उर्फी को मात देता है नेहा सिंह का फिगर, जालीदार ड्रेस में दिखाई अदाएं

भोजपुरी एक्ट्रेस नेहा सिंह सोशल मीडिया पर हमेशा चर्चा में रहती है. नेहा सिंह की अभी हाल ही में कुछ फोटोज वायरल हो रही हैं. नेहा सिंह इन वायरल हो रही फोटोज में बेहद हौट लग रही हैं. नेहा सिंह की ये बोल्ड फोटोज सोशल मीडिया पर जमकर धमाल मचा रही हैं. नेहा सिंह के नए लुक को देखने के बाद फैंस उन्हें देखते ही रह गए.

 

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नेहा सिंह की जो नई फोटोज सामने आ रही हैं. उन फोटोज में एक्ट्रेस जालीदार ड्रेस में दिखाई दीं. नेहा सिंह की ये ड्रेस लोगों को काफी पसंद आई. नेहा सिंह अपने बालों को खोले हुए दिखाई दीं. नेहा सिंह का ये हेयरस्टाइल खूब वायरल हो रहा है. नेहा सिंह इस तस्वीर में डीपनेक ड्रेस पहने दिखाई दीं. नेहा सिंह की डीपनेक ड्रेस लोगों का ध्यान अपनी तरफ खींच रही हैं.

नेहा सिंह इस तस्वीर में अपनी कातिलाना अदाएं दिखाती हुई नजर आ रही हैं. नेहा सिंह की ये अदा फैंस का दिल लूट रही है. नेहा सिंह इस तस्वीर में लो मेकअप किए हुए नजर आ रही हैं. नेहा सिंह का ये मेकअप लुक खूब वायरल हो रहा है. नेहा सिंह तस्वीर में किलर पोज देती हुई नजर आ रही हैं. नेहा सिंह पोज ने लोगों का दिल लूट लिया.

 

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नेहा सिंह इस तस्वीर में अपना कर्वी फिगर फ्लॉन्ट करती हुई दिखाई दीं. नेहा सिंह का कर्वी फिगर लोगों को दीवाना बना रहा है. नेहा सिंह इस तस्वीर में अपने बोल्ड अंदाज में दिखीं. नेहा सिंह का बोल्ड अंदाज ने लोगों के होश उड़ा दिए. नेहा सिंह इस तस्वीर में बोल्डनेस की सारी हदें पार करती दिखाई दीं. नेहा सिंह की इस बोल्ड तस्वीर को फैंस खूब शेयर कर रहे हैं.

जिंदगी औरत की : कल्पना और अहल्या का दर्द

काफी पसोपेश के बाद भी अहल्या तय नहीं कर पाई कि वह कोख में पल रही बच्ची को गिराए या नहीं. वैसे, हालात का खयाल आते ही उसे बच्चा गिराने पर मजबूर हो जाना पड़ता था. वह सोचती कि घर हो या बाहर, गांव हो या शहर, चारों ओर दहशतगर्दी है. दिनदहाड़े हत्याएं और बलात्कार होते हैं. बूढ़ी हो या जवान, किसी भी उम्र की औरत को बलात्कार का शिकार बनना पड़ सकता है.

कुछ दिन पहले ही उस के पिता की उम्र के एक अफसर ने उसे काम के बहाने अपने घर पर बुला कर उस के साथ हमबिस्तरी की ख्वाहिश जाहिर की थी. वह सपने में भी उस बूढ़े से ऐसी हरकत की उम्मीद नहीं कर सकती थी.

तकरीबन 15 बरस पहले उस के ममेरे भाई ने उस के साथ जबरदस्ती की थी, लेकिन वह खामोशी से उस पीड़ा को सह गई थी.

अहल्या सोचती कि लड़की को जन्म देना ही आफत मोल लेना है. लेकिन उस के पेट में पलती बच्ची उस के पति की आखिरी निशानी थी, इसलिए इस बारे में उसे बारबार सोचना पड़ रहा था.

आखिर में उस ने पेट में पल रही बच्ची को गिराने का ही इरादा किया और इस काम में होस्टल की वार्डन कल्पना से मदद मांगी, ‘‘मैडम, आप से एक विनती है.’’

‘‘बोलो, क्या बात है? कैसी मदद चाहती हो?’’ मैडम ने पूछा.

‘‘मुझे पेट गिराना है. मेरे पेट में 3 महीने की बच्ची पल रही है.’’

‘‘तू विधवा है न? क्या किसी ने तुम्हारे साथ बलात्कार किया है?’’

‘‘नहीं मैडम, यह मेरे पति की आखिरी निशानी है. उस को मरे तो सिर्फ 2 महीने हुए हैं.’’

‘‘तो फिर यह बच्चा क्यों गिरवा रही है?’’

‘‘मैं ने जांच करवा ली है. पेट में बच्ची है, बच्चा नहीं.’’

‘‘बच्ची होने से तुझे क्या परेशानी है?’’

‘‘उसे पालनेपोसने से ले कर शादी करने तक झमेला ही झमेला है. हालात इतने खराब हो गए हैं कि ऐसा लगता है, जैसे हम किसी जंगल राज में जिंदगी गुजार रहे हैं. बच्ची जब थोड़ी बड़ी होती है, तो उस की इज्जत बचाने की चिंता हरदम सताती रहती है. इस के अलावा उस की शादी करना भी कितनी बड़ी समस्या होती है.

‘‘औरत की जिंदगी नरक बन कर रह गई है. हमारे जैसे लोग अपनी बच्ची को ऐसी जिंदगी गुजारने को क्यों मजबूर करें. यही सोच कर मैं ने पेट गिराने का फैसला लिया है.’’

होस्टल की वार्डन सोचने लगी कि अहल्या का सोचना बिलकुल सही है. इस में कोई दो राय नहीं है कि औरत को हर उम्र में पीछा करने वालों से सावधान रहना पड़ता है. इस अधेड़ उम्र में भी मेरे जीजा ने किस तरह अपने चंगुल में फंसा कर मेरे साथ बलात्कार किया. उस दिन रात को मैं उस के घर पर मजबूरी में ठहरी थी. दीदी बहुत समय पहले मर चुकी थीं. बालबच्चे सभी दूसरे शहरों में रहते हैं.

मेरे पति ने कहा था कि होटल में न ठहरना, हालांकि मुझे सरकारी खर्चे पर वहां 2 दिन ठहरना था. रात में खाने के बाद जब मैं सोने के लिए दूसरे कमरे में जाने लगी, तो जीजा ने फरमाया, ‘कल्पना, मेरे कमरे में चलो. थोड़ी देर गपशप करेंगे… तुम से बहुत दिनों के बाद भेंट हुई है.’

मैं उन के कमरे में जा कर कुरसी पर बैठ गई. कुछ देर तक बातें करने के बाद उन्होंने पूछा, ‘बहुत ठंड है, मैं तो दूध लेता हूं… तुम क्या लोगी… गरम दूध या चाय?’ मैं ने कहा, ‘कुछ नहीं.’

पर उन्होंने जोर दिया, ‘नहीं, कुछ तो लेना पड़ेगा,’ कहते हुए उन्होंने नौकर को दूध लाने को कहा, लेकिन खुद भी रसोई में चले गए.

मैं ने जैसे ही दूध का गिलास खत्म किया, चक्कर सा आने लगा. उस के बाद मैं होश खो बैठी.

सुबह 4 बजे मेरी नींद टूटी. मैं ने अपने को बिलकुल नंगी हालत में उन की गोद में पाया. मेरे गुस्से और हैरानी की सीमा न रही. अगर मेरे पास पिस्तौल होती, तो मैं उसे गोली मार देती.

मैं ने उसे जगा कर लताड़ा, ‘आप ने यह सब क्या किया…’

‘आप इनसान नहीं, जानवर हैं,’ फिर मैं साड़ी ठीकठाक करने गुसलखाने में चली गई.

गुसलखाने से मैं रोती हुई सीधे दूसरे कमरे में जा कर रजाई ओढ़ कर लेट गई और रोने लगी कि क्या सोचा था और क्या हो गया? अपनी ही बड़ी बहन के घर में मेरा सबकुछ लुट गया.

जी में आया कि अभी इस घर से बाहर चली जाऊं, लेकिन जाड़े के दिन थे. इतनी सुबह बाहर निकलना ठीक नहीं समझा.

फिर मैं सोचने लगी कि कैसा जमाना आ गया है, ऐसी हालत में तो किसी भी मर्द पर यकीन नहीं किया जा सकता. अपनी हवस मिटाने के लिए आदमी कितना नीचे गिर जाता है. उसे अपनी उम्र और रिश्ते का भी खयाल नहीं रहता.

सुबह जब मैं जाने के लिए सामान ठीक करने लगी, तो वह टपक पड़े, ‘कल्पना, कहां जा रही हो?’ मैं ने जवाब दिया, ‘जहन्नुम में.’

उन्होंने माफी मांगी, ‘कल्पना, मुझे अफसोस है.’

‘भाड़ में जाओ.’

‘मुझे तुम से कुछ कहना है.’ ‘मैं अब कुछ सुनना नहीं चाहती.’

‘सिर्फ एक बात सुन लो.’

‘आप को जो नहीं करना चाहिए था, वह तो कर दिया… फिर एक बात कहने में क्यों संकोच है?’

‘तुम्हारी दीदी की मौत के बाद मेरा तो जैसे दिमाग ही खराब हो गया था…’

‘दीदी आप की रंगरलियां मनाने की आदत की वजह से हमेशा दुखी रहा करती थीं… इसी वजह से वे जल्दी ही चल बसीं.’

मेरे तमतमाए चेहरे से आग बरस रही थी. मैं ने नौकर को आदेश दिया, ‘टैक्सी बुलाओ.’

जीजाजी मेरे सामने हाथ जोड़ कर खड़े हो गए, ‘कल्पना, यह तुम क्या कर रही हो… जाना ही है, तो ड्राइवर के साथ मैं अपनी गाड़ी से भिजवा देता हूं. टैक्सी से क्यों जा रही हो?’

‘अब आप मेरे साथ बात मत कीजिए…’ मैं ने गुस्से से कहा. तभी अहल्या ने वार्डन को टोका, ‘‘मैडम, कुछ बोल नहीं रही हैं?’’

‘खामोश नहीं हूं, तुम्हारे हालात पर गौर कर रही हूं. एक बुजुर्ग के नाते तुम्हें सलाह देना चाहती हूं. इस में कोई दो राय नहीं कि हम औरतों के लिए घर से ले कर बाहर तक खतरा ही खतरा है, लेकिन इस का मतलब यह नहीं कि हम अपना वजूद ही खो बैठें.

‘‘हमें अपने वजूद के लिए मर्दों के इस समाज से जद्दोजेहद करनी होगी. अगर हम हालात के आगे घुटने टेक कर अपना वजूद खो दें, तो सारी मानव जाति का अंत हो जाएगा.

‘‘इसलिए मैं तुम्हें यही राय दूंगी. कि अपनी कोख में पलती बच्ची को धरती पर आने दो, रोको नहीं, उसे नष्ट मत करो.’’

मैडम की बात पर काफी देर तक गौर करने के बाद अहल्या ने अपना इरादा बदल दिया.

पुरानी यादें, कैसे पढ़ाकू कमला बन गई मजदूरन

आज 2 महीने हो गए थे. देशपांडे साहब ने हमारे घर को बनाने का काम अपने हाथों में लिया था. चूंकि हम जिस घर में रहते थे, वह घर भी हमारे बन रहे घर के सामने ही था, इसलिए वहां पर काम करने वाले मजदूरों, बिल्डर और मैटीरियल सप्लाई करने वाले को मैं अच्छी तरह पहचानने लगा था.

कभीकभार दोपहर के खाने के समय जब वहां पानी नहीं होता था, तब सब मजदूर हमारे घर से ही पीने का पानी ले जाया करते थे.

इन 2 महीनों में मैं ने एक बात पर अच्छी तरह गौर किया कि हर बार मजदूर बदलते रहते हैं, पर एक औरत जो मजदूर का ही काम करती है, पिछले 2 महीने से हमेशा काम पर आ रही है. न जाने क्यों, उसे देखते ही मुझे उस की शक्ल कुछ जानीपहचानी सी लगा करती थी. आज भी वह दूसरे मजदूरों के साथ हमारे घर पानी मांगने आई, ‘‘साहब, जरा पीने का पानी दीजिएगा.’’

‘‘हांहां, क्यों नहीं…’’ उस के लोटे में पानी डालतेडालते मैं ने उस से सवाल किया, ‘‘तुम्हारा नाम क्या है?’’

‘‘कमला.’’

‘‘कहां रहती हो? मतलब कौन से गांव की हो?’’ मैं ने एकसाथ 2 सवाल किए.

‘‘मैं केडगांव की हूं. यहां नजदीक ही मालिक के घर के पास रहती हूं,’’ उस औरत ने जवाब दिया.

‘‘तुम्हारे घर में और कौनकौन हैं?’’

‘‘मेरे पति, मैं और डेढ़ साल का एक बेटा है,’’ उस ने जवाब दिया, तभी खाने की छुट्टी खत्म होने की घंटी बजी और दूसरे मजदूरों के साथ वह भी काम पर चली गई. वह औरत तो चली गई, लेकिन मेरे मन में उथलपुथल होने लगी.

मेरा बचपन केडगांव में ही बीता था, इसलिए मैं दिमाग पर जोर डाल कर याद करने की कोशिश करने लगा. इस के बाद भी मुझे कुछ याद नहीं आ रहा था.

दूसरे दिन हमेशा की तरह वह काम पर आई. उसे देखते ही फिर से मेरे दिमाग में हलचल मच गई, ‘कुम्हार महल्ले में रहने वाले यशवंत कुम्हार की बेटी तो नहीं है यह? हां, शायद वही होगी.’

मैं पुराने दिनों में चला गया और मेरी आंखों के सामने घाघराचोली पहने 10-12 साल की एक लड़की का चेहरा उभर आया. सांवला रंग, तीखे नैननक्श, थोड़ी सी शर्मीली, लेकिन होशियार कमला का.

उस समय हम केडगांव में रहते थे. कुम्हार महल्ले के पास ही हमारा घर था. हमारे घर के नजदीक ही येशु यानी यशवंत कुम्हार का छोटा सा घर था. उन की ही बड़ी बेटी थी कमला.

मुझे अच्छी तरह याद है कि उस की चौथी जमात के इम्तिहान का नतीजा आने के बाद वह दौड़ते हुए हमारे घर आई थी और उस ने मेरे पापा को अपना अच्छा रिजल्ट दिखाया था.

इस के बाद मेरे पापा का केडगांव से सोलापुर में तबादला हो गया और हम सब केडगांव का घर छोड़ कर सोलापुर आ गए. कुछ समय बाद पापा की मौत हो गई. मेरी पढ़ाई पूरी हुई. मुझे पूना में नौकरी मिल गई और मैं वहीं का हो कर रह गया.

आज 20 साल बाद वही कमला मुझे फिर से दिखी. उस के काम पर आते ही मैं ने उसे बुलावा भेजा. 30-35 बरस की सांवली, गोल चेहरे वाली, हलके पीले रंग की साड़ी पहने, गले में मंगलसूत्र, हाथों में छोटी सी थैली पकड़े सहमी सी वह मेरे सामने आ खड़ी हुई.

‘‘आओ बैठो,’’ मैं ने कुरसी उस की ओर सरकाते हुए कहा. वह थोड़ी सहम कर चुपचाप कुरसी पर बैठ गई.

‘‘तुम येशु कुम्हार की ही बेटी हो न?’’ मैं ने सच जानने की कोशिश की.

‘‘हां, लेकिन आप को कैसे पता?’’ उस ने हैरान हो कर पूछा.

‘‘मैं केडगांव के कुलकर्णी का बेटा विजय हूं. हम लोग तुम्हारे घर के सामने ही रहा करते थे,’’ मैं ने खुलासा किया.

‘‘अरे सुलभा, जरा बाहर तो आओ,’’ मैं ने अपनी पत्नी को बुलाया और उस की पहचान कराते हुए बोला, ‘‘यह कमला है, केडगांव में हमारे घर के सामने ही रहती थी.’’

एक मजदूर औरत की इस तरह से पहचान कराना सुलभा को कुछ अटपटा सा लगा.

‘‘यह 10-12 साल की थी, तब मैं ने इसे देखा था. उस के बाद आज देख रहा हूं. कितनी बड़ी हो गई है.’’

तब मेहमाननवाजी के तौर पर सुलभा ने उस के हाथ में चाय का कप थमा दिया. पहले तो उस ने मना किया, लेकिन फिर मेरे कहने पर उस ने चाय ले ली.

चाय पीतेपीते ही मैं ने उस से पूछा, ‘‘क्यों कमला, तुम तो पढ़ने में काफी होशियार थी, फिर तुम्हारी यह हालत कैसे हुई?’’

यह सुन कर उस की आंखें भर आईं. जैसेतैसे अपनी चाय खत्म कर वह मेरे सवाल को अनसुना कर के बोली, ‘‘अच्छा तो मैं चलती हूं, वरना मालिक गुस्सा करेंगे.’’

‘‘कोई बात नहीं. मैं उस से बात कर लूंगा, तुम बताओ,’’ मैं ने फिर से वही सवाल किया.

वह कहने लगी, ‘‘आप लोगों के केडगांव से चले जाने के बाद 5-6 साल में ही पिताजी की नौकरी छूट गई. उस के एक साल बाद मां भी चल बसीं.

‘‘मां का गुजरना और नौकरी का छूटना इन दोनों के गम में पिताजी ने अपनेआप को शराब में डुबा दिया. ऐसे हालात में भी मैं ने पढ़ाई जारी रखी.

‘‘नगर में मैं ने कालेज की पढ़ाई पूरी करने के साथसाथ घर चलाने के लिए एक दुकान में सेल्स गर्ल की नौकरी भी की, तभी मेरे मामा ने प्रभाकर के साथ मेरी शादी तय कर दी.

‘‘प्रभाकर 10वीं जमात पास थे और उन की अपनी वर्कशौप थी. वर्कशौप और हमारा घर अच्छाभला चल रहा था, तभी श्रीकांत पैदा हुआ. लेकिन कुदरत को कुछ और ही मंजूर था.

‘‘हमेशा की तरह एक दिन वे वर्कशौप में गए थे. उन्हें एक जौब जल्दी पूरा करना था, पर एक मुलाजिम के छुट्टी पर होने की वजह से उन्होंने खुद ही मशीन पर काम शुरू कर दिया. इसी बीच बिजली चली गई और जौब मशीन में ही अटक गया.

‘‘उस जौब मशीन में से हाथ निकालने की कोशिश करते वक्त अचानक बिजली आ गई और इस से पहले कि वे कुछ समझ पाते, उन के दोनों हाथ मशीन में अटक गए और कुहनी के आगे से बेकार हो गए.

‘‘कुछ दिनों बाद वर्कशौप भी बंद हो गई. हम पर भुखमरी की नौबत आ गई. काम की तलाश में हम पूना आ गए. पड़ोस में रहने वाली एक औरत की पहचान से मुझे यहां काम मिल गया,’’ इतना कहतेकहते उस की आंखें भर आईं. फिर आंखें पोंछते हुए वह जातेजाते हमारे मन को हिला गई.

सुलभा को तो उस पर इतना रहम आया कि उस ने झट से मुझ से कहा, ‘‘आप की तो शहर में कितनी जानपहचान है, दिला दीजिए न इसे कहीं अच्छी सी नौकरी.’’

और फिर मैं ने यों ही अपने एक दोस्त का नंबर डायल किया और कमला के बारे में उसे बताया. उस ने भी तुरंत उसे एक बैंक में क्लर्क की नौकरी दिलवा दी.

उस के बाद एक रविवार को छुट्टी के दिन वह अपने पूरे परिवार के साथ हम से मिलने आई और बातोंबातों में कई पुरानी यादें ताजा हो गईं.

 

4 टिप्स से जानें औरत की सैक्स चाह गंदी बात क्यों

Sex News in Hindi: समाज में स्त्रीपुरुष (Male Female) के हर क्षेत्र में समान होने का गुणगान हो रहा है, पर वैवाहिक जीवन (Married Life) में बिस्तर पर स्त्रियों की समानता शून्य है. महिलाएं जब अपनी पसंद के भोजन का मेन्यू तय नहीं कर सकतीं तो बिस्तर पर सैक्स संबंध (Sex Relation) में अपनी पसंद की बात तो बहुत दूर की है. हमारे यहां दांपत्य जीवन में सैक्स संबंध में मेन्यू क्या होगा, इस का निर्णय केवल पुरुष ही लेता है. हमारे समाज में पब्लिक प्लेस पर सैक्स, हस्तमैथुन, सैक्स में पसंद और कामोन्माद अर्थात और्गेज्म (Orgasum) आदि पर बात करना वर्जित है. सभ्य समाज में ऐसी गंदी बातें करना अच्छा नहीं माना जाता है. हां, मांबहन की गालियां खुलेआम दे सकते हैं और वे भी जी भर कर, अंगरेजी पढ़लिखे भी खुलेआम इस पर चर्चा कर सकते हैं.

सहवास में समय का चुनाव केवल पुरुष ही करेगा और चाह भी वही जाहिर करेगा तथा चरमोत्कर्ष भी वही प्राप्त करेगा. सहचरी का कुछ हो या नहीं वह इस बारे में कुछ बोल भी नहीं सकती. उस के लिए तो यह एक वर्जना ही है. यह पुरुषवादी महिलाओं के पालनपोषण का नतीजा है कि लड़कियां अपनी मरजी अथवा पसंद को जाहिर नहीं कर पातीं और मानसिक तनाव के गर्त में चली जाती हैं. इस पर बात होते ही संस्कृति की दुहाई दे दी जाती है.

1. सभ्यता के ठेकेदार

फिल्म ‘वीरे दी वैडिंग’ में अभिनेत्री स्वरा भास्कर के हस्तमैथुन के एक दृश्य और फिल्म ‘लस्ट स्टोरीज’ में अभिनेत्री कायरा आडवाणी के वाइब्रेटर द्वारा मास्टरबेशन के एक दृश्य को ले कर खूब हंगामा हुआ. हंगामा करने वाले पितृसत्ता के ठेकेदार हैं. उन के अनुसार फिल्मकारों और अभिनेत्रियों ने फिल्म में ऐसे दृश्य फिल्मा कर धर्म और सभ्यता दोनों को नष्ट करने का प्रयास किया है.

यौन जीवन जिंदगी का एक महत्त्वपूर्ण और जरूरी हिस्सा है जो समाज का केंद्रबिंदु है और उस पर खुल कर बिना किसी हिचक के चर्चा हो. इस बारे में हमें अपनी बेबाकी के लिए एक मशहूर शख्सीयत अंगरेजी लेखक और पत्रकार दिवंगत सरदार खुशवंत सिंह से सीख लेनी चाहिए. उन्होंने एक इंटरव्यू के दौरान पूछे गए सवाल कि आप उम्र के पड़ाव में आ कर सब से ज्यादा क्या मिस करते हैं? के जवाब में एक वाक्य में उत्तर दिया ‘‘बढि़या सैक्स को बहुत मिस करता हूं.’’

एक अन्य इंटरव्यू में जब उन से पूछा गया कि सैक्स के बारे में महिलाओं की समझ तथा अनुभव क्या है? तो उन्होंने गंभीर होते हुए जवाब दिया, ‘‘हमारे यहां अधिकतर महिलाएं सिर्फ बच्चों को जन्म देने का यंत्र समझी जाती हैं. आधा दर्जन बच्चों की मां बन जाने पर भी उन्हें सैक्स का असली आनंद क्या होता है पता नहीं चलता.’’

2. नारी सिर्फ भोगने के लिए

स्त्रियों को शुरू से ही केवल पुरुष के लिए तैयार किया जाता है कि शादी के दिन सुहागरात में खुद को अपने पति के सामने परोस देना और जैसा वह कहे वैसा ही करना.

इस का सब से बेहतर उदाहरण हम प्रख्यात लेखक भीष्म साहनी के मशहूर नाटक ‘माधवी’ का ले सकते हैं. माधवी एक ऐसा क्रांतिकारी नाटक है, जो हमारे समाज में स्त्रियों की दशा और उन के स्थान को पूरी नग्नावस्था में प्रस्तुत करता है.

यह नाटक ‘महाभारत’ की एक कथा पर आधारित है, जिस में ऋषि विश्वामित्र का शिष्य गालव अपने गुरु से गुरुदक्षिणा मांगने की हठ करता है. ऋषि उस के जिद्दी स्वभाव से नाराज हो कर 800 अश्वमेधी घोड़े मांग लेते हैं. अब गालव अश्वमेधी घोड़े प्राप्त करने के लिए दानवीर राजा ययाति के आश्रम पहुंचता है. वहां राजपाट से निवृत्त हो चुके राजा गालव की प्रतिज्ञा सुन कर दुविधा में पड़ जाते हैं, लेकिन वे ठहरे दानवीर राजा सो वे अपनी पुत्री को गालव को दानस्वरूप सौंप देते हैं, यह कहते हुए कि उन की पुत्री को जहां कहीं किसी राजा के पास 800 अश्वमेधी घोड़े मिलें, तो उन के बदले माधवी को राजा के पास छोड़ दें.

माधवी के बारे में बताया गया कि उस के गर्भ से पैदा बालक चक्रवर्ती राजा बनेगा और माधवी गर्भधारण के बाद एक अनुष्ठान कर के फिर से कुंवारी बन जाएगी. इस पूरी प्रक्रिया में माधवी कई राजाओं के पास ले जाई जाती है. सभी राजाओं को पुत्ररत्न दे कर गालव के साथ आगे चल देती है. इस तरह गालव 800 अश्वमेघी घोड़े प्राप्त कर लेता है और ऋषि विश्वामित्र को गुरुदक्षिणा दे देता है.

इस पूरे घटनाक्रम में माधवी को किनकिन मानसिक और शारीरिक पीड़ाओं से गुजरना पड़ता है उस की सुध कोई नहीं लेता. माधवी जबजब मां बनती है तो उसे हर बार अपनी ममता का गला घोटना पड़ता है और अपनी सभी इच्छाओं को तिलांजलि देनी पड़ती है परंतु इस दौरान उसे गालव से प्रेम भी हो जाता है.

मगर आखिरी बार मां बनने के बाद माधवी फिर से कौमार्य प्राप्त करने से मना कर देती है और उसी अवस्था में गालव के साथ होना चाहती है, किंतु गालव बिना कौमार्य के माधवी को अपनाने से मना कर देता है. तब माधवी गालव को छोड़ कर चली जाती है.

नारी की तब भी यही स्थिति थी और आज भी ऐसी ही है. नारी को हमेशा पुरुष की भोग्या वस्तु मात्र समझा गया. उसे एक अलग व्यक्ति के रूप में पहचान मिली ही नहीं. उस के विचारों, इच्छाओं और पसंद का तिरस्कार ही किया गया.

3. इज्जत बचाने के दायरे में औरत

स्वरा भास्कर के शब्दों में, ‘‘रेप सर्वाइवर्स को भी जिंदा रहने का पूरा हक है, पति या उन के पुरुष साथी की मौत के बाद भी महिलाओं को जिंदा रहने का पूरा हक है. हां, महिलाओं के पास यह अंग होता है, लेकिन उन के पास और भी बहुत कुछ है.’’

हमारे समाज की विडंबना ही है कि वह आधुनिकता का आवरण ओढ़ कर पुरुषों को अपनी मरजी से जीने का समर्थन करता है, वहीं दूसरी ओर महिलाओं को सिर्फ इज्जत बचाने के लिए बने दायरों में सीमित कर रखा है. आधुनिकता की बड़ी बातें करने वाले लोग पवित्रता पर जितना जोर देते हैं, उतना महिलाओं के किसी अन्य मुद्दे पर नहीं देते हैं.

एक सच्चा किस्सा है- मांबाप ने अपनी एक बेहद पढ़ीलिखी और नौकरीपेशा लड़की की शादी अच्छे घर में तय कर दी. ससुराल पक्ष के लोग आधुनिकता का दंभ भरते नहीं थके तो मांबाप ने सोचा लड़की यहां सुखी रहेगी. शादी तय होने के कुछ दिनों के बाद ही होने वाले कथित पति ने लड़की से उस की वर्जिनिटी पर सवाल करने शुरू कर दिए. लड़की के लिए ये बेहद अपमानजनक पल होते थे, लेकिन वह सामाजिक भय से चुप रही. यह सिलसिला शादी से कुछ हफ्तों पहले तक चलता रहा. लड़के ने यहां तक बोला कि लड़की को उसे डाक्टर का सर्टिफिकेट देना होगा जिस में उस का वर्जिन होना बताया गया हो. तभी वह उस लड़की को स्वीकार करेगा. इस सब में उस लड़के की मां भी उस का साथ दे रही थी. आखिरकार लड़की ने अपने भावी भविष्य की कल्पना कर के शादी से मना कर दिया.

सभी मर्दों को अपनी बीवी छुईमुई और वर्जिन चाहिए होती है ताकि वह उन की अहं से भरी सैक्सुअल फंतासी (जिस में वर्जिन होना और पहली बार सैक्स में ब्लीडिंग होना अनिवार्य है) में खरी उतर सके. लेकिन दूसरी तरफ उन्हें अपनी ज्यादा सैक्सुअल डिजायर को पूरा करने के लिए एक सैक्स वर्कर भी चाहिए, जिस के साथ खुल कर वो सबकुछ कर सकें जो उन्हें अच्छा लगता है.

4. वर्जिनिटी पर किस का हक

हमें यह मानना होगा कि वर्जिन होना न होना औरतों का चरित्र तय नहीं करता है. यह उन की अपनी व्यक्तिगत स्वतंत्रता और अधिकार है कि उन्हें कब और किस के साथ सैक्स करना है, नहीं करना है.

‘‘कुछ साल पहले जब मैं टीनऐजर थी तो हमउम्र लड़कों को देख कर मेरे अंदर एक अनजाना और अजीब सा एहसास होने लगता था. मेरे निचले हिस्से में गुदगुदी सी होनी लगती जो अच्छी लगती थी. आज कुछ सालों के बाद मैं इन सभी भावनाओं को पूरी तरह समझ चुकी हूं और स्वीकार भी कर चुकी हूं. काश, महिलाएं भी पुरुषों की ही तरह सैक्स से जुड़े अपने अनुभवों और भावनाओं पर खुल कर बात कर सकतीं तो कितना अच्छा हो,’’ यह विचार मैडिकल एडवाइस के लिए मशहूर वैबसाइट वैब एमडी पर प्रकाशित एक महिला के है.

वैब एमडी की एक रिपोर्ट के अनुसार महिलाओं की तुलना में पुरुषों में न केवल सैक्स की इच्छा ज्यादा होती है, बल्कि सैक्स को ले कर उन का रवैया भी काफी सीधा होता है.

टीनऐजर्स में जहां हारमोंस उफान पर होते हैं, वहीं वयस्क महिलाओं और पुरुषों की सैक्स के लिए इच्छा के कम या ज्यादा होने को कई तरह की चीजें प्रभावित करती हैं. सामाजिक या आर्थिक पहलुओं में तालमेल बैठाने के साथसाथ प्रेम संबंधों की उम्मीदें और हालत आदि ऐसे कई पहलू हैं जो हमारी सैक्स लाइफ को प्रभावित करते हैं.

विवाह में शर्तें उचित या अनुचित, बरतें सावधानी

Society News in Hindi: मेरी एक परिचिता की बेटी को लड़के वाले देखने आए. सारी बातें पक्की हो जाने के बाद जब लड़का व लड़की ने एकांत में औपचारिक वार्त्तालाप किया तो लड़के ने लड़की से प्रश्न किया, ‘‘विवाह के बाद यदि फेसबुक, व्हाट्सऐप जैसे सोशल मीडिया का प्रयोग करने से हम मना करेंगे तो तुम बंद कर दोगी?’’

लड़की ने उत्तर दिया, ‘‘नहीं, बिलकुल नहीं.’’ साथ ही बाहर आ कर लड़की ने विवाह करने से भी यह कह कर मना कर दिया कि लड़का संकुचित मानसिकता का है. अभी से ऐसी शर्त रखी जा रही है तो विवाह के बाद तो जीना ही मुश्किल हो जाएगा.

एक अन्य परिवार में लड़के वालों ने लड़की वालों से कहा, ‘‘हमारे लगभग सौ बराती होंगे. उन के स्वागतसत्कार में कोई कमी नहीं रहनी चाहिए. साथ ही, हरेक बराती को विदाई में सोने का सिक्का देना होगा.’’

सीमा को एक लड़का देखने आया. औपचारिक वार्त्तालाप के बाद उस के मातापिता ने कहा, ‘‘देखो बेटी, हमारे घर की सभी बहूबेटियां नौकरी करती हैं तो तुम्हें भी हम घर में बैठने नहीं देंगे. बस, शादी के बाद एमबीए कर लेना ताकि सैलरी पैकेज अच्छा हो जाए, और शान से नौकरी करना.’’

सीमा को नौकरी करने के स्थान पर आराम से घर पर रहना पसंद था, सो उस ने शादी करने से इनकार कर दिया.

आजकल अरेंज मैरिज में लड़के वाले लड़की वालों के समक्ष शर्तों का पिटारा कुछ इस प्रकार खोलते हैं मानो लड़की और उस के परिवार का कोई अस्तित्व ही नहीं. कुछ लड़कियों और उन के मातापिता से की गई बातचीत के आधार पर हम ने जाना कि कैसीकैसी शर्तें लड़के वाले लड़की और उस के मातापिता के समक्ष रखते हैं-

  • शादी के बाद नौकरी छोड़नी पड़ेगी और यदि लड़की कामकाजी नहीं है तो यह, कि हमें कामकाजी बहू पसंद है इसलिए नौकरी करनी पड़ेगी.
  • हमारे पास मेहनत से कमाया हुआ सबकुछ है. हमें कुछ चाहिए नहीं. पर फिर भी, शादी का आप का बजट कितना है?
  • शादी के बाद मायके से कोई रिश्ता नहीं रखोगी और उन की किसी भी प्रकार की आर्थिक सहायता नहीं करोगी. जो भी कमा कर लाओगी, हमारे हाथ पर ही रखोगी.
  • तुम एमबीए नहीं हो, हमें तो एमबीए लड़की ही चाहिए. शादी के बाद एमबीए करना पड़ेगा.
  • मोटी बहुत हो, शादी से पहले 10 किलो तक वजन कम करना पड़ेगा.
  • 35 साल की उम्र तक अविवाहित रहने के पीछे क्या कारण रहा.
  •  नाक नहीं छिदी है, शादी से पहले छिदवानी पड़ेगी.
  • एक लड़के वाले ने यह कह कर रिश्ता करने से इनकार कर दिया कि लड़की के पिता को आंखों की लाइलाज बीमारी है.

उपरोक्त शर्तों को पढ़ कर पता चलता है कि समाज में स्त्री को किस दृष्टि से देखा जाता है. इस प्रकार की शर्तें लड़की के लिए ही क्यों? आज के समय में मातापिता लड़की और लड़के दोनों को पढ़ालिखा कर आत्मनिर्भर बनाने में समान पैसा, और परिश्रम व्यय करते हैं, फिर दोनों में असमानता क्यों? क्या अरेंज मैरिज में लड़की की अपनी इच्छा कोई माने नहीं रखती?

एक कंपनी में मैनेजर के पद पर काम कर रही नेहा गोयल कहती हैं, ‘‘कोई भी रिश्ता शर्तों पर नहीं टिक सकता क्योंकि शर्तों पर तो सिर्फ बिजनैस डील होती है, रिश्ता नहीं निभाया जा सकता.’’

वरिष्ठ मैरिज काउंसलर और मनोवैज्ञानिक निधि तिवारी कहती हैं, ‘‘विवाह से पूर्व लड़की व लड़की दोनों का ही शर्त रखना कुछ हद तक सही है क्योंकि विवाह से पूर्व ही सारी बातें साफ हो जाती हैं तो भविष्य में विवाद की आशंका नहीं होती. दोनों को यदि एकदूसरे की बात पसंद है तो शादी होगी वरना नहीं.

‘‘इस की अपेक्षा, विवाह के बाद यदि कोई शर्त रखी जाती है तो कई बार विवाह जैसा पवित्र बंधन टूटने के कगार तक पहुंच जाता है. दरअसल, लड़की व लड़का मानसिक रूप से उस स्थिति के लिए तैयार नहीं होते. परंतु सिर्फ लड़के के परिवार या लड़के के द्वारा ही शर्तों का रखना पूरी तरह गलत है.’’

शर्तों में बंधा बंधन

विवाह एक प्यारा सा बंधन है जो परस्पर सहयोग, समझदारी, विश्वास और आपसी सामंजस्य पर टिका होता है. इस बंधन में भावना प्रधान होती है. ऐसे बंधन में बंधने से पूर्व ही यदि शर्तें लाद दी जाएंगी तो उस का टिकना ही संदेहास्पद हो जाएगा. इसलिए इस में किसी भी प्रकार की अनपेक्षित शर्तों का रखा जाना बेमानी है. शर्त रखने के स्थान पर दोनों परिवारों के लोग आपसी बातचीत के माध्यम से अपनी इच्छाएं साझा करें ताकि दोनों को एकदूसरे की विचारधारा का पता लग सके.

कितनी बार देखा जाता है कि विवाह के बाद समय और परिस्थिति की मांग को देखते हुए बच्चों की परवरिश की खातिर अथवा अन्य कारणों से महिलाएं नौकरी खुद ही छोड़ देती हैं, या परिवार की आवश्यकतानुसार नौकरी करती हैं. विवाहोपरांत पति, पत्नी और ससुराल के परस्पर व्यवहार व सहयोग के बाद अनेक समस्याएं खुद हल हो जाती हैं परंतु विवाह पूर्व जब उन्हीं समस्याओं को शर्त के रूप में प्रस्तुत किया जाता है तो रिश्ते की शुरुआत में ही कटुता आ जाती है जो कई बार ताउम्र भी समाप्त नहीं हो पाती.

विवाह 2 परिवारों और संस्कृतियों का मिलन होता है, नई रिश्तेदारी का सृजन होता है, लड़का व लड़की इस से अपने एक नवीन जीवन का प्रारंभ करते हैं, नवीन रिश्तों को जीना शुरू करते हैं. ऐसे नाजुक रिश्ते में बंधने से पूर्व ही किसी भी प्रकार की शर्त रखना सरासर गलत है. वास्तविकता तो यह है कि विवाह में लड़की के मातापिता अपने खून से सींचे गए अंश को लड़के वालों के परिवार को दे कर शृंगारित करते हैं. ऐसे में लड़की वालों का स्थान लड़के वालों से ऊपर हो जाता है. सो, उन्हें हेय न समझ कर, बराबरी का मानसम्मान दिया जाना चाहिए.

विवाह में किसी भी प्रकार की शर्त का रखा जाना सर्वथा अनुचित है. बिना शर्त प्यार और सहयोग की भावना से किए गए विवाह में लड़की अपने ससुराल के प्रति प्यार, विश्वास और सम्मान की भावना ले कर सासससुर के घर में प्रवेश करती है जिस से घर में चहुंओर खुशियां रहती हैं.

मैंने अपने दूर के भाई के साथ सेक्स किया है, हम दोनों शादी करना चाहते हैं, मैं क्या करूं?

सवाल

मैं 21 साल की हूं और ओडिशा के एक गांव में रहती हूं. मेरा दूर का एक भाई है, जो मेरे साथ कई बार जिस्मानी रिश्ता बना चुका है. हम दोनों शादी करना चाहते हैं, पर घर वाले इस की कभी भी इजाजत नहीं देंगे. क्या हम भाग कर शादी कर लें? मैं उस लड़के के बिना नहीं रह सकती हूं. मैं ऐसा क्या करूं कि मेरी इस समस्या का हल हो जाए?

जवाब

कजिन से कम उम्र में जिस्मानी रिश्ता बनना आम बात हो चली है, क्योंकि यह उम्र की मांग होती है और एकांत भी सहूलियत से मिल जाता है, लेकिन यह रिश्ता सामाजिक और कानूनी रूप से गलत है.

अगर आप का उस से खून का रिश्ता है, तो वापस लौटने में ही भलाई है. भाग कर शादी करना एक दफा आसान है, लेकिन इस के बाद की मुश्किलों को हर कोई नहीं झेल पाता और फिर चूंकि आप गलत हैं, इसलिए घर वालों से ज्यादा भाग भी नहीं पाएंगी.

बेहतर होगा कि आप अपने उस भाई से भी खुल कर बात करें और धीरेधीरे इस रिश्ते को खत्म करने की कोशिश करें.

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सवाल

मैं उत्तराखंड के चमोली जिले में रहता हूं और अभी 12वीं क्लास में पढ़ रहा हूं. मैं पढ़ाई में अच्छा हूं और आगे चल कर आईएएस बनना चाहता हूं. क्या हमारे राज्य में आईएएस की सस्ते में कोचिंग दी जाती है? मैं ने जानकारी लेने की कोशिश की है, पर मेरी समझ में कुछ नहीं आ रहा है. मैं क्या करूं?

जवाब

ऐसा लगता नहीं कि आप ने ईमानदारी से कोशिश की है. लगता है कि कुछ दोस्तों से चर्चा कर के आप खामोश बैठ गए हैं. यहां हम कुछ कोचिंग सैंटरों के नामपते दे रहे हैं, आप वहां जा कर मिलिए और अपनी माली हालत बता कर फीस कम करने की बात करें.

कई कोचिंग संस्थान गरीब छात्रों को सस्ते में कोचिंग देते हैं. अगर वहां बात न बने, तो जिले के कलक्टर से आवेदन के साथ मिलें. सरकार ऐसे छात्रों के लिए कई स्कीमें चलाती है. अगर आप एससीएसटी कोटे से हैं, तो देहरादून के इग्नू सैंटर जा कर मिलें.

  1. योजना आईएएस : फोन नंबर-

6212542147, 5648523574.

  1. हिंदू जौन अकादमी : फोन नंबर- 880022298, 01204160241.
  2. ज्ञान आईएएस : फोन नंबर- 09997240887.
  3. प्लूटस : फोन नंबर- 844844023. द्य

सच्ची सलाह के लिए कैसी भी परेशानी टैक्स्ट या वौइस मैसेज से भेजें.

मोबाइल नंबर : 08826099608

काले इल्म का काला कारोबार, कितना खतरनाक

Crime News in Hindi: भोपाल, मध्य प्रदेश के पिपलानी इलाके में रहने वाली ममता बाई (बदला नाम) की शादी को 10 साल हो चुके थे. उस के कोई औलाद नहीं थी. एक दिन वह अखबार में छपे गारंटी व मनचाही औलाद देने का दावा करने वाले एक तांत्रिक के पास गई और उसे अपनी समस्या बताई. अगले दिन ही तांत्रिक उस के घर आया और पूजापाठ, तंत्रमंत्र का पाखंड कर के ममता से बोला, ‘‘घर में रखे जेवरों में खराबी आ गई है. उन में खतरनाक ब्रह्म राक्षस का वास हो गया है. उन्हें शुद्ध करना पड़ेगा.’’

तांत्रिक के कहने पर ममता घर में रखे सारे जेवर ले आई. जेवर देख कर तांत्रिक ने कहा, ‘‘घर में और भी जेवर रखे हैं, उन्हें भी ले आओ.’’

ममता ने बताया, ‘‘वे जेवर तो मेरी सास के हैं.’’ लेकिन तांत्रिक ने उन जेवरों को भी लाने के लिए कहा.

ममता ने सास के जेवरों का बौक्स ला कर तांत्रिक के सामने रख दिया. तांत्रिक ने जेवरों की पूजा की, जिस से कमरे में धुआं हो गया.

पूजा करने के बाद तांत्रिक ने जेवरों का बौक्स लौटाते हुए कहा, ‘‘3 दिन बाद तुम इस डब्बे को खोलना.’’

3 दिन बाद जब ममता ने जेवरों का बौक्स खोला, तो देखा कि उस में जेवर नहीं थे. वह तांत्रिक 6 लाख रुपए के जेवर ले कर चलता बना था.

मुंबई के एक तांत्रिक ने खुद को काले इल्म का जानकार बताया और एक तलाकशुदा औरत की परेशानी दूर करने के बहाने उस से रुपए ऐंठता रहा. इस के साथ ही वह उस का जिस्मानी शोषण भी करता रहा.

यही नहीं, उस तांत्रिक ने उस औरत की 2 बेटियों को भी नहीं छोड़ा. जब वे नाबालिग बेटियां पेट से हो गईं, तो वह वहां से फरार हो गया.

पुलिस ने जब उसे पकड़ा, तो पता चला कि वह करोड़ों रुपयों का मालिक है. मुंबई, सूरत और उत्तर प्रदेश के कुछ इलाकों में उस की आलीशान कोठियां हैं, जिन की कीमत करोड़ों रुपए में है.

आज के जमाने में भी लोगों का  वशीकरण व काला जादू जैसी बातों पर यकीन है. इस के चलते काले इल्म का कारोबार काफी बढ़ रहा है.

भारत के छोटेबड़े शहरों से निकलने वाले अखबारों, पत्रिकाओं और टैलीविजन में टोनाटोटका करने वाले बाबाओं के इश्तिहार सब से ज्यादा छपते हैं.

ऐसे इश्तिहारों में सौ फीसदी गारंटी, तुरंत असर, काम न होने पर पैसा वापस करने जैसी बातें कही जाती हैं. इन बातों को पढ़ कर लोग तांत्रिकों के पास दौड़ेदौड़े पहुंच जाते हैं. एक बार जो इन के पास पहुंच गया, तो समझो वह बरबाद हो गया.

बाबा समस्या दूर करने के बजाय उस की जिंदगी में नई समस्या पैदा कर देते हैं. वे पूजापाठ के नाम पर लोगों से पैसा वसूलते हैं.

समस्या का समाधान न होने पर बड़ी समस्या बता कर बड़ी पूजा यानी बड़ा खर्च बताते हैं. पूजा न करवाने पर उलटा लोगों पर असर होने का डर दिखा कर पैसा ऐंठते हैं.

ये तथाकथित बाबा अपने नाम के आगे मुल्ला, फकीर, तांत्रिक, पंडित, भक्त, उपासक, सूफी, काले इल्म के माहिर, आलिमों के आलिम, सच्चा फकीर, पहुंचे हुए तांत्रिक, खानदानी मियां जैसी बातें लिखते हैं.

इस के अलावा मुठमारन विशेषज्ञ, काली शक्ति के उपासक, बाबा सम्राट जैसी बातें लिखी होती हैं. इन्हें पढ़ कर लगता है, जैसे ये उन की डिगरियां हैं.

अब तो ये बाबा 100 परसैंट की गारंटी नहीं, बल्कि 5000-11000 परसैंट की गारंटी देते हैं. मेरे से पहले जो काम कर के दिखाएगा, उसे

51 लाख रुपए का इनाम दिया जाएगा. और तो और एक तांत्रिक ने तो 54 टाइम गोल्ड मैडल विजेता लिख रखा था. पता नहीं, इन्हें कौन गोल्ड मैडल बांट रहा है.

एक बाबा ने दावा किया है कि अब तक वह 76,586 केस हल कर चुका है. उस की बात पर यकीन करें, तो कह सकते हैं कि उस के पास इतने बेवकूफ पहुंच चुके हैं.

इन बाबाओं के चेले शहर या महल्ले में घूमघूम कर प्रचार करते हैं. पान की गुमटी, चाय की दुकान वगैरह जगहों पर इन बाबाओं की झठी खूबियों का बखान कर के वे लोगों को अपनी ओर करते हैं.

इन बाबाओं का टारगेट ज्यादातर ऐसे लोग होते हैं, जिन के पास खूब पैसा होता है, पर परेशान रहते हैं. जो  पति से परेशान हैं, प्यार में नाकाम हैं,  जिस लड़की की शादी नहीं हो रही है,  उन्हें अपनी बातों में ले कर वे बाबाओं तक पहुंचा देते हैं.

बाबा धीरेधीरे उसे अपने असर में लेने लगता है. इन बाबाओं की बातों के जाल में फंसा शख्स अगर इन्हें छोड़ने की कोशिश भी करता है, तो वे इतना डरा देते हैं कि उन से अलग होने की वह सोच भी नहीं सकता है.

ऐसे बाबाओं की नजर उस शख्स की जमीनजायदाद और औरतों के जिस्म पर भी होती है. अनेक बाबा तो मांबेटी के जिस्म लूटते पाए गए हैं.

काले इल्म की काट व पलट के बेताज बादशाह, बुखरी खानदान की खिदमत में 163 साल, बुजुर्गों के ताबे (काबू) में लिए हुए जिन्नात (जिन) के जरीए एक खास अमल (सिद्ध क्रिया) करता है, जिस में जीत के तमाम रास्ते खुल जाते हैं.

मेरी अमल से संगदिल से संगदिल महबूब बेपनाह मुहब्बत करने वाला बन जाएगा. आलिमों के आलिम, जिन्नात द्वारा मनचाहा काम करवाने की बात लिखी होती है. उन का दावा है कि किसी की आवाज, हाथ से लिखा परचा, पहना हुआ कपड़ा, शरीर के किसी भी हिस्से के बाल या नाखून, फोटो होने पर उस के ऊपर कोई भी काम किया जा सकता है.

कहा जाता है, बेवकूफ बनने के लिए लोग तैयार बैठे हैं. बस, उन्हें बेवकूफ बनाने वाला चाहिए. इस की वजह से काले इल्म वाले बाबाओं की काली दुकानदारी जम कर चल रही है.

Bobby Deol Birthday : एनिमल स्टार बौबी देओल मना रहे बर्थडे, बड़े भाई ने छोटे भाई पर लुटाया प्यार

आज बौलीवुड स्टार और एनिमल फिल्म के विलेन का रोल निभाने वाले बौबी देओल अपना 55वां बर्थडे मना रहे है. ऐसे में बौलीवुड की तमाम हस्तियां उन्हे बर्थडे पर बधाई देते हुए नजर आ रहे है साथ ही उनके फैंस उन्हे शुभकामनाएं दे रहे है. इसी बीच सनी देओल अपने छोटे भाई को गले लगाकर विश करते हुए सोशल मीडिया पर दिखाई दिए है.

 

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आपको बता दें, सनी देओल ने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर बॉबी संग कई सारी फोटो शेयर कर उन्हें बर्थडे विश किया है. इन तस्वीरों को शेयर करते हुए सनी ने कैप्शन में लिखा कि ‘हैप्पी बर्थडे माई लिल लॉर्ड बॉबी…’ वहीं इन फोटोज में दोनों भाईयों के बीच जबरदस्त बौन्डिंग देखने को मिल रही है. दोनों भाई की एक साथ फोटो देख फैंस काफी खुश नजर आ रहे है. दोनों का ऐसा प्यार देख लोगों को अच्छा लग रहा है.

 

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सनी के इस पोस्ट पर कमेंट्स की बाढ़ आ गई है. फैंस लगातार बॉबी को बर्थडे की ढेर सारी शुभकामनाएं दे रहे हैं. वही साल 2023 दोनों भाईयों के लिए काफी शानदार रहा था, एक तरफ जहां सनी देओल ने ‘गदर 2’ से बॉक्स ऑफिस पर तहलका मचा दिया. तो वहीं एनिमल के जरिए बॉबी को अपने करियर की सबसे बड़ी सफलता हासिल कर ली. इसके अलावा धर्मेंद्र की ‘रॉकी और रानी की प्रेमकहानी’ भी सुपरहिट साबित हुई.

Bigg Boss 17: इस साल बिग बॉस की ट्रौफी है जरा हटके, पहली झलक आई सामने

सलमान खान का रिएलिटी शो बिग बौस 17 टीवी का सबसे मशहूर शो है. जिसकी चर्चा हर जगह होती है. और अब ये शो अपने आखिरी मोड़ पर आ गया है. जिसका फिनाले कल यानी रविवार को 28 जनवरी को होने वाला है. ऐसे में मेकर्स ने आने वाले शो के एपिसोड की झलक फैंस को दिखाई है. जिसमें फिनाले से पहले आखिरी एपिसोड में घरवालों से मिलने के लिए कई सितारे आएंगे.

 

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आपको बता दें कि मेकर्स ने एक प्रोमो वीडियो जारी किया है. जिसकी एक झलक के साथ ट्रौफी भी दिखाई गई है. इस वीडियो में फैंस अपने फेवरेट कंटेस्टेंट से मिलते दिखाई देंगे. ये सितारे अपने फेवरेट कंटेस्टेंट की खूबियों के बारे में बात करने वाले हैं. वही, बिग बॉस 17 की ट्रॉफी अब तक की सबसे अलग ट्रॉफी है. जिसका लुक फैंस को हैरान कर गया है.


एंटरटेनमेंट न्यूज की दुनिया में बिग बॉस 17 के विनर की ट्रॉफी आते ही चर्चा में आ गई. बिग बौस 17 की ये ट्रॉफी हर बार की तरह चमचमाती नहीं बल्कि डार्क लुक की है. बता दें, कि बिग बौस 17 के ट्रॉफी की रेस अब घर के 5 सदस्यों के बीच है. सुपरस्टार सलमान खान के कॉन्ट्रोवर्सियल टीवी रियलिटी शो के फिनाले में अंकिता लोखंडे, मुनव्वर फारुकी, अभिषेक कुमार, अरुण माशेट्टी और मनारा चोपड़ा पहुंचे हैं. इन पांचों में से कोई एक ही बिग बॉस 17 की ट्रॉफी का हकदार होगा.

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