Manohar Kahaniya: जब थाना प्रभारी को मिला प्यार में धोखा- भाग 1

सौजन्य- मनोहर कहानियां

मां पद्मावती ने मौके पर मौजूद रहे लोगों से पूछताछ के बाद रूपा की हत्या करने का आरोप लगाते हुए कहा कि उस के शव को पंखे से लटकाया गया था. पंखे और पलंग की दूरी काफी कम थी. शव पंखे से तो लटका था, लेकिन घुटने पलंग पर मुड़े हुए थे. गले में रस्सी के 2 निशान थे. शरीर के कुछ अंगों पर जगहजगह दाग भी थे. शव ध्यान से देखने से लग रहा था कि उस के हाथों को पकड़ा गया था. घुटने पर भी मारने के निशान थे. उस के कपड़े भी आधेअधूरे थे.

रूपा की मौत के मामले में साहिबगंज के जिरवाबाड़ी ओपी थाने के एसआई सतीश सोनी के बयान के आधार पर केस दर्ज कर लिया गया. पुलिस ने जांचपड़ताल के लिए रूपा का क्वार्टर भी सील कर दिया.

मामला एक पुलिस अधिकारी की मौत का था. दूसरे यह संदिग्ध भी था. इसलिए साहिबगंज के उपायुक्त ने कार्यपालक दंडाधिकारी संजय कुमार और परिजनों की मौजूदगी में शव का मैडिकल बोर्ड से पोस्टमार्टम कराने और इस की वीडियोग्राफी कराने के आदेश दिए. उपायुक्त के आदेश पर पुलिस ने 3 डाक्टरों के मैडिकल बोर्ड से रूपा के शव का पोस्टमार्टम कराया.

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पोस्टमार्टम कराने के बाद पुलिस की ओर से साहिबगंज के पुलिस लाइन मैदान में रूपा तिर्की को अंतिम विदाई दी गई. सशस्त्र पुलिस की टुकड़ी ने उन्हें सलामी दी.

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एसपी अनुरंजन किस्पोट्टा, साहिबगंज के एसडीपीओ राजेंद्र दुबे, बरहरवा के एसडीपीओ प्रमोद कुमार मिश्रा और राजमहल के एसडीपीओ अरविंद कुमार के अलावा अनेक थानाप्रभारियों तथा पुलिस जवानों ने फूलमालाएं अर्पित कर रूपा को श्रद्धांजलि दी. बाद में रूपा का शव परिवार वालों को सौंप दिया गया.

रूपा का शव 5 मई की सुबह रूपा के पैतृक गांव रातू के काठीटांड पहुंचा. उसी दिन रूपा का अंतिम संस्कार कर दिया गया. शवयात्रा में गांव के लोगों के साथ राज्यसभा सांसद समीर उरांव, विधायक बंधु तिर्की, रांची की महापौर आशा लकड़ा, महिला आयोग की आरती कुजूर, प्रमुख सुरेश मुंडा सहित अनेक जनप्रतिनिधि भी शामिल हुए, लेकिन पुलिस और प्रशासन का कोई बड़ा अधिकारी वहां नहीं पहुंचा.

सीबीआई जांच की उठी मांग

बात 3 मई, 2021 की है. शाम को करीब 7 बजे का समय रहा होगा. सबइंसपेक्टर मनीषा कुमारी ड्यूटी पूरी करने के बाद अपने क्वार्टर पर पहुंची. उस का क्वार्टर अपनी बैचमेट एसआई रूपा तिर्की के क्वार्टर के सामने था. रूपा तिर्की झारखंड के साहिबगंज जिला मुख्यालय पर महिला थानाप्रभारी थीं और मनीषा साहिबगंज में ही नगर थाने में तैनात थी.

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मनीषा जब क्वार्टर पर पहुंची, तो रूपा का कमरा अंदर से बंद था. इस का मतलब था कि रूपा अपनी ड्यूटी से आ चुकी थी. रूपा का हालचाल पूछने के लिए मनीषा ने उस के रूम का दरवाजा खटखटाया, लेकिन अंदर से कोई जवाब नहीं मिला. कई बार की कोशिशों के बाद भी जब रूपा ने कमरा नहीं खोला तो मनीषा सोच में पड़ गई. वैसे भी शाम के करीब 7 ही बजे थे. इसलिए सोने का समय भी नहीं हुआ था.

मनीषा ने आसपास के लोगों को बुला कर एक बार फिर रूपा को आवाज देते हुए जोर से दरवाजा खटखटाया, लेकिन इस बार भी कमरे के अंदर से कोई हलचल नहीं  हुई. आखिर मनीषा ने दरवाजा तोड़ने का फैसला किया.

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लोगों की मदद से दरवाजा तोड़ कर मनीषा जब कमरे के अंदर घुसी तो रूपा पंखे के एंगल से एक रस्सी के सहारे लटकी हुई थी. यह देख कर मनीषा हैरान रह गई. उस ने एक पुलिस अफसर के तौर पर रूपा की नब्ज टटोल कर देखी, लेकिन उस में जीवन के कोई लक्षण नजर नहीं आए.

एकबारगी तो वह सोच में पड़ गई कि क्या करे और क्या नहीं करे? फिर उस ने सब से पहले एसपी साहब को सूचना देना उचित समझा. सूचना मिलने पर साहिबगंज एसपी अनुरंजन किस्पोट्टा, एसडीपीओ राजेंद्र दुबे और दूसरे पुलिस अफसर मौके पर पहुंच गए.

अगले भाग में पढ़ेंएसआईटी को सौंपी गई जांच

एक अदद “वधू चाहिए”, जरा ठहरिए !

आप की उम्र चाहे जितनी हो, मगर आप इस दुनिया में कब और कहां ठगी के शिकार हो जाते हैं,  कौन जानता है? प्रश्न है सजग रहने का जागृत रहने का और अपनी आंखें खुले रखने का.

इस आलेख में हम आपको एक ऐसे विधुर की कहानी बताने जा रहे हैं जो रिटायरमेंट के बाद जब दूसरी शादी की सोचने लगा. आगे बढ़ा तो किस तरह ठगों ने उसे लाखों रुपए का चूना लगा दिया.यह सच्ची कहानी है छत्तीसगढ़ के बिलासपुर शहर की. जहां शादी का विज्ञापन देखकर एक महिला व उसके कथित फर्जी रिश्तेदारों ने मिलकर देश की नवरत्न कंपनी कहे जाने वाले सार्वजनिक संस्थान एनटीपीसी के रिटायर डिप्टी मैनेजर से 8 लाख 86 हजार रुपए की ठगी कर ली.

जब दूसरे विवाह की बात चली तो वधू पक्ष ने अपनी आर्थिक स्थिति खराब बता मकान बेचने का झांसा दिया और अपने खाते में पैसे जमा करा लिए. मामला की सरकंडा थाने में प्राथमिक रिपोर्ट दर्ज कराई गई . ठगी गीतांजली सिटी फेस-2 निवासी नरेंद्र कुमार सूद पिता स्व.राजेंद्र कुमार 61 वर्ष के साथ हुई. आप एनपीसीसी में डिप्टी मैनेजर के पद से रिटायर हुए हैं.उनकी पत्नी का निधन हो गया है। उन्होंने दूसरी शादी करने की इच्छा से अखबार में वधु की आवश्यकता के लिए विज्ञापन प्रकाशित करवाया.

15 मार्च 2020 को यह प्रकाशित हुआ था और उसी रात 8 बजे श्रीमान सूद के मोबाइल पर एक नंबर से कॉल आया. जब उन्होंने कॉल रिसीव किया तो दूसरी तरफ से महिला ने अपना नाम अन्नू सिंह बताया और प्रकाशित विज्ञापन के संदर्भ देकर  शादी करने की इच्छा जताई और बताया घर में मुखिया और कर्ताधर्ता के रूप में आंटी हैं जिनका नाम एलिजाबेथ सिंह हैं. अन्नू सिंह ने कहा कि उसका एक बड़ा भाई आदित्य सिंह उर्फ आदि हैं. आदित्य सिंह ने  भी कहा कि उसे यह रिश्ता बहुत पसंद हैं.

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अन्नू सिंह ने 17 मार्च 2020 को अपना फोटो वाट्सअप से भेजा और बताया कि आंटी व भईया को रिश्ता पसंद है. कुछ दिनों के बाद जीत के बाद जब आत्मीयता बढ़ी तो अन्नू सिंह व आदित्य सिंह ने कॉल कर कहा कि उनकी आर्थिक स्थिति कमजोर है अगर उन्हें 50 लाख रुपए एकमुश्त दे देगें तो वे इसे किसी व्यापार में निवेश कर तीन माह के भीतर पूरा पैसा 15 प्रतिशत ब्याज के साथ लौटा देगें. बड़ी रकम होने की वजह से नरेंद्र कुमार सूद ने असमर्थता जताई और इनकार कर दिया.

इसके बाद ठगों ने दूसरा जाल फेंका, आदित्य सिंह ने कहा कि यदि पैसा उधारी में नहीं दे रहे हैं तो उनका पैतृक मकान खरीद लीजिए और कहा कि यदि वे उनका मकान खरीद लेते हैं तो उनके साथ रहने का मौका मिलेगा.  बिलासपुर में अकेले रहते हो इससे अच्छा होगा कि भोपाल में आकर रहो पैतृक मकान का पता अशोका गार्डन थाने के पीछे, मकान न0 556/234, गली नंबर दो, भोपाल बताया गया.

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सुखमय जीवन की चाहत

पत्नी के निधन के पश्चात अक्सर लोग दूसरा विवाह कर लेते हैं. इसमें कोई बुराई भी नहीं है. मगर सावधानी जरूर आवश्यक है. इस सच्चे अपराधिक घटनाक्रम में भी अगर नरेंद्र कुमार थोड़ी भी सजगता रखते तो लाखों रुपए का चूना नहीं लग पाता. आगे जब बातचीत हुई तो महिला ने खुद को तलाकशुदा और गरीब बताते हुए बताया कि दहेज के चलते उसकी दूसरी शादी नहीं हो पा रही है. अन्नू सिंह ने अपना फोटो वॉट्सएप किया. फिर आदित्य सिंह ने कॉल किया और कहा कि लॉकडाउन हटते ही शादी कराएंगे. कुछ दिन बाद फिर कॉल कर बिजनेस के लिए 50 लाख रुपए मांगे गए.

इतनी बड़ी रकम एकमुश्त देने से नरेंद्र सूद ने इनकार कर दिया. इस पर आरोपियों ने फिर कॉल कर कहा कि उधारी नहीं दे सकते तो हमारा भोपाल में अशोका गार्डन के पीछे स्थित पैतृक मकान खरीद लीजिए.

उसकी कीमत एक करोड़ रुपए है, पर 70 लाख रुपए में आपके नाम कर देंगे. इससे हम सबको भी साथ रहने का मौका मिल जाएगा. इस पर फिर नरेंद्र सूद ने एकमुश्त रकम देने से मना किया तो आरोपियों ने उनसे किस्त में रुपए देने की बात कही.

आरोपियों ने ठगी की शुरुआत बड़ी चालाकी से करते हुए वॉट्सएप के जरिए भेजे 50 रुपए के स्टांप पर मकान का सौदा तय किया. उनकी बातों में आकर नरेंद्र ने उनकी आंटी के बताए बैंक खाते में पहले 16 हजार, फिर 45 हजार, 50 हजार, 1.5 लाख, 3 लाख और फिर 3.25 लाख रुपए सहित कुल 8.86 लाख रुपए खाते में ट्रांसफर कर दिए.

इसके बाद एक दिन आदित्य ने फिर कॉल कर बताया कि अन्नू कोरोना संक्रमित हो गई है. इसलिए बातचीत संभव नहीं है.

आरोपियों में से एक महिला ने खुद को तलाकशुदा और गरीब बताते हुए शादी की इच्छा जाहिर की थी. शादी तय होने पर ठगों ने अपना मकान बेचने की बात कही और फिर किस्तों में रुपए खाते में ट्रांसफर करा लिए. और जब ठगे जाने का नरेंद्र कुमार को एहसास हुआ तो बहुत समय हो चुका था.

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Manohar Kahaniya: चित्रकूट जेल साजिश- भाग 3

सौजन्य- मनोहर कहानियां

सन 2014 में जेल से छूटने के बाद मुकीम काला ने अपने गैंग के साथ 15 फरवरी, 2015 को सहारनपुर के तनिष्क ज्वैलरी शोरूम में इंसपेक्टर की वरदी में 10 करोड़ की डकैती डाली थी. उसी दरमियान उस ने तीतरो में 2 सगे भाइयों की हत्या और सहारनपुर में सिपाही राहुल ढाका की हत्या कर दी थी.

इस वारदात के बाद यूपी एसटीएफ ने मुकीम काला और उस के शार्प शूटर साबिर जंधेड़ी को 20 अक्तूबर, 2015 को गिरफ्तार किया था. पुलिस ने उस से गिरफ्तारी के दौरान एके-47 भी बरामद की थी.

मुन्ना बजरंगी का करीबी था मेराज

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बदमाशों के खिलाफ सख्त काररवाई का संदेश दिया तो इस के बाद गैंग के कई बदमाश ढेर कर दिए गए. मुकीम काला को पिछले दिनों ही हरियाणा के कुरुक्षेत्र जिला कारागार से सहारनपुर जिला कारागार में निरुद्ध किया गया था. मुकीम काला 7 मई, 2021 को चित्रकूट जेल आया था.

मुकीम काला के साथ ही उत्तर प्रदेश का एक कुख्यात अपराधी मेराज भी चित्रकूट जेल में अंशुल द्वारा की गई गोलीबारी में मारा गया था.

मेराज अली बसपा के बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी की गैंग का सदस्य था. हालांकि उस की नजदीकी मुन्ना बजरंगी से ज्यादा थी. इसी साल 20 मार्च, 2021 को वाराणसी जेल से चित्रकूट जेल में उस का ट्रांसफर हुआ था.

मूलरूप से गाजीपुर निवासी मेराज बनारस के जैतपुर थाने का हिस्ट्रीशीटर था. मुख्तार अंसारी हो या मुन्ना बजरंगी, दोनों की गैंगों के लिए असलहों का इंतजाम मेराज ही करता था. वह फरजी दस्तावेजों पर असलहों का लाइसैंस बनवाने का भी मास्टरमाइंड था.

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मेराज मुन्ना बजरंगी के लिए अदालतों में पैरवी करने से ले कर गवाहों को तोड़ने का भी काम करता था. अक्तूबर 2020 में जैतपुरा पुलिस ने उसे गिरफ्तार किया था. तब फरजी तरीके से बनवाए गए 9 लाइसेंसी पिस्तौल और रायफल की जानकारी हुई थी.

इस वारदात के बाद जब पुलिस ने चित्रकूट जेल में मारे गए तीनों कैदियों के शवों का पोस्टमार्टम कराया तो पता चला कि मेराज के सिर में एक और सीने में 2 गोलियां लगी थीं. जबकि मुकीम के गोलियों से छलनी बदन में 13 गोलियों के निशान थे.

2 जेलर आए शक के दायरे में

उस के शरीर में करीब 5 गोलियां मिलीं. इधर अंशुल के शरीर में करीब 20 फायर आर्म इंजरी मिलीं, वह पुलिस की गोलियों से मारा गया था.

जेल गोलीकांड की जांच करने वाले दल ने जेल में उस दिन ड्यूटी पर तैनात जेल वार्डनों के साथ मौके पर मौजूद बंदियों, अंशुल द्वारा बंधक बनाए गए कैदियों से भी पूछताछ की. जेल के सभी सीसीटीवी फुटेज कब्जे में लिए. कैदियों की बातचीत के लिए जेल में लगे पीसीओ का पूरा रिकौर्ड कब्जे में लिया और पूरी जेल की तलाशी कराई.

पुलिस को शूटआउट के बाद आस्ट्रिया मेड ग्लोक पिस्तौल व एक खाली मैग्जीन जेल से बरामद हुई. ये वही पिस्तौल थी, जिस से अंशुल ने गोलियां चलाई थीं.

यह पिस्टल छोटे असलहों में सब से घातक हथियार माना जाता है. यही वजह है कि 9 एमएम के इस ग्लोक पिस्तौल की सिविल यानी पब्लिक को सप्लाई प्रतिबंधित है. यह सेना और पुलिस के जवानों को दी जाती है. सवाल उठता है कि सरकारी सप्लाई वाला यह हथियार गैंगस्टर अंशुल को कहां से मिला?

पुलिस जांच में एक और भी बात अभी तक सामने आई है. पता चला कि अंशुल को जिस हाई सिक्योरिटी बैरक में रखा गया था, वहां की सुरक्षा की जिम्मेदारी डिप्टी जेलर पीयूष और अरविंद की थी.

दोनों जेलर बिना किसी बड़े कारण के 10 मई को अचानक छुट्टी पर चले गए थे. ये 13 मई को लौट कर आए थे. माना जा रहा है कि दोनों जेलरों की छुट्टी के दौरान ही जेल में पिस्तौल पहुंचाई गई थी.

जांच में यह भी सामने आया है कि चित्रकूट के पहाड़ी थानाक्षेत्र के परसौजा गांव का निवासी मनोज इस जेल में आजीवन कारावास की सजा काट रहा है.

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मनोज जेल में मादक पदार्थों की सप्लाई से ले कर कैदियों से बैठकी के रुपए तक वसूलने का काम करता है. वह जेल अधिकारियों का खास है. मनोज अंशुल की खातिरदारी में लगा रहता था.

पुलिस जांच में सामने आया है कि अंशुल जेल में एंड्रायड फोन इस्तेमाल करता था. अंशुल के एनकाउंटर के बाद यह फोन भी पुलिस के हाथ लगा. लेकिन जांच अफसर और लोकल पुलिस इस की जानकारी छिपा रही हैं.

दरअसल, इस वारदात को अंजाम देने के लिए अंशुल ने किसकिस से संपर्क किया. इस की जानकारी फोन में इस्तेमाल हो रहे सिम की काल डिटेल्स से मिल सकती है.

जेल वार्डन जगमोहन पर प्रश्नचिह्न

काल डिटेल्स निकलने पर कई प्रभावशाली लोगों की संलिप्तता सामने आने के डर से फोन के बारे में अफसर कुछ भी बोलने से बच रहे हैं.

चित्रकूट जेल शूटआउट मामले में जुटी जांच समिति के हाथ और भी कई अहम जानकारियां लगी हैं.

खुलासा हुआ है कि चित्रकूट जेल में जब अंशुल दीक्षित ने मेराज और मुकीम की हत्या के बाद 5 बंदियों को बंधक बनाया था तो एक जेल वार्डन जगमोहन, अंशुल से बातचीत कर सरेंडर करने को कह रहा था. यह वही जेल वार्डन जगमोहन था, जो बागपत जेल में मुन्ना बजरंगी की हत्या के समय भी मौजूद था.

अब यह महज इत्तफाक है या कोई बड़ी साजिश, इस की जांच में पुलिस और एजेंसियां जुटी हुई हैं. 14 मई को शूटआउट के बाद जब अंशुल दीक्षित को घेरा जा रहा था तो उस वक्त भी जगमोहन की वहां मौजूदगी कई सवाल उठाती है.

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चित्रकूट जेल के घटनाक्रम को देख कर अंदाजा लगाया जा रहा है कि जेल में हुई वारदात मुन्ना बजरंगी की तरह कौन्ट्रैक्ट किलिंग का मामला है. अंशुल को पता था कि मुन्ना की हत्या के बाद सुनील राठी पर कोई आंच नहीं आई थी.

इसी तरह अंशुल को शायद यह भरोसा दिलाया गया होगा कि मेराज और मुकीम को मार कर वह भी सुरक्षित बच जाएगा.

कोरोना काल में जब एक साल से ज्यादा का समय बीत जाने पर भी कैदियों की उन के परिजनों से मिलाई तक नहीं हो रही थी. ऐसे में अंशुल के पास घातक हथियार का पहुंचना और कुछ दिन पहले ही एक के बाद एक मेराज व मुकीम काला का इस जेल में आना साबित करता है कि साजिश के तार बहुत गहरे हैं.

Manohar Kahaniya : पावर बैंक ऐप के जरिए धोखाधड़ी- भाग 3

सौजन्य- मनोहर कहानियां

चीनी नागरिक उन्हें बैंकों में खाते खुलवाने, भुगतान गेटवे तैयार कराने, अन्य डमी निदेशकों आदि की व्यवस्था करने के निर्देश देते थे. इस काम के लिए वे 3 लाख रुपए की मोटी रकम लेते थे. सीए अविक केडिया ने बताया कि चीनी धोखेबाजों के लिए उस ने 110 से अधिक शेल कंपनियां बनाई थीं.

चीनी धोखेबाजों और उन के ये सभी गुर्गे बड़े पैमाने पर धोखाधड़ी फंड ट्रांसफर के लिए उच्च गुणवत्ता  वाले सौफ्टवेयर और वित्तीय टूलों का इस्तेमाल करते थे.

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रोचक खुलासों से चौंकी पुलिस

पुलिस को अब तक की जांच में पता चला है कि पावर बैंक, ईजी मनी के जरिए अब तक पूरे भारत में करीब 5 लाख लोगों को ठगा जा चुका था और इन से करीब 2 महीनों में ही 150 करोड़ रुपए से अधिक की ठगी की गई. पुलिस ने सीए अविक केडिया के गुड़गांव स्थित घर से 97 लाख रुपए नकद भी बरामद किए.

पुलिस को जांच और पूछताछ में पता चला था कि पावर बैंक क्विक अर्निंग ऐप गूगल प्लेस्टोर पर था और इसे चीन के एक सर्वर से कमांड दी जाती थी.

जबकि पावर बैंक व ईजीमनी का ऐप 222.द्ग5श्चद्यड्डठ्ठ.द्बठ्ठ वेबसाइट पर उपलब्ध था. इस ऐप के संदेश लोगों को स्पैम के रूप में आते थे. प्राप्तकर्ता को एक संक्षिप्त (एनक्रिप्टेड) यूआरएल के माध्यम से ऐप डाउनलोड करने के लिए प्रेरित किया जाता था. इसलिए जब पुलिस ने इस की संदिग्ध गतिविधि को परखा तो एनसीएफएल की मैलवेयर फोरैंसिक लैब से इस ऐप की जांच करवाई. जांच में कुछ रोचक खुलासे से पुलिस चौंक गई.

पावर बैंक व ईजीमनी ऐप ने खुद को बेंगलुरु आधारित एक स्टार्टअप कंपनी का प्रोजैक्ट बताया था, जो क्विक चार्जिंग अर्न करने की चेन से जुडा था. लेकिन जिस सर्वर पर ऐप को होस्ट किया गया था, उस के  चीन में होने के कारण पुलिस को इस में छिपे ठगी के नेटवर्क का शक हो गया.

ऐप्स की जांच में यह बात भी साफ हुई कि ये ऐप्स कई खतरनाक अनुमतियों से जुड़े थे. जैसे कि इन की पहुंच उपयोगकर्ता के कैमरे, उस में संग्रहित फोटो, वीडियो और दस्तावेजों की सामग्री तथा उन के कौन्टैक्ट नंबर का डाटा हासिल करने तक थी.

शुरुआती जांच में ही पुलिस को शक हो गया था कि इन ऐप्स का इस्तेमाल लोगों से धोखाधड़ी करने के अलावा उन के डाटा को चोरी करने के लिए भी किया जा रहा था.

पुलिस ने अब तक इस सिंडीकेट से जुड़े जिन 11 लोगों को गिरफ्तार किया था. उन के अलावा भारत में ही इस नेटवर्क से जुड़े दूसरे भारतीय अपराधियों की भूमिका के नाम सामने आ चुके हैं. इन के अलावा कई चीनी नागरिकों के नामों का भी खुलासा हुआ है, जो चीन की सीमा में हैं. इन जालसाजों को कैसे कानून की पकड़ में लाना है, इस के लिए पुलिस बड़ी रणनीति पर काम कर रही है.

दरअसल, इन ऐप्स के जरिए लोग जिस रकम को इनवैस्ट करते थे, उस का करीब 80 फीसदी हिस्सा विभिन्न खातों से होते हुए इसी चाइनीज नेटवर्क के पास आता था.

जांच में पता चला है कि चीनी धोखेबाजों ने इस धोखाधड़ी के जरिए भोलेभाले और शौर्टकट से पैसा कमाने वाले लोगों को लूटने के लिए देश भर में अपने गुर्गों का एक बड़ा नेटवर्क बनाया था.

उन्होंने इस मेगा धोखाधड़ी के संचालन के लिए देश भर के विभिन्न शहरों में चार्टर्ड एकाउंटेंट्स, बैंक अकाउंट कस्टोडियन, डमी डायरेक्टर्स, मनी म्यूल्स आदि नियुक्त किए हुए हैं.

अभी तक पश्चिम बंगाल, दिल्ली व एनसीआर क्षेत्र, बेंगलुरु, ओडिशा, असम और सूरत में इस तरह की जालसाजी के सबूत पुलिस के सामने आ चुके हैं.

चीनी नागरिकों ने टोनी व फियोना जैसे अंगरेजी नाम रखे थे. इन चीनी नागरिकों ने ठगी के लिए कई ऐप्स को अप्रैल महीने की शुरुआत में भारतीय बाजार में सर्कुलेट करना शुरू किया था. इस के बाद 12 मई को ये ऐप बंद हो गए.

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चीनी नागरिकों के इस गिरोह में कई ऐसे भारतीय काम कर रहे थे, जो कभी चीनी आकाओं से मिले ही नहीं और न ही उन्हें जानते हैं. बस उन के लिए काम कर रहे थे. इन लोगों ने ही ठगी के लिए भारतीयों को गिरोह में भरती किया था.

फिलहाल दिल्ली पुलिस इस मामले की जांच में महत्त्वपूर्ण डिजिटल साक्ष्य हासिल करने के लिए विभिन्न प्रयोगशालाओं की मदद ले रही है और इस अपराध में शामिल अन्य अपराधियों को पकड़ने के लिए लगातार छापेमारी कर रही है.

—कथा पुलिस की जांच व आरोपियों से पूछताछ पर आधारित

MK- पूर्व सांसद पप्पू यादव: मददगार को गुनहगार बनाने पर तुली सरकार- भाग 2

सौजन्य- मनोहर कहानियां

इस बारे में मधेपुरा पुलिस ने कहा कि मुरलीगंज थाने में दर्ज केस संख्या 9/89 में इसी साल 22 मार्च को मधेपुरा कोर्ट ने पप्पू यादव के खिलाफ गिरफ्तारी का वारंट जारी किया था. उन के खिलाफ इश्तहार और कुर्की का वारंट भी निकला था.

वहां पप्पू यादव को गिरफ्तार करने के बाद उन्हें स्थानीय अदालत में 12 मई की शाम को पेश किया गया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया.

दरअसल, पूर्व सांसद पप्पू यादव बिहार की जन अधिकार पार्टी के संरक्षक हैं. बिहार में उन की छवि एक दबंग बाहुबली के तौर पर रही है. लेकिन बिहार से ले कर दिल्ली की तिहाड़ में काटी गई सजा के 17 सालों ने उन्हें बाहुबली से एक रौबिनहुड के रूप में बदल दिया है. पप्पू यादव की जिंदगी का सफरनामा किसी रोमांचक फिल्मी पटकथा से कम नहीं है. इस के लिए हमें उन के अतीत में जाना होगा.

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लालू यादव ने दी शह

नब्बे के दशक में जिन दिनों लालू यादव राजनीति की दुनिया में अपना पैर जमा रहे थे और बिहार विधानसभा में विरोधी दल का नेता बनना चाहते थे. उसी समय उत्तर बिहार में अपराध की दुनिया में राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव का बोलबाला था. उस दौरान लालू यादव की पप्पू यादव ने काफी मदद की थी.

लालू यादव से अपनी बढ़ती नजदीकी के कारण पप्पू खुद को उन का उत्तराधिकारी तक मानने लगे थे. उन का ऐसा सोचना भी गलत नहीं था, क्योंकि वह लालू यादव के हर काम को सफल बनाने के लिए बढ़चढ़ कर हिस्सा लेते थे.

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लेकिन जब लालू यादव की तरफ से पप्पू यादव को मनमाफिक फायदा नहीं मिला तो उन्होंने लालू पर खुले मंच से यह आरोप लगाते हुए अपना रास्ता अलग कर लिया कि लालू यादव ने सिर्फ अपने फायदे के लिए उन का इस्तेमाल किया.

जून, 1991 में बाहुबली पप्पू की दबंगई परवान पर थी. उन के ऊपर हत्या के 3 मामले दर्ज हो चुके थे. कोसी इलाके में उन का आतंक फैला था. उन पर अपहरण और हत्या के आरोप लगे. कोसी इलाके में आतंक फैलाने को ले कर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून दर्ज हो गया और उन्हें जेल की सींखचों के पीछे भेज दिया गया.

जेल से बाहर आने के बाद वह पूर्णिया की सड़कों पर खुलेआम घूमते थे. लेकिन पुलिस वाले उन्हें हाथ लगाने से डरते थे. एक बार उन्होंने एक डीएसपी को चलती गाड़ी के आगे धकेल दिया था. इतना ही नहीं, उन्होंने बिहार पुलिस के चालक रामप्रवेश पासवान को जीप से नीचे उतार कर उसे बुरी तरह पीटा और उस की मूंछें तक उखाड़ लीं.

जेल में ही हो गया था इश्क

राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत जब पप्पू यादव बांकीपुर जेल में सजा काट रहे थे. तब जेल अधीक्षक के लौन में कुछ बच्चे टेनिस खेलते थे. उन में से विक्की नाम के एक बच्चे से पप्पू यादव की दोस्ती हो गई. जब पप्पू यादव की विक्की से नजदीकी ज्यादा बढ़ गई तो एक दिन विक्की ने उन्हें अपने घर का एलबम दिखाया, जिस में उस की बहन रंजीत की फोटो थी.

रंजीत को देखते ही पप्पू यादव के दिल में हलचल मच गई. उसी समय उन्होंने उसे अपने दिल में बसा लिया. इतना ही नहीं, वह उस पर मर मिटे और मन में रंजीत से शादी के मंसूबे पालने लगे. बांकीपुर जेल से रिहा होने के बाद भी पप्पू यादव ने वहां जाना नहीं छोड़ा. शुरुआत में रंजीत पप्पू यादव को जरा भी पसंद नहीं करती थी. लेकिन बाद में पप्पू रंजीत के दिल में जगह बनाने में कामयाब हो गए.

लेकिन दोनों की शादी आसान नहीं थी. रंजीत सिख धर्म से थी और पप्पू यादव परिवार से थे. काफी प्रयासों के बाद आखिर फरवरी, 1994 में पप्पू यादव की शादी रंजीत से हो गई.

लालू यादव की तरफ से मोह भंग होने के बाद पप्पू यादव ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत विधायक बनने से की. सन 1990 में उन्होंने स्वतंत्र तौर पर चुनाव लड़ा और पहली बार में ही चुन लिए गए. इस के अगले ही साल वह दसवीं लोकसभा चुनाव में पूर्णिया से खड़े हुए और सांसद बन गए. इस के बाद उन्होंने 1996 में लोकसभा का चुनाव जीता.

100 से ज्यादा गोलियां मारी थीं सीपीआई नेता अजीत सरकार को 14 जून, 1998 को सीपीआई नेता अजीत सरकार की दिनदहाड़े उस समय हत्या कर दी गई, जब वह एक पंचायत कर के वापस पूर्णिया लौट रहे थे. एके 47 से कुछ शातिर अपराधियों ने कम्युनिस्ट पार्टी के नेता अजीत सरकार, उन के कार चालक तथा कुछ लोगों को गोलियों से छलनी कर दिया था.

पोस्टमार्टम में अजीत सरकार के शरीर से 107 गोलियां निकली थीं. इस हत्याकांड का आरोप बाहुबली नेता राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव पर लगा था.

इस सनसनीखेज हत्याकांड में पप्पू यादव के साथ गोरखपुर के बदमाश राजन तिवारी और अनिल यादव भी शामिल थे. इस के बाद भी पप्पू यादव पर हत्या के कई अन्य आरोप लगे थे.

मई, 1999 में पप्पू यादव को अजीत सरकार की हत्या के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया. इस से पहले भी पप्पू यादव के ऊपर हत्या के 3 मामलों में वारंट जारी हो चुके थे, मगर वह अग्रिम जमानत ले कर कानून की जद में आने से बचते रहे.

अगले भाग में पढ़ें- पप्पू यादव को बेउर जेल से भेजा तिहाड़

Manohar Kahaniya: पूर्व उपमुख्यमंत्री के घर हुआ खूनी तांडव, रास न आई दौलत- भाग 1

सौजन्य- मनोहर कहानियां

छत्तीसगढ़ के औद्योगिक कोरबा जिला मुख्यालय से 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है गांव भैंसमा. यह गांव छत्तीसगढ़ के पूर्व उपमुख्यमंत्री स्वर्गीय प्यारेलाल कंवर के गृहग्राम के रूप में जाना जाता है. कांग्रेस के महत्त्वपूर्ण आदिवासी क्षत्रप होने के कारण प्यारेलाल कंवर अविभाजित मध्य प्रदेश के दौरान सत्तर के दशक में पहली बार कांग्रेस सरकार में आदिम जाति कल्याण विभाग मंत्री बने. आगे राजस्व मंत्री के अलावा अस्सी के दशक में मध्य प्रदेश विधानसभा के उपाध्यक्ष और 90 के दशक में वह दिग्विजय सिंह मंत्रिमंडल में उपमुख्यमंत्री भी रहे.

21 अप्रैल, 2021 की सुबह की बात है. कोरबा के एसपी अभिषेक सिंह मीणा अभी सोए हुए ही थे कि उन का मोबाइल फोन बारबार बजने लगा. उन्होंने फोन रिसीव किया तो देखा कोई अज्ञात नंबर था. उधर से आवाज आई, ‘‘सर, मैं गांव भैंसमा से बोल रहा हूं. यहां प्यारेलाल कंवर जी के बेटे और उन के परिवार के सदस्यों का मर्डर कर दिया गया है.’’ और फोन कट गया.

एसपी अभिषेक सिंह मीणा को कोरबा जिले में पदस्थ हुए लगभग 2 साल हो चुके थे, इसलिए वह कोरबा के राजनीतिक और सामाजिक वातावरण को भलीभांति जानतेसमझते थे.

वह जानते थे कि स्वर्गीय प्यारेलाल कंवर अविभाजित मध्य प्रदेश की राजनीति में एक बड़ा नाम हुआ करते थे. उन के परिवार में हत्या की बात सुन उन्होंने मामले की गंभीरता को समझ कर अधीनस्थ पुलिस अधिकारियों को फोन किया. सारी जानकारी ले कर तत्काल घटनास्थल पर पहुंचने की हिदायत देते हुए कहा कि वह स्वयं भी 15 मिनट में घटनास्थल पर पहुंच रहे हैं.

देखते ही देखते कोरबा जिले से निकल कर संपूर्ण छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश  में यह खबर आग की तरह फैल गई कि प्रदेश में कांग्रेस के बड़े नेता प्यारेलाल कंवर के बेटे हरीश कंवर (36), उन की पत्नी सुमित्रा कंवर (32) और बेटी आशी (4 वर्ष) की अज्ञात लोगों ने नृशंस हत्या कर दी है.

पुलिस विभाग के अधिकारी घटनास्थल पर पहुंचे. इसी समय लोगों का हुजूम घटनास्थल के मकान के बाहर लगा हुआ था और लोग बड़े ही चिंतित घटना के संदर्भ में कयास लगा रहे थे.

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सूचना मिलते ही सुबह करीब 6 बजे राजनीति में प्यारेलाल कंवर के शिष्य रहे जय सिंह अग्रवाल,जो वर्तमान में कांग्रेस की भूपेश बघेल सरकार में राजस्व एवं आपदा कैबिनेट मंत्री हैं, घटनास्थल पर पहुंच गए. उन्होंने परिजनों से बातचीत कर के मामले की गंभीरता को समझने के बाद पुलिस अधिकारियों से बातचीत की.

एसपी अभिषेक सिंह मीणा घटनास्थल पर आ चुके थे. उन्होंने तत्काल डौग स्क्वायड टीम बुलवाई और पुलिस टीम को निर्देश दिया  कि जितनी जल्दी हो सके इस संवेदनशील हत्याकांड के दोषियों को पकड़ कर कानून के हवाले करना होगा. एडिशनल एसपी कीर्तन राठौड़ की अगुवाई में एक पुलिस टीम बनाई  गई, जो मामले की जांच में जुट गई.

मौके पर फोरैंसिक टीम को भी बुला लिया गया. पुलिस ने घटनास्थल का बारीकी से निरीक्षण किया. हत्यारों ने हरीश कंवर, उन की पत्नी सुमित्रा और बेटी आशी की हत्या किसी धारदार हथियार से की थी, इसलिए घर में खून ही खून बिखरा था.

पुलिस अधिकारियों ने हरीश कंवर के भाइयों व परिवार के अन्य सदस्यों से बात की. परिवार के सभी लोग राजनीति में ऊंची पहुंच रखते थे और समाज में उन की प्रतिष्ठा थी, इसलिए पुलिस अधिकारियों को इस बात का भी अंदेशा था कि कहीं इस घटना को ले कर लोगों का आक्रोश न फूट जाए. इसलिए पुलिस अधिकारी बड़ी ही तत्परता से इस तिहरे हत्याकांड की जांच में जुट गए.

पुलिस ने मौके की काररवाई करनी शुरू की. एसपी अभिषेक सिंह मीणा के निर्देश पर कई पुलिस टीमें अलगअलग ऐंगल से इस मामले की जांच में जुट गईं. जांच के दौरान खोजी कुत्ता घटनास्थल से करीब 100 मीटर दूर भैंसमा बाजार स्थल पर मौजूद एक पेड़ के पास जा कर ठहरा और वहां से चीतापाली की ओर जाने वाले मार्ग की ओर आगे बढ़ा.

सीसीटीवी से मिला सुराग

इस संकेत का पुलिस ने पीछा किया और कुत्ते का पीछा करते हुए पुलिस गांव ढोंगदरहा होते हुए सलिहाभाठा-नोनबिर्रा मार्ग तक पहुंची. आगे सलिहाभाठा डैम के पास जले हुए कपड़ों के अवशेष के पास जा कर कुत्ता रुक गया. पुलिस ने वह अवशेष जब्त कर लिए.

पुलिस की एक टीम घटनास्थल के बाहर लगे सीसीटीवी कैमरों को तलाशने लगी. पड़ोसी के घर के बाहर लगे सीसीटीवी की फुटेज देखी तो उस में 2 संदिग्ध लोग हरीश कंवर के घर में घुसते दिखाई दिए.

पुलिस की दूसरी टीम को जांच में यह भी पता चला कि आज ही किसी ने डायल 112 नंबर पर फोन कर के इस मार्ग पर सड़क दुर्घटना की सूचना दी थी. मौके पर पहुंची एंबुलेंस ने परमेश्वर कंवर नामक युवक को करतला अस्पताल में भरती कराया है.

यह जानकारी मिलने पर पुलिस ने आसपास के लोगों से पूछताछ की तो पुलिस को वहां कोई सड़क हादसा न होने की जानकारी मिली.

इस के बाद पुलिस अस्पताल में भरती परमेश्वर कंवर के पास पहुंची. पमेश्वर कंवर मृतक हरीश कंवर के बड़े भाई हरभजन कंवर का साला था, जो ग्रैजुएशन की पढ़ाई कर रहा था. जांच में पुलिस को उस की आंख और चेहरे के आसपास जख्म दिखे, जो दुर्घटना के नहीं लग रहे थे. लग रहा था जैसे वह किसी धारदार हथियार के हों.

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पुलिस ने उस से पूछताछ की तो वह कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे सका. इस से पुलिस को उस पर शक हो गया. उस से तिहरे हत्याकांड के बारे में पूछताछ की तो वह पुलिस को इधरउधर की बातें कर के खुद को बचाने की कोशिश करता रहा, मगर जब कड़ी पूछताछ हुई तो उस ने सच स्वीकार कर लिया. उस ने बताया कि अपने दोस्त सुरेंद्र कंवर की सलाह पर रामप्रसाद के साथ मिल कर उस ने यह वारदात की. उस से पूछताछ में पता चला कि यह कांड किसी और ने नहीं बल्कि हरीश कंवर के बड़े भाई हरभजन कंवर और उस की पत्नी धनकंवर ने कराया है.

पुलिस जांच में यह स्पष्ट हो गया कि हत्या हरीश के बड़े भाई हरभजन के सहयोग से  उस के साले मुख्य अभियुक्त परमेश्वर कंवर द्वारा अंजाम दी गई है. धीरेधीरे सारे तथ्य एकदूसरे से मिलते चले गए और उसी रोज शाम होतेहोते हरीश कंवर परिवार हत्याकांड से परदा उठ गया.

परमेश्वर कंवर से पूछताछ करने के बाद पुलिस टीम ने उसी समय मृतक के भाई हरभजन कंवर, उस की पत्नी धनकंवर व नाबालिग बेटी रंजना को भी हिरासत में ले लिया. इन सभी से पूछताछ के बाद इस तिहरे हत्याकांड की जो कहानी सामने आई, इस प्रकार निकली—

स्वर्गीय प्यारेलाल कंवर के 4 बेटे और 3 बेटियां थीं. सब से बड़े बेटे हरबंश कंवर, दूसरे हरदयाल कंवर, तीसरे हरभजन कंवर और चौथे सब से छोटे थे हरीश कंवर. एक बेटी हरेश कंवर वर्तमान में जिला पंचायत, कोरबा की अध्यक्ष हैं. बाकी 2 बड़ी बेटियां शासकीय नौकरी में हैं.

प्यारेलाल कंवर के दूसरे नंबर के पुत्र हरदयाल कंवर जो अधिवक्ता थे, का लगभग 5 साल पहले निधन हो चुका है. वर्तमान में हरवंश, हरभजन और हरीश कंवर प्यारेलाल के 3 बेटे जीवित थे. हरीश कंवर प्यारेलाल कंवर के रहते उन की विरासत को संभालते हुए कांग्रेस की राजनीति में सक्रिय हुए और सन 2010 में जिला पंचायत का चुनाव लड़ा मगर पराजित हो गए.

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उन्होंने प्यारेलाल कंवर के संरक्षण में राजनीति की शुरुआत की. आगे पूर्व मुख्यमंत्री अजीत कुमार जोगी के साथ अपनी तालमेल बिठा ली. अजीत जोगी का हरीश को पुत्रवत स्नेह मिलता था और हरीश ने अपने रामपुर विधानसभा क्षेत्र में अजीत जोगी और उन के बेटे अमित जोगी को बुला कर कुछ राजनीतिक कार्यक्रम किए थे. उन्होंने एक बहुचर्चित लैंको पावर प्लांट के खिलाफ आंदोलन कर स्थानीय भूविस्थापितों के लिए बिगुल फूंका था.

आगे स्थितियां ऐसी बनती चली गईं कि कांग्रेस में गुटबाजी चरम पर पहुंच गई थी. ऐसे में जहां अजीत जोगी ने अपना एक अलग खेमा पूरे प्रदेश में तैयार कर लिया था, वहीं उन के 36 के संबंध स्थानीय बड़े नेताओं के साथ बने हुए थे. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता डा. चरणदास महंत, भूपेश बघेल, जयसिंह अग्रवाल वगैरह अपने एक अलग खेमे में थे.

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Manohar Kahaniya: जब थाना प्रभारी को मिला प्यार में धोखा- भाग 3

सौजन्य- मनोहर कहानियां

घटना से एकदो दिन पहले ही अस्पताल से डिस्चार्ज हुए थे. रूपा तिर्की से मुलाकात की बातें सरासर गलत हैं. पुलिस चाहे तो काल डिटेल निकलवा कर जांच करा सकती है.

भारी राजनैतिक दबाव पड़ने पर पुलिस ने मामले की तेज गति से जांच शुरू कर दी. एसपी ने इस के लिए डीएसपी (मुख्यालय) संजय कुमार के नेतृत्व में एसआईटी का गठन किया. एसआईटी में बरहड़वा एसडीपीओ पी.के. मिश्रा, इंसपेक्टर (राजमहल ) राजेश कुमार और 2 महिला पुलिस अधिकारियों को शामिल किया गया. जांच अधिकारी जिरवाबाड़ी थाने की एसआई स्नेहलता सुरीन को बनाया गया.

मौके के हालात देख कर पुलिस इसे आत्महत्या मान रही थी, लेकिन रूपा के परिवार वाले इसे हत्या बता रहे थे. सोशल मीडिया पर भी मामला बढ़ रहा था. 2 महिला सबइंसपेक्टरों और एक नेता पर लगे आरोपों को देखते हुए सभी बिंदुओं पर जांच करना जरूरी थी.

फोरैंसिक टीम ने 5 मई, 2021 को साहिबगंज पहुंच कर रूपा के क्वार्टर की जांचपड़ताल की और साक्ष्य जुटाए. मौके पर मिली पानी से भरी बोतल व गिलास से अंगुलियों के निशान लिए. कई दूसरी जगहों से भी फिंगरप्रिंट लिए.

पुलिस जांचपड़ताल में जुटी थी, इसी बीच एक औडियो वायरल हो गया. चर्चा रही कि इस औडियो में रूपा तिर्की के पिता और एक युवक की बातचीत थी. यह कोई और नहीं रूपा का बैचमेट एसआई शिवकुमार कनौजिया बताया गया.

यह औडियो सामने आने से पता चला कि रूपा का शिवकुमार से अफेयर चल रहा था. औडियो में रूपा के पिता उस युवक से रूपा की शादी के संबंध में बात कर रहे थे. युवक बाचतीत में रूपा को समझाने की बात कह रहा था ताकि वह कोई गलत कदम न उठा ले. औडियो सामने आने के बाद यह मामला ज्यादा उलझ गया.

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एक पुलिस एसआई की संदिग्ध मौत का मामला होने के कारण झारखंड पुलिस एसोसिएशन ने भी इस की जांच शुरू कर दी. रांची से एसोसिएशन के प्रांतीय उपाध्यक्ष अरविंद्र प्रसाद यादव, संताल परगना प्रक्षेत्र मंत्री हरेंद्र कुमार, रविंद्र कुमार, पप्पू सिंह, जिला उपाध्यक्ष सुखदेव महतो, सचिव सहमंत्री शमशाद अहमद आदि ने साहिबगंज पहुंच कर मामले की जांच की. इन पदाधिकारियों ने प्रताड़ना के आरोपों से घिरी रूपा की बैचमेट एसआई मनीषा कुमारी और ज्योत्सना से भी कई घंटे तक पूछताछ की.

सामने आया बौयफ्रैंड का नाम

पुलिस ने मामले की तह में जाने के लिए रूपा के मोबाइल फोन की जांच कर काल डिटेल्स निकलवाई और उस के वाट्सऐप मैसेज, चैटिंग, एसएमएस और वीडियो वगैरह देखे. इस में पता चला कि उस ने आखिरी बातचीत अपने बौयफ्रैंड शिवकुमार कनौजिया से की थी. रूपा ने शिवकुमार को कई मैसेज भी भेजे थे. शिवकुमार झारखंड के चाइबासा जिले में टोकलो पुलिस थाने में तैनात था.

शिवकुमार से पूछताछ करनी जरूरी थी. इसलिए एसआईटी ने उसे साहिबगंज बुलाया. इस बीच, रूपा के परिवार वालों की मांग पर जांच अधिकारी स्नेहलता सुरीन को बदल कर राजमहल इंसपेक्टर राजेश कुमार को इस मामले की जांच सौंप दी गई.

आदिवासी समाज की प्रतिभाशाली महिला पुलिस एसआई रूपा तिर्की की संदिग्ध मौत की उच्चस्तरीय जांच की मांग को ले कर पूरे झारखंड में लोग आंदोलन करने लगे. छात्र संगठन, महिला संगठन और आदिवासी संगठनों के अलावा सत्ताधारी दल कांग्रेस सहित विपक्षी दल भाजपा, जनता दल (यू) आजसू आदि ने इस मामले की सीबीआई जांच कराने की मांग सरकार से की.

सत्ताधारी विधायकों ने कहा कि इस घटना से आदिवासी समुदाय में आक्रोश है. सोशल मीडिया पर रूपा को इंसाफ दिलाने के लिए अभियान चल रहे हैं. इस से सरकार की छवि धूमिल हो रही है. लोग हम से सवाल पूछ रहे हैं कि इस की जांच होगी या नहीं. ऐसी हालत में सरकार को सीबीआई जांच से पीछे नहीं हटना चाहिए.

झारखंड प्रदेश भाजपा अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद दीपक प्रकाश ने रांची के पास रातू गांव में रूपा के घर पहुंच कर पूरे मामले की जानकारी ली. बाद में उन्होंने कहा कि यह हाईप्रोफाइल मामला है. इस में मुख्यमंत्री के संरक्षण प्राप्त लोगों का हाथ है. इसलिए झारखंड पुलिस से न्याय की उम्मीद नहीं है.

रूपा होनहार लड़की थी, उसे धोखे में रख कर मार डाला गया. झारखंड में आगे किसी आदिवासी बेटी के साथ ऐसी घटना नहीं हो, इसलिए इस घटना से परदा उठना जरूरी है.

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आंदोलन बढ़ते जा रहे थे. रूपा को न्याय दिलाने के लिए महिलाएं प्रदर्शन कर रही थीं. कैंडल मार्च निकाल रही थीं. वहीं, पुलिस की जांच में नईनई बातें सामने आने से मामला उलझता जा रहा था. साहिबगंज पुलिस और झारखंड सरकार की बदनामी हो रही थी.

रूपा के बौयफ्रैंड शिवकुमार कनौजिया को 8 मई को साहिबगंज थाने बुला कर एसआईटी में शामिल अफसरों ने पूछताछ की. उस से रूपा से मुलाकात होने से ले कर अफेयर और शादी की बातों के बारे में सवाल पूछे. उस से रूपा से मुलाकातों और मोबाइल पर चैटिंग वगैरह के संबंध में भी पूछताछ की गई. करीब 8 घंटे तक पुलिस अधिकारी उस से लगातार पूछताछ करते रहे.

बौयफ्रैंड एसआई को भेजा जेल

शिवकुमार से पूछताछ के बाद एसआईटी ने अपनी जांच रिपोर्ट एसपी को सौंप दी. इस रिपोर्ट के आधार पर साहिबगंज पुलिस ने 9 मई को एसआई शिवकुमार कनौजिया को रूपा की खुदकुशी का जिम्मेदार मानते हुए गिरफ्तार कर लिया.

जांच में सामने आए तथ्यों के आधार पर पुलिस ने पहले दर्ज किए केस को आत्महत्या के लिए उकसाने में परिवर्तित कर शिवकुमार कनौजिया के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया. बाद में शिवकुमार को पुलिस ने उसी दिन अदालत के समक्ष पेश कर जेल भेज दिया.

एसपी अनुरंजन किस्पोट्टा का कहना था कि एसआईटी ने जो जांच रिपोर्ट सौंपी, उस में कहा गया कि शिवकुमार ने रूपा की भावनाओं को आहत किया. इस कारण रूपा ने खुदकुशी की. जांच में पुलिस को एक औडियो भी मिला था. इस औडियो में रूपा तिर्की और उस के प्रेमी एसआई शिवकुमार कनौजिया के बीच बातचीत थी.

Manohar Kahaniya: चाची का आशिक- भाग 1

सौजन्य- मनोहर कहानियां

राजस्थान के अलवर जिले के भिवाड़ी शहर के थाना यूआईटी के थानाप्रभारी सुरेंद्र कुमार को 15 फरवरी, 2021 की सुबह फोन पर सूचना मिली कि सेक्टर  4 व 5 के बीच सड़क पर एक व्यक्ति का शव पड़ा है. सूचना पा कर थानाप्रभारी सुरेंद्र कुमार पुलिस टीम के साथ घटनास्थल पर जा पहुंचे.

मौके पर उन्हें वास्तव में एक युवक का शव पड़ा मिला. उन्होंने जब शव की जांच की तो उस के दोनों पैरों के अंगूठों से चमड़ी उधड़ी हुई दिखी. प्रथमदृष्टया ऐसा लग रहा था मानो मृतक की हत्या कहीं और कर के शव यहां ला कर डाला गया हो.

पुलिस ने इस नजर से भी जांच की कि मृतक कहीं दुर्घटना का शिकार तो नहीं हो गया. मगर मौकाएवारदात और शव को देखने से ऐसा नहीं लग रहा था. शव पर और किसी जगह चोट या रगड़ के निशान या खून निकला हुआ नहीं था. मामला सीधे हत्या का लग रहा था. मामला संदिग्ध लगा तो थानाप्रभारी सुरेंद्र कुमार ने मामले की जानकारी अपने उच्चाधिकारियों को दे दी.

भिवाड़ी एसपी राममूर्ति जोशी के संज्ञान में मामला आया तो उन्होंने एएसपी अरुण मच्या को घटनास्थल पर जा कर मामला देखने के निर्देश दिए. एएसपी अरुण मच्या और फूलबाग थानाप्रभारी जितेंद्र सिंह भी घटनास्थल पर आ गए.

पुलिस अधिकारियों ने एफएसएल टीम को भी वहां बुला कर साक्ष्य इकट्ठा करवाए. पुलिस अधिकारियों ने जांचपड़ताल के बाद शव को पोस्टमार्टम के लिए अस्पताल भिजवा दिया. शव की शिनाख्त नहीं हुई थी. लेकिन जब तक शिनाख्त नहीं हो जाती. तब तक पुलिस हाथ पर हाथ धर कर बैठने वाली नहीं थी. पुलिस ने अज्ञात शव मिलने का मामला दर्ज कर लिया.

इस केस को सुलझाने के लिए एएसपी अरुण मच्या के निर्देशन में एक पुलिस टीम गठित की गई. इस टीम में यूआईटी थानाप्रभारी सुरेंद्र कुमार के साथ फूलबाग थानाप्रभारी जितेंद्र सिंह सोलंकी, एसआई अखिलेश, हैडकांस्टेबल मुकेश कुमार, राकेश कुमार, मोहनलाल, कर्मवीर, रामप्रकाश, राजेंद्र, संतराम, सुरेश, ओमप्रकाश व ऊषा को शामिल किया गया.

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मृतक की हुई शिनाख्त

इस पुलिस टीम ने मृतक के फोटो एवं पैंफ्लेट बना कर भिवाड़ी में सार्वजनिक स्थानों पर लगवा कर लोगों से शव की शिनाख्त की अपील की. साथ ही पुलिस टीम ने 2 दिन में लगभग 800 घरों में संपर्क कर शव की शिनाख्त कराने की कोशिश की. वहीं पुलिस टीम ने सीसीटीवी फुटेज भी खंगाले.

सीसीटीवी फुटेज में एक बाइक पर एक युवक और महिला किसी व्यक्ति को बीच में बैठा कर ले जाते दिखे. पुलिस ने मृतक की शिनाख्त कर ली. मृतक का नाम कमल सिंह उर्फ कमल कुमार था. मृतक कमल निवासी उमराया, छाता, जिला मथुरा का रहने वाला था और इन दिनों भिवाड़ी की प्रधान कालोनी, सेक्टर-2 में रह रहा था.

पुलिस ने मृतक कमल के घर जा कर पूछताछ की तो मृतक की बीवी जमना देवी अपने पति की हत्या की बात सुन कर रोने लगी.

पुलिस ने उसे ढांढस बंधाया और पूछताछ की. जमना देवी ने बताया कि उस का पति कमल एटीएम से रुपए निकलवाने गया था. जबकि मृतक के बड़े भाई भीम सिंह ने पुलिस को बताया कि 14 फरवरी, 2021 की रात कमल सिंह की पत्नी जमना देवी उन के घर आई थी. वह उस से बाइक की चाबी यह कह कर मांग कर लाई थी कि कमल को बल्लभगढ़ जाना है.

भीम सिंह ने तब बाइक की चाबी जमना को दे दी थी. पुलिस को लगा कि मृतक की बीवी गुमराह कर रही है. तब पुलिस ने उस से सख्ती से पूछताछ करने के साथ ही सीसीटीवी फुटेज जमना देवी को दिखाई. सीसीटीवी फुटेज में बाइक पर बैठी महिला के कपड़े एवं जमना के पहने कपड़े एक ही थे.

पुलिस को पक्का यकीन हो गया कि कमल की हत्या में उस की पत्नी जमना का हाथ है. तब पुलिस ने जमना से कड़ी पूछताछ की. पूछताछ में जमना टूट गई. उस ने कबूल कर लिया कि अपने प्रेमी और भतीजे मदनमोहन के साथ मिल कर पति की हत्या की थी.

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तब पुलिस ने मृतक कमल सिंह की बुआ के पोते 19 वर्षीय मदनमोहन को फरीदाबाद, हरियाणा से गिरफ्तार कर लिया. पुलिस ने मदनमोहन को मोबाइल की लोकेशन के आधार पर साइबर सेल एक्सपर्ट की मदद से धर दबोचा था.

पुलिस गिरफ्त में आते ही मदनमोहन समझ गया कि उस का भांडा फूट गया है. इसलिए उस ने भी कमल सिंह की हत्या का जुर्म कबूल कर लिया. इस तरह 19 फरवरी, 2021 को पुलिस ने हत्या के इस मामले से परदा हटा दिया. मदनमोहन को यूआईटी थाना पुलिस थाने ले आई.

अगले भाग में पढ़ें-  मदन ने जमना से किया प्यार का इजहार

Satyakatha- डॉक्टर दंपति केस: भरतपुर बना बदलापुर- भाग 3

सौजन्य- सत्यकथा

राजीनामे में आ रही अड़चनों के बीच कुछ समय पहले अनुज ने डा. सुदीप को धमकी भी दी थी. इस पर डाक्टर ने अपने परिचित कुछ अधिकारियों और कानूनविदों से सलाहमशविरा भी किया था. इस में डाक्टर ने खुद पर और परिवार पर खतरे की आशंका जताई थी.

चूंकि यह कानूनी मामला था, इसलिए सभी ने उन्हें विवाद नहीं बढ़ाने और समझाइश से मामला शांत करने को कहा था. शायद इसीलिए डा. सुदीप ने अनुज के धमकी देने की लिखित शिकायत पुलिस में नहीं की थी. लगातार दबाव बनाने के बावजूद डाक्टर से पैसा नहीं मिलने के कारण वह अपनी बहन और भांजे के जलने के दृश्य याद कर बौखला जाता था. इसी बौखलाहट में उस ने बदला लेने के लिए डा. सुदीप और उस की पत्नी डा. सीमा की हत्या कर दी.

अब आप को डेढ़ साल पहले की उस खौफनाक मंजर की कहानी बताते हैं, जिस में दीपा और उस के 6 साल के बेटे शौर्य की मौत हो गई थी.

वह 7 नवंबर, 2019 का दिन था. भरतपुर शहर में जयपुर-आगरा हाईवे पर पौश कालोनी सूर्या सिटी में उस दिन शाम करीब 4 बजे डा. सीमा गुप्ता अपनी सास सुरेखा के साथ अपने पति डा. सुदीप की प्रेमिका दीपा के मकान पर पहुंची.

घर में दीपा और उस का बेटा शौर्य था. उन की दीपा से कहासुनी हुई. इस दौरान अचानक आवेश में आई डा. सीमा ने स्प्रिट की बोतल फरनीचर पर उड़ेल कर आग लगा दी. इस के बाद घर के बाहर की कुंडी लगा कर वह चली गई.

स्प्रिट ने तुरंत भयावह रूप दिखाया. पूरा मकान आग की लपटों से घिर गया. चारों तरफ आग से घिरी दीपा ने अपना और मासूम बेटे का जीवन बचाने के लिए पहले डा. सुदीप का फोन किया. सुदीप ने तुरंत पहुंचने की बात कही. इस बीच, दीपा ने अपने छोटे भाई अनुज से भी जान बचाने की गुहार की. अनुज भरतपुर शहर में ही नीम दा गेट इलाके में रहता था.

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दीपा की गुहार सुन कर अनुज बाइक ले कर तुरंत उस के मकान पर पहुंचा. वह बिना आवताव देखे मकान के बाहर लगी कुंडी खोल कर तेज लपटों के बीच अंदर घुस गया.

इतनी हिम्मत करने के बावजूद वह जान बचाने के लिए चीखतेचिल्लाते इधरउधर छिपते फिर रही बहन और भांजे को नहीं बचा सका. उस ने दोनों को जिंदा जलता देखा. चारों तरफ आग की लपटों से घिरने के कारण अनुज भी गंभीर रूप से झुलस गया था. बड़ी मुश्किल से वह बाहर निकल सका. बाद में उसे जयपुर ले जा कर अस्पताल में भरती कराया गया. कुछ दिनों बाद वह ठीक हो गया.

यह बताना भी जरूरी है कि डा. सीमा ने दीपा और उस के बेटे को क्यों जलाया?

यह कहानी सन 2017 में शुरू हुई थी. दीपा गुर्जर ने भरतपुर में श्रीराम गुप्ता मेमोरियल अस्पताल में बतौर रिसैप्शनिस्ट नौकरी शुरू की थी. यह अस्पताल प्रसूति रोग विशेषज्ञ डा. सीमा गुप्ता का था. डा. सीमा के पति डा. सुदीप भरतपुर के सरकारी अस्पताल आरबीएम में फिजिशियन थे. सरकारी ड्यूटी के बाद डा. सुदीप भी पत्नी के अस्पताल में कुछ समय बैठ जाते थे. वैसे भी उन्होंने अस्पताल के ऊपरी हिस्से में ही आवास बना रखा था.

दीपा का विवाह उत्तर प्रदेश के जगनेर गांव में हुआ था, लेकिन पारिवारिक विवाद के कारण उस का वैवाहिक जीवन सुखी नहीं रहा. उस के एक बेटा हुआ, जिस का नाम शौर्य रखा गया. बाद में वह ससुराल से अलग हो कर भरतपुर में अपने पीहर आ कर रहने लगी. बेटा शौर्य उसी के साथ रहता था. पति से उस का तलाक का केस चल रहा था.

अस्पताल में नौकरी करने के दौरान दीपा का डा. सीमा के पति डा. सुदीप से प्रेम प्रसंग शुरू हो गया. दीपा अकेली थी. डा. सुदीप का प्यार मिला, तो वह उन की बांहों में चली गई. पुरानी कहावत है कि इश्क और मुश्क छिपाए नहीं छिपते. डा. सुदीप और दीपा के मामले में भी यही हुआ.

अस्पताल में दोनों के प्यार के चर्चे होने लगे. डा. सीमा को भी पता चल गया. वह बहुत गुस्सा हुई. उस ने दीपा को नौकरी से निकाल दिया और हिदायत दी कि फिर कभी उन के पति डा. सुदीप से नहीं मिलना.

दीपा क्या करती, उसे नदी का किनारा मिल रहा था, वह भी छूट गया था. वह अपने पीहर में रह कर नए सिरे से जीवन शुरू करने की सोचने लगी.

उधर, दीपा को नौकरी से निकाले जाने से डा. सुदीप बेचैन हो गया. आग दोनों तरफ लगी हुई थी. आग के शोले भड़कने लगे, तो दोनों चोरीछिपे मिलने लगे. दोनों इस बात की सावधानी रखते थे कि डा. सीमा को इस बात का पता न चले. यह सिलसिला कई महीने तक चलता रहा.

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इस बीच, डा. सुदीप ने सूर्या सिटी का अपना मकान दीपा को रहने के लिए दे दिया. दीपा इस मकान में अपने बेटे शौर्य के साथ रहने लगी. यह मकान डा. सुदीप और उस की पत्नी ने कुछ साल पहले खरीदा था. मकान खाली पड़ा था. डा. सीमा को अपने कामकाज से इतनी फुरसत नहीं थी कि वह कभी जा कर अपने मकान को देखे.

इसी का फायदा उठा कर डा. सुदीप ने पत्नी डा. सीमा से कह दिया कि उस ने यह मकान किराए पर दे दिया है. इस मकान में दीपा और डा. सुदीप मिलनेजुलने लगे. डा. सुदीप ही उस का सारा खर्च उठाता था. दीपा के बेटे शौर्य की पढ़ाई का खर्च भी उठाता था. शौर्य भरतपुर के नामी और महंगे स्कूल में पढ़ता था.

दीपा और डा. सुदीप के फिर से पनपे प्रेम संबंधों की जानकारी डा. सीमा को उस समय हुई, जब शहर में आयशा सैलून एंड स्पा सेंटर खुलने के निमंत्रण पत्र बंटे. इस निमंत्रण पत्र में डा. सुदीप का नाम भी था. सूर्या सिटी में डा. सुदीप के मकान में दीपा ने पहली नवंबर 2019 को यह स्पा सेंटर खोला.

अगले भाग में पढ़ें- डा. सीमा ने गुस्से में लगाई आग

Satyakatha: मकान में दफन 3 लाशें- भाग 3

सौजन्य- सत्यकथा

अहसान पूरी तरह आश्वस्त हो गया कि वे गहरी नींद में गए हैं. फिर क्या था, यही सही मौका था उसे अपने मंसूबों को अंजाम देने का. उस ने पहले पत्नी नाजनीन, उस के बाद सोहेल और अंत में साजिद की गला घोंट कर हत्या कर दी और धारदार चाकू से तीनों का गला रेत दिया और एक कमरे में तीनों की लाशें रख कर दरवाजे पर बाहर से ताला जड़ दिया ताकि उस कमरे में कोई और न जा सके.

अगले दिन शहर से एक मजदूर बुला कर अहसान ने मकान के बाहरी दालान में सैफ्टी टैंक बनवाने के लिए एक बड़ा और गहरा गड्ढा खुदवाया. फिर रात में तीनों लाशें बारीबारी से उस में डाल दीं.

सबूत मिटाने के लिए उस ने हत्या में प्रयुक्त आलाकत्ल चाकू भी उसी गड्ढे में डाल दिया. उस के बाद ऊपर से मिट्टी डाल कर उन्हें दफना दिया. फिर मिट्टी के ऊपर सीमेंट का घोल फैला कर रातोंरात उस पर पक्का फर्श तैयार कर दिया और चैन की नींद सो गया.

पड़ोसी जब कभी अहसान से उस की पत्नी और बेटों के बारे में पूछते तो वह बहाना बना कर कर कह देता कि पत्नी बेटों के साथ जगदीश नगर में किराए के कमरे में रहती है. मैं भी कभीकभी रात में वहीं रुक जाया करता हूं.

नाजनीन और उस के दोनों बेटों सोहेल और साजिद की हत्या किए एक साल बीत गया था. साल 2017 में अहसान की पहली पत्नी नूरजहां छोटे बेटे शाकिर के साथ पानीपत एक रिश्तेदार के यहां शादी में आई तो पति से मिलने शिवनगर कालोनी भी आई.

जब उस ने पति से दूसरी पत्नी और उस के दोनों बेटों के बारे में पूछा तो अहसान सकपका गया और घबराहट के मारे उस के मुंह से सच्चाई बाहर निकल आई कि उस ने तीनों की हत्या कर दी है और लाशों को इसी घर में दफना दिया है.

उस ने पत्नी को लालच दिया, ‘‘नूरजहां, मुझे नाजनीन से काफी रुपए मिले हैं, उन पैसों से मैं तुम्हारे लिए एक प्लौट खरीदूंगा. इतना ही नहीं, मैं तुम्हें घर के सारे कीमती सामान जैसे फ्रिज, वाशिंग मशीन, कूलर, एलईडी, ट्राली बैग आदि भी खरीद कर दूंगा. तुम अब मौज करोगी. लेकिन तुम यह बात किसी से नहीं कहना.’’

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रुपए और सामान के लालच में पति के गुनाहों को नूरजहां ने अपने सीने में दफन कर लिया और किसी से कुछ नहीं बताया. सारे सबूत मिटाने के लिए अहसान ने नाजनीन की चैकबुक, पासबुक, एटीएम कार्ड, फोटो आदि दस्तावेज जला कर नष्ट कर दिए ताकि पुलिस उस तक किसी कीमत पर न पहुंच सके.

इस के बाद सन 2018 में अहसान ने शुगर मिल कालोनी के रहने वाले पवन कुमार को 5 लाख रुपए में वह मकान बेच दिया. फिर उन रुपयों से पहली पत्नी नूरजहां के लिए मुजफ्फरनगर में एक प्लौट खरीदा. उस के बाद वह मुजफ्फरनगर से भदोही चला गया और किराए का कमरा ले कर रहने लगा.

शादी डौटकौम के जरिए वह एक नए शिकार की तलाश में जुट गया. उसे जल्द ही एक लखपति बीवी फिर से मिल गई. उस ने उस से मंदिर में शादी कर ली और फिर उस के साथ मौज से जीवनयापन करने लगा.

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अहसान सैफी के अपराध का घड़ा भर गया था. जिस मकान में पवन रह रहा था, उस के दालान में बड़ी संख्या में चींटियां लग रही थीं. चींटियों से त्रस्त हो कर पवन ने जब दालान का फर्श तुड़वाया तो सालों से उस के नीचे दफन हत्या का राज खुल गया और शातिर अहसान जेल की सलाखों के पीछे जा पहुंचा.

उस ने कभी सोचा नहीं था कि उस की फूलप्रूफ योजना पर मामूली सी चींटी पानी फेर देगी और जीवन सलाखों के पीछे कटने के लिए विवश हो जाएगा. कथा लिखे जाने पुलिस ने नाजनीन के सारे सामान नूरजहां के घर (मुजफ्फरनगर) से बरामद कर लिए थे. इसी आधार पर पुलिस ने नूरजहां और उस के बेटे शाकिर को भी गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था.

कथा लिखे जाने तक तिहरे हत्याकांड के तीनों आरोपी अहसान सैफी, पहली पत्नी नूरजहां और उस का बेटा शाकिर जेल की सलाखों के पीछे कैद थे. अब अहसान को अपने किए का पश्चाताप हो रहा था.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

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