खामियाजा औकात से बाहर का : भाग 2

इस मौके का फायदा उठा कर जयकुमार संध्या के नजदीक जाने की कोशिश करने लगा. जिस के चलते उस ने धीरेधीरे संध्या से उस की तारीफ करनी शुरू कर दी. किशोर उम्र में अपनी तारीफ सुनना हर एक लड़की को अच्छा लगता है, इसलिए संध्या को लगने लगा कि जयकुमार सारा काम छोड़ कर दिन भर उस के सामने बैठ कर उस के रूप का गुणगान करता रहे. वह जयकुमार से बात करने के लिए कभीकभी उसे अपने निजी काम भी बताने लगी, जिसे जयकुमार एक पैर पर खड़ा हो कर करने भी लगा.

जब जयकुमार को लगा कि लोहा गरम है, चोट की जा सकती है तो उस ने एक दिन डरने की एक्टिंग करते हुए संध्या से कहा, ‘‘मुझे आप से एक बात कहनी है छोटी ठकुराइन.’’

‘‘कहो, क्या कहना है?’’ संध्या बोली.

‘‘नहीं डर लगता है कि आप नाराज हो जाएंगी.’’ जयकुमार ने कहा.

‘‘नहीं होऊंगी, बोलो.’’ संध्या बोली.

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‘‘छोडि़ए छोटी ठकुराइन, मुझ जैसे गरीब का ऐसा सोचना भी पाप है.’’ कह कर जयराम ने बात अधूरी छोड़ दी. क्योंकि वह जानता था कि अधूरी बात संध्या के मन पर जितना असर करेगी, उतना पूरी नहीं.

हुआ भी यही. जय कुमार का बात अधूरी छोड़ना संध्या को बुरा लगा. क्योंकि सच तो यही है कि खुद संध्या मन ही मन जयकुमार से प्यार करने लगी थी. इसलिए उसे लग रहा था कि बुद्धू अपने मन की बात बोल देता तो कितना अच्छा होता.

अगले कुछ दिनों तक जयकुमार के आगेपीछे घूम कर उसे अपने दिल की बात कहने का मौका देने की कोशिश करने लगी. लेकिन अपनी योजना के अनुसार जयकुमार चुप रहा, जिस से संध्या का गुस्सा बढ़ता जा रहा था. एक दिन जयकुमार ने जब उसे छोटी ठकुराइन कह कर पुकारा तो वह फट पड़ी, ‘‘मत बोल मुझे छोटी ठकुराइन.’’

‘‘क्यों कोई गलती हुई क्या हम से?’’  जय कुमार ने पूछा.

‘‘हां.’’ संध्या बोली.

‘‘क्या?’’

‘‘तुम ने उस दिन बात अधूरी क्यों छोड़ी थी? बोलो, क्या कहना चाहते हो तुम?’’

‘‘कह तो दूंगा पर वादा करो कि आप को मेरी बात अच्छी न भी लगी तो भी न तो मुझ से बात करना छोड़ोगी और न मेरी शिकायत ठाकुर साहब (पापा) से करोगी.’’

‘‘वादा रहा, अब जल्दी बोलो नहीं तो कोई आ जाएगा.’’  संध्या से उतावलेपन से कहा.

‘‘आई लव यू.’’ जयकुमार ने उस की आंखों में देखते हुए कहा तो जैसे संध्या के मन में सैकड़ों गुलाब एक साथ खिल उठे.

‘‘तुम मुझ से नाराज तो नहीं हो.’’ जय कुमार ने उसे खामोश खडे़ देख पूछा.

‘‘नहीं.’’ कह कर वह थोड़ा मुसकराई.

‘‘क्या तुम भी मुझ से प्यार करती हो?’’ उस ने पूछा.

‘‘हां,’’ संध्या ने सिर हिला कर धीरे से जवाब दिया.

‘‘तो ठीक है, कल दोपहर में जब बड़ी ठकुराइन सोती हैं, मैं काम के बहाने आऊंगा. उस समय पापा और भैया भी नहीं रहेंगे.’’

‘‘ठीक है,’’ कहते हुए संध्या शरमाते हुए अंदर भाग गई.

सचमुच दूसरे दिन जय कुमार मौका निकाल कर राजेंद्र सिंह की हवेली पर पहुंचा तो संध्या उसी का इंतजार कर रही थी. यह देख कर जयकुमार ने सीधे उस की तरफ बढ़ते हुए उसे अपनी बांहों मे लेने के साथ उस के पूरे बदन पर अपने होंठों की मुहर लगानी शुरू कर दी.

जिस से संध्या के शरीर में खुशबू के फव्वारे फूटने लगे.

कुछ देर तक जय कुमार उसे पागलों की तरह प्यार करता रहा, फिर वहां से चुपचाप चला गया. चूंकि राजेंद्र सिंह की हवेली काफी बड़ी थी, सो संध्या और जयकुमार को मिलने में कोई परेशानी नहीं थी. इसलिए उस दिन के बाद दोनों मौका मिलते ही एकदूसरे की बांहों में सुख की तलाश करते रहे.

जयकुमार को राजेंद्र सिंह की नाबालिग बेटी से इश्क लड़ाना कभी भी महंगा पड़ सकता था. इसलिए वह काफी डरा हुआ भी रहता था. लेकिन ठाकुर की बेटी होने के कारण इश्क के रास्ते पर निकल पड़ी संध्या को किसी का डर नहीं था. इसलिए वह जयकुमार को खुल कर प्यार करने के लिए उकसाने लगी. दिन में बात नहीं बनी तो उस ने जयकुमार को रास्ता बताया कि रात को सब के सो जाने के बाद वह उस के कमरे मे आ जाए.

जयकुमार भी यही चाहता था, सो उस दिन के बाद से वह आए दिन अपनी रातें संध्या के कमरे में उस के साथ प्यार में डूब कर गुजारने लगा.

जयकुमार काफी संभल कर चल रहा था. लेकिन नादानी के दौर से गुजर रही संध्या में अभी इतनी गंभीरता नहीं थी कि वह अपने इश्क को संभाल कर रख सके. प्यार में पागल संध्या दिन भर जयकुमार के इर्दगिर्द रहने लगी, जिस के चलते संध्या के भाई धनेंद्र को दोनों के बीच पक रही खिचड़ी का आभास होने लगा. उस ने दोनों पर नजर रखनी शुरू कर दी, तो कुछ ही दिनों में उसे पूरा यकीन हो गया कि जयकुमार और उस की बहन घर वालों की आंखों में धूल झोंक कर इश्कबाजी कर रहे हैं.

एक मामूली नौकर द्वारा अपनी इज्जत पर हाथ डालने के दुस्साहस के कारण धनेंद्र का खून खौल उठा. लेकिन मामला इज्जत का था, सो उस ने विवाद करने के बजाय जयकुमार को डांटफटकार कर घर से निकाल दिया.

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राजेंद्र के परिवार ने जयकुमार को नौकरी से निकालने का बहाना उस के द्वारा काम में लापरवाही बरतना बताया. धीरेधीरे गांव वालों में इस के सही कारण की चर्चा होने लगी. लेकिन जयकुमार और संध्या दोनों को एकदूसरे की आदत पड़ चुकी थी, इस से परिवार वालों के विरोध के बाद भी चोरीछिपे मिल कर एकदूसरे की तड़प शांत करने का खेल लगातार जारी रहा. इस के लिए जयकुमार ने संध्या को एक सिम कार्ड उपलब्ध करा दिया, जिस से वह केवल जयकुमार से बात करती थी.

घटना वाले दिन भी यही हुआ. उस रोज पास के एक गांव के रईस ठाकुर धनेंद्र के लिए अपनी बेटी का रिश्ता ले कर आए थे. दिन भर घर में मेहमानों की भीड़ रही, जिस के बाद ठाकुर परिवार ने खेत पर दारू और मुर्गा पार्टी का आयोजन किया. जिस के चलते शाम होते ही घर के सारे मर्द पार्टी के लिए खेत पर निकल गए.

घर पर केवल मां और संध्या थी. संध्या को प्रेमी से मिलने के लिए यह समय काफी मुफीद लगा, इसलिए शाम को ही उस ने जयकुमार को फोन कर रात में चुपचाप अपने कमरे में प्यार की महफिल जमाने का निमंत्रण दे दिया था.

जयकुमार नौकरी से निकाल दिए जाने के बाद भी कई बार इसी तरह संध्या से मिला करता था. इसलिए उस रोज रात गहराते ही वह शराब पी कर चुपचाप संध्या के कमरे में दाखिल हो गया. संध्या उसी का इंतजार कर रही थी. एकदूसरे को आमनेसामने देख कर वे दुनिया को भूल कर प्यार के सागर में गोते लगाने लगे.

इधर खेत पर पार्टी खत्म कर रात 12 बजे के आसपास धनेंद्र अपने चाचा गजेंद्र के साथ घर लौटा, जिस के बाद चाचा तो अपने कमरे मे चले गए. अपने कमरे में जाते समय धनेंद्र संध्या के कमरे के सामने से गुजरा तो उसे कमरे से आवाजें सुनाई दीं.

आवाज सुन कर धनेंद्र ने बहन के कमरे में झांका तो अंदर का नजारा देख कर उस का खून खौल उठा. संध्या अपने कमरे में बिस्तर पर जयकुमार के साथ प्यार के सागर में हिचकोले ले रही थी.

धनेंद्र ने सब से पहले फोन लगा कर अपने चाचा को यहां आने को कहा और खुद गुस्से में कमरे के दरवाजे पर लात मार कर कमरे में दाखिल हो गया.

धनेंद्र को गुस्से में देख कर संध्या अपने कपड़े समेट कर मां के कमरे की तरफ भाग गई, धनेंद्र पास में पड़ा डंडा उठा कर जयकुमार पर पिल पड़ा. इस पिटाई में जयकुमार की मृत्यु हो गई, उसी समय धनेंद्र का चाचा गजेंद्र भी आ गया. धनेंद्र ने पूरी बात चाचा को बताई. इस के बाद चाचा और भतीजा मिल कर लाश को ठिकाने लगाने की योजना बनाने लगे.

तभी राजेंद्र सिंह भी घर पहुंच गया. सोचविचार कर तीनों ने लाश बोरी में बंद कर अपने घर में छिपा दी और अगली रात को अपनी गाड़ी में डाल कर उसे ठिकाने लगाने निकल पड़े. इन लोगों ने बम्हौरीकलां जतारा रोड पर बामना निगेला के पास लाश डाल दी.

उधर जयकुमार 14 जनवरी, 2020 की शाम से लापता था. 2 दिन बाद भी जब वह घर नहीं लौटा तो उस के पिता किशोरीलाल को चिंता हुई. वह 16 जनवरी को बेटे के बारे में पूछने के लिए जमींदार राजेंद्र सिंह राठौर के पास गया. क्योंकि जयकुमार पहले उस के यहां काम करता था.

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राजेंद्र सिंह ने जयकुमार के बारे में अनभिज्ञता जताई. इतना ही नहीं, सहानुभूति दिखाते हुए वह उस के साथ थाने जाने के लिए तैयार हो गया. जब ये लोग थाने जा रहे थे तभी उन्हें बामना निगेला के पास लाश मिलने की सूचना मिली. वहां जा कर देखा तो लाश जयकुमार की ही निकली.

तीनों ने सोचा था कि किशोरी के साथ लगे रहने से पुलिस उन पर शक नहीं करेगी. लेकिन एसपी अनुराग सुजानिया के निर्देशन और एसडीपीओ प्रदीप सिंह राणावत के नेतृत्व में गठित टीम ने केस का खुलासा कर आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया. तीनों आरोपियों से पूछताछ कर उन्हें कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया.

पुरानी प्रेमिका नया प्रेमी : भाग 3

सुखविंदर कौर की बेवफाई का सिला मिलने के बाद उस का नौकरी से मन उचट गया था. तभी देश में कोरोना बीमारी के चलते लौकडाउन लग गया. लौकडाउन से उस की फैक्ट्री बंद हुई तो उसे अपने घर काशीपुर लौटना पड़ा. तब तक देश भर में इमरजेंसी जैसे हालात हो गए थे. लोग अपनेअपने घरों में कैद हो कर रह गए थे.

काशीपुर आने के कुछ समय बाद उसे मुरादाबाद रोड स्थित किसी फैक्ट्री में काम मिल गया. कुलदीप ने मौका देख कर कई बार सुखविंदर से संपर्क साधने की कोशिश की लेकिन उस ने उस से मिलने में कोई रुचि नहीं दिखाई. कुलदीप ने घर पर रहते कई बार उस के मोबाइल पर फोन मिलाया तो अधिकांशत: व्यस्त ही मिला. फिर एक अन्य युवक से यह जानकारी मिली कि सुखविंदर आलिया से ज्यादा घुलमिल गई है. बात कुलदीप को बरदाश्त नहीं था.

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कुलदीप कई बार आलिया से भी मिला और उसे समझाने की कोशिश की. लेकिन आलिया ने साफ शब्दों में कह दिया कि अगर वह और सुखविंदर प्यार करते हैं तो उसे समझाए, वह सुखविंदर के पीछे नहीं बल्कि सुखविंदर ही उस के पीछे पड़ी है.

कुलदीप किसी भी कीमत पर सुखविंदर कौर को छोड़ने को तैयार नहीं था. जब सुखविंदर कौर और आलिया कुलदीप की हरकतों से परेशान हो उठे तो दोनों ने कुछ ऐसा करने की सोची, जिस से कुलदीप से पीछा छूट जाए.

सुखविंदर यह जानती थी कि कुलदीप अभी भी उस का दीवाना है. वह उस की एक काल पर ही कहीं भी आ सकता है. इसी का लाभ उठा कर उस ने कुलदीप को रास्ते से हटाने के लिए आलिया को पूरा षडयंत्रकारी नक्शा तैयार कर के दे दिया.

पूर्व नियोजित षडयंत्र के तहत 29 जून को सुखविंदर कौर ने दिन में कई बार कुलदीप के मोबाइल पर काल की. लेकिन कुलदीप सिंह अपनी ड्यूटी पर था, उस ने सुखविंदर की काल रिसीव नहीं की. शाम को दोबारा कुलदीप के मोबाइल पर उस की काल आई तो सुखविंदर ने उसे शाम को गांव के पास स्थित बलजीत सिंह के बाग में मिलने की बात पक्की कर ली.

कुलदीप सिंह उस की हरकतों से पहले ही दुखी था, लेकिन प्रेमिका होने के नाते वह उस की पिछली हरकतों को भूल कर मिलने के लिए तैयार हो गया. उसे विश्वास था कि जरूर कोई खास बात होगी, इसीलिए सुखविंदर उसे बारबार फोन कर रही है. यही सोच कर कुलदीप सिंह खुश था.

शाम को उस ने जल्दी खाना खाया और वादे के मुताबिक बाहर घूमने के बहाने घर से निकल गया. घर से निकलते ही उस ने सुखविंदर को फोन कर उस की लोकेशन पता की. उस के बाद वह बताई गई जगह पर पहुंच गया.

गांव के बाहर मिलते ही सुखविंदर ने कुलदीप को अपने आगोश में समेट लिया. कुलदीप को लगा कि सुखविंदर आज भी उसे पहले की तरह प्यार करती है. इसीलिए वह उस से इतनी गर्मजोशी से मिल रही है. कुलदीप उस की असल मंशा को समझ नहीं पाया. सुखविंदर कौर पूर्व प्रेमी कुलदीप का हाथ हाथों में थामे बाग की ओर बढ़ गई.

बाग में एक जगह बैठते हुए उस ने पुराने सभी गिलेशिकवे भूल जाने को कहा. सुखविंदर ने कुलदीप से कहा कि आज वह काफी दिनों बाद मिल रही है. इसी खुशी में वह उस के लिए स्पैशल दूध बना कर लाई है.

कुलदीप इतना नादान था कि उस के प्यार में पागल हो कर उस की चाल को समझ नहीं पाया. उस ने थैली से दूध निकाल कर गिलास में डाला और कुलदीप को पीने को दे दिया.

सुखविंदर ने थैली में थोड़ा दूध यह कह कर बचा लिया था कि इसे बाद में वह पी लेगी. दूध पीने के बाद कुलदीप को कुछ अजीब सा जरूर लगा लेकिन सुखविंदर को बुरा न लगे, इसलिए कुछ नहीं बोला. दूध पीते ही कुलदीप का सिर घूमने लगा. जब सुखविंदर को लगा कि जहर कुलदीप पर असर दिखाने लगा है तो उस ने पास ही छिपे अली हुसैन उर्फ आलिया को इशारा कर बुला लिया. आलिया ने मौके का लाभ उठा कर गमछे से गला घोंट कर कुलदीप की हत्या कर दी. बेहोश होने के कारण कुलदीप विरोध भी नहीं कर पाया. सांस रुकने से कुलदीप मौत की नींद सो गया.

कुलदीप को मौत की नींद सुला कर आलिया और सुखविंदर ने उस के शव को खींच कर पास के नाले में फेंक दिया, ताकि उस की लाश जल्दी से न मिल सके. फिर दोनों अपनेअपने घर चले आए.

सुखविंदर कौर और आलिया को पूरा विश्वास था कि उस की हत्या का राज राज ही बन कर रह जाएगा. फिर दोनों शादी कर लेंगे. लेकिन आलिया और सुखविंदर की चालाकी धरी की धरी रह गई.

इस केस के खुलते ही पुलिस ने कुलदीप हत्याकांड की आरोपी सुखविंदर कौर उस के प्रेमी अली हुसैन उर्फ आलिया को भादंवि की धारा 302/201 के तहत गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया.

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आलिया को पुलिस हिरासत में लेते ही उस का पिता अपने घर का खासखास सामान समेट कर अपने भाई कलुआ के घर बरखेड़ा पांडे चला गया. गांव वाले कुलदीप की हत्या से आहत थे, इसलिए उन्होंने गांव से नामोनिशान मिटाने के लिए उस के घर में आग लगा दी.

इतना ही नहीं आक्रोशित गांव वालों ने रात में जेसीबी से उस का घर तोड़फोड़ दिया. इस घटना से पूरे गांव में अफरातफरी का माहौल था. इस घटना की सूचना किसी ने पुलिस को दे दी.

सूचना मिलते ही सीओ मनोज कुमार ठाकुर, कोतवाल चंद्रमोहन सिंह, पैगा चौकीप्रभारी अशोक फर्त्याल समेत बड़ी तादाद में पुलिस फोर्स मौके पर पहुंची.

जिस के बाद भीड़ तितरबितर हो गई. पुलिस पूछताछ के दौरान ग्राम प्रधान राजेंद्र सिंह ने पुलिस को बताया कि जमानत पर रिहा होने के बाद आरोपी फिर से गांव में आ कर न रहने लगे, यह सोच कर गांव वालों ने उस के घर को क्षति पहुंचाने की कोशिश की थी.

इस मामले में भी पुलिस ने अपनी काररवाई करते हुए कुलदीप के ताऊ बूटा सहित 30-35 लोगों के खिलाफ आईपीसी की धारा 147,427,436,के तहत केस दर्ज किया.

पुरानी प्रेमिका नया प्रेमी : भाग 2

उन्होंने जैसे-तैसे मेहनतमजदूरी कर बेटी सुखविंदर कौर को पढ़ाया लिखाया. उस ने हाई  स्कूल कर लिया. सिर पर बाप का साया न होने की वजह से सुखविंदर कौर के कदम डगमगाने लगे थे. मां प्रकाश कौर रोजी रोटी कमाने के लिए घर से निकल जाती तो सुखविंदर कौर घर पर अकेली रह जाती थी.

उसी दौरान उस की मुलाकात कुलदीप से हुई. कुलदीप गांव का ही रहने वाला था. उस के पिता गुरमीत सिंह की गांव में अच्छी खेतीबाड़ी थी. गुरमीत सिंह का परिवार भी काफी बड़ा था. हर तरह से साधनसंपन्न इस परिवार में 7 लोग थे.

भाईबहनों में हरजीत सब से बड़ा, उस के बाद कुलदीप, निशान सिंह और उन से छोटी 2 बेटियां थीं. हरजीत सिंह की शादी हो चुकी थी. उस के बाद कुलदीप सिंह का नंबर था.

कुलदीप सिंह होनहार था. सुखविंदर कौर उस समय हाईस्कूल में पढ़ रही थी. उसी उम्र में वह कुलदीप सिंह को दिल दे बैठी. सुखविंदर कौर स्कूल जाती तो कुलदीप सिंह से भी मिल लेती थी. वह उस के परिवार की हैसियत जानती थी.

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जिस तरफ सुखविंदर का घर था, वह रास्ता कुलदीप के खेतों पर जाता था. खेतों पर आतेजाते कुलदीप की सुखविंदर से जानपहचान हुई. जब दोनों एक दूसरे के संपर्क में आए तो उन के बीच प्रेम का बीज अंकुरित हो गया. मां के काम पर निकल जाने के बाद सुखविंदर घर पर अकेली होती थी. उसी का लाभ उठा कर वह उस रास्ते से निकल रहे कुलदीप को अपने घर में बुला लेती. फिर दोनों मौके का लाभ उठा कर प्यार भरी बातों में खो जाते थे. कुलदीप उसे जी जान से प्यार करता था. प्यार की राह पर चलतेचलते दोनों ने जिंदगी भर एक दूसरे के साथ जीनेमरने की कसमें खाईं. कुलदीप उस के प्यार में इस कदर गाफिल था. उस ने बीकौम करने के बाद आईटीआई का कोर्स कर लिया था, जिस के बाद उसे रुद्रपुर की एक फैक्ट्री में अस्थाई नौकरी मिल गई थी.

रुद्रपुर में नौकरी मिलते ही कुलदीप वहीं पर कमरा ले कर रहने लगा. उस के रुद्रपुर चले जाने पर सुखविंदर परेशान हो गई. जब उसे उस की याद सताती तो वह मोबाइल पर बात कर लेती थी. लेकिन मोबाइल पर बात करने से उस के दिल को सुकून नहीं मिलता था.

उसी दौरान उस ने कई बार कुलदीप पर शादी करने का दबाव बनाया. लेकिन कुलदीप कहता कि जब उसे सरकारी नौकरी मिल जाएगी, वह उस से शादी कर लेगा. जबकि सुखविंदर उस की सरकारी नौकरी लगने तक रुकने को तैयार नहीं थी. एक साल रुद्रपुर में नौकरी करने के बाद उस की जौब राजस्थान की एक बाइक कंपनी में लग गई. कुलदीप को राजस्थान जाना पड़ा.

कुलदीप के राजस्थान चले जाने के बाद तो सुखविंदर की उम्मीदों पर पूरी तरह से पानी फिर गया. जब कभी वह मोबाइल पर कुलदीप से बात करती तो उस का मन बहुत दुखी होता था. कुलदीप ने उसे कई बार समझाने की कोशिश की, लेकिन वह उस की एक भी बात मानने को तैयार नहीं थी.

घटना से लगभग 6 महीने पहले सुखविंदर की नजर अपने पड़ोसी अली हुसैन उर्फ आलिया पर पड़ी. गांव में शाकिर हुसैन का अकेला मुसलिम परिवार रहता था. यह परिवार पिछले 40 वर्षों से इस गांव में रह रहा था. 8 महीने पहले ही ग्राम प्रधान राजेंद्र सिंह ने इस परिवार को ग्राम समाज की जमीन उपलब्ध कराई थी, जिस पर शाकिर ने मकान बनवा लिया था.

शाकिर हुसैन का एक भाई कलुआ बहुत पहले बरखेड़ी छोड़ कर दूसरे गांव बरखेड़ा पांडे में जा बसा था. वहां पर उस का आनाजाना बहुत कम होता था. शाकिर हुसैन के पास खेतीबाड़ी की जमीन नहीं थी. वह शुरू से ही गांव वालों के खेतों में मेहनत मजदूरी कर अपने परिवार का पालनपोषण करता आ रहा था.

उस के 3 बेटों मोहम्मद , रशीद और रफीक में अली हुसैन उर्फ आलिया सब से छोटा था. वह हर वक्त बनठन कर रहता था. वह गांव के लोगों के खेतों में काम करना अपनी तौहीन समझता था. लेकिन न तो उस के खर्चों में कमी थी और न ही उस की शानशौकत में. उस के रहनसहन को देख गांव वाले हैरत में थे कि उस के पास खर्च के लिए पैसा कहां से आता है.

गांव में छोटीमोटी चोरी होती रहती थी, लेकिन कभी भी कोई चोर किसी की पकड़ में नहीं आया था. गांव के अधिकांश लोग उसी पर शक करते थे. लेकिन बिना किसी सबूत के कोई उस पर इल्जाम नहीं लगाना चाहता. जब एक चोरी में उस का नाम सामने आया तो उस की हकीकत सामने आ गई. उस के बाद गांव वाले उस से सावधान रहने लगे.

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आलिया गांव के हर शख्स पर निगाह रखता था. इस सब के चलते आलिया को पता चला कि कुलदीप के सुखविंदर कौर के साथ अनैतिक संबंध हैं. उस ने कुलदीप को कई बार उस के घर से निकलते देखा था. उसी का लाभ उठा कर उस ने मौका देख सुखविंदर से उस के और कुलदीप के प्रेम संबंधों को ले कर बात की. शुरू में सुखविंदर ने इस बारे में उस से कोई बात नहीं की. लेकिन वह कुलदीप को ले कर परेशान जरूर थी. उस के साथ बिताए दिन उस के दिल में कांटा बन कर चुभने लगे थे.

सुखविंदर खुद भी कुलदीप के पीछे पड़तेपड़ते तंग आ चुकी थी. उस की की तरफ से उम्मीद कमजोर पड़ी तो उस ने आलिया से नजदीकियां बढ़ा लीं. वह कुलदीप की प्रेम राह को त्याग कर आलिया के प्रेम जाल में जा फंसी. फिर आलिया उस के दिल पर राज करने लगा. आलिया के संपर्क में आया तो वह कुलदीप को भुला बैठी.

कई बार कुलदीप राजस्थान से उस के मोबाइल पर काल मिलाता तो वह रिसीव ही नहीं करती थी. कुलदीप उस के बदले व्यवहार को देख कर परेशान रहने लगा था. उस दौरान वह कई बार काशीपुर अपने गांव आया. उस ने सुखविंदर से कई बार मिलने की कोशिश की लेकिन सुखविंदर ने उस से मिलने में कोई रुचि नहीं दिखाई. तभी उसे गांव के एक दोस्त से उस की हकीकत पता की, तो उसे पता चला कि सुखविंदर कौर का आलिया से चक्कर चल रहा है.

यह सुनते ही कुलदीप को जोरों का धक्का लगा. उसे सुखविंदर कौर से ऐसी उम्मीद नहीं थी. वह जैसेतैसे सुखविंदर कौर से मिला और उसे काफी समझाने की कोशिश की, लेकिन सुखविंदर ने उस की एक बात नहीं मानी. कुलदीप निराश हो कर राजस्थान चला गया. लेकिन वहां जाने के बाद भी वह सुखविंदर कौर की बेवफाई से परेशान था. वह चाह कर भी उसे अपने दिल से नहीं निकाल पा रहा था.

जानें आगे क्या हुआ कहानी के अगले भाग में…

पुरानी प्रेमिका नया प्रेमी : भाग 1

29 जून, 2020 की रात कुलदीप सिंह खाना खाने के बाद टहलने के लिए घर से निकला ही था कि उस के मोबाइल पर किसी का फोन आ गया. कुलदीप फोन पर बात करतेकरते सड़क पर आगे बढ़ गया. लेकिन जब वह काफी देर तक घर वापस नहीं लौटा तो उस के परिवार वाले परेशान हो गए. उन की चिंता इसलिए भी बढ़ी, क्योंकि उस का मोबाइल भी बंद था.

जब उस के घर वाले बारबार फोन लगाने लगे तो रात के कोई 10 बजे उस का फोन 2 बार कनेक्ट हुआ, लेकिन उस के बाद तुरंत कट गया.

उन्होंने तीसरी बार कोशिश की तो उस का मोबाइल स्विच्ड औफ था. इस से उस के घर वाले बुरी तरह घबरा गए. कुलदीप जिस गांव में रहता था, वह ज्यादा बड़ा नहीं था. उस के परिवार वालों ने उस के बारे में गांव के सभी लोगों से पूछताछ की, गांव की गलीगली छान मारी लेकिन उस का कहीं अतापता नहीं चल सका.

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किसी अनहोनी की आशंका के चलते कुलदीप के चाचा बूटा सिंह आईटीआई थाने पहुंचे. लेकिन वहां पर पूरा थाना क्वारंटीन होने के कारण उन्हें पैगा चौकी भेज दिया गया.

अगले दिन सुबह ही पैगा चौकीप्रभारी अशोक फर्त्याल ने कुलदीप के गांव जा कर उस के घर वालों से उस के बारे में जानकारी हासिल की. पुलिस अभी कुलदीप को इधरउधर तलाश कर रही थी कि उसी दौरान 2 जुलाई को गांव के कुछ युवकों ने गांव के बारात घर से 200 मीटर की दूरी पर खेतों के किनारे स्थित नाले में एक शव पड़ा देखा. उन्होंने यह जानकारी ग्राम प्रधान राजेंद्र सिंह को दी.

ग्राम प्रधान ने कुछ गांव वालों को साथ ले जा कर शव को देखा तो उस की शिनाख्त लापता  कुलदीप सिंह के रूप में हो गई. नाले में पड़े गलेसड़े शव की सूचना पाते ही एएसपी राजेश भट््ट, सीओ मनोज ठाकुर, आईटीआई थानाप्रभारी कुलदीप सिंह, पैगा पुलिस चौकी इंचार्ज अशोक फर्त्याल मौके पर पहुंच गए. पुलिस ने कुलदीप सिंह के शव को बाहर निकलवा कर उस की जांचपड़ताल कराई तो उस के शरीर पर किसी भी प्रकार की चोट के निशान नहीं थे. पुलिस ने जरूरी काररवाई कर शव पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया.

शव का पोस्टमार्टम 2 डाक्टरों के पैनल ने किया. पैनल में डा. शांतनु सारस्वत, और डा. के.पी. सिंह शामिल थे. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में बताया गया कि कुलदीप सिंह की मौत गला दबाने से हुई थी. जहर की पुष्टि हेतु जांच के लिए विसरा सुरक्षित रख लिया गया था.

पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद पुलिस ने मृतक कुलदीप के परिवार वालों से जानकारी जुटाई तो पता चला कुलदीप का गांव की ही एक युवती के साथ चक्कर चल रहा था. सुखविंदर कौर नाम की युवती कुलदीप के मोबाइल पर घंटों बात करती थी. इस जानकारी के बाद पुलिस ने सुखविंदर कौर को पूछताछ के लिए हिरासत में ले लिया.

पुलिस पूछताछ के दौरान पहले तो सुखविंदर ने इस मामले में अनभिज्ञता दिखाने की कोशिश की. लेकिन बाद में उस ने स्वीकार किया कि उस रात कुलदीप उस से मिला जरूर था, लेकिन उस के बाद वह घर जाने की बात कह कर चला गया था. वह कहां गया उसे कुछ नहीं मालूम. पुलिस ने सुखविंदर को घर भेज दिया.

सुखविंदर से बात करने के दौरान पुलिस इतना तो जान ही चुकी थी कि दोनों के बीच गहरे संबध थे. उन्हीं संबंधों के चक्कर में कुलदीप को जान से हाथ धोना पड़ा होगा. पुलिस ने कुलदीप के दोनों मोबाइल नंबर सर्विलांस पर लगाए तो पता चल गया कि घटना वाली रात कुलदीप सुखविंदर कौर के संपर्क में आया था.

पुलिस ने सुखविंदर के मोबाइल की काल डिटेल्स निकलवाई. पता चला कि वह कुलदीप के साथसाथ गांव के ही शाकिर के बेटे अली हुसैन उर्फ आलिया के संपर्क में भी थी. उस रात सुखविंदर ने कुलदीप के मोबाइल पर कई बार काल की थी. लेकिन उस ने उस का मोबाइल रिसीव नहीं किया था. शाम को फोन मिला तो सुखविंदर ने कुलदीप से काफी देर बात की थी. यह भी पता चला कि उस रात सुखविंदर ने आलिया के मोबाइल पर भी कई बार बात की थी.

इस से यह बात तो साफ हो गई कि कुलदीप की हत्या का कारण आलिया और सुखविंदर दोनों ही थे. यह बात सामने आते ही पुलिस ने फिर से सुखविंदर को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया और उस से सख्ती से पूछताछ की. उस ने स्वीकार कर लिया कि पिछले 2 साल से उस के कुलदीप से प्रेम संबंध थे.

लेकिन पिछले कुछ महीनों से उस की अपने ही पड़ोस में रहने वाले युवक आलिया से नजदीकियां बढ़ गई थीं. लेकिन कुलदीप उस का पीछा छोड़ने को तैयार नहीं था. उस की इसी बात से तंग आ कर उस ने आलिया को अपने प्रेम संबंधों का वास्ता दे कर कुलदीप की हत्या करा दी.

कुलदीप की हत्या का राज खुलते ही पुलिस ने सुखविंदर के दूसरे प्रेमी आलिया को भी तुरंत गिरफ्तार कर लिया. पुलिस ने उस से भी पूछताछ की. उस ने बताया कि उस ने सुखविंदर के कहने पर ही कुलदीप की हत्या करने में उस का सहयोग किया था.

पुलिस ने आलिया और सुखविंदर कौर की निशानदेही पर बलजीत के खेत से कुलदीप के मोबाइल के अलावा एक खाली गिलास, पीले रंग का गमछा और जहर की एक खाली शीशी भी बरामद की.

पुलिस पूछताछ में पता चला कि सुखविंदर एक साथ 2 नावों में यात्रा कर रही थी, जो कुलदीप को बिलकुल पसंद नहीं था. उसी से चिढ़ कर उस ने अपने दूसरे प्रेमी आलिया के साथ मिल कर उस की हत्या करा दी. इस प्रेम त्रिकोण का अंत कुलदीप की हत्या से ही क्यों हुआ, इस के पीछे एक विचित्र सी कहानी सामने आई.

काशीपुर (उत्तराखंड) कोतवाली के अंतर्गत थाना आईटीआई के नजदीक एक गांव है बरखेड़ी. यह सिख बाहुल्य आबादी वाला छोटा सा गांव है. इस गांव में कई साल पहले सरदार हरभजन सिंह आ कर बसे थे. वह पेशे से डाक्टर थे. उस समय आसपास के क्षेत्र में उन के अलावा अन्य कोई डाक्टर नहीं था. इसी वजह से यहां आते ही उन का काम बहुत अच्छा चल निकला था.

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समय के साथ उन की बीवी प्रकाश कौर 3 बेटियों की मां बनीं. सुखविंदर कौर उन में सब से छोटी थी. हरभजन सिंह ने डाक्टरी करते हुए इतना पैसा कमाया कि अपना मकान भी बना लिया और 2 बेटियों की शादी भी कर दी. उस समय सुखविंदर काफी छोटी थी. डाक्टरी पेशे से जुड़े होने के कारण हरभजन सिंह ने इस इलाके में अपनी अच्छी पहचान बना ली थी.

अब से लगभग 7 वर्ष पूर्व किसी लाइलाज बीमारी के चलते हरभजन की मौत हो गई. उन के निधन के बाद उन की बीवी प्रकाश कौर पर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा. प्रकाश कौर के पास न तो कोई बैंक बैलेंस था और न कोई आमदनी का जरिया.

हालांकि हरभजन सिंह अपनी 2 बेटियों की शादी कर चुके थे, लेकिन उन्हें छोटी बेटी की शादी की चिंता थी. प्रकाश कौर के सामने अजीब सी मजबूरी आ खड़ी हुई. जब प्रकाश कौर के सामने भूखों मरने की नौबत आ गई तो उन्हें हालात से समझौता करना पड़ा. उन्हें गांव में मेहनतमजदूरी करने पर विवश होना पड़ा.

जानें आगे क्या हुआ कहानी के अगले भाग में…

पुरानी प्रेमिका नया प्रेमी

एक लड़की टिकटौक वाली

एक लड़की टिकटौक वाली : भाग 3

टिकटौक स्टार बनते ही शिवानी के तेवर बदल गए. वह जानती थी आरिफ उस के प्यार में पागल है. उस ने आरिफ को झांसा दे कर उसे अपने प्यार का धोखे वाला रसगुल्ला खिला दिया. मतलब दिखाने या कहने को शिवानी भी उस से प्यार करती थी पर हकीकत में उसे धोखे में रखे थी, वह भी अपना उल्लू सीधा करने के लिए.

इसी बीच जब शिवानी ने अपना ब्यूटी पार्लर खोलने की योजना बनाई तो आरिफ ने पार्लर खोलने के लिए थोड़ाथोड़ा कर के उसे लाखों रुपए दिए. चाहे दिन हो या रात, उस की एक आवाज पर वह एक पैर पर खड़ा रहता था. जबकि शिवानी उस की भावनाओं से खेल रही थी.

शिवानी के दीवाने आरिफ को इस बात की जरा भी भनक नहीं थी कि वह उस से प्यार नहीं करती, बल्कि दिखावे के लिए उस की भावनाओं से खेल रही है, पैसों के लिए उस का इस्तेमाल कर रही है. आरिफ ने शिवानी के सामने निकाह करने का प्रस्ताव रखा तो शिवानी ने शादी से साफ इनकार कर दिया.

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उधर आरिफ की शादी के लिए रिश्ते आ रहे थे. उस ने शिवानी से निकाह के चक्कर में घर आए कई रिश्ते ठुकरा दिए थे. बता दें कि शुरुआती दिनों में शिवानी ने आरिफ मोहम्मद के खिलाफ छेड़छाड़ का मुकदमा दर्ज करवा कर उसे जेल तक भिजवा दिया था. जेल से बाहर आने के बाद आरिफ का प्यार और जुनूनी हो गया था. उस के जुनून को देखते हुए शिवानी ने आरिफ से फिर दोस्ती कर ली.

आरिफ शिवानी से इतना प्यार करता था कि उस ने अपने दाहिने हाथ पर उस का नाम गुदवा लिया था. जब शिवानी ने शादी करने से इनकार कर दिया तो उस ने अपने हाथ की नस काट कर आत्महत्या करने की कोशिश की थी. इस पर भी शिवानी का दिल नहीं पसीजा. उस ने आरिफ के प्यार को ठुकरा दिया. उस की यह बात आरिफ को पसंद नहीं आई और उस ने उसी समय फैसला कर लिया कि अगर शिवानी उस की नहीं हो सकती तो वह किसी और की भी नहीं होगी.

घटना से 15 दिन पहले की बात है. कल तब जो शिवानी आरिफ से हंसहंस कर बातें करती थी, वो उसे देख क र मुंह मोड़ने लगी. शिवानी की यह बात आरिफ के दिल में शूल बन कर चुभने लगी थी. उसे शिवानी से ऐसी उम्मीद नहीं थी कि उसे देख कर वह अपना मुंह मोड़ लेगी. आरिफ ने पता लगाया कि वह उसे देख कर आखिर मुंह क्यों मोड़ रही है तो जो बात पता चली, उसे जान कर उस के दिल को गहरा धक्का लगा. शिवानी किसी लड़के से बातचीत करती थी. वह लड़का उस का बौयफ्रैंड था. यह जान कर आरिफ तिलमिला उठा. फिर भी शिवानी को पाने के लिए आरिफ ने ऐड़ीचोटी एक कर दी.

20 जून, 2020 को आरिफ ने शिवानी को मनाने के लिए उस के पार्लर के लिए हजारों रुपए का सामान खरीद कर दिया था. नानुकुर करने की बजाय उस ने सामान ले भी लिया था. आरिफ सोच रहा था कि वह एक न एक दिन उस का दिल जीत कर ही रहेगा. लेकिन हुआ इस के विपरीत.

22 जून को शिवानी ने आरिफ के नंबर को ब्लैकलिस्ट में डाल दिया. इस से आरिफ और भी पागल हो गया. वह उस की आवाज सुनने के लिए तरस गया था. शिवानी को देखने के लिए जब भी वह उस के पार्लर पहुंचता, उसे देख कर शिवानी पार्लर का दरवाजा बंद कर लेती थी. कई दिनों तक ऐसा ही होता रहा.

शिवानी का व्यवहार ही बना दुश्मन

26 जून की दोपहर में आरिफ शिवानी से मिलने उस के ब्यूटी पार्लर पहुंचा. वह जानता था दोपहर के समय ग्राहक कम ही आते हैं. यह समय उस से बात करने के लिए ठीक था. उस के पार्लर की देखभाल करने वाला नीरज दोपहर में खाना खाने घर चला जाता था.

बहरहाल, आरिफ जब ब्यूटी पार्लर पहुंचा, तो उसे देख कर शिवानी ने पार्लर का दरवाजा बंद कर लिया. उस समय वह फोन पर बात कर रही थी. यह देख आरिफ गुस्से के मारे पागल हो गया. उस ने बलपूर्वक दरवाजे पर जोर लगा कर दरवाजा खोल लिया और जबरन पार्लर के भीतर घुस गया. उस ने भीतर से दरवाजे पर सिटकनी लगा दी. आरिफ की हिमाकत देख कर शिवानी गुस्से से पागल हो गई और चिल्लाने लगी.

उसी समय मोबाइल पर शिवानी की छोटी बहन श्वेता का फोन आ गया. दोनों के बीच गरमागरम बहस चल रही थी. शिवानी ने ही श्वेता को बताया कि आरिफ दुकान में घुस आया है. उस से झगड़ा कर रहा है. तुम फोन रखो, उसे यहां से भगाने के बाद फोन करती हूं. इस के बाद श्वेता ने फोन काट दिया.

शिवानी फिर चिल्लाने लगी. उस के चिल्लाने से आरिफ डर गया और उस के सामने हाथ जोड़ कर चुप रहने के लिए कहने लगा. वह बारबार यही कहता रहा कि तुम चुप हो जाओ, चुप हो कर मेरी बात सुन लो. मैं वापस चला जाऊंगा, फिर तुम से मिलने भी नहीं आऊंगा. लेकिन शिवानी उस की बात सुनने के लिए तैयार नहीं थी.

काफी मिन्नतों के बावजूद जब शिवानी उस की बात सुनने के लिए तैयार नहीं हुई तो वह अपने गुस्से पर काबू नहीं रख पाया और उस ने दोनों हाथ शिवानी की गर्दन पर कस गए. कुछ ही पलों में शिवानी की सांस रुक गई और वह फर्श पर गिर गई.

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शिवानी मर चुकी थी. यह देख कर आरिफ के होश उड़ गए. उसे जेल की सलाखें नजर आने लगीं. उस की समझ में नहीं आ रहा था कि लाश का क्या करे, उसे कहां ठिकाने लगाए.

तभी उस की निगाह दुकान में पड़े बैड पर गई. आरिफ ने बैड का ढक्कन उठाया और शिवानी की लाश आड़ीतिरछी उस में डाल कर ढक्कन बंद कर दिया. साक्ष्य मिटाने के लिए शिवानी का फोन वह अपने साथ लेता गया. उस ने फोन का स्विच औफ कर दिया था. फिर पार्लर पर ताला लगा कर घर चला गया.

कुछ देर बाद जब नीरज दुकान पहुंचा तो ताला बंद देख उस ने सोचा शिवानी पार्लर बंद कर किसी काम से चली गई होगी. उस ने शिवानी के फोन पर काल किया तो फोन बंद था. यह देख कर नीरज कुछ परेशान हुआ जरूर, लेकिन बाद में उस ने इस बात को दिमाग से निकाल दिया.

देर शाम पार्लर से जब शिवानी घर नहीं पहुंची तो घर वालों को थोड़ी चिंता हुई. पिता विनोद खोबियान ने छोटी बेटी श्वेता से कहा कि शिवानी को फोन कर के पूछो कि कहां है. घर लौटने में इतनी देर क्यों लगा दी. श्वेता ने जब शिवानी के फोन पर काल की तो उस का फोन स्विच्ड औफ था. उस ने उस के फोन पर कई बार काल की, लेकिन हर बार एक ही आवाज आई कि फोन स्विच्ड औफ है.

बात न हो पाने की दशा में श्वेता ने उस के वाट्सऐप पर मैसेज दे कर पूछा कि वह कहां है. घर कब तक लौटेगी. घंटों बाद आरिफ ने शिवानी का फोन औन कर के जांच किया कि कहीं उस के फोन पर किसी का मैसेज तो नहीं आया है.

उस ने फोन औन किया तो उस ने श्वेता का मैसेज देखा. उस ने शिवानी की ओर से श्वेता के वाट्सऐप पर मैसेज भेज दिया कि वह हरिद्वार आई है. मंगलवार तक घर लौट आएगी.

मैसेज भेज कर आरिफ ने फोन बंद कर दिया. श्वेता ने जब शिवानी का मैसेज पढ़ा तो उसे थोड़ी हैरानी हुई. उस ने मम्मीपापा को बता दिया कि वह हरिद्वार गई है, मंगलवार तक घर लौट आएगी. इस से घर वाले निश्चिंत हो गए.

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28 जून, 2020 को जब नीरज पार्लर की सफाई करने वहां पहुंचा और पार्लर खोली तो टिकटौक स्टार शिवानी खोबियान की हत्या के राज से परदा उठा. कानून की आंख में धूल झोंकने के लिए आरिफ ने जिस चालाकी का परिचय दिया था, उस की चालाकी धरी की धरी रह गई और वह जेल की सलाखों के पीछे पहुंच गया.

– कथा पुलिस सूत्रों पर आधार

एक लड़की टिकटौक वाली : भाग 2

घर वालों के बयानों से शक की कोई गुजाइश नहीं बची थी. आरिफ ही संदिग्ध लग रहा था, लेकिन वजह अभी भी साफ नहीं हो पा रही थी कि आखिर उस ने शिवानी की हत्या क्यों की? इस सवाल का जवाब उस के पकड़े जाने के बाद ही मिल सकता था.

उसी दिन शाम को मृतका शिवानी के पिता विनोद खोबियान ने एसओ रविंदर को आरिफ मोहम्मद को नामजद करते हुए एक लिखित तहरीर दी. तहरीर के आधार पर कुंडली थाने की पुलिस ने आरिफ मोहम्मद के खिलाफ धारा 302, 201 भादंवि एवं एससीएसटी एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया. इस के साथ ही आरोपी की खोजबीन शुरू हो गई. इस मामले की जांच डीएसपी वीरेंद्र सिंह को मिली थी. वीरेंद्र सिंह ने अपनी काररवाई शुरू कर दी. आरिफ मोहम्मद कुंडली थाना क्षेत्र के प्याऊ मनियारी का रहने वाला था. पुलिस ने अपना तंत्र चारों ओर बिछा दिया था. मुखबिर ने पुलिस को सूचना दी आरोपी आरिफ अपने घर में छिपा हुआ है.

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मुखबिर की सूचना पर डीएसपी वीरेंद्र सिंह ने 29 जून की दोपहर में पुलिस टीम के साथ आरिफ के घर पर दबिश दी. पुलिस टीम में थानाप्रभारी रविंदर भी शामिल थे. प्याऊ मनियारी पहुंच कर पुलिस ने आरिफ के घर को चारों ओर से घेर लिया. पुलिस को देख कर आरिफ ने भागने की कोशिश की लेकिन वह अपने मकसद में कामयाब नहीं हो सका. पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया.

आरिफ मोहम्मद को गिरफ्तार कर के पुलिस थाना कुंडली ले आई. डीएसपी वीरेंद्र सिंह ने आरिफ को इंट्रोगेशन रूम में ले जा कर पूछताछ शुरू की.

पुलिस के सवालों के सामने वह ज्यादा देर नहीं टिक सका. पुलिस के सवालों की बौछार से आरिफ ने घुटने टेक दिए. उस ने अपना जुर्म कबूल कर लिया.

उस ने पुलिस के सामने कहा कि शिवानी ने उस के साथ बेवफाई की थी, धोखा दिया था उसे. आरिफ ने बताया, उस के प्यार में लाखों रुपए पानी की तरह बहाने के बाद भी शिवानी ने मेरे प्यार का ऐसा सिला दिया कि मैं खुद को ठगा महसूस कर रहा था.

पिछले 5 दिनों से वह मुझ से बात नहीं कर रही थी. उस ने दूसरा प्रेमी ढूंढ लिया था. मैं उस से मिलने गया तो उस ने मुझे देख कर भीतर से दरवाजा बंद करने की कोशिश की. शिवानी का यह व्यवहार मुझे अच्छा नहीं लगा, मुझे गुस्सा आ गया. मैं ने उसे धक्का दे कर दरवाजा खोल दिया. वह मुझ पर भड़क गई और चिल्लाने लगी, यह देख मैं आपे से बाहर हो गया. मेरे दोनों हाथ उस की गर्दन तक पहुंच गए. मैं ने जोर से उस का गला दबा दिया. शिवानी मर गई. मैं समझ गया कि मुझ से बहुत बड़ी गलती हो गई. दिमाग को शांत कर सोचा तो लगा, मुझे वहां से निकल जाना चाहिए.

बाद में शिवानी के मोबाइल पर श्वेता का वाट्सऐप मैसेज आया तो मैं ने शिवानी की ओर से मैसेज का जवाब दे दिया ताकि घर वालों को यकीन हो जाए कि शिवानी हरिद्वार गई है. इस के बाद आरिफ ने पूरी कहानी विस्तार से सुना दी. आरिफ से पूछताछ के बाद पुलिस ने देर शाम उसे अदालत के सामने पेश कर जेल भेज दिया. कहानी की बुनियाद कुछ इस तरह थी –

उत्तर प्रदेश के जिला बागपत के सोरपा निवासी विनोद खोबियान सालों पहले हरियाणा के जिला सोनीपत के कुंडली के प्याऊ मनियारी मोहल्ले में किराए का मकान ले कर परिवार सहित आ बसे थे. पत्नी और 2 बेटियां यही उन का घरसंसार था. दोनों बेटियों में शिवानी बड़ी, खूबसूरत और समझदार थी.  श्वेता छोटी थी.

मामूली परिवार था शिवानी का

विनोद खोबियान शहर की एक प्राइवेट फर्म में नौकरी करते थे. वो इतना कमा लेते थे जिस से उन के परिवार का भरणपोषण हो जाता था. साथ ही बच्चों की जरूरतें भी पूरी हो जाती थीं. 18 साल की हो चुकी शिवानी अल्हड़पन और मदमस्त किस्म की लड़की थी. एक तो जवान ऊपर से सुंदर व चंचल, वह किसी के भी मन को भा सकती थी.

शिवानी 12वीं में पढ़ती थी. उस ने अमीरी के जो ख्वाब आंखों में संजो रखे थे, वह महंगाई के जमाने में पिता के लिए पूरे करना मुमकिन नहीं था. ख्वाब चाहे खुली आंखों से देखा गया हो या सोते में, ख्वाब ही होता है. ख्वाब पूरे करने के लिए साधन, मेहनत की जरूरत होती है. शिवानी यह बात जानती थी, इसलिए ख्वाबों को साकार करने के लिए वह लगातार कोशिशों में जुटी हुई थी. सुंदर तो वह थी ही, उस में अभिनय प्रतिभा भी थी. फिल्मी दुनिया में किस्मत आजमाने के लिए उसे मायानगरी मुंबई जाना पड़ता, जो उस के लिए मुमकिन नहीं था.

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पिछले 2-3 सालों से चाइनीज ऐप टिकटौक प्लेटफौर्म पीक पर था. लोग अपने वीडियो बना कर टिकटौक पर पोस्ट कर देते थे. इस तरह उन के अभिनय का शौक तो पूरा हो ही जाता था, फालोअर बढ़ने पर लाखों की कमाई भी होती थी.

शिवानी को यह बात पता थी. सो उस ने भी टिकटौक प्लेटफार्म पर अपने पांव जमाने शुरू कर दिए. सितारा बनने के लिए उस ने दिनरात एक कर दिया. फालोअर्स को रिझाने के लिए वह मनमोहक अदाओं के वीडियो बना कर टिकटौक पर पोस्ट करने लगी. इस से शिवानी खोबियान को तमाम लोग पसंद करने लगे. अपनी चंचल अदाओं से उस ने थोडे़ ही समय में लाखों फालोअर्स बना लिए और पैसे भी कमाने लगी. शिवानी के टिकटौक अभिनय से घर वाले परिचित थे. बेटी के इस काम से उन्हें कोई ऐतराज नहीं था. परिवार की ओर से मिले समर्थन के बाद शिवानी खुल कर टिकटौक प्लेटफार्म पर उतर आई.

टिकटौक की बदौलत आरिफ आया जिंदगी में

शिवानी खोबियान के लाखों फालोअर्स में से एक फालोअर ऐसा भी था जो अपने परिवार के साथ उसी के पड़ोस में रहता था. उस नाम था आरिफ मोहम्मद. 25 वर्षीय आरिफ मोहम्मद मध्यमवर्गीय परिवार से था. उस के पिता का खुद का छोटामोटा बिजनैस था. उसी की कमाई से परिवार का खर्च चलता था. आरिफ के भी 2 भाई और एक बहन थी. भाई बहनों में वह सब से बड़ा था. आरिफ पढ़ाई के साथसाथ पिता के व्यवसाय में भी अपना हाथ बंटाता था.

करीब 6 साल पहले विनोद खोबियान जब सपरिवार बागपत से सोनीपत आए थे तो उन्होंने कुंडली के मोहल्ला प्याऊ मनियारी में रहने के लिए मकान लिया था. आरिफ का मकान उन के पड़ोस में था. बात 4 साल पहले की है. घर से बाहर जातेआते एक दिन आरिफ की नजर शिवानी पर पड़ गई. उसे देखा तो वह देखता रह गया. वह शिवानी को तब तक देखता रहा जब तक वह उस की आंखों से ओझल नहीं हो गई.  उस दिन के बाद से आरिफ शिवानी की एक झलक पाने के लिए अपने घर के बाहरी दरवाजे पर खड़ा हो जाता था. जब तक वह शिवानी का दीदार नहीं कर लेता था तब तक वहां से हटता नहीं था.

आरिफ शिवानी से एकतरफा प्यार करने लगा था. उस के इस प्यार में पागलपन था. वह शिवानी को अपने दिल का हाल बताने के लिए बेताब था. लेकिन उसे ऐसा कोई रास्ता नहीं सूझ रहा था जिस से शिवानी तक पहुंच जाए.

आखिरकार आरिफ ने शिवानी तक पहुंचने का रास्ता बना ही लिया. जब भी वह शिवानी के पिता को देखता तो उन्हें अदब के साथ नमस्कार करता ताकि उन की निगाहों में आ जाए. पड़ोसी तो वह था ही, इसलिए वह त्यौहारों वगैरह पर विनोद खोबियान और उन के परिवार को निमंत्रित करने लगा.

इस तरह वह शिवानी तक पहुंचने में कामयाब हो गया. शिवानी के घर वाले उस के व्यवहार के कायल थे. वे लोग उसे अपने यहां जबतब चाय पर बुलाने लगे.

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इस आनेजाने से शिवानी और आरिफ के बीच नजदीकियां बनती गईं. शिवानी जल्दी ही जान गई कि आरिफ उस से एकतरफा प्यार करता है लेकिन वह प्यार के पचड़े में नहीं पड़ना चाहती थी. वह सच्चे दोस्त की तरह व्यवहार करती थी. तब शिवानी टिकटौक प्लेटफौर्म से दूर थी. वह बाद में टिकटौक स्टार बनी थी.

जानें आगे क्या हुआ अगले भाग में…

एक लड़की टिकटौक वाली : भाग 1

17 वर्षीय शिवानी खोबियान 24 जून, 2020 को भी रोजाना की तरह नियत समय पर अपने ब्यूटी पार्लर टच एंड फेयर पहुंच गई थी. उस का यह पार्लर कुंडली थाने के पौश एरिया टीडीसी सिटी में था. शिवानी ने पार्लर की देखरेख के लिए अपनी छोटी बहन श्वेता के दोस्त नीरज को जौब पर रख लिया था. वह सुबह साढ़े 10 बजे तक पार्लर की साफसफाई कर के रेडी रखता था. शिवानी 11 बजे तक पार्लर आती थी.

सुंदर और गुणी शिवानी टिकटौक स्टार थी. उस के लाखों फौलोअर्स थे. दीवाने उस की मोहक अदाओं पर मर मिटे थे. कई तो उसे प्रेम निवेदन भी भेज चुके थे, लेकिन शिवानी पागल दीवानों की अनदेखी कर टिकटौक प्लेटफार्म पर वीडियो बना कर पोस्ट करती रहती थी. वह सोनीपत के कुंडली में अपने मांबाप और 3 बहनों के साथ रहती थी.

24 जून दोपहर 2 बजे की बात है. शिवानी ने ग्राहकों से फारिग हो कर पार्लर का मुख्य द्वार बंद कर दिया और टिकटौक के लिए वीडियो शूट करने लगी. उस ने वीडियो बना कर टिकटौक पर पोस्ट कर दी और फिर अपने काम में जुट गई.

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रात के 8 बज गए. लेकिन शिवानी घर नहीं लौटी तो उसे ले कर घर वालों को थोड़ी चिंता हुई. छोटी बहन श्वेता ने उस के फोन पर काल किया. लेकिन उस का फोन स्विच्ड औफ  था. शिवानी कभी फोन औफ नहीं रखती थी. श्वेता ने अपने फोन से उस के वाट्सऐप पर मैसेज किया, ‘‘दी, तुम कहां हो? तुम्हारा फोन औफ क्यों आ रहा है? मम्मीपापा और हम सभी तुम्हारे लिए परेशान हैं, जल्दी बताओ.’’

श्वेता के मैसेज भेजने के कुछ देर बाद शिवानी ने श्वेता के वाट्सऐप पर जवाब दिया, ‘‘श्वेता, मैं जरूरी काम से हरिद्वार जा रही हूं. 3-4 दिन बाद घर लौटूंगी, तुम लोग परेशान मत होना, तब तक मम्मीपापा का ध्यान रखना.’’

शिवानी का मैसेज पढ़ कर श्वेता ने यह बात मम्मीपापा को बता दी. सुन कर सभी ने चैन की सांस ली.

शिवानी के पिता विनोद खोबियान बेटी की ओर से इसलिए भी निश्चिंत हो गए, क्योंकि वह अकसर पार्लर से ही बाहर चली जाती थी लेकिन कहीं जाने से पहले वह घर पर बता देती थी. इस बार उस ने बाहर जाने की बात घर में नहीं बताई थी.

26 जून की सुबह साफसफाई करने नीरज 11 बजे ब्यूटी पार्लर पहुंचा. उसे शिवानी के हरिद्वार जाने की बात पता चल गई थी, इसलिए वह शिवानी के हरिद्वार से लौटने वाले दिन आया था.

दुकान खोल कर नीरज जैसे ही अंदर गया, दुकान के भीतर से  किसी चीज के सड़ने की इतनी तेज दुर्गंध आई कि वह उल्टे पांव बाहर आ गया.

उस ने सोचा कि दुकान कई दिनों से बंद थी, हो सकता है कोई चूहा मर गया हो और उसी के सड़ने की बदबू आ रही हो. फिर वह नाक पर रूमाल बांध कर दुकान के अंदर गया. दुकान के भीतर ग्राहकों के मसाज के लिए एक बैड बिछा था. कई मामलों में शिवानी बैड पर लेटा कर अपने ग्राहकों को मसाज किया करती थी. उस ने महंगे क्रीम पाउडर रखने के लिए एक बड़ी अलमारी भी रखी हुई थी.

हो गया शिवानी का कत्ल

नीरज ने फौरी तौर पर कमरे का निरीक्षण किया. अलमारी भी देख ली. उसे कहीं भी कोई ऐसी चीज नहीं मिली जिस में से दुर्गंध आ रही हो. लेकिन जब वह बैड के पास पहुंचा तो वहां से तेज बदबू आई. उसे लगा जैसे बदबू के मारे अभी उल्टी हो जाएगी. वह नाकमुंह दबा कर तेजी से बाहर निकल आया. बाहर आ कर उस ने ताजा सांस ली.

उस के बाद वह फिर दुकान के अंदर गया और बैड पर लगे कुंडे को पकड़ कर बैड का बड़ा ढक्कन उठाया. ढक्कन उठाते ही वह बुरी तरह चौंका. उस के हाथ से ढक्कन तेजी से छूट गया और वह एक बार फिर तेजी से बाहर की ओर भागा. बैड के भीतर टिकटौक स्टार और ब्यूटी पार्लर की मालकिन शिवानी खोबियान की लाश पड़ी हुई थी. बदबू उसी बैड में से आ रही थी.

शिवानी का शव देख कर नीरज के हाथपांव थरथर कांपने लगे. एक पल के लिए उस के दिमाग ने काम करना बंद कर दिया. उस की समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करे? थोड़ी देर बाद जब वह सामान्य हुआ तो उस ने सब से पहले अपनी दोस्त श्वेता को फोन कर के शिवानी दीदी की लाश के बारे में जानकारी दी और पार्लर पर आने को कहा. यह 28 जून की बात है.

शिवानी की लाश मिलने की जानकारी होते ही घर में कोहराम मच गया था. श्वेता, उस की मम्मी और पापा तथा कुछ परिचित तत्काल पार्लर पहुंच गए, जहां शिवानी की लाश बैड के अंदर पड़ी थी. मौके पर पहुंचे मृतका के पिता विनोद खोबियान ने फोन कर के घटना की जानकारी कुंडली थाने को दे दी. सूचना मिलते ही कुंडली थाने के थानेदार रविंदर पुलिस टीम के साथ मौके पर पहुंच गए. तब तक वहां भारी भीड़ जमा हो गई थी. पुलिस को आया देख भीड़ छंट गई.

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सभी को इस बात पर ताज्जुब हो रहा था कि शिवानी ने मैसेज से जब हरिद्वार जाने की बात कही थी तो उस की लाश बैड के भीतर कैसे आई?

थानाप्रभारी रविंदर ने भीड़ को हटाया और टीम के साथ दुकान के भीतर गए. उन्होंने सरसरी निगाह से एकएक चीज की जांचपड़ताल की. दुकान के भीतर रखे ब्यूटी प्रसाधन और अन्य चीजें अपनी जगह थीं. हत्यारे ने किसी चीज को छुआ तक नहीं था. इस से एक बात तय थी कि हत्यारे की मंशा लूटपाट करने की नहीं थी. उस का लक्ष्य सिर्फ शिवानी थी और उस ने उस के प्राण लिए थे.

शिवानी की हत्या कर के लाश को बैड के अंदर छिपाया ही नहीं गया था, बल्कि बाहर से दुकान का ताला भी बंद कर दिया गया था. इस से साफ पता लग रहा था कि इस घटना में उस का कोई जानने वाला जरूर शामिल था. एसओ रविंदर ने लाश का मुआयना किया. लाश बैड के भीतर आड़ीतिरछी पड़ी हुई थी. शरीर पर एक खरोंच तक नहीं थी. लाश से बदबू उठ रही थी, इस से अनुमान लगाया गया कि शिवानी की मौत 2 से 3 दिनों के बीच हुई होगी.

घटनास्थल और लाश का मौकामुआयना करने के बाद एसओ रविंदर ने डीएसपी वीरेंद्र सिंह और एसपी जे.एस. रंधावा को फोन कर के घटना की सूचना दे दी. थोड़ी देर बाद डीएसपी सिंह मौके पर आ गए. लाश के परीक्षण से यह बात साफ हो गई कि शिवानी की हत्या गला दबा कर की गई थी. उस के गले पर निशान मौजूद थे.

पुलिस ने लाश को पोस्टमार्टम के लिए नागरिक अस्पताल सोनीपत भेज दिया और आगे की कार्रवाई में जुट गई. एसओ रविंदर ने मृतका के पिता विनोद से उस की किसी से दुश्मनी अथवा लड़ाईझगड़े की बात पूछी तो उन्होंने ऐसी किसी भी बात से इनकार किया लेकिन इतना जरूर बताया कि आरिफ नाम का एक लड़का सालों से शिवानी को परेशान कर रहा था, उसी पर शक है.

पिता की बात सुन कर श्वेता को याद आया कि 26 जून की दोपहर में जब शिवानी से उस की बात हुई थी तो उस ने बताया कि आरिफ पार्लर पर आया है और परेशान कर रहा है. इस के बाद उस ने यह कहते हुए फोन काट दिया था कि वह बाद में बात करेगी. लेकिन शिवानी ने कालबैक नहीं किया. ऐसा पहली बार हुआ था कि शिवानी देर रात तक घर नहीं लौटी थी.

श्वेता ने आगे बताया कि जब उस ने शिवानी के फोन पर काल लगाई तो फोन बंद आने था. तब मैं ने उस के वाट्सऐप पर मैसेज दिया तो थोड़ी देर बाद उस के फोन से रिप्लाई आया कि जरूरी काम से हरिद्वार आई हूं. मंगलवार तक घर लौट आऊंगी.

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इंसपेक्टर रविंदर ने श्वेता की बातें बड़े गौर से सुनीं. उस की बातें सुन कर वह इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि शिवानी की हत्या में कहीं न कहीं आरिफ का हाथ जरूर है. संभव है शिवानी की हत्या उसी ने की हो और वहां से भागते समय शिवानी का फोन अपने साथ ले गया हो. फिर घर वालों को गुमराह करने के लिए उसी फोन से शिवानी की ओर से मैसेज का जवाब दिया हो.

जानें आगे क्या हुआ अगले भाग में…

प्रेम की पुड़िया में 9 दिन का राज : भाग 3

रंजीत का शव 23 जून को तड़के साढ़े 3 बजे बरामद हो गया था. उस के बाद से 25 जून शाम साढ़े 6 बजे तक वैशाली ने 6 बयान बदले. उस ने पुलिस को खूब छकाया. बारबार बयान बदल कर पुलिस को उलझाने की कोशिश करती रही.

उस ने पहला बयान 21 जून की दोपहर 12 बजे दिया था, जिस में उस ने कहा कि रंजीत और उस के प्रेम संबंध थे, जो एक साल पहले खत्म हो चुके थे. अब उस से उस की बात नहीं होती. उस ने दूसरा बयान 22 जून को रात 12 बजे दिया. मोबाइल की काल डिटेल्स आने के बाद पुलिस ने उसे दोबारा चौकी बुलाया. तब उस ने बताया कि रंजीत की मौत हो चुकी है. उस की लाश खेत में पड़ी है. उस ने आत्महत्या की है.

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तीसरा बयान 23 जून की सुबह 6 बजे दिया. जिस में उस ने कहा कि 30 जून को रंजीत की शादी थी. हम दोनों ने आत्महत्या करने का फैसला किया था. 14 जून की सुबह रंजीत ने उसे काल कर के गन्ने के खेत में बुलाया था, जहां रंजीत ने खुद को गोली मार ली थी. इस के बाद मुझे भी गोली मारनी थी, लेकिन मैं घबरा कर घर भाग आई.

उस ने चौथा बयान उस ने 24 जून की दोपहर 11 बजे दिया, जिस में कहा कि रंजीत ने मेरे खेत में पहुंचने से पहले ही आत्महत्या कर ली थी. मैं ने रंजीत के भाई को काल की थी, पर उस ने काल रिसीव नहीं की तो मैं ने अपनी मां को फोन कर के मौके पर बुला लिया और मां के साथ वहां से घर चली गई.

9 दिन अपने प्रेमी की मौत का राज सीने में दफन करने और 117 घंटे में 7 बार बयान बदलने वाली वैशाली ने आखिरकार शुक्रवार सुबह सच उगल ही दिया. थाना सिविल लाइंस के थानाप्रभारी नवल मारवाह ने वैशाली के 7वें बयान के आधार पर 11 दिन बाद रंजीत की हत्या का खुलासा कर दिया. पुलिस के अनुसार वैशाली और उस की मां ने रंजीत की हत्या का जुर्म कबूल कर लिया था.

पोस्टमार्टम रिपोर्ट, मौके से मिला तमंचा, कारतूस और सिर में मिले गोली के 2 टुकड़े, फोटोग्राफी और वीडियो फुटेज, फोरैंसिक लैब की रिपोर्ट और बैलिस्टिक एक्सपर्ट की राय जैसे सबूत मांबेटी के खिलाफ काफी थे.

पुलिस ने पूछताछ के लिए वैशाली के भाई और उस के पिता को भी हिरासत में लिया था. दोनों से पूछताछ की गई, लेकिन उन की कोई भूमिका सामने नहीं आई. फरार शुक्ला के कमरे की तलाशी के बाद पुलिस ने उस का बैंक खाता फ्रीज करा दिया.

पुलिस को गुमराह करने की कला के बारे में वैशाली ने बताया कि उस ने अभिनेता अजय देवगन की फिल्म ‘दृश्यम’ एक महीने में 5 बार देखी थी. इसी से प्रेरणा ले कर रंजीत की हत्या का राज अपने सीने में दफन करने की सोची.

फिल्म की तरह ही उन्होंने भी रंजीत की हत्या करने के बाद किया. साथ ही वैशाली ने अपनी मां व मामा को भी यही बताया था कि हो सकता है पुलिस को रंजीत की लाश मिल जाए, लेकिन उन्हें अपने बयान पर अड़े रहना है. रंजीत अपने घर एक डायरी रख कर आया था, जिस में उस ने आत्महत्या के बारे में लिख दिया था. इस से हमें उस का लाभ मिल सकता है. बस उन्हें अपनी तरफ से कोई ऐसी हरकत नहीं करनी है कि पुलिस को कोई शक हो.

वैशाली और उस की मां गुड्डी ने इस हत्याकांड की जो कहानी बताई, वह कुछ इस तरह थी—

रंजीत फैक्ट्री में नौकरी करने से पहले गांव में परचून की दुकान चलाता था. वैशाली अकसर उस की दुकान सामान लेने जाती थी. दोनों का दुकान पर ही संपर्क हुआ, जो धीरेधीरे प्यार में बदल गया. इस की भनक गांव वालों के साथ दोनों के घर वालों को भी लग गई.

रंजीत वैशाली से शादी करना चाहता था. लेकिन वैशाली के घर वाले तैयार नहीं थे. इस बात को ले कर गांव में पंचायत भी हुई. इस के बाद रंजीत के घर वालों ने उस की शादी थाना छजलैट के गांव भीनकपुर की एक युवती से तय कर दी. शादी 30 जून, 2020 को होनी थी.

लेकिन रंजीत इस शादी से खुश नहीं था. इस बीच उस की और वैशाली की मोबाइल पर बातचीत जारी रही. रंजीत अपनी प्रेमिका वैशाली को जीजान से चाहता था. उस के बिना वह जीने की कल्पना भी नहीं कर सकता था. उस ने वैशाली से कह दिया था कि वह शादी करेगा तो उसी से, नहीं तो जान दे देगा.

रंजीत वैशाली पर दबाव बना रहा था कि उस के साथ शादी कर ले या फिर दोनों साथसाथ आत्महत्या कर लें. रंजीत वैशाली को बारबार काल कर के टौर्चर करने लगा तो वह तंग आ गई. घटना वाले दिन रंजीत ने उसे आत्महत्या के लिए गन्ने के खेत में बुलाया था.

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योजना के मुताबिक वह खेत में पहुंच गई. कुछ ही देर में वैशाली की मां गुड्डी और उस का मुंहबोला मामा शुक्ला भी वहां आ गए. इस के बाद मामा ने पीछे से रंजीत के हाथ पकड़ कर उसे जमीन पर गिरा दिया. पहली गोली वैशाली ने रंजीत की कनपटी पर मारी. जबकि दूसरी गोली उस की मां ने रंजीत की दाहिनी आंख और नाक के बीच सटा कर मारी. मुंहबोला मामा अपने साथ तमंचा और कारतूस ले कर आया था. लेकिन दोनों गोलियां रंजीत के तमंचे से ही मारी गई थीं.

रंजीत की हत्या करते समय मांबेटी दोनों के हाथ खून से सन गए थे, जिन्हें उन्होंने खेत में ही घास से पोंछ दिया था. रंजीत की हत्या कर के तीनों घर आ गए. घर आने के बाद तीनों ने चाय पी और नाश्ता किया.

वैशाली की मां उस की शादी अपनी जाति के किसी अच्छे घर में करना चाहती थी. समझाने पर वैशाली भी मान गई थी. लेकिन रंजीत वैशाली का पीछा नहीं छोड़ रहा था. तब उस ने शुक्ला के साथ मिल कर उसे रास्ते से हटाने की योजना बनाई. 14 जून को उन्हें मौका मिल गया.

26 जून को पुलिस ने वैशाली और उस की मां गुड्डी को कोर्ट में पेश किया, जहां से दोनों को जेल भेज दिया गया.

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