46 की उम्र में पापा बनने वाले हैं अर्जुन, 14 साल छोटी हैं गर्लफ्रेंड

बौलीवुड एक्टर अर्जुन रामपाल  इन दिनों अपनी पर्सनल लाइफ की वजह से सुर्खियों में हैं. कुछ समय पहले ही अर्जुन ने अपनी पत्नी मेहर जेसिया से तलाक लिया था. इसके बाद वो अपनी गर्लफ्रैंड गैब्रिएला की वजह से चर्चा में आ गए. दोनों को कई मौकों पर लगातार साथ देखा गया है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अर्जुन और उनकी गर्लफ्रेंड गैब्रिएला को मिले ज्यादा समय नहीं हुआ है, लेकिन लगता हैं कि दोनों अपने रिश्ते को नया नाम देने वाले हैं. क्योंकि हाल ही में अर्जुन रामपाल ने इंस्टाग्राम अकाउंट पर इस बात का खुलासा किया है कि वो तीसरी बार पापा बनने वाले हैं.

बिना शादी के पिता बनेंगे अर्जुन…

इंस्टाग्राम पोस्ट में अर्जुन ने गैब्रिएला के साथ तस्वीर को पोस्ट करते हुए लिखा. मैं अपने आपको खुशकिस्मत मानता हूं कि तुम मेरी जिंदगी में हो और मैं तुम्हारे साथ जिंदगी दोबारा शुरू कर पा रहा हूं. तुम्हारा बहुत-बहुत शुक्रिया बेबी कि तुम मेरी जिंदगी में एक नए मेहमान को लाने जा रही हो. इस फोटो में उनकी गर्लफ्रैंड बेबी बंप के साथ नजर आ रही हैं. जिससे साफ है कि अर्जुन तीसरी बार पिता बनेंगे.

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Spread the love. Happy Valentines to all. #valentines

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कौन है अर्जुन की नई गर्लफ्रेंड….

साउथ अफ्रीकन माडल और एक्ट्रेस हैं. बालीवुड में गैब्रिएला को दर्शकों ने फिल्म सोनाली केबल में देखा है. गैब्रिएला ने मिस इंडियन प्रीमियर लीग बालीवुड 2009 में भाग लिया था और वो FHM की 100 Sexiest Women In The World की लिस्ट में शामिल रह चुकी हैं. मिस आईपीएल बौलीवुड बनने के बाद उन्हें काफी शोहरत मिली थी और उन्होंने डेक्कन चार्जर्स को रिप्रेजेंट भी किया था. गैब्रिएला 32 साल की हैं, जबकि अर्जुन 46 साल के हो चुके हैं.

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पहली शादी से हैं दो बेटियां…

अर्जुन रामपाल की अपनी पहली पत्नी मेहर जेसिया से दो बेटियां माहिका रामपाल और मायरा रामपाल हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक उनकी बड़ी बेटी माहिका रामपाल जल्द ही बौलीवुड में कदम रखेंगी.

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Through a father’s eyes. #mytwogirls #mytwoboys #mahikaa #myra #brando #dean

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बता दें कि पत्नी से अलग होने के बाद अर्जुन लगातार अपने अफेयर की वजह से सुर्खियों में रहे हैं. अर्जुन रामपाल की प्रोफेशनल लाइफ की बात की जाए तो वो कुछ समय पहले फिल्म ‘डैडी’ में नजर आए थे और हाल में उन्होंने ‘द फाइनल काल’ नाम की वेब सीरीज की थी.

पानी में आग लगा रही हैं अलाना पांडे, देखें तस्वीरें

अनन्या पांडे अपनी नई फिल्म ‘स्टूडेंट औफ द ईयर 2’ के साथ बड़े पर्दे पर धमाल मचाने के लिए तैयार हैं. वहीं दूसरी ओर उनकी कजिन अलाना आए दिन अपनी हौट और बोल्ड अंदाज वाली फोटोज के जरिए लोगों का ध्यान अपनी ओर खींच रही हैं. आमतौर पर स्टारकिड्स लाइमलाइट में रहते हैं पर वो मीडिया की नजरों से कोसो दूर हैं. अलाना अपनी सेंसुअल फोटोज की वजह से सोशल मीडिया पर छाई रहती हैं. तो आइए उनकी कुछ जबरदस्त तस्वीरों से आपको रूबरू कराएं.

 

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आपको बता दें कि अलाना को ट्रेवलिंग, पेट्स का काफी शौक है. अपनी व्यस्त जिंदगी से कुछ वक्त निकाल कर वो ट्रेवलिंग पर निकल जाती हैं. इसके अलावा अपनी फिटनेस को ले कर वो काफी सजग हैं. खुद को फिट रखने के लिए वो एक्सरसाइजेज करती रहती हैं.

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इन सब के अलावा अलाना को स्विमिंग और खाने पीने का काफी शौक है.

 

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No new friends 🐠

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ये भी पढ़ें : बिकिनी में मस्ती करती दिखीं काजोल की बहन, तस्वीरें हुईं वायरल

 

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Part-Time Mermaid🐬

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photos : गरमी में कैसे खुद को कूल रखती हैं एली

हाल में एली अबराम ने अपने इंस्टाग्राम पर कुछ तस्वीरें शेयर की जिसमें देखा जा सकता है कि मुंबई की गर्मी में खुद को कैसे कूल रखती हैं. ऐसी की इन तस्वीरों को सोशल मीडिया पर काफी सराहा जा रहा है. ऐसी के फैंस इन तस्वीरों को बेहद पसंद कर रहे हैं. तस्वीरों में साफ देखा जा सकता है कि गर्मी से बचने के लिए वो मौसमी फलों का सेवन करती हैं, इस तस्वीर में वो तरबूज खा रही हैं. तरबूज खाते हुए भी वो बेहद सेंसुअल पोज में दिख रही हैं.

तो आइए देखें उनकी तस्वीरें.

 

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LA you had me at your smile❤️.

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आपको बता दें कि एली बिग बौस सीजन 7 की कंटेस्टेट थी. इस दौरान सलमान की ये फेवरेट थी.

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‘कलंक’ देखने से पहले पढ़ लें ये

फिल्म ‘‘कलंक’’ की उलझी हुई प्रेम कहानी देश के बंटवारे की पृष्ठभूमि में 1944 में लाहौर के पास स्थित हुसैनाबाद से शुरू होती है. फिल्म की कहानी के केंद्र में बहार बेगम (माधुरी दीक्षित), बलराज चैधरी (संजय दत्त), देव चैधरी (आदित्य रौय कपूर), सत्या चैधरी (सोनाक्षी सिन्हा) ,रूप (आलिया भट्ट) और जफर (वरूण धवन) हैं. कहानी जैसे-जैसे आगे बढ़ती है, वैसे-वैसे पता चलता है कि यह सभी एक दूसरे के साथ जुड़े हुए हैं.

इतने बड़े स्टारकास्ट वाली पीरियड फिल्म के बारे में जाने सब कुछ.

फिल्म रिव्यू- कलंक

एक्टर- आलिया भट्ट, वरुण धवन, सोनाक्षी सिन्हा, आदित्य रौय कपूर, माधुरी दीक्षित, संजय दत्त

निर्देशक- अभिषेक वर्मन

रेटिंग- 3 स्टार

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कहानी…

फिल्म शुरू होती है अपनी दो छोटी बहनों के साथ रूप के पतंग उड़ाने से. रूप जब अपनी बहनों के साथ अपने घर पहुंचती है, तो अपने पिता के साथ सत्या चैधरी को बैठे देखकर गुस्सा होती है. डाक्टरों के अनुसार कैंसर की मरीज सत्या चैधरी की जिंदगी सिर्फ एक-दो साल की ही है. सत्या चाहती है कि रूप उनके घर में आकर रहे. सत्या चाहती है कि उसकी मौत के बाद उसके पति देव चौधरी, रूप से शादी कर लेंगे. रूप अपनी बहनों के भविष्य को देखते हुए सत्या के घर जाने के लिए मजबूर होती है, पर वह शर्त रखती है कि देव चैधरी उसके साथ शादी कर लें. देव और रूप की शादी हो जाती है. सुहागरात के वक्त देव, रूप से कहता है कि उसने सत्या के दबाव में यह शादी की है. वह सिर्फ सत्या से प्यार करते हैं, इसलिए कभी रूप से प्यार नही कर पाएंगे. मगर रूप को इज्जत मिलेगी. देव चैधरी के पिता बलराज चैधरी का पुश्तैनी अखबार ‘डेली टाइम्स’ है. लंदन में पढ़ाई कर वापस लौटे देव ने ‘डेली टाइम्स’ की बागडोर संभाल रखी है. वह देश के बंटवारे के खिलाफ अपने अखबार में लिखते रहते हैं. इससे मुस्लिम लीग के नवोदित नेता अब्दुल (कुणाल खेमू) नाराज रहता है. अब्दुल को हिंदुओं से नफरत है. अब्दुल की इस नफरत की आग को भड़काने में अहम योगदान हीरामंडी में ही पले बढ़े जफर का है जो एक लोहार है. जफर के अंदर गुस्सा और आग है. लोग उसे हरामी व नाजायज कहते हैं. एक दिन गाने की आवाज सुनकर रूप हवेली की नौकरानी सरोज से सवाल करती है, तो सरोज बताती है कि यह आवाज हीरामंडी स्थित हवेली से बहार बेगम की है, पर चौधरी परिवार के उसूलों के अनुसार रूप हीरामंडी नही जा सकती. रूप और देव को नजदीक लाने के लिए सत्या, रूप से कहती है कि उसे देव के साथ अखबार के संपादकीय विभाग में काम करना चाहिए. रूप शर्त रखती है कि ऐसा वह तभी करेगी, जब उसे बहार बेगम से संगीत सीखने को मिलेगा. मजबूरन सत्या, बलराज से आज्ञा ले लेती है. सरोज, रूप को लेकर बहार बेगम के पास जाती है. बहार बेगम, रूप की आवाज पर मोहित हो जाती है. वापसी में रूप की मुलाकात जफर से होती है. जफर लड़कियों का शौकीन है. लेकिन जफर को जल्द अहसास हो जाता है कि शादीशुदा रूप दूसरी लड़कियों की तरह नही है. फिर भी रूप और जफर की मुलाकातें होती रहती हैं. अपने अखबार ‘डेली टाइम्स’ के लिए हीरामंडी के लोगों पर कहानी लिखने के लिए रूप पहले अब्दुल (कुणाल खेमू) से मिलती है, पर अब्दुल मदद नही करता, क्योंकि अब्दुल को पता है कि वह देव चैधरी की दूसरी पत्नी है. तब जफर उसे कई कहानियां बताता है और हीरामंडी घुमाता है. धीरे-धीरे रूप को जफर से प्यार हो जाता है, मगर जफर तो चैधरी परिवार से इंतकाम लेने के लिए रूप का इस्तेमाल करता है. बहार बेगम, रूप को सावधान करती है. लेकिन बाद में पता चलता है कि जफर, बहार बेगम और बलराज चैधरी का नाजायज बेटा है. बहार बेगम को सत्रह साल की उम्र में शादीशुदा बलराज चैधरी से प्रेम हुआ था. बलराज को अपने करीब लाने के लिए ही उसने जफर को जन्म दिया था, पर बलराज ने उसे अपनी हवेली में जगह नही दी थी, तो वह जफर को सड़क पर छोड़ आयी थी, फिर भी बलराज ने उसे स्वीकार नहीं किया था. इसी बीच कुछ लोगों ने जफर को हीरामंडी में लाकर पाला. एक दिन बहार बेगम ने जफर को सच बता दिया था. तब से जफर के अंदर चौधरी परिवार से इंतकाम लेने की आग जल रही है. लेकिन जफर सचमुच रूप से प्यार करने लगता है जिसके बाद कहानी नया मोड़ लेती है.

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डायरेक्शन…

फिल्मकार अभिषेक वर्मन ने पूरी फिल्म में इसी बात को दिखाने की कोशिश की है कि सच्चा प्यार, समाज के बनाए नियमों, धर्म की बंदिशों और इंसान की बनाई गई सरहदों को नहीं मानता. इस बात को साबित करने में वो सफल रहे हैं. लेकिन फिल्म में कुछ कमियां भी हैं.

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कमियां…

फिल्म की लंबाई और पटकथा की कमजोरी के चलते फिल्म कई जगह बोर करती है, कहानी की पृष्ठभूमि 1940 का दशक है, मगर फिल्म के भव्य सेट उस काल को रेखाकिंत करने में असफल रहे हैं. एडीटिंग टेबल पर यदि इस फिल्म को कसा जाता, तो यह एक कल्ट/अति बेहतरीन फिल्म बन सकती थी. फिल्म से एक दो गीत कम किए जा सकते थे. अब इसे पटकथा लेखक की कमी कहें या कहानीकार की कमी. पटकथा लेखक की कमजोरी के चलते बहार बेगम और रूप के बीच गुरू-शिष्य के अलावा जो दूसरा रिश्ता है, उसकी टीस भी ठीक से उभर नहीं पाती. कहानी के मामले में भी यह फिल्म कुछ पुरानी क्लासिक फिल्मों की याद दिलाती है.

फिल्म की खूबियां…

दमदार संवादों के चलते दर्शक फिल्म को झेल जाता है. संवाद लेखक की तारीफ जरुर की जानी चाहिए. अलावा इस फिल्म की सबसे बड़ी मजबूत कड़ी इसके कलाकार हैं. फिल्म के कैमरामैन बिनोद प्रधान जरुर तारीफ के हकदार हैं. जहां तक गीत संगीत का सवाल है तो ‘घर मोरे परदेसिया’ और ‘कलंक’के अलावा दूसरे गीत प्रभावित नहीं करते.

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एक्टिंग…

जहां तक अभिनय का सवाल है, तो रूप के अति जटिल किरदार को आलिया भट्ट ने अपने प्रभावशाली और शानदार अभिनय से जिंदा कर दिया है. मजबूर, गुस्सा, असहाय, दुखी हर भाव आलिया भट्ट के चेहरे पर सहज ही आते हैं. जफर के किरदार में वरूण धवन ने अपनी शारीरिक बनावट के साथ ही जफर के अंदर चल रहे हर भाव को बड़ी खूबी से परदे पर उकेरा है. माधुरी दीक्षित ने साबित कर दिखाया कि आज भी अभिनय और डांस में उनका कोई सानी नही है. आदित्य रौय कपूर व कुणाल खेमू भी प्रभावित करते हैं. सोनाक्षी सिन्हा ने भी अपने किरदार के साथ न्याय किया है. संजय दत्त के हिस्से कुछ खास करने को नहीं था.

Edited By- Nisha Rai

बिकिनी में मस्ती करती दिखीं काजोल की बहन, तस्वीरें हुईं वायरल

काजोल की बहन तनीषा मुखर्जी एक लंबे समय से बौलीवुड में एक्टिव नहीं हैं पर सोशल मीडिया के जरिए लोगों के बीच चर्चा में बनी रहती हैं. तनीषा अक्सर अपनी हौट फोटोज सोशल मीडिया पर शेयर करती रहती हैं. यही कारण है कि लगातार उनकी फैन फौलोविंग बढ़ती जा रही है.

हाल ही में उन्होंने इंस्टाग्राम पर अपनी हौट तस्वीरें शेयर की, जिसके बाद अपने फैंस के बीच एक बार फिर से उनकी चर्चा तेज हो गई. इन तस्वीरों में तनीषा सी बीच पर मस्ती करती दिख रही हैं. तस्वीरों में वो बिकिनी में हैं, जो उनकी हौटनेस में चार चांद लगा रहा है.

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तो आइए देखें उनकी हौट तस्वीरें.

 

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Some #yoga in the pool Is super fun and super tough! #tanishaamukerji #travel #health #mindbodysoul #fun #nature #indonesia

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This shoot was such fun! #tanishaamukerji #healthymindhealthybody #photoshoots @shilpa.s.patil #yogichaubal @shrirangparipatyadar

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Missing this sea and sunshine! Been landlocked too long #rajaampat #diving #tanishaamukerji #nature #travel #saltlife

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तनीषा एक लंबे समय से इंडस्ट्री में एक्टिव नहीं हैं. इससे पहले वो ‘सरकार’ और ‘वन टू थ्री’ जैसी फिल्मों से बड़े पर्दे पर दिख चुकी हैं.

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edited and improvised by Shubham

Video: प्यार में पागल आलिया, वरुण को बोल बैठी रणबीर

रणबीर कपूर और आलिया भट्ट के इश्क के चर्चे आए दिन सुनने को मिलते हैं. कई पब्लिक प्लैटफौर्म पर भी दोनों ने खुल कर अपने रिश्ते के बारे में बोला है. पर ऐसा लग रहा है कि आलिया पर रणबीर का कुछ ज्यादा ही खुमार छाया हुआ है. प्यार में आलिया इस कदर डूबी हुई हैं कि वो अपनी सुधबुध सब खो बैठी हैं. शायद यही वजह है कि आलिया सबके सामने वरुण धवन को रणबीर बुला बैठीं.

हाल ही में आलिया अपने फिल्म ‘कलंक’ का प्रमोशन करने एक प्रोग्राम में पहुंची. इस कार्यक्रम में वरुण, सोनाक्षी और आदित्य रौय कपूर भी शामिल थे. इसी बीच एक सवाल जवाब के दौरान आलिया ने वरुण धवन का नाम लेने की जगह रणबीर कपूर का नाम ले बैठी. यह वीडियो काफी वायरल हो रहा है जिसमें आलिया वरुण को रोक कर कुछ बोलने कोशिश करती दिख रही हैं.

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तस्वीरें जरूर देखें : पति के साथ हौट वर्कआउट करती दिखीं ‘चंद्रमुखी चौटाला’

वीडियो में देखा जा सकता है कि आलिया ने जैसे ही रण….बोला, वरूण ने तुरंत बात संभाल ली और आलिया से कहा कि वो इस बारे में बात न करें. फिर क्या था आलिया के साथ बैठे वरूण, सोनाक्षी और आदित्य ने मिल कर उनकी टांग खिंचाई करनी शुरू कर दी. इस पर आलिया शर्म के मारे लाल हो गई थी.

edited and improvised by Shubham

प्रेग्नेंसी में गोल्फ खेल रहीं एमी जैक्सन, देखें वीडियो

अभिनेत्री एमी जैक्सन का कोई जवाब नहीं. वह पत्रकारों से दूर भागती रहती हैं, मगर इंस्टाग्राम व ट्वीटर सहित लगभग हर सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर वह लगातार अपने बारे में कुछ न कछ लिखती या फोटो पोस्ट करती रहती हैं. कुछ समय पहले एमी जैक्सन ने कहा था कि वह गर्भवती हैं, तब उन्होंने अपने बेबी बंप की तस्वीर पोस्ट की थी. अब उन्होने इंस्टाग्राम पर एक वीडियो पोस्ट किया है. इस वीडियो में वह गर्भवती होते हुए भी गोल्फ खेलती नजर आ रही हैं.

amy jackson playing golf during pregnancy

amy jackson playing golf during pregnancy

जी हां, एमी जैक्सन ने जो वीडियो पोस्ट किया है, उसमें वह काले रंग की टू पीस बिकनी के ऊपर सफेद किमोनो पहने गोल्फ खेलती नजर आ रही हैं. वीडियो में उनका बेबी बंप भी नजर आ रहा है.

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⚠️ Bump spam has begun ⚠️

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गौरतलब है कि एमी जैक्सन ने अभी तक अपने ग्रीस के प्रेमी के साथ शादी नहीं की है. उनका इरादा 2020 में शादी करने का है, पर उससे पहले वह मां बन चुकी होंगी. एमी का दावा है कि वह अपने प्रेमी के साथ बहुत खुश हैं.

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इसके अलावा वो अपने बेबी बंप की फोटोज और वीडियोज पोस्ट करती रहती हैं. हाल ही में उन्होंने एक वीडियो पोस्ट किया था जिसमें वो सी बीच पर हैं और हवाओं से उनका गाउन हल्का सा हटता है और उनका बेबी बंप दिखता है.

 

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… coming soon 📸

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(EDITED BY : SHUBHAM SRIVASTAVA)

पति के साथ हौट वर्कआउट करती दिखीं ‘चंद्रमुखी चौटाला’

टीवी पर चंद्रमुखी चौटाला के नाम से मशहूर कविता कौशिक अपने पति रोनित विस्बास के साथ छुट्टियां मना रही हैं. इस दौरान उन्होंने बहुत सी तस्वीरें सोशल मीडिया पर शेयर की. इन तस्वीरों में दोनों वर्कआउट करते करते मस्ती भी कर रहे हैं. आइए देखें तस्वीरें.

 

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Shades of brownies 😍 #chocolateganache and #caramel ❤️

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Tu mera Hero ❤️

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आपको बता दें कि कविता और रोनित ने दो साल पहले ही शादी की थी. इन तस्वीरों में दोनों का एक दूसरे के लिए प्यार साफ देखा जा सकता है.

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एक दूसरे पर है भरोसा

इस तस्वीर को देखिए, ऐसा करने के लिए दोनों का एक दूसरे पर बहुत भरोसा होना जरूरी है. तस्वीरों से साफ जाहिर हो रहा है कि दोनों एक दूसरे को कितना अच्छे से समझते हैं.

 

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My beautiful and rather shocked village audience 😂❤️#inbetweenshots #pamperthelungs #yogaeverywhere #mindotaseeldarni

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अक्सर दोनों समुंद्र के किनारे वर्कआउट करते हुए दिखते हैं. हर हफ्ते कविता सी बीच से अपनी कोई ना कोई तस्वीर सोशल मीडिया पर शेयर करती हैं.

अल्बर्ट पिंटो को गुस्सा क्यों आता है : एक कल्ट फिल्म का घटिया रीमेक

रेटिंग: दो स्टार

सईद अख्तर मिर्जा की 1980 में प्रदर्शित सर्वाधिक चर्चित व कल्ट फिल्म ‘‘अल्बर्ट पिंटो को गुस्सा क्यों आता है’’ पर उसी नाम से बनी यह रीमेक फिल्म 1980 की फिल्म के मुकाबले बहुत ही घटिया है.

फिल्म ‘‘अल्बर्ट पिंटो को गुस्सा क्यों आता है’’ शुरू होती है सड़क पर अपने स्कूटर पर बैठकर जा रहे अल्बर्ट पिंटो (मानव कौल) से. कुछ दूर जाने के बाद सड़क पर  अंडरवर्ल्ड के साटम का खास आदमी नायर (सौरभ शुक्ला) जीप लेकर अल्बर्ट पिंटो को मिलता है. अल्बर्ट पिंटो अपना स्कूटर छोड़कर उसकी जीप में सवार हो जाता है. नायर उसे एक बंदूक देता है. अब यह दोनों मुंबई से गोवा जा रहे हैं. गोवा में सूर्यकांत और जगताप की हत्या अल्बर्ट पिंटो को करनी है. मुंबई से गोवा पहुंचने से पहले रास्ते में कई जगह यह दोनो रूकते हैं, ढाबे पर खाना खाते हैं, बिअर पीते हैं, आपस में कई तरह की बाते करते हैं.

इस बात का भी खुलासा होता है कि हाईवे पर चल रहे ढाबों में खानपान के साथ ही वेश्यागीरी व समलैंगिकता का धंधा भी धड़ल्ले से चल रहा है. गोवा पहुंचने से पहले बीच बीच में अबर्ट पिंटो अतीत में जाता रहता है, जिससे धीरे धीरे पता चलता है कि अल्बर्ट पिंटो की अभी तक शादी नहीं हुई है. उसकी प्रेमिका स्टेला (नंदिता दास) है. वह स्टेला के साथ ही रहता है. स्टेला का भाई व पिता, अल्बर्ट पिंटों को पसंद नहीं करते. अल्बर्ट पिंटो के पिता जोफ पिंटो एक सरकारी विभाग में कार्यरत अति ईमानदार इंसान हैं. एक दिन टीवी समाचार से ही अल्बर्ट को पता चलता है कि जगताप व सूर्यकांत द्वारा कई सौ करोड़ रूपए के घोटाले करने को हुए खुलासे में सीधा आरोप जोफी पिंटो पर लगा है. अल्बर्ट पिंटों के पिता भ्रष्टाचार के आरोप में सस्पेंड कर दिए जाते हैं. फिर जोफी पिंटो फांसी लगाकर आत्महत्या कर लेते हैं. इसलिए अल्बर्ट पिंटो को गुस्सा है और वह एक डीसीपी लोगों की मदद से अंडरवर्ल्ड डौन साटम के पास पहुंचकर उनके साथ काम करना शुरू करता है और जगताप व सूर्यकांत की हत्या करने के लिए गोवा जा रहा है. इधर बीच बीच में पुलिस इंस्पेक्टर प्रमोद (किशोर कदम), अल्बर्ट पिंटो की तलाश के सिलसिले में स्टेला सहित कई लोगो से पूछताछ कर रहा है. पर किसी के पास कोई सुराग नहीं है.

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अल्बर्ट इतना गुस्से में है और उसका दिमाग इतना खराब हो चुका है कि उसे हर आम इंसान कौआ लगता है. गरीब लोगों का हंसते व नाचते गाते देखकर उसे आश्चर्य होता है.

फिल्म में आम इंसान के फ्रस्ट्रेशन के साथ ही देश के हालातों पर रोशनी डालने का असफल प्रयास है. पूरी फिल्म व इसके घटनाक्रम कहीं से भी इमानदार व विश्सनीय नजर नहीं आते. फिल्म की गति बहुत धीमी है. कथा कथन की शैली के चलते भी यह फिल्म आम इंसान के सिर के उपर से गुजर जाती है. यह रीमेक फिल्म मौलिक फिल्म की तरह किसी भी मुद्दे को सही परिपेक्ष, संवेदनशीलता व संजीदगी के साथ नहीं उठाती.

जहां तक अभिनय का सवाल है, तो कमजोर पटकथा व कमजोर चरित्र चित्रण के बावजूद मानव कौल काफी हद तक फिल्म को संभालने का प्रयास करते हैं. करियर की यह सबसे कमजोर परफार्मेंस वाली फिल्म है. स्टेला के किरदार में नंदिता दास ने भी बेहतरीन अभिनय किया है. सौरभ शुक्ला अपने कुछ हास्य पंचो की वजह से ध्यान आकर्षित करने में सफल होते हैं.

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एक घंटा तीस मिनट की अवधि वाली फिल्म ‘‘अल्बर्ट पिंटो को गुस्सा क्यों आता है’’ का निर्माण पिंकी अंकुर पटेल, नुपुर राजे, सौमित्र रानाडे, विक्रम सक्सेना व जगमीत सिंह ने किया है. फिल्म के लेखक व निर्देशक सौमित्र रानाडे, संगीतकार अविषेक मजुमदार, कैमरामैन राहुल डे, गीतकार अश्विन कुमार तथा फिल्म को अभिनय से संवारने वाले कलाकार हैं-मानव कौल, नंदिता दास, सौरभ शुक्ला, किशोर कदम, अतुल काले व अन्य.

ब्लैकबोर्ड वर्सेस व्हाइटबोर्ड: शिक्षा व्यवस्था पर आघात

रेटिंग: ढाई स्टार

हमारे देश का यह दुर्भाग्य है कि शिक्षा पद्धति व शिक्षा व्यवस्था पर फिल्म बनाने वाले सभी फिल्मकार अब तक व्यावसायिकता के चक्कर में इस विषय के साथ न्याय करने में विफल होते रहे हैं. ताजातरीन फिल्म ‘‘ब्लैकबोर्ड वर्सेस व्हाइटबोर्ड’’ से इंटरवल तक अच्छी उम्मीदें जगाती है, मगर इंटरवल के बाद फिल्म मूल मुद्दे से भटक जाती है.

गांवों में प्राथमिक स्कूलों और प्राथमिक शक्षा व्यवस्था पर आघात करने वाली फिल्म ‘‘ब्लैकबोर्ड वर्सेस व्हाइट बोर्ड’’ की कहानी झारखंड के एक गांव के सरकारी प्राथमिक स्कूल की दुर्दशा की है. प्राथमिक स्कूल गांव के मुखिया गजराज प्रताप सिंह (अशोक समर्थ) के दादाजी द्वारा दान में दी गयी जमीन पर बना है. इसलिए स्कूल के दो कमरों में मुखिया अपनी गाय भैंस का भूसा भरते हैं. मुखिया ने अपना निजी स्कूल चला रखा है और उनका प्रयास रहता है कि बच्चे सरकारी प्राथमिक स्कूल की बजाय उनके स्कूल में पढ़ने जाएं. मुखिया की साली पुनीता( मधु रौय) ,मुखिया के स्कूल में पढ़ाने के साथ ही सरकारी प्राथमिक सकूल मे भी शिक्षक हैं, पर वह सिर्फ तनखाह लेने के लिए ही सरकारी प्राथमिक स्कूल में जाती है. प्राथमिक स्कूल के हेड मास्टर दीनानाथ(रघुवीर यादव) कुछ नहीं कर पाते हैं. वह मजबूर हैं. स्कूल में शिक्षक की कमी व स्कूल के कमरों पर मुखिया का कब्जा के चलते सभी बच्चे एक ही कक्षा में एक साथ बैठकर पढ़ते हैं. कुछ बच्चे तो सिर्फ मिडडे मील के लिए स्कूल आते हैं और मिडडे मील मिलते ही अपने घर चले जाते हैं. इतना ही नहीं मिड डे मील का चार माह से सरकार ने पैसा नही दिया है. स्कूल के शिक्षकों की तनखाह भी चार माह से नही मिली है. गांव की ही लड़की पिंकी (अभव्या शर्मा ) हाई स्कूल में पढ़ती है मगर गांव के दबंग उसे गांव से बाहर पढ़ने नहीं जाने देते इसलिए वह भी प्राथमिक स्कूल में ही बैठती है. एक दिन इस स्कूल में नए शिक्षक अमित (धर्मेंद्र सिंह) आते हैं. वह स्कूल की हालत देखकर विचलित होते हैं. पता चलता है कि उनकी अपनी एक अलग क हानी है. पढाई पूरी होने के बावजूद सही नौकरी न मिलने पर वह दुकान खोलकर पकौड़े व चाय बेचकर अच्छा पैसा कमा रहे थे पर उनकी शादी नहीं हो रही थी. इसलिए परिवार के दबाव में चाय पकोड़े की दुकान बंद कर शक्षक बन गए. हेड मास्टर दीनानाथ की सलाह पर वह उसी तरह से स्कूल के चलने देने के लिए राजी हो जाते हैं. पर तभी दिल्ली से एनआई समाचार चैनल की पत्रकार रश्मी (अलिस्मिता गोस्वामी) अपने कैमरामैन के साथ इस स्कूल पर स्टोरी तैयार करने आती है. अमित से उसकी बहस हो जाती है और अमित इस चुनौती को स्वीकार कर लेता है कि वह 15 दिन में इस स्कूल को एक आदर्श स्कूल बना देगा.

फिर अमित,हेड मास्टर दीनानाथ,रश्मी व बच्चों के सहयोग से स्कूल की कायापलट हो जाती है. पुनीता को रोज स्कूल आना पड़ता है. इससे मुखिया का भाई हेमराज उर्फ हेमू (मनु कृष्णा) काफी नाराज हैं. पर विधायकी का चुनाव लड़ने जा रहे मुखिया अपने भाई को चुप रहने को कहते हैं. लेकिन जिस दिन रश्मी व उसके कैमरामैन वापस दिल्ली जा रहे होते हैं उस दिन हेमू, शिक्षक अमित को धमकाता है, जिसे छिपकर कैमरामैन अपने कैमरे में कैद कर लेता है. दिल्ली पहुंचते ही रश्मी अपने चैनल पर खबर चलाती है कि किस तरह एक शिक्षक ने स्कूल की कायापलट की और मुखिया के भाई हेमू ने उसे किस तरह धमकाया. चैनल पर खबर आते ही मुखिया की पार्टी उन्हे विधायकी की टिकट देने से मना कर देती है. तब मुखिया मारते हुए हेमू को पुलिस स्टेशन लाते हैं, पर अमित उसके खिलाफ शिकायत दर्ज कराने से मना कर देते हैं. इस तरह मुखिया अपनी छवि सुधार कर पुनः विधायकी का चुनाव लड़ने की टिकट पा जाते हैं. उसके बाद हेमू अपने खास नौकर नथुनी की मदद से स्कूल के मिडडे मील में जहर मिलवा देते हैं और सारा आरोप स्कूल के शक्षक अमित पर लगता है. मामला अदालत पहुंचता है, जहां स्कूल की तरफ से वकील त्रिपाठी (अखिलेंद्र मिश्रा) और अमित की तरफ से रश्मी मुकदमा लड़ती है. कई घटनाक्रम तेजी से बदलते है. अंततः अदालत शिक्षक अमित को बाइज्जत बरी करती है और मुखिया गजराज सिंह, हेमू, पुनीता व नथुनी को दोषी मानते हुए इन पर नए सिरे से मुकदमा चलाने का आदेश देती है.

फिल्मकार व लेखक ने इस फिल्म में हमारे देश की शिक्षा व्यवस्था जैसे अति ज्वलंत मुद्दे को उठाया, यदि लेखक व निर्देशक ने संवेदनशीलता के साथ इस फिल्म पर काम किया होता, तो यह एक बेहतरीन फिल्म बन जाती. मगर दुर्भाग्य की बात है कि पटकथा लेखक की अपनी कमजोरियों के चलते यह फिल्म इंटरवल के बाद मूल मुद्दे से भटक कर महज निजी दुश्मनी व बदले की कहानी बनकर रह जाती है. मूल मुद्दा गायब हो जाता है. लेखक के उपर अभिनेता अखिलेंद्र मिश्रा इस कदर हावी हो गए कि उन्होने अदालती दृष्यों और खासकर अखिलेंद्र मिश्रा के संवादों को इस कदर बढ़ाया कि पूरी फिल्म तहस नहस हो गयी. इतना ही नहीं लेखक की अपनी कमियों के ही चलते फिल्म बेवजह लंबी हो गयी है. इसे एडीटिंग टेबल पर कसने की जरुरत थी. इसके अलावा लेखक की कमियों के ही चलते अमित व रश्मी के बीच प्रेम कहानी भी ठीक से नहीं उभरती.

फिल्म में ब्लैकबोर्ड, सरकारी प्राथमिक स्कूल का प्रतीक और व्हाइटबोर्ड, निजी स्कूल का प्रतीक है. मगर फिल्मकार इस अंतर का भी ठीक से परदे पर नही ला सके,परिणामतः फिल्म का शीर्षक भी सार्थक नहीं होता.

फिल्म के कैमरामैन धर्मेंद्र सिसोदिया जरुर बधाई के पात्र हैं उन्होंने गांव के जीवन, प्राकृतिक खूबसूरती वगैरह को बहुत बेहतरीन तरीके से अपने कैमरे से कैद किया है.

जहां तक अभिनय का सवाल है तो फिल्मकार ने रघुवीर यादव की प्रतिभा को जाया किया है. अखिलेंद्र मिश्रा ने अपने आपको दोहराया है. वह 1995 में आए सीरियल ‘चंद्रकांता’ के अपने क्रूर सिंह के किरदार से आज तक खुद को मुक्त नहीं कर पाए हैं. फिल्म के नायक अमित के किरदार को निभाने वाले अभिनेता धर्मेंद्र सिंह को अभी काफी मेहनत करने की जरुरत है. यदि वह सफलता के पायदान पर पहुंचना चाहते हैं,तो उन्हे अपने अभिनय में निखार लाना होगा.

दो घंटे 14 मिनट की अवधि वाली फिल्म ‘‘ब्लैकबोर्ड वर्सेस व्हाइट बोर्ड’’ का निर्माण नुपुर श्रीवास्तव, गिरीष तिवारी और आषुतोष रतन ने किया है. फिल्म के निर्देशक तरूण बिस्ट, निर्देशक गिरीष तिवारी, संगीतकार जयंत अंजान,कैमरामैन धर्मेंद्र सिसोदिया तथा फिल्म के कलाकार हैं- रघुबीर यादव, धर्मेंद्र सिंह, अलिस्मिता गोस्वामी, अशोक समर्थ,  अखिलेंद्र मिश्रा, पंकज झा व अन्य.

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