की तैयारी करने को कहा.

शादी वाली बात सुनते ही अजय यादव हक्काबक्का रह गया. लेकिन उस समय अजय में बबीता की बात का विरोध करने का साहस नहीं था. इसीलिए उस ने आननफानन में एक पंडित को बुलवा कर बंटी के साथ सुनयना की शादी करा दी. सुनयना की शादी का कन्यादान भी शंभू गिरि ने ही किया.

बंटी और सुनयना की शादी हो जाने के बाद बबीता अपने पति शंभू गिरि को साथ ले कर अपने कमरे पर आ गई. उस के बाद बबीता जब भी चाहती, अपनी बहन की खैरखबर लेने के बहाने बिना किसी रोकटोक के बंटी के घर आनेजाने लगी. अब अजय का मुंह भी पूरी तरह बंद हो गया था.

शादी वाली रात ही बंटी सुनयना की हकीकत समझ गया था. जब उसे मालूम हुआ कि सुनयना मंदबुद्धि है तो उसे बहुत दुख हुआ. लेकिन वह बबीता के प्यार में पागल था. उस ने सोचा कि वह घर का थोड़ा बहुत काम तो करती ही रहेगी. बाकी उस के तन की प्यास बुझाने के लिए बबीता है ही.

लेकिन सुनयना की हकीकत पता चलते ही अजय को झटका लगा. उस ने सोचा भी नहीं था कि वह अपने बेटे की जिद के आगे ऐसी मुश्किल में फंस जाएगा. उस की बीवी पहले से ही कम सुनती थी, घर में बहू आई तो वह भी पागल जैसी.

जैसेजैसे वक्त आगे बढ़ता गया, सुनयना का पागलपन खुल कर सामने आता गया. कभीकभी तो वह रात में ही दीवार पर लगी रेलिंग को फांद कर घर से गायब हो जाती थी. फिर उसे ढूंढ कर लाना पड़ता था.

सुनयना की हरकतों से आजिज आने के बाद बंटी ने बबीता से शिकायत करते हुए कहा कि तुम ने अपनी पागल बहन के साथ शादी करा के मुझे किस मुसीबत में डाल दिया.

बंटी ने बबीता से कहा कि इस से पहले वह हमें किसी मुश्किल में डाले उसे तुम अपने घर ले जाओ. बबीता ने बड़ी मुश्किल से उस की शादी कर पीछा छुड़ाया था, अब यह बात बबीता के पति शंभू गिरि के सामने आई तो उस ने उसे बिहार छोड़ आने को कहा. लेकिन बबीता उसे बिहार छोड़ने को तैयार न थी.

उसे दुविधा थी तो इस बात की कि अगर वह बिहार चली गई तो उस का बंटी से मिलनाजुलना बंद हो जाएगा. वह किसी भी कीमत पर बंटी से संबंध खत्म करना नहीं चाहती थी.

जिस समय की यह बात है उस समय पूरे देश में कोरोना कहर ढा रहा था. देश में लौकडाउन लगने के कारण सब लोग घर से निकलने से बचते थे. दिन के 12 बजतेबजते पूरा शहर सुनसान नजर आने लगता था.

उसी लौकडाउन का लाभ उठाने के लिए बबीता ने बंटी के साथ मिल कर एक षडयंत्र रचा. जिस के तहत सांप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे यानी दोनों ने सुनयना को मौत के घाट उतारने की योजना बना डाली.

योजना के तहत 24 मई, 2020 को बबीता सुनयना को साथ ले कर घर से निकली और फिर उसे सरकारी अस्पताल के पास बैठा कर बंटी के कमरे पर पहुंच गई. पूर्व नियोजित योजनानुसार दोनों सुनयना को काशीपुर की गड्ढा कालोनी में कमरा दिखाने की बात कह कर रामनगर रेलवे ट्रैक की ओर निकल गए. उस समय दूरदूर तक कोई नजर नहीं आ रहा था.

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फिरोजपुर गांव के पास पहुंचतेपहुंचते सुनयना ने पानी पीने की इच्छा जाहिर की तो बंटी ने उसे पास में खड़े एक हैंडपंप से पानी पिलाया. उस के बाद उन्होंने सुनयना से कहा कि गड्ढा कालोनी पास ही है. सुनयना ने कभी गड्ढा कालोनी का नाम तक नहीं सुना था. फिर भी वह उन्हीं दोनों पर विश्वास कर के आगे बढ़ती गई.

जंगल के पास पहुंचते ही बबीता वहीं एक पेड़ के नीचे बैठ गई. उस के बाद मौका पाते ही बंटी ने सुनयना को कब्जे में कर के उस का गला दबाने की कोशिश की. लेकिन सुनयना उस के चंगुल से छूट कर भाग गई. जब बंटी को लगा कि अगर वह वहां से भागने में कामयाब हो गई तो उन का सारा खेल सामने आ जाएगा.

बंटी ने फिर से कोशिश की और पूरा जोर लगाते हुऐ उसे 50 मीटर की दूरी पर धर दबोचा. उसी समय अपना बचाव करते हुए सुनयना ने बंटी के चेहरे पर नाखून भी मारे. लेकिन बंटी ने दरिंदगी दिखाते हुए सुनयना का गला दबा कर उस की हत्या कर दी.

सुनयना की हत्या करने के दौरान उस का और बंटी का मास्क भी टूट गया था. जिसे बंटी ने वहीं पर फेंक दिया था. घर से निकलने से पहले ही पूर्व योजनानुसार बबीता एक थैले में सुनयना के कपड़े भी रख लाई थी. ताकि उस के खत्म होने के बाद बहाना बनाया जा सके कि सुनयना अकसर अपने कपड़े साथ ले कर घर से गायब हो जाती थी. उस की हत्या का आरोप उन पर न आने पाए.

बबीता ने कभी सोचा भी नहीं था कि वह जो खेल अपनी बहन की जिंदगी के साथ खेल रही है वही उस के जी का जंजाल बन जाएगा. इस वारदात का खुलासा करते ही एएसपी राजेश भट्ट ने इस केस के खुलासे में लगी पुलिस टीम को डेढ़ हजार रुपए का ईनाम दिया.

इस केस के खुलने पर पुलिस ने 30 मई, 2020 भादंवि की धारा 302/201 के तहत बंटी यादव और बबीता को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया, जहां से दोनों को जेल भेज दिया.

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खिलाड़ी बहन का दांव : भाग 2

शंभू गिरि अपनी बीवी को बिहार में ही छोड़ कर आया था. उस की बीवी बबीता देखने भालने में जितनी सुंदर थी उस से कहीं ज्यादा तेजतर्रार भी थी. काशीपुर आने के बाद जब शंभू गिरि का काम ठीकठाक चलने लगा तो बबीता उस के साथ रहने की जिद करने लगी.

शंभू गिरि ने उसे समझाया कि जिस फैक्ट्री में वह काम करता है वहीं एक छोटे से कमरे में रहता है. जहां अन्य मजदूर भी रहते हैं, उस का रहना ठीक नहीं है. लेकिन बबीता नहीं मानी.

बीवी की जिद के आगे शंभू गिरि की नहीं चली तो उस ने काशीपुर में ही किराए का एक कमरा ले लिया. वह फैक्ट्री का कमरा छोड़ कर पत्नी के साथ किराए के कमरे में रहने लगा. किराए के कमरे में आते ही उस के खर्चों में बढ़ोत्तरी हो गई.

बबीता पहले ही शौकीन मिजाज युवती थी. सजसंवर कर रहना उस का पहला शौक था. शंभू गिरि सुबह होते ही तैयार हो कर फैक्ट्री चला जाता था. उस के जाने के बाद कमरे पर बबीता अकेली रह जाती थी. बिहार से काशीपुर आने के बाद काशीपुर की आबोहवा ऐसी लगी कि कुछ ही दिनों में उस के रूपरंग में काफी तब्दीली आ गई.

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बबीता बनठन कर निकलती और शहर में काफी देर तक इधरउधर घूमने के बाद घर वापस आ जाती थी. समय के साथ बबीता 2 बच्चों की मां बन गई. सीमित आय, ऊपर से किराए का मकान और 2 बच्चे, सो शंभू गिरि का बजट गड़बड़ाने लगा था. उस के बावजूद बबीता फिजूलखर्ची से बाज नहीं आती थी. घर के खर्च बढ़े तो शंभू ने बबीता को समझा कि वह खुद भी कहीं काम करे.

बबीता देखनेभालने में सुंदर और तेजतर्रार थी, जिस की वजह से उसे एक प्रौपर्टी डीलर के घर पर घरेलू और कपड़े धोने का काम मिल गया.

बबीता सुबह जल्द खाना बना कर पति को फैक्ट्री भेजने के बाद बच्चों को घर पर छोड़ कर काम पर निकल जाती थी. बीवी को काम मिलने से शंभू को काफी राहत मिली.

बबीता जिस घर में काम करती थी, उसे वहां से पैसों के अलावा कई चीजों की काफी सहायता मिलने लगी. कभीकभी मालिक के घर से वह खाना, कपड़े और घर का सामान भी ले आती थी. जिस के कारण शंभू गिरि की घरगृहस्थी फिर से पटरी पर आ गई. कुछ सालों के बाद बबीता ने तीसरे बच्चे यानी एक बेटी को जन्म दिया.

लोगों के घरों में काम करने वाली औरतें भले ही कितनी भी चरित्रवान हों, लेकिन समाज की नजरों में उन की कोई इज्जत नहीं होती.

हालांकि बबीता 40 वर्ष की उम्र पार कर चुकी थी. साथ ही 3 बच्चों की मां भी थी. इस के बावजूद उस का गदराया शरीर आकर्षक लगता था. बबीता कामुक प्रवृत्ति की औरत थी. लेकिन अब उस के बच्चे भी जवान हो चुके थे.

सभी किराए के एक कमरे में रहते थे, जिस से उसे पति के पास जाने का मौका नहीं मिल पाता था. बबीता का मन भटकने लगा था, घरों में काम करते हुए बबीता इतनी खुल गई थी कि किसी भी अंजान आदमी से जल्दी ही जानपहचान बढ़ा लेती थी.

बबीता जिस मालिक के घर में काम करती थी, उसी मालिक के यहां अजय यादव भी माली का काम करता था. एक दिन अजय का बेटा बंटी उसे खाना देने के लिए आया. उसी दौरान उस की मुलाकात बबीता से हुई.

अजय ने खाना खाते समय बंटी का परिचय बबीता से करा दिया था. बबीता और अजय यादव दोनों ही बिहार से थे, इसलिए दोनों में ठीकठाक ही बात हो जाती थी. हालांकि बंटी अभी कम उम्र का ही था. लेकिन वह बोलनेचालने में बहुत ही तेजतर्रार था.

उस दिन बबीता घर का काम खत्म कर के बंटी के साथ निकल गई थी. उस ने बंटी के घर की सारी जानकारी हासिल कर के उस से उस का मोबाइल नंबर ले लिया था.

अब वह वक्तबेवक्त बंटी से फोन पर बात करने लगी. कुछ ही दिनों में उस ने बंटी से पक्की दोस्ती गांठ ली. उसी दोस्ती के सहारे उस ने बंटी के घर भी आनाजाना शुरू कर दिया था.

अजय यादव के 4 छोटेछोटे बच्चे थे बंटी, राजा, रोहित और बेटी लक्ष्मी. अजय यादव की बीवी कम सुनती थी. अजय परिवार जिस मकान में रहता था, हालांकि वह किराए का ही था. लेकिन उस में कई कमरे थे. एक कमरा तो दरबाजे के पास ही था. जिस का अंदर वाले हिस्से से कोई मतलब नहीं था. उसी का लाभ उठाते हुए बबीता बंटी के साथ घर चली आती. जिस के आने का बंटी की मम्मी को भी पता नहीं चल पाता था.

बंटी और बबीता उसी कमरे में बैठ कर बतियाने लगते थे. अजय यादव शाम तक ही घर वापस आता था. उसी का लाभ उठा कर उस ने बंटी के साथ शारीरिक संबंध बना लिए. इस की भनक न तो बबीता के घर वालों को लगी और न ही बंटी के. जैसे अजय यादव सीधासादा इंसान था वैसे ही उस की बीवी भी थी.

बबीता बंटी के मुकाबले दोगुनी उम्र की महिला थी. यही बात बंटी की मम्मी रामकली को अखर रही थी. दोनों के टाइमबेटाइम मिलने वाली बात रामकली ने अपने पति अजय यादव को बताई.

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अजय ने बबीता को समझाया कि तुम उम्रदराज भी हो, समझदार भी, जबकि बंटी अभी बच्चा है. तुम्हारा इस तरह उस के साथ उठनाबैठना ठीक नहीं है. तुम दोनों को साथ आतेजाते देख मोहल्ले वाले बात बनाने लगे हैं. इसलिए तुम हमारे यहां आनाजाना कम कर दो.

बबीता के दिलोदिमाग पर बंटी का भूत सवार हो चुका था. वह किसी भी हालत में उस के बिना नहीं रह सकती थी. इस उम्र में बंटी के प्रति उस के दिलोदिमाग में जो पागलपन था उसे प्रेम तो कतई नहीं कहा जा सकता. वह उस की कामवासना शांत करने का एक रास्ता था.

जब अजय यादव ने उन दोनों के बीच रोड़ा बनने की कोशिश की तो दोनों ने एक अलग रास्ता निकाल लिया. बबीता ने अपनी जानपहचान की बदौलत बंटी को काशीपुर के मोहल्ला टांडा में किराए का कमरा दिला दिया. उस के बाद इसी कमरे पर दोनों बिना रोकटोक के मिलने लगे थे.

बबीता की एक छोटी बहन थी सुनयना, जो बिहार में ही रहती थी. उस की उम्र लगभग 20 साल थी. मानसिक रूप से कमजोर सुनयना घरवालों के लिए सिरदर्द बनी हुई थी. जब उस का मन होता, बिना बताए ही बाहर निकल जाती थी.

काफी समय से बबीता के मांबाप काशीपुर में किसी के साथ उस की शादी कराने की कह रहे थे. बबीता उस की शादी के चक्कर में लगी थी. काफी कोशिश के बाद उस ने किसी से बात चलाई. फिर बिहार से सुनयना को बुलवा लिया. लेकिन लड़की की हालत देखते ही उस लड़के ने शादी से इंकार कर दिया. उस के बाद से सुनयना बबीता के साथ ही रह रही थी.

शंभू गिरि का परिवार काशीपुर की विजय नगर, नई बस्ती कालोनी के जिस मकान में रहता था, वह किराए का था. उस का किराया लगभग साढ़े 3 हजार रुपए महीना था, जो शंभू गिरि के बजट से बाहर था. इस के बावजूद बबीता ने अपनी बहन को बुला लिया था. शंभू गिरि ने कई बार बबीता से उसे बिहार भेजने की बात कही. लेकिन उस ने नहीं सुनी. तब तक बबीता ने बंटी को प्रेम प्रसंग में फंसा लिया था. जिसे वह किसी भी कीमत पर छोड़ने को तैयार नहीं थी.

बबीता के बंटी के घर आनेजाने पर पाबंदी लगी तो उस ने उस का भी रास्ता निकाल लिया. उस ने एक गहरी चाल चलते हुए एक दिन बंटी को अपनी बहन सुनयना से मिलवा दिया. सुनयना देखनेभालने में ठीकठाक थी. लेकिन बंटी को यह पता नहीं था कि सुनयना मंदबुद्धि है.

सुनयना से मिलवाने के बाद बबीता ने बंटी को बताया कि अगर वह चाहे तो सुनयना से शादी कर सकता है. अगर वह उसे पसंद है तो उस की शादी सुनयना से करा देगी.

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जानें आगे क्या हुआ अगले भाग में…

खिलाड़ी बहन का दांव : भाग 1

24 मई 2020 को दिन के कोई 4 बजे का समय रहा होगा. काशीपुर (उत्तराखंड) से तकरीबन 5 किलोमीटर उत्तर दिशा में स्थित गांव फिरोजपुर गांव की कुछ औरतें हेमपुर डिपो के जंगल में घास काटने गई हुई थीं.

उन औरतों की नजर झाडि़यों में एक युवती की लाश पर पड़ी. लाश देख कर औरतों की हिम्मत जबाव दे गई. एक तो देश में महामारी कोरोना के चलते देश भर में लौकडाउन था. ऊपर से 10 तरह के डर. खुद तो एक पहर भूखे रह लें, लेकिन बेजुबान पशुओं को तो भूखा नहीं रखा जा सकता था.

दूरदूर तक इंसान नजर नहीं आ रहा था. औरतें घास काटना छोड़ कर गांव की ओर चली आईं. गांव आती उन औरतों ने जंगल में एक युवती की लाश पड़ी होने की बात ग्राम प्रधान मथुरी लाल गौतम को बता दी.

जंगल में युवती की लाश पड़ी होने की जानकारी मिलते ही ग्राम प्रधान मथुरी लाल गौतम ने फोन कर के यह बात काशीपुर कोतवाली को बता दी. फिर ग्राम प्रधान 10-12 लोगों को साथ ले कर उस जंगल की ओर चले गए.

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यह सूचना मिलते ही काशीपुर कोतवाली निरीक्षक चंद्रमोहन सिंह, सीओ मनोज ठाकुर, एसएसआई सतीश चंद्र कापड़ी, आईटीआई थानाप्रभारी कुलदीप सिंह अधिकारी, एसआई गणेश पांडे आदि घटनास्थल की तरफ रवाना हो गए. कुछ ही देर में पुलिस ग्राम प्रधान द्वारा बताई गई जगह पर पहुंच गई.

देश में कोरोना महामारी के चलते लोगों के मन में इस कदर डर बैठा था कि कोई भी उस युवती की लाश के पास जाने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा था. मामले को गंभीरता से लेते हुए पुलिस ने सब से पहले उस लाश के आस पास वाले क्षेत्र को पूरी तरह सैनेटाइज कराया. फिर पुलिस ने महिला के शव का निरीक्षण किया.

निरीक्षण में युवती के गले और ठुडडी पर नील के निशान दिख रहे थे. जिस से लग रहा था कि युवती की गला दबा कर हत्या की गई थी. शक यह भी था कि कहीं किसी ने उस के साथ दुराचार करने के बाद तो हत्या नहीं कर दी.

युवती के शरीर पर काले रंग का कुरता और पीले रंग की सलवार थी. उस की उम्र भी 19-20 वर्ष के आसपास थी. युवती की लाश और घटनास्थल को देख अनुमान लगाया गया कि उस की हत्या कहीं और कर के लाश यहां ठिकाने लगाई गई है. चेहरे के मेकअप से मृतका शादीशुदा लग रही थी.

शाम ढल गई थी. चारों तरफ अंधेरा छाने लगा था. दूसरे लौकडाउन के चलते हर शख्स घर से बाहर निकलते डरता था. फलस्वरूप, उस समय युवती की शिनाख्त नहीं हो सकी. काशीपुर पुलिस ने उस की लाश मोर्चरी में रखवा दी. इस मामले में एसएसआई सतीश चंद्र कापड़ी ने अज्ञात के खिलाफ हत्या का केस दर्ज करा दिया. साथ ही इस की सूचना पुलिस के उच्चाधिकारियों को भी दे दी गई.

पुलिस ने मृतका के फोटो वाट्सऐप पर प्रसारित किए तो उस की शिनाख्त हो गई. मृतका की शिनाख्त अलीगंज रोड स्थित कुसुम वाटिका, निवासी सुनयना के रूप में हुई थी. काशीपुर के विजय नगर, नई बस्ती निवासी बबीता पत्नी शंभू गिरि ने उस की शिनाख्त अपनी छोटी बहन सुनयना के रूप में की. शिनाख्त हो जाने के बाद शव पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया. 27 मई को डा. कैलाश राणा ने सुनयना के शव का पोस्टमार्टम किया. रिपोर्ट में बताया गया कि उस की हत्या गला दबा कर की गई थी.

गले के साथसाथ उस के चेहरे पर भी नाखूनों के निशान थे. इस के साथ ही पुलिस की बलात्कार के बाद हत्या की शंका भी खत्म हो गई. लेकिन पुलिस को अभी भी शक था कि मृतका की हत्या घटना स्थल पर नहीं गई थी.

शिनाख्त हो जाने के बाद पुलिस ने सब से पहले उस की बहन बबीता से पूछताछ की. बबीता ने बताया कि लगभग 7 महीने पहले ही सुनयना की शादी अलीगंज रोड निवासी बंटी के साथ हुई थी. बबीता ने बताया कि बंटी उस का पूर्व परिचित था.

बबीता शहर में ही किसी के घर पर काम करती थी. बंटी के पिता भी उसी मालिक के यहां पर माली का काम करते थे. बंटी अपने पिता को खाना देने वहां अकसर जाता रहता था. उसी दौरान उस की बबीता से जानपहचान हुई थी.

बबीता को लगा कि बंटी सुनयना के लिए ठीक रहेगा, इसलिए उस ने बंटी के पिता से सुनयना और बंटी की शादी के बारे में बात की. पिता ने सुनयना का फोटो देखा तो वह राजी हो गया. फिर बंटी और सुनयना की शादी सामाजिक रीतिरिवाज से हो गई.

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बबीता ने पुलिस को बताया कि 23 मई को वह सुनयना को अपने घर ले आई थी. अगले ही दिन बंटी उसे गड्ढा कालोनी में किराए का कमरा दिखाने की बात कह कर अपने साथ ले गया था. इस के बाद उसी शाम सुनयना की जंगल में लाश मिली.

सुनयना फिरोजपुर के जंगल में कैसे पहुंची यह बात उस की समझ से भी बाहर थी. बबीता का बयान लेने के बाद पुलिस ने मृतका के पति बंटी यादव को भी पूछताछ के लिए थाने बुलाया. पूछताछ में बंटी से भी सुनयना की हत्या के बारे में कोई खास जानकारी नहीं मिल सकी.

पुलिस पूछताछ में बंटी ने बताया कि वह उसे किराए का मकान दिखाने के बाद सीधा घर ले आया था. उस के बाद वह किसी काम से शहर चला गया. उसी दौरान सुनयना घर में किसी को बिना कुछ बताए ही घर से चली गई थी. उस की हत्या किस ने की, इस की उसे कोई जानकारी नहीं थी.

यह बात तो सुनयना की बहन बबीता भी पुलिस को बता चुकी थी कि उस का मानसिक संतुलन सही नहीं था. जिस की वजह से वह कभी भी चुपचाप घर से निकल जाती थी.

मृतका की बहन और उस की ससुराल वालों से पुलिस को कोई खास जानकारी नहीं मिली तो पुलिस ने इस केस की तह तक जाने के लिए 4 टीमों का गठन किया.

काशीपुर कोतवाली प्रभारी निरीक्षक चंद्रमोहन सिंह के नेतृत्व में गठित पुलिस टीम ने शहर में अलगअलग जगहों पर लगे लगभग 40 सीसीटीवी कैमरों की फुटेजों की गहन पड़ताल की.

इस के अलावा घटनास्थल के आसपास, उस की ससुराल वालों के निवास, व मृतका की बहन बबीता के घर के पास लगे सभी सीसीटीवी कैमरों की फुटेज को देखा. कई संदिग्ध लोगों से भी पूछताछ की गई.

इसी दौरान 23 मई, 2020 को दढि़याल रोड पर लगे सीसीटीवी कैमरे से ली गई एक फुटेज में सुनयना एक संस्था द्वारा गरीबों को बांटा जा रहा खाना लेती हुई देखी गई. इस से साफ जाहिर हो गया कि 23 मई को सुनयना काशीपुर टांडा चौराहे के आसपास ही थी. पूछताछ में बबीता भी पुलिस को बता चुकी थी कि 23 मई को वह सुनयना को अपने घर ले गई थी.

पुलिस द्वारा ली गई अलगअलग सीसीटीवी कैमरों की फुटेजों की गहन पड़ताल में पुलिस को बहुत बड़ी कामयाबी मिली. एक सीसीटीवी फुटेज में सुनयना के साथ उस का पति बंटी और बहन बबीता घटना वाले दिन 24 मई, 2020 को एक साथ रामनगर रोड की ओर जाते दिखाई पड़े.

यह जानकारी मिलते ही जांच में लगी पुलिस टीम ने उसी दिशा में बढ़ते हुए लोगों से जानकारी हासिल की. पता चला कि फिरोजपुर गांव से रामनगर जाने वाली ट्रेन की पटरी पर दोपहर के समय एक लड़की और एक लड़के को साथसाथ जाते देखा गया था.

इस से यह साफ  हो गया कि सुनयना की हत्या उस के पति बंटी ने ही की है. इस के बावजूद पुलिस इस केस के पुख्ता सबूत जुटाने में लगी रही थी.

पुलिस ने फिर से बंटी और बबीता को पूछताछ के लिए थाने बुलाया. दोनों से सख्ती से पूछताछ की गई. दोनों पुलिस के सामने ज्यादा समय तक टिकने की हिम्मत नहीं कर पाए. बंटी और बबीता ने पुलिस के सामने अपना अपराध स्वीकार करते हुए हत्या का खुलासा कर दिया. उन्होंने बताया कि प्रेमप्रसंग के चलते दोनों ने सुनयना को योजनानुसार गला दबा कर मार डाला था.

उन से पूछताछ के बाद पुलिस ने बंटी की निशानदेही पर सुनयना का थैला, उस की चप्पलें और मास्क रामनगर रोड स्थित ट्रांसफार्मर के पास से बरामद कर लें. बंटी ने पुलिस को बताया कि उस ने बबीता के कहने पर ही सुनयना की हत्या की थी.

बंटी और बबीता की उम्र में लगभग 20 वर्ष का अंतर था. बंटी 20 वर्ष और बबीता लगभग 40 साल की थी. इस समय बबीता का बड़ा लड़का भी बंटी से लगभग 4 साल बड़ा था. आखिर बबीता ने बंटी से कैसे दोस्ती गांठी और दोस्ती की आड़ में अपनी बहन की शादी उस के साथ करा दी.

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पुलिस तहकीकात में इस केस की जो सच्चाई सामने आई वह रोचक कहानी थी—

थाना मलाई टोला, जिला गोपालगंज बिहार निवासी शंभू गिरि की शादी सालों पहले तमकनी रोड ठकाना बाजार, सुनाभवानी निवासी हीरामन गिरि की बबीता के साथ हुई थी. शादी के कुछ ही दिनों बाद शंभू गिरि रोजगार की तलाश में काशीपुर आ गया था. काशीपुर में शंभू गिरि को एक फैक्ट्री में काम मिल गया. वह उसी फैक्ट्री में काम करते हुए वहीं पर बने कमरे में रहने लगा था.

जानें आगे क्या हुआ अगले भाग में…

खिलाड़ी बहन का दांव

एक तीर कई शिकार

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