Best Hindi Kahani: कमली ने आसमान की ओर देखा. उस ने अंदाजा लगाया कि शायद शाम के 4 बजे हैं. उस का पति कलुआ थकहार कर 5 बजे तक घर आएगा.
यह सोच कर दीवार की ओर लगे एक आईने के सामने खड़े हो कर कमली ने सिंगार करना शुरू कर दिया. सिंगार के बाद कमली ने अपनेआप को आईने में देखा, तो खुद ही शरमा गई.
कमली की उम्र 28 साल के आसपास थी. उस का शरीर लंबा और इकहरा था. पतली कमर और पेट के बीच गहरी नाभि कमली को और भी मादक बनाती थी.
कमली का रंग सांवला जरूर था, पर उस का पतला चेहरा, सुतवां नाक और नशीली आंखें उसे बहुत खूबसूरत बनाती थीं.
आसपास के कई गांवों में भी कमली जैसी मदमस्त औरत नहीं थी. गांव के सभी नौजवान यहां तक कि बड़ी उम्र के मनचले भी कमली को देख कर आहें भरते थे. पर मजाल है कि कमली किसी के फेर में आ जाए.
स्वभाव से कमली एक तेजतर्रार औरत थी, जो मर्दों की नजरों को पढ़ना अच्छी तरह जानती थी. तभी तो जब भी वह गांव के बाजार में सौदा लेने जाती, तो मनचलों की नजरें उस के खूबसूरत जिस्म और उभरे और सुडौल सीने को घूरती रहतीं. लोगों का घूरना कमली अच्छी तरह समझती थी.
कमली के उभार उस की चोली से झांकते तो वह अपने सीने पर धीरे से आंचल डाल लेती, जिस से ‘आह’ भरते मर्द मन मसोस कर रह जाते थे.
अभी कमली अपने रूप को आईने में निहार कर खुद पर मोहित हो ही रही थी कि कलुआ घर आ गया. उस ने सिर पर पगड़ी के रूप में बंधा कपड़ा निकाल फेंका और खटिया पर बैठ गया.
कमली उसे देख कर मुसकराई, पर कलुआ से मुसकराया भी नहीं गया. कमली रसोई से गुड़ और पानी ले कर आई. कलुआ से बैठा नहीं जा रहा था, सो वह खटिया पर ही पसर गया.
कमली ने पानी पीने के लिए बारबार कहा, तो कलुआ ने थोड़ा गुड़ और पानी पिया और फिर खटिया पर लेट गया.
लोटा एक ओर सरका कर कमली भी खटिया पर कलुआ के बगल में ही लेट गई और अपना सिर कलुआ के सीने पर रख दिया. वह अपनी उंगलियां कलुआ के जिस्म पर घुमाने लगी. ऐसा कर के कमली कलुआ के साथ प्यार करना और संबंध बनाना चाह रही थी, पर कलुआ के शरीर में कोई हलचल नहीं हुई. ठंडा सा पड़ा रहा वह. मर्दाना शरीर में कोई तनाव भी नहीं आया.
कमली सम झ गई थी कि आज भी ठाकुर ने कलुआ को बुराभला कहा है.
‘‘ठाकुर ने कुछ कहा क्या?’’ कमली ने पूछा.
‘‘बारबार कर्जा चुकता करने को कहते हैं, जबकि पैसे तो मैं कई बार लौटा चुका हूं, पर,’’ आगे कुछ नहीं बोल सका था कलुआ.
एक बार कमली के बीमार पड़ने पर कलुआ ने गांव के ठाकुर से 1,000 रुपए उधार लिए थे, जिन्हें बाद में धीरेधीरे कर के चुका भी दिया था, पर ठाकुर के मुताबिक अभी तक उस ने आधी रकम ही चुकता की थी, इसलिए वे बाकी के पैसों की मांग किए जा रहे थे.
कमली मन ही मन विचार करने लगी थी कि उसे ही इस समस्या के समाधान के लिए कुछ करना होगा.
अगले दिन सुबह के तकरीबन 11 बजे कमली ठाकुर की कोठी पर पहुंच गई. आंगन के बाहर ही 40 साल की खूबसूरत ठकुराइन दिख गईं. कमली ने ठकुराइन को ‘नमस्ते’ किया.
‘‘आओ कमली, कैसे आना हुआ?’’ ठकुराइन नरम स्वभाव की थीं. उन की मीठी आवाज सुन कर कमली को अच्छा लगा, तो उस ने बताया कि वह कर्जे के बारे में ठाकुर साहब से कुछ बात करना चाहती है.
अभी ठकुराइन कुछ कह पातीं कि इतने में ठाकुर अंदर से आ गए. उन की उम्र तकरीबन 50 साल थी, पर शक्ल से वे अभी जवान ही दिखते थे.
ठाकुर अकसर ठकुराइन से नाराज रहते थे, क्योंकि अब तक ठकुराइन के कोई बच्चा नहीं था. ठाकुर इस बात की जिम्मेदार ठकुराइन को मानते थे और इसी वजह से वे उन्हें खरीखोटी सुनाते और परेशान करते थे.
ठाकुर को आता देख कर ठकुराइन झट से अंदर चली गईं.
कमली की कर्जे वाली बात ठाकुर ने सुनी और उन्होंने एक हवस भरी नजर कमली के सीने और पेट पर डाली और कहा, ‘‘अगर तू मेरे साथ एक रात बिताने को तैयार हो जाए, तो मैं कलुआ का सारा कर्जा माफ कर दूंगा.’’
‘‘वाह, ठाकुर साहब वाह, ऐसे तो तुम लोग हम अछूतों का छुआ पानी भी नहीं पीते, पर हमारे बदन को चाटने से भी तुम्हें परहेज नहीं,’’ कमली गुस्से में भर कर बोली और पैर पटकते हुए वापस चली आई.
ठाकुर को कमली की इस अदा पर गुस्सा नहीं आया, बल्कि वे कमली के तेजी से ऊपरनीचे होते कूल्हों को देख कर निहाल हुए जा रहे थे. वे जानते थे कि परेशान हो कर एक दिन कमली उन के पास आ ही जाएगी.
और सच भी यही था कि कलुआ की परेशानी को देखते हुए कमली ने सोचा कि अपना शरीर एक रात के लिए ठाकुर को सौंप देने में कोई बुराई तो नहीं है. सुबह उठ कर नहाधो लेगी, कम से कम कलुआ को तो ठाकुर परेशान तो नहीं करेंगे.
कमली इसी उधेड़बुन में थी कि उस ने सामने से एक भीड़ को आते देखा. ‘बांगुर बाबा की जय, बांगुर बाबा की जय’ के नारे लग रहे थे. गुलाबी रंग के कपड़े पहने हुए कुछ लोग हाथ में बैनर उठाए हुए थे और एक आदमी परचे बांट रहा था.
कमली को भी परचा मिला, पर वह तो अनपढ़ थी, इसलिए कुछ न पढ़ सकी. भीड़ में से एक आदमी से पूछने पर उस ने बताया कि इसी गांव के बाहरी छोर पर बांगुर बाबा ने अपना पंडाल लगाया है, जहां पर वे गरीबों की मदद करेंगे और बेऔलाद औरतों को ऐसा मंत्र देंगे, जिस से उन के औलाद हो जाएगी. सभी लोगों के कष्ट हरने का तरीका भी है बांगुर बाबा के पास.
कमली बांगुर बाबा की इन शक्तियों के बारे में सुन कर बहुत खुश हो गई और मन ही मन उन के पास जाने का विचार करने लगी.
अगले दिन जब कलुआ काम पर चला गया तो कमली उसे बिना बताए गांव के बाहर लगे बांगुर बाबा के पंडाल में पहुंच गई.
भीड़ अभी आनी शुरू हुई थी. बांगुर बाबा के आदमी एक ओर मेजकुरसी डाल कर कागज पर आने वाले लोगों का नामपता और उन की समस्याएं लिख रहे थे और बारीबारी बांगुर बाबा के पास एक दूसरे छोटे से पंडालनुमा कमरे में भेज रहे थे. वे अंदर जाने वाले के सिर पर एक गुलाबी रंग का कपड़ा भी बांध रहे थे.
कमली भी बेसब्री से अपनी बारी का इंतजार कर रही थी. उस की बारी आई तो धड़कते दिल के साथ उस ने अपना नामपता और समस्या लिखवा दी.
‘हम गरीब हैं और हम पर ठाकुर का कर्जा है…’ कमली की यह समस्या लिख दी गई और उस के सिर पर गुलाबी कपड़ा बांध दिया गया. फिर कमली को अंदर भेज दिया गया.
अंदर जा कर कमली ने देखा कि बांगुर बाबा कोई बूढ़ा आदमी तो नहीं, बल्कि यही कोई 50-52 साल का आदमी था, पर उस ने किसी बाबा की तरह अपने चेहरे पर दाढ़ी जरूर बढ़ा रखी थी.
बाबा के पास ही एक बरतन में आग सुलग रही थी, जिस पर वह बीचबीच में कोई पाउडर सा डाल देता था.
बांगुर बाबा ने कमली को ऊपर से नीचे तक जम कर घूरा और कहा कि उस की गरीबी जरूर दूर होगी, बस वह शांत बैठी रहे.
बांगुर बाबा कुछ देर तक पता नहीं क्या बुदबुदाता रहा और उस के आगेपीछे घूमने लगा और फिर उस ने कमली की पीठ पर हाथ रख दिया. बांगुर बाबा की इस छुअन से कमली चौंक गई. उसे लगा कि बांगुर बाबा की नीयत में कुछ खोट है.
कमली ने विरोध करते हुए खड़े हो कर भागना चाहा, पर वह ऐसा कर नहीं सकी, बल्कि उस का सिर भारी हो जाने के चलते उसे नींद सी आने लगी और वह बेहोश हो कर एक ओर लुढ़क गई.
जब कमली होश में आई, तो उस के बदन पर एक भी कपड़ा नहीं था. बांगुर बाबा एक ओर बैठा हुआ चिलम फूंक रहा था.
कमली ने तेजी से कपड़े पहनने शुरू कर दिए और खा जाने वाली नजरों से बांगुर बाबा को घूरने लगी. हालांकि, कमली का शरीर अभी भी बो िझल सा था, पर फिर भी उस ने पास में रखी हुई एक सुराही को उठा कर बांगुर बाबा के सिर पर मारना चाहा, पर बांगुर बाबा पहले से ही सतर्क था.
‘‘ज्यादा शोर मचाने की जरूरत नहीं है. यह देख तेरे नंगे जिस्म की वीडियो फिल्म कैद है इस में,’’ कहते हुए बांगुर बाबा ने एक बड़े से मोबाइल की स्क्रीन को कमली की तरफ दिखाया.
कमली ने देखा कि उस मोबाइल में उस का नंगे जिस्म के हर हिस्से की वीडियो फिल्म कैद थी.
कमली फफक पड़ी. उस की इज्जत लुट चुकी थी. अपने शरीर को तो उस ने ठाकुर को भी नहीं छूने दिया जो उस का कर्जा माफ कर देता, पर बांगुर बाबा ने उस के भरोसे का कत्ल कर दिया. उसे बेहोश कर के उस की इज्जत लूटी और वीडियो फिल्म भी बना ली.
कमली रोने लगी थी और तेजी से बाहर की ओर भागी. कुछ भी हो अब वह कलुआ को अपनी यह शक्ल
नहीं दिखाएगी. तेज कदमों से वह गांव के बाहर नदी की ओर बढ़ती जा रही थी.
नदी के पुल पर पहुंच कर कमली ने नीचे बहती धार को देखा, तो वह ठिठक गई.
कमली ने सोचा कि वह तो मर जाएगी, पर उस के बाद कलुआ का क्या होगा. इस भरी दुनिया में उसे तो दो रोटी देने वाला भी कोई नहीं है. ठाकुर जब उस पर जुल्म करेगा, तो किस के आंचल में मुंह छिपाएगा कलुआ? और फिर उस के साथ गलत काम तो बांगुर बाबा ने किया है, सजा तो उसे मिलनी चाहिए, तो वह भला अपनी जिंदगी क्यों खत्म करे?
कमली इसी ऊहापोह के बीच वापस अपने घर पहुंची और अपने घर के आंगन में लगे नल से 2-3 बालटी पानी भरा और अपने बदन को रगड़रगड़ कर साफ कर के नहाने लगी.
शाम को आज कलुआ फिर परेशान दिखा. उसे ठाकुर ने बुराभला कहा था और तमाचे भी रसीद किए थे. कमली का सब्र जवाब दे रहा था. उस के दिमाग में ठाकुर का जुल्म, बांगुर बाबा और ठकुराइन के चेहरे लगातार घूम रहे थे. वह मन ही मन कोई योजना बना रही थी.
इस घटना को 2-3 बीत गए थे. कमली जानती थी कि हर शनिवार को ठाकुर शहर जाते हैं, इसलिए वह ठाकुर के जाने के बाद ठकुराइन से मिलने जा पहुंची और उन का दुख बांटने लगी, ‘‘अब तो ठाकुर साहब की उम्र भी हो चली है. एकाध साल में बच्चा नहीं हुआ तो जिंदगीभर बां झ होने का ठप्पा लगा रहा जाएगा आप पर.’’
ठकुराइन के चेहरे पर आई उदासी और निराशा को पढ़ते हुए कमली ने उन्हें बांगुर बाबा के बारे में बताया और यह भी कहा कि बांगुर बाबा किसी भी समस्या को हल कर देते हैं.
‘‘अच्छा, पर कैसे?’’ पूछते हुए ठकुराइन के चेहरे की चमक बढ़ गई.
‘‘अलगअलग समस्या के हल के लिए अलगअलग दाम है. मसलन, पति किसी दूसरी औरत के चक्कर में फंसा हो तो 2,000 रुपए और बच्चा होने के लिए वे 5,000 रुपए लेते हैं. और ये सारे काम वे शनिवार की शाम को होते हैं,’’ कमली ने जोश के साथ बताया.
ठकुराइन किसी भी तरह से एक औलाद चाहती थीं. वे कमली की बातें सुन कर राजी हो गईं.
‘‘ठीक है कमली, मैं बांगुर बाबा के पास जाऊंगी… तुम रुको,’’ ठकुराइन अंदर जा कर 5,000 रुपए ले आईं.
‘‘ये पैसे आप मत रखो. मु झे दे दो. मैं बांगुर बाबा को दे दूंगी, क्योंकि मैं इस से पहले भी उन के पास जा चुकी हूं और वे मु झे अच्छी तरह से जानते हैं,’’ कमली ने कहा तो ठकुराइन ने तुरंत ही पैसे उसे दे दिए.
कमली ने पैसों को अच्छी तरह से अपनी चोली में छिपा लिया था. ठकुराइन किसी भी हाल में आज शनिवार की शाम को ही बांगुर बाबा से मिल लेना चाहती थीं.
कमली और ठकुराइन सब की नजरों से बचतेबचाते हुए बांगुर बाबा के पंडाल पर पहुंचीं और कमली ने बांगुर बाबा के चेलों को ठकुराइन की समस्या लिखवा दी.
चेलों ने ठकुराइन के सिर पर गुलाबी रंग का कपड़ा बांध दिया, जिस के बाद ठकुराइन अंदर चली गईं और कमली कुछ देर रुक कर मुसकराती हुई वापस अपने घर चली गई. अपनी योजना के पहले चरण में तो वह कामयाब हो गई थी.
2-3 दिन के बाद कलुआ और कमली ने पंचायत के सदस्यों से अर्ज किया कि वे पंचायत के सामने अपनी कुछ फरियाद रखना चाहते हैं और पंचायत में ठाकुर साहब को भी बुलाया जाए.
पंचों ने ठाकुर को बुला भेजा, पर ठाकुर अपनी अकड़ में थे, सो पंचों के बुलाने पर नहीं आए. पर पंचों के बारबार कहने और पंचायत का मान रखने के लिए आखिरकार ठाकुर पंचायत में आ गए. गांव के बड़ेबूढ़े, मर्दऔरतें और बच्चे वहां जमा हुए और पंच एक आसन पर विराजे.
एक पंच ने कहना शुरू किया, ‘‘यह पंचायत कमली और कलुआ की अर्ज पर बुलाई गई है. तो बताओ कमली, तुम्हें क्या कहना है?’’
कमली खड़ी हुई और तेज आवाज में उसने कहा, ‘‘मेरे पति ने कई साल पहले ठाकुर साहब से 500 रुपए बतौर कर्ज लिए थे, जिन्हें पूरे ब्याज के साथ हम लौटा भी चुके हैं, पर फिर भी ठाकुर साहब नहीं मानते कि हम ने पैसे लौटाए हैं और वे लगातार मेरे मर्द पर जुल्म करते रहते हैं.’’
‘‘तुम ने कर्जा लौटा दिया है, इस का क्या सुबूत है तुम्हारे पास?’’ ठाकुर बीच में ही दहाड़ पड़े.
कमली ने जवाब दिया, ‘‘हम अनपढ़ लोग हैं और हमारे पास कोई सुबूत नहीं है कि हम कर्जा दे चुके हैं, इसलिए अपनी गलती को संभालते हुए हम आज भरी पंचायत में दोबारा अपना कर्जा चुकता करने को तैयार हैं. पर इस शर्त के साथ कि कलुआ आज के बाद ठाकुर के घर बंधुआ मजदूरी नहीं करेगा और ठाकुर हम से दोबारा पैसे नहीं मांगेंगे.’’
कमली की बात सुन कर किसी को भला क्या एतराज होता. कलुआ ने अपनी जेब से पूरे 1,000 रुपए निकाले और पंचों के सामने गिन कर ठाकुर की ओर बढ़ा दिए.
ठाकुर दांत पीसते हुए सोचने लगे, ‘‘इन लोगों के पास एकदम से इतना पैसा कहां से आ गया?’’ पर बात पंचायत और सब के सामने थी, इसलिए उन्होंने पैसे ले लिए और यह ऐलान कर दिया कि अब कलुआ उन का कर्जदार नहीं है और न ही वह उन का बंधुआ मजदूर है.
कलुआ को अपने कानों पर भरोसा ही नहीं हो रहा था कि अब उसे ठाकुर की गालियां नहीं सुननी पड़ेंगी और न ही उन के घर पर काम करना पड़ेगा. आज वह ठाकुर के कर्ज से छुटकारा पा गया था.
रात को कमली ने चिलम में तंबाकू भरी और कलुआ ने चिलम जलाई. कलुआ ने भी दम मारा और कमली
ने भी. दोनों आंगन में खटिया डाल कर लेट गए.
‘‘तू यह तो बता कि 1,000 रुपए लाई कहां से? क्या ठाकुर से अपने जिस्म का सौदा कर किया है?’’
कलुआ ने कमली के उभारों पर अपने हाथ का दबाव बढाते हुए पूछा तो कमली ने मुसकराते हुए कहा कि वह खाली आम खाए पेड़ गिनना छोड़ दे.
कलुआ कमली की बात सुन कर मुसकराने लगा और अपने चेहरे को कमली के उभरे सीने के बीच रख दिया और उस के हाथ कमली के चिकने जिस्म पर फिसलने लगे.
कमली ने महसूस किया कि आज कलुआ उसे जी भर कर प्यार कर रहा था. आज कलुआ के बदन में बहुत तनाव था. कलुआ और कमली के जोर से खटिया भी मधुर शोर करने लगी थी.
आज अचानक तकरीबन 4 महीने के बाद ठकुराइन और कमली की मुलाकात हुई. दोनों की नजरों में जो बात हुई उसे वे दोनों ही सम झ सकीं. ठकुराइन की शरमाती नजरें यह बताने के लिए काफी थीं कि बांगुर बाबा से उस शाम की मुलाकात के बाद वे पेट से हो गई हैं.
‘‘ठाकुर साहब को उन के पिता बनने की खबर बता दी है. वे बहुत खुश हैं,’’ ठकुराइन ने फुसफुसाते हुए कहा, तो कमली भी मुसकराए बिना नहीं रह सकी.
‘‘पर बांगुर बाबा ने हमारी वीडियो फिल्म बना ली है. यह बात हम किसी को नहीं बताएंगे,’’ कमली ने कहा तो ठकुराइन ने भी कमली से फुसफुसाते हुए कहा, ‘‘हां भई, नदी के घाट पर नहाते समय तो सब नंगे ही होते हैं.’’
दोनों ने एकदूसरे के हाथों को जोर से दबाया और अपनेअपने रास्ते चल पड़ीं. कमली यह सोच कर खुश हो रही थी कि किस तरह से उस ने एक तीर चला कर कई शिकार कर लिए हैं.
समय आने पर ठकुराइन ने एक बच्चे को जन्म दिया. ठाकुर ने पूरे गांव में दावत दी और जम कर मजा किया. पड़ोस के गांव से नाचनेगाने वाली बुलाई गई और रातभर नौटंकी के मजे लिए गए. रातभर यह गाना बजता रहा, ‘लौंडिया लंदन से लाएंगे, रातभर उसे नचाएंगे…’
आखिरकार ठाकुर को उन का वारिस मिल ही गया था. भले ही वे यह नहीं जान सके थे कि वे उस बच्चे के असली पिता नहीं हैं.
कलुआ को अपनी जीविका चलाने के लिए कुछ काम तो करना ही था और कमली के पास ठकुराइन के दिए हुए पूरे 4,000 रुपए बाकी थे. इन पैसों से कमली ने घर के लिए 2-3 महीने का राशन लिया और एक लकड़ी का खोखा बनवाया, जिसे गांव के बाहर जाने वाली सड़क के किनारे रखवा दिया गया, जिस में टौफी, बिसकुट, तंबाकू, पानी की बोतल, गुटका वगैरह रख कर वे दोनों अपनी जीविका चलाने लगे.
ठाकुर को औलाद मिल गई थी. ठकुराइन को ठाकुर की नजरों में इज्जत मिल रही थी. कलुआ को कमाई का साधन और मजदूरी से छुटकारा मिल गया था, पर बांगुर बाबा किसी और गांव में समस्याओं को हल करने की आड़ में गरीब और भोलेभाले लोगों का शोषण कर रहा था.
ऐसे न जाने कितने बांगुर बाबा अभी भी समाज में हैं और अंधविश्वास का फायदा उठा रहे हैं. केवल पढ़ाईलिखाई और जागरूकता ही लोगों को ऐसे बांगुर बाबाओं से बचा सकती है. Best Hind Kahani