फिल्म ‘‘कलंक’’ की उलझी हुई प्रेम कहानी देश के बंटवारे की पृष्ठभूमि में 1944 में लाहौर के पास स्थित हुसैनाबाद से शुरू होती है. फिल्म की कहानी के केंद्र में बहार बेगम (माधुरी दीक्षित), बलराज चैधरी (संजय दत्त), देव चैधरी (आदित्य रौय कपूर), सत्या चैधरी (सोनाक्षी सिन्हा) ,रूप (आलिया भट्ट) और जफर (वरूण धवन) हैं. कहानी जैसे-जैसे आगे बढ़ती है, वैसे-वैसे पता चलता है कि यह सभी एक दूसरे के साथ जुड़े हुए हैं.

इतने बड़े स्टारकास्ट वाली पीरियड फिल्म के बारे में जाने सब कुछ.

फिल्म रिव्यू- कलंक

एक्टर- आलिया भट्ट, वरुण धवन, सोनाक्षी सिन्हा, आदित्य रौय कपूर, माधुरी दीक्षित, संजय दत्त

निर्देशक- अभिषेक वर्मन

रेटिंग- 3 स्टार

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कहानी…

फिल्म शुरू होती है अपनी दो छोटी बहनों के साथ रूप के पतंग उड़ाने से. रूप जब अपनी बहनों के साथ अपने घर पहुंचती है, तो अपने पिता के साथ सत्या चैधरी को बैठे देखकर गुस्सा होती है. डाक्टरों के अनुसार कैंसर की मरीज सत्या चैधरी की जिंदगी सिर्फ एक-दो साल की ही है. सत्या चाहती है कि रूप उनके घर में आकर रहे. सत्या चाहती है कि उसकी मौत के बाद उसके पति देव चौधरी, रूप से शादी कर लेंगे. रूप अपनी बहनों के भविष्य को देखते हुए सत्या के घर जाने के लिए मजबूर होती है, पर वह शर्त रखती है कि देव चैधरी उसके साथ शादी कर लें. देव और रूप की शादी हो जाती है. सुहागरात के वक्त देव, रूप से कहता है कि उसने सत्या के दबाव में यह शादी की है. वह सिर्फ सत्या से प्यार करते हैं, इसलिए कभी रूप से प्यार नही कर पाएंगे. मगर रूप को इज्जत मिलेगी. देव चैधरी के पिता बलराज चैधरी का पुश्तैनी अखबार ‘डेली टाइम्स’ है. लंदन में पढ़ाई कर वापस लौटे देव ने ‘डेली टाइम्स’ की बागडोर संभाल रखी है. वह देश के बंटवारे के खिलाफ अपने अखबार में लिखते रहते हैं. इससे मुस्लिम लीग के नवोदित नेता अब्दुल (कुणाल खेमू) नाराज रहता है. अब्दुल को हिंदुओं से नफरत है. अब्दुल की इस नफरत की आग को भड़काने में अहम योगदान हीरामंडी में ही पले बढ़े जफर का है जो एक लोहार है. जफर के अंदर गुस्सा और आग है. लोग उसे हरामी व नाजायज कहते हैं. एक दिन गाने की आवाज सुनकर रूप हवेली की नौकरानी सरोज से सवाल करती है, तो सरोज बताती है कि यह आवाज हीरामंडी स्थित हवेली से बहार बेगम की है, पर चौधरी परिवार के उसूलों के अनुसार रूप हीरामंडी नही जा सकती. रूप और देव को नजदीक लाने के लिए सत्या, रूप से कहती है कि उसे देव के साथ अखबार के संपादकीय विभाग में काम करना चाहिए. रूप शर्त रखती है कि ऐसा वह तभी करेगी, जब उसे बहार बेगम से संगीत सीखने को मिलेगा. मजबूरन सत्या, बलराज से आज्ञा ले लेती है. सरोज, रूप को लेकर बहार बेगम के पास जाती है. बहार बेगम, रूप की आवाज पर मोहित हो जाती है. वापसी में रूप की मुलाकात जफर से होती है. जफर लड़कियों का शौकीन है. लेकिन जफर को जल्द अहसास हो जाता है कि शादीशुदा रूप दूसरी लड़कियों की तरह नही है. फिर भी रूप और जफर की मुलाकातें होती रहती हैं. अपने अखबार ‘डेली टाइम्स’ के लिए हीरामंडी के लोगों पर कहानी लिखने के लिए रूप पहले अब्दुल (कुणाल खेमू) से मिलती है, पर अब्दुल मदद नही करता, क्योंकि अब्दुल को पता है कि वह देव चैधरी की दूसरी पत्नी है. तब जफर उसे कई कहानियां बताता है और हीरामंडी घुमाता है. धीरे-धीरे रूप को जफर से प्यार हो जाता है, मगर जफर तो चैधरी परिवार से इंतकाम लेने के लिए रूप का इस्तेमाल करता है. बहार बेगम, रूप को सावधान करती है. लेकिन बाद में पता चलता है कि जफर, बहार बेगम और बलराज चैधरी का नाजायज बेटा है. बहार बेगम को सत्रह साल की उम्र में शादीशुदा बलराज चैधरी से प्रेम हुआ था. बलराज को अपने करीब लाने के लिए ही उसने जफर को जन्म दिया था, पर बलराज ने उसे अपनी हवेली में जगह नही दी थी, तो वह जफर को सड़क पर छोड़ आयी थी, फिर भी बलराज ने उसे स्वीकार नहीं किया था. इसी बीच कुछ लोगों ने जफर को हीरामंडी में लाकर पाला. एक दिन बहार बेगम ने जफर को सच बता दिया था. तब से जफर के अंदर चौधरी परिवार से इंतकाम लेने की आग जल रही है. लेकिन जफर सचमुच रूप से प्यार करने लगता है जिसके बाद कहानी नया मोड़ लेती है.

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