लेखक – हेमंत कुमार
आज किसी भी इनसान को दिमागी बीमारी होने पर डाक्टरों से ज्यादा तांत्रिको के पास ले जाया जाता है, जिस से उन्हें कोई फायदा तो छोड़ो सिर्फ नुकसान ही होता है. कुछ ऐसा ही नुकसान रिम्मी के साथ भी हो सकता था, अगर वक्त पर विजय न आता. तो चलिए देखते हैं कि क्या हुआ था, उस दिन रिम्मी के साथ…
अचानक रिम्मी को ‘पेरानौयड पर्सनैलिटी डिसऔर्डर’ नाम की बीमारी के कुछ दौरे ही पड़े होंगे कि मां झट से गईं और चप्पल से रिम्मी पर अनगिनत वार करती चली गईं.
हां, हालांकि उन्हें ये बहुत बाद में पता चला कि रिम्मी की यह दौरे पड़ने वाली बात एक बीमारी ही है, जिसे मैडिकल साइंस में ‘पेरानौइड पर्सनैलिटी डिसऔर्डर’ कहा जाता हैं, वरना उस दिन रिम्मी की मां ने तो किसी ऊपरी साए का चक्कर समझ कर उस साए पर चप्पलों की बरसात कर दी थी, जबकि दर्द रिम्मी को सहना पड़ रहा था.
रिम्मी की मां ने उस की इस दौरे पड़ने वाली बात को समाज से छिपाए रखा शायद इसलिए, क्योंकि रिम्मी की शादी 1 साल पहले ही विजय से तय हो चुकी थी.
विजय पढ़ेलिखे परिवार का सुशील और गुणवान लड़का था और पेशे से एक अच्छाखासा बिजनेसमैन भी. रिम्मी और विजय दोनों ही एकदूसरे को कालेज से पसंद भी करते आए थे. ऐसे में मां नहीं चाहती थी कि किसी भी प्रकार से महल्ले वालों को रिम्मी की इस बीमारी के बारे में पता चले और इतना अच्छा ससुराल हाथ से निकल जाए.
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रिम्मी को जब कभी भी ये दौरे पड़ते, उस के थोड़ी देर बाद ही वह अपनेआप शांत हो जाती. उसे बिलकुल भी याद नहीं रहता कि उस के साथ क्या हुआ और उस ने कैसी कैसी हरकतें कीं. पर हुआ वही, जो रिम्मी की मां नहीं चाहती थीं. अब भला रिम्मी के घर से उस के चिल्लाने की अजीबोगरीब आवाज आना, रोनाबिलखना भला कोई कैसे अनसुना कर सकता था.
एक दिन ठेले पर सब्जी लेते वक्त सुनीता आंटी ने पूछ ही लिया, “अरे रिम्मी की मां, सुनो तो जरा, ये रिम्मी को क्या हो गया है. कोई बात है तो बताओ.”
सुनीता आंटी हमारे पड़ोस में ही रहती थीं और इसीलिए बाकी लोगों से ज्यादा उन के साथ रिम्मी की मां के संबंध अच्छे थे.
मां ने अभी तक अपना यह दुख किसी से बांटा नहीं था, शायद इसी वजह से सुनीता आंटी के जरा से पूछ लेने पर उन से रहा नहीं गया और दिल खोल के सारी बात बता दी. उन्हें लगा कि शायद इन के पास इस मुसीबत का कोई समाधान हो.
“अरे, इतनी सी बात के लिए इतना घबरा रही थीं आप. एक बार मुझे पहले ही बता तो दिया होता, अब भला रिम्मी हमारी बेटी नहीं हैं क्या…” सुनीता आंटी के इतना कहने पर रिम्मी की मां को आशा की एक किरण सूझने लगी. उन्हें लगा कि शायद सुनीता आंटी के पास इस समस्या का कोई समाधान जरूर है.
“अरे, मैं ने ऐसी कई लड़कियों को देखा है, जिन के ऊपर ऊपरी चक्कर या अन्य कोई दोष होता है और उस के चलते वह अजीबअजीब सी हरकतें करने लगती हैं.
‘‘डरो मत, मैं एक ऐसे तांत्रिक बाबा को जानती हूं, जो सिर्फ माथा छू कर सारी समस्या की जड़ बता देते हैं,” सुनीता आंटी ने रिम्मी की मां को आश्वासन देते हुए कहा.
मां ने बिना कुछ सोचेसमझे सुनीता आंटी से तांत्रिक के यहां चलने की बात पक्की भी कर ली.
“चलो रिम्मी उठो, जल्दी उठो और तैयार हो जाओ, कहीं जाना है,” मां ने सुबहसुबह ही रिम्मी को नींद से उठा दिया.
‘‘क्या हुआ मां? कहां जाना है? बताओ पहले…” रिम्मी ने लेटेलेटे ही पूछा.
“वो सुनीता आंटी एक तांत्रिक बाबा को जानती हैं. बड़े ही पहुंचे हुए बाबा हैं. वे तुझे देखते ही बता देंगे कि क्या परेशानी है और फिर तेरा इलाज भी कर देंगे,” मां ने बड़ी सरलता से रिम्मी को समझाया.
“मां, आप भी कैसे लोगों की बातों में आ जाती हैं और वो भी आज के जमाने में. आप ने ये कैसे सोच लिया कि मैं आप के साथ चलने को तैयार हो जाऊंगी. हां मेरी उपर वाले में आस्था जरूर है, पर आस्था और पाखंड में बहुत अंतर होता है.”
“बेटी, एक बार चल कर देखने में क्या बुराई है. और क्या पता, किस का तुक्का ठीक बैठ जाए. हमें तो बस तेरे ठीक होने से मतलब है और तेरी शादी को भी तो सिर्फ 6 महीने ही बचे हैं न? उस से पहले ही ठीक होना है न तुझे?” पिताजी भी मां की तुक में तुक मिलाए रिम्मी को समझाने लगे.
रिम्मी भी नानुकुर करतेकरते मान ही गई और तांत्रिक के पास चलने के लिए तैयार हो गई.
तांत्रिक का ठिकाना बड़ा ही घनचक्कर कर देने वाला था. पता नहीं, कितनी पतलीपतली संकरी गलियों के अंदर उस ने अपना घर बना रखा था.
सुनीता आंटी ने मां और रिम्मी को दरवाजे पर ही समझा दिया था कि जाते ही उन बाबा के पैर पकड़ कर आशीर्वाद ले लेना.
रिम्मी ने देखा कि तांत्रिक के घर पर पहले से ही 4-5 जने बैठे हुए हैं. रिम्मी को बड़ा आश्चर्य हुआ कि आज भी इतने लोग डाक्टरों को छोड़ कर इन पाखंडियों के पास आते हैं, खैर फिलहाल तो मैं भी आई हूं. सोच कर वह चुप ही रह गई, फिर सोचा कि अगर इतने लोग अपना इलाज कराने आए हैं तो अवश्य ही इस तांत्रिक में कोई तो बात जरूर होगी.
तकरीबन 2 घंटे के इंतजार के बाद रिम्मी का नंबर भी आ ही गया. रिम्मी ने इस से पहले कभी किसी तांत्रिक को साक्षात अपनी आंखों से नहीं देखा था, सिर्फ टैलीविजन पर ही देखा था. उस की अपेक्षा थी कि कोई काला कुरतापजामा पहने खोपड़ियों की माला और ढेर सारी अंगूठियां पहने काला टीका लगाए, आग जलाए बैठा होगा, परंतु अंदर जाते ही उस ने देखा कि करीब 40-45 साल का एक व्यक्ति साधारण कपड़ों में अपने सोफे पर बैठा हुआ है. हां, पर अंगूठियां तो उस ने भी पहनी थीं, और माथे पर काला टीका भी लगाया हुआ था.
तांत्रिक सुनीता आंटी को जानता था शायद, इसलिए उस ने सब लोगों के लिए चाय और बिसकुट की फौर्मेलिटी भी पूरी करी.
रिम्मी से तांत्रिक ने उस की बीमारी के बारे में विस्तार से पूछा और अंदर बने एक रूम में ले जा कर कुछ जादूटोने कर कई तरह के प्रपंच करने लगा, जिन का रिम्मी पर कोई प्रभाव नहीं पड़ रहा था. फिर रिम्मी को बाहर ले जा कर उस ढोंगी तांत्रिक ने मां को आश्वासन दिलाते हुए कहा, “देखो, किसी भटकती आत्मा ने रिम्मी के शरीर को अपना वास बना लिया है, पर घबराने वाली कोई बात नहीं. ऐसे केस मेरे पास आएदिन आते रहते हैं, मेरे लिए यह कोई बड़ी बात नहीं.”
तांत्रिक अपनी बड़ाई करते थक नहीं रहा था कि अगले ही पल असली मुद्दे पर भी आ गया.
“देखिए, इस तरह की आत्माओं से निबटने के लिए अकसर विशेष पूजा को पूरी विधि से कराने की जरूरत पड़ती है और एक बकरे की बलि भी देनी ही पड़ती है.
‘‘इस पूरे काम में कम से कम 40,000 से 50,000 रुपए का खर्च तो मान के ही चलिए, लेकिन आप लोग चिंता मत करिए, सारी सामग्री की व्यवस्था हम खुद ही कर लेंगे. अगर आप को ठीक लगे तो बताना. आगे की विधि मैं आप को जब ही बताऊंगा.”
रिम्मी चालाकी दिखाते हुए बोली, “बाबाजी, आप बस अपना खर्च बता दीजिए, सामग्री का इंतजाम हम खुद कर लेंगे.”
“नहीं बेटी, यह कोई ऐसीवैसी सामग्री नहीं जो कहीं पर भी मिल जाए. यह सामग्री हमारे सिद्ध गुरुजी की आज्ञा से विशेष विधि से लाई जाती है, इसलिए यह काम तुम हम पर ही छोड़ दो,” तांत्रिक अपना उल्लू सीधा करने के मकसद से बोल रहा था.
सब ने तांत्रिक से अलविदा ली और जैसे ही जाने के लिए मुड़े वैसे ही तांत्रिक ने टोकते हुए कहा, “जी, वो मेरी फीस…’’
फीस के नाम पर उस तांत्रिक ने पहली ही मुलाकात में रिम्मी की मां से 5,000 रुपए ऐंठ लिए.
रिम्मी को तांत्रिक की 5,000 रुपए मांगने वाली बात पर कुछ शक हुआ. वह समझ चुकी थी कि यह सच में तांत्रिक के नाम पर पाखंडी चोर है, पर उस की मां तांत्रिक की बातें आंखें बंद कर मानने लगी थीं.
घर पहुंचते ही रिम्मी के फोन पर विजय का फोन आया, तो वह चुपचाप अपने रूम की ओर निकल गई और मांपिताजी को तांत्रिक की विशेष पूजा वाली बात बताने लगी और भला मां के आगे पिताजी की कभी चली ही नहीं तो अब क्या चलती.
मां और पिताजी ने रिम्मी से कहा कि वह तांत्रिक बाबा से तुम्हारे लिए विशेष पूजा करवाएंगे. रिम्मी ने भी कोई तर्क नहीं किया और बड़ी आसानी से मान गई. मां ने तुरंत तांत्रिक को फोन लगाया और आगे की सारी विधि समझ ली.
तांत्रिक ने उन्हें बताया, “मैं जो पता बताने जा रहा हूं अमावस्या की रात वहां पहुंच जाना, हम रिम्मी के अंदर बैठी उस दुष्ट आत्मा को बोतल में कैद कर अपने साथ ले जाएंगे और रिम्मी को उस दुष्ट आत्मा से हमेशा के लिए मुक्त कर देंगे.”
अमावस्या की रात भी आ चुकी थी. रिम्मी की मां और पिताजी उसे ले कर तांत्रिक के बताए उस पते पर पहुंच गए थे.
तांत्रिक पहले ही रिम्मी के पिताजी से पूरे 50,000 रुपए की दक्षिणा मांग लेता है और रिम्मी को अपने साथ खुफिया कमरे में ले जा कर कहता हैं, “रिम्मी बेटा अब अपने सारे वस्त्र खोल कर इस आसन पर बैठ जाओ, इस विशेष पूजा में तन पर कोई वस्त्र नहीं होना चाहिए वरना वो आत्मा कभी तुम्हारे अंदर से नहीं निकल पाएगी.”
इतना कहते ही रिम्मी ने एक जोरदार तमाचा तांत्रिक के गाल पर जड़ दिया. उतने में ही विजय अपने कई अन्य साथियों के साथ दौड़ता हुआ गेट तोड़ कर उस कमरे में जा घुसा.
रिम्मी के मां और पिताजी को कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि ये हो क्या रहा है और जमाई राजा यहां कैसे आ गए, वो भी इतने आदमी ले कर.
विजय ने अंदर पहुंचते ही उस तांत्रिक को पकड़ कर रिम्मी से दूर किया और पीटपीट कर तांत्रिक का बुरा हाल कर दिया.
“पापाजी, शायद आप लोगों को यह नहीं मालूम कि यह कोई तांत्रिक नहीं, बल्कि सब से बड़ा ठग और बदचलन भेड़िया है, जो अपने यहां आए हुए पीड़ितों से जब तक हो सके, तब तक पैसे ऐंठता हैं और आखिर में उन के साथ कुकर्म कर के फरार हो जाता है. यह अब लोगो को लूटने उन के घर नहीं जाता, बल्कि लोग इस के पास खुद आते हैं अपनेआप को लुटवाने के लिए, जैसे आज आप लोग खुद आए हैं इस के पास. ये पाखंडी, लोगो को ठीक करने का झूठा वादा कर उन से हजारों रुपए तक वसूल लेता हैं और फिर किसी और शहर में अपना दूसरा शिकार ढूंढने के लिए निकल जाता है.”
विजय ने उस पाखंडी बाबा की सचाई रिम्मी के पिताजी को बताई, जिसे रिम्मी की मां भी सुन रहीं थीं.
विजय ने बताया, “कई महीने पहले मेरा ये साथी विक्रम ( उन ही लोगों में से एक अपने साथी विक्रम की ओर इशारा करते हुए बोलता है) जो दूसरे शहर में रहता था, इस की पत्नी भी अपना इलाज इस से करवा रही थी, पर इस ने मेरे साथी विक्रम की पत्नी से धीरेधीरे तरहतरह के प्रपंच कर के लाखों रुपए ऐंठ लिए और जब उसे लगा कि और पैसे नहीं मिल सकते जब आखिरी बार उन की पत्नी को ऐसे ही एक क्रियाकर्म के लिए बुलवाया और एक खुफिया कमरे में ले जा कर छेड़छाड़ करने की कोशिश की. किसी तरह से वो अपनी इज्जत बचा कर भाग पाई. उस दिन से इस का उस शहर में कोई पता नहीं लगा.”
‘‘पर, बेटा तुम्हें कैसे पता चला कि हम लोग रिम्मी को ले कर इस तांत्रिक के पास आए हुए हैं,” मां ने विजय से पूछा.
‘‘मांजी जिस दिन आप रिम्मी को पहली बार इस पाखंडी के पास ले कर गई थीं, उस दिन मैं ने रिम्मी से बात करने के लिए फोन लगाया था, तब उस ने मुझ सारी बात बताई.
‘‘रिम्मी ने मुझे इस के बारे में जो कुछ बताया और फीस के 5,000 रुपए के बारे में बताया, तो मेरे दिमाग की बत्ती जली.
‘‘मुझे याद आया कि कहीं यह वही तांत्रिक तो नहीं, जिस की तलाश मेरा साथी विक्रम कई महीनों से कर रहा है. मैं ने तुरंत इस तांत्रिक का स्टिंग आपरेशन करने का प्लान बनाया और फोन पर ही सारी योजना रिम्मी को समझा दी.
‘‘अभी अमावस्या की रात आने में कुछ दिन बाकी थे, मैं ने अपने दोस्त विक्रम को भी प्लेन से जल्दी बुलवा लिया और आज जब आप लोग अपने घर से निकले, तब हम ने आप लोगों का पीछा किया, क्योंकि इस के अड्डे तक हमें सिर्फ आप ही पहुंचा सकते थे, और अपनी योजनानुसार मैं विक्रम और मेरे अन्य साथी गाड़ी में बैठेबैठे रिम्मी की माला पर लगे स्पाई कैमरे से सबकुछ लाइव देख रहे थे और जैसे ही रिम्मी ने इसे तमाचा मारा, हम समझ गए कि कोई बात जरूर है और अंदर इसे दबोचने चले आए.”
इतना कह कर रिम्मी की ओर देखते हुए विजय ने बताया कि मांजी मैं ने रिम्मी की बीमारी के बारे में कुछ दिन पहले ही अपने दोस्त से फोन पर पूछा था, जो लंदन में एक मनोचिकित्सक है. उस ने बताया कि रिम्मी के अंदर किसी आत्मावात्मा का वास नहीं, बल्कि पैरानौयड पर्सनैलिटी डिसऔर्डर की बीमारी है. इस वजह से अकसर रोगी अजीबअजीब सी हरकतें करने लगता है जैसे बहुत गुस्सा आने के कारण अपना आपा खो देना, किसी पर विश्वास न करना वगैरह. यह बीमारी डाक्टर के इलाज से जल्दी ठीक भी हो जाती है,” विजय यह सब बातें बताते वक्त तांत्रिक को क्रोध भारी आंखो से घूरे जा रहा था.
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तांत्रिक के पास बचने का अब कोई रास्ता नहीं था, क्योंकि अब तो विजय के पास उस की काली करतूत की रिकौर्डिंग भी थी. तांत्रिक ने अब रिम्मी के पैर पकड़ कर ऐसा काम दोबारा न करने की कसम खाई.
विजय ने उस तांत्रिक से रिम्मी के 55,000 रुपए और अपने साथी विक्रम के सभी पैसे सूद समेत वसूल लिए. अपना इलाज कराने आए बाकी लोगों ने भी तांत्रिक का गरीबान पकड़ अपने पैसे मांगे.