आज फिर वही लड़की साइबर टावर के ट्रैफिक सिगनल पर मुझे मिली. हैदराबाद में माधापुर के पास फ्लाईओवर से दाहिने मुड़ने के ठीक पहले यह सिगनल पड़ता है. एक तरफ मशहूर शिल्पा रामम कलाभवन है. इधर लगातार 3 दिनों से सुबह साढ़े 9 बजे मेरी खटारा कार सिगनल पर रुकती, ठीक उसी समय उस की चमचमाती हुई नई कार बगल में रुकती है. मेरी कार में तो एसी नहीं है, इसलिए खिड़की खुली रखता हूं. पर उस की कार में एसी है. फिर भी रेड सिगनल पर मेरे रुकते ही बगल में उस की कार रुकती है, और वह शीशा गिरा देती है. वह अपना रंगीन चश्मा आंखों से ऊपर उठा कर अपने बालों के बीच सिर पर ले जाती है, फिर मुसकरा कर मेरी तरफ देखती है. उस के डीवीडी प्लेयर से एब्बा का फेमस गीत ‘आई हैव अ ड्रीम…’ की सुरीली आवाज सुननेको मिलती है.
सिगनल ग्रीन होते ही वह शीशा चढ़ा कर भीड़ में किधर गुम हो जाती है, मैं ने भी जानने की कोशिश नहीं की. पता नहीं इस लड़की की घड़ी, मेरी घड़ी और मेरी खटारा और उस की नई कार सभी में इतना तालमेल कैसे है कि ठीक एक ही समय पर हम दोनों यहां होते हैं.
खैर, मुझे उस लड़की की इतनी परवा नहीं है जितनी समय पर अपने दफ्तर पहुंचने की. आजकल हैदराबाद में भी ट्रैफिक जाम होने लगा है. गनीमत यही है कि इस सिगनल से दाहिने मुड़ने के बाद दफ्तर के रास्ते में कोई खास बाधा नहीं है. मैं 10 बजे के पहले अपनी आईटी कंपनी में होता हूं. अपने क्लाइंट्स से मीटिंग्स और कौल्स ज्यादातर उसी समय होते हैं.
मेरी कंपनी का अधिकतर बिजनैस दुबई, शारजाह, कुवैत, आबूधाबी, ओमान आदि मध्यपूर्व देशों से है. कंपनी नई है. स्टार्टअप शुरू किया था 2 साल पहले. सिर्फ 2 दोस्तों ने इस स्टार्टअप की शुरुआत अपनी कार के गैराज से की थी जो अब देखतेदेखते काफी अच्छी स्थिति में है. 50 से ज्यादा सौफ्टवेयर इंजीनियर हैं इस कंपनी में. बीचबीच में मुझे दुबई का टूर भी मिल जाता है.
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वैसे तो आमतौर पर शाम 6 बजे तक मैं वापस अपने फ्लैट में होता हूं. इधर 2-4 दिनों से काम ज्यादा होने से लौटने में देर हो रही थी, पर सुबह जाने का टाइम वही है. आज वह लड़की मुझे सिगनल पर नहीं मिली है.
न जाने क्यों मेरा मन पूछ रहा है कि आज वह क्यों नहीं मिली. मैं ने एकदो बार बाएंदाएं देखा, फिर कार के रियर व्यू मिरर में भी देख कर तसल्ली कर ली थी कि मेरे पीछे भी नहीं है. खैर, सिगनल ग्रीन हुआ तो फिर मैं आगे बढ़ गया. जब तक काम में व्यस्त था, मुझे उस लड़की के बारे में कुछ सोचने की फुरसत न थी, पर लंचब्रैक में उस की याद आ ही गई.
शाम को लौटते समय मैं केएफसी रैस्टोरैंट में रुका था अपना और्डर पिक करने, और्डर मैं ने औफिस से निकलने के पहले ही फोन पर दे दिया था. वहां वह लड़की मुझे फिर मिल गई. वह भी अपना और्डर पिक करने आई थी. वह अपना पैकेट ले कर जैसे ही मुड़ी, मैं उस के पीछे ही खड़ा था. वह मुसकरा कर ‘हाय’ बोली और कहा, ‘‘आप भी यहां. एक खूबसूरत संयोग. आज सिगनल पर नहीं मिली क्योंकि मुझे आज औफिस जल्दी पहुंचना था. मुंबई से डायरैक्टर आए हैं, तो थोड़ी तैयारी करनी थी.’’
वह मेरे पैकेट मिलने तक बगल में ही खड़ी रही थी. मेरी समझ में नहीं आया कि यह सब मुझे क्यों बता रही है क्योंकि मैं तो उसे ढंग से जानता भी नहीं हूं, यहां तक कि उस का नाम तक नहीं मालूम.
‘‘मैं शोभना हूं’’, बोल कर उस ने अपना नाम तो बता दिया. दरअसल, हम दोनों कार पार्किंग तक साथसाथ चल रहे थे. मैं ने अपना नाम अमित बताया. फिर दोनों अपनीअपनी कार में गुडनाइट कह कर बैठ गए. परंतु वह चलतेचलते ‘सी यू सून’ बोल गई है. जहां एक ओर मुझे खुशी भी हो रही है तो दूसरी ओर सोच रहा था कि यह मुझे से क्यों मिलना चाहती है.
अगले 3-4 दिनों तक फिर शोभना उस सिगनल पर नहीं मिली. एक दिन शाम को मैं शिल्पा रामम में लगी एक प्रदर्शनी में गया तो मेरी नजर शोभना पर पड़ी. गेहुंआ रंग, अच्छे नैननक्श वाली शोभना स्ट्रेचेबल स्किनफिट जींस और टौप में थी. इस बार मैं ही उस के पास गया और बोला, ‘‘हाय शोभना, तुम यहां?’’
उस ने भी मुड़ कर मुझे देखा और उसी परिचित मुसकान के साथ ‘हाय’ कहा. फिर उस ने 4 फोल्ंिडग कुरसियां खरीदीं. मैं ने उस से 2 कुरसियां ले कर कार तक पहुंचा दी थी. कार के पास ही खड़खड़े बातें करने लगे थे हम दोनों. शोभना ने कहा, ‘‘मैं कोंडापुर के शिल्पा पार्क एरिया में रघु रेजीडैंसी में नई आई हूं. 2 रूम का फ्लैट एक और लड़की के साथ शेयर करती हूं और आप अमित?’’
‘‘अरे, मैं भी आप के सामने वाले शिल्पा प्राइड में एक रूम के फ्लैट में रहता हूं. वैसे तुम मुझे तुम बोलोगी तो ज्यादा अपनापन लगेगा. तुम में मैं ज्यादा कंफर्टेबल रहूंगा.’’
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शोभना हंसते हुए बोली, ‘‘मुझे पता है. मैं ने अपनी खिड़की से कभीकभी तुम को देखा है. बल्कि मेरे साथ वाली लड़की तो आईने से सूर्य की किरणों को तुम्हारे चेहरे पर चमकाती थी.’’
मैं ने कहा ‘‘मैं कैसे मान लूं कि इस शरारत में तुम शामिल नहीं थीं?’’
‘‘तुम्हारी मरजी, मानो न मानो.’’
दोनों हंस पड़े और ‘बाय’ कह कर विदा हुए.
अगले दिन उसी सिगनल पर फिर हम दोनों मिले, पर सिगनल ग्रीन होने के पहले तय हुआ कि शाम को कौफी शौप में मिलते हैं. शाम को कौफी शौप में मैं ने शोभना से कहा कि एक ब्रेकिंग न्यूज है. शोभना के पूछने पर मैं ने कहा, ‘‘कल सुबह की फ्लाइट से मैं दुबई जा रहा हूं. कंपनी ने दुबई में एक इंटरनैशनल सैमिनार रखा है. उस में कई देशों के प्रतिनिधि आ रहे हैं. उन के सामने प्रैजेंटेशन देना है.’’
‘‘ग्रेट न्यूज, कितने दिनों का प्रोग्राम है?’’ शोभना ने पूछा.
मैं ने उसे बता दिया कि प्रोग्राम तो 2 दिनों का है, पर अगले दिन शाम की फ्लाइट से हैदराबाद लौटना है. तब तक कौफी खत्म कर मैं चलने लगा तो उस ने उठ कर हाथ मिलाया और ‘बाय’ कह कर चली गई.