Story In Hindi: मीनाक्षी को आज भी अच्छी तरह याद है जब वह लाल जोड़ा पहन कर राजवीर की नईनवेली दुलहन बन कर जटपुर गांव से मेरठ जैसे बड़े शहर में आई थी, तो उस का उस घर में कितना शानदार स्वागत हुआ था.

मुंह दिखाई के समय कैसे राजवीर की पड़ोसनों ने उस की खूबसूरती की तारीफ के पुल बांध दिए थे. राजवीर की मां तो अपनी बहू की तारीफ सुनसुन कर निहाल हो गई थीं. कई दिन तक उसे रसोईघर में भी नहीं घुसने दिया था.

खुशी का पारावार जितना ज्यादा होता है, वहां दुख का वेग भी उतना ही तेज होता है.

राजवीर आईटीआई का डिप्लोमा कर के एक पेपर मिल में इलैक्ट्रिशियन लगा ही था, तभी उस के लिए शादी के रिश्ते आने लगे थे. उस के मांबाप ने अपने एकलौते बेटे की शादी एक खानदानी लड़की मीनाक्षी से करा दी थी.

मीनाक्षी ज्यादा पढ़ीलिखी नहीं थी, बस इंटर पास. गांव में लड़की इतना भी पढ़लिख जाए तो बहुत. इस के बाद तो मातापिता को उस की शादी की चिंता सताने लगती है.

मीनाक्षी की शहर में आते ही जिंदगी बदल गई. मेरठ शहर की चकाचौंध उसे बहुत रास आई. राजवीर उसे मल्टीप्लैक्स में फिल्म दिखाने ले जाता, बड़ेबड़े मौल में उसे शौपिंग कराता, जबकि गांव में वह भैंस के लिए बड़ी नांद में सानी करती थी, उसे चारा डालती थी. भैंस के नीचे सफाई करना, उसे नहलाना, गोबर उठा कर डालना, बस वह ऐसे ही कामों में तो बिजी रहती थी.

लेकिन शहर के तो जलवे ही अलग थे. हर समय बनठन कर रहना. खाली समय में सोफे पर बैठ कर बड़ी स्क्रीन वाली एलईडी पर सासबहू के सीरियल देखना. अब तो मीनाक्षी के मजे ही मजे थे. उस के सब ख्वाब पूरे हो रहे थे.

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