रामपुरा कोटा का सब से चर्चित और हलचल वाला इलाका है. अनेक गलीकूचों से घिरा हुआ रामपुरा सिर्फ
रिहायशी क्षेत्र ही नहीं है, बल्कि शहर का सब से बड़ा व्यावसायिक केंद्र भी है. मशहूर कोटा डोरिया साडि़यों से लकदक दुकानें, सर्राफों की अटूट गद्दियों के अलावा स्कूलों और कोतवाली होेने के कारण यहां हरदम लोगों की रेलपेल बनी रहती है.
सर्राफा व्यवसायी अजय जैन अपनी पत्नी संजना जैन और 15 वर्षीय बेटी परिधि के साथ रामपुरा की शनि मंदिर गली में अपने पुश्तैनी मकान में रह रहे थे. नौंवी कक्षा में पढ़ने वाली परिधि ने कोटा का बड़ा कोचिंग संस्थान जौइन कर रखा था. लेकिन अच्छी तैयारी के लिए बजाजखाने में रहने वाले गौरव जैन के यहां भी ट्यूशन पढ़ने जाती थी.
गौरव तथा परिधि के परिवारों में घनिष्ठता थी. गौरव भी पूरी तरह भरोसेमंद और परिवार के सदस्य की तरह था. ऐसे में किशोरावस्था के नाजुक दौर से गुजर रही बेटी को गौरव के पास ट्यूशन के लिए भेजने में अजय जैन दंपत्ति को कोई आपत्ति नहीं थी.
13 फरवरी, 2022 को रविवार होने के कारण ट्यूशन की छुट्टी थी. लेकिन गौरव जैन ने परिधि की मां को एक्स्ट्रा क्लास का हवाला देते हुए परिधि को ट्यूशन के लिए भेजने का आग्रह किया. किंतु संजना ने कहा, ‘‘परिधि की तबियत ठीक नहीं है, ऐसे में उस का ट्यूशन पर आना संभव नहीं है.’’
लेकिन गौरव ने यह कह कर संजना को निरुत्तर कर दिया कि सोमवार को उस का पेपर है. ऐसे में नुकसान परिधि को ही होगा. हालांकि बेटी की नासाज तबियत के कारण संजना उसे भेजने को तैयार नहीं थी. लेकिन गौरव का फिर फोन आया तो परिधि ने भी जाने का मन बना लिया. गौरव ने कहा कि परिधि 11 बजे तक हर हाल में ट्यूशन पर पहुंच जाए.
बजाजखाना कोई ज्यादा दूर नहीं था. इसलिए परिधि पौने 11 बजे ही घर से निकल गई. साढ़े 12 बजे अजय जैन के पास गौरव का फोन आया, उस ने कहा कि आप आ कर बेटी को ले जाएं.
यह कोई नई बात नहीं थी. ट्यूशन के बाद गौरव जैन परिधि को ले जाने के लिए उस के घर फोन कर दिया करता था.करीब एक बजे अजय जैन जब गौरव के घर पहुंचे तो वहां कोई नहीं था. घर के बाहर कुंडी लगी हुई थी. अजय कुंडी खोल कर भीतर गए तो कमरों पर ताले लगे हुए थे. यह देख कर उन की हैरानी का पारावार नहीं था.
उन्होंने गौरव को फोन लगाया तो उस का मोबाइल आउट औफ रेंज बता रहा था. जिस समय अजय जैन बाहर आ कर हकबकाए हुए इधरउधर ताक रहे थे, उन्हें गौरव का चचेरा भाई हर्षद जैन नजर आ गया.
अजय ने लपक कर उसे थाम लिया और गौरव के पिता का फोन नंबर पूछा. हर्षद ने इस बारे में तो अनभिज्ञता जाहिर की. लेकिन वह उन्हें उन की सर्राफा की दुकान तक ले गया.
रविवार की वजह से दुकान तो बंद थी, अलबत्ता बाहर लगे बोर्ड पर उन का फोन नंबर दर्ज था. अजय को तनिक आस बंधी तो उन्होंने तत्काल गौरव के पिता जितेंद्र जैन को फोन लगाया. फोन गौरव की मां नीरू जैन ने उठाया.
अजय ने गौरव की बाबत पूछा तो उन्होंने कहा, ‘‘गौरव तो गुलाबबाड़ी स्थित अपने दोस्त विपिन के यहां जाने की बात कह रहा था. हम लोग तो साढ़े 10 बजे ही घर से एक शादी में जाने के लिए निकल आए थे. हम ने गौरव को भी साथ चलने को कहा था. लेकिन उस ने कहा था कि उसे एक जरूरी मीटिंग में जाना है.’’यह सुन कर अजय परेशान हो गए. उन्होंने जितेंद्र से कहा कि वह अभी गौरव के दोस्त विपिन को फोन कर गौरव के बारे में पूछें या विपिन का नंबर उन्हें दे दें.
कुछ देर बाद गौरव के पिता जितेंद्र का अजय के पास फोन आया. उन्होंने अजय को बताया कि विपिन ने इस बात से साफ इनकार कर दिया है कि गौरव उस से मिला था या उस के घर आया था.
इस के बाद तो अजय की बेचैनी और बढ़ गई. परेशानहाल अजय जैन पूरी तरह पसीने से नहा गए. कांपते लड़खड़ाते पसीने से तरबतर अजय ने पत्नी संजना को साथ लिया और गौरव को ढूंढने निकल पड़े.
इसी दौरान उन्हें बरतन बाजार में गौरव के मातापिता जितेंद्र और नीरू आते दिखाई दिए. उन्होंने पूरा मामला सुना तो वे भी बुरी तरह हैरान रह गए.
अजय और उन की पत्नी संजना को ले कर वे घर की तरफ दौड़े. हड़बड़ाते हुए कमरों के ताले खोले तो वहां गौरव की स्कूटी नदारद थी और उस की मां नीरू की दराज से 9 हजार रुपए गायब थे. ऐसा तो पहले कभी नहीं हुआ था. आखिर क्या मतलब था इस का.गौरव का कमरा मकान की दूसरी मंजिल पर था. एकाएक अजय की नजर कमरे के बाहर कोने पर पड़ी तो उन की हैरानी का पारावार नहीं रहा. वहां परिधि की चप्पलें पड़ी थीं.