टैटू वाली लड़की : कौन सी चिंता कर रही थी ममता को परेशान

मध्य प्रदेश का छिंदवाड़ा जिला संरक्षित वन क्षेत्र और आदिवासी बहुल जिला माना जाता है. यहां रहने वाले लोग जंगलों में मिलने वाले अचार, चिरौंजी, हर्रा, बहेड़ा, आंवला और महुआ के जरीए अपनी आजीविका चलाते हैं. मार्चअप्रैल महीने में महुआ के पेड़ से गिरने वाले महुआ बीनने के लिए गांव के मर्दऔरत सुबह जल्दी ही जंगल की ओर पैदल चल देते हैं.

गरमी की दस्तक शुरू होते ही एक सुबह गांव की औरतों का समूह महुआ बीनने के लिए जंगल की ओर जा रहा था. सुबह के तकरीबन साढ़े 5 बजे का समय था. रात का अंधेरा खत्म हो चुका था और आसपास उजाले की दस्तक साफ दिखाई दे रही थी.

औरतों का वह समूह आमा?ारी गांव के पास ही पहुंचा था कि तभी लाजवंती नाम की एक औरत को रोड से तकरीबन 50 कदम दूर लाल साड़ी में लिपटी एक औरत जमीन पर पड़ी दिखाई दी.

लाजवंती ने साथ चल रही दूसरी औरतों से कहा, ‘‘इतनी सुबह जंगल में यह औरत बेहोश कैसे पड़ी है?’’

साथ चल रही औरतों ने भी इस मंजर को देखा. एक औरत ने लाजवंती से कहा, ‘‘चलो, चलो, पास चल कर देखते हैं कि आखिर माजरा क्या है.’’

इतना कहते ही वे सारी औरतें रोड से नीचे उतर कर उस लाल साड़ी वाली औरत की ओर चल दीं. जैसे ही वे उस के पास पहुंचीं, तो डर के मारे उन सब की चीख निकल गई. दरअसल, वहां पर लाल साड़ी पहने एक औरत की सिर कटी लाश पड़ी हुई थी.

लाजवंती ने रोड से जंगल की ओर जा रहे कुछ मर्दों को आवाज लगा कर पास बुलाया. उन लोगों में एक लड़का पुलिस द्वारा बनाई गई ग्राम रक्षा समिति का सदस्य था और उस के पास नजदीकी पुलिस चौकी का मोबाइल नंबर भी था.

वह मंजर देख कर उस लड़के ने जेब से मोबाइल फोन निकाला और चौकी प्रभारी का नंबर खोज कर फोन कर दिया.

आदिवासी अंचल की पुलिस चौकी खमारपानी की सबइंस्पैक्टर पूनम उस समय अपने घर से ड्यूटी पर जाने की तैयारी कर रही थीं. जैसे ही उन के मोबाइल फोन पर घंटी बजी, तो उन्होंने फोन रिसीव करते हुए कहा, ‘हैलो… कौन?’

‘‘मैडम, मैं गढ़ेवानी गांव से ग्राम रक्षा समिति का सदस्य बोल रहा हूं. कपूरखेड़ा के जंगल में एक औरत की सिर कटी लाश पड़ी हुई है.’’

‘ठीक है, तुम लोग वहीं पर रुको. मैं जल्द ही वहां पर पहुंच रही हूं.’ सबइंस्पैक्टर पूनम बोलीं.

सबइंस्पैक्टर पूनम ने लाश मिलने की सूचना बड़े पुलिस अफसरों को दे दी और पुलिस बल के साथ मौका ए वारदात की ओर रवाना हो गईं.

मौके पर पहुंची पुलिस टीम ने देखा कि  महिला की लाश रोड से 50 कदम दूर एक खंती (गड्ढे) के पास पड़ी हुई थी, जिस का सिर गायब था. उस औरत ने लाल रंग की जरीदार साड़ी पहनी थी, जबकि उस ने कुछ पारंपरिक जेवर भी पहने हुए थे. उस के हाथ में गुदना (टैटू) का निशान मिला, जिस में ‘एमआरबी’ लिखा हुआ था.

मौके पर जा कर फोरैंसिक टीम ने जांचपड़ताल की तो पता चला कि उस औरत की हत्या एक दिन पहले ही रात में हुई होगी.

इस से पुलिस का अंदाजा था कि हत्या में एक से ज्यादा लोग शामिल रहे होंगे. पुलिस का यह भी अंदाजा था कि वह औरत आसपास के इलाके की रहने वाली होगी. पहचान छिपाने के मकसद से हत्यारों ने उस का सिर धड़ से काटा होगा.

आसपास के गांव के लोगों की भीड़ मौका ए वारदात पर मौजूद थी, लेकिन उस औरत की शिनाख्त नहीं हो पा रही थी. आसपास के गांवों में पुलिस टीम ने जा कर मामले की जांच की, मगर कोई ठोस सुराग हाथ नहीं लग पाया.

पुलिस इस मामले को नाजायज रिश्ते से जोड़ कर भी देख रही थी, क्योंकि जिस बेरहमी से उस औरत की हत्या की गई थी, उसे देख कर तो ऐसा ही लग रहा था.

सोशल मीडिया पर सिर कटी लाश मिलने की खबर से शांत रहने वाले आदिवासी अंचल में हड़कंप मच गया. मरी हुई औरत के एक हाथ में बने टैटू में इंगलिश में ‘एमआरबी’ लिखा हुआ था, जबकि दूसरे हाथ में ‘स्टार’ बना हुआ था.

सुरंगी गांव की औरतों को यह पता था कि गांव में रहने वाली एक लड़की ममता के हाथ पर भी इसी तरह का टैटू बना हुआ है. सोशल मीडिया पर आई तसवीर को जब कुछ औरतों ने ममता की मां उर्मिला को दिखाया, तो उस के होश उड़ गए.

उर्मिला को मालूम था कि जिस दिन ममता अशोक के साथ शादी की रिसैप्शन के लिए घर से निकली थी, उस दिन यही लाल रंग की जरी वाली साड़ी पहने हुए थी. उस के गले में पहने हार से भी मां को यकीन हो गया था कि यह लाश ममता की ही है.

उर्मिला ने अशोक को फोन लगाया तो उस का फोन स्विच्ड औफ बता रहा था. मोबाइल में यह भयावह तसवीर देख कर मां उर्मिला चीखचीख कर रोने लगी. पड़ोस में रहने वाले लोगों ने उसे हिम्मत बंधाई.

इतने में ममता का भाई भी घर आ गया. उस ने मां को सब्र रखने की कहते हुए पुलिस चौकी जा कर ममता की लाश की शिनाख्त की.

कहते हैं कि कानून के लंबे हाथों से बड़े से बड़ा अपराधी भी बच नहीं पाता है. सबइंस्पैक्टर पूनम ने जब ममता के घर वालों से पूछताछ की तो पता चला कि ममता अशोक नाम के एक लड़के के साथ लिवइन रिलेशनशिप में रह रही थी.पुलिस ने जब अशोक को ढूंढ़ निकाला, तो इस हत्याकांड के पूरे राज से परदा हट गया .

28 साल की ममता सुरंगी गांव के रहने वाले सालकराम की लड़की थी. ममता से बड़ा उस का एक भाई था. जब ममता छोटी थी, तभी उस के पिता परिवार छोड़ कर कहीं चले गए थे. ममता और उस के भाई का पालनपोषण उस की मां उर्मिला ने किया था.

जब ममता 22 साल की हुई, तो भाई और मां ने उस की शादी पास के गांव में रहने वाले देवेंद्र से कर दी. शादी के बाद ममता को पता चला कि उस का पति शराबी है. वह शराब के नशे में ममता के साथ बदसुलूकी करता था.

किसी तरह ममता ने 6 महीने उस के साथ बिताए, मगर देवेंद्र की आदतों में कोई बदलाव नहीं आया. इस के बाद ममता ससुराल से आ कर अपने मायके में रहने लगी.

परिवार की माली हालत इतनी अच्छी नहीं थी कि ममता का भाई और मां उसे बिठा कर अच्छी तरह खिला पाते. ममता भी खुद्दार लड़की थी. लिहाजा, उस ने गांव के आसपास खेतों में जा कर मजदूरी का काम शुरू कर दिया.

इसी दौरान ममता की मुलाकात जामुन टोला गांव के अशोक से हुई. 19 साल का अशोक ममता के सांवले और गठीले बदन को देख कर उस की तरफ खिंच गया था. ममता को ससुराल में पति का प्यार नहीं मिल पाया था, ऐसे में वह भी अशोक की तरफ उम्मीदभरी निगाहों से देखती थी.

एक दिन खेत में कपास चुनते हुए अशोक ने अपने दिल की बात जबान पर लाते हुए कहा, ‘‘ममता, तुम बहुत खूबसूरत हो. तुम्हारी आंखों में गजब का नशा है. जी चाहता है इन में दिनरात डूबा रहूं.’’

‘‘?ाठ मत बोलो अशोक. हमारी आंखों में नशा होता तो हमारा पति शराब के नशे में न डूबा रहता,’’ ममता ने जवाब दिया.

‘‘ममता, खूबसूरती तो देखने वालों की आंखों में होती है. हो सकता है, तुम्हारे पति की आंखें तुम्हारी आंखों में प्यार का दरिया न खोज पाई हों,’’ अशोक बोला.

‘‘तुम बातें बड़ी प्यारी करते हो अशोक. तुम्हारी बातों से लगता है कि तुम 19 साल के नहीं, बल्कि 29 साल के हो,’’ ममता ने कहा.

‘‘उम्र से क्या है, दिल तो हमारा अब तुम्हारे लिए धड़कने लगा है. दिन में तुम्हारा साथ रहता है, मगर रात तनहाई में कटती है,’’ अशोक बोला.

‘‘रात में मेरे ही सपने देखा करो तो तनहाई भी दूर हो जाएगी,’’ ममता ने अदा के साथ कहा.

ममता को पति से दूर रहते हुए काफी समय हो गया था. ऐसे में अशोक की उस के प्रति दीवानगी ने आग में घी का काम कर दिया था. ममता के दिल में भी अशोक के लिए प्यार के बीज अंकुरित हो चुके थे.

अशोक ममता को मजदूरी के लिए घर से साथ ले कर जाता था. अशोक ममता से उम्र में छोटा था. इस वजह से किसी को उन के प्रेम संबंध का शक भी नहीं था. गांव में घरपरिवार के सख्त पहरे और समाज की नजरों की वजह से उन का प्यार परवान तो चढ़ रहा था, लेकिन उन की हसरतें पूरी नहीं हो पा रही थीं.

ऐसे में तकरीबन एक साल पहले एक दिन दोनों काम की तलाश में नागपुर आ गए. नागपुर में एक रूम ले कर लिवइन रिलेशनशिप में रहने लगे.

इसी साल अप्रैल महीने में अशोक की बहन की शादी थी, जिस में शामिल होने के लिए वह नागपुर से ममता को ले कर अपने गांव आया था. उस ने ममता को उस के मायके छोड़ दिया था और वह खुद बहन की शादी में चला गया था.

अशोक नागपुर से अपने साथ ममता को ले तो आया था, मगर वह घरपरिवार के लोगों के डर से उसे शादी में ले कर नहीं गया था.

यह बात ममता को अखर रही थी. ममता यही सोच कर परेशान थी कि अशोक उसे पत्नी बना कर रख रहा है, मगर घर में बहन की शादी में उसे ले कर नहीं जा रहा है.

पिछले एक साल से नागपुर में लिवइन रिलेशनशिप में रहते हुए वे दोनों पतिपत्नी की तरह खुशहाल जिंदगी बिता रहे थे. ममता और अशोक की प्यार की निशानी के तौर पर ममता के पेट में अशोक का बच्चा पल रहा था.

पेट से होने के बाद से ही ममता को अपनी गलती का अहसास होने लगा था. उस ने अगर सुरक्षित तरीके से अशोक से जिस्मानी रिश्ता बनाया होता तो वह पेट से न होती.

ममता ने जैसे ही पेट से होने की जानकारी अशोक को दी, तो खुश होने के बजाय उस का चेहरा लटक गया था. ममता मर्दों की इस फितरत को अच्छी तरह सम?ा गई थी कि वे केवल अपनी जिस्मानी भूख मिटाने से ही मतलब रखते हैं. औरतों की भावनाएं उन के लिए कोई मतलब नहीं रखतीं.

औरत के जिस्म को मर्द केवल भोगने का सामान ही सम?ाते हैं. अशोक भी ममता की देह का भूखा था, जो उस के जिस्म का पूरे हक से सुख ले रहा था, मगर जब वह पेट से हो गई, तो इस बात को ले कर दोनों के बीच तकरार भी होने लगी थी.

ममता को यही चिंता दिनरात खाए जा रही थी कि आखिर बच्चे के जन्म के बाद अशोक उसे बेसहारा तो नहीं छोड़ देगा. अशोक बहन की शादी की तैयारियों में लगा हुआ था, मगर ममता उसे फोन कर के उस पर शादी करने का दबाव बना रही थी.

परेशान हो कर एक दिन ममता ने अशोक से फोन पर कहा, ‘‘अशोक, अब तो तुम मु?ा से शादी कर लो, मैं तुम्हारे बच्चे की मां बनने वाली हूं. कहीं ऐसा न हो, मैं समाज में मुंह दिखाने के काबिल न रहूं.’’

‘‘ममता, अभी घर के लोग बहन की शादी में लगे हैं, तुम थोड़ा सब्र रखो. मैं घर वालों को मना लूंगा,’’ अशोक ने दिलासा देते हुए कहा.

‘‘लेकिन, अब 3 महीने का पेट हो चुका है, कब तक मुझे इस तरह दिलासा देते रहोगे…’’ ममता ने चिंता जताते हुए कहा.

‘‘ममता, हम नागपुर जा कर किसी डाक्टर से बच्चा गिरवा लेंगे, तुम चिंता मत करो,’’ अशोक बोला.

‘‘तुम आखिर कब तक मेरे बदन से खेलते रहोगे… मैं अपने बच्चे की हत्या नहीं करूंगी,’’ ममता ने गुस्से से कहा.

‘‘अभी तुम अपनेआप को संभालो. मैं तुम्हें बहन की रिसैप्शन पार्टी में ले कर चलता हूं,’’ अशोक ने चाल बदलते हुए कहा.

अशोक ने जब से ममता के पेट से होने  की बात सुनी थी, तभी से वह ममता से नफरत करने लगा था. वह अकसर सोचता था कि जिस तरह ममता ने आसानी से उस के साथ जिस्मानी रिश्ता बना लिया है, क्या पता उस के और भी लोगों से संबंध न हों. वह ममता से शादी भी तो नहीं कर सकता था. गांव में जातबिरादरी के लोग दूसरी जाति की उस से बड़ी उम्र की लड़की से शादी करने के लिए भला कैसे राजी होंगे.

जब इनसान को अपनी परेशानी का कोई हल नहीं मिलता, तो अकसर उस का दिमाग शैतान बन जाता है. अशोक के शैतान मन में भी एक प्लान बन गया था.

प्लान बनते ही अशोक ने फोन पर ममता की खूब तारीफ करते हुए कहा, ‘‘ममता, मैं परिवार के बड़े बुजुर्गों के डर से तुम्हें बहन की शादी में गांव तो नहीं ले जा पाया, पर उस की रिसैप्शन में ले जाना चाहता हूं. तुम चलोगी न?’’

‘‘हांहां, जरूर चलूंगी. आखिर मैं भी तो देखना चाहती हूं कि मेरी ननद की ससुराल कैसी है,’’ ममता ने खुशी जाहिर करते हुए कहा.

‘‘हां तो तुम कल सुबह तैयार रहना. कल मैं तुम्हें लेने आऊंगा,’’ अशोक ने जानकारी देते हुए कहा.

‘‘हां अशोक, मैं सजधज कर तैयार मिलूंगी. मैं ने तो कुछ आर्टिफिशियल ज्वैलरी भी भाभी से मांग ली है,’’ ममता चहकते हुए बोली.

दूसरे दिन सुबह ही अशोक ममता के घर पहुंच गया. ममता की मां, भाई और नानी को इस बात की जानकारी पहले से ही थी कि ममता अशोक की पत्नी बन कर नागपुर में रह रही है. इसी वजह से उन्होंने अशोक की खातिरदारी की और ममता को उस के साथ भेज दिया. जातेजाते अशोक ने ममता की मां को यह भी बताया कि वह रिसैप्शन के दूसरे दिन वहां से नागपुर चला जाएगा.

मोटरसाइकिल पर सवार हो कर अशोक के साथ जा रही ममता अपनी ननद के रिसैप्शन में जाने को ले कर बहुत खुश हो रही थी, मगर उसे नहीं पता था कि जिसे वह पति मान बैठी थी, वही उस की जान का दुश्मन बनने की ठान चुका था.

गांव से तकरीबन 25-30 किलोमीटर का फासला तय करते ही जंगल के बीच अशोक ने मोटरसाइकिल रोक दी, तो ममता ने पूछा, ‘‘यहां बीच जंगल में कहां बाइक रोक दी? मु?ो बहुत डर लगता है.’’

‘‘काहे का डर… देखो, पेड़ों की कितनी घनी छांव है, थोड़ा आराम कर लेते हैं, फिर चलते हैं,’’ अशोक ने ममता के गालों को छूते हुए कहा.

अशोक सड़क पर बनी पुलिया के नीचे उतर कर पेड़ों की घनी छांव में उसे ले गया. चलतेचलते अशोक ने ममता से हंसीमजाक करते हुए कहा, ‘‘मेरी जान, आज तुम लाल सुर्ख साड़ी में गजब ढा रही हो. मैं अपनेआप को कंट्रोल नहीं कर पा रहा हूं.’’

‘‘तुम्हें जरा भी शर्म नहीं आती… यहां जंगल में मंगल करने आए हो क्या?’’ ममता ने उसे टोकते हुए कहा.

‘‘जानू, जंगल में ही तो मंगल होता है और फिर क्या तुम कोई गैर हो?’’ ममता को अपने आगोश में लेते हुए अशोक बोला.

‘‘जोकुछ करना है, जल्दी से कर लो. यहां जमीन पर मेरे कपड़े खराब हो जाएंगे,’’ ममता ने भी अशोक के होंठ चूमते हुए कहा.

दोनों पेड़ की छांव में एक कपड़ा बिछा कर प्यार करने लगे. अशोक ने ममता से जिस्मानी रिश्ता बना कर अपनी हसरत पूरी की. जैसे ही ममता जमीन पर बैठ कर अपने कपड़े ठीक कर रही थी, तभी अशोक ने अपनी पैंट की जेब में रखा चाकू निकाला और ममता की ओर झपट पड़ा.

अशोक के बदले हुए रूप को देख कर पहले तो ममता को यकीन नहीं हुआ, मगर जैसे ही अशोक ने उस की गरदन पकड़ी, वह पूरी ताकत से चीख पड़ी और चीखते हुए वहां से भागने लगी, पर तभी अशोक ने उसे जोर से पकड़ लिया और चाकू से उस का गला रेत दिया. कुछ ही पलों में ममता लाश का ढेर बन गई.

पुलिस के सामने मामले की पूरी सचाई बता रहे अशोक हाथों में हथकड़ी और आंखों में आंसू लिए सोच रहा था कि वह देह का भूखा न बन कर प्यार का भूखा होता तो प्यार करने वाली ममता को यों धोखा न देता.

शराबी की घरवाली : कैसी थी रमेश क्लर्क की जिंदगी

रोज की तरह रात को रमेश जब घर पहुंचा तो उसे देख कर उस की घरवाली और उस के बच्चे सहम गए और डर कर एक तरफ हट कर बैठ गए.

‘‘क्या बात है बबलू और मीना, तुम दोनों चुप क्यों हो? देखो, मैं आज तुम्हारे लिए क्या लाया हूं.’’

रमेश ने आमों से भरा थैला अपनी घरवाली की तरफ बढ़ाते हुए कहा, ‘‘लता, ये आम अभी धो कर ले आओ. हम सभी साथसाथ खाएंगे.’’

रमेश को बिना शराब पिए देख कर लता को बड़ी खुशी हुई. बबलू और मीना पिताजी की मीठी बोली सुन कर बड़े खुश हुए और मुसकराते हुए उन से लिपट गए.

रमेश एक सरकारी दफ्तर में क्लर्क था और रोज शराब पीने का आदी था. शुरू में उस ने साथी मुलाजिमों के साथ शौकिया तौर पर शराब पीनी शुरू की थी, मगर बाद में उस का आदी बन गया और रोज शराब पी कर घर आने लगा.

रमेश जब शराब पी कर घर आता तो आते ही लता को किसी न किसी बात पर गालियां देने लगता और उस की पिटाई भी कर देता. बबलू और मीना अपनी मां को पिता से पिटते हुए देख कर सहम जाते और डर के मारे भूखे ही सो जाते.

शराब की आदत के चलते रमेश ने लता के सभी जेवर और अपने हाथ की घड़ी तक बेच डाली थी. उसे जो तनख्वाह मिलती थी, उस में से ज्यादा पैसे तो उस की शराब के खाते में चले जाते थे और जो थोड़ेबहुत बचते थे, उन से घर का खर्चा चला पाना नामुमकिन था. फिर भी लता थोड़ाबहुत काम कर के घर का खर्चा चला रही थी.

लता अपने अलावा बबलू और मीना के लिए कबाड़ी बाजार से पुराने कपड़े खरीद कर गुजारा कर रही थी.

पड़ोसियों के बच्चों के पिता अपने बच्चों के लिए रोज शाम को कुछ न कुछ खाने के लिए लाते थे, मगर रमेश रोज शराब के नशे में चूर हो कर ही घर लौटता था. वह आते ही लता पर बरसने लगता, चाहे उस का कोई कुसूर हो या न हो.

एक दिन तो बात हद से बढ़ गई थी. हुआ यह था कि उस दिन रात को रमेश अपने किसी साथी क्लर्क को साथ ले आया था और वे दोनों शराब पीने लगे थे. लता सामने बैठी खाना बना रही थी कि अचानक रमेश ने उस पर सब्जी से भरी हुई प्लेट दे मारी, जिस से लता के माथे से खून बहने लगा और वह रोने लगी.

‘‘बेवकूफ औरत, तुम मेरे घर

में रहने लायक ही नहीं,’’ कहते हुए रमेश ने उठ कर लता को एक थप्पड़ भी मार दिया.

‘‘क्यों, मैं ने ऐसा क्या किया है?’’

‘‘क्या किया है… तू मेरे दोस्त पर डोरे डाल रही थी. तू क्या समझती है कि मुझे पता नहीं चलता…’’ कहते हुए रमेश ने 2 थप्पड़ लता को और लगा दिए थे.

लता का रोना देख कर पड़ोस की लीला भाभी वहां आईं और उन्होंने लता को साथ ले जा कर डाक्टर से पट्टी करवाई थी और रमेश को समझाबुझा कर चुप कराया था. इस बीच रमेश का दोस्त जा चुका था.

बेकुसूर लता के माथे की चोट कई दिनों तक उसे रुलाती रही थी और पट्टियों का खर्चा अलग उसे सहना

पड़ा था.

इस के बाद रमेश का लता पर

जुल्म बढ़ता ही गया और वह रोज उसे मारतापीटता रहा.

मगर उस दिन जब रमेश बिना पिए घर पहुंचा और बच्चों के खाने के लिए आम भी ले आया, तो लता की खुशी का ठिकाना न रहा. उस ने पति से आमों का लिफाफा ले कर रख लिया और पति के लिए खाना परोसने लगी.

बबलू और मीना इस इंतजार में बैठे थे कि पिताजी को खाना दे कर मां उन्हें आम देंगी कि तभी रमेश का एक दोस्त आया और उसे अपने साथ ले गया.

‘‘मां, पिताजी कहां गए हैं?’’ मीना ने पूछा.

‘‘वे अपने दोस्त के साथ गए हैं,’’ लता ने कहा.

‘‘पिताजी कब आएंगे मां?’’ बबलू ने पूछा.

‘‘बस, अभी थोड़ी ही देर में आ जाएंगे,’’ लता बोली.

‘‘मां, पिताजी ने आज शराब नहीं पी न?’’ बबलू ने पूछा.

‘‘हां बबलू, आज का दिन हमारे लिए बहुत अच्छा है,’’ लता ने कहा.

‘‘तभी तो आज पिताजी हमारे लिए आम लाए हैं,’’ मीना बोली.

‘‘हां मीना, अगर वे रोज शराब न पिएं तो तुम्हारे लिए रोज ही आम ला सकते हैं,’’ लता ने कहा.

‘‘मां, पिताजी शराब पीना छोड़ क्यों नहीं देते?’’ बबलू ने पूछा.

‘‘लगता है, वे शराब छोड़ने की कोशिश में हैं, तभी तो आज उन्होंने शराब नहीं पी,’’ लता ने कहा.

इसी तरह बातें करतेकरते रात के 10 बज गए. बबलू और मीना धीरेधीरे सोने लगे. लता पति के इंतजार में बैठी रही.

रात के तकरीबन 11 बजे  रमेश जब घर लौटा, तो उस पर शराब का नशा चढ़ा हुआ था. लता ने खाने की थाली उस के सामने रखी और पास बैठ गई.

रमेश ने रोटी का एक निवाला तोड़ कर मुंह में रखा ही था कि गुस्से में भड़क उठा, ‘‘जाहिल औरत, यह सब्जी बनाई है या जहर… कौन खाएगा इतनी नमक वाली सब्जी…’’ कह कर उस ने सब्जी की प्लेट एक तरफ फेंक दी.

कुछ समय बाद लता रोज की तरह अपने मर्द के हाथों पिट रही थी और बच्चे बिना आम खाए ही सो चुके थे.

लेकिन उस रोज कुछ और ही हुआ. लता ने पास रखी झाड़ू उठाई और रमेश की पिटाई शुरू कर दी. शराब के नशे में चूर रमेश को मालूम ही नहीं हुआ कि उस के साथ क्या हुआ. वह बेहोश हो कर लुढ़क गया.

सुबह उठा तो रमेश ने देखा कि घर में सन्नाटा था और सारा घर खाली था. लता अपना और बच्चों का सारा सामान ले कर चली गई थी. यहां तक कि रमेश के कपड़े भी नहीं थे. वह उलटी किए हुए और खून से सने कपड़ों में था. उस ने रसोईघर में जा कर अपने मुंह पर पानी डाला और आईने में देखा तो एकदम खरोंचों से भरा चेहरा था. उसे समझ नहीं आया कि वह क्या करे.

2-4 घंटे इंतजार करने के बाद भी कोई नहीं आया. पेट में कुछ न गया, तो रमेश को अहसास हुआ कि उस ने क्या गलती की है. पर तब तक बहुत देर नहीं हो चुकी थी. वह दिनभर उन्हीं कपड़ों में बिस्तर पर रोता रहा.

जिस्म का पसीना : कम पढी लिखी रीना की दास्तां

पैसे कमाने की चाह में रीना का पति सुरेश पिछले 3 साल से गाजा गया हुआ था. वहां से वह रोज रात को रीना से फोन पर जल्द से जल्द अपने वतन वापस आने की बात कहता और यह भी कहता कि जब वह वापस आएगा तो रीना के लिए ढेर सारे पैसे और कपड़े ले कर आएगा और रातों को जम कर कर उस से प्यार करेगा.

रीना को भी बड़ी बेसब्री से अपने पति के लौटने का इंतजार था, पर ऐसा नहीं हो सका. उस का पति तो वापस नहीं आया अलबत्ता, लड़ाई छिड़ जाने के चलते उस की मौत की खबर जरूर आ गई.

बेचारी रीना पर तो जैसे दुखों का पहाड़ ही टूट पड़ा था. उस की 10 साल की बेटी निम्मी भी रोरो कर हलकान हुए जाती थी.

महल्ले वालों में भी गाजा में मारे गए रीना के पति की मौत की खबर बिजली की तरह फैल गई थी. महल्ले वालों ने आ कर रीना और उस की बेटी को दिलासा दिया.

कम पढ़ीलिखी रीना अपने पति की मौत के बाद उस की लाश का गाजा से वापस आने का इंतजार कर रही थी.

महल्ले के एक चाचा ने आगे आ कर उसे सम?ाया कि जब 2 देशों में लड़ाई होती है, तो न जाने कितने बेकुसूर लोग मारे जाते हैं और ऐसे में उन की लाश इस लायक भी नहीं रह जाती कि उन्हें उन के देश भेजा जा सके और न ही किसी को ऐसी लाशों की कोई फिक्र ही होती है.

पूरे दिन शोक मनाने के बाद रीना को समझ आ चुका था कि वह अब अपने मरे हुए पति का मुंह भी नही देख पाएगी.

दुख की इस घड़ी में आसपास के लोगों से रीना की जितनी मदद हो सकती थी, उतनी मदद रीना को मिली, पर आगे की जिंदगी तो रीना और उस की बेटी को अपने दम पर ही काटनी थी.

समय से बड़ा मरहम कोई नहीं होता. सुरेश की मौत को 3 महीने हो चुके थे. रीना धीरेधीरे पति की मौत से उबर रही थी, पर अब उस के पास जमा पैसे खत्म हो रहे थे. वह कसबे में 2 कमरे के घर में किराए पर रह रही थी. इस घर के किराए के साथसाथ और दूसरे खर्चे चलाने के लिए उसे एक नौकरी की बहुत जरूरत थी, पर उस ने तो कभी घर

से बाहर कदम नहीं निकाला था. अब मजबूरी में उसे कुछ तो करना ही था, इसलिए वह महल्ले के सामाजिक कार्यकर्ता रमेशजी के पास गई.

रमेशजी के पास महल्ले के सभी लोगों की समस्याओं का हल रहता था. रीना की समस्या का हल भी उन्होंने चुटकियों में निकाल दिया. उन्होंने उसे बताया कि एक पापड़ बनाने वाली फैक्टरी में पैकिंग करने वाली औरतों की जरूरत है. वह उस फैक्टरी के मालिक के पास जाए और नौकरी के बारे में जानकारी ले. उम्मीद है कि उसे नौकरी जरूर मिल जाएगी.

यह कह कर रमेशजी ने उसे उस छोटी सी कुटीर उद्योग वाली जगह का पता और फोन नंबर लिख कर दे दिया.

निचली जाति की रीना कम पढ़ीलिखी थी, पर खर्चा चलाने के लिए तो अब घर से निकलना ही था, इसलिए अगले दिन ही उस ने नौकरी करने के लिए फैक्टरी जाने की बात सोची.

पति की मौत के बाद आज रीना ने पहली बार आईने में अपना चेहरा देखा था. माना कि वह विधवा हो चुकी थी, पर अभी उस की उम्र महज 33 साल की ही थी और अब भी उस के जिस्म की खूबसूरती किसी को भी अपनी तरफ खींच सकती थी. उस के बदन की त्वचा गोरी और चमकदार थी और सीने के मांसल हिस्से में कसावट भी थी. रीना अपनी पतली कमर पर जबजब नाभि दिखाते हुए साड़ी बांधती, तब लोग उसे देखते रह जाते थे.

रीना ने हलकी पीली रंग की साड़ी पहनी थी, पर अब तो वह लोकलाज के डर से विधवा होने के नाते कोई  मेकअप भी नहीं कर सकती थी. एक आटोरिकशा वाले को बुला कर उस ने रमेशजी के द्वारा दिए हुए पते पर चलने को कहा.

रीना को तकरीबन 45 मिनट लगे उस फैक्टरी तक पहुंचने में. यह एक छोटी सी फैक्टरी थी. गेट पर बैठे गार्ड से मिल कर वह उस के मालिक प्रकाशराज के पास पहुंची.

प्रकाशराज तकरीबन 45 साल का स्मार्ट सा दिखने वाला मर्द था. रीना ने उसे अपनी मजबूरी के बारे में सब बताते हुए एक नौकरी की मांग की.

‘‘मेहनत से काम करोगी, तो पैसा मिलेगा और टाइम पर आना मत भूलना. इस के अलावा कभीकभार देर तक रुकना भी पड़ सकता है. नानुकर मत करना,’’ कहते हुए प्रकाशराज ने उसे ऊपर से नीचे तक घूरा.

रीना को एक पल को तो लगा था कि प्रकाशराज भी दूसरे मर्दों की तरह है, जो औरतों के जिस्म के अंदर झांकने

की कोशिश करते रहते हैं, इसलिए मालिक को पटाना कोई मुश्किल काम नहीं होगा. अगर मालिक को पटा लिया, फिर तो उस के लिए पैसा कमाना आसान हो जाएगा.

अगले दिन रीना ने तड़के ही जाग कर घर का सारा काम बड़े ही मन से निबटा लिया था. अपनी बेटी को स्कूल जाने के लिए तैयार करते समय रीना ने ढेर सारी नसीहतें भी दे डाली थीं.

आज उस की नौकरी का पहला दिन  था, सो आज सादगी के दायरे में रहते हुए बड़े करीने से रीना ने अपनेआप को तैयार किया था. बादामी रंग की साड़ी और काले रंग के ब्लाउज के बीच उस की गोरी कमर दूर से ही चमक रही थी. खुद को आईने में देख कर वह मुसकरा उठी थी, पर अगले ही पल उसे अपने विधवा होने का खयाल आया, तो उस की मुसकराहट गायब हो गई.

‘तो क्या हुआ, अगर मैं विधवा हूं… पति अगर 2 देशों की लड़ाई में मर गया है, तो इस में मेरा क्या कुसूर है? मु?ो भी तो जीने का हक है,’ यह सोचते हुए रीना ने अपने माथे पर एक छोटी सी बिंदी भी लगा ली.

रीना जब काम पर पहुंची, तो प्रकाशराज ने उस पर एक भरपूर नजर डाली. रीना के अंदर एक घमंड सा भरने लगा था. बौस ने पुराने काम कर रहे लोगों से रीना को काम बताने और सिखाने को कहा और खुद बीचबीच में रीना का काम देखने आने लगा.

रीना वहां पर काम करने वाली दूसरी औरतों से ज्यादा जवान थी. उस का कसावट भरा बदन बहुत सैक्सी था और धीरेधीरे रीना को लगने लगा कि बौस प्रकाशराज उस के काम में ज्यादा दिलचस्पी लेने लगा है और दूसरी औरतों के पास जाने के बजाय उस के पास ज्यादा आता है.

रीना ने शादी से पहले अपने महल्ले की औरतों को आपस में बातें करते सुना था कि चाहे कोई भी मर्द हो, उस की नजरें हमेशा औरतों का सीना देखना चाहती हैं. एक औरत तो अकसर कहती थी :

‘औरत का सीना है एक अनमोल नगीना. जब सीने पर आए पसीना तो मर्दों का मुश्किल हो जीना.’

अपने सीने की गोलाइयों से किसी को भी अपनी ओर खींचना हर औरत को आता है और यह बात अब रीना को भी सम?ा आ गई थी, इसलिए जब भी प्रकाशराज रीना की तरफ नजरें करता, तो वह अपना साड़ी का पल्लू जरा सा नीचे खिसका देती, जिस से उस के सीने का उभरापन हलका सा दिखने लगता. बौस की नजरें उस के सीने के बीच उल?ा जाती थीं.

उसी फैक्टरी में रामकुमार नाम का एक आदमी भी काम करता था, जिस की उम्र 50 साल थी. उस की बीवी मर चुकी थी और पहली बीवी से उस के 2 बच्चे भी थे, फिर भी जब से उस ने विधवा रीना को देखा, तब से ही वह रीना पर लट्टू हो गया और उस से दूसरी शादी रचाने की बात सोचने लगा, इसलिए वह अकसर रीना के आगेपीछे डोलता रहता और एक दिन उस ने मौका देख कर रीना से अपने मन की बात भी कह दी.

रीना को बड़ी उम्र वाले और बदसूरत से दिखने रामकुमार में बिलकुल भी इंटरैस्ट नही था, पर रामकुमार ने रीना को एक से एक महंगे तोहफे देने शुरू कर दिए. उन तोहफों के लालच में रीना ने रामकुमार को झांसा देना शुरू कर दिया था कि वह उस से जल्द ही शादी कर लेगी, पर इस के लिए उसे अपनी बेटी निम्मी को विश्वास में लेना होगा.

रामकुमार इस बात को सच मान बैठा और जम कर रीना पर पैसे उड़ाने लगा. उस ने रीना और निम्मी के लिए नएनए कपड़े, खानेपीने का सामान और मोबाइल ला कर दिया था.

रीना इस बात से मन ही मन खुश हो रही थी, पर वह तो सिर्फ अपने बौस  प्रकाशराज पर डोरे डालना चाह रही थी और यह रामकुमार तो अपनेआप ही पट गया था.

इन सब बातों के अलावा रीना काम तो कर रही थी, पर वह कामचोर थी और मेहनत करने से भी डरती थी. यह रोजरोज नौकरी पर आना और घर जा कर फिर से घरेलू काम निबटाना उसे अच्छा नहीं लग रहा था, इसलिए वह अपने बौस को पटा कर आसानी से ढेर सारे पैसे पाना चाहती थी, पर प्रकाशराज उसे घास ही नहीं डाल रहा था, इसलिए रीना ने एक कदम और आगे बढ़ाने की सोची.

एक दोपहर को लंच टाइम हो रहा था. सब लोग खानेपीने में मस्त थे और प्रकाशराज दरवाजे के पास खड़ा हो कर मोबाइल पर बातें कर रहा था कि तभी रीना अपने सीने के उभारों को थोड़ा और उचका कर आगे की ओर बढ़ते हुए आई और अपने उभारों को बौस के सीने से रगड़ते हुए निकल गई.

बौस प्रकाशराज रीना की इस हरकत को देख कर हैरान रह गया. तभी रीना कुछ भूल जाने का नाटक करते हुए फिर पलटी और प्रकाशराज के सीने से अपनी गोलाइयों को सटा दिया. उस की यह हरकत प्रकाशराज को ठीक नहीं लगी.

‘‘रीना, जा कर अपने काम पर ध्यान दो,’’ बौस ने कहा, तो रीना और भी इठलाने लगी, ‘‘इतना सारा काम तो करती हूं… और कोई काम बताओ तो वह भी कर दूंगी,’’ रीना ने अपने हाथों की उंगलियों को तोड़तेमरोड़ते हुए कहा और मटकते हुए अपनी जगह पर जा कर बेमन से काम करने लगी.

रामकुमार को यों रीना का अपने बौस के आगेपीछे डोलते देखना बिलकुल अच्छा नहीं लगता था.

‘‘देख रीना, बौस पर डोरे डालना ठीक नहीं है. उन में और तुम में बहुत फर्क है. और वैसे भी वे तुम्हें नहीं अपनाने वाले,’’ रामकुमार ने यह बात रीना को सम?ाई.

रीना समझ चुकी थी कि रामकुमार अब उस पर अपना हक सम?ाने लगा है, पर उसे उस का यों टांग अड़ाना ठीक नहीं लग रहा था, इसीलिए अब उस से पीछा छुड़ाना जरूरी लगने लगा था.

भले ही रीना विधवा हो चुकी थी, पर उस का शरीर तो अभी जवान ही था और उस की जवानी की गरमी को ठंडे पानी की बौछार की जरूरत थी. उसे एक मर्द के साथ की चाह थी, जो उस के जिस्म को रातरात भर प्यार करे और अलगअलग आसनों में उठाबिठा कर उस के जिस्म की भूख मिटा दे. जब से रीना अपने बौस से शरीर की नजदीकी बढ़ा रही थी, तब से उस के बदन की ज्वाला और भी भड़क चुकी थी.

एक दिन रामकुमार ने रीना को एक छोटा सा दिल के आकार का लौकेट गिफ्ट किया था और बातोंबातों में वह उस पर शादी करने का दबाव बना रहा था, ताकि उस के बच्चों को मां का प्यार मिल सके, पर रीना थी कि बात को टाले ही जा रही थी. वह तो बस रामकुमार

को इस्तेमाल करना चाहती थी, पर आज रामकुमार के इरादे कुछ और ही नजर आ रहे थे. जब लंच ब्रेक हुआ, तो वह रीना को बाहर खाना खिलाने के बहाने फैक्टरी के बाहर बने एक छोटे से होटल के कमरे में ले गया और कमरा बंद कर के उस ने रीना के होंठों को चूमना और चूसना शुरू कर दिया.

रीना भी सैक्स की प्यासी थी. वह भी रामकुमार का साथ देने लगी. दोनों सबकुछ भूल कर एकदूसरे में समाने की कोशिश करने लगे.

रीना बहुत उतावली हो रही थी. वह जल्दी ही अपनी मंजिल को पा लेना चाहती थी. रामकुमार प्यास भड़काना तो जानता था, पर उसे बुझाना नहीं जानता था. वह जल्दी ही थक कर रीना से अलग हो गया.

रीना बिस्तर पर जल बिन मछली की तरह तड़पने लगी और उस ने नफरत भरे भाव से रामकुमार को झिड़क दिया, ‘‘तुम मुझ से शादी करने की बात करते हो, पर उस के लायक हो नहीं. नामर्द कहीं का…’’ कह कर वह जल्दी से अपने कपड़े पहनने लगी.

अपने बारे में ऐसे शब्द सुन कर रामकुमार बहुत दुखी हो गया. उसे रीना से ऐसी उम्मीद नहीं थी. पर फिर भी इतनी बेरुखी और बेइज्जती सहने के बाद भी रामकुमार का रीना के प्रति मोह भंग नहीं हुआ.

‘‘अरे रीना, तुम तो दोनों हाथों में लड्डू रखना चाह रही हो. अरे, एकएक कर के खाओ,’’ एक दिन रीना की फैक्टरी की एक औरत ने चुटकी ली, तो रीना ने सच उगल दिया और कह दिया कि उस का असली लड्डू तो बौस है, रामकुमार को उस ने अपना खर्चापानी चलाए रखने के लिए पटा रखा है.

रीना के द्वारा कही गई यह बात रामकुमार के कानों तक पहुंचने में देर  नहीं लगी. यह बात सुन कर राजकुमार बेचारा  एक बार फिर रीना के द्वारा छला गया और बेइज्जत महसूस कर रहा था. अब वह रीना से बदला लेना चाहता था, इसलिए उस ने अपने बौस के कान भरने शुरू कर दिए थे.

रामकुमार ने बौस को बताया कि कैसे रीना अपने जिस्म का फायदा उठा कर मर्दों से पैसे वसूलती है और यहां तक कि उन के साथ बिस्तर पर सोने से बाज भी नहीं आती.

अगले 2 दिनों तक रीना ने किसी को बिना बताए ही छुट्टी कर ली और तीसरे दिन जब वह इठलाते हुए औफिस पहुंची, तो बौस प्रकाशराज ने उसे अपने केबिन में बुलाया.

‘‘तुम काम पर ध्यान क्यों नहीं देती?  तुम्हारे काम में बहुत शिकायतें मिल रही हैं. केवल अपना नंगा बदन दिखा कर नौकरी नहीं चल सकती. तुम्हें काम से निकाला जा रहा है. अपना हिसाब ले लो और कल से काम पर आने की जरूरत नहीं है,’’ बौस का लहजा सख्त था.

रीना अगरमगर करती रह गई, पर बौस वहां से जा चुका था. कोई चारा न देख रीना मुंह लटका कर वहां से चली आई.

रीना को नौकरी से हटे हुए 2 महीने चुके थे. घर में रखे हुए पैसे खत्म हो चुके थे और अब घर का खर्चा चलाना मुश्किल हो रहा था. बेटी निम्मी भी फीस के लिए बारबार पैसे मांग रही थी. अभी तक तो तनख्वाह के पैसे मिल जाते थे और रामकुमार से भी हथियाए हुए पैसों से घर का खर्च चलता रहता था, पर अब दोनों जगह से पैसे का आना बंद हो गया था, इसलिए रीना को काफी तंगी महसूस हुई.

ऐसे समय में रीना को रामकुमार की याद आई. उस ने फोन लगा कर रामकुमार से शादी कर लेने की इच्छा जताई, तो रामकुमार ने दोटूक शब्दों में उसे बताया, ‘‘तुम मुझे माफ करो. तुम ने मुझे खूब बेवकूफ बनाया और मैं बनता भी रहा, क्योंकि मैं तो तुम्हारा जिस्म देख कर भटक गया था और 2 बच्चों के होते हुए भी दूसरी शादी करना चाहता था, पर अब मैं अकेले ही इन्हें पालूंगा और इन का ध्यान रखूंगा. मुझे लगता है कि अब मैं ठीक राह पर आ गया हूं.’’

रामकुमार के इस तरह खरा जवाब देने से रीना सन्न रह गई थी. उसे रामकुमार के रूप में एक पैसे उगाही करने का जरीया मिला हुआ था, पर अब वह उस के हाथ से फिसल चुका था और अब उसे कैसे घर का खर्चा चलाना है, यह समझ नहीं आ रहा था. अब तो उसे यह मकान छोड़ कर छोटी सी खोली में जाना पड़ेगा, क्योंकि उस के पास किराया देने के पैसे नहीं हैं.

रीना और उस की बेटी अपना सामान बांध रही थीं और रीना मन ही मन सोच रही थी कि अगर वह पढ़ीलिखी होती, तो कोई अच्छी नौकरी कर सकती थी.

आज रीना और उस की बेटी का भविष्य अंधेरे में है. अब वह कहां से पैसे लाएगी? कौन उसे नौकरी देगा? इन सब सवालों के जवाब उस के पास नही थे.

अपना सामान पैक करतेकरते और इन सवालों के जवाब सोचतेसोचते रीना के गोरे सीने पर ही नहीं, बल्कि उस के पूरे मांसल और सैक्सी बदन पर पसीना आ चुका था, लेकिन अफसोस, उस के खूबसूरत जिस्म पर आए पसीने को देखने के लिए रीना के पास कोई नहीं था.

बेवफाई की सजा : रहमान की शादी

आज से 5 साल पहले रहमान की शादी रेशमा से हुई थी, जो देखने में निहायत ही खूबसूरत और अच्छे डीलडौल की थी. उस की खूबसूरती की मिसाल ऐसे सम?ा जैसे आसमान से कोई अप्सरा उतर कर जमीन पर आ गई हो. गुलाबी होंठ, सुर्ख गाल, काले घने लंबे बाल, उन के बीच में चमकता चेहरा ऐसा लगता था, जैसे बादलों को चीरता हुआ चांद बाहर निकल आया हो.

रेशमा को पा कर रहमान अपनेआप को बहुत खुशनसीब समझ रहा था. उस के बिना एक पल भी रहना मुश्किल ही नहीं, नामुमकिन था.

रहमान अपनी रेशमा को दिलोजान से चाहता था. उस की हर तमन्ना पूरी करने में वह कोई कसर नहीं छोड़ता था. यही वजह थी कि शादी के एक महीने बाद ही रहमान उसे अपने साथ मुंबई ले आया, क्योंकि उस का कारोबार मुंबई में था.

वे दोनों हंसीखुशी अपनी जिंदगी गुजार रहे थे. शादी के एक साल के अंदर ही रेशमा ने एक चांद से बेटे को जन्म दिया, जिसे पा कर रहमान फूला नहीं समा रहा था.

शादी के दूसरे साल ही रेशमा ने एक बेटी को भी जन्म दिया. घर में 2 नन्हेमुन्ने बच्चों के आने से हर समय खुशी का माहौल बना रहता था.

रेशमा के भाई की शादी थी. इस सिलसिले में गांव जाना था. वैसे, हर साल रेशमा के मांबाप मुंबई ही उस से मिलने आ जाते थे. इन 4 सालों में रेशमा को कभी गांव जाने का मौका नहीं मिला था और न ही रेशमा ने कभी गांव जाने की जिद की थी.

रहमान और रेशमा ने अपनी पैकिंग की और बच्चों के साथ गांव चले आए. घर में खुशी का माहौल था. मेहमानों का आनाजाना लगा था. चारों तरफ चहलपहल थी. रेशमा की खुशी का ठिकाना न था. वह अपनी सहेलियों से मिल कर चहक रही थी.

आखिरकार वह  दिन भी आ गया, जब रेशमा के भाई की शादी होनी थी. शाम को सब शादी से लौट कर सोने की तैयारी कर रहे थे. रहमान भी थका हुआ था, इसलिए वह जल्दी सो गया.

रात को जब रहमान की अचानक नींद खुली, तो रेशमा को कमरे में न पा कर वह इधरउधर नजर दौड़ाने लगा. फिर वह छत की तरफ गया, तो वहां किसी लड़के को रेशमा से बात करते सुना.

रेशमा उस लड़के की बांहों में थी और कह रही थी, ‘‘साजिद, मैं तुम्हारे बिना नहीं रह सकती. मैं सिर्फ तुम से प्यार करती हूं. तुम कहां चले गए थे? तुम जानते हो कि मैं तुम से कितना प्यार करती हूं. मुझे अपने साथ कहीं दूर ले चलो.

‘‘पता नहीं तुम कहां गायब हो गए थे. तुम्हारा कुछ अतापता नहीं था और अब्बाअम्मी ने मुझे अपनी कसम दे कर जबरदस्ती मेरी शादी करा दी. मैं तुम्हारे सिवा किसी और के साथ अपनी जिंदगी नहीं गुजार सकती.’’

यह सुनते ही रहमान के पैरों तले जमीन खिसक गई और वह एक जिंदा लाश बन कर धड़ाम से वहीं गिर गया.

जब रहमान की आंख खुली, तो वह नीचे पलंग पर पड़ा था. उस की सास और ससुर हवा कर रहे थे और रेशमा एक कोने में ऐसे बैठी थी, जैसे कुछ जानती ही न हो. उसे अपनी इस हरकत का कोई अफसोस नहीं था.

रेशमा की अम्मी और अब्बू सब जान चुके थे, फिर रेशमा की अम्मी ने जो असलियत रहमान को बताई, उस ने उस के रोंगटे खड़े कर दिए.

रेशमा की अम्मी ने बताया, ‘‘बेटा, वह जो लड़का रेशमा के साथ था, वह मेरी दूर की बहन का बेटा था, जो यहां पास के ही गांव में रहता है. रेशमा उस से प्यार करती थी. एक बार वह उस के साथ घर छोड़ कर भी चली गई थी.

‘‘हम रेशमा को समझबुझ कर यहां ले आए थे. उस की जिद थी कि वह साजिद से ही शादी करेगी, लेकिन साजिद बहुत ही गरीब परिवार का लड़का था. कामकाज कुछ करता नहीं था, दिनभर आवारागर्दी करता फिरता था. कई बार वह चोरी के इलजाम में भी पकड़ा गया था, इसलिए हम ने उस के घर वालों पर दबाव बना कर उसे गांव से दूर दिल्ली जाने पर मजबूर कर दिया.

‘‘उस के एक महीने बाद हम ने रेशमा को सम?ाया कि साजिद बिगड़ा हुआ लड़का है, उस का कुछ अतापता नहीं है कि कहां गायब हो गया है. तुम्हारा रिश्ता आया है. तुम चुपचाप इस रिश्ते के लिए हां कर दो और अगर ऐसा नहीं करोगी, तो हम दोनों अपनी जान दे देंगे.

‘‘कुछ दिनों तक तो रेशमा चुप रही, लेकिन हमारे रोने और घर की इज्जत की दुहाई देने से आखिर उसे हमारा फैसला मानना पड़ा और तुम्हारी शादी उस से हो गई. यही वजह थी कि हम कई साल से रेशमा को घर नहीं लाए थे, उस से वहीं मिलने आ जाते थे.

‘‘हम ने सोचा था कि शादी के कुछ साल बाद रेशमा के सिर से साजिद का भूत उतर जाएगा और शौहर और बच्चों की मुहब्बत में वह साजिद को भूल जाएगी.’’

रहमान चुपचाप उन की बातें सुन रहा था. उस की आंखों से लगातार आंसू बह रहे थे. रेशमा के अम्मीअब्बू उसे दिलासा दे रहे थे और वह सोच रहा था कि रेशमा और उस के अम्मीअब्बू ने उस की जिंदगी क्यों बरबाद कर दी. अगर रेशमा उस के साथ रहने को तैयार नहीं हुई, तो इन मासूम बच्चों का क्या होगा? लेकिन, फिर कुछ सोच कर रहमान ने रेशमा को अपने साथ मुंबई ले जाने का फैसला कर लिया.

अगले ही दिन वे मुंबई के लिए रवाना हो गए. घर पहुंच कर उन दोनों में ज्यादा बातें नहीं हुईं. अगले दिन रहमान फ्रैश हो कर काम पर चला गया, पर अगले कई दिनों तक वे दोनों अनजान की तरह घर में रहे.

अभी इस वाकिए को 3 महीने ही गुजरे थे कि एक दिन रहमान किसी काम से घर जल्दी आ गया. घर का मेन दरवाजा खुला था. जैसे ही वह घर के अंदर दाखिल हुआ, तो वहां का सीन देख कर दंग रह गया. रेशमा अपने आशिक साजिद की बांहों में पड़ी थी.

रहमान उसे देख कर चिल्लाया, तो उस का आशिक झट से खड़ा हो गया. इस बार रेशमा भी चुप न रही और तपाक से बोली, ‘‘मैं साजिद से प्यार करती हूं और इस के बिना नहीं रह सकती.’’

रहमान ने रेशमा को पुलिस की धमकी दी, तो वह बोली, ‘‘जाओ, कहीं भी जाओ. मैं बोल दूंगी कि तुम ने ही इसे यहां बुलाया था और इस से पैसे लिए थे. मुझे मारपीट कर मुझ से गलत काम करवाते हो. देखते हैं कि पुलिस किस की सुनती है. साजिद भी तुम्हारे खिलाफ गवाही देगा.’’

रहमान यह सब सुन कर सन्न रह गया और सोफे पर बैठ गया. रेशमा उठी और अपने कपड़े सही कर के लेट गई.

रहमान रेशमा के सामने खूब रोयागिड़गिड़ाया, ‘‘ऐसी हरकत मत करो, हमारे छोटेछोटे बच्चे हैं. इन का क्या होगा.’’

लेकिन रेशमा ने रहमान की एक न सुनीं. वह बोली, ‘‘मैं बच्चे घर से लाई थी क्या? तुम्हारे बच्चे हैं, तुम पालो.’’

रहमान ने उसी समय रेशमा के अम्मीअब्बू को फोन किया और उन्हें सब बातें बताईं. वे अगले ही दिन मुंबई के लिए रवाना हो गए.

बच्चे भूखेप्यासे रो रहे थे. रेशमा को किसी की परवाह नहीं थी. रहमान बच्चों के लिए खाना लेने बाहर चला गया. वापस आ कर उस ने देखा कि रेशमा घर पर नहीं थी. रहमान ने आसपड़ोस में सब से मालूम किया, पर किसी को उस का कोई पता न था.

थकहार कर रहमान बच्चों को चुप कराने में लग गया, जो अभी तक रो रहे थे. काफी इंतजार के बाद वह पुलिस स्टेशन गया और वहां रेशमा के गायब होने की सूचना दी.

एक पुलिस वाले ने कहा, ‘‘तुम्हारा झगड़ा हुआ होगा. गुस्से में वह कहीं चली गई होगी. उस की रिश्तेदारी में मालूम करो. अगर नहीं मिली, तो 24 घंटे बाद उस की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराना. उस के बाद हम खोजबीन चालू करेंगे.’’

बेइज्जती के डर से रहमान ने रेशमा के अफेयर के बारे में किसी को नहीं बताया, क्योंकि वह उस से सच्ची मुहब्बत करता था. वह नहीं चाहता था कि उस की बदनामी हो.

अगले दिन रेशमा के अम्मीअब्बू भी आ गए. रहमान उस के अब्बू के साथ पुलिस स्टेशन पहुंचा और रेशमा की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करा दी. इस से पहले पुलिस उसे ढूंढ़ती, 4 दिन बाद वह खुद ही पुलिस स्टेशन आ गई.

वहां पर रहमान को भी बुलाया गया. इंस्पैक्टर ने रेशमा से पूछा कि वह कहां गई थी, तो उस ने साफ शब्दों में कह दिया, ‘‘मुझे अपने शौहर के साथ नहीं रहना है. मैं आप के किसी सवाल का जवाब यहां नहीं दूंगी. सब सवालों के जवाब कोर्ट में मेरा वकील देगा. ये रहे केस के कागजात.’’

रेशमा ने रहमान के ऊपर दहेज और मारपीट का केस दर्ज करा दिया था. पुलिस ने कहा कि वह इस में कुछ नहीं कर सकती, क्योंकि अब मामला कोर्ट में है. रेशमा को जाने दिया गया. उस के जाने के कुछ देर बाद रहमान को भी छोड़ दिया गया.

समय गुजरता गया. रेशमा के अम्मीअब्बू भी कुछ दिन बाद अपने गांव चले गए. रहमान के पास कोर्ट की तारीख का मैसेज आया. वह वकील के पास गया. उस ने कहा, ‘‘जब तक नोटिस नहीं आता, तब तक तुम मत आओ.’’

इस तरह तकरीबन एक साल तक कोर्ट की तारीख मैसेज के जरीए रहमान के फोन पर आती रही.

एक दिन रहमान के पास एक अनजान फोन नंबर से मैसेज आया कि ‘मुझे ढूंढ़ने की कोशिश मत करना. मैं अपनी जिंदगी से खुश हूं. मैं तुम से प्यार नहीं करती थी. मेरे अम्मीअब्बू ने जबरदस्ती तुम से मेरी शादी करवा दी थी, इसलिए तुम से छुटकारा पाने के लिए मुझे तुम पर केस करना पड़ा’.

रहमान समझ चुका था कि मेरा एकतरफा प्यार रेशमा को अपना नहीं बना सका. समय गुजरता गया और कुछ ही महीनों में रेशमा ने जो केस उस के ऊपर किया था, उस में उस के हाजिर न होने के चलते केस खारिज हो गया.

इस तरह रहमान की जबरदस्ती की गई शादी ने उस की जिंदगी तो बरबाद की ही, दोनों बच्चे भी अपनी मां की ममता से महरूम रह गए. उन मासूमों की जिंदगी भी मां के बगैर वीरान बन कर रह गई.

रहमान के कई दोस्तों ने उसे दूसरी शादी करने की सलाह दी और कई रिश्ते भी ले कर आए, पर शादी के नाम से तो उसे डर लगने लगा था कि क्या पता कब किस की शादी जबरदस्ती करा दी जाए. वैसे भी, रेशमा ने भले ही रहमान से प्यार नहीं किया, पर वह तो उस से प्यार करता था. उस के लिए उसे भुलाना नामुमकिन था.

इस तरह किसी की गलती की सजा किसी और को मिलती है. यहां रेशमा और उस के अम्मीअब्बू की गलती की सजा रहमान और उस के मासूम बच्चे भुगत रहे थे.

रवीना टंडन पर झूठी शिकायत की गई दर्ज, ‘नशे में चला रही थी गाड़ी’

एक्ट्रेस रवीना टंडन को लेकर एक खबर सामने आ रही है जिसमें उनके खिलाफ किसी ने झूठी शिकायत दर्ज कर दी है.  रवीना टंडन एक जानीमानी एक्ट्रेस है जिन पर इन दिनों झूठे आरोप का मामला चल रहा है, रवीना टंडन के खिलाफ आरोप लगाया गया है कि उनपर नशे में होने, लापरवाही से गाड़ी चलाने और मारपीट करने का आरोप लगाया गया था. टंडन ने ‘वायरल भयानी’ के ‘एक्स’ पोस्ट का स्क्रीनशॉट साझा किया गया और घटना का वीडियो एक सोशल यूजर ने अपन ट्विटर हैंडल पर शेयर किया हैं.


आपको बता दें कि मामला ये है कि रवीना टंडन के चालक पर वाहन से टक्कर मारने का आरोप लगाया गया. वारदात पर बताया गया कि टक्कर मारने के बाद भीड़ नाराज हो गई और झड़प शुरू हो गई थी. जब रवीना भीड़ से बात करने के लिए अपनी गाड़ी से उतरीं तो उनके साथ कथित तौर पर धक्का-मुक्की और मारपीट की गई. सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में रवीना को यह कहते हुए सुना गया है कि ‘कृपया मुझे मत मारो’.

 

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इससे पहले, स्थानीय लोगों और अभिनेत्री के बीच हुई बहस का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ. वीडियो में आसपास के लोगों ने रवीना और उनके ड्राइवर पर एक बुजुर्ग महिला समेत तीन महिलाओं के साथ कथित तौर पर मारपीट करने का आरोप लगाया. वीडियो में एक व्यक्ति यह कहता हुआ सुनाई दिया कि रवीना के चालक ने उसकी मां को टक्कर मारी और जब चालक से इस बारे में पूछा गया तो उसने महिला के साथ मारपीट शुरू कर दी.

हालांकि इस बात की पुष्टी कि ये आरोप झूठे है रवीना ने इंस्टा पेज पर एक पोस्ट शेयर कर लिखा है कि शिकायतकर्ता ने मामले में झूठी शिकायत दर्ज कराई और सीसीटीवी फुटेज की जांच करने के बाद पाया गया कि रवीना की कार ने किसी को टक्कर नहीं मारी और वह नशे में नहीं थी. पोस्ट में कहा गया है कि जोन 9 के पुलिस उपायुक्त (डीसीपी) राजतिलक रोशन ने कहा कि शिकायत झूठी थी.

बैकलेस ड्रेस में शनाया कपूर ने ढाया कहर, फोटोज देख फैंस हुए दीवाने

एक्ट्रेस शनाया कपूर भले ही फिल्मों में अभी तक डब्यू न कर पाई हो लेकिन उनकी हर एक अदा पर फैंस फिदा है. शनाया भी अपने ग्लैमर के चलते मीडिया की लाइमलाइट में बनीं रहती हैं. शनाया की फोटोज सोशल मीडा पर कहर ढाती है. हाल ही में शनाया की कुछ बोल्ड फोटोज सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही है. फैंस उनकी फोटोज देख कमेंट्स करते रूक नहीं रहे है.


आपको बता दें कि शनाया इन दिनों अनंत अंबानी की प्री-वेडिंग फंक्शन के लिए इटली पहुंची है. जहां वे एक से बढ़कर एक फोटोज शेयर कर रहे है, शनाया इटली में बैकलेस गाउन में नजर आई है. एक्ट्रेस यहां बालों को लहराते हुए नजर आ रही है. शनाया की खूबसूरती में यहां चारचांद लग गए है.

शनाया बैकलैस गाउन में अपनी कर्वी फिगर भी फ्लॉन्ट करती हुई दिख रही है. शनाया कपूर के साथ उनकी बेस्ट फ्रेंड सुहाना खान और अनन्या पांडे भी नजर आईं. तीनों ने एक साथ स्माइल पास करते हुए प्यारा पोज दिया. शनाया कपूर और सुहाना खान ने एक साथ फोटो क्लिक करवाई. दोनों एक्ट्रेस ने गाउन पहनकर अपना कर्वी फिगर दिखाया है.


बताते चले कि शनाया कपूर इटली में अनंत अंबानी और राधिका मर्चेंट के प्री-वेडिंग फंक्शन में शामिल होने के लिए गई हैं. शनाया कपूर ने मौका मिलते ही फोटोशूट कराया है. शनाया कपूर का अभी एक्टिंग डेब्यू होना बाकी है. शनाया कपूर के पास साउथ की फिल्म है जिसमें वह सुपरस्टार मोहनलाल के साथ  एक्टिंग करती नजर आएंगी.

पार्ट टाइम जॉब : श्याम का व्यस्त जीवन

दुबलापतला श्याम श्रीवास्तव उर्फ पेपर वाला सवेरेसवेरे रोज की तरह मनोज के कमरे में अखबार देने के लिए दाखिल हुआ. उस ने दरवाजा खोलते ही मनोज की लाश पंखे से लटकी देखी.

इस के बाद अफरातफरी मच गई. कुछ ही समय में एंबुलैंस और पुलिस की गाडि़यों का काफिला, जिस में सीनियर इंस्पैक्टर श्रीप्रकाश, सबइंस्पैक्टर परितेश शर्मा और हवलदार बहादुर सिंह जैसे कई काबिल अफसर शामिल थे, मौका ए वारदात पर पहुंचा.

घर के बाहर लोगों का हुजूम देख कर पुलिस को समझने में देर न लगी कि यही वह जगह है, जहां से उन्हें फोन किया गया था.

पुलिस को देख कर भीड़ एक ओर हट कर खड़ी हो गई. फोन करने वाले श्याम से जब पूछताछ की गई, तो उस ने बताया कि वह शुरू से ही हर रोज मनोज के कमरे में अखबार डालने आता है, पर आज जैसे ही उस ने अखबार देने के लिए दरवाजा खोला, वैसे ही सामने उसे मनोज पंखे से फांसी पर लटका हुआ मिला.

सीनियर इंस्पैक्टर श्रीप्रकाश को अखबार वाले श्याम का बयान थोड़ा खटका. इतने में ही आसपास रह रहे छात्रों से सूचना मिली कि मनोज का पूरा नाम मनोज दास है और अभी कुछ ही महीनों पहले वह कोलकाता से दिल्ली पढ़ने के लिए आया था और आते ही इस स्टूडैंट हब में कमरा किराए पर ले कर रहना शुरू कर दिया था. उस के साथ यहां और कोई नहीं आया था.

मनोज के पिताजी ही उसे शुरू में यहां कमरा किराए पर दिलवा कर गए थे. मनोज यहीं पर अपनी कोचिंग किया करता था.

मनोज की लाश को फौरन जांच के लिए फौरैंसिक लैब भेज दिया गया और उस के कमरे के सामान की छानबीन शुरू कर दी गई.

साइबर ऐक्सपर्ट की मदद से मनोज की कौल हिस्ट्री निकाल ली गई. उन के पिता का नंबर तलाश कर उन्हें सूचना भिजवा दी गई.

पर, एक नंबर था, जिस से मनोज दिन में कई बार बातें किया करता. उस नंबर को ट्रेस करने के बाद सिर्फ  इतना ही मालूम हुआ कि वह नंबर दिल्ली का ही है. इस से ज्यादा पता लगाना मुश्किल था, क्योंकि वह नंबर बिना किसी आइडैंटिटी के खरीदा  गया था.

कमरे की छानबीन से कुछ खास सुबूत तो हाथ न लगा, पर एक बात अभी भी इंस्पैक्टर श्रीप्रकाश के मन में किसी सवाल की तरह घूमे जा रही थी और वह थी अखबार वाले श्याम का बयान, क्योंकि अमूमन अखबार वाला अखबार बालकनी में फेंक देता है या दरवाजे के नीचे से सरका देता?है. उसे इतनी फुरसत कहां होती है, जो सब के हाथ में अखबार पकड़ाए और क्या मनोज ने दरवाजा खोल कर खुदकुशी की थी?

सीनियर इंस्पैक्टर श्रीप्रकाश ने हवलदार को इस श्याम अखबार वाले पर नजर रखने को कहा और साथ ही, खबरियों को भी इस की जानकारी निकलवाने का आदेश दिया.

उधर अगले ही दिन की फ्लाइट से मनोज के मातापिता दिल्ली पहुंचे और थाने जा कर अपना परिचय दिया. अपने बेटे की चादर से ढकी लाश देख कर मनोज के मातापिता का रोरो कर बुरा हाल हो गया.

पुलिस ने मनोज के मातापिता को दिलासा दी और पूछताछ के लिए सीनियर इंस्पैक्टर श्रीप्रकाश के पास ले आए.

मनोज के पिता पुरुषोत्तम दास और माता संगीता दास ने बताया कि मनोज बचपन से ही पढ़ाईलिखाई में काफी होशियार था, जिस के चलते उन्होंने उसे पढ़ने के लिए दिल्ली भेजा था.

इंस्पैक्टर श्रीप्रकाश ने मनोज से मिलतेजुलते और कई सवाल पूछे और फिर उन के बेटे की लाश उन्हें सौंप दी.

अभी मनोज के मातापिता को लाश के साथ विदा किया ही गया था कि एक खबरी से खबर मिली, जिस में उस ने बताया, ‘‘साहब, श्याम का असली रोजगार अखबार बेचना नहीं है. इस के अलावा वह और भी कई गैरकानूनी धंधों में शामिल है, पर पूरी तरह से नहीं.’’

हवलदार बहादुर सिंह ने भी यही बताया, ‘‘श्याम का पिछले कई सालों से छोटीमोटी चोरीचकारी और छीनाझपटी के लिए थानों में नाम आता रहा है, पर इस का नाम ऐसे किसी संगीन मामले में नहीं पाया गया है.’’

सीनियर इंस्पैक्टर श्रीप्रकाश के इशारे पर आधी रात को ही श्याम को घर से उठवा कर थाने में बुलवा लिया गया. शुरुआत में किसी भी सवाल का सही जवाब न मिलने पर श्याम को रिमांड में लेने को कहा गया, जिस से डर कर उस ने तोते की तरह सबकुछ सच उगलना शुरू कर दिया.

बात कुछ महीने पहले की है. श्याम छोटामोटा जेबकतरा था, पर इस काम में आगे जातेजाते उस की मुलाकात कई गैरकानूनी धंधे करने वाले गिरोह से हुई. उन्हीं में से एक था विकी छावरा उर्फ ‘सिकंदर’ जिस का काम बड़ेबड़े रईसजादों के लिए ड्रग्स और लड़कियों की तस्करी करना था. इस काम के लिए उसे दलाल की जरूरत थी.

श्याम भी जानता था कि बड़े कामों में पैसा भी बड़ा है, ऊपर से खुद का भी अलग ही रोब होता है महल्ले वालों में. उस ने धीरेधीरे सिकंदर के करीब  आना शुरू कर दिया और देखते ही देखते उस का खास और भरोसेमंद आदमी बन गया.

श्याम का काम ड्रग्स सप्लाई करने के लिए लड़के तलाशना था और किसी भी तरह उन्हें अपने साथ काम करने के लिए मजबूर करना था, जिस के चलते उस ने अखबार बेचने का काम शुरू कर दिया, जिस से घर से दूर यहां पढ़ने आए छात्रों से बातचीत कर उन के नजदीक आया जाए और नएनए लड़के तैयार किए जाएं.

तकरीबन 5 महीने पहले मनोज भी यहां पढ़ने के लिए आया था. यों तो सभी अपने साथियों के साथ रहा करते थे, पर मनोज अकेला था, जिस से  श्याम का काम कुछ हद तक आसान हो गया था.

कुछ दिनों की दोस्ती में बातों ही बातों में श्याम को पता लगा कि मनोज माली तंगी झेल रहा है, जिस के लिए उसे छोटेमोटे पार्टटाइम जौब की तलाश है.

श्याम ने भी लगे हाथ अपना पत्ता फेंक दिया और कहा, ‘देख मनोज, तुझे पार्टटाइम जौब चाहिए, तो मैं दिलवा सकता हूं. बस डिलीवरी का काम है. पैसा भी किसी फुलटाइम जौब से कम नहीं मिलेगा.’

‘भैया, फिर तो मैं तैयार हूं,’ मनोज ने कहा.

‘अरे, जहां का पता दिया जाए, वहां पर एक छोटी सी थैली पहुंचानी है,’ श्याम ने झूठी हंसी हंसते हुए कहा.

मनोज काम करने के लिए तैयार हो गया. उसे लिफाफे में कुछ दिया जाता और साथ ही एक परची पर पता भी लिख कर दे दिया जाता.

मनोज वह छोटी सी थैली पैंट की जेब में डाल कर उसे दिए गए पते पर छोड़ आता, जिस के बदले में उसे अच्छीखासी रकम नकद मिल जाती.

ऐसे ही कुछ महीनों तक यह सिलसिला चलता रहा. एक दिन मनोज के जेहन में आया कि आखिर छोटी सी थैली में ऐसी क्या कीमती चीज है, जिस के लोग इतने रुपए दे देते हैं.

उस ने थैली को खोल कर देखा. उस के अंदर सफेद चूर्ण सा दिखने वाला कोई पदार्थ था.

मनोज पढ़ालिखा था. उसे शक हो गया कि कहीं यह उसी चीज की थैली तो नहीं, जिस के बारे में उस ने कई फिल्मों में देखा है. उस का शक तब और भी पक्का हुआ, जब उस ने उस सफेद चूर्ण से दिखने वाले पाउडर को सूंघ कर देखा और एहसास हुआ कि उस से इतने दिनों से एक गैरकानूनी काम करवाया जा रहा है.

उस ने तुरंत श्याम को फोन कर धमकी दी कि वह सुबह होते ही उस का भांड़ा फोड़ देगा और उस के खिलाफ केस करेगा.

इधर, श्याम ने यह सारा माजरा सिकंदर को फोन कर के बताया. सिकंदर एक शातिर मुजरिम था. उसे ऐसे हालात से भी मुनाफा कमाना खूब अच्छी तरह से आता था.

उस ने कुछ गुरगे भेज कर मनोज को अपने पास बुलवाया और खूब मीठीमीठी बातों से आदरसत्कार किया.

मनोज नहीं जानता था कि श्याम के भी ऊपर कोई है, जो इन चीजों का मास्टरमाइंड है. सिकंदर की दबंगई देख कर उस का भी दिल सहम गया. उसे महसूस हुआ कि वह ज्यादा पैसा कमाने के चक्कर में कैसे लोगों के चक्कर में फंस चुका है.

सिकंदर ने मीठी जबान में कहा, ‘अरे, क्या है भाई. पढ़ेलिखे हो, समझदार हो, यह पुलिस की धमकी देते हुए अच्छे लगते हो क्या? अच्छा, यह लो, इसे ले जाओ अपने साथ और मजे करो.’

सिकंदर ने अपने बगल में खड़ी एक खूबसूरत लड़की को पकड़ मनोज की ओर धकेल दिया. उस लड़की को देख मनोज का भी दिल बहक सा गया और वह सिकंदर के दिए हुए तोहफे को मना नहीं कर सका.

मनोज उसे अपने घर ले आया. उस लड़की ने मौका पा कर मनोज को बेहोश कर दिया और बाहर हाथ में रस्सी लिए उस लड़की के इशारे ओर देख रहे श्याम और सिकंदर को जैसे ही कमरे के अंदर से उस लड़की का फोन आया, वे दोनों चुपचाप मनोज को रस्सी के सहारे पंखे से लटका कर अपनेअपने ठिकाने पर लौट गए.

अगले दिन योजना के मुताबिक श्याम अनजान आदमी की तरह मनोज के कमरे में अखबार देने गया और खुद शक के घेरे से बाहर निकलने के लिए सामने से पुलिस को फोन कर दिया.

इतना बताने के बाद ही हवलदार बहादुर सिंह फौरैंसिक रिपोर्ट ले कर हाजिर हुआ, जिस में साफसाफ  लिखा था, ‘मौत बेहोशी की हालत में हुई है’.

जाल: आखिर अनस को गिरफ्तार क्यों किया गया

लल्लन मियां ने बहुत मेहनत से यह गैराज बनाया था और आज उन का यह काम इतना बढ़ गया था कि लल्लन मियां के सभी बेटे भी इसी काम में लग गए थे.

पर आजकल गैराज के काम में भी कंपीटिशन बहुत बढ़ गया था. ग्राहक भी यहांवहां बंट गए थे, जिस के चलते धंधा थोड़ा मंदा हो गया था. इस से लल्लन मियां थोड़ा परेशान भी रहते थे. उन की परेशानी की वजह थी कि उन का मकान अभी पूरी तरह से बन नहीं पाया था.  2 कमरे और एक रसोईघर ही थी.

लल्लन मियां के 3 बेटे थे, जिन में से 2 बेटों की शादी हो चुकी थी और तीसरा बेटा अनस अभी तक कुंआरा था.

दोनों बहुओं का दोनों कमरों पर कब्जा हो गया. अम्मीअब्बू बरामदे में सो जाते और अनस आंगन में.

पता नहीं क्यों, पर जब भी अनस के अब्बू उस से रिश्ते की बात करते, तो वह उन की बात सिरे से ही खारिज कर देता.

‘‘अब अनस से क्या कहूं…? तुम्हीं बताओ अनस की अम्मी कि वह अब  25 बरस का हो चुका है… शादी करने की सही उम्र है और फिर फरजाना जैसी अच्छी लड़की भी तो न मिलेगी… पर यह मानता ही नहीं,’’ लल्लन मियां अनस की अम्मी से मशवरा कर रहे थे.

‘‘अजी, आप इतनी गरमी से बात मत करो… जवान लड़का है… क्या पता, कहीं उस के दिमाग में किसी और लड़की का खयाल बसा हो…? मैं अपने हिसाब से पता लगाती हूं,’’ अनस की अम्मी ने शक जाहिर करते हुए कहा.

जुम्मे वाली रात को अम्मी ने अनस को अपने पास बिठाया और पीठ पर हाथ फेरते हुए कहने लगीं, ‘‘देख अनस, तेरे अब्बू ने बड़ी मेहनत से इस परिवार की खुशियों को संजोया है. यह छोटा सा मकान बनवा कर उन्होंने अपने सपनों में सुनहरे रंग भरे हैं और अब हम दोनों ही यह चाहते हैं कि तेरी शादी अपनी इन आंखों से देख लें.’’

‘‘पर अम्मी, मैं तो अभी निकाह करना ही नहीं चाहता,’’ अनस बोला.

‘‘देख बेटा, हर चीज की एक उम्र होती है और तेरी शादी कर लेने की उम्र हो गई है. हां, अगर कोई लड़की खुद  के लिए पसंद कर रखी हो, तो मुझे बेफिक्र हो कर बता सकता है. मैं किसी से नहीं कहूंगी.’’

‘‘नहीं अम्मी, ऐसी तो कोई बात नहीं है,’’ इतना कह कर अनस चला गया.

अगले दिन ही अनस ने शमा से मुलाकात की.

‘‘सब लोग मेरे पीछे पड़े हैं…  शादी कर लो, शादी कर लो,’’ अनस परेशान हालत में कह रहा था.

‘‘तो कर लो शादी… इस में हर्ज ही क्या है?’’ शमा ने हंसते हुए कहा.

‘‘तुम अच्छी तरह से जानती हो शमा कि अब्बू ने बड़ी मुश्किल से 2 कमरे का मकान बनवाया है. उन दोनों कमरों में दोनों बड़े भाई रह रहे हैं. अब तुम ही बताओ कि मैं शादी कर के भला क्या तुम्हें आंगन में बिठा दूं…’’ अनस काफी गुस्से में था.

‘‘अब तो ऐसे में हमारे सामने सिर्फ 2 ही रास्ते हैं… पहला रास्ता यह है कि हम शादी कर लें और उसी घर में जैसेतैसे गुजारा करें. दूसरा रास्ता यह है कि हमतुम पैसे जमा करें और जो छोटीमोटी रकम जमा हो सके, उस  से एक छोटा सा कमरा बनवा लें,’’ शमा ने कहा.

दरअसल, अनस ने अपनी जिंदगी में एक वह समय भी देखा था, जब अब्बू ने प्लाट खरीदने के बाद दीवारें तो खड़ी कर ली थीं, पर पैसों की तंगी के चलते कमरे बनवा पाना उन के बस में नहीं रह गया था.

इस से अनस के दोनों बड़े भाइयों कमर और जफर को दिक्कत हुई, क्योंकि दोनों शादीशुदा थे और दिनभर के काम के बाद अपनी बीवियों के साथ रात गुजारें भी तो कैसे?

हालात कुछ ऐसे बने कि दोनों भाइयों की चारपाई अलग और उन की बीवियों की चारपाई अलग पड़ने लगी.

पर भला ऐसा कब तक चलता? उन सभी की जिस्मानी जरूरत उन लोगों को एकसाथ रात गुजारने को कहती थी, पर हालात के चलते ऐसा हो पाना मुमकिन नहीं लग रहा था.

अपनी जिस्मानी जरूरत और रात गुजारने की मुहिम की शुरुआत करने में पहला कदम बड़े भाई कमर ने उठाया. बड़े ही करीने से कमर ने अपनी चारपाई को दीवार से सटा कर डाल दिया और उस के ऊपर आड़ेतिरछे बांस अड़ा कर एक खाका बनाया और उस के ऊपर से एक बेहतरीन टाट का परदा डाल दिया. अब यह जगह ही कमर और बीवी का ड्राइंगरूम थी और यही जगह उन का बैडरूम भी.

छोटे भाई जफर को यह सब थोड़ा अजीब भले ही लगा हो, पर उस ने कभी हावभाव से कुछ जाहिर नहीं होने दिया. अलबत्ता, कुछ दिनों के बाद उस ने भी दूसरी दीवार के पास अपनी चारपाई डाल कर उसे भी टाट से कवर कर के अपना बैडरूम बना लिया.

कमर और जफर और उन की बीवियां तो अब टाट के परदे के अंदर सोते और बाकी सब लोग आंगन में,

अनस के दोनों बड़े भाई बेफिक्री से रात में अपनी शादीशुदा जिंदगी का मजा लूटते, पर उन लोगों की चारपाई की चूंचूं की आवाज अनस की नींद खराब करने को काफी होती. भाभियों की खनकती चूडि़यां अनस को बिना कुछ देखे ही टाट के अंदर का सीन दिखा जातीं.

कुंआरा अनस आंगन में लेटेलेटे ही बेचैन हो उठता. कुछ समय तक एक खास अंदाज में चारपाई की चूंचूं होती और उस के बाद एक खामोशी छा जाती. कहने को तो हर काम परदे में हो रहा था, पर हर चीज बेपरदा हो रही थी.

अगर किसी रात में कमर की चारपाई पर खामोशी रहती, तो जफर की चारपाई पर आवाजें शुरू हो जातीं. अनस अकसर सोचता कि भला ये आवाजें अम्मीअब्बू को सुनाई नहीं देती होंगी क्या? क्या वे लोग जानबूझ कर इन आवाजों को अनसुना कर देते हैं?

रात में होने वाली इन आवाजों से अनस परेशान हो जाता. उस के भी कुंआरे मन में कई उमंगें जोर मारने लगतीं और वह कभीकभार तो अपने बिस्तर पर ही उठ कर बैठ जाता और जब सुबह के समय गैराज में नींद न पूरी होने के चलते काम में उस का मन नहीं लगता, तब अब्बू और उस के बड़े भाई उसे डांटते.

ये सारी परेशानियां कम जगह और पैसे की तंगी के चलते ही तो थीं. अनस हमेशा ही एक अलादीन के चिराग की खोज में रहता, जिस से उस की सारी माली तंगी दूर हो जाती.

हालांकि वक्त हमेशा एकजैसा नहीं रहता. कमर और जफर ने खूब मेहनत कर के पैसा इकट्ठा किया और छोटेछोटे 2 कमरे बनवा लिए, जिन्हें दोनों शादीशुदा भाइयों ने आपस में बांट लिया.

पर, अनस और अम्मीअब्बू के लिए अब भी कमरा नहीं था. वे सब अब भी बाहर बरामदे में ही सोते थे.

पैसे और जगह की तंगी के चलते ही अनस ने अपने मन में यह फैसला ले लिया था कि जब तक घर में रहने के लिए एक कमरा नहीं बनवा लेगा, तब तक वह शादी के लिए हामी नहीं भरेगा और इसीलिए अनस ने अब तक शादी के लिए हामी नहीं भरी थी.

उस दिन पता नहीं क्यों शमा फोन पर बहुत घबराई हुई थी, ‘हां अनस… आज ही तुम से मिलना जरूरी है… बताओ, कहां और कितनी देर में मिल सकोगे?’

‘‘हां… मिल तो लूंगा… पर सब खैरियत तो है?’’

पर उस की इस बात का शमा ने कोई जवाब नहीं दिया. फोन काटा जा चुका था.

दोपहर को 2 बजे शमा और अनस उसी पार्क में एकसाथ थे, जहां वे अकसर मिला करते थे.

‘‘अब्बू मेरा निकाह कहीं और करने जा रहे हैं… अगर मुझ से निकाह  नहीं करना है तो कोई बात नहीं,’’ शमा ने कहा.

‘‘अरे, ऐसी कोई बात नहीं है. पर जब तक मैं अपने घर में एक कमरा न बनवा लूंगा, तब तक कैसे निकाह कर लूं, तुम्हीं बताओ?’’ अनस ने अपनी परेशानी जाहिर की.

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‘‘हां… मैं तुम्हारे घर की परेशानी समझती हूं, पर एक कमरा न सही तो क्या हुआ, जहां दिलों में गुंजाइश होती है वहां सबकुछ हो जाता है… और फिर मेरे हाथों में भी हुनर है. शादी के बाद मैं भी कशीदाकारी का काम करूंगी और हम दोनों मिल कर पैसे कमाएंगे तो हम एक कमरा बहुत जल्दी ही बनवा लेंगे,’’ शमा ने राह सुझाई.

अनस बेचारा दोराहे पर फंस गया था. अगर वह शमा से निकाह करता है, तो उस के घर में कमरे की परेशानी है. और अगर यह बात सोच कर वह शादी नहीं करता है, तो शमा ही उस की जिंदगी से चली जाएगी… क्या करे और क्या न करे?

इसी ऊहापोह में अनस गैराज में आ कर काम करने लगा, पर उस का मन काम में न लगता था. बारबार उस की आंखों के सामने शमा का चेहरा घूम जाता था और वह खुद को एक हारा हुआ खिलाड़ी महसूस करने लगता था.

एक दिन जब अनस को और कोई रास्ता नहीं सूझा, तो उस ने अपनी और शमा की मुहब्बत के बारे में अम्मी को सबकुछ बता दिया.

अम्मी को अनस की यह साफगोई पसंद आई और उन्होंने भी अब्बू से बात कर के शमा के घर पैगाम भिजवा दिया.

शमा के घर वाले भी सुलझे हुए लोग थे. उन्होंने भी रिश्ता पक्का करने में कोई देरी नहीं की और अनस का निकाह शमा के साथ कर दिया गया.

घर के दोनों कमरों में बड़े भाईभाभियों का कब्जा था. लिहाजा, अपनी शादी की पहली रात में अनस को भी एक दीवार का ही सहारा लेना पड़ा. उस ने अपनी चारपाई एक दीवार के सहारे लगा कर उस पर एक सुनहरे रंग का परदा लगा दिया.

‘‘नई दुलहन के लिए कोई भाभी अपना कमरा 2-4 दिन के लिए खाली नहीं कर सकती थी क्या? पर नहीं… यहां तो बूढ़ों के भी रंगीन ख्वाब हैं,’’ भनभना रहा था अनस.

पूरी रात अनस ने शमा को हाथ भी नहीं लगाया, क्योंकि वह चारपाई से निकलने वाली आवाजों से अनजान न था. अपने मन को कड़ा किए वह चारपाई के एक कोने में बैठा रहा, जबकि शमा दूसरी तरफ. 2 दिल कितने पास थे, पर उन के जिस्म एकदूसरे से कितनी दूर.

अगले दिन से ही अनस को पैसे कमाने की धुन लग गई थी. वह जल्दी से जल्दी पैसे कमा कर अपने और शमा के लिए एक कमरा बनवा लेना चाहता था, इसीलिए गैराज में 12-12 घंटे काम करने लगा था.

एक दिन की बात है, अनस जब गैराज में काम कर रहा था, तभी एक बड़े आदमी की गाड़ी वहां आ कर रुकी. उस गाड़ी के एयरकंडीशनर की गैस निकल जाने के चलते एयरकंडीशनर नहीं चल रहा था और उस में बैठा हुआ आदमी बेहाल हुआ जा रहा था.

अनस ने उस की परेशानी समझी और फटाफट काम में लग गया. तकरीबन आधा घंटे में उस की गाड़ी का एयरकंडीशनर ठीक कर दिया.

‘‘बड़े मेहनती लगते हो… मुझे मेरे काम में भी तुम्हारे जैसे जवान और मेहनती लोगों की जरूरत रहती है… अगर तुम चाहो, तो मेरे साथ जुड़ सकते हो. मैं तुम्हें तुम्हारे काम की अच्छी कीमत दूंगा.’’

‘‘पर, मुझे क्या करना होगा?’’

‘‘एक गाड़ी वाले से गाड़ी का ही काम तो लूंगा न… उस की चिंता मत करो… अगर मन करे, तो मेरे इस पते  पर आ जाना,’’ इतना कह कर वह सेठ चला गया.

यह एजाज खान का कार्ड था, जो दवाओं का होलसेलर था.

अनस पैसे के लिए परेशान तो था ही, इसलिए एक दिन एजाज खान के पते पर जा पहुंचा और काम मांगा.

‘‘ठीक है, तुम्हें काम मिलेगा… पर, मैं तुम से कुछ छिपाऊंगा नहीं. मुझे तुम्हारे जैसे तेज ड्राइवर की जरूरत है, जो रात में ही इस गाड़ी को शहर के बाहर ले जा सके और सुबह होने से पहले वापस भी आ सके.’’

शहर के बाहर वाले पैट्रोल पंप पर एक आदमी तुम्हारे पास आएगा, जिसे तुम्हें ये दोनों डब्बे देने होंगे और वापस यहीं आना होगा.’’

‘‘पर, इन डब्बों में क्या है?’’

‘‘इन डब्बों में ड्रग्स हैं… मैं ड्रग्स का काम करता हूं और इस के शौकीन लोगों को इस की डिलीवरी करवाना मेरी जिम्मेदारी है.’’

अनस अच्छी तरह समझ गया था कि एजाज खान उस से गैरकानूनी काम कराना चाहता?है, पर अपनी शादीशुदा जिंदगी में रंग घोलने के लिए अनस को भी पैसे की जरूरत थी.

अनस को यह काम करने में थोड़ी हिचक तो हुई, पर उस ने इसे करना मंजूर कर लिया. उस ने एजाज खान की गाड़ी शहर से बाहर ले जा कर पैट्रोल पंप पर खड़ी कर के वे डब्बे एक शख्स को दे दिए और वापस आ गया.

एजाज खान ने उसे इस जरा से काम के 25,000 रुपए दिए, तो अनस बहुत खुश हुआ.

‘‘बस शमा… अब देर नहीं है… ये देखो 25,000 रुपए… मुझे एक नया काम मिल गया?है, जिस के जरीए मैं खूब सारे पैसे कमा लूंगा और फिर अपना एक अलग कमरा होगा, जिस में हम दोनों खूब प्यार कर सकेंगे,’’ घर आ कर अनस ने शमा के हाथ को हलके से दबाते हुए कहा. यह सुन कर एक अच्छे भविष्य की कल्पना से शमा की आंखें भी छलछला आईं. 2 दिन बाद अनस के मोबाइल  पर एजाज खान का फोन आया, जिस  में उस ने एक बार और गाड़ी से दवा  की डिलीवरी करने के लिए अनस  को बुलाया.

हालांकि इस बार दवाओं के डब्बों की मात्रा ज्यादा थी, लेकिन पिछली बार की तरह अनस इस बार भी आराम से दवाएं डिलीवर कर आया था और इस के बदले में एजाज खान ने उसे 40,000 रुपए दिए.

अनस से ज्यादा खुश आज कोई नहीं था. वह पैसे ले कर सीधा बाजार पहुंचा और वहां से एक मिस्त्री की सलाह से ईंट, सीमेंट और मौरंग का और्डर कर दिया. वह जल्द से जल्द अपना कमरा बनवा लेना चाहता था.

अनस बिस्तर पर लेटा हुआ था. उस के नथुने में सीमेंट और मौरंग की महक रचबस जाती थी. वह सोच रहा था कि जिंदगी में सारी तकलीफें पैसे की कमी से आती?हैं, पर आज अनस के पास पैसा भी था और मन ही मन में ये सुकून भी था कि अब उसे और शमा को टाट के साए में नहीं सोना पड़ेगा.

रात के 11 बजे होंगे कि अचानक अनस का मोबाइल बजा, उधर से  एजाज खान बोल रहा था, ‘तुम अभी  मेरे पास चले आओ और एक गाड़ी दवा की ले कर तुम्हें शहर के बाहर जाना  है. वहां पर एक आदमी तुम से माल  ले लेगा.’

‘‘पर, अभी तो आधी रात हो रही है. और फिर मैं सोया भी नहीं हूं… मैं कैसे जा सकता हूं.’’

‘ज्यादा चूंचपड़ मत करो और चले आओ… पिछली बार से दोगुना दाम दूंगा… और वैसे भी हमारे धंधे में आने का रास्ता तो है, पर जाने का कोई रास्ता नहीं,’

कह कर एजाज खान ने फोन  काट दिया.

‘‘इतनी रात गए जाना पड़ेगा…?’’ शमा ने पूछना चाहा.

‘‘बस मैं यों गया और यों आया.’’

एजाज खान से गाड़ी ले कर अनस चल पड़ा. हाईवे पर उस की कार तेजी से भागी जा रही थी. अचानक अनस चौंक पड़ा था. सामने पुलिस की

2 जीपें रोड के बीचोंबीच खड़ी थीं. न चाह कर भी अनस को अपनी कार रोकनी पड़ी.

‘‘हमें तुम्हारी गाड़ी चैक करनी है… पीछे का दरवाजा खोलो,’’ एक पुलिस वाले ने कहा.

अनस के माथे पर पसीना आ गया, ‘‘पीछे कुछ नहीं है सर… दवाओं के डब्बे हैं. बस इन्हें ही पहुंचाने जा रहा हूं,’’ अनस ने कहा.

‘‘हां तो ठीक है… जरा हम भी तो देखें कि कौन सी दवाएं हैं, जिन्हें तू इतनी रात को ले जा रहा हैं,’’ पुलिस वाला बोला.

अनस को अब भी उम्मीद थी कि वह बच जाएगा, पर शायद ऐसा नहीं था. पुलिस ने दवा के डब्बे में छिपी हुई चरस बरामद कर ली थी. अनस को गिरफ्तार कर लिया गया.

अनस के हाथपैर फूल गए थे.

अगले दिन खुद पुलिस वालों ने अनस के मोबाइल से उस के घर वालों को सारी सूचना दी. शमा यह खबर सुन कर बेहोश हो गई.

अब अनस को किसी कमरे की जरूरत नहीं थी. उस की बाकी की जिंदगी के लिए तो जेल का ही कमरा काफी था, क्योंकि ड्रग्स के जाल में वह फंस चुका था.

वह लड़का: क्या जतिन का सपना पूरा हुआ

रिवोली थिएटर, थिएटर के सामने एक सुंदर पार्क, पार्क में हर तरफ बिखरी हुई फूलों की छटा, सीमेंटकंकरीट के जंगलों सी फैली ऊंचीऊंची इमारतों के बीच, मुंबई की उमस से थोड़ी सी राहत पाने की एक जगह. शाम के समय घूमते हुए कुछ बुजुर्ग, शोर मचा कर खेलते हुए बच्चे. कुछ युवकयुवतियां हाथ में हाथ लिए, पार्क की बैंचों पर, जगहजगह सटे बैठे, अपने प्यार के सुखद लमहों को जीते हुए और कुछ लफंगे युवक इधरउधर ताकझांक करते हुए.

कामना पार्क के एक बैंच पर अकेली बैठी थी. पार्क के ये नजारे भी उस के अकेलेपन को दूर नहीं कर पा रहे थे. उस के ठीक सामने वाली बैंच पर एक लड़का भी अकेला बैठा हुआ था. कामना पिछले 10 मिनट से देख रही थी कि वह उसे नजरें चुराचुरा कर देख रहा है.

कामना उठी और उस लड़के के पास आ कर खड़ी हुई. जतिन समझ नहीं पाया कि वह लड़की क्यों खड़ी है. उस ने अपने आसपास और आगेपीछे देखा. उस के अलावा वहां कोई और जानपहचान का नहीं था. जब यह निश्चित हो गया कि वह लड़की उसी से मिलने आई है तो वह सकपका गया. शरीर के रोंगटे खड़े हो गए.

23-24 साल की जिंदगी में उस के साथ ऐसा पहले कभी नहीं हुआ. पैदल चलते, बसों में, मुंबई की लोकल ट्रेनों में सफर करते समय, उस ने सैकड़ों लड़कियों के रूप को आंखों से भरते हुए मन में उतारा था. पर कभी कोई लड़की उसे इस प्रकार घूरते हुए देख कर खुद पास नहीं चली आई. उसे पहली नजर में वह लड़की शरीफ घराने की लगी थी. फिर शंका हुई कि वह कहीं चालचलन में खराब तो नहीं है. पर मन नहीं माना. वह जरूर शरीफ घराने की ही है, उस ने अपने मन को समझाया. अब लगा कि यदि उस की सोच सही है तो कहीं वह उसे थप्पड़ मारने का इरादा तो नहीं कर रही है? पार्क में उपस्थित लोगों के सामने शर्मिंदा तो नहीं करना चाहती? एकबारगी जी चाहा कि पार्क छोड़ कर चला जाए पर अंत में वह हिम्मत जुटा कर उस के सामने जा कर खड़ा हो गया.

‘‘बैठो,‘‘ बैंच पर खाली जगह पर बैठते हुए कामना बोली.

जतिन की सांसें जो कुछ देर पहले रुकने लगी थीं, फिर चल पड़ीं. जो कुछ उस ने लड़की के बारे में सोचा था, गलत सिद्ध हो गया. वह शरीफ घराने से ही थी. थप्पड़ मारने और शर्मिंदा करने का उस का कोई इरादा नहीं दिखाई दिया.

‘‘आप बहुत सुंदर हैं,’’ बैठते हुए जतिन ने कहा, ‘‘लाख कोशिशों के बावजूद भी मैं आप के चेहरे से अपनी नजरें नहीं हटा पा रहा था.’’

‘‘सच,’’ कामना ने अपनी नीलीनीली आंखें उस के चेहरे पर गड़ा दीं.

‘‘आप को वहां अकेले नहीं बैठना चाहिए था. ये जो लड़के आप के आसपास मंडरा रहे हैं, अच्छे नहीं हैं,’’ वह बोला.

‘‘मैं जानती हूं पर ये मुझे नहीं छेड़ते. मैं यहां रोज जो आती हूं. वैसे तुम्हारा नाम…’’

‘‘जतिन, और आप का?’’

‘‘कामना,’’ उसे गौर से देखते हुए कामना बोली, ‘‘जतिन, जानते हो मैं तुम्हारे पास क्यों आई? तुम में एक गजब का आकर्षण है. तुम्हें देख कर मुझे लगा, जैसे मेरी बरसों की तलाश पूरी होने जा रही है.’’

‘‘फ्लर्टिंग? ’’ जतिन को अपनी तारीफ सुन कर विश्वास नहीं हुआ.

‘‘बिलकुल नहीं,’’ कामना ने कहा.

‘‘सच तो यह है कि आप जैसी सुंदर लड़की मैं ने इस पार्क में पहले कभी नहीं देखी,’’ जतिन बोला.

‘‘अब तुम फ्लर्ट कर रहे हो?’’

‘‘बिलकुल नहीं.’’

‘‘गुड, मुझे साफ बात करने वाले लड़के ही पसंद हैं. एक बार मुझे फिर से देख कर बताओ कि मैं कैसी लग रही हूं? कोई लड़का यदि लड़की की तारीफ करे तो उसे अच्छा लगता है.’’

जतिन ने इस बार कामना को ऊपर से नीचे तक देखा. ‘‘स्मार्ट, सैक्सी, पार्टीवियर आउटफिट. बिलकुल बेपरवाह हुस्न,’’ उस ने कहा.

‘‘थैंक यू,’’ कामना ने पूछा, ‘‘वैसे करते क्या हो?’’

‘‘एमए कर चुका हूं. अच्छी नौकरी की तलाश में हूं.’’

‘‘मैं ने भी ग्रैजुएशन किया है. मेरी नौकरी करने की मजबूरी नहीं है. पिता हैं नहीं, सिर्फ मां हैं और पिताजी का छोड़ा हुआ खूब पैसा है. सारा दिन सजीसंवरी रहती हूं, दिन में 10 बार सुंदर से सुंदर आउटफिट चेंज करती हूं, मौजमस्ती करती हूं और पैसे लुटाती हूं. बस, यही मेरी जिंदगी है,’’ कामना कुछ गंभीर दिखाई दी.

‘‘फिर यहां पार्क में, अकेले?’’ जतिन ने झिझकते हुए पूछा.

‘‘मां शादी के लिए पीछे पड़ी हैं. न कोई अच्छा लड़का उन्हें मेरे लिए मिला है और न ही मुझे, जिसे मैं पसंद कर सकूं. जब तनाव बढ़ जाता है तो यहां आ कर बैठ जाती हूं. तुम पहले लड़के हो, जो मुझे अच्छे लगे हो. खैर छोड़ो इन बातों को. यह बताओ कि कालेज में सिर्फ फ्लर्टिंग ही की या कभी किसी लड़की के साथ डेटिंग भी की?’’

जतिन ने कामना के पास खिसकते हुए कहा, ‘‘डियर, किस दुनिया में जी रही हो. फ्लर्टिंग, डेटिंग आज आउटडेटिड हो चुके हैं. जवान लोगों की नई मंजिल है, लिव इन रिलेशन की. वैसे अभी तक मुझे डेटिंग का मौका नहीं मिला पर तुम चाहो तो यह संभव हो सकता है,’’ जतिन अब खुलने लगा था.

‘‘कहां ले चलोगे? मुझे तेज रफ्तार पसंद है. पार्क के बाहर मेरी औडी खड़ी है. उसी से यहां आतीजाती हूं. मुश्किल से 50 किलोमीटर की स्पीड आ पाती है. सब तरफ कीड़ेमकोड़ों की तरह इंसानों की भीड़. 100 किलोमीटर से ऊपर स्पीड आए तो आए कैसे? तुम्हारे पास बाइक है? उसी पर चलेंगे. ड्राइव मैं करूंगी,’’ कामना बोली.

जतिन कामना के थोड़ा और करीब खिसक आया और बोला, ‘‘महाबलेश्वर कैसा रहेगा?’’

‘‘नाइस, परसों चलते हैं, लेकिन अभी से मेरे इतने नजदीक मत आओ. मुझ से इतना चिपक कर मत बैठो. मैं काफी समय से पार्क में आ रही हूं. बहुत लोग मुझे जानने लगे हैं. उन्हें थोड़ा अजीब लगेगा.’’

जतिन ने खिसक कर अपने और कामना के बीच फिर से उतनी ही दूरी बना ली, जितनी पहले थी.

‘‘पानीपूरी खाओगे?’’

‘‘श्योर, लेकिन एक शर्त पर.‘‘

‘‘कैसी शर्त?’’

‘‘पैसे मैं दूंगा.’’

‘‘नहीं, पैसे मैं दूंगी. जिंदगी में सिर्फ तुम हो, जो मुझे एक नजर में ही पसंद आ गए हो. क्या मैं इस खुशी को भी सैलिब्रेट नहीं कर सकती? इच्छा तो है किसी फाइवस्टार होटल में चलें. पर जल्दबाजी में कदम नहीं उठाने चाहिए. गिरने का डर रहता है.’’

‘‘पानीपूरी कहां खाओगी?’’

‘‘पार्क के बाहर एक चाट वाला है. वहीं चलते हैं,’’ कहते हुए कामना ने कलाई घड़ी की तरफ निगाह डाली. साढ़े 7 बज रहे थे. ‘‘ओफ, डेढ़ घंटा हो गया,’’ उस के मुंह से  निकला.

‘‘कहीं और जाना है क्या?’’ जतिन ने पूछा.

‘‘नहीं, मां ज्यादा चिकचिक न करें, यही खयाल रहता है. अभी वक्त है. चलो, चलते हैं,’’ कामना बैंच से उठ गई. जतिन भी उस के साथ ही उठ गया.

पानीपूरी खातेखाते जतिन सोच रहा था कि उस की तो लौटरी लग गई है. एक बार इस के दिल में पूरी तरह से समा गया तो फिर चांदी ही चांदी है. अजगर हो जाऊंगा. अजगर कहां नौकरी करते हैं? आराम ही आराम. ऐश और सिर्फ ऐश.

‘‘चलो, अब थोड़ा पार्क में घूमते हैं,’’ पानीपूरी खा कर लौटते हुए कामना ने कहा. दोनों पार्क में आ कर एक छोर से दूसरे छोर तक घूमने लगे. थोड़ी देर बाद कामना ने चुप्पी तोड़ी, ‘‘मुझ से शादी करोगे?’’

जतिन बोला, ‘‘तुम अच्छी तो लगने लगी हो पर मुझे जिंदगी में सैटल होने में अभी कुछ वक्त लगेगा. अच्छी नौकरी मिलना भी तो आसान नहीं है.’’

‘‘लेकिन मैं ज्यादा इंतजार नहीं कर सकती. नौकरी न भी करोगे तो चलेगा. मुझे मां की चिकचिक हमेशा के लिए खतम कर के उन्हें खुश करना है.’’

‘‘फिर तो कोई समस्या ही नहीं है. मैं शादी के लिए तैयार हूं.’’

‘‘एक दिन में जिंदगी के फैसले तो नहीं किए जा सकते. कुछ तुम्हें, मुझे समझना है और कुछ मुझे, तुम्हें. थोड़ा समय तो लगेगा. इसीलिए तो मैं ने डेटिंग के

लिए हामी भरी थी. बस, कुछ दिन डेटिंग, फिर फैसला.’’

‘‘तो फिर एक काम क्यों न करें?

1-2 महीने लिव इन रिलेशनशिप में रह लेते हैं. आजकल तो ट्रायल औफर्स का जमाना है. बिल्डर मकान बना कर बेचते हैं तो एक महीने तक का ट्रायल औफर देते हैं. महीने भर ट्रायल लो. पसंद आए तो खरीदो वरना नहीं. डाक्टर्स ट्रीटमैंट में ट्रायल औफर देते हैं तो होटल खाने में. आजकल हर फील्ड में ट्रायल औफर्स की भरमार है. कालेज में भी तो यही चलन लड़के और लड़कियों के बीच था. इस से एकदूसरे को समझने का मौका मिल जाएगा. बात जमी तो शादी, वरना रास्ते अलगअलग और एकदूसरे को अलविदा. कोई कानूनी कार्यवाही नहीं.’’

‘‘नहीं, यह असंभव है. अब मैं ऐसा कुछ नहीं कर सकती, लाइफ  में मैच्योरिटी आ गई है. ऐसा करते हैं, मैं तुम्हें अपनी मां से मिलवाती हूं. तुम्हारे बारे में उन की राय भी तो जरूरी है, कल एक अच्छी सी ड्रैस पहन कर आ जाना, बाल आज के फैशन के हिसाब से कटवा लेना. उन्हें आधुनिक लड़के पसंद हैं. बाकी मैं संभाल लूंगी,’’ कामना ने जतिन को समझाया.

‘‘कल कितने बजे?’’

‘‘7 या 8 बजे. क्यों टाइम सूट करेगा न? फोन नंबर और पता मैं तुम्हें दे दूंगी.’’

‘‘तो चलो, फिर इसी खुशी में एक मूवी देख ली जाए. डर्टी पिक्चर रिवोली में ही लगी है. क्या बोल्ड डायलौग हैं और विद्या बालन की ऐक्टिंग, एकदम धांसू. तुम्हें पसंद आएगी.’’ जतिन ने शाम को रंगीन बनाने के लिए सुझाव दिया.

‘‘यह पिक्चर तो मैं जरूर देखूंगी, पर तुम्हारे साथ नहीं,’’ कामना ने कहा.

तभी एक सुंदर युवक दोनों के सामने आ खड़ा हुआ. उसे देखते ही कामना रुक गई.

कामना ने युवक से कहा, ‘‘सुहास, इन से मिलो. ये मेरे दोस्त हैं, जतिन. हम दोनों ने शादी करने का फैसला किया है. वास्तव में हम पिछले 2 घंटे से अपनी वैडिंग ही प्लान कर रहे थे.’’

सुहास ने बढ़ कर जतिन से हाथ मिलाया और उसे शादी के लिए बधाई दी.

अब कामना जतिन की तरफ मुड़ी. बोली, ‘‘जतिन, तुम्हारे और मेरे बीच पिछले 2 घंटे में जो कुछ बातें हुईं, सब मनगढ़ंत थीं. सिर्फ टाइमपास. सुहास के यहां पहुंचने तक के लिए. न तो मैं रईस हूं और न ही मेरी मां मेरी शादी के लिए किचकिच करने वाली हैं. मैं भी तुम्हारी तरह ही मध्यवर्गीय परिवार से हूं और सुहास मेरे मंगेतर हैं. जल्दी ही हमारी शादी होने वाली है.

आज मैं इन के साथ यहां डेटिंग के लिए आई हूं. रिवोली में हम डर्टी पिक्चर देखेंगे और डिनर करेंगे. इसीलिए तो मैं ने तुम से थोड़ी देर पहले कहा था कि मैं यह पिक्चर देखूंगी जरूर, पर तुम्हारे साथ नहीं.’’ कामना ने जतिन के चेहरे को पढ़ा, ठगे जाने के हजारों भाव उस के चेहरे पर आजा रहे थे. वह हक्काबक्का, बेजान सा खड़ा कामना की बातें सुने जा रहा था. उस के कानों से गरमगरम लावा बहने लगा था.

कामना ने आगे कहा, ‘‘दरअसल, आज सुहास और मेरी मुलाकात में इतनी देर इसलिए हो गई क्योंकि मैं यहां कुछ जल्दी पहुंच गई और सुहास की लोकल टे्रन लेट हो गई. पार्क में समय गुजारने के लिए जब मैं बैंच पर आ कर बैठी तो कई लफंगे युवकों को अपने आसपास चक्कर लगाते हुए पाया. मैं उन्हें देख कर डर गई.

अचानक मेरी निगाह तुम पर पड़ी. तुम भी मुझे घूर रहे थे. मैं एक नजर में ही पहचान गई कि तुम गुंडे किस्म के लड़के नहीं हो. फिर क्या था? मैं ने तुरंत एक कहानी गढ़ डाली. तुम्हें कहानी का नायक बनाते हुए, हाथ के इशारे से तुम्हें अपने पास बुला डाला. उस के बाद जो कुछ हुआ, तुम्हें बताने की जरूरत नहीं है.’’

‘‘बहुत मजेदार,’’ सुहास बोल उठा.

कामना अब सुहास के हाथों में हाथ डाल कर चल पड़ी. जाते समय जतिन के हाथों में एक चाकलेट पकड़ा दी. उस के गाल पर हलकी सी चपत लगाते हुए बोली, ‘‘बच्चे, जिस कालेज से तुम पढ़ कर निकले हो, वहां मैं प्रोफैसर हूं.’’

कामना जब सुहास के साथ पार्क से बाहर निकल गई तो जतिन की तंद्रा टूटी.

उस के मुंह से कालेज के दिनों वाली गालियां निकलती चली गईं, ‘‘साली… धोखेबाज… लुच्ची… लफंगन.’’

मैं औफिस में एक लड़के को डेट कर रही है, लेकिन मैं शादीशुदा हूं क्या करूं?

सवाल

मैं 34 साल की हूं. मेरे 2 बच्चे हैं. मैं एक प्राइवेट कंपनी में काम करती हूं. औफिस में एक 25 साल का लड़का है, जो मुझे कभी डिनर पर तो कभी लंच पर ले जाने की जिद करता है. न जाने उसे कहां से मालूम हो गया है कि मेरी अपने पति से नहीं बनती है और हम दोनों के बीच झगड़ा चल रहा है. वह लड़का हमेशा मेरे आसपास ही रहता है और मेरा काम भी खुद ही कर देता है. अब मेरा भी उस से लगाव बढ़ता जा रहा है. सोचती हूं कि उस के साथ एक बार लंच पर हो आऊं, पर फिर परिवार का खयाल दिमाग में आते ही मैं पीछे हट जाती हूं. इस बात से मैं बहुत तनाव में रहने लगी हूं. मैं क्या करूं?

जवाब

आप की उलझन कुदरती है. लगता है कि अभी पति से समझाते की गुंजाइश है, इसलिए आप लंच या डिनर पर जाने से हिचक रही हैं. लेकिन, यह समझ लें कि उस लड़के से नजदीकियां बढ़ाने से आप को क्या हासिल होगा. उसे जो हासिल करना है, वह जिस्मानी सुख है, जिस की कोशिश वह आप को पटाते कर ही रहा है.

मुमकिन है कि यह एक कम उम्र लड़के का आकर्षण हो. उस की बातों पर गौर करें कि वह आप के और पति के बीच के झगड़े पर आप को उकसाता है या बात संभालने की कहता है. आप को परिवार का ध्यान है, यह अच्छी बात है. इसलिए पति से अनबन रहते लड़के के साथ न जाएं, क्योंकि पति को अगर पता चलेगा तो वह आप को बदचलन करार देते हुए हंगामा मचा देगा, जबकि अभी ऐसा कुछ है नहीं.

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