Crime Story: औनलाइन गेम्स- खिलाड़ी बन रहे हैं अपराधी

सौजन्य- सत्यकथा

इन दिनों टैलीविजन से ले कर अखबार, सोशल मीडिया जैसे प्लेटफार्म पर गेम से पैसे जीतने वाले इश्तिहारों की भरमार सी आ गई है. गेम खेल कर करोड़पति बनने के सपने दिखाने वाले इन इश्तिहारों में फिल्म, टैलीविजन व खेल जगत के कई बड़े चेहरे प्रमोशन करते नजर आ जाते हैं. इस का नतीजा यह है कि बहुत से लोग अब शौर्टकट तरीके से गेम खेल कर करोड़पति बनने का सपना पाले औनलाइन गेम में उल झे हुए देखे जा सकते हैं. लौकडाउन के बाद भारत में इस तरह के गेम खेलने वालों की तादाद में काफी उछाल देखा गया है. इन में तमाम लोग ऐसे भी हैं, जिन्होंने जो पहले तो अपने फोन में गेम को सिर्फ मनोरंजन के लिए ही इंस्टौल किया था, लेकिन बाद में यही गेम गैंबलिंग यानी जुए में बदल गया और पैसे कमाने के लालच में आ कर कई लोगों ने अपने मेहनत की कमाई गंवा दी.

औनलाइन गेमिंग की यह लत सोशल मीडिया की लत से ज्यादा खतरनाक साबित हो रही है, क्योंकि सोशल मीडिया की लत के शिकार लोग अपना समय बरबाद करते हैं और तमाम तरह की दिमागी बीमारियों के शिकार होते हैं. औनलाइन गेमिंग न केवल जुआ खेलने की सोच को बढ़ावा दे रही है, बल्कि यह नएनए तरह के अपराध को भी बढ़ा रही है.

औनलाइन गेम के चक्कर में पैसे गंवाने और अपराध का रास्ता अपनाने का एक ताजा मामला उत्तर प्रदेश के संतकबीर नगर में सामने आया.

हुआ यह कि संतकबीर नगर जिले के खलीलाबाद कोतवाली इलाके में सरौली के रहने वाले अपर कृषि अधिकारी के पद पर काम कर रहे हरिश्चंद्र त्रिपाठी ने थाना कोतवाली खलीलाबाद में सूचना दी कि उन का बेटा आशुतोष त्रिपाठी उर्फ लकी, जो ग्वालियर में बीएससी नर्सिंग के तीसरे साल का छात्र है, का किसी ने अपहरण कर लिया है.

हरिश्चंद्र त्रिपाठी ने पुलिस को सूचना दी कि उन का बेटा लौकडाउन के चलते ग्वालियर से घर पर आया हुआ था और जरूरी सामान लेने के लिए जिला मुख्यालय के खलीलाबाद बाजार गया हुआ था कि तभी उन की पत्नी के मोबाइल फोन पर उन्हीं के लड़के के मोबाइल नंबर से मैसेज आया कि तुम्हारे लड़के का अपहरण कर लिया गया है. यह भी लिखा था कि तत्काल उस के खाते में 2 लाख रुपए ट्रांसफर कर दो, नहीं तो तुम्हारे बेटे की हत्या कर दी जाएगी.

हरिश्चंद्र त्रिपाठी की सूचना पर थाना कोतवाली खलीलाबाद की पुलिस हरकत में आ गई. तुरंत ही मुकदमा संख्या 430/2020 धारा 364 ए में मामला दर्ज कर लिया. जिले के पुलिस अधीक्षक ब्रजेश सिंह की अगुआई में अपर पुलिस अधीक्षक संजय कुमार की निगरानी में सर्विलांस सैल के प्रभारी निरीक्षक मनोज कुमार पंत व प्रभारी निरीक्षक कोतवाली खलीलाबाद की संयुक्त टीम का गठन कर दिया गया.

गठित पुलिस टीम ने आशुतोष त्रिपाठी उर्फ लकी के अपहरण करने वालों तक पहुंचने के लिए जाल बिछाया, तो उसे बस्ती जिले के हर्रैया कसबे से सहीसलामत बरामद कर लिया गया.

जब पुलिस ने खुलासा किया, तो पता चला कि आशुतोष का किसी ने अपहरण नहीं किया था, बल्कि उस ने खुद ही अपने अपहरण का जाल बुना था.

आशुतोष त्रिपाठी ने पूछताछ में बताया कि वह वर्तमान में मध्य प्रदेश में ग्वालियर के जय इस्टीट्यूट औफ नर्सिंग में बीएससी नर्सिंग का छात्र है.

3 जुलाई, 2020 को उस के मोबाइल नंबर के ह्वाट्सएप पर औनलाइन जून क्लब मनी मेकिंग गेम का एक लिंक आया था, जिस के जरीए पैसा कमाने की बात लिखी गई थी.

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आशुतोष त्रिपाठी ने पैसा कमाने की नीयत से गेम खेलना शुरू कर दिया, जिस से वह महज 2 दिनों में ही तकरीबन एक लाख, 60 हजार रुपए हार गया. उस ने इन पैसों को अपने कई दोस्तों से औनलाइन तरीकों से उधार लिया था, जिस के ट्रांजैक्शन का सुबूत भी उस के मोबाइल फोन से बरामद कर लिया गया.

आशुतोष त्रिपाठी ने पुलिस को बताया कि इतने सारे पैसे गेम में हार जाने के बाद उधारी चुकता करने के लिए उस ने 5 जुलाई को अपने अपहरण की योजना बना ली. इस के तहत फिरौती के तौर पर अपने ही मांबाप से 2 लाख रुपए मांगे जाने की योजना बनाई थी. उन में से उधारी के एक लाख, 60 हजार रुपए चुकता करने के बाद बाकी बचे 40,000 रुपए से फिर से औनलाइन गेम खेलने का प्लान बनाया था.

आशुतोष त्रिपाठी अपनी ही किडनैपिंग की योजना को अंजाम देने के लिए 6 जुलाई की शाम तकरीबन 4 बजे दवा व घर का सामान लेने के लिए निकला था. वहां से उस ने 1,500 रुपए एटीएम से निकाले और जनपद बस्ती के हर्रैया कसबे में पहुंच गया, जहां से साढ़े 7 बजे उस ने अपने घर पर परिजनों के मोबाइल नंबर पर मैसेज कर अपने अपहरण की सूचना दी और बताया कि अपहरण करने वाले इस के लिए 2 लाख रुपए की मांग कर रहे हैं.

लेकिन पुलिस की तत्परता से महज 24 घंटे के भीतर आशुतोष त्रिपाठी द्वारा किए गए खुद के अपरहण की साजिश को बेनकाब कर दिया गया.

आशुतोष त्रिपाठी औनलाइन गेम  से पैसे तो नहीं कमा पाया, लेकिन सलाखों के पीछे जरूर पहुंच गया.

ऐसे दिया जाता है लालच

वैसे तो औनलाइन गेम में दांव लगाए जाने की शुरुआत वर्चुअल मनी यानी आभासी मुद्रा से की जाती है, लेकिन हार और जीत होने के बाद इसे रियल मनी में बदलना पड़ता है. जो लोग इस तरह का गेमिंग जुआ खेलना शुरू करते हैं, वे पहले ऐसे गेम के एप को डाउनलोड करते हैं, जिस के बाद एन गेमिंग एप द्वारा यूजर को कुछ पौइंट्स व 10 रुपए से ले कर 100 रुपए दिए जाते हैं, जो यूजर को अपने वालैट या पेटीएम अकाउंट में एड करने होते हैं.

इस के अलावा गेम के जरीए जुआ खेलने वाले को रुपए से पौइंट खरीदने होते हैं, जो उन के मोबाइल एप में रहते हैं. लत लगने के चलते पौइंट हारने पर खिलाड़ी फिर रुपए खर्च कर पौइंट खरीदने पर मजबूर हो जाता है.

यह भी हो सकता है, गेम की शुरुआत करते हैं तो जीत के साथ शुरुआत हो जाए. लेकिन बाद में जब यूजर अपने रुपए हारने लगता है, तो वह इस आस में अपने बैंक अकाउंट से अपने वालेट में रुपए ट्रांसफर करता जाता है कि हो सकता है, वह हारे हुए रुपए जीत जाए. इस चक्कर में पड़ कर जब यूजर भारीभरकम रकम गंवा बैठता है, तो उसे यह बात सम झ आती है कि वह औनलाइन गेमिंग के चक्कर में ठगी का शिकार हो चुका है.

पत्रकार भावना ने बताया कि ड्रीम 11 या फैब 11 सब एकजैसी ही होती हैं. इन सभी एप में पहले आप को पैसे लगाने होते हैं, जिस में हजारों रुपए तक आप लगा सकते है. इस में जीतने के चांस बिलकुल भी नहीं होते हैं, क्योंकि मान लीजिए, दिल्ली और बैंगलुरू का गेम होने वाला है, फिर इसे कंप्यूटराइज्ड सिस्टम से गेम खेलने वाले को हरा दिया जाता है.

गेम खेलने वाले एवी शुक्ल ने बताया कि ड्रीम 11 जैसे गेम में 10 से ले कर 2,000 के आसपास तक रुपए लगाए जाते हैं. इस में जीतने के चांस बहुत कम होते हैं. तकरीबन 95 फीसदी लोग इसे हार जाते हैं. गेम कंपनियां अपने करोड़ों यूजर के जरीए हर दिन अरबों रुपयों का कारोबार करती हैं.

कुछ इसी तरह का अनुभव सुलभ श्रीवास्तव और सौरभ शुक्ल का भी है, जिन्होंने गेम से सिर्फ पैसे गंवाए हैं.

ऐसे होता है जुए का कारोबार

औनलाइन गेम के जरीए जुए की लत लगाने वाले एप और वैबसाइट बड़ी ही चालाकी से लोगों को अपने जाल में फंसाती हैं. सब से पहले ऐसे गेम को औनलाइन अपने लैपटौप या स्मार्टफोन में डाउनलोड करना पड़ता है. ऐसे एप को पूरी तरह से डाउनलोड करने के लिए मोबाइल नंबर पर एक ओटीपी भेजा जाता है. इस के बाद जब मोबाइल नंबर वैरीफाई हो जाता है, तो खेलने वाले को खेलने से पहले पेटीएम अकाउंट बना कर कुछ रुपयों का भुगतान करना पड़ता है.

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यह भुगतान कभीकभी औनलाइन बैंकिंग या डैबिट कार्ड के जरीए लिया जाता है. ऐसे में गेम इंस्टौल करने वाले से जुड़ा बैंक और मोबाइल से सारा डाटा गेमिंग कंपनी के पास चला जाता है.

इसी तरह औनलाइन कैसीनो गेम भी खेला जाता है, जिस में एक से 36 तक अंक होते हैं. इस में दांव लगाने से गेंद अंक पर रुक जाए, तो एक रुपए के

36 रुपए मिलते हैं. इसी तरह हारजीत होती है. यह खेल टच स्क्रीन मोबाइल या कंप्यूटर से खेला जा सकता है.

इसी तरह के एक गेम का संचालन मुंबई से किया जाता था, जिस में खेलने के लिए आईडी दी जाती थी. उस का एक पासवर्ड होता है. वहां रतन नाम के एक आदमी ने गेम खेलने से पैसे जीतने के चक्कर 2 साल में डेढ़ लाख रुपए गंवा दिए. इस के बाद उन्होंने पुलिस  को शिकायत की, तो पुलिस ने  अचल चौरसिया नाम के आदमी को गिरफ्तार किया.

कभीकभी औनलाइन गेम खेलते समय वर्चुअल गेम पार्टनर द्वारा गेम के अगले पार्ट में जाने के लिए लिंक लौगइन कोड के साथ ओटीपी शेयर किया जाता है, जिस के जरीए पौइंट जीतने की बात की जाती है और इसी पौइंट को रुपयों में बदलने का लालच दिया जाता है.

जब खिलाड़ी दूसरी तरफ से भेजे गए ओटीपी को शेयर करता है या लिंक को खोलता है तो उस के पेटीएम या बैंक से रुपए कट जाते हैं और खेलने वाले को लगता है कि वह रुपए गेम में हार गया है.

इसी तरह का एक मामला उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले से सामने आया था, जिस में बिलरियागंज थाना क्षेत्र के हेगईपुर गांव के रहने वाले पेशे से शिक्षक हरिवंश के जमात 6 में पढ़ने वाले  12 साल के बेटे कपिल ने औनलाइन गेम में 8 लाख रुपए गंवा दिए.

इस मामले में हुआ यह कि कपिल ने एडवांस औनलाइन गेम खरीदने के चक्कर में पिता के डैबिड कार्ड की डिटेल्स हासिल कर ली और पहले पेटीएम के जरीए गेम संचालक को रुपए ट्रांसफर करना शुरू कर दिया, बाद में कपिल जब गेम से रुपए हारने लगा, तो उस ने बाद में यूपीआई आईडी बना कर धीरेधीरे कर अकाउंट से 8 लाख रुपए उड़ा दिए.

इस ठगी की जानकारी कपिल के पिता को तब हुई, जब वे बैंक पहुंचे और कुछ रुपए निकालने के लिए बैंक में अपना खाता चैक किया. उस के बाद उन्हें उन का बैंक अकाउंट खाली मिला.

इस बात की जानकारी उन्होंने पुलिस वालों को दी, तब जा कर पता चला कि पैसे तो उन के बेटे ने औनलाइन गेम गंवा दिए हैं.

देशीविदेशी कंपनियां शामिल

औनलाइन गेमिंग से जुए के कारोबार में देशी से ले कर विदेशी गेमिंग कंपनियां शामिल हैं, जो बड़े शातिराना अंदाज में लोगों की जेब में चूना लगाती हैं. इसी तरह भारतीय गेम ड्रीम 11 है, जिसे हर्ष जैन और भावित सेठ नाम के लोगों ने साल 2008 में शुरू किया था.

यह दुनियाभर की टौप इनोवेटिव कंपनी में गिनी जाती है, जिस के जरीए क्रिकेट, फुटबाल, कबड्डी जैसे गेम औनलाइन खेल सकते हैं. इस में ढेरों कैश प्राइज जीतने के लिए टीम बना कर खेलना पड़ता है. इस में पैसे जीतने के लिए क्रेडिट दिया जाता है, जिसे बाद में पैसे में कंवर्ट करना होता है.

ऐसी नामीगिरामी गेमिंग कंपनियों में भी लोग सेंध लगा कर लोगों को ठग लेते हैं. इसी तरह बिंगो कैसे खेलें, ब्रेनबाजी, पोलबाजी जैसे तमाम औनलाइन गेम लोगों में जुए की लत बढ़ा रहे हैं.

हर किसी के लिए हैं ऐसे गेम

औनलाइन गेमिंग के जरीए जुए का जाल फैलाने वाले एप और सौफ्टवेयर हर उम्र के लिहाज से चल रहे हैं, जिस से इन के चंगुल में बच्चों व किशोरों के साथसाथ नौजवानों और बड़ेबूढ़ों को भी फंसा देखा जा सकता है, लेकिन उन्हें यह नहीं पता होता कि आगे चल कर वे अपना वक्त व पैसा दोनों बरबाद करने वाले हैं.

इसी तरह का एक मामला सामने आया, जिस में लखनऊ की न्यू हैदराबाद कालोनी के एक बाशिंदे के 10 साला बेटे ने फ्री फायर गेम खेलने के चक्कर में पिता के अकाउंट को चपत लगा दी. यह बच्चा जमात 4 में पढ़ता था, जो अकसर औनलाइन गेम में उल झा रहता था. गेम खेलने के लिए पैसों का औनलाइन भुगतान करना पड़ता है.

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यह भुगतान करने के लिए बच्चे ने अपने पिता के मोबाइल से चुपचाप पेटीएम अकाउंट खोल लिया और 35,000 रुपए गेम कंपनी को ट्रांसफर कर दिए.

छात्र हो रहे ज्यादा शिकार

जमशेदपुर कोऔपरेटिव कालेज में पढ़ने वाले अंशुमन ने औनलाइन गेम के चक्कर में पड़ कर हजारों रुपए गंवा दिए.

सत्यनारायण भुइयां नाम के एक शख्स ने शौर्टकट तरीके से कमाई करने के चक्कर में आ कर औनलाइन तीन पत्ती गेम शुरू किया और जब तक उसे कुछ सम झ आया, तब तक वह 25,000 रुपए गंवा चुका था.

पुलिस भी लाचार

औनलाइन गेम के जरीए जुआ खेलने वालों पर पुलिस नकेल कसने में लाचार नजर आती है, क्योंकि ताश के पत्तों से खेले जाने वाले जुए में तो छापा मार कर जुआरियों को पकड़ा जा सकता है, लेकिन वर्चुअल जुआ इस से अलग होता है. इस में न तो पुलिस का छापा पड़ने का डर है, न ही जेल जाने का जोखिम.

औनलाइन गेम में अब ताश के पत्तों के बजाय मोबाइल फोन और लैपटौप पर दांव लगाया जाता है, जो पूरी तरह से उस औनलाइन गेम के प्लेटफार्म के संचालक के हाथ में होता है. इस में आप उस के इशारे पर ही गेम हारते और जीतते हैं, जबकि इस तरह के प्लेटफार्म द्वारा पहले खेलने की लत लगाने के लिए गेम में पैसे जिताए जाते हैं और बाद में जब आप को खेलने का चसका लग जाता है, तो आप भारीभरकम रकम गंवा देते हैं.

इस तरह के गेम को कहीं भी खेला जा सकता है, चाहे आप औफिस में बैठे हों, चाहे गाड़ी ड्राइव कर रहे हों या घर में हों. आजकल तीन पत्ती, रम्मी जैसे तमाम गेम हैं जो पैसे कमाने का लालच देते हैं. यह है तो पूरी तरह से जुआ ही, लेकिन इस गैरकानूनी काम को बड़ी ईमानदारी से संचालित किया जा रहा है.

बढ़ी है खेलने वालों की तादाद

जैसेजैसे देश में स्मार्टफोन यूजर्स की तादाद में इजाफा हो रहा है, वैसेवैसे औनलाइन गेम वाले एप की तादाद में भी इजाफा होता जा रहा है. भारत में पैसे जिताने का दावा करने वाले गेमिंग एप ड्रीम 11 या फैब 11, बिग टाइम, एमपीएल यानी मोबाइल प्रीमियर लीग, विंजो गोल्ड, हगो एप, गमेजोप, औन एप, कुएरका, लोको, अड्डा 52 डौट कौम, बिंगो रेसिंग वाले गेम्स, शूटिंग से ले कर निशानेबाजी और युद्ध वाले गेम्स हजारों गेम शामिल हैं, जिन के जरीए दांव लगाए जा रहे हैं. गूगल प्ले स्टोर पर कई ऐसे एप मुहैया हैं, जिन्हें जुआ खेलने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है.

साइबर ऐक्सपर्ट आनंद कुमार ने बताया कि एक रिपोर्ट के मुताबिक देश में लाखों मोबाइल नंबर और ईमेल आईडी इस तरह के औनलाइन गेम्स से लगातार घंटों कनैक्ट रहते हैं.

भारत में सब से ज्यादा खेले जाने लूडो किंग के 10 करोड़ से भी ज्यादा यूजर हैं, जिस के रोजाना 60 लाख ऐक्टिव यूजर होते हैं. वहीं तीन पत्ती गेमिंग एप के 5 करोड़ यूजर हैं.

लग सकता है चूना

साइबर ऐक्सपर्ट आनंद कुमार के मुताबिक, औनलाइन गेम खेलने वालों को अपनी प्रोफाइल बनानी होती है, जिस में यूजर का पूरा नाम, उम्र, ईमेल, पता, क्रेडिट व डैबिट कार्ड डिटेल्स वगैरह शामिल हो सकते हैं. यह कई बार आप के बैंक खातों से जुड़े डाटा की चोरी की वजह बन जाता है.

डाक्टर की भी सुनें

मनोचिकित्सक डाक्टर मलिक मोहम्मद अकमलुद्दीन के मुताबिक, औनलाइन गेमिंग में फंस कर पैसे खोने का ही डर नहीं होता है, बल्कि ज्यादा देर तक मोबाइल या कंप्यूटर की स्क्रीन पर देखने के चलते आंखों की रोशनी पर भी फर्क पड़ सकता है. इस के अलावा नींद न आने की समस्या हो सकती है.

औनलाइन गेम के चलते बच्चे मोटापे और डायबिटीज के शिकार हो सकते हैं और सोशल लाइफ से दूर हो जाते हैं. इस तरह की सोच के चलते कई बार लोग हिंसक बरताव भी करने लगते हैं.

प्रचार करते बड़े चेहरे

औनलाइन गेम के जरीए जुए की लत बढ़ाने वाले ऐसे गेम को प्रमोट करने के लिए फिल्म और ग्लैमर इंडस्ट्री के साथ ही खेल जगत के तमाम बड़े चेहरे जुड़े हुए हैं. उन के इश्तिहार को देख कर लोग पैसे कमाने वाले ऐसे गेमिंग एप को अपने मोबाइल फोन में डाउनलोड कर खेलना शुरू कर देते हैं.

ऐसे कुछ गेम को प्रमोट करते हुए फिल्म स्टार प्रकाश राज, सौरभ शुक्ला, राजपाल यादव दिख जाएंगे. इस के अलावा महेंद्र सिंह धोनी भी ऐसे गेम्स को टीवी इश्तिहार में खूब प्रमोट करते रहे हैं.

बीते दिनों ऐसे गेम्स को बढ़ावा देने के आरोप में भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान विराट कोहली और फिल्म हीरोइन तमन्ना भाटिया के खिलाफ मद्रास हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई. केस दायर करने वाले वकील ने कहा कि नौजवानों को इस की आदत हो रही है और औनलाइन जुआ कंपनियां विराट और तमन्ना जैसे सितारों का इस्तेमाल नौजवानों का ब्रेनवाश करने के लिए कर रही हैं.

उस याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट से औनलाइन जुआ को बैन करने के लिए निर्देश देने की मांग की है. उन्होंने एक लड़के के मामले का भी जिक्र किया, जिस ने हाल में खुदकुशी कर ली थी, क्योंकि वह औनलाइन जुए के लिए उधार लिए पैसे वापस नहीं कर पाया था.

ऐसे बनाएं दूरी

अगर आप या आप के परिवार का कोई सदस्य ऐसे वर्चुअल गेम के चंगुल से बाहर नहीं निकल पा रहा है, तो सब से पहले कोशिश करें कि अपने फोन से ऐसे एप को तत्काल ही रिमूव कर दें और खुद को बिजी रखने के लिए पत्रपत्रिकाओं का सहारा लें. साथ ही, परिवार के साथ बैठ कर खेले जाने वाले गेम खेलें. इन में कैरम, सांपसीढ़ी, लूडो जैसे गेम भी शामिल किए जा सकते हैं.

जिन परिवारों में पढ़ने वाले बच्चे हैं, उन परिवारों को चाहिए कि वे अपने बच्चों पर निगरानी रखें कि कहीं उन का बच्चा जरूरत से ज्यादा मोबाइल और कंप्यूटर तो नहीं चला रहा है, क्योंकि ऐसे गेम के एप्लीकेशन से जुड़ाव मानसिक तौर पर जुए की लत डाल देता है, इसलिए बच्चों में आउटडोर और इनडोर गेम्स को बढ़ावा दें.

फिलहाल तो अगर कोरोना के चलते आउटडोर गेम्स के लिए नहीं भेज सकते, तो घर में ही फिजिकल गेम्स में हिस्सा लेने के लिए बढ़ावा दें.

अब यह कहा जा सकता है कि केवल मनोरंजन के लिए खेला जाने वाला एप आधारित औनलाइन गेम अब खेल नहीं रह गया है, बल्कि यह पूरी तरह जुआ और सट्टा कारोबार के रूप में अपने पैर पसार चुका है.

लोग शौर्टकट तरीके से पैसे कमाने के चक्कर में अपनी गाढ़ी कमाई से पलक  झपकते ही हाथ धो बैठते हैं, इसलिए अगर आप भी औनलाइन गेम खेलने का मन बना रहे हैं, तो आज ही तोबा कर लीजिए. कहीं ऐसा न हो कि आप इस तरह के गेम में अपनी व अपने मांबाप की कमाई से हाथ धो बैठें और साथ ही, जुर्म का रास्ता अख्तियार कर जेल की सलाखों के पीछे पहुंच जाएं.

Crime: “अश्लील वीडियो” वायरल की बिजली!

सोशल मीडिया के आगमन के साथ ही जहां इसका सदुपयोग किया जा रहा है, वहीं अश्लीलता के संदर्भ में दुरूप्रयोग भी जारी हो चुका है. परिणाम स्वरूप आज महिला और पुरुष दोनों को ही सतर्क और सचेत रहने की आवश्यकता है.
आए दिन देश परदेश में ऐसी घटनाएं सामने आ रही हैं जिम में लोग नाबालिग लड़कियों, महिलाओं के अश्लील वीडियो बना रहे हैं और भय दोहन में सफल हो जाते हैं. अंततः जेल की हवा खा रहे हैं. ऐसे ही एक घटना क्रम में छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले में सोशल मीडिया में अश्लील वीडियो शेयर करने के आरोप में पुलिस ने स्थानीय कांग्रेस नेता को गिरफ्तार किया है. बिलासपुर जिले के पेंड्रा गौरेला क्षेत्र की अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक प्रतिभा तिवारी ने बताया कि जिले के पेन्ड्रा-गौरेला में कांग्रेस के जिला संयुक्त सचिव कुमार विजय ने सोशल मीडिया वाट्सएप के एक समूह में आपत्तिजनक और अश्लील वीडियो शेयर किया था. कांग्रेस की महिला नेताओं की शिकायत पर आरोपी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है. एक उदाहरण हमें बताता है कि किस तरह राजनीतिक पार्टियों में भी अश्लील वीडियो वायरल करने और ब्लैकमेलिंग की बीमारी पहुंच चुकी है.

और अश्लील वीडियो जारी कर दिया

छत्तीसगढ़ के बस्तर के गीदम के एक बैंक में खाता होने की वजह से लेनदेन के लिए महिला का अक्सर आना जाना होता है. बैंक के एक कर्मचारी लालूराम पोयाम से जान पहचान हुई. आरोपी द्वारा महिला को गीदम बुलाकर अपने अपने घर ले जाकर महिला के साथ छेड़छाड़ कर अश्लील फोटो खींचकर व्हाट्सएप के माध्यम से वायरल कर दिया. वायरल फोटो परिजनों तक पहुंचने पर महिला ने परिजनों को आपबीती बताई एवं परिजनों के साथ थाना गीदम में उपस्थित होकर रिपोर्ट दर्ज कराई.

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महिला की रिपोर्ट पर तत्काल अपराध दर्ज कर आरोपी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया. ऐसी घटनाएं बताती है कि सौजन्य संस्थाओं में भी कभी भी कुछ भी हो सकता है ऐसे में महिलाओं की समझदारी और जागरूकता ही उन्हें इस आज की गंभीर संक्रमण कारी घटनाओं से बचा सकती है.

गृहमंत्री भी चिंतित दिए हैं निर्देश

छत्तीसगढ़ में अश्लीलता वीडियो वायरल के बढ़ते अपराध को देखते हुए गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू ने राजधानी में एक बैठक ले गृहमंत्री ने प्रदेश में बढ़ रहे अपराध को लेकर चिंता जताई है. इसी दरमियान जिला गरियाबंद के फिंगेश्वर में पुलिस ने नाबालिग लड़की से रेप के आरोपी को गिरफ्तार किया है. पुलिस गिरफ्त में आए आरोपी पर पीड़िता का अश्लील वीडियो वायरल करने का भी आरोप है.पुलिस अधिकारी बताते हैं आरोपी ने व्हाट्सएप वीडियो काल के जरिए युवती का अश्लील वीडियो बनाया था. लालपुर निवासी सोमनाथ साहू ने नाबालिग लड़की को पहले तो अपने प्रेम जाल में फंसाया. जब लड़की ने उससे ब्रेकअप करने की कोशिश की, तो आरोपी उसे बहला फुसलाकर बातें करने लगा. इसी बीच व्हाट्सएप वीडियो काल के जरिये उसकी अश्लील वीडियो क्लिप तैयार कर लिया. इतना ही नहीं आरोपी युवक नाबालिग लड़की को अश्लील वीडियो वायरल करने की धमकी देकर ब्लैकमेल करता रहा. और अंततः
नाबालिग लड़की का अश्लील वीडियो वायरल कर दिया.

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इस दौरान आरोपी ने नाबालिग से कई दफा दुष्कर्म की वारदात को अंजाम दिया. पीड़िता के बार-बार मना करने के बावजूद आरोपी सोमनाथ साहू ने उसके अश्लील वीडियो को दो नाबालिग लड़कों को भेज दिया, जिन्होंने इस वीडियो को सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया. परिणाम स्वरूप जहां युवती की बदनामी हुई वहीं युवक आज जेल की हवा खा रहा है. ऐसे में इस आलेख के माध्यम से हम यही सतर्कता बरतने की हिदायत देते हुए कहेंगे बचाओ सुरक्षा आज महिलाओं के अपने हाथ में है माता पिता परिजनों का भी दायित्व है कि बालिकाओं को समझा भेज दें और हकीकत से रूबरू कराते रहें.

Crime Story: नरमुंड ने खोला हत्या का राज

Crime Story: नरमुंड ने खोला हत्या का राज- भाग 1

सौजन्य- सत्यकथा

उत्तर प्रदेश के मैनपुरी जिले का एक गांव है बरुआ नद्दी. शाम के समय कुछ लोग खेतों से गांव की ओर आ रहे थे. तभी उन की नजर एक खेत के किनारे कुत्तों के झुंड पर पड़ी. कुत्ते एक नरमुंड को ले कर खींचतान कर रहे थे. लोगों ने कुत्तों को भगा दिया और नजदीक आए. वहां एक नरमुंड पड़ा था. कुछ ही देर में वहां भीड़ जुट गई. गांव भर में सनसनी फैल गई.

इसी बीच किसी ने थाना किशनी में सूचना दे दी. थानाप्रभारी अजीत सिंह पुलिस टीम के साथ घटनास्थल पर पहुंच गए और उच्च अधिकारियों को घटना से अवगत कराया. सूचना पर कुछ ही देर में एसपी अजय कुमार पांडेय, एएसपी मधुबन कुमार भी मौके पर पहुंच गए. उन्होंने घटनास्थल का निरीक्षण किया, इस के साथ ही आसपास के लोगों से बातचीत कर जानकारी ली.

एसपी ने पूरा कंकाल होने की आशंका के चलते आसपास के खेतों में तलाशी अभियान चलाया. काफी देर तलाश के बाद भी पुलिस के हाथ कुछ नहीं लगा. नरमुंड पुरुष का है या महिला का, इस के लिए एसपी ने अधीनस्थों को डीएनए जांच कराने के निर्देश दिए. थानाप्रभारी ने मौके की काररवाई निपटाने के बाद नरमुंड को पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दिया. यह घटना 10 अक्तूबर,2020 की है.

पुलिस ने दूसरे दिन घटनास्थल के आसपास के गांव वालों से फिर से पूछताछ की. लेकिन कोई सुराग नहीं मिला.

नरमुंड मिलने की जानकारी मिलने के 2 दिन बाद जनपद इटावा के थाना चौबिया के गांव टोरपुर का निवासी मिथिलेश कुमार थाना किशनी पहुंचा. उस ने बताया कि उस की 35 वर्षीय भाभी पूती देवी 20 सितंबर, 2020 से लापता हैं. इस संबंध में उस ने थाना भरथना में गुमशुदगी भी दर्ज कराई थी. लेकिन अभी तक उन का कोई पता नहीं चला. गांव बरुआ नद्दी के खेत में मिला नरमुंड उस की भाभी पूती देवी का हो सकता था.

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वह नरमुंड पूती देवी का है या नहीं, इस बात की पुष्टि डीएनए जांच के बाद ही हो सकती थी. लिहाजा पुलिस ने मिथिलेश कुमार से विस्तार से पूछताछ करने के बाद उस की भाभी पूती देवी के बारे में जांच शुरू कर दी.

पुलिस को जांच के दौरान पता चला कि 35 वर्षीय पूती देवी की ससुराल इटावा जिले के थाना चौबिया में है. उस के पति दिलासा राम की कई साल पहले मौत हो चुकी थी. बच्चों को पढ़ाने के लिए पूती देवी अपने दोनों बच्चों सहित भरथना के मोहल्ला कृष्णानगर में रहने लगी थी.

गांव बरुआ नद्दी निवासी सर्वेश कुमार यादव और उस के मामा संतोष कुमार, जो औरेया जिले के नगला परशादी का रहने वाला है, ने पूती देवी को आवास व अन्य सरकारी सहायता दिलाने का लालच दे कर अपने जाल में फंसा लिया था. वे लोग उसे 20 सितंबर, 2020 को अपने साथ ले गए थे. इस के बाद से उस का कोई पता नहीं चला.

मिथिलेश का आरोप था कि उन लोगों ने भाभी का अपहरण करने के बाद उन की हत्या कर दी है. मिथलेश के इस दावे के बाद सर्वेश और उस के मामा संतोष के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया.

पुलिस को जांच में पता चला कि देवर मिथिलेश ने इस मामले में भरथना पुलिस से जो शिकायत की थी, उस पर कोई जांच व काररवाई नहीं की गई थी.

अब सवाल यह था कि यदि नरमुंड पूती देवी का नहीं था तो पूती इस समय कहां थी? आरोपी भी लापता थे. इस से पुलिस ने अनुमान लगाया कि आरोपी व उस का मामा महिला को आशनाई के लिए ले कर फरार हो गए होंगे.

मुकदमा दर्ज होने के बाद एसपी अजय कुमार पांडेय ने इस घटना के राजफाश के लिए स्वाट टीम, सर्विलांस टीम सहित 5 पुलिस टीमें गठित कीं.

गहराई से पड़ताल में जुटी पुलिस ने मुखबिर की सूचना पर 26 अक्तूबर, 2020 को रात के समय आरोपी सर्वेश यादव और उस के मामा संतोष को गांव में सर्वेश के खेत में बने मकान से गिरफ्तार कर लिया. पुलिस को देखते ही आरोपियों ने पुलिस पर फायरिंग शुरू कर दी थी. लेकिन पुलिस ने घेराबंदी कर दोनों को दबोच लिया. आरोपियों के कब्जे से तंमचा व कारतूस बरामद किए गए.

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थाने ला कर दोनों से पूती देवी हत्याकांड के बारे में कड़ाई से पूछताछ की गई तो दोनों आरोपियों ने पूती देवी की हत्या करने का जुर्म कबूल करते हुए सनसनीखेज हत्याकांड का रहस्योद्घाटन किया. उन्होंने बताया कि हत्या के बाद उन्होंने पूती देवी के शव के गड़ासे से 14 टुकड़े कर उन्हें अलगअलग स्थानों पर जमीन में दबा दिया था.

पुलिस लाइन सभागार में 27 अक्तूबर को आयोजित प्रैस कौन्फ्रैंस में एसपी अजय कुमार पांडेय ने हत्यारोपियों की गिरफ्तारी की जानकारी दी.

Crime Story: नरमुंड ने खोला हत्या का राज- भाग 2

सौजन्य- सत्यकथा

हत्याकांड के पीछे महिला का धन लूटना था. सर्वेश भोलीभाली, गरीब, बेसहारा, विधवा महिलाओं को सरकारी आवास और रुपए दिलाने का झांसा दे कर अपने जाल में फंसाता था. वह न सिर्फ महिलाओं से पैसे ऐंठता था बल्कि घर से दूर सुनसान इलाके में ले जा कर हत्या कर उन के आभूषण ले लेता था. शव के टुकड़े कर के जमीन में जगहजगह गड्ढा खोद कर गाड़ देता था.

इस दिल दहला देने वाले हत्याकांड के पीछे हत्यारोपी सर्वेश की पूती देवी की शादी अपने मामा संतोष से कराने की योजना थी. लेकिन जब पूती देवी ने शादी करने से मना कर दिया तो उस ने उस की हत्या कर दी.

इस षडयंत्र में सर्वेश का मामा संतोष भी शामिल था. दोनों ही आरोपी आपराधिक प्रवृत्ति के थे. उन के विरुद्ध कन्नौज के थाना सौरिख में हत्या, हत्या के प्रयास सहित कई संगीन धाराओं में मुकदमे दर्ज थे.

सर्वेश मामा के साथ मिल कर अब तक कई आपराधिक घटनाओं को अंजाम दे चुका था. इस हत्याकांड की जो कहानी सामने आई, वह इस प्रकार निकली—

पूती देवी का मायका गांव बरुआ नद्दी का था. वह सर्वेश की दूर के रिश्ते की चाची लगती थी, जिस की वजह से वह सर्वेश को जानती थी. पूती देवी के पति दिलासा राम की 6 साल पहले मौत हो गई थी.

वह पिछले 3 साल से भरथना में अपने बच्चों को पढ़ानेलिखाने के मकसद से किराए का मकान ले कर रह रही थी. यह बात सर्वेश को पता थी कि वह गरीब है, उसे रुपयों और मकान की जरूरत है.

सर्वेश के 45 वर्षीय मामा संतोष की पत्नी की 3 साल पहले मौत हो चुकी थी. सर्वेश अपने मामा संतोष की शादी पूती देवी के साथ कराना चाहता था. इसी योजना के तहत 20 सितंबर, 2020 को सर्वेश पूती देवी के पास पहुंचा और उसे सरकारी आवास दिलाने के बहाने से 4 हजार रुपए, आधार कार्ड, व फोटो ले कर विकास भवन चलने को कहा.

सर्वेश पूती देवी को झांसा दे कर अपनी बाइक पर बिठा कर अपने गांव ले आया. मामा भी उस के साथ था. सर्वेश और संतोष पूती देवी को ले कर गांव बरुआ नद्दी आ गए. जब पूती देवी ने यह देखा तो वह भड़क गई. उस ने विरोध करते हुए कहा कि तुम लोग तो विकास भवन चलने की बात कह रहे थे. मुझे यहां कहां ले कर आए हो?

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तब सर्वेश ने कहा, ‘‘चाची तुम बच्चों के साथ अकेली रहती हो. घर में कोई आदमी भी बच्चों की देखभाल के लिए नहीं है. यह मेरे मामा संतोष हैं. 3 साल पहले इन की पत्नी की मौत हो चुकी है. तुम इन के साथ शादी कर लो, जिस से दोनों का घर बस जाएगा.’’

पूती देवी ने सर्वेश की बात का न सिर्फ विरोध किया, बल्कि पुलिस में उस की शिकायत करने की धमकी भी दी.

काफी समझाने पर भी जब पूती देवी उस की बात मानने को तैयार नहीं हुई, तो सर्वेश को गुस्सा आ गया. अपना राज खुलने के डर से उस ने मामा के साथ मिल कर पूती देवी की गला दबा कर उसी दिन हत्या कर दी. वहां सुनसान इलाके में पूती देवी की चीख भी कोई नहीं सुन सका.

हत्या करने के बाद उस की लाश ठिकाने लगाने के लिए उन्होंने उस के 14 टुकड़े किए और अलगअलग जगह गाड़ दिए.

10 अक्तूबर को आवारा कुत्तों द्वारा नरमुंड को खोद कर निकालने के बाद किशनी पुलिस हरकत में आई और 26 अक्तूबर की रात आरोपितों को मुठभेड़ में गिरफ्तार कर लिया. पूती देवी के मर्डर की परतें खुलने के साथ ही पता चला कि सर्वेश साइकोकिलर है. वह इस से पहले 4 अन्य महिलाओं का भी मर्डर कर चुका था.

सर्वेश भोलीभाली, गरीब, बेसहारा, विधवा महिलाओं को सरकारी आवास, पेंशन और रुपए दिलाने का झांसा दे कर अपने जाल में फंसाता था. वह न सिर्फ महिलाओं से पैसे ऐंठता था, बल्कि उन्हें सुनसान जगह पर ले जा कर उन की हत्या कर देता था. उन के आभूषण लेने के बाद शव के टुकड़े कर जमीन में जगहजगह गड्ढा खोद कर गाड़ देता था.

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26 महीने बाद मार्च, 2020 में सर्वेश जेल से जमानत पर छूट कर घर आया था. वह कोर्ट में तारीख पर भी नहीं जाता था. इसलिए उस के खिलाफ गैरजमानती वारंट जारी हो गए थे. सर्वेश ने बीती 3 मई, 2020 को अपनी वृद्ध मां को भी जला कर मार डाला था. इस हत्याकांड पर सौरिख पुलिस ने उस पर 25 हजार रुपए का ईनाम घोषित किया था. इस के चलते सर्वेश फरार हो गया था. इस दौरान वह चोरीछिपे गांव में आता था. फरारी के दौरान भी उसने अपराध करना जारी रखा था.

सर्वेश की हरकतों और सनकीपन से परिवार के लोग बहुत परेशान थे. उस पर अनेक आपराधिक मामले दर्ज थे. वहीं वह आए दिन कुछ न कुछ उत्पात करता था.

Crime Story: नरमुंड ने खोला हत्या का राज- भाग 3

सौजन्य- सत्यकथा

गांव की बात करें तो सर्वेश का गांव में इतना खौफ था कि सूरज ढलने के बाद गांव की महिलाएं अपने घरों से बाहर खेतों की तरफ नहीं जाती थीं. सर्वेश ने गांव के मकान के अलावा अपने खेत पर एक झोपड़ी बना ली थी. सुनसान जगह पर झोपड़ी बना कर वह उसी में रहता था ताकि आसानी से अपराध को अंजाम दे सके.

गांव के लोग न तो इस साइकोकिलर से बात करते थे न ही उसे किसी आयोजन आदि में बुलाते थे. सर्वेश के पास 25 बीघा जमीन थी. उसे गांजा पीने की लत लग गई थी. इसी लत के चलते वह अपनी 15 बीघा जमीन भी बेच चुका था.

लगभग 2 महीने पहले अपनी गांजे की लत पूरी करने के लिए उस ने गेहूं बेच दिए थे. इस बात पर उस के दोनों बेटों पुष्पेंद्र और प्रवेश ने उस की पिटाई की थी. उस के इसी व्यवहार से परेशान हो कर पत्नी व बच्चों ने भी उस से रिश्ता तोड़ लिया था. पुलिस गांव में सर्वेश की तलाश में आने लगी तो पत्नी ममता दोनों बेटों को ले कर अपने मायके आ कर रहने लगी थी.

40 वर्षीय सर्वेश के खिलाफ 3 हत्याओं सहित 11 आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं. वह पिछले 19 साल से अपराध की दुनिया में सक्रिय था. जब वह 19 साल का था, तब गुजरात से एक लड़की को ले कर आया था. बाद में उस ने उस की हत्या कर शव के टुकड़े करने के बाद दफना दिए थे.

सनकी सर्वेश ने सन 2012 में जिला कन्नौज के सौरिख थाना क्षेत्र में एक महिला की दुष्कर्म के बाद हत्या कर दी थी. पुलिस के अनुसार सर्वेश व मामा संतोष ने कई महिलाओं की हत्या करने की बात भी स्वीकार की. पुलिस ने दोनों हत्यारोपियों सर्वेश व संतोष को न्यायालय में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया.

जेल भेजने से पहले दोनों आरोपियों ने स्वीकार किया कि पूती देवी के शव केn टुकड़े अपने खेत में अलगअलग स्थानों पर दबा दिए थे.

जेल भेजने के दूसरे दिन 29 अक्तूबर को एसपी अजय कुमार पांडेय की मौजूदगी में पुलिस ने खेत की जेसीबी से खुदाई कराई तो एक स्थान पर कुछ हड्डियां, सिर के बाल और ब्लाउज का टुकड़ा बरामद हुआ.

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इस पर फोरैंसिक टीम को भी बुला लिया गया. पुलिस ने बरामद हड्डियों का डीएनए टेस्ट कराने का निर्णय लिया. देवर मिथिलेश के अलावा सर्वेश के दोनों बेटों को भी बुला लिया गया. उन्होंने बरामद ब्लाउज के टुकड़े को पूती देवी का बताया. इस आधार पर पुलिस ने पंचनामा भरा.

साइकोकिलर व उस के मामा को जेल भेजने के बाद पुलिस ने अन्य हड्डियां, ब्लाउज का शेष हिस्सा, आलाकत्ल, बाइक बरामद करने के लिए हत्यारोपी सर्वेश को 3 दिन की पुलिस रिमांड पर दिए जाने की मांग की. पुलिस की इस मांग के समर्थन में अभियोजन के संयुक्त निदेशक डी.के. मिश्रा के निर्देशन में एपीओ शशिकांत ने कोर्ट में अभियोजन का पक्ष प्रस्तुत किया.

सुनवाई के बाद 2 नवंबर को न्यायालय द्वारा पुलिस का आवेदन स्वीकार कर लिया गया. आरोपित सर्वेश को 3 नवंबर सुबह 8 बजे से 5 नवंबर की शाम 5 बजे तक पुलिस रिमांड पर देने का आदेश दिया गया.

पुलिस उसे गांव बरुआ नद्दी ले गई. वहां उस ने एक स्थान पर शव के टुकड़े दफनाने की बात कही. सच्चाई जानने के लिए पुलिस ने खुदाई कराई तो वहां पूती देवी की कुछ हड्डियां बरामद हुईं.

आरोपी ने अपने घर की छत से हत्या में प्रयुक्त कुल्हाड़ी व गांव मईखेड़ा निवासी अपने बहनोई आदेश के यहां से बाइक बरामद कराई. वह पूती देवी को इसी बाइक पर बिठा कर लाया था. गिरफ्तारी के समय आरोपी सर्वेश ने पूती देवी की गड़ासे से टुकड़े करने की बात पुलिस को बताई थी. जबकि रिमांड के दौरान कुल्हाड़ी से टुकड़े करने की बात बताई. पूती देवी हत्याकांड से जुड़े आलाकत्ल व अन्य सबूत हाथ लगने के बाद पुलिस ने उसी दिन सर्वेश को जेल भेज दिया. उन की निशानदेही पर पुलिस ने पूती देवी का मोबाइल फोन, कंगन व आधार कार्ड भी बरामद कर लिया.

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एसपी अजय कुमार पांडेय ने इस सनसनीखेज हत्याकांड का खुलासा करने वाली टीम में शामिल थानाप्रभारी अजीत सिंह, थानाप्रभारी (एलाऊ) सुरेशचंद्र शर्मा, सर्विलांस प्रभारी जोगिंदर सिंह, स्वाट प्रभारी रामनरेश, जैकब फर्नांडिज, धर्मेंद्र मलिक, अमित चौहान, रोबिन, संदीप कुमार, हरेंद्र सिंह, सोनू शर्मा, रामबाबू को 25 हजार रुपए का ईनाम देने की घोषणा की.

इंसान गुनाह कर के उस पर परदा डाल देता है. सर्वेश और संतोष ने भी ऐसा ही किया. उन्होंने सोचा था कि उन का यह गुनाह उन के अन्य गुनाहों की तरह हमेशा के लिए जमीन में दफन हो जाएगा. लेकिन उन की सोच गलत साबित हुई और एक नरमुंड ने उन के सारे गुनाह उजागर कर दिए.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

Crime Story: प्रेमिका की बली- भाग 3

सौजन्य- सत्यकथा

दिनेश तो शर्म से सिर झुका कर वहां से उसी समय चला गया किंतु लक्ष्मी देवी ने सरोज को खूब खरीखोटी सुनाई. शाम को अजय घर आया तो लक्ष्मी ने बेटे को सारी बात बताई और धैर्य से काम लेने की सलाह दी.

अजय कुमार जान गया कि दिनेश उस के मायके का यार है और शादी से पूर्व ही उस के संबंध हैं. इसलिए दिनेश रिश्ते की आड़ में सरोज से मौजमस्ती करने आता है.

पत्नी की यारी की जानकारी अजय को हुई तो उस ने सरोज से जवाबतलब किया. सरोज जान गई थी कि झूठ बोलने से लाभ नहीं है. अत: उस ने सच बोल दिया, ‘‘दिनेश से मेरी शादी से पहले की दोस्ती है. उस में पता नहीं ऐसा क्या है कि न चाहते हुए भी मैं बहक जाती हूं. अब मैं ने उस से रिश्ता तोड़ लिया है. वादा करती हूं कि आइंदा उस से संबंध नहीं रखूंगी.’’

अजय ने सरोज को जमाने की ऊंचनीच तथा पत्नी धर्म का पाठ पढ़ाया. उस ने उसे इस शर्त पर माफ किया कि भविष्य में वह दिनेश से संबंध न रखेगी.

इस के बाद सरोज ने दिनेश से बात करनी बंद कर दी, तो दिनेश छटपटा उठा. सरोज उस से जितना दूर भागती, दिनेश उस के उतना ही नजदीक आने की कोशिश करता. इस के बावजूद सरोज ने दिनेश को भाव नहीं दिया तो वह उसे बदनाम करने की धमकी देने लगा.

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सरोज ने ये बातें पति अजय को बताईं. अजय ने इस समस्या से निपटने के लिए अपने रिश्तेदार सूरज, नीरज व लवकुश से बात की. ये तीनों बंथरा थाने के खसरवारा गांव के रहने वाले थे. इज्जत बचाए रखने के लिए उन्हें एक ही उपाय सूझा कि दिनेश की हत्या कर दी जाए. इस के लिए उन पांचों ने मिल कर योजना भी बना ली.

योजना के तहत 23 सितंबर, 2020 की शाम 4 बजे सरोज ने दिनेश को फोन किया कि वह घर में अकेली है, अत: वह आ जाए. रात उन दोनों की है.

प्रेमिका की बात सुन कर दिनेश की खुशी का ठिकाना न रहा. उस ने ट्रैक्टर ठेकेदार के हवाले किया और सरोज की ससुराल संभरखेड़ा पहुंच गया. घर के अंदर दाखिल होते ही सरोज ने दरवाजा बंद कर लिया. नीरज, सूरज, लवकुश व अजय घर में पहले से छिपे हुए थे. उन्होंने एकदम से हमला कर दिनेश को दबोच लिया.

इस के बाद उन्होंने उसे जम कर पीटा. वह किसी तरह चंगुल से छूट कर दरवाजे की ओर भागा तो अजय ने पीछे से उस के सिर पर लोहे की रौड से प्रहार कर दिया, वह जमीन पर बिछ गया. फिर उन सब ने रस्सी से गला घोंट कर उस की हत्या कर दी.

हत्या करने के बाद उन लोगों ने दिनेश की जामातलाशी ली और जो भी सामान मिला वह अपने कब्जे में कर लिया. इस के बाद शव को रात के अंधेरे में बंथरा थाने के रायगढ़ी के पास सड़क पर फेंक दिया, ताकि लगे कि एक्सीडेंट हुआ है. इस के बाद वे सब फरार हो गए. दूसरे रोज थाना बंथरा पुलिस ने शव बरामद किया और शिनाख्त न होने पर पोस्टमार्टम के लिए उन्नाव के अस्पताल में भेज दिया.

इधर देर रात तक दिनेश घर वापस नहीं आया तो उस के पिता शिवबालक को चिंता हुई. जब 3 दिनों तक उस का कुछ भी पता नहीं चला तो वह उन्नाव कोतवाली पहुंचा और बेटे की गुमशुदगी दर्ज करा दी.

चौथे दिन उसे बंथरा थाने से अज्ञात लाश की सूचना मिली. तब वह पत्नी और बेटी के साथ बंथरा थाने पहुंचा और कपड़ों तथा फोटो से शव की शिनाख्त अपने बेटे दिनेश के रूप में की.

चूंकि उन्नाव कोतवाली में दिनेश की गुमशुदगी दर्ज थी, अत: कोतवाल दिनेशचंद्र मिश्र ने मामले को भादंवि की धारा 302/201 के तहत दर्ज कर लिया.

इधर जब कई दिनों तक हत्या का राज नहीं खुला, तो शिवबालक एसपी आनंद कुलकर्णी से मिला और हत्या का परदाफाश करने की गुहार लगाई. इस पर आनंद कुलकर्णी ने एएसपी विनोद कुमार पांडेय की अगुवाई में एक टीम गठित कर दी.

इस टीम ने मृतक के पिता शिवबालक से पूछताछ की तो उस ने हत्या का संदेह पड़ोसी रामनाथ की बेटी सरोज और उस के पति अजय कुमार पर व्यक्त किया.

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संदेह के आधार पर पुलिस टीम ने सरोज व अजय को उन के घर संभरखेड़ा से हिरासत में लिया और थाने ला कर उन से सख्ती पूछताछ की तो दोनों टूट गए और दिनेश की हत्या का जुर्म कबूल कर लिया.

अजय ने बताया कि दिनेश के नाजायज संबंध उस की पत्नी से थे. इज्जत के लिए उस ने अपने रिश्तेदार सूरज, नीरज, लवकुश की मदद से दिनेश की हत्या कर दी थी. 11 अक्तूबर, 2020 को पुलिस ने नाटकीय ढंग से उन्नाव बाईपास के एक ढाबे से नीरज, सूरज व लवकुश को भी गिरफ्तार कर लिया.

आरोपियों की निशानदेही पर पुलिस ने आलाकत्ल रौड और रस्सी बरामद कर ली. इस के अलावा मृतक का पर्स, आधार कार्ड, चप्पल तथा वोटर आईडी कार्ड भी बरामद कर लिया. 12 अक्तूबर, 2020 को उन्नाव कोतवाली पुलिस ने सभी आरोपियों को उन्नाव कोर्ट में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

Crime Story: प्रेमिका की बली- भाग 2

सौजन्य- सत्यकथा

उसके लिए सरोज वह सब कुछ थी, जिस की कामना हर युवा करता है. लेकिन सरोज के दिल में उस के लिए कोई जगह नहीं थी. उस के दिल में तो कोई और ही बसा था. सरोज का तन भले ही अजय कुमार को मिल गया था, पर मन तो दिनेश का ही था.

अजय कुमार कैसा भी था, इस से सरोज को कोई मतलब नहीं था. शादी के बाद लड़कियां ससुराल आ क र एकदो दिन भले ही उदास रहें, लेकिन यदि उन्हें ससुराल वालों और पति का प्यार मिले तो वे खुश रहने लगती हैं. लेकिन सरोज के चेहरे पर मुसकराहट 2 सप्ताह बीत जाने के बाद भी नहीं आई थी. इस का कारण यह था कि वह पल भर के लिए भी दिनेश को नहीं भुला सकी थी.

सरोज ससुराल में महीने भर रही. लेकिन उस के चेहरे पर कभी मुसकराहट नहीं आई. ससुराल वालों ने तो सोचा कि पहली बार मांबाप को छोड़ कर आई है, इसलिए उदास रहती होगी. पर अजय कुमार पत्नी की उदासी से बेचैन और परेशान था. वह उसे खुश रखने, उस के चेहरे पर मुसकान लाने की हरसंभव कोशिश करता रहा, लेकिन सरोज के चेहरे पर मुसकान नहीं आई.

होली के 8 दिन पहले सरोज ससुराल से मायके आ गई. जिस दिन वह मायके आई, उसी शाम वह दिनेश से मिली. सरोज के मांबाप बेटी का विवाह कर के निश्चिंत हो चुके थे, इसलिए उन्होंने सरोज पर रोकटोक नहीं लगाई थी. लिहाजा सरोज का मिलन दिनेश से पुन: शुरू हो गया.

इस के बाद तो यह सिलसिला ही शुरू हो गया. सरोज मायके में होती तो उस का मिलन दिनेश से होता रहता, ससुराल चली जाती तो मिलन बंद हो जाता. ससुराल में रहते वह मोबाइल फोन पर दिनेश से चोरीछिपे बात करती थी.

यह मोबाइल फोन दिनेश ने ही उस के जन्मदिन पर उपहार में दिया था. उस ने पति से झूठ बोला था कि फोन मायके वालों ने दिया है. जब मोबाइल फोन का बैलेंस खत्म हो जाता तो दिनेश ही उसे रिचार्ज कराता था.

एक दिन मोबाइल फोन पर बतियाते दिनेश ने कहा, ‘‘सरोज, जब तुम ससुराल चली जाती हो तो यहां मेरा मन नहीं लगता. रात में नींद भी नहीं आती और तुम्हारे बारे में ही सोचता रहता हूं. मिलन का कोई ऐसा रास्ता निकालो कि तुम्हारी ससुराल आ सकूं.’’

‘‘तुम किसी रोज मेरी ससुराल आओ. मैं कोई रास्ता निकालती हूं.’’ सरोज ने उसे भरोसा दिया.

सरोज से बात किए दिनेश को अभी हफ्ता भी नहीं बीता था कि एक रोज वह उस की ससुराल संभरखेड़ा जा पहुंचा. सरोज ने सब से पहले दिनेश का परिचय अपनी सास लक्ष्मी देवी से कराया, ‘‘मम्मी, यह दिनेश है. मेरा पड़ोसी है. रिश्ते में मेरा भाई लगता है. किसी काम से सोहरामऊ आया था, सो हालचाल लेने घर आ गया.’’

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‘‘अच्छा किया बेटा, जो तुम हालचाल लेने आ गए.’’ फिर वह सरोज की तरफ मुखातिब हुई, ‘‘बहू, भाई आया है तो उस की खातिरदारी करो. मेरी बदनामी न होने पाए.’’

‘‘ठीक है, मम्मी.’’ कह कर सरोज दिनेश को कमरे में ले गई. इस के बाद दोनों कमरे में कैद हो गए. कुछ देर बाद वे कमरे से बाहर आए तो दोनों खुश थे. शाम को सरोज का पति अजय कुमार घर आया तो सरोज ने पति से भी उस का परिचय करा दिया. अजय ने भी उस की खूब खातिरदारी की.

सरोज की ससुराल जाने का रास्ता खुला, तो दिनेश अकसर उस की ससुराल जाने लगा. लक्ष्मी देवी टोकाटाकी न करें, इस के लिए वह उन की मनपसंद चीजें ले आता. घर वापसी के समय वह उन के पैर छू कर 100-50 रुपए भी हाथ पर रख देता. जिसे वह नानुकुर के बाद रख लेती.

शाम को वह सरोज के पति अजय के साथ भी पार्टी करता और खर्च स्वयं उठाता. इस तरह उस के आने से मांबेटे दोनों खुश होते. लेकिन दिनेश घर क्यों आता है, वह घर में क्या गुल खिला रहा है, इस ओर उन का ध्यान नहीं गया.

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दिनेश का आनाजाना जरूरत से ज्यादा बढ़ा तो सरोज की सास लक्ष्मी देवी को उन के रिश्तों पर कुछ शक हुआ. कारण यह था कि दिनेश जब भी आता बंद कमरे में ही बहू से बात करता. वह सोचती कि यह कैसा रिश्ता है, जो भाईबहन सामने बैठ कर बात करने के बजाय बंद कमरे में बात करते हैं. जरूर दाल में कुछ काला है.

शक गहराया तो वह दोनों पर नजर रखने लगीं. एक रोज दिनेश आया तो लक्ष्मी देवी जानबूझ कर घर के बाहर चली गईं. कुछ देर बाद लौटीं तो उन्होंने बहू सरोज को दिनेश के साथ बिस्तर पर देख लिया.

Crime Story: प्रेमिका की बली- भाग 1

सौजन्य- सत्यकथा

20वर्षीया सरोज दिखने में जितनी खूबसूरत थी, उतनी ही चंचल व महत्त्वाकांक्षी भी थी. जो उसे देखता था, अपने आप उस की तरफ खिंचा चला जाता था. गांव के कई युवक उस का सामीप्य पाने को लालायित रहते थे. लेकिन सरोज किसी को भाव नहीं देती थी. वह जिस युवक की ओर आकर्षित थी, वह उस के बचपन का दोस्त दिनेश था.

सरोज के पिता रामनाथ उत्तर प्रदेश के जिला उन्नाव के गांव संभरखेड़ा के रहने वाले थे. उन की गिनती गांव के संपन्न किसानों में होती थी. उन का गांव उन्नाव शहर की सीमा पर स्थित था, सो वह अपने खेतों में सब्जियां उगा कर शहर में बेचते थे. इस काम में उन्हें अच्छी कमाई होती थी.

रामनाथ के घर के पास शिवबालक रहता था. वह दूध का धंधा करता था. दोनों एक ही जाति के थे. दोनों के बीच गहरी दोस्ती थी. दोनों के परिवार के हर सदस्य का एकदूसरे के घर आनाजाना बना रहता था.

शिवबालक की माली हालत रामनाथ की अपेक्षा कमजोर थी. उसे जब कभी रुपयों की जरूरत होती, वह रामनाथ से मांग लेता था. शिवबालक का बेटा दिनेश था. वह ज्यादा पढ़ालिखा नहीं था. पर उस ने ड्राइविंग सीख ली थी और ट्रैक्टर चलाता था.

शिवबालक का बेटा दिनेश और रामनाथ की बेटी सरोज हमउम्र थे. दोनों का एकदूसरे के घर आनाजाना बेरोकटोक था. दोनों बचपन के दोस्त थे, सो उन की खूब पटती थी. दोनों घंटों बतियाते थे और खूब हंसीठिठोली करते थे. उन की बातचीत और हंसीठिठोली पर घर वालों को भी ऐतराज नहीं था, क्योंकि पड़ोसी होने के नाते उन दोनों का रिश्ता भाईबहन का था. लेकिन उन दोनों की बचपन की दोस्ती कब प्यार में बदल गई, उन्हें पता ही नहीं चला.

जैसेजैसे समय बीत रहा था, वैसेवैसे उन के प्यार का रंग भी गहराता जा रहा था. सरोज स्कूल जाने के बहाने घर से निकलती और तय स्थान पर पहुंच जाती दिनेश के पास. फिर दिनेश उसे ले कर घुमाने के लिए निकल जाता था. दोनों के बीच चाहत बढ़ी तो उन के मन में शारीरिक मिलन की इच्छा भी होने लगी.

आखिर एक दिन ऐसा भी आया जब दोनों मर्यादा भुला बैठे और उन्होंने अपनी हसरतें पूरी कर लीं. इस के बाद उन्हें घरबाहर जहां भी मौका मिलता, मिलन कर लेते.

इश्क में दोनों इतने अंधे हो गए थे कि उन्हें घरपरिवार की इज्जत का खयाल ही नहीं रहा. लेकिन एक दिन उन के इश्क का भांडा उस समय फूट गया, जब सरोज की मां पुष्पा ने उन्हें रंगेहाथों पकड़ लिया.

पुष्पा ने सरोज और दिनेश के नाजायज रिश्तों की जानकारी पति को दी, तो रामनाथ का खून खौल उठा. गुस्से में उस ने सरोज को पीटा तथा दिनेश को भी फटकार लगाई.

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चूंकि मामला काफी नाजुक था, अत: पतिपत्नी ने सरोज को काफी समझाया. उन्होंने उसे अपनी मानमर्यादा के बारे में सचेत किया. लेकिन दिनेश के प्यार में आकंठ डूबी सरोज पर उन की किसी बात का असर नहीं हुआ.

बेटी पर समझाने का असर न होता देख रामनाथ और पुष्पा परेशान हो गए. तब उन्होंने अपने घर दिनेश के आने की पाबंदी लगा दी. सरोज का भी घर से बाहर जाना बंद करा दिया.

अब रामनाथ और पड़ोसी शिवबालक की दोस्ती में भी दरार आ गई थी. रामनाथ ने शिवबालक को धमकी दी कि वह अपने बेटे दिनेश को समझा दे कि वह उस की बेटी सरोज से दूर रहे. अगर उस ने उस की इज्जत से खेलने की कोेशिश की तो अच्छा नहीं होगा. अपनी इज्जत की खातिर वह किसी भी हद तक जा सकता है.

कहते हैं, इश्क अंधा होता है. दिनेश और सरोज भी इश्क में अंधे थे. यही कारण था कि परिवार की सख्तियों के बावजूद उन के प्यार में कोई कमी नहीं आई थी. हालांकि उन की मुश्किलें अब पहले से ज्यादा बढ़ गई थीं और उन के मिलने में बाधा भी पड़ने लगी थी. लेकिन वे सावधानीपूर्वक किसी न किसी बहाने मिल ही लेते थे.

इधर बेटी के कदम बहके तो रामनाथ को उस के ब्याह की चिंता सताने लगी. उस ने सोचा, सरोज अगर उस की पीठ में इज्जत का छुरा घोंप कर दिनेश के साथ भाग गई तो बड़ी बदनामी होगी. वह कहीं मुंह दिखाने लायक नहीं बचेगा. इसलिए बेहतर होगा कि वह सरोज के हाथ जल्द से जल्द पीले कर दे.

रामनाथ ने बेटी के लिए रिश्ता खोजना शुरू किया तो उसे अजय कुमार पसंद आ गया. अजय कुमार के पिता रामऔतार उन्नाव जिले के महनोरा गांव में रहते थे. अजय कुमार उन का एकलौता बेटा था. वह सोहरामऊ में एक कपड़े की दुकान पर काम करता था, इसलिए रामनाथ ने अपनी बेटी सरोज के लिए उसे पसंद कर लिया था.

सारी औपचारिकताएं पूरी कर सरोज और अजय कुमार के विवाह की तारीख तय कर दी थी.

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दिनेश को जब सरोज का विवाह तय होने की बात का पता चली तो वह बेचैन हो उठा. सरोज ने प्यार उस से किया था और अब विवाह किसी और से करने जा रही थी. एक दिन सरोज उसे एकांत में मिली तो वह बोला, ‘‘सरोज, जब तुम्हें किसी और से विवाह रचाना था, तो तुम ने मुझ से प्यार का नाटक क्यों किया?’’

‘‘दिनेश, यह शादी मैं अपनी मरजी से नहीं कर रही हूं. घर वालों ने शादी तय कर दी है, तो करनी ही पड़ेगी. उन का विरोध तो मैं कर नहीं सकती. लेकिन मैं आज भी तुम्हारी हूं और कल भी रहूंगी. तुम से अब मुझे कोई भी अलग नहीं कर सकता, यह विवाह भी नहीं.’’ सरोज ने उदास हो कर कहा.

3 फरवरी, 2017 को अजय कुमार के साथ सरोज का विवाह धूमधाम से हो गया. सरोज विदा हो कर ससुराल आ गई. सरोज जैसी खूबसूरत पत्नी पा कर अजय खुद को खुशनसीब समझ रहा था.

प्रेमिका की बली

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