नेहा और साइबर कैफे : इंटरनेट की दुनिया

ये उन  दिनों की बात है जब देश में इंटरनेट का क्रेज बढ़ने लगा था. मोबाइल तो तब हर किसी की पहुंच में था ही नहीं. गिने चुने लोगों के पास पत्थर के से वजन के मोबाइल हुआ करते थे. सरकारी/निजी दफ्तरों और साइबर कैफे में ही इंटरनेट जोर पकड़ रहा था. नेहा (बदला हुआ नाम, न भी बदला हो तो कहना ऐसा ही पड़ता है, कोर्ट की रूलिंग आड़े आती है) ने तय किया कि वो भी इंटरनेट सीखे. जरूरी था. बाकि सहेलियां ईमेल का जिक्र किया करती थीं. एमएसएन, याहू के किस्से सुनाया करती थीं. जब भी कहीं उसके सर्किल में कोई याहू मैसेंजर या रैडिफ चैट की बातें करता, वो कोफ्त खाती. आखिर उसे ये सब क्यों नहीं पता.

नेहा ने तय किया वो भी इंटरनेट सीखेगी. उसका भी ऑरकुट पर अकाउंट होगा. सन् 2000 के शुरुआती समय में साईबर कैफे में जाकर एक बंद से कैबिन में 80 रुपए घंटा, 50 रुपए आधा घंटा के हिसाब से इंटरनेट सर्फिंग करना शगल हो चला था. नेहा ने कॉलेज के पास वाले साइबर कैफे में 50 रुपए दिए और आधे घंटे के लिए सिस्टम पर जा बैठी. इंटरनेट एक्सप्लोरर खुला हुआ था. पर करना क्या है उसे कुछ समझ नहीं आया. आज का बच्चा बच्चा कह सकता है कि जो न समझ आए, गूगल से पूछलो.. या यू ट्यूब पर देख लो कि हाऊ टू यूज इंटरनेट फर्स्ट टाइम. पर वो वक्त ऐसा न था. जिसने कभी इंटरनेट नहीं चलाया हो कम से कम एक बार तो कोई बताने वाला होना चाहिए न..

नेहा को लगा, 50 रुपए बर्बाद हो गए. उसे कुछ परेशान होता देख, साइबर कैफे मालिक ने कहा- ‘कोई दिक्कत तो नहीं?’ तकरीबन 24-25 साल के इस गुड लुकिंग गाय को नेहा ने बताया, ‘इंटरनेट सीखना है’. राहुल (सायबर कैफे ऑनर) ने कहा- ‘बस इतनी सी बात. दोपहर 2 से 2.30 नीचे बेसमेंट में आ जाओ. सात दिन की क्लास है. ‘और फीस’ नेहा ने सवाल किया. ‘3 हजार रुपए है, पर आपको 50 परसेंट डिस्काउंट.’

‘मतलब कि मुझे 1500 रुपए देने पड़ेंगे. और अगर सात दिन न आना हो, दो-तीन दिन ही…’ नेहा के ये कहते ही राहुल ने कहा- ‘आप 1000 रुपए दीजिए.. दो या तीन दिन, जब तक सीखना हो सीखो.’ नेहा ने कंप्यूटर स्क्रीन की विंडो मिनिमाइज की और चेयर से उठ खड़ी हुई. बोली- ‘थैंक्स. कल आती हूं 2 बजे. फीस कल ही दूंगी.’ ‘आराम से, कोई जल्दी नहीं है’ राहुल ने मुस्कुरा कर जवाब दिया.

नेहा ठीक 1.55 पर साइबर कैफे के बेसमेंट में कॉपी पैन लेकर मोर्चा संभाल चुकी थी. उसके साथ कोई आठ दस लड़के लड़कियां उस बैच में थे. राहुल ने कंप्यूटर जेंटली ऑन करने, मॉनिटर ऑन करने से लेकर ब्रॉडबेंड आइकन को क्लिक कर मॉडम में नंबर डाइलिंग से शुरुआत की.. और इंटरनेट चलाने के बेसिक्स बताए. आधे घंटे की क्लास शानदार रही. जाते-जाते काउंटर पर राहुल को हजार रुपए दिए और कहा- ‘ये लीजिए फीस.’ राहुल ने मुस्कुराते हुए कहा- ‘ऊं…. अभी नहीं. पहले सीख लो.. फिर दे देना.’ नेहा सरप्राइज थी. उसने मुस्कुरा कर पैसे जींस की जेब में रख लिए. पहले दिन की क्लास से वो उत्साहित थी. इंटरनेट एक्सप्लोरर नाम के नए दोस्त से हुए इंट्रो ने घर तक के पूरे रास्ते उसके चेहरे पर मुस्कान बनाए रखी.

सात दिन बीत चुके थे. नेहा इंटरनेट सर्फिंग का रोज आनंद ले रही थी, राहुल ने अब तक उससे फीस नहीं ली थी. बल्कि अब साइबर कैफे की आधे, एक घंटे की फीस भी वो उससे नहीं ले रहा था. नेहा दो नए दोस्त पाकर खुश थी. नेहा आज याहू मैसेंजर पर अकाउंट बनाकर चैट कर रही थी. ASL (एज, सेक्स, लोकेशन), LOLZ, OMG जैसे नए टर्म लिखे हुए मैसेज देख उत्साहित थी.

‘ओह तो चैटिंग शैटिंग चल रही है’, अचानक पीछे आए राहुल ने कहा. ‘हम्म.. सीख रही हूं.’ नेहा ने जवाब दिया. ‘कैरी ऑन कैरी ऑन.. अब एक घंटा नहीं पूरा दिन भी इंटरनेट पर कम लगने लगेगा. कुछ दिनों में तो घर पर भी सिस्टम लगवा ही लोगी. असल दोस्तों को भूल जाओगी और वर्चुअल दोस्त ही पसंद आएंगे.’ राहुल का तंज समझ नेहा मुस्कुराई और टेबल पर रखे उसके हाथ पर हाथ इस तरह मारा जैसे बिना कहे कह रही हो, ‘चल हट’. ‘अच्छा नेहा थोड़ी देर में नीचे क्लास में आ जाना, आज कुछ स्पेशल सैशन रखा है. नए स्टूडेंट्स भी हैं, बेसिक तो तुम्हीं बता देना सबको.’ ‘मैं’..मैं तो खुद ट्रेनी हूं, मैं क्या बताऊंगी.’ नेहा के जवाब को इग्नोर कर राहुल फुर्ती से नीचे की ओर रवाना हुआ, जाते-जाते सीढ़ी से उसकी आवाज़ जरूर आई, ‘सीयू इन नेक्स्ट 5 मिनट इन बेसमेंट’.

नेहा ने पांच मिनट बाद याहू मैसेंजर से लॉगआउट किया. सिस्टम शट डाउन कर नीचे बेसमेंट की ओर रवाना हो गई. उसे अजीब सा लग रहा था, कि वो कैसे पढ़ाएगी. नीचे जाकर ऐसा कुछ नहीं हुआ. राहुल ने वीपीएन सर्वर के बारे में बताया, कि कैसे आपके ऑफिस में कोई साइट ब्लॉक हो तो आप उसे वहां भी खोल सकते हो. आईटी टीम को बिना पता चले. फ्रैशर्स को सिखाने के लिए एक दूसरे लड़के को कह दिया, जो करीब 15 दिन से क्लास में आ रहा था. नेहा ने राहत की सांस ली. उसने आंखों ही आंखों में राहुल को थैंक्स भी कहा, लंबी सांस लेते हुए. बाकि स्टूडेंट्स अपने अपने टास्क में बिजी थे, नेहा जाने की तैयारी कर ही रही थी कि राहुल से फिर उसकी नजरें मिली, उसने उसकी तरफ आने का इशारा किया. नेहा पर्स वहीं छोड़ डायस पर टेबल के पीछे लगी कुर्सी पर बैठ गई, जो राहुल की कुर्सी के ठीक बराबर थी. सामने टेबल पर राहुल ने इंटरनेट खोल रखा था.  जैसे ही नेहा की नजर स्क्रीन पर गई, वो सकपका गई. राहुल स्क्रीन पर ही नजरें गड़ाए हुए बोला- ‘ये लो नेहा, आज की ये एक्सरसाइज, आगे भी तुम्हारे काम आएगी, ये न देखा तो इंटरनेट पर क्या देखा, तुम्हारे कॉलेज प्रोजेक्ट्स में भी तुम अब एडवांस हो जाओगी.’ राहुल की लैंग्वेज पूरी क्लास को भ्रमित करने के लिए काफी थी, इसीलिए किसी का ध्यान उस ओर गया भी नहीं कि अब तक नेहा पसीने-पसीने हो चुकी है.

स्क्रीन पर पॉर्न साइट खुली हुई थी. राहुल बिलकुल न्यूट्र्ल फेस किए हुए कुछ न कुछ बोले जा रहा था, नेहा अब तक समझ ही नहीं पा रही थी कि वो कैसे रिएक्ट करे. इतने में राहुल ने नेहा के पैर पर हाथ रखा, टेबल कवर होने के कारण उसकी इस हरकत को सामने क्लास में कोई समझ न पाया. नेहा का डर के मारे कलेजा कांप रहा था. उसने उठने की कोशिश की तो राहुल ने जोर से उसे बैठा दिया. ये मानते हुए कि नेहा अब कुछ बोलने वाली है, राहुल ने उसे टोका, ‘नेहा जी ये भी देख लो.’ ये कहते ही राहुल ने वीएलसी प्लेयर पर कर्सर क्लिक किया. वहां एक वीडियो पॉज्ड था. कुछ धुंधला-धुंधला दिखा, लेकिन तीन या चार सैकेंड के बाद ही नेहा को साफ दिख गया कि ये उसी का वीडियो है. नेहा की आंखों से आंसू टपके, लेकिन सामने क्लास को देखते हुए उसने उन्हें पौंछ लिया.

उसने अब तक सिर्फ खबरों में ही पढ़ा था कि बाथरूम्स व्गैरह में हिडन कैमरे से लड़कियों के वीडियो बन रहे हैं. पर खुद को उसका शिकार होते देख वो अब स्तब्ध थी. सात दिन पहले बने दोस्त की मुस्कान के पीछे की दरिंदगी वो समझ ही नहीं पाई. नेहा को याद आ गया था कि तीन दिन पहले वो साइबर कैफे से अपनी फ्रेंड की पार्टी में सीधे गई थी. सुबह की घऱ से निकली हुई थी इसलिए ड्रेस साथ लाई थी. साइबर के वाशरूम में ही उसने ड्रेस चेंज की थी, जो उसकी सबसे बड़ी भूल थी.

राहुल धीरे से फुसफुसाता हुआ बोला- ‘शाम को सात बजे तुम्हारा इंतजार रहेगा, यहीं. बताने की जरूरत तो नहीं न कि न आई तो कल इंटरनेट पर तुम ही धमाल मचाती दिखोगी.’

नेहा झट से सामने अपनी सीट तक आई, टेबल पर रखा पर्स और स्कार्फ उठाया और अपनी स्कूटी की और दौड़ पड़ी.

दोपहर से शाम तक नेहा की हालत बिगड़ी रही, घर वाले सोच रहे थे कि लू लग गई. ‘बार-बार कहते हैं फिर भी ध्यान नहीं ऱखती, धूप में बाहर आती जाती है.’ सब उसे ऐसा कहकर टोक रहे थे. नेहा चाहकर भी किसी को बता न सकी. घबराहट में उसे दो बार वोमिट हुई. कभी राहुल की पोर्न वाली हरकत, तो कभी अपना वीडियो आंखों के सामने आ रहा था. और कभी ये सोचकर ही रूह कांप रही थी कि शाम को वो क्या करने वाला है. इसी बीच मम्मी एप्पल ले आईं. वहीं काटकर उसे खिलाने लगीं. मम्मी ये सोच रही थीं कि भूखे पेट गर्मी असर कर गईं और नेहा चाकू को देख रही थी.

शाम सवा सात बजे नेहा साइबर कैफे पहुंची. जैसा उसने सोचा था, ठीक वैसा ही नजर भी आया. राहुल कैफे में टेबल पर पैर रख कर बैठा था. बत्तियां बुझा रखी थी, बस एक कैबिन की लाइट चल रही थी, उसी से रौशनी बाहर आ रही थी. नेहा को आते देख राहुल ने कहा- ‘आओ जान आओ, तीन दिन से जब से तुम्हें वीडियो में बिना टॉपर के देखा है, इस ही लम्हे का इंतजार कर रहा हूं.’

राहुल ने ये कहते हुए सामने रखा डीओ अपनी पूरी शर्ट और बगलों के नीचे छिड़का. सहमी हुई नेहा कुछ धीमे कदमों से ही राहुल की ओर बढ़ी. राहुल ने होठ आगे कर दिए, इस जबरन हक को मानते हुए, कि जैसा वो पिछले पांच घंटों से इमेजन कर रहा है, अब बस वो होने को है.

एक तेज तमाचे ने राहुल को इमेजिनेशन से बाहर निकाला. उसका गाल पर हाथ पहुंचा ही था कि एक जोर का मुक्का उसकी नाक पर आकर लगा और तेजी से खून बहने लगे. अचानक सकपकाए राहुल ने होठों तक आए खून को हाथ से देखा फिर पागल सा होकर वो नेहा को मारने दौड़ा. वो नेहा की ओर बढ़ा ही था कि बाहर के गेट से दो लड़के दो लड़कियां अंदर आए और नेहा को पीछे कर राहुल को पीटने लगे. चंद मिनटों में राहुल अधमरा हुआ पड़ा था, माफी मांग रहा था. बेशर्मी से बार बार माफी मांग रहा था. नेहा के दोस्तों ने एक-एक कंप्यूटर को खंगाला. साइबर के बाकी सिस्टम्स में तो कुछ नहीं था, एक क्लास रूम और दूसरे ऊपर कैफे एरिया में राहुल के सिस्टम में वॉश रूम की कुछ क्लिप्स थी. क्लास रूम के सिस्टम में ऊपर का ही फोल्डर कॉपी किया हुआ था, जिसमें तकरीबन चार लड़कियों के वॉशरूम वीडियो थे. काफी मार पड़ी तो राहुल गिड़गिड़ाया कि नेहा उसका पहला शिकार ही थी. इंटरनेट पर साइबर कैम के लीक्ड वीडियो देख उसकी भी हिम्मत हुई वो ऐसा करे. नेहा के दोस्तों ने दोनों ही सिस्टम से फोल्डर ऑल्ट प्लस कंट्रोल दबाकर डिलीट किए और फिर गुस्से में दोनों सिस्टम भी तोड़ डाले.

फिर कभी उस साइबर कैफे का ताला खुला किसी ने न देखा. कुछ दिनों बाद वहां एक परचूनी की दुकान खुल गई. राहुल वहां कभी नहीं दिखा, हां, नेहा अक्सर गर्दन ऊंची कर स्कूटी पर वहां से गुजरते हुए नजर आती रही.

छोटू की तलाश : एक रसोइया की कहानी

सु बह का समय था. घड़ी में तकरीबन साढे़ 9 बजने जा रहे थे. रसोईघर में खटरपटर की आवाजें आ रही थीं. कुकर अपनी धुन में सीटी बजा रहा था. गैस चूल्हे के ऊपर लगी चिमनी चूल्हे पर टिके पतीलेकुकर वगैरह का धुआं समेटने में लगी थी. अफरातफरी का माहौल था.

शालिनी अपने घरेलू नौकर छोटू के साथ नाश्ता बनाने में लगी थीं. छोटू वैसे तो छोटा था, उम्र यही कोई 13-14 साल, लेकिन काम निबटाने में बड़ा उस्ताद था. न जाने कितने ब्यूरो, कितनी एजेंसियां और इस तरह का काम करने वाले लोगों के चक्कर काटने के बाद शालिनी ने छोटू को तलाशा था.

2 साल से छोटू टिका हुआ, ठीकठाक चल रहा था, वरना हर 6 महीने बाद नया छोटू तलाशना पड़ता था. न जाने कितने छोटू भागे होंगे.

शालिनी को यह बात कभी समझ नहीं आती थी कि आखिर 6 महीने बाद ही ये छोटू घर से विदा क्यों हो जाते हैं?

शालिनी पूरी तरह से भारतीय नारी थी. उन्हें एक छोटू में बहुत सारे गुण चाहिए होते थे. मसलन, उम्र कम हो, खानापीना भी कम करे, जो कहे वह आधी रात को भी कर दे, वे मोबाइल फोन पर दोस्तों के साथ ऐसीवैसी बातें करें, तो उन की बातों पर कान न धरे, रात का बचाखुचा खाना सुबह और सुबह का शाम को खा ले.

कुछ खास बातें छोटू में वे जरूर देखतीं कि पति के साथ बैडरूम में रोमांटिक मूड में हों, तो डिस्टर्ब न करे. एक बात और कि हर महीने 15-20 किट्टी पार्टियों में जब वे जाएं और शाम को लौटें, तो डिनर की सारी तैयारी कर के रखे.

शालिनी के लिए एक अच्छी बात यह थी कि यह वाला छोटू बड़ा ही सुंदर था. गोराचिट्टा, अच्छे नैननक्श वाला. यह बात वे कभी जबान पर भले ही न ला पाई हों, लेकिन वे जानती थीं कि छोटू उन के खुद के बेटे अनमोल से भी ज्यादा सुंदर था. अनमोल भी इसी की उम्र का था, 14 साल का.

घर में एकलौता अनमोल, शालिनी और उन के पति, कुल जमा 3 सदस्य थे. ऐसे में अनमोल की शिकायतें रहती थीं कि उस का एक भाई या बहन क्यों नहीं है? वह किस के साथ खेले?

नया छोटू आने के बाद शालिनी की एक समस्या यह भी दूर हो गई कि अनमोल खुश रहने लग गया था. शालिनी ने छोटू को यह छूट दे दी कि वह जब काम से फ्री हो जाए, तो अनमोल से खेल लिया करे.

छोटू पर इतना विश्वास तो किया ही जा सकता था कि वह अनमोल को कुछ गलत नहीं सिखाएगा.

छोटू ने अपने अच्छे बरताव और कामकाज से शालिनी का दिल जीत लिया था, लेकिन वे यह कभी बरदाश्त नहीं कर पाती थीं कि छोटू कामकाज में थोड़ी सी भी लापरवाही बरते. वह बच्चा ही था, लेकिन यह बात अच्छी तरह समझाता था कि भाभी यानी शालिनी अनमोल की आंखों में एक आंसू भी नहीं सहन कर पाती थीं.

अनमोल की इच्छानुसार सुबह नाश्ते में क्याक्या बनेगा, यह बात शालिनी रात को ही छोटू को बता देती थीं, ताकि कोई चूक न हो. छोटू सुबह उसी की तैयारी कर देता था.

छोटू की ड्यूटी थी कि भयंकर सर्दी हो या गरमी, वह सब से पहले उठेगा, तैयार होगा और रसोईघर में नाश्ते की तैयारी करेगा.

शालिनी भाभी जब तक नहाधो कर आएंगी, तब तक छोटू नाश्ते की तैयारी कर के रखेगा. छोटू के लिए यह दिनचर्या सी बन गई थी.

आज छोटू को सुबह उठने में देरी हो गई. वजह यह थी कि रात को शालिनी भाभी की 2 किट्टी फ्रैंड्स की फैमिली का घर में ही डिनर रखा गया था. गपशप, अंताक्षरी वगैरह के चलते डिनर और उन के रवाना होने तक रात के साढे़ 12 बज चुके थे. सभी खाना खा चुके थे. बस, एक छोटू ही रह गया था, जो अभी तक भूखा था.

शालिनी ने अपने बैडरूम में जाते हुए छोटू को आवाज दे कर कहा था, ‘छोटू, किचन में खाना रखा है, खा लेना और जल्दी सो जाना. सुबह नाश्ता भी तैयार करना है. अनमोल को स्कूल जाना है.’

‘जी भाभी,’ छोटू ने सहमति में सिर हिलाया. वह रसोईघर में गया. ठिठुरा देने वाली ठंड में बचीखुची सब्जियां, ठंडी पड़ चुकी चपातियां थीं. उस ने एक चपाती को छुआ, तो ऐसा लगा जैसे बर्फ जमी है. अनमने मन से सब्जियों को पतीले में देखा. 3 सब्जियों में सिर्फ दाल बची हुई थी. यह सब देख कर उस की बचीखुची भूख भी शांत हो गई थी. जब भूख होती है, तो खाने को मिलता नहीं. जब खाने को मिलता है, तब तक भूख रहती नहीं. यह भी कोई जिंदगी है.

छोटू ने मन ही मन मालकिन के बेटे और खुद में तुलना की, ‘क्या फर्क है उस में और मुझ में. एक ही उम्र, एकजैसे इनसान. उस के बोलने से पहले ही न जाने कितनी तरह का खाना मिलता है और इधर एक मैं. एक ही मांबाप के 5 बच्चे. सब काम करते हैं, लेकिन फिर भी खाना समय पर नहीं मिलता. जब जिस चीज की जरूरत हो तब न मिले तो कितना दर्द होता है,’ यह बात छोटू से ज्यादा अच्छी तरह कौन जानता होगा.

छोटू ने बड़ी मुश्किल से दाल के साथ एक चपाती खाई औैर अपने कमरे में सोने चला गया. लेकिन उसे नींद नहीं आ रही थी. आज उस का दुख और दर्र्द जाग उठा. आंसू बह निकले. रोतेरोते सुबकने लगा वह और सुबकते हुए न जाने कब नींद आ गई, उसे पता ही नहीं चला.

थकान, भूख और उदास मन से जब वह उठा, तो साढे़ 8 बज चुके थे. वह उठते ही बाथरूम की तरफ भागा. गरम पानी करने का समय नहीं था, तो ठंडा पानी ही उडे़ला. नहाना इसलिए जरूरी था कि भाभी को बिना नहाए किचन में आना पसंद नहीं था.

छोटू ने किचन में प्रवेश किया, तो देखा कि भाभी कमरे से निकल कर किचन की ओर आ रही थीं. शालिनी ने जैसे ही छोटू को पौने 9 बजे रसोईघर में घुसते देखा, तो उन की त्योरियां चढ़ गईं, ‘‘छोटू, इस समय रसोई में घुसा है? यह कोई टाइम है उठने का? रात को बोला था कि जल्दी उठ कर किचन में तैयारी कर लेना. जरा सी भी अक्ल है तु?ा में,’’ शालिनी नाराजगी का भाव लिए बोलीं.

‘‘सौरी भाभी, रात को नींद नहीं आई. सोया तो लेट हो गया,’’ छोटू बोला.

‘‘तुम नौकर लोगों को तो बस छूट मिलनी चाहिए. एक मिनट में सिर पर चढ़ जाते हो. महीने के 5 हजार रुपए, खानापीना, कपड़े सब चाहिए तुम

लोगों को. लेकिन काम के नाम पर तुम लोग ढीले पड़ जाते हो…’’ गुस्से में शालिनी बोलीं.

‘‘आगे से ऐसा नहीं होगा भाभी,’’ छोटू बोला.

‘‘अच्छाअच्छा, अब ज्यादा बातें मत बना. जल्दीजल्दी काम कर,’’ शालिनी ने कहा.

छोटू और शालिनी दोनों तेजी से रसोईघर में काम निबटा रहे थे, तभी बैडरूम से अनमोल की तेज आवाज आई, ‘‘मम्मी, आप कहां हो? मेरा

नाश्ता तैयार हो गया क्या? मुझे स्कूल जाना है.’’

‘‘लो, वह उठ गया अनमोल. अब तूफान खड़ा कर देगा…’’ शालिनी किचन में काम करतेकरते बुदबुदाईं.

‘‘आई बेटा, तू फ्रैश हो ले. नाश्ता बन कर तैयार हो रहा है. अभी लाती हूं,’’ शालिनी ने किचन से ही अनमोल को कहा.

‘‘मम्मी, मैं फ्रैश हो लिया हूं. आप नाश्ता लाओ जल्दी से. जोरों की भूख लगी है. स्कूल को देर हो जाएगी,’’ अनमोल ने कहा.

‘‘अच्छी आफत है. छोटू, तू यह

दूध का गिलास अनमोल को दे आ.

ठंडा किया हुआ है. मैं नाश्ता ले कर आती हूं.’’

‘‘जी भाभी, अभी दे कर आता हूं,’’ छोटू बोला.

‘‘मम्मी…’’ अंदर से अनमोल के चीखने की आवाज आई, तो शालिनी भागीं. वे चिल्लाते हुए बोलीं, ‘‘क्या हुआ बेटा… क्या गड़बड़ हो गई…’’

‘‘मम्मी, दूध गिर गया,’’ अनमोल चिल्ला कर बोला.

‘‘ओह, कैसे हुआ यह सब?’’ शालिनी ने गुस्से में छोटू से पूछा.

‘‘भाभी…’’

छोटू कुछ बोल पाता, उस से पहले ही शालिनी का थप्पड़ छोटू के गाल पर पड़ा, ‘‘तू ने जरूर कुछ गड़बड़ की होगी.’’

‘‘नहीं भाभी, मैं ने कुछ नहीं किया… वह अनमोल भैया…’’

‘‘चुप कर बदतमीज, झठ बोलता है,’’ शालिनी का गुस्सा फट पड़ा.

‘‘मम्मी, छोटू का कुसूर नहीं था. मुझ से ही गिलास छूट गया था,’’ अनमोल बोला.

‘‘चलो, कोई बात नहीं. तू ठीक तो है न. जलन तो नहीं हो रही न? ध्यान से काम किया कर बेटा.’’

छोटू सुबक पड़ा. बिना वजह उसे चांटा पड़ गया. उस के गोरे गालों पर शालिनी की उंगलियों के निशान छप चुके थे. जलन तो उस के गालों पर हो रही थी, लेकिन कोई पूछने वाला नहीं था.

‘‘अब रो क्यों रहा है? चल रसोईघर में. बहुत से काम करने हैं,’’ शालिनी छोटू के रोने और थप्पड़ को नजरअंदाज करते हुए लापरवाही से बोलीं.

छोटू रसोईघर में गया. कुछ देर रोता रहा. उस ने तय कर लिया कि अब इस घर में और काम नहीं करेगा. किसी अच्छे घर की तलाश करेगा.

दोपहर को खेलते समय छोटू चुपचाप घर से निकल गया. महीने की 15 तारीख हो चुकी थी. उस को पता था कि 15 दिन की तनख्वाह उसे नहीं मिलेगी. वह सीधा ब्यूरो के पास गया, इस से अच्छे घर की तलाश में.

उधर शाम होेने तक छोटू घर नहीं आया, तो शालिनी को एहसास हो गया कि छोटू भाग चुका है. उन्होंने ब्यूरो में फोन किया, ‘‘भैया, आप का भेजा हुआ छोटू तो भाग गया. इतना अच्छे से अपने बेटे की तरह रखती थी, फिर भी न जाने क्यों चला गया.’’

छोटू को नए घर और शालिनी को नए छोटू की तलाश आज भी है. दोनों की यह तलाश न जाने कब तक पूरी होगी.

 

जब प्यार में आशिक ही बना गया कातिल

प्रियंका और कृष्णा प्यार की पींगें भर रहे थे. दोनों का प्यार दोस्तों के बीच चर्चा का विषय बन गया था. कृष्णा तिवारी की उम्र जहां 25 वर्ष थी, वहीं प्रियंका श्रीवास 21 साल की थी. दोनों अकसर छत्तीसगढ़ के बिलासपुर शहर की सड़कों पर एकदूसरे का हाथ थामे घूमते हुए दिख जाते.  कृष्णा उसे अपनी बुलेट मोटरसाइकिल पर भी घुमाता था. दोनों का प्रेम परवान चढ़ रहा था.

कृष्णा तिवारी उर्फ डब्बू मूलत: कोनी, बिलासपुर का रहने वाला था और प्रियंका पास के ही बिल्हा शहर के मुढ़ीपार गांव की थी. वह बिलासपुर में अपने मौसा जोगीराम के यहां रह कर बीए फाइनल की पढ़ाई कर रही थी.

एक दिन कृष्णा ने शहर के विवेकानंद गार्डन में घूमतेघूमते प्रियंका से कहा, ‘‘प्रियंका, आज मैं तुम से एक बहुत खास बात कहने जा रहा हूं,जिस का शायद तुम्हें बहुत समय से इंतजार होगा.’’

‘‘क्या?’’ प्रियंका ने स्वाभाविक रूप से कहा.

‘‘मैं तुम से शादी करना चाहता हूं,’’ कृष्णा बोला, ‘‘मैं चाहता हूं कि हम दोनों शादी कर लें या फिर घरपरिवार से कहीं दूर भाग चलें.’’

‘‘नहींनहीं, मैं भाग कर शादी नहीं कर सकती, वैसे भी अभी मैं पढ़ रही हूं. शादी होगी तो मेरे मातापिता की सहमति से ही होगी.’’

‘‘तब तो प्यार भी तुम्हें मम्मीपापा की आज्ञा ले कर करना चाहिए था.’’ कृष्णा ने उस की खिल्ली उड़ाते हुए मीठे स्वर में कहा.

‘‘देखो, प्यार और शादी में बहुत बड़ा फर्क है. तुम मुझे अच्छे लगे तो तुम से दोस्ती हो गई और फिर प्यार हो गया.’’ प्रियंका ने सफाई दी.

‘‘अच्छा, यह तो बड़ी कृपा की आप ने हुजूर.’’ कृष्णा ने विनम्र भाव से कहा, ‘‘अब कुछ और कृपा बरसाओ, मेरी यह इच्छा भी पूरी करो.’’

‘‘देखो डब्बू, तुम मेरे पापा को नहीं जानते. वह बड़े ही गुस्से वाले हैं. मैं मां को तो मना लूंगी मगर पापा के सामने तो बोल तक नहीं सकती. वो तो अरे बाप रे…’’ कहतेकहते प्रियंका की आंखें फैल गईं और चेहरा सुर्ख हो उठा.

‘‘प्रियंका, तुम कहो तो मैं पापा से बात करूं या फिर उन के पास अपने पापा को भेज दूं. मुझे यकीन है कि हमारे खानदान, रुतबे को देख कर तुम्हारे पापा जरूर हां कह देंगे. बस, तुम अड़ जाना.’’ कृष्णा ने समझाया.

‘‘देखो कृष्णा, हमारे घर के हालात, माहौल बिलकुल अलग हैं. मैं किसी भी हाल में पापा से बहस या सामना नहीं कर सकती. तुम अपने पापा को भेज दो, हो सकता है बात बन जाए.’’ प्रियंका बोली.

‘‘और अगर नहीं बनी तो?’’ कृष्णा ने गंभीर होते हुए कहा.

‘‘नहीं बनी तो हमारे रास्ते अलग हो जाएंगे. इस में मैं क्या कर सकती हूं.’’ प्रियंका ने जवाब दिया.

एक दिन कृष्णा तिवारी के पिता लक्ष्मी प्रसाद तिवारी प्रियंका श्रीवास के पिता नारद श्रीवास से मिलने उन के घर पहुंच गए. नारद श्रीवास का एक बेटा और 2 बेटियां थीं. वह किराने की एक दुकान चलाते थे.

लक्ष्मी प्रसाद ने विनम्रतापूर्वक अपना परिचय देते हुए कहा, ‘‘भाईसाहब, मैं आप से मिलने बिलासपुर से आया हूं. आप से कुछ महत्त्वपूर्ण बातचीत करना चाहता हूं.’’

कृष्णा के पिता ने की कोशिश

नारद श्रीवास ने उन्हें ससम्मान घर में बिठाया और खुद सामने बैठ गए. लक्ष्मी प्रसाद तिवारी हाथ जोड़ कर बोले, ‘‘मैं आप के यहां आप की बड़ी बेटी प्रियंका का अपने बेटे कृष्णा के लिए हाथ मांगने आया हूं.’’

यह सुन कर नारद श्रीवास आश्चर्यचकित हो कर लक्ष्मी प्रसाद की ओर ताकते रह गए. उन के मुंह से बोल नहीं फूट रहे थे. तब लक्ष्मी प्रसाद बोले, ‘‘भाईसाहब, मेरे बेटे कृष्णा को आप की बिटिया पसंद है. हालांकि हम लोग जाति से ब्राह्मण हैं, मगर बेटे की इच्छा को ध्यान में रखते हुए आप के पास चले आए. आशा है आप इनकार नहीं करेंगे.’’

यह सुन कर नारद श्रीवास के चेहरे का रंग बदलने लगा. उन्होंने लक्ष्मी प्रसाद से कहा, ‘‘देखो तिवारीजी, आप मेरे घर आए हैं, ठीक है. मगर मैं अपनी बिटिया का हाथ किसी गैरजातीय लड़के को नहीं दे सकता.’’

‘‘मगर भाईसाहब, अब समय बदल गया है. मेरा आग्रह है कि आप घर में चर्चा कर लें. बच्चों की खुशी को देखते हुए अगर आप हां कर देंगे तो यह बड़ी अच्छी बात होगी.’’ लक्ष्मी प्रसाद ने सलाह दी.

‘‘देखिए पंडितजी, मैं समाज के बाहर बिलकुल नहीं जा सकता. फिर प्रियंका के लिए मेरे पास एक रिश्ता आ चुका है. वे लोग प्रियंका को पसंद कर चुके हैं. मैं हाथ जोड़ता हूं, आप जा सकते हैं.’’ नारद श्रीवास ने विनम्रता से कहा तो लक्ष्मी प्रसाद तिवारी अपने घर लौट गए.

घर लौट कर उन्होंने जब बात न बनने की जानकारी दी तो कृष्णा को गहरा धक्का लगा. अगले दिन कृष्णा ने अपनी बुलेट निकाली और नारद श्रीवास की दुकान पर पहुंच गया. उस समय नारद ग्राहकों को सामान दे रहे थे. दुकान के बाहर खड़ा कृष्णा नारद श्रीवास को घूरघूर कर देख रहा था. जब वह ग्राहकों से फारिग हुए तो उन्होंने कृष्णा की ओर मुखातिब होते हुए कहा, ‘‘हां, क्या चाहिए?’’

कृष्णा ने उन से बिना किसी डर के अपना परिचय देते हुए कहा, ‘‘कल मेरे पापा आप के पास आए थे.’’

यह सुनते ही नारद श्रीवास के दिलोदिमाग में बीते कल का सारा वाकया साकार हो उठा, जिसे लगभग वह भुला चुके थे. उन्होंने कहा, ‘‘हां, तो?’’

कृष्णा तिवारी ने कहा, ‘‘आप ने मना कर दिया. मैं इसलिए आया हूं कि एक बार आप से मिल कर अपनी बात कहूं.’’

‘‘देखो, तुम चले जाओ. मैं ने तुम्हारे पिताजी को सब कुछ बता दिया है और इस बारे में अब मैं कोई बात नहीं करूंगा.’’

कृष्णा ने अपनी आंखें घुमाते हुए अधिकारपूर्वक कहा, ‘‘आप से कह रहा हूं, आप मान जाइए नहीं तो एक दिन आप खून के आंसू रोएंगे.’’

‘‘तो क्या तुम मुझे धमकाने आए हो?’’ नारद श्रीवास का पारा चढ़ गया.

‘‘धमकाने भी और चेतावनी देने भी. आप नहीं मानोगे तो अंजाम बुरा होगा.’’ कहने के बाद कृष्णा तिवारी बुलेट से घर वापस लौट गया.

नारद श्रीवास कृष्णा के तेवर देख कर अवाक रह गए. उन्होंने सोचा कि यह लड़का एक नंबर का बदमाश जान पड़ता है. मैं ने अच्छा किया कि इस के पिता की बात नहीं मानी.

उन्होंने उसी दिन अपने साढ़ू भाई जोगीराम श्रीवास को फोन कर के सारी बात बता दी. उन्होंने उन से प्रियंका पर विशेष नजर रखने की बात कही, क्योंकि प्रियंका उन्हीं के घर रह कर पढ़ रही थी.

नारद की बातें सुन कर जोगीराम ने उन से कहा, ‘‘आप बिलकुल चिंता मत करो. मैं खुद प्रियंका से बात कर के देखता हूं और आप लोग भी बात करो. इस के अलावा आप धमकी देने वाले कृष्णा के खिलाफ पुलिस में रिपोर्ट दर्ज करा दो.’’

‘‘नहींनहीं, पुलिस में जाने से हमारी ही बदनामी होगी. मैं अब जल्द ही प्रियंका की सगाई, शादी की बात फाइनल करता हूं.’’ नारद बोले.

21 अगस्त, 2019 डब्बू उर्फ कृष्णा ने प्रियंका को सुबहसुबह लवली मौर्निंग का वाट्सऐप मैसेज भेजा और लिखा, ‘‘प्रियंका हो सके तो मुझ से मिलो, कुछ जरूरी बातें करनी हैं. जाने क्यों रात भर तुम्हारी याद आती रही, इस वजह से मुझे नींद भी नहीं आ सकी.’’

प्रियंका ने मैसेज का प्रत्युत्तर हमेशा की तरह दिया, ‘‘ठीक है, ओके.’’

मौसी ने समझाया था प्रियंका को

प्रियंका रोजाना की तरह उस दिन भी तैयार हो कर कालेज के लिए निकलने लगी तो मौसा और मौसी ने उसे बताया कि वह घरपरिवार की मर्यादा को ध्यान में रखे. कृष्णा से मेलमुलाकात उस के पापा को पसंद नहीं है. तुम्हें शायद यह पता नहीं कि कृष्णा ने मुढ़ीपार पहुंच कर धमकी तक दे डाली है. यह अच्छी बात नहीं है. अगर इस में तुम्हारी शह न होती तो क्या उस की इतनी हिम्मत हो पाती?

मौसी की बातें सुन कर प्रियंका मुसकराई. वह जल्दजल्द चाय पीते हुए बोली, ‘‘मौसी, आप जरा भी चिंता मत करना. मैं घरपरिवार की नाक नहीं कटने दूंगी. जब पापा मुझ पर भरोसा करते हैं, उन्होंने मुझे पढ़ने भेजा है, मेरी हर बात मानते हैं तो मैं भला उन की इच्छा के बगैर कोई कदम कैसे उठाऊंगी. आप एकदम निश्चिंत रहिए.’’

मौसी सीमा ने उसे बताया कि जल्द ही उस की सगाई एक इंजीनियर लड़के से होने वाली है, इसलिए वह कृष्णा से दूर ही रहे.

हंसतीबतियाती प्रियंका रोज की तरह सीपत रोड स्थित शबरी माता नवीन महाविद्यालय की ओर चली गई. वह बीए अंतिम वर्ष की पढ़ाई कर रही थी.

कालेज में पढ़ाई के बाद प्रियंका क्लास से बाहर आई तो कृष्णा का फोन आ गया. दोनों में बातचीत हुई तो प्रियंका ने कहा, ‘‘मैं कालेज से निकल रही हूं और थोड़ी देर में तुम्हारे पास पहुंच जाऊंगी.’’

प्रियंका राजस्व कालोनी स्थित कृष्णा के किराए के मकान में जाती रहती थी. वह मकान बौयज हौस्टल जैसा था. कृष्णा और प्रियंका वहां बैठ कर अपने दुखदर्द बांटा करते थे. प्रियंका ने उस से वहां पहुंचने की बात कही तो कृष्णा खुश हो गया.

कृष्णा घर का बिगड़ैल लड़का था. आवारागर्दी और घरपरिवार से बेहतर संबंध नहीं होने के कारण पिता ने एक तरह से उसे घर से निकाल दिया था. कृष्णा किराए का मकान ले कर रहता था. उस मकान में पढ़ाई करने वाले और भी लड़के रहते थे. उस के पास एक बुलेट थी. अपने खर्चे पूरे करने के लिए वह पार्टटाइम कार वाशिंग का काम करता था.

काफी समय बाद भी प्रियंका कृष्णा के कमरे पर नहीं पहुंची तो वह परेशान हो गया. वह झल्ला कर कमरे से निकला और प्रियंका को फोन किया. प्रियंका ने उसे बताया कि वह अपनी फ्रैंड के साथ है और उस के पास पहुंचने में कुछ समय लगेगा.

कृष्णा उस से मिलने के लिए उतावला था. काफी देर बाद भी जब वह नहीं पहुंची तो उस ने प्रियंका को फिर फोन किया. प्रियंका बोली, ‘‘आ रही हूं यार. मैं अशोक नगर पहुंच चुकी हूं.’’

इस पर कृष्णा ने झल्ला कर कहा, ‘‘मैं वहीं आ रहा हूं. तुम रुको, मैं पास में ही हूं’’

कृष्णा थोड़ी ही देर में अशोक नगर जा पहुंचा. प्रियंका वहां 2 सहेलियों के साथ खड़ी थी.

प्रियंका की बातों से कृष्णा को लगा कि आज उस का रंग कुछ बदलाबदला सा है. मगर उस ने धैर्य से काम लिया. प्रियंका को देख वह स्वाभाविक रूप से मुसकराते हुए बोला, ‘‘प्रियंका, तुम मुझे मार डालोगी क्या? तुम से मिलने के लिए सुबह से बेताब हूं और तुम कह रही हो कि आ रही हूं…आ रही हूं.’’

‘‘तो क्या कालेज भी न जाऊं? पढ़ाई छोड़ दूं, जिस के लिए मैं गांव से यहां आई हूं?’’ प्रियंका ने तल्ख स्वर में कहा.

‘‘मैं ऐसा कहां कह रहा हूं, मगर कालेज से सीधे आना था. 2 घंटे हो गए तुम्हारा इंतजार करते हुए. कम से कम मेरी हालत पर तो तरस खाना चाहिए तुम्हें.’’

‘‘और तुम्हें मेरे घर जा कर हंगामा करना चाहिए. पापा से क्या कहा है तुम ने, तुम ऐसा कैसे कह सकते हो?’’ प्रियंका ने रोष भरे स्वर में कहा.

प्रियंका को गुस्से में देख कर कृष्णा को भी गुस्सा आ गया. दोनों की अशोक नगर चौक पर ही नोकझोंक होने लगी, जिस से वहां लोगों का हुजूम जमा हो गया. तभी एक स्थानीय नेता प्रशांत तिवारी जो कृष्णा और प्रियंका से वाकिफ थे, वहां पहुंचे और उन्होंने दोनों को समझाबुझा कर शांत कराया.

कृष्णा प्रियंका को ले आया अपने कमरे पर

दोनों शांत हो गए. कृष्णा ने प्रियंका को बुलेट पर बिठाया और अपने कमरे की ओर चल दिया. रास्ते में दोनों ही सामान्य रहे. अपने कमरे पर पहुंच कर कृष्णा ने कहा, ‘‘प्रियंका, अब दिमाग शांत करो. मैं तुम्हारे लिए बढि़या चाय बनाता हूं.’’

यह सुन कर प्रियंका मुसकराई, ‘‘यार, मुझे भूख लग रही है और तुम बस चाय बना रहे हो.’’

इस के बाद कृष्णा पास के एक होटल से नाश्ता ले आया. दोनों प्रेम भाव से बातचीत करतेकरते कब फिर से तनाव में आ गए, पता ही नहीं चला. कृष्णा ने कहा, ‘‘तुम मुझ से शादी करोगी कि नहीं, आज मुझे साफसाफ बता दो.’’

प्रियंका ने स्पष्ट शब्दों में कहा, ‘‘नहीं, मैं शादी घर वालों की मरजी से ही करूंगी.’’

हत्या कर कृष्णा हो गया फरार

दोनों में बहस होने लगी. उसी दौरान बात बढ़ने पर कृष्णा ने चाकू निकाला और प्रियंका पर कई वार कर उसे गंभीर रूप से घायल कर दिया. खून से लथपथ प्रियंका को मरणासन्न छोड़ कर वह वहां से भाग खड़ा हुआ. घायल प्रियंका कराहती रही और वहीं बेहोश हो गई.

हौस्टल के राकेश वर्मा नाम के एक लड़के ने प्रियंका के कराहने की आवाज सुनी तो वह कमरे में आ गया. उस ने गंभीर रूप से घायल प्रियंका को बिस्तर पर पड़े देखा तो तुरंत स्थानीय सरकंडा थाने में फोन कर के यह जानकारी थानाप्रभारी जयप्रकाश गुप्ता को दे दी.

जानकारी मिलते ही थानाप्रभारी जयप्रकाश गुप्ता कुछ पुलिसकर्मियों को साथ ले कर राजस्व कालोनी के हौस्टल पहुंच गए. उन्होंने कमरे के बिस्तर पर खून से लथपथ एक युवती देखी, जिस की मौत हो चुकी थी.

थानाप्रभारी ने यह जानकारी अपने उच्चाधिकारियों को भी दे दी. एडीशनल एसपी ओ.पी. शर्मा एवं एसपी (सिटी) विश्वदीपक त्रिपाठी भी मौके पर पहुंच गए. दोनों पुलिस अधिकारियों ने मौकामुआयना करने के बाद उस की लाश पोस्टमार्टम के लिए भेजने के आदेश दिए.

अधिकारियों के जाने के बाद थानाप्रभारी ने प्रियंका की लाश पोस्टमार्टम के लिए भेज दी. हौस्टल के लड़कों से पता चला कि जिस कमरे में प्रियंका की हत्या हुई थी, वह कृष्णा का है. प्रियंका के फोन से पुलिस को उस की मौसी व पिता के फोन नंबर मिल गए थे, लिहाजा पुलिस ने फोन कर के उन्हें अस्पताल में बुला लिया.

प्रियंका के मौसामौसी और मातापिता ने अस्पताल पहुंच कर लाश की शिनाख्त प्रियंका के रूप में कर दी. उन्होंने हत्या का आरोप बिलासपुर निवासी कृष्णा उर्फ डब्बू पर लगाया. पुलिस ने कृष्णा के खिलाफ हत्या की रिपोर्ट दर्ज कर उस की खोजबीन शुरू कर दी. उस का मोबाइल फोन स्विच्ड औफ था. पुलिस को पता चला कि वह रायपुर से नागपुर भाग गया है.

पकड़ा गया कृष्णा

थानाप्रभारी जयप्रकाश गुप्ता व महिला एसआई गायत्री सिंह की टीम आरोपी को संभावित स्थानों पर तलाशने लगी. पुलिस ने कृष्णा के फोटो नजदीकी जिलों के सभी थानों में भी भेज दिए थे.

सरकंडा से करीब 25 किलोमीटर दूर स्थित मुंगेली जिले के थाना सरगांव के एक सिपाही को 23 अगस्त, 2019 को कृष्णा तिवारी सरगांव चौक पर दिख गया. उस सिपाही का गांव आरोपी कृष्णा तिवारी के गांव के नजदीक ही था. इसलिए सिपाही को यह जानकारी थी कि कृष्णा मर्डर का आरोपी है और पुलिस से छिपा घूम रहा है.

लिहाजा वह सिपाही कृष्णा तिवारी को हिरासत में ले कर थाना सरगांव ले आया. सरगांव पुलिस ने कृष्णा तिवारी को गिरफ्तार करने की जानकारी सरकंडा के थानाप्रभारी जयप्रकाश गुप्ता को दे दी.

उसी शाम सरकंडा थानाप्रभारी कृष्णा तिवारी को सरगांव से सरकंडा ले आए. उस से पूछताछ की गई तो उस ने प्रियंका की हत्या करने का अपराध स्वीकार कर लिया. उस की निशानदेही पर पुलिस ने घटनास्थल से एक चाकू भी बरामद किया, जो 3 टुकड़ों में था.

कृष्णा ने बताया कि हत्या करने के बाद वह बुलेट से सीधा रेलवे स्टेशन की तरफ गया. उस समय उस के कपड़ों पर खून के धब्बे लगे थे. उस के पास पैसे भी नहीं थे. स्टेशन के पास अनुराग मानिकपुरी नाम के दोस्त से उस ने 500 रुपए उधार लिए और रायपुर की तरफ निकल गया.

कृष्णा तिवारी उर्फ दब्बू से पूछताछ कर पुलिस ने उसे 24 अगस्त, 2019 को मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी, बिलासपुर के समक्ष पेश किया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया.

कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

दाऊद इब्राहिम का फिल्मी कनेक्शन, इन एक्टर से भी रहे है रिलेशन

दाउद इब्राहिम मोस्ट वोन्टेड अपराधियों में से एक रहा है. उसे 1993 में हुए मुंबई बम धमाकों का मास्टरमाइंड भी बताया गया. दाउद के कनेक्शन काफी बड़े लोगों जैसे बिजनेसमैन, फिल्म स्टार्स से माना जाता है . उनका बौलीवुड से भी पुराना नाता है. दाउद इब्राहिम के कई एक्टर्स से रिलेशन रहे हैं . साथ ही मायानगरी की कई हसीनाओं से संबंध भी रहे हैं. यही वजह है कि दाउद को केंद्र में रख कर कई फिल्में भी बनीं है. इसमें से कुछ में दाउद की स्टोरी दिखाई गई है. तो आइए आपको बताते हैं इनसे जुड़ी फिल्मी और रिलेशशिप के बारे में.

इन एक्ट्रैस से रहे दाउद के संबंध

बौलीवुड और अंडरवर्ल्ड का एक समय पर करीब का रिश्ता रहा है. सेलेब्स की अंडरवर्ल्ड के साथ दोस्ती रही है. इस वजह से उन्हें बहुत मुश्किलों का सामना करना पड़ा था. अंडरवर्ल्ड के साथ दोस्ती कई सेलेब्स को भारी पड़ी थी. लेकिन दाउद का कई एक्ट्रेस के साथ रिलेशन भी रहे थे. ऐसे में एक एक्ट्रेस थी अनीता अयूब है. ये एक पाकिस्तानी एक्ट्रेस हैं.

अनीता अयूब पाकिस्तान की रहने वाली हैं. वो पाकिस्तान में पढ़ाई करने के बाद मौडलिंग करने के लिए इंडिया आ गई थीं. यहां पर कई एड और मौडलिंग करने के बाद अनीता ने बौलीवुड में कदम रखा था. उन्होंने देव आनंद की फिल्म प्यार का तराना से डेब्यू किया था. उसके बाद उन्होंने कई फिल्मों में काम किया था. अनीता ने देव आनंद के साथ ही गैंगस्टर में काम किया था. इसी दौरान उनकी दाऊद इब्राहिम के साथ अफेयर की खबरें आने लगी थीं. इसके अलावा दाउद का कई एक्ट्रेस पर दिल आया. जिनपर दिल आया कई तो इंडस्ट्री से ही गायब हो गई.

बताया जाता है कि फिल्म ‘वीराना’ में नजर आने एक्ट्रेस जैस्मिन धुन्ना ने दाउद से परेशान होकर इंडिया छोड़ दिया था. जैस्मिन को पहचान मिली थी साल 1988 में आई अपनी इसी भूतिया फिल्म वीराना से. फिल्म में एक्ट्रेस की खूबसूरती ने हर किसी को दीवाना बना लिया था. गैंगस्टर दाऊद इब्राहिम के साथ जैस्मिन के रोमांस की खबरें थीं और फिर अचानक गायब हो गई.

राम तेरी गंगा मैली फेम एक्ट्रेस मंदाकिनी और अंडरवर्ल्ड डौन दाऊद इब्राहिम की डेटिंग की खबरों ने भी हर किसी को हैरान कर दिया. कुछ रिपोर्ट्स ऐसे भी हैं जिसमें कहा गया है कि मंदाकिनी को फिल्मों में कास्ट करने के लिए फिल्ममेकर को सीधे दाऊद से धमकी मिलती थी.

बौलीवुड के इन हीरों से रहे दाउद के कनेक्शन

अक्षय कुमार (Akshay Kumar)

अक्षय कुमार का नाम भी दाऊद के साथ जोड़ा गया था. खबरों की माने तो अक्षय कुमार और उनकी पत्नी ट्विंकल खन्ना दाऊद इब्राहिम की पार्टी में शामिल होते थे.

संजय दत्त (Sanjay Dutt)

बौलीवुड के संजय दत्त का नाम 1993 के बम धमाकों में भी आया था. उस समय दाऊद इब्राहिम से संजय दत्त का नाम जोड़ा गया था. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार तो संजय का दाऊद के साथ करीबी कनेक्शन था.

फिरोज खान (Feroz Khan)

दाऊद से कनेक्शन के लिए फिरोज खान विवादो में रहे थे. कहा जाता है की संजय दत्त की मुलाकात दाऊद से फ़िरोज़ ने ही करवाई थी. जिसके चलते वो काफी सुर्ख़ियों में रहे थे.

दाउद इब्राहिम पर बनीं है फिल्में

डी कम्पनी (D Company)

डी कम्पनी फिल्म साल 2013 में आई थी, जिसके बारे में कहा जाता है कि यह इंडिया के मोस्ट वांटेड क्रिमिनल दाउद इब्राहिम की रियल स्टोरी पर बेस्ड है. इस मूवी को अमेजॉन प्राइम वीडियो पर देखा जा सकता है.

शूटआउट एट लोखंडवाला (Shootout At Lokhandwala)

यह अंडरवर्ल्ड पर आधारित फिल्म है, जिसमें कथित तौर पर दाउद इब्राहिम से जुड़ी घटनाओं को दिखाया गया है. यह मूवी भी काफी चर्चा में रही थी और इसमें गैंगस्टर्स की लाइफ को करीब से दिखाया गया

हसीना पारकर (Haseena Parkar)

साल 2017 में आई फिल्म हसीना पारकर दाउद इब्राहिम की बहन हसीना पारकर से प्रेरित है, जिसमें श्रद्धा कपूर लीड रोल में नजर आई थी. हालांकि यह मूवी कुछ खास कमाल नहीं कर पाई, इस फिल्म को जी 5 पर देखी जा सकती हैं.

सलमान खान से जुड़े है ये विवाद, कभी जेल, तो कभी ऐश के साथ मारपीट

बौलीवुड के खान यानि सलमान खान को उनके फैंस और दोस्त सल्लू मियां के नाम से बुलाते हैं . उनका दुनियाभर में नाम है. वे अपनी फिल्मों को लेकर चर्चा में बने रहते है उतना ही वे अपनी पर्सनल लाइफ को लेकर चर्चा में रहते हैं. इन दिनों बिग बौस की वजह से सलमान फैन्स के दिलों दिमाग में छाए हुए है. उनकी मेहनत उनको इस मुकाम पर ले आई है कि बच्चे बच्चे को उनकी पहचान है.

सलमान खान इन दिनों वैसे तो बिग बौस 18 होस्ट करने में बिजी है लेकिन सलमान खान का नाम इन सबके अलावा विवादों में भी आता रहता है. साफ शब्दों में कहें तो सलमान खान और विवाद दोनों एक साथ ही चलते रहते है. सलमान खान कई बार कंट्रोवर्सीज का शिकार हो चुके हैं तो कई बार मौत की आहट को सुन रहे होते हैं .

जी हां, इन दिनों एक बार फिर से सलमान खान पर गैंगस्टर लौरेंस बिश्नोई का खतरा मंडरा रहा है. वे फिर से टाइट सिक्योरिटी को लेकर सुर्खियों में बने हुए हैं लेकिन सलमान खान से जुड़े विवादों की लिस्ट तो बहुत लंबी है लेकिन यहां हम आपको बता रहे हैं सलमान खान के कुछ पौपुलर विवादों के बारे में, जिनके कारण सलमान खान को दर्शकों की नफरत का भी सामना करना पड़ा और इससे उनको करियर को भी नुकसान पहुंचा.

सलमान खान का काले हिरण शिकार मामले का विवाद

पहला और सबसे विवादित सलमान खान का केस रहा है काले हिरण का शिकार. बौलीवुड के दबंग सलमान खान को काले हिरण शिकार मामले में 5 साल की सजा सुनाई गई थी. शिकार मामले में जेल जाना पड़ा था. ये विवाद ‘हम साथ-साथ हैं’ फिल्म की शूटिंग के दौरान हुआ था. रिपोर्ट्स के अनुसार, उस समय सलमान खान अपने कोस्टार्स सैफ अली खान, सोनाली बेंद्रे, तब्बू और नीलम के साथ शिकार के लिए निकले थे और दो काले हिरणों को गोली मार दी थी. इस मामले में सलमान खान को जेल की हवा खानी पड़ी थी.

सलमान खान का ऐश्वर्या राय के साथ मारपीट का विवाद

सलमान खान और ऐश्वर्या राय के अफेयर के चर्चे तो खूब सुने होंगे, लेकिन सलमान एक बार तब भी विवाद में आ गए थे जब उनकी विश्व सुंदरी ऐश्वर्या के साथ मारपीट की खबर मीडिया में सुर्खियों में थी. यह किस्सा है संजय लीला भंसाली की फिल्म ‘हम दिल दे चुके सनम’ की शूटिंग के दिनों का. इस फिल्म में दोनों एक साथ काम करते हुए एक दूसरे के करीब आ गए थे. लेकिन ऐश्वर्या को लेकर सलमान इतने ज्यादा पज़ेसिव हो गए थे कि वो उन पर जरूरत से ज्यादा अधिकार जमाने लगे थे.

ऐश्वर्या को बात-बात पर रोकने-टोकने लगे थे. ऐश्वर्या जिस हीरो के साथ काम करती सलमान उस पर शक करने लग जाते थे. ख़बरों के अनुसार, सलमान खान एक रात ऐश्वर्या की बिल्डिंग पहुंचे, उन्होंने नशे में ऐश्वर्या का दरवाजा पीटा. ऐसा कहा जाता है कि सलमान खान ने ऐश्वर्या के साथ मारपीट भी की और उनके पिता के साथ भी बुरा व्यवहार किया. उस वक्त ये खबर भी सुर्ख़ियों में थी कि ऐश्वर्या के पिता ने सलमान के खिलाफ थाने में केस दर्ज कराया था. बात जब ऐश्वर्या के बर्दाश्त से बाहर हो गई, तो उन्होंने सलमान से रिश्ता तोड़ दिया था.

सलमान खान का विवेक ओबेरोय के साथ विवाद

सलमान खान और विवेक ओबेरोय के कोल्ड वार के बारे में कौन नहीं जानता. ऐश्वर्या राय की वजह से इन दोनों के बीच झगड़ा शुरू हुआ था. विवेक ओबेरोय ने प्रेस कौन्फ्रेंस आयोजित करके सलमान खान पर ये आरोप लगाया कि सलमान ने उन्हें गाली और धमकी दी थी. सलमान खान और विवेक ओबेरोय का ये विवाद मीडिया में खूब सुर्ख़ियों में रहा था.

उन दिनों विवेक ओबेरोय और ऐश्वर्या के अफेयर की ख़बरें भी चर्चा में थी. इसके बाद विवेक ओबेरोय ने सलमान खान से माफी मांगी, ताकि उनके बीच का कोल्ड वारर खत्म हो जाए, लेकिन ऐसा हुआ नहीं. सलमान खान ने विवेक ओबेरोय को माफ नहीं किया. कई बौलीवुड एक्सपर्ट्स का मानना है कि सलमान खान से पंगा लेने के कारण बौलीवुड में विवेक ओबेरोय का करियर बन नहीं पाया.

सलमान खान का अरिजित सिंह के साथ हुआ विवाद

सलमान खान तक भी कंट्रोवर्सी में आए थे जब उन्होंने गायक अरिजित सिंह के साथ एक मजाक के बाद चर्चा में आ गए थे. दरअसल, एक बार सलमान खान एक अवार्ड फंक्शन को होस्ट कर रहे थे, तब सिंगर अरिजित सिंह को अवार्ड लेने स्टेज पर बुलाया गया था. सलमान ने मंच पर अपनी नींद के बारे में मजाक किया, तो अरिजित सिंह ने कहा, “सर सुला दिया आपने.” यह सुनकर सलमान खान बहुत चिढ़ गए थे. उसके बाद से सलमान खान ने कई बार इस सिंगर को अपना गुस्सा दिखाया. जब सलमान की फिल्म सुल्तान रिलीज़ हुई, तो उसमें एक गीत जग घूमिया बहुत लोकप्रिय हुआ था. इस गीत का एक वर्जन अरिजित सिंह ने भी गाया था. सलमान खान ने फिल्म के इस गाने में अरिजित सिंह का वर्जन न रखने का फैसला किया, जबकि अरिजीत सिंह ने सलमान खान से रिक्वेस्ट की कि वे उस गाने को अपने सोशल हैंडल से न हटाएं. कई लोगों का ये भी मानना है कि अरिजित सिंह ह को इंडस्ट्री में ज्यादा काम न मिलने की वजह सलमान खान हैं.

सलमान खान का शाहरुख खान के साथ विवाद

सलमान खान और शाहरुख खान का विवाद उस समय सामने आया जब दोनों ही अपने करियर की ऊंचाई पर थे. सुनने में आता है कि सलमान और शाहरूख अच्छे दोस्त हैं, लेकिन एक समय ऐसा भी था, जब ये दोनों एक-दूसरे को देखना भी पसंद नहीं करते थे.

सलमान खान और शाहरुख खान के बीच विवाद की शुरुआत कटरीना कैफ की बर्थडे पार्टी में हुई थी. ख़बरों के अनुसार, पार्टी में शाहरूख खान ने सलमान खान को ऐश्वर्या राय के नाम से चिढ़ाया था. इस बात पर सलमान खान इतना भड़क गए कि उन्होंने शाहरुख़ खान को सबके सामने सुना दिया था. इस घटना के बाद कई सालों तक इन दोनों के बीच दूरी बनी रही. फिर एक बार इफ्तार पार्टी में सलमान खान ने शाहरुख खान को गले लगाकर उनसे फिर से दोस्ती कर ली.

सलमान खान पर हिट एंड रन का लगा था आरोप

हिट एंड रन केस में भी सलमान खान को जेल जाना पड़ा था. एक टोयोटा लैंड क्रूजर कार ने मुंबई के बांद्रा इलाके में बेकरी के बाहर सो रहे लोगों को गाड़ी से कुचल दिया था. इस मामले में आरोप ये था कि ये गाड़ी सलमान खान चला रहे थे. इस हादसे में चार लोग घायल हुए थे और एक शख्स की मौत हो गई थी.

इस मामले में पुलिस ने सलमान खान को उनके घर से गिरफ्तार किया था, लेकिन बाद में जमानत पर सल्लू मियां छूट गए थे. इस मामले में सलमान खान ने कोर्ट में कहा था कि ये हादसा जब हुआ, तब वो ड्राइविंग सीट पर नहीं बैठे थे और वो नशे में भी नहीं थे.

औरतों का कंडोम है कमाल की रबड़

रात होते ही साधना अपने पति मुकेश की बांहों में आ गई. पर सैक्स के दौरान वह मजा लेने के बजाय किसी चिंता में डूबी हुई थी. दरअसल, आज भी मुकेश ने कंडोम का इस्तेमाल नहीं किया था, जबकि साधना अभी बच्चा नहीं चाहती थी.इस बात पर मुकेश बिफर गया और जल्दी से सैक्स कर के वह मुंह फेर कर सो गया. साधना की चिंता ने आज की रात खराब कर दी.

यह बात सौ फीसदी सच है कि अगर सैक्स करते समय आप को अनचाहा बच्चा ठहरने की चिंता सताने लगती है, तो यह आप के रिश्ते को ग्रहण लगा सकती है, क्योंकि सैक्स शादीशुदा जिंदगी को खुशनुमा बनाने में खास रोल निभाता है.

ऐसे में अगर आप का मर्द साथी कंडोम के इस्तेमाल से बचना चाहता है, तो आप परेशान न हों, क्योंकि आप बेझिझक फीमेल कंडोम यानी औरतों के लिए बना कंडोम इस्तेमाल कर सकती हैं. वैसे भी हमेशा मर्द साथी ही क्यों कंडोम का इस्तेमाल करे, कभी तो आप भी फीमेल कंडोम से सैक्स का मजा लें.इस कंडोम को औरतें सैक्स के दौरान इस्तेमाल कर के खुद को एसटीडी और अनचाहे बच्चे के ठहरने से महफूज रख सकती हैं.

मेल कंडोम की तुलना में फीमेल कंडोम एसटीडी जैसी बीमारियों से बचाने में ज्यादा कारगर साबित हुआ है.जानें फीमेल कंडोम कोयह एक इंटरनल कंडोम है. औरतें इस कंडोम को मर्दों की तरह बाहर से नहीं, बल्कि अंदर पहनती हैं.

यह कंडोम स्पर्म को गर्भाशय में घुसने से रोकने के लिए एक दीवार के रूप में काम करता है. इसे सही तरीके से इस्तेमाल करने पर 95 फीसदी तक अनचाहे बच्चे के ठहरने से बचा जा सकता है.ऐसे करें इस्तेमालइस कंडोम के पैकेट को सावधानी से खोलें.

देखने में यह एक पतले और मुलायम से ढीले फिट होने वाले पाउच  की तरह नजर आता है, जिस के दोनों छोरों पर रिंग होती हैं. बंद सिरे वाली मोटी रिंग वजाइना के अंदर इस्तेमाल की जाती है और कंडोम को जगह पर रखती है. पतली और बाहरी रिंग शरीर के बाहर रहती है, जो योनि को ढकती है. यह कंडोम अलगअलग साइज में भी आता है. इसे इस्तेमाल करते समय सब से पहले आप एक आरामदायक पोजिशन लें.

जैसे आप बैठ जाएं, लेट जाएं या एक पैर टेबल या किसी भी चीज पर टिका लें, फिर अपने अंगूठे और तर्जनी उंगली का इस्तेमाल करते हुए भीतरी रिंग के किनारों को पकड़ें और योनि में डालें. भीतरी रिंग को बिना मुड़े पक्के तौर पर गर्भाशय ग्रीवा तक पहुंचाएं और बाहरी रिंग एक इंच बाहर ही रहने दें, जिस से आप आसानी से इसे बाद में बाहर निकाल सकें.इसे इस्तेमाल करते समय जल्दबाजी न करें, क्योंकि सही तरीके से फिट करने पर ही आप दोनों पार्टनर सैक्स करने का मजा ले सकते हैं, वह भी बिना किसी टैंशन के. लेकिन बात जब इसे बाहर निकालने की आती है,

तो सावधानी रखें कि स्पर्म कंडोम से बाहर न गिरने पाए. इस के लिए बाहरी रिंग को आराम से पकड़ें व धीरे से घुमाते हुए बाहर निकाल लें और कूड़ेदान में फेंक दें.

ध्यान रखने वाली बातें

* हर बार सैक्स करने से पहले नया कंडोम इस्तेमाल करना चाहिए.

* फीमेल कंडोम को माहवारी, बच्चा ठहरने और बच्चे के जन्म के बाद भी इस्तेमाल में लाया जा सकता है.

* कंडोम को सैक्स करने के 8 घंटे पहले योनि में डाला जा सकता है

.* औरतों के कुदरती हार्मोन पर इस का कोई बुरा असर नहीं होता. ज्यादा सावधानी के लिए आप गर्भनिरोधक गोलियों के साथ भी इस कंडोम का इस्तेमाल कर सकती हैं.

* मेल कंडोम के मुकाबले फीमेल कंडोम के फटने का खतरा कम होता है, क्योंकि यह योनि में जाने के बाद बहुत ज्यादा टाइट नहीं होता, जबकि मेल कंडोम ज्यादा टाइट होने के चलते कई बार फट जाता है.

* मेल और फीमेल कंडोम एक समय पर इस्तेमाल न करें.अगर किसी चीज के फायदे हैं, तो उस के साइड इफैक्ट भी होते हैं. इस कंडोम के इस्तेमाल से औरतों की योनि और मर्दों के अंग में जलन हो सकती है.

 

मेरा बौयफ्रेंड घर वालों की मरजी से शादी कर रहा है लेकिन मैं उसके बिना नहीं रह सकती, क्या करूं?

सवाल
मैं 22 वर्षीय  युवती हूं. मुझे फेसबुक पर एक युवक की फ्रैंड रिक्वैस्ट आई वह काफी हैंडसम युवक था, सो मैं ने उस से दोस्ती कर ली. फिर हमारी रोज बातचीत होने लगी. बातोंबातों में सैक्स की बातें भी होने लगीं, हम दोनों मिलने भी लगे और शारीरिक संबंध भी बने, लेकिन अब जबकि उस लड़के ने मुझ से शादी का वादा किया था वह घर वालों की मरजी से शादी कर रहा है. मैं उस के बिना नहीं रह सकती. मैं क्या करूं?

जवाब
फेसबुक पर अकसर दोस्ती होती है औैर ऐसे संबंधों के बाद धोखा मिलता है. यह आजकल आम बात है, यह जानते हुए भी आप ने जो कदम बढ़ाया वह जिंदगी भर का जोखिम लिया है. आगे भी भविष्य में आप के लिए ऐसा प्रेमी दुखदायी रहेगा. अपनी भावनाओं पर काबू रखें और उस से बिलकुल नाता तोड़ लें.

अपने आप को अन्य कामों में बिजी रखेंगी तो उसे भूल पाएंगी. फिर सोचसमझ कर अपनी जिंदगी को जीएं. ऐसे जालसाजों से सदा बच कर रहें. उस से उस की शादी के बाद भी मिलने की कोशिश न करें, वह आप का दोहन ही करेगा, आप की भावनाओं का फायदा ही उठाएगा. इस समय आप की थोड़ी सी समझदारी आप को जिंदगी भर का सुकून प्रदान करेगी.

कालेज में पढ़ने वाले युवाओं को सैक्स संबंध बनाना हो या फिर लिव इन रिलेशनशिप में रहना हो, उन्हें इस बारे में अधिक सोचविचार की आवश्यकता नहीं होती. एक समय था जब विवाहपूर्व सैक्स के बारे में सोचना गलत माना जाता था, लेकिन आज तमाम सर्वे पर नजर डालें तो न सिर्फ युवा बल्कि किशोरकिशोरियों को भी सैक्स से कोई परहेज नहीं है. यह बात सही हो सकती है, लेकिन बिना सोचेसमझे सैक्स और इसे गंभीरता से लिए बिना कोई कदम उठाना सही नहीं है. इस से खुद को ही नुकसान हो सकता है. इसलिए सैक्स को मजाक न समझें, बल्कि गंभीरता से लें.

यह मजाक नहीं है

कई बार युवा अपने दोस्तों की देखादेखी या फिर दोस्तों में लगी शर्त को पूरा करने के चक्कर में सैक्स संबंध स्थापित करते हैं, ताकि वे अपने दोस्तों के बीच दबदबा बना सकें. लेकिन उन्हें इस बात का पता ही नहीं रहता कि कुछ पलों के हंसीमजाक के चलते उन्होंने अपनी जिंदगी का कितना अहम कदम बिना सोचेसमझे उठा लिया है. इसलिए सैक्स को गंभीरता से लें.

शादी के बाद होगी मुश्किल

शादी के बाद पति को भी इस का पता चल सकता है. यदि अपनी किशोरावस्था में आप ने सैक्स को गंभीरता से नहीं लिया और अपने फ्रैंड से कई बार सैक्स संबंध बनाए तो हो सकता है शादी के बाद पति को इस बात की किसी तरह भनक लग जाए और अगर ऐसा हुआ तो आप की खुशहाल जिंदगी क्या करवट लेगी, कुछ कहा नहीं जा सकता.

यौन संबंधी बीमारियों का डर

आमतौर पर विवाहपूर्व सैक्स संबंध शारीरिक और भावनात्मक स्तर पर सुरक्षित नहीं माने जाते. असुरक्षित सैक्स से कई यौन रोग भी गले पड़ सकते हैं, जो जानलेवा होते हैं. यदि कम उम्र में ऐसे संबंध स्थापित किए जाते हैं तो इस का असर शारीरिक विकास पर पड़ता है. इस के साथ ही सामाजिक संबंधों पर भी इस का गहरा असर पड़ता है.

साथी के साथ ही करें सैक्स

सैक्स हमेशा उसी के साथ करें जिसे आप ने जीवनसाथी बनाना है. कोशिश करें कि शादी से पहले अपने बौयफ्रैंड से सैक्स संबंध न बनाएं, क्योंकि उस के मन में यह विचार आ सकता है कि जो लड़की मेरे साथ सैक्स कर सकती है उस ने औरों के साथ भी संबंध बनाए होंगे. किसी अजनबी के साथ सैक्स संबंध बनाना न तो ठीक है और न ही सुरक्षित. सैक्स संबंधों में जल्दबाजी न करें बल्कि जिस के साथ सैक्स करना है उस के बारे में अच्छी तरह जान कर व सोचसमझ कर ही आगे बढ़ें. यह भी ध्यान रहे कि वह संबंध बनाने की बात दूसरों को न बता दे.

जगह का चुनाव करें

सैक्स कहां कर रहे हैं, यह भी काफी माने रखता है. वह जगह सेफ न हुई या किसी ने होटल के कमरे में वीडियो क्लिपिंग बना ली तो क्या होगा, इसलिए जहां मन हुआ सैक्स कर लिया ऐसा नहीं होना चाहिए. सैक्स करने से पहले गंभीरता से सोचें कि इसे कहां किया जाए.

ब्लैकमेलिंग से बचें

बौयफ्रैंड के पास आप के कुछ पर्सनल फोटो हो सकते हैं, जिन से आगे चल कर वह आप को ब्लैकमेल भी कर सकता है, इस बात का भी ध्यान रखें, फिर चाहे वह बौयफ्रैंड हो या कोई और. सैक्स  से पहले यह बात जरूर सोच लें कि इस वजह से कहीं आप ब्लैकमेलिंग का शिकार न हो जाएं, इसलिए इन बातों का विशेष खयाल रखें.

प्रैग्नैंसी का खतरा

इस बात पर भी विचार करना जरूरी है कि अगर आप ने बिना सोचेविचारे जल्दबाजी में सैक्स संबंध बनाने का फैसला किया और उस दौरान कोई सावधानी नहीं बरती तो गर्भ ठहरने का खतरा भी बना रहता है. यदि ऐसा होता है तो आप मानसिक तनाव से घिर जाएंगी, क्योंकि इस का दुष्प्रभाव आप की पूरी जिंदगी पर पड़ेगा.

डिप्रैशन न हो जाए

जब कई बार इन संबंधों में दरार पड़ती है तो दोनों पक्षों को ही गहरा मानसिक आघात पहुंचता है. ऐसे में सामाजिक और नैतिक बंधनों के चलते विवाहपूर्व सैक्स संबंध बनाने की शर्म, ग्लानि, अविश्वास, तनाव तथा एकदूसरे के प्रति सम्मान की कमी जैसे कारक मुख्य भूमिका निभाते हैं.

डेटिंग को डेटिंग ही रहने दें

कई बार डेटिंग के दौरान भी सैक्स संबंध बन जाते हैं. जहां डेटिंग का मकसद एकदूसरे को भलीभांति जानना होता है वहीं वे उस मकसद को भूल सैक्स संबंध स्थापित कर लेते हैं. सैक्स के लिए तो पूरी जिंदगी पड़ी है, लेकिन अभी समय एकदूसरे को जाननेसमझने का है. यह वक्त दोबारा नहीं आएगा, इसलिए पहले दोनों एकदूसरे को भलीभांति समझ लें और अपने रिश्ते को कुछ समय दें. उस के बाद इस पायदान पर आएं.

अच्छा नहीं उतावलापन

सैक्स के लिए उतावलापन अच्छा नहीं है इसलिए आप को प्रोफैशनल या बाजारू महिला या पुरुष के साथ सैक्स संबंध बनाने से बचना चाहिए. यह पूरी तरह गलत है. इस से आप गलत लोगों के चंगुल में भी फंस सकते हैं.

जबरदस्ती सैक्स न करें

सैक्स जबरन नहीं करना चाहिए. आप को किसी के दबाव या किसी अन्य कारण से सैक्स करने से बचना चाहिए. साथ ही किसी डर की वजह से भी सैक्स नहीं करना चाहिए. मन के सारे भ्रम और आशंकाएं निकालने के बाद ही सैक्स संबंध बनाएं.

सही कदम

–       हर चीज समय पर ही अच्छी लगती है और सही भी रहती है. माना कि दिल किशोरावस्था में प्रेम की पींगें बढ़ाने को बेताब रहता है. प्रेम करना गलत नहीं है अवश्य करें, लेकिन सैक्स के लिए सही वक्त का इंतजार भी जरूरी है. तभी उस का असली मजा और आनंद ले पाएंगे वरना वह कुछ पलों का आनंद तो देगा लेकिन बाद में मन का सुकून भी छीन लेगा.

–       अगर फिर भी आप ने सैक्स का मन बना ही लिया है तो समय और स्थान का ऐसा चुनाव करें जो आप के लिए पूरी तरह सुरक्षित हो और बाद में किसी मुसीबत में फंसाने वाला न हो, इसलिए किसी भी कमजोर पल में सैक्स करने का फैसला न लें बल्कि यदि सैक्स करना भी है तो सोचीसमझी योजना के तहत करें.

–       सैक्स के बाद यदि प्रैग्नैंसी आदि का वहम हो रहा है तो बिना डाक्टर को दिखाए खुद ही किसी नतीजे पर न पहुंचें, बल्कि सब से पहले इस बारे में अपने घर पर बड़ी बहन, मां आदि को बताएं. यह सच है कि आप को बताने में हिचकिचाहट होगी, डर भी लगेगा और शायद शर्मिंदगी भी होगी, लेकिन यह शर्मिंदगी उस मुसीबत से कम होगी जो न बताने पर आप को झेलनी पड़ सकती है. वह आप के घर वाले हैं, इस बात को सुन कर चाहे लाख नाराज हों, आप को डांटें, लेकिन इस मुसीबत से निकालने की जिम्मेदारी लेने में उन्हें देर नहीं लगेगी. उस समय वह वही करेंगे जो आप के लिए उचित होगा. इसलिए उन पर विश्वास कर हिम्मत कर के एक बार उन से सच कह डालिए, फिर देखिए कैसे आप की परेशानी हल होती है.

–       अगर आप का कोई बौयफ्रैंड है जिस पर आप बहुत विश्वास करती हैं तो भी उसे अपना कोई वीडियो आदि न बनाने दें चाहे कुछ भी हो जाए. वह रिश्ता तोड़ने की धमकी देता है तो न डरें, क्योंकि जो युवक आप से ऐसी बात कह रहा है वह किसी भी तरह का रिश्ता रखने के लायक नहीं है.

–       अगर सैक्स करना भी है तो इस बात का खयाल रखें कि उस की वजह से आप की पढ़ाई में कोई बाधा न आए. यह समय आप के भविष्य बनाने का है. इस में किसी भी तरह का कोई व्यवधान नहीं आना चाहिए. सैक्स कर के कहीं हर वक्त उसी में खोए रह कर पढ़ाई करना न भूलें.

 

गरीब सांवरी की जिंदगी पर कैसे लगा लॉकडाउन?

सोलह साल की सांवरी, कब से दिल्ली शहर में  रह रही है , उसे खुद भी याद नहीं है,जबसे होश संभाला है अपने आपको इसी ज़ुल्मी शहर में पाया है. ज़ुल्मी इसलिए है ये शहर ,क्योंकि यहाँ कोई उससे अच्छे से नहीं बोलता और कोई भी उसकी चिंता भी नहीं करता .
अच्छे घरों की लड़कियां सुंदर साफ़ कपड़ों मे जब स्कूल जा रही होती हैं  तब सांवरी को भी अम्मा और पापा के साथ काम पर निकलना पड़ता है.
हाँ , काम पर ,
और सांवरी को काम की कभी कोई कमी नहीं होती ,उसके परिवार को ठेकेदार बराबर काम देता रहता है.
इस  शहर में  जो आसमान को चूमती हुयी इमारतें रोज़ बनती ही रहती हैं  ,उन्ही  इमारतों में काम करती है सांवरी और उसके पापा और अम्मा.
और इसीलिये उसके परिवार को घर की भी कोई ज़रूरत नहीं खलती ,जिस इमारत में काम किया वहीं सो  गए  ,फिर सुबह होने के साथ उसी इमारत मे काम करने का सिलसिला फिर शुरू .
हाँ ये अलग बात है कि जब ये इमारत बन कर तैयार हो जायेगी तब तक सांवरी और उनका परिवार कहीं और जा चुका होगा ,किसी और इमारत को बनाने के लिए .
वैसे ये बात भी सांवरी किसी को नहीं बताती कि उसकी असली उम्र सोलह साल है ,क्योंकि अगर ठेकेदार को असली उम्र बता दी न तो फिर वो सांवरी को काम से हटा देगा क्योंकि अट्ठारह साल से कम उम्र के बच्चों को ठेकेदार काम पर नहीं रखता है ,पिछली बार जो ठेकेदार था न ,तो पापा ने उसको असली उमर बता दी थे सांवरी की ,तो उसने काम से हटा दिया था सांवरी को ,और जो चार पैसे वो कमाकर लाती थी वो भी मिलने बंद हो गए थे फिर .
उस दिन के बाद सांवरी और पापा सबको अपनी उमर अट्ठारह साल ही बताते हैं .
वैसे तो इस वाली इमारत में काम करते पांच महीने हो चुके हैं पर इस ठेकेदार ने अभी तक पगार नहीं दी है ,कई बार सब मजदूरों ने मिलकर कहा भी तो बस थोड़े बहुत पैसे दे देता है और ऊपर से पैसे न आने का बहाना बना देता है .
पर ये क्या ……आज अचानक से ये अफरा तफरी क्यों मच गयी है?
सारा काम क्यों बंद करा दिया गया है?
“चलो चलो ….आज से काम बंद हो रहा है …कोई कोरोना वायरस है …जो बीमारी फैला रहा है …इसलोये सरकार का आदेश है कि सब काम बंद रहेगा और कोई भी बाहर नहीं निकलेगा “ठेकेदार ने काम बंद करते हुए कहा
“काम बंद करें ….,पर उससे क्या होगा ? और फिर हम कमाएंगे नहीं तो खाएंगे क्या?”
“अरे  …वो सब मुझे नहीं पता ….वो सब जाकर सरकार से पूछो….फिलहाल काम बंद करने का है…” चीख पड़ा था ठेकेदार
“ठीक है ….हमारी पगार तो दे दो”एक मज़दूर बोला
“पगार कही भागी जा रही है क्या? जब काम शुरू होगा तब मिल जायेगा पगार”ठेकेदार का रुख सख्त था.
मज़दूर समझ गए थे कि इससे बहस करना बेकार है ,भारी मन से उन्होंने काम बंद कर दिया और अधबनी इमारत में जाकर सर औंधा कर के बैठ गए.
अभी कुछ ही समय हुआ था उन सबको सुस्ताते हुए कि उन लोगों के देखा कि उनकी ही तरह एक मजदूरों का टोला ,जो कहीं और काम करता था और उनके ही गांव की तरफ का लग रहा था ,वो अपना सामान सर पर रख कर तेज़ी से चला आ रहा है
“अरे अब यहाँ मत रुको ….अब अपने घर चलो …यहाँ सब खत्म हो रहा है ….काम एंड करा दिया गया है और पुलिस शहर बंद करा रही है और सुना है कोई बीमारी फ़ैल रही है जिससे  आदमी तुरंत ही मर जा  रहा है .
उनमें से सबसे आगे चलने वाले मज़दूर ने चेताया
सांवरी और उसके साथ वाले मज़दूर भी यह सुनकर डर गए और सबने ही घर लौट चलने की बात मान ली.
भला दिहाड़ी मजदूरों के पास सामान ही कितना होता है?
जिसके पास जो भी सामान था ,उसे बोरे में बाँध बस स्टैंड की तरफ चल पड़े सभी.
परंतु तब तक देर हो चुकी थी सरकार ने संक्रमण फैलने के डर से बस और ट्रेने सभी बंद करा दी थी.
चारो तरफ अफरा तफरी का माहौल था,पुलिस हाथों में डंडे लेकर लोगों को मार रही थी और लोगों से घर से नहीं निकलने को कह रही थी पर फिर भी ज़रूरी सामान जुटाने को लोग घर से बाहर तो निकल ही रहे थे.
“अब हम घर कैसे जाएंगे” रोने लगी थी सांवरी
“हाँ ….हम लोगों का घर तो बहुत दूर है …क्या हम सब यहीं मर जायेंगे?” एक मज़दूर बोला
“नहीं अगर मरना है …तो यहाँ परदेस मैं नहीं मरेंगे  ….अपने घर ..चलने की कोशिश तो करेंगे ही और अगर इस कोशिश में मर भी गए तो कोई बात नहीं” बिहार का एक मज़दूर हिम्मत दिखाते  हुए बोला
“हाँ …चलो चलते हैं और हो सकता है कि हमें रास्ते में ही कोई सवारी मिल जाए और हम घर के नज़दीक पहुच जाए”
“हाँ ये सही रहेगा….चलो…चलते हैं”
और इस तरह बिहार और उत्तरप्रदेश के कई अलग अलग इलाकों से आया हुआ ये मजदूरों का गुट लौट पड़ा अपने घर की तरफ ,
सारी दुनिया भी घूम लो पर फिर भी संकट आने पर हर व्यक्ति को अपना घर ही याद आता है.
और फिर शहर में भला इन मजदूरों को कौन खाना ,पानी पूछता
 सभी को अपनी राजनीति की पडी थी .
पुलिस सड़कों पर थी और चारो तरफ लॉकडॉउन कर दिया गया था अर्थात हर एक व्यक्ति को घर मे ही रहने था बाहर नहीं निकलना था और इसी तरह इस कोरोना वायरस से रोकथाम संभव थी.
सारे मज़दूर अपने परिवारों को साथ ले,अपने सामान को सर पर उठाये ,हाथों में पकडे ,बच्चों को  सुरक्षा की नज़रिए से अपने आगे पीछे चलाते हुए ,चल पड़े थे अपने गांव की तरफ ,वहां वे कब पहुचेंगे ,कैसे पहुचेंगे ,पहुचेंगे भी या नहीं ,इन सब बातों जा उन्हें कोई भी अंदाज़ा नहीं था और ना ही शायद वो इन बातों को जानना चाहते थे.
सामने कभी न खत्म होने वाला हाईवे दिखाई दे रहा था ,फिर भी सभी मजदूरों का टोला ,मन में एक आतंक लिए चला जा रहा था सिर्फ इस उम्म्मीद में कि अगर घर पहुच गए तो सब सही हो जायेगा.
“ए क्या तुम लोगों को  पता नहीं है क्या कि पूरे शहर में लॉकडाउन है और तुम लोग एक साथ ,इतना सारा सामान लिए कहाँ चले जा रहे हो “एक पुलिस वाला चिल्लाया
“जी …साहेब हम सब लोग अपने गांव की तरफ जा रहे है  ….और कोई सवारी भी नहीं मिला रही है इसलिए पैदल ही चले जा रहे हैं …कभी न कभी तो पहुच ही जायेंगे” सांवरी के पापा आगे आकर बोले
” स्साले …..तुम लोगों की जान बचाने के लिए हम लोग रात दिन ड्यूटी कर रहें हैं और तुम लोग सड़क पर घूम कर हमारी सारी मेहनत पर पानी फेर दे रहे हो……..
तुम लोग ऐसे नहीं मानोगे …चलो सब के सब मुर्गा बनो .. सालों “
और पुलिस वाले ने सारे मजदूरों को सजा के तौर पर मुर्गा बनवा दिया ,सारे मज़दूर लाठी खाने के डर  के आगे  मुर्गा बन गए ,उन मजदूरों की औरतें  और बच्चे बेबस  होकर देखते ही रहे.
डर से व्याकुल  ,भूख से परेशान  मज़दूर फिर से पैदल  चल पड़े अपने गांव की तरफ.
अब तक देश में सरकार की तरफ से इस लॉकडाऊन की हालत को सुधारने के लिए बहुत सारे प्रयास किये जा रहे थे पर मजदूरों तक तो सिर्फ पुलिस के डंडे ही आ रहे थे.
पर फिर भी उनसब ने ठान रखा था कि जब तक जान है चलते रहेंगे.
पर मनुष्य शरीर की भी एक सीमा है आओर जब उनके शरीर की चलने की सीमा समाप्त हो गयी  और रात हो गयी तो सबने एक मति से वहीँ हाईवे के किनारे सोने की योजना बनाई और जिसके पास जो जो भी  था वहीँ किनारे पर बिछाकर सोने की तैयारी करने लगे.
कुछ देर बाद वहां पर एक पुलिस की गाड़ी आयी जिसने उन्हें कुछ  खाने  के बिस्कुट दिए
जो इतने पर्याप्त तो नहीं थे कि उनकी भूख मिटा सकें पर सच्चाई तो यह थी कि उनको खाकर उन मजदूरों की भूख और भड़क गयी थी ,पर मरता क्या न करता .
बिस्कुट खाकर पानी पीकर रात भर वे सब वहीं पड़े रहे और भोर होते ही फिर चल पड़े .
सांवरी भी अपने अम्मा और पापा के साथ चली जा रही थी  ,आगे जाकर थोड़ा थक गयी तो सड़क के किनारे सुस्ताने बैठ गयी .
“अरे तुम्हे भूख लगी है क्या?” अचानक से एक आदमी सांवरी के पास आकर बोला
सांवरी चुपचाप हँसे देखती रही
“देख अगर खाना चाहिए तो मेरे साथ चल मैं तुझे खाना देता हूँ ….वहाँ उधर रखा  हुआ है “उस आदमी ने जोर देते हुए कहा
भूख तो लगी ही थी सांवरी को सो वह उस आदमी के साथ जाने लगी ,बेचारी को ये भी नहीं ध्यान आया कि उसके माँ और पापा मजदूरों के साथ आगे बढ़ चुके है.
जब चलते हुए कुछ देर हो गयी तो तो सांवरी ने कहा
“कहाँ है खाना”
“हाँ इधर है …खाना ” झाड़ियों में कोई और आदमी छुपा हुआ बैठा था उसने लपककर सांवरी को पकड़ लिया और उसका मुंह दबा दिया और फिर दोनों आदमियों ने मिलकर सांवरी का बलात्कार किया और उसके विरोध करने पर  उसको मारा भी .
सांवरी की दुनिया लूट चुकी थी वह रो रही थी पर वहां उसका रूदन सुनने वाला कोई भी नहीं था.
रोते रोते ही सांवरी उठी और आगे जाकर एक खाई में कूदकर उसने आत्म हत्या कर ली.
मजदूरों का काफिला आगे चलता जा रहा था , किसी ने सांवरी की फ़िक्र भी नहीं करी थी
लॉकडाऊन अब भी जारी था. ऐसे दरिंदों को पुलिस भी नहीं पहचान पा रही थी ,वे अब भी खुले सड़कों पर घूम रहे हैं. मज़दूर अब भी सड़क पर पैदल ही जा रहे थे बस सांवरी की ज़िंदगी पर ही पूरा लॉकडाउनन
लग चुका था.

सेक्स किसी पर कोई एहसान नहीं

ऐसा माना जाता है कि फिजिकल रिलेशन से फिजिकली कनैक्शन होता है. सैक्स किसी भी रिलेशनशिप के लिए बहुत आवश्यक है क्योंकि इस से पार्टनर एकदूसरे के और ज्यादा करीब आते हैं. इसलिए इसे एक खूबसूरत संबंध कहा जाता है.

कुदरत का तोहफा

परिधि और अंकुश पिछले 1 साल से रिलेशनशिप में हैं. दोनों ही अच्छी कंपनी में जौब करते हैं. अपनी रिलेशन के बारे में वे बताते हैं कि जब से उन के बीच में फिजिकल रिलेशन बना है उन के रिश्ते और अच्छे हुए हैं. परिधि कहती है कि इस के लिए अंकुश ने उन से कोई जोरजबरदस्ती नहीं की. यह दोनों की सहमति से बनाया गया था.

इंसान के लिए सैक्स को सब से ज्यादा सुख देने वाली अनुभूति माना जाता है. महिला और पुरुष दोनों के लिए इस के एहसास और माने अलगअलग होते हैं. हालांकि दोनों ही इस से संतुष्ट होते हैं, लेकिन इसे ले कर उन की सोच अलग होती है. पुरुष इसे तनाव दूर करने का एक जरीया सम झते हैं तो वहीं महिलाओं के लिए यह प्यार और आनंद है.

45 वर्षीय मनोज बताते हैं कि घर की जिम्मेदारी निभातेनिभाते कब उन की शादी की उम्र निकल गई उन्हें पता ही नहीं चला. जब वे आर्थिक रूप से स्ट्रौंग है तो वे अपनी लाइफ जीना चाहते हैं. उन्होंने बताया कि वे अपने ही औफिस की 28 वर्षीय सेजल (बदला हुआ नाम) के साथ पिछले 8 महीने से रिलेशन में हैं. वे कहते हैं, ‘‘मैं सेजल की हर जरूरत का पूरा खयाल रखता हूं और वह मेरी जरूरत का. हमारे बीच सैक्सुअल रिलेशन भी है और यह दोनों की सहमति से है. न मैं उस की जरूरतों का ध्यान रख कर उस पर एहसान कर रहा हूं और न ही वह मु झ पर. हम बस एकदूसरे का साथ चाहते हैं.’’

बढ़ता है प्रेम

रिलेशनशिप में सैक्स करने का मतलब सिर्फ यौन संतुष्टि पाना ही नहीं होता है बल्कि अपने पार्टनर के साथ एक मजबूत रिश्ता कायम करना व प्यार को बढ़ाना होता है. एक रिसर्च से पता चलता है कि रिलेशनशिप में सैक्स करने से कपल के बीच एक स्वस्थ रिश्ता कायम होता है. इस से रिश्ते के टूटने का खतरा कम हो जाता है.

रिलेशनशिप ऐक्सपर्ट विशाल नेगी कहते हैं कि सैक्स रिश्ते को एक कदम और आगे ले जाता है. रिश्ते में शारीरिक आकर्षण का बहुत महत्त्व है. शुरुआती संबंध बनाने की बात हो या फिर हो प्यार बनाए रखने की बात, सैक्स रिश्ते में एक अहम रोल निभाता है. सैक्स से खुद के बारे में अधिक सकारात्मक धारणा बनती है.

आनंद  का एहसास

योगा इंस्ट्रक्टर कपिल कहते हैं कि जब एक लड़का और लड़की आपसी सहमति से कपल के रूप में एक रिलेशनशिप में आते हैं तो वे अपने प्यार को जाहिर करने के अलगअलग तरीके अपनाते हैं. इन में से ही एक तरीका सैक्स भी है. वे कहते हैं कि इस से न केवल शारीरिक बल्कि भावनात्मक रूप से भी उन्हें आपस में जुड़ाव महसूस होता है.

अपनी राय देते हुए वे कहते हैं कि सैक्स में कोई किसी पर एहसान नहीं करता. यह दोनों के शरीर की न सिर्फ जरूरत है बल्कि यह प्यार को ऐक्सप्रैस करने का एक तरीका है. इस से शरीर हमेशा ऐक्टिव मोड में रहता है.

अहम रोल प्ले करता है

आईटी मैनेजर सारांश कहते हैं कि लाइफ में सैक्स एक अहम रोल प्ले करता है. अगर कोई इसे एहसान के तौर पर लेता है तो वह छोटी सोच का शिकार है. यह किसी पर कोई एहसान नहीं है. यह एक सामूहिक अनुभूति है जो 2 लोगों के बीच प्यार को बढ़ावा देती है.

कुछ लड़कियां ऐसी भी होती हैं जो यह सम झती हैं कि अगर उन का पार्टनर उन के सारे खर्चे उठाएगा तभी वे उन्हें सैक्स का सुख देंगी. ऐसी लड़कियों के बारे में मुक्ता कहती है कि ये लड़कियां अगर फिजिकल रिलेशन बना रही हैं तब भी इस में उन की सहमति है. वे यह रिश्ता अपनी सहमति से बना रही हैं. उन से कोई जोरजबरदस्ती नहीं कर रहा. चाहे वे यह रिश्ता अपनी जरूरत के लिए ही क्यों न बना रही हों.

कानपुर से दिल्ली आ कर पढ़ने वाली 20 वर्षीय जाह्नवी (बदला हुआ नाम) बताती है कि वह एक लड़के के साथ 1 साल से रिलेशनशिप में है. वह बताती है कि वह लड़का उन के सारे खर्चे उठाता है जैसे मोबाइल रिचार्ज, शौपिंग, ब्यूटीपार्लर, ट्रैवल. यहां तक की उस की कालेज की फीस भी और बदले में वह उस के साथ घूमती है, उसे भरपूर प्यार देती है. वह बताती है कि ऐसा कर के वह दोनों की जरूरतें पूरी कर रही है न कि एहसान.

जब प्यार में धोखा मिला

30 वर्षीय दीप्ति (बदला हुआ नाम) बताती है कि अपने ऐक्स से धोखा खाने के बाद वह डिप्रैशन में चली गई थी. इस से निकलने के लिए वह डेंटिग साइट ‘टिंडर’ के जरीए लोगों से मिलने लगी. एक दिन ऐसे ही उस की मुलाकात 29 वर्षीय संकल्प से हुई. चूंकि संकल्प अच्छी बौडी के साथसाथ एक अमीर परिवार से भी था, इसलिए दीप्ति उस से प्रभावित हुए बिना न रह पाई.

दोनों की सहमति के बाद उन्होंने शारीरिक संबंध बनाए. दीप्ति कहती हैं कि हम दोनों अडर्ल्ट हैं और यह हमारी सहमति से बनाया गया रिश्ता था. इसलिए इसे किसी भी तरह गलत नहीं कहा जा सकता है.

एक आंकडे के अनुसार, दुनियाभर में लोकप्रिय डेंटिग ऐप टिंडर के 2021 में 9.6 मिलियन ग्राहक थे. इस के 75 मिलियन मासिक सक्रिय उपयोगकर्ता हैं. टिंडर ने 2021 में 1.6 बिलियन कमाया, जो पिछले वर्ष की तुलना में 17% अधिक था. टिंडर के 60% उपयोगकर्ता 35 वर्ष से कम आयु के हैं. इस के तीनचौथाई उपयोगकर्ता पुरुष हैं, लेकिन महिलाएं भी बड़ी संख्या में इस में शामिल हैं.

इसी तरह बंबल और ट्रूली मैडली डेटिंग ऐप्स भारत में सब से लोकप्रिय डेटिंग ऐप्स में से हैं. इन के अलावा फेसबुक ने भी डेटिंग के लिए अलग से सुविधा दी है. ही ही, हैपन, दिलमिल, मैच डौट कौम जैसे डेटिंग ऐप पर भी युवा बड़ी संख्या में रोमांस कर रहे हैं.

इन दिनों शुगर डैडी का एक कौंसपर्ट चलन में है. इस का प्रभाव पश्चिमी देशों में ज्यादा है. इस में एक अमीर बूढ़ा व्यक्ति उस के साथ डेट करने वाली महिला को महंगे गिफ्ट देता है. बदले में वह उस का अकेलापन दूर करती है. इस में सैक्स संबंध भी शामिल है.

मरजी से बनाते हैं संबंध

बैंगलुरु की रहने वाली 23 वर्षीय अदिति (बदला हुआ नाम) बताती है कि 3 साल कड़ी मेहनत करने के बाद भी उन की प्रमोशन नहीं हो रही थी तब उसे पता चला कि उस के बौस अपने साथ सैक्स करने वाली लड़कियों का जल्दी प्रमोशन कर देते हैं. कैरियर में जल्दी ग्रोथ पाने के लिए उस ने भी ऐसा ही किया. कैरियर में ग्रोथ पाने के लिए कई मौडल, फैशन डिजाइनर और मीडिया इंडस्ट्री से जुड़े लड़केलड़कियां अपने बौस, मैनेजर, सीनियर्स के साथ सैक्स करने को तैयार हो जाते हैं. ऐसा उन से कोई जबरदस्ती नहीं करवाता वरन अपनी मरजी से करते हैं.

अदालतों में कई ऐसे केस दर्ज होते हैं जिन में लड़की की उम्र 18 साल से कम होने के कारण उस के बौयफ्रैंड को गिरफ्तार कर लिया जाता है, जबकि ऐसे रिश्ते में सैक्स दोनों की मरजी से होता है. कानूनन सहमति से सैक्स की उम्र 18 साल है. इस का मतलब हुआ कि अगर 18 साल की कम उम्र की लड़की के साथ भले ही उस की सहमति से संबंध बनाए गए हों, तो वह अपराध की श्रेणी में आएगा. अगर पाक्सो (प्रोटैक्शन औफ चिल्ड्रन फ्रौम सैक्सुअल औफैंस ऐक्ट) इस कानून के तहत 18 साल से कम उम्र के लोगों को ‘बच्चा’ माना गया है.

इसी कानून में सहमति से सैक्स की उम्र 18 साल है. अगर 18 साल से कम उम्र की कोई लड़की अपनी सहमति से संबंध बनाती है तो भी उस की सहमति माने नहीं रखती. ऐसे मामलों में लड़के को गिरफ्तार कर लिया जाता है और उन पर रेप का केस चलाया जाता है.

सुख का एहसास

वहीं कई ऐसे भी लोग हैं जो एक पार्टनर के होते हुए किसी दूसरे व्यक्ति के साथ सैक्सुअल रिलेशन रखते हैं. वे इसे गलत नहीं मानते. 2014 में ग्लोबल डेटिंग वैबसाइट एश्ले मैडीसन भारत में लौंच किया गया था. इस वैबसाइट ने भारत में एक सर्वे कराया था. सर्वे में यह बात सामने आई कि 76 फीसदी महिलाएं और 61 फीसदी पुरुष अपने पार्टनर को धोखा देने को गलत नहीं मानते हैं.

जब 2 पार्टनर अपनी सहमति से सैक्स करते हैं तो वह जबरदस्ती नहीं कहलाता. वह यह अपनी खुशी से करते हैं और इस के लिए वे खुद जिम्मेदार हैं. इसे किसी एहसान की तरह देखना गलत होगा. यह एक शारीरिक सुख है जिसे हर व्यक्ति भोगना चाहता है.

बदलती दिशाएं : माही की बेहाल दशा का कौन था जिम्मेदार

माही बेहाल पड़ी थी. पूरे शरीर पर मारपीट के निशान पड़ चुके थे. रहरह कर दर्द की एक टीस उभरती तो वह कराह उठती. मारते समय कभी सोचता भी तो नहीं था उस का पति निहाल सिंह.

निहाल सिंह कभी माही को बालों से पकड़ कर खींचता तो कभी मारने के लिए छड़ी उठा लेता. शराब पीने के बाद तो वह बिलकुल जानवर बन जाता. फिर तो उसे यह भी ध्यान नहीं रहता कि उस के बच्चे अब बड़े हो चुके हैं. जब कभी उस की बेटी रूबी अपनी मां को बचाने के लिए आगे आती तो वह भी पिट जाती.

2 दिन पहले जब निहाल सिंह शराब पी कर घर में ऊलजुलूल बोलने लगा तो माही ने उसे समझाते हुए कहा था, ‘बस कीजिए, अब खाना खा लीजिए. सुबह काम पर भी जाना है.’

माही के इतना बोलने की ही देर थी कि निहाल सिंह चीखते हुए बोला, ‘अब तू रोकेगी मुझे… अभी बताता तुझे,’ फिर तो उस का हाथ न रूका.

आखिर में रूबी दोनों के बीच में आ गई और उस का हाथ पकड़ कर झटकते हुए बोली, ‘पापा, अब बस कीजिए. गलती तो आप की है, मम्मी को क्यों मार रहे हो?’

‘कितनी बार कहा है कि तू बीच में न बोला कर,’ रूबी को पीछे धकेलता हुआ निहाल सिंह फिर चीखा, ‘निकल जाओ मेरे घर से.’

माही घबरा गई. इस से पहले भी तो निहाल सिंह कई बार उसे घर से बाहर निकाल चुका था. लड़खड़ाता हुआ वह बिस्तर पर गिरा और बड़बड़ाता हुआ सो गया.

रूबी ने अपनी मां को उठाया और दूसरे कमरे में ले गई. उस के जख्मों पर दवा लगाते हुए वह बोली, ‘मम्मी, बहुत हो गया अब. पापा नहीं सुधरेंगे. ये रोजरोज के झगड़े हमें जीने नहीं देंगे.’

दर्द से कराहते हुए माही बोली, ‘हां रूबी, मैं भी अब थक चुकी हूं. मुझे समझ में आ गया है. अब मैं इन्हें कभी माफ नहीं करूंगी. ये कितना भी रोएं या गिड़गिड़ाएं, मैं इन की बातों में भी नहीं आऊंगी.’

अपने सिर पर लगी चोट को सहलाते हुए माही मन पक्का कर के बोली, ‘तुम बुलाओ पुलिस को, मैं दूंगी बयान इन के खिलाफ.’

रूबी ने झट से पुलिस का नंबर डायल किया और सारी घटना बता दी.

माही और निहाल सिंह की लव मैरिज हुई थी. घर वालों के खिलाफ जा कर माही ने निहाल सिंह का हाथ थामा था. दोनों भारत से यूरोप आ कर बस गए थे. शुरू में जब माही ने काम करना चाहा, तो निहाल सिंह ने उस से कहा था, ‘तुम मेरे घर की रानी हो, तुम घर संभालो. मैं बाहर संभालता हूं.’

माही ने इसे निहाल सिंह का अपने प्रति गहरा लगाव समझ था, मगर धीरेधीरे माही को महसूस होने लगा कि निहाल सिंह का स्वभाव दिन ब दिन बदलता जा रहा है. काम से आते ही वह शराब पीने लग जाता. तब तक उन के बच्चे भी हो चुके थे. माही ने खुद को बच्चों में बिजी कर लिया था.

जब कभी माही निहाल सिंह को बाहर जाने को कहती, तो वह मना कर देता. निहाल सिंह अब छोटीछोटी बातों पर माही पर शक करने लगा था. जब कभी काम का दबाव बढ़ जाता तो वह झल्ला कर कहता, ‘मुझ से नहीं होता इतना काम. मैं नहीं उठा सकता इतना बोझ.’

जब कभी माही नौकरी करने को कहती, तो वह उसे पीटने लगता. शराब पी कर मारपीट करना तो उस के लिए रोज की ही बात हो गई थी. बच्चे डरते हुए मां के पीछे छिप जाते थे. वे अब थोड़े बड़े भी हो गए थे. उन का स्कूल में दाखिला करवाना जरूरी हो गया था.

खर्चा बढ़ गया था तो माही ने निहाल सिंह को किसी तरह अपनी नौकरी के लिए मना लिया. वह घर का सारा काम निबटा कर ही नौकरी पर जाती और वापस आते ही बच्चों और घर को संभालने लग जाती.

माही ने कभी किसी से अपने साथ हुई मारपीट का जिक्र नहीं किया था. हां, कभीकभार उस के घर से आती मारपीट और चीखनेचिल्लाने की आवाजों से परेशान हो कर पड़ोसी खुद ही पुलिस में रिपोर्ट कर देते थे. पुलिस आती तो माही झूठ बोल कर निहाल सिंह को बचा लेती. ऐसे ही समय निकल रहा था.

निहाल सिंह प्यार भी उसे अपनी मरजी से करता, नहीं तो आधी रात को उसे मारपीट कर कमरे से निकाल देता. माही अपनी तकदीर को कोसती बच्चों के पास आ कर सो जाती.

इतना सबकुछ होने के बावजूद वह निहाल सिंह का पूरा ध्यान रखती. हर काम समय से करती. सुबह उठते ही सब से पहले उस का टिफिन तैयार करती. किसी तरह उस ने निहाल सिंह को मना कर बच्चों को साथ वाले बड़े शहर में पढ़ने के लिए भेज दिया था, ताकि वे दोनों पढ़लिख कर अच्छी नौकरी पर लग सकें. असल बात तो यह थी कि माही

उन दोनों पर पिता की गलत हरकतों का असर नहीं पड़ने देना चाहती थी.

1-2 बार पहले भी किसी बात पर गुस्सा हो कर निहाल सिंह ने माही को आधी रात में घर से बाहर निकाल दिया था. माही की मौसी का बेटा इसी शहर में रहता था. उस ने उसे फोन किया और वह माही को ले कर अपने घर चला गया. उस ने भी माही को समझाया कि यह ऐसे कभी नहीं सुधरेगा, तुम कब तक इस की मारपीट बरदाश्त करोगी.

उस ने आगे बढ़ कर पुलिस में उस की रिपोर्ट लिखवा दी. जब पुलिस निहाल सिंह को घर से उठा कर ले गई, तब माही डर गई और उस ने भाई को रिपोर्ट वापस लेने के लिए कहा. जब ऐसा 2-3 बार हुआ, तो भाई भी पीछे हट गया.

माही इसे अपनी किस्मत समझ कर समझाता कर रही थी. उसे पता था कि निहाल सिंह गुस्सैल है, पर उस के बच्चों का पिता है. वह भले ही अब उसे पहले जैसा प्यार नहीं करता, मगर उस के लिए तो आज भी वही उस का प्यार है.

तभी एक दिन निहाल सिंह काम से आते समय अपने साथ एक जवान औरत को घर ले आया. माही ने उसे देखते ही निहाल सिंह से उस के बारे में पूछा कि यह कौन है, तो उस ने बताया, ‘यह प्रीत है. इस का पति मेरे साथ काम करता था. ज्यादा शराब पीने से वह मर गया. मैं इस की मदद कर रहा हूं, क्योंकि उस के बीमा और पैंशन के बारे में इसे कुछ नहीं पता.’

माही भोली थी. वह बोली, ‘अच्छा है. आप इन की मदद कर रहे हो, वरना कौन बेगाने देश में किसी की मदद करता है.’

अब तो जब भी प्रीत का फोन आता, निहाल सिंह भागाभागा उस के पास पहुंच जाता.

एक दिन माही काम से वापस आई, तो घर का दरवाजा खोलते ही बैडरूम से किसी के हंसने की आवाज आई. अंदर अंधेरा था. बिजली का स्विच औन करते ही माही की आंखें खुली रह गईं. उस ने उन दोनों को बैड पर आपत्तिजनक हालत में देखा. लेकिन शर्मिंदा होने के बजाय दोनों हंसने लगे. इस के बाद तो माही के सामने ही सबकुछ चलने लगा.

माही का दिल टूट चुका था. इतना सब होने के बावजूद उस ने कभी नहीं सोचा था कि निहाल सिंह उसे इस तरह धोखा देगा. वह फूटफूट कर रो पड़ी. अब उस को समझ में आया कि वह क्यों उस पर शक करता था. उस ने किसी तरह खुद को संभाला और अब वह सोच में पड़ गई.

एक दिन माही को पास बिठा कर निहाल सिंह बोला, ‘तू हां करे, तो मैं इसे भी अपने साथ रख लूं?’

निहाल सिंह किस हद तक गिर गया था, माही यह सोचने को मजबूर हो गई. बच्चे पढ़लिख कर अब अच्छी नौकरी पर लग चुके थे. सिर्फ छुट्टियों में ही घर आते थे. वे मां को अपने साथ चलने को कहते, मगर वह जानती थी कि निहाल सिंह बीमारी का शिकार है. उस के खानेपीने का ध्यान उस ने ही रखना है, इसलिए वह सबकुछ बरदाश्त कर के भी उसी के साथ रह रही थी.

आजकल छुट्टियों में रूबी घर आई हुई थी. कल की हुई मारपीट के बाद माही ने रूबी को निहाल सिंह और प्रीत के संबंधों के बारे में भी बता दिया. यह सुनते ही उस का खून खौल उठा. उस ने अपने पिता के खिलाफ रिपोर्ट लिखवा दी थी.

थोड़ी ही देर में पुलिस आ गई. रूबी और माही ने बयान दे दिया. माही की चोटें उस के साथ हुए जोरजुल्म की साफ गवाही दे रही थीं. माही ने यह भी बताया कि जब वह पेट से थी, तब निहाल सिंह ने उसे बहुत बार पीटा था.

रिपोर्ट को मजबूत बनाने के लिए पुलिस ने माही की चोट की तसवीरें खींच कर साथ लगा दीं. पुलिस निहाल सिंह को साथ ले गई. वहां 2 दिन उसे हिरासत में रखा, फिर उस को वार्निंग दे कर छोड़ दिया गया कि वह माही के आसपास भी नही फटकेगा. अगर उस ने माही को तंग किया, तो उस पर कार्यवाही की जाएगी और 2 साल की जेल भी हो सकती है. उसे एक अलग घर में रहने के लिए कहा गया.

निहाल सिंह फोन कर के बारबार माही से माफी मांगने लगा. उसे पता था कि माही का दिल पिघल जाता है. वह उसे अब भी प्यार करती है. मगर रूबी ने मां को साफसाफ कह दिया, ‘‘मम्मी, इस बार अगर तुम ने पापा को माफ किया, तो मैं कभी तुम से बात नहीं करूंगी.’’

माही ने निहाल सिंह का फोन उठाना भी बंद कर दिया.

रूबी पिता को फोन पर धमकी देते हुए बोली, ‘‘आज के बाद अगर आप ने मम्मी को फोन किया, तो आप को

2 साल की जेल हो जाएगी. आप यह बात भूलिएगा मत कि वे अब अकेली नहीं हैं. आज तक जो आप ने उन के साथ किया, उस के लिए हम तीनों आप से कोई रिश्ता नहीं रखेंगे और उन्हें इंसाफ दिलवा कर ही रहेंगे.’’

पहले निहाल सिंह गिड़गिड़ाया, फिर बेशर्मी से बोला, ‘‘मैं भी तुम लोगों से कोई रिश्ता नहीं रखना चाहता. आज तक मैं ने तुम दोनों की पढ़ाई पर जो भी खर्चा किया, वह मुझे वापस कर दो.’’

यह सुनते ही रूबी की आंखों में आंसू आ गए. उस का बाप इतना गिर सकता है, उस ने कभी सोचा भी नहीं था, मगर फिर भी वह हिम्मत कर अपने आंसुओं को रोकते हुए बोली, ‘‘पैसा तो हम दे देंगे, लेकिन इतने सालों तक आप ने मम्मी को जो दुख दिया है, क्या वे दिन वापस लौटा देंगे?’’ कहते हुए रूबी ने फोन रख दिया और माही की तरफ देखा, जिस की आंखों से आंसुओं की धारा बह रही थी.

रूबी ने झट से मां को अपने गले से लगा लिया. मगर उन्हें चुप नहीं कराया, बल्कि सालों का जो जमा सैलाब था, उसे बहने दिया.

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