Film Review- बली: अस्पताल व डाक्टरी पेशे से जुड़े अहम मुद्दे को ‘रहस्य व रोमांच की चाशनी में’

रेटिंग: दो स्टार

निर्माता: अर्जुन सिंह बरन,कार्तिक निशानदर

निर्देशक: विशाल फूरिया

कलाकार: स्वप्निल जोशी,पूजा सावंत, बाल कलाकार

समर्थ जाधव, बाल कलाकार अभिषेक

बचनकर,प्रीतम कगने,रोहित कोकटे, संजय रणदिवे,

श्रृद्धा कौल, महेश बोडस

अवधि: एक घंटा 44 मिनट

ओटीटी प्लेटफार्म: अमजाॅन प्राइम वीडियो

कुछ समय पहले प्रदर्शित फिल्म ‘‘छोरी’’ के निर्देशक विशाल फुरिया अब एक मराठी भाषा की रहस्य व रोमांच से भरपूर फिल्म ‘‘बली’’ लेकर आए हैं, जो कि नौ दिसंबर 2021 से ‘अमेजाॅन प्राइम वीडियो’’ पर स्ट्रीम हो रही है.

फिल्म ‘बली’ में डाक्टरी पेशे से जुड़े एक अहम मुद्दे को उठाकर अस्पतालों में आम इंसानों के साथ होने वाली ठगी आदि का चित्रण है.

कहानीः

कहानी के केंद्र में मध्यम वर्गीय श्रीकांत साठे और उनका सात वर्षीय बेटा मंदार साठे है.श्रीकांत साठे की पत्नी की मौत हो चुकी है.श्रीकांत ही मंदार का पालन पोषण कर रहे हैं.मंदार अच्छा क्रिकेट खेलता है.एक दिन क्रिकेट खेलते हुए मंदार बेहोश होकर गिर पड़ता है. मंदार को जन संजीवनी अस्पताल में भर्ती किया जाता है,जहां वह एक रहस्यमयी एलिजाबेथ नामक नर्स से बातें करना शुरू करता है.

मंदार के अनुसार यह नर्स जन संजीवनी अस्पताल की पुरानी इमारत में रहती है,जो कि आठ माह से बंद पड़ी है.कहानी ज्यों ज्यों आगे बढ़ती है, त्यों त्यों रहस्य गहराता जाता है.अंततः जो सच सामने आता है,उससे इंसान दहल जाता है.

लेखन व निर्देशनः

लेखक व निर्देशक ने डाक्टरी पेशा व अस्पतालों से जुड़े एक अहम मुद्दे को रहस्य व रोमांच के ताने बाने के तहत पेश किया है. फिल्म में डाक्टरी की पढ़ाई में असफल रहे इंसान का डाक्टर के रूप में अपने पिता के अस्पताल का मुखिया बनकर लोगों को मौत के मुंह में ढकेलने से लेकर गलत रिपोर्ट के आधार पर एनजीओ से पैसे ऐठने तक के मुद्दे उठाए हैं. पर वह इसे सही अंदाज में पेश करने में बुरी तरह से असफल रहे हैं.फिल्म की गति काफी धीमी है.

निर्देशक ने बेवजह के बोझिल दृष्य पिरोकर फिल्म को लंबा खींचने के साथ ही बेकार कर दिया.वैसे निर्देषक विषाल फुरिया ने दर्शकों को डराने के मकसद से अत्यधिक कूदने वाले या भयानक भूतों के चेहरों का इस्तेमाल नहीं किया.जबकि कई दृष्यों को भयवाहता के साथ पेश करने की जरुरत थी.पर फिल्म की कहानी का रहस्य और मूल मुद्दा सब कुछ अंतिम बीस मिनट में ही समेट दिया है.

अभिनयः

सात वर्षीय बेटे के पिता श्रीकांत साठे के किरदार में स्वप्निल जोशी का अभिनय उत्कृष्ट है.मंदार के किरदार में समर्थ जाधव अपने अभिनय से लोगों को अपनी तरफ आकर्षित करता है.वह उन दृश्यों और स्थितियों में भी अत्यधिक अभिव्यंजक हैं,जो केवल सर्वश्रेष्ठ की मांग करते हैं.बाकी कलाकारों का अभिनय ठीक ठाक है.डा.राधिका के किरदार में पूजा सावंत सुंदर नजर आयी हैं,मगर अभिनय के लिए उन्हे काफी मेहनत करने की आवश्यकता है.

अभिनेता व निर्देशक समीर सोनी बने लेखक

‘कैलिफोर्निया वि-रु39यवविद्यालय (लॉस एंजिल्स) से स्नातक तथा मेरिल लिंच में एक वित्तीय विश्लेषक के रूप में दो वर्ष की नौकरी करने के बाद अभिनय की ओर रुख करने वाले समीर सोनी ने फिल्म,टीवी व थिएटर पर अभिनय करते हुए कई पुरस्कार अपनी -हजयोली में डाले. फिर समीर सोनी ने मई 2018 में फिल्म बर्थडे सॉन्ग’ का लेखन व निर्देषन कर बतौर लेखक व निर्दे-रु39याक के रूप में अपनी शुरुआत की.

अब एक कदम आगे ब-सजय़ाते हुए समीर सोनी ने अपने दिल की बातों को बतौर लेखक किताब ‘‘माय एक्सपीरियंस विथ द सायलेंस’’ लेकर आए हैं. यह किताब 27 नवंबर से हर बुक स्टाॅल पर उपलब्ध है. वास्तव में समीर ने खामो-रु39याी में एकांतपन का आभास किया और अपने जीवन के सबसे चुनौतीपूर्ण दिनों के दौरान खुद को आराम देने के लिए अपनी डायरी की ओर रुख किया.

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अंतमुर्खी स्वभाव के समीर ने अपनी इस पुस्तक के माध्यम से बहिर्मुखी दुनिया से इस बात को सा-हजया किया है कि उनके अंतर्मुखी दिमाग में क्या चलता रहा है और उसके बीच उन्होने कैसे अपना रास्ता अपनाया.

इस पुस्तक के माध्यम से समीर सोनी ने अपने पाठकों को यह याद दिलाने का प्रयास किया है कि जब तक कोई खुद की खोज नहीं कर लेता, तब तक वह किसी और का जीवन जी रहा है, जिसे समाज द्वारा निर्धारित किया गया है.इस किताब में यह भी बताया गया है कि कैसे स्वयं को खोजने के लिए आ-रु39याा और निरा-रु39याा के बीच निरंतर संघ-ुनवजर्या करना पड़ता है.

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अपनी किताब की चर्चा करते हुए खुद समीर सोनी कहते हैं-ंउचय‘‘यह डायरी पूरी तरह से अंतर्मुखी लोगों‘ के संबंध में है, जो यह बताती है कि मैं दुनिया को कैसे देखता हूं, कैसे मैंने -रु39याोबिज के माध्यम से अपना रास्ता बनाया है.एक ऐसा व्यक्ति जो कभी बाहर जाने वाला नहीं है.मैंने अपनी इस किताब में अपना दिल खोलकर एक साथ रखा है.ऐसे समय में जब लोग मान्यता चाहते हैं,मैंने अपनी सुरक्षित जगह,अपनी डायरी की ओर रुख करना सही सम-हजया और इस तरह मैं खुद को -सजयूं-सजय पाया.”

समीर आगे कहते हैं-ंउचय‘‘मैं एक ऐसा -रु39याख्स हूं, जो सामाजिक रूप से बहुत ज्यादा सक्रिय नहीं है, जो ज्यादातर मामलों में नुकसान का कारण होता है. लेकिन अभिनेता के तौर पर यह मेरे लिए फायदा था.क्योंकि इसने मु-हजये अपने

किरदार से बेहतर तरीके से जुड़ने के लायक बनाया.जब मु-हजये अपना पहला पुरस्कार मिला और मेरे नाम की घो-ुनवजयाणा हुई, तो सन्नाटा फैला हुआ था, मेरे लिए कोई ताली नहीं बजा रहा था और मेरी डायरी ने मु-हजये ऐसे दिनों से गुजरने में मदद की.मैंने इतनी कमियों के बावजूद खुद को वहां से बाहर निकाला है, लेकिन अंत में, मैं अपने अच्छे दिनों के लिए भी आभारी हूँ, और मेरी डायरी ने असल में इस सब में मेरी मदद की है.’

Film Review- बंटी और बबली 2: पुराने स्थापित ब्रांड को भुनाने की असफल कोशिश

रेटिंग: डेढ़ स्टार

निर्माता: यशराज फिल्मस

लेखक व निर्देशक: वरूण वी शर्मा

कलाकार: रानी मुखर्जी, सैफ अली खान, सिद्धांत चतुर्वेदी,  शारवरी वाघ, यशपाल शर्मा, पंकज त्रिपाठी

अवधि: 2 घंटे 13 मिनट

यशराज फिल्मस की 2005 में कान फिल्म ‘‘बंटी और बबली’’ ने बॉक्स आफिस पर जबरदस्त सफलता बटोरी थी- इस फिल्म में बंटी के किरदार में अभिषेक बच्चन और बबली के किरदार में रानी मुखर्जी थीं- छोटे शहर के इन बंटी और बबली की चालाकी व धुर्ततता ने दर्शकों का दिल जीत लिया था-अब 16 वर्ष बाद यशराज फिल्मस अपनी इसी फिल्म का सिक्वअल ‘‘बंटी और बबली2’’ लेकर आया है,जिसमें बबली के किरदार में रानी मुखर्जी हैं, मगर बंटी के किरदार में अभिषेक बच्चन की जगह पर

सैफ अली खान आ गए हैं. इसी के साथ नई  पीढ़ी के बंटी के किरदार में सिद्धांत चतुर्वेदी और बबली के किरदार में शारवरी वाघ हैं.  मगर सिक्वअल फिल्म ‘‘बंटी और बबली 2’’ की वजह से पुराने ब्रांड को नुकसान पहुंचाता है.

कहानीः

अब बंटी और बबली धुर्ततता छोड़कर फुरसगंज में रह रहे हैं- बंटी यानी कि राकेश त्रिवेदी ( सैफ अली खान) अब रेलवे में नौकरी कर रहे हैं-बबली यानी कि विम्मी त्रिवेदी (रानी मुखर्जी)  अब एक साधारण गृहिणी  हैं- उनका अपना एक बेटा है- अचानक एक दिन पता चलता है कि बंटी और बबली की तर्ज पर काम करने वाले कुणाल सिंह (सिद्धांत चतुर्वेदी) और सोनिया कपूर (शारवरी वाघ) नामक दो ठग पैदा हो गए हैं.

जिन्होने बंटी और बबली स्टाइल में ठगी करने के बाद लोगों के पास  पास बंटी और बबली का पुराना लेबल छोड़ देते हैं. यह दोनों कम्प्यूटर इंजीनियर हैं, मगर नाकैरी न मिलने के कारण इस काम में लग गए हैं. अब उनका मूल मंत्र ठगों और ऐश करो हो गया है. मगर ठगी के 16 वर्ष पुराने वाले तरीके  ही आजमा रहे हैं- नए बंटी  और बबली के कारनामों के चलते पुलिस विभाग  हरकत में आता है- अब दशरथ सिंह के रिटायरमेट की वजह से पुलिस अफसर जटायु सिंह (पंकज त्रिपाठी) इसकी जांच शुरू करते हैं, उन्हं लगता है कि पुराने बंटी और बबली वापस अपनी कारगुजारी दिखा रहे हैं, इसलिए, वह इन्हें पकड़ कर जेल में डाल देता है- लेकिन न, बंटी और बबली दूसरी ठगी करते हैं, तब जटायु सिंह को अहसास हो जाता है कि जिन्हे उन्होंने जिसे जेल में बंद किया है, वह निर्दोष हैं- तब वह इन्हें नए बंटी और बबली को पकड़ने की जिम्मेदारी देता है- अब चूहे बिल्ली का खेल शुरू होता है-फिर कहानी फुरसत गंज से आबू धाबी व दिल्ली तक जाती है-इस बीच जटायु सिंह की बेवकूफियां भी उजागर होती रहती ह हैं-

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लेखन व निर्देशनः

इस नई सिक्वअल फिल्म से उम्मीद थी कि बंटी और बबली नए अंदाज में ठगी ,छल, धोखा देने वाला काम करेंगे पर वह तो वही 16 वर्ष पुराना तरीका ही अपनाते हुए नजर आते हैं- यह फिल्म डिजिटल युग  में बनी हैं-इ सके बंटी और बबली कम्प्यूटर इंजीनियर हैं, मगर वह इटंरनेट का उपयोग कर ठगी नहीं करते हैं- पिछली फिल्म में बंटी आ और बबली ने ताजमहल बेचा था तो  नए  बंटी और बबली ने गंगा का पानी बेच दिया. मगर नए बंटी और बबली कुछ भी नया करते हुए  नजर नहीं आते- फिल्म की सबसे बड़ी कमजारे यह है कि 16 साल पुरानी फिल्म के मसालों से पुरानी कढ़ी में उबाल लान का  असफल प्रयास किया गया है- निर्देशक वरुण वी शर्मा अपना कमाल नही दिखा पाया- ‘यशराज फिल्मस’ के आदित्य चोपड़ा ने अपने स्थापित ब्राडं को तहस नहस करने के अलावा कुछ नही किया- संवाद बहुत साधारण है- ठगी के दृ’य भी रोमाचंक या फनी नहीं है. पटकथा काफी कमजार है- इसका एक भी गाना करणप्रिय नहीं है. फिल्म की गति काफी धीमी है- होली का दृश्य भी मजा किरकिरा करता है-

अभिनय:

सैफअली खान व रानी मुखर्जी  का अभिनय औसत दर्जे का ही है-पुरानी फिल्म के अनुरूप इस फिल्म में बंटी व बबली के रूप में सैफ अली खान व रानी मुखर्जी के बीच कमिस्ट्री जम नहीं पायी है.

शारवरी वाघ महज खूबसूरत नजर आती हैं, मगर उनका अभिनय काफी कमजोर है- सिद्धांत चतुर्वेदी भी कुछ खास कमाल नही दिखा पाया  हैं-जटायु सिंह के किरदार में अभिनेता पंकज त्रिपाठी अपने आपको दोहराते हुए नजर आये हैं. यशपाल शर्मा  ने यह फिल्म क्यो की, यह समझ से परे है.

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सिद्धांत चतुर्वेदी किस रोमांटिक दृश्य को करने से हिचक रहे थे?

2005 में रानी मुखर्जी और अभिषेक बच्चन अभिनीत यशराज फिल्मस’ की फिल्म ‘‘बंटी और बबली’’  ने सफलता के झंडे गाड़े थे- अब पूरे सोलह साल बाद यशराज फिल्मस ‘बंटी और बबली’’ का सिक्वअल ‘‘बंटी और बबली 2’’ लेकर आ रहा है, जिसमें अभिनेता सिद्धांत चतुर्वेदी के साथ नवोदित अदाकारा ’ाारवरी वा?ा हैं- इस हंसी मजाक और गुदगुदाने वाली वाली मनोरंजक पारिवारिक फिल्म के निर्देषक वः.ा वी- ’ार्मा हैं-जो कि ‘सुल्तान’ और ‘टाइÛर जिंदा है’  में सहायक निर्देशक के:प में काम कर चुके हैं- इस फिल्म में न्यू बंटी के किरदार में सिद्धांत चतुर्वेदी तथा न्यू बबली के किरदार में ’ाारवरी वा?ा हैं-

फिल्म ‘‘बंटी और बबली 2’’ की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इस फिल्म के लिए सिद्धांत चतुर्वेदी और ’ाारवरी वा?ा पर ,क रोमांटिक Ûाना ‘‘ लव जू’’ को अंडर वाटर यानी कि पानी के अंदर फिल्माया गया है. इस गाने में दोनों कलाकारों के बीच किसिंग  सीन के साथ ही कई अंतरंदृश्यों को भी फिल्माया गया है.

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यह गाना सोशल मीडिया और इंटरनेट पर वायरल हो चुका है- मजेदार बात यह है कि पहले इस चुनौतीर्पूण रोमांटिक गाने के अंडर वाटर फिल्मांकन के लिए अभिनेता सिद्धांत चतुर्वेदी तैयार नहीं थे-

मगर निर्देशिका वैभवी मर्चेंट ने उन्हे इसके लिए सहज कर लिया- खुद अभिनेता सिद्धांत चतुर्वेदी कहते हैं-‘‘ फिल्म ‘बंटी और बबली 2’  मेरी और ’ाारवरी वा?ा की मुख्य भूमिका यानी कि मेन लीउ वाली पहली फिल्म है- जिसमें अंडर वाटर मुश्किल रोमांटिक अंतरदृश्यों को फिल्माने के बारे में हमने सोचा ही नहीं था और हम दोनों इसके लिए सहज नहीं थे- इस पानी के भीतर फिल्माया गया और हमें पानी के भीतर लिप सिंक करने के साथ ही अपनी सांस रोककर रखना था और भावुक चुंबन साझा करना था-हम इसे करने के लिए  सहज नहीं थे-मगर नृत्य निर्देशिका वैभवी मर्चेंट ने हम दोनों का हौसला बढ़ाया-फिर हम दोनों ने एक-दूसरे पर पूरी तरह भरोसा करके वैभवी मर्चेंट के वीजन के सामने आत्मसमर्पण कर इस मुश्किल रोमांटिक गाने को फिल्माया.

सिद्धांत चतुर्वेदी  आगे कहते हैं- ‘‘ इस गाने के रोमांटिक दृश्य की शूटिंग  के दौरान मैंने हाइड्रोफोबिया से लड़ाई लड़ी थी-पर जब  हमने शूटिंग  के बाद के दृश्य देखे, तो हमें जितनी भी मुश्किलें झेलनी पड़ीं थी. वह खुद में बदल दिया.

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19 नवंबर 2021 को प्रदर्शित होने वाली इस फिल्म में सिद्धांत चतुर्वेदी के अलावा सैफ अली खान और रानी मुखर्जी ने ओजी बंटऔर बबली की भूमिका निभाई है.

Film Review- ‘‘बबलू बैचलर”: शर्मन जोशी का बेहतरीन अभिनय भी फिल्म को स्तरीय नहीं बनाती!

निर्माता: राफत फिल्मस

निर्देशक और कैमरामैन: अग्निदेव चटर्जी

कलाकार: शर्मन जोशी, पूजा चोपड़ा, तेज श्री प्रधान, राजेश शर्मा, लीना प्रभू, मनोज जोशी, लीना भट्ट,राजू खेर , स्वीटी वालिया, सुमित गुलाटी व अन्य

अवधि: दो घंटे दस मिनट

प्यार व शादी को लेकर कई फिल्में बन चुकी हैं. अब फिल्मकार परफैक्ट जीवन साथी की तलाष को लेकर एक फिल्म ‘‘बबलू बैचलर’’ लेकर आए हैं, जो कि 22 अक्टूबर को सिनेमाघरों में पहुंची है. वैसे यह फिल्म 22 मार्च 2020 को सिनेमाघरों मंे आने को तैयार थी, मगर 17 मार्च 2020 से ही पूरे देश के सिनेमाघर बंद हो जाने से यह फिल्म प्रदर्शित नहीं हो पायी थी. अब यह फिल्म प्रदर्शित हुई है.

कहानीः

फिल्म की कहानी के केंद्र में लखनउ शहर में रह रहे जमींदार ठाकुर साहब(राजेश शर्मा) के बेटे बबलू (शर्मन जोशी ) के इर्द गिर्द घूमती है. बबलू पिछले सात साल से परफैक्ट जीवन साथी की तलाश में लगे हुए हैं. शादी कराने वाले मशहूर एजेंट तिवारी(असरानी) भी उनकी मदद नही कर पाते. तिवारी, बबलू व उनके परिवार को अवंतिका(पूजा चोपड़ा )से मिलवाते हैं.

लेकिन अवंतिका का अपना बॉयफ्रेंड है, पर वह अपने माता पिता से इस बारे में नहीं बताती, जिसके चलते अवंतिका और बबलू की शादी तय हो जाती है. मगर दूसरे दिन अवंतिका, बबलू को मिलने के लिए बुलाती है और उसे सच बताते हुए शादी तोड़ने के लिए कहती है. बबलू अपने घर पर ऐेलान कर देता है कि वह अवंतिका से शादी नहीं करेगा. फिर अपने फूफा की बेटी की शादी में बबलू की मुलाकात महत्वाकांक्षी व फिल्म हीरोईन बनने का सपना देख रही स्वाती (तेजश्री प्रधान) से होती है.जिससे बबलू को प्यार हो जाता है.

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और बबलू अपने घर पर स्वाती को अपनी बचपन की प्रेमिका बताकर षादी कर लेता है. एक रियालिटी शो के लिए ऑडिशन दे चुकी स्वाती को उसके परिणाम की प्रतीक्षा है, इसलिए वह पहली रात हनीमून मनाने से इंकार कर देती है.फिर दोनों हनीमून मनाने के लिए दूसरी जगह जाते हैं, पर रियालिटी शो में चयन हो जाने के कारण वह बबलू को नींद की गोली मिश्रित दूध पिलाती है,कुछ देर में बबलू सो जाते हैं और बबलू के नाम पत्र लिखकर स्वाती मंुबई चली जाती है.अपनी पत्नी को वापस लाने के लिए बबलू मंुबई जाता है,जहां उसकी मुलाकात फिर से अवंतिका से होती है,जो कि अब पत्रकार और एक टीवी चैनल की हेड बन चुकी है.

अवंतिका,बबलू को स्वाती तक पहुंचाती है. मगर स्वाती, बबलू संग वापस आने से इंकार कर देती है.बबलू को अवंतिका से और अवंतिका को बबलू से प्यार भी हो जाता है. मगर स्वाती की वजह से बबलू अवंतिका के प्यार को स्वीकार किए बगैर लखनउ वापस आ जाता है. इधर अवंतिका का सहायक चैनल पर स्वाती के षादीषुदा होने की खबर चला देता है.

अचानक एक दिन पता चलता है कि ठाकुर साहब ने बबलू की पुनः स्वाती से शादी करने की तैयारी कर ली है, तभी वहां पर अवंतिका भी पहुंचती है. फिर काफी कुछ घटता है.

लेखन व निर्देशनः

अग्निदेव चटर्जी अच्छे कैमरामैन हैं, मगर निर्देशन में वह मात खा गए. उनका निर्देशन किसी भी दृश्य में प्रभावी नहीं लगता. फिल्म की पटकथा भी काफी बिखरी हुई और कमजोर है. फिल्म की शुरूआत रेडियो पर प्रसारित हो रहे शादी कराने वाले एक एप के विज्ञापन से होती है, पर उसका फिल्म की कहानी में कोई योगदान नही होता.इसका उपयोग ही गलत -सजयंग से किया गया है.

कहानीकार सौरभ पांडे ने उत्तर प्रदेश की पृष्ठभूमि में परफैक्ट जीवन साथी की तलाश की एकदम सही उठायी, मगर बाद में कई तरह के उपदेश ठूंसते हुए पटकथा बहुत गड़बड़ कर दी. सारे दृश्य घिसे पिटे हैं. मसलन,बबलू और उनके पिता का सिगरेट पीने वाला दृष्य जिसमें स्वाती के घर से भाग जाने पर बात करते हुए पिता, बबलू से उसे वापस लेकर आने के लिए कहते हैं. मुंबई में जब बबलू , अवंतिका के साथ स्वाति के घर पर मिलता है,तो स्वाती जिस तरह का व्यवहार करती है, वह बहुत ही हास्यास्पद है.

इंटरवल से पहले कुछ हद तक फिल्म ठीक है,मगर इंटरवल के बाद जिस तरह से फिल्म आगे ब- सजय़ती है, उसे देखते हुए दर्शक सोचने लगता है कि यह कब खत्म होगी. क्लायमेक्स तक पहुंचते पहुंचते फिल्म दम तोड़ चुकी होती है.फिल्म के ज्यादातर संवाद बेकार है. अवंतिका के सहायक द्वारा स्वाती के षादीषुदा होने की खबर को जिस -सजयंग से दिखाया गया है, उसका भी कहानी में कोई योगदान नजर नही आता.पटकथा लेखक व फिल्मकार ने रायता काफी फैलाया, मगर उसे समेटने में बुरी तरह से विफल रहे हैं.

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अभिनयः

कुंवारे बबलू के किरदार में शर्मन जोशी ने बेहतरीन अभिनय किया है. वह विभिन्न भावनाओं को व्यक्त करने में सफल रहे हैं. लेकिन पब के अंदर के गाने में वह जमते नही है. मगर शर्मन जोशी का उत्कृ-ुनवजयट अभिनय फिल्म को डूबने से बचाने में समर्थ नहीं है.

अवंतिका के किरदार में पूजा चोपड़ा अपने अभिनय की छाप छोड़ जाती हैं. स्वाती के किरदार में तेजश्री प्रधान कुछ खास जलवा नही दिखा पायीं.

Film Review- शुभो बिजया: गुरमीत चौधरी व देबिना बनर्जी का बेहतरीन अभिनय

रेटिंग: तीन स्टार

निर्माता:एसोर्टेड मोशन पिक्चर्स, जीडी

प्रोडक्शन और वहाइट एप्पल

निर्देशक: राम कमल मुखर्जी

कलाकार: गुरमीत चैधरी, देबिना बनर्जी, खुशबू कारवा व अन्य

अवधि: 52 मिनट

ओटीटी प्लेटफार्म: बिग बैंग

पत्रकार से निर्देशक बने राम कमल मुखर्जी ने पहले रितुपर्णो घो-ुनवजय  को श्रृद्धांजली देेते हुए फिल्म ‘‘सिटिजंस ग्रीटिंग्स’’ बनायी थी और अब ओ हेनरी की सबसे चर्चित लघु कहानी ‘गिफ्ट ऑफ मैगी’ को एक काव्यात्मक श्रद्धांजलि देनेके लिए फिल्म ‘‘षुभो बिजया’’ लेकर आए हैं. जो कि ओटीटी प्लेटफार्म ‘‘बिग बैंग’’ पर स्ट्रीम हो रही है.

कहानी:

यह कहानी मशहूर फैशन फोटोग्राफर शुभो(गुरमीत चैधरी) और मशहूर फैशन मॉडल विजया (देबिना बनर्जी ) के इर्द गिर्द घूमती है. कहानी शुरू होती है कलकत्ता में अंधे शुभो के आरती(खुश्बू कारवा )के कैफे हाउस में पहुंचने से. जहां कैफे हाउस में आरती, शुभो को काफी पिलाते हुए उससे बिजया को लेकर सवाल करती है, तब शुभो को अपना अतीत याद आता है.

फैशन फोटोग्राफर के रूप में शुभो की तूती बोलती है.तमाम मॉडल, लड़कियां उसकी दीवानी हैं.मगर शुभो तो मशहूर फैशन मॉडल बिजया का दीवाना है. धीरे धीरे दोनों एक दूसरे के प्यार में पड़ जाते हैं और फिर शादी कर लेते हैं. जीवन खुशहाल जा रहा था कि अचानक पता चलता है कि बिजया को चौथे स्टेज का त्वचा कैंसर/स्क्रीन कैंसर है. विजय डॉ. रश्मी गुप्ता से कहती है कि यह सच शुभो को नहीं पता चलना चाहिए. पर एक दिन जब शुभो कार चला रहा था, तब डा. रश्मी गुप्ता फोन करके शुभो को सच बताती है, इस सच को सुनकर शुभो की कार का एक्सीडेंट हो जाता है.

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और शुभो की आंखो की रोशनी चली जाती है. उसके बाद वह अंधा बनकर चलने वगैरह की ट्रेनिंग लेता है. पर एक दिन बिजय, शुभो को छोड़कर चली जाती है. कुछ समय बाद शुभो वह घर और उस शहर को छोड़ने का फैसला कर लेता, जिस घर व शहर से बिजया की यादें जुड़ी हुई हैं. इस बीच शुभो की काफी खत्म हो चुकी है. आरती उससे कहती है कि कुछ लोग उसे मिस करेंगं.

शुभों काफी हाउस से निकलकर अपने घर पहुंचता है, जहां उसका सारा सामान पैक हो चुका है. फिर एक ऐसा सच सामने आता है,जो प्यार के नए चरमोत्क-नवजर्या को दिखाता है.

लेखन व निर्देशनः

ई-रु39या देओल के साथ ‘केकवॉक’,सेलिना जेटली के साथ ‘सीजन्स ग्रीटिंग्स’ और अविना-रु39या द्विवेदी के साथ ‘‘रिक्-रु39याावाला’की अपार सफलता व कई पुरस्कारों से नवाजे जा चुके राम कमल मुखर्जी ने फिल्म ‘‘शुभो बिजया’’ भी अपनी निर्देशकीय प्रतिभा को उजागर किया है.

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वह बहुत स्प-नवजयटता के साथ युगल के बीच के रि-रु39यते में कड़वे मधुर क्षणों को उजागर करते हैं. मगर बीच में पटकथा शिथिल पड़ जाती है. निर्देशक राम कमल मुखर्जी मूलतः बंगाली हैं, तो उम्मीद थी कि वह इस फिल्म में बंगाली विवाह को विस्तार से दिखाएंगे,मगर उन्होंने बहुत ही लघु रास्ता अपनाया.

अभिनयः

मशहूर युवा फै-रु39यान फोटोग्राफर की भूमिका में गुरमीत चैधरी ने उत्कृनवजयट अभिनय किया है. अंधे इंसान की भूमिका में वह अपनी अभिनय प्रतिभा से द-रु39र्याकों को आ-रु39यचर्य चकित करते हैं. वहीं मशहूर फैशन मॉडल बिजया के जटिल किरदार को देबिना बनर्जी ने जीवंतता प्रदान की है. खुश्बू कारवा के हिस्से करने को कुछ खास आया ही नही.

सपना चौधरी के बेटे का नाम आया सामने, ट्रोल हो रहे हैं सैफ-करीना

हरियाणवी डांसर सपना चौधरी अक्सर सुर्खियों में छाई रहती हैं. अब एक्ट्रेस के बेटे का नाम चर्चे में है. दरअसल  सपना चौधरी के बेटे 4 अक्‍टूबर को एक साल के हो गये. और इस खास मौके पर सपना चौधरी ने अपने बेटे का नाम सार्वजनिक कर दिया. बच्चे का नाम करीना कपूर और सैफ अली खान से जोड़ा जा रहा है. तो आइए जानते हैं सपना के बेटे का नाम करीन-सैफ से क्यों जुड़ा है.

दरअसल सैफ अली खान के बेटे का नाम तैमूर है तो वहीं सपना चौधरी के बेटे का नाम पोरस है. बता दें कि पोरस एक शासक था जिसने तैमूर और जहांगीर को धूल चटा दी थी. तैमूर एक क्रूर शासक था जिसने हिंदुओं पर बहुत अत्‍याचार किए थे. ऐसे में सपना चौधरी के बेटे के नाम को लेकर सभी जगह से अच्‍छी प्रतिक्रियांए आ रही हैं.

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फैंस सैफ अली खान और करीना कपूर को फिर से फैंस ट्रोल कर रहे हैं. सपना चौधरी के बेटे की पहली तस्‍वीर देखने के लिए भी फैंस को बेसब्री से इंतजार कर रहे थे. जैसे ही सपना के बेटे का फोटो सोशल मीडिया पर आया, यह फोटो वायरल होने लगी.

 

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सपना चौधरी और वीर साहू की शादी जनवरी 2020 में हुई थी. वीर को सपना पहली नजर में भा गई थी. सपना चौधरी के मां बनने की खबर आने के बाद फैंस ने उन्हें ट्रोल करना शुरू कर दिया था. सपना के पति वीर साहू ने ट्रोलर्स पर जमकर निशाना साधा. उन्होंने केस भी दर्ज करवाई.

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इतना ही नहीं, वीर साहू ने कहा था कि सपना के खिलाफ बोलने वालों को मेरा खुला चैलेंज हैं जहां मिलना है वहां मिलकर मुझसे बात कर सकते हैं. खबरों की माने तो वीर साहू को जब रोहतक के महम चौबीसी के प्रचलित चबूतरे पर पहुंचने की चुनौती मिली तो वे एक लंबे काफिले के साथ वहां पहुंच गए थे.

हिंदी फिल्म ‘‘अंधाधुन’’ की मलयालम रीमेक ‘‘भ्रामम’’ का ट्रेलर हुआ वायरल, देखें Video

अमेजन प्राइम वीडियो पर सात अक्टूबर से स्ट्रीम होगी रवि के चंद्रन निर्देशित मलयालम रोमांचक अपराध फिल्म ‘‘भ्रामम’’ 2018 में श्रीराम राघवन दृष्टिहीन होने का नाटक करने वाले पियानो वादक की कहानी पर रहस्य प्रधान रोमांचक अपराध फिल्म ‘‘अंधाधुन’’ लेकर आए थे,जिसे जबरदस्त सफलता मिली थी. इस फिल्म में उत्कृष्ट अभिनय करने के लिए अभिनेता आयुष्मान खुराना को कई पुरस्कार भी मिले थे.

अब उसी फिल्म को मलयालम भाषा में निर्देशक रवि के चंद्रन ‘‘भ्रामक’’ नाम से लेकर आ रहे हैं, जिसमें मलयालम सुपर स्टार पृथ्वीराज सुकुमारन की मुख्य भूमिका है. इसे अमेजाॅन प्राइम वीडियो ने सात अक्टूबर 2021 से स्ट्रीम करने का फैसला किया है. पृथ्वीराज सुकुमारन ने स्वयं ट्वीट कर इस बात की जानकारी दी है. पृथ्वीराज सुकुमारन ने अपने ट्वीट में यह भी लिखा है कि ‘कोरोना’महामारी के चलते केरला में अभी तक थिएटर बंद है,इसलिए यह निर्णय हुआ है.

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फिल्म के स्ट्रीम होने से पहले मलयालम क्राइम थ्रिलर फिल्म ‘‘भ्रामम’’ का ट्रेलर बाजार में आते ही वायरल हो चुका है. एपी इंटरनेशनल और वायकॉम18 स्टूडियोज द्वारा संयुक्त रूप से निर्मित फिल्म ‘‘भ्रामम’’ में पृथ्वीराज सुकुमारन की मुख्य भूमिका के अलावा उन्नी मुकुंदन, राशी खन्ना, सुधीर करमना और ममता मोहनदास सहित कई प्रतिभाशाली कलाकार प्रमुख भूमिकाओं में हैं.

‘‘भ्रामम का ट्रेलर रे मैथ्यूज के जीवन की एक झलक पेश करता है. पियानो वादक रे मैथ्यूज (पृथ्वीराज सुकुमारन ) खुद को दृष्टिहीन होने का नाटक करता है. जिसे अपने संगीत में एकांत मिलता है. लेकिन उसका संगीतमय रहस्य,उस वक्त रहस्य से भर जाता है, जब वह एक हत्या का गवाह बनता है और कई समस्याओं में उलझ जाता है. झूठ और छल का पर्दाभास होने पर पियानो वादक रे को अपनी जिंदगी बचाने के लिए मेजें बदलनी पड़ती है. संगीतकार जेक्स बिजॉय द्वारा रचे गए तार्किक पृष्ठभूमि संगीत के साथ, फिल्म एक अच्छी तरह से तैयार की गई पटकथा, एक अविश्वसनीय सहायक कलाकार और मुख्य भूमिका में पृथ्वीराज द्वारा एक शानदार प्रदर्शन पर आधारित है.

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फिल्म के प्रीमियर पर टिप्पणी करते हुए अभिनेता पृथ्वीराज सुकुमारन ने कहा-“एक नेत्रहीन पियानोवादक की भूमिका निभाना एक कलाकार के रूप में एक बेरोजगार क्षेत्र में जाने जैसा था. लेकिन मुझे इस तरह के बारीक और स्तरीय चरित्र को चित्रित करने में बहुत मजा आया. भ्रामम एक अच्छी तरह से गढ़ी गई मर्डर मिस्ट्री है और दिलचस्प तत्वों से भरी हुई है,जो मलयालम दर्शकों और उससे आगे के लिए अपील करनी चाहिए. मैं अमेजॅन प्राइम वीडियो पर भ्रम के प्रीमियर की प्रतीक्षा कर रहा हूं और मुझे उम्मीद है कि इस फिल्म को दर्शकों से उतना ही प्यार और सराहना मिलेगी, जितना मुझे इस परियोजना के लिए काम करने में मजा आया, जो मेरे दिल के करीब है. ”

 

Film Review-‘‘निर्मल आनंद की पप्पी”: कमजोर लेखन व निर्देशन

रेटिंग: डेढ़ स्टार

निर्माताः गिजू जाॅन व संदीप मोहन

लेखक व निर्देशकः संदीप मोहन

कलाकार: करनवीर खुल्लर,गिलियन पिंटो,खुशबू,सलमिन शेरिफ,विपिन हीरो,सफून फारुकी,अविनाश कुरी, ज्योति सिंह, अमन शुक्ला,अश्वनी कुमार, नैना सरीन व अन्य

अवधि: एक घंटा चालिस मिनट

मुंबई जैसे शहरों में एकरसता का जीवन जीने वाले परिवारों और आधुनिक  रिश्तों पर फिल्म ‘‘निर्मल आनंद की पप्पी’ लेकर आए हैं. फिल्मकार संदीप मोहन, जो कि सत्रह सितंबर को सिनेमाघरों में प्रदर्शित होगी.

कहानीः

एक मधुमेह विरोधी दवा कंपनी में कार्यरत एम आर निर्मल आनंद (करनवीर खुल्लर) और उसकी ईसाई पत्नी सारा (गिलियन पिंटो) के जीवन के इर्द-गिर्द घूमती है.दंपति अपनी बेटी ईषा व पालतू कुत्ते परी के साथ मुंबई में एक आरामदायक जिंदगी जीते हुए जल्द ही अपने दूसरे बच्चे की उम्मीद कर रहे हैं.माता-पिता के समर्थन के अभाव में उनका पारिवारिक नेटवर्क उनके प्यारे कुत्ते परी तक ही सीमित है.निर्मल को यह पसंद नहीं कि उनकी बेटी ईषा हमेशा इमारत में अन्य लड़कियों की बजाय एक लड़के दीपू के साथ ही खेले.

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बेटी की देखभाल करने के लिए वह पत्नी को पूर्णकालिक नौकरी करने नही देता. लेकिन एक के बाद एक होने वाली दो घटनाओं से निर्मल को पता चलता है कि उसे मधुमेह/ डायबिटीज है.वह कुछ दिन मधुमेह से छुटकारा पाने के लिए उपाय करने लगता है और काम करने में उसका मन नहीं लगता.यह एक बड़ी विडंबना को चिह्नित करता है,जो उसके अहंकार के लिए एक बड़ा झटका बन जाता है.

इसी बीच परी का भी निधन हो जाता है. दोनों घटनाओं का योग इस घनिष्ठ रूप से बंधे परिवार पर काफी असर डालता है.तभी निर्मल आनंद को अचानक एक फिल्म में अभिनय करने का अवसर मिलता है. जिसमें वह टैक्सी ड्रायवर का किरदार निभाता है.यहीं से उसकी पत्नी के साथ उसके संबंधों में तनाव आता है. जैसे ही निर्मल अपनी पहली फिल्म की शूटिंग शुरू करते हैं, दंपति की जिंदगी में दूरियां बढ़ने लगती है.फिल्म में निर्मल का चुंबन दृश्य करना सारा को रास नही आता.

लेखन व निर्देशनः

फिल्म की पटकथा बहुत धीमी गति से चलती है.फिल्म में कई दृश्यों को दोहराव है.खासकर जब निर्मल एक अभिनेता बनने की इच्छा रखते हैं और एक टैक्सी चालक के जीवन के बारे में अपनी समझ को सुधारने के लिए विधि अभिनय तकनीकों का इस्तेमाल करते हैं. अपने पालतू कुत्ते (परी) के प्रति दंपति के लगाव को विकसित करने में बेवजह फिल्म खींची गयी.फिर भी उसे केवल एक सहारा के रूप में उपयोग किया गया है.

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जबकि कुत्ते परी के माध्यम से कहानी में बहुत कुछ रोचक तत्व पिरोए जा सकते थे,पर लेखक व निर्देषक मात खा गए.संवाद प्रभावशाली नही बन पाए हैं.फिर भी यह फिल्म एक सामान्य व्यक्ति के जीवन को काफी सरल तरीके से चित्रित करने में सफल है.फिल्म का क्लायमेक्स बहुत साधारण है.फिल्म की कहानी में जितने भी मोड़ हैं,उनका अहसास पहले से ही हो जाता है.यह लेखक व निर्देशक दोनों की विफ लता हैं. फिल्म के कैमरामैन ने बहुत निराश किया है.

अभिनयः

निर्मल के किरदार में अभिनेता करनवीर खुल्लर ने अच्छा अभिनय किया है. कुछ दृश्यों में उनके चेहरे के भाव उन्हे बेहतरीन कलाकार के रूप में उभारते हैं.उनके हाव-भाव से पता चलता है कि वह किस दौर से गुजर रहे हैं. गिलियन पिंटो को ऑन-स्क्रीन देखना एक खुशी की बात है.वह सहजता से एक मां,एक जिम्मेदार पत्नी और एक कामकाजी महिला की भावनाओं को व्यक्त करती है.पर एक उत्कृष्ट अदाकारा बनने के लिए उन्हें अभी मेहनत करने की जरुरत है. अन्य कलाकारों का अभिनय ठीक ठाक है.

Sunny Leone पहली बार बहुभाषी फिल्म ‘‘शेरो’’ में आएंगी नजर

इन दिनों पूर्व पाॅर्न स्टार और बौलीवुड अदाकारा सनी लियोन दक्षिण भारत में अपने कैंरियर की पहली बहुभाषी मनोवैज्ञानिक रोमांचक फिल्म ‘‘शेरो” की  शूटिंग पूरी करने के बाद अति उत्साहित हैं. मूलतः तमिल भाषा में फिल्मायी गयी श्रीजीत विजयन निर्देशित फिल्म ‘‘शेरो’’ हिंदी, तेलुगु, कन्नड़ और मलयालम भाषा में भी प्रदर्तशि की जाएगी.

फिल्म ‘‘शेरो’’ में सनी लियोन अमेरिका में जन्मी एक महिला सारा माइक की भूमिका में नजर आएंगी, जिनकी जड़ें भारत में हैं.सारा अपनी छुट्टियां बिताने के लिए जब भारत आती है,तब उसके साथ जिस तरह की घटनाएं घटित होतीहैं,उसी का इस फिल्म में चित्रण है.

फिल्म ‘‘शेरो’’ के निर्देशक श्रीजीत विजयन कहते हैं-‘‘ रोमांचक फिल्म का नाम सुनते ही हर इंसान के दिमाग मेें पहली बात अपराध के घटित होने की आती है.उसके बाद जांच और उससे जुड़ी हर तरह की बातें आती हैं.लेकिन हमारी फिल्म ‘शेरो‘ एक ऐसी फिल्म है,जो चरित्र के मनोविज्ञान में गहराई से उतरती है.”

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श्रीजीत विजयन अभिनेत्री सनी लियोन की तारीफें करते हुए कहते हैं-‘‘सनी लियोन एक बेहतरीन पेशेवर कलाकार हैं.चाहे सेट पर पहुंचने की उनकी समयबद्धता हो या चरित्र को समझने की उनकी कोशिश, सनी  लियोन अपने काम को लेकर बहुतगंभीर हैं. हमने शूटिंग से पहले एक वर्कशॉप आयोजित की थी.यहाँ दक्षिण में हम आमतौरपर कार्यशालाएं नहीं करते हैं. लेकिन, इस कार्यशाला ने वास्तव में काम को गति देने में हमारी मदद की.

उसने एक सप्ताह की कार्यशाला में भाग लिया, हमने चरित्र पर अच्छी तरह से चर्चा की और इसलिए शूटिंग तुलनात्मक रूप से आसान थी, यह देखते हुए कि वह कितनी बड़ी स्टार है.” फिल्म ‘शेरो‘ का निर्माण अंसारी नेक्सटल और रविकिरण द्वारा स्थापित ‘इकीगाई मोशन पिक्चर्स’ के बैनर तले किया गया है.‘इकीगााई’’ एक जापानी शब्द है.जिसका अर्थ है ‘एक होने का कारण‘ और ‘इकोगाई मोषन पिक्चर्स’ अच्छी फिल्मों के माध्यम से दर्शकों का मनोरंजन, उत्साहित और प्रेरित करने की दृष्टि से स्थापित किया गया है. फिल्म के कैमरामैन मनोज कुमार खटोरी, संगीतकार घिबरन हैं.‘शेरो‘ की कार्यकारी निर्माता जयश्री डी.,एडीटर वी.साजन द्वारा संपादन,कास्ट्यूम डिजायनर स्टेफी जेवियर हैं.

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