अंधविश्वास ने ली पिता पुत्र की जान

अंधविश्वास हमारे समाज में अमरवेल की तरह फल फूल रहा है.और इसको खाद पानी देने का काम धर्म के ठेकेदार पंडो , पुजारियों के द्वारा बखूबी किया जा रहा है. समाज में फैले तरह-तरह के अंधविश्वास लोगों की जेब से  रुपए पैसे तो ऐंठते  ही हैं, साथ ही जरा सी असावधानी की वजह से जान माल का नुक़सान भी कर रहे हैं.अंधविश्वास के शिकार दलित, पिछड़ों के साथ पढ़े लिखे  नौकरी पेशा लोग भी हो रहे हैं.

एक यैसा ही ताजा मामला मध्यप्रदेश के बैतूल जिले में देखने को मिला है. लोगों को न्याय देने जज की कुर्सी पर बैठने वाले एक अंधविश्वासी शख्स की नासमझी ने अपने साथ अपने पुत्र की जान भी गंवा दी.

बताया जा रहा है कि  जज के एक महिला मित्र से संबंधों की बजह से परिवार में कलह चल रही थी, जिससे छुटकारा पाने जज साहब तंत्र मंत्र के चक्कर में पड़ गये.

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बैतूल  जिला न्यायालय में पदस्थ अतिरिक्त जिला सत्र न्यायाधीश  महेन्द्र कुमार त्रिपाठी  और इसके दो बेटे अभियान राज त्रिपाठी, और  छोटा बेटा आशीष राज त्रिपाठी ने  20 जुलाई 2020 को रात्रि 10.30 बजे के लगभग एक साथ बैठकर डायनिंग टेबल पर  खाना खाया. कुछ समय बाद अचानक वे तीनों उल्टीयां करने लगे . जिस भोजन में परोसी ग‌ई रोटियों की बजह  से तीनों की तबीयत खराब हुई ,वह  जज साहब की पत्नी श्रीमती भाग्य त्रिपाठी ने तैयार की थी. जज साहब की पत्नी ने दोपहर की बची  रोटियां खाई थी, इस कारण उन्हें कुछ नहीं हुआ.  21  एवं 22 जुलाई  तक जज साहब और इनके बेटो का इलाज न्यायाधीश आवास परिसर बैतूल में ही  चलता रहा. 23 जुलाई को जिला चिकित्सालय के चिकित्सक डॉ. आनद मालवीय की सलाह पर  जज साहब व इनके दोनो बेटों को पाढर अस्पताल में आईसीयू में भर्ती कराया गया.

छोटे बेटे आशीष राज त्रिपाठी की तबीयत में सुधार होने के कारण वह घर पर ही रहे .25 जुलाई को शाम के समय जज साहब एवं इनके बड़े बेटे अभियान राज त्रिपाठी की तबीयत अचानक ज्यादा खराब होने से  इन्हे नागपुर के प्रतिष्ठित एलेक्सिसी  अस्पताल ले जाया गया . जहां अस्पताल के चिकित्सको ने अभियान राज त्रिपाठी को मृत घोषित किया. और जज श्री महेन्द्र त्रिपाठी जी का ईलाज चलता रह . 26 जुलाई को प्रातः 04.30 बजे के लगभग जज महेन्द्र त्रिपाठी  की भी मौत हो गई.

दोनो पिता पुत्र की मृत्यु के बाद नागपुर के  मानकापुर पुलिस थाने में  एफआईआर  जज के छोटे बेटे आशीष राज त्रिपाठी ने दर्ज कराते हुए पुलिस को बताया कि नागपुर आते समय उसके पिता महेन्द्र त्रिपाठी ने रास्ते में उसे बताया था कि उनकी किसी परिचित एक महिला संध्या सिह ने उन्हें  किसी पंडित से पूजा पाठ करवा कर  गेहूं का आटा दिया था और कहा था कि आटा घर के आटे में मिलाकर खाना बनाना . उसी आटे से तैयार रोटी खाने के बाद फुड पाईजनिग से उसके पापा और भाई की मौत हो गई.

न्यायिक क्षेत्र का मामला होने से पुलिस अधीक्षक द्वारा सम्पूर्ण जांच पड़ताल हेतु विशेष कार्य दल का गठन किया गया . इसी संदर्भ में जज महेन्द्र कुमार त्रिपाठी के घर से 20 जुलाई को प्रयुक्त शेष आटे के पैकेट को जप्त कर जांज के लिए लैब भेजा गया. लैब से आई रिपोर्ट में आटे में जहर मिले होने की पुष्टि हुई.पुलिस की जांच में जो कहानी सामने आई वह चौकाने वाली थी.

मूलतः रीवा निवासी श्रीमति संध्या सिंह    विगत कई वर्षों से छिन्दवाडा में रहकर एन.जी.ओ चलाती है . महिलाओं को कानूनी सलाह देने जैसे कार्यक्रम आयोजित करने की वजह से जज महेन्द्र त्रिपाठी से नजदीकियां हो गई थी . चूंकि जज बैतूल में अकेले रहते थे,तो अक्सर दोनों की मेल मुलाकात होती रहती थी.संध्या जज साहब से रूपए पैसों की मांग भी करने लगी थी.

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लाक डाउन की बजह से जज साहब की पत्नी व वेटों के बैतूल आ जाने के कारण से संध्या विगत चार माह से जज  से नहीं मिल पा रही थी. परेशान होकर  उसने छिन्दवाड़ा में अपने  ड्रायवर संजू  , संजू के फूफा देवीलाल  चन्द्रवशी  और बाबा रामदयाल के साथ मिलकर एक योजना बनाई.   योजना के अनुसार श्रीमति संध्या सिंह ने बैतूल आकर  जज साहब से उनके घर से आटा बुलवाया और वही आटा पन्नी में भरकर बाबा उर्फ रामदयाल को दिया गया . दो दिन  बाद बाबा उर्फ रामदयाल ने आटे में जहर मिला कर संध्या को दे दिया. 20 जुलाई को  सर्किट हाउस बैतूल में संध्या और जज ने एकांत में मुलाकात की.  संध्या सिंह ने बाबा की पूजा वाला जहरीला आटा जज साहब को देते हुए कहा-

“बाबा ने इस‌ आटे को तंत्र मंत्र से सिद्ध किया है, इसकी रोटी खाने से सारी परेशानियां दूर हो जायेगी और हमारा मिलना जुलना आसान हो जाएगा.”

घर आकर  इसी तंत्र मंत्र वाले आटे को जज साहब ने घर में रखे आटे के डिब्बे में मिला दिया.  इसी आटे की रोटी खाने के बाद जज साहब और इनके दोनो बेटो की तबीयत खराब हुई और अंत में जज  महेन्द्र कुमार त्रिपाठी और इनके बड़े बेटे श्री अभियान राज त्रिपाठी की मौत हो गई .

एक पढ़ें लिखे उच्च पद पर काम करने वाले जज की यह कहानी बताती है कि हम किस तरह आंख मूंदकर तंत्र मंत्र और चमत्कारों पर विश्वास करने लगते हैं. अपनी गर्लफ्रेंड के प्यार में अंधे कानूनी पढाई वाले जज ने कैसे विश्वास कर लिया कि बाबा द्वारा दिए गए इस आटे के टोटके से  घर की परेशानियां दूर हो जायेगी.

आज भी विज्ञान के युग में भले ही हम आधुनिक तकनीक का उपयोग कर अपने आपको माडर्न समझने लगे हैं, परन्तु हमारे समाज में वैज्ञानिक सोच विकसित नहीं हुई है. जब हमारे देश के वैज्ञानिक चंद्रयान की सफलता के लिए पूजा पाठ और हवन करते हो, देश के रक्षा मंत्री राफेल विमान की नारियल और नींबू से पूजा करते हों,तो फिर समाज के दूसरे वर्ग से क्या उम्मीद की जा सकती हैं.

अंधविश्वास का आलम ये है रोज सोशल मीडिया पर देवी देवताओं की पोस्ट वाले मेसैज 5 ग्रुप में फारवर्ड करने की अपील पर हम बिना सोचे समझे भेड़ चाल चलने लगते हैं. ज्ञान विज्ञान और समाज को जागरूक करने  वाली पत्रिकाओं को पढ़ने की रूचि लोगों की खत्म होती जा रही है.यैसे में दिल्ली प्रेस की पत्रिकाएं सरिता,सरस सलिल,मुक्ता, गृहशोभा समाज में फैले पाखंड और अंधविश्वास के प्रति समाज को जागरूक करने का काम कर रही हैं. इसी तरह सत्यकथा और मनोहर कहानियां जैसी पत्रिकाओं में प्रकाशित अपराध कथाओं में यह सीख प्रमुखता से दी जाती है कि अपराध का अंजाम सुखद नहीं होता. नशा, अंधविश्वास, धार्मिक आडंबर और अपराध पैसे से तंगहाली लाकर हमें  बर्बाद की ओर ले जाते हैं.

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श्यामली की करतूत

श्यामली की करतूत : भाग 2

समीर के पिता निताई बिस्वास का परिवार भी बंगाल से आ कर रुद्रपुर में बस गया था. निताई बिस्वास के 5 बच्चो में से समीर तीसरे नंबर पर था. अब से तकरीबन 7 साल पहले ही श्यामली और समीर के बीच दोस्ती हुई थी. बाद में यह दोस्ती प्यार में बदल कर शादी तक आ पहुंची. लेकिन समीर की मम्मी अनीता बिस्वास को श्यामली पसंद नहीं थी.

समीर का श्यामली के बिना एक पल भी रहना नामुमकिन था. अनीता बिस्वास ने अपने बेटे के भविष्य को देखते हुए उसे श्यामली से दूरी बनाने को कहा तो मां भी उसे दुश्मन लगने लगी थी.

यही बात श्यामली के साथ भी आड़े आ रही थी. श्यामली अपने मांबाप की एकलौती बेटी थी. वह भी समीर के बजाय श्यामली की शादी ऐसे घर में करना चाहते थे ताकि उस की गृहस्थी में किसी प्रकार की अड़चन न आए. हालांकि समीर बिस्वास और श्यामली दोनों ही एक ही बिरादरी के थे, लेकिन श्यामली के घर वालों को भी समीर पसंद नहीं था.

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समीर जिद्दी किस्म का युवक था. यही कारण था कि उस ने अपने मांबाप की एक न मानी और श्यामली से शादी करने पर अड़ गया. हालांकि दोनों के परिवार वाले इस के लिए राजी नहीं थे, लेकिन उन की जिद के आगे उन्हें झुकना पड़ा. और सन 2013 में दोनों की शादी करा दी गई.

श्यामली निताई बिस्वास परिवार की बहू बन कर आई तो घर में खुशियां छा गईं. शादी हो जाने के बाद श्यामली ने समीर के साथसाथ अपने सासससुर और अन्य परिवार वालों का पूरी तरह से ध्यान रखा. शादी के 3 साल बाद वर्ष 2016 में श्यामली ने एक बेटे को जन्म दिया. उस का नाम उन्होंने देव रखा. दोनों के बीच सब कुछ ठीक ही चल रहा था.

समीर के  परिवार वालों ने दिन रात कड़ी मेहनत कर के काफी पैसा कमाया था. जिस के बाद उन्होंने थाना ट्रांजिट कैंप अंतर्गत अरविंद नगर में शानदार मकान भी बना लिया था. उसी दौरान समीर कच्ची शराब बेचने के धंधे से जुड़ गया.

समीर को शराब बेचने से मोटी आमदनी होने लगी, आमदनी में इजाफा होने पर श्यामली के भी पर लग गए. उस के रहनसहन में भी काफी बदलाव आ गया था. समीर को दिनभर में जो भी कमाई होती थी, वह उसे श्यामली के हाथ पर ला कर रख देता था. जिस के कारण श्यामली के व्यवहार में काफी अंतर आने लगा था. वह खुले हाथ से पैसा खर्च करने लगी थी.

हालांकि इस बात से समीर को कोई फर्क नहीं पड़ता था. लेकिन यह सब उस के मातापिता की बरदाश्त से बाहर की बात हो गई थी. उन्होंने कई बार इस बात की शिकायत समीर से की. लेकिन समीर हमेशा ही अपने परिवार वालों की बातों को हल्के में लेता रहा. तब उन्होंने श्यामली को समझाने की कोशिश की. श्यामली तो पति की सारी कमाई पर अपना ही अधिकार समझती थी. इसलिए सासससुर के समझाने की बात उसे बुरी लगती थी. लिहाजा उस का सासससुर से मनमुटाव रहने लगा था.

वह बातबात पर अपनी सास को खरीखोटी भी सुनाने लगी थी. उस समय समीर को केवल कमाई ही दिखाई दे रही थी. उस के काम का दायरा बढ़ा तो उस ने अपनी सहायता के लिए 2 लड़कों सूरज और छोटू को भी अपने पास रख लिया. उसी दौरान विश्वजीत राय भी समीर के संपर्क में आया. विश्वजीत इलेक्ट्रीशियन था. विश्वजीत गुलरभोज (गदरपुर) का रहने वाला था. लेकिन कुछ समय बाद उस ने भी रुद्रपुर की नारायण नगर कालोनी में अपना मकान बना लिया था.

समीर के घर की लाइट की फिटिंग भी उसी ने की थी. विश्वजीत समीर के संपर्क में आया तो उस की आमदनी भी बढ़ गई थी. शराब बेचने से हुई मोटी आमदनी से विश्वजीत ने बिजली फिटिंग का काम छोड़ दिया. उस के बाद वह हर समय समीर के साथ ही उस के शराब के धंधे में लगा रहने लगा था.

काम खत्म हो जाने के बाद विश्वजीत राय, सूरज और छोटू अकसर खानापीना समीर के घर पर ही किया करते थे. श्यामली तीनों को खाना बना कर खिलाती थी. लेकिन श्यामली को पति के परिवार वाले दुश्मन नजर आने लगे थे.

समीर और विश्वजीत में गहरी दोस्ती भी हो गई थी. उसी दौरान श्यामली उस को अपना दिल दे बैठी. उन दोनों के बीच फोन पर खूब बातें होती थीं.

समीर की गैरमौजूदगी में श्यामली विश्वजीत को अपने घर में ही बुलाने लगी थी. यह बात उस के ससुराल वालों को नागवार गुजरी. जिस के कारण समीर के घर की शांति भंग हो गई. श्यामली ने अपनी सास की शिकायत पति से करते हुए कहा कि वह उसे चरित्रहीन कहती है. समीर अपनी बीवी के प्रति एक भी बुराई सुनने को तैयार न था. नतीजन समीर अपने मातापिता को बुराभला कहने पर उतर आया था.

विश्वजीत के कारण समीर के घर में इतना विवाद बढ़ा कि अपनी बीवी के कहने पर उस ने अपनी मम्मीपापा और 2 छोटे भाइयों विष्णु और सुकीर्ति को भी घर से बाहर का रास्ता दिखा दिया. जिस के बाद 6 कमरों का मकान छोड़ कर उस के परिवार को ट्रांजिट कैंप दुर्गा मंदिर के पास किराए के मकान में रहने पर मजबूर होना पड़ा. जिस औलाद की जिद के आगे हार मान कर उन्होंने उस की शादी उस की मरजी से कराई, आज उसी कपूत ने उन्हें धक्का मार कर घर से निकाल दिया था.

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श्यामली की जिंदगी में विश्वजीत के आगमन के दौरान ही समीर की गृहस्थी में भी ग्रहण लगना शुरू को गया था. अपनी ससुराल वालों को घर से निकालने के बाद श्यामली समीर की गैरमौजूदगी का लाभ उठाते हुए विश्वजीत के साथ मौजमस्ती करने लगी थी. जब कभी भी वह घर में अकेली होती तो वह फोन कर के विश्वजीत को बुला लेती और उस के साथ अय्याशी करती.

विश्वजीत के संपर्क में आने के बाद श्यामली ने बीयर पीनी भी सीख ली थी. जब कभी भी समीर किसी काम से घर से बाहर जाता तो वह विश्वजीत को अपने घर बुला लेती और फिर सारी रात शराब और शबाव का दौर चलता.

समीर की आंखों पर अभी भी श्यामली के प्यार की काली पट्टी बंधी हुई थी. श्यामली समीर की शराफत का लाभ उठाते हुए उस की कमाई का ज्यादातर हिस्सा विश्वजीत पर उड़ाने लगी थी. लेकिन समीर ने कभी भी पत्नी से घर के खर्च का हिसाबकिताब नहीं मांगा था.

समीर अपनी बीवी के प्यार में इतना पागल था कि श्यामली ने उस से बीयर लाने की मांग की तो वह डिमांड भी उस ने पूरी की. उस के बाद दोनों ही मियांबीवी रात में बीयर साथसाथ पीने लगे थे. बीयर पीने से समीर को तो कुछ नहीं हो पाता था, लेकिन श्यामली बीयर के नशे में टल्ली हो कर अपने दिल का पन्ना खुला ही छोड़ कर सो जाती थी.

उसी खुले पन्ने के कारण एक दिन श्यामली की हकीकत भी समीर के सामने आ गई. एक रात श्यामली ने समीर के साथ ही बीयर पी और फिर उस ने समीर को सोया जान कर विश्वजीत को फोन मिला दिया. उस रात समीर को उस की हकीकत जान कर बहुत ही गहरा झटका लगा.

समीर को उस रात अपनी बीवी की हकीकत पता चली तो वह खून के आंसू रोया. उस के बाद भी उसे विश्वजीत पर ही गुस्सा आया. लेकिन रात अधिक हो जाने के कारण वह कुछ भी नहीं कर सकता था.

अगले दिन सुबह होते ही वह सब कुछ काम छोड़छाड़ कर विश्वजीत से मिला. उस ने उसे समझाते हुए उस की बीवी से फोन पर बात न करने को कहा. उसी दौरान उस की विश्वजीत से कहासुनी भी हुई. उस के बाद समीर अपने घर आया और अपनी बीवी श्यामली को रात की हकीकत बता कर विश्वजीत से बात न करने की चेतावनी दी.

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पति के समझाने पर श्यामली तो ऐसी अंजान सी बन गई थी कि जैसे वह कुछ जानती ही नहीं. उस के बाद से समीर के आंखकान चौकन्ना हो गए थे. लेकिन समीर 24 घंटों में अपनी बीवी की कितने घंटे चौकसी कर सकता था.

जानें आगे की कहानी अगले भाग में…

श्यामली की करतूत : भाग 3

समीर के समझाने के बाद भी वह प्रेमी से मोबाइल पर घंटों बात करती थी. बात करने के तुरंत बाद ही विश्वजीत की काल हिस्ट्री को डिलीट भी कर देती थी. उसी दौरान एक दिन श्यामली से वही गलती हुई जो मियांबीवी में विवाद का कारण बनी. जिस के कारण दोनों की बसीबसाई गृहस्थी में पूरी तरह से आग लग गई. श्यामली के प्रति समीर का विश्वास टूटा तो दोनों की जिंदगी में प्रलय आ गई. लिहाजा अगली सुबह समीर उसे उस के मायके छोड़ आया.

श्यामली को मायके छोड़ने के कुछ समय बाद तक उस ने उसे कोई बात भी नहीं की. उस के कई महीनों बाद उस के ससुराल वालों ने उसे बुला कर ले जाने को कहा तो समीर ने उसे लाने से साफ मना कर दिया. उस के बाद उस की ससुराल वालों ने समीर के परिवार वालों को बुला कर गांव में ही पंचायत की. श्यामली ने भरी पंचायत में अपनी गलती की माफी मांगते हुए भविष्य में ऐसी गलती न करने की बात कही.

उस के बाद श्यामली फिर से समीर के साथ रहने लगी थी. मायके से आने के कुछ दिनों तक तो श्यामली ठीकठाक रही. लेकिन एक बार 2 दिलों में आ चुकी दरार पूरी तरह से भर नहीं पाई. और समीर भी उसे पहला प्यार नहीं दे पा रहा था. जिस के कारण उस के मन में समीर के प्रति बसी छवि धूमिल होती चली गई.

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वहीं दूसरी ओर विश्वजीत उस की जिंदगी में बहार बन कर उस के सपनों का राजकुमार बन गया. यही कारण रहा है कि कुछ समय बाद ही फिर से वह चोरीछिपे विश्वजीत राय से  मिलनेजुलने लगी थी.

उसी मिलनेजुलने के दौरान श्यामली ने विश्वजीत के सामने प्यार के आंसू बहाते हुए किसी भी तरह से समीर को अपनी जिंदगी से निकालने वाली बात कही. विश्वजीत भी श्यामली को हद से ज्यादा प्रेम करने लगा था. वह किसी भी कीमत पर उसे अपनी बीवी के रूप में देखना चाहता था. लिहाजा वह समीर रूपी कांटे को हटाने के लिए तैयार हो गया.

इस हत्याकांड को अंजाम देने से एक सप्ताह पूर्व ही श्यामली ने अपने प्रेमी विश्वजीत के साथ मिल कर समीर की हत्या का तानाबाना बुना. इस अंजाम को अमलीजामा पहनाने के लिए श्यामली ने घर में रखे 50 हजार रुपए खर्च वास्ते विश्वजीत को दिए.

विश्वजीत ने उन्हीं 50 हजार रुपए में से दिनेशपुर से 315 बोर का एक तमंचा और कारतूस खरीदे. हालांकि श्यामली ने विश्वजीत के साथ मिल कर समीर की हत्या का तानाबाना बुन तो लिया था.

लेकिन अंजाम को सोच कर वह बारबार परेशान हो रही थी. वह समझ नहीं पा रही थी कि इतनी बड़ी बारदात को अंजाम देने के बाद अपने में कैसे हिम्मत जुटाएगी.

उसी समय 18 जून, 2020 को उस की मुलाकात उस की एक पुरानी सहेली प्रियंका से हुई. प्रियंका कई दिन से उसी के नजदीक रहने वाली राधिका नाम की सहेली के साथ रह रही थी. वह प्रियंका से मिली तो उस ने श्यामली के सामने अपनी दिल की पीड़ा सुनाते हुए उसे अपने साथ रखने वाली बात कही. श्यामली उस की परेशानी सुन कर उसे अपने घर ले आई.

प्रियंका के आ जाने से श्यामली का मनोबल भी बढ़ गया था. एक सप्ताह पहले समीर की हत्या की साजिश रचने के बाद श्यामली पूरी तरह से सतर्क हो गई थी. 19 जून 2020 की शाम को श्यामली ने समीर के मोबाइल पर फोन कर कहा कि उस की सहेली प्रियंका भी बीयर पीती है. आज रात वह हमारे ही साथ रहेगी. इसीलिए वह बीयर की 3 केन ले कर आए. श्यामली के कहने पर समीर उस शाम वियर की 3 केन ले कर आया.

उस दिन समीर के साथ काम करने वाले युवक सूरज और छोटू भी घर पर ही रुक थे. उस दिन श्यामली ने शाम को जल्दी ही खाना बनाया और समीर के आते ही उस ने सूरज और छोटू को खाना खिला कर ऊपर छत पर सोने के लिए भेज दिया था. उस के बाद समीर, श्यामली और प्रियंका तीनों ने एक साथ बैठ कर खाना खाया. खाना खाने के बाद तीनों ने एक जगह बैठ कर बीयर पी.

बीयर पीने के कुछ समय बाद ही समीर नींद में झूमने लगा. श्यामली ने समीर की बीयर में नींद की गोलियां मिला दी थीं. समीर के गहरी नींद में सोने के बाद ही उस ने विश्वजीत को फोन कर के उस की लोकेशन का पता किया. उस के बाद भी वह बारबार छत पर जा कर सूरज और छोटू के सोने का जायजा लेती रही.

उस समय सूरज और छोटू भी शराब पी कर सोए थे. नशे में होने के कारण वह दोनों भी शीघ्र ही सो गए थे. उन दोनों के सोते ही जब श्यामली को पूरा विश्वास हो गया कि वह दोनों भी गहरी नींद में सो चुके हैं तो उस ने जीने का दरबाजा अंदर से बंद कर दिया.

उस के बाद उस ने अपने प्रेमी विश्वजीत राय को फोन कर शीघ्र आने को कहा. श्यामली का फोन आने के तुरंत बाद ही विश्वजीत अपने 2 साथियों शिबू अधिकारी और महेश सरकार के साथ रात के कोई 2 बजे के आसपास उस के घर के पास पहुंचा. उस के घर के पास पहुंचते ही मछली बाजार के नजदीक विश्वजीत ने अपनी बाइक रोकी और फिर से श्यामली से फोन पर बात कर स्थिति का सही आंकलन किया.

उस के बाद विश्वजीत अपने साथियों शिबू अधिकारी और महेश सरकार के साथ समीर के घर पहुंचा. श्यामली ने पहले से ही घर की दूसरी ओर खुलने वाला दरवाजा खुला छोड़ दिया था.

उसी रास्ते से तीनों अंदर आ गए. अंदर जाते ही विश्वजीत ने गहरी नींद में सोए समीर के माथे पर तमंचा सटा कर गोली चला दी. माथे पर गोली लगते ही समीर की तुरंत ही मौत हो गई.

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समीर की हत्या करने के बाद विश्वजीत अपने साथियों के साथ पीछे वाले दरवाजे से ही निकल गया. समीर की हत्या हो जाने के बाद श्यामली की हिम्मत जवाब दे गई. जब उस ने समीर को रक्तरंजित हालत में देखा तो वह बुरी तरह से घबरा गई थी. उस के बाद प्रियंका ने उसे हिम्मत बंधाई और धैर्य रखने वाली बात कही.

उस समय तक घर में गोली चलने की आवाज सुन कर छत पर सो रहे सूरज और छोटू भी पड़ोसी की छत से कूद कर नीचे आ गए थे. सूरज और छोटू के पूछने पर श्यामली ने बताया कि अभी थोड़ी देर पहले ही कुछ बदमाश घर में घुस आए थे, जिन्होंने आते ही समीर को गोली मार उस की हत्या कर दी और फिर फरार हो गए.

कुछ समय बाद ही पड़ोसी और समीर के मातापिता भी घर पहुंच गए थे. जब श्यामली कोई निर्णय नहीं ले पाई तो उस ने दूसरे कमरे में जा कर पंखे से चुन्नी बांधी और आए लोगों को उलझाने के लिए उस ने अपने को भारी सदमे में दिखा कर खुदकुशी करने का ड्रामा किया. लेकिन पुलिस की जांचपड़ताल के दौरान पंखे से लटकने वाली बात केवल उस का दिखावा ही था.

श्यामली द्वारा अपना जुर्म कबूलते ही पुलिस ने इस केस में तीव्रता दिखाते हुए मात्र 9 घंटे में ही उस के प्रेमी विश्वजीत राय, उस के साथी शिबू अधिकारी और महेश सरकार को गिरफ्तार कर लिया था. साथ ही पुलिस ने हत्यारोपियों की निशानदेही पर घटना में इस्तेमाल तमंचा, एक खोखा, बीयर में डाली गई नशे की बाकी बची 3 गोलियां और घटना में इस्तेमाल बाइक भी बरामद कर ली थी.

केस का खुलासा होते ही पुलिस ने इस मामले में हत्याकांड के मुख्य आरोपी श्यामली के प्रेमी विश्वजीत राय पुत्र शिबू अधिकारी, महेश सरकार, मृतक की बीवी श्यामली बिस्वास के खिलाफ आईपीएस की धारा 302/3/25 आर्म्स एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज कर उन्हें 20 जून को कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया.

इस मामले के खुलासे के बाद एसएसपी बरिंदरजीत सिंह ने इस केस की जांचपड़ताल में लगी पुलिस टीम में शामिल सीओ अमित कुमार, थानाप्रभारी विद्यादत्त जोशी, एसआई विजय सिंह, प्रदीप शर्मा, कौशल भाकुनी, अर्जुन गिरि, मनोज कुमार, धीरज वर्मा, नीरज शुक्ला, नरेश जोशी, नीरज भोज, दिनेश चंद्र, राकेश उप्रेती, जितेंद्र चौहान, मुकेश मेहरा, गोकुल टम्टा आदि को ढाई हजार रुपए का ईनाम दे कर सम्मानित किया. इस केस की तफ्तीश स्वयं थानाप्रभारी विद्यादत्त जोशी कर रहे थे.

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श्यामली की करतूत : भाग 1

रात के कोई 2 बजे का वक्त रहा होगा. उस समय तक अधिकांश लोग गहरी नींद में खर्राटे भरते नजर आते हैं. लेकिन उस समय भी अगर किसी के घर से अचानक ही गोली चलने की आवाज आए तो नींद में खलल तो पड़ ही जाती है और उन लोगों की नींद उड़ ही जाती है, गोली की आवाज सुन कर अच्छेअच्छों के हौसले पस्त हो जाते हैं. उस समय जिस घर में गोली चली थी, वह समीर बिस्वास का घर था.

जिला ऊधमसिंह नगर के रुद्रपुर ट्रांजिट कैंप मुखर्जी नगर में 25 वर्षीय समीर बिस्वास अपनी पत्नी श्यामली और अपने 3 वर्षीय बेटे देव के साथ रहता था. जबकि उस के पिता निताई बिस्वास ट्रांजिट कैंप के नजदीक ही अरविंद नगर में अपनी बीवी अनीता बिस्वास और 2 बेटों सुकीर्ति और विष्णु के साथ रहते थे.

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उस समय समीर बिस्वास अपने मकान के एक कमरे में अकेला ही सोया था. उस की बीवी अपने बेटे देव को साथ ले कर अपनी सहेली के साथ ही अपने बैडरूम में सोई थी. घर में अचानक गोली चली तो सब से पहले श्यामली ही चीखी थी. उस की चीख सुन कर लोगों को लगा कि समीर के घर में बदमाश घुस आए हैं और बदमाशों ने किसी को गोली मार दी.

घर में कोहराम मचा तो समीर बिस्वास की छत पर सो रहे उस के 2 दोस्त सूरज और छोटू भी छत से नीचे जाने वाली सीढि़यों की ओर दौड़े. लेकिन उन सीढि़यों पर नीचे से कुंडी लगी होने के कारण उन के सामने मजबूरी आ खड़ी हुई. फिर दोनों पड़ोसी के घर में प्रवेश कर उस की दीवार फांद कर समीर के कमरे  में जा पहुंचे.

सूरज और छोटू ने देखा कि समीर अपने बैड पर खून से लथपथ पड़ा हुआ था. जबकि उस की पत्नी श्यामली उसी के पास खड़ी बुरी तरह से दहाड़ मार कर रो रही थी. समीर के घर में रात में चीखनेचिल्लाने की आवाज सुन कर मोहल्ले वाले भी इकट्ठे हो गए थे. लेकिन कोई भी यह नहीं समझ पा रहा था कि बदमाशों ने समीर की हत्या क्यों कर दी.

अभी लोग इस मामले को पूरी तरह से समझ भी नहीं पाए थे कि उसी समय श्यामली रोतीबिलखती दूसरे कमरे में बंद हो गई. उस को कमरे में इस तरह से बंद होते देख सभी लोग हैरत में पड़ गए. लोगों की समझ में नहीं आ रहा था कि  उसे अचानक क्या हो गया.

तभी किसी ने खिड़की से झांक कर देखा तो श्यामली अपनी चुनरी को पंखे से बांध रही थी. जिस से लोगों को समझने में देर नहीं लगी कि वह पंखे से लटक कर आत्महत्या करने की कोशिश कर रही है. श्यामली की हरकतों को देख कर मौके पर मौजूद लोगों ने जैसेतैसे कर दरवाजा तोड़ कर उसे बाहर निकाला. उस के बाद उसे समझाने की कोशिश की.

मृतक समीर बिस्वास के चाचा अर्जुन बिस्वास कांग्रेस पार्टी के नेता थे. अपने भतीजे की हत्या होने की बात सुनते ही अर्जुन बिस्वास भी तुरंत समीर के घर पर पहुंचे और थाना ट्रांजिट कैंप में इस सब की जानकारी दी. हत्या की सूचना पाते ही थानाप्रभारी विद्यादत्त जोशी कुछ ही देर में घटनास्थल पर पहुंच गए. पुलिस को यह सूचना सुबह लगभग 4 बजे मिली थी.

थानाप्रभारी ने यह जानकारी अपने उच्चाधिकारियों को भी दे दी थी सूचना पाते ही एसएसपी बरिंदरजीत सिंह, एसपी (सिटी) देवेंद्र पिंचा, एसपी (क्राइम) प्रमोद कुमार और सीओ अमित कुमार भी घटना स्थल पर पहुंच गए.

पुलिस ने काररवाई करते हुए समीर के कमरे की बारीकी से जांचपड़ताल की. समीर के माथे पर गोली लगी थी. समीर के शव को देख कर साफ जाहिर हो रहा था कि हत्यारों ने समीर के गहरी नींद में सोने के दौरान ही गोली मारी थी. खून उस के चेहरे से होते हुए सारे बिस्तर पर फैल चुका था.

पुलिस ने उस कमरे की पड़ताल की जिस में श्यामली ने पंखे में चुनरी बांध कर खुदकुशी करने का ढोंग ही किया था. पुलिस ने उस के परिवार वालों से समीर और उस की बीवी के बारे में जानकारी जुटाई तो इस केस ने अलग ही मौड़ ले लिया.

समीर के परिवार वालों ने पुलिस को जानकारी देते हुऐ बताया कि समीर और श्यामली ने अब से लगभग 7 वर्ष पूर्व प्रेमविवाह किया था.

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शादी के बाद इन दोनों के बीच कुछ समय तक तो सब कुछ सही रहा, लेकिन बाद में उन दोनों के बीच खटपट रहने लगी थी. उसी के चलते समीर की बीवी ने उसे परिवार से भी अलगथलग कर दिया था. उस के बाद वह न तो उसे किसी परिवार वाले से मिलनेजुलने देती थी और न ही किसी को अपने घर आने देती थी.

परिवार वालों ने बताया कि श्यामली का चरित्र ठीक नहीं था. समीर की गैरमौजूदगी में उस के घर पर कुछ संदिग्ध लोगों का आनाजाना था. उस के किसी अन्य युवक के साथ अवैध संबंध थे. जिस का समीर विरोध करता था. जिस के कारण ही समीर की हत्या हुई.

यह सब जानकारी जुटाने के बाद पुलिस ने अपनी काररवाई करते हुए लाश पोस्टमार्टम के लिए भेज दी. समीर की लाश को पोस्टमार्टम भेजने के बाद ही पुलिस ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए छानबीन शुरू की.

उसी दौरान पुलिस ने श्यामली के साथ रात गुजारने वाली उस की सहेली प्रियंका से भी पूछताछ की. लेकिन प्रियंका ने बताया कि वह स्वयं ही अपनी सहेली के घर मिलने के लिए आई थी. जिस के बाद वह रात का खाना खा कर सो गई थी. उस के सोने के बाद समीर के साथ क्या घटना घटी उसे कुछ नहीं मालूम.

इस मामले की बाबत पुलिस ने श्यामली से पूछताछ की तो उस ने बताया कि उस रात समीर और उस के दोस्तों सूरज और छोटू ने खाना खाया और उस के बाद सूरज और छोटू मकान की छत पर जा कर सो गए. वह अपने बेटे देव को अपने साथ ले कर सहेली प्रियंका के साथ अलग कमरे में सो गई थी. जबकि समीर अपने कमरे में अकेला ही सोया था.

रात के समय उस ने अपने घर में  गोली चलने की आवाज सुनी तो वह बुरी तरह से घबरा गई. उस के बाद वह अपनी सहेली प्रियंका के साथ कमरे से बाहर निकली तो उस ने घर से बाहर कुछ लोगों को भागते हुए देखा था.

समीर को मरा देख कर वह खुद पर भी कंट्रोल नहीं कर पाई थी, जिस के बाद उस ने भी आत्महत्या करने की कोशिश की, लेकिन वहां पर मौजूद लोगों ने उसे बचा लिया.

उसी दौरान पुलिस ने श्यामली का मोबाइल फोन अपने कब्जे में ले लिया. उस की काल डिटेल्स देखी तो आखिरी बार रात के 2 बजे के समय एक नंबर पर उस की बातचीत हुई थी, वह नंबर किसी विश्वजीत राय के नाम से फीड था.

पुलिस ने श्यामली से विश्वजीत राय से रात में बात करने का कारण पूछा तो वह कोई संतोषजनक जबाव नहीं दे पाई. विश्वजीत का नाम सुनते ही उस के चेहरे पर हवाइयां उड़ने लगीं. उस के बाद पुलिस श्यामली को पूछताछ के लिए थाने ले आई. थाने में पहुंचते ही श्यामली डर गई और सब कुछ बताने को राजी हो गई.

श्यामली ने बताया कि उस के विश्वजीत से नाजायज संबंध थे. उन्हीं संबंधों के चलते उस ने प्रेमी के सहयोग से पति की हत्या करा दी. हत्या के इस केस की जो सच्चाई उभर कर सामने आई वह दोस्ती, प्यार, शादी और उस के बाद बेवफाई से जुड़ी एक हैरतअंगेज कहानी थी –

अब से कई साल पहले श्यामली के पिता प्रवास बिस्वास का परिवार बंगाल से आ कर रुद्रपुर और गदरपुर के बीच बसे दिनेशपुर में आ कर रहने लगा था. दिनेशपुर आने के बाद उस की बीवी अपर्णा बिस्वास 2 बच्चों, बेटी श्यामली और बेटे संजीत की मां बन गई.

दिनेशपुर में बाहुल्य आबादी बंगालियों की ही है. बंगाल से आने के बाद इन लोगों ने यहां पर स्थानीय लोगों के यहां पर मेहनतमजदूरी करनी शुरू की. इन लोगों में ही कुछ लोग इतने समर्थ थे कि उन्होंने यहां पर कुछ जमीनें खरीदीं और कुछ ने सरकारी जमीनों पर कब्जा कर खेतीबाड़ी का काम शुरू किया. जिस के साथ ही इन लोगों की आर्थिक स्थिति भी सुधरती गई.

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इन के आने से पहले यहां के किसान अपनी जमीन से 2 ही फसलें लेते थे. रवि और खरीफ की. इन लोगों ने यहां पर तीसरी फसल को जन्म दिया. वह थी बेमौसमी धान की फसल. गेहूं की फसल कटते ही धान को लगाया जाता था. जिस के कारण किसानों को एक और फसल से आमदनी बढ़ गई थी. उसी धान की पौध लगाई के दौरान समीर बिस्वास की मुलाकत श्यामली से हुई थी.

जानें आगे की कहानी अगले भाग में…

हैवानियत की हद पार : एक डाक्टर ने इनसानियत पर किया वार

याद है न बदन में सिरहन पैदा कर देने वाला निठारी कांड? साल था 2006 और जगह थी नोएडा का निठारी गांव. वहां की कोठी नंबर डी-5 दूसरी आम कोठियों की तरह ही थी. लेकिन जब इस कोठी के आसपास से नरकंकाल मिलने शुरू हुए, तो पूरा देश सकते में आ गया था. सीबीआई को जांच के दौरान इनसानी हड्डियों के हिस्से और 40 ऐसे पैकेट मिले थे, जिन में इनसानी अंगों को भर कर जमीन में गाड़ दिया था या पास के नाले में फेंक दिया था.

इस के बाद कोठी के मालिक मोनिंदर सिंह पंढेर और उस के नौकर सुरेंद्र कोली को पुलिस ने धर दबोचा. इस तरह से निठारी के कांड का काला सच सब के सामने आ गया.

सुरेंद्र कोली के मुताबिक उस का मालिक (मोनिंदर सिंह पंढेर) कई वेश्याएं घर पर लाया करता था. उन्हें आतेजाते देखते हुए उस के मन में सैक्स और इनसानी शरीर को काटने की प्रबल इच्छा पैदा होने लगी.

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बाद में खुलासा हुआ कि सुरेंद्र कोली अपने शिकारों को पहले फंसाता था, फिर पीड़ित को बेहोश कर देता था. उस के बाद रेप की कोशिश करता था. आखिर में पीड़ित को मार कर उस के शरीर के टुकड़ेटुकड़े कर देता था, फिर उन्हें जमीन में गाड़ देता था या नाले में बहा देता था.

पहले तो सीबीआई ने मई, 2007 में मोनिंदर सिंह पंढेर को अपनी चार्जशीट में एक पीड़िता रिम्पा हलदर के अपहरण, बलात्कार और हत्या के मामले में आरोपमुक्त कर दिया था, पर इस के 2 महीने बाद अदालत की फटकार के बाद सीबीआई ने मोनिंदर सिंह पंढेर को इस मामले में सहआरोपी बनाया था.

तब इस मामले में इनसानी अंगों की तस्करी का मुद्दा भी उछला था. अब फिर एक दिल दहला देने वाला कांड सामने आया है और इसे अंजाम देने वाला कोई कसाई नहीं, बल्कि एक डाक्टर है जिस पर दूसरों की जान बचाने की जिम्मेदारी होती है.

इस डाक्टर का नाम देवेंद्र शर्मा है, पर है पूरा सीरियल किलर. उस ने कबूल किया है कि साल 2002 से 2004 के बीच दिल्ली, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और राजस्थान में अब तक वह 100 से ज्यादा लोगों की जान ले चुका है, जिन में से ज्यादातर को उस ने उत्तर प्रदेश की एक नहर में मौजूद मगरमच्छों का खाना बना दिया.

गुरुग्राम किडनी कांड में शामिल अलीगढ़ के डाक्टर देवेंद्र शर्मा को हाल ही में दिल्ली से पकड़ा गया गया था. इस से पहले वह किडनी केस में पिछले 16 साल से सजा काट रहा था और अब परोल पर बाहर था. मीआद पूरी होने के बाद उसे वापस जेल जाना था, लेकिन वह अंडरग्राउंड हो गया था. पर अब पकड़े जाने के बाद उस की काली करतूतों की परतें खुल रही हैं.

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ऐसे बना अपराधी

कोई डाक्टर अपराधी कैसे बन गया? यह सवाल अब हर किसी के मन में उठ रहा है. जानकारी हासिल हुई है कि एक निवेश में धोखे के बाद देवेंद्र शर्मा ने जुर्म का रास्ता चुना था, फिर वह डाक्टरी के साथसाथ किडनी ट्रांसप्लांट रैकेट, फर्जी गैस एजेंसी भी चलाने लगा था. इतना ही नहीं वह चोरी की गाड़ियां भी बेचता था. अपनी फर्जी गैस एजेंसी के लिए जब उसे सिलेंडर चाहिए होते थे, तब वह गैस डिलीवरी वाले ट्रक लूट लेता था और उस के ड्राइवर को मार देता था.

यह भी खुलासा हुआ है कि दिल्ली से उत्तर प्रदेश जाने के लिए डाक्टर देवेंद्र शर्मा के गैंग के लोग जिस टैक्सी को बुक करते थे बाद में उसे ही लूट लेते थे.

हाल ही में पकड़े जाने के बाद डाक्टर देवेंद्र शर्मा ने बताया कि उस ने ज्यादातर लाशों को उत्तर प्रदेश के कासगंज इलाके की हजारा नहर में फेंक दिया था. इस नहर में बड़ी तादाद में मगरमच्छ रहते हैं.

डाक्टर देवेंद्र शर्मा को बुधवार, 29 जुलाई को दिल्ली से गिरफ्तार किया गया था. वह कोई एमबीबीएस डाक्टर नहीं था, बल्कि साल 1984 में उस ने बिहार के सिवान से बैचलर औफ आयुर्वेद मैडिसिन ऐंड सर्जरी की डिगरी पूरी कर के राजस्थान में क्लिनिक खोला था, फिर साल 1994 में उस ने गैस एजेंसी के लिए एक कंपनी में 11 लाख रुपए लगाए थे, लेकिन वह कंपनी अचानक गायब हो गई. इस नुकसान के बाद उस ने साल 1995 में एक फर्जी गैस एजेंसी खोल ली थी.

बनाया अपना गैंग

इस के बाद डाक्टर देवेंद्र शर्मा ने एक गैंग बनाया जो एलपीजी सिलेंडर ले कर जाते ट्रकों को लूट लेता था. इस के लिए वे लोग ड्राइवर को मार देते थे और ट्रक को भी कहीं ठिकाने लगा देते थे. इस दौरान उस ने अपने गैंग के साथ मिल कर तकरीबन 24 लोगों का खून किया था. फिर देवेंद्र शर्मा किडनी ट्रांसप्लांट गिरोह में शामिल हो गया था और उस ने 5 लाख से 7 लाख रुपए प्रति ट्रांसप्लांट के हिसाब से 125 ट्रांसप्लांट करवाए थे. इतना ही नहीं ये लोग कैब ड्राइवरों को मार कर उन की कैब लूट लेते थे और ड्राइवर की लाश को नहर में फेंक देते थे. बाद में कैब को सैकंडहैंड कार बता कर बेच दिया जाता था.

इस के बाद साल 2004 में डाक्टर देवेंद्र शर्मा पकड़ा गया था और 16 साल जयपुर जेल में रहा था, फिर अच्छे बरताव के लिए उसे जनवरी, 2020 को 20 दिन की परोल मिली थी, लेकिन वह भाग कर अंडरग्राउंड हो गया था.

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फरेबी अमन ने उजाड़ा चमन

फरेबी अमन ने उजाड़ा चमन : भाग 5

सर्विलांस टीम ने जब अपना काम शुरू किया तो उसे लोइया गांव या आसपास के इलाके में किसी भी महिला अथवा युवती के लापता होने की जानकारी नहीं मिली. अलबत्ता यह जरूर पता चला कि लोइया गांव के ज्यादातर नौजवान पंजाब व हरियाणा के अलगअलग स्थानों पर तंत्रमंत्र झाड़फूंक और टोनेटोटके, वशीकरण का काम करते हैं.

एसएसपी के निर्देश पर सर्विलांस टीम ने एक साथ 2 तरह से विवेचना के काम को आगे बढ़ाना शुरू कर दिया. टीम ने सब से पहले लोइया गांव से 13 जून से एक महीने पहले तक के उन तमाम फोन नंबरों का डं डाटा एकत्र किया जो उस वक्त वहां सक्रिय थे.

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सर्विलांस टीम ने पंडित ईश्वर चंद के खेत के आसपास से मिले मोबाइल फोनों के डंप डाटा की जांच शुरू करनी शुरू कर दी जो एक थका देने वाली प्रक्रिया थी.

इसी के साथ सर्विलांस टीम ने डिस्ट्रिक्ट क्राइम रिकौर्ड ब्यूरो और स्टेट क्राइम रिकौर्ड ब्यूरो में दर्ज लापता युवतियों के बारे में सूचना एकत्र करनी शुरू की. लेकिन ब्यूरो से मिले कोई तथ्य शव से मेल नहीं खा रहे थे.

इस के बाद पुलिस ने यह पता लगाना शुरू किया कि इस गांव के कौनकौन से लोग दूसरे राज्यों में काम करते हैं. क्योंकि अगर मेरठ या आसपास के इलाकों की मृतक महिला होती तो अब तक उस के परिजन पुलिस से संपर्क कर चुके होते.

पुलिस ने जब इस ऐंगल पर पड़ताल शुरू की तो पता चला कि करनाल और लुधियाना भी ऐसे शहर हैं, जहां इस गांव के युवक तंत्रमंत्र और वशीकरण का काम करते हैं. पुलिस की पड़ताल जब लुधियाना तक पहुंची तो उन शहरों में महिलाओं की रिपोर्ट खंगाली गई.

आखिरकार, लुधियाना पहुंची मेरठ की सर्विलांस टीम के हाथ सफलता लग गई. पुलिस को पता चला कि लुधियाना के मोतीनगर इलाके में रहने वाली करीब 20 साल की एक युवती जिस का नाम एकता है, उस के परिवार वालों ने उस की मिसिंग रिपोर्ट दर्ज कराई है.

युवती की मिसिंग रिपोर्ट के साथ उस का फोटो भी था और उस के परिजनों का पता व फोन नंबर भी थे. पुलिस ने परिजनों से जब संपर्क साधा तो उन्हें पता चला कि उन की बेटी एकता ने तो अमन नाम के एक लड़के से शादी कर ली है.

परिजनों ने बताया कि उन की बेटी को कुछ नहीं हुआ है क्योंकि वह तो वाट्सऐप पर उन से चैटिंग करती रहती है और अपना स्टेटस भी चेंज करती रहती है.

हालांकि पुलिस निराश जरूर हो गई थी लेकिन फिर भी उस ने एकता और उस के प्रेमी अमन का मोबाइन नंबर उस के परिवार वालों से हासिल कर लिया.

मेरठ आने के बाद पुलिस ने इन दोनों नंबरों की काल डिटेल्स निकाल कर पड़ताल शुरू कर दी तो पता चला कि एकता का फोन तो कई महीनों से एक्टिव ही नहीं है. अलबत्ता उस के नंबर पर वाट्सऐप जरूर चल रहा है. जबकि अमन का जो नंबर है वह भी लुधियाना के ही किसी फरजी पते से लिया गया था. इसलिए पुलिस ने एक बार फिर लुधियाना का रुख किया.

पुलिस ने लुधियाना में उन दफ्तरों की खाक छाननी शुरू की, जहां एकता काम करती थी. पुलिस का एकता के आखिरी दफ्तर में काम करने वाली उस की एक खास सहेली प्रीति (परिवर्तित नाम) से पता चला कि एकता जब वहां काम करती थी तो वह मोतीनगर में ही दिलशाद नाम के एक तांत्रिक के यहां काम करने वाले अमन से मिलने जाती थी.

तांत्रिक दिलशाद से मिली खास जानकारी

अमन के बारे में यह सुराग मिलते ही सर्विलांस टीम की बांछें खिल गईं. बस फिर क्या था, पुलिस टीम ने दिलशाद को उठा लिया. दिलशाद से अमन के बारे में पूछा गया तो उस ने बता दिया कि उस के यहां अमन नाम का जो लड़का काम करता था, उस का असली नाम शाकेब था और वह अब उस के यहां काम नहीं करता. हां, दिलशाद ने इतना जरूर बताया कि अमन उर्फ शाकेब मेरठ के दौराला में लोइया गांव का रहने वाला है.

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इतनी जानकारी मिलते ही पुलिस टीम उछल पडी. क्योंकि जिस कातिल को वह दुनिया भर में ढूंढ रही थी, वह तो लोइया गांव में ही मौजूद था. इस के बाद का काम बहुत आसान था. दिलशाद से जो जानकारी मिली थी, उस के आधार पर पुलिस ने लोइया गांव के शाकेब के बारे में जानकारी हासिल कर ली.

20 मई, 2020 को सर्विलांस टीम ने शाकेब को उस वक्त उस के घर से उठा लिया जब वह परिवार से मिलने के लिए गांव की तरफ जा रहा था.

बाद में शाकेब ने अपना गुनाह कबूल कर लिया और एकता की हत्या में सहयोग करने वाले अन्य नामों का खुलासा कर दिया. जिस के बाद पुलिस ने उसी रात को दबिश दे कर शाकेब के पिता, भाई, दोनों भाभियों और उस के दोस्त अयान को गिरफ्तार कर लिया.

उसी रात पुलिस ने काल कर के एकता के घर वालों को भेज कर एकता की हत्या और उस के कातिलों के पकड़े जाने की पूरी जानकारी दे दी. घर वाले अगले ही दिन कांगड़ा से मेरठ पहुंच गए.

पुलिस ने सभी आरोपियों को साथ में ले जा कर उन स्थानों की पहचान की, जहां एकता के शव के दूसरे अंग ठिकाने लगाए थे. पुलिस टीम ने उन जगहों की गहराई से छानबीन की, लेकिन एकता के शव के बाकी हिस्से कहीं नहीं मिले.

दरअसल वक्त इतना बीत चुका था कि शरीर के बाकी हिस्सों का मिलना अब वैसे भी नामुमकिन था. एकता के शव की सच्चाई स्थापित करने के लिए पुलिस ने उस के परिवार के लोगों के ब्लड सैंपल लिए. पुलिस ने एकता के शव के रिजर्व रखे गए अंश से फोरैंसिक जांच के बाद डीएनए कराने की प्रक्रिया शुरू की है ताकि यह साबित किया जा सके कि लोइया गांव में जो शव मिला था वह एकता का ही था.

पुलिस ने सभी आरोपियों की गिरफ्तारी के बाद उन की निशानेदही पर एकता का मोबाइल फोन, शाकेब का मोबाइल फोन, एकता के शव के टुकड़े करने में इस्तेमाल बलकटी और गड्ढा खोदने में इस्तेमाल फावड़ा बरामद कर लिया है.

आरोपियों से विस्तृत पूछताछ व जांच के बाद मामले की जांच कर रहे विवेचक ने एकता हत्याकांड के मुकदमे में सबूत मिटाने की धारा 201, 147,148 व 149 भी जोड़ दी. पुलिस ने सभी आरोपियों को मेरठ के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रैट की अदालत में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया.

एक साल पुराने इस ब्लाइंड मर्डर केस की गुत्थी सुलझाने वाली सर्विलांस टीम को एसएसपी अजय साहनी ने 20 हजार रुपए का पुरस्कार दिया है.

जब एकता के हत्यारे को लगी गोली

एकता हत्याकांड की गुत्थी सुलझाने के बाद सभी आरोपियों को प्रैसवार्ता में लाया गया था, उस के बाद पुलिस शाकेब और अन्य लोगों को मैडिकल जांच के लिए अस्पताल ले कर जा रही थी.

तभी रास्ते में शाकेब ने एक सिपाही की पिस्टल छीन कर गोली चला दी. गोली लगने से सिपाही सुधीर मलिक घायल हो गया. पिस्टल ले कर भाग रहे शाकिब को पुलिस ने घेराबंदी कर भराला गांव के जंगल में घेर लिया, जहां मुठभेड़ में उस के पैर में पुलिस की 3 गोलियां लगीं.

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घायल शाकेब को ले कर पुलिस जिला अस्पताल पहुंची, जहां उस का इलाज किया गया. पुलिस का कहना है कि हत्या के आरोप में गिरफ्तार सभी 6 आरोपियों के खिलाफ आवश्यक काररवाई की जा रही है.

शाकिब, उस के भाई मुशर्रत, पिता मुस्तकीम, भाभी रेशमा, इस्मत और दोस्त अयान को गिरफ्तार करने के बाद पुलिस लाइन में प्रैस कौन्फ्रैंस की गई थी. वहां से सभी मुलजिमों को गाड़ी में बैठा कर दौराला थाने लाया जा रहा था. सिवाया टोलप्लाजा के पास शाकेब के परिवार ने उसे पानी पिलाने की बात कह कर गाड़ी रुकवा ली.

इसी बीच शाकेब ने सिपाही सुधीर की पिस्टल छीन ली. पुलिस पर फायरिंग करता हुआ शाकेब सिवाया के जंगल में घुस गया. शाकेब के फायर करने पर एक गोली कांस्टेबल सुधीर के सीने में लगी. उस के बाद ग्रामीणों की मदद से शाकेब का पीछा किया गया.

शाकेब की फरारी की सूचना के बाद एसपी सिटी और एसएसपी भी मौके की ओर दौड़ गए. घंटों की मशक्कत के बाद सिवाया के जंगल में शाकिब को घेर लिया. जवाबी फायरिंग में शाकिब को कई गोलियां लग गईं.

घायल अवस्था में उसे जिला अस्पताल लाया गया. साथ ही घायल सिपाही को भी अस्पताल में भरती करा दिया है. पुलिस ने हत्या के बाद अब शाकिब के खिलाफ हत्या की कोशिश करने के लिए भादंसं की धारा 307, 392 और 411 का मुकदमा पंजीकृत किया है. अस्पताल से डिस्चार्ज होने के बाद उसे मेरठ जेल भेज दिया गया.

फरेबी अमन ने उजाड़ा चमन : भाग 4

दूसरी तरफ शाकेब जो अब तक खुद को अमन के रूप में पेश करता रहा था. उसे लग गया कि एकता के ऊपर चढ़ा उस के सम्मोहन का जादू अब टूट गया है और मामला बिगड़ चुका है. उस ने एक ही क्षण में फैसला कर लिया कि उसे क्या करना है.

उस ने किसी तरह सब से पहले एकता को शांत कराया और उस से कहा कि वह उस के साथ किसी तरह की जोरजबरदस्ती नहीं करेगा. अगर वह उस के साथ नहीं रहना चाहती तो वह ईद से अगले दिन उस के घर भेज देगा और उस ने जो गहने और पैसे दिए हैं, उसे वापस दे देगा.

शाकेब उर्फ अमन ने एक दिन शांति के साथ एकता को अपने घर पर ही एक मेहमान की तरह रुकने का अनुरोध किया तो एकता भी विरोध न कर सकी. शाकेब के इरादों से अनजान एकता एक दिन के लिए उसी घर में रुकने के लिए मान गई.

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इस के बाद शाकेब ने एकता का अपने पूरे परिवार से बेहद सलीके से परिचय कराया.

शाकेब के परिवार में उस के पिता मुस्तकीम के अलावा 4 भाई थे, जिन में शाकेब खुद सब से छोटा था. मां का इंतकाल हो चुका था. उस से बड़े 3 भाई मुशर्रत, नावेद और जावेद हैं. शाकेब के पिता पेशे से ड्राइवर हैं जबकि चारों भाई दौराला से बाहर अलगअलग शहरों में तंत्रमंत्र और झाड़फूंक का काम करते हैं.

मुशर्रत की शादी इस्मत से हुई थी, जबकि नावेद की पत्नी रेशमा है, आशिया तीसरे नंबर के भाई जावेद की पत्नी थी, जो अपनी पत्नी के साथ अपनी ससुराल गया हुआ था. नावेद भी इन दिनों किसी अपराध में शामिल होने के कारण मेरठ जेल में बंद था.

एकता ने की अपने घर जाने की जिद

एकता शाकेब के परिवार के बारे में जानने के बाद यह तो समझ गई थी कि उस का परिवार अच्छा नहीं है. शाकेब के साथ उस के गांव आने के बाद एकता को पूरी तरह आभास हो चुका था कि वह तथाकथित अमन के सम्मोहन में पड़ कर बुरी तरह फंस चुकी थी.

लेकिन जिस तरह शाकेब ने उसे भरोसा दिया था कि वह ईद के अगले दिन उसे उस के पैसों के साथ सकुशल घर वापस पहुंचा देगा, उसे जानने के बाद वह सुकून महसूस कर रही थी कि चलो उसे अपनी भूल सुधारने का मौका मिल गया है.

वह किसी तरह अगले दिन मनाई जाने वाली ईद का इंतजार करने लगी, ताकि उस के खत्म होते ही वह अपने परिवार के पास वापस लौट सके. रात में एकता ने शाकेब के पूरे परिवार के साथ मिल कर खाना खाया.

खाना खाने के बाद परिवार के सभी लोगों ने सोने से पहले कोल्डड्रिंक पी. शाकेब की भाभी रेशमा ने एकता को भी एक गिलास में डाल कर कोल्डड्रिंक पीने के लिए दी, जिस के बाद सभी लोग खुशनुमा माहौल में कुछ देर बात करने लगे.

चंद मिनटों बाद एकता को नींद की उबासी आने लगी तो उस ने कहा कि उसे सोना है. यह सुनने के बाद सभी लोग उसे कमरे में सोने के लिए छोड़ कर बाहर चले गए.

दरअसल अब तक जो घटनाक्रम हो रहा था, वह एक एक साजिश का हिस्सा था जिसे अब अंजाम दिया जाना था. जिन दिनों अमन बना शाकेब दौराला में एकता के साथ किराए का घर ले कर रह रहा था, उस वक्त वह रोज अपने घर वालों से मिलने के लिए आता था.

उस ने घर वालों को बता दिया था कि उस ने एक हिंदू लडकी को अपने जाल में फंसाया है और उस से दिखावे के लिए शादी भी कर ली है. क्योंकि उस ने लड़की को अपने बारे में यही बताया था कि वह हिंदू है.

परिवार वालों को जब ये पता चला कि एकता शाकेब के प्यार में फंसने के बाद अपने घर से करीब 25 लाख रुपए के गहने व नकदी भी चुरा कर ले आई है तो सब बहुत खुश हुए. चूंकि एक दिन तो एकता के ऊपर अमन उर्फ शाकेब के मुसलिम होने की हकीकत पता चल ही जानी थी और उस के परिवार की हकीकत भी उजागर हो जानी थी.

शाकेब का परिवार यह भी जानता था कि अगर शाकेब से हिंदू लड़की एकता निकाह के लिए राजी भी हो गई तो उन की बिरादरी के लोग उन का गैरमजहब में शादी के कारण जीना हराम कर देंगे. अगर शाकेब और एकता की शादी नहीं हुई तो यह भी तय था कि वह शाकेब को दी गई अपनी सारी रकम मांग लेगी.

इसलिए शाकेब ने अपने पिता, भाई और भाभियों के साथ मिल कर पहले ही यह साजिश तैयार कर ली थी कि एकता को अपने घर ला कर उस की हत्या कर दी जाए. इस से उसे एकता की रकम भी नहीं लौटानी पड़ेगी और उस से छुटकारा भी मिल जाएगा.

एकता के नशे में बेसुध हो जाने के बाद शाकेब ने उस के कपड़े उतारे और नशे की अवस्था में ही उस के शरीर से अपनी हवस की भूख शांत की. एकता के शरीर से खिलवाड़ करने के बाद बिस्तर से उठ कर अंगड़ाई लेने के बाद शाकेब बुदबुदाया, ‘‘मूर्ख लड़की तुझे मेरे साथ सुहागरात मनाने की बड़ी जल्दी थी न…चल मरने से पहले मैं ने तेरी ये ख्वाहिश भी पूरी कर दी. अब अगले जन्म में हमारी मुलाकात होगी.’’

शाकेब ने उस के बाद दूसरे कमरों में बेसब्री से इंतजार कर रहे अपने भाई, भाभियों और पिता को बुलाया. इस के बाद उन्होंने मिल कर एकता की गला दबा कर हत्या कर दी.

चूंकि पूरी साजिश पहले ही तैयार कर ली गई थी. एकता की लाश को भी ठिकाने लगाना था. इस काम के लिए शाकेब ने अपने ही गांव में रहने वाले एक कम उम्र के लड़के अयान को भी अपने साथ मिला लिया था. अयान कुछ दिनों से शाकेब के साथ मिल कर तंत्रमंत्र का काम सीख रहा था. शाकेब ने उसे 20 हजार रुपए भी देने का वायदा किया.

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एकता की हत्या करने के बाद शाकेब ने अपने भाई, पिता और अयान के साथ मिल कर ईद पर दी जाने वाली बलि की पहले बलकटी से एकता की गरदन काट कर उसे धड़ से अलग किया. उस के बाद दोनों हाथों को कंधे से काट कर अलग किया.

दरअसल सिर और दोनों हाथ काटने की खास वजह थी. शाकेब को डर था कि अगर कल को किसी वजह से एकता का शव बरामद भी हो जाए तो उस की पहचान न हो सके. क्योंकि उस के हाथ पर उस का अपना नाम गुदा हुआ था और दूसरे पर उस ने अमन का नाम गुदवाया हुआ था. इसीलिए शाकेब ने उस के दोनों हाथ भी धड़ से अलग कर दिए थे.

एकता की हत्या के बाद उस के शरीर के चारों टुकड़ों को 4 अलगअलग बोरियों में भर कर उसी रात शाकेब अपने भाई व दोस्त के साथ मोटरसाइकिल पर लाद कर उन्हें ठिकाने लगाने के लिए ले गए.

सब से पहले लोइया गांव में ही ईश्वर पंडित के खेत में गड्ढा खोद कर एकता के धड़ वाले हिस्से को दफना दिया गया. शव जल्द से गल जाए, इस के लिए शाकेब ने शव के ऊपर 5 किलो नमक डाल दिया और ऊपर से मिट्टी डाल दी.

धड़ को ठिकाने लगाने के बाद शाकेब ने भाई व दोस्त के साथ मिल कर एकता के सिर व दोनों कटे हुए हाथों को बोरी समेत गांव के आसपास के कीचड़ भरे तालाबों के किनारे दफना दिया.

अगले दिन शाकेब के पूरे परिवार ने धूमधाम से ईद मनाई. उस दिन 5 जून, 2019 थी. ईद मनाने के कुछ दिन बाद ही शाकेब फिर से करनाल में आ कर अपने दोस्तों के साथ तंत्रमंत्र के काम में लग गया.

लेकिन इस दौरान कहीं न कहीं उस के मन में एक डर भी बना रहा. वह जानता था कि एकता ने अपने परिवार को उस के बारे में बता रखा है और यह भी बता दिया है कि उस ने अमन से शादी कर ली है. इसलिए उस ने एकता के मोबाइल का सिम निकाल कर उस के वाट्सऐप तथा फेसबुक को खुद ही अपडेट करने का काम शुरू कर दिया. ताकि उस के परिवार को लगे कि एकता ठीक है.

शाकेब अमन बन कर एकता के वाट्सऐप तथा फेसबुक की गैलरी में पड़ी प्रोफाइल फोटो भी चेंज करता रहता था, जिस से एकता के परिवार को लगता कि वह खुश है. कभीकभी एकता की मां उसे मैसेज करती थी, जिस का वह चैटिंग के जरिए तो एकता बन कर जवाब देता मगर जब वह उस से फोन पर बात करने के लिए कहती तो वह एकता बन कर कह देता कि सौरी मम्मी, मैं फोन पर बात नहीं करूंगी.

इधर कुछ दिन बाद 13 जून को कुत्तों ने ईश्वर पंडित के खेत में उस जगह को खोद दिया, जहां एकता की लाश को दबाया गया था. कुत्ता शव के एक हिस्से को मुंह में दबा कर जा रहा था तो गांव वालों पर ये भेद खुल गया और मामला पुलिस तक पहुंच गया.

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सर्विलांस टीम ने खोला केस

चूंकि पुलिस को एकता की लाश का केवल धड़ मिला था, इसलिए पुलिस के सामने सब से बडी चुनौती थी कि शव की शिनाख्त कैसे की जाए. इसलिए एसएसपी अजय साहनी ने अपनी सर्विलांस टीम को जांच के काम में लगा दिया. ये टीम एसएसपी के कैंप औफिस में उन्हीं की निगरानी में काम करती है और छोटी से छोटी जानकारी के बारे में एसएसपी को ही रिपोर्ट करती है.

जानें आगे की कहानी अगले भाग में…

फरेबी अमन ने उजाड़ा चमन : भाग 3

एकता ने अपने माता और मामा के घर से करीब 25 लाख के गहने और नकदी चुरा ली थी. वह लुधियाना के बजाय सीधे करनाल पहुंच गई.

एकता ने मातापिता और मामा के घर से चुराए गए नकद रुपए और गहने ले जा कर अमन के हाथों में सौंप दिए और बोली, ‘‘देखो अमन, मैं अपने घर से जेवर और रुपए चुरा कर ले तो आई हूं, लेकिन एक बात साफ समझ लो कि अब मैं अपने घर में नहीं जा सकती. मैं ने तुम पर भरोसा किया है, मेरे भरोसे का खून मत कर देना.’’

इतनी बड़ी रकम और लाखों के गहने देख कर अमन की खुशी की सीमा नहीं रही. उस ने महीनों की मोहब्बत के बाद आज पहली बार एकता को अपनी बांहों में भर लिया.

उस के माथे पर एक प्यारभरी जुंबिश दे कर बोला, ‘‘कैसी बात करती हो पगली, मेरी दुनिया भी तो तुम तक ही सीमित है. तुम फिक्र मत करो, हम 1-2 दिन में ही शादी कर लेंगे और तुम्हें परिवार की चिंता करने की जरूरत नहीं है. मेरा परिवार भी तो तुम्हारा ही परिवार है. शादी के बाद मैं तुम्हें अपने परिवार वालों के पास ले चलूंगा. देखना मेरा परिवार तुम्हें इतना प्यार देगा कि तुम दुनिया को भूल जाओगी.’’

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अमन की बातें सुन कर एकता की आंखें डबडबा आईं. एकता अपनी किस्मत पर इतराने लगी क्योंकि वह तो पंकज की चाहत में अमन से मिली थी, लेकिन उसे क्या पता था कि किस्मत उस के लिए पंकज से भी अच्छा जीवनसाथी चुन चुकी है.

इधर जब एकता अपने परिवार और मामा के घर से नकदी और गहने चोरी कर के भागी तो अगले दिन तक ही उस के मातापिता और मामा के घर में पता चल गया कि वह घर से चोरी कर के भागी है. मामा और मामी एकता के मातापिता के पास पहुंचे तो उन्हें सारी बात पता चली.

पूरा परिवार चिंता में डूब गया. क्या किया जाए इस पर विचार किया गया. एक बात तो साफ थी कि एकता ने अपने ही घर में चोरी करने का ये काम अमन नाम के अपने उस प्रेमी की मदद करने के लिए किया था, जिस से वह शादी करना चाहती थी.

बेटी नहीं मिली तो लिखाई थाने में गुमशुदगी

परिवार ने लुधियाना जा कर एकता की तलाश करने का फैसला किया. लेकिन यह क्या, जब परिवार के लोग लुधियाना पहुंचे तो उन्हें पता चला कि एकता एक महीना पहले ही उस मकान को छोड़ कर जा चुकी थी, जहां वह रहती थी. एकता कहां गई है, किसी को भी इस बात का पता नहीं था.

एकता के घर वाले समझ गए कि एकता पूरी तरह अमन नाम के लड़के के प्यार में पागल हो चुकी है. इसलिए अब एक ही चारा था कि एकता की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करवा दी जाए.

घर वालों ने पुलिस को यह बात तो नहीं बताई कि उन की बेटी अपने ही घर से बड़ी रकम और गहने चुरा कर भागी है, लेकिन उन्होंने लुधियाना के मोतीनगर थाने में उस की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराते हुए पुलिस को यह जरूर बताया कि उन की बेटी किसी अमन नाम के लड़के से प्यार करती थी और शायद उसी के बहकावे में आ कर भाग गई है.

मोतीनगर पुलिस ने एकता की गुमशुदगी का मामला दर्ज कर लिया और एक एएसआई को उस की तलाश तथा मुकदमे की जांच का काम सौंप दिया. पुलिस ने आसपास के सभी जिलों की पुलिस और नैशनल क्राइम रिकौर्ड ब्यूरो में एकता के फोटो और गुमशुदगी से जुड़ी सभी जानकारी भेज दी.

एकता जब अपने परिवार में चोरी कर के अमन के पास आई थी तब यह बात मई, 2019 की थी. दूसरी तरफ जब एकता ने करीब 25 लाख रुपए की नकदी और गहने अमन को ले जा कर दिए तो उस ने करनाल में तंत्रमंत्र का काम करने वाले अपने 5-6 दोस्तों की उपस्थिति में एकता से घर में ही एक पंडित को बुला कर हिंदू रीतिरिवाज से शादी कर ली और अगले ही दिन वह एकता को ले कर अपने गांव दौराला चला गया.

दौराला में अमन ने पहले से ही अपने कुछ परिचितों की मदद से फोन पर बातचीत कर के किराए के एक मकान की व्यवस्था भी कर ली थी. अमन और एकता के पास अपने पहनने के कपड़े तथा जरूरत का कुछ सामान था. बाकी की घरगृहस्थी का जरूरी सामान उन्होंने वहां जा कर खरीद लिया.

लेकिन सब से बड़ी बात यह थी कि एकता से शादी के बाद भी अमन ने उस के शरीर को छुआ तक नहीं था. एकता के पूछने पर वह हमेशा यही कहता कि कुछ दिन बाद वह अपने परिवार वालों से उसे मिलाने के लिए ले जाएगा तब परिवार वालों का आशीर्वाद लेने के बाद ही वह उस के साथ सुहागरात मनाएगा.

अपने परिवार और मातापिता के लिए ऐसे आदर्शवादी पति के मुंह से ये बातें सुन कर एकता का सिर गर्व से ऊंचा हो गया. उसे लगा कि उस ने अमन को अपना जीवनसाथी चुन कर कोई गलती नहीं की है.

इस दौरान एकता ने अपनी मां को 1-2 बार वाट्सऐप पर मैसेज कर के यह बात जरूर बता दी थी कि उस ने अमन से शादी कर ली है और वह बहुत खुश है. साथ ही उस ने यह भी कहा कि उसे ढूंढने की कोशिश न करें.

इस बीच करीब एक महीना गुजर गया. एकता को घर में अकेला छोड़ कर काम की तलाश में जाने की बात कर के अमन रोज कई घंटों के लिए कहीं चला जाता था. शाम को जब वह देर से आता तो पूछने पर एकता को यही बताता कि वह नया काम शुरू करने के लिए जगह की तलाश कर रहा है, जल्द ही उसे औफिस मिल जाएगा.

एकता से टालमटोल करता रहा अमन

जब एक महीना पूरा हो गया तो एकता ने थोड़ा सख्त लहजे में अमन से पूछना शुरू कर दिया कि वह जल्द ही उसे अपने परिवार से मिला देगा और उन का आशीर्वाद ले कर उसे पत्नी का दरजा देगा लेकिन एक महीना होने के बाद भी वह न तो उसे परिवार से मिला रहा था और न ही कोई नया काम शुरू किया. इस तरह तो सारा पैसा भी खत्म हो जाएगा.

एकता ने उस दिन थोड़ा सख्त लहजे में कहा कि उस ने अपने परिवार के साथ छल किया और उस पर भरोसा कर के बहुत बड़ी गलती की है. अमन को उस दिन लगा कि अब अगर उस ने एकता को जल्द ही पत्नी का दरजा नहीं दिया तो वह बगावत कर के उसे छोड़ कर चली जाएगी.

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2 दिन बाद ईद का त्यौहार था. इस से एक दिन पहले अमन दोपहर को अचानक बाहर से काम निबटा कर घर पहुंचा और एकता को बांहों में भर लिया, ‘‘लो जी मैडम, आज वह खुशी का दिन आ गया, जब तुम्हें अपनी ससुराल वालों से मिलना है. जल्दी से तैयार हो जाओ, हमें गांव चलना है घरवालों के पास.’’

एकता की खुशी का ठिकाना नहीं रहा. इस दिन का वह कितनी बेसब्री से इंतजार कर रही थी जब वह पूरी तरह अमन की हो जाएगी. एकता झटपट तैयार हो गई. अमन उसे एक आटोरिक्शा में बैठा कर अपने गांव लोइया आ गया. लेकिन यह क्या अमन तो उसे किसी मुसलिम परिवार में ले आया था.  घर में मौजूद लोगों के मुसलिम लिबास, रहनसहन और बोलचाल देख कर साफ समझ आ रहा था कि वह जिस घर में आई है, वह एक मुसलिम परिवार है.

प्रेमी की असलियत जान कर बिफर पड़ी एकता

एकता ने हैरतभरी निगाहों से अमन की तरफ देखा तो अमन बोला, ‘‘अरे देख क्या रही हो, यही मेरा परिवार है. ये मेरे अब्बू हैं, ये बड़े भाईजान और ये दोनों मेरी भाभीजान हैं.’’

‘‘लेकिन अमन तुम ने तो कभी नहीं बताया कि तुम मेरे धर्म के नहीं और तुम ने तो अपना नाम अमन बताया था.’’ एकता फटी आखों से अमन को देख कर बिफरते हुए बोली.

‘‘अरे..अरे मेरी प्यारी बीवी, इस में नाराज होने की क्या बात है. भई मेरा प्यार का नाम अमन ही है, इस में मैं ने झूठ कहां बोला. हां, वैसे घर वाले मुझे शाकेब कह कर बुलाते हैं. तुम ने तो अपना घरबार मेरे लिए ही छोड़ा है अब मेरा नाम शाकेब हो या अमन, मैं हिंदू हूं या मुसलमान क्या फर्क पडता है.’’

अमन जो वास्तव में शाकेब था, उस ने बड़ी ही धूर्तता के साथ एकता के कंधों को पकड़ कर कहा.

‘‘दूर हट जाओ मुझ से. खबरदार जो मुझे छूने की कोशिश की. तुम्हारा धर्म क्या है, तुम्हारा असली नाम क्या है, मेरे लिए यह बहुत मायने रखता है. तुम ने मेरे साथ छल किया है. इसलिए भूल जाओ कि अब मैं तुम्हारे पास रहूंगी. मुझे अभी अपने घर जाना है, अपने परिवार वालों के पास जाना है. मैं ने तुम्हारे लिए उन का जो दिल दुखाया है, उन से मिल कर मैं माफी मांगना चाहती हूं. तुम्हारी खातिर मैं ने अपने ही घर में चोरी की है. उन की मेहनत की कमाई वापस लौटा कर, मैं उन से माफी मांग कर अपने पाप को कम करना चाहती हैं.’’ एकता ने एक ही सांस में अपनी सारी भड़ास अमन उर्फ शाकेब पर निकाल दी.

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